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“मिस पांडे आप लेट है’ एकांश ने बगैर अक्षिता की ओर देखते हुए कहा
अक्षिता ने अपनी घड़ी मे देखा तो उसमे 9.34 हो रहे थे फिर उसने कन्फ्यूज़ लुक के साथ एकांश को देखा
“मैंने कहा था के आप इक्सेक्ट्लि 9.30 को मेरे केबिन मे होनी चाहिए और अब 9.34 हो रहे है” एकांश ने सपाट टोन मे कहा
“ओह, सॉरी सर” अक्षिता ने कहा
“मुझे सॉरी सुनना पसंद नहीं है तो बेहतर होगा के आप कोई गलती ही न करे”
“ओके सर” अक्षिता ने हा मे गर्दन हिला दी
“अब चूंकि आप मेरी पीए है कुछ बाते है जो आपको फॉलो करनी होंगी, कुछ रुल्स है” एकांश ने कहा और रुक कर अक्षिता को देखा तो उसने हा मे गर्दन हिलाई फिर एकांश आगे बोला
“रोज आप इक्सेक्ट्लि 9.30 पे यहा प्रेजेंट होनी चाहिए और आपके हाथ मे मेरी ब्लैक कॉफी होनी चाहिए” एकांश बोलते हुए फिर रुक और अक्षिता का रिएक्शन देखने लगा
“कॉफी?” अक्षिता ने पूछा
“यस”
“लेकिन वो मेरा काम नहीं है” अक्षिता ने सपाट आवाज मे जवाब दिया
“ये मेरे पीए का काम है जो की आजसे तुम हो” एकांश ने भी उसी टोन मे कहा
“लेकिन..”
“देखो मुझे तुम्हें कुछ इक्स्प्लैन करने की जरूरत नहीं है... मैं बॉस हु तुम एम्प्लोयी हो और तुम्हारा काम है मेरे ऑर्डर्स मानना, तो अब इसपे और कोई बात नहीं होगी” एकांश ने बात खतम करते हुए कहा और अक्षिता बस शांति से खड़ी रही
”इस दिस क्लीयर टु यू मिस पांडे?”
“यस सर”
“ओके तो जाओ और मेरी कॉफी लेकर आओ” एकांश ने ऑर्डर छोडा और वापिस काम मे लग गया
अक्षिता भी झटके के साथ उसके केबिन से निकली और कैफै की ओर गई जहा एकांश की कॉफी तयार रखी हुई थी, उसने वहा से कॉफी ली और वापिस केबिन मे आई
“सर आपकी कॉफी”
अक्षिता ने उसके टेबल पर कॉफी रखते हुए कहा और इस सब मे एकांश ने एक नजर भी अक्षिता को नहीं देखा था
“मुझे शर्मा और धर्माधिकारी की फाइलस् चाहिए” एकांश ने कॉफी का घूंट लेते हुए ऑर्डर छोड़ा
“ओके सर” जिसके बाद अक्षिता ने वहा रैक मे से फाइलस् ढूँढी और उसकी टेबल पर रखी
“नाउ गो एण्ड चेक के मेरे केबिन मे रेनवैशन का काम कहा तक पहुचा है” एकांश ने अगला ऑर्डर छोड़ा और अक्षिता जल्दी से बाहर या गई ये सोच के इसी बहाने वो उससे दूर रहेगी,
--
“हाइ अक्षु” लंच के दौरान रोहन ने कैन्टीन मे अक्षिता के सामने मे बैठते हुए कहा
“क्या हुआ तुम्हारा चेहरा क्यू उतरा हुआ है?” स्वरा ने अक्षिता के बगल मे बैठते हुए पूछा
“कुछ नहीं बस थक गई हु” अक्षिता ने कहा
“आज पहला ही दिन है धीरे धीरे आदत हो जाएगी” रोहन ने समझाया
“हा और नहीं तो क्या”
“तो क्या ऑर्डर कर रहे है हम?” रोहन ने दोनों लड़कियों को देख के पूछा और खाने के नाम से दोनों के चेहरे खिल उठे
“बिरयानी” “बर्गर” स्वरा और अक्षिता दोनों एकसाथ बोल पड़ी और एकदूसरे को देखा
“मुझे बिरयानी खानी है” अक्षिता ने स्वरा को देखते हुए कहा
“और मुझे बर्गर चाहिए” स्वरा ने भी वापिस अक्षिता को घूर के देखा
“तुम रोज वही तो खाती को यार स्वरा”
“अक्षु मैं सिर्फ कभी कभी बर्गर ऑर्डर करती हु”
“और वो कभी कभी रोज होता है”
“नहीं”
“हा”
“नहीं”
“हा”
“नहीं”
“हा”
“नहीं बोला न”
“अरे चुप हो जाओ यार” रोहन को आखिर चिल्ला कर उन दोनों को चुप करवाना पड़ा
“तुम लोग के ये बेफिजूल के झगड़े के चक्कर मे लंच ब्रेक खतम हो जाएगा, आज मैं ऑर्डर करूंगा” रोहन ने दोनों को चुप कराते हुए कहा और अब वो दोनों उसे आँखों मे मासूमियत लिए देख रही थी
“ऐसे मत देखो, मैं तुम्हारी भोली शक्लों पे नहीं जाने वाला, मैं सेंडविच बुला रहा हु जो ऑइल फ्री है फैट फ्री और सेहत के लिए ठीक है”
अब जाहीर है बिरयानी और बर्गर के लिए लड़ने वाली लड़कियों को रोहन का सेंडविच पसंद नहीं आने वाला था
“पागल कही का” अक्षिता और स्वरा पुटपुटाई
“सुनाई दिया मुझे”
“उसी लिए बोला था” वापिस दोनों साथ मे बोल पड़ी
जिसके बाद इनकी बचकानी हरकतों को नजरंदाज करते हुए रोहन ऑर्डर लाने चला गया और उसे परेशान करके ये दोनों इधर हसने लगी थी,
--
लंच निपटा कर सभी वापिस अपने अपने काम मे लग चुके थे और अक्षिता एकांश के केबिन के बाहर खड़ी थी
“कम इन” नॉक करने के बाद एकांश की सर्द सपाट आवाज अक्षिता को सुनाई दी और वो सोचने लगी ये ये इतना सडू कैसे बन गया, जिस एकांश को वो कभी जानती थी वो ऐसा नहीं था और उन्ही बातों के बारे मे सोचते हुए अक्षिता पुरानी यादों मे खोने लगी थी और नजाने कब तक वो दरवाजे के सामने पुरानी यादों मे खोई चेहरे पर मुस्कान लिए खड़ी थी और जब उसकी तंद्री टूटी और उसके ध्यान मे आया ये वो वहा खड़ी खड़ी सपने देख रही थी वो अंदर जाने के लिए आगे बढ़ी और जैसे ही उसकी नजरे सामने दरवाजे पर गई वो थोड़ा चौकी
क्युकी दरवाजे पर उसका बॉस खड़ा था और वो उसे कुछ यू देख रहा था मानो वो कोई मेंटल हो और अभी पागल खाने से भाग कर आई हो
अक्षिता के दरवाजा खटखटाने के बाद एकांश ने उसे 3 बार अंदर आने कहा था और जब सामने से कोई रीस्पान्स नहीं आया तो उसने खुद ही उठ कर दरवाजा खोला और वहा अक्षिता को खुद मे ही खोया हुआ पाया
एकांश अक्षिता के चेहरे पर आ रहे अलग अलग भाव देख सकता था.. कभी ऐसा लगता वो कुछ सोच रही है कभी कुछ कन्फ्यूज़ दिखती तो कभी खुद से हस रही थी और जब उसकी तंद्री भंग हुई तब उसका वो चौकने वाला रिएक्शन हर एक चीज को एकांश ने बारकाई से देखा था
वैसे तो उसे इस वक्त अक्षिता पर गुस्सा होना चाहिए था लेकिन वो भी अपने आप को उसके खूबसूरत चेहरे मे खोने से नहीं रोक पाया था और अब दोनों ही वापिस नॉर्मल स्टेट मे आ चुके थे
“आर यू मेंटल?” एकांश ने चिढ़ कर कहा
“नहीं तो” अक्षिता ने सौम्यता से जवाब दिया
“तो फिर दरवाजा खटखटाने के बाद यह बाहर खड़ी होकर क्या कर रही थी? मैंने कितनी बार आवाज दी अंदर से लेकिन तुम तो अपनी ही दुनिया मे खोई हुई थी कुछ खयाल है तुम कहा हो क्या कर रही हो?” एकांश ने भड़कते हुए कहा
एकांश अक्षिता को डांट रहा था और वो गर्दन झुकाए चुप चाप सब सुन रही थी, उसे पता भी नहीं चला था कब वो अपने की खयालों मे खो गई थी
“अब अंदर आकार कुछ काम करोगी या ऐसे ही कीसी पुतले की तरह खड़ा रहना है?” एकांश वापिस चिल्लाया और अंदर जाकर अपनी जगह पर बैठ गया
एकांश ने अक्षिता को एक लेटर लिखने कहा जो वो बताने वाला था और अक्षिता भी लिखने के लिए रेडी हो गई और कुछ टाइम तक सही से लिखा भी लेकिन फिर एकांश ने अपने बोलने की स्पीड बढ़ा दी जिसमे अक्षिता पीछे छूट गई
“हो गया?” एकांश ने पूछा
“वो.. स.. सर आप प्लीज एक बार रीपीट करेंगे?” अक्षिता ने डरते हुए पूछा
“क्यू? तुमने लिखा नहीं?”
“वो आप बीच मे बहुत फास्ट बोल रहे थे इसीलिए...“
“अच्छा तो अब ये मेरी गलती है?” एकांश ने गुस्से मे पूछा
“नहीं सर मेरी गलती है मेरा ध्यान भटक गया था ये मेरा पहला ही दिन है इस काम का” अक्षिता ने एकांश की आँखों मे देखते हुए कहा
“यू आर गुड फॉर नथिंग” एकांश ने रुडली कहा
“इसीलिए मैंने कहा था के मैं इस काम के लिए सही नहीं हु” अब अक्षिता ने भी अपना आवाज बढ़ाते हुए कहा
एकांश ने उसे घूर के देखा और अक्षिता ने झट से अपनी नजरे झुका ली और एकांश वापिस उसे बताने लगा और अक्षिता ने भी इस बार सब सही से लिखा और धीमे से थैंक यू कहा और वहा से जाने लगी
“कान्सन्ट्रैट ऑन योर वर्क” एकांश ने अपनी हमेशा वाली सपाट आवाज मे अक्षिता से कहा और अक्षिता वहा से निकल गई..
--
“अक्षु तू पागल है क्या?”
घर जाते हुए जब अक्षिता ने रोहन और स्वरा को अपने आज के पराक्रम के बारे मे बताया तब उन दोनों के मुह से एकसाथ निकला वही अक्षिता को भी लग रहा था के उसे ऐसे ट्रैन्स मे नहीं जाना चाहिए था लेकिन ये खयाल बस कुछ ही पालो का था, जैसे ही उसने अपने दोनों दोस्तों को अपनी बेवकूफी पर हसता हुआ देखा ये खयाल उसके दिमाग से गायब हो गया
“ज्यादा हसो मत मुझे पता है के बात बेवकूफी भरी थी लेकिन पता नहीं मैं क्या सोच रही थी” अक्षिता ने ये बात छुपा ली थी के वो उसके और एकांश के बारे मे ही सोच रही थी
“नो वन्डर ही लूक्ड एट यू लाइक यू आर सम मेंटल असायलम पैशन्ट” स्वरा ने हसते हुए कहा और अक्षिता ने उसे हल्के गुस्से से देखा
वो बीच पार्किंग लॉट मे पागलों की तरह हस रहे थे और इसपर ब्रेक तब लगा जब एकांश उनके पास से होकर गुजरा और अपनी कार तक जाते हुए उन्हे अजीब नजरों के साथ देखता हुआ गया
“बढ़िया! अब इसको लगेगा के हम भी तुम्हारी ही तरह कोई पागल लोग है” रोहन ने अक्षिता से कहा और वो भी अपनी गाड़ियों की ओर बढ़ गए...
