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Romance Ek Duje ke Vaaste..

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Jitu0786

Bhai RJ13 WALA
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Update 6



एकांश के केबिन को बन कर कम्प्लीट होने मे और 2 दिन का वक्त लग गया था और एक पूरा दिन लगा था पूरा सामान फाइलस् शिफ्ट करने मे और आज 3 दिनों बाद वो अपने नए केबिन मे था...

इन सभी दिनों मे अक्षिता को सभी काम को सुपरवाइज़ करना पड़ा था और अब चुकी वहा सब इम्पॉर्टन्ट और कान्फडेन्चल फाइलस् थी वो सब सामान अक्षिता को खुद अरेंज करना पड़ा था और इसके लिए अक्षिता को पूरा दिन फाइलस् लिए सीढ़ियों से उप डाउन करना पड़ा था

अक्षिता को देख ऐसा लग रहा था मानो वो अभी गिर पड़ेगी और उसकी हालत देख स्वरा और रोहन को उसकी फिर्क हो रही थी.. उन्होंने के अक्षिता से कहा भी के आराम कर ले इतना काम ना करे लेकिन अक्षिता ने उनकी बात नहीं मानी

अब उनको एकांश पर भी गुस्सा आ रहा था क्युकी पूजा से उन्हे पता चला था एकांश जबरदस्ती अक्षिता से उप डाउन करवा रहा था और एकांश का अक्षिता को इतना काम बताना उन्हे नहीं जम रहा था

रोहन बहुत ज्यादा गुस्से मे था और वो अक्षिता के लिए कुछ ज्यादा ही प्रोटेकटिव था लेकिन स्वरा के समझाने के बाद वो थोड़ा शांत हुआ था, अक्षिता आज कुछ ज्यादा ही थकी हुई लग रही थी और उसे ऐसे इग्ज़ॉस्ट होकर काम करता रोहन से नहीं देखा जा रहा था

वैसे तो स्वरा को भी ये सब नहीं जम रहा था गुस्सा तो उसे भी आ रहा था लेकिन उसने पहले अक्षिता से बात करने के बारे मे सोचा के वो ये सब क्यू कर रही है यू चुप चाप एकांश की हर बात सुन रही है, वो चाहती तो विरोध कर सकती थी,

कल वीकएंड था और रोहन और स्वरा दोनों ने कल अक्षिता ने इस बारे मे बार करने का सोचा।।

--

सोमवार का दिन

एकांश हमेशा के जैसे अपने ऑफिस मे आ चुका था और अपने केबिन मे पहुच चुका था इस वक्त सुबह के ठीक 9.30 बज रहे थे और उसके केबिन मे आते ही उसे अपने डोर पर नॉक सुनाई दिया , एकांश जानता था दरवाजा किसने खटखटाया था और उसके चेहरे पर एक स्माइल आ गई थी

“कम इन” एकांश ने कहा

“सर आपकी कॉफी”

एकांश ने एक नजर अक्षिता की ओर देखा, अक्षिता की हालत कुछ ठीक नहीं थी चेहरा पीला पड़ा हुआ था और आंखे लाल हो रखी थी, उसकी हालत देख एकांश थोड़ा चौका

अक्षिता ने ऊफफई टेबल पर रखी और उसके ऑर्डर का वेट करने लगी

“सर, मेरे लिए कोई काम है या मैं जाऊ?” अक्षिता ने पूछा

“मुझे कुछ लेटर्स टाइप करवाने है, ये रही कॉम्पनीस की लिस्ट और डिटेल्स सब इस फाइलस् मे है साथ ही ये ईमेल भी करने है” एकांश ने अक्षिता को फाइल पकड़ाते हुए कहा

एकांश उसके एक जगह बैठने वाला काम दे रहा था है ये देख अक्षिता थोड़ी हैरान हुई साथ ही आज एकांश का आवाज भी नॉर्मल था हमेशा जैसा रुड नहीं था

अक्षिता ने वो फाइल की और चली गई, अक्षिता की बॉडी बहुत थकी सी थी, चेहरे का नूर उड़ चुका था आँखों कोई चमक नहीं थी बल्कि था तो बस सूनापन

एकांश को अब कही न कही ऐसा लग रहा था के उससे इतना काम नहीं करवाना चाहिए था हलनी वो भी ये सब कीसी बदले के लिए नहीं कर रहा था, एकांश पर्सनल और प्रोफेशनल का अंतर जानता था, वो अपने केबिन के ग्लास विंडो के पास आया और अपने स्टाफ को काम करता देखने लगा और जब उसने देखा के अक्षिता भी अपना काम आराम से कर रही है वो भी अपने काम मे लग गया जबसे उनसे इन कंपनी को टेकओवर किया था और अक्षिता वापिस से उसकी लाइफ मे आई थी वो उसे वापिस से अफेक्ट करने लगी थी भले ही दोनों मे अब पहले जैसा कुछ नहीं था लेकिन कभी जो था वो शायद आज भी उनके अंदर मौजूद था और एकांश कभी कभी यही सोचने लग जाता के इतने सब के बाद भी अक्षिता उसे कैसे अफेक्ट कर सकती है

--

अपने दिमाग को बगैर किस खयाल मे भटकाए एकांश काम मे लगा रहा वो एक डील के लिए प्रेज़न्टैशन बनाने मे लगा हुआ था और अगर ये डील सही से हो जाती तो इसका उसे काफी फायदा मिलने वाला था, एकांश ने एक कॉल लगाया

“हैलो” दूसरी ओर से आवाज आया

“इन माइ केबिन” और फोन कट

अक्षिता सीढ़िया चढ़ कर उसके केबिन मे पहुची

“सर आपने बुलाया था?”

“आइ एम वर्किंग ऑन अ डील उसके लिए मुझे फाइनैन्शल फाइलस् जैसे क्रेडिटर डेबिटर की सभी पुरानी फाइलस् चाहिए” एकांश मे अपने लॅपटॉप मे नजरे गड़ाए कहा

“सर ये बहुत पुरानी फाइलस् है, स्टोर रूम मे होंगी”अक्षिता ने कहा

“ठीक है प्लीज ब्रिंग इट तो मे” एकांश ने वैसे ही कहा और ओके बोल कर अक्षिता वहा से निकल गई

--

अक्षिता पहले अपने फ्लोर पर गई वहा उसने रीसेप्शन से सबसे पहले स्टोर रूम की चाबिया ली और रीसेप्शनिस्ट मीरा को अपने को मिले हुए काम के बारे मे बताया और कुछ पल उससे बात करके अक्षिता स्टोर रूम की चाबिया लेकर उस ओर बढ़ गई

स्टोर रोम ऑफिस मे उस फ्लोर पर एकदम कोने मे बना हुआ था और उधर स्टाफ का आना जाना भी एकदम कम था

अक्षिता ने चाबी से रूम का दरवाजा खोला और स्टोर रूम मे अंदर घुसी जहा बहूत सारी फाइलस् उसका इंतजार कर रही थी बड़ी बड़ी रैक मे फाइलस् रखी हुई थी जिनपर धूल जम रही थी

अक्षिता ने उसे जो चाहिए थी वो फाइलस् ढूँढना शुरू किया, वो हर फाइल को वन बी वन चेक कर रही थी और इस काम मे उसे खासा वक्त लगना था और उसके पास लिस्ट भी काफी लंबी थी, जब उसे सामने की रैक मे कुछ फाइलस् नहीं मिली तो वो स्टोर रूम मे और पीछे की ओर गई और पुरानी फाइलस् खोजने लगी

अक्षिता पसीने से पूरी भीग चुकी थी ऊपर से स्टोर रूम मे कीसी भी तरह का कोई वेनलैशन नहीं था और उसे वक्त का भी पता नहीं चल रहा था के उसे वहा कितना वक्त हो गया है ऊपर से वो अपने फोन भी लाना भूल चुकी थी

अक्षिता ने अभी तक निकाली हुई सभी फाइलस् को देखा और सोचा के इसमे काम हो जान चाहिए और जरूरत पड़ी तो वो वापिस यहा आ जाएगी, उसने सभी फाइलस् उठाई और स्टोर रूम के दरवाजे के पास रखे टेबल पर सही से लगा कर चेक करने लगी

इस सब मे अक्षिता का एक बात की ओर ध्यान नहीं गया था के स्टोर रूम का दरवाजा हवा से अपने आप बन हो चुका था और चाबिया उसी दरवाजे पर बाहर की साइड लटक रही थी

अक्षिता ने सभी फाइलस् को चेक करने अरेंज किया और दरवाजे तक आई तो दरवाजा बंद पाकर वो थोड़ा चौकी, दरवाजे का हंडेल घुमाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ दरवाजा लॉक हो चुका था अक्षिता ने दरवाजा खोलने की भरसक कोशिश की लेकिन वो हर बार नाकाम रही

कुछ टाइम बाद अक्षिता को ध्यान मे आया एक वो वहा स्टोर रूम मे अब बंद हो चुकी थी, उसने चाबिया खोजने की भी कोशिश की लेकिन चाबिया होती तो मिलती ना

अक्षिता अब पैनिक करने लगी थी दरवाजा पीट कर मदद के लिए चिल्ला रही थी लेकिन कोई वहा सुनने वाला था ही थी, ऑफिस मे इस इलाके मे कोई ज्यादा आता ही नहीं था, अक्षिता ने एक बारी लॉक भी तोड़ने की कोशिश करी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ

पैनिक मे अब अक्षिता के हाथ पैर कांपने लगे थे पसीने से पूरा शरीर भीग गया था, अक्षिता अपनी पूरी जान लगा कर चीखी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ, वो लगातार दरवाजा पीट रही रही

धीरे धीरे अक्षिता की बॉडी रीऐक्टोर करना बंद करने लगी, उसे चक्कर आने लगे थे, गला सुख गया था, आँखों के सामने अंधेरा छा रहा था वो दीवार के सहारे चलते हुए टेबल को पकड़ते हुयुए स्टोर रूम एम रखी एक कूर्चि की ओर बढ़ रही थी लेकिन अब शरीर साथ छोड़ रहा था दिमाग घूम रहा था और आखिर कार वो वही बेहोश होकर गिर पड़ी....



