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Romance Ek Duje ke Vaaste..

chandan misra

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Update 1


1.5 साल बाद...

“अक्षु उठो अब तुमने रात मे कहा था न तुम्हें ऑफिस जल्दी जाना है लेट हो जाएगा तुम्हें”

इस वक्त सुबह के 8 बज रहे थे और अक्षिता की मा उसे नींद से जगाने की कोशिश मे लगी हुई थी

“उमहू, मम्मी यार सोने दो ना, चली जाऊँगी ऑफिस भी”

“अरे पर तुमने ही तो कहा था के तुम्हें आज ऑफिस जल्दी जाना था आज जरूरी काम है ऑफिस मे और अब सोई हो उठो, 8 बजे गए है”

और जैसे ही अक्षिता के कानों ने 8 बजने की बात सुनी अक्षिता उठ बैठी, उसे 8.30 तक ऑफिस पहुचना था लेकिन 8 उसे घर पर ही बज चुके थे और आज इतने इम्पॉर्टन्ट दिन उसका ऑफिस के लिए लेट होना लगभग तय हो चुका था, वो जल्दी से बेड से उठी और रेडी होकर ऑफिस के लिए रवाना हो गई,

अक्षिता जितनी जल्दी हो सकता था ऑफिस पहुच गई थी फिर भी उसे लेट हो चुका था और जैसे ही वो ऑफिस मे घुसी

“अक्षु इधर”

अक्षिता की दोस्त और कलीग स्वरा ने उसे आवाज दिया और अक्षिता मुसकुराते हुए उसके पास गई

“तुमको कोई आइडीया है के कितने बज रहे है?” स्वरा ने गुस्से मे कहा

“सवा नौ” अक्षिता ने नीचे देखते हुए धीमे से कहा

“और आपको ऑफिस कितने बजे तक आना था?”

“साढ़े आठ बजे तक” अक्षिता ने वैसे ही नीचे देखते हुए कहा

“और वो क्यू??”

“क्युकी आज हमारा नया बॉस आने वाला है” अक्षिता ने स्माइल के साथ कहा, उसको जरा भी अपने लेट आने का पछतावा नहीं था और इसको कोई फरक नहीं पड़ा ये देख स्वरा ने अपना सर झटक लिया

“सॉरी ना यार स्वरू और इतना भी लेट नहीं हुआ है वैसे भी मैं उसके आने के पहले तो आ ही गई हु ना अब चल जल्दी हॉल मे”

जिसके साथ ही अक्षिता स्वरा को अपने साथ खिच के ले जाने लगी

“ओये रोहन कहा है” अक्षिता ने अपने दूसरे दोस्त के बारे मे पूछा

“वो पहुच गया है हमारी राह देख रहा है” स्वरा ने कहा

आज से 1 साल पहले अक्षिता स्वरा और रोहन ने एक साथ ही इस कंपनी मे जॉइन किया था और तभी से तीनों की दोस्ती काफी अच्छी हो गई थी, वो दोनों मीटिंग हॉल मे पहुची जहा रोहन पहले ही मौजूद था

“हाश पहुच गए.... हाइ रोहन” अक्षिता ने रोहन को देखते ही कहा

“चलो तुम दोनों पहुची तो” रोहन ने उन दोनों को देख कहा

“ओये तुम लोगों को पता है क्या अपना नया बॉस कौन है?? मैंने सुना है वो बहुत हैन्डसम है, ऊपर से बैच्लर भी है” स्वरा ने अपने नए बॉस के बारे मे सोचते हुए उन दोनों से पूछा

“और मैंने तो ये भी सुना है के वो हैन्डसम होने के साथ साथ गुस्से वाला और ऐरगन्ट भी है तो मैडम सपने से बाहर आओ और बेहतर होगा के उसके सामने तमीज से रहो क्युकी मैंने यहा तक सुना है के वो किसी को फायर करने से पहले एक बार भी नहीं सोचता” रोहन ने स्वरा को सपनों से बाहर लाते हुए सच्चाई से अवगत कराया।

पूरा हॉल लगभग भर चुका था, ऑफिस के सभी कर्मचारी आ गए थे और जैसे ही बॉस की एंट्री होने लगी पूरा हॉल एकदम शांत हो गया, लेकिन ये उनका नया नहीं बल्कि पुराना बॉस था, जो आज रिटायर हो रहे थे, उन्होंने कंपनी के बारे मे, अपने इक्स्पीरीअन्स के बारे मे बहुत सी बाते की, और आज जब उन्होंने अपनी कंपनी को बेच दिया था तो उन्हे कैसा फ़ील हो रहा था ये उन्होंने अपने एम्प्लॉईस को बताया

अक्षिता अपने पुराने बॉस को देख मुस्कुराई जब उन्होंने अपनी स्पीच के दौरान उसके काम की तारीफ की, वो लगभग 60 साल के थे और चुकी उनके कोई बाल बच्चे नहीं थे जो उनका बिजनस आगे बढ़ाए तो उन्होंने कंपनी को बेच कर रेटाइरमेंट लेकर बाकी जिंदगी अपनी वाइफ के साथ बिताने का फैसला किया था, ये न तो कोई बड़ी कंपनी थी ना ही ज्यादा छोटी, लेकिन उनका बिजनस अच्छे खासे प्रॉफ़िट मे था जिसने कई सालों तक कई लोगों को नौकरिया दी थी और अब चुकी वो रेटायर हो रहे थे उन्होंने इस सफल बिजनस की बागडोर किसी और को सोपने का मन बनाया था...

