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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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कुछ मेडिकल इमर्जेंसी की वजह से इन दिनों व्यस्त हूं दोस्तो और परेशान भी 🥲
समय मिलने पर अपडेट दिया जायेगा और सभी को सूचित किया जाएगा ।
तब तक के लिए क्षमा प्रार्थी हूं
🙏

 
Last edited:

TharkiPo

I'M BACK
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UPDATE 92



अगली सुबह मै रात की चुदाई की थकान से देर से उठा । सुबह का नाशता कर अनुज और पापा दुकान पर चले गये ।
मै भी आराम से 10 बजे तक नहा धो कर तैयार होने की सोच रहा था क्योकि माल 10 बजे से पहले खुलता नही , इसिलिए सबके साथ नासता कर लिया और फिर अपने कमरे मे गया । नया पैंट और टीशर्ट , अंडरवियर निकाल कर बेड पर रखा और फिर तौलिया लेके निकल गया नहाने ।

जैसा मेरी आदत थी मै दरवाजा बंद नही रखता था और बाथरूम मे भी खुला ही नहाता था । क्योकि किसी से छिपाने जैसा कुछ था नही अब घर मे ना

तो मै नहा चुका था और गुनगुना हुआ तौलिया लपेटे कमरे मे आया तो देखा कि मेरा अंडरवियर गायब है मै वापस आलमारी चेक किया तभी मुझे आलमारी के सीसे मे किसी की झलक दिखाई दी जो मेरे पीछे कमरे के दरवाजे के पर्दे मे खड़ी थी ।

मै थोडा सावधान हुआ और एक मुस्कुराहट के साथ थोडा सीसा बराबर मे लाकर निचे पैर पर नजर मारी तो एक हिल वाली सैंडल पहने खुबसूरत पैर थे और पटियाला सलवार से पाव ढका था ।

मै समझ गया ये निशा थी तो मै जानबुझ कर नाटक करते हुए बोला - ओफ्फो कहा गयी मेरी अंडरवियर,,,मम्मी से पुछता हू
फिर मै अन्जान बन्ते हुए धीरे धीरे बिना
उसकी तरफ देखे दरवाजे तक गया और वो सिमट कर और दीवाल की ओर हो गयी और मै मौका देख कर दरवाजा खोलने के बजाय उसकी चटकनी लगा कर झट से पर्दे के पीछे घुस कर निशा को पकड लिया

वो मुझे अचानक देख कर चहकना चाही लेकिन मैने उसके होठ अपने होठो से बान्ध लिये और उसके कूल्हो को मलना शुरु कर दिया ।

निशा के बदन के स्पर्श से ही मै उत्तेजित होने लगा और तौलिये मे लण्ड अपनी जगह बनाने लगा ,,वैसे भी तौलिया कुछ खास सही से नही लपेटा था मैने और हमारी कसमसाहट मे वो खुल कर गिर भी गया

तभी निशा की नजर मेरे तनमनाये लण्ड पर गयी और वो मुस्करा कर लपक लेती है मेरे लण्ड को और उसकी तपन का अह्सास अपनी मुठ्ठि मे पाते ही गनगना जाती है

मै उसके होठ चुस्ते हुए उसे अपनी तरफ खिचता हू और वो मेरे सुपाडे वाले हिस्से को मुठिया रही होती है ।

फिर मै आंखो से इशारे करता हू और वो मुस्कुरा कर वही कोने मे बैठ जाती है और हम दोनो की कामक्रीड़ा परदे के पीछे चल रही होती है
निशा पुरे जोश मे मेरे लण्ड को चुस्ती है और मेरे आड़ सख्त होने लगते है,,,नहाने के बाद तुरंत लण्ड चुस्वाने का मजा मेरे लिये पहला अनुभव था एक नया जोश भर गया था मेरे लण्ड मे ।

लेकिन अफसोस हमारी मस्ती को मेरी ही जान की नजर लगी
सोनल निशा को बुलाने आ गयी

और हम दोनो झट पट अलग हुए क्योकि हो सकता था कि सोनल के साथ कोई और भी हो साथ मे

मै फौरन अपने कपडे लेके बाथरूम मे गया और सोनल के दरवाजा खटखटाने से पहले ही निशा ने चटखनि खोल दी और बाहर चली गयी ।


थोडी देर बाद मै कपडे पहन कर बाहर आया और तब हाल ने निशा, मा, चाची और सोनल सब तैयार खडे थे

चाची ह्स कर - औरतो से ज्यादा तो इसे टाईम लग जाता है ,,पता नही शादी मे क्या करेगा

चाची की बात पर सब हसे और फिर हमने एक ई-रिक्शा किया और निकल गये ।
मै आगे बैठ गया और बाकी सब पीछे बैठ गये ।

मै एक नजर मोबाईल मे देखा तो सरोजा के आज ने मैसेज पडे थे जो काफी गुस्से और भड़ास भरे लहजे मे थे तो कुछ चिन्ता की आश मे की कही मुझे कोई दिक्कत तो नही ,,,जैसा भी हो मै उसे बता दू ।

मै बस मुस्कुरा कर मोबाईल जेब मे रख दिया और 5 मिंट मे ही हम सब सरोजा कॉमप्लेक्स आ गये ।
अभी सुबह के 10 :30 बज रहे थे

फिर सारे लोग शॉपिंग ने व्यस्त थे तो मै मा को बोला की अभी आता हू थोड़ी देर मे एक दोस्त से मिल कर और फिर निकल गया , सरोज जी के ऑफ़िस मे

अन्दर जाने से पहले मैने सरोजा को कॉल लगाया और दो रिंग जाते ही उन्होने कॉल पिक कर लिया और शुरु हो गया उनका सारे सवालो और भड़ास भरे लहजे और अन्त तक आते आते

सरोजा - बोलो राज , तुम कुछ बोल क्यू नही रहे ,मुझसे कोई गलती हुई क्या

मै हस कर - सब ब्ताऊगा पहले दरवाजा खोलिये हिहिहिही

सरोजा अचरज के भाव से - मतलब , तुम यहा
तभी अन्दर कुछ खटपट हुई और सरोजा भाग कर खुद से दरवाजा खोली और सामने मुझे हस्ता पाकर

सरोजा ने फोन काटा और ह्स्ते हुए मेरा हाथ पकड कर अन्दर खीचा और भडकते हुए बोली - तुमने समझ कर क्या रखा है मुझे हा

सरोजा इस वक़्त मरून सिल्क साड़ी मे एक प्रोफेशनल लूक मे थी और उसके मैट मरून लिपस्टिक से होठ बोलते हुए मुझे आकर्षित कर रहे थे और मै उनकी आंखो मे देख रहा था लगातार और फिर मेरा चेहरा सीरियस होने ल्गा और सरोजा भी मेरे मन की मन्शा को जैसे भाप लिया हो और वो पीछे की ओर झुकने लगी , मै उनकी ओर लपकने ल्गा और आखिरकर उनकी कमर मे हाथ डाल कर एक बार फिर से उनके बड़बड़ाते होठो को थाम लिया अपने होठो मे

वो आंखे ब्ड़ी किये मुझे घुर रही थी और उन्हे इत्मीनान कर उन्के होठ चुस्ते हुए आंखे बंद कर लिये वो सिहर गयी और मुझे अपनी ओर खींचने लगी ।
खैर हमारी होठो की बात चित लम्बी नही चली की डोर नॉक हुआ

फिर हम अलग हुआ और सरोजा ने मुझे सोफे पर बैठने का इशारा कर डोर खोला

सामने उनकी assistent थी जो बस फ़ॉरमैलिटी के लिए आई थी और उन्होने उसको किसी बॉय को भेजने को बोला और वापस मेरे पास गयी ।


हम दोनो के बीच कुछ सन्नाटा सा थ और तभी सरोजा और मै एक साथ बोले - वो कल रात

फिर हम दोनो हसे
सरोजा ह्स कर - हा बोलो कल मेरा फोन क्यू नही उठाया

मै - सॉरी वो कल दीदी के शादी को लेके बाते हो रही थी और आज उसी के शॉपिंग के लिए आये है मेरे फैमिली वाले यही पर ,,, और मेरा मोबाईल चार्ज मे था तो

सरोजा तुनक कर - तो सुबह नही फोन कर सकते थे , पता है मै कितनी परेशान थी

मै ह्स कर - वो मै सोच की आज जाना ही है मिलने तो क्यू ना सरप्राइज़ ही देदू

सरोजा - हा तुम्हारे सरप्राइज़ के चक्कर मे मुझे चक्कर आ रहे थे कल से
मै ह्स सरोजा को छेड़ते हुए - ओह्हो मेरे लिए इतनी फ़िकर क्यू जी

सरोजा थोडा संकोच दिखाते हुए - अब ब ब तुम दोस्त हो मेरे,, तो दोस्त की फ़िकर होगी न

मै उनकी बात को तब्ज्जो दते हुए -ओह्ह
मै उन्हे छेड़ने के अंदाज मे - सिर्फ दोस्त या और भी कुछ

सरोजा शर्मायायि और बोली - मै दोस्त ही समझती हू ,ब्स तुम्हारे लक्षण ठीक नही लग रहे हैं
मै हस कर उन्के पास हुआ और बोला -कैसे लक्षण

वो कुछ बोलती की बॉय अंदर आया और फिर सरोजा ने उसे दो काफी का ओर्डेर दिया

मै वापस से उन्हे इंसिस्ट करते हुए - बोलिए ना जी कैसे लक्षण

सरोजा हस कर - यही चिपकू होने के लक्षण ,,,हमेशा मेरे साथ फलिर्ट करने का लक्षण और क्या

मै - क्यू आपको मेरी शरारते पसन्द नही तो मै नही करूँगा आज से खुश

मेरे तेवर भरे जवाब से सरोजा सहमी और बोली - नही वो बात नही है राज ,, मुझे अच्छा लगता है लेकिन कभी कभी मै हमारे उम्र के दायरे को लेके बहुत सोच मे पड जाती हू कि लोगो जानेंगे हमारी दोस्ती के बारे मे तो क्या कहेंगे और एक बदनमी मै सह चुकी अब दुसरे की हिम्मत नही है


