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Agley update ka besabri se intjaar rahega adirshi
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good going ........ bro........Update 18
कभी ऐसा लगा है के कीसी बात को जानने के कीसी सच को जानने के आप एकदम करीब हो फिर भी वो बात पूरी ना हो पाए?
एक ऐसी सिचूऐशन मे फसे हो जहा बस इंतजार करना ही एकमात्र ऑप्शन हो इसीलिए अलावा कुछ ना कर पाओ?
कभी ये फीलिंग आई है जहा तुम्हारी जिंदगी तुम्हारा प्यार तुम्हारा सबकुछ तुम्हारी आँखों के सामने हो लेकिन तुम उसे हासिल ना कर पाओ?
कभी इंतजार मे एक एक सेकंद वर्षों की भांति महसूस हुआ है?
ऐसी फीलिंग आई है जब आप जिससे प्यार करते हो उसका साथ पाने के लिए कुछ भी कर गुजरने को तयार हो लेकिन फिर भी उस इंसान से दूर हो जाओ?
कभी कभी ऐसा लगता है मानो नियति ही हमे इशारा दे रही हो के कुछ तो है जो गलत होने वाला है कुछ तो है जो हमसे छूट रहा है, कुछ तो है जो दूर जा रहा है...
एकांश इन्ही सब भावनाओ को इस वक्त एकसाथ महसूस कर रहा था, वो अपने इन्ही खयालों से फ्रस्ट्रैट होकर अपने बाल नोचने की हालत मे आ गया था, उसका दिमाग एकदम ही डिस्टर्ब हो गया था
कल रात ही एकांश अपनी मा से बात करना चाहता था लेकिन जब वो घर पहुचा तब उसे पता चला के उसकी मा घर पर ही नहीं थी, उसने पिता ने उसे बताया के वो शहर मे ही नहीं थी वो उनके कीसी रिश्तेदार से मिलने गई हुई थी और इस बारे मे एकांश को कुछ नहीं पता था, अब इसमे गलती भी उसी की थी पिछले कुछ महीनों मे एकांश ने अपने आप को इतना स्वकेंद्रित बना लिया था के बकियों का क्या चल रहा है उसे कुछ पता ही नहीं था
और अब बस वो केवल अक्षिता को देखना चाहता था लेकिन आज उसकी ये इच्छा भी पूरी नहीं होने वाली थी, अक्षिता आज ऑफिस ही नहीं आई थी और ना की अक्षिता ने उसे इस बारे मे कोई मैसेज या लीव ऐप्लकैशन भेजा था लेकिन एकांश ने इस बात को इग्नोर कर दिया था उसने कल अक्षिता की हालत देखि थी और सोचा के उसकी तबीयत ठीक नहीं नहीं थी उसे आराम की सख्त जरूरत थी इसीलिए उसका घर रहना ही बेहतर था लेकिन फिर भी वो अक्षिता को काफी मिस कर रहा था
एकांश ने जैसे तैसे दिन के अपने सभी काम निपटाए लेकिन पूरे दिन मे मिनट दर मिनट वो सच्चाई जानने के लिए उतावला होता जा रहा था, वो तो ये भी नहीं जानता था के उसकी मा का लौटने वाली थी और जो बात उसे करनी थी वो फोन पर नहीं हो सकती थी, उसने वापसी के बारे मे जानने के लिए अपनी मा को फोन भी किया लेकिन वो कब लौटेगी इसका जवाब नहीं मिला,
अगले दिन एकांश की एक बहुत जरूरी मीटिंग थी और उसे ये उम्मीद थी के अक्षिता आज ऑफिस आएगी लेकिन जब उसे रोज की तरह कॉफी नहीं मिली तब वो समझ गया था के अक्षिता आज भी ऑफिस नहीं आने वाली थी और उसका डाउट तब कन्फर्म हुआ जब पूजा मीटिंग के लिए जरूरी सभी फाइलस् लिए उसके केबिन मे आई ये कहते हुए के अक्षिता ने ये सब फाइलस् उसे देने कहा था
एकांश ये सोच कर ही मुस्कुरा दिया के भले अक्षिता की तबीयत ठीक नहीं थी फिर भी उसका काम एकदम परफेक्ट था और उसने मीटिंग की तयारिया पहले ही कर दी थी, जिसके बाद इन सब खयालों को झटक कर एकांश मीटिंग अटेन्ड करने चला गया...
