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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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nain11ster भाई के हिसाब से वीकेंड पर अपडेट नहीं आता है, अगर आज आ गया तो हमारी अच्छी किस्मत
 
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nitya.ji

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भाग:–17



पलक:– प्रहरी के कई उच्च अधिकारी को लगता है कि तुम्हारे दादा वर्घराज कुलकर्णी की सारी सिद्धियां तुम में है। तो कई लोगों का मानना है कि मैत्री लोपचे के प्यार में तुम एक वेयरवोल्फ बन गए थे। पर एक वेयरवोल्फ किसी प्रहरी के यहां कैसे रह सकता है, इसलिए खुद ही वो लोग इस बात का खंडन कर देते है। बाद में इस बात का भी खंडन कर देते हैं कि जब तुम ७–८ साल के थे तब तुम्हारे दादा जी इस दुनिया में नही रहे। फिर उनकी सिद्धि तुम्हारे अंदर कैसे आ सकती है? लेकिन हर किसी को लगता है कि तुम कुछ हो.… उनके लिए तुम किसी रिसर्च सब्जेक्ट की तरह हो, जिसपर कोई नतीजा नहीं निकलता.…



आर्यमणि, खुलकर हंसते... "फिर किस निष्कर्ष पर पहुंचे"…

पलक:– सब के सब दुविधा में है। किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके। लेकिन हर किसी को लगता है कि तुम में कुछ तो खास है...

आर्यमणि:– और मेरी रानी को क्या लगता है?

पलक, आर्यमणि के गले लगकर... "मुझे तो बस तुम्हारे साथ सुकून मिलता है।"…

आर्यमणि, अपने बाजुओं में पलक को भींचते... "और क्या लगता है?"…

पलक:– यही की हमे अब रुक जाना चाहिए वरना मैं खुद को अब रोक नही पाऊंगी...

आर्यमणि:– मैं भी तो यही चाहता हूं कि रुको मत...

अपनी बात कहकर आर्यमणि ने थोड़ा और जोड़ से पलक को अपनी बाजुओं में भींच लिया। पलक कसमसाती हुई.… "आर्य प्लीज छोड़ दो... रोमांस तो हवा हो गई, उल्टा मेरी पूरी हड्डियां चटका दिए।"

आर्यमणि, पलक को खुद से अलग करते... "तुम्हे छोड़ने की एक जरा इच्छा नहीं... जल्दी से मेरा ध्यान किसी और विषय पर ले जाओ"…


पलक:– ध्यान भटकने के लिए तो पहले से विषय है। उस वेयरवॉल्फ ने ऐसा क्यों कहा कि ये इलाका उन जैसे (वेयरवोल्फ) और हमारे जैसों (प्रहरी) के लिए प्रतिबंधित है, तुम्हारा नाम क्यों नहीं ली।


आर्यमणि:- क्योंकि मै दोनो में से कोई भी नहीं हूं।

पलक:– तो फिर तुम क्या हो?

आर्यमणि:– एक और प्रहरी जो मेरे बारे में जानना चाहती है। लेकिन मैं अपनी रानी को बता दूं कि मैं सिर्फ एक आम सा इंसान... जो न तो शिकारी है न ही वेयरवोल्फ। ठीक वैसे जैसे निशांत, चित्रा और माधव है।


पलक को किसी और जवाब की उम्मीद थी। शायद प्रहरी जो आकलन कर रहे थे.. "आर्यमणि में कुछ तो खास है।" बस इसी से मिलता–जुलता की आर्यमणि में क्या खास है। लेकिन आर्यमणि बड़ी चतुराई से बात टाल गया और उसका जवाब सुनकर पलक का खिला सा चेहरा मायूसी में छोटा हो गया। आर्यमणि, पलक के सर को अपने सीने से लगाकर, उसपर हाथ फेरते हुए कहने लगा…. "तुम क्यों इतनी बातो का चिंता करती हो। मै क्या हूं वो मत ढूंढो, हम दोनों एक दूसरे के लिए क्या है, इसमें विश्वास रखो। तुम जब आर्य और पलक को एक मानकर चलोगी ना, फिर तुम्हे पूर्ण रूप से आर्य और पूर्ण रूप से पलक भी समझ में आ जाएगी। और यदि तुम बिना पलक के अधूरे आर्य को ढूंढोगी तो ऐसे ही आर्य तुम्हे उम्र भर अजीब लगता रहेगा।


पलक, उसके पेट से लेकर पीठ तक अपनी हाथ लपेटती…. "पता नहीं ये प्रेम है या कुछ और। लेकिन तुमसे दूर होती हूं तब तुमसे लिपटकर रहने की इक्छा होती है और जब पास होते हो तो धड़कने पूरी तेज। इतनी तेज की मै अपनी भावना ठीक से जाहिर नहीं कर पाती। क्या मुझे प्यार हुआ है?"


आर्यमणि:- हां शायद...


दोनो सुकून के प्यारे से पल को भुनाने लगे। कुछ समय बीतने के बाद… "पलक यहां तो धूप बढ़ रही है, कहीं और चले क्या।"..


पलक:- चलो लॉन्ग ड्राइव पर चलते है। जहां जी करेगा वहां रुकेंगे, और ढेर सारी मस्ती करेंगे।


आर्यमणि:- किस्स के नाम पर तो ताला लगा है, मस्ती क्या खाक करेंगे। तुम्हे गोद में उठाया था तो दिल कर रहा था कि होंठ से होंठ लगाकर चूमते हुए ऊपर तक लेकर आऊं।


पलक:- और ऊपर लाकर कंट्रोल नहीं होता तो मुझे इधर-उधर हाथ लगाते और बाद में फिर..


आर्यमणि:- उफ्फ ! क्या रौंगटे खड़े करने वाले ख्याल है। पलक तुम्हारे साथ मुझे एडवांटेज है। इन सब मामले में जो बात दिमाग में भी नहीं रहती, वो भी तुम डाल देती हो। फिलहाल..


पलक:- हां फिलहाल…


आर्यमणि:- फिलहाल इस जगह पर आते ही अब कुछ नहीं कर सकता, क्योंकि यह एक विकृति स्थल है और मुझे अब जरा पता लगाने दो की यहां कल रात हुआ क्या था? और क्यों ये इलाका सुपरनैचुरल और शिकारियों के लिए प्रतिबंधित है?


पलक:- और ये पता कैसे लगाएंगे?


आर्यमणि:- ये माटी है ना। लोग इसे कितनी भी मैली कर दे, अपने अंदर सब ज़हर समाकर, ऊपर से उन्हें पोषण ही देती है। मै भी इस माटी से मदद मांगता हूं, ये किसका मैल छिपाकर प्रकृति का मनमोहक नजारा दी हुई थी?


पलक आर्यमणि की बात बड़े ध्यान से सुनती हुई उसके साथ कदम से कदम मिलाकर चलने लगी। दोनो 100 कदम चले होंगे, तभी एक स्थान को देखकर आर्यमणि रुकने के लिए कहा। नीचे बैठकर उसने हाथो में मिट्टी उठाई और उसे सूंघने लगा।… "खून है यहां, किसी तरह का अनुष्ठान हुआ था। खोदने के लिए कुछ है क्या?"..


पलक:- बैग में एक छोटा सा चाकू है।


आर्यमणि, पलक को घूरते हुए… "मेरा गला काटने के लिए तो नहीं लेकर घूम रही थी।"..


पलक, अपने बैग से चाकू निकालकर उसके गले पर रखती… "ये जान और ये आर्य, दोनो मेरे है। इसपर नजर डालने वालों को छिलने के लिए रखी हूं।"..


आर्यमणि उसके हाथो से चाकू लेकर जमीन कि भुरभुरी मिट्टी हटाते… "ऐसे अदाएं मत दिखाओ की मै खुद को रोक नहीं पाऊ। तुम्हारे पास कोई ग्लोब्स या पॉलीथीन है।"


पलक:- नहीं।


आर्यमणि:- पीछे रहना और किसी चीज को छूना मत।


पलक:- हम्मम ! ठीक है।


आर्यमणि तेजी से गया और पेड़ की लंबी चौड़ी छाल छीलकर ले आया। बड़े ही ऐतिहात से मिट्टी के अंदर के समान को निकला। अंदर से फूल, माला, कुछ हड्डियां और कपाल निकली। सब समनो को देखकर पलक, आर्यमणि से पूछने लगी…. "ये सब क्या है आर्य।"..


