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धन्यवाद प्रकाश भाईBahut hi shaandar update diya hai Riky007 bhai....
Nice and lovely update....

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धन्यवाद प्रकाश भाईBahut hi shaandar update diya hai Riky007 bhai....
Nice and lovely update....
धन्यवाद भाईRomanchak. Pratiksha agle rasprad update ki
Nice update....#अपडेट १२
अब तक आपने पढ़ा -
रास्ते में ट्रैफिक बहुत ज्यादा नहीं था, मगर फिर भी ड्रिंक किए होने के कारण मैं आराम आराम से ड्राइव कर रहा था। क्लब से थोड़ा आगे जाने पर दूसरे साइड से आगे से एक कार आती दिखी। ये कार मित्तल हाउस की थी, और ज्यादातर उसे श्रेय ही चलता था। मैंने उस कार की ओर देखा तो ड्राइविंग सीट पर एक आदमी था, जिसका चेहरा मुझे नहीं दिख पाया, और पैसेंजर सीट पर एक लड़की थी। कार पास होते ही स्ट्रीट लाइट की रोशनी में मुझे लगा कि वो लड़की नेहा थी....
अब आगे -
वो देख मुझे एक झटका सा लगा, लेकिन फिर सोचा शायद मुझे वहम हुआ होगा, एक तो अंधेरा, ऊपर से मैं थोड़ा नशे में भी। फिर भी दिल नहीं माना, इसीलिए मैने गाड़ी मोड कर उसी दिशा की ओर चला दी, थोड़ी ज्यादा स्पीड में। कुछ ही देर में वो गाड़ी मुझे दिख गई, ट्रैफिक ज्यादा नहीं था इसीलिए मैं थोड़ा पीछे चल रहा था। थोड़ी आगे जा कर वो गाड़ी एक पतले रास्ते पर घूम गई, जिसे देख मैं समझ गया कि इस गाड़ी की मंजिल कहां है। वो रास्ता सीधा मित्तल मेंशन जाता था, इस सड़क पर और कोई घर नहीं था। एक बार मैने सोचा कि मैं भी चला जाऊं वहां, लेकिन वहां मित्तल सर थे नहीं, तो क्या बहाना लेकर जाता, और कोई जरूरी नहीं कि उस कार में जो आया वो मुझे दिख ही जाता।
फिर मैं वापस अपने फ्लैट की ओर चल दिया। पर फिर मुझे सीसीटीवी की याद आई, और मैने अपनी कार साइड में लगा कर अपने मोबाइल पर ही मित्तल मेंशन के सीसीटीवी फीड को खोल दिया। पार्किंग में वो कार लगी हुई थी, मतलब जो भी था उस कार में वो अंदर जा चुका था। सारे कॉरिडोर और सीढ़ियों पर कैमरा लगे थे, पर जिस हिस्से में सबके कमरे थे उधर कोई कैमरा नहीं था। मैं एक एक करके सारे कैमरा चेक किया, लेकिन किसी भी कैमरे में कोई ऐसा नहीं दिखा जो उस कार जैसी दिखे। बस मित्तल सर और महेश अंकल की पत्नियां लिविंग रूम में दिखी। और कोई नहीं था पूरे घर में, या था भी तो अपने कमरे में, जिसे मैं नहीं देख सकता था।
तभी मैने एक कैमरे में कुछ हलचल देखी, ये टेरेस पर वाला कैमरा था, उस को जूम करके देखा तो ऐसा लगा कोई उधर आया है, मगर टेरेस पर लाइट कम थी, और नाइट विजन कैमरा नहीं था। मगर फिर भी ऐसा लगा झूले के पास 2 लोग हैं जो साथ में खड़े हैं। फिर वो आपस में किसिंग करते दिखे मुझे। और धीरे धीरे वो अपनी इस आत्मीय क्रीड़ा में आगे बढ़ रहे थे। और देखते ही देखते वो काम क्रिया में भी लिप्त हो गए। मुझे देख कर अजीब लग रहा था कि ऐसे खुले में वो दोनों ऐसा कर रहे हैं, कोई आ गया तब, वैसे भी घर के हर व्यक्ति को पता है कि हर खुली जगह में कैमरा है तो वो ऐसा कैसे करेगा।
थोड़ी देर बाद दोनों का वो खेल खत्म हो गया और दोनों कुछ देर वहां बैठ कर वापस चल दिए। उन्होंने सीधे पार्किंग में जाने वाला रास्ता लिया और पार्किंग में आ गए। उनकी कार उसी रस्ते के बगल में लगी थी, और दोनों तुरंत ही गाड़ी में बैठ कर घर से निकल गए। पार्किंग में भी रोशनी कम थी इस कारण मुझे फिर से उनकी शक्ल सही से नहीं दिख पाई। मुझे बहुत टेंशन हो रही थी कि वो नेहा है या कोई और।
मैने प्रिया को एक बार फिर कॉल लगाई।
"हेलो प्रिया, कहां हो तुम?"
