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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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andyking302

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भाग:–138


वहां का पूरा माहोल ही जैसे इंटेंस हो चला हो। चारो ओर से हवाएं भी जैसे गंभीर ध्वनि निकाल रही थी। जो जिस अवस्था में थे वहीं जैसे जम गये थे और हमला करने को लगभग तैयार।

बॉम्ब की पिन जैसे खींच दी गयी हो और धमाका कभी भी हो सकता था। किंतु अक्सर ही ऐसी परिस्थिति में कोई न कोई समझदार तो आगे आता ही है। ठीक वही यहां भी हुआ। 2 टैक्सिडो पहने अधिकारी पहुंचे थे। एक ने तो हथकड़ी पहनाने कह दिया लेकिन दूसरी वो अर्ध–वृद्ध महिला जो पीछे खड़ी थी.... “रिलैक्स ब्वॉयज अपने हथियार नीचे करो। और तुम भी आर्यमणि, तुम भी अपना हथियार नीचे करो।”..

रूही:– हमारा नाम जानती हो मतलब पूरी रिसर्च करके आयी हो?

महिला:– हां पूरी रिसर्च की हूं। तुम सब कौन हो और क्या कर सकते हो, ये हम जानते है। कोई भी तुम में से किसी को हथकड़ी नही पहना रहा इसलिए अब तुम सब भी रिलैक्स हो जाओ।

नेरमिन:– तुम सब के मामले में दखलंदाजी के लिये माफ करना। तो क्या मैं और मेरी टीम यहां रुके या जायें?

महिला:– हां तुम जा सकती हो और आर्यमणि तुम अपने लोगों को लेकर मेरे साथ चलो...

आर्यमणि:– कहां जाना है?

महिला:– तुम्हारे सभी सवालों के जवाब मिल जायेंगे.... अभी फिलहाल बिना किसी सवाल के चलो...

आर्यमणि अल्फा पैक के ओर देखते..... “चलो फिर”

रूही:– चलने से पहले हमे जरा आपस में बात करनी है। तुमलोग जरा हमे जगह दोगे...

महिला:– हां क्यों नही... ब्वॉयज चार कदम पीछे।

रूही सबको लेकर छोटा सा घेरा बनाती... “हमारे अपने पंगे कम है क्या, जो इनके साथ जाएं?”

इवान:– हां दीदी सही कह रही है। जीजू मना कर दो इन एफबीआई वालों को...

अलबेली:– अरे ये शासन–प्रशासन के लोग है। इनका काम नही करोगे तो ये हमारा जीना हराम कर देंगे...

इवान:– जब मैं इन्हे चीड़ दूंगा, तब भी ये परेशान करेंगे क्या?

रूही:– शाबाश, अब कुछ–कुछ तू मर्दों जैसी बातें करने लगा है।

अलबेली:– किस ग्रह से आये हो दोनो। पागलों 6 अरब से ज्यादा की इंसानी आबादी है, कितने को चिड़ोगे।

इवान:– हम इतने लोगों को क्यों चिड़ने लगे। बस यहां कुछ लोगों को चीड़ देंगे। या जड़ों में लपेटकर यादाश्त मिटा देते हैं।

आर्यमणि:– 9 महीने खाली ही तो बैठे हैं। शादी दिसंबर में है और हमारा नया बना दुश्मन वेमपायर जो है, उनकी पकड़ अमेरिका के शासन–प्रशासन के भीतर है। हम भी देखते हैं कि एफबीआई वालों को हमसे क्या काम है। काम करने लायक हुआ तो कुछ दोस्त हम भी बना लेंगे। क्या कोई बुराई है?

रूही:– नही कोई बुराई तो नही है, लेकिन फ्री में कोई काम नही करेंगे।

आर्यमणि:– हां ठीक है वो बाद में देखते है। पहले पता तो चले की हमसे करवाना क्या चाहते हैं?

