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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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Pahakad Singh

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भाग:–134


इस बार अकेला आर्यमणि नही बल्कि पूरा अल्फा पैक एक साथ... पूरा अल्फा पैक मतलब निशांत और संन्यासी शिवम भी... सभी एक साथ एक सुर में बोले..... “आज सात्त्विक आश्रम का भय वहां तक स्थापित होगा, जहां तक ये विकृत नायजो फैले है। आज पूरे ब्रह्मांड में हम अपनी उपस्थिति का प्रमाण देंगे।”

पलक उत्साह से उछलकर, एक बार फिर आर्यमणि के गले लगती.... “मैं भी इस पल का साक्षी होना चाहूंगी।”...

पलक उत्साह में अपनी बात तो कह रही थी लेकिन उसका सामना रूही के गुस्सैल आंखों से हो गया। पलक, आर्यमणि से अलग होकर..... “ओह .... सॉरी रूही बाहिनी, ये दोस्ती के हिसाब से गले लगी थी। सोलस जिंदा तो है। इन सबमें तुम्हे देखना ही भूल गयी”...

रूही, पलक का हाथ खींचकर अपने करीब लायी और फुसफुसाती आवाज में..... “कुछ बचा भी था दोनो के बीच..... बड़ी आयी दोस्ती वाली... दुश्मनी ही निभाना”..

पलक, रूही के भी गले पड़ती.... “इतना क्लारिफिकेशन के बाद अपना हक छोड़ दी, ये खुशी न है।”...

रूही:– क्या तुम्हे बर्दास्त हो रहा, मेरा आर्यमणि के साथ होना...

पलक:– क्या कर सकती हूं। हां दिल जला था, पर इसी को नियति कहते है। हम दोनो का रिश्ता एक दूसरे को झांसे में लेने से शुरू हुआ था, फिर आर्य मुझे धोका देता या मैं आर्य को, लेकिन देते तो जरूर... किसने सोचा था बीच में मैं ही दिल हार बैठूंगी... पर तुम्हारे लिये बेहद खुश हूं। तुम ये बिलकुल डिजर्व करती हो। तुम धोखे की बिसाद पर नही जुड़ी। परछाई की तरह आर्य का साथ दी। तुम्हारे बिना वो नागपुर से नही निकलता। तुन्हते बिना वो इतना नही निखरता। तुम्हारे बिना वो कुछ नही होता। सबसे पहला हक तुम्हारा है...

रूही:– बहुत प्यारा बोली लेकिन फिर भी मेरे मर्द के गले मत लगना... पूरा मैटेरियल टच होता है और फिर कहीं उसके अरमान जाग गये तो...

पलक:– छी.. गंदी...

आर्यमणि:– अब सब जरा खामोश हो जाओ.. पलक के इन चार चमचों का मुंह बांधकर एक दीवार के बीच से बांधो। और पलक के बाकी साथी को उसके दाएं और बाएं से अरेंज करो। सॉरी पलक...

इतना कहकर आर्यमणि ने छोटा सा कमांड दिया और पलक वापस से सिकुड़ गयी। उसके चेहरे से केवल प्लास्टिक को हटाया गया।... “अरे यार ये अजूबा प्लास्टिक किसकी खोज है। परेशान कर रखा है। हड्डियां तक कड़कड़ा जाती है।”...

ओजल:– है ना मस्त ट्रैप...

पलक:– पागल, इसे सबसे शानदार ट्रैप कहते है। आर्य वैसे करने क्या वाले हो...

आर्यमणि:– आश्रम का भय कायम करने की तैयारी है। पहले तो इस भय के खेल में कोई नाम नहीं था, बस कोई औहदा ही होता, लेकिन अब हमारे पास एक नाम है। थोड़ी देर में सब साफ हो जायेगा। निशांत और महा तुम दोनो दूसरी मंजिल पर चले जाओ। वहां से तुम दोनो ये पूरा शो लाइव देख लेना। ओजल और शिवम् सर, दोनो तैयार...

ओजल:– कबसे तैयार हूं...

संन्यासी शिवम्:– बिलकुल गुरुदेव आप शुरू कीजिए...

आर्यमणि ने फिर एक बार अक्षरा को कॉल लगा दिया। अक्षरा फिर एक बार तमतमायी बात करने लगी... “तुम्हारे फोन पर एक लिंक है, बेटी को जिंदा देखना चाहती है तो अपने पति को बता दे। मैं ऑनलाइन इंतजार कर रहा हूं।” इतना कहकर आर्यमणि ने फोन काट दिया।... “अल्फा पैक तैयार हो ना”... सभी एक साथ हां कहने लगे...

आर्यमणि लैपटॉप ऑन करके बैठा था। सामने स्क्रीन पर धीरे–धीरे नायजो के अधिकारी दिखने लगे... डायनिंग टेबल के पर लगे बड़े से परदे पर सबकी एचडी फूटेज आ रही थी। आर्य ने सबको म्यूट कर रखा था, लेकिन आज सब अपने स्क्रीन पर दूसरों को देख सकते थे।

आर्यमणि, कनेक्ट हुये सभी नायजो को संबोधित करते..... “देखो सब शांत रहो... यहां की दीवारों पर देख रहे हो। ये नायजो दीवार की सोभा बढ़ा रहे... अब एक लायक नायजो हाथ उठाओ, जिस से मैं बात कर सकूं”...

स्क्रीन पर बहुत सारे हाथ उठ गये। आर्यमणि का एक इशारा हुआ और चार में से एक चमचा ट्रिस्किस को ओजल ने बीचोबीच चीड़ दिया। पलक की तेज चींख निकल गयी... आर्यमणि, पलक को खींचकर एक थप्पड़ मारते... “अनुशासन सिखाओ सबको। एक लायक को बोला हाथ उठाने, सभी नालायक एक साथ आ गये।”.....

फिर आर्यमणि अपना स्क्रीन पर देखते.... “लगता है परिस्थिति का अंदाजा नहीं तुम्हे... तो ये देखो। और रूही तुमने जितने को कल उस नित्या और तेजस की तरह कांटों की अर्थी पर जहर दिया था, उनका मुंह खोल दो।”..

इतनी बात कहकर आर्यमणि ने स्क्रीन पर डंपिंग ग्राउंड का नजारा दिखाया। एचडी वाइस क्वालिटी एक्सपीरियंस के लिये डंपिंग ग्राउंड के चप्पे–चप्पे पर बिछे माइक को ऑन कर दिया गया था। कैस्टर ऑयल प्लांट फ्लावर के जहर का असर पागल बनाने वाला था। भयावाह... पूर्णतः भयावाह... चारो ओर से आ रही दर्द की भयावह आवाज सुन कर रूह कांप जाये। इस नजारे के साथ बोनस नजारा था, डंपिंग ग्राउंड पर कटे फटे कई नायजो के बीच सैकड़ों पैक किये जिंदा नायजो... वहां का नजारा दिखाने के बाद....

“हां तो नलायकों वो नरभक्षी भारती मुझे आगे की बहुत जानकारी दे चुकी है, जो कल तेजस और नित्या न दे पाये थे। क्या करे मेरे दिये जहर का दर्द ही ऐसा है... मौत आती नही और मौत की ये खौफनाक दर्द जाती नही। दोबारा से, कोई एक लायक नायजो, जिस से मैं बात कर सकूं”... इस बार पृथ्वी नायजो का मुखिया जयदेव अपना हाथ उठाया, आर्यमणि जैसे ही उसका माइक ऑन किया.... “मैं बात करूंगा”... आर्यमणि वापस से उसका माइक बंद करते... “नालायक तू किसी काम का नही है। ओजल”...

आर्यमणि ने जैसे ही ओजल कहा, इस बार एक और चमची सुरैया की लाश 2 टुकड़ों में विभाजित थी। पलक की एक और दर्दनाक चींख, और एक और तमाचा... पलक चिल्लाती हुई कहने लगी.... “किसी पागल को बुलाओ इस पागल से बात करने। तुमलोग समझ क्यों नही रहे। ये 600 नायजो को काट चुका है, जिनमे फर्स्ट लाइन सुपीरियर शिकारी और प्रथम श्रेणी के नायजो थे। 200 को मौत से बदतर दर्द दे रहा... हम 400 को तो बचा लो। या सबको मरते देखोगे”...