“सो माइ डिअर स्टाफ, प्लीज वेलकम योर न्यू बॉस” उन्होंने मुसकुराते हुए कहा

और इसी के साथ हॉल मे तालियों की गूंज उठने लगी और गेट से हॉल मे एक हैन्डसम नौजवान की एंट्री हुई, अपने नए बॉस को देख जहा एक ओर सारा स्टाफ खुश था उत्साहित था वही अक्षिता शॉक थी, वो अपनी जगह पर जम गई थी।

‘नहीं ये नहीं हो सकता’

‘ये वो नहीं है, ये हो ही नहीं सकता ये झूठ है’ अक्षिता ने अपने आप से कहा तभी

“स्टाफ प्लीज वेलकम मिस्टर एकांश रघुवंशी, आपके नए बॉस, और मुझे ये बताते हुए बहुत खुशी हो रही है के हमारी कंपनी रघुवंशी ग्रुप के साथ लिगली और कंप्लीटली मर्ज हो चुकी है और अब इस कंपनी की बागडोर मिस्टर एकांश संभालेंगे”

‘ये वही है और अब ये मेरा बॉस है’ अक्षिता ने मन मे कहा,

इस बात पर कैसे रीऐक्ट करे अक्षिता को समझ ही नहीं आ रहा था वो बस शॉक होकर अपनी जगह पर जम गई थी वही दूसरी ओर स्वरा अपने नए बॉस को देख बहुत खुश थी खास तौर पर इतने हैन्डसम बॉस को देख कर और उसकी इस खुशी को देख रोहन इरिटैट हो रहा था,

उनका पुराना बॉस एकांश को अपने सारे स्टाफ से मिला रहा था और अक्षिता उसे दूर से देख रही, वो बहुत बदल चुका था ये वो नहीं था जिसे वो कभी जानती थी उसे देख कर ऐसा लगता था मानो उसे हसना आता ही ना हो, उसे देखते हुए अक्षिता की आँखों मे पानी जमने लगा था, आज वो उसे पूरे पूरे 1.5 साल बाद देख रही थी, उसने उसे बहुत ज्यादा मिस किया था उसकी स्माइल उसका उसे छेड़ना, गले लगाना, सब कुछ उसने मिस किया था लेकिन इन सब का अब कोई मतलब नहीं था।

एकांश एक एक कर सभी स्टाफ से मिल रहा था..

‘ये लोग तो यही आ रहे है? क्या करू? क्या करू? क्या ये जानता है मैं यहा काम करती हु? हे भगवान मैं कैसे फेस करूंगी उसे? क्या वो मुझे पहचानेगा? एक काम करती हु पलट कर भाग जाती हु मिलूँगी ही नहीं, हा ये सही रहेगा’ अक्षिता अपने दिमाग के घोड़े दौड़ा रही थी और अभी उससे ना मिलना ही अक्षिता ने सही समझा लेकिन ऐसा ज्यादा दिनों तक नहीं चलने वाला था वो अब उसका बॉस था और कभी न कभी तो दोनों को आमने सामने आना ही था

अक्षिता पसीने से भीगी हुई थी मानो उसे कोई पैनिक अटैक आया हो और ऐसे मे वो उससे नहीं मिल सकती थी, उसे फेस करने के लिए अक्षिता को पहले अपने आपको तयार करना था मेंटली प्रीपेर करना था और ऐसे मे अक्षिता को सबसे अच्छा आइडीया वहा से भागने का ही लगा उसने लंबी सास ली और बगैर किसी की नजर मे आए वहा से निकलने के बारे मे सोचा और वो धीरे धीरे पीछे सरक कर वहा से निकलने ही वाली थी के तभी...

“अक्षिता”

अपने पुराने बॉस की आवाज सुन वो रुकी और उसने पीछे पलट कर देखा तो पाया के उसका पुराना बॉस नए बॉस के साथ उसे ही देख रहा था, उसको अपनी ओर देखता पा कर अक्षिता की सास अटक रही थी लेकिन एकांश का चेहरा एकदम नूट्रल था उसे कुछ फरक नहीं पड रहा था

‘लगता है इसने मुझे पहचाना नहीं’ अक्षिता ने मन मे सोचा तभी

“कहा जा रही हो, यहा आओ” अक्षिता के पुराने बॉस ने उसे बुलाया एक एम्प्लोयी के तौर पर उसे अक्षिता का काम बहुत पसंद था उसने स्माइल के साथ अक्षिता से कहा और अक्षिता ने एक लंबी सास ली और नीचे देखते हुए उनकी ओर बढ़ी

“मिस्टर रघुवंशी मीट मिस अक्षिता पांडे, ये हमारे एचआर डिपार्ट्मन्ट मे काम करती है” बॉस ने अक्षिता का इन्ट्रो कराया और इस पूरे टाइम अखिता बस गर्दन झुकाए नीचे देख रही थी जब तक के

“नाइस तो मीट यू मिस पांडे” उसके शांत ठंडी आवाज मे अक्षिता से कहा और अक्षिता ने सर उठा कर उसे देखा उसकी आँखों मे आँसू जमने लगे थे दिमाग मे जंग छिड़ी थी उसकी आवाज बता रही थी वो उसे भुला नहीं था लेकिन चेहरे पर ऐसा कुछ दिखाई नहीं दे रहा था

