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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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भाग:–141


आर्यमणि अपने बड़े से ग्रुप के साथ बैठा। हर कोई बस इधर–उधर की बातें ही कर रहा था। तभी हिम–मानव का एक छोटा सा समूह आर्यमणि के नजदीक पहुंचा। उसका मुखिया आगे आते.... “मेरेको पहचाने की नही।”

आर्यमणि:– भोसला तुम, वहां छत पर तो हमे बोलने से मना किये था।

भोसला वही अपराधी था जो हिम–मानव के देश रोलफेल पर सबसे पहले मिला था। भोसला, आर्यमणि के ओर हाथ बढ़ाते.... “अपन तो बस ऐसे ही बोल दिया, दिल पर नही लेने का।”

रूही:– यहां आने का कारण बताओ भोसला....

भोसला:– दबंग लोगों के पास आने का क्या कारण होता है। उनकी गैंग में सामिल होना।

आर्यमणि:– तुम्हे सामिल करने से मेरा क्या फायदा होगा?

भोसला:– हम मिलकर यहां की सत्ता को हिला देंगे। तुम्हे अपने देश लौटना है और मुझे अपने लोगों के लिये सतह तक जाने की आजादी चाहिए। दोनो की मांगे एक ही तरह की है, तो क्यों न साथ मिलकर काम किया जाये।

आर्यमणि:– देखो दोस्त ऊपर सतह पर नही जाने देने का निर्णय यहां के सत्ता और प्रशासन का निजी मामला है और मैं कानून का उलंघन नही कर सकता। और न ही मैं यहां अपने ताकत के दम पर किसी को झुकाने आया हूं। हमे बस इस जगह से बाहर जाना है।

भोसला:– बाहर जाने के लिये सतह पर जाना होगा न। इसमें मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूं।

आर्यमणि:– तुम्हारा धन्यवाद। मैं यहां के अदालत में अपील करूंगा और मुझे विश्वास है कि वहां मुझे गंभीरता से सुना जायेगा। अब तो यहां से कानूनी तरीके से ही बाहर जायेंगे।

भोसला यथा संभव आर्यमणि को मानने की कोशिश करता रहा लेकिन आर्यमणि अपने विचारों का पक्का था, वह नही माना। भोसला अंत में खाली हाथ ही वहां से लौटा। भोसला के जाने के बाद एक बार फिर आर्यमणि अपने ग्रुप के साथ बात–चित में लग गया। कुछ समय और बीता होगा की सबने जैसे मेहसूस किया की वह जगह पूरी तरह से शांत हो गयी हो। ऐसा हो भी क्यों न उस जेल का वार्डन कोको अपने कुछ लोगों के साथ वॉकिंग एरिया में पहुंच चुका था। कोको के वहां पहुंचते ही बिलकुल सन्नाटा पसर गया हो जैसे। हिम–मानव की आवाज बिलकुल बंद और मिलो तक फैले उस वॉकिंग एरिया में जितने भी अपराधी थे, सब सीधा अपने सेल में चले गये।

आर्यमणि:– अचानक यहां इतनी शांति क्यों पसर गयी?

रूही, कोको के ओर उंगली करती.... “जेल के वार्डन को देखकर सब अपना मुंह बंद करके भाग गये।

कर्नल नयोबि:– पहला जेल है जहां चांद मुट्ठी भर सिपाही को देखकर लाखों अपराधी अपना मुंह बंद करके भाग गये। इतना दबदबा...

“अभी तुमने हमारा दबदबा देखा ही कहां है खून पीने वाले कीड़े। तुम मेरी जेल में बोल रहे हो, उसमे भी केवल मेरी मर्जी है।”... रूबाब और गुरूर के साथ कोको अपनी बात कहता उन तक पहुंचा। पहुंचने के साथ ही आर्यमणि को घूरते.... “सुनो रूप बदल इंसान, कल तुमने यहां जो कुछ भी किया वह हमारे समझ से पड़े था। मुझे बताओ कैसे तुम लोग जड़ों के बीच छिप गये और हमारे समुदाय के लोगों को भी जड़ों में कैद करके ना जाने उनके साथ क्या किये?”

आर्यमणि:– क्यों तुम्हारे कैदियों ने कुछ बताया नही की उनके साथ पहले क्या हुआ और जड़ों की कैद से जब रिहा हुये तब क्या सोच रहे थे।

जेल का वार्डन कोको..... “यदि किसी एक कैदी को उधारहण माने जैसे कि कुरुधा। कुरूधा को सबसे पहले मार पड़ी थी। उसके पाऊं पर मानो किसी हथौड़े को पटका गया था। मल्टीपल फ्रैक्चर ठीक होने में कम से कम 6 महीने का वक्त लगता। उसके पाऊं तोड़ने तक भी तुम्हारे साथी नही रुके। तकरीबन 4 क्विंटल के हिम–मानव को तुम्हारी वो बौनी लड़की ने दोनो हाथ से उठाया और किसी बॉल की तरह एक किलोमीटर दूर फेंक दी। नतीजा स्पाइनल कॉलम की हड्डियां इधर–उधर हो गयी। 8 पसलियां गयी। पसलियों को ठीक होने में कम से कम 3 महीने का वक्त लगता और स्पाइन की हड्डियां बनती भी या नहीं, वो तो डॉक्टर ही बता सकता था। जब कुरुधा जड़ों की कैद से निकला तब वह पूर्ण रूप से स्वस्थ होकर निकला था। बस मुझे यही तो जानना है, ये हुआ कैसे?”

आर्यमणि:– मेरे लोगों को इस अजीब से देश रोलफेल से बाहर निकालो, फिर मैं तुम्हे बता दूंगा।

कोको:– रोलफेल से बाहर निकालना मेरे हाथ में नही। लेकिन इस जेल से बाहर निकालकर तुम्हारी मुलाकात उनसे करवा सकता हूं, जो तुम्हे इस देश से बाहर निकाल सकते हैं।

आर्यमणि:– बदले में तुम्हे क्या चाहिए कोको।

कोको:– बस मुझे इन जड़ों की कहानी समझा दो।

आर्यमणि:– हम पेड़, पौधे, जमीन, हवा इत्यादि अपने पंजों से हील कर सकते हैं। इस से प्रभावित होकर प्रकृति ने हमें एक खास शक्ति प्रदान की है। हम किसी भी जगह से जड़ों को बाहर ला सकते हैं और उनसे अपने मनचाहा काम निकलवा सकते हैं। जैसे की किसी को जड़ों में बांध देना। जड़ों के द्वारा एक साथ कई लोगों को हील कर देना वगैरह वगैरह।

कोको:– अदभुत शक्ति... ठीक है तुम और तुम्हारे लोग मेरे पीछे आओ। मैं तुम सबको यहां से बाहर निकालता हूं।

आर्यमणि उस वार्डन कोको के पीछे चल दिया। कुछ दूर चलने के बाद वार्डन ने एक दरवाजा का सिक्योरिटी लॉक खोला। अंदर से कई सारे सिंगल सीटर गाडियां निकली जैसा की गोल्फ फील्ड में अक्सर देखने मिलता है। आर्यमणि का पूरा ग्रुप उस गाड़ी पर सवार होकर कोको के पीछे चल दिया। कोको की गाड़ी लगभग 5 किलोमीटर दूर तक चली। उसके आगे एक बड़ा सा दरवाजा था। कोको के लोग तुरंत ही उस दरवाजे को खोले। दरवाजा खुलते ही जेल का दूसरा हिस्सा दिखने लगा।

जेल का दूसरा हिस्सा भी अंडरग्राउंड ही था किंतु यहां से कैदियों का मैनेजमेंट होता था। तकरीबन 6000 गार्ड और लाखों गैजेट चारो ओर फैले थे। कोको की गाड़ी इन सब इलाकों से गुजरते हुये फिर किसी दरवाजे पर रुकी। कोको के लोगों ने उस दरवाजे को खोला और वो लोग कोको से अलग होकर अपने काम पर लग गये। कोको दरवाजे के अंदर हाथ दिखाते... “ये मेरा घर, ऑफिस जो कह लो। यहीं मैं तुम्हे उनसे मिलवाऊंगा जो तुम्हे इस देश से बाहर निकाल सकते है।”

रूही, आर्यमणि को देखकर मन के अंदर संवाद करती... “इसके इमोशंस भी इंसान की तरह ही है, जिसका झूठ हम सब मेहसूस कर रहे। फिर इतनी दूर आने का मतलब?”...