आर्यमणि:- बताता हूं, तुम जरा पीछे हो जाओ पहले, और कुछ भी हो मुझे छूना मत। समझ गई।


पलक अपना सर हां में हिलती हुई, चार कदम पीछे हो गई… आर्यमणि अपना शर्ट उतार कर नीचे जमीन में बिछाया और पलक उसके बदन पर गुदे टैटू को गौर से देखने लगी। बांह पर राउंड शेप में, संस्कृत के कुछ शब्द लिखे हुए थे। पीठ पर भगवान शिव की बड़ी सी टैटू। जितने भी टैटू थे, दिखने में काफी आकर्षक लग रहा था।


आर्यमणि भूमि के अंदर से निकले सामान को बांधकर एक पोटली बनाया और ठीक उसके पास जमीन को 5 इंच खोदकर अपना दायां पंजा उसके अंदर डाल दिया। बाएं हाथ की मुट्ठी बनाकर पीछे कमर तक ले गया और दायां हाथ के फैले पंजे के क्लॉ भूमि के अंदर घुस गए। दिमाग के अंदर सारी छवि बननी शुरू हो गई। इधर पलक पीछे खड़ी होकर सब देख रही थी।


जैसे ही थोड़ा वक्त बिता, आर्यमणि का पूरा शरीर ही नीला दिखने लगा था और वो अपनी जगह से हिल नहीं रहा था। तकरीबन 10 मिनट तक बिना हिले एक ही अवस्था में रहने के बाद, आर्यमणि अपनी आखें खोला। आर्यमणि अपने हाथ को साफ करने के बाद, छाल का एक मजबूत कवर बनाया और पोटली को छाल के बीच डालकर… "पलक इसे ऊपर से पकड़ना और आराम से कार की डिक्की में रख देना। तुम जबतक ये सब करो मै कार के पास तुम्हे मिलता हूं।"


आर्यमणि चारो ओर का जायजा लेते पश्चिम के रास्ते चल दिया, जहां कुछ दूर आगे झील था। पूरा मुवाएना करने के बाद आर्यमणि पलक के पास पहुंचकर…. "तुम्हे तैरना आता है।"..


पलक:- हां आता है।


आर्यमणि:- चलो मेरे साथ..


पलक:- लेकिन आर्य सुनो तो…


आर्यमणि:- चलो भी..



पलक को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था, वो आर्यमणि के साथ चल दी।… "आर्य अब ये तो नहीं कहोगे ना कि हम इस झील में तैरने वाले है।"..


आर्यमणि, पलक की बातो पर ध्यान ना देकर उसका हाथ पकड़ा और तेजी से दौड़ लगाते हुए झील के अंदर चला गया… "बहुत शरारती हो तुम आर्य।"


आर्यमणि अब भी कोई उत्तर नहीं दे रहा था, वो बस पलक का हाथ पकड़ कर एक दिशा में तैरते जा रहा था। आर्यमणि पलक के साथ तैरते हुए झील के इस किनारे से उस किनारे तक चला आया। और थोड़ी ही दूर आगे जाने के बाद.. एक बड़ा सा गड्ढा उसे नजर आने लगा… "पलक मोबाइल लाई हो।"..


पलक:- मुझे लगा ही था कि तुम झील में मुझसे तैराकी ना करवा दो इसलिए मैंने मोबाइल कार में ही छोड़ दिया।


आर्यमणि:- स्मार्ट गर्ल.. किसी को पकड़ो यहां की तस्वीरें लेनी है।


किसी को पकड़ना क्या था वहां पर दो लड़के पुलिस के साथ खुद ही पहुंच रहे थे। .. पुलिस आर्यमणि और पलक को देखकर… "चला रे, भिड़ ना लगाओ।"..


आर्यमणि:- हमलोग प्रेस से है सर.. ये गड्ढा हमे अजीब लग रहा है और आप भी यहां आए है, इसका मतलब कुछ तो राज ये गड्ढा समेटे है। तो बताइए सर, क्या है इसकी कहानी..


पुलिस, अपनी वर्दी टाईट करते… "देखिए वो क्या है।"..


आर्यमणि:- एक मिनट सर, आपका मोबाइल दीजिए ना। पहले यहां को बारीक तस्वीर ले लूं, फिर आप का स्टेटमेंट रिकॉर्ड करके कल अखबार में छपने के लिए भेज दूंगा।


पुलिस:- हां हां क्यों नहीं…


आर्यमणि, मंहगा मोबाइल फोन देखकर.… "क्या बात है सर काफी तरक्की में हो"


पुलिस:- मेरे साला ने गिफ्ट किया है।


आर्यमणि हर एंगल से वहां की तस्वीर लेने लगा। उसके बाद पुलिस की तस्वीर लेते हुए… "हां सर अभी कहिए।"..


पुलिस:- कल रात को यहां कुछ हलचल हुई। पन ये लोग का कहना है कि यहां गड्ढे से कोई भूत निकला और लोगों को मारकर गायब हो गया। इन लोगों के हिसाब से... रात का अंधेरा था और गड्ढे के पास हलचल देखकर लोग इधर कू आए। पन जब आए तो फिर लौटकर नहीं गए। पहले गड्ढे में गिरे और लाश पानी से निकली। इधर तो आबरा का डाबरा चल रहा है।


पुलिस के पास खड़ा एक लड़का…. "साहेब मुनीर काका ने खुद देखा, जब वो भूत दोनो को मार रहे थे। 10 फिट लंबा भूत बिल्कुल काला और अजीब से आंख। मुनीर काका के साथ वो दोनो आदमी भी जा रहे थे। अचानक ही तीनों को यहां गड्ढे के पास कुछ दिखा। मुनीर काका तो रुक गए लेकिन जैसे ही वो दोनो गड्ढे के पास पहुंचे भूत ने दोनो को खींच लिया। दोनो के गर्दन को अपने २ फिट जितने बड़े पंजे में जैसे ही दबोचा ना, उन दोनों के शरीर के अंदर से लाल रंग का धुआं निकलकर, उसके नाक में समा गया और वो भूत इन दोनों को इसी गड्ढे में डालकर गायब हो गया।


आर्यमणि:- सर लाश का फिर तो पोसटमार्टम हुआ होगा।


पुलिस:- इसलिए तो अरेस्ट करने आए रे बाबा। अब मर्डर भूत ने किया या सौतन ने या किसी इंसान ने, उसका पोस्टमार्टम होना तो चाहिए था ना। अब इनको पोस्टमार्टम के लिए बोला तो पुरा गांव हमे घेरकर कहता है, लाश शापित था पुरा गांव खत्म हो जाएगा और इसलिए रात को ही जला दिया।


आर्यमणि:- छोड़ो ना साहेब मै इसे गड्ढे में फिसलकर पानी में डूबने से मौत छाप देता हूं। गड्ढा भरवा दो साहेब वरना आज रात फिर भूत आ जाएगा और इनकी कहानी सच हो की ना हो लेकिन आपकी परमानेंट ड्यूटी यहीं लग जाएगी।


आर्यमणि की बात सुनकर थानेदार हसने लगा। थानेदार ने दोनो से नाम पूछा और अपनी जीप से ले जाकर दोनो को उस पार छोड़ दिया। आर्यमणि और पलक ने थानेदार को धन्यवाद कहा और दोनो कार से वापस निकल गए। इससे पहले कि पलक अपने पजल हुए माइड को, कुछ सवाल पूछकर राहत देती आर्यमणि कहने लगा… "प्रतिबंधित क्षेत्र में एक विकृति रीछ स्त्री थी जो पिछले 2600 साल से सजा भुगत रही थी। सजा अपने पूर्ण जीवन काल तक की थी"..


पलक:- क्या मतलब है तुम्हारा एक रीछ स्त्री।


आर्यमणि:- "रामायण काल में एक प्रजाति का उल्लेख है रीछ, जिसमें जाम्बवंत जी का नाम प्रमुख था। जिन्होंने श्री हनुमान जी को उनकी शक्तियों का स्मरण करवाया था और लक्ष्मण जी जब मूर्छित थे तब हनुमान जी और विभीषण जी, जाम्बवंत जी के पास गए थे। तब उन्होंने ही हिमालय के ऋषभ और कैलाश पर्वत जाकर संजीवनी बूटी लाने के लिए कहा था।"

"ये प्रजाति मानव जाति की सबसे श्रेष्ठ प्रजातियों में से एक थी जो इंजिनियरिंग और साइंस में काफी आगे थे। मना ये जाता है कि इन लोगों ने एक ऐसा यंत्र का निर्माण किया था जो विषैले परमाणु निगल जाते थे। ये लोग दीर्घ आयु होते थे। जाम्बवंत जी की उम्र बहुत लंबी थी। 5,000 वर्ष बाद उन्होंने श्रीकृष्ण के साथ एक गुफा में स्मयंतक मणि के लिए युद्ध किया था। भारत में जम्मू-कश्मीर में जाम्बवंत गुफा मंदिर है। जाम्बवंत जी की बेटी के साथ भगवान श्री कृष्ण ने विवाह किया था।


पलक:- ये विकृति रीछ स्त्री कितना खतरनाक हो सकती है।


आर्यमणि:- अगर इन लोगो की बात पर यकीन करें तो उसने केवल गला पकड़ कर दो लोगों के रक्त को कण में बदल दिया और अपने अंदर समा ली।


पलक:- ये जो प्रजाति थी वो अच्छी थी या बुरी?