“नाइस टु मीट यू टू, मिस्टर रघुवंशी” अक्षिता ने कहा

“बाकी लोगों से मिल ले?” एकांश ने कहा और वो बाकी लोगों की ओर बढ़ गया

कुछ समय बाद

“अक्षु क्या हुआ था सुबह?” लंच करते हुए स्वरा ने अक्षिता से पूछा

“कब?” लेकिन अक्षिता को कुछ समझ नहीं आया तब स्वरा ने रोहन को देखा

“अक्षिता हमने सबने देखा था वो” रोहन ने कहा

“तुम लोग किस बारे मे बात कर रहे हो बताओगे?” अक्षिता ने अब थोड़ा जोर से पूछा, उसने अपने की लिए कॉफी ली हुई थी सुबह से हो रही घटनाओ से उसका सर फटा जा रहा था और ये कॉफी उसे शायद थोड़ा आराम दे दे

“पहली बात तो जब हमारा नया बॉस आया उसे देखते ही तुम्हारा चेहरा ऐसा हो गया था जैसे तुमने कोई भूत देख लिया हो” स्वरा ने कहा जिससे अब अक्षिता थोड़ा टेंशन मे थी

“दूसरी बात, तुम हॉल से भागने की कोशिश कर रही थी बताओगी ऐसा क्यू?” रोहन ने अगला सवाल दागा

“और तीसरी और सबसे इम्पॉर्टन्ट बात नए बॉस ने सबको ग्रीट किया सबसे हाथ मिलाया लेकिन तुमसे नहीं ऐसा क्यू?” स्वरा

“ये जाकर उससे पूछो” अक्षिता ने अपना पल्ला झाड दिया

“ये कोई जवाब नहीं हुआ, अक्षु तुम ठीक हो न?” स्वरा ने उससे पूछा

“हा बाबा मैं ठीक हु कुछ नहीं हुआ है, अब सर मत दुखाओ यार” इसी के साथ अक्षिता ने उन दोनों को चुप करा दिया लेकिन उसके दिमाग मे एक जंग छिड़ी हुई थी कई सारी बाते घूम रही थी पता नहीं आने वाला समय उसके जीवन मे क्या लाने वाला था, फिलहाल तो उसके दिमाग मे सबसे ऊपर एक ही बात थी के जल्दी से घर जाकर दवा लेकर सो जाए जो होगा देखा जाएगा....

क्रमश:
बढ़िया शुरुवात है, और ये तो समझ आ ही गया के ना तो एकांश और ना ही अक्षिता एकदूसरे को भूले है अब देखना होगा आए इनकी कहानी क्या मोड लेगी।
 

chandan misra

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Update 2



अपने बॉस को ऑफिस मे आता देखा सभी लोगों के उठ कर उसका अभिवादन किया और एकांश भी अपने सभी एम्प्लॉईस का अभिवादन स्वीकारते हुए टॉप फ्लोर पर बने अपने ऑफिस केबिन की ओर बढ़ा

अपने केबिन मे पहुच कर एकांश के सब तरफ नजर मारी और उसे वो केबिन बिल्कुल भी पसंद नहीं आया था और वैसे ही उसने फोन उठाया और एक कॉल लगाया

“अभी के अभी मेरे केबिन मे आओ” एकांश ने फोन पर ऑर्डर दिया और फोन झटके के साथ रख दिया

अगले ही पल केबिन के दरवाजे पर नॉक हुआ और एकांश ने कम इन कह के उस इंसान को अंदर आने की पर्मिशन दी

“सर, आइ एम पूजा, हाउ मे आइ हेल्प यू?” अंदर आने वाली लड़की ने आराम से स्माइल के साथ पूछा

“पूजा मुझे इस केबिन मे कुछ चेंजेस करने है, एक इन्टीरीअर डिजाइनर को बुलाओ और हा एक और बात, मुझे ये फाइलस् का अरेंजमेंट भी ठीक नहीं लग रहा है” एकांश से सधी हुई आवाज मे कहा

“ओके सर, फाइलस् तो सर पुराने बॉस का अससिस्टेंट अरेंज करता था बट वो सर के जाने से पहले ही रिजाइन कर चुका है” पूजा न एकांश को इन्फॉर्म किया

“ओह, लेकिन मुझे अभी कुछ अर्जन्ट फाइलस् की जरूरत है और मैं इसमे से ढूंढ नहीं सकता” एकांश थोड़ा इरिटैट लग रहा था

“कोई बात नहीं सर, अक्षिता को कौनसी फाइल कहा रखी है पता है, वो सर की ये सब मैनेज करने मे हेल्प किया करती थी और उनके काम मे भी असिस्ट करती थी” पूजा ने कहा

“ठीक है तुम जाओ और उसे भेज दो” एकांश ने कहा और फिर अपनी नजरे अने लपटॉप मे गड़ा ली

“ओके सर” इतना बोल के पूजा वहा से चली गई

**

“हैलो” अपने डेस्क पर बजता हुआ फोन उठा कर अक्षिता ने जवाब दिया

“अक्षिता, पूजा हेयर, बॉस तुम्हें केबिन मे बुला रहे है”

अक्षिता के जैसे ही ये सुना डर के मारे उसकी आंखे बड़ी हो गई

“क्यू?” अक्षिता ने धीमे से पूछा

“उन्हे कुछ फाइलस् अर्जन्टली चाहिए, जल्दी आओ” और इतना बोल के पूजा ने कॉल कट कर दिया

‘कोई बात नहीं अक्षु, तुम ये कर सकती हो, वो बस तुम्हारा बॉस है... बस प्रोफेशनल रहना है और कुछ नहीं’

