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shadiya attend karne meKidhar busy bhau???

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shadiya attend karne meKidhar busy bhau???
Thank youNice update....
wohi hoga jo manjure Adirshi hoga ...
really excellent ....sarkar......![]()
is kahani ke bhagwan hum haiwohi hoga jo manjure Adirshi hoga ...
really excellent ....sarkar......![]()
Nicely and very carefully updated....Update 2
अपने बॉस को ऑफिस मे आता देखा सभी लोगों के उठ कर उसका अभिवादन किया और एकांश भी अपने सभी एम्प्लॉईस का अभिवादन स्वीकारते हुए टॉप फ्लोर पर बने अपने ऑफिस केबिन की ओर बढ़ा
अपने केबिन मे पहुच कर एकांश के सब तरफ नजर मारी और उसे वो केबिन बिल्कुल भी पसंद नहीं आया था और वैसे ही उसने फोन उठाया और एक कॉल लगाया
“अभी के अभी मेरे केबिन मे आओ” एकांश ने फोन पर ऑर्डर दिया और फोन झटके के साथ रख दिया
अगले ही पल केबिन के दरवाजे पर नॉक हुआ और एकांश ने कम इन कह के उस इंसान को अंदर आने की पर्मिशन दी
“सर, आइ एम पूजा, हाउ मे आइ हेल्प यू?” अंदर आने वाली लड़की ने आराम से स्माइल के साथ पूछा
“पूजा मुझे इस केबिन मे कुछ चेंजेस करने है, एक इन्टीरीअर डिजाइनर को बुलाओ और हा एक और बात, मुझे ये फाइलस् का अरेंजमेंट भी ठीक नहीं लग रहा है” एकांश से सधी हुई आवाज मे कहा
“ओके सर, फाइलस् तो सर पुराने बॉस का अससिस्टेंट अरेंज करता था बट वो सर के जाने से पहले ही रिजाइन कर चुका है” पूजा न एकांश को इन्फॉर्म किया
“ओह, लेकिन मुझे अभी कुछ अर्जन्ट फाइलस् की जरूरत है और मैं इसमे से ढूंढ नहीं सकता” एकांश थोड़ा इरिटैट लग रहा था
“कोई बात नहीं सर, अक्षिता को कौनसी फाइल कहा रखी है पता है, वो सर की ये सब मैनेज करने मे हेल्प किया करती थी और उनके काम मे भी असिस्ट करती थी” पूजा ने कहा
“ठीक है तुम जाओ और उसे भेज दो” एकांश ने कहा और फिर अपनी नजरे अने लपटॉप मे गड़ा ली
“ओके सर” इतना बोल के पूजा वहा से चली गई
**
“हैलो” अपने डेस्क पर बजता हुआ फोन उठा कर अक्षिता ने जवाब दिया
“अक्षिता, पूजा हेयर, बॉस तुम्हें केबिन मे बुला रहे है”
अक्षिता के जैसे ही ये सुना डर के मारे उसकी आंखे बड़ी हो गई
“क्यू?” अक्षिता ने धीमे से पूछा
“उन्हे कुछ फाइलस् अर्जन्टली चाहिए, जल्दी आओ” और इतना बोल के पूजा ने कॉल कट कर दिया
‘कोई बात नहीं अक्षु, तुम ये कर सकती हो, वो बस तुम्हारा बॉस है... बस प्रोफेशनल रहना है और कुछ नहीं’
अक्षिता मन ही मन अपने आप को समझते हुए एकांश के केबिन की ओर बढ़ रही थी, वो इस वक्त काफी ज्यादा नर्वस थी और जैसे ही वो बॉस के फ्लोर पर पहुची उसने वहा रीसेप्शन डेस्क पर पूजा को देख के हल्का सा स्माइल किया
और फिर कांपते हाथों से उसने केबिन का दरवाजा खटखटाया और जैसे ही उसने अंदर से कम इन का आवाज सुना उसकी सास भारी होने लगी और उसे घबराहट होने लगी, उसने धीरे धीरे दरवाजा खोला और अंदर आई
“गुड मॉर्निंग सर, आपने बुलाया मुझे?” अक्षिता ने पूछा
एकांश ने एक नजर अक्षिता को देखा और इसके साथ ही अक्षिता का दिल दुगनी स्पीड से धड़कने लगा, वो आज ब्लू सूट मे बहुत ज्यादा हैन्डसम दिख रहा था
“यस” उसने वापिस स्क्रीन की ओर देखते हुए कहा
“हाउ मे आइ हेल्प यू सर?” अब तक अक्षिता ने अपनी नर्वसनेस को संभाल लिया था
“यहा बहुत सारा मेस है और मुझे कुछ फाइलस् चाहिए” उसने अथॉरिटी वाले टोन मे कहा
