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Is update se to yahi lagta hai bhaiमरने वाली है लड़की।

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Is update se to yahi lagta hai bhaiमरने वाली है लड़की।
Nice update.....Update 17
“अमर” एकांश ने अमर की ओर देखा जो थोड़ा नर्वस था
“साफ सायद बताएगा लॉकेट है य नहीं है” एकांश ने पूछा अब उससे रहा नहीं जा रहा था और अमर चुप था
“है, लॉकेट है भाई उसने आज भी वो लॉकेट अपने आप से अलग नहीं किया है” अमर ने आराम से कहा
“क्या! तो फिर तू ऐसे मुह सड़ा के क्यू बैठा है मुझे लगा के नहीं है” एकांश ने कहा लेकिन अमर अब भी गर्दन झुकाए था
“अमर क्या हुआ अचानक”
“कुछ नहीं बस अब जब लॉकेट देख लिया है और समझ आ गया के अक्षिता ने तुझे धोका नहीं दिया था तो अब वो टाइम याद आ गया जब मैंने तुझे धोका देने के लिए उसे नजाने कितनी गाली दे डाली थी, तू हम सबसे दूर हो गया था उस टाइम, घरवालों से दोस्तों से, ना तो कीसी से मिलता था ना बात करता था, बस दोस्त खोने का गुस्सा उसके लिए गालियों के रूप मे निकला था और अब समझ आया के साला शायद उसकी गलती ही नहीं थी” अमर ने कहा, एकांश कुछ बोलने ही वाला था के अमर आगे बोला
“मैं समझता हु के उस टाइम तेरा अकेला रहना ही सही था लेकिन भाई है तू मेरा और उस टाइम तेरी जो हालत थी उसके लिए अक्षिता को ही जिम्मेदार माना था हम सबने लेकिन साला आज सब धुआ हटा है के वो तो फीलिंगस तो आज भी वैसी ही है और शायद उसका तुझसे दूर होने के पीछे तगड़ा रीज़न भी है” अमर ने एकांश को देखते हुए कहा
“मैं समझ सकता हु, और मुझे पता है मैं तुम सब से उस टाइम टूट सा गया था और इतनी समझ ही नहीं थी के मैं अपने साथ साथ अपनों को भी तकलीफ दे रहा हु, तो भाई सॉरी यार” एकांश ने कहा और अमर ने उसे कस के गले लगा लिया
“तो एकांश रघुवंशी जी अब जब हम कन्फर्म है के फीलिंगस अब भी वैसे ही बरकरार है तो सेलब्रैशन तो बनता है इसका” अमर ने एकांश को देख बत्तीसी दिखाते हुए कहा
“नोप, जब तक उसके जाने की असल वजह पता नहीं चलती तब तक काहे का सेलब्रैशन भाई,” एकांश ने अपनी स्माइल छिपाते कहा
“ये भी ठीक है, वैसे मन मे तो लड्डू फुट रहे होंगे तेरे”
“अबे चल ना”
“तो अब आगे क्या करना है?”
“अब बस एक ही रास्ता है”
“अक्षिता ने इस बारे मे पुछ नहीं सकते वो साफ मुकर जाएगी फिर दूसरा क्या रास्ता है?” अमर ने पूछा
“अब इस बारे मे मॉम से ही बात करनी पड़ेगी, मेरी गट फीलिंग है के हो ना हो मा को इस बारे मे सब पता है और अब उनसे ही बात करनी पड़ेगी इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं है”
“तो क्या और कैसे पूछेगा फिर आंटी से?”
“कैसे मतलब, सीधा जाकर के वो अक्षिता को जानती है या नहीं”
“और वो मुकर गई तो?’
“तो तू तो साथ होगा ही और अगर मॉम मुकर जाती है तो इसका साफ मतलब है के अक्षिता ने जाने के लिए उनका ही हाथ है फिर बस उनसे जवाब मांगना बचता है” एकांश ने हल्के गुस्से मे कहा
“एकांश, सही से सोच ले और भी तरीके है पता करने के आंटी तुझे लेके काफी सेन्सिटिव है”
“भाई मुझे तो इसका अलावा और कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा और अगर इसमे मॉम का हाथ नहीं है तो और क्या रीज़न हो सकता है?? अक्षिता ने ऐसा क्यू कहा के वो मुझसे प्यार नहीं करती लेकिन अभी भी इस लॉकेट को सिने से लगाये है, क्यू वो मुझे दर्द मे नहीं देख पाई? देख मैं भी मॉम को हर्ट नहीं कर सकता लेकिन अब इट्स हाई टाइम के उनसे बात करनी पड़ेगी, हो ना हो वो इस मामले मे जरूर कुछ ऐसा जानती है जो अक्षिता के मुझे छोड़ जाने से जुड़ा हुआ है” एकांश ने कहा और आबकी बार अमर ने भी उसकी बात मे हामी भरी
“सही है, अब आंटी ही इस बारे मे खुलासा कर सकती है तू कल उनसे आराम से बात कर मैं भी रहूँगा वहा” अमर ने कहा
“थैंक्स मॅन”
ये लोग बात कर ही रहे थे के एकांश के केबिन के दरवाजे पर नॉक हुआ और दरवाजा खुला तो अक्षिता अंदर आई जो थोड़ी नर्वस थी और पिछले कुछ दिनों से तो काफी कमजोर दिख ही रही थी
अक्षिता ने एकांश को देखा जिसकी आँखों मे इस वक्त कई सारी भवनाए उमड़ रही थी जो अक्षिता को कन्फ्यूज़ भी कर रही थी और साथ ही डरा भी रही थी
“sir, can I take leave for rest of the day?” अक्षिता थोड़ा नर्वसली पूछा
“क्यू?”