क्रमश:
बहुत बहुत अच्छा लगा
अब देखना है एकांश क्या करता है
Wait for nxt
 

Sweetkaran

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Update 6



एकांश के केबिन को बन कर कम्प्लीट होने मे और 2 दिन का वक्त लग गया था और एक पूरा दिन लगा था पूरा सामान फाइलस् शिफ्ट करने मे और आज 3 दिनों बाद वो अपने नए केबिन मे था...

इन सभी दिनों मे अक्षिता को सभी काम को सुपरवाइज़ करना पड़ा था और अब चुकी वहा सब इम्पॉर्टन्ट और कान्फडेन्चल फाइलस् थी वो सब सामान अक्षिता को खुद अरेंज करना पड़ा था और इसके लिए अक्षिता को पूरा दिन फाइलस् लिए सीढ़ियों से उप डाउन करना पड़ा था

अक्षिता को देख ऐसा लग रहा था मानो वो अभी गिर पड़ेगी और उसकी हालत देख स्वरा और रोहन को उसकी फिर्क हो रही थी.. उन्होंने के अक्षिता से कहा भी के आराम कर ले इतना काम ना करे लेकिन अक्षिता ने उनकी बात नहीं मानी

अब उनको एकांश पर भी गुस्सा आ रहा था क्युकी पूजा से उन्हे पता चला था एकांश जबरदस्ती अक्षिता से उप डाउन करवा रहा था और एकांश का अक्षिता को इतना काम बताना उन्हे नहीं जम रहा था

रोहन बहुत ज्यादा गुस्से मे था और वो अक्षिता के लिए कुछ ज्यादा ही प्रोटेकटिव था लेकिन स्वरा के समझाने के बाद वो थोड़ा शांत हुआ था, अक्षिता आज कुछ ज्यादा ही थकी हुई लग रही थी और उसे ऐसे इग्ज़ॉस्ट होकर काम करता रोहन से नहीं देखा जा रहा था

वैसे तो स्वरा को भी ये सब नहीं जम रहा था गुस्सा तो उसे भी आ रहा था लेकिन उसने पहले अक्षिता से बात करने के बारे मे सोचा के वो ये सब क्यू कर रही है यू चुप चाप एकांश की हर बात सुन रही है, वो चाहती तो विरोध कर सकती थी,

कल वीकएंड था और रोहन और स्वरा दोनों ने कल अक्षिता ने इस बारे मे बार करने का सोचा।।

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सोमवार का दिन

एकांश हमेशा के जैसे अपने ऑफिस मे आ चुका था और अपने केबिन मे पहुच चुका था इस वक्त सुबह के ठीक 9.30 बज रहे थे और उसके केबिन मे आते ही उसे अपने डोर पर नॉक सुनाई दिया , एकांश जानता था दरवाजा किसने खटखटाया था और उसके चेहरे पर एक स्माइल आ गई थी

“कम इन” एकांश ने कहा

“सर आपकी कॉफी”

एकांश ने एक नजर अक्षिता की ओर देखा, अक्षिता की हालत कुछ ठीक नहीं थी चेहरा पीला पड़ा हुआ था और आंखे लाल हो रखी थी, उसकी हालत देख एकांश थोड़ा चौका

अक्षिता ने ऊफफई टेबल पर रखी और उसके ऑर्डर का वेट करने लगी

“सर, मेरे लिए कोई काम है या मैं जाऊ?” अक्षिता ने पूछा

“मुझे कुछ लेटर्स टाइप करवाने है, ये रही कॉम्पनीस की लिस्ट और डिटेल्स सब इस फाइलस् मे है साथ ही ये ईमेल भी करने है” एकांश ने अक्षिता को फाइल पकड़ाते हुए कहा

एकांश उसके एक जगह बैठने वाला काम दे रहा था है ये देख अक्षिता थोड़ी हैरान हुई साथ ही आज एकांश का आवाज भी नॉर्मल था हमेशा जैसा रुड नहीं था

अक्षिता ने वो फाइल की और चली गई, अक्षिता की बॉडी बहुत थकी सी थी, चेहरे का नूर उड़ चुका था आँखों कोई चमक नहीं थी बल्कि था तो बस सूनापन

एकांश को अब कही न कही ऐसा लग रहा था के उससे इतना काम नहीं करवाना चाहिए था हलनी वो भी ये सब कीसी बदले के लिए नहीं कर रहा था, एकांश पर्सनल और प्रोफेशनल का अंतर जानता था, वो अपने केबिन के ग्लास विंडो के पास आया और अपने स्टाफ को काम करता देखने लगा और जब उसने देखा के अक्षिता भी अपना काम आराम से कर रही है वो भी अपने काम मे लग गया जबसे उनसे इन कंपनी को टेकओवर किया था और अक्षिता वापिस से उसकी लाइफ मे आई थी वो उसे वापिस से अफेक्ट करने लगी थी भले ही दोनों मे अब पहले जैसा कुछ नहीं था लेकिन कभी जो था वो शायद आज भी उनके अंदर मौजूद था और एकांश कभी कभी यही सोचने लग जाता के इतने सब के बाद भी अक्षिता उसे कैसे अफेक्ट कर सकती है

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अपने दिमाग को बगैर किस खयाल मे भटकाए एकांश काम मे लगा रहा वो एक डील के लिए प्रेज़न्टैशन बनाने मे लगा हुआ था और अगर ये डील सही से हो जाती तो इसका उसे काफी फायदा मिलने वाला था, एकांश ने एक कॉल लगाया

“हैलो” दूसरी ओर से आवाज आया

“इन माइ केबिन” और फोन कट

अक्षिता सीढ़िया चढ़ कर उसके केबिन मे पहुची

“सर आपने बुलाया था?”

“आइ एम वर्किंग ऑन अ डील उसके लिए मुझे फाइनैन्शल फाइलस् जैसे क्रेडिटर डेबिटर की सभी पुरानी फाइलस् चाहिए” एकांश मे अपने लॅपटॉप मे नजरे गड़ाए कहा

“सर ये बहुत पुरानी फाइलस् है, स्टोर रूम मे होंगी”अक्षिता ने कहा

“ठीक है प्लीज ब्रिंग इट तो मे” एकांश ने वैसे ही कहा और ओके बोल कर अक्षिता वहा से निकल गई

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अक्षिता पहले अपने फ्लोर पर गई वहा उसने रीसेप्शन से सबसे पहले स्टोर रूम की चाबिया ली और रीसेप्शनिस्ट मीरा को अपने को मिले हुए काम के बारे मे बताया और कुछ पल उससे बात करके अक्षिता स्टोर रूम की चाबिया लेकर उस ओर बढ़ गई

स्टोर रोम ऑफिस मे उस फ्लोर पर एकदम कोने मे बना हुआ था और उधर स्टाफ का आना जाना भी एकदम कम था

अक्षिता ने चाबी से रूम का दरवाजा खोला और स्टोर रूम मे अंदर घुसी जहा बहूत सारी फाइलस् उसका इंतजार कर रही थी बड़ी बड़ी रैक मे फाइलस् रखी हुई थी जिनपर धूल जम रही थी

अक्षिता ने उसे जो चाहिए थी वो फाइलस् ढूँढना शुरू किया, वो हर फाइल को वन बी वन चेक कर रही थी और इस काम मे उसे खासा वक्त लगना था और उसके पास लिस्ट भी काफी लंबी थी, जब उसे सामने की रैक मे कुछ फाइलस् नहीं मिली तो वो स्टोर रूम मे और पीछे की ओर गई और पुरानी फाइलस् खोजने लगी

अक्षिता पसीने से पूरी भीग चुकी थी ऊपर से स्टोर रूम मे कीसी भी तरह का कोई वेनलैशन नहीं था और उसे वक्त का भी पता नहीं चल रहा था के उसे वहा कितना वक्त हो गया है ऊपर से वो अपने फोन भी लाना भूल चुकी थी

