UPDATE 79
यहा मैने सोने का नाटक किया और विमला अपने कपडे पहन कर दरवाजा खोला
दरवाजा खुला और सामने पापा सिर्फ हाफ चढ्ढे मे थे, उन्होने उपर कुछ नही पहना था और वो लोग आपस मे कुछ खुसफुसा रहे थे
फिर मुझे पापा की आवाज मे कुछ मायुसी होने का आभास हुआ और फिर थोडी देर मे विमला ने उनको कमरे मे खिच लिया और दरवाजा लगा कर झट से उनके पैर मे बैठ कर उनका चढ्ढा खीचा और खड़ा लंड मुह मे भर कर चूसने लगी ।
मै पापा की हिम्मत की दाद देने लगा कि आज इतना सब कुछ होने के बाद उनका आत्मविश्वास काफी ऊचा है और वो अभी भी मेरे रहते ये रिस्क लेने को तैयार है और अपना लण्ड मेरे सामने ही विमला से चुस्वा रहे है
थोडी देर बाद विमला ने पापा के लण्ड एक एक बूंद निचोड लिया और वो खडी हुई ।
पापा थोडा सा दरखवास्त के भाव मे विम्ला से इशारे करते है लेकिन विम्ला उनको पकड कर कमरे से बाहर कर बोलती है - कल मै आ जाऊंगी दुकान पर पक्का ,, प्लीज आप मेरे लाज को भी समझिये भाई साहब
फिर पापा विमला के होठ चुस कर मुस्कुरा कर अपने कमरे मे चले जाते है और विमला दरवाजा बन्द करके बिस्तर पर आती है
मै हस कर - ओहोहो ये सब कब से चालू है मौसी हा
विमला शर्मा कर ह्सते हुए - बस आज दोपहर से ही
मै खुशी से लेकिन उत्सुक होकर - लेकिन कैसे हमको नही बताओगी जान
विमला मुस्कुरा कर - क्यू नही मेरे राजा ,,,
हुआ यू कि मेरे और भाईसाब के बीच अबीर की होली चल रही थी कि मेरे आँखो मे गुलाल चला गया जिससे मुझे जलन होने लगी और फिर उपर के बाथरूम मे कोई गया हुआ था तो तेरे पापा मुझे निचे इसी कमरे के बाथरूम के पकड कर लेके आ रहे थे ।
लेकिन सीधीयो से निचे उतरते हुए मेरे आखे जलन से बन्द हो गयी और मै कुछ देख नही पा रही थी तो तेरे पापा ने मुझे मेरे कमर मे हाथ डाल कर पकड लेके सीढि से उतारे और फिर कमरे मे लेके आये
फिर बाथरूम मे आने के बाद उन्होने खुद टोटी चालू कर अपने हाथो से मेरे मुह को धुला । लेकिन मौके पर बाथरूम मे कोई तौलिया नही था तो मैने जल्दी मे आंख पोछने चक्कर मे मैने अपनी कुर्ती उन्के सामने उठा कर उससे अपना चेहरा पोछ रही थी कि तेरे पापा ने मस्ती मे एक मग पानी मेरे नंगी पेट पर मार दिया और मै भी मस्ती मे उन्के हाथ से मग लेके पानी उनके कमर पर मारा जिस्से उन्के खडे लण्ड का सेप मेरे सामने आ गया और वो मुझसे मग छीनने के चक्कर मे मेरे पीछे आये और उनका खड़ा लण्ड मेरे फैले हुए चुतडो मे रगड़ खाने लगा और उनके हाथ कभी मेरे छाती को छू जाते तो कभी मेरे कमर को
मै उनसे हाईट मे थोडी लंबी हू इसिलिए शरारत मे मैंने हाथ उपर कर मग को उठा लिया और उनको चिढाते हुए - हिहिहिही अब पकड़ीये भाईसाहब हीही
लेकिन तेरे पापा ने एक नं के मस्तीखोर निकले उन्होने मेरा दुसरा हाथ पकड लिया और उसको अपने खडे लण्ड पर रख दिया जिस्से मै शर्म और घबडाहट से मेरा हाथ निचे आ गया और उन्होने लपक कर मेरे हाथ से मग ले लिया
तेरे पापा - हाह्हहहा देखा बहन जी ले लिया आखिर मैने
मै इतरा कर शर्म से - हा लेकिन ये चिटिँग है भाईसाहब
तेरे पापा इशारे से मुझको अपना लण्ड दिखाते हुए - वो चिटिँग नही मेरा लोहा है बहन जी जिसे आप पकड़ी हुई है
