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Ha bhai bilkul correct hai ye bat bhaiपर क्या ये नहीं लगता कि sex वाला सीन नॉर्मल था? संडे था, उसकी मौसी वापस लौट गई, दोनो प्यार में हैं, अभी अकेले हैं, गिले शिकवे दूर हो गए, फिर ऐसे में रोमांस बनता है भाई।
Ha bhai bilkul correct hai ye bat bhaiपर क्या ये नहीं लगता कि sex वाला सीन नॉर्मल था? संडे था, उसकी मौसी वापस लौट गई, दोनो प्यार में हैं, अभी अकेले हैं, गिले शिकवे दूर हो गए, फिर ऐसे में रोमांस बनता है भाई।
Sahi hai bhaiबिसात तो बहुत ही बड़ी हो सकती है, क्योंकि जो भी है, अभी तो बस खेल ही रहा है, समय बिता रहा है बस।
#अपडेट १३
अब तक आपने पढ़ा -
पार्किंग में गाड़ी के पास एक मोटरसाइकिल लगी थी, जिस पर एक आदमी टेक लगा कर खड़ा था। हम दोनो के पास पहुंचते ही वो अचानक से हमारी ओर बढ़ा। उसके हाथ में एक चाकू था, और उसने मेरे ऊपर वार किया।
इससे पहले वो चाकू मुझे लगता, नेहा बीच में आ गई, और वो चाकू उसको लगा.....
अब आगे -
ये सब इतनी तेजी में हुआ कि कुछ समझ नहीं आया पहले, लेकिन नेहा को चाकू लगने से वो चीखी, जिससे मुझे भी कुछ समझ आया और मैंने नेहा को पकड़ कर उस आदमी की ओर देखा, वो वही था जिससे पब में मेरी हाथापाई हुई थी। इससे पहले वो फिर से हमला करता, पार्किंग का गार्ड और कुछ लोग हमारी ओर लपके, और वो अपनी मोटरसाइकिल पर बैठ कर भाग गया।
मैने नेहा को देख उसकी बांह पर एक बड़ा सा कट आया था और उससे बहुत तेजी से खून बह रहा था। और वो बेहोश सी हो गई। मैं फौरन उसे अपने गाड़ी में डाल कर हॉस्पिटल ले गया, उधर पार्किंग के गार्ड ने पुलिस को कॉल कर दिया था, वो मुझे जनता था तो मेरे हॉस्पिटल पहुंचने के कुछ देर बाद ही मेरे फोन पर समर की कॉल आ गई।
"मनीष, क्या हुआ? कहां हो तुम, मैं अभी पहुंचता हूं।"
"मैं सिटी हॉस्पिटल में हूं समर, किसी ने मुझ पर हमला किया और नेहा को चाकू लग गया है। बहुत खून निकला है, अभी डॉक्टर इलाज कर रहे हैं।" मैं भरी हुई आंखों से उसे पूरा हाल बताया।
कुछ ही देर में वो एक इंस्पेक्टर को लेकर हॉस्पिटल में था। और फॉर्मेलिटीज में लग गया था। थोड़ी देर में पूरा मित्तल परिवार भी हॉस्पिटल पहुंच चुका था। और सब मेरी खैरियत पूछ रहे थे।
समर भी हॉस्पिटल का काम करके आ चुका था।
"मनीष, अपना बयान देदो, और नेहा से भी कहो।" समर ने मुझसे कहा।
"हां चलो। और सर, अब आप लोग जाइए। सब ठीक ही है, समर भी आ गया है, और डॉक्टर ने भी कहा है कि नेहा भी ठीक है अब।" मैने मित्तल सर से कहा।
"तुम बयान दे कर आओ बेटा, फिर हम भी नेहा से मिल कर चले जायेगे। भगवान का शुक्र है कुछ बड़ा हादसा नहीं हुआ।"।मित्तल सर ने कहा।
"हां मनीष, चाचा सही कह रहे हैं, तुम बयान दे कर आओ।" श्रेय ने भी अपने चाचा की बात का समर्थन किया।