“शुवर सर, आपको कौनसी फाइलस् चाहिए?” फाइलस् के रैक कर पास जाते हुए अक्षिता ने पूछा, उसे अच्छे से पता था कौनसी फाइल कहा रखी है
“मार्केटिंग” उसने कहा
अक्षिता को अच्छे से पता था वो फाइल कहा है उसने झट से मार्केटिंग की फाइल निकाल कर उसके टेबल पर रखी
“क्रेडिटर फाइल” एकांश ने कहा
इस फाइल के लिए अक्षिता को थोड़ी और फाइलस् इधर उधर करनी पड़ी पर उसे वो मिल गई और उसने वो भी एकांश के टेबल पर रख दी और उसके अगले ऑर्डर का इंतजार करने लगी
“पिछले दो साल की फाइनैन्शल रेपोर्ट्स” एकांश ने ऑर्डर दिया
इस फाइल को ढूँढने मे अक्षिता को थोड़ा ज्यादा टाइम लग गया और अब उसके लिए एकांश के साथ अकेले एक ही रूम मे रहना मुश्किल हो रहा था और आखिरकार उसे वो फाइल मिल ही गई
“ये रही फाइनैन्शल रेपोर्ट्स, सर” अक्षिता ने फाइल उसके टेबल पर रखते हुए कहा और वहा खड़ी हो गई
एकांश कुछ समय तक कुछ नहीं बोला और न ही उसने एक बार भी नजर उठा कर अक्षिता को देखा
“सर, क्या मैं जा....” लेकिन अक्षिता की बात पूरी हो पति इससे पहले ही
“कंपनी पॉलिसीस् की फाइल” एकांश के अगला ऑर्डर दे दिया
अब ये फाइलस् इम्पॉर्टन्ट और कान्फडेन्चल थी... ये फाइल कहा रखी है सोचने मे अक्षिता को थोड़ा वक्त लगा लेकिन फिर उसके ध्यान मे आ गया वो अपनी जगह से हट कर एकांश के डेस्क पर पास जाकर खड़ी हो गई और उसका अपने यू पास आकार खड़ा होना जब एकांश को समझ नहीं आया तो उसने उसकी ओर देखा
“सर वो फाइलस् लॉक है और उसकी चाबी यही कही आपकी डेस्क मे होनी चाहिए” अक्षिता ने कहा और एकांश वापिस अपने काम मे लग गया
“सर, क्या मैं..?” अक्षिता ने कतराते हुए पूछा और एकांश ने बगैर कुछ बोले गर्दन से इशारा कर दिया
एकांश जिस खुर्ची पर बैठा था अक्षिता वहा जाकर खड़ी हो गई और सारे ड्रावर्स चेक करने लगी
उसको अपने इतने करीब पाकर एकांश के दिल की धड़कने भी बढ़ी हुई थी उसका जबड़ा कस गया था और उसने अपने हाथ की मुटठिया भींच ली थी, अक्षिता के उससे दूर जाते ही उसने राहत की सास छोड़ी लेकिन अक्षिता अब उसके दूसरे साइड के ड्रावर्स चेक करने लगी थी
“और कितना टाइम लगने वाला है, मुझे वो फाइलस् जल्दी चाहिए” एकांश ने थोड़ा रुडली कहा, उसे अपने इतने करीब पाकर वो अब इरिटैट हो गया था
“मैं जल्दी करती हु सर” अक्षिता ने एक ड्रॉर खोलते हुए कहा और मन ही मन ये दुआ करने लगी के वो चाबी इसी मे हो और चाबी उसी ड्रॉर मे थी
“यस! मिल गई!” अक्षिता ने बड़ी सी मुस्कान लिए कहा
एकांश ने एक नजर अक्षिता के मुसकुराते हुए चेहरे की ओर देखा, इसी मुस्कान से कभी उसे बेइंतेहा मोहब्बत थी लेकिन अब यही मुस्कान उसे उसके धोके की याद दिला रही थी और अब इसी मुस्कान से उसे नफरत थी
“तुमने कोई ऑस्कर नहीं जीता है जो इतनी खुश हो रही हो... अब जल्दी मुझे वो फाइलस् ला कर दो” एकांश ने चिल्लाते हुए कहा
एकांश की आवाज सुन कर अक्षिता की स्माइल ही गायब हो गई, उसके जल्दी से जाकर वो फाइलस् लाकर एकांश के टेबल पर रखी और कुछ देर अगले ऑर्डर के इंतजार मे वही खड़ी रही लेकिन एकांश का उसपर ध्यान ही नहीं था वो अपने काम मे लगा हुआ था जैसे उस रूम मे उसके अलावा कोई और हो ही ना
“सर आइ विल टेक माइ लीव नाउ” अक्षिता ने कहा
जिसपर एकांश से बस मुंडी हिला दी और जितना जल्दी हो सके अक्षिता उसके केबिन से बाहर आ गई