और तब मुझे ध्यान आया कि अभी तक मै तेरे पापा के लण्ड से हाथ नही ह्टाई हू
फिर मैने झट से उसपे से हाथ हटा कर घूम गयी और ह्स्ते हुए सॉरी बोली लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी उन्होने मुझको पीछे से पकड लिया और मेरे छाती को मस्लना शुरु कर दिया था
मै कसमसा कर - आह्ह भाईसाहब क्या कर रहे है आह्ह छोडिए ऊहह
तेरे पापा हस कर - मै तो बस हिसाब बराबर कर रहा था ह्हिहिही
मै शर्म से उनसे अलग हुई और अपनी कुर्ती सही करते हुए हस कर बोली - हिसाब ज्यादा नही हो गया आपका हा
तेरे पापा ने वापस मेरा हाथ अपने खडे लण्ड पर ले जाकर रगड़ते हुए बोले - ओह्ह तो आप भी बराबर कर लो
और मुझे खिच कर वापस से मेरे चुचे मसलने लगे और मै मदहोश होने लगी फिर कब वो निचे गये और मेरे पिछवाड़े को चाटना शुरु कर दिया पता नही चला और फिर उन्होने ही मेरे ब्रा निकलवाये । फिर हम छ्त पर आ गये ।
मै हस कर - ओह्हो फिर तो मजा आया होगा जान गाड़ चुस्वा कर हिहिहिह
विमला इतरा कर - हम्म्म वो तो है अब कल देख क्या क्या करते है ,,,कल दुकान पर बुलाया है हिहिही
मै उसके चुचे सहलाते हुए - ओहो फिर मजे करो रानी ,,हीही फिर ऐसे ही मस्ती भरी बाते हुई ।
दिन भर की मस्तिया और तीन चुतो की कुटाई के थकान से मै विम्ला से चिपक कर सो गया ।
सुबह 8 बजे मा की आवाज आने पर मेरी नीद खुली तो और मै उठ कर हाल मे आया तो देखा की सारी औरते नहा धो कर तैयार है और किचन से चाय की मस्त खुस्बु आ रही है ।
एक जोर की अन्गडाई ले ही रहा था कि ल
मा - जा तू नहा धो ले और आज बहुत काम है
मै काम का सुन कर ही फिर से पस्त होके सोफे पे बैठ गया
मै मुह बना कर - अब क्या काम है मा
मा - अरे बेटा उस घर से सारा सामान लेके आना है और फिर यहा सेट करना है और फिर नये समान की लिस्ट बनानी है । फिर कल की पूजा के प्रसाद और होली की मिठाईया भेजनी है आस पड़ोस मे ,,, ले मै तो भूल ही गयी
मा पापा से - सुनिये जी आप 10 किलो गुलाब जामुन और 5 किलो लड्डु के ओर्डेर दे दिये थे कि नही
पापा - हा भाई कल शाम को ही मैने कल्लु को बोल दिया था और अभी दोपहर तक उसका कोई लड़का दे जायेगा
मा परेशान होकर- चलिये ये सब हो जायेगा फिर दुकान के लिए भी सोचना है क्या कैसे होगा
मै उनके बातो से ऊब कर - बस करो मा , परेशान ना हो हो जाएगा सब । आप चलना मेरे साथ अभी और उस घर से सारा समान एक ई-रिक्शा पर लाद कर लेते आयेंगे एक दो चक्कर मे , और समान लिस्ट दीदी बना देगी । मिठाई और प्रसाद अनुज बाट आयेगा । मै दुकान देख लूंगा बस
मा हस कर - हा बस ,,,मेरा ब्च्चा इधर आ
फिर मा ने मुझे पकड कर हग करते हुए दुलारने लगी
मै उबासी लेते हुए - मा चाय दो ना
मा गुस्सा दिखाते हुए - अरे मलिछ जा पहले ब्रश मन्ज्न कर फिर कुछ खा पी ,,,उठ जा
फिर मै मन मार कर उठा और फ्रेश हुआ और नहा धो कर वापस आया तब तक चाचा चाची की फैमिली और विमला जा चुके थे ।
फिर मैने चाय पी और एक ई-रिक्शा बुलवाया फिर मा और अनुज के साथ निकल गया उस घर
पापा भी अपने दुकान के लिए निकल गये ।
घर आकर अनुज के ताला खोला और फिर वो दुकान खोल कर बैठ गया फिर मै और मा उपर गये ।
