UPDATE 78
रजनी की मस्त चुदाई के बाद मै चंदू को लिवा के पन्डाल के लिए निकल गया ।
हमारे चमनपुरा मे नगर के थोडा सा पूर्व दिशा मे लग कर एक पुराना और भव्य शिवमंदिर था । जहा आये दिन त्योहारो पर नये नये प्रोग्राम का आयोजन नगर के बडे सेठो द्वारा बनी एक समिति की ओर से होता था । जिसमे त्योहारो से पहले ही पुरे नगर और आस पास के गाव और नगर मे घूम घूम कर समिति के कार्यकर्ता चंदा लेने जाते थे ।
हर साल होली पर मंदिर पीछे के मैदान मे एक बड़ा पंडाल लगाया जाता था । जहा प्रसाद के तौर पर भांग वाली शर्बत और लड्डु मिलते थे । हा लेकिन औरतो और बच्चो के मंदिर मे भोग लगाये सादे प्रसाद ही दिये जाते थे ।
पंडाल मे एक बड़ा मंच होता था जिसपे समिति के तरफ से बुलाये कलाकारो और कुछ क्षेत्रीय गाव के गवैये नचैये अपने कला का प्रदर्शन करते थे । हर साल जवाबी बिरहा का जोरदर समर्थन होता और कलाकारो को उन्के जोगिरा पर खुब पैसे मिलते थे ।
मै और चंदू भी मस्ती मे पांडाल की तरफ जाने लगे और वहा के स्पीकर की शिव आरती आवाज हमारे कानो पर आ गयी थी
मन्दिर मे शिव की संध्या आरती के बाद ही सारे कार्यक्रम का शुभ आरम्भ होता था और मंच पर आये सभी कलाकार मे जो पहले आता वो भी अपनी रचना भोलेनाथ को ही समर्पित रखता था ।
पान्दाल मे कोई धक्का मुक्की ना हो और औरतो बच्चो का विशेष ध्यान रखते हुए उनके बैठने की व्यव्स्था अलग ही की जाती थी ।
समिति के कार्यकर्ता सभी ओर अपनी जिम्मेदारियो को बखूबी निभाते भी थे तभी तो हमारे चमनपुरा का पान्डाल पुरे जिले मे बहुत ही प्रसिद्द हो गया था जिसकी न्यूज़ चैनलो पर रिपोर्टिंग तक की जाती थी ।
खैर हम दोनो मसती मे झूमते हुए पान्डाल तक गये जहा धीरे धीरे भीड़ होने लगी थी ।
एक तरफ स्टॉल लगा कर औरतो बचचो को और एक तरफ मर्दो के लिये
प्रसाद बटने लगा था हम दोनो ने भी सादे प्रसाद लिये और पान्डाल मे एक जगह देख कर दरी पर बैठ गये और हमारी नजर समिति के मंच पर लगे बडे बैनर पर गयी
जहा हिन्दी भोजपुरी क्षेत्र के सुपरहिट और काफी चर्चित कलाकार रम्पत हरामी और उनकी रन्गिली साथी रानी बाला की तस्वीर लगी थी
चंदू उछल कर - अबे ये तो रम्पतवा है बे यार आज तो मजा ही आ जायेगा
मै भी खुशी से झूम गया कि इतना बड़ा कलाकार आज हमारे चमनपुरा मे आया था ।
तभी शायद यहा की भीड़ बहुत ज्यादा थी ।
थोडी ही देर मे एक स्थानीय गायक ने शिव पार्वती की होली पर एक कविता पढी और फिर मंच संचालक ने एक जोरदार तालियो की अपील करते हुए रम्पत हरामी और रानी बाला का स्वागत किया ।
पुरे पान्दाल मे तालिया और सीटीया बजने लगी लोग तेज आवाज मे हल्ला करने लगे
हम भी मस्ती मे आकर अपनी उंगली को ओठ पर उपर निचे कर उलूलुलुलुलू करने लगे और खुब हसे ।
तभी मन्च से रम्पत की आवाज आई
रम्पत एक अस्लील अंदाज मे - बस बस शांत हो जाइए दोस्तो ,,, अभी से थको मत रात बाकी है हेहेहेहे
एक बार फिर जोर के हल्लो और सिटीयो के बाद माहोल शांत हुआ
रानी - नमस्कार हारामी जी
रम्पत रानी बाला से - हाय्य्य्य्य हाय्य्य हाय्य्य नमसकार धमस्कार सम्सकार
फिर ढोल मजिरे का ताल बजता है