मै सरोजा के दिल के जज्बात समझ सकता था और मै उसके पास गया उसके हाथ पकड कर उसकी भरी हुई आंखो मे देखते हुए बोला - यार तुम फाल्तू का डर रही हो , मेरा ब्स चले तो मै हमारी दोस्ती के बैनर लगवा दू हिहिहिह

सरोजा मेरे बात पर खिलखिला कर हँस पड़ी और उसके आंख छलक गये

वो उन्हे साफ कर बोली - ब्स इसी जिन्दादिली और तुम्हारे बड़े दिल के कारण ही मै तुमसे बाते करती हू और तुम्हारा साथ नही छोड़ना चाहती

मै उदास होने नाटक मे - मुझे लगा कि आपको मेरा कुछ और बड़ा पसन्द आया था इसिलिए आप साथ हो

जैसे ही सरोजा मेरे बातो का मतलब समझी और उसकी आंखे ब्ड़ी हुई तो मै जोर से हसने लगा

सरोजा मेरे तरफ आके मेरे कान पकडने के लिए लपकते हुए बोली- बदमाश कही के तुम नही सुधर सकते ना
वो मेरी ओर लपकी तो मै सोचा क्यू ना एक किस्स और कर लू लेकिन उससे पहले ही डोर नॉक हुआ और एक बॉय काफी लेके आया ।


साला आज तीसरी मर्तबा था कि कोई हमे डिस्टर्ब कर रहा था सरोजा भी इस बात को समझ गयी थी तो उसने बॉय को बोल दिया की वो जाये और जब तक वो ना कहे कोई हमे डिस्टर्ब ना करे ।

उसके जाने के बाद सरोजा ने दरवाजा बन्द कर वपस मेरे बगल मे बैठी
सरोजा - लो कॉफी पीयो
मैने कॉफी ली और एक सिप लेते हुए बोला - और तब बताईए जी

सरोजा - हा पुछो
मै थोडा शांत रहा और बोला - अगर आपको ऐतराज ना हो तो आप उस दिन की बात आज पूरी कर सकती है

सरोजा मेरे कहने का मतलब समझ गयी और मुस्कुरा कर कॉफी टेबल पर रखते हुए बोली - देखो राज ,, वैसे मेरी बीती जिन्दगी के बारे मे काफी लोग जानते है , उनमे कुछ सच्चाई है और कुछ अफवाहे भी है ।

मै थोडा उत्सुकता और अचरज से - मतलब मै समझा नही

सरोजा मुस्कुरा कर - तो सुनो मै बताती हू

राज मै बचपन से घर की लाडली थी और शुरु से ही मेरा शरीर ऐसे ही भरा हुआ था या कहो की मै मोटी थी ।
संजीव भैया ने मुझे बहुत सहारा दिया यहा तक की मेरी जिद पर मुझे पढने के लिए घर मे बहस कर बाहर पढने के लिए भी भेजा ।
12वी के बाद मै दिल्ली मे अपने मौसी के यहा पढाई करने चली गयी और वही कामर्स से पढाई की । फिर MBA भी किया । MBA के दौरान ही मेरी मुलाकात मनीष से हुई , वो एक हाई प्रोफाइल और वेल एजुकेटेड इन्सान था और वहा कालेज मे मेरा सीनियर भी था ।

शुरु मे हम दोनो मे प्यार हुआ और फिर उसे एक मल्टीनेशनल कंपनी मे सीनियर पोस्ट की जॉब मिल गयी । समय आने पर हम दोनो ने अपनी बात शादी के लिए घर पर बताई और फिर उसकी अच्छी पर्सनैलिटी से प्रभावित होकर भैया ने घर मे सबको हमारी शादी के लिए मनाया ।
कुछ समय बाद हमारी शादी हो गयी और मै उसके साथ दिल्ली मे ही शिफ्ट हो गयी ।
समय आने उसने मुझे उसके ऑफ़िस मे एक सहायक के रूप मे जॉइनिग कराई ।
मेरी हैल्प से उसकी जॉब मे काफी तरक्की हुई लेकिन मै बदकिस्मती से एक अस्सीस्तेंट ही रही ।

समय के साथ मनीष मे घमंड होने लगा और धीरे धीरे वो मेरे साथ रूड बिहेव करने लगा । मुझे अह्सास होने लगा था कि उसको ये बात बहुत खल रही थी कि जिस कंपनी मे वो एक अच्छी रैंक पर काम कर रहा है उसी कंपनी मे उसकी वाइफ किसी छोटे कर्मचारी की अस्सीस्तेंट है । अब आये दिन मनीष मुझे नौकरी छोडने का दबाव देने लगा ।

मै उसकी खुशि और रेपोटेशन को देखते हुए नौकरी छोड दी और ऐसे ही 6 महीने बित गये । हमारी शादी को लगभग डेढ़ साल होने को थे और शादी के फिजिकल होने से और घर पर रहने से मेरी बॉडी मे फैट ज्यादा हो गया जिससे मै पहले से ज्यादा मोटी हो गयी । समय के साथ अब मनीष मेरे बॉडी को लेके ताने मारने लगा , उसे मुझे कम्पनी के किसी पार्टी या रेशप्सन मे लेके जाने मे हिचक होती थी । धीरे धीरे मै भी उसकी बातो से इरिटेट होने लगी । एक बोझ सा लगने लगा मेरे मन मे , मैने जिम जॉइन की थोडा वेट लॉस भी किया लेकिन अब मनीष को मुझे ताने देने की आदत सी हो गयी थी वो ऑफ़िस की भड़ास घर आकर मुझ पर निकालता था और मेरे लाख कोशिस के बावजूद भी हमारे रिश्ते मे कोई मिठास बाकी नही थी । महिनो हमारे बीच कोई फिजिक्ल रिलेशनशिप नही हुए वही मेरी सास मुझ पर बच्चे के लिए दबाव बनाने लगी थी


मै काफी समय दिया मनीष को लेकिन वो अब जुनुनी हो गया था और मै समझ गयी कि ये इंसान अब बदल गया ।
हार मान कर मैने ये बात अपने भैया को बताई और फिर उन्होने सलाह दी मै तलाख ले लू , और मुझे सही भी लगा ।
फिर मैने उसे तलाख दे दिया लेकिन फिर भी उसे कोई फर्क नही पडा ।
घर वापस आने के बाद भैया ने मेरे नाम से ये कॉमप्लेक्स खुलवा दिया और ब्स तबसे मै यही हू ।
मै एक गहरी सास ली और सरोजा को देखा तो उसकी आंखे नम थी
मैने जेब से रुमाल निकाला और उसे दिया । वो मुस्कुरा कर आंख साफ की

सरोजा ह्स कर - सुन ली मेरी दर्द भरी दास्ताँ
मै - हम्म्म वाकयी आप काफी हिम्मत वाली है ।

मै थोडा सोच कर - फिर आपने दुसरी शादी क्यू नही की

सरोजा मुस्कुरा कर - मुझसे शादी करेगा कौन राज , एक तो मेरी उम्र 34 की होने वाली है और मै तालाखशुदा औरत हू ,,वैसे भैया ने कोसिस की थी एक दो बार लेकिन मैने खुद मना कर दिया ।

मै - हा लेकिन आखिर कब तक ऐसे अकेले जीवन जियेंगी आप ,, आप कहो तो मै खोजू आपके लिये कोई लड़का

सरोजा खिलखिला कर - हिहिहिही तुम खोजोगे , वो भी मेरे लिये

मै - हा क्यू नही ,,बस आप बताओ कैसा लड़का चाहिये

सरोजा मुस्कुरा कर - तुम बहुत अच्छे हो राज ,, मेरा बस होता तो मै तुमसे ही शादी कर लेती हिहिहिही

मै अचरज से - मुझसे , लेकिन मुझसे ऐसा क्या है ,,, कही उसकी वजह से तो नही
मैने सरोजा की आंखो मे देखते हुए अपने लण्ड की ओर इशारा किया
सरोजा शर्मा कर - अब बस भी करो ,,क्यू बार बार उस रात वाली बात को लेके मुझे परेशान करते हो

मै ह्स कर - मै तो करूँगा हिहिहिही ,,,आप ने मेरा फायदा उठाया है

सरोजा अचरज से - कैसा फायदा राज
मै हस कर - आप मेरा वो देख कर खुद का काम कर ली और मेरे बारे मे सोचा तक नही हुउह

सरोजा मेरी बातो से झेप सी गयी - अब बस भी करो , तुम मुझे शर्मिंदा कर रहे हो

मै हस कर - अच्छा ठीक है , वैसे एक बात पूछू सच सच बताना

सरोजा - हा बोलो
मै शरारती भाव मे - क्या सच मे उस दिन से पहले और तलाक के बाद वो सब नही किया था

सरोजा मेरी बाते सुन कर आंखे ब्ड़ी कर ली और फिर थोडी मुसकुराते हुए झेप सी गयी - धत्त बदमाश , ये सब कोई पुछता है

मै - नही उस दिन आप कह रही थी कि तालाक के बाद आज पहली बार तुम्हारा मोटा ,,,

सरोजा मेरे मुह पर हाथ रखते हुए ह्स कर - छीई गन्दे चुप कर ,,,हो गया एक बार मुझसे तो क्या अब परेशान करोगे मुझे

मै उसके हाथ पकड कर उसकी आंखो मे एक टक देखा और बोला - क्या सच मे आपका फिर से देखने क मन नही कर रहा है

सरोजा मेरी आंखो देखते ही खोने सी लगी उसकी सासे भारी होने लगी और वो मुह फेर ली - ओह्ह राज प्लीज ऐसी बाते मत करो

मै पीछे से उसके कन्धे पर हाथ रखा और बोला - मै किसी से ये शेयर नही करूँगा

सरोजा मेरे हाथो का स्पर्श पाकर सिहर सी गयी और उस्की आंखे बंद हो गयी थी । वो तेज गति से सास ले रही थी ।

मैने सोचा यही मौका कि कुछ बात आगे बढ़ाया जाये
मै खड़ा हुआ और धीरे से अपना पैंट खोला और अपना तना हुआ लण्ड पुरा का पुरा बाहर सरोजा के सामने रख दिया