“मिस पांडे आप लेट है’ एकांश ने बगैर अक्षिता की ओर देखते हुए कहा
अक्षिता ने अपनी घड़ी मे देखा तो उसमे 9.34 हो रहे थे फिर उसने कन्फ्यूज़ लुक के साथ एकांश को देखा
“मैंने कहा था के आप इक्सेक्ट्लि 9.30 को मेरे केबिन मे होनी चाहिए और अब 9.34 हो रहे है” एकांश ने सपाट टोन मे कहा
“ओह, सॉरी सर” अक्षिता ने कहा
“मुझे सॉरी सुनना पसंद नहीं है तो बेहतर होगा के आप कोई गलती ही न करे”
“ओके सर” अक्षिता ने हा मे गर्दन हिला दी
“अब चूंकि आप मेरी पीए है कुछ बाते है जो आपको फॉलो करनी होंगी, कुछ रुल्स है” एकांश ने कहा और रुक कर अक्षिता को देखा तो उसने हा मे गर्दन हिलाई फिर एकांश आगे बोला
“रोज आप इक्सेक्ट्लि 9.30 पे यहा प्रेजेंट होनी चाहिए और आपके हाथ मे मेरी ब्लैक कॉफी होनी चाहिए” एकांश बोलते हुए फिर रुक और अक्षिता का रिएक्शन देखने लगा
“कॉफी?” अक्षिता ने पूछा
“यस”
“लेकिन वो मेरा काम नहीं है” अक्षिता ने सपाट आवाज मे जवाब दिया
“ये मेरे पीए का काम है जो की आजसे तुम हो” एकांश ने भी उसी टोन मे कहा
“लेकिन..”
“देखो मुझे तुम्हें कुछ इक्स्प्लैन करने की जरूरत नहीं है... मैं बॉस हु तुम एम्प्लोयी हो और तुम्हारा काम है मेरे ऑर्डर्स मानना, तो अब इसपे और कोई बात नहीं होगी” एकांश ने बात खतम करते हुए कहा और अक्षिता बस शांति से खड़ी रही
”इस दिस क्लीयर टु यू मिस पांडे?”
“यस सर”
“ओके तो जाओ और मेरी कॉफी लेकर आओ” एकांश ने ऑर्डर छोडा और वापिस काम मे लग गया
अक्षिता भी झटके के साथ उसके केबिन से निकली और कैफै की ओर गई जहा एकांश की कॉफी तयार रखी हुई थी, उसने वहा से कॉफी ली और वापिस केबिन मे आई
“सर आपकी कॉफी”
अक्षिता ने उसके टेबल पर कॉफी रखते हुए कहा और इस सब मे एकांश ने एक नजर भी अक्षिता को नहीं देखा था
“मुझे शर्मा और धर्माधिकारी की फाइलस् चाहिए” एकांश ने कॉफी का घूंट लेते हुए ऑर्डर छोड़ा
“ओके सर” जिसके बाद अक्षिता ने वहा रैक मे से फाइलस् ढूँढी और उसकी टेबल पर रखी
“नाउ गो एण्ड चेक के मेरे केबिन मे रेनवैशन का काम कहा तक पहुचा है” एकांश ने अगला ऑर्डर छोड़ा और अक्षिता जल्दी से बाहर या गई ये सोच के इसी बहाने वो उससे दूर रहेगी,
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“हाइ अक्षु” लंच के दौरान रोहन ने कैन्टीन मे अक्षिता के सामने मे बैठते हुए कहा
“क्या हुआ तुम्हारा चेहरा क्यू उतरा हुआ है?” स्वरा ने अक्षिता के बगल मे बैठते हुए पूछा
“कुछ नहीं बस थक गई हु” अक्षिता ने कहा
“आज पहला ही दिन है धीरे धीरे आदत हो जाएगी” रोहन ने समझाया
“हा और नहीं तो क्या”
“तो क्या ऑर्डर कर रहे है हम?” रोहन ने दोनों लड़कियों को देख के पूछा और खाने के नाम से दोनों के चेहरे खिल उठे
“बिरयानी” “बर्गर” स्वरा और अक्षिता दोनों एकसाथ बोल पड़ी और एकदूसरे को देखा
“मुझे बिरयानी खानी है” अक्षिता ने स्वरा को देखते हुए कहा
“और मुझे बर्गर चाहिए” स्वरा ने भी वापिस अक्षिता को घूर के देखा
“तुम रोज वही तो खाती को यार स्वरा”
“अक्षु मैं सिर्फ कभी कभी बर्गर ऑर्डर करती हु”
“और वो कभी कभी रोज होता है”
“नहीं”
“हा”
“नहीं”
“हा”
“नहीं”
“हा”
“नहीं बोला न”
“अरे चुप हो जाओ यार” रोहन को आखिर चिल्ला कर उन दोनों को चुप करवाना पड़ा
“तुम लोग के ये बेफिजूल के झगड़े के चक्कर मे लंच ब्रेक खतम हो जाएगा, आज मैं ऑर्डर करूंगा” रोहन ने दोनों को चुप कराते हुए कहा और अब वो दोनों उसे आँखों मे मासूमियत लिए देख रही थी
“ऐसे मत देखो, मैं तुम्हारी भोली शक्लों पे नहीं जाने वाला, मैं सेंडविच बुला रहा हु जो ऑइल फ्री है फैट फ्री और सेहत के लिए ठीक है”
अब जाहीर है बिरयानी और बर्गर के लिए लड़ने वाली लड़कियों को रोहन का सेंडविच पसंद नहीं आने वाला था
“पागल कही का” अक्षिता और स्वरा पुटपुटाई
“सुनाई दिया मुझे”
“उसी लिए बोला था” वापिस दोनों साथ मे बोल पड़ी
जिसके बाद इनकी बचकानी हरकतों को नजरंदाज करते हुए रोहन ऑर्डर लाने चला गया और उसे परेशान करके ये दोनों इधर हसने लगी थी,
--
लंच निपटा कर सभी वापिस अपने अपने काम मे लग चुके थे और अक्षिता एकांश के केबिन के बाहर खड़ी थी
“कम इन” नॉक करने के बाद एकांश की सर्द सपाट आवाज अक्षिता को सुनाई दी और वो सोचने लगी ये ये इतना सडू कैसे बन गया, जिस एकांश को वो कभी जानती थी वो ऐसा नहीं था और उन्ही बातों के बारे मे सोचते हुए अक्षिता पुरानी यादों मे खोने लगी थी और नजाने कब तक वो दरवाजे के सामने पुरानी यादों मे खोई चेहरे पर मुस्कान लिए खड़ी थी और जब उसकी तंद्री टूटी और उसके ध्यान मे आया ये वो वहा खड़ी खड़ी सपने देख रही थी वो अंदर जाने के लिए आगे बढ़ी और जैसे ही उसकी नजरे सामने दरवाजे पर गई वो थोड़ा चौकी
क्युकी दरवाजे पर उसका बॉस खड़ा था और वो उसे कुछ यू देख रहा था मानो वो कोई मेंटल हो और अभी पागल खाने से भाग कर आई हो
अक्षिता के दरवाजा खटखटाने के बाद एकांश ने उसे 3 बार अंदर आने कहा था और जब सामने से कोई रीस्पान्स नहीं आया तो उसने खुद ही उठ कर दरवाजा खोला और वहा अक्षिता को खुद मे ही खोया हुआ पाया
एकांश अक्षिता के चेहरे पर आ रहे अलग अलग भाव देख सकता था.. कभी ऐसा लगता वो कुछ सोच रही है कभी कुछ कन्फ्यूज़ दिखती तो कभी खुद से हस रही थी और जब उसकी तंद्री भंग हुई तब उसका वो चौकने वाला रिएक्शन हर एक चीज को एकांश ने बारकाई से देखा था
वैसे तो उसे इस वक्त अक्षिता पर गुस्सा होना चाहिए था लेकिन वो भी अपने आप को उसके खूबसूरत चेहरे मे खोने से नहीं रोक पाया था और अब दोनों ही वापिस नॉर्मल स्टेट मे आ चुके थे
“आर यू मेंटल?” एकांश ने चिढ़ कर कहा
“नहीं तो” अक्षिता ने सौम्यता से जवाब दिया
“तो फिर दरवाजा खटखटाने के बाद यह बाहर खड़ी होकर क्या कर रही थी? मैंने कितनी बार आवाज दी अंदर से लेकिन तुम तो अपनी ही दुनिया मे खोई हुई थी कुछ खयाल है तुम कहा हो क्या कर रही हो?” एकांश ने भड़कते हुए कहा
एकांश अक्षिता को डांट रहा था और वो गर्दन झुकाए चुप चाप सब सुन रही थी, उसे पता भी नहीं चला था कब वो अपने की खयालों मे खो गई थी
“अब अंदर आकार कुछ काम करोगी या ऐसे ही कीसी पुतले की तरह खड़ा रहना है?” एकांश वापिस चिल्लाया और अंदर जाकर अपनी जगह पर बैठ गया
एकांश ने अक्षिता को एक लेटर लिखने कहा जो वो बताने वाला था और अक्षिता भी लिखने के लिए रेडी हो गई और कुछ टाइम तक सही से लिखा भी लेकिन फिर एकांश ने अपने बोलने की स्पीड बढ़ा दी जिसमे अक्षिता पीछे छूट गई
“हो गया?” एकांश ने पूछा
“वो.. स.. सर आप प्लीज एक बार रीपीट करेंगे?” अक्षिता ने डरते हुए पूछा
“क्यू? तुमने लिखा नहीं?”
“वो आप बीच मे बहुत फास्ट बोल रहे थे इसीलिए...“
“अच्छा तो अब ये मेरी गलती है?” एकांश ने गुस्से मे पूछा
“नहीं सर मेरी गलती है मेरा ध्यान भटक गया था ये मेरा पहला ही दिन है इस काम का” अक्षिता ने एकांश की आँखों मे देखते हुए कहा
“यू आर गुड फॉर नथिंग” एकांश ने रुडली कहा
“इसीलिए मैंने कहा था के मैं इस काम के लिए सही नहीं हु” अब अक्षिता ने भी अपना आवाज बढ़ाते हुए कहा
एकांश ने उसे घूर के देखा और अक्षिता ने झट से अपनी नजरे झुका ली और एकांश वापिस उसे बताने लगा और अक्षिता ने भी इस बार सब सही से लिखा और धीमे से थैंक यू कहा और वहा से जाने लगी
“कान्सन्ट्रैट ऑन योर वर्क” एकांश ने अपनी हमेशा वाली सपाट आवाज मे अक्षिता से कहा और अक्षिता वहा से निकल गई..
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“अक्षु तू पागल है क्या?”
घर जाते हुए जब अक्षिता ने रोहन और स्वरा को अपने आज के पराक्रम के बारे मे बताया तब उन दोनों के मुह से एकसाथ निकला वही अक्षिता को भी लग रहा था के उसे ऐसे ट्रैन्स मे नहीं जाना चाहिए था लेकिन ये खयाल बस कुछ ही पालो का था, जैसे ही उसने अपने दोनों दोस्तों को अपनी बेवकूफी पर हसता हुआ देखा ये खयाल उसके दिमाग से गायब हो गया
“ज्यादा हसो मत मुझे पता है के बात बेवकूफी भरी थी लेकिन पता नहीं मैं क्या सोच रही थी” अक्षिता ने ये बात छुपा ली थी के वो उसके और एकांश के बारे मे ही सोच रही थी
“नो वन्डर ही लूक्ड एट यू लाइक यू आर सम मेंटल असायलम पैशन्ट” स्वरा ने हसते हुए कहा और अक्षिता ने उसे हल्के गुस्से से देखा
वो बीच पार्किंग लॉट मे पागलों की तरह हस रहे थे और इसपर ब्रेक तब लगा जब एकांश उनके पास से होकर गुजरा और अपनी कार तक जाते हुए उन्हे अजीब नजरों के साथ देखता हुआ गया
“बढ़िया! अब इसको लगेगा के हम भी तुम्हारी ही तरह कोई पागल लोग है” रोहन ने अक्षिता से कहा और वो भी अपनी गाड़ियों की ओर बढ़ गए...