मन्च पर रम्पत अपनी रन्गिली टोपी रानी बाला की तरफ घुमा कर उसको पुचकारता है - सीईईई चुचू चुउउऊऊ
रानी बाला - ऐ लडके , क्या करता है
रम्पत अपनी अस्लील अन्दाज मे होठो को सिकोड़ते हुए रानी को देखकर एक चटकारा लेते हुए निचे से एक मोटा खीरा रानी को देता है
बैकग्राउंड मे मजीरा ढोल अपनी ताल देते है
रानी मोटे खीरे को घुमाते हुए - इसका क्या काम है
रम्पत अपनी आंख दबाते हुए - बहुत काम की चिज है भौजी हमारे साथ भी और हमारे बाद भी
रानी - तुम अपनी हरकतो से बाज नही आओगे
रम्पत - ओहो भौजी ,,,अच्छा अच्छा छोडो ये बताओ होली पर कुछ खाने को लाई हो
रानी - हा हा ,,ऐसी मस्त चिज लायी हू की खा कर जोश आ जायेगा और फिर से जवान हो जाओगे
रम्पत माइक मे फुसफुसा कर - कही शिलाजीत तो नही है ना
पुरा पान्डाल हसी से ठहाको से भर गया और ढोल मजिरे अपने ताल मे बज उठे
रानी - क्या कहा
रम्पत खुद को स्म्भाल के - उह्ह्हूउऊ अह हम्म्म्म मै कह रहा था क्या लाई हो भौजी जिससे मुझे जोश आ जायेगा
रानी - प्याज के पकोड़े है प्याज के
रम्पत वापस माइक मे फुसफुसा कर - कही जापानी तेल मे नही तल दिया रानी हाय्य्य्य
रानी - हे भगवान कभी तो अच्छी बाते कर लिया करो
रम्पत - ना ना ना , हम अच्छे हो गये तो ये हरामीपन कौन करेगा क्यू भाइयो
पान्डाल एक बार फिर हसी के ठहाके और सिटीयो की आवाज से भर गया।
रमप्त - अच्छा सुनो भौजी कुछ सुनाओ
रानी - क्या सुनोगे
रम्पत - होली पे कुछ सुना दो
रानी - अच्छा होली पे , तो सुनो
पान्डाल मे वापस तालिया गुजती है
रानी अपने बनाये किसी तर्ज पर एक गाना गाती है
नीला पिला हरा गुलाबीईईईई
कालाहह भूराआआ लाआआल
होली के दिन उड़ता देखो
सतरंगी गुलाल
हो चोरी चोरी वो आके ,रंग गया डाल
हो चोरी चोरी वो आके , रंग गया डाल
रम्पत - क्या बात है भौजी ,,, कोई चोरी चोरी रंग डाल गया तुमको पता नही चला
रानी - क्या करु मै तो सोयी हुई थी
रमपत अपनी म्स्तानी अदा मे रानी के करीब मजिरे और ढोल की ताल पर नाचता हूआ रानी के करीब जाकर - एक दफा हमसे भी डलवाओ ,,सालो साल याद रखोगी
रानी - अच्छा जी
रम्पत - तो फिर , चमनपुरा के बाजार का रंग है कितना भी रगड़ लोगी छुड़ा नही पाओगी
फिर गाने की धुन पर वो दोनो अपने स्टाइल मे अपनी कमर ठुमका कर आपस मे पेट सटाते हुए नाचते है
जिसको देख के मन्च के पास भांग वाली शर्बत पीकर बैठे बुजुर्ग मे से दो तीन खडे होकर ही ठुमके लगाने जिनको देख कर जनता और भी सिटिया बजाने लगी।
इधर मन्च पर वापस दोनो अपनी अपनी माइक पर जाते है और रम्पत जोगिरा कहता है -
होली आई होली आई होली आई भौजी
औ देवर के संग होली खेलो देवर है मनमौजी
बोलो सारा रा होली है
रानी ढोल की ताल पे कमर लच्काते हुए - अच्छा जी इस उम्र मे देवर मे बनोगे
रमपति अपनी हरामी वाली हसी मे - हेहेहेहेह भूल रही हो भौजी,,, होली मे बूढ़वा भी देवर बन जाता है
रानी - अच्छा जी
रम्पत वापस से जोगिरा पढते हुए -
होली के दिन होती देखो रंगो की बौछार
अरे होली के दिन होती देखो रंगो की बौछार
भौजी के मै भी रंग लगा लू कस कस के एक बार
बोला हई रे हई रे हई हा
होली है!!!!!!