पलक की आवाज सुनकर विश्वा देसाई और उज्जवल हड़बड़ा कर आगे आया, आर्यमणि उनका माइक ऑन करते.... “हां बुढ़ाऊ बोल, तू लायक है।”

विश्वा:– भारती को ठीक कर दो, मैं एक पूरे प्लेनेट के राजा से तुम्हारी बात करवा दूंगा।

उज्जवल:– हां विश्वा सही कह रहा है।

आर्यमणि:– हां बुढ़ऊ, अब तो राजा क्या महाराजा से भी बात करवा सकते हो। दोनो की नाजायज औलादे (भारती और पलक) की जान फंसी जो है। वैसे आज कल मेरा मौसा कुछ नही बोलता। मेरी मौसी गुमसुम रहती है...

सुकेश और मीनाक्षी दोनो कुछ–कुछ बड़बड़ाने लगे। चेहरे को भावना से तो लग रहा था गाड़िया रहे हैं। आर्यमणि ने उनका माइक जैसे ही ऑन करके कहा.... “हां मौसा, मौसी”... तभी उधर से गलियों के साथ दोनो कहने लगे.... “तुझे जान से मार देंगे”...... “ओजल”... एक बार फिर ओजल को पुकारा गया और ओजल ने चमचे पारस की लाश गिरा दी। पलक एक बार फिर पागलों की तरह चीख दी। आर्यमणि इस बार स्क्रीन देखते.... “यार बकवास तुम कर रहे, दोस्त पलक के मर रहे। बेचारी मासूम लड़की कितने थप्पड़ खायेगी। अनुसासन ही नही किसी में...लो भारती सुरक्षित आ गयी। अब कनेक्ट करो एक पूरा ग्रह के राजा से.... मैं भी देखूं राजा कैसा दिखता है?”

आर्यमणि जबतक बात में लगा था, रूही, इवान और अलबेली ने मिलकर भारती को हील करके हॉल में ले आयी। भारती के आंख पर चस्मा था और उसके हाथ और पाऊं कुर्सी से बांधकर बिठा दिया गया।

विश्वा:– क्या मैं अपनी बेटी से बात कर लूं..

आर्यमणि:– तुम तो इमोशनल हो गये बुढऊ... करो...

विश्वा:– भारती... भारती...

भारती:– बाबा मुझे मरना है... जिंदा नही रहना...

विश्वा:– क्या जहर अब भी शरीर के अंदर है...

भारती:– नही बाबा, उसका भयानक खौफ है। जिंदा रहना अच्छी बात नहीं होती बाबा। तुम भी मर जाओ, वरना ये आर्यमणि तुमको भी जिंदगी देगा। जिंदगी अच्छी चीज नही होती और जिंदा रहना बिलकुल गलत होता है।

राजा करेनाराय, लाइन पर आ चुका था.... “ये कैसी बातें कर रही है भारती।”... कह तो उधर से वो कुछ रहा था, लेकिन माइक ऑफ थी... इधर उसके लाइन पर आते ही इवान घुस चुका था कंप्यूटर में। करेनाराय को कुछ समझ में नही आया। वो अपनी ओर से बोले जा रहा था, लेकिन कोई जवाब नही मिल रहा था।... “अब ये चुतिया कौन है?” आर्यमणि जान बूझकर अपमान करते हुये पूछा जिसे सबने सुना...

विश्वा:– आर्यमणि ये कैसी बात कर रहे हो। यही तो है, पूरे ग्रह के राजा।

आर्यमणि उसका माइक जैसे ही ऑन किया... “तू है कौन बे”...

आर्यमणि:– मैं वो हूं जिसके वजह से तेरे एक घटिया साथी भारती को जिंदगी अब गलत लगने लगी है और मौत सही। ज्यादा बे, बा, बू, किया तो तेरा हाल भी भारती की तरह कर दूंगा। अब पहले ध्यान से देख उसके बाद बात करते है।

इतना कहकर आर्यमणि हॉल की दीवार से लेकर डंपिंग ग्राउंड का एक टूर करवा दिया। फिर उसके बाद... “हां बे चुतिये देखा मैं कौन हूं।”..

करेनाराय:– तू तू तू...

आर्यमणि:– ओजल...

ओजल ने इस बार रॉयल ब्लड भारती का सर डायनिंग टेबल पर बिछा दिया। एक बार फिर पलक की दर्द भरी चींख निकल गयी। विश्वा अपना सर पीटते हुये स्क्रीन बंद करने ही वाला था... “विश्वा दादा, तुम्हारे और भी बच्चे है और अपने चुतिया राजा से कहो स्वांस की फुफकार से तू, तू, तू करके तू तू तारा गीत न गाये। मुझे बस बात करनी है। लेकिन अनुशासन बिगड़ा तो लाश गिरेगी... हो सकता है अगली लाश तुम लोगों के उभरते नेता पलक की हो। आगे बढ़ते हैं... तो क्या मैं बात कर सकता हूं...

करेनाराय, गुस्से का घूंट पीते.... “बोलो...”

आर्यमणि:– ये बताओ की तुम लोग पृथ्वी से अपना कारोबार बंद करके कब जा रहे?

करेनाराय:– मैं नही जानता...

आर्यमणि:– ये भी चुतिया निकला.. इसे भी नही पता...

करेनाराय:– बदतमीज लड़के तुझे चाहिए क्या?

आर्यमणि:– तू भी नालायक निकला किसी और से बात करवा...

करेनाराय:– रुक तेरे काल के दर्शन करवाता हूं। ब्रह्मांड के तुझ जैसे मामले वही देखती है।

आर्यमणि:– ओह... जल्दी बात करा उस से... तब तक लोगों के मनोरंजन के लिये ओजल ...

आर्यमणि ने ओजल पुकारा और अगले ही पल एकलाफ का धर दो भागों में विभाजित था। और इस घटना को देखकर स्क्रीन पर नई जुड़ी, करेनाराय की आठवी बीवी और उसकी पहली बीवी की बड़ी बेटी से कम उम्र की बाला अजुर्मी जुड़ चुकी थी। आंखों के आगे ऐसा नजारा देखकर वह भन्ना गयी। माहोल को तो पहले ही भांप चुकी थी।

करेनाराय:– वो कुछ बोल रही है माइक ऑन करो उसका...

जैसे ही माइक ऑन हुआ, कान फाड़ बला, बला, बला होने लगा। आर्यमणि एक बार फिर पुकारा, पर इस बार केवल ओजल ही नही बल्कि संन्यासी शिवम् भी मुख से निकला। पलक अपना सर उठा कर देखने लगी, क्योंकि वह वाकई डरी थी। उसे लग रहा था, सबको डराने के चक्कर में कहीं उसके 2–4 साथी शाहिद न हो जाये।

किंतु इस बार ऐसा कुछ न हुआ, बल्कि चमत्कार सा हुआ। चमत्कार वो भी एक बार नही बल्कि 2 बार हुआ। जैसे ही आर्यमणि ने संन्यासी शिवम् और ओजल कहा, तीनो इकट्ठा हुये और अगले ही पल तीनो अजूर्मी के स्क्रीन से दिख रहे थे। एक झलक उसके स्क्रीन से दिखे और अगले ही पल वापस अपनी जगह पर। बस बदलाव में उनके साथ अजुर्मी भी जर्मनी पहुंच चुकी थी।

संन्यासी शिवम् को कुछ ही वक्त हुये थे टेलीपोर्टेशन सीखे। दूसरे ग्रह पर तो क्या अभी पृथ्वी के एक छोड़ से दूसरे छोड़ तक जाना संभव नही था। लेकिन कल्पवृक्ष दंश एक एम्प्लीफायर था जो मंत्र की शक्ति बढ़ा देता। वहीं जादूगर महान की आत्मा जिस स्टोन की माला में कैद थी, एनर्जी फायर, वह तो कल्पवृक्ष दंश से भी बड़ा एम्प्लीफायर था। 2 एम्प्लीफायर पर मंत्र की शक्ति ने वह कमाल किया की तीनो मिलकर गुरु निशि के कत्ल के सबसे बड़े साजिसकर्ता को पृथ्वी ला चुके थे।

अजुर्मी ने आते ही अपने दोनो हाथ और आंख से 2 मिनिट का शो किया। लेकिन वायु विघ्न मंत्र के आगे सब बेकार था। वैसे अब तक टकराए नायजो में अजुर्मी थी सबसे खतरनाक। जितना भू–भाग ये खुली आंखों देख सकती थी, वह पूरा भू–भाग ही लेजर की खतरनाक लाल रौशनी की चपेट में होता। इतना ही नहीं बल्कि पूरे भू–भाग को लेजर मे डुबाने के बाद मात्र अजुर्मी के हाथों के इशारे होते और वह लेजर सैकडों किलोमीटर के क्षेत्र को अपनी चपेट में ले चुका होता।

