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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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भाग:–121


5 मार्च की मीटिंग जिसमें सुरंग खोदने की बात कही गयी। उसपर तो पलक की भी हंसी छूट गयी थी, लेकिन महा की तरह वह भी खामोश थी। पलक को समझते देर नहीं लगी कि महा भी वही सोच रहा था, जो पलक खुद सोच रही थी। लेकिन उसने महा के सामने खुद को बेवकूफ बनाए रखने का ही फैसला किया। भले ही एलियन ने आकर 2 जगह का वर्णन किया हो, लेकिन अब पलक सुनिश्चित थी कि आर्यमणि उनसे कहां मिलने वाला है। दोनो ओर से चूहे बिल्ली का जानदार खेल चल रहा था। मोहरों की बिसाद बिछ चुकी थी और अब बस सह और मात होना बाकी था।

7 मार्च की शाम 5 बजे, पलक की मुलाकात से ठीक एक दिन पहले... पलक को तो रायन नदी के किनारे अल्फा पैक नही मिला, लेकिन अल्फा पैक को नित्या का पता मिल चुका था, जो 2 दिन मौज मस्ती के लिये निकली थी। अल्फा पैक जर्मनी पहुंचकर आधिकारिक मुलाकात से पहले अपना अस्तित्व दिखाना चाह रही थी। वहीं पलक होटल के कमरे में पड़ी फोन की घंटी बजने का इंतजार कर रही थी।

दक्षिण–पश्चिम जर्मनी का एक शहर एन्ज, जिसमे ब्लैक फॉरेस्ट के बहुत सारे हिस्से आते थे। उस शांत शहर के एक निर्जन कॉटेज, जिसके आस–पास कोई दूसरा घर नही था, उसके छत की दीवार पर बने एक झरोखे से आर्यमणि और रूही नजरें गड़ाए हुये थे।

जाने–आने के एकमात्र दरवाजे पर 200 मीटर की दूरी से अलबेली नजर बनाये हुई थी। वहीं निशांत भ्रम जाल के माध्यम से खुद को काली बिल्ली प्रतीत करता, उस जगह के चारो ओर के क्षेत्र का मुआयना कर रहा था। अंदर नजरों के सामने जो नजारे चल रहे थे, उसे कैमरे के हर एंगल में कैद करती रूही, अपने मन में ही कहने लगी.... “इन घिनौने लोगों की कैसी–कैसी फैंटेसी है।”

अंदर जो चल रहा था वह रंगारंग क्रायक्रम से कम न था। अंदर पूरा नंगा होकर हवस का नया ही खेल चल रहा था, जिसमे 2 नंगे जिस्म में से एक पलक का जिस्म था और दूसरा उसके चचेरे भाई तेजस भारद्वाज का। यूं तो दोनो थर्ड जेनरेशन थे। यानी की पलक और तेजस के दादा अपने सगे भाई थे और उन्ही दो भाई के वंश वृक्ष के नीचे एक घर से पलक तो दूसरे घर से तेजस था।

क्या ही दोनो उधम–पटक और उत्पात मचा रखे थे। पूरे कॉटेज की दीवारें तक चरमरा उठी थी। पोर्न वीडियो के जितने भी एक्शन थे, दोनो पूरे जोश के साथ निभा रहे थे, और पलक के मुंह से जो आवाज आ रही थी...... “आह तेजस भैया... ओह तेजस भैया... आह भैया, प्यास मिटा दो... उफ्फ कबसे जली जा रही”...

और तेजस भी उतने ही जोश में.... “आह पलक... उफ्फ कितनी कसी है तेरी चूत... उफ्फ अपने भाई को गदगद कर दी... आ गांड़ भी मरवा ले”...

“मार ले भाई गांड़ क्या हर छेद मार ले... जहां इच्छा वहां घुसा दे... आह्ह्ह भैया, तुम बहुत मस्त चोदते हो... आह्ह्ह्ह मार लो.. ओह्ह्ह बहुत अच्छा लग रहा है।”

फिर दोनो की एक साथ चिंघाड़ निकल गयी और हांफते हुये अलग हो गये।.... “क्या बात है अपनी चचेरी बहन का रूप देखकर तो मेरी हालत खराब कर दिये”.... नित्या अपने रूप में वापस आती हुई कहने लगी...

“बहुत ही चुलबुली है। और जब भी उसके टांगों के बीच का सोचता हूं, नशा चढ़ जाता है।”... तेजस, नित्या के ऊपर आकर उसके योनि पर अपना लिंग घिसते कहने लगा...

“उफ्फ बहुत ज्यादा जोश में हो। अब किसका”... नित्या मचलती हुई कहने लगी...

तेजस उसके होंटो को काटकर अलग होते.... “इस बार भूमि”...