“वो मेरी मॉम का कॉल आया था उनहोने अर्जन्टली घर बुलाया है और सर, मैंने मेराआज का काम खत्म कर दिया है” अक्षिता ने कहा और वो थोड़ा इस बात से भी नर्वस थी के शायद एकांश छुट्टी ना दे
“अक्षिता, रीलैक्स” अमर ने कहा
“ठीक है, यू कॅन गो” एकांश ने भी मुसकुराते हुए कहा
“थैंक यू” और अक्षिता वहा से चली गई
‘बस एक और दिन अक्षु, कल सब सच पता चल जाएगा और फिर कुछ गलत नहीं होगा’ जाती हुई अक्षिता को देख एकांश ने मन ही मन कहा
--
अगले दिन
आज अक्षिता समय से थोड़ा पहले ही ऑफिस पहुच गई थी और वो सीधा कैन्टीन मे पहुची जहा से उसे एकांश के लिए कॉफी लेनी थी और आज वो उस कैन्टीन के कूक से बोली
“उम्म... भैया आज कॉफी मैं बनाऊ?”
“हा हा बिल्कुल” जिसके बाद उस बंदे ने अक्षिता को कॉफी बनाने की जगह दी
अक्षिता ने मुसकुराते हुए कॉफी बनान शुरू किया और एकदम वैसी कॉफी बनाई जैसी एकांश ओ पसंद थी और कॉफी लेकर एकांश के केबिन की ओर बढ़ गई और कम इन सुनते ही उसके केबिन मे इंटर हुई
“सर आपकी कॉफी” अक्षिता ने मुसकुराते हुए कॉफी टेबल पर रखी
अक्षिता को अपने को देख स्माइल करते देख एकांश थोड़ा हैरान था, उसने जब से ऑफिस जॉइन किया था अक्षिता कभी उसे देख मुस्कुरई नहीं थी, एकांश ने कॉफी का कप उठाया और अपने हाथ मे मौजूद फाइल को देखते हुए कॉफी का एक घूट लिया
“वॉव!! ये रोज ऐसी कॉफी क्यू नहीं बनाता यार” एकांश ने कॉफी का घूट लेटे हुए खुद से ही कहा और एकांश से इन्डरेक्ट तारीफ सुन अक्षिता के चेहरे पर भी स्माइल आ गई
“सर, ये आपका आज का स्केजूल” अक्षिता ने उसे उसका स्केजूल पकड़ाया
“थैंक्स” एकांश ने अक्षिता को देखा और अक्षिता की हालत देख उसे कुछ ठीक नहीं लगा, अक्षिता की आंखे पूरी लाल हो गई यही, आँखों के नीचे गड्ढे साफ दिख रहे थे और रोज के मुकाबले आज वो कुछ ज्यादा थी कमजोर दिख रही थी
“क्या हुआ है?” अक्षिता को देख एकांश ने चिंतित होते हुए पूछा
“हूह?” अक्षिता एकांश के सवाल पे कन्फ्यूज़ थी
“तुम्हारी हालत ठीक नहीं लग रही है” एकांश ने अक्षिता के चेहरे को देख उसके सामने खड़ा होते हुए कहा
“क्या??”
“तुमको देख कर ऐसा लग रहा है जैसे बहुत रोई हो और कमजोर दिख रही हो” एकांश ने कहा
“ऐसा कुछ नहीं है सर मैं एकदम ठीक हु वो बस रात को सही से नींद नहीं हो पाई इसीलिए ऐसा लग रहा होगा” अक्षिता ने स्माइल के साथ कहा
“अगर ठीक नहीं लग रहा है तो तुम घर जाकर आराम कर सकती हो” एकांश ने कहा
“नहीं मैं एकदम ठीक हो” और इतना बोल के अक्षिता उसके केबिन से निकल गई
--
रोहन और स्वरा भी अक्षिता को नोटिस कर रहे थे और उसके लिए चिंतित थे, उन्होंने इस बारे मे अक्षिता से बात करने की भी कोशिश की लेकिन बदले मे अक्षिता ने एक थकी हुई मुस्कान देकर बात टाल दी, उन्होंने भी अक्षिता से वही कहा जो एकांश के कहा था के छुट्टी लेकर घर जाकर आराम करे लेकिन अक्षिता ने भी वही जवाब दिया के वो ठीक है,
अभी अक्षिता स्वरा के पास जा रही थी जो कॉफी मशीन के पास खड़ी थी..
“स्वरू” अक्षिता ने कहा
“अक्षु तू ठीक है ना” स्वरा ने अक्षिता को देख कहा
“हा मैं ठीक हु लेकिन तू वो छोड़ मुझे तुझसे कुछ पूछना है”
“हा तो पुछ न तुझे कब से पर्मिशन की जरूरत पड़ने लगी”
“तू रोहन हो पसंद करती है?” अक्षिता ने सीधा सवाल कर डाला
“क...क्या??” स्वरा एकदम आए इस सवाल से थोड़ा सकपका गई थी
“तू उसे पसंद करती है, हैना?” अक्षिता ने मुसकुराते हुए कहा और स्वरा नीचे देखने लगी
“अगर तू उसे सही मे पसंद करती है तो छिपा मत यार बता दे उसे इससे पहले के बहुत देर हो जाए” अक्षिता ने स्माइल के साथ कहा लेकिन उसकी मुस्कान मे कुछ मायूसी थी
“क्या?... अक्षु पागल है क्या पता वो मेरे बारे मे वैसा फ़ील ही ना करता हो?” स्वरा ने पूछा
“पागल मैं नहीं तू है जो ये बात समझ नहीं पाई” अक्षिता ने हसते हुए कहा
“हूह?”