रूही:– ठीक है फिर चलो देखते है।

आर्यमणि ने इशारा किया और सभी हेलीकॉप्टर में लोड हो गये। हेलीकॉप्टर कैलिफोर्निया के एक मिलिट्री बेस पर लैंड हुई। वहां से अल्फा पैक को एक मीटिंग हॉल में बिठाया गया। आर्यमणि मन के संवादों में पहले ही समझा चुका था कि अपने हर सेंसेज प्रयोग करने सिवाय आंखें। और इस मीटिंग हॉल में एनिमल इंस्टिंक्ट वाली आंखों की ही जरूरत थी, क्योंकि वह मीटिंग हॉल लगभग अंधेरा था।

अल्फा पैक तकरीबन आधा घंटा उस मीटिंग हॉल में थे। जहां बिठाया गया था, वहीं बैठे रहे। मुंह से एक शब्द नही निकल रहे थे किंतु दिमाग के अंदर संवाद जारी था। कुछ लोग इन पर बाहर से नजर बनाए थे लेकिन वह भी अचंभित थे। चारो (आर्यमणि, रूही, अलबेली और इवान) किसी प्रोफेशनल की तरह पेश आ रहे थे।

आधे घंटे बाद उस मीटिंग हॉल की लाइट जली और उस हॉल में एक जाना पहचाना चेहरा दाखिल हुआ। आते ही अपना परिचय देते हुये कहने लगा.... “मैं कर्नल नयोबी हूं। मैंने ही तुम सबको यहां बुलाने की सिफारिश की थी।”

अल्फा पैक उसे हैरानी से देख रहा था। मुख से कुछ न निकला लेकिन मन के संवादों में.... “ये तो उस रात कैरोलिन के साथ था न। उनके प्रशिक्षित सेना का मुखिया।”

आर्यमणि:– शांत रहो और मुझे बात करने दो..

नयोबि:– क्या हुआ, इतने हैरान क्यों हो?

आर्यमणि:– कहीं बाहर चलकर बात करे...

नायोबी:– बाद में बहुत मौके मिलेंगे... अभी फिलहाल उस मामले को समझ ले, जिसकी वजह से तुम्हे यहां बुलवाया है।

आर्यमणि ने सहमति जताया, तभी मीटिंग हॉल के प्रोजेक्ट पर बर्फ में ढका एक पूरा भू–भाग दिखाया जाने लगा। उस बड़े से भू–भाग के बीच एक बड़े निर्माण का थ्रीडी इमेज चलने लगा। फिर निर्माण की बारीकियां समझाया गया। इमारत का जितना निर्माण ऊपर होना था, उस से कहीं ज्यादा पेंचीदा उसके नीचे का निर्माण था। 3 तल भू–तल निर्माण था।

पूरा निर्माण अच्छे से समझाने के बाद नयोबी.... “हम यह निर्माण कार्य अंटार्टिका महाद्वीप में करना चाह रहे थे। 6 बार कई लोग सर्वे के लिये वहां गये। कुछ लोग लौटकर आये और बहुत से लोग रहशमयी तरीके से गायब हो गये। किसी को कुछ पता नही की वहां क्या हुआ था? और न ही बर्फ पर किसी इंसान या जानवर के पाऊं के निशान पाये गये थे। तुम्हारा काम होगा उस रहश्मयी चीज का पता लगाना और निर्माण कार्य में किसी प्रकार की बाधा न आने देना।”...

आर्यमणि:– इतना बड़ा निर्माण करना वो भी अंटार्टिका जैसे महाद्वीप में, मुझे नही लगता की 10 वर्ष से पहले निर्माण कार्य पूर्ण होगा। मुझे माफ करो और अपने काम के लिये किसी और को ढूंढ लो।

नयोबि:– मैं यहां तुम्हारे सामने कोई प्रस्ताव नहीं रख रहा। मैने तुम्हे काम समझाया दिया है और तुम्हे ये करना होगा।

आर्यमणि:– पूरे निर्माण तक मैं वहां रहूं, सवाल ही पैदा नही होता। फिर यूएस के मिलिट्री एजेंसी का ऑर्डर हो या एफबीआई एजेंसी का....

आर्यमणि साफ मना कर चुका था। नयोबि आगे कुछ कहता उस से पहले ही एफबीआई की महिला अधिकारी मीटिंग हॉल में शिरकत करती.... “बात शुरू करने से पहले मैं अपना परिचय दे दूं। मेरा नाम जूलिया है और मैं एफबीआई की ज्वाइंट डायरेक्टर हूं। आर्यमणि तुम समझ सकते हो मामला कितना गंभीर है, जो एफबीआई के ज्वाइंट डायरेक्टर को ही सीधे ऑर्डर मिले है। हम अपना काम सही–गलत हर तरीके से करवाना जानते है। तुम्हे काम की जानकारी हो गयी है। पूरे निर्माण कार्य तक तुम मत रुको, बस मेरे काम की बात सुना दो।”