भाग:–18





पलक:- ये जो प्रजाति थी वो अच्छी थी या बुरी?


आर्यमणि:- बुरे तो राक्षस भी नहीं थे। उन्हें पृथ्वी पर रक्षा करने के लिए भेजा गया था और रक्षा शब्द से ही राक्षस बना। अब क्या कहा जा सकता है। ये अच्छे प्रजाति की एक विकृति स्वभाव की रीछ थी, जिसे यहां कैद किया गया था। शायद वो सिद्धि प्राप्त थी इसलिए तो हिमालय से इतनी दूर लाकर इसे कैद किया गया था। मंत्र के वश में थी, जिसे कल रात आज़ाद कर दिया गया। 500 दिन का वक़्त है, उसके बाद वो क्या-क्या कर सकती है, ये तो वही बताएगी।


पलक:- तुम्हे इतना कैसे मालूम है आर्य?


आर्यमणि:- मेरे दादा, वर्धराज कुलकर्णी, विशिष्ठ प्रजातियों का अध्ययन और उनके जीवन के बारे में सोध करते थे। साथ में एक इतिहासकार भी रहे है। बचपन में उन्होंने मुझे अपनी गोद में बिठाकर बहुत सारी बातों का पुरा ज्ञान दिया था। वो मंत्र और उनकी शक्ति को भी एक साइंस ही मानते थे, जो पंचतत्व में बदलाव लाकर इक्छा अनुसार परिणाम देता था। जिसे चमत्कार कहते है, जो लोग केवल काल्पनिक मानते है।"

"घर जब पहुंचो तो एक बड़ा सा नाद लेना, उसमे पुरा पानी भरकर थोड़ा सा गंगा जल मिला देना और छाल सहित पोटली को उस नाद में डूबो देना। याद रहे बिना गंगा जाल वाले पानी में डुबोए उस कपड़े को छूने की कोशिश भी मत करना। यदि पानी का रंग लाल हुआ तो समझना रक्त मोक्ष श्राप से बंधी थी। और यदि रंग नीला हुआ तो समझना विश मोक्ष श्राप से बंधी थी।


पलक:- लेकिन तुम ये मुझसे क्यों कह रहे हो करने। तुम्हे इतनी जानकारी है तो तुम ही इस जीव को देखो ना।


आर्यमणि:- "मुझे जितना ज्ञान था मैंने बता दिया। प्रहरी के इतिहास की कई सारी पुस्तकें है। यधपी कभी किसी प्रहरी का पाला वकृत रीछ और उसके साथी किसी विकृत महाज्ञानी से नहीं हुआ हो, लेकिन किसी ना किसी के जानकारी में तो ये पुरा मामला जरूर होगा क्योंकि ऐसा तो है नहीं की वैधायाण भारद्वाज के बाद सुपरनेचुरल आए थे, और केवल उन्हें ही अलौकिक ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।"

"वैधायाण भारद्वाज और उनके अनुयाई ने भी कहीं ना कहीं से तो ये सब सिखा ही था। तो इतिहास में कहीं ना कहीं तो इस बांधी हुई रीछ स्त्री का भी जिक्र मिल जाएगा। बिना उसके हम कुछ नहीं कर सकते।"


पलक:- और जब मुझसे पूछेंगे की मुझे ये सब कैसे पता चला तो मै क्या जवाब दूंगी। उनके होने वाले जमाई ने पुरा रिसर्च किया है।


आर्यमणि:- उनसे कहना तुम जिस लड़के के साथ घूमने गई थी वह जबरदस्ती प्रतिबंधित क्षेत्र ले गया। मुझे भी जानने की जिज्ञासा थी कि यहां ऐसा क्या हुआ था, जो यह क्षेत्र प्रतिबंधित है? फिर सबको बताना कि तुम्हे हवा में कुछ अजीब सा महसूस हुआ और तुमने आदिकाल बंधन पुस्तिका का स्मरण किया जिसका ज्ञान प्रहरी शिक्षण के दूसरे साल में दिया जाता है।


पलक:- हां समझ गई आगे याद आ गया। वहीं लिखा हुआ है हवा में छोटी सी अजीब बदलावा का पीछा किया जाए तो बड़े रहस्य के वो करीब पहुंचा देता है। मंत्र पुस्तिका के कारण ये पोटली बनाई और अनुसंधान भेजने के लिए ले आयी। रीछ के बारे में भी पढ़ी हूं और वो गड्ढे की कहानी से जोड़ दूंगी।


आर्यमणि:- ये हुई ना मेरी रानी जैसा सोच और दबदबा।


पलक:- आर्य तुम्हे अपने परिवार को लेकर काफी दुख होता होगा ना। तुम्हारे ज्ञानी दादा जी को कितना बेइज्जत करके महाराष्ट्र से निकलने पर मजबूर कर दिया। तुम्हारी मां..


आर्यमणि:- हूं..


पलक:- माफ करना... मेरी सासू मां प्यार में थी, जैसे मै हूं, गलती मेरे मामा से हुई क्योंकि उन्होंने आत्महत्या चुना, लेकिन सजा तुम्हारी मां को मिली।


आर्यमणि:- छोड़ो बीते वक़्त को, तैयार रहना जल्द ही मै तुम्हे चूमने वाला हूं। शायद सोमवार को ही मेरा मंगल हो जाए। और एक बात, हम इतने क्लोज हो गए है कि तुम्हरे हाव-भाव अब कहीं जाता ना दे, हमारे बीच कुछ है।


पलक:- क्यों ये रिश्ता सीक्रेट रखना है क्या?


आर्यमणि:- हमारा रिश्ता अरेंज होगा और सभी लोग हाथ पकड़कर हमारा रिश्ता करवाएंगे।


पलक:- क्यों तुमने सब पहले से प्लान कर रखा है क्या?


आर्यमणि:- लक्ष्य पता है, कर्म कर रहा हूं, बस दिमाग खुले रखने है और सही वक़्त पर सही नीति… फिर तो ठीक वैसा ही होगा जैसा सोचा है, बस तुम ये जाहिर नहीं होने देना की हम एक दूसरे में डूब चुके है।


पलक:- जो आज्ञा महाराज।


पलक, आर्यमणि को तेजस दादा के शॉपिंग मॉल, बिग सिटी मॉल के पास छोड़ दी और खुद घर लौट गई। पलक जिस अंदाज़ में गई थी और जिस अंदाज़ में लौटी उसे देखकर तो पूरे घरवाले हसने लगे।… "क्या हुआ पलकी, उस लड़के ने तुझे पानी में धकेल दिया क्या।"


पलक:- मै वाकी वुड्स के प्रतिबंधित क्षेत्र में गई थी।


उज्जवल और नम्रता हड़बड़ा कर उसके पास पहुंचे। उनके आखों में गुस्सा साफ देखा जा सकता था। पलक सारी बातें बताती हुई एक नाद मंगवाई और छाल में बंद उस पोटली को डूबो दी। पोटली का रंग नीला पड़ गया। नीला रंग देखकर पिता उज्जवल और पलक दोनो के मुंह से निकल गया… "विष मोक्ष श्राप"।


किसी असीम शक्ति को बांधने के लिए २ तरह के श्राप विख्यात थे। पहला बंधन श्राप था "रक्त मोक्ष श्राप"। इस बंधन को बांधने के लिए 5 अलग–अलग जीवों के साथ एक इंसान की बलि दी जाती थी। इंसानी बलि भी केवल तब मान्य थी, जब वह स्वेक्षा से दी जाए। यूं तो लोग उन असीम शक्तियों वालों से इतना सताए हुए होते थे कि उसे मिटाने की चाह में हंसी–खुशी तैयार हो जाते थे। परंतु असीम सिद्धि प्राप्त या शक्तियों वाले किसी भी ऐसे प्राणी को छुड़ाने वाले, उनके अनुयाई की भी कमी नही थी। सभी मंत्रो के सुरक्षित जाप के बाद बंधन बांधने वाले ज्ञानियों की बलि चढ़ाकर श्राप मुक्त किया जा सकता था।


वहीं दूसरी ओर "विष मोक्ष श्राप" में 5 ज्ञानी सुरक्षित मंत्र जाप करते थे और अनुष्ठान पूर्ण होने के बाद सभी विष पीकर अपने प्राण त्याग देते थे। वह विष इतना खास था की सेवन के कुछ क्षण बाद तो उनके हड्डियों तक के सबूत नहीं मिलते थे। इतिहास में विष मोक्ष श्राप की विधि तो बताई गई है, लेकिन कितनो को विष मोक्ष श्राप से बंधा गया, इसका कोई उल्लेख नहीं। क्यूंकि गुप्त रूप से विष मोक्ष श्राप की अनुष्ठान होता था और कहीं कोई प्रमाण ही नही बचता... साथ ही साथ इस बंधन को तोड़ तो खुद उन ज्ञानियों के पास भी नहीं था, जो हर तरह के श्राप का ज्ञान रखते थे। इसलिए यदि कोई विष मोक्ष श्राप से बंधा है, तब तो वह जरूर असीम शक्तियों का मालिक होगा। और यदि किसी ने विष मोक्ष श्राप को उलट कर, किसी विकृत को कैद से बाहर निकाला है, फिर तो वह साधक और भी ज्यादा खतरनाक होगा...


