#अपडेट १२
अब तक आपने पढ़ा -
रास्ते में ट्रैफिक बहुत ज्यादा नहीं था, मगर फिर भी ड्रिंक किए होने के कारण मैं आराम आराम से ड्राइव कर रहा था। क्लब से थोड़ा आगे जाने पर दूसरे साइड से आगे से एक कार आती दिखी। ये कार मित्तल हाउस की थी, और ज्यादातर उसे श्रेय ही चलता था। मैंने उस कार की ओर देखा तो ड्राइविंग सीट पर एक आदमी था, जिसका चेहरा मुझे नहीं दिख पाया, और पैसेंजर सीट पर एक लड़की थी। कार पास होते ही स्ट्रीट लाइट की रोशनी में मुझे लगा कि वो लड़की नेहा थी....
अब आगे -
वो देख मुझे एक झटका सा लगा, लेकिन फिर सोचा शायद मुझे वहम हुआ होगा, एक तो अंधेरा, ऊपर से मैं थोड़ा नशे में भी। फिर भी दिल नहीं माना, इसीलिए मैने गाड़ी मोड कर उसी दिशा की ओर चला दी, थोड़ी ज्यादा स्पीड में। कुछ ही देर में वो गाड़ी मुझे दिख गई, ट्रैफिक ज्यादा नहीं था इसीलिए मैं थोड़ा पीछे चल रहा था। थोड़ी आगे जा कर वो गाड़ी एक पतले रास्ते पर घूम गई, जिसे देख मैं समझ गया कि इस गाड़ी की मंजिल कहां है। वो रास्ता सीधा मित्तल मेंशन जाता था, इस सड़क पर और कोई घर नहीं था। एक बार मैने सोचा कि मैं भी चला जाऊं वहां, लेकिन वहां मित्तल सर थे नहीं, तो क्या बहाना लेकर जाता, और कोई जरूरी नहीं कि उस कार में जो आया वो मुझे दिख ही जाता।
फिर मैं वापस अपने फ्लैट की ओर चल दिया। पर फिर मुझे सीसीटीवी की याद आई, और मैने अपनी कार साइड में लगा कर अपने मोबाइल पर ही मित्तल मेंशन के सीसीटीवी फीड को खोल दिया। पार्किंग में वो कार लगी हुई थी, मतलब जो भी था उस कार में वो अंदर जा चुका था। सारे कॉरिडोर और सीढ़ियों पर कैमरा लगे थे, पर जिस हिस्से में सबके कमरे थे उधर कोई कैमरा नहीं था। मैं एक एक करके सारे कैमरा चेक किया, लेकिन किसी भी कैमरे में कोई ऐसा नहीं दिखा जो उस कार जैसी दिखे। बस मित्तल सर और महेश अंकल की पत्नियां लिविंग रूम में दिखी। और कोई नहीं था पूरे घर में, या था भी तो अपने कमरे में, जिसे मैं नहीं देख सकता था।
तभी मैने एक कैमरे में कुछ हलचल देखी, ये टेरेस पर वाला कैमरा था, उस को जूम करके देखा तो ऐसा लगा कोई उधर आया है, मगर टेरेस पर लाइट कम थी, और नाइट विजन कैमरा नहीं था। मगर फिर भी ऐसा लगा झूले के पास 2 लोग हैं जो साथ में खड़े हैं। फिर वो आपस में किसिंग करते दिखे मुझे। और धीरे धीरे वो अपनी इस आत्मीय क्रीड़ा में आगे बढ़ रहे थे। और देखते ही देखते वो काम क्रिया में भी लिप्त हो गए। मुझे देख कर अजीब लग रहा था कि ऐसे खुले में वो दोनों ऐसा कर रहे हैं, कोई आ गया तब, वैसे भी घर के हर व्यक्ति को पता है कि हर खुली जगह में कैमरा है तो वो ऐसा कैसे करेगा।
थोड़ी देर बाद दोनों का वो खेल खत्म हो गया और दोनों कुछ देर वहां बैठ कर वापस चल दिए। उन्होंने सीधे पार्किंग में जाने वाला रास्ता लिया और पार्किंग में आ गए। उनकी कार उसी रस्ते के बगल में लगी थी, और दोनों तुरंत ही गाड़ी में बैठ कर घर से निकल गए। पार्किंग में भी रोशनी कम थी इस कारण मुझे फिर से उनकी शक्ल सही से नहीं दिख पाई। मुझे बहुत टेंशन हो रही थी कि वो नेहा है या कोई और।
मैने प्रिया को एक बार फिर कॉल लगाई।
"हेलो प्रिया, कहां हो तुम?"