पहले हमने सारे बिस्तर को समेट कर अच्छे से फ़ोल्ड किया
फिर मा स्टोर रूम से एक बक्से मे से साफ की हुई प्लास्टिक की बड़ी बड़ी बोरीया निकाली जिसमे सारे बिस्तर को भरा गया और फिर सारे कपडे भारी चैन वाले झोले भर कर दिये गये ।
फिर मै ये दोनो सामान नये घर पर रख कर वापस आया तब तक मा ने किचन से सारा सामान बटोर चटोर कर डिब्बी डिब्बा वाले सारे सामानो को एक बडे बोरी मे भरा और राशन से भरे ड्रम भी निचे आये , जिन्हे मै एक बार फिर ई-रिक्से पर लाद कर नये घर लेके गया और वापस आया ।
इधर मा ने स्टोर रूम से राशन की बोरिया , छोटे बक्से तक बाहर निकाल लिये
मेरी हालात खराब होने लगी थी उपर से अभी तो सारी मेहनत बाकी थी
मै मना करता भी तो मा की डांट सुनता इससे अच्छा था जो मिला सब लाद फांद कर कुल 4 राउंड मे सारा नये घर के हाते मे जमा कर दिया और फिर मा को लिवा कर 12 बजे तक नये घर वापस आ गया ।
तब तक दीदी ने खाना बना दिया था और किचन के हल्के फुल्के सामान रखते हुए उनकी पर्ची भी बना ली थी कि क्या कम है क्या ज्यादा ।
फिर हमने खाना खाया और मा ने पापा को फोन से बोल दिया कि बबलू को भेज कर खाना मगवा ले क्योकि यहा कोई खाली नही है
मै खुश होकर - वाह मा ये अच्छा किया
मा हस कर सोफे पर बैठते हुए - हा जानती हू रे मेरे से ज्यादा तो तुने मेहनत की है , आ बैठ तू भी
फिर मा सोनल को पानी लाने के लिए आवाज देती है और क्या क्या खाना तैयार है उसके बारे मे पुछती है
सोनल - मा खाना एकदम तैयार है आपलोग मुह हाथ धुल लो मै खाना लगाती हू
मा - ठीक है बेटा , जरा तेरे पापा का टिफ़िन भी पैक कर दे वो बबलू आता होगा लेने ।
सोनल मुस्कुरा कर - ठीक है मा आप परेशान ना हो
फिर मैने और मा ने खाना खाया और थोडी देर आराम किया
फिर 1 ब्जे से वापस मा ने सारा सामान उठवाना शुरु किया और दीदी ने भी हमारी मदद की शाम 4 बजे तक सब कुछ अच्छे से सेट हो गया ।
स्बके कपडे उनके बेडरूम मे चले गये और राशन की बोरिया , बक्से उपर स्टोर रूम मे रख दिये गये ।
इसीदौरान कल्लु का नौकर मिठाईया दे गया ।
मा हतास होकर - हे भगवान अभी ये भी बाकी ,,क्या करू
मै भी थकी हुई आवाज मे - मा ऐसा करता हू अनुज को बोल देता हू की वो दुकान बंद कर ले चंदू की साइकिल लेके आ जाये,,और वही सब जगह बाट देगा
मा थोडी देर सोच के - हा ठीक ही कह रहा है तू ,, लेकिन अनुज के पास मोबाईल थोडी है
मै - अरे मै चंदू को बोल देता हू ना मा वो बात करवा देगा
फिर मैने चंदू को फोन किया और उसने अनुज से बात करवाई और फिर वो दुकान बंद कर साइकिल लेके आया ।
तब तक दिदी और मा ने सबके लिये अलग अलग जिनको देना था डिब्बे मे मिठाई और प्रासाद बाँधे फिर अनुज लेके निकल गया पुराने घर ।
चुकी यहा चौराहे पर कोई परिचय नही था हमारा और ज्यादा घर भी नही बने थे
पास मे थोडी दुर पर एक दो मंजिला मकान ब्ना था जिसमे एक औरत रहती थी जिस्का बेटा बाहर कमाता था शायद ,,मैने बस सुना ही था
मा - बेटा एक काम करेगा , ये जो बगल मे वाली दीदी है उन्के यहा मीठा देके आ जा
मै अजीब सा मुह ब्ना कर - क्या मा अब उनको क्या लेना देना