अक्षिता ने अभी तक निकाली हुई सभी फाइलस् को देखा और सोचा के इसमे काम हो जान चाहिए और जरूरत पड़ी तो वो वापिस यहा आ जाएगी, उसने सभी फाइलस् उठाई और स्टोर रूम के दरवाजे के पास रखे टेबल पर सही से लगा कर चेक करने लगी

इस सब मे अक्षिता का एक बात की ओर ध्यान नहीं गया था के स्टोर रूम का दरवाजा हवा से अपने आप बन हो चुका था और चाबिया उसी दरवाजे पर बाहर की साइड लटक रही थी

अक्षिता ने सभी फाइलस् को चेक करने अरेंज किया और दरवाजे तक आई तो दरवाजा बंद पाकर वो थोड़ा चौकी, दरवाजे का हंडेल घुमाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ दरवाजा लॉक हो चुका था अक्षिता ने दरवाजा खोलने की भरसक कोशिश की लेकिन वो हर बार नाकाम रही

कुछ टाइम बाद अक्षिता को ध्यान मे आया एक वो वहा स्टोर रूम मे अब बंद हो चुकी थी, उसने चाबिया खोजने की भी कोशिश की लेकिन चाबिया होती तो मिलती ना

अक्षिता अब पैनिक करने लगी थी दरवाजा पीट कर मदद के लिए चिल्ला रही थी लेकिन कोई वहा सुनने वाला था ही थी, ऑफिस मे इस इलाके मे कोई ज्यादा आता ही नहीं था, अक्षिता ने एक बारी लॉक भी तोड़ने की कोशिश करी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ

पैनिक मे अब अक्षिता के हाथ पैर कांपने लगे थे पसीने से पूरा शरीर भीग गया था, अक्षिता अपनी पूरी जान लगा कर चीखी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ, वो लगातार दरवाजा पीट रही रही

धीरे धीरे अक्षिता की बॉडी रीऐक्टोर करना बंद करने लगी, उसे चक्कर आने लगे थे, गला सुख गया था, आँखों के सामने अंधेरा छा रहा था वो दीवार के सहारे चलते हुए टेबल को पकड़ते हुयुए स्टोर रूम एम रखी एक कूर्चि की ओर बढ़ रही थी लेकिन अब शरीर साथ छोड़ रहा था दिमाग घूम रहा था और आखिर कार वो वही बेहोश होकर गिर पड़ी....



क्रमश:
Nice update bro
 

park

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Update 6



एकांश के केबिन को बन कर कम्प्लीट होने मे और 2 दिन का वक्त लग गया था और एक पूरा दिन लगा था पूरा सामान फाइलस् शिफ्ट करने मे और आज 3 दिनों बाद वो अपने नए केबिन मे था...

इन सभी दिनों मे अक्षिता को सभी काम को सुपरवाइज़ करना पड़ा था और अब चुकी वहा सब इम्पॉर्टन्ट और कान्फडेन्चल फाइलस् थी वो सब सामान अक्षिता को खुद अरेंज करना पड़ा था और इसके लिए अक्षिता को पूरा दिन फाइलस् लिए सीढ़ियों से उप डाउन करना पड़ा था

अक्षिता को देख ऐसा लग रहा था मानो वो अभी गिर पड़ेगी और उसकी हालत देख स्वरा और रोहन को उसकी फिर्क हो रही थी.. उन्होंने के अक्षिता से कहा भी के आराम कर ले इतना काम ना करे लेकिन अक्षिता ने उनकी बात नहीं मानी

अब उनको एकांश पर भी गुस्सा आ रहा था क्युकी पूजा से उन्हे पता चला था एकांश जबरदस्ती अक्षिता से उप डाउन करवा रहा था और एकांश का अक्षिता को इतना काम बताना उन्हे नहीं जम रहा था

रोहन बहुत ज्यादा गुस्से मे था और वो अक्षिता के लिए कुछ ज्यादा ही प्रोटेकटिव था लेकिन स्वरा के समझाने के बाद वो थोड़ा शांत हुआ था, अक्षिता आज कुछ ज्यादा ही थकी हुई लग रही थी और उसे ऐसे इग्ज़ॉस्ट होकर काम करता रोहन से नहीं देखा जा रहा था

वैसे तो स्वरा को भी ये सब नहीं जम रहा था गुस्सा तो उसे भी आ रहा था लेकिन उसने पहले अक्षिता से बात करने के बारे मे सोचा के वो ये सब क्यू कर रही है यू चुप चाप एकांश की हर बात सुन रही है, वो चाहती तो विरोध कर सकती थी,

कल वीकएंड था और रोहन और स्वरा दोनों ने कल अक्षिता ने इस बारे मे बार करने का सोचा।।

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सोमवार का दिन

एकांश हमेशा के जैसे अपने ऑफिस मे आ चुका था और अपने केबिन मे पहुच चुका था इस वक्त सुबह के ठीक 9.30 बज रहे थे और उसके केबिन मे आते ही उसे अपने डोर पर नॉक सुनाई दिया , एकांश जानता था दरवाजा किसने खटखटाया था और उसके चेहरे पर एक स्माइल आ गई थी

“कम इन” एकांश ने कहा

“सर आपकी कॉफी”

एकांश ने एक नजर अक्षिता की ओर देखा, अक्षिता की हालत कुछ ठीक नहीं थी चेहरा पीला पड़ा हुआ था और आंखे लाल हो रखी थी, उसकी हालत देख एकांश थोड़ा चौका

अक्षिता ने ऊफफई टेबल पर रखी और उसके ऑर्डर का वेट करने लगी

“सर, मेरे लिए कोई काम है या मैं जाऊ?” अक्षिता ने पूछा

“मुझे कुछ लेटर्स टाइप करवाने है, ये रही कॉम्पनीस की लिस्ट और डिटेल्स सब इस फाइलस् मे है साथ ही ये ईमेल भी करने है” एकांश ने अक्षिता को फाइल पकड़ाते हुए कहा

एकांश उसके एक जगह बैठने वाला काम दे रहा था है ये देख अक्षिता थोड़ी हैरान हुई साथ ही आज एकांश का आवाज भी नॉर्मल था हमेशा जैसा रुड नहीं था

अक्षिता ने वो फाइल की और चली गई, अक्षिता की बॉडी बहुत थकी सी थी, चेहरे का नूर उड़ चुका था आँखों कोई चमक नहीं थी बल्कि था तो बस सूनापन

एकांश को अब कही न कही ऐसा लग रहा था के उससे इतना काम नहीं करवाना चाहिए था हलनी वो भी ये सब कीसी बदले के लिए नहीं कर रहा था, एकांश पर्सनल और प्रोफेशनल का अंतर जानता था, वो अपने केबिन के ग्लास विंडो के पास आया और अपने स्टाफ को काम करता देखने लगा और जब उसने देखा के अक्षिता भी अपना काम आराम से कर रही है वो भी अपने काम मे लग गया जबसे उनसे इन कंपनी को टेकओवर किया था और अक्षिता वापिस से उसकी लाइफ मे आई थी वो उसे वापिस से अफेक्ट करने लगी थी भले ही दोनों मे अब पहले जैसा कुछ नहीं था लेकिन कभी जो था वो शायद आज भी उनके अंदर मौजूद था और एकांश कभी कभी यही सोचने लग जाता के इतने सब के बाद भी अक्षिता उसे कैसे अफेक्ट कर सकती है

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अपने दिमाग को बगैर किस खयाल मे भटकाए एकांश काम मे लगा रहा वो एक डील के लिए प्रेज़न्टैशन बनाने मे लगा हुआ था और अगर ये डील सही से हो जाती तो इसका उसे काफी फायदा मिलने वाला था, एकांश ने एक कॉल लगाया

“हैलो” दूसरी ओर से आवाज आया

“इन माइ केबिन” और फोन कट

अक्षिता सीढ़िया चढ़ कर उसके केबिन मे पहुची

“सर आपने बुलाया था?”