“हाहाहाहाहा... अपनी सगी बहन”... नित्या लन्ड को पूरे मुट्ठी में भींचते कहने लगी....

तेजस:– आह्ह्ह्ह्ह... तू भी बहन के नाम पर जोश में गयी क्या? भूमि तो नायजो की और ओरिजनल मीनाक्षी की बेटी है। और मैं उसकी भाई की जगह आया एक नायजो हूं, जिसने कबसे भूमि के सपने सजा रखे थे। अब बर्दास्त न हो रहा, जल्दी रूप बदल मैं पेलूंगा...

“नहीईईईई... तू धरती का बोझ है।”.... आर्यमणि आवेश में आकर छत की दीवार तोड़कर नीचे आ गया। ठीक दोनो के मुंह के सामने खड़ा होकर चिल्लाने लगा।

नित्या और उसका पुराना आशिक तेजस दोनो हड़बड़ा कर खड़े हो गये। दोनो आर्यमणि को घूरते.... “तो तुझे तेरी मौत यहां खींच लायी है?”

“किसकी मौत किसको कहां खींच लायी है, वह तो बस थोड़े ही वक्त की बात है। लेकिन उस से पहले कपड़े तो पहन ले, या नंगा ही लड़ेगा”....

“तुझे मारना में वक्त ही कितना लगना है”... तेजस अपनी बात कहकर आंखों से लेजर चलाया। खतरनाक किरणे उसके आंखों से निकली। आर्यमणि तो पहले से जानता था कि ये एलियन नायजो क्या कर सकते है, इसलिए तेजस के हाव–भाव देखकर ही आर्यमणि मूव कर चुका था। कॉटेज के जिस हिस्से में तेजस के आंखों का लेजर टकराया, उस हिस्से की 16 फिट ऊंची और 22 फिट लंबी दीवार किरणों के टकराने के साथ ही पूरा ढह गया।

पता न तेजस की आंखों से लेजर के साथ कौन सा खतरनाक चीज जुड़ा था, जो पल भर में ही उस पूरे कॉटेज को ही धराशाही कर गया। 2 दीवार के गिरते ही ऊपर का छत पूरा भारभरा कर गिर गया। रूही भी छत पर थी। छत के साथ वह भी नीचे आयी। लेकिन वह जमीन पर गिरती उस से पहले ही आर्यमणि दौड़ते हुये रूही को पकड़ा और एक छलांग में कॉटेज के सीमा से बाहर था।

तेजस और नित्या ने मिलकर फर्स्ट लाइन सुपीरियर शिकारी जैसे ही तूफान को उठा दिया। उस तूफान में पूरा कॉटेज तीतर बितर हो गया और दोनो मलवे के बीच में खड़े हो गये.... “कहां भाग गया मदरचोद। एक घंटे पहले आता तो मैं तेरी मां जया की गांड़ मार रहा था। और तुझे पता है, तेरी जो पहली गर्लफ्रेंड मैत्री थी ना उसे लोपचे के खंडहर में मैने तीन दिन तक खूब पेला था, और उसके बाद कमर से काट दिया। साले तेरे दादा वर्घराज को मैने ही जहर दिया था। बुड्ढे को हमारे बार में पता लगाने की कुछ ज्यादा ही चूल मची थी। कितना छिपेगा हां.. आज तेरी गांड़ मारकर तुझे भी बीच से चीड़ दूंगा”...

तेजस बौखलाया था। दिमागी संतुलन खो बैठा हो जैसे। तेज आवाज में अपनी बात कह रहा था और आंखों से लगातार लेजर किरण निकाल रहा था। जैसे ही तेजस की बात समाप्त हुई... आर्यमणि ठीक उसके सामने कुछ दूरी पर खड़ा दिख गया.... “तू घिनौना है। धरती का बोझ है। तू मेरा और मेरे परिवार का दोषी है। तुझे क्या लगा तू अमर जीवन लेकर आया है। तो चल ये भी देख लेते है, आज कौन किसकी मारता है।”

नित्या:– आज तो तू मरा बच्चे। वैसे मैं तो तेरे साथ खेलना चाहती थी, लेकिन मेरा आशिक को ये मंजूर नहीं...

आर्यमणि:– काश मैं भी तुम्हारे बारे में भी ऐसा कह सकता। लेकिन विश्वास मानो जब मैं तुम दोनो को धीमा मारना शुरू करूंगा, तब अपनी जान बक्शने की भीख नहीं मांगोगे... बल्कि हर पल यही कहोगे, प्लीज मुझे अभी मार दो...

तेजस:– हमे मारना बाद में मदरचोद, पहले तो ये दिखा की मौत से बचकर तू कितना भाग सकता है...