इसे यदि थोड़ा आसान करके समझे और लेजर को पानी मान ले तो... अजुर्मी की नजरें उठी और जितनी दूर देख सकती थी, फिर देखने में पूरा ही हिस्सा आता था, लंबाई चौड़ाई और ऊंचाई... जिसे की सामान्य आंखों से देख सकते थे। तो अजुर्मी की नजरें उठी और जितना हिस्सा उसके आंखों ने कैप्चर किया, उस पूरे हिस्से में पानी ही पानी। फिर अपने हाथ के इशारे से जैसे ही उसे धकेला, वह पानी बिलकुल अपनी ऊंचाई बनाते हुये पल भर में सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय कर लेता था।

ऐसी खतरनाक शक्ति से होने वाली तबाही का अंदाजा ही लगाया जा सकता था। मानो अजुर्मी अपने नजरों में एटम बॉम्ब समेटे घूम रही थी। अब ऐसी शक्ति जिसके पास हो वो यदि गुमान करे तो कोई अचरज वाली बात नही। अजुर्मी की वास्तविक उम्र 78 साल थी और अब तक कुल 1 करोड़ लोगों को मार चुकी थी, जिनमे 90% तो इंसान थे।

पृथ्वी पर उसके मुख्य कारनामों में, नायजो को एक पूरे टापू पर बसाने के लिये वहां के समस्त जीवों को वह पलक झपकने से पहले मार चुकी थी। भारत से लेकर समस्त एशिया और अफ्रीका तक में वह कुल 8500 गांव को सिर्फ इसलिए वीरान कर चुकी थी, क्योंकि उस जमीन पर नायजो को बसाना था तथा कारोबार खड़ा करने के लिये जमीन खाली करवाना था। अजूर्मी खुद में एक तबाही थी, जिसके आगे सभी नायजो सर झुका लेते थे। 5 ग्रहों में अजुर्मी के ऊपर बस कुछ चंद नायजो ही बचते थे, जिनसे अजुर्मी हुक्म लिया करती थी।

पहले तो अल्फा पैक के पास कोई नाम नहीं था। आज की प्रस्तावित मीटिंग में किसी बड़े औहदे वाले विकृत नायजो को टेलीपॉर्ट करके लाना था। किंतु गुरु निशि के मुख्य साजिशकर्ता का नाम जबसे बाहर आया था, पूरा अल्फा पैक बिना उस साजिशकर्ता का इतिहास जाने, उसे ही मिट्टी में मिलाने का फैसला कर चुकी थी। शायद अजुर्मी अपने खौफनाक शक्ति से सबको मिट्टी में भी मिला सकती थी, किंतु अस्त्र और शस्त्र के खेल में उलझकर उसकी सारी शक्तियां फिसड्डी साबित हो गयी।

अस्त्र जिन्हे फेंककर हमला किया जाता है। जैसे बंदूक से निकली गोली, कोई तीर, या हाथों से फेंका गया भला। जितने भी अस्त्र होते है, वह चलाने वाले के शरीर के किसी भी हिस्से से जुड़े नही होते और लगभग सभी अस्त्रों का हमला हवाई मार्ग से होता है। ऐसे हमलों को वायु विघ्न मंत्र पल भर में काट देता। जबकि शस्त्र को पकड़कर उस से हमला किया जाता है। जैसे की लाठी, तलवार, भला या अन्य हथियार जिन्हे हाथ में लेकर हमला किया जाता है। अजुर्मी के आंखों का लेजर वाकई बहुत ज्यादा खरनाक था। लेकिन संन्यासियों और अल्फा पैक के बीच उसकी ये शक्ति दम तोड़ चुकी थी।

आर्यमणि लाइव स्क्रीन पर अजुर्मी को एक थप्पड़ मारते... “ओ बेवकूफ प्राणी, ये सब तिलिस्मी शक्ति यहां काम ना आया, तभी तो तुम्हारे जैसे कीड़े कुछ दीवारों से टंगे है, तो बहुत सारे पीछे कचरे की तरह फेंके गये है। इसे भी पैक करो जरा मैं बात कर लूं।”...

पैक का ऑर्डर होते ही अजुर्मी पहले प्लास्टिक से, फिर उसके ऊपर मजबूत जड़ों में पैक हो गयी और उसे भी डंपिंग ग्राउंड में फेंक दिया गया। आर्यमणि वापस से स्क्रीन पर आते.... “क्यों बे चूतियो तुम वहां से कुछ भी धमकी दोगे और हम सुन लेंगे। कुछ देखा, कुछ सुना, कुछ समझा”....

तभी बीच में करेनाराय टोकते... “मेरी बीवी... वो, वो कैसे ले गये उसे यहां से पृथ्वी पर”...

आर्यमणि:– कब, कहां, क्यों, और कैसे का जवाब तु अपने लोगों से बाद में ले लेना फिलहाल....

करेनाराय:– मेरी बीवी को ऐसे जानवरों की तरह पैक करके कहां ले जा रहे?

आर्यमणि:– साला अनुशासन ही नही है। शिवम सर, ओजल... (मन में विश्वा कह दिया)..

दोनो अंतर्ध्यान होकर विश्वा के पास पहुंचे और ओजल उसे, उसी के घर पर चीरकर संन्यासी शिवम् के साथ लौट आयी।..... “अब देखो अनुसासन का परिचय न दोगे, और ऐसे बीच में बात काटते रहोगे तो क्या मैं केवल यहां प्यादों को मारने का शो दिखाता रहूं। अब सब शांत होकर पहले देखो, सुनना बाद में”...

करेनाराय:– कुछ भी करने से पहले मेरा प्रस्ताव सुन लो...

आर्यमणि:– हां बोल...

करेनाराय:– हम पृथ्वी छोड़ देंगे... तुम अजुर्मी के साथ बाकियों को भी छोड़ दो...

आर्यमणि, सबको म्यूट करते..... “तू शो इंजॉय कर चुतिये। यहां जिसे मैंने बात करने बुलाया था, पलक और पलक अपने जिन 56 साथियों (30 पलक के लोग+ 22 पलक के ट्रेनी + 4 चमचे) के साथ आयी थी, उनमें से 52 ही जिंदा जायेंगे। हालांकि इसके 4 दोस्त जो स्क्रीन पर कट गये, उसकी वजह तुम लोगों की अनुशासनहीनता थी, वरना वो भी जीवित रहते.. तो पहले शो इंजॉय करो उसके बाद पृथ्वी छोड़ने पर बात होगी...

स्क्रीन सीधा डम्पिग ग्राउंड गया। माहोल तैयार था और आर्यमणि के एक कमांड से 40 फिट का एरिया 40 फिट नीचे घुस गया (छोटे–छोटे बॉम्ब का कमाल था, जिसे अपस्यु ने वुल्फ हाउस के बाहर लगवाया था)। उतना नीचे गिरते ही कई जीवित नायजो का प्लास्टिक फट गया। वो नीचे से ही चीखने और चिल्लाने लगे। नजरों से लेजर और अपने हाथों से हवा, आंधी, तूफान इत्यादि उठाने लगे। कई नायजो तो गड्ढे के ऊपर चढ़ने की कोशिश कर रहे थे परंतु कुछ फिट ऊपर चढ़ने के बाद नीचे गिर जाते। खुद को गड्ढे से बाहर निकालने के जितने जतन कर सकते थे, कर रहे थे।
Yeeehhhhh
😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍
Spectacular update Biradar
Ab intzar h bhatti jalne ka
👌👌👌
👍
 

nain11ster

Prime
23,618
80,604
259
भाग:–135


स्क्रीन सीधा डम्पिग ग्राउंड गया। माहोल तैयार था और आर्यमणि के एक कमांड से 40 फिट का एरिया 40 फिट नीचे घुस गया (छोटे–छोटे बॉम्ब का कमाल था, जिसे अपस्यु ने वुल्फ हाउस के बाहर लगवाया था)। उतना नीचे गिरते ही कई जीवित नायजो का प्लास्टिक फट गया। वो नीचे से ही चीखने और चिल्लाने लगे। नजरों से लेजर और अपने हाथों से हवा, आंधी, तूफान इत्यादि उठाने लगे। कई नायजो तो गड्ढे के ऊपर चढ़ने की कोशिश कर रहे थे परंतु कुछ फिट ऊपर चढ़ने के बाद नीचे गिर जाते। खुद को गड्ढे से बाहर निकालने के जितने जतन कर सकते थे, कर रहे थे।

