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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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भाग:–111






वह जितनी संजीदा थी, उतनी ही जिंदादिल। जितनी शांत थी, उतनी ही उद्दंड। वह जितनी समझदार थी उतनी ही भावुक। वह अजब थी, वह गजब थी। अल्फा पैक की ओजल शायद अपने आप में सम्पूर्ण थी। आज मध्य रात्रि की बेला वह लेटी थी। काम उत्तेजना में लिप्त सारे वस्त्रों को त्याग कर बस लंबी–लंबी सिसकारियां ले रही थी। निर्वस्त्र हुये कई लड़के सांप की भांति ओजल से लिपटे थे। जीवन के पहला संभोग का अनुभव इतना रोमांचक था कि वह बस सिसकारियां लेती खुद को निढल छोड़ चुकी थी। उसके गुप्तांगों और बदन पर रेंग रहे हाथ, लिंग इत्यादि–इत्यादि उसे अत्यधिक मजा दे रहे थे।


खोये अति–कामुक क्षण में पहली बार जब किसी के लिंग का एहसास अपने योनि पर हुआ, तब ओजल की कामुक तांद्रा थोड़ी भंग हुई। योनि से कामुक स्त्राव तो हो रहा था, किंतु किसी लड़के के द्वारा उसके योनि पर लिंग को घिसे जाने की क्रिया ने ओजल को थोड़ा होश में लाया। ठीक उसी वक्त ओजल के कानो में अलबेली के उस वुल्फ कॉलिंग साउंड की आवाज आयी, जब इवान ने बेरहम होकर उसके गुदा मार्ग में अपना लिंग घुसा दिया था।


ओजल के चमचमाते नव यौवन, आकर्षक बदन पर बाएं हाथ की बांह में एक खूबसूरत बाजूबंद लगा था। अंग्रेजी में जिसे आर्मबैंड भी कहते है। हल्का नीला रंग का खूबसूरत नगीना किसी वुडन आर्ट वाली मेटल से जुड़ी थी, जो ओजल के कमसिन बदन को एक आकर्षक लुक दे रही थी।


दरअसल वह बाजूबंद जादूगर की दंश थी जिसका नाम कल्पवृक्ष दंश था। उसे मंत्रों से समेटकर ओजल ने अपना बाजूबंद बनाया था।


योनि पर घिसते लिंग का एहसास और ठीक उसी वक्त कानो में पड़े अलबेली की वुल्फ साउंड ने ओजल को कामुक चेतना से लौटने में मदद किया। हां, लेकिन कामुक उत्तेजना इतनी हावी थी कि इतनी सी चेतना वापस लौटना काफी नही था, स्थूल पड़े शरीर में हलचल तक लाने के लिये। न चाहते हुये भी ओजल किसी तरह कल्पवृक्ष दंश के नगीने को हाथ लगाई और वह अगले ही पल अलग दुनिया में थी। कल्पवृक्ष दंश की दुनिया में....


ओजल:– दोस्त क्या मैं सच में इतनी कामुक हो चुकी थी...


कल्पवृक्ष दंश:– इस बात का पता तुम्हे लगाना होगा। लेकिन अभी परिस्थिति थोड़ी गंभीर है। तुम सामान्य लड़कों के साथ निर्वस्त्र हो और मैं बहुत ज्यादा देर तक तुम्हे भेड़िया बनने से रोक नही सकता।


ओजल:– दोस्त एक मंत्र बताओ जिससे कुछ वक्त के लिये ये पूरा माहोल ही फ्रिज हो जाये।


कल्पवृक्ष दंश:– हर जादू की एक कीमत होती है। इसे संतुलन कहते है। एक निश्चित माहोल को पूरा शांत करना बड़ा जादू है, यदि सही कीमत नही दे पायी तो अन्य जादूगर की तरह तुम्हारी आत्मा भी विकृत हो जायेगी।


ओजल:– अपना रक्त अर्पण करूं तो क्या ये कीमत सही होगी...


कल्पवृक्ष दंश:– हां लेकिन थोड़ा नही बल्कि रक्त की पूरी धार चाहिए...


ओजल:– धन्यवाद दोस्त... अब तुम मंत्र बताओ....


ओजल मंत्र सीखते ही आंखें खोल दी। किसी तरह अपनी कलाई नगीने तक लाकर, ओजल ने अपनी कलाई की नब्ज काट ली। तुरंत ही खून की पिचकारी ओजल के नब्ज से बहने लगी और अगले ही पल वहां के चारो ओर का माहोल फ्रीज हो चुका था। ओजल तुरंत ही अपने क्ला को बाएं किनारे से गर्दन में घुसाई और दिमाग में चल रहे उत्तेजना के जहर को समेटने लगी। कुछ ही पल में ओजल पूर्णतः अपने होश में थी।


तुरंत ही ओजल ने उस जगह का पूरा मुआयना किया। कुछ लड़के वीडियो बना रहे थे, उनके वीडियो को डिलीट की और अपने कपड़े समेटकर वहां से बाहर निकली। ओजल अब तक उसी घर में थी जहां हाई–स्कूल की पार्टी शुरू हुई थी। घर पूरा खाली था सिवाय उन कुछ लड़कों के, जो ओजल के साथ सामूहिक संभोग करने वाले थे। ओजल उस घर से कुछ दूर हुई और सर पर हाथ रखकर तेज वुल्फ साउंड निकाली।


अल्फा पैक के मुखिया आर्यमणि और रूही बीते कुछ दिनों से एक दूसरे में खोए थे। आज दिन की जोरदार प्यार भरी मिलन के बाद दोनो शाम तक सोते रहे। और जब जागे तब दोनो तैयार होने भागे। हाई–स्कूल प्रबंधन ने जीत की खुशी में एक पार्टी का आयोजन किया था, जिसमे इन दोनो को खास आमंत्रण दिया गया था। शाम के 8 बजे दोनो स्कूल ऑडिटोरियम में थे, जहां आर्यमणि और रूही की मुलाकात तीनो टीन वुल्फ के दोस्तों तथा लूकस के पूरे ग्रुप से हो गयी। हां लेकिन उस चकाचक महफिल में कहीं भी ओजल, इवान और अलबेली नजर नहीं आ रहे थे। दोनो ने पता लगाने की कोशिश भी किये, किंतु किसी को भी तीनो के बारे में ठीक से पता नही था।


तभी मंच पर स्कूल के कोच खड़े हो गये और फुटबॉल में मिली इस जीत का सेहरा तीनो टीन वुल्फ के अभिभावक यानी की आर्यमणि और रूही के सर बांधते कहने लगे.... “इन दोनो ने अपने तीन बच्चे ओजल, इवान और अलबेली को प्रशिक्षित किया और उन तीनो ने हमारी टीम को। हमारी टीम किसी अंतरराष्ट्रीय टीम की तरह खेल रही थी। जिसे खेलते देख मुझे भी विश्वास न हुआ की यह बर्कले की वही टीम है, जिनमे जितने का जज्बा तो दूर, हम जीत भी सकते है, ऐसी सोच तक न थी। लेकिन अलग तरह के कमाल के प्रशिक्षण ने न सिर्फ हमें जीत दिलवाई, बल्कि हमारे प्रतिद्वंदी कहीं दूर–दूर तक टिके भी नही। मैं ओजल के अभिभाव को मंच पर बुलाना चाहूंगा। अपने हाथों से सैंपेन खोलकर आज के जीत की जश्न की शुरवात करे।”


दोनो चारो ओर अपनी नजर दौड़ाते मंच पर पहुंचे। मुस्कुराकर जितने वालों को बधाई दिये और संपैन की बॉटल को खोल दिया। बॉटल खुलते ही सबके हाथ में एक–एक जाम और जाम को लहराकर सभी एक साथ टोस्ट करते उसे गले से नीचे उतार दिया। रूही भी जाम की एक चुस्की लेते आर्यमणि को आंख मारती... “बिलकुल कातिल लग रहे हो जान। आज तो तुम्हे देखकर बेकाबू हो रही हूं।”


आर्यमणि:– बेकाबू तो तुम मुझे कर रही हो। अब भी तुम्हारा नंगा चमचमाता बदन ही मुझे नजर आ रहा। आह!! कितनी नमकीन दिख रही...


रूही:– यहां कुछ ज्यादा भीड़ तो नही...


आर्यमणि, रूही के होटों को पूरे जोश से चबाते.... “शायद अभी हमे किसी और माहोल की जरूरत है।”


दोनो ऑडिटोरियम के बाहर निकले और एकांत कोपचे में पहुंचे। रूही, आर्यमणि को दीवार से चिपकाकर नीचे बैठ गयी और उसके पैंट के बटन को खोलकर लिंग बाहर निकाल ली। लिंग बाहर निकलने के बाद रूही आगे कुछ करती उस से पहले ही आर्यमणि के क्ला गर्दन के किनारे से घुस चुके थे। थोड़ी देर में रूही के अंदर से टॉक्सिक को निकालने के बाद आर्यमणि ने क्ला अपने गर्दन में घुसाया। थोड़ा वक्त लगा लेकिन दोनो सामान्य हुये....


“आर्य अभी हुआ क्या था?”


“हमे किसी प्रकार का जहर दिया गया था।”


“किस प्रकार का जहर?”


“मुझे भी पूरा पता नही लेकिन उसके शुरवती नतीजों के कारण ही हम दोनो काफी एक्सिटमेंट फील कर रहे थे। हो सकता था कि यह जहर हमारी एक्साइटमेंट इतना बढ़ा देता की हम शेप शिफ्ट कर जाते”...


“हमसे बदला लेने के लिये ये काम लूकस ने ही किया होगा।”


“क्या नेरमिन (बर्कले की स्थानीय वुल्फ पैक की फर्स्ट अल्फा और रूही की मासी) भी इसमें सामिल है, या बिना उसकी जानकारी के लूकस ने ये सब किया होगा?”


“ये तो लूकस की यादों से ही पता चलेगा। ले आओ उसे”...


रूही बिना वक्त गवाए वापस ऑडिटोरियम पहुंची और लूकस को इशारे से अपने पास बुलाई... लूकस उसके करीब पहुंचते.... “क्या हो गया? मुझे क्यों याद कर रही”...


रूही:– मेरा पार्टनर किसी और लड़की के साथ चला गया। उस कमीने को तो मैं बाद में देखती हूं, अभी फिलहाल मुझे तुम्हारी जरूरत है। या शायद तुम भी कम पड़ जाओ। अपने कुछ साथियों को भी साथ ले लो। ग्रुप सेक्स का मजा करेंगे...


