• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Romance Ek Duje ke Vaaste..

xforum

Welcome to xforum

Click anywhere to continue browsing...

mmmmmmmmm

New Member
39
73
18
Update 51



एकांश के मुह से अपने लिए I love you सुन अक्षिता का मन भर आया था, वो बहुत समय से यही शब्द एकांश मुह से सुनना चाहती थी और आज एकांश ने वो कह दिए थे और अब वो एकांश को क्या कहर उसे सूझ नहीं रहा था वो बस अपलक उसे देखे जा रही थी और एकांश के समझ नहीं आ रहा था के अब क्या हुआ अक्षिता कुछ बोल क्यू नहीं रही

"अक्षिता, क्या हुआ?" एकांश ने चिंतित होकर पूछा

"तुमने अभी अभी क्या कहा?" अक्षिता ने आँखों मे पनि लिए मुसकुराते हुए उससे पूछा

एकांश अक्षिता की बात का मतलब समझ गया था और यही ऐसी ही कुछ फीलिंग उसके मन मे भी थी

"मैंने कहा मैं तुमसे प्यार करता हूँ" एकांश ने अक्षिता के गालों को सहलाते हुए मुस्कुराते हुए कहा

"I love you too अंश.... मैं भी तुमसे बहुत प्यार करती हूँ" उसने रोते हुए कहा

अक्षिता ने भी वो कह दिया था जिसे सुनने के लिए एकांश के कान तरस रहे थे

"आई लव यू... आई लव यू... आई लव यू... आई लव यू... आई लव यू...." अक्षिता बस शब्द दोहरा रही थी और एकांश ने उसे गले लगा लिया था

"शशशश...... सब ठीक है अक्षिता, रोना बंद करो चलो" एकांश ने कहा

"नहीं! तुम नहीं जानते कि मेरे लिए उन शब्दों का क्या मोल है, मैं तो उसी दिन मर गई थी जब मैंने तुमसे कहा था कि मैं तुमसे प्यार नहीं करती, तुम्हारे चेहरे पर दिख रही उस चोट ने मुझे मार डाला था अंश..... उसने मुझे तोड़ के रख दिया है" अक्षिता रो पड़ी थी उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे

"मैंने तुम्हारे साथ जो किया था, वो मुझे आज भी हर रात जब आँखें बंद करती हु तो तकलीफ देता है, मैंने तुम्हें जो दर्द दिया वो मेरे लिए भी किसी मौत से ज़्यादा दर्दनाक था अंश, मुझे उस दिन तुम्हारा दिल इतनी बेरहमी से तोड़ने के लिए आज भी बहुत अफसोस है, लेकिन मेरे पास कोई और रास्ता नहीं था क्योंकि मैं नहीं चाहती थी कि तुम मेरे साथ रहकर अपनी ज़िंदगी बर्बाद करो" अक्षिता ने अपनी लाल नम आँखों से एकांश को देखते हुए कहा और अक्षिता को वैसे देख एकांश के दिल मे भी टीस उठ रही थी

"मैंने हमेशा तुमसे प्यार किया है अंश, हमेशा और मेरा प्यार तुम्हारे लिए काभी कम नहीं होगा” अक्षिता ने मुसकुराते हुए कहा और एकांश ने भी मुसकुराते हुए उसके माथे को चूम लिया

"अक्षिता, तुम्हें दुखी होने की इस बारे मे परेशान होने की कोई ज़रूरत नहीं है, मैं समझता हूँ कि तुमने जो कुछ भी किया, वो मेरे लिए था, लेकिन मैं तुम्हें एक बात साफ साफ कहना चाहता हु और वो ये की मेरी खुशी बस तुम्हारे साथ है, मेरी जिंदगी, मेरी खुशी, मेरी भलाई, मेरा सब कुछ तुम हो..... सिर्फ तुम इसलिए प्लीज खुद को दोष देना बंद करो, मैं तुम्हें इस दुनिया की किसी भी चीज़ से ज़्यादा प्यार करता हूँ और मैं तभी खुश रहूँगा जब तुम खुश रहोगी" एकांश ने पूरी बात सीधे अक्षिता की आँखों में देखते हुए कही