मैं समर के साथ नेहा के कमरे में चला गया और अपना और नेहा का बयान दिलवा दिया।
मेरे वापस आने पर मित्तल सर, अपनी पत्नी और महेश अंकल अपनी पत्नी के साथ नेहा से मिलने चले गए। श्रेय नहीं था। प्रिया और शिवानी मेरे पास आ कर मुझसे बात करने लगे। शिवानी आज मुझसे कुछ कटी कटी सी थी। कुछ देर बाद श्रेय मेरे और नेहा के लिए कॉफी लेकर आया, और मुझे दे कर नेहा को देने चला गया।
मित्तल सर और बाकी लोग बाहर आ गए, और बाकी लोग नेहा से मिलने चले गए।
"बेटा, कल तुम ऑफिस जाने के पहले घर आ कर मुझसे मिल लेना।" मित्तल सर ने जाते जाते मुझसे कहा।
मैने पैर छू कर उनको विदा किया, और नेहा के पास चला गया। डॉक्टर ने डिस्चार्ज करने को कहा, क्योंकि अब नेहा बिलकुल ठीक थी। मैं उसे उसके घर छोड़ कर अपने फ्लैट में चला गया।
सुबह ऑफिस जाने से पहले मैं मित्तल सर के घर गया। उन्होंने अपनी स्टडी में मुझे बुलाया जो उनके कमरे के साथ ही थी। वहां उनका एक छोटा सा ऑफिस जैसा बना था। वो अपनी चेयर पर बैठे थे और वहां श्रेय भी था।
मेरे बैठने के बाद मित्तल सर ने अपने पीछे लगी तिजोरी खोली और उसमें से एक रिवॉल्वर निकल कर मुझे दी।
"इसे रखो मनीष। तुम तो वैसे भी सिक्योरिटी नहीं रखते, लेकिन इसको अपने साथ रखा करो।"
"मगर..."
इससे पहले मैं आगे कुछ कहता, श्रेय बोला, "मनीष रख लो इसे, वैसे भी हम लोग के कई दुश्मन होते हैं। वापी में सिक्योरिटी न लो, पर इसको साथ रखा करो तुम। तुम्हारे ही नाम है ये।"
"हां बेटा, मैने घर के सारे लोगों के नाम पर एक एक रिवॉल्वर ली हुई है, पर सब मेरे पास ही हैं। लेकिन तुम बाहर रहते हो तो इसे अपने साथ रखो।"
मैने भी उनकी आंखों में चिंता देख ज्यादा बहस करना उचित नहीं समझा और वो रिवॉल्वर अपने पास रख ली। रिवॉल्वर को मैने कार के ही ग्लव बॉक्स में हिफाजत से रख दिया। फिर मैं अपने ऑफिस आ गया।
नेहा आज अपने घर ही थी, इसीलिए काम जल्दी निपटा कर मैं उसके घर चला गया। कुछ देर उसके साथ रहा। फिर शाम को समर का कॉल आया और उसने मुझे अपने ऑफिस में बुलाया मिलने के लिए।
"आओ मनीष, कितनी बातें मुझसे छिपाओगे?"
"क्या छिपाया? पब वाले बात तो बता ही दी थी कल मैने।"
"हां पब वाली बात तो बता दी, पर देहरादून में जो हाथापाई की वो कौन बताएगा?"
"तुमको कैसे पता?" मैने आश्चर्य से पूछा।
"SP नेगी याद हैं? वो मेरा ही दोस्त है। जिस आदमी ने तुम पर हमला किया शायद वो भी देहरादून का ही है। मोटरसाइकिल रेंट पर की थी, वहीं से उसका पता निकला। उसकी कुंडली निकलने के लिए नेगी को कॉल किया था, तब पता चला।"
"मुझे लगा ऐसी कोई बात ही नहीं, इसीलिए नहीं बताया तुमको।"
"अच्छा एक बात और पता है तुमको? तुम्हारी ये नेहा मैडम जेल में भी रह चुकी है 2 महीने के लिए?"