सरोजा को मेरे लण्ड की गरमी का आभास हो गया था और वो धीरे धीरे खुद को नोर्मल कर बहुत हल्का सा एक अन्ख को खोल कर तिरछी से मेरे फंफनाते लण्ड को देख कर वाप्स से आंखे भीच लेती है ।


सरोजा
छीईईईई राज ये कया कर रहे हो अंदर कर लो प्लीज उसे ,,, यीईई मम्मी प्लीज राज

मै ह्स कर धीरे से सरोजा का एक हाथ झुक कर पकड़ा और वो उसे बार बार निचे खिच रही थी लेकिन मन उसका भी था कि वो उसे छू ले

वो आंखे भिचे बूदबुदाते हुए ना ना करती रही और मैने उसका हाथ पकड कर लण्ड पर रख दिया और लण्ड का स्पर्श पाते ही वो गनगना गयी ।वही मै भी सरोजा के मुलायम हाथ का स्पर्श पाकर पागल सा होने लगा ।

सरोजा अब चुप थी और धीरे धीरे उसने आंखे खोलनी शुरु की और तिरछी नज़र से मेरे लण्ड के टमाटर से लाल सुपाडे को देखा और अपनी थूक गटक ली ,,

मै धीरे से अपना हाथ सरोजा के सर पर रखा और वो मेरे लण्ड को थामे नजरे उपर कर मेरी आंखो मे देखी तो मै झुक कर उसके मोटे रसिले होठो को मुह मे भर लिया और सरोजा ने भी मेरा साथ दिया ।

मै वापस खड़ा हुआ और लण्ड को थोडा सरोजा के सामने लाया और सब सरोजा उसे अच्चे से निहार रही थी ।

मै हौले से सरोजा के गाल को सहलाया और लण्ड को उसके होठो के पास के ले गया ।
मेरे दिल की धडकनें तेज हो रही थी वही सरोजा मेरी आंखो मे देखते हुए धीरे से मुह खोला और सुपाड़े को मुह मे भर लिया ।

मेरी आंखे बन्द हो गयी । मेरे सुपाडे को एक ठन्दक सा अह्सास हुआ ,,, सरोजा के मुलायम होठो का स्पर्श मेरे लण्ड की नशो को फाडने लगा ।

मैने वापस आन्खे खोली तो सरोजा अपनी आंखे बंद किये बडे ही कामुक अदान्ज मे धीरे धीरे लण्ड को मुह मे ले रही थी और मेरा लण्ड और भी फौलादी हुए जा रहा था ।

मैने अपने हाथ सरोजा के बालो पर रखे और हौले से दबाया जिससे सरोजा ने लण्ड को और अन्दर लेके मेरी आंखो मे झाका

मेरे मुह से आह्ह्ह निकाली

मै - ओह्ह्ह सरोजा उम्म्ंम्ं थोडा जोर से चुसो ना

सरोजा अपनी मतवाली आंखे नचाते हुए लण्ड को धीरे धीरे मुह मे अन्दर बाहर करने लगी

मेरे हाथ उसके बदन पर सरकाने लगे और बालो से होकर गरदन और फिर कन्धे तक गये और फिर झुका तो हाथ उसकी मोटी चुचियॉ के उभार पर गये
मैने उसकी बाई चुची को अपने दाये हाथ से दबाया और सहलाने लगा और वही बाये हाथ से उसके सर को पकड कर अप्नी कमर को चलाते हुए मुह लण्ड पेलने लगा

फिर सरोजा रुकी और मुह से लण्ड निकाल कर खड़ी हूई और मैने झट से उसकी कमर मे हाथ डाल कर उसके होठ चुसने शुरु कर दिये ।

वो भी एक हाथ से मेरे लण्ड को भीचते हुए मेरे होठ चुस रही थी और वही मेरे हाथ उसकी गाड पर घुम रहे थे ।

फिर सरोजा ने मेरे होठ छोडे और मेरा लण्ड पकड कर खिच्ते हुए ऑफ़िस मे ही बने एक इनडोर कमरे मे ले गयी और झट से दरवाजा बन्द किया ।
अन्दर एक फुल किंग साइज़ बेड था और सारे सुविधाये भी जो एक घर के bedroom मे होती है ।

मै झट से सरोजा को पीछे से पकड कर लण्ड को उसकी गाड मे धसाते हुए उसकी चुचियॉ को मिजने लगा ।

सरोजा क्समसा कर - ओफ्फ्फ राआआज्ज्ज्ज उम्म्ंम्म्ं अह्ह्ज माआआ उम्म्ंम्म्ं
मै उसकी नंगी कमर मे हाथ डाल कर उसके गुदाज मुलायम पेट को मसलने लगा और नाभि मे ऊँगली करते हुए उसके गरदन को चूमने लगा ।

वही सरोजा मानो पागल सी होने लगी और अपनी गाड को मेरे लण्ड पर रगड़ते हुए सिस्किया ले रही थी ।

मै भो सरोजा के गाड का दीवाना था तो झट से सरोजा के बेड के पास झुका साडी को फटाक से उपर किया और अन्दर उसकी नंगी नंगी गोरी चमड़ी वाली मांसल जान्घो के उपर मरून पैंटी मे कैद फुटबाल कैसे गाड उफ्फ्फ

मैज झट से निचे बैठ कर अपना मुह पैंटी के उपर से ही सरोजा के गाड के दरार पर लगा कर नाक घुसाने लगा और दोनो हाथो को उसकी मुलायम गोरी जांघो पर फेरने लगा ।

सरोजा के चुत और उसकी रिस्ते रस की महक मेरे नकुरो तक आ रही थी । मैने मेरे हाथ उपर लाकर उसके चुतडो को फैलाते हुए निचे चुत के मुहाने से उपर तक होठ और नथुने को दरने लगा ।

सरोजा पागल सी होने लगी
मै झट से उसे घुमा कर बिस्तर पर धकेल दिया और साडी उठा कर उसकी पैंटी को एक झटके मे निकाल दिया ।

सरोजा आंखे बंद किये तेज सासे लेते हुए सिस्क रही थी

वही मेरी नजर उसकी झानटो से भरी चुत पर गयी जो चुत के रस से चिपक गयी गयी और काफी सारा माल फैला हुआ था

मैने एक बार थूक गटका और सरोजा की मोटी जांघो को खोला और एक बार अच्छे से नाक को चुत के करीब लाकर सूंघा और ल्पालप जीभ उसकी चुत पर चलाने लगा ।

सरोजा अकड सी गयी और अपनी जांघो से मेरे सर को जकड़ कर कमर झटक रही थी

सरोजा - ओह्ह्ह राज उम्म्ंम अह्ह्ह और चुसो उम्म्ंम अह्ह्ह मा

मै उसके चुत के झान्टो मे लगी उसकी रस को चुबला चुब्ला कर चाट रहा था और बीच बीच में उसकी गर्म तपती चुत मे जीभ घुसा कर चाट लेता जिससे सरोजा पागल सी हो जाती ।

आखिर कुछ ही पलो मे
सरोजा - आह्ह राज अब मत रुको प्लीज चोद दो मुझे अह्ह्ह प्लीज

मै झट से खड़ा हुआ और अपना मुह साफ कर एक नजर सरोजा की ओर देखा और पैंट निकाल दिया
फिर थोडा जगह बना कर लण्ड को उसकी चुत के मुहाने पर सेट किया ।

सरोजा इस वक़्त मेरे लण्ड को देख रही थी और वो बार बार मुझे हा मे इशारे कर लण्ड डालने को कह रही थी ।

मैने भी सुपाडे को एक बार अच्छे से उसकी पिचपिचाई चुत पर रगड़ा और गचाक से एक धक्के मे आधा लण्ड उसके चुत मे उतार दिया

सरोजा ने तुरंत मुह पर हाथ रख ली और चिख की दबा दिया और मैने वापस से धक्का मारा और इस बार आसानी से लण्ड उसकी चुत मे उतर गया ।

एक पल को मुझे थोडी उलझन सी हुई की अगर सरोजा काफी समय से चुदी नही है तो फिर इतनी आसानी से लण्ड कैसे चला गया

मैने उस बात को टाला और जोर जोर से धक्के उसकी चुत मे लगाने लगा
सरोजा कबसे से खुद को रोके हुए थी और मेरे शुरुवती धक्को से ही वो झड़ने लगी

उसने अपनी कमर को उचका कर अपनी चुत के दाने को सह्लाते हुए मेरे लण्ड को निचोडना शुरु कर दिया और झडने लगी ।

लेकिन मेरी तो अभी शुरुआत थी मैने बिस्तर पर जगह बना कर उपर चढा और पेल्ते हुए सरोजा के उपर झुका ,,, बदले मे सरोजा ने मुझे खिच कर अपने होठ से मेरे होठ को चूसने लगी और मैं भी उस्के होठ चुस्ते हुए उसकी साडी खोल कर ब्लाउज का एक एक बटन खोलने लगा ।

मै सारे बटन खोलने के बाद सरोजा के होठ छोड़ ब्रा के उपर से ही उसकी मोटी चुची को चाटने लगा ।

सरोज मेरे सर को अपनी चुचियॉ मे दबाने लगी और वही मै अपनी गति से उस्की चुत मे जगह बना रहा था ।

उसकी चुत भरने से लण्ड बहुत मजे से अन्दर बाहर हो रहा था
लेकिन अभी मै सरोजा की चुचियॉ के लिए पागल हो रहा था और मैने हाथ डाल कर ब्रा मे एक चुची के निप्प्ल को बाहर निकाला और सीधा मुह मे भर लिया

सरोजा सिस्क उठी और मेरे सर के बालो को नोचते हुए कमर पटकने लगी ।
वही मैं उसके निप्पल को मुह मे भरे अपनी जीभ से फ्लिक कर रहा था और उसकी घुंडी के चारो ओर जीभ को नचा कर सरोजा को और मस्त करने लगा ।

मुझसे फिर भी रहा नही जा रहा था मेरे धक्के थम गये थे और लण्ड सरोजा के चुत मे गहराई मे रुका हुआ अन्दर की फड़क रहा था