एकांश ने एक और बात नोटिस की थी के रोहन और स्वरा भी अपने यूशूअल मूड मे नहीं थे, वो दोनों भी काफी उदास से लग रहे थे ना ही वो दोनों एकदूसरे से बात कर रहे थे, एकांश ने सोचा शायद वो भी अक्षिता को मिस कर रहे थे
ऑफिस छूटने के बाद जब एकांश बाहर जाने के लिए नीचे वाले फ्लोर पे आया तब उसने देखा के स्वरा रोहन कर कंधे कर सर टिकाए रो रही थी आउट रोहन उसे संभालने मे लगा हुआ था, एकांश को थोड़ा अजब लगा और कुछ तो गलत है ऐसा फ़ील भी आ रहा था, उसे सुबह से ही ऐसा महसूस हो रहा था के कुछ तो गलत होने वाला है
एकांश को समझ नहीं आ रहा था के जता करे और जो पहली बात उसके दिमाग मे थी वो ये के उसे अक्षिता से मिला था उसे देखना था, एकांश ने झट से अपनी कार निकली और सीधा अक्षिता के घर की ओर बढ़ा दी, कुछ ही समय बाद एकांश अक्षिता के घर के बाहर था और अक्षिता का घर इतना शांत लग रहा था मानो वह कोई रहता ही ना हो
एकांश अक्षिता के घर के बाहर खड़ा द्विधा मनस्तिथि मे था के अंदर जाए या ना जाए, वो ये सोच रहा था के अक्षिता उसे वहा देख के क्या सोचेगी, उसके मा बाप क्या सोचेंगे और अब क्या करे क्या ना करे इस खयाल मे एकांश चिढ़ रहा था, उसने ऊपर की ओर शाम के आसमान को देखा और उसी टाइम उसकी नजर अक्षिता पर पड़ी को अपने कमरे की खिड़की पर खड़ी अपने ही खयालों मे खोई हुई थी, उसे देख एकांश हवा मे अपना हाथ जोर से हिलाने लगा ताकि अक्षिता का उसकी ओर ध्यान जाए और वो इसमे कमियाब भी रहा
अक्षिता जो अपने खयालों मे खोई हुई थी उसका ध्यान एकांश की ओर गया, पहले तो अक्षिता को लगा के कोई पागल है फिर उसके ध्यान मे आया के वो उसे ही देख हाथ हिला रहा था और जब अक्षिता ने गौर से देखा तो वो थोड़ा चौकी, उसे यकीन ही नहीं हो रहा था के एकांश वहा वहा, पहले तो अक्षिता को लगा ये बस उसकी इमैजनैशन है, उसने अपनी आंखे बंद कर ली ये सोच कर के जब वो आंखे खोलेगी तब एकांश वहा नहीं होगा लेकिन वैसा नहीं था, एकांश अब भी वही खड़ा था और उसे मुसकुराते हुए देख रहा था...
एकांश को वहा देख अक्षिता सीढ़ियों से जल्दी से नीचे आने के लिए आगे बढ़ी लेकिन तभी वो सीढ़िया उतरते हुए रुक गई, उसने कुछ सोचा और फिर घर के दरवाजे तक आई, अक्षिता ने एक लंबी सास ली, अपने आप को एकांश का सामना करने के लिए तयार किया और अक्षिता दरवाजा खोल के बाहर आई और उसने एकांश को देखा
एकांश दरवाजे से थोड़ा ही दूर खड़ा था और अक्षिता धीरे धीरे चलते हुए उसके पास आई
“सर, आप यहा क्या कर रहे है?” अक्षिता ने एकांश के सामने खड़े होकर पूछा
“वो.... मैं... वो...” एकांश को समझ नहीं आ रहा था क्या बोले वही अक्षिता उसके जवाब का इंतजार कर रही थी
“वो बस मैं तुम्हें देखने आया था...” एकांश ने कहा
“क्या...?” अक्षिता थोड़ा चौकी और एकांश के भी ध्यान मे आया के वो क्या बोला है
“नहीं नहीं मेरा वो मतलब नहीं था, वो तुम 2 दिन से ऑफिस नहीं आई तो बस इसीलिए.....” एकांश ने बात संभाली
“इसीलिए क्या?”
“इसीलिए मैंने सोचा एक बार देख लू, वो दरअसल हुआ ये के मैं यही से गुजर रहा था इसीलिए सोचा तुम्हारा हाल चाल पुछ लू, तुमने का कोई लीव ऐप्लकैशन भेजा ना ही कोई मैसेज, उस दिन भी काफी कमजोर दिख रही थी तो मैंने सोचा के तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं होती तो सोचा घर जाते हुए तुम्हारा हाल चाल लेटा चालू के तुम ठीक हो या नहीं” एकांश ने जैसे तैसे पूरी बात बताई
अक्षिता बस पलके झपकाते हुए एकांश को देख रही थी, वो कुछ नहीं बोल रही थी एकांश ने अपनी बात पूरी करके अक्षिता को देखा तो अक्षिता के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे
और अचानक अक्षिता हसने लगी और एकांश ने अक्षिता से ये रिएक्शन मिलेगा ऐसा नहीं सोचा था, ऐसी झूठी हसी, एकांश बस अक्षिता को देख रहा था
“सर प्लीज ये ऐक्टिंग बंद कीजिए के आप मेरी केयर करते है” अक्षिता ने कहा
और एकांश अक्षिता की बात सुन शॉक था
“तुमको लगता है मैं ऐक्टिंग कर रहा हु?”