अक्षिता मन ही मन अपने आप को समझते हुए एकांश के केबिन की ओर बढ़ रही थी, वो इस वक्त काफी ज्यादा नर्वस थी और जैसे ही वो बॉस के फ्लोर पर पहुची उसने वहा रीसेप्शन डेस्क पर पूजा को देख के हल्का सा स्माइल किया

और फिर कांपते हाथों से उसने केबिन का दरवाजा खटखटाया और जैसे ही उसने अंदर से कम इन का आवाज सुना उसकी सास भारी होने लगी और उसे घबराहट होने लगी, उसने धीरे धीरे दरवाजा खोला और अंदर आई

“गुड मॉर्निंग सर, आपने बुलाया मुझे?” अक्षिता ने पूछा

एकांश ने एक नजर अक्षिता को देखा और इसके साथ ही अक्षिता का दिल दुगनी स्पीड से धड़कने लगा, वो आज ब्लू सूट मे बहुत ज्यादा हैन्डसम दिख रहा था

“यस” उसने वापिस स्क्रीन की ओर देखते हुए कहा

“हाउ मे आइ हेल्प यू सर?” अब तक अक्षिता ने अपनी नर्वसनेस को संभाल लिया था

“यहा बहुत सारा मेस है और मुझे कुछ फाइलस् चाहिए” उसने अथॉरिटी वाले टोन मे कहा

“शुवर सर, आपको कौनसी फाइलस् चाहिए?” फाइलस् के रैक कर पास जाते हुए अक्षिता ने पूछा, उसे अच्छे से पता था कौनसी फाइल कहा रखी है

“मार्केटिंग” उसने कहा

अक्षिता को अच्छे से पता था वो फाइल कहा है उसने झट से मार्केटिंग की फाइल निकाल कर उसके टेबल पर रखी

“क्रेडिटर फाइल” एकांश ने कहा

इस फाइल के लिए अक्षिता को थोड़ी और फाइलस् इधर उधर करनी पड़ी पर उसे वो मिल गई और उसने वो भी एकांश के टेबल पर रख दी और उसके अगले ऑर्डर का इंतजार करने लगी

“पिछले दो साल की फाइनैन्शल रेपोर्ट्स” एकांश ने ऑर्डर दिया

इस फाइल को ढूँढने मे अक्षिता को थोड़ा ज्यादा टाइम लग गया और अब उसके लिए एकांश के साथ अकेले एक ही रूम मे रहना मुश्किल हो रहा था और आखिरकार उसे वो फाइल मिल ही गई

“ये रही फाइनैन्शल रेपोर्ट्स, सर” अक्षिता ने फाइल उसके टेबल पर रखते हुए कहा और वहा खड़ी हो गई

एकांश कुछ समय तक कुछ नहीं बोला और न ही उसने एक बार भी नजर उठा कर अक्षिता को देखा

“सर, क्या मैं जा....” लेकिन अक्षिता की बात पूरी हो पति इससे पहले ही

“कंपनी पॉलिसीस् की फाइल” एकांश के अगला ऑर्डर दे दिया

अब ये फाइलस् इम्पॉर्टन्ट और कान्फडेन्चल थी... ये फाइल कहा रखी है सोचने मे अक्षिता को थोड़ा वक्त लगा लेकिन फिर उसके ध्यान मे आ गया वो अपनी जगह से हट कर एकांश के डेस्क पर पास जाकर खड़ी हो गई और उसका अपने यू पास आकार खड़ा होना जब एकांश को समझ नहीं आया तो उसने उसकी ओर देखा

“सर वो फाइलस् लॉक है और उसकी चाबी यही कही आपकी डेस्क मे होनी चाहिए” अक्षिता ने कहा और एकांश वापिस अपने काम मे लग गया



“सर, क्या मैं..?” अक्षिता ने कतराते हुए पूछा और एकांश ने बगैर कुछ बोले गर्दन से इशारा कर दिया

एकांश जिस खुर्ची पर बैठा था अक्षिता वहा जाकर खड़ी हो गई और सारे ड्रावर्स चेक करने लगी

उसको अपने इतने करीब पाकर एकांश के दिल की धड़कने भी बढ़ी हुई थी उसका जबड़ा कस गया था और उसने अपने हाथ की मुटठिया भींच ली थी, अक्षिता के उससे दूर जाते ही उसने राहत की सास छोड़ी लेकिन अक्षिता अब उसके दूसरे साइड के ड्रावर्स चेक करने लगी थी

“और कितना टाइम लगने वाला है, मुझे वो फाइलस् जल्दी चाहिए” एकांश ने थोड़ा रुडली कहा, उसे अपने इतने करीब पाकर वो अब इरिटैट हो गया था

“मैं जल्दी करती हु सर” अक्षिता ने एक ड्रॉर खोलते हुए कहा और मन ही मन ये दुआ करने लगी के वो चाबी इसी मे हो और चाबी उसी ड्रॉर मे थी

“यस! मिल गई!” अक्षिता ने बड़ी सी मुस्कान लिए कहा

एकांश ने एक नजर अक्षिता के मुसकुराते हुए चेहरे की ओर देखा, इसी मुस्कान से कभी उसे बेइंतेहा मोहब्बत थी लेकिन अब यही मुस्कान उसे उसके धोके की याद दिला रही थी और अब इसी मुस्कान से उसे नफरत थी

“तुमने कोई ऑस्कर नहीं जीता है जो इतनी खुश हो रही हो... अब जल्दी मुझे वो फाइलस् ला कर दो” एकांश ने चिल्लाते हुए कहा