फिर रम्पत अबीर लेके रानी के गालो पर गुलाल लगाता है ।
यहा हम सब बहुत मस्ती मे शोर मचा कर मजे से बैठे हाथ उठा कर नाच रहे थे ।
फिर थोडी देर मे रम्पत का गाना खतम हुआ और फिर एक दो प्रोग्राम के बाद जवाबी बीरहा चला उसमे भी कुछ अस्लील जोगिरे गाये गये ।
फिर मट्की और मजिरे के ताल पे पास गाव के तीन चार लोगो ने साडी पहन कर लोकगीत पर नृत्य भी किया ।
फिर अंधेरा होने को आया और मैने मोबाइल देखा तो 7:30 बज गये थे और सोनल के 12 मिस्काल आये थे
मै घबडाहट मे चंदू से - अबे चल उठ घर से फोन आ रहा है
चंदू मना करते हुए - अबे यार अभी रुक ना
मै - भोस्डी के साडे सात बज रहा है
चंदू - भाई प्लीज एक लास्ट ना
मै - ठीक है तू बैठ मुझे समान लेके जाना है चौराहे पर
फिर मै उसको गाली देता हुआ बाहर निकल और मार्केट वाले रास्ते पर जाने ल्गा कि चंदू दौड़ता हुआ आया
मै - अब क्यू आ गया जा ना वही रह
चंदू - जाने दे तेरे बिना मन नही लगता रे
मै हस कर - भाग साले ,,मेरे बिना दीदी को चोद्ता है ना
फिर हम ऐसे ही मस्ती भरी बाते करते हुए मुहल्ले मे आये और चंदू अपने घर गया ।
मैने वापस सोनल के पास फोन किया तो पता चला कि कुछ राशन के समान लेने थे जो पापा लेके आ गये उसी के लिए मुझे फोन कर रही थी ।
फिर मै उसको घर पहुचने का बोल कर चौराहे की तरफ निकल गया ।
थोडी देर मे टहलते हुए मै चौराहे वाले घर पहुच गया जहा किचन से मस्त कलौजी के मसाले की खुस्बु आ रही थी ।
मै किचन मे घुसा तो देखा कि निशा और सोनल खाना बना रही है । कुकर मे दाल रखा हुआ था
मै - क्या बन रहा है भई
सोनल - आ गया तू ,,, कबसे फोन कर ही थी उठाया क्यू नही
मै - अरे वो मै पान्डाल मे गया था ना हिहिहिही
सोनल चिढ़ कर - हा वही आवारागर्दि कर रहा होगा
मै हस कर वहा से हाल मे आया तो देखा यहा भी किचन का माहौल बना हुआ है
हाल मे मा चाची और पापा मिल कर आटे की गोल बड़ी लोयिया बना रहे थे ।
मुझे समझ मे आ गया कि क्या प्रोग्राम था आज का ।लेकिन एक बात समझ नही आ रही थी कि ये लिट्टीया सेकि कहा जायेगी ।
तभी अनुज और राहुल उपर से कुछ लकड़िया और गोबर के कंडे एक बोरे मे लेके आये और मै मै रास्ते मे ही खड़ा था
अनुज - आह्ह भईया हटो मुझे बाहर लेके जाना है ।
मै उसको डांट कर - कहा लेके जा रहा है ये सब
मेरी आवाज तू कर मा - तू चुप कर बड़ा आया मेरे बच्चे को डांटने ,,,बेटा तू बाहर ले जा कर रख अभी तेरे पापा उसको जलाने की व्यव्स्था कर रहे है ।
मै चुप चाप आकर हाल मे आकर मा के बगल मे बैठ गया और मुस्कुराने लगा
मा मुझे ह्स्ता देख अपनी कोहनी से मुह पे लगाते हुए - दाँत तोड़ दूँगी तेरा ,, कहा था कबसे परेसान थी मै
मै मा के गुस्से की वजह जानता था तो मा को पीछे से पकड कर उन्के कन्धे पर सर लगा कर - बस यही मंदिर पर गया था मा