“अरे वो भी तुझे पसंद करता है और तुम दोनों की आँखों मे एकदूसरे के लिए प्यार महसूस किया जा सकता है समझी” अक्षिता ने स्वरा के माथे पे टपली मारते हुए कहा
:ओह” अब स्वरा के गाल लाल होने लगे थे
“तो अब और देरी मत कर और उसे बता दे” अक्षिता ने कहा और जाने के लिए मुड़ी
“अक्षु! तू ये सब आज इतनी हड़बड़ी मे क्यू बता रही है? तू ठीक है ना?”
“मैं एकदम ठीक हु और कई दिनों से तुझसे इस बारे मे बात करना चाहती थी जो आज हो गई” इतना बोल अक्षिता ने स्वरा को गले लगा लिया
“बस एक बात याद रखना मैं तुम दोनों को साथ देखना चाहती हु” अक्षिता ने कहा और वहा से निकल गई
--
“रोहन”
रोहन कीसी से बात कर रहा था जब अक्षिता ने उसे पुकारा और अक्षिता जो अपनी ओर मुसकुराता देख रोहन को उस आदमी से बाद मे बात करने कहा और अक्षिता के पास आया
अक्षिता ने रोहन को कस के गले लगाया, उसके लिए अपने आँसुओ को रोकना मुश्किल हो रहा था, रोहन ने एक बड़े भाई की तरह हमेशा अक्षिता का साथ दिया था वो उसके लिए वो भाई बना था जिसके लिए अक्षिता बचपन से तरसी थी और आज अक्षिता अपने उस भाई के सामने रोना चाहती थी अपनी परेशानी बताना चाहती थी लेकिन वो वैसे कर नहीं सकती थी, अक्षिता की आँखों से गिरता आँसू रोहन कोकाफी परेशान कर देगा ये वो जानती थी
“अक्षु तू ठीक है?” रोहन ने अक्षिता की लाल आँखों को देख पूछा
“हा, I just wanted a hug from you” अक्षिता ने स्माइल के साथ कहा
“come here” जिसके बाद रोहन ने अक्षिता को गले लगाया और इस बार वो अपने आँसुओ को कंट्रोल नहीं कर पाई और उसकी आँखों से आँसू की एक बूंद टपकी
“अब और मत छिपाओ, स्वरा से अपने दिल की बात कह डालो” अक्षिता ने वैसे की गले लगे हुए रोहन से कहा
“तुम तो जानती हो मेरे लिए ये कितना मुश्किल है” रोहन ने कहा
“जानती हु लेकिन फिक्र मत करो वो भी तुम्हें उतना हु चाहती है जितना तुम, प्यार एक वरदान की तरह होता है रोहन जो हर कीसी को नसीब नहीं होता और मैं चाहती हु डू प्यार करने वाले हमेशा साथ रहे मैंने तुम दोनों की आँखों मे एकदूसरे के लिए प्यार देखा है” अक्षिता ने रोहन से अलग होते हुए सीरीअसली कहा
“अक्षिता क्या हुआ है? तुम आज ये सब बाते अचानक क्यू कर रही हो? सब ठीक है ना?” रोहन ने चिंतित होते हुए पूछा
“हा सब ठीक है मैं बस ये इसीलिए कह रही हु ताकि तुम्हें तुम्हारी भवनाए बयां करने मे देरी न हो जाए” अक्षिता ने कहा
“ठीक है, मैं बता दूंगा उसे” रोहन ने कहा और अक्षिता के चेहरे पर बड़ी सी स्माइल आ गई...
--
ऑफिस टाइम खत्म होने को था, अक्षिता ने अपने दोस्तों को ये कह कर रवाना कर दिया था के उसे थोड़ा काम करना है और उसे लेट होगा और वो ऑफिस मे रुक गई, जब तक अक्षिता ने अपना काम खत्म किया ऑफिस से लगभग सभी लोग जा चुके थे, उसने भी अपना बैग उठाया फाइलस् ड्रॉर मे सही से लॉक की और ऑफिस की बिल्डिंग से बाहर आई
अक्षिता के दिमाग मे इस वक्त कई खयाल घूम रहे थे वो सोचते हुए आगे बढ़ रही थी, अक्षिता का मन इस वक्त उदास था, एक मायूसी थी उसके अंदर और अपनी जिंदगी के बारे मे सोचते हुए वो आगे बढ़ी जा रही थी
अक्षिता को तो ये भी खयाल नहीं रह गया था के वो किस ओर जा रही है, एक बेबसी सी महसूस हो रही थी उसे, वो चिल्लाना चाहती थी अपना दर्द बाटना चाहती थी, वो बस रोड पर चली जा रही थी दिमाग मे बस एक सवाल लिए
क्यू??