बड़े बड़े फोकस लाइट उस गड्ढे को पूरा रौशन कर रहे थे, जहां नायजो की फंसी अपार भीड़ को देखा जा सकता था। अचानक ही चारो ओर से जड़ें फैलनी शुरू हो गयी। मोटे–मोटे कांटों वाली जड़ें हर नायजो के शरीर मे घुस रहा था। एक के ऊपर एक चारो ओर से गोल–गोल घुमाकर नायजो के ऊपर नायजो को कांटों की अर्थी पर लीटा दीया गया।

सभी जिंदा नायजो 40 फिट के गड्ढे में कांटों की अर्थी पर लेटे थे। रूही ने उनके दर्द पर तड़का लगाते हुये सबको एक जैसा ट्रीटमेंट दिया। और कैस्टर ऑयल के जहर का स्वाद सबने एक साथ चखा। सभी पीड़ित नायजो एक जैसा दर्द महसूस कर रहे थे। छोटे–छोटे मक्खी कैमरा उड़ते हुये नीचे फसे नाजयो के चेहरे पर फोकस कर रहे थे। स्क्रीन देख रहे लोग स्क्रीन क्या देखेंगे, चारो ओर से आती चींख पर अपना कलेजा पकड़कर बैठ गये। लागातार आधे घंटे तक सबको चींख सुनाने के बाद खेल शुरू हुआ सबको जिंदा जलाने का।

इसके लिये आर्यमणि खुद भी डंपिंग ग्राउंड तक गया। अल्फा पैक के हर वुल्फ ने जमीन पर पड़े एक जड़ को छू रखा था। साफ देखा जा सकता था की अल्फा पैक के सभी वुल्फ की नब्ज से काला द्रव्य बहते हुये जड़ों में उतर रहा था। और वहां से नीचे पूरे कांटों की अर्थी में फैलता जा रहा था। स्क्रीन पर तो मात्र बड़ा सा विशालकाय गड्ढा दिख रहा था, जहां से पागल कर देने वाली चिंखे निकल रही थी। कैमरा इतने क्लोज एंगल में था कि सैकड़ों नयजो का बड़ा खुला मुंह कैप्चर हो रहा था। खासकर अजुर्मी के ऊपर तो 4 कैमरा अलग–अलग एंगल से फोकस था।

तभी लोगों ने देखा बड़े से कुवानुमा गड्ढे में एक पतली लाइन जलते जा रही थी। सबको समझते देर न लगी की यह आग थी। वह आग जैसे ही नीचे पहुंची, धू–धू–धू करती लपटें कुएं के बाहर तक 40–45 फिट ऊंची उठ रही थी। वुल्फ पैक के टॉक्सिक इतने ज्यादा प्रजवलनशील थे कि उसके सामने एलपीजी भी फेल हो जाये। और नीचे लिपटी जड़ें, जलने के बाद पहले कोयला बनती फिर कोयला जलकर राख बनता। इतने में तो सब स्वाहा हो जाना था।

10 मिनट तक उन्हे लगातार जलाते दिखाने के बाद आर्यमणि पुनः स्क्रीन पकड़ते.... “तो जैसा की आप सबने देखा और मेहसूस किया की, गुरु निशि और उसके शिष्यों को जलकर कैसा लगा होगा। कैसा लगा होगा उनके अभिभावक को, जिनके पास उनके बच्चों के मरने की सूचना तो थी, पर उस जगह साबूत कुछ न बचा था। तुम सब कान खोलकर सुन लो... पृथ्वी खाली करने के लिये मैं तुम सबको 3 साल का वक्त देता हूं। यहां जितने काम अधूरे है, उन्हे समेटो और चलते बनो। हां लेकिन कई अपराधिक मामलों में जितने विकृत नायजो नेता दोषी है, उनके पास भी केवल 3 साल का वक्त है। खुद को दर्द भरी मौत से बचाना है तो आसान मौत का तरीका खुद ढूंढ लेना। वरना भागकर ब्रह्मांड के किसी भी कोने में छिप जाओ, वहां जाकर केवल तुम्हे ही नही मारूंगा, बल्कि विश्वास मानो उस जगह से समस्त नायजो को ही साफ कर दूंगा।”

“जो 3 साल का वक्त मैने तुम्हे दिया है, उन 3 साल में यदि एक भी इंसान को तुम्हारे वजह से खरोच भी आयी तो फिर मैं काल बनकर आऊंगा। फिर तुम्हे मौत नही दूंगा बल्कि दर्द भरी जिंदगी दूंगा। मेरे कांटे तुम्हे बदन के हर हिस्से में घुसे होंगे। तुम अपनी हीलिग की वजह से मारोगे नही और जड़ों के पोषण से तुम भूखे रहोगे नही। बस कांटों के दर्द का मजा अपने अनंत काल के जीवन तक लेते रहोगे। और इस पूरे संधि का गवाह बना तू करेनाराय, खास ख्याल रखना की संधि टूटे न वरना मेरा पहला शिकार तू होगा।”

करेनाराय, इशारों में माइक ऑन करने कहा। आर्यमणि ने जैसे ही माइक ऑन किया..... “तू कितने मार सकता है। हमारी संख्या भी जनता है? तुझे पहले ही कहा था, मेरो बीवी को छोड़ दे, लेकिन तु नही माना। अब तेरी इस बदसुलूकी का अंजाम पृथ्वी के समस्त इंसान भुगतेंगे। उन्हे जब पता चलेगा की हम कौन है और क्या कर सकते है, तब वो थर–थर मूतेंगे। हमारे कदमों में बिछ जायेंगे।”..

आर्यमणि:– हमारे माथे पर क्या कुछ लिखा है। मैं तेरी बीवी को छोड़ देता और कुछ दिन शांत होकर मेरे खिलाफ ही साजिश रचती। और ये जो तू धमकी दे रहा है ना इंसान भुगतेंगे... नाना ऐसे मामलों में जवाब तो अपनी अलबेली ही देगी... अलबेली इस चुतिये राजा को जरा ठीक से समझाओ...

अलबेली:– “सुन बे फटे दूध की खट्टी औलाद, चुतिये पृथ्वी के इंसान तो तेरे जुल्म पहले से भुगत रहे। तू इस बात का डर क्यों दिखा रहा की भुगतेंगे। हां पर तू शायद इंसान को ठीक से समझता न है। तो पहले तुझे मैं इंसान से परिचय करवा दूं। इंसान की उत्पत्ति के पहले, उनकी उत्पत्ति के वक्त और उनकी उत्तपत्ति के बाद भी पृथ्वी जो था, कई विशाल और खूंखार जानवर का घर हुआ करता था। ये बड़े–बड़े डायनाशोर जो अकेले ही लाखो इंसानों को मार सकते थे। उस दौर में शायद मारे भी होंगे लेकिन आज विलुप्त है।”

“जंगल का राजा शेर, इंसानों के मुकाबले कहीं ज्यादा ताकतवर होता है। आज वो विलुप्त के कगार पर है और इंसान उनका संरक्षण कर रहे। साले फटे ढोल के बेसुरा नतीजा ठीक से जानता भी है क्या इंसान को? इंसान वो है जो अपने उत्पात मचाने की ताकत से ईश्वर तक को पृथ्वी पर आने के लिये विवश कर चुके। उतना ही नही उन उत्तपाती इंसानों को ईश्वर अपने ईश्वरीय रूप में नही मार सकते थे, इसलिए इंसान को मारने के लिये ईश्वर तक को इंसान बनकर जन्म लेना पड़ा। तू ऐसे इंसान को घुटनों पर लायेगा जिनकी दुनिया में हम जैसे वेयरवोल्फ, इक्छाधरी नाग, अनेकों तरह के सुपरनैचुरल अपना अस्तित्व छिपाकर जीते है। कसम से एक बार अपने अस्तित्व का प्रमाण तू इंसानों के बीच दे दे, फिर तो हम छुट्टियां मनाने जायेंगे और तुझे जो अपने समुदाय के संख्या पर गुमान है, उसे फिर वही इंसान संरक्षित करके कहेंगे... “विलुप्त नायजो को मारना कानूनन अपराध होगा।” कुछ समझ में आया की नही मंद बुद्धि। इंसान जो है वो तेरे बाप है और पृथ्वी पर बाप बेटे के सामने झुकते नहीं।”

आर्यमणि:– कुछ समझ में आया बेसुरा नतीजा। इसलिए जहां है वहां शांति से राज कर और यहां पृथ्वी से अपने जैसों को समेटकर चलता बन। नही, यदि चुलक ज्यादा मची हो तो आज के बाद तुम में से कोई भी किसी इंसान को खरोच देकर बताना... पहले तो मैं ही इंसानो के सामने तुम्हारे अस्तित्व को उजागर कर दूंगा। साथ ही साथ करेनाराय तुझे मैं कांटों की ऐसी चिता पर लिटाऊंगा जिसके दर्द से तुझे भी जिंदा रहना गलती लगने लगेगा।

आर्यमणि अपनी बात कहकर लाइन डिस्कनेक्ट कर दिया। सभी सिस्टम समेट लिये। पलक तेजी से खुद को आजाद करती गुस्से में आर्यमणि पर चिल्लाने लगी...