"मीटिंग से अभी निकली हूं, कोई काम था क्या मनीष?"
"नहीं बस ये पूछने के लिए किया कि सीसीटीवी चेक किया तुमने?"
"समय ही नहीं मिल पाया अभी तक, घर पहुंच कर चेक कर लूंगी।"
"ओके, कोई इश्यू हो तो बताना। गुड नाइट।" ये बोल कर मैने फोन रख दिया। ये प्रिया तो नहीं थी। फिर मैने नेहा को कॉल लगाया, मगर उसने उठाया नहीं।
फिर मैने ऑफिस में कॉल करके अपने ऑफिस की जानकारी ली ऐसे ही कैजुअली, तो पता चला कि श्रेय तो शाम में ही सूरत चला गया था, मित्तल सर का कॉल आने पर। फिर कौन था वो??
कहीं शिवानी अपने बॉयफ्रेंड को लेकर तो नहीं आई थी? मगर घर में वो भी खुले आसमान के नीचे ऐसी हरकत?
फिर मुझे लगा कि इससे अच्छी जगह क्या हो सकती है, एक तो घर में ही, बाहर से किसी के देख लेने का डर नहीं। ऊपर से इतनी रात में टेरेस पर कौन जाता है। कमरे में जाने के लिए तो फिर भी लिविंग रूम से होकर जाना पड़ता, जिससे उसकी मां और चाची को पता चल जाता।
मुझे ये लॉजिक सबसे सही लगा और मैने उस लड़की को शिवानी मान लिया। हालांकि मुझे ये भी नहीं पता था कि शिवानी का कोई बॉयफ्रेंड है भी या नहीं। पर फिर भी नेहा का फोन न उठाना मुझे कहीं न कहीं खटक रहा था।
मैं घर आ गया। मेरा मन बहुत विचलित था। मैने व्हिस्की को बोतल उठा कर पीने बैठ गया। बेचैनी में आज कुछ ज्यादा ही पी लिया मैने और वहीं सोफे पर सो गया।
सुबह मेरी नींद बेल की आवाज से खुली, जो लगातार बजी जा रही थी। मेरा सर दर्द से फटा जा रहा था। मैने किसी तरह से दरवाजा खोला, सामने नेहा थी।
"कहां थे तुम रात से? कितनी काल लगाई नहीं उठाया, अभी पिछले 10 15 मिनिट से बेल बजा रही हूं।" वो गुस्से से बिगड़ती हुई बोली।
"तुमने कॉल किया? कब? बल्कि तुमने मेरा कॉल नहीं उठाया।" मैं थोड़ा गुस्से में बोला।
"हां तुम्हारा कॉल आया था, पर उस समय मैं अपनी मौसी एक साथ फिल्म देखने गई थी, और फोन साइलेंट पर था। पर वहां से लौट कर जब मैने देखा तो कॉल किया तुमको, पर उठाया नहीं तुमने भी, मुझे लगा सो गए होगे। सुबह मौसी वापस चली गई और तब से ही कॉल कर रही हूं, पर फोन नहीं उठने पर मैं खुद ही आ गई यहां। खुद इतने सारे कॉल नहीं उठाए तो कोई बात नहीं, और मेरी एक कॉल न उठने पर इतना गुस्सा?"
मैने उसकी बात का कुछ जवाब नहीं दिया। पर मेरे चेहरे में बहुत अनिश्चितता झलक रही थी।
"क्या हुआ है मनीष? मेरी किसी बात से गुस्सा हो तो बताओ, लेकिन ऐसे मत रहो प्लीज।" उसने मुझे उदास देख पूछा।
"नेहा, कल ऐसा लगा था जैसे तुम मुझे धोखा दे रही हो।"
"क्या मतलब?"
फिर मैने नेहा को कल जो देखा वो बता दिया।
"मैने तुमको बताया था न कि मेरी मौसी आ रही हैं कल, फिर ऐसा कैसे सोच लिया तुमने? मैं तुमको धोखा दे रही हूं ये सोच भी कैसे सकते हो तुम मनीष?" उसकी आंखे भर आई थी।
मैने उसे गले से लगा लिया, "नेहा मैं सच में बहुत डर गया था कि तुम और श्रेय.."
"मारूंगी अगर जो ऐसा सोचा भी।" उसने मेरे पीठ पर मुक्के मरते हुए कहा।
"वैसे भी श्रेय कल ही सूरत चला गया था। वहां पर कुछ बैंक में भी काम था तो उसने कुछ डिटेल ली थी मुझसे जाने से पहले।"
"हां पता चला मुझे।"
"फिर भी शक कर रहे हो?"
