"दिल तोड़ देने वाली इमोशनल रोलरकोस्टर!"
हे भगवान, मैं शुरुआत भी कहाँ से करूँ? ये कहानी मेरे दिल को टुकड़े-टुकड़े करके फिर से जोड़ती है, और फिर तोड़ देती है!

भावनाएँ:
पहली लाइन से ही मैं बंध गई। टेंशन, प्यार, बेबसी—सब कुछ इतना रॉ और रियल लगा। अक्षिता और अंश की लव स्टोरी सिर्फ एक रोमांस नहीं, बल्कि भावनाओं का तूफान है। अंश का उसके लिए लड़ना, उसकी मजबूरी, उसका ब्रेकडाउन—मुझे रुला दिया! और अक्षिता? वो किसी भी बॉलीवुड हीरोइन से ज्यादा स्ट्रॉन्ग है। वो मर रही है, लेकिन उसे बस अपनों की चिंता है। उफ्फ, मेरा दिल!
किरदार:
- अंश – प्रोटेक्टिव, पैशनेट और बेहद प्यार करने वाला। डॉक्टर पर चिल्लाने का सीन? रिलेटेबल! जब उसने कहा, "मैं आगे बढ़ना ही नहीं चाहता," मैं बिखर गई।

- अक्षिता सेल्फलेस, बहादुर और प्यार से भरी हुई। उसकी चुप्पी में छुपी ताकत ने मुझे तोड़ दिया। जब वो अंश का दर्द रोकने के लिए उसे किस करती है? मास्टरपीस।
- पैरेंट्स उनका साइलेंट सफरिंग सीन इतना डीप था। जब अंश रोते हुए अक्षिता की माँ को माँ कहता है? मैं फूट-फूट कर रो पड़ी।
ट्विस्ट:
वो एंडिंग?! मैं बिल्कुल तैयार नहीं थी। जब अक्षिता का ट्यूमर उनके इमोशनल मोमेंट के बाद फटता है, मैं चीख पड़ी। और अंश का ये सोचकर जाना कि वो वापस आएगा और अक्षिता उसका इंतज़ार कर रही होगी... लेकिन उसे सर्जरी में पाता है? क्रूयल। लेकिन ब्रिलियंट।
राइटिंग स्टाइल:
भावनाएँ इतनी जीवंत थीं कि हर शब्द महसूस हुआ। चुप्पियाँ, अनकही बातें, अक्षिता का डर छुपाकर दूसरों को सहारा देना बेहतरीन। हॉस्पिटल के सीन, डायलॉग्स, छोटे-छोटे मोमेंट्स (जैसे अंश का अक्षिता के बाल संवारना) इतने इंटीमेट और टचिंग थे।
फाइनल वर्ड:
ये कहानी प्यार और दर्द की मास्टरपीस है।