आर्यमणि, पलक का गुस्सा समझते... “धीरे से थप्पड़ मारने पर वो रिएक्शन नहीं आता, जो तुम दे रही थी। क्या समझी?”

पलक, खुद को पूरा शांत करती.... “मैं थप्पड़ के लिये नही चिल्लाई। खैर, मैं समझ रही हूं, क्यों तुमने कहा था कि “पहले हमारे पास कोई नाम नहीं, लेकिन अब है।”... यदि मैं अजुर्मी का नाम नही बताती तो शायद यहां करेनाराय को टेलीपोर्ट करके लाते...

आर्यमणि:– हां बिलकुल सही समझी...

पलक:– सही वक्त पर मेरे मुंह से एक नाम निकल गया वर्ना दुश्मन को ठीक से न पहचान पाने के भूल की सजा भुगत रहे होते..

रूही:– क्या मतलब सजा भुगत रहे होते?

पलक:– आर्य ने तो टेलीपोर्ट करके अजुर्मी जैसे पापी को कोई मौका नहीं दिया, सीधा यहां ले आया। नतीजा पक्ष में रहा। पर करेनाराय बिलकुल उसका उलट शिकार होता। उसके पास अचानक पहुंचकर अजुर्मी की तरह टेलीपोर्ट नही कर सकते थे।

रूही:– ऐसा क्यों..

पलक:– “गुरियन नामक एक पूरा प्लेनेट है। शायद पृथ्वी से भी बहुत बड़ा प्लेनेट होगा। उस प्लेनेट पर 300 करोड़ नायजो आबादी बसती है। उस पूरी आबादी को अकेला करेनाराय नियंत्रित करता है। पृथ्वी का पहला एक्सपेरिमेंटेड बॉडी और लगभग 450 वर्ष की आयु। नायजो की कुछ खास बातें तुम सबको समझनी जरूरी है। नायजो की शक्तियां कहीं न कहीं प्रकृति से जुड़ी है और प्रकृति से जुड़े रहस्य को खोज निकालने में वो माहिर होते है। सोलस, नायजो इतिहास और रहस्य की पुस्तक ले आओ”...

“तुम सब इस पुस्तक को जरूर पढ़ना। बाकी संक्षिप्त जानकारी मैं करेनाराय के बारे में दे देती हुं। वह अनोखे पत्थरों का जानकर है और उनके इस्तमाल करने में महारत हासिल किया है। कोई भी यदि करेनाराय को बिना उसकी मर्जी के छूने जायेगा तो वह एक अभेद जाल में फंसकर रह जायेगा। उसके सीने पर लटक रहा सौभाग्य पत्थर वह पत्थर है, जिसका सौदा तो हुर्रीयेंट और विषपर प्लेनेट पर बसने वाले नायजो के मुखिया भी करना चाहते है।”

“इन दो ग्रहों के नायजो आज भी अपने पुराने धरोहर को गुप्त रूप से आगे बढ़ाते है जिनमे... जड़ी–बूटी विज्ञान, दुर्लभ पत्थर विज्ञान, कंबाइंड नेचुरल एंड आर्टिफिशियल साइंस और हाई–टेक मॉडर्न साइंस आते है। यूं समझ लो की विषपर और हुर्रीयेंट के नायजो ऊंचे दर्जे के नायजो है, जो अपने बारे में किसी से बात नही करते। अपने किसी भी टेक्नोलॉजी का राज नही खोलते। हमे बस उनका बनाया समान मिलता है जिन्हे हम इस्तमाल कर सकते है, लेकिन वह बनता कैसे है इस बात को जान नही सकते।”

“करेनाराय ने वह सौभाग्य पत्थर कहां से पाया किसी को नही पता। लेकिन उस पत्थर के गुण अजूबे है। ये पत्थर न तो किसी प्रकार का विध्वंश फैलता है ना ही इसके कोई वास्तविक प्रत्यक्ष गुण है। केवल अप्रत्यक्ष गुण है और उस गुण के चलते यह पत्थर ऊंचे कुल वाले विषपर और हुर्रीयेंट प्लेनेट के नायजो को भी चाहिए। सौभाग्य पत्थर सौभाग्य लाता है। अप्रत्यक्ष रूप से तो इसके बहुत फायदे हैं लेकिन यदि बात करे किसी हमले की तो”...

“किसी भी प्रकार का हमला क्यों न हो। घटना छोटी, मध्यम या कितनी ही बड़ी क्यों न हो... सौभाग्य पत्थर अपने धारक को हर घटना से दूर रखता है। अब करेनाराय को सुई चुभोने जाओ या उसे एटम बॉम्ब से मारो, सौभाग्य पत्थर दोनो ही घटना को निष्क्रिय कर देगा। निर्जीव चीज निष्क्रिय हो तो किसी को पता नही चलता। किंतु सोचकर देखो यदि तुम करेनाराय के ऊपर हाथ रखे और हाथ रखते ही निष्क्रिय अवस्था में आ जाओ तब”..

आर्यमणि:– हम्मम... मतलब वो करेनाराय डरा नही बल्कि उल्टा वो हमले की तैयारी कर रहा होगा। मैने बहुत बड़ी बेवकूफी कर दी...

पलक:– अंदर से खून उबाल मार रहा है। क्या कहूं तुम्हारे इस बेवकूफी पर। फिर से एकतरफा योजना जहां दुश्मन को पूर्ण रूप से जाने बगैर फैसला किये। इस बार इंसानों की जान वाकई खतरे में है। अब तो आमने–सामने की लड़ाई होगी, जिसमे पता न कितना जान जायेगा।

ओजल:– थोड़े बेवकूफ है तो अब पूरा बेवकूफ बना जाये... चलो करेनाराय को वाकई में डराया जाये। जो पत्थर करेनाराय से ऊंचे खून वाले, न जाने किस–किस ग्रह के नायजो न ले पाये उसे हम लेकर आते हैं।

सभी एक साथ.... “मतलब”..

ओजल:– मतलब साफ है कि आज यहां से करेनाराय को बिना डराये गये, तब वह इंसानों के लिये और खासकर अपने परिवार के लिये बड़ा खतरा बन जायेगा। तो चलो उसके सौभाग्य पत्थर को छीनकर न सिर्फ करेनाराय को डराए, बल्कि समस्त नायजो के उन सभी वीर को डरा दे, जो अलौकिक वस्तु अपने पास रखकर खुद को वीर समझते हैं। करेनाराय आज एक उधारहण बनकर उभरेगा जिसकी हालत देख दूसरे नायजो कितना भी बलवान क्यों न हो, खौफ में आ जायेगा...

आर्यमणि:– हां लेकिन ये होगा कैसे... अभी–अभी तो उसकी बीवी को उसके प्लेनेट से टेलीपोर्ट किया था। अभी तो वो पूरे सुरक्षा का इंतजाम कर चुका होगा। ऊपर से करेनाराय के पास वो पत्थर भी है... वहां जाने का मतलब खुद की जान ऐसे फेंक कर आ जाना..

रूही:– ये लड़की ना हाथ से निकल गयी है। पता न इसके दिमाग में क्या चलते रहता है। ठीक है जा, लेकिन जिंदा आना...