“आइ एम वर्किंग ऑन अ डील उसके लिए मुझे फाइनैन्शल फाइलस् जैसे क्रेडिटर डेबिटर की सभी पुरानी फाइलस् चाहिए” एकांश मे अपने लॅपटॉप मे नजरे गड़ाए कहा

“सर ये बहुत पुरानी फाइलस् है, स्टोर रूम मे होंगी”अक्षिता ने कहा

“ठीक है प्लीज ब्रिंग इट तो मे” एकांश ने वैसे ही कहा और ओके बोल कर अक्षिता वहा से निकल गई

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अक्षिता पहले अपने फ्लोर पर गई वहा उसने रीसेप्शन से सबसे पहले स्टोर रूम की चाबिया ली और रीसेप्शनिस्ट मीरा को अपने को मिले हुए काम के बारे मे बताया और कुछ पल उससे बात करके अक्षिता स्टोर रूम की चाबिया लेकर उस ओर बढ़ गई

स्टोर रोम ऑफिस मे उस फ्लोर पर एकदम कोने मे बना हुआ था और उधर स्टाफ का आना जाना भी एकदम कम था

अक्षिता ने चाबी से रूम का दरवाजा खोला और स्टोर रूम मे अंदर घुसी जहा बहूत सारी फाइलस् उसका इंतजार कर रही थी बड़ी बड़ी रैक मे फाइलस् रखी हुई थी जिनपर धूल जम रही थी

अक्षिता ने उसे जो चाहिए थी वो फाइलस् ढूँढना शुरू किया, वो हर फाइल को वन बी वन चेक कर रही थी और इस काम मे उसे खासा वक्त लगना था और उसके पास लिस्ट भी काफी लंबी थी, जब उसे सामने की रैक मे कुछ फाइलस् नहीं मिली तो वो स्टोर रूम मे और पीछे की ओर गई और पुरानी फाइलस् खोजने लगी

अक्षिता पसीने से पूरी भीग चुकी थी ऊपर से स्टोर रूम मे कीसी भी तरह का कोई वेनलैशन नहीं था और उसे वक्त का भी पता नहीं चल रहा था के उसे वहा कितना वक्त हो गया है ऊपर से वो अपने फोन भी लाना भूल चुकी थी

अक्षिता ने अभी तक निकाली हुई सभी फाइलस् को देखा और सोचा के इसमे काम हो जान चाहिए और जरूरत पड़ी तो वो वापिस यहा आ जाएगी, उसने सभी फाइलस् उठाई और स्टोर रूम के दरवाजे के पास रखे टेबल पर सही से लगा कर चेक करने लगी

इस सब मे अक्षिता का एक बात की ओर ध्यान नहीं गया था के स्टोर रूम का दरवाजा हवा से अपने आप बन हो चुका था और चाबिया उसी दरवाजे पर बाहर की साइड लटक रही थी

अक्षिता ने सभी फाइलस् को चेक करने अरेंज किया और दरवाजे तक आई तो दरवाजा बंद पाकर वो थोड़ा चौकी, दरवाजे का हंडेल घुमाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ दरवाजा लॉक हो चुका था अक्षिता ने दरवाजा खोलने की भरसक कोशिश की लेकिन वो हर बार नाकाम रही

कुछ टाइम बाद अक्षिता को ध्यान मे आया एक वो वहा स्टोर रूम मे अब बंद हो चुकी थी, उसने चाबिया खोजने की भी कोशिश की लेकिन चाबिया होती तो मिलती ना

अक्षिता अब पैनिक करने लगी थी दरवाजा पीट कर मदद के लिए चिल्ला रही थी लेकिन कोई वहा सुनने वाला था ही थी, ऑफिस मे इस इलाके मे कोई ज्यादा आता ही नहीं था, अक्षिता ने एक बारी लॉक भी तोड़ने की कोशिश करी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ

पैनिक मे अब अक्षिता के हाथ पैर कांपने लगे थे पसीने से पूरा शरीर भीग गया था, अक्षिता अपनी पूरी जान लगा कर चीखी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ, वो लगातार दरवाजा पीट रही रही

धीरे धीरे अक्षिता की बॉडी रीऐक्टोर करना बंद करने लगी, उसे चक्कर आने लगे थे, गला सुख गया था, आँखों के सामने अंधेरा छा रहा था वो दीवार के सहारे चलते हुए टेबल को पकड़ते हुयुए स्टोर रूम एम रखी एक कूर्चि की ओर बढ़ रही थी लेकिन अब शरीर साथ छोड़ रहा था दिमाग घूम रहा था और आखिर कार वो वही बेहोश होकर गिर पड़ी....



क्रमश:
Nice and superb update...
 

Tiger 786

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एकांश के केबिन को बन कर कम्प्लीट होने मे और 2 दिन का वक्त लग गया था और एक पूरा दिन लगा था पूरा सामान फाइलस् शिफ्ट करने मे और आज 3 दिनों बाद वो अपने नए केबिन मे था...

इन सभी दिनों मे अक्षिता को सभी काम को सुपरवाइज़ करना पड़ा था और अब चुकी वहा सब इम्पॉर्टन्ट और कान्फडेन्चल फाइलस् थी वो सब सामान अक्षिता को खुद अरेंज करना पड़ा था और इसके लिए अक्षिता को पूरा दिन फाइलस् लिए सीढ़ियों से उप डाउन करना पड़ा था

अक्षिता को देख ऐसा लग रहा था मानो वो अभी गिर पड़ेगी और उसकी हालत देख स्वरा और रोहन को उसकी फिर्क हो रही थी.. उन्होंने के अक्षिता से कहा भी के आराम कर ले इतना काम ना करे लेकिन अक्षिता ने उनकी बात नहीं मानी

अब उनको एकांश पर भी गुस्सा आ रहा था क्युकी पूजा से उन्हे पता चला था एकांश जबरदस्ती अक्षिता से उप डाउन करवा रहा था और एकांश का अक्षिता को इतना काम बताना उन्हे नहीं जम रहा था

रोहन बहुत ज्यादा गुस्से मे था और वो अक्षिता के लिए कुछ ज्यादा ही प्रोटेकटिव था लेकिन स्वरा के समझाने के बाद वो थोड़ा शांत हुआ था, अक्षिता आज कुछ ज्यादा ही थकी हुई लग रही थी और उसे ऐसे इग्ज़ॉस्ट होकर काम करता रोहन से नहीं देखा जा रहा था

वैसे तो स्वरा को भी ये सब नहीं जम रहा था गुस्सा तो उसे भी आ रहा था लेकिन उसने पहले अक्षिता से बात करने के बारे मे सोचा के वो ये सब क्यू कर रही है यू चुप चाप एकांश की हर बात सुन रही है, वो चाहती तो विरोध कर सकती थी,

कल वीकएंड था और रोहन और स्वरा दोनों ने कल अक्षिता ने इस बारे मे बार करने का सोचा।।

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सोमवार का दिन

एकांश हमेशा के जैसे अपने ऑफिस मे आ चुका था और अपने केबिन मे पहुच चुका था इस वक्त सुबह के ठीक 9.30 बज रहे थे और उसके केबिन मे आते ही उसे अपने डोर पर नॉक सुनाई दिया , एकांश जानता था दरवाजा किसने खटखटाया था और उसके चेहरे पर एक स्माइल आ गई थी

“कम इन” एकांश ने कहा

“सर आपकी कॉफी”

एकांश ने एक नजर अक्षिता की ओर देखा, अक्षिता की हालत कुछ ठीक नहीं थी चेहरा पीला पड़ा हुआ था और आंखे लाल हो रखी थी, उसकी हालत देख एकांश थोड़ा चौका

अक्षिता ने ऊफफई टेबल पर रखी और उसके ऑर्डर का वेट करने लगी

“सर, मेरे लिए कोई काम है या मैं जाऊ?” अक्षिता ने पूछा

“मुझे कुछ लेटर्स टाइप करवाने है, ये रही कॉम्पनीस की लिस्ट और डिटेल्स सब इस फाइलस् मे है साथ ही ये ईमेल भी करने है” एकांश ने अक्षिता को फाइल पकड़ाते हुए कहा

एकांश उसके एक जगह बैठने वाला काम दे रहा था है ये देख अक्षिता थोड़ी हैरान हुई साथ ही आज एकांश का आवाज भी नॉर्मल था हमेशा जैसा रुड नहीं था

अक्षिता ने वो फाइल की और चली गई, अक्षिता की बॉडी बहुत थकी सी थी, चेहरे का नूर उड़ चुका था आँखों कोई चमक नहीं थी बल्कि था तो बस सूनापन

एकांश को अब कही न कही ऐसा लग रहा था के उससे इतना काम नहीं करवाना चाहिए था हलनी वो भी ये सब कीसी बदले के लिए नहीं कर रहा था, एकांश पर्सनल और प्रोफेशनल का अंतर जानता था, वो अपने केबिन के ग्लास विंडो के पास आया और अपने स्टाफ को काम करता देखने लगा और जब उसने देखा के अक्षिता भी अपना काम आराम से कर रही है वो भी अपने काम मे लग गया जबसे उनसे इन कंपनी को टेकओवर किया था और अक्षिता वापिस से उसकी लाइफ मे आई थी वो उसे वापिस से अफेक्ट करने लगी थी भले ही दोनों मे अब पहले जैसा कुछ नहीं था लेकिन कभी जो था वो शायद आज भी उनके अंदर मौजूद था और एकांश कभी कभी यही सोचने लग जाता के इतने सब के बाद भी अक्षिता उसे कैसे अफेक्ट कर सकती है

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अपने दिमाग को बगैर किस खयाल मे भटकाए एकांश काम मे लगा रहा वो एक डील के लिए प्रेज़न्टैशन बनाने मे लगा हुआ था और अगर ये डील सही से हो जाती तो इसका उसे काफी फायदा मिलने वाला था, एकांश ने एक कॉल लगाया

“हैलो” दूसरी ओर से आवाज आया

“इन माइ केबिन” और फोन कट

अक्षिता सीढ़िया चढ़ कर उसके केबिन मे पहुची

“सर आपने बुलाया था?”