"मैंने जरूर जिंदगी मे कुछ अच्छा काम किया होगा जो तुम मेरी जिंदगी मे आए" अक्षिता ने एकांश को देखते हुए धीमे से कहा और एकांश बस उसे देख मुस्कुराया

"मैं एक और बात कहना चाहता हूँ, उस दिन जो कुछ हुआ उसके बाद, मैं पूरी तरह बदल गया था लेकिन तुम्हारे लिए मेरा प्यार कभी कम नहीं हो पाया, हालाँकि मुझे लगता था कि मैं तुमसे नफरत करता हूँ लेकिन अंदर से मैं जानता था कि मैं तुमसे कभी नफरत कर ही नहीं सकता था और मैंने भी तुमसे प्यार करना कभी नहीं छोड़ा" कुछ देर तक दोनों एकदूजे को गले लगाये वैसे ही खड़े रहे और कुछ समय बाद

"मेरे खयाल से अब हामे चलना चाहिए" अक्षिता ने टाइम देखते हुए कहा जिसके बाद दोनों एकांश के पेरेंट्स से विदा लेकर वहा से निकल गए

******

अगले दिन सुबह, सभी लोग अस्पताल जाने के लिए तैयार हो गए थे अक्षिता के पेरेंट्स परेशान थे, जबकि एकांश अपनी भावनाएँ जाहिर नहीं होने दे रहा था और अक्षिता हर समय बस मुस्कुरा रही थी



उन्होंने सभी जरूरी चीजें पैक कर लीं थी और बस जाने के लिए रेडी थे

"कोई तुमसे मिलने आया है" एकांश अक्षिता के कमरे में आते हुए बोला

"कौन?"

"तुम खुद जाकर देख लो" एकांश ने कहा और कंधे उचकाते हुए कमरे से बाहर चला गया अब अक्षिता को भी जनन था के कौन आया था और ये देखने वो बाहर आई तो खुश होकर चिल्लाई

" रोहन! स्वरा!"

अक्षिता लिविंग रूम में अपने सबसे अच्छे दोस्तों को देखकर खुशी से बोली, उन्होंने भी अक्षिता को कस कर गले लगाया और उससे उसका हाल चाल जाना

"तुम लोग यहाँ क्या कर रहे हो?" अक्षिता ने उन दोनों से पूछा

"हम बस तुमसे मिलने आये हैं" रोहन ने कहा

"तो क्या तुम्हारा बॉस तुम लोगों पर छुट्टी लेने पर नाराज नहीं होगा, वो bhi tab जब वो खुद ऑफिस मे ना हो?" अक्षिता ने एकांश की ओर देखते हुए उसे चिढ़ाते हुए पूछा, जो उसकी बातों पर हंस पड़ा

"हमारे बॉस को कोई दिक्कत नहीं होगी क्योंकि हमारे बॉस ने ही इस सप्राइज़ का प्लान बनाया था" स्वरा ने मुस्कुराते हुए कहा जिससे अक्षिता एकांश की ओर देखने लगी

"ये अपना मुंह बंद नहीं रख सकती ना?" एकांश ने स्वरा की ओर घूरते हुए कहा रोहन से पूछा

"ये तो दिक्कत है" रोहन ने भी अपना सिर हिलाते हुए जवाब दिया और अब स्वरा रोहन को घूर रही थी

"अब क्या तुम दोनों रुककर बताओगे कि तुम यहाँ किस लिए आये हो?" एकांश ने झुंझलाकर कहा

"हाँ" रोहन और स्वरा ने एक दूसरे की ओर देखा

वो दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़कर अक्षिता की ओर मुड़े जो उन्हें उत्सुकता से देख रही थी

"we are together" उन्होंने मुस्कुराते हुए एकसाथ कहा

अक्षिता बस हैरान होकर उन्हे देख रही थी, उसने पहले उन दोनों की तरफ देखा, फिर उनके हाथों की ओर और फिर वापिस उनकी तरफ

"oh my god! Oh my god! Oh my god!" अक्षिता ने उन दोनों को गले लगाते हुए कहा खुशी से चिल्लाते हुए कहा

"मैं तुम दोनों के लिए बहुत खुश हूँ" अक्षिता उन दोनों को देखकर मुस्कुराई

"तुम्हें पता है मैं हमेशा से चाहती थी कि तुम दोनों एक साथ रहो, कपल वाली वाइब तो थी तुममे" अक्षिता ने खुश होकर कहा बदले मे रोहन बस मुस्कुराया और स्वरा वापिस अक्षिता को गले लगा लिया

"एक सप्राइज़ अभी और बाकी है" एकांश ने अक्षिता से कहा

"क्या?"