आर्यमणि:– मैं नवंबर के आखरी हफ्ते तक कैलिफोर्निया लौट आऊंगा। इस बीच मैं वहां के रहस्य को सुलझाकर मै लौट आऊंगा। यदि रहस्य नही सुलझा तो भी मैं नवंबर में लौटूंगा और अगले साल जनवरी से रहस्य को सुलझाने की कोशिश करूंगा। 2 बातें मैं साफ कर दूं, पहला ये की विषम परिस्थिति में मैं अपने और अपने लोगों की जान बचाऊंगा, तुम्हारे लोग मेरी जिम्मेदारी नही है। दूसरा यदि मै रहस्य सुलझाने में कामयाब रहा तो मुझे अपनी पसंद का एक क्रूज शिप चाहिए।

नयोबि:– एक क्रूज शिप??? उसका क्या करोगे?

आर्यमणि:– महासागर की सैर पर निकलूंगा...

ज्वाइंट डायरेक्टर जूलिया.... “क्या कहा तुमने, तुम्हे एक ऐसा क्रूज चाहिए जो महासागर की लंबी दूरी तय कर सके। कीमत भी जानते हो क्या होगी?”

आर्यमणि:– उस कीमत से तो कम ही होगी जिसमे कई बार लोग पूरे तैयारी के साथ अंटार्टिका जाते हो और कुछ लोग अपनी जान बचाकर वहां से भागते हो। एक बार का ही कितना नुकसान हुआ होगा। फिर तो ये नुकसान 6 बार हो चुका है। कीमत तो सही है।

ज्वाइंट डायरेक्टर:– “तुम सीधा हार्ड कैश कीमत बताओ”...

रूही:– 50 मिलियन यूएसडी। उस से एक पैसा कम नही...

आर्यमणि:– लेकिन रूही..

रूही:– अब तुम जरा चुप रहो। ये लोग तुमसे मोल–भाव कर सकते हैं, लेकिन मुझसे नही। 50 मिलियन फाइनल...

ज्वाइंट डायरेक्टर जूलिया:– होश में भी हो कितना मांग रही। इतने में तो प्राइवेट आर्मी आ जायेगी... इतना नही दे सकते...

आर्यमणि:– तो हमारी पसंद का एक क्रूज ही दे दो...

ज्वाइंट डायरेक्टर जूलिया:– अब कोई एक ही बात कर लो। मैं किसकी सुनु...

रूही:– आर्य अब तुम बीच में नही बोलोगे। 50 मिलियन यूएसडी फाइनल...

ज्वाइंट डायरेक्टर जूलिया:– इतना नही दे पाऊंगी। मैं बजट बहुत ज्यादा खिंचूंगी तो भी 50000 डॉलर से ज्यादा नही दे सकती...

रूही:– क्या??? मेंहतना सीधा 1% कर दी... स्त्री हो मोल भाव अच्छे से आता है। लेकिन मैं भी नागपुर की बस्तियों में पली हूं, अपना हक छोड़ने वाली नही। 50 मिलियन से एक पैसा कम नही।

मोल भाव चलता रहा। जूलिया यहां तक कह चुकी थी कि यदि ज्यादा पैसे मांगते रहे तो अंटार्टिका में ही अटका देंगे और पैसे तो भूल ही जाओ। एक लंबे से डिस्कशन के बाद 1 मिलियन यूएसडी में रूही ने फाइनल कर लिया। फाइनल करने के बाद आर्य को देखती हुई कहने लगी.... “4–5 करोड़ में तुम्हारा जहाज बन जायेगा। अब मुंह मत लटकाओ, मैने कुछ पैसे ज्यादा ही मांगे है।”...

आर्यमणि अपने दोनो हाथ जोड़ते.... “हां तुम सर्वज्ञाता हो।”...

जूलिया:– क्या हुआ, खुश नही हुये क्या? कीमत कम लग रही है क्या?

आर्यमणि:– कहां एक क्रूज की बात चल रही थी और कहां तुमने एक मिलियन में निपटा दिया।

जूलिया:– तुम्हे क्या लगता है, क्या तुम बात करते तो अलग नतीजा निकलता। हां लेकिन यदि तुमने प्रोजेक्ट शुरू करवा दिया तब तुम्हारे क्रूज का जो भी बिल होगा उसका 50% भुगतान की जिम्मेदारी मैं निजी तौर पर देख लूंगी। लेकिन इसके लिये पहले तुम्हे...