आर्यमणि:– बोल बच्चन क्या दे रहा है बे नंगे, मारकर दिखा...

आर्यमणि सीना तान दोनो के सामने खड़ा, मानो निमंत्रण दे रहा हो। नित्या और तेजस दोनो ही एक साथ लेजर चलाना शुरू कर चुके थे और आर्यमणि... आर्यमणि ने उनके अचूक और प्राणघाती लेजर को मिट्टी का ढेला समझ लिया था। प्योर अल्फा की गति का तो ये मुकाबला भी नही कर सकते थे, लेकिन इस बार कदम तो आहिस्ता बढ़ रहा था पर हाथ उतना ही तेज।

जो भी लेजर की किरण उसके ओर आती, हर किरण पर आर्यमणि जैसे टफली मारकर कह रहा हो... “तू दाएं जा, तू बाएं जा”... जैसे हाथ हिलाकर चेहरे या बदन के आगे से मच्छर–मक्खी को भागते है, ठीक उसी प्रकार लेजर की किरणे थी, जिसे आर्यमणि अपने हाथों से झटक रहा था।

अलबेली और रूही अपने बारी की प्रतीक्षा में, जिसे आर्यमणि अपने मन के संवाद से रोक रखा था.... “अभी रुको”...

किसी भी बलवान से यदि उसका बल छीन लिया जाये, फिर वो खुद को असहाय समझने लगता है, जैसे उस से बड़ा कमजोर इस संसार में नही। आर्यमणि अपने सुरक्षा मंत्र और हाथ के झटके से तेजस और नित्या को लगातार असहाय साबित करने में लगा हुआ था। बाहर से अपनी बारी आने की प्रतीक्षा में रूही और अलबेली घात लगाए बैठी थी। उन दोनो को आर्यमणि अपने मस्तिष्क संवाद से रोक रखा था।

आहिस्ते चलते हुये आर्यमणि तेजस और नित्या के करीब पहुंच गया। फासले एक फिट से भी कम के थे। अब नित्या और तेजस में से किसी के मुंह से शब्द नही फूट रहे थे, बस पागलों की तरह अपने आंख से लेजर चला रहे थे। पाऊं आहिस्ते थे, किंतु हाथ नही। वह अब भी इतने तेज थे कि इतना नजदीक होने के बावजूद एक भी किरण आर्यमणि को छू नही पायी।

फिर शुरू हुआ मौत को भी भयभीत कर देने वाली खौफ और दर्दनाक चींखों का खेल। आर्यमणि सामने सीना ताने खड़ा। उसके एक इशारे पर रूही और अलबेली, दोनो (तेजस और नित्या) के ठीक पीछे खड़ी थी। रूही और अलबेली ने पीछे से तेजस और नित्या के हाथ को पीछे खींचकर उनके शरीर का सारा टॉक्सिक खींचने लगे।

यूं तो तेजस और नित्या दोनो ही पलटना चाह रहे थे, लेकिन सामने खड़ा आर्यमणि ने हाथों के मात्र एक इशारे से दोनो के पाऊं को जड़ों से जकड़ दिया था। ऐसा लग रहा था जमीन से निकली जड़ों ने दोनो को पैंट पहना दिया हो। वहीं रूही ने बचा हुआ कसर भी पूरा कर दिया। ऊपर टॉप भी पहना चुकी थी। सिवाय उनके चेहरे और कलाई के पूरे बदन पर जड़ चढ़ चुका था।

“य्य्य्य, इय्य्य.. ये तुऊऊऊ.. तुमने, कौन सा तिलिस्म किया है?”.... तेजस घबराते हुये पूछने लगा...

आर्यमणि अपने पंजे में पूरा जहर उतारकर एक झन्नाटेदार तमाचा तेजस के गाल पर चिपका दिया। तेजस को ऐसा लगा जैसे भट्टी से अभी–अभी निकले तवे को उसके गाल से चिपका दिया गया हो। ऊपर से जहर का असर इतना दर्दनाक था कि तेजस की चींख रुकी ही नही।

नित्या, तेजस का हाल देखकर तुरंत पाला बदलती.... “देखो आर्यमणि मैं तुम्हारी दुश्मन नही बल्कि अपना दोस्त समझो। मैं तो बस अपने बॉस लोगों का हुक्म बजा रही थी। इसी के बाप सुकेश भारद्वाज ने तुम्हारे दादा को बेज्जत किया था, लेकिन उनके बेइज्जती में मेरा कोई हाथ ना था, मैं बस जरिया थी। उल्टा सजा के तौर पर मुझे कई वर्षों तक जंगल में भटकने छोड़ दिया।”

आर्यमणि:– तुम वही जरिया हो ना, जिसने ओशुज नाम के एक अल्फा वेयरकायोटी को मैक्सिको में कैद करवाई थी। (मैक्सिको की जंगल वाली घटना। जहां वेयरवोल्फ के खून से ड्रग्स के पौधों की सिंचाई करते थे)

नित्या:– तुम्हे कैसे पता...