आर्यमणि:– रूही.... ये क्या कह रही हो.... हम कोई और रास्ता देखते है। इतना खतरा उठाकर नही जाना...

ओजल:– ओ जीजू भरोसा रखो.... उसे डराना जरूरी है। शिवम् सर और निशांत मेरे साथ चल रहे। आपलोग इंतजार करो...

निशांत जो अब तक सेकंड फ्लोर पर छिपा सब कुछ लाइव देख रहा था, वह नीचे आया। आर्यमणि अपने बाजू से एनर्जी फायर निकालकर संन्यासी शिवम् के हाथ में दे दिया। तीनो ही सीधा टेलीपोर्ट होकर करेनाराय के महल के बड़े से उस कमरे में थे, जहां करेनाराय अपने बड़े–बड़े आला अधिकारियों के साथ बैठा हुआ था।

जैसे ही तीनो टेलीपोर्ट होकर पहुंचे, तीनो जिस स्थान पर थे, उसके चारो ओर पॉइंट बन गये, और देखते ही देखते उन पॉइंट्स से तेज रौशनी सिलिंग तक गयी। यह पॉइंट्स एक गोल घेरे का निर्माण कर रहे थे जिसमे संन्यासी शिवम्, ओजल और निशांत फ्रीज हो चुके थे। पर ये क्या रौशनी के बने एक गोले में तीनो ही फ्रिज थे और उस हॉल के दूसरे हिस्से में भी तीनो नजर आ रहे थे।

इधर तीनो जैसे टेलीपोर्ट होकर उस स्थान पर पहुंचे, निशांत का भ्रम जाल उसी वक्त फैल चुका था। हां लेकिन वो लोग भी तब चौंक गये, जब उनके भ्रम को ही फ्रिज कर दिया गया और वास्तविक रूप में तीनो कहां थे ये सबको नजर आने लगा था।

निशांत:– ओजल जो भी सोचकर आयी थी उसे अभी ही कर दो। इनकी शक्ति तो देखो, मेरे भ्रम तक को कैद कर लिये।

“बस हो ही गया”.... कहते हुये ओजल अपने नब्ज काट चुकी थी। बहते खून के साथ फ्रीज होने के मंत्र वो पढ़ चुकी थी। और चूंकि ओजल एक नायजो थी, इसलिए उसके मंत्र के प्रभाव से वहां माजूद हर नायजो फ्रीज हो चुका था, सिवाय करेनाराय के...

कारेनाराय:– हरामजादी मुझे फ्रीज तो नही कर पायी, लेकिन अब देख मैं क्या करता हूं...

कारेनाराय की बात समाप्त हुई और अगले ही पल वापस से कई बिंदु तीनो को चारो ओर से घेर लिये। हां लेकिन इस से पहले की आगे उन्हे फ्रीज किया जाता, करेनाराय खुद ही फ्रिज हो चुका था। हुआ ये की कल्पवृक्ष दंश की मदद से ओजल पूरा माहोल फ्रीज कर चुकी थी। बस 2 सेकंड का वक्त चाहिए था करेनाराय को जड़ों में जकड़ने के लिये, जिसका मौका खुद करेनाराय ने दे चुका था, अपना डायलॉग मारकर। बस उतने ही वक्त में करेनाराय जड़ों की चपेट में था और जड़ों की कई साखा पर न सिर्फ वह सौभाग्य पत्थर लटक रहा था बल्कि 112 और अनोखे पत्थर थे...

 

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भाग:–136


ओजल और निशांत तेजी दिखाते हुये उन पत्थरों को इकट्ठा करने लगे।.... “तुम्हे कैसे यकीन था कि करेनाराय जड़ों ने लिपटा जायेगा”..

ओजल:– जड़े तो प्रकृति है, और भाला प्रकृति किसी के बदन को छुए तो इसमें मुझे नही लगता की कोई भी पत्थर उसे दुश्मन समझेगा...

निशांत:– कम समय में कमाल की समीक्षा... चलो यहां से चला जाये...

बिना वक्त गवाए ओजल अपना काम पूरा करके सबके साथ वापस लौट आयी। जैसे ही वह पहुंची, रूही ओजल के कलाई को पकड़कर.... “शिवम भैया, इस लड़की को जल्दी से अपने साथ ले जाओ वरना बली प्रथा से जादू के चक्कर में ये एक दिन अपनी जान ले लेगी”...

ओजल बड़े प्यार से अपनी दीदी के गले लगी। ये स्पर्श और एहसास ही कुछ अलग था।... “जा रही हूं दीदी, और बली प्रथा से जादू को अलविदा कहकर लौटूंगी।”..

पलक तालियां बजाती... “कमाल का विश्वास और कमाल का काम.. जब इतना कर लिये तो कारेनाराय को लेते ही चले आते। उसकी जिंदगी समाप्त कर देते फिर तो सब एलियन पृथ्वी छोड़ आज ही भाग जाते”...

संन्यासी शिवम्:– या पृथ्वी पर अनचाहा युद्ध का खतरा आ जाता। किसी को अपने क्षेत्र से भागना हो तो उन्हे डराना चाहिए। और यदि युद्ध चाहिए तो जान से मार देना चाहिए। यह ठीक उसी प्रकार से था पलक जैसे मरते हुये विकृत नायजो को तुमने चाकू मारने का विचार दिया। वह मर तो रहे ही थे। खोने को कुछ न था, फिर क्या चाकू चलाए, उनका नतीजा सबके सामने था। करेनाराय अब पूर्ण रूप से डरा होगा। उसके साथ–साथ वो लोग भी सकते में आ गये होंगे जिन्हें लगता होगा की अपने तिलिस्म के दम पर वह कुछ भी कर सकते है। आज के मीटिंग का मकसद ही डराना था जो पूरा हुआ।

आर्यमणि:– सही कहे शिवम् सर.. हम सब भी यहीं सभा समाप्त करते है, लेकिन इतने सारे दुर्लभ पत्थर का करे क्या? चूंकि पलक इसकी जानकर है इसलिए इसे समझने के बाद अभी ही इसपर कोई फैसला लेकर चलेंगे.....

पालन ने अपने खास साथी सोलस को इशारा किया। वह तुरंत ही एक बैग के साथ लौटा। पलक बैग से एक छोटी सी चमचमाती छेनी, हथौड़ी और एक चिमटा निकाली। एक पत्थर को सोलस ने चिमटे से पकड़ा और पलक ने छेनी से उस पत्थर को तराशना शुरू किया। एक इंच लंबे, चौड़े और मोटे पत्थर के बीच से चमकता हुआ छोटा मोती जैसा हिस्सा निकाली। सोलस के लाये बैग से 4 इंच चौड़ा और 12 इंच लम्बा एक प्लेन पत्थर के टुकड़े की सतह पर उस मोती से पत्थर को कुछ देर घिसने के बाद.... “लो ये पत्थर अपने सबसे प्रबल रूप में आ गया है। देखना चाहोगे कमाल”.....

इतना कहकर पलक ने वह पत्थर मुट्ठी में दबाया और दौड़ लगा दी... वह ऐसे दौड़ी जैसे अदृश्य हो गयी हो। लोगों ने जब भी उसे देखा अपनी जगह पर ही देखा, लेकिन उनके आस पास की चीजें कब अस्त व्यस्त हुई पता भी नही चला। रुक कर जब वो अपनी मुट्ठी खोली, उसके हाथ में बस धूल ही धूल थे..

पूरा अल्फा पैक बड़े ध्यान देखने लगा। मन में जिज्ञासा आना लाजमी था, और सवाल अपने आप होटों पर... “अभी इस पत्थर की मदद से कोई जादू हुआ था क्या? और ये पत्थर कणों में कैसे तब्दील हो गया?