"क्या?" मेरे आश्चर्य का ठिकाना नहीं था।
"हां, ये और इसका पति, संजीव दोनों जेल में थे। ये 2 महीने और वो 1 साल। किसी चिटफंड कंपनी का काम करते थे दोनो देहरादून में, उसी के सिलसिले में। हालांकि उसके असली मालिक का पता नहीं चला और इन दोनों को पुलिस ने छोड़ दिया। ऐसा लगता है कि जिस आदमी ने तुम पर हमला किया वो संजीव ने ही भेजा था।"
"मुझे कुछ भी नहीं पता इस बारे में। आज ही मैं नेहा से पूछता हूं इस बारे में।"
"हां पूछ लो, वैसे ऐसी कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन उसे कम से कम बताना तो चाहिए था।"
मैं वहां से निकल कर वापस से नेहा के पास चला गया।
"नेहा क्या सच में तुम मुझसे प्यार करती हो?" पहुंचते ही मैने सीधा सवाल दाग दिया।
वो आश्चर्य से मुझे देखती हुई बोली, "हुआ क्या है मनीष?"
"आखिर आज तक तुमने मुझे पूरा सच क्यों नहीं बताया?"
"कैसा सच?"
"यही कि तुम जेल में भी रही थी।"
मेरे इतना कहते ही नेहा नाम आंखों से मुझे देखती रही कुछ देर तक, और मैं उसके जवाब का वेट कर रहा था।
"हां ये सच है।" उस भरे हुए गले से कहा।
"लेकिन इसमें मेरा कोई कसूर नहीं था मनीष, एक चिटफंड कंपनी थी, संजीव ने उसका काम लिया था, और मुझे भी ऑफिस मैनेजर के रूप में वहां लगवा दिया था। पर वो कंपनी लोगों का पैसा ले कर भाग गई, और लोग मुझे और संजीव को ही पुलिस से पकड़वा दिया। बाद में मेरी जमानत 2 महीने बाद हो गई, और संजीव की 1 साल बाद। यकीन करो, उस कांड में न मेरा और न ही संजीव का कोई कसूर था। हम तो बस उसका काम करके सैलरी लेते थे। इसीलिए पुलिस ने भी बाद में हमको छोड़ दिया था।"
"लेकिन मुझे क्यों नहीं बताया तुमने?"
"मुझे लगा ऐसी कोई जरूरी बात नहीं है ये, इसीलिए। वैसे भी हम दोनो का ही नाम अब उस केस में नहीं है।"
जो बातें मुझे समर ने बताई, नेहा ने भी वही बताई। फिर शक की कोई गुंजाइश ही नहीं थी। मुझे भी ये बात कोई बड़ी नहीं लगी। इसीलिए मैं भी आश्वस्त हो गया।
अगले कुछ दिनों में मैं वाल्ट के काम में लग गया। बैंक का सारा काम काज नेहा ने सम्हाल रखा था, और मनीष हम दोनो की ही मदद करता रहता था।
वाल्ट के काम में मैं हर समय लगा रहता था। मित्तल सर के सबसे बड़े ड्रीम में से वो एक था, इसीलिए कोई कोताही नहीं रखना चाहता था मैं उसमें। तो इधर कई दिनों से नेहा से मुलाकात नहीं हो पाई थी। हां फोन पर हम रोज जरूर बात करते थे।
कोई 2 महीने की मेहनत के बाद वाल्ट बन कर तैयार हो चुका था।
माइंड तो घूमना चाहिए, लेकिन धुरंधर लोग हैं इधर, सस्पेंस पहले ही खोल देते हैंSahi hai bhai
Majedar suspense ka intezar hai sath he Mind ghooma Dene wale jhathke ke sath
उसे इस्तेमाल किस तरीके से किया जाएगा वो सबसे महत्वपूर्ण होगा।Bhaut hi shandar update he Riky007 Bhai,
Chalo ek baat to sahi huyi ki koi jyada gambhir rup se zakhmi nahi hua................
Neha ka past abhi bhi ek dark side me he.............jiska din ba din koi naya rahasay khul raha he................
Revolver to manish ko mil gayi............lekin uska use kab karega.............aur uska kya parinam hoga ye dekhne wali baat hogi.............