मै थोडा उपर हुआ और दुसरा चुची बाहर निकालना चाहा तो

सरोजा मदहोश आवाज मे बोली - आह्ह राज रुको ऐसे ,,,,आहहहह हा अब चुसो

चुकी सरोजा ने मॉर्डन ब्रा पहनी थी जिसका एक बड़ा हुक सामने ही लगा था जिसे खोलते ही उसकी चुचिया आजाद हो कर फैल गयी ।

मै ब्ड़ी ब्ड़ी आंखो से पागलो की तरह उसकी 38DD की मोटी काले घेरे वाली निप्प्ल वाली चुचिया बहुत ही कामुक लग रही थी ।

मै थूक गटक कर दोनो हाथो से उसकी चूचियो को समेटते हुए सामने लाया , उसके मूनन्के के दाने जैसे कड़े निप्प्ल सीधे तने थे ।

मैने बारी बारी से एक एक निप्प्ल को चुसना शुरु किया
मै बारी बारी से गार गार उसकी चूचिया चुस्ता

सरोजा - ओह्ह राज प्लीज चोदो ना रुक कयू गये

फिर मुझे ध्यान आया कि मेरा लण्ड तो रुका हुआ है ।
मैने वापस से अपने कमर को उसकी जांघो के बीच पटकना शुरु किया और कुछ ही ध्क्को मे मेरा लण्ड वापस से पुरा तन गया और मेरी स्पीड भी बढ़ गयी ।

मै थोडा खड़ा हुआ और सरोजा के एक पैर को अपने कन्धे पर रखा और सटासट लण्ड को उसकी चुत मे पेलता रहा
सरोजा - ओह्ह्ह राज बहुत मजा आ रहा है,,, सच मे जितना सोचा था उस्से कही ज्यादा मस्त हो तुम आह्ह मा और तेज उफ्फ्फ्फ

मै - हा सरोजा तुम भी बहुत मस्त हो बहुत मजा आ रहा है तुम्हे चोद्ने मे ,,,आज तक ऐसा माल नही मिला

सरोज इतरा कर - मै तुम्हे माल लगती हू हा अह्ह्ह इस्स्स्स्स उम्म्ंम्ं
मै जोर जोर के लम्बे शॉट लगाते हुए - तुम तो एक नं की चोदने लायाक माल ही तभी तो तुम्हारे लिए पागल था मै


सरोजा - अह्ह्ह हा मुझे पता था , और ना जाने तुम मे क्या था कि मै भी खीची चली आई

मै - ओह्ह्ह सरोजा अह्ह्ह बहुत मस्त चुत है ,, तुम्हारी चुचिया ,तुम्हारी गाड सब मस्त है जान ओह्ह्ह

सरोजा - तो पेलो ना पुरा जोर से अह्ह्ह हा और तेज्ज्ज अह्ह्ह अह्ह् मेरा फिर से होने वाला है अह्ह्ह माआआ

मै भी झडने के करीब था
मै - ओह्ह्व मै भी आऊंगा ,,,


आऊंगा क्या आ गया था मै ,,मै सरोजा से पहले ही उसकी चुत मे भल भला कर झड़ने लगा और सरोजा भी मेरे बाद झड़ने लगी


थोडी देर बाद मै निढ़ाल होकर उसका पैर छोड कर वैसे सी चुत मे लण्ड डाले सरोजा के उपर आ गया ।

हम दोनो की सांसे तेज थी और मै उसके दिल की तेज धडकनें सुन सकता था ।

मैने अपने हाथ से उसकी एक चूची को थामा और ऐसे ही लेता रहा

तभी मुझे मेरे मोबाईल की रिंग सुनाई दी और मुझे मम्मी का ध्यान आया

मै झट से उथा और फोन उठाया जो दीदी ने किया
मैने उसको 5मिंट मे आने का बोल कर वापस रख दिया

सरोजा भी उठ कर बैठ गयी थी ।
मेरे थोडे मुरझाए लण्ड से अभी भी हल्का हल्का मेरा और सरोजा का मिला जुला माल फर्श पर गिर रहा था ।
जिसे सरोजा से बेड पड़ी पैंटी से अच्छे से मसल कर साफ किया और एक किस्स किया

वो फिर से मुस्कुराई और खड़ी हुई
हम दोनो बिना कुछ बोले एक दुसरे को किस्स किये और मै कपडे पहनने लगा ।

सरोजा बेड पर वैसे ही बैठ गयी ,,,उसकी मोटी मोटी चुचिय वैसे ही खुली थी और साड़ी जांघो तक चढ़ी थी ,,,

मै ह्स कर - अरे कपडे नही पहनोगे क्या ,,,और सॉरी जल्दी मे मेरा अन्दर ही गिर गया

सरोजा मुस्कुराई और मुझे पकड कर मेरे पेट पर अपना सर रख कर हग कर ली

मै - अरे कुछ सोचा है क्या करोगी उसका
सरोजा - मेरे पास आई-पिल है राज मै ले लूंगी

मै चौका - है मतलब
सरोजा थोड़ी हड़बड़ाई और बोली - मतलब कॉमप्लेक्स मे मैडिकल है ना तो मै वहा से ले लूंगी

मै थोडा शांत हुआ लेकिन एक उलझन सी हुई सरोजा के जवाब से
इधर वापस सोनल मेरे पास फोन करने लगी ।


मै जल्दी से कपड़े पहने और बोला - मुझे जाना होगा ,,काफी समय हो गया है

सरोजा मेरा हाथ पकड कर खड़ी हुई - फिर कब आओगे

मै मुस्कुरा कर - जब तुम कहो मेरी जान
और उसके गाल चूम लेता हू

मै वापस जाने को हुआ तो बोली - ठीक है बिल अपने नाम से बनवाना

फिर मै उसको बाय बोलकर बाहर निकल गया ।
भाग कर मै मा के पास गया तो दीदी और निशा ने अपनी शॉपिंग कर ली थी और अनुज के लिए जुटे ले लिये थे। फिर मैने भी मेरे लिए एक सेट पैंट शर्त लिये ।

मै मा और चाची से - और आप लोग नही लोगे क्या कुछ

मा हस कर - अरे वो तेरे चाचा के यहा हम लोग लेंगे अपने लिये साड़िया

फिर मै
बिल करा कर पेमेंट दिया और फिर हम सब निकल गये चाचा के यहा
थोडी देर मे हम सब चाचा के यहा गये तो चाची हमे लिवा कर अंदर हाल मे ले गयी
फिर वही चाय नासता किया गया ।

वही थोडी देर के लिए मा और चाची दुकान मे साड़ियाँ देखने गयी और इधर मैं सोनल और निशा को लेके निशा के कमरे मे घुस गया और थोडा मुखमैथुन का आनंद लेने के बाद बाहर तो मा और चाची अभी भी दुकान मे ही थे।

मै - मा दोपहर के खाने का समय हो गया है और कितना समय लगेगा आपको ,, वहा पापा इन्तजार कर रहे होगे

मा मेरी बात का जवाब देती उससे पहले चाची बोली - बेटा चिन्ता ना कर , खाना यही बन जा रहा तुम सब खा लो और फिर मै तेरे पापा के लिए भी पैक कर दूँगी लेके चले जाना


मा को भी ये सुझाव सही लगा

फिर मै वही दुकान मे एक कुर्सी लेके बैठ गया
वही चाचा मा को साड़ियाँ दिखा रहे थे ।

मा - निशा की मा ,,ये सोनल की सास के लिए साडी अच्छी रहेगी ना

चाची - अब पता नही जीजी ,,मैने तो कभी देखा नही उनको
मा मेरे तरफ देख के - तू बता राज , ये साडी ठीक है अमन की मा के लिए

मै हस कर - अरे नही मा , वो साड़ी नही पहनती है

मा अचरज से - मतलब क्यू

मै चाचा के सामने थोडा झिझक रहा था - वो मा उनका शरीर कुछ ज्यादा ही लम्बा चौड़ा है तो वो सूट सलवार ही पहनती है

मा थोडा मुस्करा कर - ओह्ह्ह फिर भी एक ले लेती हू और देवर जी सुनिये


चाचा एक मुस्कान के साथ मा को देखते हुए बोले - हा भौजी बोलो ना

मा ह्स कर - जरा एक बढिया सूट का कपडा दिखा दिजीये वो भी दे देंगे ,,,क्यू निशा की मा


चाची - हा जीजी ये थिक रहेगा

फिर सारे समान की पैकिंग हुई और 2 बजे तक खाना तैयार हुआ तो राहुल अनुज को और मै पापा के लिए खाना लेके चले गये

फिर मै वापस आया और खाना खाने के बाद सारा समान लेके निकल गया सोनल और मा के साथ चौराहे पर


जारी रहेगी
सोनल और निशा का मुखमथुन थोड़ा और देखने की आश थी, आगे भी कई मौके देंगे आप उम्मीद है,

राज ने सरोजा कॉम्प्लेक्स में मचा दिया धमाल,
सरोजा की बिगाड के रखदी है चाल,
खुली चूत और आई पिल का स्टॉक,
कहीं कोई गहरी तो नहीं है चाल।

देखना दिलचस्प होगा, वैसे अमन की मां इतनी लंबी चौड़ी है तो पापा पूरा कर पाते हैं या यहां भी रंगीलाल को अपना रंग दिखाना होगा।

बेहतरीन अपडेट दोस्त इंतजार रहेगा।
 

Vik1006

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UPDATE 92



अगली सुबह मै रात की चुदाई की थकान से देर से उठा । सुबह का नाशता कर अनुज और पापा दुकान पर चले गये ।
मै भी आराम से 10 बजे तक नहा धो कर तैयार होने की सोच रहा था क्योकि माल 10 बजे से पहले खुलता नही , इसिलिए सबके साथ नासता कर लिया और फिर अपने कमरे मे गया । नया पैंट और टीशर्ट , अंडरवियर निकाल कर बेड पर रखा और फिर तौलिया लेके निकल गया नहाने ।

जैसा मेरी आदत थी मै दरवाजा बंद नही रखता था और बाथरूम मे भी खुला ही नहाता था । क्योकि किसी से छिपाने जैसा कुछ था नही अब घर मे ना