पलक:– “आराम से सब बताती हूं। पत्थर की शक्तियों को जितना इस्तमाल करेंगे, वह पत्थर उतना ही अपने अंत के करीब जायेगी। पत्थर का मूल रूप उसके मध्य में होता है, जिसके ऊपर पत्थर की कठोड़ परत पड़ी होती है। जैसे की अभी लाये पत्थर में से ये पत्थर गति को इतना बढ़ा देता है कि लोग अदृश्य लगने लगते है। परंतु यह पत्थर एक बार इस्तमाल में लाये जाने के बाद ध्वस्त हो गया।”

“प्रयोग में लाये जाने के हिसाब से पत्थर की शक्ति निर्भर करती है। अब जैसे ओजल के दंश का पत्थर, वह एक अलौकिक और अंतहीन पत्थर है। इसका कितना भी प्रयोग करो कहीं से भी क्रैक नही होगा। उसके बड़े से आकर को देखो। मूल रूप से पत्थर का मध्य भाग जो मोती से ज्यादा बड़ा नहीं होता बस उतना ही काम का हिस्सा रहता है, और वो हिस्सा जितना कवर रहेगा उतना ही असर कम दिखाएगा। परंतु ओजल के दंश का पत्थर जो है वह अपने मूल रूप में है। इतना बड़ा दुर्लभ पत्थर पूरे ब्रह्मांड में बहुत ही मुश्किल से मिलेंगे।”

“अंतहीन पत्थर काफी दुर्लभ होते है, मिलना मुश्किल और मिल गया तो संभालना मुश्किल और संभाल लिये तो दुश्मनों से अपना जान बचाना मुश्किल... उसके अलावा निचले स्तर के पत्थर आते है, जिन्हे मैं कैटिगरी 1, 2, और 3 में बांटे हूं... कटीगरी 3 के पत्थर एक बार ही प्रयोग में लाये जा सकते है। जिस पत्थर को अभी सबने देखा। कैटोगरी 2 के पत्थर 10 साल तक चलते है, लेकिन जैसे–जैसे प्रयोग में आता जायेगा, उसका असर धीरे–धीरे कम होता जायेगा और फिर दम तोड़ देगा। पहले कैटोगेरी के प्रयोग में लाये जाने वाले पत्थर का कितना भी इस्तमाल करो उसका असर कभी कम नही होता, लेकिन कोई निश्चित नही की कब उन पत्थरों में क्रैक आ जाये और वो नष्ट हो जाये। हां लेकिन ऐसे पत्थर को पौराणिक तरीके से बचाने का उपाय पहले से है। आस्था के कई अलौकिक रूप को ऐसे ही संरक्षित किया जाता है। उन विधि को यदि पूरे नियम से माने जाये तो कैटिगरी 1 के पत्थर को अंतहीन पत्थर को तरह इस्तमाल कर सकते हैं। फिर उनसे मिलने वाले लाभ कभी कम न होंगे न कभी खत्म होंगे और कैटोगारी 1 के पत्थर मिलने में थोड़े आसान भी होते हैं।

आर्यमणि:– पत्थरों की अद्भुत जानकारी तुम्हे मिली कहां से...

पलक:– मैं पिछले कई महीनों से बस इसी पर रिसर्च तो कर रही हूं। दुनियाभर के बड़े–बड़े पुस्तकालय को ही छान रही थी। जितनी जानकारी जहां से भी मिली, बटोर रही थी।

संन्यासी शिवम:– पलक तुम सभी पत्थरों को यहां तरासो। उनके गुण और अवगुण सभी को बताओ। किस वर्ग का कौन सा पत्थर है, वो भी बताना। फिर मैं बताऊंगा की उन पत्थरों को आसानी से संरक्षित कैसे रख सकते हैं और प्रयोग में लाये जाने वाले एक भी पत्थर कैसे प्रयोग करने वाले से कभी चुराया नही जा सकता...

पलक खुशी से उछल गयी। उछलकर वह सीधे संन्यासी शिवम के गले लग गयी। रूही पलक को उनसे अलग करती.... “मतलब अब शिवम् सर पर डोरे डाल रही।”..

पलक:– अब क्या दूसरों पर भी डोरे न डालूं.. क्या चाहती है, तेरे पति पर ही डोरे डालूं...

रूही:– नाना मैं तो तुझे तेरी उस हाहाकारी की याद दिला रही थी जिसके बारे में तुमने बताया था... एक पहले से है, तब क्यों सबके गले पड़ रही...

आर्यमणि:– चुप हो जाओ रे तुम सब। इन लड़कियों की बात समाप्त ही नही होती... लो पत्थरों का ढेर लग गया।

पत्थरों के ढेर में वह पत्थर भी था जो आचार्य जी निकलते वक्त आर्यमणि और अपस्यु को दिये थे। डायनिंग टेबल पर कुल मिलाकर 848 पत्थर थे। सब लोगों की मदद से काम जल्द ही समाप्त हो गया। एनर्जी फायर और नागमणि को छोड़कर कुल 22 पत्थर थे जो अंतहीन पत्थर थे। ज्यादातर अंतहीन पत्थर सुकेश के घर से चोरी की हुई पत्थरों में से था। कुछ पलक पास अंतहीन पत्थर थे तो कुछ पत्थर करेनाराय से मिला था।

128 पत्थर जो थे वह कैटोगारी 1 के पत्थर थे, जिन्हे संभाल कर रखते तो अंतहीन इस्तमाल किया जा सकता था। इन पत्थरों में वह पत्थर भी सामिल थे जो अल्फा पैक को मंत्र सिद्ध करने दिये गये थे। बचे हुये पत्थर को भी अलग–अलग कैटोगारी में बांटा जा चुका था।

संन्यासी शिवम वहां मजूद जितने भी आज के साथी थे, महा से लेकर 52 नायजो और अल्फा पैक, सबको तरासे हुये पत्थर मिले। लेकिन उन्हें यूं ही हाथ में नही दिया गया। बल्कि सन्यासी शिवम् के बड़े से योजन में ओजल और निशांत ने हिस्सा लिया। उन लोगों ने पलक से वह अनोखी धातु मांगी जिसे हाइवर मेटल कहते थे और जो सूरज की भट्टी में तपकर तैयार होता था।

उनकी मदद से तीनो ने मिलकर सबके लिये एमुलेट बनाया। अभिमंत्रित एमुलेट जिसके मध्य में एक बड़ा पत्थर लगा सकते थे और धातु के उस गोलाकार बॉक्स के बीच में कई सारे मोती जैसे पत्थरों को भी रखा जा सकता था। हर एमुलेट उसके पहनने वाले के नाम से अभिमंत्रित किया गया। यदि किसी कारणवश किसी भी वायक्ति की मृत्यु हुई फिर वह एमुलेट स्वतः ही आश्रम पहुंच जाएगी।

कोई चोर एमुलेट को एक क्षण के लिये चुरा जरूर सकता था, लेकिन अगले ही क्षण वो एमुलेट गायब होकर उसके धारक के पास पहुंच जायेगी। कोई ऐसा मंत्र नही था जो एमुलेट को उसके मंत्र से अलग कर सके क्योंकि एक संपूर्ण सुरक्षा घेरे के बीच मंत्र को सिद्ध किया गया था। कोई साधक उसे तोड़ने की कोशिश करता तो पहले सुरक्षा मंत्र को तोड़ना पड़ता, जिसके लिये उसे खुद सामने आकर आश्रम के विरुद्ध लड़ाई लड़नी पड़ती। कई अलौकिक एमुलेट की रचना की गयी जिसमे कम से कम एक पत्थर डालकर सबको सौंप दी गयी।


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सबसे ज्यादा मेहनत अल्फा पैक और पलक के एमुलेट पर किया गया। जिसे हर मानक चिह्न को सिद्ध करते, ग्रहों की संपूर्ण दिशा को साधकर वह एमुलेट बनाया गया था। सबसे ज्यादा पत्थर आर्यमणि के एमुलेट में ही थे, जिसमे 25 तराशे हुये अंतहीन एनर्जी स्टोन को एक चेन में लगाया गया था, जिसके बीच एक रक्षा स्टोन था, जिसे आचार्य जी ने दिया था। ठीक वैसे ही एमुलेट की रचना बाकियों के लिये भी किया गया था, जिसमे पत्थर की संख्या कम या ज्यादा हो सकती थी।

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सबको अपना अपना एमुलेट मिल गया था। तराशा हुआ सौभाग्य पत्थर संन्यासी शिवम ने ओजल को उसकी सूझ–बूझ और बुद्धिमता के लिये दे दिये। पलक के पास जो 5 स्टोन थे वह भी अंतहीन स्टोन ही थे, जिसे उसके एमुलेट में डाल दिया गया था। इसके अलावा पलक के एमुलेट में 6 कैटोग्री 1 वाले तराशे पत्थर भी थे, जिन्हे सन्यासी शिवम् अपनी स्वेक्षा से पलक को सौंपे थे। सबसे ज्यादा खतरे के बीच पलक ही थी, इस बात को ध्यान में रख कर।