“आइ एम वर्किंग ऑन अ डील उसके लिए मुझे फाइनैन्शल फाइलस् जैसे क्रेडिटर डेबिटर की सभी पुरानी फाइलस् चाहिए” एकांश मे अपने लॅपटॉप मे नजरे गड़ाए कहा

“सर ये बहुत पुरानी फाइलस् है, स्टोर रूम मे होंगी”अक्षिता ने कहा

“ठीक है प्लीज ब्रिंग इट तो मे” एकांश ने वैसे ही कहा और ओके बोल कर अक्षिता वहा से निकल गई

--

अक्षिता पहले अपने फ्लोर पर गई वहा उसने रीसेप्शन से सबसे पहले स्टोर रूम की चाबिया ली और रीसेप्शनिस्ट मीरा को अपने को मिले हुए काम के बारे मे बताया और कुछ पल उससे बात करके अक्षिता स्टोर रूम की चाबिया लेकर उस ओर बढ़ गई

स्टोर रोम ऑफिस मे उस फ्लोर पर एकदम कोने मे बना हुआ था और उधर स्टाफ का आना जाना भी एकदम कम था

अक्षिता ने चाबी से रूम का दरवाजा खोला और स्टोर रूम मे अंदर घुसी जहा बहूत सारी फाइलस् उसका इंतजार कर रही थी बड़ी बड़ी रैक मे फाइलस् रखी हुई थी जिनपर धूल जम रही थी

अक्षिता ने उसे जो चाहिए थी वो फाइलस् ढूँढना शुरू किया, वो हर फाइल को वन बी वन चेक कर रही थी और इस काम मे उसे खासा वक्त लगना था और उसके पास लिस्ट भी काफी लंबी थी, जब उसे सामने की रैक मे कुछ फाइलस् नहीं मिली तो वो स्टोर रूम मे और पीछे की ओर गई और पुरानी फाइलस् खोजने लगी

अक्षिता पसीने से पूरी भीग चुकी थी ऊपर से स्टोर रूम मे कीसी भी तरह का कोई वेनलैशन नहीं था और उसे वक्त का भी पता नहीं चल रहा था के उसे वहा कितना वक्त हो गया है ऊपर से वो अपने फोन भी लाना भूल चुकी थी

अक्षिता ने अभी तक निकाली हुई सभी फाइलस् को देखा और सोचा के इसमे काम हो जान चाहिए और जरूरत पड़ी तो वो वापिस यहा आ जाएगी, उसने सभी फाइलस् उठाई और स्टोर रूम के दरवाजे के पास रखे टेबल पर सही से लगा कर चेक करने लगी

इस सब मे अक्षिता का एक बात की ओर ध्यान नहीं गया था के स्टोर रूम का दरवाजा हवा से अपने आप बन हो चुका था और चाबिया उसी दरवाजे पर बाहर की साइड लटक रही थी

अक्षिता ने सभी फाइलस् को चेक करने अरेंज किया और दरवाजे तक आई तो दरवाजा बंद पाकर वो थोड़ा चौकी, दरवाजे का हंडेल घुमाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ दरवाजा लॉक हो चुका था अक्षिता ने दरवाजा खोलने की भरसक कोशिश की लेकिन वो हर बार नाकाम रही

कुछ टाइम बाद अक्षिता को ध्यान मे आया एक वो वहा स्टोर रूम मे अब बंद हो चुकी थी, उसने चाबिया खोजने की भी कोशिश की लेकिन चाबिया होती तो मिलती ना

अक्षिता अब पैनिक करने लगी थी दरवाजा पीट कर मदद के लिए चिल्ला रही थी लेकिन कोई वहा सुनने वाला था ही थी, ऑफिस मे इस इलाके मे कोई ज्यादा आता ही नहीं था, अक्षिता ने एक बारी लॉक भी तोड़ने की कोशिश करी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ

पैनिक मे अब अक्षिता के हाथ पैर कांपने लगे थे पसीने से पूरा शरीर भीग गया था, अक्षिता अपनी पूरी जान लगा कर चीखी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ, वो लगातार दरवाजा पीट रही रही

धीरे धीरे अक्षिता की बॉडी रीऐक्टोर करना बंद करने लगी, उसे चक्कर आने लगे थे, गला सुख गया था, आँखों के सामने अंधेरा छा रहा था वो दीवार के सहारे चलते हुए टेबल को पकड़ते हुयुए स्टोर रूम एम रखी एक कूर्चि की ओर बढ़ रही थी लेकिन अब शरीर साथ छोड़ रहा था दिमाग घूम रहा था और आखिर कार वो वही बेहोश होकर गिर पड़ी....



क्रमश:
Ekansh hi bachayga akshita ko
Superb update
 

kas1709

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Update 6



एकांश के केबिन को बन कर कम्प्लीट होने मे और 2 दिन का वक्त लग गया था और एक पूरा दिन लगा था पूरा सामान फाइलस् शिफ्ट करने मे और आज 3 दिनों बाद वो अपने नए केबिन मे था...

इन सभी दिनों मे अक्षिता को सभी काम को सुपरवाइज़ करना पड़ा था और अब चुकी वहा सब इम्पॉर्टन्ट और कान्फडेन्चल फाइलस् थी वो सब सामान अक्षिता को खुद अरेंज करना पड़ा था और इसके लिए अक्षिता को पूरा दिन फाइलस् लिए सीढ़ियों से उप डाउन करना पड़ा था

अक्षिता को देख ऐसा लग रहा था मानो वो अभी गिर पड़ेगी और उसकी हालत देख स्वरा और रोहन को उसकी फिर्क हो रही थी.. उन्होंने के अक्षिता से कहा भी के आराम कर ले इतना काम ना करे लेकिन अक्षिता ने उनकी बात नहीं मानी

अब उनको एकांश पर भी गुस्सा आ रहा था क्युकी पूजा से उन्हे पता चला था एकांश जबरदस्ती अक्षिता से उप डाउन करवा रहा था और एकांश का अक्षिता को इतना काम बताना उन्हे नहीं जम रहा था

रोहन बहुत ज्यादा गुस्से मे था और वो अक्षिता के लिए कुछ ज्यादा ही प्रोटेकटिव था लेकिन स्वरा के समझाने के बाद वो थोड़ा शांत हुआ था, अक्षिता आज कुछ ज्यादा ही थकी हुई लग रही थी और उसे ऐसे इग्ज़ॉस्ट होकर काम करता रोहन से नहीं देखा जा रहा था

वैसे तो स्वरा को भी ये सब नहीं जम रहा था गुस्सा तो उसे भी आ रहा था लेकिन उसने पहले अक्षिता से बात करने के बारे मे सोचा के वो ये सब क्यू कर रही है यू चुप चाप एकांश की हर बात सुन रही है, वो चाहती तो विरोध कर सकती थी,

कल वीकएंड था और रोहन और स्वरा दोनों ने कल अक्षिता ने इस बारे मे बार करने का सोचा।।

--

सोमवार का दिन

एकांश हमेशा के जैसे अपने ऑफिस मे आ चुका था और अपने केबिन मे पहुच चुका था इस वक्त सुबह के ठीक 9.30 बज रहे थे और उसके केबिन मे आते ही उसे अपने डोर पर नॉक सुनाई दिया , एकांश जानता था दरवाजा किसने खटखटाया था और उसके चेहरे पर एक स्माइल आ गई थी

“कम इन” एकांश ने कहा

“सर आपकी कॉफी”

एकांश ने एक नजर अक्षिता की ओर देखा, अक्षिता की हालत कुछ ठीक नहीं थी चेहरा पीला पड़ा हुआ था और आंखे लाल हो रखी थी, उसकी हालत देख एकांश थोड़ा चौका

अक्षिता ने ऊफफई टेबल पर रखी और उसके ऑर्डर का वेट करने लगी

“सर, मेरे लिए कोई काम है या मैं जाऊ?” अक्षिता ने पूछा

“मुझे कुछ लेटर्स टाइप करवाने है, ये रही कॉम्पनीस की लिस्ट और डिटेल्स सब इस फाइलस् मे है साथ ही ये ईमेल भी करने है” एकांश ने अक्षिता को फाइल पकड़ाते हुए कहा

एकांश उसके एक जगह बैठने वाला काम दे रहा था है ये देख अक्षिता थोड़ी हैरान हुई साथ ही आज एकांश का आवाज भी नॉर्मल था हमेशा जैसा रुड नहीं था

अक्षिता ने वो फाइल की और चली गई, अक्षिता की बॉडी बहुत थकी सी थी, चेहरे का नूर उड़ चुका था आँखों कोई चमक नहीं थी बल्कि था तो बस सूनापन