"अब नहीं।" ये बोल कर मैने उसके होंठ चूम लिए।
"यक! जाओ फ्रेश हो कर आओ पहले, मुंह से स्मेल आ रही है शराब की।" उसने अलग होते हुए कहा।
मैं बाथरूम में चला गया। कुछ देर बाद फ्रेश हो कर जब बाहर निकला तो पूरे फ्लैट की खिड़कियां बंद थी, और उन पर पर्दे पड़े थे मेरे बेडरूम में हल्की रोशनी थी, जिसमें मैने देखा नेहा एक पारदर्शी नाइटी पहन कर खड़ी थी, और बहुत ही सेडक्टिव नजरों से मुझे देख रही थी।
"सर ने कहा है न अभी इन सब से दूर रहने।" मैने थूक गटकते हुए कहा।
"ये तुम्हारी उस टेंशन का हर्जाना समझो।" ये बोल कर वो मेरे और करीब आ गई।
मैं जस समय बस एक तौलिया लपेट कर खड़ा था, उसने पास आते ही मेरी तौलिया खोल कर एक हाथ से मेरे लिंग, जो पहले ही नेहा को इस रूप में देख सर उठाने लगा था, को सहलाना शुरू कर दिया, और मेरे चेहरे को दूसरे हाथ से पकड़ कर चुंबनों की बौछार कर दी। मेरे हाथ भी अपने आप उसके स्तनों पर पहुंच चुके थे और मैं उनको धीरे धीरे मसलने लगा।
नेहा ने मेरे मुंह से मुंह लगा कर अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी, मैने भी उसको चूसते हुए नेहा के एक निप्पल के जोर से भींच दिया।
"सीई, आह। क्या करते हो मेरे भोले बलम।" बोलते हुए उसने छाती पर मुक्के बरसाने शुरू कर दिए।
मैने उसकी दोनों बाहों को जकड़ कर बेड की ओर ले गया और उसकी नाइटी को एक झटके में फाड़ते हुए उतर दिया। अब मेरा मुंह उसके स्तनों पर घूम रहा था और एक हाथ से मैं नेहा की योनि को सहला रहा था। उसका एक हाथ मेरे बालों में घूम रहा था और दूसरा अभी भी मेरे लिंग को पकड़े था।
धीरे धीरे मैं उसके पेट की ओर बढ़ने लगा और उसकी गहरी नाभि में अपनी जीभ डाल कर उसे चाटने लगा, नेहा की आहें बढ़ती ही जा रही थी और उसके हाथ मेरी पीठ पर फिसल रहे थे।
फिर नेहा ने मुझे उठा कर बेड पर लेटा दिया और अब वो मेरे ऊपर आ कर मेरे लिंग को अपने मुंह में भर की और अपनी योनि को मेरे मुंह पर थी और मैने जीभ से उसके भग्नासे को छेड़ने लगा। हमारा ये मुख मैथुन कुछ समय तक चला और फिर नेहा अपने घुटनों पर बेड पर आ गई और एक हाथ से मेरा लिंग पकड़ कर अपनी योनि पर लगा दी। मैं पीछे से धक्के लगाने लगा और पूरा कमरा हमारी कामवासना की आवाज़ों से गूंजने लगा। कुछ देर के बाद हम दोनो ही स्खलित हो गए और बेड पर धराशाई हो गए। थोड़ा समय ऐसे ही एक दूसरे से लिपट कर लेट गए।
फिर नेहा ऐसे ही उठ कर रसोई से खाना ले कर आई, जो वो अपने साथ ही बन कर लाई थी। और हम दोनो ने एक दूसरे को ऐसे ही खाना खिलाया। दिन भर हम दोनो साथ ही घर पर रहे। शाम को उसने कहीं घूमने चलने को कहा, तो हम बीच पर निकल गए। अभी शाम ही थी, अंधेरा नहीं हुआ था। हम हाथ में हाथ डाले समुद्र की लहरों के साथ चलने लगे। ऐसे ही टहलते टहलते शाम ढल गई। हमने वापस लौटने का फैसला किया।
पार्किंग में गाड़ी के पास एक मोटरसाइकिल लगी थी, जिस पर एक आदमी टेक लगा कर खड़ा था। हम दोनो के पास पहुंचते ही वो अचानक से हमारी ओर बढ़ा। उसके हाथ में एक चाकू था, और उसने मेरे ऊपर वार किया।
इससे पहले वो चाकू मुझे लगता, नेहा बीच में आ गई, और वो चाकू उसको लगा.....
क्या बात है हर बार मोहरे पिटते पिटते रह जाते हैं
मनीष को मित्तल साहब ने छोड़ दिया तो श्रेय और नेहा की जुगलबंदी को मनीष समझना ही नहीं चाहता, लेकिन कब तक प्यार में अंधा रहेगा
देखते हैं
Thriller prefix ki story me apan mostly suspenseful murder mystery ko hi expect kiya karta hai...ya agar murder mystery na ho to fir koi aisa topic ho jisme zabardast thrill ho, romanch ho and offcourse suspense and mystery ho. Thriller stories actual me aisi hi hoti hain. Thriller apan ne bhi likha hai but apan khud feel karta hai ki waisa nahi likh saka jaisa apan khud padhna expect karta hai. Maybe...apan itna mature nahi hai ya fir apan me abhi wo kabiliyat nahi hai. Anyway...
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Review:- Story plot/concept/theme kaafi achha hai aur aapne apne sundar shabdo dwara likha bhi bahut badhiya hai. Story read karte time aisa feel hua jaise 90s ke dashak wali bollywood film chal rahi hai. Waise agar sachchaai ki baat ki jaye to filme usi time tak hi rochak aur feelings wali lagi thi uske baad se to jaise sab gud gobar hi ho gaya. Action aur ashleelta dikha dikha kar bollywood walo ne desh aur samaaj ke logo par kitna bura asar daala hai sab jaate hain
Well, baat karte hain Manish ki. No doubt ki usne waakai me mittal sahab ki ummido par khara utarne me koi kasar baaki nahi rakhi. Well educated hone ke baad usne ab tak jo kiya sab kaabile tareef tha. Lauda, aaj ke yug me kaha aise yateem aur aise yateem ko aisa sahara dene wale milte hain. Hat's off to both of them
Mittal sahab ko aulaad ke roop me sirf ek beti hi hai, yaani waarish ke roop me wahi hai (Manish ko unhone apna naam diya to hai lekin waarish ka khulasa nahi kiya gaya hai abhi, so kuch kaha nahi ja sakta). Iske alawa mittal sahab ke sage sambandhi me unke ek bhai hain aur fir unke bachche. Kahani ke dwara ab tak pata chal chuka hai ki wo sab kya karte hain. Jaha ek taraf pariwar ki ladkiyo ka character achha hi dikha wahi mittal sahab ke bhatije ka character Manish/monu ke prati thoda ajeeb dikha tha. Ye alag baat hai ki Manish ka inme se kisi se bhi koi man mutaav jaisa bhaav nazar nahi aaya hai.. well ek sawaal ye hai ki mittal sahab ne jab Manish ke liye itna kuch kiya hai to unhone use apne khud ke ghar me kyo nahi rakha. I mean wo alag jagah par ek flat me kyo rahta hai?
Neha Varma, lauda sundarta me hamesha hi daag laga rahta hai. Ye laudi bhi daagdaar hi nikli. Pahle jab iski entry hui thi to apan bhi manish ke jaiseho gaya tha aur fir jab iske shadi shuda hone ka pata chala to again apan Manish jaise
ho gaya tha. Anyway jab do jawaan launde laundiyo ko ek sath rahne ka aisa chance mila to dono ke bich
to hona hi tha. Khair apne ko kya....par ek baat apan ko achhi na lagi aur wo ye ki manish lauda neha ke saamne lallu lal type ka laga. I know ummido par khara utarne ke chakkar me wo duniyadari jaanne/seekhne se wanchit rah gaya hoga lekin itna zyada?? Betichod, apan ki naak katwa di pahli hi baar me
fusss ho gaya, bhakk bhosdke
Anyway, ab baat karte hain ki kahani ke us part ki jiski is kahani me apan ne expect kar rakhi hai. I mean, ab tak simple lagne wali kahani me aisa kya dikha jo mysterious, suspenseful ya fir aisa jo unexpected ho. So filhal to yahi feel hua ki neha jaisi dikh reli hai waisi hai nahi (apne cabin me phone par kisi se baat kar rahi thi aur jab Manish achanak se pahuch gaya to laudi ghabra gai thi, beshak usne papa se baat karne ka bol kar baat ko samhaal liya tha ya gol kar liya tha but kya sach me aisa tha...ye sochne wali baat hai) Karan ka bhi uske bare me wo sab kahna yahi zaahir karta hai. But.....but jaisa ki thriller stories me hota hai..kuch bhi kahna ya kuch bhi soch lena thik nahi hota. Yaani ho sakta hai ki phone par baat karte samay Manish ke aa jane par uska ghabrana us time ki situation ke hisaab se waajib raha ho, ho sakta hai ki Karan ne kisi jealousy ke chalte Manish ko uske bare me aisa bola raha ho...kuch bhi ho sakta hai but....lauda yaha bhi but...yes, kyoki apan mittal sahab ke bhatije ko ignore nahi kar sakte. Manish ke prati uska negative behaviour kahi na kahi ulta seedha sochne par majboor karta hi hai. And most important baat...story title ko kaise ignore kar sakta hai koi?
Kahne ka matlab ye ki ab yaha se mystery and suspense start hoga..so let's see what happens..