"जानती हो अमर अभी कहाँ है?" एकांश ने पूछा

"नहीं." अक्षिता ने सोचते हुए कहा

"सो रहा होगा अपने घर पर" स्वरा ने धीमे से कहा जिसे सबने सुना जिसपर अक्षिता हँस पड़ी

"वो अभी पेरिस में है" एकांश ने कहा

"क्या? वो वहा कब गया?" अक्षिता ने पूछा

"कल ही...... वो वहाँ गया था क्योंकि श्रेया भी वही है" एकांश ने कहा

और जैसे ही अक्षिता ने ये सुना उसका चेहरा 1000 वाट के बल्ब की तरह चमक उठा

"उसने मुझे तुम्हें थैंक्स कहने के लिए कहा है , तुम्हारी वजह से ही उसे उम्मीद थी और तुम्हारी वजह से ही उसे अपनी फीलिंगस को व्यक्त करने का हौसला मिला था, वो न सिर्फ श्रेया के इम्पॉर्टन्ट दिन पर उसके साथ रहने के लिए गया है, बल्कि अपनी फीलिंगस को इसे बताने गया है" एकांश ने कहा जिसे सुन अक्षिता एकदम खुश हो गई थी

"टाइम ज़ोन की वजह से वो तुम्हें कॉल नहीं कर सका, लेकिन उसने कहा है कि वो जल्द से जल्द तुम्हें कॉल करेगा और उसने तुम्हें अपना ख्याल रखने के लिए कहा है" एकांश ने अपनी बात पूरी की

अक्षिता ये जानकर बहुत खुश हुई कि अमर ने अपने प्यार की ओर पहला कदम बढ़ा दिया था और उसे उम्मीद थी कि उसे उसका प्यार मिल जाएगा

"आज मैं बहुत खुश हूँ" अक्षिता ने वहा मौजूद सब की तरफ देखते हुए कहा

उसके माता-पिता खुश थे क्योंकि उनकी बेटी खुश थी और उसे ऐसे अच्छे दोस्त मिले थे, उन्होंने एकांश को देखा और सोचा कि वो भले मुस्कुरा रहा है लेकिन अंदर ही अंदर वो डर भी रहा था, अक्षिता के मा पापा को दुनिया के इस अंधेरे मे एकांश रोशनी की किरण नजर आ रहा था

जब उन्हें लगा था कि कुछ नहीं हो सकता, तब उन्हें एक उम्मीद मिली और वो था एकांश

जब उन्हें कोई रास्ता नहीं नजर आ रहा था तो एकांश की वजह से उन्हें रास्ता मिला था

जब उनके पास आंसू और दर्द के अलावा कुछ नहीं बचा था तो एकांश की वजह से उन्हें खुशी और मुस्कान मिली थी

जब उन्होंने अपनी बेटी को बचाने के लिए भगवान से प्रार्थना की, तो उनके पास एक देवदूत भेजा गया और वो था एकांश

अपने देवदूत को देखकर उनकी आंखों में आंसू आ गए और उन्होंने भगवान से उसकी रक्षा करने की प्रार्थना की

******

अक्षिता को जब हॉस्पिटल मे ऐड्मिट किया तब वो सभी लोग साथ मे थे

अक्षिता ने उस कमरे को देखा जिसमें उसे ऐड्मिट कराया गया था जो बहुत बड़ा और आराम दायक था और कीसी भी तरीके से अस्पताल या पैशन्ट के रूम जैसा नहीं लग रहा था, वहाँ एक बड़ा एलईडी टीवी, शानदार पर्दे, ए/सी, बुक शेल्फ और अक्षिता की सभी ज़रूरतों के सामान के साथ एक रैक थी और उसके लिए फल और नाश्ते के लिए एक साइड टेबल भी थी