तो मै नहा चुका था और गुनगुना हुआ तौलिया लपेटे कमरे मे आया तो देखा कि मेरा अंडरवियर गायब है मै वापस आलमारी चेक किया तभी मुझे आलमारी के सीसे मे किसी की झलक दिखाई दी जो मेरे पीछे कमरे के दरवाजे के पर्दे मे खड़ी थी ।

मै थोडा सावधान हुआ और एक मुस्कुराहट के साथ थोडा सीसा बराबर मे लाकर निचे पैर पर नजर मारी तो एक हिल वाली सैंडल पहने खुबसूरत पैर थे और पटियाला सलवार से पाव ढका था ।

मै समझ गया ये निशा थी तो मै जानबुझ कर नाटक करते हुए बोला - ओफ्फो कहा गयी मेरी अंडरवियर,,,मम्मी से पुछता हू
फिर मै अन्जान बन्ते हुए धीरे धीरे बिना
उसकी तरफ देखे दरवाजे तक गया और वो सिमट कर और दीवाल की ओर हो गयी और मै मौका देख कर दरवाजा खोलने के बजाय उसकी चटकनी लगा कर झट से पर्दे के पीछे घुस कर निशा को पकड लिया

वो मुझे अचानक देख कर चहकना चाही लेकिन मैने उसके होठ अपने होठो से बान्ध लिये और उसके कूल्हो को मलना शुरु कर दिया ।

निशा के बदन के स्पर्श से ही मै उत्तेजित होने लगा और तौलिये मे लण्ड अपनी जगह बनाने लगा ,,वैसे भी तौलिया कुछ खास सही से नही लपेटा था मैने और हमारी कसमसाहट मे वो खुल कर गिर भी गया

तभी निशा की नजर मेरे तनमनाये लण्ड पर गयी और वो मुस्करा कर लपक लेती है मेरे लण्ड को और उसकी तपन का अह्सास अपनी मुठ्ठि मे पाते ही गनगना जाती है

मै उसके होठ चुस्ते हुए उसे अपनी तरफ खिचता हू और वो मेरे सुपाडे वाले हिस्से को मुठिया रही होती है ।

फिर मै आंखो से इशारे करता हू और वो मुस्कुरा कर वही कोने मे बैठ जाती है और हम दोनो की कामक्रीड़ा परदे के पीछे चल रही होती है
निशा पुरे जोश मे मेरे लण्ड को चुस्ती है और मेरे आड़ सख्त होने लगते है,,,नहाने के बाद तुरंत लण्ड चुस्वाने का मजा मेरे लिये पहला अनुभव था एक नया जोश भर गया था मेरे लण्ड मे ।

लेकिन अफसोस हमारी मस्ती को मेरी ही जान की नजर लगी
सोनल निशा को बुलाने आ गयी

और हम दोनो झट पट अलग हुए क्योकि हो सकता था कि सोनल के साथ कोई और भी हो साथ मे

मै फौरन अपने कपडे लेके बाथरूम मे गया और सोनल के दरवाजा खटखटाने से पहले ही निशा ने चटखनि खोल दी और बाहर चली गयी ।


थोडी देर बाद मै कपडे पहन कर बाहर आया और तब हाल ने निशा, मा, चाची और सोनल सब तैयार खडे थे

चाची ह्स कर - औरतो से ज्यादा तो इसे टाईम लग जाता है ,,पता नही शादी मे क्या करेगा

चाची की बात पर सब हसे और फिर हमने एक ई-रिक्शा किया और निकल गये ।
मै आगे बैठ गया और बाकी सब पीछे बैठ गये ।

मै एक नजर मोबाईल मे देखा तो सरोजा के आज ने मैसेज पडे थे जो काफी गुस्से और भड़ास भरे लहजे मे थे तो कुछ चिन्ता की आश मे की कही मुझे कोई दिक्कत तो नही ,,,जैसा भी हो मै उसे बता दू ।

मै बस मुस्कुरा कर मोबाईल जेब मे रख दिया और 5 मिंट मे ही हम सब सरोजा कॉमप्लेक्स आ गये ।
अभी सुबह के 10 :30 बज रहे थे

फिर सारे लोग शॉपिंग ने व्यस्त थे तो मै मा को बोला की अभी आता हू थोड़ी देर मे एक दोस्त से मिल कर और फिर निकल गया , सरोज जी के ऑफ़िस मे

अन्दर जाने से पहले मैने सरोजा को कॉल लगाया और दो रिंग जाते ही उन्होने कॉल पिक कर लिया और शुरु हो गया उनका सारे सवालो और भड़ास भरे लहजे और अन्त तक आते आते

सरोजा - बोलो राज , तुम कुछ बोल क्यू नही रहे ,मुझसे कोई गलती हुई क्या

मै हस कर - सब ब्ताऊगा पहले दरवाजा खोलिये हिहिहिही

सरोजा अचरज के भाव से - मतलब , तुम यहा
तभी अन्दर कुछ खटपट हुई और सरोजा भाग कर खुद से दरवाजा खोली और सामने मुझे हस्ता पाकर

सरोजा ने फोन काटा और ह्स्ते हुए मेरा हाथ पकड कर अन्दर खीचा और भडकते हुए बोली - तुमने समझ कर क्या रखा है मुझे हा

सरोजा इस वक़्त मरून सिल्क साड़ी मे एक प्रोफेशनल लूक मे थी और उसके मैट मरून लिपस्टिक से होठ बोलते हुए मुझे आकर्षित कर रहे थे और मै उनकी आंखो मे देख रहा था लगातार और फिर मेरा चेहरा सीरियस होने ल्गा और सरोजा भी मेरे मन की मन्शा को जैसे भाप लिया हो और वो पीछे की ओर झुकने लगी , मै उनकी ओर लपकने ल्गा और आखिरकर उनकी कमर मे हाथ डाल कर एक बार फिर से उनके बड़बड़ाते होठो को थाम लिया अपने होठो मे

वो आंखे ब्ड़ी किये मुझे घुर रही थी और उन्हे इत्मीनान कर उन्के होठ चुस्ते हुए आंखे बंद कर लिये वो सिहर गयी और मुझे अपनी ओर खींचने लगी ।
खैर हमारी होठो की बात चित लम्बी नही चली की डोर नॉक हुआ

फिर हम अलग हुआ और सरोजा ने मुझे सोफे पर बैठने का इशारा कर डोर खोला

सामने उनकी assistent थी जो बस फ़ॉरमैलिटी के लिए आई थी और उन्होने उसको किसी बॉय को भेजने को बोला और वापस मेरे पास गयी ।


हम दोनो के बीच कुछ सन्नाटा सा थ और तभी सरोजा और मै एक साथ बोले - वो कल रात

फिर हम दोनो हसे
सरोजा ह्स कर - हा बोलो कल मेरा फोन क्यू नही उठाया

मै - सॉरी वो कल दीदी के शादी को लेके बाते हो रही थी और आज उसी के शॉपिंग के लिए आये है मेरे फैमिली वाले यही पर ,,, और मेरा मोबाईल चार्ज मे था तो

सरोजा तुनक कर - तो सुबह नही फोन कर सकते थे , पता है मै कितनी परेशान थी

मै ह्स कर - वो मै सोच की आज जाना ही है मिलने तो क्यू ना सरप्राइज़ ही देदू

सरोजा - हा तुम्हारे सरप्राइज़ के चक्कर मे मुझे चक्कर आ रहे थे कल से
मै ह्स सरोजा को छेड़ते हुए - ओह्हो मेरे लिए इतनी फ़िकर क्यू जी

सरोजा थोडा संकोच दिखाते हुए - अब ब ब तुम दोस्त हो मेरे,, तो दोस्त की फ़िकर होगी न

मै उनकी बात को तब्ज्जो दते हुए -ओह्ह
मै उन्हे छेड़ने के अंदाज मे - सिर्फ दोस्त या और भी कुछ

सरोजा शर्मायायि और बोली - मै दोस्त ही समझती हू ,ब्स तुम्हारे लक्षण ठीक नही लग रहे हैं
मै हस कर उन्के पास हुआ और बोला -कैसे लक्षण

वो कुछ बोलती की बॉय अंदर आया और फिर सरोजा ने उसे दो काफी का ओर्डेर दिया

मै वापस से उन्हे इंसिस्ट करते हुए - बोलिए ना जी कैसे लक्षण

सरोजा हस कर - यही चिपकू होने के लक्षण ,,,हमेशा मेरे साथ फलिर्ट करने का लक्षण और क्या

मै - क्यू आपको मेरी शरारते पसन्द नही तो मै नही करूँगा आज से खुश

मेरे तेवर भरे जवाब से सरोजा सहमी और बोली - नही वो बात नही है राज ,, मुझे अच्छा लगता है लेकिन कभी कभी मै हमारे उम्र के दायरे को लेके बहुत सोच मे पड जाती हू कि लोगो जानेंगे हमारी दोस्ती के बारे मे तो क्या कहेंगे और एक बदनमी मै सह चुकी अब दुसरे की हिम्मत नही है


मै सरोजा के दिल के जज्बात समझ सकता था और मै उसके पास गया उसके हाथ पकड कर उसकी भरी हुई आंखो मे देखते हुए बोला - यार तुम फाल्तू का डर रही हो , मेरा ब्स चले तो मै हमारी दोस्ती के बैनर लगवा दू हिहिहिह

सरोजा मेरे बात पर खिलखिला कर हँस पड़ी और उसके आंख छलक गये

वो उन्हे साफ कर बोली - ब्स इसी जिन्दादिली और तुम्हारे बड़े दिल के कारण ही मै तुमसे बाते करती हू और तुम्हारा साथ नही छोड़ना चाहती

मै उदास होने नाटक मे - मुझे लगा कि आपको मेरा कुछ और बड़ा पसन्द आया था इसिलिए आप साथ हो

जैसे ही सरोजा मेरे बातो का मतलब समझी और उसकी आंखे ब्ड़ी हुई तो मै जोर से हसने लगा