Hehehe!!! Pyar ka maja apne mahbub ko presaan karna main hi hai!!!! Ab dono chahe jitna deny kar le but ye fact ni badlega ki dono ke dil main wo pyar hai ..... let see aage kya hota hai....
“मिस पांडे आप लेट है’ एकांश ने बगैर अक्षिता की ओर देखते हुए कहा
अक्षिता ने अपनी घड़ी मे देखा तो उसमे 9.34 हो रहे थे फिर उसने कन्फ्यूज़ लुक के साथ एकांश को देखा
“मैंने कहा था के आप इक्सेक्ट्लि 9.30 को मेरे केबिन मे होनी चाहिए और अब 9.34 हो रहे है” एकांश ने सपाट टोन मे कहा
“ओह, सॉरी सर” अक्षिता ने कहा
“मुझे सॉरी सुनना पसंद नहीं है तो बेहतर होगा के आप कोई गलती ही न करे”
“ओके सर” अक्षिता ने हा मे गर्दन हिला दी
“अब चूंकि आप मेरी पीए है कुछ बाते है जो आपको फॉलो करनी होंगी, कुछ रुल्स है” एकांश ने कहा और रुक कर अक्षिता को देखा तो उसने हा मे गर्दन हिलाई फिर एकांश आगे बोला
“रोज आप इक्सेक्ट्लि 9.30 पे यहा प्रेजेंट होनी चाहिए और आपके हाथ मे मेरी ब्लैक कॉफी होनी चाहिए” एकांश बोलते हुए फिर रुक और अक्षिता का रिएक्शन देखने लगा
“कॉफी?” अक्षिता ने पूछा
“यस”
“लेकिन वो मेरा काम नहीं है” अक्षिता ने सपाट आवाज मे जवाब दिया
“ये मेरे पीए का काम है जो की आजसे तुम हो” एकांश ने भी उसी टोन मे कहा
“लेकिन..”
“देखो मुझे तुम्हें कुछ इक्स्प्लैन करने की जरूरत नहीं है... मैं बॉस हु तुम एम्प्लोयी हो और तुम्हारा काम है मेरे ऑर्डर्स मानना, तो अब इसपे और कोई बात नहीं होगी” एकांश ने बात खतम करते हुए कहा और अक्षिता बस शांति से खड़ी रही
”इस दिस क्लीयर टु यू मिस पांडे?”
“यस सर”
“ओके तो जाओ और मेरी कॉफी लेकर आओ” एकांश ने ऑर्डर छोडा और वापिस काम मे लग गया
अक्षिता भी झटके के साथ उसके केबिन से निकली और कैफै की ओर गई जहा एकांश की कॉफी तयार रखी हुई थी, उसने वहा से कॉफी ली और वापिस केबिन मे आई
“सर आपकी कॉफी”
अक्षिता ने उसके टेबल पर कॉफी रखते हुए कहा और इस सब मे एकांश ने एक नजर भी अक्षिता को नहीं देखा था
“मुझे शर्मा और धर्माधिकारी की फाइलस् चाहिए” एकांश ने कॉफी का घूंट लेते हुए ऑर्डर छोड़ा
“ओके सर” जिसके बाद अक्षिता ने वहा रैक मे से फाइलस् ढूँढी और उसकी टेबल पर रखी
“नाउ गो एण्ड चेक के मेरे केबिन मे रेनवैशन का काम कहा तक पहुचा है” एकांश ने अगला ऑर्डर छोड़ा और अक्षिता जल्दी से बाहर या गई ये सोच के इसी बहाने वो उससे दूर रहेगी,
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“हाइ अक्षु” लंच के दौरान रोहन ने कैन्टीन मे अक्षिता के सामने मे बैठते हुए कहा
“क्या हुआ तुम्हारा चेहरा क्यू उतरा हुआ है?” स्वरा ने अक्षिता के बगल मे बैठते हुए पूछा
“कुछ नहीं बस थक गई हु” अक्षिता ने कहा
“आज पहला ही दिन है धीरे धीरे आदत हो जाएगी” रोहन ने समझाया
“हा और नहीं तो क्या”
“तो क्या ऑर्डर कर रहे है हम?” रोहन ने दोनों लड़कियों को देख के पूछा और खाने के नाम से दोनों के चेहरे खिल उठे
“बिरयानी” “बर्गर” स्वरा और अक्षिता दोनों एकसाथ बोल पड़ी और एकदूसरे को देखा
“मुझे बिरयानी खानी है” अक्षिता ने स्वरा को देखते हुए कहा
“और मुझे बर्गर चाहिए” स्वरा ने भी वापिस अक्षिता को घूर के देखा
“तुम रोज वही तो खाती को यार स्वरा”
“अक्षु मैं सिर्फ कभी कभी बर्गर ऑर्डर करती हु”
“और वो कभी कभी रोज होता है”
“नहीं”
“हा”
“नहीं”
“हा”
“नहीं”
“हा”
“नहीं बोला न”
“अरे चुप हो जाओ यार” रोहन को आखिर चिल्ला कर उन दोनों को चुप करवाना पड़ा
“तुम लोग के ये बेफिजूल के झगड़े के चक्कर मे लंच ब्रेक खतम हो जाएगा, आज मैं ऑर्डर करूंगा” रोहन ने दोनों को चुप कराते हुए कहा और अब वो दोनों उसे आँखों मे मासूमियत लिए देख रही थी
“ऐसे मत देखो, मैं तुम्हारी भोली शक्लों पे नहीं जाने वाला, मैं सेंडविच बुला रहा हु जो ऑइल फ्री है फैट फ्री और सेहत के लिए ठीक है”
अब जाहीर है बिरयानी और बर्गर के लिए लड़ने वाली लड़कियों को रोहन का सेंडविच पसंद नहीं आने वाला था
“पागल कही का” अक्षिता और स्वरा पुटपुटाई
“सुनाई दिया मुझे”
“उसी लिए बोला था” वापिस दोनों साथ मे बोल पड़ी
जिसके बाद इनकी बचकानी हरकतों को नजरंदाज करते हुए रोहन ऑर्डर लाने चला गया और उसे परेशान करके ये दोनों इधर हसने लगी थी,
--
लंच निपटा कर सभी वापिस अपने अपने काम मे लग चुके थे और अक्षिता एकांश के केबिन के बाहर खड़ी थी
“कम इन” नॉक करने के बाद एकांश की सर्द सपाट आवाज अक्षिता को सुनाई दी और वो सोचने लगी ये ये इतना सडू कैसे बन गया, जिस एकांश को वो कभी जानती थी वो ऐसा नहीं था और उन्ही बातों के बारे मे सोचते हुए अक्षिता पुरानी यादों मे खोने लगी थी और नजाने कब तक वो दरवाजे के सामने पुरानी यादों मे खोई चेहरे पर मुस्कान लिए खड़ी थी और जब उसकी तंद्री टूटी और उसके ध्यान मे आया ये वो वहा खड़ी खड़ी सपने देख रही थी वो अंदर जाने के लिए आगे बढ़ी और जैसे ही उसकी नजरे सामने दरवाजे पर गई वो थोड़ा चौकी
क्युकी दरवाजे पर उसका बॉस खड़ा था और वो उसे कुछ यू देख रहा था मानो वो कोई मेंटल हो और अभी पागल खाने से भाग कर आई हो
अक्षिता के दरवाजा खटखटाने के बाद एकांश ने उसे 3 बार अंदर आने कहा था और जब सामने से कोई रीस्पान्स नहीं आया तो उसने खुद ही उठ कर दरवाजा खोला और वहा अक्षिता को खुद मे ही खोया हुआ पाया
एकांश अक्षिता के चेहरे पर आ रहे अलग अलग भाव देख सकता था.. कभी ऐसा लगता वो कुछ सोच रही है कभी कुछ कन्फ्यूज़ दिखती तो कभी खुद से हस रही थी और जब उसकी तंद्री भंग हुई तब उसका वो चौकने वाला रिएक्शन हर एक चीज को एकांश ने बारकाई से देखा था
वैसे तो उसे इस वक्त अक्षिता पर गुस्सा होना चाहिए था लेकिन वो भी अपने आप को उसके खूबसूरत चेहरे मे खोने से नहीं रोक पाया था और अब दोनों ही वापिस नॉर्मल स्टेट मे आ चुके थे
“आर यू मेंटल?” एकांश ने चिढ़ कर कहा
“नहीं तो” अक्षिता ने सौम्यता से जवाब दिया
“तो फिर दरवाजा खटखटाने के बाद यह बाहर खड़ी होकर क्या कर रही थी? मैंने कितनी बार आवाज दी अंदर से लेकिन तुम तो अपनी ही दुनिया मे खोई हुई थी कुछ खयाल है तुम कहा हो क्या कर रही हो?” एकांश ने भड़कते हुए कहा
एकांश अक्षिता को डांट रहा था और वो गर्दन झुकाए चुप चाप सब सुन रही थी, उसे पता भी नहीं चला था कब वो अपने की खयालों मे खो गई थी
“अब अंदर आकार कुछ काम करोगी या ऐसे ही कीसी पुतले की तरह खड़ा रहना है?” एकांश वापिस चिल्लाया और अंदर जाकर अपनी जगह पर बैठ गया
एकांश ने अक्षिता को एक लेटर लिखने कहा जो वो बताने वाला था और अक्षिता भी लिखने के लिए रेडी हो गई और कुछ टाइम तक सही से लिखा भी लेकिन फिर एकांश ने अपने बोलने की स्पीड बढ़ा दी जिसमे अक्षिता पीछे छूट गई
“हो गया?” एकांश ने पूछा
“वो.. स.. सर आप प्लीज एक बार रीपीट करेंगे?” अक्षिता ने डरते हुए पूछा
“क्यू? तुमने लिखा नहीं?”
“वो आप बीच मे बहुत फास्ट बोल रहे थे इसीलिए...“
“अच्छा तो अब ये मेरी गलती है?” एकांश ने गुस्से मे पूछा
“नहीं सर मेरी गलती है मेरा ध्यान भटक गया था ये मेरा पहला ही दिन है इस काम का” अक्षिता ने एकांश की आँखों मे देखते हुए कहा
“यू आर गुड फॉर नथिंग” एकांश ने रुडली कहा
“इसीलिए मैंने कहा था के मैं इस काम के लिए सही नहीं हु” अब अक्षिता ने भी अपना आवाज बढ़ाते हुए कहा
एकांश ने उसे घूर के देखा और अक्षिता ने झट से अपनी नजरे झुका ली और एकांश वापिस उसे बताने लगा और अक्षिता ने भी इस बार सब सही से लिखा और धीमे से थैंक यू कहा और वहा से जाने लगी
“कान्सन्ट्रैट ऑन योर वर्क” एकांश ने अपनी हमेशा वाली सपाट आवाज मे अक्षिता से कहा और अक्षिता वहा से निकल गई..
--
“अक्षु तू पागल है क्या?”
घर जाते हुए जब अक्षिता ने रोहन और स्वरा को अपने आज के पराक्रम के बारे मे बताया तब उन दोनों के मुह से एकसाथ निकला वही अक्षिता को भी लग रहा था के उसे ऐसे ट्रैन्स मे नहीं जाना चाहिए था लेकिन ये खयाल बस कुछ ही पालो का था, जैसे ही उसने अपने दोनों दोस्तों को अपनी बेवकूफी पर हसता हुआ देखा ये खयाल उसके दिमाग से गायब हो गया
“ज्यादा हसो मत मुझे पता है के बात बेवकूफी भरी थी लेकिन पता नहीं मैं क्या सोच रही थी” अक्षिता ने ये बात छुपा ली थी के वो उसके और एकांश के बारे मे ही सोच रही थी
“नो वन्डर ही लूक्ड एट यू लाइक यू आर सम मेंटल असायलम पैशन्ट” स्वरा ने हसते हुए कहा और अक्षिता ने उसे हल्के गुस्से से देखा
वो बीच पार्किंग लॉट मे पागलों की तरह हस रहे थे और इसपर ब्रेक तब लगा जब एकांश उनके पास से होकर गुजरा और अपनी कार तक जाते हुए उन्हे अजीब नजरों के साथ देखता हुआ गया
“बढ़िया! अब इसको लगेगा के हम भी तुम्हारी ही तरह कोई पागल लोग है” रोहन ने अक्षिता से कहा और वो भी अपनी गाड़ियों की ओर बढ़ गए...