मा चौक कर एक बार मुझे सूंघते हुए - वो भांग वाली शर्बत तो नही ना पी तुने
मै ह्स कर ना मे सर हिलाया और वापस मा से चिपक गया
मा कसमसा कर - ओहो छोड भई काम करना है ,,, ये लड़का कब बड़ा होगा जी
पापा ह्स्ते हुए - क्या रगिनी तुम भी ,,अब तक वो नही था तो परेशान थी और अब आ गया है तो भगा रही हो ,,,
मै हस कर मा को अपनी तरफ घुमा कर - सच मे मा तुम परेशान थी मेरे लिये आव्व्व्व
मा इतराते हुए मुझे झटक कर- हट तुझे क्या उस्से मै कैसी भी रहू
मै मा के चेहरे पकड कर उसके गाल को चूम लिया - चलो हो गया छुटा अब खुश हो जाओ ना मा
मेरी हरकत से चाची विमला पापा सभी हसने लगे और मा भी ह्स्ते हुए शर्मा गयी
मै उसको पीछे से पकड कर झुलाते हुए - ओह्ह मेरी प्यारी मा ,,आई लव यू औए फिर से उसके गालो को चूम लिया
मा परेशान होकर- भक्क्क मै नही करूंगी कुछ ये मुझे परेशान करने पे तुला है
मै वही बैठे हुए हसने लगा और बाकी सब भी हसने लगे ।
विमला - अरे रागिनी तू भी ना कितना प्यारा बेटा है तेरा जो तुझे इतना प्यार करता है नही तो आज कल के लडके तो अपने दोस्त गर्लफ्रैंड से फुर्सत लेके मा बाप से बात कर ले वही बहुत है
पापा - बिल्कुल सही कह रही है बहन जी
मा मेरी तारिफ सुन के थोडी गौरान्वित होते हुए मेरे माथे को चूम लिया और अपने भारी गुलगुले सीने मे मेरे चेहरे छुपा कर मुझे दुलारते हुए- सच मे मेरा लल्ला सबसे प्यारा है
मै मौका देख कर मा के पेट मे गुदगुड़ी करने लगा
मा ह्स्ते हुए छ्टकने लगी और बोली - हिहिहिहिही छोड दे बद्माश बस कर हिहिहिही पागल कही का
इधर हम सब मस्तिया कर रहे थे कि राहुल आया
राहुल - बडे पापा हमने सारा इन्तेजाम कर दीया बस उसको जलाना है
पापा खडे होकर - हा चलो बेटा चलते है
मा - हा आप अलाव तैयार करिये मै ये लिट्टी लेके आती हू
फिर पापा बाहर गये और थोडी देर मे सारी लोईया तैयार हो गयी ।फिर मै उसको एक बडे परात मे लेके बाहर हाते मे आया । जहा पापा ने अलाव तैयार कर दिया था और कुर्सी लेके बैठे थे
मेरे साथ मा , चाची , विमला भी बाहर आई ।
फिर मा और पापा ने एक एक करके सारी लोयिया आग रखी और फिर अनुज ने सबके लिये अलाव से थोडा दुर वही आस पास कुर्सीया लगायी ।
इस समय रात के साडे आठ बज रहे थे और कोहरे हल्के कोहरे गिर रहे थे जो कि अकसर मार्च महीने के आखिरी दिनो मे गिरते है । जिससे छत की लाईट भी कुछ खास तेज नही थी
सारे लोगो को अलाव की आन्च सबको पसंद आ रही थी और गप्पे लगाये जा रहे थे ।
मा , विमला चाची तीनो ने ही मैकसी पहनी हुई थी और कुरसी पर बैठी हुई थी ।
पापा हाफ चढ़ढे मे थे ।
राहुल और अनुज अलाव के धुए से परेशान हो कर अन्दर चले गये थे ।
वही मै मा के पीछे खडे होकर उसकी हसी ठहाके की बाते सुन रहा था और रह रह कर अपने हाथ