Keep rocking Bro
धन्यवाद मित्र, अपडेट आज या कल तक आ जाएगा।Romanchak. Pratiksha agle rasprad update ki
नेहा की एक्टिविटी और किश्त बाई किश्त उसका पास्ट सामने आना उसे संदेह के घेरे मे ही लाता है ।
लेकिन उसने जिस तरह से मनीष को लगने वाला चाकू खुद पर ले लिया , वह उसके संदिग्ध कैरेक्टर से मेल नही खाता है ।
और जहां बात है उसके चिटफंड घोटाले मे शामिल होने की , तो पुलिस उसे पहले ही क्लिन चिट दे चुकी है ।
मनीष के शक की एक वजह थी कि उसने एक रात एक युगल प्रेमी को मित्तल निवास के टेरेस पर आपत्तिजनक स्थिति मे देखा और उसे इल्म हुआ कि लड़की नेहा हो सकती है ।
नेहा के अनुसार उस रात वो अपनी एक रिलेटिव के साथ फिल्म देख रही थी । अगर मनीष साहब चाहें तो वो उस रिलेटिव से इसका सत्यापन पता कर सकते है ।
कुल मिलाकर नेहा का किरदार अब भी मिस्ट्रीयस जैसा रहा है । उसके पास्ट शनैः शनैः सामने आ रहे है इसलिए उन पर थोड़ा-बहुत शक बनता ही है ।
लेकिन मनीष पर जानलेवा घात किसने किया ? क्या यह एक साधारण पब फाइट का तत्कालिक परिणाम था या फिर कोई अन्य कारण ?
वैसे शिविका के चेहरे के नूर का फीकापन अब दिखाई देने लगा है । लेकिन इस फीकापन का कारण वह स्वयं थी । वह मनीष को पसंद करती थी तो उन्हे मनीष को यह बात बताना चाहिए था ।
धन्यवाद भाई जीखुबसूरत अपडेट रिकी भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।
Bahut hi shaandar update diya hai Riky007 bhai....#अपडेट १३
अब तक आपने पढ़ा -
पार्किंग में गाड़ी के पास एक मोटरसाइकिल लगी थी, जिस पर एक आदमी टेक लगा कर खड़ा था। हम दोनो के पास पहुंचते ही वो अचानक से हमारी ओर बढ़ा। उसके हाथ में एक चाकू था, और उसने मेरे ऊपर वार किया।
इससे पहले वो चाकू मुझे लगता, नेहा बीच में आ गई, और वो चाकू उसको लगा.....
अब आगे -
ये सब इतनी तेजी में हुआ कि कुछ समझ नहीं आया पहले, लेकिन नेहा को चाकू लगने से वो चीखी, जिससे मुझे भी कुछ समझ आया और मैंने नेहा को पकड़ कर उस आदमी की ओर देखा, वो वही था जिससे पब में मेरी हाथापाई हुई थी। इससे पहले वो फिर से हमला करता, पार्किंग का गार्ड और कुछ लोग हमारी ओर लपके, और वो अपनी मोटरसाइकिल पर बैठ कर भाग गया।
मैने नेहा को देख उसकी बांह पर एक बड़ा सा कट आया था और उससे बहुत तेजी से खून बह रहा था। और वो बेहोश सी हो गई। मैं फौरन उसे अपने गाड़ी में डाल कर हॉस्पिटल ले गया, उधर पार्किंग के गार्ड ने पुलिस को कॉल कर दिया था, वो मुझे जनता था तो मेरे हॉस्पिटल पहुंचने के कुछ देर बाद ही मेरे फोन पर समर की कॉल आ गई।
"मनीष, क्या हुआ? कहां हो तुम, मैं अभी पहुंचता हूं।"
"मैं सिटी हॉस्पिटल में हूं समर, किसी ने मुझ पर हमला किया और नेहा को चाकू लग गया है। बहुत खून निकला है, अभी डॉक्टर इलाज कर रहे हैं।" मैं भरी हुई आंखों से उसे पूरा हाल बताया।