“हा, और क्या”
“और तुम्हें ऐसा क्यू लगता हु?”
“मैं कोई पागल नहीं हु सर, आपका यू अचानक मेरे प्रति अच्छा बर्ताव, मुझसे रुडली बात ना करना और अब ऐसे मेरे घर आना इस साब से क्या साबित करना चाहते हो? मैं जानती हु आप नफरत करते है मुझसे और ये भी जानती हु ये बस एक नाटक है” अक्षिता ने थोड़ी कड़वाहट के साथ कहा
“तुमको सही मे लगता है ये सब बस एक नाटक है?” एकांश ने अक्षिता का चेहरा पढ़ने की कोशिश करते हुए कहा
“और नहीं तो क्या.. कोई भी इंसान ऐसे अचानक से नहीं बदलता खास तौर से उसके प्रति जिससे वो चिढ़ता हो नफरत करता हो”
“और मुझे इस सब से क्या मिलेगा वो भी बता ही दो बस इतना जान गई हो तो?” अब एकांश भी सीरीअस हो गया था
“वो मुझे कैसे पता होगा शायद आपने अपने दिमाग मे कुछ सोच रखा होगा, प्लान बना रखा होगा” अक्षिता ने इधर उधर देखते हुए कहा
“बढ़िया, तो ये भी अंदाजा लगा ही लिया होगा के मेरे दिमाग मे क्या चल रहा है”
“बदला” अक्षिता ने एकदम से कहा
“क्या....” एकांश को अब इस बात पर यकीन ही नहीं हो रहा था, उसके शब्द मानो उसके गले मे ही अटक गए थे
“हा.... तुम ये सब बदले के लिए ही तो कर रहे हो, मैंने धोका दिया था तुम्हें तुम्हें छोड़ दिया था और अब बदला चाहते हो तुम” अक्षिता ने थोड़ी ऊंची आवाज मे कड़े शब्दों मे कहा
“तो तुम ये कहना चाहती हो के मैं तुम्हारे साथ अच्छा बर्ताव तुम्हें बदला लेने के लिए कर रहा हु” एकांश को अब भी यकीन नहीं हो रहा था
“अब तुम अमीर लोग क्या क्या कर सकते हो तुम ही जानो मुझे इसमे नहीं फसना है” अक्षिता ने चीख कर कहा
अक्षिता की बातों को सुन एकांश का गुस्सा भी उबलने लगा था, उसके हाथों की मुट्ठीया भींच गई थी और अब उससे गुस्सा कंट्रोल नहीं हो रहा था, एकांश ने अपनी आंखे बंद कर ली एक लंबी सांस की और फिर अपनी आंखे खोली, उसने अक्षिता के चेहरे को देखा जो काफी डल लग रहा था, उसकी आंखे अभी भी गड्ढे मे धँसी हुई थी, उसकी आँखों को देख कर ही बताया जा सकता था के वो काफी रोई थी और उनके कमजोर शरीर को देख लग रहा था के वो खाना भी सही से नहीं खा रही थी, एकांश के सोचा के अक्षिता को कुछ तो तकलीफ है और इसीलिए वो बिना सोचे समझे ये सब बोल रही है
“तुम ऑफिस क्यू नहीं आ रही हो?” एकांश ने अक्षिता की सभी कड़वी बातों को इग्नोर करते हुए पूछा
“वो मैं तुम्हें क्यू बताऊ?”