आर्यमणि:– वार्डन ही जेल से निकलने का एकमात्र जरिया है। मैं आराम से इस फरेबी की योजना समझता हूं, तुम लोग चौकन्ने रहना और हर बारीकियों पर गौर करना। भूलना मत हम हीरों और नायब पत्थरों के देश में है। हो सकता है इस वार्डन के बल के पीछे खास किस्म के पत्थर का योगदान हो, तभी तो लाखों अपराधी चुप चाप अपने सेल में चले गये।

रूही:– हम्मम ठीक है जान तुम भी चौकन्ने रहना। साला ये पूरी पृथ्वी ही झूठों और फरेबियों से भरी पड़ी है।

कोको:– किस सोच में पड़ गये अंदर नही आओगे क्या?

कोको ने हाथों का इशारा किया और सभी लोग अंदर दाखिल हुये। जैसे ही सभी अंदर दाखिल हुये मात्र 4 लोग बचे। पीछे से वेमपायर और उसकी टीम अंदर घुसते के साथ कहां गयी किसी को पता ही नही चला। बिलकुल नजरों के आगे से जिस प्रकार संन्यासी शिवम गायब हो जाते थे, ठीक उसी प्रकार वेमपायर की टीम के साथ हुआ।

आर्यमणि, आश्चर्य से जेल के वार्डन कोको को देखने लगा। हैरानी की बात तब हो गयी जब अल्फा पैक से ज्यादा हैरान तो वार्डन कोको था। अल्फा पैक को समझते देर न लगी की गायब तो सबको किया गया था, परंतु किसी कारणवश अल्फा पैक गायब नही हुये।

“यहां अभी हुआ क्या? कैसे उन 19 लोगों को आपने जादू से गायब कर दिया?”..... आर्यमणि बिना अपने हाव–भाव बदले पूछा...

अल्फा पैक भी घोर आश्चर्य के बीच.... “कमाल, वाह–वाह क्या कलाबाजी है, वूहु, वाउ” जैसे शब्दों का प्रयोग करके कोको का हौसला अफजाई करने लगे। कोको भी अपनी हैरानी को अपने बेवकूफाना मुश्कुराहटों के पीछे छिपाकर.... “अरे कभी–कभी हम ऐसे ट्रिक कर लेते हैं।”...

आर्यमणि:– बहुत प्यारा जादू। चलो अब मेरे साथियों को जादू से वापस लेकर आओ।

कोको:– मैं, वो ... अभी एक मिनट दो... अम्म्म्म... एक काम करो.... तुम लोग अब वापस जाओ, बाद में वो लोग भी पहुंच जायेंगे।”

कोको अपनी हिचकिचाहटों के बीच लगातार अल्फा पैक को भी पोर्ट करने की कोशिश कर रहा था लेकिन वो लोग पोर्ट हो नही रहे थे। हां जब भी कोको पोर्ट का कमांड देता, अल्फा पैक का एम्यूलेट चमकने लगता। सभी अपने कपड़ों के पीछे छिपे एम्यूलेट के बदलाव को मेहसूस कर सकते थे।

आर्यमणि:– क्या हुआ कोको, इतनी हिचकिचाहट के साथ पसीने क्यों आ रहे है?

इस से पहले की कोको कुछ जवाब देता। 19 नीले रंग की रौशनी की लकीरें कोको के सीने से कनेक्ट होकर उसके सामने लगी। कोको अपने दोनो बांह फैलाकर उस रौशनी को अपने भीतर स्वागत करने लगा। अलबेली यह पागलपन देखकर.... “दादा (आर्यमणि) यहां चल क्या रहा है?”...

आर्यमणि:– मुझे भी उतना ही पता है जितना तुम्हे अलबेली। अब रौशनी का खेल खत्म हो तब न इस गधे से कुछ पूछूं।

इवान:– जीजू 19 वेमपायर को गायब किया था और 19 रौशनी की लकीरें भी है।

आर्यमणि:– हां यार... कहीं ये पागल, नयोबि और उसकी टीम को निगल तो नही रहा।

इवान:– हो सकता है। जीजू नयोबि मरा फिर तो कैरोलिन के साथ–साथ बेमपायर नयोबि का बदला लेने भी पहुंच जायेंगे। इस बार तो सबको पता होगा की नयोबि किसके साथ था।

रूही:– सब शांत हो जाओ। रौशनी की लकीरें समाप्त हो रही है।

लगभग एक मिनट तक रौशनी कोको के अंदर समाती रही। जैसे ही कोको पूरी रौशनी समेटा, उसकी आंखें नीली हो चुकी थी। हाथों के पंजे से क्ला निकल आये और मुंह फाड़ा तो अंदर नुकीले दांत। कोको का शरीर भी मेटलिक दिख रहा था जो जलते हुये मेटल समान बिलकुल लाल था। तेज गरज के साथ कोको अल्फा पैक को घूरते.... “कास तुम चारो की शक्तियां भी मैं अपने अंदर समा सकता। लेकिन कोई न, तुम्हारी शक्तियां मेरी न हुई तो न सही, तुम्हारे पास भी नही रहने दूंगा। तुम सबको मरना होगा।”...

आर्यमणि:– बैठकर बात कर लेते है यार। ये मरने और मारने की बातें क्यों। साथ मिलकर काम करेंगे...

कोको:– मैं अकेला ही काम करता हूं। मुझे किसी निर्बल की जरूरत नहीं...

कहते हुये कोको ने अपना बड़ा सा पंजा आर्यमणि पर चला दिया। एक तो कोको का साइज डबल ऊपर से उसके चौड़े पंजे। आर्यमणि, कोको के हमले से बचने के लिये काफी तेज झुका और गुलाटी मारकर दूर गया। कोको अपना लंबा वजनी शरीर के साथ अब काफी ज्यादा तेज भी हो चुका था। इतना तेज की वह अपने एक हाथ के तेज पंजे से एक बार में रूही और अलबेली को घायल कर चुका था। बचने की तो दोनो ने पूरी कोशिश की किंतु बच ना पायी।

बड़े–बड़े नाखून शरीर के जिस हिस्से में लगे वहां 4 इंच गहरा गड्ढा हो गया और उसके बीच का मांस क्ला के अंदर घुसा था। रूही और अलबेली की दर्द भरी चीख निकल गयी। दोनो को घायल देख इवान पागलों की तरह दहाड़ते हुये छलांग लगा चुका था। इवान अपना पंजा खोल कोको के चेहरे को निशाना बनाया वहीं कोको का पंजा इवान का गर्दन देख रहा था। इस से पहले की दोनो एक दूसरे पर हमला करते बीच से आर्यमणि छलांग लगाया और इवान को अपने बाजुओं में समेटकर कोको से काफी दूर किया।

इवान खड़ा होकर तेज दहाड़ा। उसकी दहाड़ के जवाब में आर्यमणि भी दहाड़ा। इवान अपनी जगह बिलकुल शांत था लेकिन तभी कोको का पूरा पंजा आर्यमणि के पीठ को 5 लाइन में फाड़ चुका था। आर्यमणि के मुंह से बस चीख नही निकली लेकिन दर्द के कारण आंखों के दोनो किनारे पानी भर गया था।

दूसरा हमला हो, उस से पहले ही आर्यमणि ने इवान को दूर धकेला और तेजी से सामने मुड़कर खड़ा हो गया। कोको भी एक हमला के बाद दूसरा हमला कर दिया। कोको ना जाने कितने हिम–मानव की शक्तियों को बटोर चुका था। अब तो उसमे वेमपायर की शक्तियां भी थी। लिहाजा उसका हमला काफी ताकतवर था।