एकांश की आवाज सुन कर अक्षिता की स्माइल ही गायब हो गई, उसके जल्दी से जाकर वो फाइलस् लाकर एकांश के टेबल पर रखी और कुछ देर अगले ऑर्डर के इंतजार मे वही खड़ी रही लेकिन एकांश का उसपर ध्यान ही नहीं था वो अपने काम मे लगा हुआ था जैसे उस रूम मे उसके अलावा कोई और हो ही ना

“सर आइ विल टेक माइ लीव नाउ” अक्षिता ने कहा

जिसपर एकांश से बस मुंडी हिला दी और जितना जल्दी हो सके अक्षिता उसके केबिन से बाहर आ गई

केबिन से बाहर आते ही अक्षिता एक दीवार के सहारे टिक कर खड़ी हो गई और उसने एक लंबी सास छोड़ी, पुरानी सभी यादे इस वक्त उसके दिमाग मे चल रही थी, वो कुछ पल तक वैसी ही खड़ी रही

अक्षिता ने जब अपनी आंखे खोली तब पूजा उसे चिंता भरी नजरों से देख रही थी, अक्षिता ने उसे देख के स्माइल पास की और अपने फ्लोर अपने डेस्क की ओर चली गई

दूसरी तरफ अक्षिता के केबिन के बाहर जाते ही एकांश ने भी एक राहत की सास ली, आज 1.5 साल बाद वो उसके इतने करीब थी और इन नजदीकियों से एक भावनाओ का सैलाब इस वक्त एकांश के मन मे उमड़ रहा था

‘नहीं नहीं नहीं उसके बारे मे नहीं सोचना है, तुम बस उससे नफरत करते हो’ एकांश ने अपने आप को समझाया और वापिस अपने काम मे लग गया

***

“कहा गई थी तुम?” अक्षिता के अपनी डेस्क पर आते ही स्वरा ने उससे पूछा

“बॉस को कुछ फाइलस् चाहिए थी” अक्षिता ने सपाट लहजे मे कहा

“अक्षु ठीक को तुम?” रोहन ने पूछा जब उसने अक्षिता को अपना सर पकड़े बैठे देखा

“हा मैं ठीक हु” अक्षिता ने मुसकुराते हुए कहा

“बॉस ने कुछ कह दिया क्या” स्वरा

“वो तो सबके साथ ही रुड है कुछ नया नहीं” अक्षिता ने मुसकुराते हुए कहा लेकिन बस वो जानती थी के एकांश ऐसा क्यू है

“छोड़ो यार बॉस को चलो लंच के लिए चलते है” रोहन ने अपनी सीट पर से उठते हुए कहा

“हा हा चलो” अक्षिता और स्वरा दोनों ने एकसाथ उठते हुए कहा

**

लंच के बाद अक्षिता वापिस अपनी डेस्क पर अपने काम मे लगी हुई थी तभी उसके डेस्क पर रखा फोन फिर से बजा

‘कही ये उसी का कॉल तो नहीं’ अक्षिता ने सोचा और कॉल उठाया और एकांश की आवाज का इंतजार करने लगी लेकिन आवाज आया पूजा का

“अक्षिता बॉस ने तुम्हें वापिस बुलाया है”

और अक्षिता वापिस चल पड़ी एकांश के केबिन की ओर, उसने दरवाजा खटखटाया और जब उसने कम इन कहा तो आराम से दरवाजा खोल के अंदर आई

“ये फाइलस् इस रैक मे अल्फाबेटीकली अरेंज कर दो” एकांश ने बगैर उसकी ओर देखे कहा और अक्षिता ने फाइलस् को देखा

एकांश ने सभी फाइलस् इधर उधर कर दी थी और अब इनको अरेंज करना घंटों का काम था और अक्षिता लग गई काम पे

‘अच्छा हुआ मैंने सही से लंच कर लिया वरना तो बेहोश ही हो जाना था’

फाइलस् जमाते हुए अक्षिता ने मन ही मन कहा

कुछ समय बाद अक्षिता का फोन बजा, उसने एक नजर एकांश को देखा वो अपने काम मे लगा हुआ था उसका इस ओर ध्यान ही नहीं था तो अक्षिता ने कॉल उठाया

“हा रोहन”

“कहा हो यार तुम चलो निकलना है 5 बजे गए”

अक्षिता ने काम मे टाइम की ओर ध्यान ही नहीं दिया था

“तुम लोग जाओ मुझे थोड़ा और वक्त लगेगा” अक्षिता

“लेकिन..”

“तुम लोग जाओ मैं ठीक हु”

अक्षिता ने फोन कट किया, इस पूरे समय एकांश उसे ही देख रहा था और उसने जब उसे देखा तो उसे अपनी ओर ही देखता पाया

“काम खतम करके तुम जा सकती हो” एकांश

जिसके बाद अक्षिता वापिस काम मे लग गई इसी बीच उसकी मा का भी कॉल आया तो उसने उन्हे भी वही बताया

थोड़ी देर बाद उसने देखा के एकांश अपनी चीज़े समेट के जा रहा है और जाते जाते

“फिनिश द वर्क एण्ड लीव” एकांश उसे कह गया

अक्षिता ने एक नजर फाइलस् पर डाली, अब भी एक घंटे का काम बचा था, उसने जाकर अपने लिए एक कॉफी बनाई और वापिस काम मे लग गई 1 घंटे मे उसमे सारी फाइलस् अरेंज कर दी थी और एकांश का केबिन लॉक करके निकल गई, आज उसे काफी ज्यादा लेट हो गया था

‘बी रेडी अक्षु, ये यह तुम्हारी जिंदगी झंड करने वाला है’ अक्षिता ने मन ही मन सोचा और अपने घर की ओर बढ़ गई अब उसमे और कुछ सोचने करने की शक्ति नहीं बची थी....