कुछ ही देर में वो एक इंस्पेक्टर को लेकर हॉस्पिटल में था। और फॉर्मेलिटीज में लग गया था। थोड़ी देर में पूरा मित्तल परिवार भी हॉस्पिटल पहुंच चुका था। और सब मेरी खैरियत पूछ रहे थे।
समर भी हॉस्पिटल का काम करके आ चुका था।
"मनीष, अपना बयान देदो, और नेहा से भी कहो।" समर ने मुझसे कहा।
"हां चलो। और सर, अब आप लोग जाइए। सब ठीक ही है, समर भी आ गया है, और डॉक्टर ने भी कहा है कि नेहा भी ठीक है अब।" मैने मित्तल सर से कहा।
"तुम बयान दे कर आओ बेटा, फिर हम भी नेहा से मिल कर चले जायेगे। भगवान का शुक्र है कुछ बड़ा हादसा नहीं हुआ।"।मित्तल सर ने कहा।
"हां मनीष, चाचा सही कह रहे हैं, तुम बयान दे कर आओ।" श्रेय ने भी अपने चाचा की बात का समर्थन किया।
मैं समर के साथ नेहा के कमरे में चला गया और अपना और नेहा का बयान दिलवा दिया।
मेरे वापस आने पर मित्तल सर, अपनी पत्नी और महेश अंकल अपनी पत्नी के साथ नेहा से मिलने चले गए। श्रेय नहीं था। प्रिया और शिवानी मेरे पास आ कर मुझसे बात करने लगे। शिवानी आज मुझसे कुछ कटी कटी सी थी। कुछ देर बाद श्रेय मेरे और नेहा के लिए कॉफी लेकर आया, और मुझे दे कर नेहा को देने चला गया।
मित्तल सर और बाकी लोग बाहर आ गए, और बाकी लोग नेहा से मिलने चले गए।
"बेटा, कल तुम ऑफिस जाने के पहले घर आ कर मुझसे मिल लेना।" मित्तल सर ने जाते जाते मुझसे कहा।
मैने पैर छू कर उनको विदा किया, और नेहा के पास चला गया। डॉक्टर ने डिस्चार्ज करने को कहा, क्योंकि अब नेहा बिलकुल ठीक थी। मैं उसे उसके घर छोड़ कर अपने फ्लैट में चला गया।
सुबह ऑफिस जाने से पहले मैं मित्तल सर के घर गया। उन्होंने अपनी स्टडी में मुझे बुलाया जो उनके कमरे के साथ ही थी। वहां उनका एक छोटा सा ऑफिस जैसा बना था। वो अपनी चेयर पर बैठे थे और वहां श्रेय भी था।
मेरे बैठने के बाद मित्तल सर ने अपने पीछे लगी तिजोरी खोली और उसमें से एक रिवॉल्वर निकल कर मुझे दी।
"इसे रखो मनीष। तुम तो वैसे भी सिक्योरिटी नहीं रखते, लेकिन इसको अपने साथ रखा करो।"
"मगर..."
इससे पहले मैं आगे कुछ कहता, श्रेय बोला, "मनीष रख लो इसे, वैसे भी हम लोग के कई दुश्मन होते हैं। वापी में सिक्योरिटी न लो, पर इसको साथ रखा करो तुम। तुम्हारे ही नाम है ये।"
"हां बेटा, मैने घर के सारे लोगों के नाम पर एक एक रिवॉल्वर ली हुई है, पर सब मेरे पास ही हैं। लेकिन तुम बाहर रहते हो तो इसे अपने साथ रखो।"
मैने भी उनकी आंखों में चिंता देख ज्यादा बहस करना उचित नहीं समझा और वो रिवॉल्वर अपने पास रख ली। रिवॉल्वर को मैने कार के ही ग्लव बॉक्स में हिफाजत से रख दिया। फिर मैं अपने ऑफिस आ गया।
नेहा आज अपने घर ही थी, इसीलिए काम जल्दी निपटा कर मैं उसके घर चला गया। कुछ देर उसके साथ रहा। फिर शाम को समर का कॉल आया और उसने मुझे अपने ऑफिस में बुलाया मिलने के लिए।
"आओ मनीष, कितनी बातें मुझसे छिपाओगे?"
"क्या छिपाया? पब वाले बात तो बता ही दी थी कल मैने।"
"हां पब वाली बात तो बता दी, पर देहरादून में जो हाथापाई की वो कौन बताएगा?"