उनके मैक्सि मे डाल कर कंधो और गरदन के हिस्सो पर घुमा कर मालिश करता जिससे मा को बहुत आराम मिल रहा था ।
मा - ओह्ह बेटा बस कर थक जायेगा
मै - कोई नही मा आपको आराम मिला ना
मा हस कर - हा बेटा आ अब बैठ
पापा हस कर - क्या करवा रही हो रागिनी अब अपने बेटे से
मा - मैने कुछ नही कहा ये खुद ही कंंधे और गरदन की मालिश कर रहा था ,,,,लेकिन बहुत आराम मिला सच मे ,,,थैंक यू बेटा
मै मा के गले मे पीछे से हाथ डाल कर उनके गाल मे गाल को सहलाते हुए अपना प्यार जताने लगा।
मा - अब बस भी कर सारा प्यार आज ही करेगा क्या हिहिहिही
विमला - काश मेरा बेटा भी राज जैसा होता,,कितना ख्याल रखता है तेरा
मै विमला की बात सुन कर उसके पास गया औए उसको भी मा के जैसे पीछे खडे होकर उसके गले मे हाथ डाल कर बोला - मै भी तो आपका ही बेटा हू ना मौसी
विमला मेरे गाल दुलारते हुए - हा मेरे लाल
मै वापस खडे होकर विमला की मैकसी मे हाथ डाल कर उसके कन्धे की मसाज करते हुए - रुको मै आपका भी कर देता हू मसाज
विमला मेरे हाथो का स्पर्श पाकर कुर्सी पर पिघलने लगी
और अलाव के धुए मे मै मौका देख कर अपने हाथ मैकसी के अन्दर आगे बढा के विमला की खुली चुचियो को मिजने लगा जिससे विमला सिहर गयी ।
थोडी देर चुचिया सहलाने के बाद मै वापस उसक कन्धे सह्लाने लगा ।
विमला हस कर - अब बस कर रहने दे थक जायेगा हिहिही
फिर मै वही उसके पीछे खडे होकर बाते करने लगा।
इतने मे चाचा आ गये बाहर से और एक कुर्सी लेके बैठ गये ।
और फिर बाते होने लगी पहले लिट्टी के प्रोग्राम के लिए औरत मंडली की तारिफ की गयी और फिर वापस इधर उधर की बाते छिड़ गयी ।
यहा मुझे थोडा शक हुआ कि चाचा कही ड्रिंक करके तो नही आये ,,,हालाकि उनको ऐसे चीजो का शौक नही था फिर मै ऐसे ही घूमते हुए उनके पास गया और बैठ गया । थोडी देर तक उनको देखा परखा लेकिन मुझे शराब की कोई बू नही मिली । फिर चाचा के बात करने के तरीके मे अलग ही जोश था ,,,और तेज आवाज मे ही बात कर रहे थे
फिर मैने सोचा कही पान्डाल मे इन्होने वो भांग वाली शर्बत तो नही ना पी ली
हा वही लग रहा है
इधर बाते हो रही थी कि चाची ने मेरी बात छेड़ दी ।
चाची ह्स्ते हुए - राज तो मुझ्से प्यार ही नही करता
मै चौक कर - क्यू चाची ऐसा क्यू
चाची हस कर - देख रही हू तुने तो मेरी मसाज की ही नही सबकी मसाज तुने की और मुझे छोड दिया हिहिहिज
मै खड़ा होता हुआ - अरे ऐसी बात है तो रुकिये आपका भी कर देता हू मै
इतने मे चाचा मुझे रोकते हुए खडे हुए - नही रुक बेटा बैठ तू । मै मसाज कर देता हू शालिनी
चाची शर्म से लाल होती हुई - अरे नही जी मै बस मजाक कर रही थी हिहिही
लेकिन तबतक चाचा चाची के पीछे पहुच गये और उनके कंधो को दबोचने लगे ।
चाची दर्द से सिहर कर - ओह्ह क्या जी छोडिए ना अह्ह् दर्द हो रहा है
चाचा लडखडाती स्वर मे - स स सॉरी सॉरी शालिनी आराम से कर रहा हू