Opinion/Salaah:- Maybe story ki bhumika banane ke liye ab tak itna fast farword likha gaya ho but ye to dikha hi ki ab tak ki kahani ko kuch zyada hi fast speed me aage badha diya hai riky bhai aapne. Thriller kahani me cheezo ko samjhane aur unhe justify karne ke liye thoda detail me likhna hi padta hai. So I hope aage se aise fast speed me kahani bhaagti hui feel na hogi. Baaki story bahut badhiya hai aur usse bhi badhiya hai shabdo ka chayan, baaki to aap bahuche huye thark...I mean Mahatma ho....keep it up bade bhai
![]()
एक बेहद बढ़िया और सधी हुई शुरुवात जो पाठकों को इस कहानी को आगे पढ़ने पर मजबूर जरूर करेगी
नई कहानी ही शुभकामनाए, देखते है आगे क्या होता है
Bahut hi badhiya update he Riky007 Bhai,
Mujhe lagta he puri mittal family ke bachche including neha manish ka popat bana rahe he...............
Kahi na kahi kisi ke man koi na koi khunnas he, jo vo manish se nikalna chahte he................
Neha ki shadi, divorce sab planted lag rahe he mujhe to...............
Agli update ki pratiksha rahegi Bhai
Nice update....
Nice update
Bahut hi badhiya update diya hai Riky007 bhai....
Nice and beautiful update....
Awesome update
Mittal Sahab ne Manish और neha को केबिन में रोमांटिक हालत में देख लिया,
मनीष ने उनके सामने अपने प्यार का इजहार कर दिया और उन्होंने कुछ तस्दीक के साथ मंजूरी दे दी
हालांकि उनकी बातों से लगा कि नेहा के लिए उन्हें मनीष को आगाह किया है और शायद मनीष की शादी के लिए उन्होंने भी कुछ सोचा था लेकिन अब वो मनीष की खुशी में खुश है
अपडेट के एंड में फिर नेहा संदेहकी घेरे में आ गई है
Neha Neha Neha...kya chati hai yeh aakhir
I'm waiting jab uske baare mein raz uljhane ke bajaaye sulajne lage...
Btw Nice update...footage wala scene padhke laga tha ke Neha ke affair ke video dekh lega kahin Manish.
Dekhte hai aage kya hota hai...
Mai na kahta tha ki neha ki aank me suvar ka baal hai, ye srey ke sath milkar manish ka choitiya kaat rahi hai, but kis liye? Ye janna haiUdhar wo cctv ka access milna kabhi na kabhi kaam aane wala hai, dekhte hai kab or kaise?
Awesome update again![]()
जैसा कि शुभम भाई ने कहा , कहानी कुछ अधिक ही फास्ट ट्रैक पर चल रही है उससे मै भी सहमत हूं । थोड़ा धीरे - धीरे , धैर्य के साथ , डिटेल वर्णन के साथ घटनाक्रम को बढ़ाइए ।
नेहा मैडम हर बार कुछ न कुछ अप्रत्याशित सा कर जाती है जिससे हम सब को उस के चरित्र पर संदेह पैदा होने लगता है । कुछ न कुछ खिचड़ी तो वह अवश्य ही पका रही है । देखने वाली बात यह है कि इस खिचड़ी कार्यक्रम मे उसका साथी या फिर बाॅस कौन है !
नेहा मैडम और मनीष के इस ताजा ताजा नए बने सम्बन्ध से शायद रजत मित्तल साहब बहुत ज्यादा प्रसन्न नही होंगे । शायद वो अपनी पुत्री या फिर भतीजी के साथ उसका रिश्ता करना चाहते थे ।
अगर पुत्री के साथ मनीष का सम्बन्ध बना तब शायद विरासत के लिए परिवार मे कुछ तनाव पैदा हो ! पर अगर भतीजी के साथ रिश्ता बना तब शायद सबकुछ वाह वाह ही बना रहे !
इधर वाल्ट के अस्तित्व मे आने की घड़ी प्रायः आ चुकी है जो कि - मेरे अनुसार - मनीष के लिए खतरे की घंटी का आगाज है ।
खैर देखते हैं , फ्यूचर मे मनीष के साथ क्या क्या होता है !
खुबसूरत अपडेट रिकी भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।
New update postedAb tak ki kahani Romanchak Pratiksha agle rasprad update ki
धन्यवाद भाई जीNice update....
Night me padh kar review deta hu Riky abhi thoda busy huNew update posted![]()
Kafi kuch is UPDATE me intresting raha dekhne ko jaise Manish ke ne jaise he Neha ko piche apni bahoo me leya Neha ne ek pal me Manish ko dekh call per bat kar rhe shaksh se bat palat di use papa bata dia sath he Manish se 25 lac ki bat bol di apne X husband ko Dene ki ye bol ke ki in paiso ko leke wo Neha ko divorce dede ga#अपडेट १०
अब तक आपने पढ़ा -
ऐसे ही एक दिन दोपहर के समय मैं उसके केबिन में चला गया, वो खिड़की के पास खड़ी फोन पर किसी से बात कर रही थी, उसकी आवाज बहुत धीमी थी, मुझे साफ से सुनाई नहीं दिया।
".... हां वो तो पागल हो गया है पूरा।"
"......"