“Because I am you Boss damn it.” एकांश ने हल्का सा चिल्ला कर कहा
“हा ये, ये है मेरा असली बॉस जो मुझे हेट करता है, मैं सही थी वो सब नाटक था” अक्षिता ने कहा
“तुमको हो क्या गया है? तुम ऐसे बात क्यू कर रही हो?” एकांश ने अक्षिता की बाजुओ को पकड़ते हुए कहा
“मुझे क्या हुआ है? ऐसे तुम्हें क्या हुआ है? तुम ऐसा क्यू बता रहे हो के तुम्हें मेरी चिंता है?” अक्षिता ने चिल्ला कर कहा
“तुम्हें जो समझना है तुम समझ सकती हो लेकिन सच यही है अक्षु के आइ रियली केयर फॉर यू” एकांश ने अक्षिता की आँखों मे देखते हुए आराम से कहा
कुछ पलों तक अक्षिता भी एकांश की आँखों मे खो गई थी, काफी समय बाद उसने उसके मुह से अपना नाम सुना था वरना तो वो उसे फॉर्मली ही आवाज देता था लेकिन फिर उसने अपने आप को गुस्से के साथ एकांश की पकड़ से छुड़ाया
“आपको मेरी केयर करने की कोई जरूरत नहीं है मिस्टर रघुवंशी मेरी केयर करने के लिए मैं खुद सक्षम हु मेरे मा बाप है आप मुझसे नफरत करते हो वही करते रहो, मुझे आपकी केयर की कोई जरूरत नहीं है” अक्षिता ने एकदम गुस्से मे चीखते हुए कहा वही एकांश शॉक मे था
“मुझपर बस एक एहसान कीजिए मिस्टर रघुवंशी, ना तो नाटक मे ना ही असल मे मेरी केयर करना बंद कीजिए, आपकी स्माइल आपकी केयर मुझे और तकलीफ देती है मैं बीमार हु ठीक हु कमजोर हु नहीं हु हसू चाहे रोऊ आपको इससे कोई मतलब नहीं होना चाहिए, मैं ऑफिस आऊ ना आऊ आपको इससे क्या है काम से निकलो खतम करो, मैं अगर मर भी रही होऊ तब भी मुझे आपकी केयर की कोई जरूरत नहीं है” अक्षिता ने कहा, उसकी आंखे गुस्से मे लाल हो गई थी
और इसके पहले के अक्षिता गुस्से मे और कुछ कहती एक मस्त चमाट उसके गालों पर पड़ा अक्षिता ने देखा तो वो थप्पड़ उसे उसकी मा ने मारा था
“मॉम?” अक्षिता थोड़ा चौकी
“घर आए मेहमान से बात करने का तरीका भूल गई हो क्या? और क्या ये भी भूल गई के वो बॉस है तुम्हारे?” अक्षिता की मा ने कहा वही अक्षिता बस नीचे देख रही थी और एकांश वो तो अपने सामने का सीन देख के ही हैरान था
“जाओ अपने रूम मे जाओ” अक्षिता की मा ने उससे कहा, अक्षिता ने अपनी मा को देखा और फिर एकांश पर एक नजर डाली जो कुछ भी बोलने की हालत मे अभी तो नहीं था और वो घर के अंदर चली गई
“सॉरी बेटा मैं अपनी बेटी की ओर से तुमसे माफी मांगती हु” अक्षिता की मा ने कहा
“नहीं आंटी, कोई बात नहीं आप बड़ी है आप माफी मत मांगिए, मैं भी चलता हु अब” एकांश ने कहा और वो जाने के लिए मूडा ही था के उसने देखा अक्षिता के पिता भी वही गेट पर खड़े थे
“हम हमारे मेहमानों को दरवाजे से ही वापिस नहीं भेजते, अंदर आओ बेटा” अक्षिता के पिताजी ने कहा
और एकांश उनको मना नहीं कर पाया और उसके पीछे घर मे आया, उसने घर पर नजर डाली तो पाया के घर मे एकदम शांति सी थी, घर ना तो ज्यादा बड़ा था ना ही ज्यादा छोटा, एकांश को वो घर पसंद आया था
“क्या लोगे बेटा कॉफी या चाय?” अक्षिता के पिताजी ने पूछा
“बस पानी ठीक रहेगा अंकल” एकांश ने कहा
जिसके बाद अक्षिता की मा उसके लिए पानी ले आई और एकांश ने एक झटके मे पानी का ग्लास खाली कर दिया
“देखो बेटा, बड़ा होने के नाते मैं तुम्हें एक नसीहत देना चाहता हु” अक्षिता के पिता जी ने कहा और अपनी पत्नी को देखा जो वहा बस खड़ी थी
“जी कहिए अंकल”
“जो आपको अपने से दूर धकेले उस चीज के पीछे नहीं भागना चाहिए ना की कीसी की इतनी फिक्र करनी चाहिए जिसे आपकी कद्र ही ना हो........”
क्रमश:
Thank you for the review bhaiAwesome update again adirshi bhaiakshita theek nahi hai, ye dikh bhi raha hai per wo ekansh se door bhag rahi hai, per kab tak? Ekansh use chahta hai or use akela chhodega nahi
Ab dekhna hai ki wo kab tak us se door bhagti hai
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Thank you for the review bhai
Aakhir ho kya raha hai Akshita ke man me kis baat ka dar hai ya fir wo samjh ke bhi nasamjh ban rahi hai humara hero kar to raha hai koshish lekin kyu Akshita use pyaar se dur rakhna chahti hai wajah batao writer sahab kab tak hume ghumaoge
Aaj jo kuch bhi Akshita ne gusse me ekash se kaha sab jhooth kaha Ek tarah se matter ko off karna khege ise or kyu dil me patthar rakhkar Akshita aisa kar rahi hai
.
bahut shatirबुढ़िया इतनी शातिर है क्या
पर इस चक्कर में अपना और अपने बेटे का ही बुरा कर रही है।