विष मोक्ष श्राप का नाम सुनकर पलक और उज्जवल एक दूसरे का मुंह देखने लगे। पलक मन ही मन रीछ स्त्री के शक्तियों की कल्पना कर अपने पिता से पूछने लगी… "बाबा ये रीछ स्त्री कितनी खतरनाक हो सकती है।"..


उज्जवल:- रीछ प्रजाति को इतिहास में श्रेष्ठ मानव माना गया था। कहा जाता है भालू के पूर्वज यही है। इनका क्षेत्र उस समय के तात्कालिक भारतवर्ष में से दक्षिण और हिमालय की तराई में था। दक्षिण में रीछ प्रजाति के बड़े–बड़े राज्य थे, जिसपर रावण ने अपना आधिपत्य जमा लिया था। ऐसे श्रेष्ठ जाती का कोई शापित विकृति है तो उसका अंदाजा लगा पाना भी मुश्किल होगा कि ये हम सब के लिए कितना ख़तरनाक हो सकती है। रिक्ष स्त्री को विष मोक्ष श्राप से मुक्त करने वाला भी कोई विकृति ज्ञानी होगा। घातक जोड़ी है जो समस्त पृथ्वी पर राज कर सकती है। हमे अपात कालीन बैठक बुलानी होगी और इतिहास के ज्ञानियों से हमे बात करनी होगी। पलक तुमने बहुत अच्छा काम किया है। मै तुम्हे प्रहरी की उच्च सदस्यता देते हुए, तुम्हे विशिष्ठ जीव खोजी साखा का अध्यक्ष नियुक्त करता हूं। प्रहरी उच्च सदस्यों के होने वाले बैठक में तुम्हारा आना अनिवार्य होगा।


पलक:- हम्मम ! ठीक है बाबा।


नम्रता:- 3 लाख खर्च तो नहीं कि ना.. चल अब पार्टी दे। उच्च सदस्य। मतलब कई साल का सफर तूने 4 घंटे में तय कर लिया।


पलक:- ठीक है ले लेना पार्टी। अब खुश ना।


नम्रता:- बेहद ही खुश हूं। और बाबा का चेहरा तो देख अंदर ही अंदर कितना खुश हो रहे है।


उज्जवल:- पलक के लिए तो खुश हूं, लेकिन आने वाले संकट को लेकर चिंतित। हमारा काम केवल पोस्ट बांटना नहीं बल्कि दो दुनिया के बीच दीवार की तरह खड़ा रहना है, ताकि कोई एक दूसरे को परेशान ना करे।


पलक से मिली जानकारी को उज्जवल ने प्रहरी के सभी उच्च सदस्यों से साझा कर दिया। विषय की गंभीरता को देखते हुए, अध्यक्ष विश्व देसाई ने आपातकालीन बैठक बुलाई, जिसमे तात्कालिक सभी सदस्य के साथ संन्यास लिए जीवित सदस्य भी सामिल होंगे। शुरवात मीटिंग की अध्यक्षता विश्व देसाई लेंगे, उसके बाद कमान संभालेंगे सुकेश भारद्वाज।


आपातकालीन बैठक की बात सुनकर भूमि भी वापस नागपुर लौट चुकी थी। भूमि के लौटते ही आर्यमणि को ना चाहते हुए भी अपनी मासी के घर से दीदी के घर वापस आना पड़ा। सोमवार को कॉलेज में फिर एक बार जिल्लत झेलने के बाद आर्यमणि भूमि के घर लौट आया था।


शाम का वक्त था जब भूमि लौटी। आर्यमणि अपने दीदी के गले लगते पूछने लगा कैसा रहा ट्रिप। भूमि मुस्कुराकर जर उसे कही अच्छा रहा। फिर वो थोड़ा आराम करने चली गई और रात के तकरीबन 10 बजे पूरे फुरसत के साथ, अपने भाई के साथ बैठी।


भूमि:- क्या मेरा बच्चा, अब बता क्या बात है?


आर्यमणि:- मेरी छोड़ो और अपनी परेशानी बताओ। मै जानता हूं आप जिस काम से गई थी, उसे अधूरा छोड़कर आयी हो। कोई न, मै फ्री ही बैठा हूं। आपका वो काम मैं कर दूंगा, भरोसा रखो मुझपर।


भूमि:- तू तो आएगा नहीं प्रहरी बनने। मै, जयदेव और रिचा बस प्रहरी के बीच पल रहे आस्तीन के सांप को ढूंढ रही हूं।


आर्यमणि:- आप भी वही सोच रही है ना जो मै सोच रहा हूं।


भूमि:- और मेरा भाई क्या सोच रहा है?


आर्यमणि:- यही की कैसे भारद्वाज खानदान गुमनामी में जाता रहा है? कैसे उसके करीबी ठीक उसी वक़्त परेशान कर दिए जाते है जब भारद्वाज अपनी जड़ें प्रहरी में मजबूत कर रहा होता है? क्यों शुरू से प्रहरी के नेक्स्ट जेनरेशन के बीच झगड़ा होता रहा है और इन्हीं झगड़ों को देखकर मौसा जी ने अपने दो पैदा हुए बेटो का गला घोंटा, ताकि जब ये बड़े हो तो तीनों भाई दुश्मन बनकर परिवार में शक्ल ना देखे और समुदाय मे एक दूसरे का विरोध करते रहे?


भूमि:- तुम्हारे दादा को प्रहरी से बेज्जत करके निकाला, इसलिए ऐसा सोच रहा है ना?


आर्यमणि:- केवल मेरे दादा के साथ ऐसा हुआ था। मेरी मां का मायका कितना सुदृढ़ था। उनके बाबा ने कितनी संपत्ति अर्जी थी मुंबई में। यदि बीते जेनरेशन के मनीष मिश्रा (अक्षरा भारद्वाज का छोटा भाई और पलक का छोटा मामा) की शादी जया जोशी से होती, तो भारद्वाज का करीबी इकलौता मिश्र परिवार और भी सुदृढ़ होता, ऊपर से सुना है मां उस समय की बेस्ट थी, जैसा कि आप आज है। यदि मनीष मिश्रा के साथ जया जोशी की शादी होती तो भारद्वाज के करीबी, इकलौता मिश्रा परिवार भी आज खड़ा होता।


भूमि:- हम्मम ! मतलब तू यहां आया है अपने परिवार के आशुओं का हिसाब लेने।


आर्यमणि:- इतने साल बाद जब लौटा तो लगा कि मैंने कितना बड़ा पाप किया है। लेकिन जब गौर किया तो मां ने अपना अस्तित्व खोया था। भारद्वाज परिवार के करीबी मेरे दादा को किसी की साजिश का शिकार होना पड़ा था। कोई एक कुल तो है जो भारद्वाज को शुरू से तोड़ने का काम करते आ रहा है और पीढ़ी दर पीढ़ी अपने परिवार के पाठसाला में सबको यही सिक्षा से रहा है या रही है।


भूमि:- "हां मै भी बिल्कुल यही सोच रही थी। इसलिए 10 दिन के लिए बाहर गई थी ताकि उन्हें लग जाए कि तुम्हरे ऊपर मेरा हाथ बिल्कुल भी नहीं। जो लड़का पैदल एक पुरा देश के बराबर जंगल को लांघ गया है, उसका तो ये लोग कुछ नहीं बिगाड़ पाते लेकिन जबतक तू पुरा उलझता नहीं, तबतक उसे तुम्हारे पूरे ताकत का अंदाज़ा होता नहीं। जब तुम्हारे ताकत का अंदाजा होता तब वो जरूर किसी ना किसी शिकारी को ये काम देते। मै बस उसी के इंतजार में थी।


आर्यमणि:- खैर आपको पहले ये बात करनी थी। कल आपके बहुत से प्रहरी कम हो जाएंगे। क्योंकि जिसने मेरे परिवार के साथ जाने अंजाने में साजिश रची, उसका पता तो मुझे कबका चल चुका है।


