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जो बीत गई सो बात गई, ऐ दोस्त उसे अब जाने दो,
कुछ अपने मन की कहो, सुनो कुछ होंठो पर भी आने दो,
हम मीत भी है, हम गीत भी है, कुछ अपने को बहलाने दो,
अपने होंठो को खोलो जरा, दो प्रेम बोल छलकाने दो।।
(राज शार्मा)
कुछ अपने मन की कहो, सुनो कुछ होंठो पर भी आने दो,
हम मीत भी है, हम गीत भी है, कुछ अपने को बहलाने दो,
अपने होंठो को खोलो जरा, दो प्रेम बोल छलकाने दो।।
(राज शार्मा)