आर्यमणि:– क्योंकि उस कांड का असर मेरे पूरे अल्फा पैक पर पड़ा था, इसलिए मुझे पता है। तुम सब के कांड तो मुझे शुरू से पता थे, बस जो तब पता नही था वो अब पता कर चुका हूं। तुम्हारा भेद खुल चुका है नायजो... अब न तो पृथ्वी पर तुम्हारी नाजायज हरकतें बर्दास्त हो रही और न ही तुम सब का यहां नाजायज तरीके से रहना। क्या सोचा था, हार–मांस का शरीर होता है इंसान और तुम सब एपेक्स हो। आज मजा लो अपने बोए बीज का...

तेजस का दर्द जब कुछ कम हुआ... “देखो आर्यमणि हजारों की फौज तुम्हे मारने आयी है। उनसे बच गये तो लाख आयेंगे, उनसे भी बचे तो करोड़ों। तब तक वो हमला करते रहेंगे जबतक तुम मर नही जाते...”

“मरना... मरना... मरना... हां मरना... मरने का डर क्यों... वैसे ये मरने का डर तुम दोनो को तो नही होगा क्योंकि अमर जीवन तो तुम्हारे साइंस लैब में मिलता है। है की नही?”.... आर्यमणि दाएं से बाएं गस्त लगाते हुये किसी खौफ की तरह अपनी बात रखा। उसे सुनकर तेजस और भी ज्यादा भयभीत होते... “तुम्हे साइंस लैब के बारे में कैसे पता?”

आर्यमणि:– मुझे क्या पता वो जरूरी नहीं। इस वक्त जो ज्यादा जरूरी है, वो ये की तुम्हे जिंदा रहना है या नही..

दोनो हरबरी में एक साथ... “जिंदा, जिंदा, जिंदा रहना है।”

आर्यमणि:– हम्मम.... ठीक है तो दिया तुम दोनो को जिंदगी। आज तुम्हे एहसास होगा की जीना कितना मुश्किल होता है और मृत्यु कितना सुखद। रूही, अलबेली हो गया क्या?

रूही:– हो गया है बॉस। लेकिन आगे कुछ करने से पहले मुझे अपनी भड़ास निकालनी है।

अलबेली:– और मुझे भी...

दूर से नजर आ रही बिल्ली भी अपने असली स्वरूप में दिखने लगी और निशांत भी जोड़ों से चिल्लाया... “पहले मैं..”

रूही:– ठीक है देवरजी आपको पहला मौका मिलेगा, लेकिन उसके लिये आपको इस नित्या को चूमना होगा...

नित्या:– मुझे छोड़ दो तो चूमना क्या सब करने दूंगी। वो भी जिस लड़की का रूप कहो मैं उस लड़की में बदल सकती हूं। हर रात तुम अलग लड़की के साथ सो सकते हो।

निशांत:– क्या अब भी मुझे चूमना चाहिए...

रूही:– जाने दो, चूमने का हिसाब हम फिर कभी करेंगे...अभी इन एपेक्स सुपरनेचुरल पर हाथ साफ करते है।

निशांत हामी भरते तेजस और नित्या के सामने खड़ा हो गया।.... “तुम लोग गंदे और घिनौने हो। एक ही कुल के लड़कियों के साथ जिस हिसाब से संभोग की इच्छा रखते हो, उस से तुम्हारे समुदाय के विलुप्त होने की कहानी समझ में आती है। तुम्हे जीने का कोई अधिकार नही”..

निशांत अपनी बात पूरी कर जो ही जोरदार थप्पड़ दोनो के गाल पर मारा, दिमाग से “सबसे बढ़कर हम” होने का भूत उतर गया। किसी असहाय इंसान की तरह खड़े थे, और गाल टमाटर की तरह लाल हो गया था।

 

nain11ster

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Ohhho ohhhoo to iwan and ojal lapet li gayi hai palak dwara. Aur duplicate sath rh rhe hai arya ke. Ye to apne ulta hi kr diya mamla, hahaha. Kamal ka update suspence ko bdha dene wala.
Nahi bahut jyada suspence na samajhiye parthh Bhai... Yahan update me bus palak ki kusalta ko dikhaye gaya tha :D
 

nain11ster

Prime
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Ek baat pakki hai dusman kisi bhi haal me kamjor na hai palak hosiyaar hui gayi kash usse sex na kiya hota Arya to ye inna advance na hoti uske liye

Hahahaha... Sex karne se ladkiyan advance ho jati fir to sabhi porn star gyani hote :D
Ab dusra aur teesra updatewa kahan gawa kis page par hai wo :bat:
Sab abhi aa rahs hsi
 

nain11ster

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Phle hee pta tha last time PR writer Saab sab kuch badal denge wo hi hua ... Hero k group k do members pakadwa diye fir unka duplicate bhej dia hero ki info lene ko 😂😂... Very good
Na na bahut jyada kuch na badla hai bus palak ko kamjor na samjhe usi ka update tha.
 