मा मुझे समझाते हुए - अरे बेटा , रिश्ते व्यवहार ब्नाने से बनते है और फिर ये तो प्रासाद है , इसको दुशमन से भी बाटना चाहिये
मै मन मार कर - ठीक है लाओ दो
फिर मैने हाथ मुह धुला और मिठाई का डिब्बा लेके चला गया उस बडे घर की तरफ
मै मेन गेट खुला पाकर अंदर गया और दरवाजे की बल बजाई और उस मनहूस चेहरे की राह देखने लगा जिसकी वजह से मेरे आराम के खलल पड़ी थी ।
थोडी देर मे पायलो की छन छन गैलरी ने आती सुनाई दी और फिर दरवाजा खुला
मै गिरे मन हाथ का पैकेट थमाते हुए बोला - चाची ये लो प्रसाद
और मेरी नजर सामने खड़ी महिला पर गयी , जो पीली चमकदार साडी मे कसी हुई जवानी मे लाल लिस्प्तिक ल्गाये दरवाजे का ओट लिये खड़ी थी ।उसका नूरानी चेहरा देख कर मेरे तन एक नई ऊर्जा दौड़ गयी क्योकि सामने कोई चाची नयी एक नयी बियाही औरत थी जिसके खुबसुरत चेहरे की चमक ने ढलती शाम मे ही चांद उगा दिया हो ।
तभी मुझे उसकी आवाज आई- कहा से आये हो बाबू
मै उसकी मीठी कोमल आवाज से पिघलने लगा और लड़खती आवाज मे - अब ब वो वो मै
मै कभी उसका गोरा गुलाब का चेहरा देख्ता तो कभी ऊँगली से अपने घर की तरफ इशारा करता
और तभी उसकी हसी छूटी और मुझे उसके खुबसूरत होठो के बिच चमकते सफेद मोतियो जैसे दाँत दिखे जो उसकी हसी को और भी सुन्दरता से नवाज रहे थे ।
मै हस कर खुद को शांत किया और एक गहरी सांस लेते हुए -सॉरी वो मै यही का हू ,ये जो बगल मे नया घर बना है वो मेरा ही है ,,,
मै - चाची नही है क्या
वो - नही वो बाजार गयी है तो मै ही हू फिलहाल ,, और कुछ
मै हस कर - नही नही मै जा रहा हू ,, और सॉरी मैने बिना देखे आपको चाची बोल दिया
वो मुस्कुरा कर - अरे कोई बात नही , होता है कभी
फिर मै घूम कर वापस जाने को हूआ और वो दरवाजा बन्द करने को हुई तभी मेरे मन मे कुछ सुझा
मै - अच्छा सुनिये
वो बंद किये दरवाजे को खोल कर - हा कहिये
मै संकोचवश- वो आप कौन है ,,वो मुझे मा को बताना पडेगा ना कि किसको दिया मैने
वो हस कर - वैसे तो मै उनकी बहू हू और मेरा नाम काजल है
मै हस कर - जी भाभी जी बस बस इतना ही
काजल हस कर - और अपना परिचय नही देंगे क्या आप
मै हस कर - मै मै ,, मेरा नाम राज है और मै रंगीलाल जी का बेटा हू , उनकी बाजार मे बरतन की बड़ी दुकान है और
काजल हस कर - और क्या
मै - और मेरी बजार मे एक कासमेतिक की भी दुकान है जिसको मै और मा मिल कर चलाते है
काजल खुसी से - अरे वाह फिर तो अच्छा है , वैसे कहा है ये दुकान आपकी
फिर मैने उसको अपनी दुकान का पता बताया और फिर अलविदा कह कर मेन गेट से होकर बाहर आ गया
फिर सड़क पर चलते हुए एक गहरी सास लेके मुह में ही बड़बड़ाते हुए - उफ्फ़फ्फ क्या कयामत थी यार , हाय्य्य दिन बन गया आज तो ,,,
फिर मै खुशी मन से घर वापस आया और मा को बोलकर गेस्टरूम मे सोने चला गया ।
फिर शाम 7 बजे तक मेरी निद खुली और मै उठ कर गेस्टरूम के बाथरूम मे फ्रेश हुआ और फिर हाल मे आया तो वहा कोई नही था ।
किचन से खाने की खुस्बु आ रही थी और हल्की फुल्की भूख लगी थी मुझे तो मै किचन मे चला गया ।
जहा मा और दीदी खाना ब्नाने मे लगे थे ।
मै मा के बगल मे खडे होकर - क्या ब्ना रही हो मा मस्त खुशबू आ रही है