सरोजा मेरे तरफ आके मेरे कान पकडने के लिए लपकते हुए बोली- बदमाश कही के तुम नही सुधर सकते ना
वो मेरी ओर लपकी तो मै सोचा क्यू ना एक किस्स और कर लू लेकिन उससे पहले ही डोर नॉक हुआ और एक बॉय काफी लेके आया ।


साला आज तीसरी मर्तबा था कि कोई हमे डिस्टर्ब कर रहा था सरोजा भी इस बात को समझ गयी थी तो उसने बॉय को बोल दिया की वो जाये और जब तक वो ना कहे कोई हमे डिस्टर्ब ना करे ।

उसके जाने के बाद सरोजा ने दरवाजा बन्द कर वपस मेरे बगल मे बैठी
सरोजा - लो कॉफी पीयो
मैने कॉफी ली और एक सिप लेते हुए बोला - और तब बताईए जी

सरोजा - हा पुछो
मै थोडा शांत रहा और बोला - अगर आपको ऐतराज ना हो तो आप उस दिन की बात आज पूरी कर सकती है

सरोजा मेरे कहने का मतलब समझ गयी और मुस्कुरा कर कॉफी टेबल पर रखते हुए बोली - देखो राज ,, वैसे मेरी बीती जिन्दगी के बारे मे काफी लोग जानते है , उनमे कुछ सच्चाई है और कुछ अफवाहे भी है ।

मै थोडा उत्सुकता और अचरज से - मतलब मै समझा नही

सरोजा मुस्कुरा कर - तो सुनो मै बताती हू

राज मै बचपन से घर की लाडली थी और शुरु से ही मेरा शरीर ऐसे ही भरा हुआ था या कहो की मै मोटी थी ।
संजीव भैया ने मुझे बहुत सहारा दिया यहा तक की मेरी जिद पर मुझे पढने के लिए घर मे बहस कर बाहर पढने के लिए भी भेजा ।
12वी के बाद मै दिल्ली मे अपने मौसी के यहा पढाई करने चली गयी और वही कामर्स से पढाई की । फिर MBA भी किया । MBA के दौरान ही मेरी मुलाकात मनीष से हुई , वो एक हाई प्रोफाइल और वेल एजुकेटेड इन्सान था और वहा कालेज मे मेरा सीनियर भी था ।

शुरु मे हम दोनो मे प्यार हुआ और फिर उसे एक मल्टीनेशनल कंपनी मे सीनियर पोस्ट की जॉब मिल गयी । समय आने पर हम दोनो ने अपनी बात शादी के लिए घर पर बताई और फिर उसकी अच्छी पर्सनैलिटी से प्रभावित होकर भैया ने घर मे सबको हमारी शादी के लिए मनाया ।
कुछ समय बाद हमारी शादी हो गयी और मै उसके साथ दिल्ली मे ही शिफ्ट हो गयी ।
समय आने उसने मुझे उसके ऑफ़िस मे एक सहायक के रूप मे जॉइनिग कराई ।
मेरी हैल्प से उसकी जॉब मे काफी तरक्की हुई लेकिन मै बदकिस्मती से एक अस्सीस्तेंट ही रही ।

समय के साथ मनीष मे घमंड होने लगा और धीरे धीरे वो मेरे साथ रूड बिहेव करने लगा । मुझे अह्सास होने लगा था कि उसको ये बात बहुत खल रही थी कि जिस कंपनी मे वो एक अच्छी रैंक पर काम कर रहा है उसी कंपनी मे उसकी वाइफ किसी छोटे कर्मचारी की अस्सीस्तेंट है । अब आये दिन मनीष मुझे नौकरी छोडने का दबाव देने लगा ।

मै उसकी खुशि और रेपोटेशन को देखते हुए नौकरी छोड दी और ऐसे ही 6 महीने बित गये । हमारी शादी को लगभग डेढ़ साल होने को थे और शादी के फिजिकल होने से और घर पर रहने से मेरी बॉडी मे फैट ज्यादा हो गया जिससे मै पहले से ज्यादा मोटी हो गयी । समय के साथ अब मनीष मेरे बॉडी को लेके ताने मारने लगा , उसे मुझे कम्पनी के किसी पार्टी या रेशप्सन मे लेके जाने मे हिचक होती थी । धीरे धीरे मै भी उसकी बातो से इरिटेट होने लगी । एक बोझ सा लगने लगा मेरे मन मे , मैने जिम जॉइन की थोडा वेट लॉस भी किया लेकिन अब मनीष को मुझे ताने देने की आदत सी हो गयी थी वो ऑफ़िस की भड़ास घर आकर मुझ पर निकालता था और मेरे लाख कोशिस के बावजूद भी हमारे रिश्ते मे कोई मिठास बाकी नही थी । महिनो हमारे बीच कोई फिजिक्ल रिलेशनशिप नही हुए वही मेरी सास मुझ पर बच्चे के लिए दबाव बनाने लगी थी


मै काफी समय दिया मनीष को लेकिन वो अब जुनुनी हो गया था और मै समझ गयी कि ये इंसान अब बदल गया ।
हार मान कर मैने ये बात अपने भैया को बताई और फिर उन्होने सलाह दी मै तलाख ले लू , और मुझे सही भी लगा ।
फिर मैने उसे तलाख दे दिया लेकिन फिर भी उसे कोई फर्क नही पडा ।
घर वापस आने के बाद भैया ने मेरे नाम से ये कॉमप्लेक्स खुलवा दिया और ब्स तबसे मै यही हू ।
मै एक गहरी सास ली और सरोजा को देखा तो उसकी आंखे नम थी
मैने जेब से रुमाल निकाला और उसे दिया । वो मुस्कुरा कर आंख साफ की

सरोजा ह्स कर - सुन ली मेरी दर्द भरी दास्ताँ
मै - हम्म्म वाकयी आप काफी हिम्मत वाली है ।

मै थोडा सोच कर - फिर आपने दुसरी शादी क्यू नही की

सरोजा मुस्कुरा कर - मुझसे शादी करेगा कौन राज , एक तो मेरी उम्र 34 की होने वाली है और मै तालाखशुदा औरत हू ,,वैसे भैया ने कोसिस की थी एक दो बार लेकिन मैने खुद मना कर दिया ।

मै - हा लेकिन आखिर कब तक ऐसे अकेले जीवन जियेंगी आप ,, आप कहो तो मै खोजू आपके लिये कोई लड़का

सरोजा खिलखिला कर - हिहिहिही तुम खोजोगे , वो भी मेरे लिये

मै - हा क्यू नही ,,बस आप बताओ कैसा लड़का चाहिये

सरोजा मुस्कुरा कर - तुम बहुत अच्छे हो राज ,, मेरा बस होता तो मै तुमसे ही शादी कर लेती हिहिहिही

मै अचरज से - मुझसे , लेकिन मुझसे ऐसा क्या है ,,, कही उसकी वजह से तो नही
मैने सरोजा की आंखो मे देखते हुए अपने लण्ड की ओर इशारा किया
सरोजा शर्मा कर - अब बस भी करो ,,क्यू बार बार उस रात वाली बात को लेके मुझे परेशान करते हो

मै ह्स कर - मै तो करूँगा हिहिहिही ,,,आप ने मेरा फायदा उठाया है

सरोजा अचरज से - कैसा फायदा राज
मै हस कर - आप मेरा वो देख कर खुद का काम कर ली और मेरे बारे मे सोचा तक नही हुउह

सरोजा मेरी बातो से झेप सी गयी - अब बस भी करो , तुम मुझे शर्मिंदा कर रहे हो

मै हस कर - अच्छा ठीक है , वैसे एक बात पूछू सच सच बताना

सरोजा - हा बोलो
मै शरारती भाव मे - क्या सच मे उस दिन से पहले और तलाक के बाद वो सब नही किया था

सरोजा मेरी बाते सुन कर आंखे ब्ड़ी कर ली और फिर थोडी मुसकुराते हुए झेप सी गयी - धत्त बदमाश , ये सब कोई पुछता है

मै - नही उस दिन आप कह रही थी कि तालाक के बाद आज पहली बार तुम्हारा मोटा ,,,

सरोजा मेरे मुह पर हाथ रखते हुए ह्स कर - छीई गन्दे चुप कर ,,,हो गया एक बार मुझसे तो क्या अब परेशान करोगे मुझे

मै उसके हाथ पकड कर उसकी आंखो मे एक टक देखा और बोला - क्या सच मे आपका फिर से देखने क मन नही कर रहा है

सरोजा मेरी आंखो देखते ही खोने सी लगी उसकी सासे भारी होने लगी और वो मुह फेर ली - ओह्ह राज प्लीज ऐसी बाते मत करो

मै पीछे से उसके कन्धे पर हाथ रखा और बोला - मै किसी से ये शेयर नही करूँगा

सरोजा मेरे हाथो का स्पर्श पाकर सिहर सी गयी और उस्की आंखे बंद हो गयी थी । वो तेज गति से सास ले रही थी ।

मैने सोचा यही मौका कि कुछ बात आगे बढ़ाया जाये
मै खड़ा हुआ और धीरे से अपना पैंट खोला और अपना तना हुआ लण्ड पुरा का पुरा बाहर सरोजा के सामने रख दिया


सरोजा को मेरे लण्ड की गरमी का आभास हो गया था और वो धीरे धीरे खुद को नोर्मल कर बहुत हल्का सा एक अन्ख को खोल कर तिरछी से मेरे फंफनाते लण्ड को देख कर वाप्स से आंखे भीच लेती है ।


सरोजा
छीईईईई राज ये कया कर रहे हो अंदर कर लो प्लीज उसे ,,, यीईई मम्मी प्लीज राज

मै ह्स कर धीरे से सरोजा का एक हाथ झुक कर पकड़ा और वो उसे बार बार निचे खिच रही थी लेकिन मन उसका भी था कि वो उसे छू ले

वो आंखे भिचे बूदबुदाते हुए ना ना करती रही और मैने उसका हाथ पकड कर लण्ड पर रख दिया और लण्ड का स्पर्श पाते ही वो गनगना गयी ।वही मै भी सरोजा के मुलायम हाथ का स्पर्श पाकर पागल सा होने लगा ।