फिर इधर पापा भी बातो मे लग गये तो अलाव मे धुआ बढ़ गया और धुए की छटाओं ने बाहर कब्जा कर लिया सब कोई आंखे बंद खास रहा था ।
मा खास्ते हुए - अरे क्या कर रहे हो जी जल्दी हवा करो ,, कुछ दिख नही रहा है ।
तभी चाची एक मादक सिसकी आई
जिसको सुन के मा उनकी तरफ फ़िकर से देखते हुए बोली - शालिनी तू ठीक है ना ,,,यहा कुछ दिख नही रहा
चाची हडबड़ा कर - हा जीजी ठीक हू मै वो ये मालिस कर रहे है ना तो ओह्हहहह बहुउउऊउऊत आआआअरामम्म मिल रहा है उम्म्ंमममंं
चाची की मादक सिस्कियो से लग तो नही रहा था कि चाचा उनके कन्धे की मालिश कर रहे थे लेकिन धुए की छटाओ से कुछ भी देख पाना मुस्किल था ।
खैर कुछ मिंट के बाद जलन भरे पीड़ा से आन्खो को आराम मिला और पापा ने किसी तरह धुए को कम किया
लेकिन यहा चाची की सिसकिया कम नही हो रही थी ।
जब धुआ थोडा हल्का हुआ तो मा की नजर अपने बगल मे थोडी दुर बैठी देवरानी पर गयी तो देखा उनके देवर ने अपनी बीवी के मैक्सि मे हाथ डाला हुआ है और भर भर कर चुचिया मसल रहे हैं
मा ह्स्ते हुए चाचा को छेड़ कर - अरे अब रहने दिजीये देवर जी कितनी होली खेलेंगे हिहिहिही
मा की बाते सुन कर चाचा और चाची चौकन्न्ना हुए और उनको ध्यान आया वो क्या कर रहे है । वही मै और विमला मुह मे हसी दबाते हुए हस रहे थे और पापा जो कि दुर थे उनको समझ नही आया कि किस बात पर हसी हो रही है
पापा - अरे इस समय फिर से होली किस बात की भाई
मा हस कर - यही आपके भाईसाब है जिनका मन नही भरा है ,, अभी भी रगड़ रहे है अपनी मेहरारू को हिहिहिही
यहा मा मजाक कर रही थी और चाची शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी ।
चाचा तो चुपचाप सरक लिये घर मे
मा चाची के ओर लपक कर फुसफुसा कर बोली - अब चली जाओ शलिनी देवर जी गये है कमरे मे इन्तजार कर रहे होगे
चाची शर्मा कर हाथ झटक देती है - धत्त क्या जीजी आप भी ,,,पता नही उनको क्या हो गया जो यहा सबके सामने शुरु हो गये थे हिहिहिही
मा चाची को छेड़ते हुए धीरे से बोली - तो जल्दी जाओ , कही जोश ठण्डा ना पड़ जाये
चाची ह्स कर - इतनी फिकर है तो आओ आप भी चलो ना ,,, आपकी इच्छा भी पूरी कर देंगे
मा ह्स कर - मेरे लिए राज के पापा ही काफी है ,, हा तुमको अगर कम पड रहा है तो कहो बात करू इनसे हिहिहीही
चाची शर्म से लाल होते हुए मुह पर हाथ रख कर हसने लगी ।
खैर ऐसे ही मस्ती भरी बाते चलती रही और थोडी देर मे लिट्टी तैयार हो गयी
फिर मा ने मस्त दाल मे छौका दिया और आलू बैगन टमाटर का टेस्टि चोखा बनाया
फिर हम सब किचन मे बने डाइनिंग टेबल पर गये और सबके लिए गरमा गरम लिट्टी-चोखा दाल और बैगन की कलौंजी थाली मे लगाया गया ।
खाने का मज़ा ही आ गया और फिर हम सब हाल मे एकठ्ठा हुए और सोने की प्लानिंग हुई ।
फिर तय हुआ कि