एकांश को अब कही न कही ऐसा लग रहा था के उससे इतना काम नहीं करवाना चाहिए था हालांकि वो भी ये सब कीसी बदले के लिए नहीं कर रहा था, एकांश पर्सनल और प्रोफेशनल का अंतर जानता था, वो अपने केबिन के ग्लास विंडो के पास आया और अपने स्टाफ को काम करता देखने लगा और जब उसने देखा के अक्षिता भी अपना काम आराम से कर रही है वो भी अपने काम मे लग गया जबसे उनसे इन कंपनी को टेकओवर किया था और अक्षिता वापिस से उसकी लाइफ मे आई थी वो उसे वापिस से अफेक्ट करने लगी थी भले ही दोनों मे अब पहले जैसा कुछ नहीं था लेकिन कभी जो था वो शायद आज भी उनके अंदर मौजूद था और एकांश कभी कभी यही सोचने लग जाता के इतने सब के बाद भी अक्षिता उसे कैसे अफेक्ट कर सकती है

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अपने दिमाग को बगैर किस खयाल मे भटकाए एकांश काम मे लगा रहा वो एक डील के लिए प्रेज़न्टैशन बनाने मे लगा हुआ था और अगर ये डील सही से हो जाती तो इसका उसे काफी फायदा मिलने वाला था, एकांश ने एक कॉल लगाया

“हैलो” दूसरी ओर से आवाज आया

“इन माइ केबिन” और फोन कट

अक्षिता सीढ़िया चढ़ कर उसके केबिन मे पहुची

“सर आपने बुलाया था?”

“आइ एम वर्किंग ऑन अ डील उसके लिए मुझे फाइनैन्शल फाइलस् जैसे क्रेडिटर डेबिटर की सभी पुरानी फाइलस् चाहिए” एकांश मे अपने लॅपटॉप मे नजरे गड़ाए कहा

“सर ये बहुत पुरानी फाइलस् है, स्टोर रूम मे होंगी”अक्षिता ने कहा

“ठीक है प्लीज ब्रिंग इट तो मे” एकांश ने वैसे ही कहा और ओके बोल कर अक्षिता वहा से निकल गई

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अक्षिता पहले अपने फ्लोर पर गई वहा उसने रीसेप्शन से सबसे पहले स्टोर रूम की चाबिया ली और रीसेप्शनिस्ट मीरा को अपने को मिले हुए काम के बारे मे बताया और कुछ पल उससे बात करके अक्षिता स्टोर रूम की चाबिया लेकर उस ओर बढ़ गई

स्टोर रोम ऑफिस मे उस फ्लोर पर एकदम कोने मे बना हुआ था और उधर स्टाफ का आना जाना भी एकदम कम था

अक्षिता ने चाबी से रूम का दरवाजा खोला और स्टोर रूम मे अंदर घुसी जहा बहूत सारी फाइलस् उसका इंतजार कर रही थी बड़ी बड़ी रैक मे फाइलस् रखी हुई थी जिनपर धूल जम रही थी

अक्षिता ने उसे जो चाहिए थी वो फाइलस् ढूँढना शुरू किया, वो हर फाइल को वन बी वन चेक कर रही थी और इस काम मे उसे खासा वक्त लगना था और उसके पास लिस्ट भी काफी लंबी थी, जब उसे सामने की रैक मे कुछ फाइलस् नहीं मिली तो वो स्टोर रूम मे और पीछे की ओर गई और पुरानी फाइलस् खोजने लगी

अक्षिता पसीने से पूरी भीग चुकी थी ऊपर से स्टोर रूम मे कीसी भी तरह का कोई वेनलैशन नहीं था और उसे वक्त का भी पता नहीं चल रहा था के उसे वहा कितना वक्त हो गया है ऊपर से वो अपने फोन भी लाना भूल चुकी थी

अक्षिता ने अभी तक निकाली हुई सभी फाइलस् को देखा और सोचा के इसमे काम हो जान चाहिए और जरूरत पड़ी तो वो वापिस यहा आ जाएगी, उसने सभी फाइलस् उठाई और स्टोर रूम के दरवाजे के पास रखे टेबल पर सही से लगा कर चेक करने लगी

इस सब मे अक्षिता का एक बात की ओर ध्यान नहीं गया था के स्टोर रूम का दरवाजा हवा से अपने आप बन हो चुका था और चाबिया उसी दरवाजे पर बाहर की साइड लटक रही थी

अक्षिता ने सभी फाइलस् को चेक करने अरेंज किया और दरवाजे तक आई तो दरवाजा बंद पाकर वो थोड़ा चौकी, दरवाजे का हंडेल घुमाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ दरवाजा लॉक हो चुका था अक्षिता ने दरवाजा खोलने की भरसक कोशिश की लेकिन वो हर बार नाकाम रही

कुछ टाइम बाद अक्षिता को ध्यान मे आया एक वो वहा स्टोर रूम मे अब बंद हो चुकी थी, उसने चाबिया खोजने की भी कोशिश की लेकिन चाबिया होती तो मिलती ना

अक्षिता अब पैनिक करने लगी थी दरवाजा पीट कर मदद के लिए चिल्ला रही थी लेकिन कोई वहा सुनने वाला था ही थी, ऑफिस मे इस इलाके मे कोई ज्यादा आता ही नहीं था, अक्षिता ने एक बारी लॉक भी तोड़ने की कोशिश करी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ

पैनिक मे अब अक्षिता के हाथ पैर कांपने लगे थे पसीने से पूरा शरीर भीग गया था, अक्षिता अपनी पूरी जान लगा कर चीखी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ, वो लगातार दरवाजा पीट रही रही

धीरे धीरे अक्षिता की बॉडी रीऐक्टोर करना बंद करने लगी, उसे चक्कर आने लगे थे, गला सुख गया था, आँखों के सामने अंधेरा छा रहा था वो दीवार के सहारे चलते हुए टेबल को पकड़ते हुयुए स्टोर रूम एम रखी एक कूर्चि की ओर बढ़ रही थी लेकिन अब शरीर साथ छोड़ रहा था दिमाग घूम रहा था और आखिर कार वो वही बेहोश होकर गिर पड़ी....



क्रमश:
Nice update....
 

Raj_sharma

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एकांश के केबिन को बन कर कम्प्लीट होने मे और 2 दिन का वक्त लग गया था और एक पूरा दिन लगा था पूरा सामान फाइलस् शिफ्ट करने मे और आज 3 दिनों बाद वो अपने नए केबिन मे था...

इन सभी दिनों मे अक्षिता को सभी काम को सुपरवाइज़ करना पड़ा था और अब चुकी वहा सब इम्पॉर्टन्ट और कान्फडेन्चल फाइलस् थी वो सब सामान अक्षिता को खुद अरेंज करना पड़ा था और इसके लिए अक्षिता को पूरा दिन फाइलस् लिए सीढ़ियों से उप डाउन करना पड़ा था

अक्षिता को देख ऐसा लग रहा था मानो वो अभी गिर पड़ेगी और उसकी हालत देख स्वरा और रोहन को उसकी फिर्क हो रही थी.. उन्होंने के अक्षिता से कहा भी के आराम कर ले इतना काम ना करे लेकिन अक्षिता ने उनकी बात नहीं मानी

अब उनको एकांश पर भी गुस्सा आ रहा था क्युकी पूजा से उन्हे पता चला था एकांश जबरदस्ती अक्षिता से उप डाउन करवा रहा था और एकांश का अक्षिता को इतना काम बताना उन्हे नहीं जम रहा था

रोहन बहुत ज्यादा गुस्से मे था और वो अक्षिता के लिए कुछ ज्यादा ही प्रोटेकटिव था लेकिन स्वरा के समझाने के बाद वो थोड़ा शांत हुआ था, अक्षिता आज कुछ ज्यादा ही थकी हुई लग रही थी और उसे ऐसे इग्ज़ॉस्ट होकर काम करता रोहन से नहीं देखा जा रहा था

वैसे तो स्वरा को भी ये सब नहीं जम रहा था गुस्सा तो उसे भी आ रहा था लेकिन उसने पहले अक्षिता से बात करने के बारे मे सोचा के वो ये सब क्यू कर रही है यू चुप चाप एकांश की हर बात सुन रही है, वो चाहती तो विरोध कर सकती थी,

कल वीकएंड था और रोहन और स्वरा दोनों ने कल अक्षिता ने इस बारे मे बार करने का सोचा।।

--

सोमवार का दिन

एकांश हमेशा के जैसे अपने ऑफिस मे आ चुका था और अपने केबिन मे पहुच चुका था इस वक्त सुबह के ठीक 9.30 बज रहे थे और उसके केबिन मे आते ही उसे अपने डोर पर नॉक सुनाई दिया , एकांश जानता था दरवाजा किसने खटखटाया था और उसके चेहरे पर एक स्माइल आ गई थी

“कम इन” एकांश ने कहा

“सर आपकी कॉफी”

