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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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भाग:–175


टापू पर हुये अल्फा पैक हत्याकांड को लगभग 4 साल हो गये थे। इन 4 सालों में बहुत से बदलाव भी आये थे। आम नायजो के बीच केवल पलक ही पलक छाई थी। उसका जलवा ऐसा था कि जहां भी होती किसी और का वजूद दिखता ही नही था। इसका एक कारण यह भी था कि पलक की तरह सोचने वाले काबिल नायजो की तादात इतनी हो चुकी थी कि किसी भी सिस्टम को चुनौती दे दे। जहां भी जाति हुजूम पीछे चला आता।

आम नायजो के बीच पलक की बढ़ती लोकप्रियता को देखकर हाई–टेबल वाले चिंता में थे। ऊपर से पलक उन नायजो की भिड़ में ज्यादा रहती थी, जिन्होंने आज तक अपने शरीर पर एक भी एक्सपेरिमेंट न करवाया हो। नायजो नेताओं को पलक पर शक तो था लेकिन बिना सबूत के कुछ कर नही सकते थे, ऊपर से पलक का नेटवर्क।

पलक से जुड़े किसी भी आम सदस्य को ये लोग पूछ–ताछ के लिये जब भी उठाते, वहां पलक या उसके कोर 30 सदस्यों में से कोई एक पहुंच ही जाता। जब पता न लगा सके तब पलक की शादी अपने बीच के किसी नेता से करवाने को साजिश रचने लगे। पलक हर प्रस्ताव को ठुकराती रही। लगातार ठुकराती रही और अंत में विषपर प्लेनेट के राजकुमार और माया के भाई मायस्प का प्रस्ताव स्वीकार कर ली।

मायस्प और पलक की मुलाकात एक मीटिंग के दौरान हुई थी। यह मीटिंग भी तब शुरू हुई जब माया भारत पहुंची थी। उसी के कुछ दिन बाद अल्फा पैक के हत्या की खबर सुर्खियों में थी। पलक को ऐसा लगा जैसे उसके दौड़ रहे मुहिम पर किसी ने पूरा ब्रेक लगा दिया हो। कहां वो आर्यमणि के साथ मिलकर एक साल बाद पृथ्वी से नायजो के अस्तित्व को समाप्त करने वाली थी, और अब फिर से सब कुछ नए सिरे से प्लान करना था।

इसी दौरान पलक ने मायस्प से मेल जोल बढ़ा लिया और पलक को एक आशा की किरण दिखने लगी। इसके बाद दोनो का प्यार पूरा परवान चढ़ा। वैसे मायस्प की लोकप्रियता भी कम नही थी। पूरा समुदाय ही मायस्प पर नाज करता हो जैसे। 5 ग्रहों में बसने वाले दूसरे समुदाय के लोग जब नायजो के लिए खतरा बनते, और नायजो का हर लड़ाका हार जाता तब अंत में मायस्प को बुलाया जाता।

मायस्प और उसकी विशाल कुशल फौज किसी भी दुश्मन से चुटकियों में निपट लेते थे। खुद मायस्प कई सारी शक्तियों का वारिस था जिसमें कुछ अनुवांशिक गुण पिता से मिले थे और बहुत सारी शक्तियां खुद की अर्जित की हुई थी। हां लेकिन मायास्प की वीरता के किस्से और प्रत्यक्ष रूप से मायास्प को देखने के बाद पलक को कभी भी मायस्प के वीर गाथा के किस्सों पर यकीन ही नहीं हुआ। बस वो एक राजकुमार था और पलक के लिये उतना ही काफी था।

काफी ज्यादा हंगामे के बीच दोनो के शादी की तारीख तय हुई। चूंकि यह एक राजशाही शादी थी इसलिए शादी के इंतजामात भी उसी हिसाब से हुआ। मालदीव के टापू का खूबसूरत नजारा और प्रकृति की गोद में शादी के पूरे इंतजाम किए गये थे। नायजो अपनी आखरी शादी में भूमि, केशव और जया द्वारा दिये गये दर्द को भूले नहीं थे, इसलिए सुरक्षा का खास खयाल रखा गया था। हसीन वादियां थी और पलक अपने होने वाले पति मायस्प के साथ ढलते सूरज का लुफ्त उठा रही थी...

मायस्प:– काफी खूबसूरत दृश्य है। लेकिन हमारी शादी विषपर प्लैनेट से होनी चाहिए थी। वहां का नजारा ही अद्भुत होता...