जिसका जवाब था, बस ‘उसके’ लिए
अक्षिता ये सब बस ‘उसके’ लिए कर रही थी
‘उसकी’ खुशी के लिए
क्युकी यही ‘उसके’ लिए बेस्ट था
यही उन दोनों की किस्मत थी
‘मैं जानती हु के मेरे इस निर्णय से मैं उसे और तकलीफ देने वाली हु लेकिन बस यही एक तरीका है और मैं इसमे कुछ नहीं कर सकती’
अक्षिता ने वो कहा पहुची है ये देखने के लिए नजरे उठाई तो उसने पाया के उसे कदम उसे उसी पार्क के सामने ले आए थे जहा वो दोनों अक्सर मिला करते थे,
शाम ढाल चुकी थी और रात का अंधेरा फैलने लगा था, पार्क बंद हो चुका था और उसे देखते हुए वो सभी पुरानी यादे अक्षिता के दिमाग मे उमड़ने लगी थी
अक्षिता के पैरों मे जान नहीं बची थी वो घुटनों के बन बैठ अपनी किस्मत पर रोने लगी थी, एकांश का उसके लिए प्यार वो सभी पुरानी यादे उसके दिल मे टीस उठा रही थी, अक्षिता अपनी बेबसी पर रोए जा रही थी, ये सोच के रो रही थी के वो वापिस उसे हर्ट करने वाली थी,
उसने देखा के कोई उसके सामने खड़ा था, अक्षिता ने नजरे ऊपर करके उस इंसान को देखा तो वो नजरों मे चिंता के भाव लिए अक्षिता को देख रहा था
“बिटिया इस वक्त यहा क्या कर रही हो? और रो क्यू रही हो?” ये पार्क का वाचमॅन था जो अक्षिता को जानता था क्युकी वो अक्सर यहा आया करती थी, उसने सहारा देकर अक्षिता को उठाया
इस वक्त अक्षिता को वहा रोते हुए देख वो थोड़ा था, वो अक्षिता को जानता था और आज उसे ऐसे रोते देख उसे चिंता हो रही थी
“कुछ नहीं काका वो ठोकर लगी थी बस इसीलिए” अक्षिता ने अपने आँसू पोंछते हुए स्माइल के साथ कहा
“बिटिया... तुम ठीक हो ना?” उसने वापिस पूछा
“हा काका मैं ठीक हु, मुझे जाना है, थैंक यू” और इतना बोल अक्षिता वहा से निकल गई
अक्षिता अपने आँसू पोंछते हए आगे बढ़ गई, उसे घर जल्दी पहुचना था वरना उसके मा पापा को उसकी चिंता होगी ये वो जानती थी एर तभी एक कार ने उसका रास्ता रोका और अक्षिता भी रुक गई
और जब अक्षिता ने उस बंदे को देखा जिसकी कार थी वो थोड़ा चौकी, एक एकांश था..
“तुम यहा इस टाइम रोड पर ऐसे अकेले क्या कर रही हो?” एकांश ने हल्के गुस्से मे कार ने निकलकर उसके पास आते हुए पूछा
“उम्म... रास्ता चलने के लिए होता है ना?” अक्षिता ने कहा और झट से नीचे देखा जब उसे पाया के एकांश उसे घूर रहा था
“तुमको कोई आइडीया है ऐसे ऐड्हीर रास्ते पे अकेली चल रही थी कुछ हो जाता तो” एकांश उसे डांट रहा था और उसे अपनी फिक्र है देख अक्षिता मुस्कुरा रही थी
“मैंने कोई जोक सुनाया जो मुस्कुरा रही हो” एकांश ने कहा और अक्षिता ने ना मे गर्दन हिला दी लेकिन उसकी मुस्कान बरकरार थी, एकांश आगे कुछ नहीं बोला उसने अक्षिता को गौर से देखा तो उसे ये समझते देर नहीं लगी के वो रोई है
“तुम रो रही थी?” एकांश ने पूछा और अक्षिता ने वापिस ना मे गर्दन घुमा दी
अब एकांश कुछ नहीं बोला उसने अक्षिता का हाथ पकड़ा और उसे कार मे बिठाया और अक्षिता भी चुपचाप उसकी हर बात मानने लगी,
इस सब मे अक्षिता की नजरे एक पल को भी एकांश से नहीं हटी थी मानो जी भर कर उसे देखना चाहती हो
एकांश को भी ये थोड़ा अजीब लग रहा था, पूरे रास्ते अक्षिता मुसकुराते हुए एकांश को देखती थी
“तुम सच मे ठीक हो ना?” एकांश ने अक्षिता से पूछा जो उसे ही स्माइल के साथ देख रही थी
एकांश अक्षिता के घर का पता जानता था इसीलिए उसने गाड़ी उस ओर घुमा दी और कुछ ही समय मे वो अक्षिता के घर पहुच चुके थे,
वो दोनों कार से बाहर आए
“थैंक यू” अक्षिता ने कहा और अंदर जाने के लिए मुड़ी
वही एकांश वही खड़ा रहा ये देखने के लिए के अक्षिता सही से घर मे चली जाते, आज के अक्षिता के बर्ताव से वो ये तो कन्फर्म था के कुछ तो गड़बड़ है, अक्षिता ठीक नहीं है और तभी जाते जाते अक्षिता रुकी और वापिस एकांश के पास आई और एकांश को देखने लगी
और अचानक अक्षिता ने एकांश को गले लगा लिया, एकदम कर के, और अपनी आंखे बंद कर ली, वो एकांश के गले लग कर इस सिचूऐशन ने लड़ने की, अपनी निर्णय से लड़ने की हिम्मत जमा करने लगी
वही एकांश भी अक्षिता के एकदम से उसके गले लगने से पहले थोड़ा चौका और फिर उसने भी अक्षिता को गले लगा लिया, जहा एकांश से अक्षिता को हिम्मत मिल रही थी वैसा ही कुछ हाल एकांश का भी था, ये आलिंगन उसे भी एक नई एनर्जी दे रहा था, एक आत्मविश्वास दे रहा था सब कुछ ठीक करने का जिसकी उसे इस वक्त जरूरत थी, जो उसे अपनी मा से इस बारे मे बात करने के लिए सच जानने के लिए चाहिए था
कुछ पल वैसे ही बीते और अक्षिता ने अपने आप को एकांश से अलग किया और बगैर कुछ बोले अपने घर की ओर चली गई और एकांश वही कुछ देर खड़ा रहा और फिर वो भी अपनी कार लेकर वहा से चला गया
एकांश के जाते ही अक्षिता बाहर आकार उसकी कार को उसको अपने से दूर जाते हुए देखने लगी, उसकी आँखों मे आँसू थे और होंठों पर मुस्कान और कुछ लफ़्ज़
“आइ लव यू, अंश......”