एकांश ने एक नजर अक्षिता की ओर देखा, अक्षिता की हालत कुछ ठीक नहीं थी चेहरा पीला पड़ा हुआ था और आंखे लाल हो रखी थी, उसकी हालत देख एकांश थोड़ा चौका

अक्षिता ने ऊफफई टेबल पर रखी और उसके ऑर्डर का वेट करने लगी

“सर, मेरे लिए कोई काम है या मैं जाऊ?” अक्षिता ने पूछा

“मुझे कुछ लेटर्स टाइप करवाने है, ये रही कॉम्पनीस की लिस्ट और डिटेल्स सब इस फाइलस् मे है साथ ही ये ईमेल भी करने है” एकांश ने अक्षिता को फाइल पकड़ाते हुए कहा

एकांश उसके एक जगह बैठने वाला काम दे रहा था है ये देख अक्षिता थोड़ी हैरान हुई साथ ही आज एकांश का आवाज भी नॉर्मल था हमेशा जैसा रुड नहीं था

अक्षिता ने वो फाइल की और चली गई, अक्षिता की बॉडी बहुत थकी सी थी, चेहरे का नूर उड़ चुका था आँखों कोई चमक नहीं थी बल्कि था तो बस सूनापन

एकांश को अब कही न कही ऐसा लग रहा था के उससे इतना काम नहीं करवाना चाहिए था हालांकि वो भी ये सब कीसी बदले के लिए नहीं कर रहा था, एकांश पर्सनल और प्रोफेशनल का अंतर जानता था, वो अपने केबिन के ग्लास विंडो के पास आया और अपने स्टाफ को काम करता देखने लगा और जब उसने देखा के अक्षिता भी अपना काम आराम से कर रही है वो भी अपने काम मे लग गया जबसे उनसे इन कंपनी को टेकओवर किया था और अक्षिता वापिस से उसकी लाइफ मे आई थी वो उसे वापिस से अफेक्ट करने लगी थी भले ही दोनों मे अब पहले जैसा कुछ नहीं था लेकिन कभी जो था वो शायद आज भी उनके अंदर मौजूद था और एकांश कभी कभी यही सोचने लग जाता के इतने सब के बाद भी अक्षिता उसे कैसे अफेक्ट कर सकती है

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अपने दिमाग को बगैर किस खयाल मे भटकाए एकांश काम मे लगा रहा वो एक डील के लिए प्रेज़न्टैशन बनाने मे लगा हुआ था और अगर ये डील सही से हो जाती तो इसका उसे काफी फायदा मिलने वाला था, एकांश ने एक कॉल लगाया

“हैलो” दूसरी ओर से आवाज आया

“इन माइ केबिन” और फोन कट

अक्षिता सीढ़िया चढ़ कर उसके केबिन मे पहुची

“सर आपने बुलाया था?”

“आइ एम वर्किंग ऑन अ डील उसके लिए मुझे फाइनैन्शल फाइलस् जैसे क्रेडिटर डेबिटर की सभी पुरानी फाइलस् चाहिए” एकांश मे अपने लॅपटॉप मे नजरे गड़ाए कहा

“सर ये बहुत पुरानी फाइलस् है, स्टोर रूम मे होंगी”अक्षिता ने कहा

“ठीक है प्लीज ब्रिंग इट तो मे” एकांश ने वैसे ही कहा और ओके बोल कर अक्षिता वहा से निकल गई

--

अक्षिता पहले अपने फ्लोर पर गई वहा उसने रीसेप्शन से सबसे पहले स्टोर रूम की चाबिया ली और रीसेप्शनिस्ट मीरा को अपने को मिले हुए काम के बारे मे बताया और कुछ पल उससे बात करके अक्षिता स्टोर रूम की चाबिया लेकर उस ओर बढ़ गई

स्टोर रोम ऑफिस मे उस फ्लोर पर एकदम कोने मे बना हुआ था और उधर स्टाफ का आना जाना भी एकदम कम था

अक्षिता ने चाबी से रूम का दरवाजा खोला और स्टोर रूम मे अंदर घुसी जहा बहूत सारी फाइलस् उसका इंतजार कर रही थी बड़ी बड़ी रैक मे फाइलस् रखी हुई थी जिनपर धूल जम रही थी

अक्षिता ने उसे जो चाहिए थी वो फाइलस् ढूँढना शुरू किया, वो हर फाइल को वन बी वन चेक कर रही थी और इस काम मे उसे खासा वक्त लगना था और उसके पास लिस्ट भी काफी लंबी थी, जब उसे सामने की रैक मे कुछ फाइलस् नहीं मिली तो वो स्टोर रूम मे और पीछे की ओर गई और पुरानी फाइलस् खोजने लगी

अक्षिता पसीने से पूरी भीग चुकी थी ऊपर से स्टोर रूम मे कीसी भी तरह का कोई वेनलैशन नहीं था और उसे वक्त का भी पता नहीं चल रहा था के उसे वहा कितना वक्त हो गया है ऊपर से वो अपने फोन भी लाना भूल चुकी थी

अक्षिता ने अभी तक निकाली हुई सभी फाइलस् को देखा और सोचा के इसमे काम हो जान चाहिए और जरूरत पड़ी तो वो वापिस यहा आ जाएगी, उसने सभी फाइलस् उठाई और स्टोर रूम के दरवाजे के पास रखे टेबल पर सही से लगा कर चेक करने लगी

इस सब मे अक्षिता का एक बात की ओर ध्यान नहीं गया था के स्टोर रूम का दरवाजा हवा से अपने आप बन हो चुका था और चाबिया उसी दरवाजे पर बाहर की साइड लटक रही थी

अक्षिता ने सभी फाइलस् को चेक करने अरेंज किया और दरवाजे तक आई तो दरवाजा बंद पाकर वो थोड़ा चौकी, दरवाजे का हंडेल घुमाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ दरवाजा लॉक हो चुका था अक्षिता ने दरवाजा खोलने की भरसक कोशिश की लेकिन वो हर बार नाकाम रही

कुछ टाइम बाद अक्षिता को ध्यान मे आया एक वो वहा स्टोर रूम मे अब बंद हो चुकी थी, उसने चाबिया खोजने की भी कोशिश की लेकिन चाबिया होती तो मिलती ना

अक्षिता अब पैनिक करने लगी थी दरवाजा पीट कर मदद के लिए चिल्ला रही थी लेकिन कोई वहा सुनने वाला था ही थी, ऑफिस मे इस इलाके मे कोई ज्यादा आता ही नहीं था, अक्षिता ने एक बारी लॉक भी तोड़ने की कोशिश करी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ

पैनिक मे अब अक्षिता के हाथ पैर कांपने लगे थे पसीने से पूरा शरीर भीग गया था, अक्षिता अपनी पूरी जान लगा कर चीखी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ, वो लगातार दरवाजा पीट रही रही

धीरे धीरे अक्षिता की बॉडी रीऐक्टोर करना बंद करने लगी, उसे चक्कर आने लगे थे, गला सुख गया था, आँखों के सामने अंधेरा छा रहा था वो दीवार के सहारे चलते हुए टेबल को पकड़ते हुयुए स्टोर रूम एम रखी एक कूर्चि की ओर बढ़ रही थी लेकिन अब शरीर साथ छोड़ रहा था दिमाग घूम रहा था और आखिर कार वो वही बेहोश होकर गिर पड़ी....



क्रमश:
Superb writing adirshi bhai 👌🏻 just awesome 👌🏻. Akshita ki halat khaarab ho chuki hai👍 ekansh ya kisi or ko bhi pata nahi hai ki wo store room me band hai. Or uper se behosh bhi ho chuki hai. Ab kya maar hi daaloge bechari ko? Kuch to reham kato.
Or ekansh ko bhejo waha use khojne k liye. :shhhh: .
Awesome update angain. :bow::bow::bow: We want next update asap👍
 

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एकांश के केबिन को बन कर कम्प्लीट होने मे और 2 दिन का वक्त लग गया था और एक पूरा दिन लगा था पूरा सामान फाइलस् शिफ्ट करने मे और आज 3 दिनों बाद वो अपने नए केबिन मे था...