Tiger 786

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5 मार्च की मीटिंग जिसमें सुरंग खोदने की बात कही गयी। उसपर तो पलक की भी हंसी छूट गयी थी, लेकिन महा की तरह वह भी खामोश थी। पलक को समझते देर नहीं लगी कि महा भी वही सोच रहा था, जो पलक खुद सोच रही थी। लेकिन उसने महा के सामने खुद को बेवकूफ बनाए रखने का ही फैसला किया। भले ही एलियन ने आकर 2 जगह का वर्णन किया हो, लेकिन अब पलक सुनिश्चित थी कि आर्यमणि उनसे कहां मिलने वाला है। दोनो ओर से चूहे बिल्ली का जानदार खेल चल रहा था। मोहरों की बिसाद बिछ चुकी थी और अब बस सह और मात होना बाकी था।

7 मार्च की शाम 5 बजे, पलक की मुलाकात से ठीक एक दिन पहले... पलक को तो रायन नदी के किनारे अल्फा पैक नही मिला, लेकिन अल्फा पैक को नित्या का पता मिल चुका था, जो 2 दिन मौज मस्ती के लिये निकली थी। अल्फा पैक जर्मनी पहुंचकर आधिकारिक मुलाकात से पहले अपना अस्तित्व दिखाना चाह रही थी। वहीं पलक होटल के कमरे में पड़ी फोन की घंटी बजने का इंतजार कर रही थी।

दक्षिण–पश्चिम जर्मनी का एक शहर एन्ज, जिसमे ब्लैक फॉरेस्ट के बहुत सारे हिस्से आते थे। उस शांत शहर के एक निर्जन कॉटेज, जिसके आस–पास कोई दूसरा घर नही था, उसके छत की दीवार पर बने एक झरोखे से आर्यमणि और रूही नजरें गड़ाए हुये थे।

जाने–आने के एकमात्र दरवाजे पर 200 मीटर की दूरी से अलबेली नजर बनाये हुई थी। वहीं निशांत भ्रम जाल के माध्यम से खुद को काली बिल्ली प्रतीत करता, उस जगह के चारो ओर के क्षेत्र का मुआयना कर रहा था। अंदर नजरों के सामने जो नजारे चल रहे थे, उसे कैमरे के हर एंगल में कैद करती रूही, अपने मन में ही कहने लगी.... “इन घिनौने लोगों की कैसी–कैसी फैंटेसी है।”

अंदर जो चल रहा था वह रंगारंग क्रायक्रम से कम न था। अंदर पूरा नंगा होकर हवस का नया ही खेल चल रहा था, जिसमे 2 नंगे जिस्म में से एक पलक का जिस्म था और दूसरा उसके चचेरे भाई तेजस भारद्वाज का। यूं तो दोनो थर्ड जेनरेशन थे। यानी की पलक और तेजस के दादा अपने सगे भाई थे और उन्ही दो भाई के वंश वृक्ष के नीचे एक घर से पलक तो दूसरे घर से तेजस था।

क्या ही दोनो उधम–पटक और उत्पात मचा रखे थे। पूरे कॉटेज की दीवारें तक चरमरा उठी थी। पोर्न वीडियो के जितने भी एक्शन थे, दोनो पूरे जोश के साथ निभा रहे थे, और पलक के मुंह से जो आवाज आ रही थी...... “आह तेजस भैया... ओह तेजस भैया... आह भैया, प्यास मिटा दो... उफ्फ कबसे जली जा रही”...

और तेजस भी उतने ही जोश में.... “आह पलक... उफ्फ कितनी कसी है तेरी चूत... उफ्फ अपने भाई को गदगद कर दी... आ गांड़ भी मरवा ले”...

“मार ले भाई गांड़ क्या हर छेद मार ले... जहां इच्छा वहां घुसा दे... आह्ह्ह भैया, तुम बहुत मस्त चोदते हो... आह्ह्ह्ह मार लो.. ओह्ह्ह बहुत अच्छा लग रहा है।”

फिर दोनो की एक साथ चिंघाड़ निकल गयी और हांफते हुये अलग हो गये।.... “क्या बात है अपनी चचेरी बहन का रूप देखकर तो मेरी हालत खराब कर दिये”.... नित्या अपने रूप में वापस आती हुई कहने लगी...