भूमि:- सुन मेरे भाई, तुम कल जो भी पता करना है वो करो, लेकिन किसी प्रहरी को मारना मत। अभी हम बहुत बड़ी मुसीबत में है। कोई कमीना भी हुआ, तो क्या हुआ। हो सकता है उसकी जानकारी से हम उस जीव पर विजय प्राप्त ले।


आर्यमणि:- कौन सा जीव दीदी।


भूमि:- अभी जाकर सो जा, आराम से सब बता दूंगी। सुन मै यहां 3 दिन बाद आने वाली हूं, तो लोगों को पता नहीं चलना चाहिए। और एक बात, मै यहां नहीं हूं ये सोचकर तुझे उकसाने के लिए डायरेक्ट अटैक होंगे। हो सके तो 2-3 दिन कॉलेज ना जा। प्रहरी की मीटिंग से फ्री होकर मै कॉलेज को देखती हूं।


आर्यमणि:- दीदी जाकर सो जाओ और मेरी चिंता छोड़ दो। रही बात कॉलेज की तो वहां का लफड़ा मै खुद निपट लूंगा। हां मेरे एक्शन का इंपैक्ट देखना हो तो कल कॉलेज का सीसी टीवी कैमरा हैक कर लेना। मुख्य साजिशकर्ता का पता मिले या ना मिले लेकिन मैंने किसी को प्रोमिस किया है कि कल ही काम खत्म होगा।
awesome update again sir

update to awesome tha sir but aapse ek shikayat bhi hai aap na yar bahut bade bade hindi ke words use karte ho pahle hi hindi me thoda hath tang hai aur upar se aap aise aise words use kar dete ho ki unhe samjhne ke liye dictionary sath me open rakhni hoti hai

but pta hai kya isse na ek fayda bhi hua hai aapki stories read kar karke meri hindi pahle se better ho gayi so thanks for that.

ab aate hai story par to arya aur palak jis jagah par gaye the wo isiliye restricted tha kyoki waha ek रीछ स्त्री thi aur use kisi na shraap se aajad kar diya taki wo dono milkar puri duniya par raj kar sake. ab dekhte hai prahri ise kaise rokte hai.

sath hi sath arya ki palak ko lekar jo planning hai wo bhi samajh aayi ki wo palak se shadi uske family ki marji se hi karega balki unki families khud hi unki shadi karwayengi. iska matlab arya do pariwaro ke bich ki duriyo ko kam karne ki koshish bhi kar raha hai dekhte hai wo ye kar pata hai ya nahi.

but aapne sir iss baar ham sab ke sath dhoka bhi kiya hai ek to aap itni rat me update dene lage ho jo bahut late ho jata hai uspar bhi aapne jo mega update deni thi eo to di bhi nahi aur fir subah ka wada krke rat me nikal liye hamne bhi socha chalo nain sir thak gaye honge subah kr denge update par fir aapne fir se dhoka kr diya aur morning me bhi update nhi diya. ye to sarasar nainsafi hai sir aur aapko iska jawab dena hi hoga:waiting1::waiting1:.

ab jab aap jawab denge to aapko saja bhi milegi:what2: kyoki aapka gunah bhi to bahut bada hai na to saja me aap ek krna kal jo aap update ki barish krne wale the na wo aaj kr dena aur plz sir thoda jaldi krna.

aur meri hindi wali bat par jara gaur karna plzzzzzzz.
 

nain11ster

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भाग:–19






आर्यमणि:- दीदी जाकर सो जाओ और मेरी चिंता छोड़ दो। रही बात कॉलेज की तो वहां का लफड़ा मै खुद निपट लूंगा। हां मेरे एक्शन का इंपैक्ट देखना हो तो कल कॉलेज का सीसी टीवी कैमरा हैक कर लेना। मुख्य साजिशकर्ता का पता मिले या ना मिले लेकिन मैंने किसी को प्रोमिस किया है कि कल ही काम खत्म होगा।


भूमि:- ओह ये वही लड़की है ना जिससे तू सनीवार को मिला था।


आर्यमणि:- आपने क्या लोग लगाए है मेरे पीछे?


भूमि:- बच्चा है तू मेरा। जहां 10 दोस्त होते है वहां 2-3 कब दुश्मन बन जाए पता नहीं चलता। इसलिए शुरू में लोग लगाए थे। बाद में लगा कि मेरा भाई कैपेबल है और तुझ पर विश्वास जताया और लोग को हटा दी।


आर्यमणि:- झूठी फिर वो लड़की की बात कैसे पता आपको।


भूमि:- अरे भाभी (तेजस की पत्नी, वैदेही) ने तुझे देखा था। तू बन संवर कर निकला था, एक कार आकर रूकी और तू उसमे बैठकर रफूचक्कर। अब बता ना किसके साथ कहां गया था?


आर्यमणि:- बस यूं ही कॉलेज की एक लड़की थी। उसने मुझसे कहा कि वो मेरे साथ अंबा खोरी जाना चाहती है। अब बड़े अरमान के साथ पूछी थी, इसलिए मैंने भी हां कह दिया।


भूमि:- हां ठीक तो किया। फिर क्या हुआ?


आर्यमणि:- बहन हो मेरी, खुद को निशांत ना समझो कि हर बात बता दूंगा। हद है दीदी।


भूमि:- हां ठीक है, ठीक है, समझ गई। वैसे दोनो गर्लफ्रेंड–ब्वॉयफ्रेंड बने की नहीं।


आर्यमणि:- थैंक्स दीदी अब मै चला सोने।


भूमि उसे पीछे से पुकारती रही लेकिन आर्यमणि चला गया सोने। सुबह के वक्त आर्यमणि कॉलेज निकल चुका था, सारी योजना वो बाना चुका था, बस अब उन लोगो को उलझने की देर थी। इधर निशांत और चित्रा पहले आर्यमणि के गायब होने पर दुखी थे, वहीं अब उसके साथ चल रहे इस अजीब रैगिंग से।


आज तो चित्रा ने सोच लिया था कि किसी तरह वो आर्यमणि को लेकर गंगटोक निकल जाएगी और जया आंटी के सामने उससे पूरे सवाल जवाब करेगी, "उसके मन में चल क्या रहा है?" वहीं निशांत को लग रहा था इतने साल विदेशी जंगल में रहने के कारण आर्यमणि लड़ाई भुल चुका है और अपनी पहले की क्षमता खो चुका है। उसे याद दिलाना होगा कि वो क्या चीज है? और इधर पलक, निराशा में कॉलेज के लिए निकली। वह सोमवार की ही बड़े उत्साह के साथ निकली थी। अपने चाबुक पर तेल लगाकर निकली थी। लेकिन आर्यमणि ने सोमवार को भी वही किया जो पिछले 2 हफ्तों से करता आ रहा था, कुछ नही... पलक बस अब मायूस थी...


हर कोई अपने-अपने अरमान लिए कॉलेज पहुंचा। क्लास खत्म होने के बाद सेकंड ईयर के लोग कुछ देर पहले कैंटीन पहुंचे और फर्स्ट ईयर वाले कुछ देर बाद। आज निशांत के साथ उसकी गर्लफ्रेंड हरप्रीत नहीं थी, और एक ही टेबल पर बड़ा सा महफिल लगा हुआ था। चित्रा, निशांत, माधव, पलक, आर्यमणि और इन सब के बीच सबकी कॉफी। हर कोई आर्यमणि से एक ही विषय में बात करना चाह रहा था। आर्यमणि भी उनके अरमान भली भांति समझ रहा था, इसलिए हमेशा कुछ और बातें शुरू कर देता। मन मारकर सभी आपस में इधर उधर की बातें कर रहे थे, उसी बीच निशांत अपने बैग से एक वायरलेस निकालकर टेबल पर रख दिया।… "पुराने दिनों की तरह कुछ तूफानी हो जाए।"


चित्रा, आखें फाड़कर उस वायरलेस को देखती…. "तुम दोनो पागल हो गए हो क्या?"..


पलक:- ये तो पुलिस का रेडियो है, ये दोनो इसका क्या करने वाले है?


चित्रा:- मुसीबत में फंसे लोगों की मदद।


पलक:- हां लेकिन उसके लिए पुलिस है ना।


चित्रा:- ये बात मुझे नहीं इन दोनों से कहो। गंगटोक में जंगल के सभी केस यही दोनो सॉल्व करते थे।


पलक:- क्या तुम दोनो मुझे भी साथ रखोगे, जब किसी को मुसीबत से निकालने जाओ।


चित्रा:- तुम क्या पागल हो पलक, ऐसे काम के लिए इन्हे बढ़ावा दे रही हो।


पलक:- लाइव एक्शन देखने कि मेरी छोटी सी फैंटेसी रही है, इसी बहाने देख भी लूंगी।


माधव:- छुट्टी में हमारे साथ बिहार चल दो फिर पलक। वहां बहुत एक्शन होता है।


पलक:- थैंक्स, मौका मिला तो तुम्हारे यहां का एक्शन भी देख लूंगी।


चित्रा:- तुम सब पागल हो क्या? देखो मै दादा (राजदीप) को बोल दूंगी, तुम लोग क्या करने कि सोच रहे हो?