क्रमश:
Nice update.....Update 17
“अमर” एकांश ने अमर की ओर देखा जो थोड़ा नर्वस था
“साफ सायद बताएगा लॉकेट है य नहीं है” एकांश ने पूछा अब उससे रहा नहीं जा रहा था और अमर चुप था
“है, लॉकेट है भाई उसने आज भी वो लॉकेट अपने आप से अलग नहीं किया है” अमर ने आराम से कहा
“क्या! तो फिर तू ऐसे मुह सड़ा के क्यू बैठा है मुझे लगा के नहीं है” एकांश ने कहा लेकिन अमर अब भी गर्दन झुकाए था
“अमर क्या हुआ अचानक”
“कुछ नहीं बस अब जब लॉकेट देख लिया है और समझ आ गया के अक्षिता ने तुझे धोका नहीं दिया था तो अब वो टाइम याद आ गया जब मैंने तुझे धोका देने के लिए उसे नजाने कितनी गाली दे डाली थी, तू हम सबसे दूर हो गया था उस टाइम, घरवालों से दोस्तों से, ना तो कीसी से मिलता था ना बात करता था, बस दोस्त खोने का गुस्सा उसके लिए गालियों के रूप मे निकला था और अब समझ आया के साला शायद उसकी गलती ही नहीं थी” अमर ने कहा, एकांश कुछ बोलने ही वाला था के अमर आगे बोला
“मैं समझता हु के उस टाइम तेरा अकेला रहना ही सही था लेकिन भाई है तू मेरा और उस टाइम तेरी जो हालत थी उसके लिए अक्षिता को ही जिम्मेदार माना था हम सबने लेकिन साला आज सब धुआ हटा है के वो तो फीलिंगस तो आज भी वैसी ही है और शायद उसका तुझसे दूर होने के पीछे तगड़ा रीज़न भी है” अमर ने एकांश को देखते हुए कहा
“मैं समझ सकता हु, और मुझे पता है मैं तुम सब से उस टाइम टूट सा गया था और इतनी समझ ही नहीं थी के मैं अपने साथ साथ अपनों को भी तकलीफ दे रहा हु, तो भाई सॉरी यार” एकांश ने कहा और अमर ने उसे कस के गले लगा लिया
“तो एकांश रघुवंशी जी अब जब हम कन्फर्म है के फीलिंगस अब भी वैसे ही बरकरार है तो सेलब्रैशन तो बनता है इसका” अमर ने एकांश को देख बत्तीसी दिखाते हुए कहा
“नोप, जब तक उसके जाने की असल वजह पता नहीं चलती तब तक काहे का सेलब्रैशन भाई,” एकांश ने अपनी स्माइल छिपाते कहा
“ये भी ठीक है, वैसे मन मे तो लड्डू फुट रहे होंगे तेरे”
“अबे चल ना”
“तो अब आगे क्या करना है?”
“अब बस एक ही रास्ता है”
“अक्षिता ने इस बारे मे पुछ नहीं सकते वो साफ मुकर जाएगी फिर दूसरा क्या रास्ता है?” अमर ने पूछा
“अब इस बारे मे मॉम से ही बात करनी पड़ेगी, मेरी गट फीलिंग है के हो ना हो मा को इस बारे मे सब पता है और अब उनसे ही बात करनी पड़ेगी इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं है”
“तो क्या और कैसे पूछेगा फिर आंटी से?”
“कैसे मतलब, सीधा जाकर के वो अक्षिता को जानती है या नहीं”
“और वो मुकर गई तो?’
“तो तू तो साथ होगा ही और अगर मॉम मुकर जाती है तो इसका साफ मतलब है के अक्षिता ने जाने के लिए उनका ही हाथ है फिर बस उनसे जवाब मांगना बचता है” एकांश ने हल्के गुस्से मे कहा
“एकांश, सही से सोच ले और भी तरीके है पता करने के आंटी तुझे लेके काफी सेन्सिटिव है”
“भाई मुझे तो इसका अलावा और कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा और अगर इसमे मॉम का हाथ नहीं है तो और क्या रीज़न हो सकता है?? अक्षिता ने ऐसा क्यू कहा के वो मुझसे प्यार नहीं करती लेकिन अभी भी इस लॉकेट को सिने से लगाये है, क्यू वो मुझे दर्द मे नहीं देख पाई? देख मैं भी मॉम को हर्ट नहीं कर सकता लेकिन अब इट्स हाई टाइम के उनसे बात करनी पड़ेगी, हो ना हो वो इस मामले मे जरूर कुछ ऐसा जानती है जो अक्षिता के मुझे छोड़ जाने से जुड़ा हुआ है” एकांश ने कहा और आबकी बार अमर ने भी उसकी बात मे हामी भरी
“सही है, अब आंटी ही इस बारे मे खुलासा कर सकती है तू कल उनसे आराम से बात कर मैं भी रहूँगा वहा” अमर ने कहा
“थैंक्स मॅन”
ये लोग बात कर ही रहे थे के एकांश के केबिन के दरवाजे पर नॉक हुआ और दरवाजा खुला तो अक्षिता अंदर आई जो थोड़ी नर्वस थी और पिछले कुछ दिनों से तो काफी कमजोर दिख ही रही थी
अक्षिता ने एकांश को देखा जिसकी आँखों मे इस वक्त कई सारी भवनाए उमड़ रही थी जो अक्षिता को कन्फ्यूज़ भी कर रही थी और साथ ही डरा भी रही थी
“sir, can I take leave for rest of the day?” अक्षिता थोड़ा नर्वसली पूछा
“क्यू?”