इन सभी दिनों मे अक्षिता को सभी काम को सुपरवाइज़ करना पड़ा था और अब चुकी वहा सब इम्पॉर्टन्ट और कान्फडेन्चल फाइलस् थी वो सब सामान अक्षिता को खुद अरेंज करना पड़ा था और इसके लिए अक्षिता को पूरा दिन फाइलस् लिए सीढ़ियों से उप डाउन करना पड़ा था

अक्षिता को देख ऐसा लग रहा था मानो वो अभी गिर पड़ेगी और उसकी हालत देख स्वरा और रोहन को उसकी फिर्क हो रही थी.. उन्होंने के अक्षिता से कहा भी के आराम कर ले इतना काम ना करे लेकिन अक्षिता ने उनकी बात नहीं मानी

अब उनको एकांश पर भी गुस्सा आ रहा था क्युकी पूजा से उन्हे पता चला था एकांश जबरदस्ती अक्षिता से उप डाउन करवा रहा था और एकांश का अक्षिता को इतना काम बताना उन्हे नहीं जम रहा था

रोहन बहुत ज्यादा गुस्से मे था और वो अक्षिता के लिए कुछ ज्यादा ही प्रोटेकटिव था लेकिन स्वरा के समझाने के बाद वो थोड़ा शांत हुआ था, अक्षिता आज कुछ ज्यादा ही थकी हुई लग रही थी और उसे ऐसे इग्ज़ॉस्ट होकर काम करता रोहन से नहीं देखा जा रहा था

वैसे तो स्वरा को भी ये सब नहीं जम रहा था गुस्सा तो उसे भी आ रहा था लेकिन उसने पहले अक्षिता से बात करने के बारे मे सोचा के वो ये सब क्यू कर रही है यू चुप चाप एकांश की हर बात सुन रही है, वो चाहती तो विरोध कर सकती थी,

कल वीकएंड था और रोहन और स्वरा दोनों ने कल अक्षिता ने इस बारे मे बार करने का सोचा।।

--

सोमवार का दिन

एकांश हमेशा के जैसे अपने ऑफिस मे आ चुका था और अपने केबिन मे पहुच चुका था इस वक्त सुबह के ठीक 9.30 बज रहे थे और उसके केबिन मे आते ही उसे अपने डोर पर नॉक सुनाई दिया , एकांश जानता था दरवाजा किसने खटखटाया था और उसके चेहरे पर एक स्माइल आ गई थी

“कम इन” एकांश ने कहा

“सर आपकी कॉफी”

एकांश ने एक नजर अक्षिता की ओर देखा, अक्षिता की हालत कुछ ठीक नहीं थी चेहरा पीला पड़ा हुआ था और आंखे लाल हो रखी थी, उसकी हालत देख एकांश थोड़ा चौका

अक्षिता ने ऊफफई टेबल पर रखी और उसके ऑर्डर का वेट करने लगी

“सर, मेरे लिए कोई काम है या मैं जाऊ?” अक्षिता ने पूछा

“मुझे कुछ लेटर्स टाइप करवाने है, ये रही कॉम्पनीस की लिस्ट और डिटेल्स सब इस फाइलस् मे है साथ ही ये ईमेल भी करने है” एकांश ने अक्षिता को फाइल पकड़ाते हुए कहा

एकांश उसके एक जगह बैठने वाला काम दे रहा था है ये देख अक्षिता थोड़ी हैरान हुई साथ ही आज एकांश का आवाज भी नॉर्मल था हमेशा जैसा रुड नहीं था

अक्षिता ने वो फाइल की और चली गई, अक्षिता की बॉडी बहुत थकी सी थी, चेहरे का नूर उड़ चुका था आँखों कोई चमक नहीं थी बल्कि था तो बस सूनापन

एकांश को अब कही न कही ऐसा लग रहा था के उससे इतना काम नहीं करवाना चाहिए था हालांकि वो भी ये सब कीसी बदले के लिए नहीं कर रहा था, एकांश पर्सनल और प्रोफेशनल का अंतर जानता था, वो अपने केबिन के ग्लास विंडो के पास आया और अपने स्टाफ को काम करता देखने लगा और जब उसने देखा के अक्षिता भी अपना काम आराम से कर रही है वो भी अपने काम मे लग गया जबसे उनसे इन कंपनी को टेकओवर किया था और अक्षिता वापिस से उसकी लाइफ मे आई थी वो उसे वापिस से अफेक्ट करने लगी थी भले ही दोनों मे अब पहले जैसा कुछ नहीं था लेकिन कभी जो था वो शायद आज भी उनके अंदर मौजूद था और एकांश कभी कभी यही सोचने लग जाता के इतने सब के बाद भी अक्षिता उसे कैसे अफेक्ट कर सकती है

--

अपने दिमाग को बगैर किस खयाल मे भटकाए एकांश काम मे लगा रहा वो एक डील के लिए प्रेज़न्टैशन बनाने मे लगा हुआ था और अगर ये डील सही से हो जाती तो इसका उसे काफी फायदा मिलने वाला था, एकांश ने एक कॉल लगाया

“हैलो” दूसरी ओर से आवाज आया

“इन माइ केबिन” और फोन कट

अक्षिता सीढ़िया चढ़ कर उसके केबिन मे पहुची

“सर आपने बुलाया था?”

“आइ एम वर्किंग ऑन अ डील उसके लिए मुझे फाइनैन्शल फाइलस् जैसे क्रेडिटर डेबिटर की सभी पुरानी फाइलस् चाहिए” एकांश मे अपने लॅपटॉप मे नजरे गड़ाए कहा

“सर ये बहुत पुरानी फाइलस् है, स्टोर रूम मे होंगी”अक्षिता ने कहा

“ठीक है प्लीज ब्रिंग इट तो मे” एकांश ने वैसे ही कहा और ओके बोल कर अक्षिता वहा से निकल गई

--

अक्षिता पहले अपने फ्लोर पर गई वहा उसने रीसेप्शन से सबसे पहले स्टोर रूम की चाबिया ली और रीसेप्शनिस्ट मीरा को अपने को मिले हुए काम के बारे मे बताया और कुछ पल उससे बात करके अक्षिता स्टोर रूम की चाबिया लेकर उस ओर बढ़ गई

स्टोर रोम ऑफिस मे उस फ्लोर पर एकदम कोने मे बना हुआ था और उधर स्टाफ का आना जाना भी एकदम कम था

अक्षिता ने चाबी से रूम का दरवाजा खोला और स्टोर रूम मे अंदर घुसी जहा बहूत सारी फाइलस् उसका इंतजार कर रही थी बड़ी बड़ी रैक मे फाइलस् रखी हुई थी जिनपर धूल जम रही थी

अक्षिता ने उसे जो चाहिए थी वो फाइलस् ढूँढना शुरू किया, वो हर फाइल को वन बी वन चेक कर रही थी और इस काम मे उसे खासा वक्त लगना था और उसके पास लिस्ट भी काफी लंबी थी, जब उसे सामने की रैक मे कुछ फाइलस् नहीं मिली तो वो स्टोर रूम मे और पीछे की ओर गई और पुरानी फाइलस् खोजने लगी

अक्षिता पसीने से पूरी भीग चुकी थी ऊपर से स्टोर रूम मे कीसी भी तरह का कोई वेनलैशन नहीं था और उसे वक्त का भी पता नहीं चल रहा था के उसे वहा कितना वक्त हो गया है ऊपर से वो अपने फोन भी लाना भूल चुकी थी

अक्षिता ने अभी तक निकाली हुई सभी फाइलस् को देखा और सोचा के इसमे काम हो जान चाहिए और जरूरत पड़ी तो वो वापिस यहा आ जाएगी, उसने सभी फाइलस् उठाई और स्टोर रूम के दरवाजे के पास रखे टेबल पर सही से लगा कर चेक करने लगी

इस सब मे अक्षिता का एक बात की ओर ध्यान नहीं गया था के स्टोर रूम का दरवाजा हवा से अपने आप बन हो चुका था और चाबिया उसी दरवाजे पर बाहर की साइड लटक रही थी

अक्षिता ने सभी फाइलस् को चेक करने अरेंज किया और दरवाजे तक आई तो दरवाजा बंद पाकर वो थोड़ा चौकी, दरवाजे का हंडेल घुमाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ दरवाजा लॉक हो चुका था अक्षिता ने दरवाजा खोलने की भरसक कोशिश की लेकिन वो हर बार नाकाम रही

कुछ टाइम बाद अक्षिता को ध्यान मे आया एक वो वहा स्टोर रूम मे अब बंद हो चुकी थी, उसने चाबिया खोजने की भी कोशिश की लेकिन चाबिया होती तो मिलती ना

अक्षिता अब पैनिक करने लगी थी दरवाजा पीट कर मदद के लिए चिल्ला रही थी लेकिन कोई वहा सुनने वाला था ही थी, ऑफिस मे इस इलाके मे कोई ज्यादा आता ही नहीं था, अक्षिता ने एक बारी लॉक भी तोड़ने की कोशिश करी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ

पैनिक मे अब अक्षिता के हाथ पैर कांपने लगे थे पसीने से पूरा शरीर भीग गया था, अक्षिता अपनी पूरी जान लगा कर चीखी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ, वो लगातार दरवाजा पीट रही रही

धीरे धीरे अक्षिता की बॉडी रीऐक्टोर करना बंद करने लगी, उसे चक्कर आने लगे थे, गला सुख गया था, आँखों के सामने अंधेरा छा रहा था वो दीवार के सहारे चलते हुए टेबल को पकड़ते हुयुए स्टोर रूम एम रखी एक कूर्चि की ओर बढ़ रही थी लेकिन अब शरीर साथ छोड़ रहा था दिमाग घूम रहा था और आखिर कार वो वही बेहोश होकर गिर पड़ी....



क्रमश:
Bahut hi shaandar update diya hai Adirshi bhai....
Nice and lovely update....
 
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