"बस जल्दी ही एक बार और करना है।"
"....."
तब तक मैने पीछे से उसे अपनी बाहों में भर लिया।
उसने मुझे देखा, उसके चेहरे पर कुछ घबराहट थी.....
अब आगे -
"अच्छा पापा, अब रखती हूं। कुछ जरूरी काम आ गया है।" बोल कर उसने फोन काट दिया।
"इतना घबरा क्यों गई तुम?"
"अब एकदम से ऐसे कोई पीछे से पकड़ लेगा तो घबराहट सी होगी ही।"
कहते हैं आशिकी में डूबा आशिक समझने समझाने से ऊपर उठ चुका होता है, मेरी भी हालत शायद वैसी ही थी, इसलिए मैने इस बात को फिर ज्यादा तूल नहीं दिया।
"क्या बात कर रही थी अपने पापा से?"
"वही संजीव से डाइवोर्स वाली। वो एक्चुअली कुछ पैसे मांग रहा है मुझसे।"
"कितने?"
"पच्चीस लाख। बोला इतने दे दो, आराम से तलाक दे दूंगा।"
"तो मैं दे देता हूं।"
"नहीं मनीष, इस बात के लिए तुमसे नहीं लूंगी पैसे। मेरी गलती है, मुझे ही इसको चुकाने दो।"
"नेहा, मेरे पैसे तुम्हारे पैसे हैं। जब भी कोई जरूरत हो, बेझिझक मांग लो।"
"वो मुझे पता है मेरे भोले बलम। लेकिन इस मामले में बिल्कुल नहीं। वैसे ज्यादा पैसे हैं तो कुछ शॉपिंग करवा दो।"
"अरे, बस इतनी सी बात? आज ही चलो।"
"नहीं, आज नहीं। कल चलते हैं।"
"ओके, वैसे भी कल सैटरडे है। कल ही चलते हैं।"
ये बोल कर मैने उसको फिर से अपनी बाहों में भर कर चूम लिया।
ऑफिस में अभी हमने किसी को भी अपने बारे में भनक भी नहीं लगने दी थी। इसीलिए काम के अलावा हम लोग ऑफिस अलग अलग ही आते जाते थे। अगले दिन भी शाम को मैं जल्दी ही ऑफिस से निकल कर नेहा को लेने गया। नेहा मुझसे पहले भी निकल चुकी थी। उसके घर से उसे पिक करके हम ऑर्बिट मॉल गए, वहां नेहा ने बहुत सारी खरीदारी की दोनों के लिए, उसके बाद हम उसी में मौजूद एक पब में चले गए। वहां पर डांस फ्लोर भी था। दोनों की ड्रिंक ऑर्डर करने के बाद हम एक टेबल पर बैठ गए, वीकेंड होने के कारण थोड़ी भीड़ थी। डांस फ्लोर पर लोग डांस कर रहे थे।
"चलो डांस करें।"
"मुझे डांस करना नहीं आता नेहा। तुम जाओ, मैं देखता हूं तुमको।"
"अरे चलो न, कौन सा मुझे आता है, लेकिन मुझे पसंद है डांस करना।" उसने जिद करते हुए कहा।
मैं उसके साथ चल गया। वहां पर कई कपल और कई लड़के लड़कियां अलग से भी डांस कर रहे थे। मुझे आता नहीं था तो पहले मैं बस ऐसे ही खड़ा रहा, नेहा मेरा हाथ पकड़ कर गाने की धुन पर झूम रही थी। उसके बदन की थिरकन देख लगता नहीं था कि उसको डांस नहीं आता।
फिर एक रोमांटिक गाना लगा दिया गया, और नेहा मेरे हाथों को पकड़ कर अपनी कमर पर रख दिया और मुझसे बिल्कुल चिपक कर डांस करने लगी। उसके यूं चिपकने से मेरे शरीर में उत्तेजना भरनी शुरू हो गई। मेरे हाथ उसकी पीठ पर घूमने लगे। और हमारे होंठ एक दूसरे से जुड़ गए। तभी गाना खत्म हो गया, और हमारा ड्रिंक भी आ गया था, तो हम वापस टेबल पर आ गए। कुछ देर बाद नेहा वापस से डांस फ्लोर पर चली गई, और मैं खाने का ऑर्डर देने लगा।
वहां नेहा अकेली ही डांस कर रही थी और कुछ ही देर में एक लड़का उसके काफी पास आ कर नाचने लगा। मैं खाने का ऑर्डर दे कर डांस फ्लोर की ओर देखा तो वो लड़का डांस करने के बहाने नेहा के आस पास ही मंडरा रहा था और नेहा को छूने की कोशिश कर रहा था। ये देख मैं भी वहां चला गया और नेहा के आस पास ही डांस करने लगा। उसने शायद मुझे नहीं देख, या मुझे भी अपने जैसा ही एक मनचला समझ लिया। उसकी हरकतें बंद नहीं हुई। मुझे गुस्सा बढ़ रहा था। तभी उसने नेहा की कमर पर अपना हाथ रख कर दबा दिया, जिससे नेहा भी चिहुंक गई, और मैने उसका हाथ पकड़ कर एक थप्पड़ मार दिया उसे, जिससे वो लड़खड़ा कर गिर पड़ा।