“वो मेरी मॉम का कॉल आया था उनहोने अर्जन्टली घर बुलाया है और सर, मैंने मेराआज का काम खत्म कर दिया है” अक्षिता ने कहा और वो थोड़ा इस बात से भी नर्वस थी के शायद एकांश छुट्टी ना दे
“अक्षिता, रीलैक्स” अमर ने कहा
“ठीक है, यू कॅन गो” एकांश ने भी मुसकुराते हुए कहा
“थैंक यू” और अक्षिता वहा से चली गई
‘बस एक और दिन अक्षु, कल सब सच पता चल जाएगा और फिर कुछ गलत नहीं होगा’ जाती हुई अक्षिता को देख एकांश ने मन ही मन कहा
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अगले दिन
आज अक्षिता समय से थोड़ा पहले ही ऑफिस पहुच गई थी और वो सीधा कैन्टीन मे पहुची जहा से उसे एकांश के लिए कॉफी लेनी थी और आज वो उस कैन्टीन के कूक से बोली
“उम्म... भैया आज कॉफी मैं बनाऊ?”
“हा हा बिल्कुल” जिसके बाद उस बंदे ने अक्षिता को कॉफी बनाने की जगह दी
अक्षिता ने मुसकुराते हुए कॉफी बनान शुरू किया और एकदम वैसी कॉफी बनाई जैसी एकांश ओ पसंद थी और कॉफी लेकर एकांश के केबिन की ओर बढ़ गई और कम इन सुनते ही उसके केबिन मे इंटर हुई
“सर आपकी कॉफी” अक्षिता ने मुसकुराते हुए कॉफी टेबल पर रखी
अक्षिता को अपने को देख स्माइल करते देख एकांश थोड़ा हैरान था, उसने जब से ऑफिस जॉइन किया था अक्षिता कभी उसे देख मुस्कुरई नहीं थी, एकांश ने कॉफी का कप उठाया और अपने हाथ मे मौजूद फाइल को देखते हुए कॉफी का एक घूट लिया
“वॉव!! ये रोज ऐसी कॉफी क्यू नहीं बनाता यार” एकांश ने कॉफी का घूट लेटे हुए खुद से ही कहा और एकांश से इन्डरेक्ट तारीफ सुन अक्षिता के चेहरे पर भी स्माइल आ गई
“सर, ये आपका आज का स्केजूल” अक्षिता ने उसे उसका स्केजूल पकड़ाया
“थैंक्स” एकांश ने अक्षिता को देखा और अक्षिता की हालत देख उसे कुछ ठीक नहीं लगा, अक्षिता की आंखे पूरी लाल हो गई यही, आँखों के नीचे गड्ढे साफ दिख रहे थे और रोज के मुकाबले आज वो कुछ ज्यादा थी कमजोर दिख रही थी
“क्या हुआ है?” अक्षिता को देख एकांश ने चिंतित होते हुए पूछा
“हूह?” अक्षिता एकांश के सवाल पे कन्फ्यूज़ थी
“तुम्हारी हालत ठीक नहीं लग रही है” एकांश ने अक्षिता के चेहरे को देख उसके सामने खड़ा होते हुए कहा
“क्या??”
“तुमको देख कर ऐसा लग रहा है जैसे बहुत रोई हो और कमजोर दिख रही हो” एकांश ने कहा
“ऐसा कुछ नहीं है सर मैं एकदम ठीक हु वो बस रात को सही से नींद नहीं हो पाई इसीलिए ऐसा लग रहा होगा” अक्षिता ने स्माइल के साथ कहा
“अगर ठीक नहीं लग रहा है तो तुम घर जाकर आराम कर सकती हो” एकांश ने कहा
“नहीं मैं एकदम ठीक हो” और इतना बोल के अक्षिता उसके केबिन से निकल गई
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रोहन और स्वरा भी अक्षिता को नोटिस कर रहे थे और उसके लिए चिंतित थे, उन्होंने इस बारे मे अक्षिता से बात करने की भी कोशिश की लेकिन बदले मे अक्षिता ने एक थकी हुई मुस्कान देकर बात टाल दी, उन्होंने भी अक्षिता से वही कहा जो एकांश के कहा था के छुट्टी लेकर घर जाकर आराम करे लेकिन अक्षिता ने भी वही जवाब दिया के वो ठीक है,
अभी अक्षिता स्वरा के पास जा रही थी जो कॉफी मशीन के पास खड़ी थी..
“स्वरू” अक्षिता ने कहा
“अक्षु तू ठीक है ना” स्वरा ने अक्षिता को देख कहा
“हा मैं ठीक हु लेकिन तू वो छोड़ मुझे तुझसे कुछ पूछना है”
“हा तो पुछ न तुझे कब से पर्मिशन की जरूरत पड़ने लगी”
“तू रोहन हो पसंद करती है?” अक्षिता ने सीधा सवाल कर डाला
“क...क्या??” स्वरा एकदम आए इस सवाल से थोड़ा सकपका गई थी
“तू उसे पसंद करती है, हैना?” अक्षिता ने मुसकुराते हुए कहा और स्वरा नीचे देखने लगी
“अगर तू उसे सही मे पसंद करती है तो छिपा मत यार बता दे उसे इससे पहले के बहुत देर हो जाए” अक्षिता ने स्माइल के साथ कहा लेकिन उसकी मुस्कान मे कुछ मायूसी थी
“क्या?... अक्षु पागल है क्या पता वो मेरे बारे मे वैसा फ़ील ही ना करता हो?” स्वरा ने पूछा
“पागल मैं नहीं तू है जो ये बात समझ नहीं पाई” अक्षिता ने हसते हुए कहा
“हूह?”