अक्षिता ने उस कमरे को देख अपने मा पापा को देखा जिन्होंने कुछ नहीं कहा और बस कंधे उचकाकर वहा से चले गए और कुछ ही देर मे रोहन और स्वरा भी ऑफिस के लिए निकल गए थे

अक्षिता झल्लाकर बेड पर बैठ गई जो कीसी भी तरह से हॉस्पिटल के बेड जैसा नहीं था और तभी एकांश अंदर आया और उसने अक्षिता की तरफ देखा तक नहीं, वो कमरे में मौजूद हर चीज़ का निरीक्षण कर रहा था उसने पूरे कमरे को बहुत ध्यान से देखा कि सब कुछ सही से मौजूद है या नहीं

"अंश?" अक्षिता ने उसे पुकारा

"हा अक्षिता, ये रूम ठीक है ना? या मैं कोई दूसरा रूम बुक करूँ? मुझे लगता है कि यहाँ कुछ कमी है" एकांश ने इधर-उधर देखते हुए पूछा

"अंश?" इसबार अक्षिता ने और सख्ती से उसे आवाज दी

"हा." और आबकी बार एकांश ने उसकी ओर देखा

"ये हॉस्पिटल है अंश, तुम्हें हॉस्पिटल के रूम को होटल सुइट रूम में नहीं बदलना चाहिए था" अक्षिता ने सीरीअस टोन मे कहा

"सुइट रूम? ये कमरा किसी भी तरह से सुइट रूम जैसा नहीं है, मैं बस ये देख रहा हूँ कि जब तक तुम यहा ऐड्मिट हो तुम्हें कोई परेशानी न हो, मैं नहीं चाहता कि यहाँ धूल का एक कतरा भी घुस आए और मैं नहीं चाहता कि तुम्हें ऐसा लगे कि तुम एक पैशन्ट हो और हॉस्पिटल के कमरे में फसी हुई हो" एकांश ने कहा और अक्षिता बस उसे घूरती रही

"मुझे लगता है कि यहा कुछ और कुशन की जरूरत है और थोड़े खाने की भी" एकांश टेबल और बेड को देखने हुए कहा और तभी

"हेलो अक्षिता!" डॉक्टर ने अंदर आते हुए कहा, जिससे एकांश और अक्षिता दोनों डॉक्टर को देखने लगे, डॉक्टर ने चारों ओर कमरे मे नजर घुमा कर देखा और फ़र एकांश को घूरने लगे वही एकांश उनसे नजरे नहीं मिला रहा था

"डॉक्टर, आपने इसे कमरे मे ये सब चेंजेस करने की पर्मिशन कैसे दे दी? ये तो हॉस्पिटल के रुल्स के खिलाफ होगा न?" अक्षिता ने डॉक्टर से सवाल किया

"हाँ रूल के खिलाफ तो है, लेकिन कोई नियम तोड़ने पर ही तुला हुआ है तो क्या करे" डॉक्टर ने अब भी एकांश को देखते हुए कहा और अब अक्षिता भी सू घूरने लगी थी और एकांश बस अक्षिता को देख मुस्कुरा रहा था

"खैर अक्षिता तुम्हारे टेस्टस का टाइम हो गया है, चलो" डॉक्टर ने कमरे से बाहर जाते हुए कहा और अक्षिता भी बगैर एकांश की ओर देखा डॉक्टर के पीछे चलीगई और एकांश जो अकसजित से बात करना चाहता था वही रुक गया

कई टेस्टस के बाद, डॉक्टर ने अक्षिता को कुछ निर्देश और दवा देकर वो रूम से चले गए, अब वहा एकांश और अक्षिता ही थे

"अक्षिता यार! बात तो करो प्लीज" एकांश ने अक्षिता से कहा

"अंश, तुम्हें ये सब नहीं करना चाहिए था" अक्षिता ने एकांश की आँखों मे देखते हुए कहा

" क्यों?"