“मिस पांडे आप लेट है’ एकांश ने बगैर अक्षिता की ओर देखते हुए कहा
अक्षिता ने अपनी घड़ी मे देखा तो उसमे 9.34 हो रहे थे फिर उसने कन्फ्यूज़ लुक के साथ एकांश को देखा
“मैंने कहा था के आप इक्सेक्ट्लि 9.30 को मेरे केबिन मे होनी चाहिए और अब 9.34 हो रहे है” एकांश ने सपाट टोन मे कहा
“ओह, सॉरी सर” अक्षिता ने कहा
“मुझे सॉरी सुनना पसंद नहीं है तो बेहतर होगा के आप कोई गलती ही न करे”
“ओके सर” अक्षिता ने हा मे गर्दन हिला दी
“अब चूंकि आप मेरी पीए है कुछ बाते है जो आपको फॉलो करनी होंगी, कुछ रुल्स है” एकांश ने कहा और रुक कर अक्षिता को देखा तो उसने हा मे गर्दन हिलाई फिर एकांश आगे बोला
“रोज आप इक्सेक्ट्लि 9.30 पे यहा प्रेजेंट होनी चाहिए और आपके हाथ मे मेरी ब्लैक कॉफी होनी चाहिए” एकांश बोलते हुए फिर रुक और अक्षिता का रिएक्शन देखने लगा
“कॉफी?” अक्षिता ने पूछा
“यस”
“लेकिन वो मेरा काम नहीं है” अक्षिता ने सपाट आवाज मे जवाब दिया
“ये मेरे पीए का काम है जो की आजसे तुम हो” एकांश ने भी उसी टोन मे कहा
“लेकिन..”
“देखो मुझे तुम्हें कुछ इक्स्प्लैन करने की जरूरत नहीं है... मैं बॉस हु तुम एम्प्लोयी हो और तुम्हारा काम है मेरे ऑर्डर्स मानना, तो अब इसपे और कोई बात नहीं होगी” एकांश ने बात खतम करते हुए कहा और अक्षिता बस शांति से खड़ी रही
”इस दिस क्लीयर टु यू मिस पांडे?”
“यस सर”
“ओके तो जाओ और मेरी कॉफी लेकर आओ” एकांश ने ऑर्डर छोडा और वापिस काम मे लग गया
अक्षिता भी झटके के साथ उसके केबिन से निकली और कैफै की ओर गई जहा एकांश की कॉफी तयार रखी हुई थी, उसने वहा से कॉफी ली और वापिस केबिन मे आई
“सर आपकी कॉफी”
अक्षिता ने उसके टेबल पर कॉफी रखते हुए कहा और इस सब मे एकांश ने एक नजर भी अक्षिता को नहीं देखा था
“मुझे शर्मा और धर्माधिकारी की फाइलस् चाहिए” एकांश ने कॉफी का घूंट लेते हुए ऑर्डर छोड़ा
“ओके सर” जिसके बाद अक्षिता ने वहा रैक मे से फाइलस् ढूँढी और उसकी टेबल पर रखी
“नाउ गो एण्ड चेक के मेरे केबिन मे रेनवैशन का काम कहा तक पहुचा है” एकांश ने अगला ऑर्डर छोड़ा और अक्षिता जल्दी से बाहर या गई ये सोच के इसी बहाने वो उससे दूर रहेगी,
--
“हाइ अक्षु” लंच के दौरान रोहन ने कैन्टीन मे अक्षिता के सामने मे बैठते हुए कहा
“क्या हुआ तुम्हारा चेहरा क्यू उतरा हुआ है?” स्वरा ने अक्षिता के बगल मे बैठते हुए पूछा
“कुछ नहीं बस थक गई हु” अक्षिता ने कहा
“आज पहला ही दिन है धीरे धीरे आदत हो जाएगी” रोहन ने समझाया
“हा और नहीं तो क्या”
“तो क्या ऑर्डर कर रहे है हम?” रोहन ने दोनों लड़कियों को देख के पूछा और खाने के नाम से दोनों के चेहरे खिल उठे
“बिरयानी” “बर्गर” स्वरा और अक्षिता दोनों एकसाथ बोल पड़ी और एकदूसरे को देखा
“मुझे बिरयानी खानी है” अक्षिता ने स्वरा को देखते हुए कहा
“और मुझे बर्गर चाहिए” स्वरा ने भी वापिस अक्षिता को घूर के देखा
“तुम रोज वही तो खाती को यार स्वरा”
“अक्षु मैं सिर्फ कभी कभी बर्गर ऑर्डर करती हु”
“और वो कभी कभी रोज होता है”
“नहीं”
“हा”
“नहीं”
“हा”
“नहीं”
“हा”
“नहीं बोला न”
“अरे चुप हो जाओ यार” रोहन को आखिर चिल्ला कर उन दोनों को चुप करवाना पड़ा
“तुम लोग के ये बेफिजूल के झगड़े के चक्कर मे लंच ब्रेक खतम हो जाएगा, आज मैं ऑर्डर करूंगा” रोहन ने दोनों को चुप कराते हुए कहा और अब वो दोनों उसे आँखों मे मासूमियत लिए देख रही थी
“ऐसे मत देखो, मैं तुम्हारी भोली शक्लों पे नहीं जाने वाला, मैं सेंडविच बुला रहा हु जो ऑइल फ्री है फैट फ्री और सेहत के लिए ठीक है”
अब जाहीर है बिरयानी और बर्गर के लिए लड़ने वाली लड़कियों को रोहन का सेंडविच पसंद नहीं आने वाला था
“पागल कही का” अक्षिता और स्वरा पुटपुटाई
“सुनाई दिया मुझे”
“उसी लिए बोला था” वापिस दोनों साथ मे बोल पड़ी
जिसके बाद इनकी बचकानी हरकतों को नजरंदाज करते हुए रोहन ऑर्डर लाने चला गया और उसे परेशान करके ये दोनों इधर हसने लगी थी,
--
लंच निपटा कर सभी वापिस अपने अपने काम मे लग चुके थे और अक्षिता एकांश के केबिन के बाहर खड़ी थी
“कम इन” नॉक करने के बाद एकांश की सर्द सपाट आवाज अक्षिता को सुनाई दी और वो सोचने लगी ये ये इतना सडू कैसे बन गया, जिस एकांश को वो कभी जानती थी वो ऐसा नहीं था और उन्ही बातों के बारे मे सोचते हुए अक्षिता पुरानी यादों मे खोने लगी थी और नजाने कब तक वो दरवाजे के सामने पुरानी यादों मे खोई चेहरे पर मुस्कान लिए खड़ी थी और जब उसकी तंद्री टूटी और उसके ध्यान मे आया ये वो वहा खड़ी खड़ी सपने देख रही थी वो अंदर जाने के लिए आगे बढ़ी और जैसे ही उसकी नजरे सामने दरवाजे पर गई वो थोड़ा चौकी
क्युकी दरवाजे पर उसका बॉस खड़ा था और वो उसे कुछ यू देख रहा था मानो वो कोई मेंटल हो और अभी पागल खाने से भाग कर आई हो
अक्षिता के दरवाजा खटखटाने के बाद एकांश ने उसे 3 बार अंदर आने कहा था और जब सामने से कोई रीस्पान्स नहीं आया तो उसने खुद ही उठ कर दरवाजा खोला और वहा अक्षिता को खुद मे ही खोया हुआ पाया
एकांश अक्षिता के चेहरे पर आ रहे अलग अलग भाव देख सकता था.. कभी ऐसा लगता वो कुछ सोच रही है कभी कुछ कन्फ्यूज़ दिखती तो कभी खुद से हस रही थी और जब उसकी तंद्री भंग हुई तब उसका वो चौकने वाला रिएक्शन हर एक चीज को एकांश ने बारकाई से देखा था
वैसे तो उसे इस वक्त अक्षिता पर गुस्सा होना चाहिए था लेकिन वो भी अपने आप को उसके खूबसूरत चेहरे मे खोने से नहीं रोक पाया था और अब दोनों ही वापिस नॉर्मल स्टेट मे आ चुके थे
“आर यू मेंटल?” एकांश ने चिढ़ कर कहा
“नहीं तो” अक्षिता ने सौम्यता से जवाब दिया
“तो फिर दरवाजा खटखटाने के बाद यह बाहर खड़ी होकर क्या कर रही थी? मैंने कितनी बार आवाज दी अंदर से लेकिन तुम तो अपनी ही दुनिया मे खोई हुई थी कुछ खयाल है तुम कहा हो क्या कर रही हो?” एकांश ने भड़कते हुए कहा
एकांश अक्षिता को डांट रहा था और वो गर्दन झुकाए चुप चाप सब सुन रही थी, उसे पता भी नहीं चला था कब वो अपने की खयालों मे खो गई थी
“अब अंदर आकार कुछ काम करोगी या ऐसे ही कीसी पुतले की तरह खड़ा रहना है?” एकांश वापिस चिल्लाया और अंदर जाकर अपनी जगह पर बैठ गया
एकांश ने अक्षिता को एक लेटर लिखने कहा जो वो बताने वाला था और अक्षिता भी लिखने के लिए रेडी हो गई और कुछ टाइम तक सही से लिखा भी लेकिन फिर एकांश ने अपने बोलने की स्पीड बढ़ा दी जिसमे अक्षिता पीछे छूट गई
“हो गया?” एकांश ने पूछा
“वो.. स.. सर आप प्लीज एक बार रीपीट करेंगे?” अक्षिता ने डरते हुए पूछा
“क्यू? तुमने लिखा नहीं?”
“वो आप बीच मे बहुत फास्ट बोल रहे थे इसीलिए...“
“अच्छा तो अब ये मेरी गलती है?” एकांश ने गुस्से मे पूछा
“नहीं सर मेरी गलती है मेरा ध्यान भटक गया था ये मेरा पहला ही दिन है इस काम का” अक्षिता ने एकांश की आँखों मे देखते हुए कहा
“यू आर गुड फॉर नथिंग” एकांश ने रुडली कहा
“इसीलिए मैंने कहा था के मैं इस काम के लिए सही नहीं हु” अब अक्षिता ने भी अपना आवाज बढ़ाते हुए कहा
एकांश ने उसे घूर के देखा और अक्षिता ने झट से अपनी नजरे झुका ली और एकांश वापिस उसे बताने लगा और अक्षिता ने भी इस बार सब सही से लिखा और धीमे से थैंक यू कहा और वहा से जाने लगी
“कान्सन्ट्रैट ऑन योर वर्क” एकांश ने अपनी हमेशा वाली सपाट आवाज मे अक्षिता से कहा और अक्षिता वहा से निकल गई..
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“अक्षु तू पागल है क्या?”
घर जाते हुए जब अक्षिता ने रोहन और स्वरा को अपने आज के पराक्रम के बारे मे बताया तब उन दोनों के मुह से एकसाथ निकला वही अक्षिता को भी लग रहा था के उसे ऐसे ट्रैन्स मे नहीं जाना चाहिए था लेकिन ये खयाल बस कुछ ही पालो का था, जैसे ही उसने अपने दोनों दोस्तों को अपनी बेवकूफी पर हसता हुआ देखा ये खयाल उसके दिमाग से गायब हो गया
“ज्यादा हसो मत मुझे पता है के बात बेवकूफी भरी थी लेकिन पता नहीं मैं क्या सोच रही थी” अक्षिता ने ये बात छुपा ली थी के वो उसके और एकांश के बारे मे ही सोच रही थी
“नो वन्डर ही लूक्ड एट यू लाइक यू आर सम मेंटल असायलम पैशन्ट” स्वरा ने हसते हुए कहा और अक्षिता ने उसे हल्के गुस्से से देखा
वो बीच पार्किंग लॉट मे पागलों की तरह हस रहे थे और इसपर ब्रेक तब लगा जब एकांश उनके पास से होकर गुजरा और अपनी कार तक जाते हुए उन्हे अजीब नजरों के साथ देखता हुआ गया
“बढ़िया! अब इसको लगेगा के हम भी तुम्हारी ही तरह कोई पागल लोग है” रोहन ने अक्षिता से कहा और वो भी अपनी गाड़ियों की ओर बढ़ गए...