“बहुत ही चुलबुली है। और जब भी उसके टांगों के बीच का सोचता हूं, नशा चढ़ जाता है।”... तेजस, नित्या के ऊपर आकर उसके योनि पर अपना लिंग घिसते कहने लगा...

“उफ्फ बहुत ज्यादा जोश में हो। अब किसका”... नित्या मचलती हुई कहने लगी...

तेजस उसके होंटो को काटकर अलग होते.... “इस बार भूमि”...

“हाहाहाहाहा... अपनी सगी बहन”... नित्या लन्ड को पूरे मुट्ठी में भींचते कहने लगी....

तेजस:– आह्ह्ह्ह्ह... तू भी बहन के नाम पर जोश में गयी क्या? भूमि तो नायजो की और ओरिजनल मीनाक्षी की बेटी है। और मैं उसकी भाई की जगह आया एक नायजो हूं, जिसने कबसे भूमि के सपने सजा रखे थे। अब बर्दास्त न हो रहा, जल्दी रूप बदल मैं पेलूंगा...

“नहीईईईई... तू धरती का बोझ है।”.... आर्यमणि आवेश में आकर छत की दीवार तोड़कर नीचे आ गया। ठीक दोनो के मुंह के सामने खड़ा होकर चिल्लाने लगा।

नित्या और उसका पुराना आशिक तेजस दोनो हड़बड़ा कर खड़े हो गये। दोनो आर्यमणि को घूरते.... “तो तुझे तेरी मौत यहां खींच लायी है?”

“किसकी मौत किसको कहां खींच लायी है, वह तो बस थोड़े ही वक्त की बात है। लेकिन उस से पहले कपड़े तो पहन ले, या नंगा ही लड़ेगा”....

“तुझे मारना में वक्त ही कितना लगना है”... तेजस अपनी बात कहकर आंखों से लेजर चलाया। खतरनाक किरणे उसके आंखों से निकली। आर्यमणि तो पहले से जानता था कि ये एलियन नायजो क्या कर सकते है, इसलिए तेजस के हाव–भाव देखकर ही आर्यमणि मूव कर चुका था। कॉटेज के जिस हिस्से में तेजस के आंखों का लेजर टकराया, उस हिस्से की 16 फिट ऊंची और 22 फिट लंबी दीवार किरणों के टकराने के साथ ही पूरा ढह गया।

पता न तेजस की आंखों से लेजर के साथ कौन सा खतरनाक चीज जुड़ा था, जो पल भर में ही उस पूरे कॉटेज को ही धराशाही कर गया। 2 दीवार के गिरते ही ऊपर का छत पूरा भारभरा कर गिर गया। रूही भी छत पर थी। छत के साथ वह भी नीचे आयी। लेकिन वह जमीन पर गिरती उस से पहले ही आर्यमणि दौड़ते हुये रूही को पकड़ा और एक छलांग में कॉटेज के सीमा से बाहर था।

तेजस और नित्या ने मिलकर फर्स्ट लाइन सुपीरियर शिकारी जैसे ही तूफान को उठा दिया। उस तूफान में पूरा कॉटेज तीतर बितर हो गया और दोनो मलवे के बीच में खड़े हो गये.... “कहां भाग गया मदरचोद। एक घंटे पहले आता तो मैं तेरी मां जया की गांड़ मार रहा था। और तुझे पता है, तेरी जो पहली गर्लफ्रेंड मैत्री थी ना उसे लोपचे के खंडहर में मैने तीन दिन तक खूब पेला था, और उसके बाद कमर से काट दिया। साले तेरे दादा वर्घराज को मैने ही जहर दिया था। बुड्ढे को हमारे बार में पता लगाने की कुछ ज्यादा ही चूल मची थी। कितना छिपेगा हां.. आज तेरी गांड़ मारकर तुझे भी बीच से चीड़ दूंगा”...

तेजस बौखलाया था। दिमागी संतुलन खो बैठा हो जैसे। तेज आवाज में अपनी बात कह रहा था और आंखों से लगातार लेजर किरण निकाल रहा था। जैसे ही तेजस की बात समाप्त हुई... आर्यमणि ठीक उसके सामने कुछ दूरी पर खड़ा दिख गया.... “तू घिनौना है। धरती का बोझ है। तू मेरा और मेरे परिवार का दोषी है। तुझे क्या लगा तू अमर जीवन लेकर आया है। तो चल ये भी देख लेते है, आज कौन किसकी मारता है।”

नित्या:– आज तो तू मरा बच्चे। वैसे मैं तो तेरे साथ खेलना चाहती थी, लेकिन मेरा आशिक को ये मंजूर नहीं...