क्रमश:
एकांश का यू अक्षिता से काम करवाना कोई ज्यादा बड़ी बात नहीं है अनुमान है के अभी तो यह सिलसिला और आगे चलेगा, उत्तम भाग है।
 

chandan misra

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Update 3



अगले दिन एकांश ऑफिस आया और सीधा अपने केबिन की ओर बढ़ गया, उसका केबिन नीचे वाले फ्लोर पर जहा बाकी सब लोग काम कर रहे थे वहा शिफ्ट कर दिया गया था, उसके फ्लोर पर और उसके केबिन मे काम चल रहा था और जब तक वो पूरा हो एकांश को यही से काम करना था

केबिन मे पहुचते ही एकांश ने फाइलस् की रैक पर नजर डाली तो उसने देखा के सभी फाइलस् उसके बताए मुताबिक सही तरीके से लगी हुई थी जिसे देख उसके चेहरे पे मुस्कान आ गई साथ ही ये खयाल भी आया के उसके जाने के बाद भी अक्षिता को ये सब सही करने मे कम से कम 2 घंटे लगे होंगे,

एकांश अपनी जगह से उठा और अपने केबिन मे लगी कांच की खिड़की से बाहर देखने लगा, एकांश वही से अपने सभी स्टाफ को काम करते देख सकता था और सबको देखते हुए एकांश की नजरे जाकर ठहरी अक्षिता पर जो अपना काम कर रही थी और साथ ही स्वरा की बताई कीसी बात पर हस भी रही थी और उसे ऐसे हसते हुए एकांश से देखा नहीं जा रहा था, एकांश ने वापिस अपने आप को काम मे उलझा लिया,

काम मे वक्त कैसे बीता एकांश को पता ही नहीं चला और अपना काम निपटा कर वो लंच करने जाने ही वाला था के एकांश के केबिन के दरवाजे पर नॉक हुआ

“कम इन”

“सर, आप को केबिन मे कौनसा कलर करवाना है वो पूछना था, ये रहा केटलॉग” पूजा ने केबिन मे आते हुए कहा

“केटलॉग रहने दो कलर मुझे पता है, ग्रे कलर” एकांश ने कहा वही पूजा वो आगे कुछ कहेगा इसका इंतजार करने लगी और पूजा अब भी वही खड़ी है ये देख एकांश ने पूछा

“क्या हुआ? और कोई काम है?”

“सर बस सिर्फ ग्रे कलर?” पूजा ने पूछा लेकिन बदले मे एकांश ने बस उसे घूर के देखा और इसीके साथ पूजा को उसका जवाब मिल गया था वो बगैर कुछ बोले झट से वहा से चली गई

पूजा के जाने के बाद अपना काम निपटा कर जब एकांश लंच के लिए बाहर आया तो उसने देखा के अक्षिता रोहन के साथ हसते हुए कैफै से बाहर आ रही थी, अक्षिता ने रोहन से कुछ कहा जिसे सुन वो उसके पीछे भागने लगा था, अक्षिता को ऐसे रोहन के साथ बेफिक्र बर्ताव करता एकांश से देखा नही जा रहा था, भले ही वो उससे नफरत करने लगा था लेकिन दिल के कीसी कोने मे दबा वो प्रेम अक्षिता को रोहन के साथ नही देख पा रहा था और और एकांश गुस्से मे उबलने लगा था, तभी उसके दिमाग मे एक आइडीया आया, उसे समझ आ गया था के अब उसे क्या करना है, वो वापिस अपने केबिन मे गया और एक कॉल लगाया

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लंच के बाद सभी लोग अपनी अपनी जगह बैठ कर अपने अपने काम मे लगे हुए थे तभी पूरा महोल एकदम से शांत हो गया, सबसे सामने देखा तो पाया के उनका बॉस वहा अपनी जेब मे हाथ डाले वहा खड़ा था

“हैलो एव्रीवन, आपके लिए एक अनाउन्स्मेन्ट है, प्लीज सभी लोग यहा आ जाइए” एचआर डिपार्ट्मन्ट के हेड मिस्टर शेखर ने कहा और वहा मौजूद सभी लोग उनके सामने जाकर खड़े हो गए वही अक्षिता इस सब मे थोड़ा पीछे ही रही भीड़ मे छिपी हुई एकदम पीछे, एकांश ने एक नजर सबको देखा और फिर शेखर को आगे बढ़ने कहा

“आप सभी को यहा इसिलौए बुलाया है क्युकी सर को एक पर्सनल अससिस्टेंट चाहिए और आप ही मे से कीसी एक को इस पोजीशन के चुना जाएगा”

ये बात सुनते ही वहा मौजूद लड़कियों के मन मे तो मानो लड्डू फूटने लगे थे और वो एकांश के साथ काम करने के सपने देखने लगी थी वही अक्षिता को घबराहट होने लगी थी

अक्षिता ने एकांश को देखा तो उसने पाया के वो उसे ही देख रहा था, एकांश की नजरे केवल अक्षिता पर थी, अक्षिता ने अपने आप को स्वरा के पीछे छिपा लिया था और बस यही दुआ कर रही थी के वो उसे न चुने