पलक:– तुम्हारे सभी लोग पृथ्वी आ सकते है, लेकिन यहां के बहुत से ऐसे लोग है, जो तुम्हारे ग्रह जाने की तो दूर की बात है, उन्हे तो यह भी पता नही की दूसरे ग्रहों पर जीवन भी बसता है...

मायस्प:– अरे तो उनसे संबंध भी रखने कौन कह रहा... खुद को उनसे अलग करो... बस अपने काम के लिए यहां के प्रजाति का इस्तमाल करो...

पलक:– कुछ चीजें चाह कर भी नही हो पाती मायस्प..

मायस्प:– हां जैसे की वो जानवर आर्यमणि को तुम चाहकर भी भुला नहीं पाई...

पलक:– सच कहूं तो जितना उसे मारने को मैं व्याकुल थी, उतना ही उसके मरने का गम था। पिछले 4 सालों से एक ही ख्याल रोज आता है, काश उसे अपने हाथो से मारती...

मायस्प:– उसे न मार पाई न सही, उन लोगों को तो मार देती, जो तुम्हारे मां–बाप को मार गये... (उज्जवल और अक्षरा, जिसे भूमि, और आर्यमणि के माता–पिता ने मिलकर जला डाला था।)

पलक:– मैने उन्हे मारने का इरादा कब छोड़ा है? केवल ढूंढना बंद की हूं...

मायस्प:– मतलब...

पलक:– बदला तो उन लोगों को भी लेना है। कब तक छिपे रहेंगे?.. पृथ्वी पर शादी करने की एक वजह यह भी थी कि इस भीड़ में अपना बदला लेने, भूमि, जया और केशव जरूर आएंगे...

मायस्प:– बहुत शानदार... वरना मुझे तो लगा तुम भूल चुकी हो...

पलक:– कुछ बाते हम चाहकर भी नही भूल सकते... छोड़ो इन बातों को। तुमने वो वीडियो देख लिया न... बारात कैसे लेकर आनी है...

मायस्प उत्साहित होकर खड़ा हुआ। पलक के होटों को चूमकर वहीं नाग की तरह लहराते हुए... "मैं नगीन–नगीन, नागिन–नागिन, नागिन डांस नाचना"…

पलक खिल–खिलाकर हंस दी। दोनो शादी के पूर्व एक हसीन शाम का लुफ्त उठाकर अपने–अपने स्वीट्स में लौट आए। शादी का दिन था और लोग झूम रहे थे। राजशाही फौज इस बार कमान संभाली थी और चप्पे चप्पे पर उसके आदमी नजर दिये हुये थे। खुफिया तौर पर मेहमानों की जांच लगातार चल रही थी।

पलक को अंदेशा था कि इस शादी में भी हमला होगा, इसलिए उसने भी चप्पे–चप्पे पर अपने आदमियों को लगा रखी थी। मकसद सिर्फ इतना ही था कि यदि भूमि अपने लोगों के साथ पहुंची तो उसे सुरक्षित रास्ता देना, ताकि वो आसानी से अपना काम कर सके। मालदिव के एयरपोर्ट से लेकर टापू तक पलक के लोग नजर बनाए थे। किंतु भूमि अथवा उनके लोगों के होने की कोई खबर नही थी। अंत में पलक भी सुनिश्चित होकर तैयार होने के लिये चल दी।

रंगारंग कार्यक्रम से शादी के महफिल की शुरवात हुई। लड़के वाले जब भारतीय परंपरागत बारात लेकर निकले फिर तो वो लोग भी भूल गये की नायजो परंपरा क्या होती है। सब बिलकुल झूम रहे थे और बैंड बाजा के साथ तरह–तरह के करतब दिखा रहे थे। माया की बहन काया के साथ उसके पिता और विषपर प्लैनेट का मुखिया भी साथ चल रहे थे। सभी झूमते हुए दरवाजे तक पहुंचे। परंपरागत तरीके से सबका स्वागत हुआ। जयमाला स्टेज सजा हुआ था। दुल्हा और दुल्हन की क्या खूब जोड़ी थी। नीचे बड़े से मैदान में सभी आगंतुओं के बैठने की व्यवस्था थी। सबकुछ सही चल रहा था की तभी किनारे पर लगे बड़े–बड़े स्क्रीन पर बिन बुलाए मेहमान को दिखाया जाने लगा। हर किसी का ध्यान स्टेज से हटकर पीछे से आ रहे कुछ लोगों पर पड़ी...