"क्या क्यों? इन सब चीजों की क्या जरूरत है बताओ मुझे?" अक्षिता ने कहा

"अरे बिल्कुल जरूरत है, इस कमरे में जो बेड पहले था वो बहुत गंदा था और मैं ये सोचना भी नहीं चाहता कि कितने लोगों ने उसका इस्तमाल किया होगा, इसलिए मैंने उसे बदल दिया, ये बुक्शेल्फ तुम्हारे लिए है ताकि जब तुम बोर हो जाओ और तुम्हारे दिमाग मे उलटे सीधे खयाल आए तो कितबे पढ़ के उस खयालों को दूर कर सकरों, इस टेबल पर सभी फ्रूइट्स हैं जो तुम्हारी सहब के लिए अच्छे है और मैंने नर्स से तुम्हें टाइम टाइम पर जूस देने भी कह दिया है" एकांश ने कहा और अक्षिता बस उसकी बात सुनती रही

"मैं चाहता हूँ कि तुम आराम से रहो, किसी थाके हुए डिप्रेस पैशन्ट की तरह नहीं, जानती हो पहले ये कमरा कैसा था? कमरे को देखकर ही लोग बीमार हो जाते.... किसी और बीमारी की ज़रूरत ही नहीं थी, मैं नहीं चाहता कि तुम इतने डिप्रेस महसूस करो, मैं नहीं चाहता कि तुम ज़बरदस्ती यह रहो, मैं तुम्हें घर जैसा महसूस कराना चाहता था, इसीलिए मैंने ये सारे बदलाव किए हैं" एकांश ने सीरीअस टोन मे कहा

अक्षिता धीरे-धीरे एकांश के पास आई और उसने अपने हाथों मे एकांश के चेहरे को थामा, वो उसकी ओर झुकी हुई, प्यार भरी निगाहों से उसे देख रही थी, उसका दिल जोरों से धडक रहा था और उसने हल्के से एकांश होठों को चूम लिया और उसे देख मुस्कुराई वही एकांश उस हल्की सी किस से ही थोड़ा शॉक मे था



और इधर अक्षिता अपने बेड पर जाकर बुक पढ़ने लगी जैसे कुछ हुआ ही न हो, एकांश का फोन बजने पर वो अपनी तंद्री से बाहर आया और फोन उठाने के लिए बाहर चला गया वही अक्षिता उसके इक्स्प्रेशन देख मुस्कुरा रही थी

एकांश ने जर्मनी में डॉक्टर से बात की, जिन्होंने उसे बताया कि वो कुछ ज़रूरी सर्जरी निपटाने के बाद दो दिन में भारत आ जाएगा, एकांश ये सुन काफी खुश था क्योंकि अब उसे कुछ उम्मीद दिख रही थी

रात को एकांश ने अक्षिता के माता-पिता को आराम करने के लिए घर भेज दिया ये कहकर वो रात को वो अक्षिता के पास रुक जाएगा

एकांश जब वापिस रूम मे आया तो उसने देखा के अक्षिता बेड पर बैठी सामने की दीवार को घूर रही थी, अक्षिता को यू देख एकांश का गला भर आया था लेकिन उसने अपने आप को संभाला और बेड की ओर चल पड़ा

उसने अपना गला साफ़ किया ताकि आवाज हो लेकिन अक्षिता ने उसे नोटिस नहीं किया फिर एकांश ने झुककर अक्षिता के गाल पर चूमा जिससे अक्षिता एकदम से चौकी और झटके से अपनी जगह से उठ खडी हुई

"एकांश! तुमने तो डरा ही दिया" अक्षिता ने चिल्लाते हुए कहा वही एकांश उसे यू देख हस रहा था

"तुम तो तब हल्का स किस देकर चली गई थी लेकिन मैं ये मौका कैसे छोड़ता.... I want more" एकांश ने कहा

"क्या!"

"I want more" एकांश ने अक्षिता के होंठों की ओर झुकते हुए कहा

"तुम बेशर्म हो, ये हॉस्पिटल है और कोई भी कभी भी यहाँ आ सकता है" अक्षिता ने एकांश को अपने से दूर हटाते हुए कहा और ठीक उसी वाक्य एक नर्स वहा आ गई और टेबल पर खाना रख चली गई

“ये क्या है? ये आधा उबला हुआ खाना मैं नहीं खाने वाली" अक्षिता ने खाने की तरफ मुंह बनाते हुए कहा

"लेकिन यही तुम्हारे लिए अभी सबसे बेस्ट है अक्षिता" एकांश ने कहना अक्षिता के पास लाते हुए कहा

"नहीं! मैं इसे नहीं खाऊँगी।" अक्षिता ने प्लेट दूर धकेलते हुए कहा

"अक्षिता प्लीज...."