एकांश के हाथ मे कुछ पेपर्स थे जिनमे सभी की डिटेल्स थी एकांश ने एक नजर उन पेपर्स पर डाली और उसमे से एक पेपर निकाल कर शेखर को दिया, शेखर ने उस सेलेक्टेड प्रोफाइल को देखा और बाकी लोगों को देखते बोला

“मिस अक्षिता पांडे” शेखर ने भीड़ मे अक्षिता को ढूंढते हुए कहा वही अक्षिता ने जैसे ही अपना नाम सुन वो वही जम गई थी, अक्षिता अच्छी तरह जानती थी के एकांश ये सब जान बुझ के कर रहा था

सभी लोगों ने हट कर अक्षिता के लिए रास्ता बनाया लेकिन वो अपनी जगह से नहीं हिली

“अक्षिता” स्वरा ने थोड़ा जोर से कहा और उसे आगे आने को कहा, अक्षिता ने अपनी आंखे बंद कर रखी थी, उसने जैसे ही अपनी आंखे खोली तो पाया के सब उसे ही देख रहे थे, कुछ की नजरों मे जलन थी कुछ मे गुस्सा और कुछ लोग उसके लिए खुश थे जैसे पूजा, स्वरा रोहन और खुद शेखर....



“आगे आओ अक्षिता” शेखर ने अक्षिता को आगे आने कहा

“सर मैं इस पज़िशन के लिए क्वालफाइड भी नहीं हु” अक्षिता ने उनलोगों की ओर बढ़ते हुए शेखर से कहा लेकिन शेखर के कुछ बोलने से पहले एकांश बोल पड़ा

“मैं यहा का बॉस हु, मैंने तुम्हें सिलेक्ट किया है कोई दिक्कत हो तो टॉक टु मी” एकांश ने कहा और बदले मे अक्षिता ने बस गर्दन हिला दी

“सर मैं आपकी सेक्रेटरी की पोजीशन के लिए क्वालफाइड नहीं हु” अक्षिता नर्वसली एकांश को देखते हुए कहा

“कौन लायक है कौन नहीं ये मैं डिसाइड करूंगा मिस पांडे”

“लेकिन...“

“मिस पांडे, मेरे सवालों का बस हा या ना मे जावब देना” एकांश ने सीरीअस होकर कहा

“जी सर”

“आप इस कंपनी के बारे मे जानती है?”

“यस सर”

“आपको ये पता है के किसका यहा क्या काम है?”

“यस सर”

“क्या आपको पता है सभी फाइलस् कहा रखी है और किस फाइल मे क्या है?”

“जी सर”

“क्या आपको पता है मीटिंग्स कैसे अरेंज की जाती है उनका स्केजूल कैसे बनाया जता है?”

“यस सर”

“क्या आपको पता है कंपनी के सभी प्राइवेट और कान्फडेन्चल डॉक्युमेंट्स और फाइलस् कहा रखी है?”

“यस सर”

“अब आखरी सवाल क्या आपको अपने सूपिरीअर के, अपने बॉस के ऑर्डर फॉलो करने आते है?” एकांश ने पूछा

“यस सर”

एक ओर यह ये सेशन चल रहा था वही सारा स्टाफ अपनी आँखों के सामने ये केबीसी का खेल देख रहा था, कीसी ने भी एकांश को इतना बोलते नहीं सुना था और काइयों को तो ये भी समझ नहीं आ रहा था के अक्षिता मना क्यू कर रही थी..

“देखो तुमने अभी खुद ही अपने सभी डाउट का जवाब दे दिया है” एकांश के मुस्कुराते हुए कहा वही अक्षिता वहा थोड़ी कन्फ्यूज़ खड़ी रही

“जो कोई भी मेरा सेक्रेटरी बनेगा उसे ये सब बाते पता होनी चाहिए और तुम्हें ये सब पता है, सो यू आर क्वालफाइड फॉर दिस पोज़िशन” एकांश ने सपाट चेहरे से कहा

“लेकिन सर...” पर अक्षिता अपनी बात पूरी करती उससे पहले ही

“कोई लेकिन नहीं, आइ वॉन्ट यू तो वर्क आस माइ पीए फर्म टूमारो” एकांश ने फरमान सुन दिया था और वो अपने केबिन मे चला गया

सारा स्टाफ अब भी वही खड़ा ये सब देख रहा था, ये उनका देखा सबसे आसान इंटरव्यू था लेकिन एकांश के सामने खड़ा रहना सबके लिए उतना ही मुश्किल था

शेखर और रोहन खुश थे के अक्षिता का प्रमोशन हो गया था और स्वरा तो खुशी मे पागल हो रही थी वही अक्षिता शॉक मे थी

“ये अभी अभी क्या हुआ” अक्षिता ने रोहन और स्वरा को देखते हुए कहा

“तुम्हारा प्रमोशन हो गया है” रोहन और स्वरा ने खुश होते हुए कहा लेकिन अक्षिता जानती थी के ये उतनी खुश होने वाली बात नहीं थी..