“मिस पांडे आप लेट है’ एकांश ने बगैर अक्षिता की ओर देखते हुए कहा
अक्षिता ने अपनी घड़ी मे देखा तो उसमे 9.34 हो रहे थे फिर उसने कन्फ्यूज़ लुक के साथ एकांश को देखा
“मैंने कहा था के आप इक्सेक्ट्लि 9.30 को मेरे केबिन मे होनी चाहिए और अब 9.34 हो रहे है” एकांश ने सपाट टोन मे कहा
“ओह, सॉरी सर” अक्षिता ने कहा
“मुझे सॉरी सुनना पसंद नहीं है तो बेहतर होगा के आप कोई गलती ही न करे”
“ओके सर” अक्षिता ने हा मे गर्दन हिला दी
“अब चूंकि आप मेरी पीए है कुछ बाते है जो आपको फॉलो करनी होंगी, कुछ रुल्स है” एकांश ने कहा और रुक कर अक्षिता को देखा तो उसने हा मे गर्दन हिलाई फिर एकांश आगे बोला
“रोज आप इक्सेक्ट्लि 9.30 पे यहा प्रेजेंट होनी चाहिए और आपके हाथ मे मेरी ब्लैक कॉफी होनी चाहिए” एकांश बोलते हुए फिर रुक और अक्षिता का रिएक्शन देखने लगा
“कॉफी?” अक्षिता ने पूछा
“यस”
“लेकिन वो मेरा काम नहीं है” अक्षिता ने सपाट आवाज मे जवाब दिया
“ये मेरे पीए का काम है जो की आजसे तुम हो” एकांश ने भी उसी टोन मे कहा
“लेकिन..”
“देखो मुझे तुम्हें कुछ इक्स्प्लैन करने की जरूरत नहीं है... मैं बॉस हु तुम एम्प्लोयी हो और तुम्हारा काम है मेरे ऑर्डर्स मानना, तो अब इसपे और कोई बात नहीं होगी” एकांश ने बात खतम करते हुए कहा और अक्षिता बस शांति से खड़ी रही
”इस दिस क्लीयर टु यू मिस पांडे?”
“यस सर”
“ओके तो जाओ और मेरी कॉफी लेकर आओ” एकांश ने ऑर्डर छोडा और वापिस काम मे लग गया
अक्षिता भी झटके के साथ उसके केबिन से निकली और कैफै की ओर गई जहा एकांश की कॉफी तयार रखी हुई थी, उसने वहा से कॉफी ली और वापिस केबिन मे आई
“सर आपकी कॉफी”
अक्षिता ने उसके टेबल पर कॉफी रखते हुए कहा और इस सब मे एकांश ने एक नजर भी अक्षिता को नहीं देखा था
“मुझे शर्मा और धर्माधिकारी की फाइलस् चाहिए” एकांश ने कॉफी का घूंट लेते हुए ऑर्डर छोड़ा
“ओके सर” जिसके बाद अक्षिता ने वहा रैक मे से फाइलस् ढूँढी और उसकी टेबल पर रखी
“नाउ गो एण्ड चेक के मेरे केबिन मे रेनवैशन का काम कहा तक पहुचा है” एकांश ने अगला ऑर्डर छोड़ा और अक्षिता जल्दी से बाहर या गई ये सोच के इसी बहाने वो उससे दूर रहेगी,
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“हाइ अक्षु” लंच के दौरान रोहन ने कैन्टीन मे अक्षिता के सामने मे बैठते हुए कहा
“क्या हुआ तुम्हारा चेहरा क्यू उतरा हुआ है?” स्वरा ने अक्षिता के बगल मे बैठते हुए पूछा
“कुछ नहीं बस थक गई हु” अक्षिता ने कहा
“आज पहला ही दिन है धीरे धीरे आदत हो जाएगी” रोहन ने समझाया
“हा और नहीं तो क्या”
“तो क्या ऑर्डर कर रहे है हम?” रोहन ने दोनों लड़कियों को देख के पूछा और खाने के नाम से दोनों के चेहरे खिल उठे
“बिरयानी” “बर्गर” स्वरा और अक्षिता दोनों एकसाथ बोल पड़ी और एकदूसरे को देखा
“मुझे बिरयानी खानी है” अक्षिता ने स्वरा को देखते हुए कहा
“और मुझे बर्गर चाहिए” स्वरा ने भी वापिस अक्षिता को घूर के देखा
“तुम रोज वही तो खाती को यार स्वरा”
“अक्षु मैं सिर्फ कभी कभी बर्गर ऑर्डर करती हु”
“और वो कभी कभी रोज होता है”
“नहीं”
“हा”
“नहीं”
“हा”
“नहीं”
“हा”
“नहीं बोला न”
“अरे चुप हो जाओ यार” रोहन को आखिर चिल्ला कर उन दोनों को चुप करवाना पड़ा
“तुम लोग के ये बेफिजूल के झगड़े के चक्कर मे लंच ब्रेक खतम हो जाएगा, आज मैं ऑर्डर करूंगा” रोहन ने दोनों को चुप कराते हुए कहा और अब वो दोनों उसे आँखों मे मासूमियत लिए देख रही थी
“ऐसे मत देखो, मैं तुम्हारी भोली शक्लों पे नहीं जाने वाला, मैं सेंडविच बुला रहा हु जो ऑइल फ्री है फैट फ्री और सेहत के लिए ठीक है”
अब जाहीर है बिरयानी और बर्गर के लिए लड़ने वाली लड़कियों को रोहन का सेंडविच पसंद नहीं आने वाला था
“पागल कही का” अक्षिता और स्वरा पुटपुटाई
“सुनाई दिया मुझे”
“उसी लिए बोला था” वापिस दोनों साथ मे बोल पड़ी
जिसके बाद इनकी बचकानी हरकतों को नजरंदाज करते हुए रोहन ऑर्डर लाने चला गया और उसे परेशान करके ये दोनों इधर हसने लगी थी,
--
लंच निपटा कर सभी वापिस अपने अपने काम मे लग चुके थे और अक्षिता एकांश के केबिन के बाहर खड़ी थी
“कम इन” नॉक करने के बाद एकांश की सर्द सपाट आवाज अक्षिता को सुनाई दी और वो सोचने लगी ये ये इतना सडू कैसे बन गया, जिस एकांश को वो कभी जानती थी वो ऐसा नहीं था और उन्ही बातों के बारे मे सोचते हुए अक्षिता पुरानी यादों मे खोने लगी थी और नजाने कब तक वो दरवाजे के सामने पुरानी यादों मे खोई चेहरे पर मुस्कान लिए खड़ी थी और जब उसकी तंद्री टूटी और उसके ध्यान मे आया ये वो वहा खड़ी खड़ी सपने देख रही थी वो अंदर जाने के लिए आगे बढ़ी और जैसे ही उसकी नजरे सामने दरवाजे पर गई वो थोड़ा चौकी
क्युकी दरवाजे पर उसका बॉस खड़ा था और वो उसे कुछ यू देख रहा था मानो वो कोई मेंटल हो और अभी पागल खाने से भाग कर आई हो
अक्षिता के दरवाजा खटखटाने के बाद एकांश ने उसे 3 बार अंदर आने कहा था और जब सामने से कोई रीस्पान्स नहीं आया तो उसने खुद ही उठ कर दरवाजा खोला और वहा अक्षिता को खुद मे ही खोया हुआ पाया
एकांश अक्षिता के चेहरे पर आ रहे अलग अलग भाव देख सकता था.. कभी ऐसा लगता वो कुछ सोच रही है कभी कुछ कन्फ्यूज़ दिखती तो कभी खुद से हस रही थी और जब उसकी तंद्री भंग हुई तब उसका वो चौकने वाला रिएक्शन हर एक चीज को एकांश ने बारकाई से देखा था
वैसे तो उसे इस वक्त अक्षिता पर गुस्सा होना चाहिए था लेकिन वो भी अपने आप को उसके खूबसूरत चेहरे मे खोने से नहीं रोक पाया था और अब दोनों ही वापिस नॉर्मल स्टेट मे आ चुके थे
“आर यू मेंटल?” एकांश ने चिढ़ कर कहा
“नहीं तो” अक्षिता ने सौम्यता से जवाब दिया
“तो फिर दरवाजा खटखटाने के बाद यह बाहर खड़ी होकर क्या कर रही थी? मैंने कितनी बार आवाज दी अंदर से लेकिन तुम तो अपनी ही दुनिया मे खोई हुई थी कुछ खयाल है तुम कहा हो क्या कर रही हो?” एकांश ने भड़कते हुए कहा
एकांश अक्षिता को डांट रहा था और वो गर्दन झुकाए चुप चाप सब सुन रही थी, उसे पता भी नहीं चला था कब वो अपने की खयालों मे खो गई थी
“अब अंदर आकार कुछ काम करोगी या ऐसे ही कीसी पुतले की तरह खड़ा रहना है?” एकांश वापिस चिल्लाया और अंदर जाकर अपनी जगह पर बैठ गया
एकांश ने अक्षिता को एक लेटर लिखने कहा जो वो बताने वाला था और अक्षिता भी लिखने के लिए रेडी हो गई और कुछ टाइम तक सही से लिखा भी लेकिन फिर एकांश ने अपने बोलने की स्पीड बढ़ा दी जिसमे अक्षिता पीछे छूट गई
“हो गया?” एकांश ने पूछा
“वो.. स.. सर आप प्लीज एक बार रीपीट करेंगे?” अक्षिता ने डरते हुए पूछा
“क्यू? तुमने लिखा नहीं?”
“वो आप बीच मे बहुत फास्ट बोल रहे थे इसीलिए...“
“अच्छा तो अब ये मेरी गलती है?” एकांश ने गुस्से मे पूछा
“नहीं सर मेरी गलती है मेरा ध्यान भटक गया था ये मेरा पहला ही दिन है इस काम का” अक्षिता ने एकांश की आँखों मे देखते हुए कहा
“यू आर गुड फॉर नथिंग” एकांश ने रुडली कहा
“इसीलिए मैंने कहा था के मैं इस काम के लिए सही नहीं हु” अब अक्षिता ने भी अपना आवाज बढ़ाते हुए कहा
एकांश ने उसे घूर के देखा और अक्षिता ने झट से अपनी नजरे झुका ली और एकांश वापिस उसे बताने लगा और अक्षिता ने भी इस बार सब सही से लिखा और धीमे से थैंक यू कहा और वहा से जाने लगी
“कान्सन्ट्रैट ऑन योर वर्क” एकांश ने अपनी हमेशा वाली सपाट आवाज मे अक्षिता से कहा और अक्षिता वहा से निकल गई..
--
“अक्षु तू पागल है क्या?”
घर जाते हुए जब अक्षिता ने रोहन और स्वरा को अपने आज के पराक्रम के बारे मे बताया तब उन दोनों के मुह से एकसाथ निकला वही अक्षिता को भी लग रहा था के उसे ऐसे ट्रैन्स मे नहीं जाना चाहिए था लेकिन ये खयाल बस कुछ ही पालो का था, जैसे ही उसने अपने दोनों दोस्तों को अपनी बेवकूफी पर हसता हुआ देखा ये खयाल उसके दिमाग से गायब हो गया
“ज्यादा हसो मत मुझे पता है के बात बेवकूफी भरी थी लेकिन पता नहीं मैं क्या सोच रही थी” अक्षिता ने ये बात छुपा ली थी के वो उसके और एकांश के बारे मे ही सोच रही थी
“नो वन्डर ही लूक्ड एट यू लाइक यू आर सम मेंटल असायलम पैशन्ट” स्वरा ने हसते हुए कहा और अक्षिता ने उसे हल्के गुस्से से देखा
वो बीच पार्किंग लॉट मे पागलों की तरह हस रहे थे और इसपर ब्रेक तब लगा जब एकांश उनके पास से होकर गुजरा और अपनी कार तक जाते हुए उन्हे अजीब नजरों के साथ देखता हुआ गया
“बढ़िया! अब इसको लगेगा के हम भी तुम्हारी ही तरह कोई पागल लोग है” रोहन ने अक्षिता से कहा और वो भी अपनी गाड़ियों की ओर बढ़ गए...