"तुमको कैसे पता?" मैने आश्चर्य से पूछा।
"SP नेगी याद हैं? वो मेरा ही दोस्त है। जिस आदमी ने तुम पर हमला किया शायद वो भी देहरादून का ही है। मोटरसाइकिल रेंट पर की थी, वहीं से उसका पता निकला। उसकी कुंडली निकलने के लिए नेगी को कॉल किया था, तब पता चला।"
"मुझे लगा ऐसी कोई बात ही नहीं, इसीलिए नहीं बताया तुमको।"
"अच्छा एक बात और पता है तुमको? तुम्हारी ये नेहा मैडम जेल में भी रह चुकी है 2 महीने के लिए?"
"क्या?" मेरे आश्चर्य का ठिकाना नहीं था।
"हां, ये और इसका पति, संजीव दोनों जेल में थे। ये 2 महीने और वो 1 साल। किसी चिटफंड कंपनी का काम करते थे दोनो देहरादून में, उसी के सिलसिले में। हालांकि उसके असली मालिक का पता नहीं चला और इन दोनों को पुलिस ने छोड़ दिया। ऐसा लगता है कि जिस आदमी ने तुम पर हमला किया वो संजीव ने ही भेजा था।"
"मुझे कुछ भी नहीं पता इस बारे में। आज ही मैं नेहा से पूछता हूं इस बारे में।"
"हां पूछ लो, वैसे ऐसी कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन उसे कम से कम बताना तो चाहिए था।"
मैं वहां से निकल कर वापस से नेहा के पास चला गया।
"नेहा क्या सच में तुम मुझसे प्यार करती हो?" पहुंचते ही मैने सीधा सवाल दाग दिया।
वो आश्चर्य से मुझे देखती हुई बोली, "हुआ क्या है मनीष?"
"आखिर आज तक तुमने मुझे पूरा सच क्यों नहीं बताया?"
"कैसा सच?"
"यही कि तुम जेल में भी रही थी।"
मेरे इतना कहते ही नेहा नाम आंखों से मुझे देखती रही कुछ देर तक, और मैं उसके जवाब का वेट कर रहा था।
"हां ये सच है।" उस भरे हुए गले से कहा।
"लेकिन इसमें मेरा कोई कसूर नहीं था मनीष, एक चिटफंड कंपनी थी, संजीव ने उसका काम लिया था, और मुझे भी ऑफिस मैनेजर के रूप में वहां लगवा दिया था। पर वो कंपनी लोगों का पैसा ले कर भाग गई, और लोग मुझे और संजीव को ही पुलिस से पकड़वा दिया। बाद में मेरी जमानत 2 महीने बाद हो गई, और संजीव की 1 साल बाद। यकीन करो, उस कांड में न मेरा और न ही संजीव का कोई कसूर था। हम तो बस उसका काम करके सैलरी लेते थे। इसीलिए पुलिस ने भी बाद में हमको छोड़ दिया था।"
"लेकिन मुझे क्यों नहीं बताया तुमने?"
"मुझे लगा ऐसी कोई जरूरी बात नहीं है ये, इसीलिए। वैसे भी हम दोनो का ही नाम अब उस केस में नहीं है।"
जो बातें मुझे समर ने बताई, नेहा ने भी वही बताई। फिर शक की कोई गुंजाइश ही नहीं थी। मुझे भी ये बात कोई बड़ी नहीं लगी। इसीलिए मैं भी आश्वस्त हो गया।
अगले कुछ दिनों में मैं वाल्ट के काम में लग गया। बैंक का सारा काम काज नेहा ने सम्हाल रखा था, और मनीष हम दोनो की ही मदद करता रहता था।
वाल्ट के काम में मैं हर समय लगा रहता था। मित्तल सर के सबसे बड़े ड्रीम में से वो एक था, इसीलिए कोई कोताही नहीं रखना चाहता था मैं उसमें। तो इधर कई दिनों से नेहा से मुलाकात नहीं हो पाई थी। हां फोन पर हम रोज जरूर बात करते थे।
कोई 2 महीने की मेहनत के बाद वाल्ट बन कर तैयार हो चुका था।