ये देख उसके 2 साथी भी आ गए और हम तीनों में हल्की हाथ पाई होने लगी। हंगामा ज्यादा बढ़ता, इससे पहले ही पब के बाउंसर आ कर हम सबको अलग किए और मामला शांत करवाने की कोशिश करने लगे।मैने पुलिस बुलाने को कहा, मगर तब तक नेहा ने बीच में आ कर सारा मामला रफा दफा करने कहा, और छेड़ छाड़ का मामला देख पब वाले भी इसे पुलिस तक नहीं ले जाना चाहते थे। फिर नेहा के समझाने पर मैने भी जिद छोड़ दी।
हम लोग खाना खा कर निकल गए वहां से। मैने नेहा को उसके घर पर ड्रॉप किया और अपने फ्लैट पर आ कर सो गया। अगले दिन संडे था तो सुबह देर तक सोता रहा।
मेरी नींद किसी के फ्लैट की घंटी बजने से खुली। देखा तो नेहा आई थी, अपने साथ एक बड़ा बैग लाई थी वो।
"अरे अभी तक सो रहे हो लेजी डेजी?"
"संडे है यार। और तुम इतनी सुबह?"
"हां संडे है, तभी सोचा आज का दिन तुम्हारे साथ बिताऊं।"
"अंदर आओ।"
नेहा पहली बार मेरे फ्लैट में आई थी और फ्लैट थोड़ा अस्त व्यस्त था। काम करने के लिए एक लड़का आता था, मगर वो एक दिन की छुट्टी पर था। और वैसे भी लड़के अपना घर जल्दी साफ नहीं करते हैं।
"कितना गंदा कर रखा है तुमने।" उसने मुंह बनते हुए कहा।
"मैने सोफे से गंदे कपड़े उठाते हुए कहा, "कोई तो आता नहीं यहां, किसके लिए साफ रखूं? वैसे भी सफाई वाला लड़का छुट्टी पर है, वर्मा इतना गंदा नहीं मिलता।"
उसने मेरे हाथ से कपड़े लेते हुए कहा, "लाओ ये मुझे दो, घर को कम से कम बैठने लायक तो बना लूं।"
ये कह कर उसने कपड़ों को वाशिंग मशीन में डाल कर ऑन कर दिया, और झाड़ू ढूंढ कर सफाई करने लगी।
"ये क्या कर रही हो, कल आयेगा न साफ करने वाला।"
"करने दो मुझे, और जाओ तुम भी फ्रेश हो जाओ, नाश्ता बना कर लाई हूं, एक साथ करेंगे।" एकदम बीवी वाले लहजे में उसने आदेश दिया।
मैं भी फ्रेश होने चला गया। नहाते हुए मुझे याद आया कि तौलिया ले।कर तो आया ही नहीं मैं।
"नेहा, जरा तौलिया दे देना।" मैने बाथरूम के दरवाजे से झांकते हुए कहा।
नेहा तौलिया ले कर आई, और मैने दरवाजे के पीछे से ही हाथ निकल कर बाहर कर दिए, तौलिया पकड़ने के लिए। लेकिन नेहा उसे मेरे हाथ में नहीं दे रही थी और बार बार इधर उधर लहरा रही थी।
"पकड़ के दिखाओ तौलिया।" उसने शरारत से कहा।
मैने भी थोड़ी चालाकी दिखाते हुए तौलिए की जगह उसका हाथ पकड़ लिया और बाथरूम में खींच लिया।
"मनीष, छोड़ो मुझे। भीग जाऊंगी मैं।" उसने मचलते हुए कहा। लेकिन तब तक मेरे होंठ उसके होंठों को बंद कर चुके थे।
मेरे हाथ उसके कपड़े खोलने लगे थे, मैं खुद तो बिना कपड़ों के था ही।
बाथरूम में कुछ देर एक दूसरे के बदन से खेलने के बाद हम बाहर आ गए, और बेड पर फिर से वो खेल शुरू हो गया।
मैं नेहा की योनि को चाट रहा था, और वो मेरे लिंग को मुंह में भरी हुई थी। थोड़ी देर बार मैं नेहा के अंदर था और वो मेरे ऊपर बैठ कर उछल रही थी। कोई आधे घंटे हमारा ये खेल चला, और उसके बाद हम वैसे ही उठ कर खुद को साफ करके नाश्ता करने बैठे। सारा दिन हमने साथ में ही बिताया।
शाम को नेहा को घर छोड़ कर मैं वापस लौट रहा था तो करण का फोन आया मेरे पास।
"सर कहां हैं?"