सोनल और निशा उपर एक बेडरूम मे
राहुल और अनुज ने एक उपर का एक बेडरूम ले लिया
चाचा चाची गेस्ट रूम मे चले गये ।
पापा - बेटा तू कहा सोयेगा फिर
विमला - कोई बात नही राज मेरे साथ सो जायेगा ,
पापा थोडा हिचक भरे मन से विमला को इशारे करते हुए - लेकिन ,, आपको कोई दिक्कत तो नही होगी ना बहन जी
विमला एक इशारे से पापा को इत्मीनान कर बोली - अरे नही नही उसकी चिंता नही करिये एक रात की तो बात है ,,,चल बेटा आजा सोते है हम लोग
फिर मै और विमला एक बेडरूम मे गये और पापा मा के साथ सामने वाले बेडरूम मे गये ।
मै पापा का दुखी मन समझ सकता था क्योकि उनकी प्लानिंग थी आज रात मे विमला को चोदने की
खैर सब कोई अपने तय कमरो मे गया और फिर हम भी अपने कमरे मे आये और मैने दरवाजा बंद किया
क्योकि मै भी विमला के साथ मस्ती करने का मौका नहीं छोडना चाहता था ।
मै बिस्तर पर चढ़ कर विमला के बगल मे लेट कर उसकी तरफ मुह करके - और जानेमन कैसी रही होली
विमला ह्स कर मेरे गाल सहलाते हुए - बहुत ही मस्त थी मेरे राजा ,, अभी इसको और भी मस्त बनाने वाली हू तेरे इस मुसल से
मै विमला की कमर पकड कर अपने तरफ खिच कर उसके होठ चुस्ते हुए बोला - तो शुरु करो ना जानू
विमला एक कातिल मुस्कान के साथ उठी और मेरे पैरों के पास बैठ कर मेरे जिन्स को खोल कर लंड निकाल लिया और अपने मुह की कला बाजी करनी शुरु कर दी ।
एक मेच्योर औरत से लण्ड चुस्वाने का सुख ही अलग होता है दोस्त ,,, जब सुपाडे की टिप उनके गले की गीली घुंडी को छूती है तो पुरे शरीर मे एक बिजली सी कौंध जाती है । जब एक अनुभवी महिला के मुलायम मोटे होठ लण्ड के सतह पर रिंग बना कर कामुकता से आहिस्ता आहिस्ता उसे निगलते है तो मुह के अन्दर की तपन से लण्ड मानो पिघलने सा लगता है और उनकी करामाती लचीली खुरदरी मुलायम जीभ जब सुपाडे पर रेगती है तो लण्ड की नशो मे उत्तेजना और बढ़ जाती है , चुतड सख्त हो जाते और मन करता है कि लण्ड को अभी उसकी केचुली से निकाल कर बाहर करके चुसने वाले के मुह मे भर दू
ठीक ऐसा ही कुछ मेरे साथ हो रहा था विमला जैसी अनुभवी रन्डी औरत ने मुझे अपने मुख मैथुन के जाल मे फास सा लिया था मै बेजुबान सा सिसकता और गाड़ उचकाता रहता और बस यही चाह करता कि लण्ड सख्त कर उसको कितना ज्यादा उसकी खाल से बाहर लेते आऊ और उस उधड़े हिस्से को भी विमला अपने मुलायम होठो से गिला करे
कुछ पल के लिये ही सही लेकिन जब तक विमला के मुह मे लण्ड था मै हवा मे उड़ता रहा और फिर वही वो उठी और अपनी मैकसी निकाल कर अपने तैयार किये हुए माल को भोग लगाने का पोज बनाते हुए अपनी चुत लेके घ्प्प से मेरे लंड पर बैठ गयी और बडे ही कामुक अंदाज मे गाड़ को हिला कर आंखे बंद किये सिस्कने लगी।