सरोजा अब चुप थी और धीरे धीरे उसने आंखे खोलनी शुरु की और तिरछी नज़र से मेरे लण्ड के टमाटर से लाल सुपाडे को देखा और अपनी थूक गटक ली ,,

मै धीरे से अपना हाथ सरोजा के सर पर रखा और वो मेरे लण्ड को थामे नजरे उपर कर मेरी आंखो मे देखी तो मै झुक कर उसके मोटे रसिले होठो को मुह मे भर लिया और सरोजा ने भी मेरा साथ दिया ।

मै वापस खड़ा हुआ और लण्ड को थोडा सरोजा के सामने लाया और सब सरोजा उसे अच्चे से निहार रही थी ।

मै हौले से सरोजा के गाल को सहलाया और लण्ड को उसके होठो के पास के ले गया ।
मेरे दिल की धडकनें तेज हो रही थी वही सरोजा मेरी आंखो मे देखते हुए धीरे से मुह खोला और सुपाड़े को मुह मे भर लिया ।

मेरी आंखे बन्द हो गयी । मेरे सुपाडे को एक ठन्दक सा अह्सास हुआ ,,, सरोजा के मुलायम होठो का स्पर्श मेरे लण्ड की नशो को फाडने लगा ।

मैने वापस आन्खे खोली तो सरोजा अपनी आंखे बंद किये बडे ही कामुक अदान्ज मे धीरे धीरे लण्ड को मुह मे ले रही थी और मेरा लण्ड और भी फौलादी हुए जा रहा था ।

मैने अपने हाथ सरोजा के बालो पर रखे और हौले से दबाया जिससे सरोजा ने लण्ड को और अन्दर लेके मेरी आंखो मे झाका

मेरे मुह से आह्ह्ह निकाली

मै - ओह्ह्ह सरोजा उम्म्ंम्ं थोडा जोर से चुसो ना

सरोजा अपनी मतवाली आंखे नचाते हुए लण्ड को धीरे धीरे मुह मे अन्दर बाहर करने लगी

मेरे हाथ उसके बदन पर सरकाने लगे और बालो से होकर गरदन और फिर कन्धे तक गये और फिर झुका तो हाथ उसकी मोटी चुचियॉ के उभार पर गये
मैने उसकी बाई चुची को अपने दाये हाथ से दबाया और सहलाने लगा और वही बाये हाथ से उसके सर को पकड कर अप्नी कमर को चलाते हुए मुह लण्ड पेलने लगा

फिर सरोजा रुकी और मुह से लण्ड निकाल कर खड़ी हूई और मैने झट से उसकी कमर मे हाथ डाल कर उसके होठ चुसने शुरु कर दिये ।

वो भी एक हाथ से मेरे लण्ड को भीचते हुए मेरे होठ चुस रही थी और वही मेरे हाथ उसकी गाड पर घुम रहे थे ।

फिर सरोजा ने मेरे होठ छोडे और मेरा लण्ड पकड कर खिच्ते हुए ऑफ़िस मे ही बने एक इनडोर कमरे मे ले गयी और झट से दरवाजा बन्द किया ।
अन्दर एक फुल किंग साइज़ बेड था और सारे सुविधाये भी जो एक घर के bedroom मे होती है ।

मै झट से सरोजा को पीछे से पकड कर लण्ड को उसकी गाड मे धसाते हुए उसकी चुचियॉ को मिजने लगा ।

सरोजा क्समसा कर - ओफ्फ्फ राआआज्ज्ज्ज उम्म्ंम्म्ं अह्ह्ज माआआ उम्म्ंम्म्ं
मै उसकी नंगी कमर मे हाथ डाल कर उसके गुदाज मुलायम पेट को मसलने लगा और नाभि मे ऊँगली करते हुए उसके गरदन को चूमने लगा ।

वही सरोजा मानो पागल सी होने लगी और अपनी गाड को मेरे लण्ड पर रगड़ते हुए सिस्किया ले रही थी ।

मै भो सरोजा के गाड का दीवाना था तो झट से सरोजा के बेड के पास झुका साडी को फटाक से उपर किया और अन्दर उसकी नंगी नंगी गोरी चमड़ी वाली मांसल जान्घो के उपर मरून पैंटी मे कैद फुटबाल कैसे गाड उफ्फ्फ

मैज झट से निचे बैठ कर अपना मुह पैंटी के उपर से ही सरोजा के गाड के दरार पर लगा कर नाक घुसाने लगा और दोनो हाथो को उसकी मुलायम गोरी जांघो पर फेरने लगा ।

सरोजा के चुत और उसकी रिस्ते रस की महक मेरे नकुरो तक आ रही थी । मैने मेरे हाथ उपर लाकर उसके चुतडो को फैलाते हुए निचे चुत के मुहाने से उपर तक होठ और नथुने को दरने लगा ।

सरोजा पागल सी होने लगी
मै झट से उसे घुमा कर बिस्तर पर धकेल दिया और साडी उठा कर उसकी पैंटी को एक झटके मे निकाल दिया ।

सरोजा आंखे बंद किये तेज सासे लेते हुए सिस्क रही थी

वही मेरी नजर उसकी झानटो से भरी चुत पर गयी जो चुत के रस से चिपक गयी गयी और काफी सारा माल फैला हुआ था

मैने एक बार थूक गटका और सरोजा की मोटी जांघो को खोला और एक बार अच्छे से नाक को चुत के करीब लाकर सूंघा और ल्पालप जीभ उसकी चुत पर चलाने लगा ।

सरोजा अकड सी गयी और अपनी जांघो से मेरे सर को जकड़ कर कमर झटक रही थी

सरोजा - ओह्ह्ह राज उम्म्ंम अह्ह्ह और चुसो उम्म्ंम अह्ह्ह मा

मै उसके चुत के झान्टो मे लगी उसकी रस को चुबला चुब्ला कर चाट रहा था और बीच बीच में उसकी गर्म तपती चुत मे जीभ घुसा कर चाट लेता जिससे सरोजा पागल सी हो जाती ।

आखिर कुछ ही पलो मे
सरोजा - आह्ह राज अब मत रुको प्लीज चोद दो मुझे अह्ह्ह प्लीज

मै झट से खड़ा हुआ और अपना मुह साफ कर एक नजर सरोजा की ओर देखा और पैंट निकाल दिया
फिर थोडा जगह बना कर लण्ड को उसकी चुत के मुहाने पर सेट किया ।

सरोजा इस वक़्त मेरे लण्ड को देख रही थी और वो बार बार मुझे हा मे इशारे कर लण्ड डालने को कह रही थी ।

मैने भी सुपाडे को एक बार अच्छे से उसकी पिचपिचाई चुत पर रगड़ा और गचाक से एक धक्के मे आधा लण्ड उसके चुत मे उतार दिया

सरोजा ने तुरंत मुह पर हाथ रख ली और चिख की दबा दिया और मैने वापस से धक्का मारा और इस बार आसानी से लण्ड उसकी चुत मे उतर गया ।

एक पल को मुझे थोडी उलझन सी हुई की अगर सरोजा काफी समय से चुदी नही है तो फिर इतनी आसानी से लण्ड कैसे चला गया

मैने उस बात को टाला और जोर जोर से धक्के उसकी चुत मे लगाने लगा
सरोजा कबसे से खुद को रोके हुए थी और मेरे शुरुवती धक्को से ही वो झड़ने लगी

उसने अपनी कमर को उचका कर अपनी चुत के दाने को सह्लाते हुए मेरे लण्ड को निचोडना शुरु कर दिया और झडने लगी ।

लेकिन मेरी तो अभी शुरुआत थी मैने बिस्तर पर जगह बना कर उपर चढा और पेल्ते हुए सरोजा के उपर झुका ,,, बदले मे सरोजा ने मुझे खिच कर अपने होठ से मेरे होठ को चूसने लगी और मैं भी उस्के होठ चुस्ते हुए उसकी साडी खोल कर ब्लाउज का एक एक बटन खोलने लगा ।

मै सारे बटन खोलने के बाद सरोजा के होठ छोड़ ब्रा के उपर से ही उसकी मोटी चुची को चाटने लगा ।

सरोज मेरे सर को अपनी चुचियॉ मे दबाने लगी और वही मै अपनी गति से उस्की चुत मे जगह बना रहा था ।

उसकी चुत भरने से लण्ड बहुत मजे से अन्दर बाहर हो रहा था
लेकिन अभी मै सरोजा की चुचियॉ के लिए पागल हो रहा था और मैने हाथ डाल कर ब्रा मे एक चुची के निप्प्ल को बाहर निकाला और सीधा मुह मे भर लिया

सरोजा सिस्क उठी और मेरे सर के बालो को नोचते हुए कमर पटकने लगी ।
वही मैं उसके निप्पल को मुह मे भरे अपनी जीभ से फ्लिक कर रहा था और उसकी घुंडी के चारो ओर जीभ को नचा कर सरोजा को और मस्त करने लगा ।

मुझसे फिर भी रहा नही जा रहा था मेरे धक्के थम गये थे और लण्ड सरोजा के चुत मे गहराई मे रुका हुआ अन्दर की फड़क रहा था

मै थोडा उपर हुआ और दुसरा चुची बाहर निकालना चाहा तो

सरोजा मदहोश आवाज मे बोली - आह्ह राज रुको ऐसे ,,,,आहहहह हा अब चुसो

चुकी सरोजा ने मॉर्डन ब्रा पहनी थी जिसका एक बड़ा हुक सामने ही लगा था जिसे खोलते ही उसकी चुचिया आजाद हो कर फैल गयी ।

मै ब्ड़ी ब्ड़ी आंखो से पागलो की तरह उसकी 38DD की मोटी काले घेरे वाली निप्प्ल वाली चुचिया बहुत ही कामुक लग रही थी ।

मै थूक गटक कर दोनो हाथो से उसकी चूचियो को समेटते हुए सामने लाया , उसके मूनन्के के दाने जैसे कड़े निप्प्ल सीधे तने थे ।

मैने बारी बारी से एक एक निप्प्ल को चुसना शुरु किया
मै बारी बारी से गार गार उसकी चूचिया चुस्ता