“मिस पांडे आप लेट है’ एकांश ने बगैर अक्षिता की ओर देखते हुए कहा
अक्षिता ने अपनी घड़ी मे देखा तो उसमे 9.34 हो रहे थे फिर उसने कन्फ्यूज़ लुक के साथ एकांश को देखा
“मैंने कहा था के आप इक्सेक्ट्लि 9.30 को मेरे केबिन मे होनी चाहिए और अब 9.34 हो रहे है” एकांश ने सपाट टोन मे कहा
“ओह, सॉरी सर” अक्षिता ने कहा
“मुझे सॉरी सुनना पसंद नहीं है तो बेहतर होगा के आप कोई गलती ही न करे”
“ओके सर” अक्षिता ने हा मे गर्दन हिला दी
“अब चूंकि आप मेरी पीए है कुछ बाते है जो आपको फॉलो करनी होंगी, कुछ रुल्स है” एकांश ने कहा और रुक कर अक्षिता को देखा तो उसने हा मे गर्दन हिलाई फिर एकांश आगे बोला
“रोज आप इक्सेक्ट्लि 9.30 पे यहा प्रेजेंट होनी चाहिए और आपके हाथ मे मेरी ब्लैक कॉफी होनी चाहिए” एकांश बोलते हुए फिर रुक और अक्षिता का रिएक्शन देखने लगा
“कॉफी?” अक्षिता ने पूछा
“यस”
“लेकिन वो मेरा काम नहीं है” अक्षिता ने सपाट आवाज मे जवाब दिया
“ये मेरे पीए का काम है जो की आजसे तुम हो” एकांश ने भी उसी टोन मे कहा
“लेकिन..”
“देखो मुझे तुम्हें कुछ इक्स्प्लैन करने की जरूरत नहीं है... मैं बॉस हु तुम एम्प्लोयी हो और तुम्हारा काम है मेरे ऑर्डर्स मानना, तो अब इसपे और कोई बात नहीं होगी” एकांश ने बात खतम करते हुए कहा और अक्षिता बस शांति से खड़ी रही
”इस दिस क्लीयर टु यू मिस पांडे?”
“यस सर”
“ओके तो जाओ और मेरी कॉफी लेकर आओ” एकांश ने ऑर्डर छोडा और वापिस काम मे लग गया
अक्षिता भी झटके के साथ उसके केबिन से निकली और कैफै की ओर गई जहा एकांश की कॉफी तयार रखी हुई थी, उसने वहा से कॉफी ली और वापिस केबिन मे आई
“सर आपकी कॉफी”
अक्षिता ने उसके टेबल पर कॉफी रखते हुए कहा और इस सब मे एकांश ने एक नजर भी अक्षिता को नहीं देखा था
“मुझे शर्मा और धर्माधिकारी की फाइलस् चाहिए” एकांश ने कॉफी का घूंट लेते हुए ऑर्डर छोड़ा
“ओके सर” जिसके बाद अक्षिता ने वहा रैक मे से फाइलस् ढूँढी और उसकी टेबल पर रखी
“नाउ गो एण्ड चेक के मेरे केबिन मे रेनवैशन का काम कहा तक पहुचा है” एकांश ने अगला ऑर्डर छोड़ा और अक्षिता जल्दी से बाहर या गई ये सोच के इसी बहाने वो उससे दूर रहेगी,
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“हाइ अक्षु” लंच के दौरान रोहन ने कैन्टीन मे अक्षिता के सामने मे बैठते हुए कहा
“क्या हुआ तुम्हारा चेहरा क्यू उतरा हुआ है?” स्वरा ने अक्षिता के बगल मे बैठते हुए पूछा
“कुछ नहीं बस थक गई हु” अक्षिता ने कहा
“आज पहला ही दिन है धीरे धीरे आदत हो जाएगी” रोहन ने समझाया
“हा और नहीं तो क्या”
“तो क्या ऑर्डर कर रहे है हम?” रोहन ने दोनों लड़कियों को देख के पूछा और खाने के नाम से दोनों के चेहरे खिल उठे
“बिरयानी” “बर्गर” स्वरा और अक्षिता दोनों एकसाथ बोल पड़ी और एकदूसरे को देखा
“मुझे बिरयानी खानी है” अक्षिता ने स्वरा को देखते हुए कहा
“और मुझे बर्गर चाहिए” स्वरा ने भी वापिस अक्षिता को घूर के देखा
“तुम रोज वही तो खाती को यार स्वरा”
“अक्षु मैं सिर्फ कभी कभी बर्गर ऑर्डर करती हु”
“और वो कभी कभी रोज होता है”
“नहीं”
“हा”
“नहीं”
“हा”
“नहीं”
“हा”
“नहीं बोला न”
“अरे चुप हो जाओ यार” रोहन को आखिर चिल्ला कर उन दोनों को चुप करवाना पड़ा
“तुम लोग के ये बेफिजूल के झगड़े के चक्कर मे लंच ब्रेक खतम हो जाएगा, आज मैं ऑर्डर करूंगा” रोहन ने दोनों को चुप कराते हुए कहा और अब वो दोनों उसे आँखों मे मासूमियत लिए देख रही थी
“ऐसे मत देखो, मैं तुम्हारी भोली शक्लों पे नहीं जाने वाला, मैं सेंडविच बुला रहा हु जो ऑइल फ्री है फैट फ्री और सेहत के लिए ठीक है”
अब जाहीर है बिरयानी और बर्गर के लिए लड़ने वाली लड़कियों को रोहन का सेंडविच पसंद नहीं आने वाला था
“पागल कही का” अक्षिता और स्वरा पुटपुटाई
“सुनाई दिया मुझे”
“उसी लिए बोला था” वापिस दोनों साथ मे बोल पड़ी
जिसके बाद इनकी बचकानी हरकतों को नजरंदाज करते हुए रोहन ऑर्डर लाने चला गया और उसे परेशान करके ये दोनों इधर हसने लगी थी,
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लंच निपटा कर सभी वापिस अपने अपने काम मे लग चुके थे और अक्षिता एकांश के केबिन के बाहर खड़ी थी
“कम इन” नॉक करने के बाद एकांश की सर्द सपाट आवाज अक्षिता को सुनाई दी और वो सोचने लगी ये ये इतना सडू कैसे बन गया, जिस एकांश को वो कभी जानती थी वो ऐसा नहीं था और उन्ही बातों के बारे मे सोचते हुए अक्षिता पुरानी यादों मे खोने लगी थी और नजाने कब तक वो दरवाजे के सामने पुरानी यादों मे खोई चेहरे पर मुस्कान लिए खड़ी थी और जब उसकी तंद्री टूटी और उसके ध्यान मे आया ये वो वहा खड़ी खड़ी सपने देख रही थी वो अंदर जाने के लिए आगे बढ़ी और जैसे ही उसकी नजरे सामने दरवाजे पर गई वो थोड़ा चौकी
क्युकी दरवाजे पर उसका बॉस खड़ा था और वो उसे कुछ यू देख रहा था मानो वो कोई मेंटल हो और अभी पागल खाने से भाग कर आई हो
अक्षिता के दरवाजा खटखटाने के बाद एकांश ने उसे 3 बार अंदर आने कहा था और जब सामने से कोई रीस्पान्स नहीं आया तो उसने खुद ही उठ कर दरवाजा खोला और वहा अक्षिता को खुद मे ही खोया हुआ पाया
एकांश अक्षिता के चेहरे पर आ रहे अलग अलग भाव देख सकता था.. कभी ऐसा लगता वो कुछ सोच रही है कभी कुछ कन्फ्यूज़ दिखती तो कभी खुद से हस रही थी और जब उसकी तंद्री भंग हुई तब उसका वो चौकने वाला रिएक्शन हर एक चीज को एकांश ने बारकाई से देखा था
वैसे तो उसे इस वक्त अक्षिता पर गुस्सा होना चाहिए था लेकिन वो भी अपने आप को उसके खूबसूरत चेहरे मे खोने से नहीं रोक पाया था और अब दोनों ही वापिस नॉर्मल स्टेट मे आ चुके थे
“आर यू मेंटल?” एकांश ने चिढ़ कर कहा
“नहीं तो” अक्षिता ने सौम्यता से जवाब दिया
“तो फिर दरवाजा खटखटाने के बाद यह बाहर खड़ी होकर क्या कर रही थी? मैंने कितनी बार आवाज दी अंदर से लेकिन तुम तो अपनी ही दुनिया मे खोई हुई थी कुछ खयाल है तुम कहा हो क्या कर रही हो?” एकांश ने भड़कते हुए कहा
एकांश अक्षिता को डांट रहा था और वो गर्दन झुकाए चुप चाप सब सुन रही थी, उसे पता भी नहीं चला था कब वो अपने की खयालों मे खो गई थी
“अब अंदर आकार कुछ काम करोगी या ऐसे ही कीसी पुतले की तरह खड़ा रहना है?” एकांश वापिस चिल्लाया और अंदर जाकर अपनी जगह पर बैठ गया
एकांश ने अक्षिता को एक लेटर लिखने कहा जो वो बताने वाला था और अक्षिता भी लिखने के लिए रेडी हो गई और कुछ टाइम तक सही से लिखा भी लेकिन फिर एकांश ने अपने बोलने की स्पीड बढ़ा दी जिसमे अक्षिता पीछे छूट गई
“हो गया?” एकांश ने पूछा
“वो.. स.. सर आप प्लीज एक बार रीपीट करेंगे?” अक्षिता ने डरते हुए पूछा
“क्यू? तुमने लिखा नहीं?”
“वो आप बीच मे बहुत फास्ट बोल रहे थे इसीलिए...“
“अच्छा तो अब ये मेरी गलती है?” एकांश ने गुस्से मे पूछा
“नहीं सर मेरी गलती है मेरा ध्यान भटक गया था ये मेरा पहला ही दिन है इस काम का” अक्षिता ने एकांश की आँखों मे देखते हुए कहा
“यू आर गुड फॉर नथिंग” एकांश ने रुडली कहा
“इसीलिए मैंने कहा था के मैं इस काम के लिए सही नहीं हु” अब अक्षिता ने भी अपना आवाज बढ़ाते हुए कहा
एकांश ने उसे घूर के देखा और अक्षिता ने झट से अपनी नजरे झुका ली और एकांश वापिस उसे बताने लगा और अक्षिता ने भी इस बार सब सही से लिखा और धीमे से थैंक यू कहा और वहा से जाने लगी
“कान्सन्ट्रैट ऑन योर वर्क” एकांश ने अपनी हमेशा वाली सपाट आवाज मे अक्षिता से कहा और अक्षिता वहा से निकल गई..
--
“अक्षु तू पागल है क्या?”
घर जाते हुए जब अक्षिता ने रोहन और स्वरा को अपने आज के पराक्रम के बारे मे बताया तब उन दोनों के मुह से एकसाथ निकला वही अक्षिता को भी लग रहा था के उसे ऐसे ट्रैन्स मे नहीं जाना चाहिए था लेकिन ये खयाल बस कुछ ही पालो का था, जैसे ही उसने अपने दोनों दोस्तों को अपनी बेवकूफी पर हसता हुआ देखा ये खयाल उसके दिमाग से गायब हो गया
“ज्यादा हसो मत मुझे पता है के बात बेवकूफी भरी थी लेकिन पता नहीं मैं क्या सोच रही थी” अक्षिता ने ये बात छुपा ली थी के वो उसके और एकांश के बारे मे ही सोच रही थी
“नो वन्डर ही लूक्ड एट यू लाइक यू आर सम मेंटल असायलम पैशन्ट” स्वरा ने हसते हुए कहा और अक्षिता ने उसे हल्के गुस्से से देखा
वो बीच पार्किंग लॉट मे पागलों की तरह हस रहे थे और इसपर ब्रेक तब लगा जब एकांश उनके पास से होकर गुजरा और अपनी कार तक जाते हुए उन्हे अजीब नजरों के साथ देखता हुआ गया
“बढ़िया! अब इसको लगेगा के हम भी तुम्हारी ही तरह कोई पागल लोग है” रोहन ने अक्षिता से कहा और वो भी अपनी गाड़ियों की ओर बढ़ गए...