लूकस:– हा हा हा हा हा... तुम जैसे अल्फा को हम बीटा का गैंग हाथ लगाये। तुम अकेले ही हम सबको कच्चा चबाकर डकार तक न लो।


रूही:– देखो मेरे बदन में आग लगी है। यदि मेरी बात नही भी माने तो भी परिणाम वही होगा। बात मान लो... तुम्हे मै अपने संरक्षण में रखूंगी और अल्फा भी बना दूंगी।


लूकस:– हम्म्!! प्रस्ताव अच्छा है लेकिन तुम्हारा काम निकलने के बात हमे धोका तो नही दोगी?


रूही:– चुतिये धोखा भी दिया तो भी मुझ जैसे अल्फा के साथ बिस्तर गरम करने का मौका दे रही, ये क्या कम बड़ी उपलब्धि है। जल्दी फैसला करो। हां है तो साथ चलो वरना मैं कहीं से भी अपनी आग बुझाने के बाद सीधा खून की प्यास बुझाने ही निकलूंगी...


लूकस:– नाना, तुम कहीं और से आग मत बुझाओ और न ही हमसे अपनी खून की प्यास। हम साथ चलते हैं।


छोटे से वार्तालाप के बाद लूकस अपने 8 साथियों के साथ रूही के पीछे तेजी से चला। सभी स्कूल के किसी सुनसान कोने में पहुंचे। सभी एक साथ रूही के ओर बढ़े ही थे कि सब के सब जड़ों की रेशों में जकड़े गये।


रूही:– क्यों बेटा चौंक गये?


लूकस:– द....द...दे... देखो रूही... हमे जाने दो...


पीछे से आर्यमणि की आवाज आयी..... “तुम्हे जाने तो देंगे लेकिन उस से पहले ये बताओ की कौन सा जहर सैंपैन में मिलाया था, जिसकी खुशबू से ही हम अलग दुनिया में पहुंच गये। और जब उसका एक घूंट पिया फिर तो काबू ही न रहा”...


आर्यमणि ने अपना सवाल पूरा किया ही था कि एक्सडीसीउसके अगले पल ही लूकस और उसके साथियों के सर के चिथरे उड़ गये। ऐसा लगा जैसे उनके सर में किसी ने बॉम्ब लगा दिया हो। छोटे–छोटे मांस के टुकड़े और खून के धब्बे उन दोनो के पूरे शरीर पर लगे थे...


आर्यमणि:– निकलो यहां से पहले...


रूही:– ये हो क्या रहा है? किसने चिथरे उड़ाए, मुझे तो किसी के आस पास होने की गंध भी नही आयी?


आर्यमणि:– कोई हमारे साथ खेल रहा..


रूही:– मुझे तीनो (अलबेली, इवान और ओजल) की चिंता हो रही है। जान वुल्फ कॉलिंग साउंड दो...


रूही की बात पर आर्यमणि वुल्फ कॉलिंग साउंड देता, उस से पहले ही अलबेली की वुल्फ कॉलिंग साउंड दोनो को सुनाई देने लगी। यह उस वक्त का वुल्फ कॉलिंग साउंड थी जब इवान बेरहम हुआ था। दोनो से ही दौड़ रहे थे। वुल्फ कॉलिंग साउंड सुनकर दोनो आवाज की दिशा में दौड़ने लगे। कुछ ही देर में दोनो जंगल के अंदर थे और दोनो को अलबेली और इवान की गंध मिल चुकी थी।


रूही:– ए जी, अपने साथ–साथ इवान और अलबेली की भी शादी करवा दो...


आर्यमणि:– हां मुझे भी ऐसा ही लग रहा। चलो पहले दोनो के पास चलते हैं। फिर उन्हे साथ लेकर ओजल को ढूंढेंगे...


रूही:– हां चलो जल्दी...


दोनो जंगल के दक्षिण दिशा में बड़ी तेजी से बढ़ रहे थे, तभी उन दोनो के कान में ओजल की आवाज सुनाई पड़ी। काफी दर्द और गुस्से से भरी आवाज थी। आर्यमणि और रूही ने अपने बढ़ते कदम को रोका और पीछे ओजल के आवाज की दिशा में दौड़े। कुछ की पल में दोनो ओजल के पास थे। ओजल बेजान की तरह पेड़ से टिक कर बैठी थी। उसके हाथ जमीन को छू रहे थे, जिनसे खून की धारा बह रही थी।


रूही पूरी व्याकुलता से ओजल को अपने बाजुओं में समा ली। उसके सर पर हाथ फेरती एहसास करवाने लगी की सब ठीक है, और वह सुरक्षित है। वहीं आर्यमणि ओजल की कलाई को थामकर उसके रक्त प्रवाह को रोकने लगा। कुछ देर बाद जब ओजल कुछ सामान्य हुई, फिर वह सुबकती हुई आप बीती बताने लगी। वह कैसे इतने लड़कों के सामने निर्वस्त्र हो सकती थी, यह ख्याल उसे बार–बार पीड़ा दे रहा था।


रूही ने उसे पूरी घटना बताई। पूरी बात 4 बार समझा चुकी थी कि उसके साथ यह घटना क्यों हुई... लेकिन ओजल के मन से वह ख्याल जा ही नहीं रहा था। किसी भयानक सपने की तरह आंखों के सामने आ जाता।


“ओजल मैं मानता हूं कि तुम्हारे लिये एक भयावाह मंजर था। लेकिन बेटा अभी हताश होने का वक्त नहीं है, क्योंकि हमें नही पता की इवान और अलबेली कहां है और किस हालात में है?”..... आर्यमणि ने जब मौके की गंभीरता को समझाया तब कहीं जाकर ओजल अपनी आंसू पोछती उनके पीछे चल दी।


तीनो ही जंगल की दक्षिणी दिशा में काफी तेज दौड़ रहे थे। तीनो को गंध तो मिल रही थी लेकिन वुल्फ साउंड का कोई भी जवाब नही आ रहा था। आर्यमणि को शंका हुआ की कुछ गड़बड़ है। हाथ के इशारे से रुकने कहा... “शायद कोई हमारा इंतजार कर रहा। गंध ताजा है पर दोनो में से कोई जवाब नही दे रहा। एक काम करो तुम दोनो वुल्फ साउंड देते आगे बढ़ो। मेरा अंदाज यदि सही है तो जाल बिछ चुका होगा”


ओजल:– कैसा जाल...


रूही:– पैक को फसाने का जाल। जब हम उनके करीब होंगे तब हमें अलबेली और इवान की चीख सुनाई देगी। खुद पर काबू रखना क्योंकि वह चीख तुम्हे एहसास करवाएगा की दोनो के लिये जल्द कुछ न किये तो दोनो मरे जायेंगे...


ओजल:– क्या ??????


आर्यमणि:– इतना चौकों नही। और जैसा रूही ने कहा, पूरे धैर्य से काम लेना....


पूरी बात समझाने के बाद तीनो अलग हो गये। आर्यमणि पीछे रह गया और दोनो चिल्लाती हुई दौड़ने लगी। तकरीबन आधा किलोमीटर आगे जाने के बाद कानो में मृत्यु समान भय पैदा करने वाली आवाज आनी शुरू हो गयी। रूही ने अपने कदमों को धीमा किया, जबकि सारी बातें समझाने के बाद भी ओजल अपना आपा खो चुकी थी। और जितनी तेजी से वह आवाज के ओर बढ़ी थी, उतनी ही तेज उसकी चीख भी निकल गयी। उसके पाऊं लोहे के एक ट्रेपर में फसे थे, जिसमे हाथी के पाऊं तक फंस जाये तो वह विकलांग हो जाता है।


इसके पूर्व जब इवान और अलबेली अपने सहवास की प्रक्रिया पूरी कर दोनो हाथ फैलाकर जमीन पर ही लेट गये। शरीर के अंदर मधुर नशा सा छा रहा था और बदन मानो बेजान से पड़ गये थे। ऐसा आनंद आज से पहले कभी जीवन में उन्होंने मेहसूस नही किया था। तभी न जाने कहां से उग्र भीड़ वहां पहुंची और अपने लात से पागलों की तरह अलबेली और इवान के चेहरे पर मारने लगे।


दोनो के अंदर नशा इतना था कि अपने हाथ पाऊं तक नही हिला पा रहे थे। बस खुद के ऊपर लात चलते हुये मेहसूस कर रहे थे। दोनो की आंखें तब फैल गयी जब कुछ लोगों ने उन्हें ऊपर उठाया। दोनो ही समझने की कोशिश में जुट गये की उनका सामना किनसे हुआ है।


जो लोग उनके बदन को पकड़े हुये थे उनके हाथ इतने ठंडे थे मानो बर्फ ने उन्हे पकड़ रखा हो। चेहरे भी ठीक वैसे शरद बर्फ की तरह नजर आ रहे थे, जिनपर कोई भावना नहीं। चेहरे तो सामान्य इंसान जैसा था, लेकिन जब वह अपना मुंह फाड़े तब अंदर के दांत की बनावट ठीक किसी मांसहारी जानवर के समान थे। जैसे किसी शेर का जबड़ा हो जिसमें 4 नुकीले दांत बाहर निकले।
 

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भाग:–112






जो लोग उनके बदन को पकड़े हुये थे उनके हाथ इतने ठंडे थे मानो बर्फ ने उन्हे पकड़ रखा हो। चेहरे भी ठीक वैसे शरद बर्फ की तरह नजर आ रहे थे, जिनपर कोई भावना नहीं। चेहरे तो सामान्य इंसान जैसा था, लेकिन जब वह अपना मुंह फाड़े तब अंदर के दांत की बनावट ठीक किसी मांसहारी जानवर के समान थे। जैसे किसी शेर का जबड़ा हो जिसमें 4 नुकीले दांत बाहर निकले।


इवान बेसुध सी आवाज में.... “कौन हो तुमलोग”


भिड़ में से कोई एक..... “ये सवाल तब करना चाहिए था, जब हमारे लोगों के खून और अंदरूनी अंगों से तुम अपने जैसे भेड़ियों के लिये नशे का समान बनाते थे। आज तो हर मौत का हिसाब होगा”


उनकी बातें इवान और अलबेली के लिये जैसे कोई पहेली थी। इसके आगे न तो उग्र लोगों ने दोनो को कुछ बोलने दिया और न ही खुद कुछ बोले। केवल सबका बड़ा सा जबड़ा खुला और दोनो के शरीर से रक्त की आखरी बूंद तक चूस लिये। इवान और अलबेली के शरीर में मानो कोई जान ही नहीं बची। पूरा खून निचोड़ने के बाद दोनो को पेड़ से बांधकर लटका दिया गया। दोनो के मुंह को अच्छे से पैक कर दिया गया और धारदार हथियार से पूरे बदन को काट दिया। अब नब्ज में रक्त का प्रवाह हो तब तो दोनो हील करे। बस असीम दर्द की अनुभूति हो रही थी और चिल्ला भी नही रहे थे।