किंतु पैक के घायल होने की वजह से आर्यमणि के खून का हर कतरा उबाल मार रहा था। आर्यमणि पर गुस्सा पूरा हावी हो चुका था। अपने ओर बढ़े डेढ़ फिट लंबा और आधा फिट चौड़ा पंजे पर अपना पंजा चला दिया। दोनो के पंजे ठीक वैसे ही टकराये जैसे दो लोग आपस में तली देते हो। लेकिन ये ताली पूरी ताकत से बजाया गया था।

जैसे ही दोनो के पंजे टकराए थप की इतनी गहरी ध्वनि निकली की उस बिल्डिंग की दीवारों में क्रैक आ गया। दोनो की हथेली झूल गयी और कलाई की हड्डी चूड़–चूड़ हो चुकी थी। आर्यमणि दर्द बर्दास्त करते अपने दूसरे हाथ के पंजे से कलाई को थमा और बिना वक्त गवाए खुद को हील किया। वहीं कोको दर्द से बेहाल अपना कलाई पकड़ा था, पर वह खुद को हील नही कर सकता था।

कोको अपने ही दर्द में था और आर्यमणि हील होने के साथ ही बिना कोई रहम दिखाये तेज दौड़कर उछला और पूर्ण एनर्जी पंच चला चुका था। कोको भी अपने ऊपर हमला होते देख चुका था। वह भी दूसरे हाथ से तेज मुक्का चलाया। सीन कुछ ऐसा था कि 15 फिट के आदमी के सामने 6 फिट का आर्यमणि हवा में ठीक सामने था। ऐसा लगा जैसे कोई बच्चा उछलकर अपने छोटे से हाथ से कोको के ऊपर हमला कर रहा हो।

कोको भी अपना पंच को ठीक आर्यमणि के मुक्के के ऊपर चलाया था। दोनो के मुक्के आपस में टकराये। आर्यमणि का मुक्का इतना छोटा था कि वह कोको के मुक्के के थी बीच में पड़ा। दोनो के टकराने से एक बार फिर विस्फोट जैसी आवाज हुई। और क्या परिणाम निकल कर आया था।

जैसे रेत के बने मुक्के पर किसी ने पूरी ताकत के साथ हथौड़ा चला दिया हो। आर्यमणि का मुक्का कोको के हाथ को पूरा फाड़ते हुये आगे बढ़ा। हाथ का मांस, लोथरे के समान लटक गये। बीच की पूरी हड्डी पाउडर समान कण में बदलकर हवा में बिखर गयी। पंजा इतना तेज था की हाथ को फाड़ते हुये सीधा बायें कंधे पर लगा और ऐसा नतीजा हुआ जैसे किचर के मोटे ढेर पर किसी ने 10 मंजिल ऊपर से एक ईंट गिरा दिया हो।

जैसे ही आर्यमणि का मुक्का कोको के कंधे से टकराया वहां का पूरा हिस्सा ही फुहार बनकर हवा में मिल गया। कोको के ऊपरी शरीर के बाएं हिस्से का पूरा परखच्चा उड़ा डाला। एनर्जी पंच इतना खरनाक था कि कोको के मौत की चीख निकलने से पहले ही उसकी मौत आ चुकी थी। सर तो धर पर ही था, लेकिन कमर तक के बाएं हिस्सा गायब होने की वजह से गर्दन बाएं ओर के हिस्से में ऐसे घुसी थी कि धर पर सर नजर ही नहीं आ रहा था।

 

king cobra

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भाग:–140


डेढ़ महीने बाद पुलिस की एक बड़ी सी उड़न तस्तरी वैन के लेजर वेब किरणों में सभी कैद थे। सभी लोग पोर्ट होकर सीधा वैन की सलाखों के पीछे गये। सलाखों के ऊपर एक बड़ा सा बोर्ड भी टंगा था.... “सलाखों से 1 फिट की दूरी बनाए रखे।”...

वेमपायर पिछले 15 दिनो से भूखे थे इसलिए इतनी हिम्मत बची नही थी कि उठ भी पाते। अल्फा पैक को वैसे भी कहीं भागना नहीं था इसलिए चुपचाप उनके साथ चले जा रहे थे। वैन कई जगहों से होते हुये उन्हे कहीं ले जाकर सीधा ड्राप कर दिया। एक बार फिर सब के सब नीचे गिड़ रहे थे। आंख जब खुली तब सभी लोग किसी अंडरग्राउंड जेल में थे। सर के ऊपर लगभग 800 मीटर की ऊंचाई पर छत था, जो खुलता और बंद होता था।

जैसे ही वो लोग जेल में गिरे लेजर किरणों के वेब में जकर लिये गये और उन्हे ले जाकर कॉफिन से कुछ ही बड़े सेल में पटक दिया गया। हर सेल में एक छोटा बेड, बेड के ऊपर कुछ किताबे, दीवार पर छोटा सा टीवी और कोने में एक छोटा सा कमोड था। जैसे ही आर्यमणि अपने सेल में पहुंचा टीवी पर एक बड़ा सा चेहरा आने लगा.... “मेरा नाम डीवी–कोको–मारुयान–जूनियर–1 है। तुम मुझे कोको कह सकते हो। मैं इस जेल का वार्डन हूं और तुम सब यहां मेरी देख–रेख में हो। 3–3 घंटे की शिफ्ट में तुम लोग माइनिंग करोगे। 1 घंटे का आध्यात्मिक सेशन होगा। 4 घंटे तुम लोग वॉकिंग एरिया में अपने रिस्क पर घूम सकते हो और बाकी के वक्त तुम अपने सेल में रहोगे।”..

आर्यमणि:– मेरे कुछ सवाल है।

जैसे ही आर्यमणि बोला उसके अगले ही पल पूरे सेल के अंदर से घुसे निकले और धमाधाम आर्यमणि को पीट दिया। टीवी पर फिर एक बार वार्डन कोको की आवाज गूंजी.... “और हां यहां तुम्हे चुप रहना का पूरा अधिकार है। जेल के किसी भी अधिकारी से किसी भी प्रकार की बात करने की कोशिश को नियम का उलंघन माना जायेगा और ऐसी सूरत में सजा के तौर पर आपको 8–8 घंटे की शिफ्ट में माइनिंग करनी होगी। पहली बार था इसलिए तुम्हे छोड़ रहा हूं बौने।”

स्क्रीन की आकाशवाणी बंद हो गयी और आर्यमणि खुद से ही बात करते..... “किस मनहूश घड़ी में मैने इनसे मिलने का सोचा।”.... कुछ ही पल में बीते उन एक महीने की कहानी याद आ गयी जब अल्फा पैक अंटार्टिका निर्माण क्षेत्र में पहुंचा था। कुछ दिन की जांच पड़ताल के बाद आर्यमणि ने यही नतीजा निकाला कि... “जमीन के नीचे कोई छिपी दुनिया है और वहां हो सकता है एक विलुप्त प्रजाति, जिसे देखने के दावे आधुनिक वक्त में भी होते रहे है किंतु किसी के पास कोई प्रमाण नहीं।”

पूरा अल्फा पैक ही फिर हिम–मानव और उसकी छिपी दुनिया को देखने के लिये इच्छुक हो गया। कुछ दिन और समय बिताकर कुछ और तथ्य बटोरे गये। पता यह चला की जितने भी टीम अब तक गायब हुई थी, वह निर्माण करने के लिये कुछ न कुछ खुदाई जरूर किये थे। जब तक वहां निर्माण कार्य की शुरवात नही हुई किसी भी प्रकार का हमला नही हुआ था।

तकरीबन महीना दिन तक सारे तथ्यों को ध्यान में रखकर अल्फा पैक ने अंततः हिम–मानवों से मिलने की योजना बना लिया। योजना के अंतर्गत ही चारो ने बर्फ की मोटी सतह पर विस्फोट किया था। हां लेकिन पूर्वानुमान सबका ही पूरी तरह गलत हो गया। अल्फा पैक को लगता था कि हिम–मानव खोह और कंदराओं में छिपकर रहने वाले समुदाय है जो किसी भी सूरत में अपने अस्तित्व को जाहिर नही होने देते।

बाकी सारे तथ्यों का आकलन तो लगभग सही था सिवाय एक के... “हिम–मानव खोह और कंदराओं में रहने वाले लोग है जो आधुनिक सभ्यता से कोसों दूर है।”...हालांकि जब पहली मुलाकात हुई थी और हाथों में ये बड़े–बड़े तलवार लेकर हिम–मानव को हमला करते देखे, फिर कुछ वक्त के लिये आर्यमणि को अपनी थ्योरी पर यकीन हुआ। किंतु यह यकीन ज्यादा देर नहीं टीका। कुछ ही वक्त में पता चल गया की हिम–मानव का समुदाय कितना विकसित है।

पहले तो अजीब से कैद में लगभग डेढ़ महीने बिताये, जहां शायद अल्फा पैक और वेमपायर को परखा गया था। आर्यमणि ने यह भी सह लिया। उसे यकीन था कि जब वह कानूनी प्रक्रिया के लिये अदालत पहुंचेगा तब हिम–मानव समुदाय गंभीरता से उसकी बात सुनेगा। किंतु सारे अरमान मिट्टी में मिल गये क्योंकि बिना किसी सुनवाई के ही सजा हो गयी।

जेल के पहले दिन किसी से कोई काम नही करवाया गया। शाम के 5 बजे सबके सेल खुल गये और हॉल में 4 घंटे घूमने की खुली छूट भी मिली। जिस फ्लोर पर आर्यमणि और बाकियों का सेल था, वहां सभी बौने ही थे। मतलब इंसान थे। अंडाकार बने फ्लोर पर मिलों दूर जहां तक नजर जाये केवल और केवल इंसान ही थे। सभी अपने सेल से एक बार बाहर आये, नीचे हॉल को देखा और वापस अपने सेल में चले गये।

आर्यमणि के ठीक बाजू वाला जो इंसान था, वह उन्ही में से एक था जो पिछले साल अंटार्टिका सर्वे के लिये आया और रहश्मयि तरीके से गायब हो गया था। आर्यमणि अपने दिमाग पर थोड़ा जोड़ डालते.... “ओय सुनो पेड्रो रफ्ता।”.. आर्यमणि 3–4 बार चिल्लाया, कोई सुनवाई नही। आश्चर्य तो यह भी था कि जितने इंसान बाहर निकले थे वो सब एक बार नीचे हॉल को देखने के बाद वापस अपने सेल में घुस चुके थे। सिवाय अल्फा पैक और वेमपायर के, जो पूरा मामला समझना चाह रहे थे। आर्यमणि के आगे जितने भी सेल थी, वहां अल्फा पैक और वेमपायर को रखा गया था।

रूही, आर्यमणि की आवाज सुनकर उसके ओर आयी लेकिन आर्यमणि आंखों के इशारे से उसे चुपचाप हॉल में जाने कहा और खुद उस पेड्रो रफ्ता के सेल के सामने खड़ा हो गया। आर्यमणि जैसे ही खड़ा हुआ बिजली के वेब ने आर्यमणि को जकड़ लिया और सेल के किनारे से कई सारे मुक्के निकालकर आर्यमणि पर धमाधम हमला कर दिया। आर्यमणि मुक्के खाते.... “हेल्लो पेड्रो मैं आर्यमणि हूं। वहीं निर्माण करने आया था जहां से तुम गायब हुये थे।”...

पेड्रो, आर्यमणि को इशारों में समझाया की वह कुछ बोल नहीं सकता। आर्यमणि उसकी मजबूरी समझते.... “देखो मैं नही जानता की तुम किस मजबूरी से नीचे हॉल में नही जा रहे। लेकिन विश्वास मानो, यदि हॉल में अपनी मर्जी से घूमना रिस्क है तो आज ये रिस्क दूसरे उठाएंगे। यदि इस जेल से बाहर निकलना चाहते हो तो नीचे हॉल तक चलो।”...

आर्यमणि को लगातार मुक्के पड़ते रहे। वह फिर भी पेड्रो से बात करता रहा। अपना प्रस्ताव रखने के बाद आर्यमणि कुछ देर और वहां खड़ा होकर मुक्का खाता रहा, लेकिन पेड्रो बाहर आने की हिम्मत नही जुटा पाया। अंत में आर्यमणि उस से एक बार नजर मिलाया और जैसे ही वहां से आगे बढ़ने लगा, पेड्रो भी अपने सेल से निकला और चुपचाप आर्यमणि के आगे बढ़ गया।

दोनो जब सीढ़ियों पर थे तब पेड्रो अपना मुंह खोला.... “संभवतः तुम लोग आज ही इस जेल में आये होगे और नीचे तुम्हारे साथी होंगे।”...

पेड्रो हॉल के उस हिस्से को दिखा रहा था जहां हिम–मानव की भिड़ लगी हुई थी और उस भिड़ के बीच न तो अल्फा पैक और न ही बेमपायर कहीं नजर आ रहे थे। आर्यमणि उस ओर देखते..... “पुराने कैदी, हम नए कैदियों की रैगिंग ले रहे है क्या?”..

पेड्रो:– हां खतरनाक तरीके की रैगिंग जो तब तक झेलनी होगी जब तक हम यहां की जेल में है। यहां से निकलने के बाद किसी बिग–फूट (हिम–मानव का अमेरिकन नाम) के घर पर जिल्लत भरी नौकरी करनी होगी।

आर्यमणि:– अच्छा तुम अदालत गये थे क्या?

पेड्रो:– नही... एक बड़े से टावर पर 4 दिन भूखे–प्यासे रखने के बाद सीधा इस जेल में पटक दिया। यहां महीने दिन की सजा काटने के बाद कोर्ट का ऑर्डर डाकिया लेकर आया था, जिसमे मुझे 5 साल की कैद मिली और उसके बाद सीधा एक पते पर जाना होगा जिसके घर में मुझे नौकर का काम मिला है। वहां साफ लिखा था जेल से निकलने के बाद हम पूरे देश में आजादी से रह सकते हैं, बस अपने जैसे बौने इंसान पैदा नही कर सकते।

आर्यमणि:– हम्मम... और नीचे हॉल की क्या कहानी है?

पेड्रो:– जब तक मुंह बंद रखोगे तब तक बेज्जत करते रहेंगे। यदि कहीं मुंह खुल गया तो बेज्जत करने के साथ–साथ मारते भी है। इनका मारना तब तक नही रुकता जब तक मरने की नौबत नही आ जाती।

दोनो बात करते हुये हॉल के विभिन्न हिस्सों से गुजर रहे थे। जहां से भी गुजरे हिम–मानव उन्हे घूर रहे थे। आर्यमणि भिड़ के बीच से रास्ता बनाते पेड्रो के साथ कुर्सी पर बैठा। बैठने के बाद पेड्रो से एक मिनट की इजाजत लेते..... “रूही इतनी भीड़ क्यों है।”...

“ये लो इन बौनों का मुखिया आ गया। तेरी ये छमिया रूही सबसे पहले स्ट्रिप डांस करेगी। उसके बाद जितनी भी लड़कियां हैं वो एक–एक करके सामने आयेगी। तू इन सबके कपड़े बटोरेगा।”.... भिड़ से एक हिम–मानव बोला और बाकी सब हंसने लगे।

आर्यमणि:– अल्फा पैक मुझे पेड्रो के साथ इत्मीनान से बात करनी है, आसपास की भिड़ खाली करो....

“ए चुतिये तू क्या बोला?”.... कोई हिम–मानव बोला। इधर उसकी आवाज बंद हुई उधर इवान ने हिम मानव के पाऊं पर ऐसा लात जमाया की उसके हाथी समान मोटे पाऊं के हड्डियां टूटने की आवाज सबको सुनाई दी। दर्द बिलबिलाते जैसे ही वह नीचे बैठा, अलबेली अपने दोनो पंजे से उसके थुलथुला पेट के मांस को जकड़ ली और पूरी ताकत से अपने सर के ऊपर उठाकर दूर फेकती.... “मेरे बॉस ने कहा तुम चूतियो को दूर फेकना है।”

“मारो... मारो... मारो... मारो इन बौनों को।”..... भिड़ चिल्लाई... अल्फा पैक दहाड़े और फिर जो ही लात और घुसे की बारिश हुई। साइज में इतने बड़े थे की रूही, अलबेली और इवान उनके लात–हाथ के नीचे से निकलकर लात और घुसे बरसा रहे थे। जहां कहीं भी उनका लात और घुसा पड़ता अंग भंग हो जाता। दर्द से बिलबिलाने की आवाज चारो ओर से आने लगी।

उनका दर्द से बिलबिलाना सुनकर दूसरे फ्लोर के सारे इंसानी कैदी अपने सेल से बाहर आ गये और वहां का नजारा देखकर तेजी से हॉल के ओर दौड़ लगा दिये। हॉल के चारो ओर सिटियां बजने लगी। लोगों की हूटिंग होने लगी। वैसे यहां हिम–मानव कैदियों की कमी नही थी लेकिन अल्फा पैक अपने चैरिटी में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे।

आर्यमणि अपने पास निर्जीव समान बैठे सभी वेमपायर को देखते...... “नयोबि तुम्हे और तुम्हारी टीम को क्या हो गया?”...

नयोबि:– हम किस मुंह से माफी मांगे। तुम हम पर भरी थे। तुम सब भी भूखे थे। मांस फाड़कर उन्हे कच्चा चबा जाना तुम्हारा नेचर है। बावजूद इसके हमें जिंदा छोड़ दिये।

आर्यमणि:– सुनो नयोबि, पहली बात तो ये की अल्फा पैक वेजिटेरियन है। दूसरी बात हम तुम्हारे खून की प्यास को समझ सकते थे। अल्फा पैक जानती थी कि तुम जो खून पी रहे उसे तुम अपने लैब में कृत्रिम तरीके से बनाते हो। न की किसी इंसान या जानवर का खून पीते हो। इसलिए चिल मारो और जाकर अल्फा पैक की मदद करो यार। तोड़ो सालों को, और तोड़ने में कोई रहम मत करना... तब तक मैं अपने मेहमान पेड्रो से कुछ बात कर लूं। हां पेड्रो आगे कोई जानकारी...

पेड्रो:– बस इतना ही की ये लोग हमें किसी भी सूरत में अपनी दुनिया से बाहर नही जाने देंगे।

आर्यमणि:– ऐसे कैसे यहां से जाने नही देंगे, वो तुम मुझ पर छोड़ दो। तुम तो बस यहां की जानकारी साझा करो...

पेड्रो:– “हम लोग जहां है वह हीरो की खान है। यहां पर नायब किस्म के हीरे पाये जाते है, जिनका इस्तमाल ये लोग बड़े–बड़े बिल्डिंग बनाने में करते हैं। यूं समझ लो पूरे अंटार्टिका महाद्वीप ही इनका पूरा देश है। इनके पूरे देश में केवल गोमेद नदी के तट से लगे हिस्से से सूरज की रौशनी आती है, और वही रौशनी फिर इन हीरे के जरिए पूरे देश में फैलता है। यूं समझ लो की इन लोगों के पास सूर्य ऊर्जा को फैलाने का कृत्रिम टेक्नोलॉजी है।”

“पूरे देश को 5 हिस्से में बांट दिया गया है। मध्य हिस्सा को पीक राज्य कहते है। क्षेत्रफल में सबसे बड़ा और रोलफेल देश की राजधानी।मध्य भाग के अलावा चार और भाग है, जो ईस्ट, वेस्ट, नॉर्थ और साउथ में बटे है। ईस्ट राज्य को वॉल ईस्ट राज्य पुकारते है। वेस्ट राज्य को डुडम राज्य, नॉर्थ को हिमगिरि और साउथ को ब्रुजानो। यहां कुल 78 करोड़ बिग–फूट आबादी बसती है। यहां एक लाख इंसानी आबादी भी है, लेकिन वो सब अंटार्टिका में रिसर्च करने आये टीम के बंधक है, जिन्हे फिर कभी अपने प्रांत का मुंह देखना नसीब नही होगा।”

“बात यदि बिग–फूट की करे तो बस ये लोग इंसानों के मुकाबले बड़े साइज के है बाकी है ये भी इंसान ही और तकनीक रूप से काफी उन्नत। वैसे बाहुबल और सुरक्षा के लिहाज से भी रोलफेल देश काफी उन्नत है। क्राइम यहां काफी कम है इसलिए पूरे देश में मात्र 26 जेल है, जिसमे सबसे बड़ा जेल यही है। मेरे पास जितनी जानकारी थी वह मैने साझा कर दिया।”

आर्यमणि उसे हैरानी से देखते.... “भाई तू भी मेरी तरह टावर से सीधा जेल आ गया फिर इतनी जानकारी कहां से जुटा लिया।”..

पेड्रो:– मैं सीआईए का एक इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर हूं। मेरी एजेंसी मुझे जानकारी जुटाने के ही पैसे देती है। दरसल साल में 60 दिन बिग–फूट कैदी जेल से बाहर जाते है। उन 60 दिनो में बहुत से पुराने इंसानी कैदीयों से मुलाकात हुई। उनमें से कुछ तो तीसरी या चौथी बार सजा काट रहे थे... बस उन्ही लोगों से सारी जानकारी जुटाई है...

आर्यमणि:– कमाल ही कर दिया। अब जरा बैठ जाओ, और खेल का आनंद लो...

आर्यमणि पेड्रो को छोड़ा और रण में कूदा। अल्फा पैक पहले से ही कइयों की चीख निकाल चुके थे। लेकिन वो कई हिम–मानव इकट्ठा भिड़ के मुकाबले चंद ही थे। आर्यमणि अपनी तेज दहाड़ से सबका ध्यान अपनी ओर खींचा और उसके बाद तो बड़े–बड़े साइज के वजनी मानव ताश के पत्तों की तरह पहले हवा में उड़े और फिर नीचे जमीन पर बिछ गये।

आर्यमणि उनके मुकाबले साइज में इतना छोटा था की मात्र उनके कमर तक आ रहा था। लेकिन दौड़ते हुये रास्ते में आने वाले हर हिम–मानव को अपने कंधे से इतना तेज धक्का मरता की वह हवा में ऊपर उड़ जाते और कर्राहते हुये नीचे लैंड करते। अगले चार घंटे तक यही खेल चलता रहा। और जब हॉल में घूमने का समय समाप्त हुआ तब लगभग 40 हजार हिम–मानव घायल कर्राह रहे थे। वहां की हालत किसी उजड़े स्थान से कम न था।

जैसे ही समय समाप्त होने की घोषणा हुई। सभी कैदी अपने–अपने सेल में चले गये। सिवाय घायल हिम–मानव और अल्फा पैक के। आर्यमणि अपने पैक को एक नजर देखते..... “जड़ों के बीच से सबको हील करो ताकि इनकी ये फालतू लेजर वाली बेब हमें कहीं भी पोर्ट न कर सके।”

आर्यमणि का हुक्म और अगले ही पल पूरे अल्फा पैक जड़ों में ढंके थे। लगभग 4 किलोमीटर लंबा जेल का वह पूरा हिस्सा था जिसमे चारो ओर जड़ें फैल गयी और फैलने के बाद हर घायल को जकड़ लिया। जैसे–जैसे घायल हील होते जा रहे थे उनके ऊपर से जड़ें हटती जा रही थी। वो लोग जैसे ही खड़े होते सीधा भागकर अपने सेल में पहुंचते।

लगभग एक घंटे तक सबको हील करने के बाद अल्फा पैक भी अपने सेल में थे। अगले दिन सुबह के ठीक 6 बजे सबके सेल खुल गये। एक बार फिर तकनीकी गुणवत्ता का परिचय देते हुये सभी कैदियों को लाइट द्वारा पोर्ट करके सीधा माइनिंग एरिया में भेज दिया गया।

प्रचुर मात्रा में धातु और खनिज के भंडार थे। किंतु वहां न तो किसी भी प्रकार के खनिज और न ही धातु की खुदाई करनी थी। बल्कि माइनिंग एरिया के किसी एक पॉइंट पर पटक दिया गया था। वहां से करीब 8 किलोमीटर का रास्ता तय करने के बाद जहां पहुंचे वहां का नजारा देखकर आंखें चौंधिया गयी। बड़े–बड़े क्रिस्टलनुमा पहाड़ खड़े थे। उन पहाड़ों को ही तोड़कर जमा करना था। अल्फा पैक बड़ी ही तेजी के साथ खुदाई कर रहे थे। चारो अन्य मजदूरों के मुकाबले 10 गुणा ज्यादा तेज गति से काम कर रहे थे।

काम करते हुये 3 घंटे पूरे हो गये लेकिन ये चारो अभी और काम करना चाह रहे थे इसलिए वापस गये ही नही। शिफ्ट जब बदल रही थी इसी बीच सबसे नजरें चुराकर आर्यमणि खुदाई के दौरान चुराये हुये अलग तरह के दिख रहे क्रिस्टल के बड़े टुकड़े को अपने पास से निकाला और पलक जिस हिसाब से सिखाई थी, बिलकुल उसी हिसाब से 2 जोड़ी पत्थर तराशकर सबके एमुलेट में डाल दिया।

रूही:– ये किस प्रकार का पत्थर है, आर्य।

आर्यमणि:– मुझे नही पता की यह किस प्रकार का पत्थर है, लेकिन जिस प्रकार का भी है, है यह दुर्लभ पत्थर। सबके एमुलेट में 2 जोड़ी पत्थर डाल दिया हूं। चलो देखा जाये इन पत्थरों के प्रयोग से क्या नया देखने मिलता है?

आर्यमणि ने जैसे ही शक्ति परीक्षण के लिये कहा अल्फा पैक के सभी सदस्य तैयार हो गये। हर कोई अपने एम्यूलेट को हाथ लगाकर मंत्र पढ़ा और फोकस केवल नये पत्थर ही थे।मंत्र पढ़ने के बाद हर किसी ने सभी विधि कोशिश कर लिया लेकिन कोई भी जान न सके की उन पत्थरों में ऐसा क्या खास था। किसी भी प्रकार की नई चीज उभरकर सामने नही आयी।

खैर वक्त कम था इसलिए बचे हुये लगभग 150 तराशे पत्थर को सबने अपने–अपने एम्यूलेट में छिपाया और काम पर लग गये। अल्फा पैक अपना दूसरा शिफ्ट भी शुरू कर चुके थे। बिना रुके लगातार काम करते रहे और 6 घंटे की ड्यूटी बजाने के बाद लगभग 1 बजे अपने सेल में थे।

रोज की तरह ही शाम को 5 बजे सबके सेल खुले। आज भी कल जैसा ही नजारा था। सभी इंसान बाहर आये एक बार हॉल के देखा और वापस अपने सेल मे। केवल वह सीआईए ऑफिसर पेड्रो ही था जो अल्फा पैक और वेमपायर के साथ नीचे हॉल तक जाने की हम्मत जुटा सका। आज जितने भी हिम–मानव थे इनसे दूरियां बनाकर ही चल रहे थे।

bahut badhiya update bhai maja aa gawa sabko tod diya sasuron ko ab jail se niklo re sab kahan fanse ho
 

king cobra

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भाग:–141


आर्यमणि अपने बड़े से ग्रुप के साथ बैठा। हर कोई बस इधर–उधर की बातें ही कर रहा था। तभी हिम–मानव का एक छोटा सा समूह आर्यमणि के नजदीक पहुंचा। उसका मुखिया आगे आते.... “मेरेको पहचाने की नही।”

आर्यमणि:– भोसला तुम, वहां छत पर तो हमे बोलने से मना किये था।

भोसला वही अपराधी था जो हिम–मानव के देश रोलफेल पर सबसे पहले मिला था। भोसला, आर्यमणि के ओर हाथ बढ़ाते.... “अपन तो बस ऐसे ही बोल दिया, दिल पर नही लेने का।”

रूही:– यहां आने का कारण बताओ भोसला....

भोसला:– दबंग लोगों के पास आने का क्या कारण होता है। उनकी गैंग में सामिल होना।

आर्यमणि:– तुम्हे सामिल करने से मेरा क्या फायदा होगा?

भोसला:– हम मिलकर यहां की सत्ता को हिला देंगे। तुम्हे अपने देश लौटना है और मुझे अपने लोगों के लिये सतह तक जाने की आजादी चाहिए। दोनो की मांगे एक ही तरह की है, तो क्यों न साथ मिलकर काम किया जाये।

आर्यमणि:– देखो दोस्त ऊपर सतह पर नही जाने देने का निर्णय यहां के सत्ता और प्रशासन का निजी मामला है और मैं कानून का उलंघन नही कर सकता। और न ही मैं यहां अपने ताकत के दम पर किसी को झुकाने आया हूं। हमे बस इस जगह से बाहर जाना है।

भोसला:– बाहर जाने के लिये सतह पर जाना होगा न। इसमें मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूं।

आर्यमणि:– तुम्हारा धन्यवाद। मैं यहां के अदालत में अपील करूंगा और मुझे विश्वास है कि वहां मुझे गंभीरता से सुना जायेगा। अब तो यहां से कानूनी तरीके से ही बाहर जायेंगे।

भोसला यथा संभव आर्यमणि को मानने की कोशिश करता रहा लेकिन आर्यमणि अपने विचारों का पक्का था, वह नही माना। भोसला अंत में खाली हाथ ही वहां से लौटा। भोसला के जाने के बाद एक बार फिर आर्यमणि अपने ग्रुप के साथ बात–चित में लग गया। कुछ समय और बीता होगा की सबने जैसे मेहसूस किया की वह जगह पूरी तरह से शांत हो गयी हो। ऐसा हो भी क्यों न उस जेल का वार्डन कोको अपने कुछ लोगों के साथ वॉकिंग एरिया में पहुंच चुका था। कोको के वहां पहुंचते ही बिलकुल सन्नाटा पसर गया हो जैसे। हिम–मानव की आवाज बिलकुल बंद और मिलो तक फैले उस वॉकिंग एरिया में जितने भी अपराधी थे, सब सीधा अपने सेल में चले गये।

आर्यमणि:– अचानक यहां इतनी शांति क्यों पसर गयी?

रूही, कोको के ओर उंगली करती.... “जेल के वार्डन को देखकर सब अपना मुंह बंद करके भाग गये।

कर्नल नयोबि:– पहला जेल है जहां चांद मुट्ठी भर सिपाही को देखकर लाखों अपराधी अपना मुंह बंद करके भाग गये। इतना दबदबा...

“अभी तुमने हमारा दबदबा देखा ही कहां है खून पीने वाले कीड़े। तुम मेरी जेल में बोल रहे हो, उसमे भी केवल मेरी मर्जी है।”... रूबाब और गुरूर के साथ कोको अपनी बात कहता उन तक पहुंचा। पहुंचने के साथ ही आर्यमणि को घूरते.... “सुनो रूप बदल इंसान, कल तुमने यहां जो कुछ भी किया वह हमारे समझ से पड़े था। मुझे बताओ कैसे तुम लोग जड़ों के बीच छिप गये और हमारे समुदाय के लोगों को भी जड़ों में कैद करके ना जाने उनके साथ क्या किये?”

आर्यमणि:– क्यों तुम्हारे कैदियों ने कुछ बताया नही की उनके साथ पहले क्या हुआ और जड़ों की कैद से जब रिहा हुये तब क्या सोच रहे थे।

जेल का वार्डन कोको..... “यदि किसी एक कैदी को उधारहण माने जैसे कि कुरुधा। कुरूधा को सबसे पहले मार पड़ी थी। उसके पाऊं पर मानो किसी हथौड़े को पटका गया था। मल्टीपल फ्रैक्चर ठीक होने में कम से कम 6 महीने का वक्त लगता। उसके पाऊं तोड़ने तक भी तुम्हारे साथी नही रुके। तकरीबन 4 क्विंटल के हिम–मानव को तुम्हारी वो बौनी लड़की ने दोनो हाथ से उठाया और किसी बॉल की तरह एक किलोमीटर दूर फेंक दी। नतीजा स्पाइनल कॉलम की हड्डियां इधर–उधर हो गयी। 8 पसलियां गयी। पसलियों को ठीक होने में कम से कम 3 महीने का वक्त लगता और स्पाइन की हड्डियां बनती भी या नहीं, वो तो डॉक्टर ही बता सकता था। जब कुरुधा जड़ों की कैद से निकला तब वह पूर्ण रूप से स्वस्थ होकर निकला था। बस मुझे यही तो जानना है, ये हुआ कैसे?”

आर्यमणि:– मेरे लोगों को इस अजीब से देश रोलफेल से बाहर निकालो, फिर मैं तुम्हे बता दूंगा।

कोको:– रोलफेल से बाहर निकालना मेरे हाथ में नही। लेकिन इस जेल से बाहर निकालकर तुम्हारी मुलाकात उनसे करवा सकता हूं, जो तुम्हे इस देश से बाहर निकाल सकते हैं।

आर्यमणि:– बदले में तुम्हे क्या चाहिए कोको।

कोको:– बस मुझे इन जड़ों की कहानी समझा दो।

आर्यमणि:– हम पेड़, पौधे, जमीन, हवा इत्यादि अपने पंजों से हील कर सकते हैं। इस से प्रभावित होकर प्रकृति ने हमें एक खास शक्ति प्रदान की है। हम किसी भी जगह से जड़ों को बाहर ला सकते हैं और उनसे अपने मनचाहा काम निकलवा सकते हैं। जैसे की किसी को जड़ों में बांध देना। जड़ों के द्वारा एक साथ कई लोगों को हील कर देना वगैरह वगैरह।

कोको:– अदभुत शक्ति... ठीक है तुम और तुम्हारे लोग मेरे पीछे आओ। मैं तुम सबको यहां से बाहर निकालता हूं।

आर्यमणि उस वार्डन कोको के पीछे चल दिया। कुछ दूर चलने के बाद वार्डन ने एक दरवाजा का सिक्योरिटी लॉक खोला। अंदर से कई सारे सिंगल सीटर गाडियां निकली जैसा की गोल्फ फील्ड में अक्सर देखने मिलता है। आर्यमणि का पूरा ग्रुप उस गाड़ी पर सवार होकर कोको के पीछे चल दिया। कोको की गाड़ी लगभग 5 किलोमीटर दूर तक चली। उसके आगे एक बड़ा सा दरवाजा था। कोको के लोग तुरंत ही उस दरवाजे को खोले। दरवाजा खुलते ही जेल का दूसरा हिस्सा दिखने लगा।

जेल का दूसरा हिस्सा भी अंडरग्राउंड ही था किंतु यहां से कैदियों का मैनेजमेंट होता था। तकरीबन 6000 गार्ड और लाखों गैजेट चारो ओर फैले थे। कोको की गाड़ी इन सब इलाकों से गुजरते हुये फिर किसी दरवाजे पर रुकी। कोको के लोगों ने उस दरवाजे को खोला और वो लोग कोको से अलग होकर अपने काम पर लग गये। कोको दरवाजे के अंदर हाथ दिखाते... “ये मेरा घर, ऑफिस जो कह लो। यहीं मैं तुम्हे उनसे मिलवाऊंगा जो तुम्हे इस देश से बाहर निकाल सकते है।”

रूही, आर्यमणि को देखकर मन के अंदर संवाद करती... “इसके इमोशंस भी इंसान की तरह ही है, जिसका झूठ हम सब मेहसूस कर रहे। फिर इतनी दूर आने का मतलब?”...

आर्यमणि:– वार्डन ही जेल से निकलने का एकमात्र जरिया है। मैं आराम से इस फरेबी की योजना समझता हूं, तुम लोग चौकन्ने रहना और हर बारीकियों पर गौर करना। भूलना मत हम हीरों और नायब पत्थरों के देश में है। हो सकता है इस वार्डन के बल के पीछे खास किस्म के पत्थर का योगदान हो, तभी तो लाखों अपराधी चुप चाप अपने सेल में चले गये।

रूही:– हम्मम ठीक है जान तुम भी चौकन्ने रहना। साला ये पूरी पृथ्वी ही झूठों और फरेबियों से भरी पड़ी है।

कोको:– किस सोच में पड़ गये अंदर नही आओगे क्या?

कोको ने हाथों का इशारा किया और सभी लोग अंदर दाखिल हुये। जैसे ही सभी अंदर दाखिल हुये मात्र 4 लोग बचे। पीछे से वेमपायर और उसकी टीम अंदर घुसते के साथ कहां गयी किसी को पता ही नही चला। बिलकुल नजरों के आगे से जिस प्रकार संन्यासी शिवम गायब हो जाते थे, ठीक उसी प्रकार वेमपायर की टीम के साथ हुआ।

आर्यमणि, आश्चर्य से जेल के वार्डन कोको को देखने लगा। हैरानी की बात तब हो गयी जब अल्फा पैक से ज्यादा हैरान तो वार्डन कोको था। अल्फा पैक को समझते देर न लगी की गायब तो सबको किया गया था, परंतु किसी कारणवश अल्फा पैक गायब नही हुये।

“यहां अभी हुआ क्या? कैसे उन 19 लोगों को आपने जादू से गायब कर दिया?”..... आर्यमणि बिना अपने हाव–भाव बदले पूछा...

अल्फा पैक भी घोर आश्चर्य के बीच.... “कमाल, वाह–वाह क्या कलाबाजी है, वूहु, वाउ” जैसे शब्दों का प्रयोग करके कोको का हौसला अफजाई करने लगे। कोको भी अपनी हैरानी को अपने बेवकूफाना मुश्कुराहटों के पीछे छिपाकर.... “अरे कभी–कभी हम ऐसे ट्रिक कर लेते हैं।”...

आर्यमणि:– बहुत प्यारा जादू। चलो अब मेरे साथियों को जादू से वापस लेकर आओ।

कोको:– मैं, वो ... अभी एक मिनट दो... अम्म्म्म... एक काम करो.... तुम लोग अब वापस जाओ, बाद में वो लोग भी पहुंच जायेंगे।”

कोको अपनी हिचकिचाहटों के बीच लगातार अल्फा पैक को भी पोर्ट करने की कोशिश कर रहा था लेकिन वो लोग पोर्ट हो नही रहे थे। हां जब भी कोको पोर्ट का कमांड देता, अल्फा पैक का एम्यूलेट चमकने लगता। सभी अपने कपड़ों के पीछे छिपे एम्यूलेट के बदलाव को मेहसूस कर सकते थे।

आर्यमणि:– क्या हुआ कोको, इतनी हिचकिचाहट के साथ पसीने क्यों आ रहे है?

इस से पहले की कोको कुछ जवाब देता। 19 नीले रंग की रौशनी की लकीरें कोको के सीने से कनेक्ट होकर उसके सामने लगी। कोको अपने दोनो बांह फैलाकर उस रौशनी को अपने भीतर स्वागत करने लगा। अलबेली यह पागलपन देखकर.... “दादा (आर्यमणि) यहां चल क्या रहा है?”...

आर्यमणि:– मुझे भी उतना ही पता है जितना तुम्हे अलबेली। अब रौशनी का खेल खत्म हो तब न इस गधे से कुछ पूछूं।

इवान:– जीजू 19 वेमपायर को गायब किया था और 19 रौशनी की लकीरें भी है।

आर्यमणि:– हां यार... कहीं ये पागल, नयोबि और उसकी टीम को निगल तो नही रहा।

इवान:– हो सकता है। जीजू नयोबि मरा फिर तो कैरोलिन के साथ–साथ बेमपायर नयोबि का बदला लेने भी पहुंच जायेंगे। इस बार तो सबको पता होगा की नयोबि किसके साथ था।

रूही:– सब शांत हो जाओ। रौशनी की लकीरें समाप्त हो रही है।

लगभग एक मिनट तक रौशनी कोको के अंदर समाती रही। जैसे ही कोको पूरी रौशनी समेटा, उसकी आंखें नीली हो चुकी थी। हाथों के पंजे से क्ला निकल आये और मुंह फाड़ा तो अंदर नुकीले दांत। कोको का शरीर भी मेटलिक दिख रहा था जो जलते हुये मेटल समान बिलकुल लाल था। तेज गरज के साथ कोको अल्फा पैक को घूरते.... “कास तुम चारो की शक्तियां भी मैं अपने अंदर समा सकता। लेकिन कोई न, तुम्हारी शक्तियां मेरी न हुई तो न सही, तुम्हारे पास भी नही रहने दूंगा। तुम सबको मरना होगा।”...

आर्यमणि:– बैठकर बात कर लेते है यार। ये मरने और मारने की बातें क्यों। साथ मिलकर काम करेंगे...

कोको:– मैं अकेला ही काम करता हूं। मुझे किसी निर्बल की जरूरत नहीं...

कहते हुये कोको ने अपना बड़ा सा पंजा आर्यमणि पर चला दिया। एक तो कोको का साइज डबल ऊपर से उसके चौड़े पंजे। आर्यमणि, कोको के हमले से बचने के लिये काफी तेज झुका और गुलाटी मारकर दूर गया। कोको अपना लंबा वजनी शरीर के साथ अब काफी ज्यादा तेज भी हो चुका था। इतना तेज की वह अपने एक हाथ के तेज पंजे से एक बार में रूही और अलबेली को घायल कर चुका था। बचने की तो दोनो ने पूरी कोशिश की किंतु बच ना पायी।

बड़े–बड़े नाखून शरीर के जिस हिस्से में लगे वहां 4 इंच गहरा गड्ढा हो गया और उसके बीच का मांस क्ला के अंदर घुसा था। रूही और अलबेली की दर्द भरी चीख निकल गयी। दोनो को घायल देख इवान पागलों की तरह दहाड़ते हुये छलांग लगा चुका था। इवान अपना पंजा खोल कोको के चेहरे को निशाना बनाया वहीं कोको का पंजा इवान का गर्दन देख रहा था। इस से पहले की दोनो एक दूसरे पर हमला करते बीच से आर्यमणि छलांग लगाया और इवान को अपने बाजुओं में समेटकर कोको से काफी दूर किया।

इवान खड़ा होकर तेज दहाड़ा। उसकी दहाड़ के जवाब में आर्यमणि भी दहाड़ा। इवान अपनी जगह बिलकुल शांत था लेकिन तभी कोको का पूरा पंजा आर्यमणि के पीठ को 5 लाइन में फाड़ चुका था। आर्यमणि के मुंह से बस चीख नही निकली लेकिन दर्द के कारण आंखों के दोनो किनारे पानी भर गया था।

दूसरा हमला हो, उस से पहले ही आर्यमणि ने इवान को दूर धकेला और तेजी से सामने मुड़कर खड़ा हो गया। कोको भी एक हमला के बाद दूसरा हमला कर दिया। कोको ना जाने कितने हिम–मानव की शक्तियों को बटोर चुका था। अब तो उसमे वेमपायर की शक्तियां भी थी। लिहाजा उसका हमला काफी ताकतवर था।

किंतु पैक के घायल होने की वजह से आर्यमणि के खून का हर कतरा उबाल मार रहा था। आर्यमणि पर गुस्सा पूरा हावी हो चुका था। अपने ओर बढ़े डेढ़ फिट लंबा और आधा फिट चौड़ा पंजे पर अपना पंजा चला दिया। दोनो के पंजे ठीक वैसे ही टकराये जैसे दो लोग आपस में तली देते हो। लेकिन ये ताली पूरी ताकत से बजाया गया था।

जैसे ही दोनो के पंजे टकराए थप की इतनी गहरी ध्वनि निकली की उस बिल्डिंग की दीवारों में क्रैक आ गया। दोनो की हथेली झूल गयी और कलाई की हड्डी चूड़–चूड़ हो चुकी थी। आर्यमणि दर्द बर्दास्त करते अपने दूसरे हाथ के पंजे से कलाई को थमा और बिना वक्त गवाए खुद को हील किया। वहीं कोको दर्द से बेहाल अपना कलाई पकड़ा था, पर वह खुद को हील नही कर सकता था।

कोको अपने ही दर्द में था और आर्यमणि हील होने के साथ ही बिना कोई रहम दिखाये तेज दौड़कर उछला और पूर्ण एनर्जी पंच चला चुका था। कोको भी अपने ऊपर हमला होते देख चुका था। वह भी दूसरे हाथ से तेज मुक्का चलाया। सीन कुछ ऐसा था कि 15 फिट के आदमी के सामने 6 फिट का आर्यमणि हवा में ठीक सामने था। ऐसा लगा जैसे कोई बच्चा उछलकर अपने छोटे से हाथ से कोको के ऊपर हमला कर रहा हो।

कोको भी अपना पंच को ठीक आर्यमणि के मुक्के के ऊपर चलाया था। दोनो के मुक्के आपस में टकराये। आर्यमणि का मुक्का इतना छोटा था कि वह कोको के मुक्के के थी बीच में पड़ा। दोनो के टकराने से एक बार फिर विस्फोट जैसी आवाज हुई। और क्या परिणाम निकल कर आया था।

जैसे रेत के बने मुक्के पर किसी ने पूरी ताकत के साथ हथौड़ा चला दिया हो। आर्यमणि का मुक्का कोको के हाथ को पूरा फाड़ते हुये आगे बढ़ा। हाथ का मांस, लोथरे के समान लटक गये। बीच की पूरी हड्डी पाउडर समान कण में बदलकर हवा में बिखर गयी। पंजा इतना तेज था की हाथ को फाड़ते हुये सीधा बायें कंधे पर लगा और ऐसा नतीजा हुआ जैसे किचर के मोटे ढेर पर किसी ने 10 मंजिल ऊपर से एक ईंट गिरा दिया हो।

जैसे ही आर्यमणि का मुक्का कोको के कंधे से टकराया वहां का पूरा हिस्सा ही फुहार बनकर हवा में मिल गया। कोको के ऊपरी शरीर के बाएं हिस्से का पूरा परखच्चा उड़ा डाला। एनर्जी पंच इतना खरनाक था कि कोको के मौत की चीख निकलने से पहले ही उसकी मौत आ चुकी थी। सर तो धर पर ही था, लेकिन कमर तक के बाएं हिस्सा गायब होने की वजह से गर्दन बाएं ओर के हिस्से में ऐसे घुसी थी कि धर पर सर नजर ही नहीं आ रहा था।

wo mara sasur ko mu tod diya Arya ne uska khel khatam ab sab ajaad hui gaye
 

Parthh123

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Wah nain bhai gajab ke update hai dono. Arya and pack to him manav ke state me bhi dabang bne hue hai. Path to me kya khas rha hai aage ummid hai janne ko mil jayega. Mast update aur sath hi ummid es bat ki bhi ki itne dino ki ksr puri kr denge ap.
 

andyking302

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