हर किसी की आंखें फैल गई। पलक की नजरें भी उसी ओर गयी। जैसे ही उसकी नजर आर्यमणि से मिली, चेहरे पर अलग ही खुशी थी। मुंह से धीमे कुछ शब्द निकले और वह उठ खड़ी हुई। हर कोई मानो सामने से भूत को आते देख रहा था। और ऐसा मेहसूस भी क्यों न हो... ऐसे नजारे देखकर यही हाल होना था...

सबसे आगे आर्यमणि, उसके साथ महा, ओजल, निशांत और ऋषि शिवम थे। पीछे से भूमि, जया और केशव भी साथ आ रहे थे। इनके अलावा 5–6 संन्यासी और थे। सभी बिलकुल चकाचक तैयार होकर किसी हॉलीवुड स्टार की तरह शिरकत कर रहे थे।

माहौल में बड़बड़ाने की आवाज आने लगी। माया की बहन काया का एक इशारा हुआ और 4 बीस्ट वुल्फ एक साथ आर्यमणि के कारवां को चारो ओर से घेर लिये। आर्यमणि ने हाथ के इशारे से सबको 4 कदम पीछे हटने कहा। वहीं चारो बीस्ट वोल्फ बस अपने मालिक के इशारे का इंतजार कर रहे थे। इधर माया का इशारा हुआ और उधर चार दिशा से चारो बीस्ट वुल्फ आर्यमणि के ऊपर कूद गये।

मोटे धातु समान मजबूत पंजे। हीरे समान कठोर शरीर। वुल्फ और इंसानों का शिकर करके बने ये चारो बीस्ट वुल्फ अपना पूरा पंजा खोलकर आर्यमणि को गंजा करने के इरादे से हवा में कई मीटर ऊपर छलांग लगाकर आर्यमणि के ऊपर ही कूद रहे थे। शायद 4 सालों में आर्यमणि के खौफ को पूरी तरह से भूल चुके थे, या फिर ये चारो बीस्ट वोल्फ सुनी सुनाई बात पर यकीन न करते हो। तभी तो हमला करने कूद गये।

आर्यमणि के नब्ज में हाई टॉक्सिक के अलावा गति जैसे पूरे रफ्तार में बह रही हो। अचानक ही आर्यमणि के सर के ऊपर से उजले धुवांनुमा बड़ा शरीर बाहर आया। वह शरीर इतना विशाल था कि आर्यमणि का उजला धुवां वाला आधा शरीर ही ऊपर 200 फिट से ज्यादा ऊपर तक दिख रहा था। फिर तो जबतक वो चारो बीस्ट वोल्फ आर्यमणि के वास्तविक छोटे से शरीर पर अपने पंजे से प्राणघातक वार करते, उस से पहले ही हवा में उनके साथ कांड हो चुका था।

तभी सबके कानो में विस्फोट की आवाज आयी और आंखों के आगे हैरतंगेज नजारा। सभी बिस्ट वुल्फ पर हवा में ही आर्यमणि के उजले धुवां वाला 100 किलो का इतना तेज मुक्का पड़ा की उनके शरीर के चिथरे चारो ओर मैदान में फैले थे। आवाज विस्फोट जैसे हुआ और पीछे से खून और मांस के लोथरे कण स्वरूप हवा में उर रहे थे...

"देखो मैं ऐसे तैयार होकर लड़ने नही आया। वैसे भी शादी के माहौल में मातम न पसरे इसलिए मेरा रास्ता छोड़ दो"… आर्यमणि रुमाल से अपना हाथ साफ करते हुए अपनी बात कहा... तभी सुकेश भारद्वाज की आवाज आयी… "रास्ता छोड़ दो। आर्य है तो अपना भांजा ही। आखिर किसके परिवार में अन बन नही होती"…

आर्यमणि:– हां सही कहा मौसा जी। इसलिए तो तोहफे में मैं अपने प्यारे जीजा को लेकर आया हूं। आप भी तो अपने दामाद को कई सालो से नही देखे होंगे?

आर्यमणि अपनी बात कहकर बैग के अंदर हाथ डाला और वहां से जयदेव का कटा हुआ सर उछालकर स्टेज पर फेंकते... "जयदेव जीजू लगता है काफी रूठे हुए है... बात ही नही कर रहे।"… जयदेव का कटा हुआ सर देखकर हर नायजो का खून खौल गया... तभी वहां देवगिरी पाठक की आवाज गूंजी... "मार डालो इन सबको"…

देवगिरी की आवाज सुनकर 2 किनारे पर 2 लंबे कतार में नायजो सैनिक खड़े हो गये और खड़े होने के साथ ही अंधाधुन लेजर फायरिंग करने लगे। ठंडी बह रही हवाओं में गर्मी जैसे बढ़ गयी थी। आर्यमणि ने मात्र एक नजर महा और और ओजल को देखा। महा के कलाई पर बंधे एक छोटा सा त्रिशूल जैसे ही महा के हथेली में आयी, वह अपने पूर्ण आकार में थी। धातु का चमचमाता 5 फिट का त्रिशूल। महा त्रिशूल को अपने दोनो हाथों में थाम जैसे ही उसे हवा लहराई। वह तिलिस्मी त्रिशूल हवा में ही थी और उसके ऊपरी हिस्से से कई त्रिशूल निकलकर सीधा निशाने पर। एक किनारे से, एक कतार में खड़े होकर लेजर निकाल रही आंखों के सर हवा में थे और थरथराता, कांपता खून से लथपथ धर जमीन पर।

वहीं ओजल भी अपना कल्पवृक्ष दंश चला चुकी थी। ऐसा लगा जैसे ओजल ने दंश के निचले सिरे पर रबर लगा दिया हो। एक बार दंश उछाली तो दूसरी किनारे से कतार लगाकर लेजर किरणे छोड़ रहे सभी नायजो के गर्दन उसके धर से अलग थे। आर्यमणि पीछे अपने परिवार और संन्यासियों को देखते.... “कुछ ज्यादा हिंसा तो नही लग रहा न।”

एक संन्यासी:– गुरुदेव जर्मनी की हिंसा के मुकाबले बहुत कम। वहां तो सबको काट रहे थे, यहां वध कर रहे।

जाया:– बेटा मेरे लिये ये कुछ ज्यादा ही हो रहा है।

कोई एक और संन्यासी.... “हम सबको लेकर बाहर जाते है।”

इधर नायजो खेमे में जो आर्यमणि डर खत्म सा हो गया था, उसके आतंक देखकर सबके होश उड़ चुके थे। हजारों की भिड़ कुछ पल के लिये स्तब्ध हो गयी। नायजो आगे कुछ कदम उठाते, उस से पहले ही विषपर प्लैनेट का मुखिया सबको रोकते.… "तुम क्या चाहते हो लड़के"…

ओजल:– ओ भोंदू से शक्ल वाले मुखिया, अगली बार बात करने से पहले याद रहे की तुम सात्त्विक आश्रम के एक गुरु से बात कर रहे, जिसका नाम आर्यमणि है। तुम तमीज भूलोगे तो हमें भी तमीज सीखाने आता है...

मुखिया का अंगरक्षक.... “तुझे पता है तू किस से बात कर रही। तेरी पृथ्वी से कहीं बड़े भू भाग के ये मुखिया है। इनके बिना वहां पत्ता भी नही हिलता। सब मात्र कुछ करतब देखकर मौन हो गये क्या? इन बदतमिजों की टोली को उनकी औकाद दिखा दो।”

“मार डालो, मार डालो, मार डालो”.... नायजो की पूरी भिड़ एक साथ चिल्लाने लगी।

मुखिया अपने दोनो हाथ ऊपर करके सबको शांत रहने का इशारा किया.... “कुछ देखा, कुछ सुना। अभी मेरे एक इशारे पर हजारों की भिड़ कूद पड़ेगी। तुम शायद सैकड़ों को मार भी दो लेकिन उसके बाद।”

निशांत:– उसके बाद देखने के लिये यहां कोई जिंदा बचा भी होगा क्या? मुखिया अपने घर और सेना से काफी दूर हो। अपने लोगों को शांत करवा वरना अगली कोई लाश गिरेगी तो वो पहले तेरी ही गिरेगी...

मुखिया:– तुम्हारी जगह है इसलिए इतना बोलने की जुर्रत भी कर गये....

आर्यमणि:– शुक्र कर मेरी जगह है इसलिए इतना शांत भी हूं, वरना कहीं और होता तो अब तक एक भी जीवित नहीं होता। मुखिया अपने लोगों को शांत रख, वरना मेरे अंदर जो अशांति चल रही है, वह कहीं निकलकर बाहर आ गया तो विश्वास मान, मेरा आतंक देखकर भागने के लिये जितनी देर में तू अपना हाथ घुमाकर पोर्टल बनायेगा, उस से पहले मैं तुम्हारी लाश गिरा चुका रहूंगा। अपने लोगों को अनुशासन सिखा।

आर्यमणि अपनी बात समाप्त कर इशारा किया और पूरा अल्फा पैक नायजो की भिड़ के बीच से शिरकत करते हुए स्टेज पर जा पहुंचा। पलक खून भरी नजरो से आर्यमणि को देख रही थी.… "ये लड़की तुम्हे ऐसे क्यों घूर रही है आर्या"… महा सवालिया नजरों से पूछने लगी

आर्यमणि:– तुम खुद क्यों नही पूछ लेती महा..

महा:– पतिदेव मुझे इजाजत दे रहे या फिर मुझे ताने...

ओजल:– तुम दोनो का भी रोमांस इसी मौके पर जगा है। अभी दोनो रोमांस को दबा दो। पहले जरा पुराने हिसाब किताब कर ले...

आर्यमणि:– इन नायजो से क्या हिसाब किताब करना... इनके नाम में ही नाजायज है... यानी की जहां भी है गैर कानूनी तरीके से...

माया की बहन का काया:– भूल गया क्या, कैसे मेरी बहन ने सबको चीड़ दीया था... तू बच कैसे गया, यही बात दिमाग में है...

आर्यमणि:– हां सारी बातें याद है। कैसे पीछे से छिपकर आयी थी... अभी तू, तेरा ये बाप और सबको चिड़ने में मुझे कितना वक्त लगेगा उसका छोटा सा नमूना पहले ही देख चुकी हो। तुम्हारी बहन ने तो पीछे से चिड़ा था न, मै सिखाता हूं सामने से कैसे चिड़ते हैं।

विषपर का मुखिया जो शांति से सब कुछ समझ रहा था और अपने लोगों को रोक रखा था। वह पूर्ण आवेश में आते.... “जो भी मुझे इस हरमजादे आर्यमणि का सर लाकर देगा उसकी शादी मैं अपनी बेटी माया से करवा दूंगा।”...

मुखिया की बात पर पूरी भिड़ ही उग्र हो चुकी थी किंतु ऋषि शिवम और ओजल के एकजुटता वाले मंत्रों ने ऐसा असर किया की कोई अपनी जगह से हील नही पा रहा था। नजरों से लेजर किरणों का प्रयोग हो रहा था लेकिन वो किसी काम की थी नही। ओजल जोड़ से चींखी.... “बॉस इनकी जगह, इनका भिड़, और बेबस भी यही खड़े है। इन्हे सिखाओ की चिड़ते कैसे हैं।”

“बड़े मजे से सिखाऊंगा” कहते हुये आर्यमणि ने अपनी एक उंगली ऊपर की, और सिर्फ उसी उंगली का क्ला बाहर आ गया। फिर बड़े आराम से वो मायस्प के पास पहुंचा और अपना क्ला ठीक उसके सीने के बीच घुसा दिया। मुखिया चिंखा... "नही आर्यमणि"… काया चिल्लाई, पूरा नायजो समुदाय चिल्लाया, और उसके अगले ही पल सबके आंखों की लेजर चार गुना तेजी से निकलने लगी।

 

nain11ster

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To Arya ne apne safar ki suruwat kar di hai uska sath dene k liye uske kuch purane sathi aur kuch naye saythi is safar par nikale hai....

Madav aur Nishant ki sister ki bhi sayad sadi hone wali thi kuch samaye pirv!!!
To kya inki sadi ko gayi hai ya abhi samaye shesh hai???

Palak ki shadi ....wahh Arya ko safar ki suruwat karne k liye sahandar awasar mila hai...dekhate hai Arya ke dosi waha milte hai ya nahi???

Arya aur Shivam Sar ke bich Ki Baat Ek chhupe Hue Rahasya ki taraf Ishara kar rahi hai ...........
Jin pattharon Ki Mala Ki Baat Shivam Sar kah rahe hain usko unhone Apne Hathon se banaya tha aur Unka Manana Hai Ki Yadi Alpha pack Mar chuka hai to unke amulet Wapas a Jaane chahie Shivam Sar ke pass...... lekin abhi tak Aisa Hua Nahin Hai isliye Shivam sar ka yah Sawal Raha ki Iske Piche ki sacchai kya hai???? Kyu ki 4 sal ka samay bit chuka hai na hi Amulat aur nahi pack ki lash mili hai.....

Shandar update bhai
Haan chitra ki shadi ho gayi .. bilkul palak ki shadi me chalenge aur wahin dekh lenge kitne doshi mile wahan... Bus ab dhire dhire sari gutthi sulajh jani hai... Amulet kyon nahi aaye ... Hatyakand ki subah hua kya tha sab aayega jald
 
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