आर्यमणि:– हां बिलकुल... बिना किसी बाधा के निर्माण कार्य शुरू हो जाये। तो कब निकलना है...

जूलिया:– जितनी देर में तुम सब अपनी पैकिंग करके यहां पहुंचोगे, रवाना होने में उतनी ही देर है। बिना वक्त गवाये पैकिंग करके लौटो। और हां अपने साथ आर्म्स एंड एम्यूनेशन मत लाना। उसकी हमारे पास कोई कमी नही।

आर्यमणि:– हमे बहुत ज्यादा जरूरत पड़ती भी नही। घर तक किसी को छोड़ने बोलोगी या पैकिंग करने पैदल ही जाना होगा।

जूलिया:– इतना वक्त नहीं है, तुम हेलीकॉप्टर से जाओ...

लगभग एक घंटे में अल्फा पैक अपने समान के साथ वापस आ चुके थे। बड़ा सा विमान उनकी प्रतीक्षा में रनवे पर ही खड़ा था। लगभग 500 लोगों को लेकर वह विमान उड़ गया। उसके पीछे 2 बड़े–बड़े कार्गो विमान भी उड़े। यूनाइटेड स्टेट से उड़ान भरकर चिली देश में कुछ देर का हाल्ट लिया और वहां से अंटार्टिका के लिये उड़ान भर चुके थे।

अंटार्टिका वर्क स्टेशन पर तीनो विमान लैंड हुये। यहां से लगभग 400 मिल की दूरी पर वह जगह थी जहां निर्माण कार्य संपन्न होना था। एक छोटे से औपचारिक मीटिंग के बाद कर्नल नयोबी अपने 18 लोग की टीम और अल्फा पैक के साथ उस जगह के लिये रवाना हो गये। जरूरत के पर्याप्त सामान और 2 मालवाहक हेलीकॉप्टर में सभी लोग सवार होकर उस स्थान तक पहुंचे।

मध्य में एक बड़ा सा टेंट लगाकर पाल चढ़ाया गया। यहां सबका मीटिंग हॉल, खाने की जगह जो कह लीजिए। उसी के चारो ओर, 10 छोटे–छोटे टेंट लगाये गये थे। कुछ देर विश्राम करने के बाद फिर आगे की रणनीतियों पर चर्चा होती। बाकी सब तो गये विश्राम करने लेकिन अल्फा पैक जो पिछले कुछ दिन से कई सवालों के साथ सफर कर रहे थे, वह सीधा नयोबी के टेंट में घुसे।

नयोबि:– हां मुझे उम्मीद थी की वक्त मिलते ही पहले तुम लोग मेरे पास ही आओगे।

आर्यमणि:– हमे तुम्हारे बेमपायर काउंसिल और करार के बारे में पता है। तो क्या मैं ये मान लूं की तुम इतनी दूर केवल अपना बदला लेने आये हो?

नयोबि:– देखो बदला मुझे नही चाहिए लेकिन मेरे समुदाय के लोग जब तुम्हारे बारे में पता लगा लेंगे, तब मजबूरी में मैं भी उनके साथ खड़ा रहूंगा। फिलहाल कोई बदला नही। मै शुद्ध रूप से यहां यूएस गवर्नमेंट का काम करने आया हूं।

आर्यमणि:– मैं समझा नही... तुम्हारे समुदाय के लोग मेरे बारे में क्यों पता लगाएंगे...

नयोबि:– हमारे समुदाय को पता है कि राजकुमारी कैरोलिन की जान किसी अज्ञात ग्रुप ने लिया, जिसकी पहचान हम कर नही सके। मैं और मेरे साथ आये सभी 48 लड़ाका ने यही कहा था।

आर्यमणि:– इतनी मेहरबानी की वजह...

नयोबि:– मैने तुम्हारे बारे में पता किया। गलती हमारी थी, जो पूरा मामला पता लगाये बिना किसी को भी दोषी समझ लिये। इसका खामियाजा भी उठाना पड़ा। हां लेकिन अब मामला फसा हुआ है। हमारे समुदाय (वेमपायर) को इस से फर्क नही पड़ता की कैरोलिन की जान किन हालातों में गयी। उन्हे तो बस बदला चाहिए, जिसे मैं और मेरे लोगों ने कुछ देर के लिये रोक दिया है। बाकी आगे का नही कह सकता...

आर्यमणि:– आगे फिर वही होगा, खून–खराबा। खैर धन्यवाद दोस्त।

आर्यमणि अपनी बात समाप्त कर वहां से जाने लगा। तभी नयोबि रोकते.... “सुनो आर्यमणि”..