आर्यमणि:- चित्रा सही कह रही है। यहां कोई जंगल नहीं है और ना ही कोई मुसीबत में। यहां वाकी पर चोर, उचक्के और गुंडों कि सूचना मिलेगी। फिर भी यदि कोई मुसीबत में हुआ तो मै चलूंगा। हैप्पी चित्रा।


चित्रा:- नो। मुसीबत में फसे लोगों को बचाने का काम पुलिस का है। और हमारा काम है अपनी पढ़ाई को पूरी करके अपने क्षेत्र में कुछ अच्छा करके लोगो के जीवन में विकास लाना। इसलिए पुलिस और प्रशासन को अपना काम करने दो और हमे अपना।


निशांत:- अगर आर्य नहीं आएगा तो मै पलक और माधव के साथ काम करूंगा।


चित्रा:- हां जा कर ले शुरू आर्य नहीं जाएगा तुम्हारे साथ। आर्य साफ मना कर।


आर्य:- निशांत हम गंगटोक में नहीं है और चित्रा की बात से मै पूरी तरह सहमत हूं।


निशांत:- साला लड़की के लिए दोस्त को ना कह दिया।


उसकी बात सुनकर चित्रा, पलक और माधव हसने लगे। आर्यमणि को भी हसी आ गई… "पागल कुछ भी बोलता है।"..


वहां पर हंस हंस कर सबका बुरा हाल था। थोड़ी सी हंसी आर्यमणि की भी निकल रही थी। केवल निशांत था जो अपनी बहन से इतना खुन्नस खाए बैठा था कि अभी ये तीनों अकेले में कहीं होते तो बहुत बड़ा झगड़ा दोनो भाई-बहन के बीच हो गया होता। इनका हंसी भड़ा माहौल चल ही रहा था, इसी बीच कुछ लड़के चित्रा के पास आकर खड़े हो गए और उनमें से 2-3 चित्रा के पाऊं के नीचे से जीन्स ऊपर करने लगा। … "तुम लोग ये क्या कर रहे है, क्यों मेरे पाऊं में गिर रहे हो?"


उनके ग्रुप का लीडर, विक्की… "पहले ईयर में तूने ही कहा था ना तेरा एक पाऊं नहीं है उसकी जगह स्टील के पाऊं लगे है, वही कन्फर्म कर रहे।".. विक्की का इतना कहना था कि तभी एक लड़के ने नीचे से ब्लेड मारकर जीन्स को घुटने तक चिर दिया। जीन्स के साथ साथ चित्रा के पाऊं की गोरी चमरी पर भी ब्लेड लग गया। ताजा खून कि बू आर्यमणि के नाक में जैसे ही गई, उसने अपना सर नीचे झुका लिया और मुट्ठी को जोड़ से भींचकर तेज–तेज श्वास लेने लगा।


माधव चित्रा के सामने बैठा था और निशांत ठीक चित्रा के बगल में। निशांत को तबतक पता नहीं चला था कि चित्रा के साथ क्या हुआ, लेकिन माधव ने अपने आखों से देख लिया था। नीचे बैठा लड़का जिसने ब्लेड चलाया था, माधव ने उसके मुंह पर एक लात खींचकर मारा। इधर निशांत और पलक को भी चित्रा के आंसू दिख गए और उन लड़को की करतूत। निशांत भी उठा और चित्रा के ठीक पीछे खड़े उस लड़के विक्की के मुंह पर कॉफ़ी की खाली कप तोड़ दी।


पूरा कप उसके चेहरे से टकराया और कप का टुकड़ा बड़ी ही बेहरमी से उसके पूरे मुंह में घुस गया… "साले मेरी बहन को तकलीफ पहुंचाने की तेरी हिम्मत कैसे हुई। तुझे बड़ा दादा बनने का शौक है।"


निशांत ने तेजी से दूसरा कप भी उठाया और उसके दूसरे साथी के कनपट्टी पर तोड़ दिया। दोनो ही लड़के लहूलुहान थे। इधर माधव जिसके मुंह पर लात मारा था वो लुढ़क गया और उसके नाक से खून बहने लगा। नीचे बैठे तीन लड़के खड़े हो गए, माधव चिल्लाते हुए अपना चाकू निकला…. "साला हमरे दोस्त को छुए भी तो मर्डर कर देंगे। ई हल्का सरिर पर मत जाना, वरना बदन में इतने छेद कर देंगे कि तुम सब कंफ्यूज कर जाओगे।"


चित्रा उसकी बात पर रोते-रोते हंस दी… "बस माधव अब आगे मत कहना। लाओ वो चाकू दो।"


निशांत:- क्या करने वाली हो।


चित्रा:- घुटनों तक काटकर कैप्री बाना रही हूं।


निशांत:- लाओ मै करता हूं। माधव बैग से फर्सट ऐड निकालकर खून को साफ करो।


माधव:- इतने गोरे पाऊं पर मै हाथ लगाऊंगा तो कहीं मैले ना हो जाए।


निशांत, उसके सर पर एक हाथ मारते… "फ्लर्ट करना सीख रहा है हां"..


माधव:- पागल हो तुम.. खुद ही कहे थे हम मज़ाक करेंगे एक दूसरे से। अब खुद ही ताने दे रहे हो कि हम लाइन मार रहे हैं। देखो हमको कंफ्यूज मत करो।


चित्रा:- वो भी तुमसे मज़ाक ही कर रहा है माधव। इसे क्या हो गया? आर्य तू ठीक तो है ना।


आर्यमणि बिना कुछ कहे नीचे बैठ गया और अपने बैग से फर्स्ट ऐड निकलकर चित्रा के खून को साफ कर दिया। चित्रा के हाथ से चाकू लेकर जीन्स को घुटने से 4 इंच नीचे तक काटकर निकालते हुए उसे 2 स्टेप ऊपर की ओर मोड़ा और टांके लगाने वाले स्टेपलर से उसपर पीन कर दिया… "देखो ठीक लग रहा है ना।"..


"लेकिन यहां ठीक नहीं लग रहा कुछ भी, भागने का वक़्त हो गया है दोस्तो।… माधव बाहर से हॉकी स्टिक लिए आ रही तकरीबन १००–१५० लड़कों की भीड़ को देखते हुए कहने लगा। आर्यमणि भीड़ को देखते हुए, मुस्कुराया और कैंटीन के दरवाजे तक जाकर खड़ा हो गया।


पलक, इतनी भीड़ को देखकर थोड़ी घबरा गई। घबराना लाजमी भी था क्योंकि एक तो लगभग 150 लड़के और उन लड़कों के भीड़ में सरदार खान की गली के कई सारे वेयरवोल्फ। आर्यमणि वहां मौजूद सभी लोगों का गुस्सा साफ मेहसूस कर सकता था। अपनी घूरती नज़रों से अपने सभी दोस्तों को देखा और कहने लगा… "मै आज तोड़ने का मन पहले से बनाकर आया था। चित्रा के साथ बदतमीजी करके उन्होंने मेरे गुस्से को और भड़का दिया है। यदि ये भिड़ मेरा कत्ल करने भी आ रही हो तब भी इन सब से दूर रहो। वरना किसी को भी मै अपनी शक्ल नहीं दिखाऊंगा, ये वादा रहा।


माधव:- ओ भाई हृतिक रोशन के कृष, अकेले भिड़ने गए तो वैसे भी ये लोग शक्ल बिगाड़ देंगे।


आर्यमणि ने घूरते हुए चित्रा और निशांत को देखा और दोबारा कहा.. "सभी यहीं बैठे रहो।"..


निशांत:- पलक, भूमि दीदी को कॉल लगाओ और उनसे कहो, 150 हथियारबंद लड़कों के साथ आर्य अकेले लड़ने गया है।


पलक:- ओह अभी समझ में आया कि क्यों आर्य इतनी बेज्जती झेलता रहा। चित्रा, निशांत खुद देख लो, कोई ख़ामोश है तो उसके पीछे कोई कहानी होगी। बहरहाल मै नागपुर के दबंग को कॉल लगाती हूं।


पलक, भूमि को कॉल लगायी और कोई भी इधर-उधर की बातें किए बगैर सीधा भूमि को पूरा मुद्दा बता दी। पलक समझ रही थी कि निशांत और चित्रा अपने पापा को क्यों फोन नहीं लगा रही इसी वजह से उसने राजदीप को कॉल लगाया और जल्दी से कॉलेज आने के लिए बोल दी।


इधर आर्यमणि कैंटीन के सीढ़ी पर खड़ा था। सीढ़ी को 2 भागो में बाटने के लिए, बीच से स्टील रॉड के पाइप का पिलर बनाकर उसपर जंजीर डालकर पार्टीशन किया हुआ था। आर्यमणि स्टील रॉड पकड़कर खड़ा था और सामने से लड़कों की भीड़ चली आ रही थी जिसमे आगे से आ रहे लड़कों की चाल और हाव भाव कुछ अलग ही कहानी बयां कर रही थी। आगे वेयरवोल्फ की भीड़ थी जिसके पीछे और लड़के खड़े थे। आर्यमणि के पास पहुंचते ही एक लड़के ने अपने दोनो हाथ उठाए और सबको शांत रहने का इशारा करते…. "देखो दोस्त, सामने से हट जाओ, जिसने भी मेरे दोस्तो को मारा है, उसे कीमत चुकानी होगी।".


आर्यमणि:- चले जाओ यहां से और बात यही खत्म करो।


जैसे ही आर्यमणि ने यह बात कही, उस वेयरवोल्फ ने अपना पूरा जोर लगाकर आर्यमणि को एक पंच उसके पेट में मार दिया। एक वेयरवुल्फ द्वारा मारा गया ऐसा पंच, जो किसी आम लड़के की अंतरियां फाड़ चुका होता, लेकिन आर्यमणि के चेहरे पर सिकन तक नही आयि। अगले ही पल आर्यमणि जिस रॉड को पकड़ा था, वो जमीन की ढलाई से उखाड़कर आर्य के हाथ में थी और उस लड़के से विश्वास भरा पॉवर पंच खाने के बाद भी जब आर्य को कोई फर्क नहीं पड़ा, तब उसके सभी वेयरवुल्फ साथी एक दूसरे का मुंह देख रहे थे।…


"चिंता मत करो आज तुम लोगों को समझ में नही आयेगा की क्या हो रहा है?"… अपनी बात कहते हुए आर्य ने उस लड़के की छाती पर एक लात जमा दिया। ऐसा मारा था, जैसे करंट प्रवाह किया हो उस लात से। जिस लड़के के सीने पर लगा, वो तेज धक्का खाकर पीछे अपने दूसरे साथी से टकराया, और जैसे साइकिल स्टैंड में खड़े एक साइकिल के धक्के से पीछे के सभी साइकिल गिरना शुरू होते है, वैसे ही उसके लात के धक्के से तकरीबन पीछे के सभी लड़के धक्के खाकर एक बार में ही गिर गए।


भीड़ का हमला अब आर्यमणि पर जोर से होने लगा। दाएं–बाएं से लड़को ने हमला किया। आर्यमणि के ऊपर कई लड़के हॉकी स्टिक बरसा रहे थे, और आर्यमणि बिना हिले खड़ा होकर बस उन्हें घूरती नज़रों से देखा और उनमें से एक को पकड़कर अपने दोनो हाथ से हवा में उठा लिया, जैसे आज उस लड़के को आर्यमणि एयरोप्लेन बनाकर हवा में उड़ा ही देगा… लेकिन बीच में ही चित्रा चिल्लाई... "नहीं आर्य, ये क्रिमिनल नहीं है। स्पाइनल कॉर्ड में कहीं चोट लगी तो ये किसी काम का नहीं रहेगा।".. और आर्यमणि को रोक लिया


आर्यमणि, चित्रा की बात सुनकर उस लड़के को नीचे उतरा और फिर सामने की भीड़ पर फिर एक बार नजर दिया, जो अब भी लगातार मार तो रहे थे लेकिन आर्यमणि को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। खास वेयरवोल्फ लड़के जो आए थे, उनमें से एक को जोरदार मार पड़ते ही, बाकी के सभी अभी भी उसी को होश में लाने की कोशिश कर रहे थे।


आर्यमणि ने अब विकराल रूप धारण किया। उसने एक लड़के के हाथ से डंडा छीनकर पूरी भिड़ पर अकेले लाठी चार्ज कर दिया। वो लोग भी मार रहे थे लेकिन आर्यमणि का शरीर तो इनके मार के हिसाब से बहुत बाहर था। कितना भी मार लो फर्क नहीं पड़ता, लेकिन आर्यमणि ने एक डंडा जहां खींचकर रख दिया, छटपटाते हुए वही अंग पकड़ कर बैठ गए।


10 लड़को को ही तो ढंग से डंडे की मार पड़ी थी, बाकी के सभी मैदान छोड़कर भाग गए। तभी उन वेयरवोल्फ में से एक खड़ा होकर आया और इस बार आर्यमणि के सीने पर एक जोरदार पंच मार दिया। आर्यमणि श्वांस एक क्षण के लिए अटकी, लेकिन अगले ही पल उसने अपने पाऊं से उसके घुटने के नीचे ऐसा मारा की साफ दिख रहा था, हड्डी टूट गई है और मांस के साथ अलग ही लटक रहा है।


2 वेयरवोल्फ बुरी तरह घायल हो गए थे, जो चाहकर भी हिल नही कर पा रहे थे। बाकी के सभी वेयरवोल्फ को समझ में नहीं आ रहा था कि उनका पाला किससे पड़ा है। तभी उन लोगो ने भूमि को आते हुए देख लिया और अपने घायल साथी को उठाकर वहां से भाग गए।


भूमि तेजी के साथ आर्यमणि के पास पहुंची और व्याकुलता से उसे टटोलती हुई देखने लगी। आखों से उसके आशु निकल रहे थे… "पैट्रिक जिसने मेरे भाई को मारा है सबको ऐसा मारो की ज़िंदगी और मौत के बीच झूलते हुए वो हस्पताल पहुंच जाए "..


आर्यमणि अपने दीदी के आशु पूछते…. "उसे रोको वरना मै नागपुर छोड़कर चला जाऊंगा।"…


भूमि:- मार खाएगा मुझसे अभी… मेरे बच्चे को मारने कि हिम्मत कौन कर गया वो भी मेरे रहते। उसके खानदान समेत सबको आग लगा दूंगी। समझ क्या रखा है, शांत हूं तो कमजोर पर गई। पैट्रिक मुझे चीखें क्यों नहीं सुनाई दे रही है।


पैट्रिक:- वो राजदीप सर हमे रुकने कह रहे है।


भूमि, राजदीप को देखकर जैसे ही आगे बढ़ने लगी, आर्यमणि उसका हाथ थामकर रोकते हुए… "दीदी ये कॉलेज है। हम स्टूडेंट के बीच मारपीट होते रहती है। आप तो ये कह रही है। बचपन में मैंने मैत्री के मैटर में अपने से 4-5 साल सीनियर उसके बड़े भाई शूहोत्र लोपचे को 3 महीने के लिए हॉस्पिटल पहुंचा चुका हूं। उस लड़ाई के मुकाबले तो ये कुछ भी नहीं। फिर आप क्यों इतने गुस्से में पढ़ने लिखने वालों पर ज़ुल्म कर रही हो। अभी नहीं मारपीट होगी, तो क्या शादी के बाद लोगो से लड़ाई करूंगा।"..


भूमि:- हम्मम ! समझ गई सॉरी। तू जाकर अपने दोस्तो के साथ बैठ और पलक को कहना जबतक मै ना आऊं वो भी तेरे साथ ही बैठी रहे।


भूमि आर्यमणि के पास से हटकर सीधा राजदीप के पास पहुंची और गुस्से में उसे आखें दिखती हुई, पैट्रिक को एक थप्पड़ मारते… "सबको लेकर निकलो यहां से।"


राजदीप:- ऐसे दूसरों को मारकर क्यूं जाता रही हो की तुम मुझे थप्पड़ मार सकती हो। सीधा मारो ना। पैट्रिक तुम जाओ।


भूमि उसे एकांत में लाती…. "शर्म नहीं आती तुझे... एक बच्चे परेशान करने के लिए वेयरवोल्फ की मदद लेते हो। प्रहरी के सारे विचार कहां घुस गए। २ दुनिया के बीच दीवार खड़ी करने वाले खुद उसे लड़ा रहे...


राजदीप:- दीदी तुम क्या कह रही हो?