कुछ देर बाद जब उन प्राणियों के कानो में अलबेली और इवान के पैक के अन्य सदस्य की आवाज पहुंची.... “सब तैयार हो जाओ, इनके पैक के लोग पहुंच चुके है।”


इनके जाल में सबसे पहले ओजल ही फसी। ट्रैपर में जब उसके पाऊं फसे, ओजल को ऐसा लगा जैसे उसका एक पाऊं ही नीचे से कट गया हो। दर्द भरी चीख उसके मुख से निकल गयी और आंखों के सामने दर्द से छटपटाते अलबेली और इवान थे। ओजल के वहां फंसते ही उस भीड़ का एक हिस्सा ओजल पर टूट पड़ा। शरीर के कई हिस्सों पर फेंग घुसे थे और सभी उसका रक्त पीने लगे।


रूही जो धीमा हो चुकी थी। अपने आंखों के आगे जब यह नजारा देखी, उसने तुरंत ही क्ला को जमीन में घुसा दिया। जमीन से सर–सर–सर की आवाज आने लगी। देखते ही देखते पूरी भिड़ जड़ों के रेशों में लिपट गयी। रूही ने जैसे ही अपना काम समाप्त किया, अगले ही पल पूरे उग्र रूप से हमला करने उन तक पहुंची। उसके क्ला सबके सीना चीरकर दिल बाहर निकलने को आतुर थे।


लेकिन ये दुश्मन नया था और यह कोई भीड़ नही थी, बल्कि सिपाहियों का दल था। सब के सब प्रशिक्षित और दुश्मन से निपटने में निपुण। जबतक रूही उनके पास पहुंचती हर सिपाही के हाथ चमकने लगे। मानो सबने अपने हाथों पर मेटल का कुछ चढ़ाया हो। धीरे–धीरे उनका पूरा शरीर चमकने लगा। अब तो ऐसा लग रहा था जैसे पूरे बदन पर मेटल चढ़ाया हो। स्टील के भांति चमकता वह मेटल चंद पल में ही भट्टी के आग में झुलसे लाल रंग का हो गया। हर कोई विस्फोट की आवाज के साथ जड़ों के गिरफ्त से छूटा।


जैसे ही सभी कैद से छूटे सबने मात्र अपने हथेली को रूही के ओर पॉइंट किया। उनके हाथ से दूधिया रौशनी निकली और उस रौशनी के पड़ते ही रूही अपनी जगह पर जम गयी।.... “यकीन नही होता एक वुल्फ इतना प्रशिक्षित भी हो सकता है। लेकिन जंगलियों हमारे किसी लोग का शिकर करने से पहले तुम्हे ये पता कर लेना चाहिए था कि हम तुम्हारा शिकार कितनी आसानी से कर सकते है। वो दिन गये जब हमे वेयरवोल्फ से छिपकर रहना पड़ता था।”


भिड़ को किनारे कर एक युवती सामने आयी और अपनी बात समाप्त कर उसने कुछ इशारा किया। जैसे ही उसने इशारा किया चार लोग अपने हाथों में चेन–सॉ (ऑटोमेटिक मशीन वाली आड़ी) लेकर आये। इरादे शायद चारो (रूही, ओजल, इवान और अलबेली) को बीचों बीच काटने का ही था।


रूही:– तुम हो कौन? और हमने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है?

युवती की अट्टहास भरी हंसी उन वादियों में गूंजती..... “क्या वाकई मे तुम हमे नही जानते? बिना जाने ही हमारे इलाके में घुसते हो और हमारे लोगों को मारकर उनके रक्त और अंदरूनी अंगों से नशे का समान बना लेते हो। कितने भोले हो तुमलोग। चलो मैं तुम्हे खुद से मिलवाती हूं। मेरा नाम राजकुमारी कैरोलिन है और मैं बर्कले में बसे अपने लोगों की मौत का हिसाब करने आयी हूं। बिना वक्त गवाए सबको काट डालो।”


इधर कैरोलिन ने सबको मारने के आदेश दिये और चेन–सॉ के घन, घन, घन की आवाज चारो ओर गूंजने लगी। ठीक उसी वक्त एक बार फिर जमीन से सरसराहट की आहट हुई। कैरोलिन की अट्टहस से परिपूर्ण हंसी वहां चारो ओर गूंजने लगी..... “क्या वाकई... क्या तुम अपने इन टटपूंजिए खेल से अपनी मौत को टाल सकते हो छिपे भेड़िए?”


“कुछ गलतफहमी है, हम आपस में बात करके सुलझा सकते है। बात नही बनी तो तुम हमे मार देना। बस थोड़े से वक्त की बात की है।”...... आर्यमणि धीरे–धीरे चलते हुये उनके सामने पहुंचा। एक झलक अपने पैक को देखा और उनके दर्द को मेहसूस कर, खून का घूंट पीते चेहरे पर बिना कोई भावना लाये कैरोलिन को देखने लगा....


कैरोलिन बिलकुल चींखती हुये.... “मेरे २०० से ज्यादा लोगों को सिर्फ इसलिए मार दिये क्योंकि तुम्हे नशे का समान बनाना था और मैं तुमसे बात–चित करूं। अब तो जो भी बात होगी वो तुम सबको काटने के बाद होगी। लड़कों जल्दी से काम खत्म करो।”


आर्यमणि समझ चुका था कि वह किसी के गहरी साजिश का शिकर हो चुका है। कोई था जो खुद को बचाने के लिये उन्हे फसा गया। शायद कैरोलिन बर्कले में नही रहती थी और साजिशकर्ता को उसके आने की खबर हो चुकी होगी। उसे यह भी पता था कि कैरोलिन और उसके लगभग 50 सिपाही क्या कर सकते थे। मामला अभी तो बातचीत से नही हल होना था इसलिए आर्यमणि सबको वहां से निकालने का ही फैसला किया।


आर्यमणि की एक ही इशारों पर उसका पूरा पैक जड़ों के मोटे रेशों के बीच सुरक्षित था। हां लेकिन स्वांस आर्यमणि की भी अटक गयी थी, क्योंकि वो लोग आड़ी चला चुके थे। ठीक उसी वक्त आर्यमणि ने सबको जड़ों के बीच सुरक्षित किया और बिना वक्त गवाए उन्हे अपने खींच लिया।


इधर कैरोलिन ने जब अपने शिकार को भागते देखा तभी उसने अपने कुछ लोगों को इशारा कर दिया। सबके हाथ आर्यमणि के ओर और दूधिया रोशनी उनके हाथों से निकलने लगी। आर्यमणि तो पहले भी यह देख चुका था। जैसे ही दूधिया रोशनी हुई। ठीक उसी वक्त जमीन से 10 फिट ऊंचा झार निकल आया जो आर्यमणि को पूरा ढक चुका था।


आर्यमणि के ठीक पीछे उसका पैक पहुंच चुका था। रूही घायल पड़े तीनो टीन वुल्फ को जड़ों के बीच से निकाली और हील करने लगी.... “रूही जल्दी करो, हमे यहां से निकलना है।”


रूही भी हां में सर हिलाती अपने काम को और तेजी से करने लगी। इवान और अलबेली लगभग हील हो चुके थे, बस थोड़ी कसर बाकी थी। और ठीक उसी वक्त दर्द भरी कर्राहट आर्यमणि के मुख से निकली। एक विस्फोट के साथ आर्यमणि को कवर किया हुआ जड़ों का रेशा फट गया और उसके अगले ही पल जलता हुआ लाल मेटल वाला हाथ आर्यमणि के कंधे पर था।


आर्यमणि की चींख सुनते ही जैसे अल्फा पैक का दिमाग सुन्न पड़ गया हो। सभी जैसे अपनी जगह स्थिर हो गये थे, और इधर कैरोलिन ने एक हाथ जब आर्यमणि के कंधे पर रखा तो न सिर्फ आर्यमणि ने अपने कंधे पर 1200⁰ से ऊपर का तापमान मेहसूस किया, बल्कि उसके शरीर में 440 वोल्ट के बिजली के झटके भी लगने शुरू हो गये थे।


आर्यमणि कुछ सोचता उस से पहले ही कैरोलिन ने अपना दूसरा हाथ आर्यमणि के सिर पर रख दिया। बालों के जलने की बदबू चारो ओर थी। और सर पर इतने ज्यादा तापमान वो भी बिजली के झटके के साथ जब पड़ा आर्यमणि तो जैसे कोमा में ही चला गया था। रूही आवक थी। इवान और अलबेली हील तो हुये थे, लेकिन शरीर के अंदर का जहर पूर्ण रूप से निकला नही था, जिसके परिणामस्वरूप दोनो के हालत में तेजी से गिरावट देखने मिली।


बची ओजल जिसका पाऊं अब भी फसा था लेकिन अब वह दर्द में बिल्कुल नही थी। बल्कि आर्यमणि की चीख निकलते सुन पागल हो चुकी थी। उसने कल्पवृक्ष दंश निकाला। हाथों के इशारे तो मात्र हुये और वह ट्रेपर कई टुकड़ों में बंट गया। ठीक उसके अगले ही पल ओजल मात्र अपने एक पाऊं के जोर पर बिना कोई दौर लगाए ऊंची और लंबी छलांग लगा चुकी थी। छलांग लगाकर वह ठीक कैरोलिन के सर के ऊपर थी। कैरोलिन ने अपना एक हाथ तुरंत अपने सर के ऊपर किया और दूधिया रोशनी में ओजल को फसाने की कोशिश करने लगी।


कैरोलिन के साथ उसके कई सिपाही भी थे। उन्होंने भी अपने हाथ हवा में कर रखे थे। उनके हाथ से भी दूधिया रौशनी निकल रही थी। लेकिन ओजल अपने हाथ के दंश को किसी कुल्हाड़ी की तरह दोनो हाथों से थामी थी। दूधिया रौशनी में वह जमी नही बल्कि दंश में लगा नागमणि उस दूधिया रोशनी को चीर रहा था। और जब ओजल ने अपने पाऊं जमीन पर रखे, तब कैरोलिन के सभी साथी एक साथ चिल्लाते हुए दौड़ चुके थे। और कैरोलिन... उसे ओजल सर से लेकर कमर तक, दो भागो में चीरकर जमीन पर बिछा चुकी थी।


कैरोलिन के साथी राजकुमारी–राजकुमारी चिल्लाते हुये जबतक उसके नजदीक पहुंचते तब तक तो वह बेजान जमीन पर पड़ी थी। सभी सिपाहियों ने मरी पड़ी राजकुमारी को एक बार देखा और उसके अगले ही पल पागलों की तरह चिल्लाते हुये अल्फा पैक पर टूट पड़े। उनके मेटलिक हाथ का एक घुसा खाकर सभी कई फिट पीछे गये और उसके अगले ही पल दूधिया रोशनी में वो कैद होकर उनके पास खींचे चले आये।