आर्यमणि:– हां...

नयोबि:– हमारे तकनीक और प्रशिक्षित लड़ाके को तुमने हरा कैसे दिया? वो भी 5 वेयरवोल्फ हम 50 पर भरी पड़ गये?

आर्यमणि:– कुछ चीजें बताकर नही समझाया जा सकता। उसके लिये खुद की बुद्धि और सामने वाले को परखना पड़ता है।

एक सवाल जो अल्फा पैक के मन में घर कर बैठा था, उसका जवाब तो मिल चुका था। अब जिस काम के लिये यहां आये थे, उसे जल्द से जल्द समाप्त कर अंटार्टिका के बाहर निकलना था। एक महीने तक आर्यमणि और अल्फा पैक इसी काम पर लगे रहे। अंटार्टिका के विषम जलवायु में मात्र बर्फीले जगह को झेलने वाले जानवर जैसे की सील, पेंगुइन इत्यादि ही मिलते, वो भी तटिया क्षेत्र में मिला करते थे। जिस जगह निर्माण कार्य होना था वहां से तो तट दूर–दूर तक नही था। जिस जगह अल्फा पैक ठहरे थे, वहां उनके अलावा वेमपायर को छोड़कर किसी अन्य जीवों का कहीं कोई संकेत नहीं था।

जांच परताल करते हुये लगभग महीने दिन के ऊपर बीत चुके थे। मार्च गया अप्रैल भी जाने वाला था, लेकिन जिस खतरे की बात कही गयी थी वह इतने दिनो में कहीं नही दिखा। नयोबि ऊबकर एक छोटा सा मीटिंग बुलाते... “लगता है हमें या तो गलत जानकारी मिली थी या फिर हमारा सामना जिन दुश्मनों से है वह काफी शातिर है।”

आर्यमणि:– क्या बात है... इतने दिन बाद दिमाग की बत्ती जली है। वैसे यदि ये मान ले की दुश्मन बहुत शातिर है, तो तुम्हारे इस समीक्षा की वजह.....

नयोबि:– शातिर इसलिए क्योंकी जिन 6 बार हमला हुआ था, यहां पूरा क्रू पूरे समान के साथ पहुंचे थे। निर्माण कार्य जिस दिन शुरू किये, उसी रात बहुत से लोग समान सहित गायब हो गये।

आर्यमणि:– हम्मम।।। मतलब मेरा अंदेशा सही है...

नयोबि:– क्या ... वही जो मै सोच रहा, हमारे दुश्मन शातिर है?

आर्यमणि:– नही... पहली बात वो हमारे दुश्मन नही, बल्कि हम उनकी जमीन पर जबरदस्ती कब्जा करने आये है, इसलिए हम दुश्मन हुये।

नयोबि:– जो भी कहना चाह रहे हो खुलकर कहो...

आर्यमणि:– महीने दिन से ऊपर हम यहां किसी टूरिस्ट की तरह है, इस बात से यहां के मूल निवासी को कोई परेशानी नही। वहीं जैसे ही उन्हें आभाष होगा कि हम उनकी जमीन पर जबरदस्ती कब्जा कर रहे। कुछ निर्माण करना चाह रहे है। ऐसी परिस्थिति में वो लोग हरकत में आ जायेंगे।

नयोबि:– तुमने अभी लोग कहा। तो क्या वो इंसान की कोई प्रजाति है, जो यहां के जलवायु को एडॉप्ट कर चुके हैं?

आर्यमणि:– नही... शायद ये जलवायु ही उनके लिये बनाया गया था। हां लेकिन आगे कुछ भी उनके बारे में कहने से पहले उनसे एक मुलाकात करना तो बनता है।

नयोबि:– वो जो छिपकर शिकार करते हैं, उनसे मिलने की चाहत... कहीं मौत से मिलना तो नही चाह रहे आर्यमणि...