मा खुश होकर कुकर मे कल्छुल घुमाते हुए - तेरे पापा ने सुबह फरमयिश की थी भई कि आज राजमा बनाओ तो वही बना रही हू
मै खुशी से मा को पीछे से हग कर - वाहह मा आज तो मजा ही आ जायेगा खाने का
मा हसते हुए - अरे छोड बेटा मै जल जाऊंगी ना
फिर मै उनको छोडा और मै वही डाइनिंग टेबल पर बैठ कर सोनल से - तो दीदी सामान की लिस्ट बन गयी
सोनल मेरे बगल मे आकर - नही भाई , अभी सिर्फ किचन के समान की ही लिस्ट बनी है और अभी सभी कमरो के बेडशिट , पर्दे घड़ी और काफी सारी चीजे बाकी है ।
मै - कोई बात नही सारे समान की लिस्ट बना लो एक दिन सरोजा कॉमप्लेक्स जाकर सारी खरीदारि कर ली जायेगी
मा - हा सही है बेटा वहा सारे सामान एक साथ मिल जायेंगे चार जगह जाना भी नही पडेगा ।
फिर ऐसे ही आने वाले तैयारियो के बारे मे बाते हुई और इतने मे अनुज आ गया और वो एक टीवी और एक रैन्जर साइकिल की डिमांड रख दिया तो सोनल कैसे पीछे रहती तो उसने भी अपने लिये नये कपडे लेने की बात रखी और मा ने भी जरुरी समान जैसे एक फ्रिज और वॉशिंग मशीन के लिए बोला
मै उनके उतावले पन पर हस रहा था तो मा बोली - क्या हुआ तुझे नही चाहिये कुछ
मै हस कर - मेरा छोडो और बजट का सोचो हिहिहिही अभी दीदी की शादी का खर्चा आयेगा उसका भी ध्यान देना है ।
मा मेरी बात सुन कर मायुस होते हुए - हा बेटा बात तो तेरी सही है ,,, लेकिन ये सब जरुरी है अब ,,, इतने बडे घर मे टीवी फ्रिज और वॉशिंग मशीन होना जरुरी है । धीरे धीरे नये घर पर लोग आयेंगे और फिर सोनल की शादी तक सारी तैयारिया भी तो करनी है । पता नही कैसे होगा
मै हस कर - हो जायेगा मा सब बस दीदी को बोलो वो दहेज ना ले हाहहहहा
सोनल चिढ़ कर मुझे मारने को आई और मै भागकर मा के पास चला गया
मै हस कर - देखा देखा मा ,, दहेज का एक भी पैसा नही छोडना चाह्ती है ये हिहिही
सोनल इतरा कर - रख लेना तू अपने पैसे ,,,उनको नही चाहिए कोई दहेज
मै सोनल की बात पर तंज कस्ते हुए - सुन रही हो मा ,,, अभी से उनकोओओओ बोला जा रहा है हिहिहिहिह
सोनल शर्मा कर कमरे मे भाग गयी
मा हस कर - क्या तू भी उसको परेशान करता है ,,,ये बता बजट का क्या होगा
मै - ओहो मा आप चिन्ता ना करो सब कुछ इन्तेजाम मै और पापा कर लेंगे ,, अभी तो घर के समान के शॉपिंग जाने की तैयारी करो ।
मा खुश होकर मेरे गाल चूम लेती है - मेरा प्यारा बच्चा कितना सोचता ह्मारे बारे मे
इधर अनुज मुह बना के - हा हा वही है आपका बेटा मै तो बाहर का हू ना
मा उसकी बातो से हस के उसको अपने सीने मे कस लेती है और बोलती है - तुम सब मेरे जान हो मेरे बच्चो
फिर थोडी देर बाद पापा दुकान से आये और हम सब बाते करते हुए खाना खाये और पापा ने बजट के मामले मे मा को निश्चिँत होने को कहा ।
फिर रात मे खाने के बाद हम सब सोने चले गये
देखते है दोस्तो आगे क्या होने वाला है
राज के नये घर मे कौन कौन से हंगामे होने वाले है और उसके नये पड़ोसीयो से कैसा रिश्ता होने वाला है ।
आप सभी की प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा
पढ कर अपना विचार जरुर लिखे क्योकि बिना फीडबैक के लिखने का मजा अधूरा हो जाता है ।