यह ठीक उसी प्रकार था जैसे बचपन में प्लास्टिक की पिद्दी सी बॉल में पतले रबर की रस्सी बंधा खिलौना हम खरीदते थे। हाथ के एक झटके से वो काफी दूर जाते और जीतनी तेजी से दूर जा रहे थे, उस से भी कहीं ज्यादा तेज वापस आ रहे थे। दूधिया रौशनी रबर थी जिसके सिरे से पूरे अल्फा पैक को बांधकर उन्हे हेवी मैटेलिक पंच का मजा दे रहे थे, जिस से 1200⁰ का तापमान और 440 वोल्ट के बिजली का झटका लग रहा था।


पूरे अल्फा पैक की हालत पस्त हो चुकी थी। शरीर के जिस अंग पर उनका पंच पड़ रहा था, काम करना बंद कर देता। जब तक वो लोग अपने उस अंग को हील करते, तब तक 2 और अंग विकलांग हो चुके होते। सबके मुंह से खून और पानी सब निकल चुका था। मात्र 5 बार ही तो आगे पीछे हुये थे, और ऐसा लग रहा था, बस एक बार और खींचकर घुसा मारा गया तो प्राण नही बचेंगे।


लड़ाई अब विषम मोड़ ले चुकी थी। पांचवा मुक्का पड़ने के बाद जहां पूरा अल्फा पैक अचेत हो चला था वहीं आर्यमणि को जब मेहसूस हुआ की उसके पैक की अब जान जाने वाली है, उसके शरीर में असीम ऊर्जा का प्रवाह होने लगा। फिर तो एक सेकंड के 1000वे हिस्से में सोच के 1000 घोड़े दौड़ चुके थे और इस से पहले की दूधिया रौशनी एक बार फिर पूरे अल्फा पैक को खींचती आर्यमणि ने अपने पंजे खोलकर उस दूधिया रौशनी को कोई टॉक्सिक मानकर सोखने लगा।


उम्मीद तो थी की यह टॉक्सिक रौशनी हथेली में पूरी समा जाये लेकिन ऐसा हो न सका। दूधिया रौशनी सबके शरीर से डायवर्ट होकर आर्यमणि के हथेली से तो कनेक्ट हो gayi किंतु वो मात्र एक कनेक्शन था। जैसे आर्यमणि के विपक्षी ने उस दूधिया रौशनी को अपने हाथ से बांध रखा था ठीक वैसा ही। एक साथ सभी लोगों के दूधिया रौशनी आर्यमणि कर हथेली में कनेक्ट थे। 50 बनाम एक अकेला आर्यमणि। उधर से 50 लोग खींचने वाले और उधर से अकेला आर्यमणि।


परिवार की जान खतरे में और सामने दिख रहा खतरा। फिर तो आर्यमणि अपने बाहुबल का प्रदर्शन करते उन सभी सिपाहियों को उल्टा एक साथ खींच लिया। सभी 50 सिपाही को खींचने के साथ ही जब उसने घुसा बरसाना शुरू किया.... फिर तो जमीन पर एक के बाद एक धम्म–धम्म गिरने की आवाज आनी शुरू हो गयी। अब तक तो उन लोगों ने अपना मेटलिक मुक्का से अल्फा पैक का परिचय करवाया था किंतु जब आर्यमणि ने अपने प्योर अल्फा के मुक्के से परिचय करवाया, सभी 50 सिपाही के अंग भंग हो चुके थे।


रौशनी का वार फेल होते ही सिपाहियों ने अपने पूरे बदन को हो जैसे लाल कर लिया हो। 1200⁰ तापमान पर जलता हुआ मेटल और उसमे से निकलती करंट का प्रवाह। हां लेकिन आर्यमणि को तो बस पहला हमला ही चौंका सकता था, दूसरी बार वह मौका कहां देता। आर्यमणि की एक तेज दहाड़ के साथ ही सभी वुल्फ सहम कर एक कोना पकड़ लिये। युद्ध भूमि पर बिलकुल मध्य में खड़ा आर्यमणि और सामने अपने आग और बिजली वाला शरीर लिये 50 सिपाही। सभी दौड़ लगाते हुये आर्यमणि पर हमला बोल दिये।


आर्यमणि अपने हथेली में सारा टॉक्सिक पहले ही समेट चुका था। बाहुबल की तो कमी थी नही। फिर तो देखने वाला नजारा था। आर्यमणि के पड़े हर मुक्के से विस्फोट जैसी आवाज और चिंगारियां निकल रही थी। एक सेकंड में वह 10 मुक्के चला रहा था। उसका मुक्का खाकर सिपाही 200–250 फिट पीछे गिरते। शरीर के जिस हिस्से पर आर्यमणि का मुक्का लगता वहां का मेटलिक भाग ऐसे पिघल जाता जैसे गरम तवे पर बटर पिघलता हो। और मुक्का सीधा जाकर उनके शरीर से टकरा रहा था और शरीर के जिस अंग से आर्यमणि का मुक्का टकराता वह अंग फिर काम करने लायक नही बचता।


वहां पर केवल और केवल विस्फोट की आवाज आ रही थी। कर्राहते लोग जमीन पर बिछ रहे थे जिनके संख्या हर सेकंड में बढ़ती ही जा रही थी। तबियत से एक पूरे मिनट में ही 50 अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी से लैश नए किस्म के प्राणियों को आर्यमणि जमीन पर बिछा चुका था। फिर आराम से आर्यमणि उन सबके करीब पहुंचते..... “यदि हमारी बात सुने होते तो शायद ये नौबत नही आती। खैर, हम किसी को मारना नही चाहते। लेकिन हमारे हाथों से यदि कोई मारा है, तो उसकी सिर्फ वजह इतनी रही होगी की वो या तो हमें जान से मारने आये थे या हमरे परिवार को जान से मारने की कोशिश कर रहे थे। उम्मीद है फिर कभी अपनी मुलाकात न हो, वरना आज मैं बात करना भी चाह रहा था लेकिन अगली बार बात नही करूंगा।”


आर्यमणि अपनी बात कहकर एक बार अपनी पैक के ओर देखा। उधर से सब ठीक है वाला जैसे ही इशारा हुआ, उसके अगले पल ही सभी सिपाही जड़ों में लिपटे थे और आर्यमणि सबको एक साथ हील करके वहां से निकल गया। जब तक वो लोग जड़ों की रेशों में विस्फोट करके बाहर निकले, तब तक वहां से अल्फा पैक गायब हो चुकी थी। पांचों अपने घर के लिविंग हॉल में बैठे आज शाम की हुई घटना पर सोच रहे थे....


आर्यमणि:– अभी जो हुआ उसपर इतना सोचो मत। किसी ने हमे बुरी तरह से फसाया था। और लगता है हम फंस भी चुके। उस राजकुमारी की मौत के साथ ही अपने नई दुश्मनी का अध्याय शुरू हो गया...


रूही:– दुश्मनी तो तभी शुरू हो गयी थी जब उस पागल राजकुमारी ने बात न करके सीधा मारने के लिये आगे बढ़ गयी। कोई उधर से मरता या इधर से, दुश्मनी होनी तो सुनिश्चित हो गयी थी। शायद यह दुश्मनी अपनी नियति में थी।


इवान:– हां सही कही दीदी। लेकिन वो थे क्या?


आर्यमणि:– ये लोग जो भी थे, अपने मूल रूप में नही थे। उनके शरीर पर मेटल का कवर चढ़ा था। लोहे को पिघलाकर पानी बनाने वाले तापमान में एडैप्टिव थे। और उनके हाथों से निकलती वह दूधिया रौशनी, पता नही किस कण से वो रौशनी बने थे। यह जो भी था अपने प्रजाति को काफी ज्यादा अपग्रेड कर चुका है।


इवान:– मतलब...


आर्यमणि:– मतलब इन्होंने खुद पर ही लगातार प्रयोग करके खुद को अपग्रेड किया है। विज्ञान पर पकड़ इनकी लाजवाब है, और इनका दिमाग किसी मृत इंसान के दिमाग जैसा है, जिनसे कोई भी याद चुराई नही जा सकती।


अलबेली:– वो सब तो सही है लेकिन आगे क्या?


रूही:– आगे तेरी और इवान की शादी भी उसी दिन होगी जिस दिन हमारी शादी होगी।


अलबेली:– हां ठीक है समझ गयी। मैं कब शादी से इंकार कर रही और इवान की भी हां है। इस चेप्टर को यहीं क्लोज कर दे...


ओजल:– आखिर उन लोगों के खून और अंदरूनी अंग से किस प्रकार का नशा पदार्थ बनता था, जो मात्र संपर्क में आते ही पागल हम सब पागल हो गये थे?


आर्यमणि:– इसका जवाब तो केवल बॉब ही दे सकता है। लेकिन अभी जवाब लेने का वक्त बिलकुल भी नहीं। हमारे नए दुश्मन को हमसे दुश्मनी करनी है, तो उन्हे भी हमारे पीछे आना होगा। हम तो अपने शेड्यूल से आगे बढ़ेंगे। और कोई बताएगा वो क्या है?


रूही:– हां क्यों नही। हम सबके बचपन और जवानी को जिसने एक भयावाह याद बना दिया, उन एलियन का शिकर करना है। कल हम सब मियामी जायेंगे...