आर्यमणि:– क्यों तुम 18 प्रशिक्षित वेमपायर होकर डर रहे। जबकि तुम्हारे शरीर मे ही पता न इन–बिल्ट कितने फीचर्स हो।

नयोबि:– वीरता और पागलपन में अंतर होता है। दुश्मन जिन्हे हम जानते नही वह हमेशा चौंका जाते है। हाल में ही हम ये भुगत चुके है।

आर्यमणि:– इस मामले में अपनी तो किस्मत ही खराब रही है नयोबि। हर बार मामला उलझने के बाद ही हमें दुश्मन की ताकत का पता चलता है। भले ही पहले से हम कितना भी होमवर्क करने की कोशिश क्यों न करे, साला दुश्मन का पूरा पता लगा ही नहीं पाते। इसलिए बिना जाने ही सही आज उनसे मुलाकात तो करनी ही होगी।

नयोबि:– चलो फिर हम भी तुम्हारे पीछे ही लटक जाते है। लेकिन उनसे मुलाकात करने के लिये तुम क्या करने वाले हो...

आर्यमणि:– बस देखते जाओ....

आर्यमणि का इशारा हुआ। पूरा अल्फा पैक एक साथ टेंट के बाहर आया। आर्यमणि ने रूही, अलबेली और इवान को कुछ समझाया। तीनो एक साथ मुस्कुराते.... “ये कुछ ढंग का काम हुआ, वरना पिछले कई दिनों से बस छानबीन वाला फालतू काम कर रहे थे।”..

आर्यमणि:– तो फिर जाओ छा जाओ...

तीनो ने मिलकर एक बड़े इलाके को अपने क्ला से मार्क कर दिया। उनके चार छोड़ पर चार वुल्फ। आर्यमणि का इशारा होते ही सभी ने अपने एम्यूलेट को पकड़कर मंत्र पढ़ा और मंत्र पढ़ने के बाद पूरे जोड़ का पंच बर्फ के ऊपर दे मारा। ऐसा आवाज आया जैसे कई किलो आरडीएक्स एक साथ ब्लास्ट हो गया हो।

अंटार्टिका के सतह पर लगभग एक से डेढ़ किलोमीटर की मोटी बर्फ की परत होती है। चारो के एमुलेट में एनर्जी स्टोन लगे थे। इनका चलाया मुक्का जादुई रूप से काम किया और जिस जगह इनका मुक्का पड़ा वहां ढांचा ही ढह गया था। आर्यमणि के कोने पर तो और भी ज्यादा असर देखने मिला। चुकी उसके पास तो 25 एनर्जी स्टोन एक क्रम में जुड़ा था। आर्यमणि सब बात को ध्यान में रखकर मात्र नपा–तुला मुक्का मारा था, किंतु वहां की बर्फ जैसे फटकर चकनाचूर हो गयी हो और बड़ा सा गड्ढा दिखने लगा था।

नयोबि जब तक बाहर आता तब तक तो ये लोग पंच चला चुके थे। किसी ने देखा ही नहीं की वहां पंच चला या बॉम्ब फटा। हां जैसा इंपैक्ट था उसे देखकर वेमपायर को यही लगा की चारो ने चार पॉइंट पर ब्लास्ट किया था। नयोबि अपने टीम के साथ गुस्से में बाहर आते..... “तुम्हे पता भी है, अंटार्टिका में पर्यावरण को हानि नहीं पहुंचा सकते। फिर यहां ब्लास्ट क्यों किये।”...

रूही:– जाकर अंदर छिप जाओ बच्चे क्योंकि यहां असली एक्शन शुरू होने वाला है।

नयोबि:– यहां चल क्या रहा है आर्यमणि? मुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि तुम और तुम्हारे लोग बहुत कुछ जानते हुये भी हमसे जानकारी छिपा रहे हो।

आर्यमणि:– अपने हथियार नीचे डाल दो नयोबि वरना तुम अपने और अपने लोगों के मौत के जिम्मेदार स्वयं होगे..

नयोबि:– ये कैसा जलजला और तूफान आया है?

बातों के दौरान ही वहां की सतह पर भूकंप जैसे झटके महसूस होने लगे थे। बर्फीली हवाएं इतनी तेज बह रही थी कि कुछ भी देख पाना मुश्किल था। अल्फा पैक शायद खतरे को भांप चुकी थी, लेकिन नयोबि और उसके लोगों को जरा भी अंदाजा नहीं था कि उनका सामना किनसे है।

बर्फीली हवाओं को चिड़कर जब वे प्रत्यक्ष रूप से सामने आये, हर किसी का कलेजा बूफर के समान तेज–तेज धम–धम करने लगा। फिर चाहे वह आर्यमणि खुद भी क्यों न हो जिसे अंदेशा था कि उसका सामना किनसे होने वाला है, लेकिन फिर भी उन्हें सामने देखकर धड़कने बढ़ी जरूर थी।

 
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