केबिन से बाहर आते ही अक्षिता एक दीवार के सहारे टिक कर खड़ी हो गई और उसने एक लंबी सास छोड़ी, पुरानी सभी यादे इस वक्त उसके दिमाग मे चल रही थी, वो कुछ पल तक वैसी ही खड़ी रही
अक्षिता ने जब अपनी आंखे खोली तब पूजा उसे चिंता भरी नजरों से देख रही थी, अक्षिता ने उसे देख के स्माइल पास की और अपने फ्लोर अपने डेस्क की ओर चली गई
दूसरी तरफ अक्षिता के केबिन के बाहर जाते ही एकांश ने भी एक राहत की सास ली, आज 1.5 साल बाद वो उसके इतने करीब थी और इन नजदीकियों से एक भावनाओ का सैलाब इस वक्त एकांश के मन मे उमड़ रहा था
‘नहीं नहीं नहीं उसके बारे मे नहीं सोचना है, तुम बस उससे नफरत करते हो’ एकांश ने अपने आप को समझाया और वापिस अपने काम मे लग गया
***
“कहा गई थी तुम?” अक्षिता के अपनी डेस्क पर आते ही स्वरा ने उससे पूछा
“बॉस को कुछ फाइलस् चाहिए थी” अक्षिता ने सपाट लहजे मे कहा
“अक्षु ठीक को तुम?” रोहन ने पूछा जब उसने अक्षिता को अपना सर पकड़े बैठे देखा
“हा मैं ठीक हु” अक्षिता ने मुसकुराते हुए कहा
“बॉस ने कुछ कह दिया क्या” स्वरा
“वो तो सबके साथ ही रुड है कुछ नया नहीं” अक्षिता ने मुसकुराते हुए कहा लेकिन बस वो जानती थी के एकांश ऐसा क्यू है
“छोड़ो यार बॉस को चलो लंच के लिए चलते है” रोहन ने अपनी सीट पर से उठते हुए कहा
“हा हा चलो” अक्षिता और स्वरा दोनों ने एकसाथ उठते हुए कहा
**
लंच के बाद अक्षिता वापिस अपनी डेस्क पर अपने काम मे लगी हुई थी तभी उसके डेस्क पर रखा फोन फिर से बजा
‘कही ये उसी का कॉल तो नहीं’ अक्षिता ने सोचा और कॉल उठाया और एकांश की आवाज का इंतजार करने लगी लेकिन आवाज आया पूजा का
“अक्षिता बॉस ने तुम्हें वापिस बुलाया है”
और अक्षिता वापिस चल पड़ी एकांश के केबिन की ओर, उसने दरवाजा खटखटाया और जब उसने कम इन कहा तो आराम से दरवाजा खोल के अंदर आई
“ये फाइलस् इस रैक मे अल्फाबेटीकली अरेंज कर दो” एकांश ने बगैर उसकी ओर देखे कहा और अक्षिता ने फाइलस् को देखा
एकांश ने सभी फाइलस् इधर उधर कर दी थी और अब इनको अरेंज करना घंटों का काम था और अक्षिता लग गई काम पे
‘अच्छा हुआ मैंने सही से लंच कर लिया वरना तो बेहोश ही हो जाना था’
फाइलस् जमाते हुए अक्षिता ने मन ही मन कहा
कुछ समय बाद अक्षिता का फोन बजा, उसने एक नजर एकांश को देखा वो अपने काम मे लगा हुआ था उसका इस ओर ध्यान ही नहीं था तो अक्षिता ने कॉल उठाया
“हा रोहन”
“कहा हो यार तुम चलो निकलना है 5 बजे गए”
अक्षिता ने काम मे टाइम की ओर ध्यान ही नहीं दिया था
“तुम लोग जाओ मुझे थोड़ा और वक्त लगेगा” अक्षिता
“लेकिन..”
“तुम लोग जाओ मैं ठीक हु”
अक्षिता ने फोन कट किया, इस पूरे समय एकांश उसे ही देख रहा था और उसने जब उसे देखा तो उसे अपनी ओर ही देखता पाया
“काम खतम करके तुम जा सकती हो” एकांश
जिसके बाद अक्षिता वापिस काम मे लग गई इसी बीच उसकी मा का भी कॉल आया तो उसने उन्हे भी वही बताया
थोड़ी देर बाद उसने देखा के एकांश अपनी चीज़े समेट के जा रहा है और जाते जाते
“फिनिश द वर्क एण्ड लीव” एकांश उसे कह गया
अक्षिता ने एक नजर फाइलस् पर डाली, अब भी एक घंटे का काम बचा था, उसने जाकर अपने लिए एक कॉफी बनाई और वापिस काम मे लग गई 1 घंटे मे उसमे सारी फाइलस् अरेंज कर दी थी और एकांश का केबिन लॉक करके निकल गई, आज उसे काफी ज्यादा लेट हो गया था
‘बी रेडी अक्षु, ये यह तुम्हारी जिंदगी झंड करने वाला है’ अक्षिता ने मन ही मन सोचा और अपने घर की ओर बढ़ गई अब उसमे और कुछ सोचने करने की शक्ति नहीं बची थी....
क्रमश: