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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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भाग:–166


टापू पर हत्याकांड वाले दिन...

रूही, इवान और अलबेली की लाशें गिर चुकी थी। आर्यमणि हताश अपने घुटने पर बैठा हुआ था। निमेषदर्थ को उसके प्रयोग के लिये आर्यमणि का खून देने के बाद, जैसे ही माया खंजर चलाई, ठीक उसी वक्त चाहकीली महासागर के उस हिस्से में पहुंच चुकी थी। चाहकिली थी तो काफी दूर लेकिन हृदय में जैसे वियोग सा उठा था और पल में उसकी आवाज ने जो कहर बरसाया उसका परिणाम यह हुआ की जिस पहाड़ पर अल्फा पैक का शिकार हो रहा था, वह पूरा पहाड़ ही बीच से ढह गया। देखने से ऐसा लग रहा था मानो वहां 2 पहाड़ के मध्य गहरी खाई बन गयी हो।

जिस वक्त चाहकीली ने यह सुनामी उठाई उस वक्त माया खंजर चला चुकी थी। चाहकिली की आवाज पर पानी, सुनामी का रूप ले चुकी थी। पानी कई हजार फीट ऊंचा उठा और इस रफ्तार से पहाड़ी के उस हिस्से से गुजरा की पूरी पहाड़ मानो रेत के तिनके की तरह ढह गयी। माया जो साफ मौसम में अपना खंजर चलाई थी, वह पानी के सुनामी के बीच फंस गयी। हालांकि खंजर सर को छू चुकी थी लेकिन सर को पूरा फाड़ने से पहले ही वह जगह नीचे महासागर में घुस गयी। माया को लगा उसका काम हो गया और खंजर पूरी चली थी। ढहते पहाड़ के साथ आर्यमणि, निमेषदर्थ, और माया तीनो ही पानी में गिरे। पानी में गिड़ने के दौरान ही निमेषदर्थ के हाथ से अमेया छूट कर अलग हो गयी। माया और निमेषदर्थ तो पानी के साथ बह गये लेकिन पानी के ठीक पीछे पूरी रफ्तार से आ रही चाहकीली तेज वेग से बहते पानी को अपनी पूंछ से फाड़ती हुई आर्यमणि और अमेया को उसमे लपेटी और बिना रुके वहां से गुप्त स्थान पहुंची।

चूंकि चाहकील निमेषदर्थ को देख चुकी थी इसलिए आर्यमणि और अमेया को ऐसी जगह छिपाई, जहां से महासागरीय इंसान तो क्या स्वयं देवता भी उन्हें नही ढूंढ पाते। दोनो को छिपाने के बाद चाहकीली सीधा राजधानी पहुंची। यूं तो सोधक कभी भी शहरी इलाकों से गुजरते नही। पहला मौका था जब चाहकीली अल्फा पैक को लेकर राजधानी पहुंची थी। और यह दूसरा मौका था।

चाहकीली प्रशासनिक भवन के चारो ओर गोल–गोल चक्कर काटती ह्रदय कंपन करने वाली तरंगे छोड़ रही थी। प्रशासनिक भवन में काम कर रहे सभी आला अधिकारी भय से अपना काम छोड़ भवन से बाहर निकलने की कोशिश करने लगे, लेकिन चाहकीली का शरीर प्रवेश द्वार को पूरा घेरे खड़ी थी। महा एक हॉल में कुछ अधिकारियों से मुलाकात कर रही थी, जब उसने भी वह डरवाना तरंग सुना।

सबको आराम से बैठने बोलकर वह जैसे ही बाहर आयी, बाहर पूरा अफरा–तफरी का माहौल था। महाती अपने कलाई में लटक रहे छोटे से धनुष के धागे को धीमे से खींचकर नीचे निकास द्वार तक पहुंची। जबतक महाती वहां पहुंचती, चाहकीली पूरी तरह से शांत हो चुकी थी। महाती चाहकीली के पंख के ऊपर खड़ी हो गयी। चाहकीली, महाती को अपने पंख में लॉक करती वहां से निकल गयी। शहर की भिड़–भाड़ से जैसे ही वो बाहर निकली...

महाती:– ए बड़बोली.. ऐसा भी कौन सा इमरजेंसी था जो तू राजधानी पहुंच गयी। वैसे भी आज कल तो तेरे नए–नए दोस्त बन गये, फिर मेरी क्या जरूरत...

चाहकीली:– वो नए दोस्त भी तेरी तरह मुझसे बात कर सकते हैं, लेकिन आज तक उन्हे भी पता नही की तू मुझसे बात कर सकती है।

महाती:– बड़ा एहसान कर दी जो उन्हे ये बात न बताई। मै तो तेरे एहसान तले दब गयी।

चाहकीली:– मेरे एहसानो तले दबी ही है। भूल मत मैं बीच में नही आती तो तू बौनो की बस्ती में मर चुकी होती।

महाती:– अच्छा और वो जो तेरे पेट के अंदर घुसकर जो मैने तुझे दर्द से राहत दिया था उसकी भी चर्चा कर ले। अंदर इतना एसिड और बैक्टीरिया का सामना करना पड़ा था कि मैं मरते–मरते बची थी। और भी बताऊं के मैने अपने धनुष से तेरे लिये क्या–क्या किया था।

चाहकीली:– हां याद है ना मुझे... भीषण दर्द में मुझे नाग लोक की भूमि पर तड़पता छोड़ गयी थी। मार देती तो ज्यादा अच्छा लगता।

महाती:– मार देती तो तेरे नए दोस्त कैसे मिलते। तुझे जिंदा कैसे देखती... वो भी पहले की तरह चहकती हुई।

चाहकीली और भी ज्यादा रफ्तार बढ़ाती.... “जो दर्द मैने झेला था, वह दर्द किसी को न मिले। मै दर्द से तड़प रही थी जब वह हाथ पहली बार मेरे सर से टीका और एक पल के लिये मुझे असीम शांति मिली थी। फिर तो उसने मेरे दर्द और बीमारी का पूरी तरह से उपचार कर नई जिंदगी दिया और आज खुद”...

महाती:– क्या हुआ... आर्यमणि ठीक तो है न...

चाहकीली:– उसके सभी साथी मर चुके है और आर्यमणि चाचू हील भी नही रहे। धड़कने चालू है पर कुछ कह नही सकते।

महाती:– ये क्या हो गया? हमारे क्षेत्र में उन्ही के साथ ऐसा भीषण कांड हो गया। तुम्हे पक्का यकीन है रूही, अलबेली, इवान नही रहे?

चाहकीली:– सब तुम्हारे भाई ने किया है। उसके साथ कुछ बाहरी लोग थे। सबने मिलकर धोखे से उन सबका शिकार कर लिया। किसी तरह मैं आर्यमणि चाचू को वहां से हटा तो दी लेकिन तब तक घातक हमला हो चुका था।

महाती:– हम सबकी बच्ची कहां है?

चाहकीली:– घटना के वक्त अमेया तो तुम्हारे भाई के गोद में ही थी। वह पूरी तरह से सुरक्षित है। उसे भी चाचू के साथ ही रखा है।

महाती:– हम्मम, ये कमीना निमेष बहुत दूर की सोच रहा है। हमे अमेया को जमीन पर रखना होगा और आर्यमणि का इलाज यहीं महासागर में करना होगा।

चाहकीली:– ऐसा क्यों?

महाती:– दोनो साथ रहेंगे तो सबको पता चल जायेगा की आर्यमणि जिंदा है। दोबारा हमला हो सकता है।

चाहकीली:– और कहीं अमेया को तुम्हारा भाई उठा ले गया तो?

महाती:– जो भी अमेया को उठा ले जायेगा वो उसे मरेगा तो नही ही। आर्यमणि जब पूर्ण रूप से स्वास्थ्य हो जायेगा तब अमेया को वापस ले आयेंगे। तुम तो उनके साथ ज्यादा वक्त बियायी हो। कोई उनका भरोसेमंद साथी है, जो अमेया को छिपाकर रख सके...

चाहकीली:– हां बहुत मजबूत साथी है। एक तरह से वह आर्यमणि का मजबूत परिवार है।

महाती:– ठीक है, फिर अमेया को उसके पास जल्दी लेकर चल...

कुछ ही देर में दोनो एक गुप्त स्थान पर थे। वहां से चाहकीली, महाती और अमेया को लेकर पूरा महासागर पार करती कैलाश मठ तक पहुंची। महाती पानी के नीचे तल में ही रही और अमेया को ऊपर के पंख में डालकर चाहकीली पानी के ऊपर हुई। आचार्य जी मठ में थे, जब उन्हें चाहकीली के आने की खबर मिली। अभी 2 दिन पहले ही चाहकीली से मुलाकात हुई थी। काफी खुश थे जब आचार्य जी ने रक्षा पत्थर को देखा था। किंतु उसी के कुछ देर बाद कुछ अनहोनी का आभाष उन्हे और संन्यासी शिवम दोनो को हुआ था। पीछे से अपस्यु को अल्फा पैक का इमरजेंसी संदेश भी मिला।

चाहकीली की खबर सुनकर आचार्य जी तेजी से बाहर निकले। चाहकीली के साथ अमेया को देखकर आचार्य जी भाव विभोर हो उठे। उन्हे लगा जैसे अल्फा पैक भी चाहकीली के साथ पहुंचा हो। उन्होंने चाहकीली से आर्यमणि के विषय में जानकारी लेने की कोशिश किये लेकिन चाहकीली की भाषा समझना और उसके भाव को परखना आचार्य जी के वश में नहीं था। चाहकीली के साथ किसी का न होना इस बात के ओर साफ इशारा कर गया कि अब कोई नही बचा।

चाहकीली वहां से जाने ही वाली थी कि तभी संन्यासी शिवम् चाहकीली को रोकते हुये “सेल बॉडी सब्सटेंस” के कई जार उसके सामने रखते..... “गुरुदेव अपनी सिद्धि प्राप्त करने के लिये नाग–लोक के भू–भाग पहुंचे थे। मै जानता हूं वो जीवित है, लेकिन कब तक रहेंगे इस एक प्रश्न ने बेचैन कर रखा है। यदि तुम उनके शरीर में किसी तरह ये द्रव्य डाल सकी तो उनकी जान बच जायेगी। इन्हे अपने हाथों से उठा लो तो मैं समझूंगा की तुम मेरी बात समझ गयी।”

आचार्य जी किसी तरफ अपनी भावनाओं पर काबू करते.... “शिवम वो बेजुबान तुम्हारी बात नही समझ रही, लेकिन तुम तो समझने की कोशिश करो। आर्यमणि अब जीवित नही तभी तो केवल उसकी बच्ची को लेकर आयी है।

संन्यासी शिवम्, आचार्य जी की बातों को साफ नकारते.... “ये जीव गुरु आर्यमणि को क्यों नही लायी या गुरु आर्यमणि क्यों नही यहां पहुंचे इसके पीछे कोई कारण हो सकता है, लेकिन आपकी समीक्षा गलत है। मेरा हृदय कहता है गुरु आर्यमणि जीवित है।”

आगे भी इस विषय पर बातें होती रही। यूं तो आचार्य जी कई बार अपनी दिव्य दृष्टि डाल चुके थे, परंतु नाग लोक के भू–भाग के क्षेत्र में वह दृष्टि नही पहुंच सकती थी। दोनो में फिर दिव्य–दृष्टि योजन पर बातें होने लगी। चाहकीली को लगा उसके विषय में कुछ कहा जा रहा था, इसलिए वह भी समझने की कोशिश करने लगी। लेकिन तभी नीचे से महाती चलने का इशारा कर दी।

चाहकीली यूं तो कुछ भी नही समझी किंतु संन्यासी शिवम् की भावना को वह भांप ली। अपने छोटे–छोटे पंख में उस जार को अच्छे से फंसा ली। चाहकिली फिर वहां रुकी नही। दोनो (चाहकीली और महाती) जैसे ही महासागर की गहराइयों में पहुंचे, महाती झुंझलाती हुई कहने लगी..... “तू जब उनकी भाषा समझ नही सकती, फिर क्यों सुन रही थी?”

चाहकीली:– उनकी भाषा न सही भावना तो समझ में आ रही थी ना।

महाती:– ठीक है मैं धनुष का प्रयोग करने वाली हूं... थोड़ी धीमे हो जा।

जैसे ही चाहकीली धीमी हुई महाती अपने कलाई पर लटक रहे छोटे से धनुष को निकालकर जैसे ही अपने हाथ में ली, पूरा धनुष अपने आकार में आ गया। खाली धनुष के डोर को पूरा खींचकर जैसे ही महाती ने छोड़ा, गहरे पानी के अंदर गोलाकार रास्ता बन गया। चाहकीली उन रास्तों से गुजरी और सीधा आर्यमणि के पास थी।

महाती ने आर्यमणि के शरीर का ऊपरी मुआयना किया। पीछे से चाहकीली अपनी जिज्ञासा दिखाती.... “कब तक चाचू जागेंगे?... उन्हे दर्द तो नहीं हो रहा?”... महाती उसे चुप रहने का इशारा करती अपना काम करने लगी। थोड़ी देर जांच करने के बाद..... “दिमाग पूरा बंद है। पहले मैं देखती हूं संन्यासी ने क्या दिया है। यदि उसकी दी हुई दवा से काम बन गया तब तो ठीक वरना आर्यमणि को हॉस्पिटल ले जाना होगा। और हां मामला दिमाग से जुड़ा हुआ है तो शायद ठीक होने में काफी वक्त लग जाये।

आर्यमणि बिलकुल बेजान सा पड़ा हुआ था। उसका सर बीच से फटा था। कुछ इंच खंजर अंदर घुसी थी, जिस कारण उसे होश नही आ रहा था और न ही उसका सर हील हो रहा था। महाती बिना देर किये कुछ संकेत भेजी और वहां पर “किं किं किं” करते मेटल टूथ का बड़ा सा झुंड पहुंच गया। महाती और मेटल टूथ के बीच कुछ सांकेतिक संवाद हुये। कुछ देर तक सांकेतिक संवाद करने के बाद महाती ने आर्यमणि के ओर इशारा न कर दिया। जैसा ही मेटल टूथ की झुंड ने आर्यमणि को देखा "ची, ची" करने लगे। इस बार जब मेटल टूथ के झुंड ने “ची ची” की आवाज निकाली चाहकीली की आंखें बड़ी हो गयी और वो बड़े ध्यान से देखने लगी।

इधर मेटल टूथ की झुंड से हजारों मेटल टूथ टूटकर आर्यमणि के करीब पहुंचे। कुछ देर तक आर्यमणि के शरीर का निरक्षण करने के बाद अपनी आवाज में कुछ बातें करने लगे। उनकी बात जैसे ही समाप्त हुई, आर्यमणि का पूरा शरीर मेटल टूथ से ढक गया। उनका काम होने के बाद जैसा ही वो आर्यमणि के ऊपर से हटे आर्यमणि को पूरा साफ करके उठे थे। हां वो अलग बात थी कि आर्यमणि के शरीर से पूरे बाल और पूरे कपड़े भी उसने साफ कर दिया था।

आर्यमणि का शरीर बिलकुल चमक रहा था। कुछ गिने चुने मेटल टूथ थे, जो आर्यमणि के शरीर से चिपके हुये थे। सभी वाइटल ऑर्गन जैसे लीवर, किडनी, फेफेरे, हृदय, इनके अलावा पाऊं के सभी उंगलियों से लेकर माथे तक निश्चित दूरी बनाकर उनपर मेटल टूथ चिपके हुये थे। ठीक उसी प्रकार शरीर के पिछले हिस्से पर भी ऐसे ही चिपके थे। आर्यमणि के सिर पर जहां खंजर लगी थी, उस पूरे लाइन को मेटल टूथ ने कवर कर लिया था। देखते ही देखते चिपके हुये मेटल टूथ के कंचे जैसे शरीर से पूरा लाल रक्त बहने लगा।

लाल रक्त के साथ कभी हरा द्रव्य तो कभी पीला द्रव्य निकल रहा था। वहीं सर का ऊपरी हिस्सा जो कुछ इंच नीचे तक चिड़ा हुआ था, वहां पर लगे मेटल टूथ के शरीर से लगातार पीला और नीला द्रव्य निकल रहा था। तकरीबन एक घंटे बाद आर्यमणि ने काफी तेज श्वास अपने अंदर खींचा और एक बार अपना आंख खोलकर फिर बेहोश हो गया। सभी मेटल टूथ आर्यमणि के शरीर से अलग हो गये शिवाय सर पर बैठे मेटल टूथ के। जो भी मेटल टूथ सिर से चिपके थे, अपने दातों से ही आर्यमणि के माथे पर टांका लगा दिया हो जैसे।

एक बार फिर मेटल टूथ और महाती के बीच सांकेतिक वार्तालाप शुरू हो चुकी थी। महाती ने फिर से कुछ समझाया और समझाने के बाद “सेल बॉडी सब्टांस” वाले जार के ओर इशारा कर दिया। मेटल टूथ का झुंड कुछ देर तक जार को देखता रहा। उनमें से कुछ ने उस जार को बड़ी सावधानी से ऐसे खोला की उसका द्रव्य पानी में न घुले और कुछ मेटल टूथ ने सेल बॉडी सब्सटेंस का मजा लिया। जिन मेटल टूथ ने मजे लिये सबने अपने साथियों से कुछ कहा। फिर तो मेटल टूथ आ रहे थे, जार से द्रव्य पी रहे थे और वापस लौट जाते। 2 जार को इन लोगों ने खोल दिया और करोड़ों मेटल टूथ सेल बॉडी सब्सटेंस को पीने के बाद मीटिंग करने लगे।

देखते ही देखते मेटल टूथ के झुंड ने आर्यमणि का मुंह खोल दिया। मेटल टूथ सेल बॉडी सब्सटेंस को अपने मुंह ने रखते और आर्यमणि के मुंह में घुसकर उसे गिड़ा देते। ऐसा करते हुये उन्होंने पहले जार को खाली कर दिया। फिर कुछ देर तक रुके और आर्यमणि के श्वास की समीक्षा करने लगे। जैसे ही उन्हें लगा की आर्यमणि की हालत में पहले से सुधार है, महाती के पास पहुंच गये।

महाती ने पूरी समीक्षा ली। खुद से एक बार और आर्यमणि की जांच की। जांच के बाद वो इतनी खुश थी कि चाहकीली की पंख पकड़कर जोड़–जोड़ से भींचने लगी। महाती की खुशी देख चाहकीली भी खुशी से उछलती.... “चाचू कब तक होश में आयेंगे?”...

महाती:– जो जार संन्यासी ने दिया वह चमत्कार से कम नही। मैने मेटल टूथ को समझा दिया है कि क्या करना है। अब मैं यहां से जा रही हूं और तू एक बार भी चर्चा मत करना की इनका इलाज मैने किया था। या मैं यहां आयी भी थी।

चाहकीली:– लेकिन ऐसा क्यों?

महाती अपनी आंखें दिखाती... “कोई सवाल नही जो बोली वो कर।”...

अपनी बात कहकर महाती ने सेल बॉडी सब्सटेंस से भरे एक जार को लेकर चली गयी। मेटल टूथ को जैसा समझाया गया था वह बिलकुल वैसा ही कर रहे थे। आर्यमणि को हर 6 घंटे पर धीरे–धीरे “सेल बॉडी सब्सटेंस” दे रहे थे।

आर्यमणि के सर पर हमला हुआ था। ऐसी जगह जहां से हर चीज कंट्रोल होती है। और एक बार सर के हिस्से में भाड़ी गड़बड़ हुआ, फिर तो सारे शरीर के सभी सिस्टम काम करना बंद कर देता है। एक तरह से मेटल टूथ ने सेल बॉडी सब्सटेंस को आर्यमणि के शरीर में पहुंचाकर उसकी जान ही बचाई थी।

सेल बॉडी सब्सटेंस ने अपना काम किया। क्षति हुई हर स्नायु तंतु सुचारू रूप से काम करना शुरू कर चुका था। आर्यमणि का अपना हीलिंग पूरी तरह से दुरस्त हो चुका था। सर के घाव भर चुके थे। चाहकीली और मेटल टूथ लागातार आर्यमणि की देख रहे कर रहे थे। अचानक ही रात को आर्यमणि की आंखे खुल गयी और जागते ही वो वियोग से रोने लगा। चाहकीली ने बहुत सारी बातें की, लेकिन एक ऐसा शब्द नही था जो आर्यमणि के वियोग को कम कर सके।

 

nain11ster

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Aryamani mar nahi sakta aisa mujhe lagta hai kyunki story ka title holder hi mar jayega toh aage ki story kya ho sakti hai.

Kuch bhi kaho nain bhai mast update hai aage aur bhi rochak hogi.
Bilkul sahi kaha aapne... Story hi usi ki hai... Isliye wah nahi mara... Baki aage bhi mast mast update milte rahenge samar bhai
 

nain11ster

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जहाॅ तक बात अल्फा पैक के समाप्त होने की है तो वह समाप्त नहीं हुआ तो उसकेपीछे अमेया के गले में निमेषदर्थ द्वारा जो सम्मोहन पत्थर डाले थे उसके सम्मोहन में सभी ने समझा कि उनहोंने अल्फा पैक को समाप्त कर दिया
निमेषदर्थ के पास जो खून है बह आर्या मणि का नहीं किसी और का ही होगा जिसकी जेनेटिक आर्या मणि से मिलता जुलता होगा
आर्य मणि ने कहा था कि बह एक लम्बी साधना में बैठेगा तो बह साधना में ही होगा
जिसकी जानकारी नैन भाई के अतिरिक्त सिर्फ एक या दो लोगों को ही होगी
यही कारण है कि नैन भाई ने अपडेट को फास्ट फॉरवर्ड कर दिया
Kaun se ek do log Froog bhai... Sorry main apne kahani ki jankari kisi se bhi sajha nahi karta so don't worry jitna aapko pata hai utna hi dusron ko bhi pata hoga yah yakin rakhiye...

Baki jahan tak sawal hai aapki theory ka to hum update dar update aage badhenge aur dekhte hain aapki theory kahin relate karti hai ya nahi...

Baki aapki theory kamal ki hai aur jaroorat ke waqt prayog me layi ja sakti hai :)
 

nain11ster

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Yar aise mat karna .. bhram haal hee bana dena yr in characters se pyar ho chuka h aur me nhi chahta k palak hero ki life me aaye so I know Marne Wale nhi aate but Jo marenge hee nhi to 🤣🤣
Hahahaha... Lust king sahab mai abhi silent mod par jata hun is ummid ke sath ki poori kahani Mai drive kar hun jise aapne pasand kiya isliye aage bhi bina kisi dawab ke wahi chhapunga jo likh chuka hun ... Is ummid me ki Mere readers openly mere har experiments ko experience karenge :hug:
 

nain11ster

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Lagta h hero kuch bada krne k liye gayab huya h aur ameya ki safety fix kar rhe h .. kyuki pack k khatm hone k bas uski safety zAruri h ... Lgta h in future hero k kuch new friends dkhne ko milenge aur hero phle bhut jyada takatwar banke niklega Aisa Mera manna h ... Bhoomi wala new kaand dikha diya ... Waiting for next bro
Haan aapne jitni baten kahi lagbhag milti hai .. chhap bhi diya hai... Check kar lijiye... Baki ek aur update sabke comment reply ke baad deta hun
 

nain11ster

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Kahani kafi romanchak ho gayi hai... Mayajaal pe Indrajaal bichhaya gaya hai... abtak ghatna ka ek pehlu samne hai... dusara abhi ana baki hai... filhal to ye khel behtareen chal raha hai... abhi Mahati ka role samne nhi aya....
Dusra pahlu bhi aa chuka hai aur kahani wapas Aryamani ko hi focus hogi... Baki delhiye naye roop rekha me aap sab kaise adjust karte hain...
 
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