“अरे वो भी तुझे पसंद करता है और तुम दोनों की आँखों मे एकदूसरे के लिए प्यार महसूस किया जा सकता है समझी” अक्षिता ने स्वरा के माथे पे टपली मारते हुए कहा
:ओह” अब स्वरा के गाल लाल होने लगे थे
“तो अब और देरी मत कर और उसे बता दे” अक्षिता ने कहा और जाने के लिए मुड़ी
“अक्षु! तू ये सब आज इतनी हड़बड़ी मे क्यू बता रही है? तू ठीक है ना?”
“मैं एकदम ठीक हु और कई दिनों से तुझसे इस बारे मे बात करना चाहती थी जो आज हो गई” इतना बोल अक्षिता ने स्वरा को गले लगा लिया
“बस एक बात याद रखना मैं तुम दोनों को साथ देखना चाहती हु” अक्षिता ने कहा और वहा से निकल गई
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“रोहन”
रोहन कीसी से बात कर रहा था जब अक्षिता ने उसे पुकारा और अक्षिता जो अपनी ओर मुसकुराता देख रोहन को उस आदमी से बाद मे बात करने कहा और अक्षिता के पास आया
अक्षिता ने रोहन को कस के गले लगाया, उसके लिए अपने आँसुओ को रोकना मुश्किल हो रहा था, रोहन ने एक बड़े भाई की तरह हमेशा अक्षिता का साथ दिया था वो उसके लिए वो भाई बना था जिसके लिए अक्षिता बचपन से तरसी थी और आज अक्षिता अपने उस भाई के सामने रोना चाहती थी अपनी परेशानी बताना चाहती थी लेकिन वो वैसे कर नहीं सकती थी, अक्षिता की आँखों से गिरता आँसू रोहन कोकाफी परेशान कर देगा ये वो जानती थी
“अक्षु तू ठीक है?” रोहन ने अक्षिता की लाल आँखों को देख पूछा
“हा, I just wanted a hug from you” अक्षिता ने स्माइल के साथ कहा
“come here” जिसके बाद रोहन ने अक्षिता को गले लगाया और इस बार वो अपने आँसुओ को कंट्रोल नहीं कर पाई और उसकी आँखों से आँसू की एक बूंद टपकी
“अब और मत छिपाओ, स्वरा से अपने दिल की बात कह डालो” अक्षिता ने वैसे की गले लगे हुए रोहन से कहा
“तुम तो जानती हो मेरे लिए ये कितना मुश्किल है” रोहन ने कहा
“जानती हु लेकिन फिक्र मत करो वो भी तुम्हें उतना हु चाहती है जितना तुम, प्यार एक वरदान की तरह होता है रोहन जो हर कीसी को नसीब नहीं होता और मैं चाहती हु डू प्यार करने वाले हमेशा साथ रहे मैंने तुम दोनों की आँखों मे एकदूसरे के लिए प्यार देखा है” अक्षिता ने रोहन से अलग होते हुए सीरीअसली कहा
“अक्षिता क्या हुआ है? तुम आज ये सब बाते अचानक क्यू कर रही हो? सब ठीक है ना?” रोहन ने चिंतित होते हुए पूछा
“हा सब ठीक है मैं बस ये इसीलिए कह रही हु ताकि तुम्हें तुम्हारी भवनाए बयां करने मे देरी न हो जाए” अक्षिता ने कहा
“ठीक है, मैं बता दूंगा उसे” रोहन ने कहा और अक्षिता के चेहरे पर बड़ी सी स्माइल आ गई...
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ऑफिस टाइम खत्म होने को था, अक्षिता ने अपने दोस्तों को ये कह कर रवाना कर दिया था के उसे थोड़ा काम करना है और उसे लेट होगा और वो ऑफिस मे रुक गई, जब तक अक्षिता ने अपना काम खत्म किया ऑफिस से लगभग सभी लोग जा चुके थे, उसने भी अपना बैग उठाया फाइलस् ड्रॉर मे सही से लॉक की और ऑफिस की बिल्डिंग से बाहर आई
अक्षिता के दिमाग मे इस वक्त कई खयाल घूम रहे थे वो सोचते हुए आगे बढ़ रही थी, अक्षिता का मन इस वक्त उदास था, एक मायूसी थी उसके अंदर और अपनी जिंदगी के बारे मे सोचते हुए वो आगे बढ़ी जा रही थी
अक्षिता को तो ये भी खयाल नहीं रह गया था के वो किस ओर जा रही है, एक बेबसी सी महसूस हो रही थी उसे, वो चिल्लाना चाहती थी अपना दर्द बाटना चाहती थी, वो बस रोड पर चली जा रही थी दिमाग मे बस एक सवाल लिए
क्यू??