आर्यमणि:– काश मैं भी तुम्हारे बारे में भी ऐसा कह सकता। लेकिन विश्वास मानो जब मैं तुम दोनो को धीमा मारना शुरू करूंगा, तब अपनी जान बक्शने की भीख नहीं मांगोगे... बल्कि हर पल यही कहोगे, प्लीज मुझे अभी मार दो...

तेजस:– हमे मारना बाद में मदरचोद, पहले तो ये दिखा की मौत से बचकर तू कितना भाग सकता है...

आर्यमणि:– बोल बच्चन क्या दे रहा है बे नंगे, मारकर दिखा...

आर्यमणि सीना तान दोनो के सामने खड़ा, मानो निमंत्रण दे रहा हो। नित्या और तेजस दोनो ही एक साथ लेजर चलाना शुरू कर चुके थे और आर्यमणि... आर्यमणि ने उनके अचूक और प्राणघाती लेजर को मिट्टी का ढेला समझ लिया था। प्योर अल्फा की गति का तो ये मुकाबला भी नही कर सकते थे, लेकिन इस बार कदम तो आहिस्ता बढ़ रहा था पर हाथ उतना ही तेज।

जो भी लेजर की किरण उसके ओर आती, हर किरण पर आर्यमणि जैसे टफली मारकर कह रहा हो... “तू दाएं जा, तू बाएं जा”... जैसे हाथ हिलाकर चेहरे या बदन के आगे से मच्छर–मक्खी को भागते है, ठीक उसी प्रकार लेजर की किरणे थी, जिसे आर्यमणि अपने हाथों से झटक रहा था।

अलबेली और रूही अपने बारी की प्रतीक्षा में, जिसे आर्यमणि अपने मन के संवाद से रोक रखा था.... “अभी रुको”...

किसी भी बलवान से यदि उसका बल छीन लिया जाये, फिर वो खुद को असहाय समझने लगता है, जैसे उस से बड़ा कमजोर इस संसार में नही। आर्यमणि अपने सुरक्षा मंत्र और हाथ के झटके से तेजस और नित्या को लगातार असहाय साबित करने में लगा हुआ था। बाहर से अपनी बारी आने की प्रतीक्षा में रूही और अलबेली घात लगाए बैठी थी। उन दोनो को आर्यमणि अपने मस्तिष्क संवाद से रोक रखा था।

आहिस्ते चलते हुये आर्यमणि तेजस और नित्या के करीब पहुंच गया। फासले एक फिट से भी कम के थे। अब नित्या और तेजस में से किसी के मुंह से शब्द नही फूट रहे थे, बस पागलों की तरह अपने आंख से लेजर चला रहे थे। पाऊं आहिस्ते थे, किंतु हाथ नही। वह अब भी इतने तेज थे कि इतना नजदीक होने के बावजूद एक भी किरण आर्यमणि को छू नही पायी।

फिर शुरू हुआ मौत को भी भयभीत कर देने वाली खौफ और दर्दनाक चींखों का खेल। आर्यमणि सामने सीना ताने खड़ा। उसके एक इशारे पर रूही और अलबेली, दोनो (तेजस और नित्या) के ठीक पीछे खड़ी थी। रूही और अलबेली ने पीछे से तेजस और नित्या के हाथ को पीछे खींचकर उनके शरीर का सारा टॉक्सिक खींचने लगे।

यूं तो तेजस और नित्या दोनो ही पलटना चाह रहे थे, लेकिन सामने खड़ा आर्यमणि ने हाथों के मात्र एक इशारे से दोनो के पाऊं को जड़ों से जकड़ दिया था। ऐसा लग रहा था जमीन से निकली जड़ों ने दोनो को पैंट पहना दिया हो। वहीं रूही ने बचा हुआ कसर भी पूरा कर दिया। ऊपर टॉप भी पहना चुकी थी। सिवाय उनके चेहरे और कलाई के पूरे बदन पर जड़ चढ़ चुका था।

“य्य्य्य, इय्य्य.. ये तुऊऊऊ.. तुमने, कौन सा तिलिस्म किया है?”.... तेजस घबराते हुये पूछने लगा...