सरोजा - ओह्ह राज प्लीज चोदो ना रुक कयू गये

फिर मुझे ध्यान आया कि मेरा लण्ड तो रुका हुआ है ।
मैने वापस से अपने कमर को उसकी जांघो के बीच पटकना शुरु किया और कुछ ही ध्क्को मे मेरा लण्ड वापस से पुरा तन गया और मेरी स्पीड भी बढ़ गयी ।

मै थोडा खड़ा हुआ और सरोजा के एक पैर को अपने कन्धे पर रखा और सटासट लण्ड को उसकी चुत मे पेलता रहा
सरोजा - ओह्ह्ह राज बहुत मजा आ रहा है,,, सच मे जितना सोचा था उस्से कही ज्यादा मस्त हो तुम आह्ह मा और तेज उफ्फ्फ्फ

मै - हा सरोजा तुम भी बहुत मस्त हो बहुत मजा आ रहा है तुम्हे चोद्ने मे ,,,आज तक ऐसा माल नही मिला

सरोज इतरा कर - मै तुम्हे माल लगती हू हा अह्ह्ह इस्स्स्स्स उम्म्ंम्ं
मै जोर जोर के लम्बे शॉट लगाते हुए - तुम तो एक नं की चोदने लायाक माल ही तभी तो तुम्हारे लिए पागल था मै


सरोजा - अह्ह्ह हा मुझे पता था , और ना जाने तुम मे क्या था कि मै भी खीची चली आई

मै - ओह्ह्ह सरोजा अह्ह्ह बहुत मस्त चुत है ,, तुम्हारी चुचिया ,तुम्हारी गाड सब मस्त है जान ओह्ह्ह

सरोजा - तो पेलो ना पुरा जोर से अह्ह्ह हा और तेज्ज्ज अह्ह्ह अह्ह् मेरा फिर से होने वाला है अह्ह्ह माआआ

मै भी झडने के करीब था
मै - ओह्ह्व मै भी आऊंगा ,,,


आऊंगा क्या आ गया था मै ,,मै सरोजा से पहले ही उसकी चुत मे भल भला कर झड़ने लगा और सरोजा भी मेरे बाद झड़ने लगी


थोडी देर बाद मै निढ़ाल होकर उसका पैर छोड कर वैसे सी चुत मे लण्ड डाले सरोजा के उपर आ गया ।

हम दोनो की सांसे तेज थी और मै उसके दिल की तेज धडकनें सुन सकता था ।

मैने अपने हाथ से उसकी एक चूची को थामा और ऐसे ही लेता रहा

तभी मुझे मेरे मोबाईल की रिंग सुनाई दी और मुझे मम्मी का ध्यान आया

मै झट से उथा और फोन उठाया जो दीदी ने किया
मैने उसको 5मिंट मे आने का बोल कर वापस रख दिया

सरोजा भी उठ कर बैठ गयी थी ।
मेरे थोडे मुरझाए लण्ड से अभी भी हल्का हल्का मेरा और सरोजा का मिला जुला माल फर्श पर गिर रहा था ।
जिसे सरोजा से बेड पड़ी पैंटी से अच्छे से मसल कर साफ किया और एक किस्स किया

वो फिर से मुस्कुराई और खड़ी हुई
हम दोनो बिना कुछ बोले एक दुसरे को किस्स किये और मै कपडे पहनने लगा ।

सरोजा बेड पर वैसे ही बैठ गयी ,,,उसकी मोटी मोटी चुचिय वैसे ही खुली थी और साड़ी जांघो तक चढ़ी थी ,,,

मै ह्स कर - अरे कपडे नही पहनोगे क्या ,,,और सॉरी जल्दी मे मेरा अन्दर ही गिर गया

सरोजा मुस्कुराई और मुझे पकड कर मेरे पेट पर अपना सर रख कर हग कर ली

मै - अरे कुछ सोचा है क्या करोगी उसका
सरोजा - मेरे पास आई-पिल है राज मै ले लूंगी

मै चौका - है मतलब
सरोजा थोड़ी हड़बड़ाई और बोली - मतलब कॉमप्लेक्स मे मैडिकल है ना तो मै वहा से ले लूंगी

मै थोडा शांत हुआ लेकिन एक उलझन सी हुई सरोजा के जवाब से
इधर वापस सोनल मेरे पास फोन करने लगी ।


मै जल्दी से कपड़े पहने और बोला - मुझे जाना होगा ,,काफी समय हो गया है

सरोजा मेरा हाथ पकड कर खड़ी हुई - फिर कब आओगे

मै मुस्कुरा कर - जब तुम कहो मेरी जान
और उसके गाल चूम लेता हू

मै वापस जाने को हुआ तो बोली - ठीक है बिल अपने नाम से बनवाना

फिर मै उसको बाय बोलकर बाहर निकल गया ।
भाग कर मै मा के पास गया तो दीदी और निशा ने अपनी शॉपिंग कर ली थी और अनुज के लिए जुटे ले लिये थे। फिर मैने भी मेरे लिए एक सेट पैंट शर्त लिये ।

मै मा और चाची से - और आप लोग नही लोगे क्या कुछ

मा हस कर - अरे वो तेरे चाचा के यहा हम लोग लेंगे अपने लिये साड़िया

फिर मै
बिल करा कर पेमेंट दिया और फिर हम सब निकल गये चाचा के यहा
थोडी देर मे हम सब चाचा के यहा गये तो चाची हमे लिवा कर अंदर हाल मे ले गयी
फिर वही चाय नासता किया गया ।

वही थोडी देर के लिए मा और चाची दुकान मे साड़ियाँ देखने गयी और इधर मैं सोनल और निशा को लेके निशा के कमरे मे घुस गया और थोडा मुखमैथुन का आनंद लेने के बाद बाहर तो मा और चाची अभी भी दुकान मे ही थे।

मै - मा दोपहर के खाने का समय हो गया है और कितना समय लगेगा आपको ,, वहा पापा इन्तजार कर रहे होगे

मा मेरी बात का जवाब देती उससे पहले चाची बोली - बेटा चिन्ता ना कर , खाना यही बन जा रहा तुम सब खा लो और फिर मै तेरे पापा के लिए भी पैक कर दूँगी लेके चले जाना


मा को भी ये सुझाव सही लगा

फिर मै वही दुकान मे एक कुर्सी लेके बैठ गया
वही चाचा मा को साड़ियाँ दिखा रहे थे ।

मा - निशा की मा ,,ये सोनल की सास के लिए साडी अच्छी रहेगी ना

चाची - अब पता नही जीजी ,,मैने तो कभी देखा नही उनको
मा मेरे तरफ देख के - तू बता राज , ये साडी ठीक है अमन की मा के लिए

मै हस कर - अरे नही मा , वो साड़ी नही पहनती है

मा अचरज से - मतलब क्यू

मै चाचा के सामने थोडा झिझक रहा था - वो मा उनका शरीर कुछ ज्यादा ही लम्बा चौड़ा है तो वो सूट सलवार ही पहनती है

मा थोडा मुस्करा कर - ओह्ह्ह फिर भी एक ले लेती हू और देवर जी सुनिये


चाचा एक मुस्कान के साथ मा को देखते हुए बोले - हा भौजी बोलो ना

मा ह्स कर - जरा एक बढिया सूट का कपडा दिखा दिजीये वो भी दे देंगे ,,,क्यू निशा की मा


चाची - हा जीजी ये थिक रहेगा

फिर सारे समान की पैकिंग हुई और 2 बजे तक खाना तैयार हुआ तो राहुल अनुज को और मै पापा के लिए खाना लेके चले गये

फिर मै वापस आया और खाना खाने के बाद सारा समान लेके निकल गया सोनल और मा के साथ चौराहे पर


जारी रहेगी
Fantastic update...
 

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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so ye log nikle shopping karne... Udhar saroja baar baar phone laga rahi thi lekin raj phone kate jaa raha tha kyunki ushe surprise dena chahta tha... waise shopping ke liye saroja complex hi jaa raha tha apni family sang..... yahan shopping karne aane ki wajah uska faida hi tha...
hmm... to saroja ki past life matlab shadi shuda jindagi bahot kharab rahi kyunki usne ek kamine, haramjade au matlabi insaan se shaadi kar li thi... usne shaadi ki manish sang ye soch ke ki ek khush haal jindagi milengi ushe... lekin manish ne apne swarth sidh hone ke baad ushe apne jindagi se aise hataya jaise chai se makkhi ...
par mudde ki baat yahan ye hai ki turu insects lober raj ne yahan bhi apna kaam suru kar diya... udhar wo saroja bhi pyashi ... to shopping mall ke us room lage huye the dono.....

Lekin sabse badi mudde ki baat to ye hai ki wo dono jab sex kar the tab us room mein raagini,sonal ,nisha , raj ki chachi aur specially saroja ka bhai Sanjeev waha us room mein aa jaate aur un dono ki raasleela dekh lete maja shayad do guna hota :laughing:
Sanjeev shayad shabasi deta raj ko :roflol: :lol:
Khair...
waise pure gaon walo pata chal jaye ki raj-raagini ke ghar kounsi raasleela hoti hai to gaon wale kaise reactions denge :roflol:


Shaandaar update, shaandaar lekhni, shaandaar shabdon ka chayan aur sath hi dilchasp kirdaaro ki bhumika bhi..

Let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skills :applause: :applause:
 

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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189
सोनल और निशा का मुखमथुन थोड़ा और देखने की आश थी, आगे भी कई मौके देंगे आप उम्मीद है,

राज ने सरोजा कॉम्प्लेक्स में मचा दिया धमाल,
सरोजा की बिगाड के रखदी है चाल,
खुली चूत और आई पिल का स्टॉक,
कहीं कोई गहरी तो नहीं है चाल।

देखना दिलचस्प होगा, वैसे अमन की मां इतनी लंबी चौड़ी है तो पापा पूरा कर पाते हैं या यहां भी रंगीलाल को अपना रंग दिखाना होगा।

बेहतरीन अपडेट दोस्त इंतजार रहेगा।
:D बहुत बहुत धन्यवाद भाई

देखते है क्या नयी मस्ती होती है नये होने वाले रिश्तो मे
 
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