"मीटिंग से अभी निकली हूं, कोई काम था क्या मनीष?"
"नहीं बस ये पूछने के लिए किया कि सीसीटीवी चेक किया तुमने?"
"समय ही नहीं मिल पाया अभी तक, घर पहुंच कर चेक कर लूंगी।"
"ओके, कोई इश्यू हो तो बताना। गुड नाइट।" ये बोल कर मैने फोन रख दिया। ये प्रिया तो नहीं थी। फिर मैने नेहा को कॉल लगाया, मगर उसने उठाया नहीं।
फिर मैने ऑफिस में कॉल करके अपने ऑफिस की जानकारी ली ऐसे ही कैजुअली, तो पता चला कि श्रेय तो शाम में ही सूरत चला गया था, मित्तल सर का कॉल आने पर। फिर कौन था वो??
कहीं शिवानी अपने बॉयफ्रेंड को लेकर तो नहीं आई थी? मगर घर में वो भी खुले आसमान के नीचे ऐसी हरकत?
फिर मुझे लगा कि इससे अच्छी जगह क्या हो सकती है, एक तो घर में ही, बाहर से किसी के देख लेने का डर नहीं। ऊपर से इतनी रात में टेरेस पर कौन जाता है। कमरे में जाने के लिए तो फिर भी लिविंग रूम से होकर जाना पड़ता, जिससे उसकी मां और चाची को पता चल जाता।
मुझे ये लॉजिक सबसे सही लगा और मैने उस लड़की को शिवानी मान लिया। हालांकि मुझे ये भी नहीं पता था कि शिवानी का कोई बॉयफ्रेंड है भी या नहीं। पर फिर भी नेहा का फोन न उठाना मुझे कहीं न कहीं खटक रहा था।
मैं घर आ गया। मेरा मन बहुत विचलित था। मैने व्हिस्की को बोतल उठा कर पीने बैठ गया। बेचैनी में आज कुछ ज्यादा ही पी लिया मैने और वहीं सोफे पर सो गया।
सुबह मेरी नींद बेल की आवाज से खुली, जो लगातार बजी जा रही थी। मेरा सर दर्द से फटा जा रहा था। मैने किसी तरह से दरवाजा खोला, सामने नेहा थी।
"कहां थे तुम रात से? कितनी काल लगाई नहीं उठाया, अभी पिछले 10 15 मिनिट से बेल बजा रही हूं।" वो गुस्से से बिगड़ती हुई बोली।
"तुमने कॉल किया? कब? बल्कि तुमने मेरा कॉल नहीं उठाया।" मैं थोड़ा गुस्से में बोला।
"हां तुम्हारा कॉल आया था, पर उस समय मैं अपनी मौसी एक साथ फिल्म देखने गई थी, और फोन साइलेंट पर था। पर वहां से लौट कर जब मैने देखा तो कॉल किया तुमको, पर उठाया नहीं तुमने भी, मुझे लगा सो गए होगे। सुबह मौसी वापस चली गई और तब से ही कॉल कर रही हूं, पर फोन नहीं उठने पर मैं खुद ही आ गई यहां। खुद इतने सारे कॉल नहीं उठाए तो कोई बात नहीं, और मेरी एक कॉल न उठने पर इतना गुस्सा?"
मैने उसकी बात का कुछ जवाब नहीं दिया। पर मेरे चेहरे में बहुत अनिश्चितता झलक रही थी।
"क्या हुआ है मनीष? मेरी किसी बात से गुस्सा हो तो बताओ, लेकिन ऐसे मत रहो प्लीज।" उसने मुझे उदास देख पूछा।
"नेहा, कल ऐसा लगा था जैसे तुम मुझे धोखा दे रही हो।"
"क्या मतलब?"
फिर मैने नेहा को कल जो देखा वो बता दिया।
"मैने तुमको बताया था न कि मेरी मौसी आ रही हैं कल, फिर ऐसा कैसे सोच लिया तुमने? मैं तुमको धोखा दे रही हूं ये सोच भी कैसे सकते हो तुम मनीष?" उसकी आंखे भर आई थी।
मैने उसे गले से लगा लिया, "नेहा मैं सच में बहुत डर गया था कि तुम और श्रेय.."
"मारूंगी अगर जो ऐसा सोचा भी।" उसने मेरे पीठ पर मुक्के मरते हुए कहा।
"वैसे भी श्रेय कल ही सूरत चला गया था। वहां पर कुछ बैंक में भी काम था तो उसने कुछ डिटेल ली थी मुझसे जाने से पहले।"
"हां पता चला मुझे।"
"फिर भी शक कर रहे हो?"