इतनी अलौकिक वस्तु पाकर पलक और उसकी टीम काफी खुश थी। सबके एमुलेट में तराशे हुये कई नये पत्थरों को रखा जा सकता था। पलक ने एमुलेट के तर्ज पर ही एक बड़ा बॉक्स बनवाया, जिसके अंदर जो पत्थर एक बार गयी, फिर कभी चोरी न हो सके। क्योंकि उसे पता था, नायजो के पास अलौकिक पत्थरों की कमी नहीं थी।

बातों के दौरान ही पलक अपनी शक्तियों के राज से पर्दा उठाती हुई कहने लगी... “मैं शक्ति के पीछे नही थी और न ही मैं प्रथम श्रेणी की नायजो हूं। मेरे पास तो केवल बिजली की शक्ति थी, जिसका ज्ञान मुझे गुरु निशि के आश्रम से लौटने के बाद हुआ था। तुम सब विश्वास नही करोगे, उस छोटी उम्र में मैं कितनी विचलित थी और दिमाग पर पूरे समाज से ही अपनी मां के खोने का बदला लेना था। मैने वैसा किया भी। अपने बाप को बिजली के झटके दिये। अपनी मां को दिया। दोनो मुंह फाड़कर मुझ पर ऐसे हंसे जैसे मेरे विचलित मन की खिल्ली उड़ा रहे हो।”

वह मेरे गुस्से का कारण पूछते रहे पर मैं पूछ न सकी की मेरी मां, अब मुझे मां क्यों नही लगती। धीरे–धीरे वक्त बिता और मैं अपनी शक्ति को अपना अभिशाप समझने लगी, जो मेरे पास तो थी पर किसी काम की नही थी। क्या करूं क्या न करूं कुछ समझ ने नही आ रहा था। मायूसी ने ऐसा घेर रखा था कि मैं पूरी दुनिया से ही अलग–थलग हो गयी। मेरी 10 वर्ष की आयु रही होगी जब अमरावती में मैने किसी महात्मा के मुख से गुरु निशि की एक बहुप्रचलित बात सुनी.... “शक्ति का पास में होना किसी को बलवान नही बनता। शक्तियों के साथ धैर्य और संतुलन ही आपको बलवान बनाता है।”...

“इस छोटे से वाक्य ने मेरी जिंदगी को जैसे बदल दिया हो। 10 साल की आयु के बाद से ही मैं अपने बिजली की ताकत को निखारती रही। बस फिर धीरे–धीरे वही शक्तियां निखरती चली गयी। मेरे आंखों में कौन सी शक्ति है, वो मैं नही बता सकती, क्योंकि उसका ज्ञान मुझे भी नही। जो चीज कहीं दूर से इरिटेट करती है, उसे उड़ाने के ख्याल से देख लो और बूम।”..

पलक की बात को सभी ने बड़े ध्यान से सुना। आर्यमणि ने वहीं से अपस्यु को भी कॉल लगा दिया। वो भारत तो पहुंच चुका था लेकिन अभी योजनाबद्ध काम शुरू करने से पहले बाकी चीजों पर ध्यान दे रहा था। आर्यमणि के कहने पर अपस्यु ने पलक के साथ एक साल काम करने पर राजी हो गया। हालांकि अपस्यु का कहना था... “मैं तो मात्र कुछ इंसान से भिड़ने जा रहा है, राह ज्यादा मुश्किल नही होगी।”

जबकि आर्यमणि का कहना था कि... “सबसे ज्यादा खतरे के बीच वही जा रहा क्योंकि इंसान से बड़ा धूर्त कोई नही और धूर्त के बीच जीत चाहिए तो धैर्य जरूरी है। धैर्य किसे कहते हैं वो पलक से सीखना साथ में उस से पत्थर के रहस्य को भी समझाना।”

हालांकि आर्यमणि का अपस्यु से संपर्क करने के पीछे एक छिपा मकसद भी था। बात जब आखरी चरण में थी तब आर्यमणि ने इशारा दिया और अपस्यु टेलीपैथी के जरिए आर्यमणि से मन के भीतर संवाद करने लगा, जहां आर्यमणि ने अपनी मनसा जाहिर करते हुये कहा.... “पलक की परख करनी जरूरी है। मैं भरोसा करके बार–बार धोखा नही खाना चाहता। इसके अलावा पलक यदि सही है तो पलक और तुम्हारी कहानी लगभग एक सी है। दोनो के पिता ने ही मां का साया बड़ी बेरहमी से छीन लिया। पलक को जब अपने मां के कातिलों के बीच धार्य से काम करते देखोगे तब तुम्हे भी बुरे से बुरे परिस्थिति में धैर्य रखने का साहस मिलेगा।

आर्यमणि और अपस्यु की बातें समाप्त हो चुकी थी। इधर पलक भी सब पैक करके तैयार थी। वह महा और कुछ लोगों के साथ पोलैंड निकलती, जहां उसके दो विश्वशघाती दोस्त प्रिया और सार्थक से हिसाब लेने के बाद भारत पहुंचती... जाने से पहले आर्यमणि ने नकली अनंतकीर्ति की पुस्तक पलक को दे दिया। अंततः जर्मनी की सभा समाप्त हुई। अल्फा पैक पलक और महा को छोड़ने वुल्फ हाउस की सीमा तक पैदल ही निकले।

कुछ दूर चलते ही पलक आर्यमणि से कहने लगी.... “अच्छा हुआ याद आ गया। तुमने जब समान ढूंढने वालों को साफ किया था, उसमे कोई मोनक नाम का लड़का मिला था...

आर्यमणि:– नही जानता, मतलब मर गया है।

पलक:– 220 में अपने काम के 2 ही लोग थे। उसके बचने को भी सभावना नही लगती... चलो कोई न, किसी और को ढूंढना होगा।

आर्यमणि:– मैने एक एलियन को कैद में अब तक रखा है, नाम है जुल...

पलक:– क्या कहा तुमने...

आर्यमणि:– जुल...

पलक एक बार फिर उछली। उसे देख रूही ने जैसे भांप लिया और आर्यमणि को खींचकर अपने पीछे करती... “जुल के आगे बोल जूली”...

पलक खुश होकर रूही के ही गले लगती... “अरे वही तो अपने काम का बंदा है।”

आर्यमणि:– लेकिन वो तो एक्सपेरिमेंट बॉडी वाला नायजो है।

पलक:– उसे सोलस ने सेलेक्स्ट किया था, आंख मूंदकर भरोसा कर सकती हूं।...

आर्यमणि:– 80 इंसान और एक नाजयो का पता भेज दिया हूं। छुड़ा लेना... चलो अब तुम्हे निकालना चाहिए... हम भी यहां से सब समेटकर निकलेंगे...

पलक एक नजर रूही को देखकर मुश्कुराई। तेजी से वह आर्यमणि के होटों को चूमी और अपने कान पकड़ कर भागी। पीछे से रूही भी भागी लेकिन आर्यमणि उसका हाथ पकड़कर रोक लिया। यहां तो खुशियां छाई थी। हंसी मजाक और छेड़–छाड़ के बीच सब विदा हो रहे थे। किंतु दूसरी ओर... नायजो समुदाय को अल्फा पैक ने वह नजारा दिखाया था कि सभी भय के साए में थे।
 

nain11ster

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Vo ruhi or palak vala bat chit bhi kuchh kam awesome nhi tha udhar palak ka arya ke gale lagne pr ruhi ne jo bola, Wah! Bhai maan gye :haha: Sara saman touch ho jata hai :roflol:...
Hahahaha.... Kya hi kare sare pactical ke baad hum yahan theory likhne baithe Hain na xabhi bhai... Kuch to niji anubhav dalenge hi
 

nain11ster

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Wahh bhai ye to kuch jayada hi khataranak ho gaya.....
Sala teliportation ka kitana khataranak use kiya hai aarya and pack ne..
Sabko jinda jalane ka live show dikhane wale hai ye nayajo ko.....
Pencho AJURMI ka khel bhi shuru nahi hua aur khatam bhi ho gaya ...bechari ki GA**Dhi mar li Arya aur SHIVAM ne.
Shandar update bhai..
Hahahaha.... Bada naam tha aur kaand to uss se bhi jyada bade ...ajurmi ke kand bhale hi aapko pata ho .. lekin abhi tak sach me alfa pack ko uske karname nahi pata... Bus guru Nishi ke maut ki mukhya sajishkarta ke taur par jante hain...
 
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