"अभी तो बाहर हूं, बोलो क्या बात है?"
"वो कल मुंबई वाली ब्रांच में जाना है न मुझे, और कल की एक फाइल पर अपने साइन नहीं किए। मुंबई उस फाइल को लेकर जाना है।"
"मेरे फ्लैट पर आ जाओ आधे घंटे में, मैं साइन कर देता हूं।"
आधे घंटे बाद करण मेरे फ्लैट में था।
"आओ करण, बैठो। क्या लोगे चाय या कुछ और? चाय तो भाई मंगवानी पड़ेगी। हां व्हिस्की बोलो तो अभी पिलाता हूं।"
"अब सर चाय तो हम लगभग रोज ही साथ में पीते हैं।" उसने शर्माते हुए कहा।
मैने व्हिस्की की बोतल निकला कर दो पैग बनाए और थोड़ी नमकीन भी रख ली।
"लाओ फाइल दो।"
उसने मेरी ओर फाइल बढ़ा दी। मैं उसे पढ़ने भी लगा और अपने पैग का शिप भी लेने लगा। करण ने अपना पैग जल्दी ही खत्म कर दिया।
"अरे भाई, बड़ी जल्दी है तुमको। अच्छा अपना एक और पैग बना लो तुम।" ये बोल मैं फिर से फाइल पढ़ने लगा।
थोड़ी देर बाद मैने फाइल पढ़ कर उस पर साइन कर के करण की ओर उसे बढ़ा दिया। करण ने फाइल।अपने बैग में रख ली।
"और करण, मां कैसी हैं अब तुम्हारी?"
"सर अभी तो ठीक हैं, मुंबई जा रहा हूं, वहां एक डॉक्टर का पता चला है उसने भी मिल लूंगा मां के केस के सिलसिले में।" उसकी बात सुन कर लगा जैसे कुछ नशे का असर होने लगा था उस पर।
"चलो अच्छी बात है, कोई हेल्प चाहिए तो बताना। वैसे US में एक डॉक्टर दोस्त है मेरा, बोलो तो उनसे बात करूं कभी?"
"नहीं सर, अभी तो लोग मुंबई वाले को बेस्ट बता रहे हैं। उनसे मिल लेता हूं पहले, फिर बताता हूं आपको।"
"ठीक है फिर।" ये बोल कर मैने एक और पैग बना दिए दोनो के लिए।
"सर, एक बात बोलनी थी आपसे?"
"बोलो करण। ऐसे पूछ कर क्या बोलना, जो कहना है कहो।"
"कैसे बोलूं सर समझ नहीं आ रहा। व वो नेहा है न, सर वो अच्छी लड़की नहीं है।"
"मतलब?"
"मतलब सर, मैने कई बार उसको श्रेय सर के केबिन में आते जाते देखा है। और कई बार मीटिंग वगैरा में भी दोनों को इशारों में बाते करते भी देखा है। आप सर उससे थोड़ा दूरी बना कर रखें।" अब उसकी जबान पूरी तरह से लड़खड़ाने लगी थी।
मैं थोड़ा गौर से उसे देखने लगा था।
"अच्छा सर, अब चलता हूं मैं। सॉरी शायद नशे में कुछ गलत बोल गया हूं तो।" बोल कर वो निकल गया।
मैं थोड़ी देर उसकी बात पर विचार करता रहा, फिर मैने सोचा शायद वो नेहा के एकदम से इतने ऊपर आने से कुछ गलतफहमी पाल रखी हो उसने, इस कारण ऐसा बोल रहा हो।
थोड़ी देर बाद मैं सो गया। अगले 2 दिन कुछ खास नहीं हुआ। मित्तल सर और करण दोनों ही नहीं थे, और करण के न रहने पर मैं और नेहा मिल कर आज पूरा काम देख रहे थे तो ज्यादा समय नहीं मिला हम दोनो को। तीसरे दिन करण मुंबई से आ चुका था, और मित्तल सर भी वापी पहुंच चुके थे, इसीलिए मैं कुछ रिलैक्स था, दोपहर में नेहा मेरे केबिन में आई और मेरी गोद में आ कर बैठ गई।
उसके बैठते ही मेरे केबिन का दरवाजा एकदम से खुल गया......
DesiPriyaRai Desi laga ke ghar me busy padi hai lagta hai