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“कम इन” एकांश अपने केबिन मे काम कर रहा था और जैसे ही उसने दरवाजे पर नॉक सुन उसने उस शक्स को अंदर आने कहा

“सर...” अक्षिता ने कहा और एकांश ने उसे देखा

“क्या हुआ”

“सर, मुझे ये प्रमोशन नहीं चाहिए, प्लीज ये कीसी ऐसे को दीजिए को इसके काबिल हो” अक्षिता ने दरवाजे के पास खड़े होकर नजरे झुकाए कहा वो काफी नर्वस थी और एकांश से आंखे नहीं मिला पा रही थी

“तुम्हें लगता है के मैं तुम्हारी बात सुनूँगा या तुम्हारे पास कोई चॉइस है” एकांश ने रूखे स्वर मे कहा

“सर...” लेकिन एकांश ने उसे बीच मे ही रोक दिया

“क्यू?” एकांश ने अपनी जगह से उठते हुए पूछा

“मुझे.. मुझे नहीं लगता मैं ये कर पाऊँगी।“

“क्यू?” एकांश ने अपना सवाल दोहराया और एक एक कदम अक्षिता की ओर बढ़ाने लगा

“क्युकी मुझे ये काम नहीं करना है” अक्षिता ने पीछे सरकते हुए कहा और अब वो दरवाजे के एकदम करीब थी

“क्यू?” एकांश भी अब अक्षिता के पास पहुच चुका था

अक्षिता और एकांश की नजरे मिली, अक्षिता ने उसकी आँखों मे देखा, ये वही आंखे थी जिनमे कभी उसके लिए बेशुमार प्यार था लेकिन अब वहा उसके लिए केवल गुस्सा था

“बताओ तुम्हें ये काम क्यू नहीं चाहिए?” एकांश अक्षिता के और करीब आया

अक्षिता के शब्द उसके गले मे अटक गए थे, एकांश के इतने करीब होने से उससे बोलते नहीं बन रहा था, अक्षिता ने वहा से निकालना चाहा लेकिन एकांश के अपने दोनों हाथ उसके इर्द गिर्द दरवाजे पर रख कर उसे वहा अटका लिया था

“स... सर”

“हम्म...”

एकांश अक्षिता की आँखों मे खोने से अपने आप को रोक नहीं पाया, कुछ पल वो दोनों वैसे ही शांत खड़े रहे, एक दूसरे की आँखों मे खोए और फिर अक्षिता ने अपना चेहरा दूसरी ओर घुमा लिया जिसने एकांश को भी होश मे ला दिया

“तुम प्रमोशन इसीलिए नहीं चाहती क्युकी तुम डरती हो” एकांश ने उसी पोज़िशन मे कहा

“डर? कैसा डर?” अक्षिता ने डरते हुए पूछा

“तुम डरती हो मुझसे, मेरे साथ काम करने से, तुम डरती को के कही.....”

लेकिन एकांश बात पूरी करता उससे पहले ही अक्षिता बोल पड़ी

“मैं नहीं डरती।“

“तो ये सब क्यू?”

“मुझे लगा के कोई मुझसे बेहतर इस पोज़िशन को डिसर्व करता है बस इसीलिए”

“ठीक है फिर कल से अपना नया रोल संभालने तयार रहना” एकांश ने अक्षिता से दूर हटते हुए कहा और उसके हटते ही अक्षिता ने राहत की सास ली और अपनी बढ़ी हुई धड़कनों को काबू करने लगी

अक्षिता कुछ बोलना चाहती थी लेकिन सही शब्दों का चयन नहीं कर पा रही थी

“और कोई डाउट है क्या?” एकांश ने जब उसको कुछ पल वही खड़ा देखा तो उसकी ओर बढ़ने लगा और अक्षिता “नहीं” कहकर जल्दी से उसके केबीन से बाहर आ गई और दीवार से सटकर अपनी साँसों को काबू करने लगी

‘यह क्या हो रहा है मेरे साथ? मैंने उसे दूर क्यू नहीं हटाया? मुझे ऐसे कंट्रोल नहीं खोना चाहिए था, नहीं ये मैं नहीं होने दे सकती, मुझे उससे जितना हो सके दूर रहना होगा’ अक्षिता ने मन ही मन सोचा और वापिस अपनी डेस्क पर जाकर अपना काम करने लगी

अभी अक्षिता अपनी डेस्क पर काम कर ही रही थी के पीछे से उसे कीसी ने पोंक किया, मूड कर देखा तो पाया के स्वरा और रोहन अपनी बड़ी सी स्माइल लिए उसे देख रहे थे, उनके लिए थे आज उनकी दोस्त का प्रमोशन हुआ था और अब वो अक्षिता से पार्टी मांग रहे थे और अक्षिता भी उनके साथ खुश थी....



क्रमश:
भले नफरत ने प्रेम के भाव को छिपा दिया हो लेकिन प्रेम तो अभी भी है जो एकांश की जलन से महसूस किया जा सकता है अब देखते वाली बात होगी के प्रेम जीतता है या नफरत, बढ़िया भाग है मित्र।
 

Adirshi

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Awesome update and superb writing ✍️ akshita ko jhatke pe jhatke mil rahe hai👍 jab se ekansh waha us ka boss ban kar aaya hai. Ab uska gussa wo us per nikalega hi. Kyu ki usne be wafai jo ki thi :D Abhi usne akshita ko PA bana liya iska matlab hai har pal sath rahna. To ab do hi cheeje ho sakti hai. Ya to ye dono fir se ek ho jayenge. Ya fir ekansh uski watt laga dega. Gajab update 👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻💥💥💥💥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥
Thank you for the aewsome review men :thanx:
 

Adirshi

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Ekansh Akshita se nafrat bhi karta hai, usko dusre ke sath dekh jalan bhi ho rahi hai.... Mamla gadbad lag raha hai... Kya Akshita ko PA banake uske karib jana he ya issi kisi aur tarike se upni bhadas nikalni hai....

Mast update Adirshi
dono sambhavnaye abhi to active hai :notme:
Thank you for the review :thanx:
 
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