“मिस पांडे आप लेट है’ एकांश ने बगैर अक्षिता की ओर देखते हुए कहा
अक्षिता ने अपनी घड़ी मे देखा तो उसमे 9.34 हो रहे थे फिर उसने कन्फ्यूज़ लुक के साथ एकांश को देखा
“मैंने कहा था के आप इक्सेक्ट्लि 9.30 को मेरे केबिन मे होनी चाहिए और अब 9.34 हो रहे है” एकांश ने सपाट टोन मे कहा
“ओह, सॉरी सर” अक्षिता ने कहा
“मुझे सॉरी सुनना पसंद नहीं है तो बेहतर होगा के आप कोई गलती ही न करे”
“ओके सर” अक्षिता ने हा मे गर्दन हिला दी
“अब चूंकि आप मेरी पीए है कुछ बाते है जो आपको फॉलो करनी होंगी, कुछ रुल्स है” एकांश ने कहा और रुक कर अक्षिता को देखा तो उसने हा मे गर्दन हिलाई फिर एकांश आगे बोला
“रोज आप इक्सेक्ट्लि 9.30 पे यहा प्रेजेंट होनी चाहिए और आपके हाथ मे मेरी ब्लैक कॉफी होनी चाहिए” एकांश बोलते हुए फिर रुक और अक्षिता का रिएक्शन देखने लगा
“कॉफी?” अक्षिता ने पूछा
“यस”
“लेकिन वो मेरा काम नहीं है” अक्षिता ने सपाट आवाज मे जवाब दिया
“ये मेरे पीए का काम है जो की आजसे तुम हो” एकांश ने भी उसी टोन मे कहा
“लेकिन..”
“देखो मुझे तुम्हें कुछ इक्स्प्लैन करने की जरूरत नहीं है... मैं बॉस हु तुम एम्प्लोयी हो और तुम्हारा काम है मेरे ऑर्डर्स मानना, तो अब इसपे और कोई बात नहीं होगी” एकांश ने बात खतम करते हुए कहा और अक्षिता बस शांति से खड़ी रही
”इस दिस क्लीयर टु यू मिस पांडे?”
“यस सर”
“ओके तो जाओ और मेरी कॉफी लेकर आओ” एकांश ने ऑर्डर छोडा और वापिस काम मे लग गया
अक्षिता भी झटके के साथ उसके केबिन से निकली और कैफै की ओर गई जहा एकांश की कॉफी तयार रखी हुई थी, उसने वहा से कॉफी ली और वापिस केबिन मे आई
“सर आपकी कॉफी”
अक्षिता ने उसके टेबल पर कॉफी रखते हुए कहा और इस सब मे एकांश ने एक नजर भी अक्षिता को नहीं देखा था
“मुझे शर्मा और धर्माधिकारी की फाइलस् चाहिए” एकांश ने कॉफी का घूंट लेते हुए ऑर्डर छोड़ा
“ओके सर” जिसके बाद अक्षिता ने वहा रैक मे से फाइलस् ढूँढी और उसकी टेबल पर रखी
“नाउ गो एण्ड चेक के मेरे केबिन मे रेनवैशन का काम कहा तक पहुचा है” एकांश ने अगला ऑर्डर छोड़ा और अक्षिता जल्दी से बाहर या गई ये सोच के इसी बहाने वो उससे दूर रहेगी,
--
“हाइ अक्षु” लंच के दौरान रोहन ने कैन्टीन मे अक्षिता के सामने मे बैठते हुए कहा
“क्या हुआ तुम्हारा चेहरा क्यू उतरा हुआ है?” स्वरा ने अक्षिता के बगल मे बैठते हुए पूछा
“कुछ नहीं बस थक गई हु” अक्षिता ने कहा
“आज पहला ही दिन है धीरे धीरे आदत हो जाएगी” रोहन ने समझाया
“हा और नहीं तो क्या”
“तो क्या ऑर्डर कर रहे है हम?” रोहन ने दोनों लड़कियों को देख के पूछा और खाने के नाम से दोनों के चेहरे खिल उठे
“बिरयानी” “बर्गर” स्वरा और अक्षिता दोनों एकसाथ बोल पड़ी और एकदूसरे को देखा
“मुझे बिरयानी खानी है” अक्षिता ने स्वरा को देखते हुए कहा
“और मुझे बर्गर चाहिए” स्वरा ने भी वापिस अक्षिता को घूर के देखा
“तुम रोज वही तो खाती को यार स्वरा”
“अक्षु मैं सिर्फ कभी कभी बर्गर ऑर्डर करती हु”
“और वो कभी कभी रोज होता है”
“नहीं”
“हा”
“नहीं”
“हा”
“नहीं”
“हा”
“नहीं बोला न”
“अरे चुप हो जाओ यार” रोहन को आखिर चिल्ला कर उन दोनों को चुप करवाना पड़ा
“तुम लोग के ये बेफिजूल के झगड़े के चक्कर मे लंच ब्रेक खतम हो जाएगा, आज मैं ऑर्डर करूंगा” रोहन ने दोनों को चुप कराते हुए कहा और अब वो दोनों उसे आँखों मे मासूमियत लिए देख रही थी
“ऐसे मत देखो, मैं तुम्हारी भोली शक्लों पे नहीं जाने वाला, मैं सेंडविच बुला रहा हु जो ऑइल फ्री है फैट फ्री और सेहत के लिए ठीक है”
अब जाहीर है बिरयानी और बर्गर के लिए लड़ने वाली लड़कियों को रोहन का सेंडविच पसंद नहीं आने वाला था
“पागल कही का” अक्षिता और स्वरा पुटपुटाई
“सुनाई दिया मुझे”
“उसी लिए बोला था” वापिस दोनों साथ मे बोल पड़ी
जिसके बाद इनकी बचकानी हरकतों को नजरंदाज करते हुए रोहन ऑर्डर लाने चला गया और उसे परेशान करके ये दोनों इधर हसने लगी थी,
--
लंच निपटा कर सभी वापिस अपने अपने काम मे लग चुके थे और अक्षिता एकांश के केबिन के बाहर खड़ी थी
“कम इन” नॉक करने के बाद एकांश की सर्द सपाट आवाज अक्षिता को सुनाई दी और वो सोचने लगी ये ये इतना सडू कैसे बन गया, जिस एकांश को वो कभी जानती थी वो ऐसा नहीं था और उन्ही बातों के बारे मे सोचते हुए अक्षिता पुरानी यादों मे खोने लगी थी और नजाने कब तक वो दरवाजे के सामने पुरानी यादों मे खोई चेहरे पर मुस्कान लिए खड़ी थी और जब उसकी तंद्री टूटी और उसके ध्यान मे आया ये वो वहा खड़ी खड़ी सपने देख रही थी वो अंदर जाने के लिए आगे बढ़ी और जैसे ही उसकी नजरे सामने दरवाजे पर गई वो थोड़ा चौकी
क्युकी दरवाजे पर उसका बॉस खड़ा था और वो उसे कुछ यू देख रहा था मानो वो कोई मेंटल हो और अभी पागल खाने से भाग कर आई हो
अक्षिता के दरवाजा खटखटाने के बाद एकांश ने उसे 3 बार अंदर आने कहा था और जब सामने से कोई रीस्पान्स नहीं आया तो उसने खुद ही उठ कर दरवाजा खोला और वहा अक्षिता को खुद मे ही खोया हुआ पाया
एकांश अक्षिता के चेहरे पर आ रहे अलग अलग भाव देख सकता था.. कभी ऐसा लगता वो कुछ सोच रही है कभी कुछ कन्फ्यूज़ दिखती तो कभी खुद से हस रही थी और जब उसकी तंद्री भंग हुई तब उसका वो चौकने वाला रिएक्शन हर एक चीज को एकांश ने बारकाई से देखा था
वैसे तो उसे इस वक्त अक्षिता पर गुस्सा होना चाहिए था लेकिन वो भी अपने आप को उसके खूबसूरत चेहरे मे खोने से नहीं रोक पाया था और अब दोनों ही वापिस नॉर्मल स्टेट मे आ चुके थे
“आर यू मेंटल?” एकांश ने चिढ़ कर कहा
“नहीं तो” अक्षिता ने सौम्यता से जवाब दिया
“तो फिर दरवाजा खटखटाने के बाद यह बाहर खड़ी होकर क्या कर रही थी? मैंने कितनी बार आवाज दी अंदर से लेकिन तुम तो अपनी ही दुनिया मे खोई हुई थी कुछ खयाल है तुम कहा हो क्या कर रही हो?” एकांश ने भड़कते हुए कहा
एकांश अक्षिता को डांट रहा था और वो गर्दन झुकाए चुप चाप सब सुन रही थी, उसे पता भी नहीं चला था कब वो अपने की खयालों मे खो गई थी
“अब अंदर आकार कुछ काम करोगी या ऐसे ही कीसी पुतले की तरह खड़ा रहना है?” एकांश वापिस चिल्लाया और अंदर जाकर अपनी जगह पर बैठ गया
एकांश ने अक्षिता को एक लेटर लिखने कहा जो वो बताने वाला था और अक्षिता भी लिखने के लिए रेडी हो गई और कुछ टाइम तक सही से लिखा भी लेकिन फिर एकांश ने अपने बोलने की स्पीड बढ़ा दी जिसमे अक्षिता पीछे छूट गई
“हो गया?” एकांश ने पूछा
“वो.. स.. सर आप प्लीज एक बार रीपीट करेंगे?” अक्षिता ने डरते हुए पूछा
“क्यू? तुमने लिखा नहीं?”
“वो आप बीच मे बहुत फास्ट बोल रहे थे इसीलिए...“
“अच्छा तो अब ये मेरी गलती है?” एकांश ने गुस्से मे पूछा
“नहीं सर मेरी गलती है मेरा ध्यान भटक गया था ये मेरा पहला ही दिन है इस काम का” अक्षिता ने एकांश की आँखों मे देखते हुए कहा
“यू आर गुड फॉर नथिंग” एकांश ने रुडली कहा
“इसीलिए मैंने कहा था के मैं इस काम के लिए सही नहीं हु” अब अक्षिता ने भी अपना आवाज बढ़ाते हुए कहा
एकांश ने उसे घूर के देखा और अक्षिता ने झट से अपनी नजरे झुका ली और एकांश वापिस उसे बताने लगा और अक्षिता ने भी इस बार सब सही से लिखा और धीमे से थैंक यू कहा और वहा से जाने लगी
“कान्सन्ट्रैट ऑन योर वर्क” एकांश ने अपनी हमेशा वाली सपाट आवाज मे अक्षिता से कहा और अक्षिता वहा से निकल गई..
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“अक्षु तू पागल है क्या?”
घर जाते हुए जब अक्षिता ने रोहन और स्वरा को अपने आज के पराक्रम के बारे मे बताया तब उन दोनों के मुह से एकसाथ निकला वही अक्षिता को भी लग रहा था के उसे ऐसे ट्रैन्स मे नहीं जाना चाहिए था लेकिन ये खयाल बस कुछ ही पालो का था, जैसे ही उसने अपने दोनों दोस्तों को अपनी बेवकूफी पर हसता हुआ देखा ये खयाल उसके दिमाग से गायब हो गया
“ज्यादा हसो मत मुझे पता है के बात बेवकूफी भरी थी लेकिन पता नहीं मैं क्या सोच रही थी” अक्षिता ने ये बात छुपा ली थी के वो उसके और एकांश के बारे मे ही सोच रही थी
“नो वन्डर ही लूक्ड एट यू लाइक यू आर सम मेंटल असायलम पैशन्ट” स्वरा ने हसते हुए कहा और अक्षिता ने उसे हल्के गुस्से से देखा
वो बीच पार्किंग लॉट मे पागलों की तरह हस रहे थे और इसपर ब्रेक तब लगा जब एकांश उनके पास से होकर गुजरा और अपनी कार तक जाते हुए उन्हे अजीब नजरों के साथ देखता हुआ गया
“बढ़िया! अब इसको लगेगा के हम भी तुम्हारी ही तरह कोई पागल लोग है” रोहन ने अक्षिता से कहा और वो भी अपनी गाड़ियों की ओर बढ़ गए...