जिसका जवाब था, बस ‘उसके’ लिए
अक्षिता ये सब बस ‘उसके’ लिए कर रही थी
‘उसकी’ खुशी के लिए
क्युकी यही ‘उसके’ लिए बेस्ट था
यही उन दोनों की किस्मत थी
‘मैं जानती हु के मेरे इस निर्णय से मैं उसे और तकलीफ देने वाली हु लेकिन बस यही एक तरीका है और मैं इसमे कुछ नहीं कर सकती’
अक्षिता ने वो कहा पहुची है ये देखने के लिए नजरे उठाई तो उसने पाया के उसे कदम उसे उसी पार्क के सामने ले आए थे जहा वो दोनों अक्सर मिला करते थे,
शाम ढाल चुकी थी और रात का अंधेरा फैलने लगा था, पार्क बंद हो चुका था और उसे देखते हुए वो सभी पुरानी यादे अक्षिता के दिमाग मे उमड़ने लगी थी
अक्षिता के पैरों मे जान नहीं बची थी वो घुटनों के बन बैठ अपनी किस्मत पर रोने लगी थी, एकांश का उसके लिए प्यार वो सभी पुरानी यादे उसके दिल मे टीस उठा रही थी, अक्षिता अपनी बेबसी पर रोए जा रही थी, ये सोच के रो रही थी के वो वापिस उसे हर्ट करने वाली थी,
उसने देखा के कोई उसके सामने खड़ा था, अक्षिता ने नजरे ऊपर करके उस इंसान को देखा तो वो नजरों मे चिंता के भाव लिए अक्षिता को देख रहा था
“बिटिया इस वक्त यहा क्या कर रही हो? और रो क्यू रही हो?” ये पार्क का वाचमॅन था जो अक्षिता को जानता था क्युकी वो अक्सर यहा आया करती थी, उसने सहारा देकर अक्षिता को उठाया
इस वक्त अक्षिता को वहा रोते हुए देख वो थोड़ा था, वो अक्षिता को जानता था और आज उसे ऐसे रोते देख उसे चिंता हो रही थी
“कुछ नहीं काका वो ठोकर लगी थी बस इसीलिए” अक्षिता ने अपने आँसू पोंछते हुए स्माइल के साथ कहा
“बिटिया... तुम ठीक हो ना?” उसने वापिस पूछा
“हा काका मैं ठीक हु, मुझे जाना है, थैंक यू” और इतना बोल अक्षिता वहा से निकल गई
अक्षिता अपने आँसू पोंछते हए आगे बढ़ गई, उसे घर जल्दी पहुचना था वरना उसके मा पापा को उसकी चिंता होगी ये वो जानती थी एर तभी एक कार ने उसका रास्ता रोका और अक्षिता भी रुक गई
और जब अक्षिता ने उस बंदे को देखा जिसकी कार थी वो थोड़ा चौकी, एक एकांश था..
“तुम यहा इस टाइम रोड पर ऐसे अकेले क्या कर रही हो?” एकांश ने हल्के गुस्से मे कार ने निकलकर उसके पास आते हुए पूछा
“उम्म... रास्ता चलने के लिए होता है ना?” अक्षिता ने कहा और झट से नीचे देखा जब उसे पाया के एकांश उसे घूर रहा था
“तुमको कोई आइडीया है ऐसे ऐड्हीर रास्ते पे अकेली चल रही थी कुछ हो जाता तो” एकांश उसे डांट रहा था और उसे अपनी फिक्र है देख अक्षिता मुस्कुरा रही थी
“मैंने कोई जोक सुनाया जो मुस्कुरा रही हो” एकांश ने कहा और अक्षिता ने ना मे गर्दन हिला दी लेकिन उसकी मुस्कान बरकरार थी, एकांश आगे कुछ नहीं बोला उसने अक्षिता को गौर से देखा तो उसे ये समझते देर नहीं लगी के वो रोई है
“तुम रो रही थी?” एकांश ने पूछा और अक्षिता ने वापिस ना मे गर्दन घुमा दी
अब एकांश कुछ नहीं बोला उसने अक्षिता का हाथ पकड़ा और उसे कार मे बिठाया और अक्षिता भी चुपचाप उसकी हर बात मानने लगी,
इस सब मे अक्षिता की नजरे एक पल को भी एकांश से नहीं हटी थी मानो जी भर कर उसे देखना चाहती हो
एकांश को भी ये थोड़ा अजीब लग रहा था, पूरे रास्ते अक्षिता मुसकुराते हुए एकांश को देखती थी
“तुम सच मे ठीक हो ना?” एकांश ने अक्षिता से पूछा जो उसे ही स्माइल के साथ देख रही थी
एकांश अक्षिता के घर का पता जानता था इसीलिए उसने गाड़ी उस ओर घुमा दी और कुछ ही समय मे वो अक्षिता के घर पहुच चुके थे,
वो दोनों कार से बाहर आए
“थैंक यू” अक्षिता ने कहा और अंदर जाने के लिए मुड़ी
वही एकांश वही खड़ा रहा ये देखने के लिए के अक्षिता सही से घर मे चली जाते, आज के अक्षिता के बर्ताव से वो ये तो कन्फर्म था के कुछ तो गड़बड़ है, अक्षिता ठीक नहीं है और तभी जाते जाते अक्षिता रुकी और वापिस एकांश के पास आई और एकांश को देखने लगी
और अचानक अक्षिता ने एकांश को गले लगा लिया, एकदम कर के, और अपनी आंखे बंद कर ली, वो एकांश के गले लग कर इस सिचूऐशन ने लड़ने की, अपनी निर्णय से लड़ने की हिम्मत जमा करने लगी
वही एकांश भी अक्षिता के एकदम से उसके गले लगने से पहले थोड़ा चौका और फिर उसने भी अक्षिता को गले लगा लिया, जहा एकांश से अक्षिता को हिम्मत मिल रही थी वैसा ही कुछ हाल एकांश का भी था, ये आलिंगन उसे भी एक नई एनर्जी दे रहा था, एक आत्मविश्वास दे रहा था सब कुछ ठीक करने का जिसकी उसे इस वक्त जरूरत थी, जो उसे अपनी मा से इस बारे मे बात करने के लिए सच जानने के लिए चाहिए था
कुछ पल वैसे ही बीते और अक्षिता ने अपने आप को एकांश से अलग किया और बगैर कुछ बोले अपने घर की ओर चली गई और एकांश वही कुछ देर खड़ा रहा और फिर वो भी अपनी कार लेकर वहा से चला गया
एकांश के जाते ही अक्षिता बाहर आकार उसकी कार को उसको अपने से दूर जाते हुए देखने लगी, उसकी आँखों मे आँसू थे और होंठों पर मुस्कान और कुछ लफ़्ज़
“आइ लव यू, अंश......”
क्रमश:
bas do teen updateबेहतरीन अपडेट,
सभी की भावनाएं बहुत ही अच्छे से बताया।
अब अगले अपडेट में कृपा करके राज खोल देना ज्यादा मत खींचना।