और जल्द ही उसकी हवस बढने लगी और मेरे खडे लण्ड ने उसकी चुत की खुजली को और बढ़ा दिया जिससे वो मेरे सिने पर हाथ टिका कर अब अपने चुतड पटकने लगी और सिसकिया तेज हो गयी ।
मै ऊँगली उठा कर उसके होठ पर रख कर उसे शान्त होने को बोलता हू
और फिर उसको अपने उपर खीच लेता हू जिससे उसके मोटे होठ मेरे मुह मे होते है और उनको चुस्ते हुए मैने निचे से धक्के लगना शुरु कर देता हू
धीरे धीरे मै अपने हाथ उसके गाड़ पर ले जाकर कर उनको फैलाना शुरु कर देता हू और गरदन उठा कर लटकती चुचियो के निप्ल्ल को मुह से पकडने लगता हू
जैसे ही मेरे मुह मे उसके चुचे भर जाते है और उनको चुस्ते हुए मै अपनी कमर उठा कर धक्के तेज कर देता हू
और विमला मेरे कन्धे मे मुह धसाये अपने तेज सिस्कियो को घुटे जा रही थी जल्द ही विमला के ऐथना शुरु कर दिया और मेरा लण्ड भिगना शुरु हो गया । उस्के चुत का पानी बह कर मेरे आड़ तक को गिला कर रहा था लेकिन मेरे तेज चुदाई के धक्को मे कोई बदलाव नही था वो एक शुर मे लगातार उसकी चुत उधाड़े जा रहे थे और गचागच पेले जा रहे
जल्द ही मैने अपनी रफ़्तार कम कर विमला को नीचे किया और उसके उपर आकर उसकी जांघो को खोल कर वापस उसकी पिचपिचाती चुत मे घ्प घप लण्ड पेल दिया और तेज धक्के ल्गाते हुए उसकी चुचिया नोचने लगा ।
ऐसे ही लगातार धक्के लगाते हुए मैने कभी उसकी टांगो को कन्धे पर उथा लेता तो कभी पुरी जांघो को खोल कर पेलता
मेरे भी झडने का समय हो चला था और यहा विमला भी की चुत सुखी हो रही थी इसिलिए वो मेरे लण्ड को निचोडने लगी थी ताकि मै जल्दी से झड़ जाऊ
इसिलिए मैने अपना लण्ड निकाला और उसके मुह के पास लण्ड ले गया और चमडी आगे पीछे किया। कुछ ही सेकेण्ड मे मेरी पिचकारी छूटी और उसने मेरे लण्ड को मुह मे भर लिया । कुछ देर बाद विमला ने उसे निचोड़ कर छोड दिया और हम लेट कर अपनी सांसे बराबर करने लगे ।
थोडी देर बाद हम दोनो आपस मे चिपक कर बाते की और फिर मैने उसके और मनोज के रिश्ते के बारे मे पुछा तो उसने बताया सब ठीक चल रहा है । उसने मनोज के कुछ नटखट हरकतो और ख्वाईशो के बारे मे भी बताया ।
फिर ऐसी ही बाते करते हुए हमे एक घन्टा बीत गया और रात मे 12 बजने को थे कि तभी हमारे कमरे के दरवाजे पर हल्की सी खटखट हुई और मुझे पापा की दबी हुई आवाज आई , वो विमला को आवाज दे रहे थे ।
मै एक नजर विमला को देखा और हसने लगा
फिर मै उनको बोला की जाओ आप दरवाजा खोलो मै सोने का नाटक करता हू ।
फिर मैने जीन्स उपर चढ़ा लिया और एक किनारे सोने का नाटक करने ल्गा लेकिन पलके गिराये हुए भी लगातार दरवाजे पर नजर बनाये हुए था ।
इधर विमला ने अपना मुह साफ किया और मैकसी पहन कर दरवाजा खोलने चली गयी।
देख्ते है दोस्तो क्या कुछ नया हंगामा होना है
अपना प्यार और सपोर्ट बनाये रखें और आनंद ले कहानी का
आपके रेवियू का इन्तजार रहेगा ।
धन्यवाद