“मिस पांडे आप लेट है’ एकांश ने बगैर अक्षिता की ओर देखते हुए कहा
अक्षिता ने अपनी घड़ी मे देखा तो उसमे 9.34 हो रहे थे फिर उसने कन्फ्यूज़ लुक के साथ एकांश को देखा
“मैंने कहा था के आप इक्सेक्ट्लि 9.30 को मेरे केबिन मे होनी चाहिए और अब 9.34 हो रहे है” एकांश ने सपाट टोन मे कहा
“ओह, सॉरी सर” अक्षिता ने कहा
“मुझे सॉरी सुनना पसंद नहीं है तो बेहतर होगा के आप कोई गलती ही न करे”
“ओके सर” अक्षिता ने हा मे गर्दन हिला दी
“अब चूंकि आप मेरी पीए है कुछ बाते है जो आपको फॉलो करनी होंगी, कुछ रुल्स है” एकांश ने कहा और रुक कर अक्षिता को देखा तो उसने हा मे गर्दन हिलाई फिर एकांश आगे बोला
“रोज आप इक्सेक्ट्लि 9.30 पे यहा प्रेजेंट होनी चाहिए और आपके हाथ मे मेरी ब्लैक कॉफी होनी चाहिए” एकांश बोलते हुए फिर रुक और अक्षिता का रिएक्शन देखने लगा
“कॉफी?” अक्षिता ने पूछा
“यस”
“लेकिन वो मेरा काम नहीं है” अक्षिता ने सपाट आवाज मे जवाब दिया
“ये मेरे पीए का काम है जो की आजसे तुम हो” एकांश ने भी उसी टोन मे कहा
“लेकिन..”
“देखो मुझे तुम्हें कुछ इक्स्प्लैन करने की जरूरत नहीं है... मैं बॉस हु तुम एम्प्लोयी हो और तुम्हारा काम है मेरे ऑर्डर्स मानना, तो अब इसपे और कोई बात नहीं होगी” एकांश ने बात खतम करते हुए कहा और अक्षिता बस शांति से खड़ी रही
”इस दिस क्लीयर टु यू मिस पांडे?”
“यस सर”
“ओके तो जाओ और मेरी कॉफी लेकर आओ” एकांश ने ऑर्डर छोडा और वापिस काम मे लग गया
अक्षिता भी झटके के साथ उसके केबिन से निकली और कैफै की ओर गई जहा एकांश की कॉफी तयार रखी हुई थी, उसने वहा से कॉफी ली और वापिस केबिन मे आई
“सर आपकी कॉफी”
अक्षिता ने उसके टेबल पर कॉफी रखते हुए कहा और इस सब मे एकांश ने एक नजर भी अक्षिता को नहीं देखा था
“मुझे शर्मा और धर्माधिकारी की फाइलस् चाहिए” एकांश ने कॉफी का घूंट लेते हुए ऑर्डर छोड़ा
“ओके सर” जिसके बाद अक्षिता ने वहा रैक मे से फाइलस् ढूँढी और उसकी टेबल पर रखी
“नाउ गो एण्ड चेक के मेरे केबिन मे रेनवैशन का काम कहा तक पहुचा है” एकांश ने अगला ऑर्डर छोड़ा और अक्षिता जल्दी से बाहर या गई ये सोच के इसी बहाने वो उससे दूर रहेगी,
--
“हाइ अक्षु” लंच के दौरान रोहन ने कैन्टीन मे अक्षिता के सामने मे बैठते हुए कहा
“क्या हुआ तुम्हारा चेहरा क्यू उतरा हुआ है?” स्वरा ने अक्षिता के बगल मे बैठते हुए पूछा
“कुछ नहीं बस थक गई हु” अक्षिता ने कहा
“आज पहला ही दिन है धीरे धीरे आदत हो जाएगी” रोहन ने समझाया
“हा और नहीं तो क्या”
“तो क्या ऑर्डर कर रहे है हम?” रोहन ने दोनों लड़कियों को देख के पूछा और खाने के नाम से दोनों के चेहरे खिल उठे
“बिरयानी” “बर्गर” स्वरा और अक्षिता दोनों एकसाथ बोल पड़ी और एकदूसरे को देखा
“मुझे बिरयानी खानी है” अक्षिता ने स्वरा को देखते हुए कहा
“और मुझे बर्गर चाहिए” स्वरा ने भी वापिस अक्षिता को घूर के देखा
“तुम रोज वही तो खाती को यार स्वरा”
“अक्षु मैं सिर्फ कभी कभी बर्गर ऑर्डर करती हु”
“और वो कभी कभी रोज होता है”
“नहीं”
“हा”
“नहीं”
“हा”
“नहीं”
“हा”
“नहीं बोला न”
“अरे चुप हो जाओ यार” रोहन को आखिर चिल्ला कर उन दोनों को चुप करवाना पड़ा
“तुम लोग के ये बेफिजूल के झगड़े के चक्कर मे लंच ब्रेक खतम हो जाएगा, आज मैं ऑर्डर करूंगा” रोहन ने दोनों को चुप कराते हुए कहा और अब वो दोनों उसे आँखों मे मासूमियत लिए देख रही थी
“ऐसे मत देखो, मैं तुम्हारी भोली शक्लों पे नहीं जाने वाला, मैं सेंडविच बुला रहा हु जो ऑइल फ्री है फैट फ्री और सेहत के लिए ठीक है”
अब जाहीर है बिरयानी और बर्गर के लिए लड़ने वाली लड़कियों को रोहन का सेंडविच पसंद नहीं आने वाला था
“पागल कही का” अक्षिता और स्वरा पुटपुटाई
“सुनाई दिया मुझे”
“उसी लिए बोला था” वापिस दोनों साथ मे बोल पड़ी
जिसके बाद इनकी बचकानी हरकतों को नजरंदाज करते हुए रोहन ऑर्डर लाने चला गया और उसे परेशान करके ये दोनों इधर हसने लगी थी,
--
लंच निपटा कर सभी वापिस अपने अपने काम मे लग चुके थे और अक्षिता एकांश के केबिन के बाहर खड़ी थी
“कम इन” नॉक करने के बाद एकांश की सर्द सपाट आवाज अक्षिता को सुनाई दी और वो सोचने लगी ये ये इतना सडू कैसे बन गया, जिस एकांश को वो कभी जानती थी वो ऐसा नहीं था और उन्ही बातों के बारे मे सोचते हुए अक्षिता पुरानी यादों मे खोने लगी थी और नजाने कब तक वो दरवाजे के सामने पुरानी यादों मे खोई चेहरे पर मुस्कान लिए खड़ी थी और जब उसकी तंद्री टूटी और उसके ध्यान मे आया ये वो वहा खड़ी खड़ी सपने देख रही थी वो अंदर जाने के लिए आगे बढ़ी और जैसे ही उसकी नजरे सामने दरवाजे पर गई वो थोड़ा चौकी
क्युकी दरवाजे पर उसका बॉस खड़ा था और वो उसे कुछ यू देख रहा था मानो वो कोई मेंटल हो और अभी पागल खाने से भाग कर आई हो
अक्षिता के दरवाजा खटखटाने के बाद एकांश ने उसे 3 बार अंदर आने कहा था और जब सामने से कोई रीस्पान्स नहीं आया तो उसने खुद ही उठ कर दरवाजा खोला और वहा अक्षिता को खुद मे ही खोया हुआ पाया
एकांश अक्षिता के चेहरे पर आ रहे अलग अलग भाव देख सकता था.. कभी ऐसा लगता वो कुछ सोच रही है कभी कुछ कन्फ्यूज़ दिखती तो कभी खुद से हस रही थी और जब उसकी तंद्री भंग हुई तब उसका वो चौकने वाला रिएक्शन हर एक चीज को एकांश ने बारकाई से देखा था
वैसे तो उसे इस वक्त अक्षिता पर गुस्सा होना चाहिए था लेकिन वो भी अपने आप को उसके खूबसूरत चेहरे मे खोने से नहीं रोक पाया था और अब दोनों ही वापिस नॉर्मल स्टेट मे आ चुके थे
“आर यू मेंटल?” एकांश ने चिढ़ कर कहा
“नहीं तो” अक्षिता ने सौम्यता से जवाब दिया
“तो फिर दरवाजा खटखटाने के बाद यह बाहर खड़ी होकर क्या कर रही थी? मैंने कितनी बार आवाज दी अंदर से लेकिन तुम तो अपनी ही दुनिया मे खोई हुई थी कुछ खयाल है तुम कहा हो क्या कर रही हो?” एकांश ने भड़कते हुए कहा
एकांश अक्षिता को डांट रहा था और वो गर्दन झुकाए चुप चाप सब सुन रही थी, उसे पता भी नहीं चला था कब वो अपने की खयालों मे खो गई थी
“अब अंदर आकार कुछ काम करोगी या ऐसे ही कीसी पुतले की तरह खड़ा रहना है?” एकांश वापिस चिल्लाया और अंदर जाकर अपनी जगह पर बैठ गया
एकांश ने अक्षिता को एक लेटर लिखने कहा जो वो बताने वाला था और अक्षिता भी लिखने के लिए रेडी हो गई और कुछ टाइम तक सही से लिखा भी लेकिन फिर एकांश ने अपने बोलने की स्पीड बढ़ा दी जिसमे अक्षिता पीछे छूट गई
“हो गया?” एकांश ने पूछा
“वो.. स.. सर आप प्लीज एक बार रीपीट करेंगे?” अक्षिता ने डरते हुए पूछा
“क्यू? तुमने लिखा नहीं?”
“वो आप बीच मे बहुत फास्ट बोल रहे थे इसीलिए...“
“अच्छा तो अब ये मेरी गलती है?” एकांश ने गुस्से मे पूछा
“नहीं सर मेरी गलती है मेरा ध्यान भटक गया था ये मेरा पहला ही दिन है इस काम का” अक्षिता ने एकांश की आँखों मे देखते हुए कहा
“यू आर गुड फॉर नथिंग” एकांश ने रुडली कहा
“इसीलिए मैंने कहा था के मैं इस काम के लिए सही नहीं हु” अब अक्षिता ने भी अपना आवाज बढ़ाते हुए कहा
एकांश ने उसे घूर के देखा और अक्षिता ने झट से अपनी नजरे झुका ली और एकांश वापिस उसे बताने लगा और अक्षिता ने भी इस बार सब सही से लिखा और धीमे से थैंक यू कहा और वहा से जाने लगी
“कान्सन्ट्रैट ऑन योर वर्क” एकांश ने अपनी हमेशा वाली सपाट आवाज मे अक्षिता से कहा और अक्षिता वहा से निकल गई..
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“अक्षु तू पागल है क्या?”
घर जाते हुए जब अक्षिता ने रोहन और स्वरा को अपने आज के पराक्रम के बारे मे बताया तब उन दोनों के मुह से एकसाथ निकला वही अक्षिता को भी लग रहा था के उसे ऐसे ट्रैन्स मे नहीं जाना चाहिए था लेकिन ये खयाल बस कुछ ही पालो का था, जैसे ही उसने अपने दोनों दोस्तों को अपनी बेवकूफी पर हसता हुआ देखा ये खयाल उसके दिमाग से गायब हो गया
“ज्यादा हसो मत मुझे पता है के बात बेवकूफी भरी थी लेकिन पता नहीं मैं क्या सोच रही थी” अक्षिता ने ये बात छुपा ली थी के वो उसके और एकांश के बारे मे ही सोच रही थी
“नो वन्डर ही लूक्ड एट यू लाइक यू आर सम मेंटल असायलम पैशन्ट” स्वरा ने हसते हुए कहा और अक्षिता ने उसे हल्के गुस्से से देखा
वो बीच पार्किंग लॉट मे पागलों की तरह हस रहे थे और इसपर ब्रेक तब लगा जब एकांश उनके पास से होकर गुजरा और अपनी कार तक जाते हुए उन्हे अजीब नजरों के साथ देखता हुआ गया
“बढ़िया! अब इसको लगेगा के हम भी तुम्हारी ही तरह कोई पागल लोग है” रोहन ने अक्षिता से कहा और वो भी अपनी गाड़ियों की ओर बढ़ गए...