"ठीक है." आखिर मे अक्षिता ने एकांश के आगे हार मानते हुए कहा और एकांश ने भी दूसरी प्लेट ली और उसके साथ ही खाना शुरू कर दिया

"तुम क्या कर रहे हो? तुम ये खाना क्यू खा रहे हो?" अक्षिता ने एकांश के हाथ से प्लेट लेते हुए कहा

"बस खाना खा रहा हु यार और मैं क्या खा रहा हूँ इससे कोई फर्क नहीं पड़ता जब तक वो तुम्हारे साथ है" एकांश ने मुस्कुराते हुए कहा

"नहीं, पैशन्ट मैं हु और मैं अपनी वजह से तुम्हें ऐसा खाना नहीं खाने दूँगी"

"मुझे बहुत भूख लगी है और रात भी हो चुकी है, और मैं अभी बाहर नहीं जाने वाला साथ मे कहा लेते है ना अक्षु" और इस बार अक्षिता ने एकांश की बात मान ली

उन्होंने बातें करते हुए और हंसते हुए खाना खत्म किया और फिर अक्षिता ने अपनी दवा ले ली और अब उसके सोने का समय हो गया था, एकांश ने अपना फोन कॉल खत्म करके टेबल पर रख दिया और देखा कि अक्षिता बुक पढ़ रही थी

"तुम्हें अब सो जाना चाहिए" एकांश ने अक्षिता के हाथ से बुक लेटे हुए कहा

"मैंने कोशिश की लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही है" अक्षिता ने कहा

"पहले तुम बेड पर पीठ टिका लो, नींद अपने आप आ जाएगी" ये कहकर एकांश ने अक्षिता को बेड पर लेटाया

"तुम कहाँ जा रहे हो?" एकांश जब जाने के लिए मुड़ा तो अक्षिता ने उसका हाथ पकड़ कर पूछा

"मैं सोफे पर सोऊँगा" एकांश ने कहा

“तुम यह बेड पर ही सो सकते हो" अक्षिता ने कहा

"नहीं, तुम्हें आराम से सोना चाहिए और मैं सोफे पर सो सकता हूँ कोई प्रॉब्लेम नहीं है" एकांश ने अक्षिता को समझाते हुए कहा

"अंश, मैं चाहती हूँ कि तुम यहा मुझे गले लगा कर मेरे बगल में सोओ" अक्षिता ने कहा और उसके इतना कहने के बाद एकांश उसे मना नहीं कर पाया

" ठीक है" ये कहकर एकांश वही अक्षिता के बगल मे बेड पर लेट गया और अक्षिता उससे चिपककर उसके सिने पर सर रखे सो गई

"गुड नाइट" एकांश ने अक्षिता के माथे को चूमते हुए कहा

"गुड नाइट"

सोने की कोशिश दोनों कर रहे थे लेकिन नींद उनकी आँखों से कोसों दूर थी

"अंश?"

" हम्म?"

"चाहे कुछ भी हो जाए, हमेशा याद रखना कि मैं तुमसे प्यार करती हूँ, और हमेशा अकरती रहूँगी, चाहे मैं रहु ना रहु" इतना कहकर अक्षिता सो गई

"मैं भी तुमसे प्यार बहुत करता हूँ अक्षिता.... and I promise you तुम्हें कुछ नहीं होगा" एकांश ने बंद आँको के साथ कहा और उसकी बंद बालकों से आँसू की एक बंद झलक पड़ी....



क्रमश:
Bhai mast shandaar jandar story hai bhai
 

Aakash.

sᴡᴇᴇᴛ ᴀs ғᴜᴄᴋ
Staff member
Sr. Moderator
45,835
157,716
304
  • Haha
  • Like
Reactions: Adirshi and parkas
Top