"अब नहीं।" ये बोल कर मैने उसके होंठ चूम लिए।
"यक! जाओ फ्रेश हो कर आओ पहले, मुंह से स्मेल आ रही है शराब की।" उसने अलग होते हुए कहा।
मैं बाथरूम में चला गया। कुछ देर बाद फ्रेश हो कर जब बाहर निकला तो पूरे फ्लैट की खिड़कियां बंद थी, और उन पर पर्दे पड़े थे मेरे बेडरूम में हल्की रोशनी थी, जिसमें मैने देखा नेहा एक पारदर्शी नाइटी पहन कर खड़ी थी, और बहुत ही सेडक्टिव नजरों से मुझे देख रही थी।
"सर ने कहा है न अभी इन सब से दूर रहने।" मैने थूक गटकते हुए कहा।
"ये तुम्हारी उस टेंशन का हर्जाना समझो।" ये बोल कर वो मेरे और करीब आ गई।
मैं जस समय बस एक तौलिया लपेट कर खड़ा था, उसने पास आते ही मेरी तौलिया खोल कर एक हाथ से मेरे लिंग, जो पहले ही नेहा को इस रूप में देख सर उठाने लगा था, को सहलाना शुरू कर दिया, और मेरे चेहरे को दूसरे हाथ से पकड़ कर चुंबनों की बौछार कर दी। मेरे हाथ भी अपने आप उसके स्तनों पर पहुंच चुके थे और मैं उनको धीरे धीरे मसलने लगा।
नेहा ने मेरे मुंह से मुंह लगा कर अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी, मैने भी उसको चूसते हुए नेहा के एक निप्पल के जोर से भींच दिया।
"सीई, आह। क्या करते हो मेरे भोले बलम।" बोलते हुए उसने छाती पर मुक्के बरसाने शुरू कर दिए।
मैने उसकी दोनों बाहों को जकड़ कर बेड की ओर ले गया और उसकी नाइटी को एक झटके में फाड़ते हुए उतर दिया। अब मेरा मुंह उसके स्तनों पर घूम रहा था और एक हाथ से मैं नेहा की योनि को सहला रहा था। उसका एक हाथ मेरे बालों में घूम रहा था और दूसरा अभी भी मेरे लिंग को पकड़े था।
धीरे धीरे मैं उसके पेट की ओर बढ़ने लगा और उसकी गहरी नाभि में अपनी जीभ डाल कर उसे चाटने लगा, नेहा की आहें बढ़ती ही जा रही थी और उसके हाथ मेरी पीठ पर फिसल रहे थे।
फिर नेहा ने मुझे उठा कर बेड पर लेटा दिया और अब वो मेरे ऊपर आ कर मेरे लिंग को अपने मुंह में भर की और अपनी योनि को मेरे मुंह पर थी और मैने जीभ से उसके भग्नासे को छेड़ने लगा। हमारा ये मुख मैथुन कुछ समय तक चला और फिर नेहा अपने घुटनों पर बेड पर आ गई और एक हाथ से मेरा लिंग पकड़ कर अपनी योनि पर लगा दी। मैं पीछे से धक्के लगाने लगा और पूरा कमरा हमारी कामवासना की आवाज़ों से गूंजने लगा। कुछ देर के बाद हम दोनो ही स्खलित हो गए और बेड पर धराशाई हो गए। थोड़ा समय ऐसे ही एक दूसरे से लिपट कर लेट गए।
फिर नेहा ऐसे ही उठ कर रसोई से खाना ले कर आई, जो वो अपने साथ ही बन कर लाई थी। और हम दोनो ने एक दूसरे को ऐसे ही खाना खिलाया। दिन भर हम दोनो साथ ही घर पर रहे। शाम को उसने कहीं घूमने चलने को कहा, तो हम बीच पर निकल गए। अभी शाम ही थी, अंधेरा नहीं हुआ था। हम हाथ में हाथ डाले समुद्र की लहरों के साथ चलने लगे। ऐसे ही टहलते टहलते शाम ढल गई। हमने वापस लौटने का फैसला किया।
पार्किंग में गाड़ी के पास एक मोटरसाइकिल लगी थी, जिस पर एक आदमी टेक लगा कर खड़ा था। हम दोनो के पास पहुंचते ही वो अचानक से हमारी ओर बढ़ा। उसके हाथ में एक चाकू था, और उसने मेरे ऊपर वार किया।
इससे पहले वो चाकू मुझे लगता, नेहा बीच में आ गई, और वो चाकू उसको लगा.....