आर्यमणि अपने पंजे में पूरा जहर उतारकर एक झन्नाटेदार तमाचा तेजस के गाल पर चिपका दिया। तेजस को ऐसा लगा जैसे भट्टी से अभी–अभी निकले तवे को उसके गाल से चिपका दिया गया हो। ऊपर से जहर का असर इतना दर्दनाक था कि तेजस की चींख रुकी ही नही।

नित्या, तेजस का हाल देखकर तुरंत पाला बदलती.... “देखो आर्यमणि मैं तुम्हारी दुश्मन नही बल्कि अपना दोस्त समझो। मैं तो बस अपने बॉस लोगों का हुक्म बजा रही थी। इसी के बाप सुकेश भारद्वाज ने तुम्हारे दादा को बेज्जत किया था, लेकिन उनके बेइज्जती में मेरा कोई हाथ ना था, मैं बस जरिया थी। उल्टा सजा के तौर पर मुझे कई वर्षों तक जंगल में भटकने छोड़ दिया।”

आर्यमणि:– तुम वही जरिया हो ना, जिसने ओशुज नाम के एक अल्फा वेयरकायोटी को मैक्सिको में कैद करवाई थी। (मैक्सिको की जंगल वाली घटना। जहां वेयरवोल्फ के खून से ड्रग्स के पौधों की सिंचाई करते थे)

नित्या:– तुम्हे कैसे पता...

आर्यमणि:– क्योंकि उस कांड का असर मेरे पूरे अल्फा पैक पर पड़ा था, इसलिए मुझे पता है। तुम सब के कांड तो मुझे शुरू से पता थे, बस जो तब पता नही था वो अब पता कर चुका हूं। तुम्हारा भेद खुल चुका है नायजो... अब न तो पृथ्वी पर तुम्हारी नाजायज हरकतें बर्दास्त हो रही और न ही तुम सब का यहां नाजायज तरीके से रहना। क्या सोचा था, हार–मांस का शरीर होता है इंसान और तुम सब एपेक्स हो। आज मजा लो अपने बोए बीज का...

तेजस का दर्द जब कुछ कम हुआ... “देखो आर्यमणि हजारों की फौज तुम्हे मारने आयी है। उनसे बच गये तो लाख आयेंगे, उनसे भी बचे तो करोड़ों। तब तक वो हमला करते रहेंगे जबतक तुम मर नही जाते...”

“मरना... मरना... मरना... हां मरना... मरने का डर क्यों... वैसे ये मरने का डर तुम दोनो को तो नही होगा क्योंकि अमर जीवन तो तुम्हारे साइंस लैब में मिलता है। है की नही?”.... आर्यमणि दाएं से बाएं गस्त लगाते हुये किसी खौफ की तरह अपनी बात रखा। उसे सुनकर तेजस और भी ज्यादा भयभीत होते... “तुम्हे साइंस लैब के बारे में कैसे पता?”

आर्यमणि:– मुझे क्या पता वो जरूरी नहीं। इस वक्त जो ज्यादा जरूरी है, वो ये की तुम्हे जिंदा रहना है या नही..

दोनो हरबरी में एक साथ... “जिंदा, जिंदा, जिंदा रहना है।”

आर्यमणि:– हम्मम.... ठीक है तो दिया तुम दोनो को जिंदगी। आज तुम्हे एहसास होगा की जीना कितना मुश्किल होता है और मृत्यु कितना सुखद। रूही, अलबेली हो गया क्या?

रूही:– हो गया है बॉस। लेकिन आगे कुछ करने से पहले मुझे अपनी भड़ास निकालनी है।

अलबेली:– और मुझे भी...

दूर से नजर आ रही बिल्ली भी अपने असली स्वरूप में दिखने लगी और निशांत भी जोड़ों से चिल्लाया... “पहले मैं..”

रूही:– ठीक है देवरजी आपको पहला मौका मिलेगा, लेकिन उसके लिये आपको इस नित्या को चूमना होगा...

नित्या:– मुझे छोड़ दो तो चूमना क्या सब करने दूंगी। वो भी जिस लड़की का रूप कहो मैं उस लड़की में बदल सकती हूं। हर रात तुम अलग लड़की के साथ सो सकते हो।

निशांत:– क्या अब भी मुझे चूमना चाहिए...

रूही:– जाने दो, चूमने का हिसाब हम फिर कभी करेंगे...अभी इन एपेक्स सुपरनेचुरल पर हाथ साफ करते है।

निशांत हामी भरते तेजस और नित्या के सामने खड़ा हो गया।.... “तुम लोग गंदे और घिनौने हो। एक ही कुल के लड़कियों के साथ जिस हिसाब से संभोग की इच्छा रखते हो, उस से तुम्हारे समुदाय के विलुप्त होने की कहानी समझ में आती है। तुम्हे जीने का कोई अधिकार नही”..

निशांत अपनी बात पूरी कर जो ही जोरदार थप्पड़ दोनो के गाल पर मारा, दिमाग से “सबसे बढ़कर हम” होने का भूत उतर गया। किसी असहाय इंसान की तरह खड़े थे, और गाल टमाटर की तरह लाल हो गया था।
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