तीनो टीन वुल्फ एक साथ.... “वूहू.. वूहू.. अपना एक्शन टाइम वो भी लगातार 2 महीनो तक।”


आर्यमणि:– तो फिर बस तैयार हो जाओ और दिखा दो उन्हे की छिपकर शिकार करना किसे कहते हैं।


बीते रात का खौफनाक नशा और किसी साजिश के तहत उत्पन्न हुई दुश्मनी को पीछे छोड़कर आर्यमणि अपने पैक के साथ मियामी उड़ान भर चुका था। योजना के हिसाब से इवान और ओजल संन्यासी शिवम् और निशांत के पास चले गये। वहीं आर्यमणि, रूहि और अलबेली एक साथ काम करते।

 

Devilrudra

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भाग:–111






वह जितनी संजीदा थी, उतनी ही जिंदादिल। जितनी शांत थी, उतनी ही उद्दंड। वह जितनी समझदार थी उतनी ही भावुक। वह अजब थी, वह गजब थी। अल्फा पैक की ओजल शायद अपने आप में सम्पूर्ण थी। आज मध्य रात्रि की बेला वह लेटी थी। काम उत्तेजना में लिप्त सारे वस्त्रों को त्याग कर बस लंबी–लंबी सिसकारियां ले रही थी। निर्वस्त्र हुये कई लड़के सांप की भांति ओजल से लिपटे थे। जीवन के पहला संभोग का अनुभव इतना रोमांचक था कि वह बस सिसकारियां लेती खुद को निढल छोड़ चुकी थी। उसके गुप्तांगों और बदन पर रेंग रहे हाथ, लिंग इत्यादि–इत्यादि उसे अत्यधिक मजा दे रहे थे।


खोये अति–कामुक क्षण में पहली बार जब किसी के लिंग का एहसास अपने योनि पर हुआ, तब ओजल की कामुक तांद्रा थोड़ी भंग हुई। योनि से कामुक स्त्राव तो हो रहा था, किंतु किसी लड़के के द्वारा उसके योनि पर लिंग को घिसे जाने की क्रिया ने ओजल को थोड़ा होश में लाया। ठीक उसी वक्त ओजल के कानो में अलबेली के उस वुल्फ कॉलिंग साउंड की आवाज आयी, जब इवान ने बेरहम होकर उसके गुदा मार्ग में अपना लिंग घुसा दिया था।


ओजल के चमचमाते नव यौवन, आकर्षक बदन पर बाएं हाथ की बांह में एक खूबसूरत बाजूबंद लगा था। अंग्रेजी में जिसे आर्मबैंड भी कहते है। हल्का नीला रंग का खूबसूरत नगीना किसी वुडन आर्ट वाली मेटल से जुड़ी थी, जो ओजल के कमसिन बदन को एक आकर्षक लुक दे रही थी।



दरअसल वह बाजूबंद जादूगर की दंश थी जिसका नाम कल्पवृक्ष दंश था। उसे मंत्रों से समेटकर ओजल ने अपना बाजूबंद बनाया था।


योनि पर घिसते लिंग का एहसास और ठीक उसी वक्त कानो में पड़े अलबेली की वुल्फ साउंड ने ओजल को कामुक चेतना से लौटने में मदद किया। हां, लेकिन कामुक उत्तेजना इतनी हावी थी कि इतनी सी चेतना वापस लौटना काफी नही था, स्थूल पड़े शरीर में हलचल तक लाने के लिये। न चाहते हुये भी ओजल किसी तरह कल्पवृक्ष दंश के नगीने को हाथ लगाई और वह अगले ही पल अलग दुनिया में थी। कल्पवृक्ष दंश की दुनिया में....


ओजल:– दोस्त क्या मैं सच में इतनी कामुक हो चुकी थी...


कल्पवृक्ष दंश:– इस बात का पता तुम्हे लगाना होगा। लेकिन अभी परिस्थिति थोड़ी गंभीर है। तुम सामान्य लड़कों के साथ निर्वस्त्र हो और मैं बहुत ज्यादा देर तक तुम्हे भेड़िया बनने से रोक नही सकता।


ओजल:– दोस्त एक मंत्र बताओ जिससे कुछ वक्त के लिये ये पूरा माहोल ही फ्रिज हो जाये।


कल्पवृक्ष दंश:– हर जादू की एक कीमत होती है। इसे संतुलन कहते है। एक निश्चित माहोल को पूरा शांत करना बड़ा जादू है, यदि सही कीमत नही दे पायी तो अन्य जादूगर की तरह तुम्हारी आत्मा भी विकृत हो जायेगी।


ओजल:– अपना रक्त अर्पण करूं तो क्या ये कीमत सही होगी...


कल्पवृक्ष दंश:– हां लेकिन थोड़ा नही बल्कि रक्त की पूरी धार चाहिए...


ओजल:– धन्यवाद दोस्त... अब तुम मंत्र बताओ....


ओजल मंत्र सीखते ही आंखें खोल दी। किसी तरह अपनी कलाई नगीने तक लाकर, ओजल ने अपनी कलाई की नब्ज काट ली। तुरंत ही खून की पिचकारी ओजल के नब्ज से बहने लगी और अगले ही पल वहां के चारो ओर का माहोल फ्रीज हो चुका था। ओजल तुरंत ही अपने क्ला को बाएं किनारे से गर्दन में घुसाई और दिमाग में चल रहे उत्तेजना के जहर को समेटने लगी। कुछ ही पल में ओजल पूर्णतः अपने होश में थी।


तुरंत ही ओजल ने उस जगह का पूरा मुआयना किया। कुछ लड़के वीडियो बना रहे थे, उनके वीडियो को डिलीट की और अपने कपड़े समेटकर वहां से बाहर निकली। ओजल अब तक उसी घर में थी जहां हाई–स्कूल की पार्टी शुरू हुई थी। घर पूरा खाली था सिवाय उन कुछ लड़कों के, जो ओजल के साथ सामूहिक संभोग करने वाले थे। ओजल उस घर से कुछ दूर हुई और सर पर हाथ रखकर तेज वुल्फ साउंड निकाली।


अल्फा पैक के मुखिया आर्यमणि और रूही बीते कुछ दिनों से एक दूसरे में खोए थे। आज दिन की जोरदार प्यार भरी मिलन के बाद दोनो शाम तक सोते रहे। और जब जागे तब दोनो तैयार होने भागे। हाई–स्कूल प्रबंधन ने जीत की खुशी में एक पार्टी का आयोजन किया था, जिसमे इन दोनो को खास आमंत्रण दिया गया था। शाम के 8 बजे दोनो स्कूल ऑडिटोरियम में थे, जहां आर्यमणि और रूही की मुलाकात तीनो टीन वुल्फ के दोस्तों तथा लूकस के पूरे ग्रुप से हो गयी। हां लेकिन उस चकाचक महफिल में कहीं भी ओजल, इवान और अलबेली नजर नहीं आ रहे थे। दोनो ने पता लगाने की कोशिश भी किये, किंतु किसी को भी तीनो के बारे में ठीक से पता नही था।


तभी मंच पर स्कूल के कोच खड़े हो गये और फुटबॉल में मिली इस जीत का सेहरा तीनो टीन वुल्फ के अभिभावक यानी की आर्यमणि और रूही के सर बांधते कहने लगे.... “इन दोनो ने अपने तीन बच्चे ओजल, इवान और अलबेली को प्रशिक्षित किया और उन तीनो ने हमारी टीम को। हमारी टीम किसी अंतरराष्ट्रीय टीम की तरह खेल रही थी। जिसे खेलते देख मुझे भी विश्वास न हुआ की यह बर्कले की वही टीम है, जिनमे जितने का जज्बा तो दूर, हम जीत भी सकते है, ऐसी सोच तक न थी। लेकिन अलग तरह के कमाल के प्रशिक्षण ने न सिर्फ हमें जीत दिलवाई, बल्कि हमारे प्रतिद्वंदी कहीं दूर–दूर तक टिके भी नही। मैं ओजल के अभिभाव को मंच पर बुलाना चाहूंगा। अपने हाथों से सैंपेन खोलकर आज के जीत की जश्न की शुरवात करे।”


दोनो चारो ओर अपनी नजर दौड़ाते मंच पर पहुंचे। मुस्कुराकर जितने वालों को बधाई दिये और संपैन की बॉटल को खोल दिया। बॉटल खुलते ही सबके हाथ में एक–एक जाम और जाम को लहराकर सभी एक साथ टोस्ट करते उसे गले से नीचे उतार दिया। रूही भी जाम की एक चुस्की लेते आर्यमणि को आंख मारती... “बिलकुल कातिल लग रहे हो जान। आज तो तुम्हे देखकर बेकाबू हो रही हूं।”


आर्यमणि:– बेकाबू तो तुम मुझे कर रही हो। अब भी तुम्हारा नंगा चमचमाता बदन ही मुझे नजर आ रहा। आह!! कितनी नमकीन दिख रही...


रूही:– यहां कुछ ज्यादा भीड़ तो नही...


आर्यमणि, रूही के होटों को पूरे जोश से चबाते.... “शायद अभी हमे किसी और माहोल की जरूरत है।”


दोनो ऑडिटोरियम के बाहर निकले और एकांत कोपचे में पहुंचे। रूही, आर्यमणि को दीवार से चिपकाकर नीचे बैठ गयी और उसके पैंट के बटन को खोलकर लिंग बाहर निकाल ली। लिंग बाहर निकलने के बाद रूही आगे कुछ करती उस से पहले ही आर्यमणि के क्ला गर्दन के किनारे से घुस चुके थे। थोड़ी देर में रूही के अंदर से टॉक्सिक को निकालने के बाद आर्यमणि ने क्ला अपने गर्दन में घुसाया। थोड़ा वक्त लगा लेकिन दोनो सामान्य हुये....


“आर्य अभी हुआ क्या था?”


“हमे किसी प्रकार का जहर दिया गया था।”


“किस प्रकार का जहर?”


“मुझे भी पूरा पता नही लेकिन उसके शुरवती नतीजों के कारण ही हम दोनो काफी एक्सिटमेंट फील कर रहे थे। हो सकता था कि यह जहर हमारी एक्साइटमेंट इतना बढ़ा देता की हम शेप शिफ्ट कर जाते”...


“हमसे बदला लेने के लिये ये काम लूकस ने ही किया होगा।”


“क्या नेरमिन (बर्कले की स्थानीय वुल्फ पैक की फर्स्ट अल्फा और रूही की मासी) भी इसमें सामिल है, या बिना उसकी जानकारी के लूकस ने ये सब किया होगा?”


“ये तो लूकस की यादों से ही पता चलेगा। ले आओ उसे”...


रूही बिना वक्त गवाए वापस ऑडिटोरियम पहुंची और लूकस को इशारे से अपने पास बुलाई... लूकस उसके करीब पहुंचते.... “क्या हो गया? मुझे क्यों याद कर रही”...


रूही:– मेरा पार्टनर किसी और लड़की के साथ चला गया। उस कमीने को तो मैं बाद में देखती हूं, अभी फिलहाल मुझे तुम्हारी जरूरत है। या शायद तुम भी कम पड़ जाओ। अपने कुछ साथियों को भी साथ ले लो। ग्रुप सेक्स का मजा करेंगे...


लूकस:– हा हा हा हा हा... तुम जैसे अल्फा को हम बीटा का गैंग हाथ लगाये। तुम अकेले ही हम सबको कच्चा चबाकर डकार तक न लो।


रूही:– देखो मेरे बदन में आग लगी है। यदि मेरी बात नही भी माने तो भी परिणाम वही होगा। बात मान लो... तुम्हे मै अपने संरक्षण में रखूंगी और अल्फा भी बना दूंगी।


लूकस:– हम्म्!! प्रस्ताव अच्छा है लेकिन तुम्हारा काम निकलने के बात हमे धोका तो नही दोगी?


रूही:– चुतिये धोखा भी दिया तो भी मुझ जैसे अल्फा के साथ बिस्तर गरम करने का मौका दे रही, ये क्या कम बड़ी उपलब्धि है। जल्दी फैसला करो। हां है तो साथ चलो वरना मैं कहीं से भी अपनी आग बुझाने के बाद सीधा खून की प्यास बुझाने ही निकलूंगी...


लूकस:– नाना, तुम कहीं और से आग मत बुझाओ और न ही हमसे अपनी खून की प्यास। हम साथ चलते हैं।


छोटे से वार्तालाप के बाद लूकस अपने 8 साथियों के साथ रूही के पीछे तेजी से चला। सभी स्कूल के किसी सुनसान कोने में पहुंचे। सभी एक साथ रूही के ओर बढ़े ही थे कि सब के सब जड़ों की रेशों में जकड़े गये।


रूही:– क्यों बेटा चौंक गये?


लूकस:– द....द...दे... देखो रूही... हमे जाने दो...


पीछे से आर्यमणि की आवाज आयी..... “तुम्हे जाने तो देंगे लेकिन उस से पहले ये बताओ की कौन सा जहर सैंपैन में मिलाया था, जिसकी खुशबू से ही हम अलग दुनिया में पहुंच गये। और जब उसका एक घूंट पिया फिर तो काबू ही न रहा”...


आर्यमणि ने अपना सवाल पूरा किया ही था कि एक्सडीसीउसके अगले पल ही लूकस और उसके साथियों के सर के चिथरे उड़ गये। ऐसा लगा जैसे उनके सर में किसी ने बॉम्ब लगा दिया हो। छोटे–छोटे मांस के टुकड़े और खून के धब्बे उन दोनो के पूरे शरीर पर लगे थे...


आर्यमणि:– निकलो यहां से पहले...


रूही:– ये हो क्या रहा है? किसने चिथरे उड़ाए, मुझे तो किसी के आस पास होने की गंध भी नही आयी?


आर्यमणि:– कोई हमारे साथ खेल रहा..


रूही:– मुझे तीनो (अलबेली, इवान और ओजल) की चिंता हो रही है। जान वुल्फ कॉलिंग साउंड दो...


रूही की बात पर आर्यमणि वुल्फ कॉलिंग साउंड देता, उस से पहले ही अलबेली की वुल्फ कॉलिंग साउंड दोनो को सुनाई देने लगी। यह उस वक्त का वुल्फ कॉलिंग साउंड थी जब इवान बेरहम हुआ था। दोनो से ही दौड़ रहे थे। वुल्फ कॉलिंग साउंड सुनकर दोनो आवाज की दिशा में दौड़ने लगे। कुछ ही देर में दोनो जंगल के अंदर थे और दोनो को अलबेली और इवान की गंध मिल चुकी थी।


रूही:– ए जी, अपने साथ–साथ इवान और अलबेली की भी शादी करवा दो...


आर्यमणि:– हां मुझे भी ऐसा ही लग रहा। चलो पहले दोनो के पास चलते हैं। फिर उन्हे साथ लेकर ओजल को ढूंढेंगे...


रूही:– हां चलो जल्दी...


दोनो जंगल के दक्षिण दिशा में बड़ी तेजी से बढ़ रहे थे, तभी उन दोनो के कान में ओजल की आवाज सुनाई पड़ी। काफी दर्द और गुस्से से भरी आवाज थी। आर्यमणि और रूही ने अपने बढ़ते कदम को रोका और पीछे ओजल के आवाज की दिशा में दौड़े। कुछ की पल में दोनो ओजल के पास थे। ओजल बेजान की तरह पेड़ से टिक कर बैठी थी। उसके हाथ जमीन को छू रहे थे, जिनसे खून की धारा बह रही थी।


रूही पूरी व्याकुलता से ओजल को अपने बाजुओं में समा ली। उसके सर पर हाथ फेरती एहसास करवाने लगी की सब ठीक है, और वह सुरक्षित है। वहीं आर्यमणि ओजल की कलाई को थामकर उसके रक्त प्रवाह को रोकने लगा। कुछ देर बाद जब ओजल कुछ सामान्य हुई, फिर वह सुबकती हुई आप बीती बताने लगी। वह कैसे इतने लड़कों के सामने निर्वस्त्र हो सकती थी, यह ख्याल उसे बार–बार पीड़ा दे रहा था।


रूही ने उसे पूरी घटना बताई। पूरी बात 4 बार समझा चुकी थी कि उसके साथ यह घटना क्यों हुई... लेकिन ओजल के मन से वह ख्याल जा ही नहीं रहा था। किसी भयानक सपने की तरह आंखों के सामने आ जाता।


“ओजल मैं मानता हूं कि तुम्हारे लिये एक भयावाह मंजर था। लेकिन बेटा अभी हताश होने का वक्त नहीं है, क्योंकि हमें नही पता की इवान और अलबेली कहां है और किस हालात में है?”..... आर्यमणि ने जब मौके की गंभीरता को समझाया तब कहीं जाकर ओजल अपनी आंसू पोछती उनके पीछे चल दी।


तीनो ही जंगल की दक्षिणी दिशा में काफी तेज दौड़ रहे थे। तीनो को गंध तो मिल रही थी लेकिन वुल्फ साउंड का कोई भी जवाब नही आ रहा था। आर्यमणि को शंका हुआ की कुछ गड़बड़ है। हाथ के इशारे से रुकने कहा... “शायद कोई हमारा इंतजार कर रहा। गंध ताजा है पर दोनो में से कोई जवाब नही दे रहा। एक काम करो तुम दोनो वुल्फ साउंड देते आगे बढ़ो। मेरा अंदाज यदि सही है तो जाल बिछ चुका होगा”


ओजल:– कैसा जाल...


रूही:– पैक को फसाने का जाल। जब हम उनके करीब होंगे तब हमें अलबेली और इवान की चीख सुनाई देगी। खुद पर काबू रखना क्योंकि वह चीख तुम्हे एहसास करवाएगा की दोनो के लिये जल्द कुछ न किये तो दोनो मरे जायेंगे...


ओजल:– क्या ??????


आर्यमणि:– इतना चौकों नही। और जैसा रूही ने कहा, पूरे धैर्य से काम लेना....


पूरी बात समझाने के बाद तीनो अलग हो गये। आर्यमणि पीछे रह गया और दोनो चिल्लाती हुई दौड़ने लगी। तकरीबन आधा किलोमीटर आगे जाने के बाद कानो में मृत्यु समान भय पैदा करने वाली आवाज आनी शुरू हो गयी। रूही ने अपने कदमों को धीमा किया, जबकि सारी बातें समझाने के बाद भी ओजल अपना आपा खो चुकी थी। और जितनी तेजी से वह आवाज के ओर बढ़ी थी, उतनी ही तेज उसकी चीख भी निकल गयी। उसके पाऊं लोहे के एक ट्रेपर में फसे थे, जिसमे हाथी के पाऊं तक फंस जाये तो वह विकलांग हो जाता है।


इसके पूर्व जब इवान और अलबेली अपने सहवास की प्रक्रिया पूरी कर दोनो हाथ फैलाकर जमीन पर ही लेट गये। शरीर के अंदर मधुर नशा सा छा रहा था और बदन मानो बेजान से पड़ गये थे। ऐसा आनंद आज से पहले कभी जीवन में उन्होंने मेहसूस नही किया था। तभी न जाने कहां से उग्र भीड़ वहां पहुंची और अपने लात से पागलों की तरह अलबेली और इवान के चेहरे पर मारने लगे।


दोनो के अंदर नशा इतना था कि अपने हाथ पाऊं तक नही हिला पा रहे थे। बस खुद के ऊपर लात चलते हुये मेहसूस कर रहे थे। दोनो की आंखें तब फैल गयी जब कुछ लोगों ने उन्हें ऊपर उठाया। दोनो ही समझने की कोशिश में जुट गये की उनका सामना किनसे हुआ है।


जो लोग उनके बदन को पकड़े हुये थे उनके हाथ इतने ठंडे थे मानो बर्फ ने उन्हे पकड़ रखा हो। चेहरे भी ठीक वैसे शरद बर्फ की तरह नजर आ रहे थे, जिनपर कोई भावना नहीं। चेहरे तो सामान्य इंसान जैसा था, लेकिन जब वह अपना मुंह फाड़े तब अंदर के दांत की बनावट ठीक किसी मांसहारी जानवर के समान थे। जैसे किसी शेर का जबड़ा हो जिसमें 4 नुकीले दांत बाहर निकले।
Superb👍👍👍
 

Devilrudra

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जो लोग उनके बदन को पकड़े हुये थे उनके हाथ इतने ठंडे थे मानो बर्फ ने उन्हे पकड़ रखा हो। चेहरे भी ठीक वैसे शरद बर्फ की तरह नजर आ रहे थे, जिनपर कोई भावना नहीं। चेहरे तो सामान्य इंसान जैसा था, लेकिन जब वह अपना मुंह फाड़े तब अंदर के दांत की बनावट ठीक किसी मांसहारी जानवर के समान थे। जैसे किसी शेर का जबड़ा हो जिसमें 4 नुकीले दांत बाहर निकले।


इवान बेसुध सी आवाज में.... “कौन हो तुमलोग”


भिड़ में से कोई एक..... “ये सवाल तब करना चाहिए था, जब हमारे लोगों के खून और अंदरूनी अंगों से तुम अपने जैसे भेड़ियों के लिये नशे का समान बनाते थे। आज तो हर मौत का हिसाब होगा”


उनकी बातें इवान और अलबेली के लिये जैसे कोई पहेली थी। इसके आगे न तो उग्र लोगों ने दोनो को कुछ बोलने दिया और न ही खुद कुछ बोले। केवल सबका बड़ा सा जबड़ा खुला और दोनो के शरीर से रक्त की आखरी बूंद तक चूस लिये। इवान और अलबेली के शरीर में मानो कोई जान ही नहीं बची। पूरा खून निचोड़ने के बाद दोनो को पेड़ से बांधकर लटका दिया गया। दोनो के मुंह को अच्छे से पैक कर दिया गया और धारदार हथियार से पूरे बदन को काट दिया। अब नब्ज में रक्त का प्रवाह हो तब तो दोनो हील करे। बस असीम दर्द की अनुभूति हो रही थी और चिल्ला भी नही रहे थे।


कुछ देर बाद जब उन प्राणियों के कानो में अलबेली और इवान के पैक के अन्य सदस्य की आवाज पहुंची.... “सब तैयार हो जाओ, इनके पैक के लोग पहुंच चुके है।”


इनके जाल में सबसे पहले ओजल ही फसी। ट्रैपर में जब उसके पाऊं फसे, ओजल को ऐसा लगा जैसे उसका एक पाऊं ही नीचे से कट गया हो। दर्द भरी चीख उसके मुख से निकल गयी और आंखों के सामने दर्द से छटपटाते अलबेली और इवान थे। ओजल के वहां फंसते ही उस भीड़ का एक हिस्सा ओजल पर टूट पड़ा। शरीर के कई हिस्सों पर फेंग घुसे थे और सभी उसका रक्त पीने लगे।


रूही जो धीमा हो चुकी थी। अपने आंखों के आगे जब यह नजारा देखी, उसने तुरंत ही क्ला को जमीन में घुसा दिया। जमीन से सर–सर–सर की आवाज आने लगी। देखते ही देखते पूरी भिड़ जड़ों के रेशों में लिपट गयी। रूही ने जैसे ही अपना काम समाप्त किया, अगले ही पल पूरे उग्र रूप से हमला करने उन तक पहुंची। उसके क्ला सबके सीना चीरकर दिल बाहर निकलने को आतुर थे।


लेकिन ये दुश्मन नया था और यह कोई भीड़ नही थी, बल्कि सिपाहियों का दल था। सब के सब प्रशिक्षित और दुश्मन से निपटने में निपुण। जबतक रूही उनके पास पहुंचती हर सिपाही के हाथ चमकने लगे। मानो सबने अपने हाथों पर मेटल का कुछ चढ़ाया हो। धीरे–धीरे उनका पूरा शरीर चमकने लगा। अब तो ऐसा लग रहा था जैसे पूरे बदन पर मेटल चढ़ाया हो। स्टील के भांति चमकता वह मेटल चंद पल में ही भट्टी के आग में झुलसे लाल रंग का हो गया। हर कोई विस्फोट की आवाज के साथ जड़ों के गिरफ्त से छूटा।


जैसे ही सभी कैद से छूटे सबने मात्र अपने हथेली को रूही के ओर पॉइंट किया। उनके हाथ से दूधिया रौशनी निकली और उस रौशनी के पड़ते ही रूही अपनी जगह पर जम गयी।.... “यकीन नही होता एक वुल्फ इतना प्रशिक्षित भी हो सकता है। लेकिन जंगलियों हमारे किसी लोग का शिकर करने से पहले तुम्हे ये पता कर लेना चाहिए था कि हम तुम्हारा शिकार कितनी आसानी से कर सकते है। वो दिन गये जब हमे वेयरवोल्फ से छिपकर रहना पड़ता था।”


भिड़ को किनारे कर एक युवती सामने आयी और अपनी बात समाप्त कर उसने कुछ इशारा किया। जैसे ही उसने इशारा किया चार लोग अपने हाथों में चेन–सॉ (ऑटोमेटिक मशीन वाली आड़ी) लेकर आये। इरादे शायद चारो (रूही, ओजल, इवान और अलबेली) को बीचों बीच काटने का ही था।


रूही:– तुम हो कौन? और हमने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है?

युवती की अट्टहास भरी हंसी उन वादियों में गूंजती..... “क्या वाकई मे तुम हमे नही जानते? बिना जाने ही हमारे इलाके में घुसते हो और हमारे लोगों को मारकर उनके रक्त और अंदरूनी अंगों से नशे का समान बना लेते हो। कितने भोले हो तुमलोग। चलो मैं तुम्हे खुद से मिलवाती हूं। मेरा नाम राजकुमारी कैरोलिन है और मैं बर्कले में बसे अपने लोगों की मौत का हिसाब करने आयी हूं। बिना वक्त गवाए सबको काट डालो।”


इधर कैरोलिन ने सबको मारने के आदेश दिये और चेन–सॉ के घन, घन, घन की आवाज चारो ओर गूंजने लगी। ठीक उसी वक्त एक बार फिर जमीन से सरसराहट की आहट हुई। कैरोलिन की अट्टहस से परिपूर्ण हंसी वहां चारो ओर गूंजने लगी..... “क्या वाकई... क्या तुम अपने इन टटपूंजिए खेल से अपनी मौत को टाल सकते हो छिपे भेड़िए?”


“कुछ गलतफहमी है, हम आपस में बात करके सुलझा सकते है। बात नही बनी तो तुम हमे मार देना। बस थोड़े से वक्त की बात की है।”...... आर्यमणि धीरे–धीरे चलते हुये उनके सामने पहुंचा। एक झलक अपने पैक को देखा और उनके दर्द को मेहसूस कर, खून का घूंट पीते चेहरे पर बिना कोई भावना लाये कैरोलिन को देखने लगा....


कैरोलिन बिलकुल चींखती हुये.... “मेरे २०० से ज्यादा लोगों को सिर्फ इसलिए मार दिये क्योंकि तुम्हे नशे का समान बनाना था और मैं तुमसे बात–चित करूं। अब तो जो भी बात होगी वो तुम सबको काटने के बाद होगी। लड़कों जल्दी से काम खत्म करो।”


आर्यमणि समझ चुका था कि वह किसी के गहरी साजिश का शिकर हो चुका है। कोई था जो खुद को बचाने के लिये उन्हे फसा गया। शायद कैरोलिन बर्कले में नही रहती थी और साजिशकर्ता को उसके आने की खबर हो चुकी होगी। उसे यह भी पता था कि कैरोलिन और उसके लगभग 50 सिपाही क्या कर सकते थे। मामला अभी तो बातचीत से नही हल होना था इसलिए आर्यमणि सबको वहां से निकालने का ही फैसला किया।


आर्यमणि की एक ही इशारों पर उसका पूरा पैक जड़ों के मोटे रेशों के बीच सुरक्षित था। हां लेकिन स्वांस आर्यमणि की भी अटक गयी थी, क्योंकि वो लोग आड़ी चला चुके थे। ठीक उसी वक्त आर्यमणि ने सबको जड़ों के बीच सुरक्षित किया और बिना वक्त गवाए उन्हे अपने खींच लिया।


इधर कैरोलिन ने जब अपने शिकार को भागते देखा तभी उसने अपने कुछ लोगों को इशारा कर दिया। सबके हाथ आर्यमणि के ओर और दूधिया रोशनी उनके हाथों से निकलने लगी। आर्यमणि तो पहले भी यह देख चुका था। जैसे ही दूधिया रोशनी हुई। ठीक उसी वक्त जमीन से 10 फिट ऊंचा झार निकल आया जो आर्यमणि को पूरा ढक चुका था।


आर्यमणि के ठीक पीछे उसका पैक पहुंच चुका था। रूही घायल पड़े तीनो टीन वुल्फ को जड़ों के बीच से निकाली और हील करने लगी.... “रूही जल्दी करो, हमे यहां से निकलना है।”


रूही भी हां में सर हिलाती अपने काम को और तेजी से करने लगी। इवान और अलबेली लगभग हील हो चुके थे, बस थोड़ी कसर बाकी थी। और ठीक उसी वक्त दर्द भरी कर्राहट आर्यमणि के मुख से निकली। एक विस्फोट के साथ आर्यमणि को कवर किया हुआ जड़ों का रेशा फट गया और उसके अगले ही पल जलता हुआ लाल मेटल वाला हाथ आर्यमणि के कंधे पर था।


आर्यमणि की चींख सुनते ही जैसे अल्फा पैक का दिमाग सुन्न पड़ गया हो। सभी जैसे अपनी जगह स्थिर हो गये थे, और इधर कैरोलिन ने एक हाथ जब आर्यमणि के कंधे पर रखा तो न सिर्फ आर्यमणि ने अपने कंधे पर 1200⁰ से ऊपर का तापमान मेहसूस किया, बल्कि उसके शरीर में 440 वोल्ट के बिजली के झटके भी लगने शुरू हो गये थे।


आर्यमणि कुछ सोचता उस से पहले ही कैरोलिन ने अपना दूसरा हाथ आर्यमणि के सिर पर रख दिया। बालों के जलने की बदबू चारो ओर थी। और सर पर इतने ज्यादा तापमान वो भी बिजली के झटके के साथ जब पड़ा आर्यमणि तो जैसे कोमा में ही चला गया था। रूही आवक थी। इवान और अलबेली हील तो हुये थे, लेकिन शरीर के अंदर का जहर पूर्ण रूप से निकला नही था, जिसके परिणामस्वरूप दोनो के हालत में तेजी से गिरावट देखने मिली।


बची ओजल जिसका पाऊं अब भी फसा था लेकिन अब वह दर्द में बिल्कुल नही थी। बल्कि आर्यमणि की चीख निकलते सुन पागल हो चुकी थी। उसने कल्पवृक्ष दंश निकाला। हाथों के इशारे तो मात्र हुये और वह ट्रेपर कई टुकड़ों में बंट गया। ठीक उसके अगले ही पल ओजल मात्र अपने एक पाऊं के जोर पर बिना कोई दौर लगाए ऊंची और लंबी छलांग लगा चुकी थी। छलांग लगाकर वह ठीक कैरोलिन के सर के ऊपर थी। कैरोलिन ने अपना एक हाथ तुरंत अपने सर के ऊपर किया और दूधिया रोशनी में ओजल को फसाने की कोशिश करने लगी।


कैरोलिन के साथ उसके कई सिपाही भी थे। उन्होंने भी अपने हाथ हवा में कर रखे थे। उनके हाथ से भी दूधिया रौशनी निकल रही थी। लेकिन ओजल अपने हाथ के दंश को किसी कुल्हाड़ी की तरह दोनो हाथों से थामी थी। दूधिया रौशनी में वह जमी नही बल्कि दंश में लगा नागमणि उस दूधिया रोशनी को चीर रहा था। और जब ओजल ने अपने पाऊं जमीन पर रखे, तब कैरोलिन के सभी साथी एक साथ चिल्लाते हुए दौड़ चुके थे। और कैरोलिन... उसे ओजल सर से लेकर कमर तक, दो भागो में चीरकर जमीन पर बिछा चुकी थी।


कैरोलिन के साथी राजकुमारी–राजकुमारी चिल्लाते हुये जबतक उसके नजदीक पहुंचते तब तक तो वह बेजान जमीन पर पड़ी थी। सभी सिपाहियों ने मरी पड़ी राजकुमारी को एक बार देखा और उसके अगले ही पल पागलों की तरह चिल्लाते हुये अल्फा पैक पर टूट पड़े। उनके मेटलिक हाथ का एक घुसा खाकर सभी कई फिट पीछे गये और उसके अगले ही पल दूधिया रोशनी में वो कैद होकर उनके पास खींचे चले आये।


यह ठीक उसी प्रकार था जैसे बचपन में प्लास्टिक की पिद्दी सी बॉल में पतले रबर की रस्सी बंधा खिलौना हम खरीदते थे। हाथ के एक झटके से वो काफी दूर जाते और जीतनी तेजी से दूर जा रहे थे, उस से भी कहीं ज्यादा तेज वापस आ रहे थे। दूधिया रौशनी रबर थी जिसके सिरे से पूरे अल्फा पैक को बांधकर उन्हे हेवी मैटेलिक पंच का मजा दे रहे थे, जिस से 1200⁰ का तापमान और 440 वोल्ट के बिजली का झटका लग रहा था।


पूरे अल्फा पैक की हालत पस्त हो चुकी थी। शरीर के जिस अंग पर उनका पंच पड़ रहा था, काम करना बंद कर देता। जब तक वो लोग अपने उस अंग को हील करते, तब तक 2 और अंग विकलांग हो चुके होते। सबके मुंह से खून और पानी सब निकल चुका था। मात्र 5 बार ही तो आगे पीछे हुये थे, और ऐसा लग रहा था, बस एक बार और खींचकर घुसा मारा गया तो प्राण नही बचेंगे।


लड़ाई अब विषम मोड़ ले चुकी थी। पांचवा मुक्का पड़ने के बाद जहां पूरा अल्फा पैक अचेत हो चला था वहीं आर्यमणि को जब मेहसूस हुआ की उसके पैक की अब जान जाने वाली है, उसके शरीर में असीम ऊर्जा का प्रवाह होने लगा। फिर तो एक सेकंड के 1000वे हिस्से में सोच के 1000 घोड़े दौड़ चुके थे और इस से पहले की दूधिया रौशनी एक बार फिर पूरे अल्फा पैक को खींचती आर्यमणि ने अपने पंजे खोलकर उस दूधिया रौशनी को कोई टॉक्सिक मानकर सोखने लगा।


उम्मीद तो थी की यह टॉक्सिक रौशनी हथेली में पूरी समा जाये लेकिन ऐसा हो न सका। दूधिया रौशनी सबके शरीर से डायवर्ट होकर आर्यमणि के हथेली से तो कनेक्ट हो gayi किंतु वो मात्र एक कनेक्शन था। जैसे आर्यमणि के विपक्षी ने उस दूधिया रौशनी को अपने हाथ से बांध रखा था ठीक वैसा ही। एक साथ सभी लोगों के दूधिया रौशनी आर्यमणि कर हथेली में कनेक्ट थे। 50 बनाम एक अकेला आर्यमणि। उधर से 50 लोग खींचने वाले और उधर से अकेला आर्यमणि।


परिवार की जान खतरे में और सामने दिख रहा खतरा। फिर तो आर्यमणि अपने बाहुबल का प्रदर्शन करते उन सभी सिपाहियों को उल्टा एक साथ खींच लिया। सभी 50 सिपाही को खींचने के साथ ही जब उसने घुसा बरसाना शुरू किया.... फिर तो जमीन पर एक के बाद एक धम्म–धम्म गिरने की आवाज आनी शुरू हो गयी। अब तक तो उन लोगों ने अपना मेटलिक मुक्का से अल्फा पैक का परिचय करवाया था किंतु जब आर्यमणि ने अपने प्योर अल्फा के मुक्के से परिचय करवाया, सभी 50 सिपाही के अंग भंग हो चुके थे।


रौशनी का वार फेल होते ही सिपाहियों ने अपने पूरे बदन को हो जैसे लाल कर लिया हो। 1200⁰ तापमान पर जलता हुआ मेटल और उसमे से निकलती करंट का प्रवाह। हां लेकिन आर्यमणि को तो बस पहला हमला ही चौंका सकता था, दूसरी बार वह मौका कहां देता। आर्यमणि की एक तेज दहाड़ के साथ ही सभी वुल्फ सहम कर एक कोना पकड़ लिये। युद्ध भूमि पर बिलकुल मध्य में खड़ा आर्यमणि और सामने अपने आग और बिजली वाला शरीर लिये 50 सिपाही। सभी दौड़ लगाते हुये आर्यमणि पर हमला बोल दिये।


आर्यमणि अपने हथेली में सारा टॉक्सिक पहले ही समेट चुका था। बाहुबल की तो कमी थी नही। फिर तो देखने वाला नजारा था। आर्यमणि के पड़े हर मुक्के से विस्फोट जैसी आवाज और चिंगारियां निकल रही थी। एक सेकंड में वह 10 मुक्के चला रहा था। उसका मुक्का खाकर सिपाही 200–250 फिट पीछे गिरते। शरीर के जिस हिस्से पर आर्यमणि का मुक्का लगता वहां का मेटलिक भाग ऐसे पिघल जाता जैसे गरम तवे पर बटर पिघलता हो। और मुक्का सीधा जाकर उनके शरीर से टकरा रहा था और शरीर के जिस अंग से आर्यमणि का मुक्का टकराता वह अंग फिर काम करने लायक नही बचता।


वहां पर केवल और केवल विस्फोट की आवाज आ रही थी। कर्राहते लोग जमीन पर बिछ रहे थे जिनके संख्या हर सेकंड में बढ़ती ही जा रही थी। तबियत से एक पूरे मिनट में ही 50 अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी से लैश नए किस्म के प्राणियों को आर्यमणि जमीन पर बिछा चुका था। फिर आराम से आर्यमणि उन सबके करीब पहुंचते..... “यदि हमारी बात सुने होते तो शायद ये नौबत नही आती। खैर, हम किसी को मारना नही चाहते। लेकिन हमारे हाथों से यदि कोई मारा है, तो उसकी सिर्फ वजह इतनी रही होगी की वो या तो हमें जान से मारने आये थे या हमरे परिवार को जान से मारने की कोशिश कर रहे थे। उम्मीद है फिर कभी अपनी मुलाकात न हो, वरना आज मैं बात करना भी चाह रहा था लेकिन अगली बार बात नही करूंगा।”


आर्यमणि अपनी बात कहकर एक बार अपनी पैक के ओर देखा। उधर से सब ठीक है वाला जैसे ही इशारा हुआ, उसके अगले पल ही सभी सिपाही जड़ों में लिपटे थे और आर्यमणि सबको एक साथ हील करके वहां से निकल गया। जब तक वो लोग जड़ों की रेशों में विस्फोट करके बाहर निकले, तब तक वहां से अल्फा पैक गायब हो चुकी थी। पांचों अपने घर के लिविंग हॉल में बैठे आज शाम की हुई घटना पर सोच रहे थे....


आर्यमणि:– अभी जो हुआ उसपर इतना सोचो मत। किसी ने हमे बुरी तरह से फसाया था। और लगता है हम फंस भी चुके। उस राजकुमारी की मौत के साथ ही अपने नई दुश्मनी का अध्याय शुरू हो गया...


रूही:– दुश्मनी तो तभी शुरू हो गयी थी जब उस पागल राजकुमारी ने बात न करके सीधा मारने के लिये आगे बढ़ गयी। कोई उधर से मरता या इधर से, दुश्मनी होनी तो सुनिश्चित हो गयी थी। शायद यह दुश्मनी अपनी नियति में थी।


इवान:– हां सही कही दीदी। लेकिन वो थे क्या?


आर्यमणि:– ये लोग जो भी थे, अपने मूल रूप में नही थे। उनके शरीर पर मेटल का कवर चढ़ा था। लोहे को पिघलाकर पानी बनाने वाले तापमान में एडैप्टिव थे। और उनके हाथों से निकलती वह दूधिया रौशनी, पता नही किस कण से वो रौशनी बने थे। यह जो भी था अपने प्रजाति को काफी ज्यादा अपग्रेड कर चुका है।


इवान:– मतलब...


आर्यमणि:– मतलब इन्होंने खुद पर ही लगातार प्रयोग करके खुद को अपग्रेड किया है। विज्ञान पर पकड़ इनकी लाजवाब है, और इनका दिमाग किसी मृत इंसान के दिमाग जैसा है, जिनसे कोई भी याद चुराई नही जा सकती।


अलबेली:– वो सब तो सही है लेकिन आगे क्या?


रूही:– आगे तेरी और इवान की शादी भी उसी दिन होगी जिस दिन हमारी शादी होगी।


अलबेली:– हां ठीक है समझ गयी। मैं कब शादी से इंकार कर रही और इवान की भी हां है। इस चेप्टर को यहीं क्लोज कर दे...


ओजल:– आखिर उन लोगों के खून और अंदरूनी अंग से किस प्रकार का नशा पदार्थ बनता था, जो मात्र संपर्क में आते ही पागल हम सब पागल हो गये थे?


आर्यमणि:– इसका जवाब तो केवल बॉब ही दे सकता है। लेकिन अभी जवाब लेने का वक्त बिलकुल भी नहीं। हमारे नए दुश्मन को हमसे दुश्मनी करनी है, तो उन्हे भी हमारे पीछे आना होगा। हम तो अपने शेड्यूल से आगे बढ़ेंगे। और कोई बताएगा वो क्या है?


रूही:– हां क्यों नही। हम सबके बचपन और जवानी को जिसने एक भयावाह याद बना दिया, उन एलियन का शिकर करना है। कल हम सब मियामी जायेंगे...


तीनो टीन वुल्फ एक साथ.... “वूहू.. वूहू.. अपना एक्शन टाइम वो भी लगातार 2 महीनो तक।”


आर्यमणि:– तो फिर बस तैयार हो जाओ और दिखा दो उन्हे की छिपकर शिकार करना किसे कहते हैं।


बीते रात का खौफनाक नशा और किसी साजिश के तहत उत्पन्न हुई दुश्मनी को पीछे छोड़कर आर्यमणि अपने पैक के साथ मियामी उड़ान भर चुका था। योजना के हिसाब से इवान और ओजल संन्यासी शिवम् और निशांत के पास चले गये। वहीं आर्यमणि, रूहि और अलबेली एक साथ काम करते।
Shaandar 👍👍👍
 

CFL7897

Be lazy
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Wo ye kya tha bhai..nasa ka overdose jo wolf ko bhi kabu kar le.
Chlo bhai ab tak ka tagada dusman mila hai sikar par nikalane se pahale....
wakt ki kami k wajah se alfa pack inke bare me pata nahi laga paye...
Sala inko nasa kaun si di gaye thi???
Shandar update.
 

Anky@123

Well-Known Member
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Bat kal ki huyi thi lekin aaj hi update pure huye
Romance kahi jyada charam per hai wolf gang ke ,jese hi ek masla yani ki apna pakau jadugar shant hua wolf pariwar ek atyadhunik gang ke shikanje me aa gaya aur waha se sakushal nikal bhi aaya, manna padega is baar fasaya bada jordaar tarike se tha, magar Bach Gaye sab k sab .filhal to sab Miami k liye nikal gaye h , magar me palak ke sath faceoff ko leker thoda utsahit hu , halaki palak ki bahut buri tarah se Marni hai per fir bhi wo cheez padne me maja aayega ,mere hisab se ek bade damdaar alian ko ab sach me Marne ki jarurat hai kyu ki in alian m dar dekhne ki bhi ichha hai jo ab tak ek baar bhi dekhne ko nahi mila hai
 
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