भूमि:- राजदीप तू मेरा भाई है लेकिन आर्यमणि मेरे बच्चे जैसा है। मेरी नजर हमेशा बनी रहती है। उसके आते ही तुमने एमएलए से बोलकर आर्य की रैगिंग करवाई। उसे भरी सभा में सबके बीच जिल्लत झेलना पड़ा और मै गम पीकर रह गई। आज भी तेरे इशारे पर ही इन वुल्फ की इतनी हिम्मत हुई कि प्रहरी के सामने ही वह हमला कर रहा था। इतनी सह वेयरवोल्फ को कहां से मिल गई बताएगा।


राजदीप:- ये मेरा काम नहीं होगा फिर मेरी मां का काम होगा। उन्हें मैंने ही गलती से बता दिया था कि जया का बेटा भी आया है नागपुर।


भूमि:- तू अपनी मां और मेरी मां को नहीं जानता क्या? उनकी वजह से हम एक दूसरे के घर नहीं जा सकते? दोनो एक दूसरे से दुश्मनी निभाए बैठे है और तूने अपनी मां को आर्य के बारे में बता दिया? आज अगर यहां किसी पढ़ने वाले बच्चे की लाश गिरती तो उसके जिम्मेदार तुम होते राजदीप?


राजदीप:- तो आप ही बताओ ना मै क्या करू?


भूमि:- तू जानता है आर्य की क्षमता।


राजदीप:- क्या ?


भूमि:- 6-7 साल पहले इसकी लड़ाई जीतन लोपचे के बेटे से हुई थी। मैटर था आर्य और जीतन की बेटी मैत्री से दोस्ती। आर्य ने तब उस जितन लोपचे के बेटे को मारा था और 3 महीने के लिए हॉस्पिटल पहुंचा दिया था। उसकी मार से एक वेयरवोल्फ 3 महीने तक हिल नही हुआ...


राजदीप, आश्चर्य से उसका मुंह देखता रहा, फिर अचानक से गुस्से में आते हुए… "ऐसा लड़का जब यहां स्टूडेंट के बीच आकर आपस में लड़ाई कर रहा है तो तुम क्यों बच्चो के बीच ने दादी बनकर चली आयी। ऐसा कौन करता है। लड़कियों को छेड़ना, एक दूसरे से झगड़ा करना, आपस की प्यार दोस्तो और पढ़ाई के बीच में आप क्यों घुसने चली आयी।"


भूमि:- क्योंकि ये झगड़ा प्रायोजित लग रहा था। आज तो मै तेरा खून कर देती अगर उसे खरोच भी आयी होती तो।


राजदीप:- साला ये तो लकी निकला। मुझे दादा (तेजस) ने बताया था कि आप इसे एकतरफा प्यार करती है। मुझे लगा हो सकता है ज्यादा लगाव हो, लेकिन इतना ज्यादा होगा पता नहीं था।


भूमि:- आर्यमणि, मेरे मौसा केशव कुलकर्णी और मेरी प्यारी जया मासी, इनसे लगाव के बारे में मत ही पूछो। और हां इनसे लगाव बहुत ज्यादा है इसका मतलब यह नहीं की मैं दूसरो के प्रति को लगाव ही नही रखती। मुझे भारद्वाज खानदान के दोनो चचेरे भाई, सुकेश भारद्वाज और उज्जवल भारद्वाज को एक होते देखना चाहती हूं।


राजदीप:– वो तो मैं भी चाहता हूं, लेकिन रास्ता क्या है...

भूमि:– एक रास्ता है लेकिन थोड़ा पेंचीदा...


राजदीप:- कौन सा दीदी...


भूमि:- मैंने अपने बेटे आर्यमणि के लिए पलक को पसंद किया है। तू भी लड़का देख ले, तेरी बहन के लिए ठीक रहेगा या नहीं।


राजदीप:- जया का बेटा नागपुर आया है, केवल इतना सुनकर मेरी मां जब उसे इतना परेशान कर सकती है, फिर तो जब वो सुनेगी की जया का बेटा उसकी बेटी से शादी करने वाला है… आप होश में भी हो।


भूमि:- अच्छा और यदि दोनो को प्यार हो गया तो।


राजदीप:- मुझे कोई ऐतराज नहीं है, बाकी गृह युद्ध को आप जानो।


भूमि:- एक बार और देख ले उसे, बाद में ये नहीं कहना की दीदी ने अपने रिश्तेदारी में मेरी बहन का लगन गलत लड़के से करवा दिया है।


राजदीप:- आर्य मुझे भी पसंद है। मै रविवार को अपनी मासी के घर गया था, वहीं चित्रा ने निशांत और आर्य के जंगल रेक्यू के वीडियो दिखाएं। दीदी दोनो ने मिलकर तकरीबन 20 लोगो की जान बचाई थी। जबकि वो लोपचे के कॉटेज वाला जंगल है।


भूमि:- जानती हूं भाई।


राजदीप:- सुनो दीदी पहले से कोई प्लान नहीं करते है। अभी जवान है, पता नहीं कब किसपर दिल आ जाए।


भूमि:- सब तेरी मां के गलत डिसीजन का नतीजा है। 20-21 साल के होते ही समुदाय में लगन करवा देते तो इतना नाटक ही नहीं होता। कंवल का लगन समुदाय के बाहर हुआ और वो लड़की उसे लेकर यूएसए निकल गई। तू 28 का हो गया, मुझे तो तुझ पर भी शक होने लगा है। 23-24 की नम्रता होगी। भारद्वाज खानदान ही समुदाय के बाहर जाने लगेगा तो हमारा बचा हुआ अस्तित्व भी चला जाएगा।


राजदीप:- दीदी कह तो आप सही रही हो। आर्य की उम्र क्या होगी..


भूमि:- वो 21 का है..


राजदीप:- पलक भी 20 की है। एक काम करता हूं नम्रता से आज मै साफ साफ पूछ लेता हूं कि उसने किसी को पसंद किया है या नहीं। नहीं की होगी तो उसके लगन के बाद इन दोनों की एंगेजमेंट फिक्स कर देंगे। शादी पढ़ाई पूरी होने बाद करवा देंगे।


भूमि:- और तू.. साफ साफ बता की तू किसी को चाहता है या नहीं.. फिर मै मुक्ता का रिश्ता तेरे लिए भेजूं। बड़ी प्यारी लड़की है, परिवार के साथ रहने वाली और कारोबार को आगे बढ़ाने वाली। एक बॉयफ्रेंड था कॉलेज के दिन में लेकिन बहुत पहले उससे ब्रेकअप हो गया। ।


राजदीप:- मतलब मेरे जैसी है..


भूमि:- जी नहीं उसके 1 ही बॉयफ्रेंड था। तेरी 6-7 गर्लफ्रेंड थी। अब सच-सच बता किसी को फिक्स किया है या मै मुक्ता का रिश्ता भेजूं तेरे घर।


राजदीप:- नम्रता से बात करने दो, फिर दोनो का साथ में भेज देना।


भूमि:- हम्मम ! ये भी ठीक है। तू अभी ड्यूटी पर है क्या?


राजदीप:- हां दीदी..


भूमि:- ठीक है ड्यूटी के बाद मुन्ना खान के पास चले जाना, वहां तेरे पसंद की मॉडिफाइड कार तैयार हो गई है जाकर ले लेना।


राजदीप:- आप कुछ भी भूलती नहीं ना दीदी।


भूमि:- उल्लू… भूलूंगी क्यों, उल्टा बुरा लगा था जब तू देसाई बंधु की कार देखकर आकर्षित हो गया और उसने तुझे एक कार के लिए सुना दिया था।


राजदीप:- आपने सब देख लिया था क्या?


भूमि:- हां तो.. साले भिकाड़ी। 2 साल बाद ही तो उसे निकाल दिया था प्रहरी से। जिसमे अपने समुदाय के लोगों के लिए इज्जत नहीं वो लोकहित और अपने जान जोखिम में डालकर क्या दूसरों की रक्षा करेगा। भगा दिया साले को।


राजदीप:- आप ना बिल्कुल डॉन हो। मै तो होने वाली मीटिंग में आपको ही अध्यक्ष चुनुगा।


भूमि:- ना मुझे अध्यक्ष नहीं बनना वो राजनीति वाला काम है और तू जानता है मुझसे ये सब नहीं होगा। हां तू मुझे अध्यक्ष नहीं बना बल्कि मेरे बेटे के लिए अपनी बहन का हाथ दे दे ठाकुर।


राजदीप:- पागल है आप। दोनो को आराम से पढ़ने दीजिए। हम दोनों का अरेंज मैरिज प्लान करते है ना। मै जा रहा हूं, आपसे परसो मिलता हूं।


भूमि:- सुन अपनी मां को जाकर समझाओ होने वाले जमाई पर हमला नहीं करवाते।


परदे के पीछे का खिलाड़ी सामने था। और आर्यमणि को परेशान करने की वजह भी सामने थी। भूमि और राजदीप के बीच जो भी मन लुभावन बातें हुई, वह बस मात्र एक कल्पना थी, जिसके पूरा होने का कोई रास्ता नही था। लेकिन आर्यमणि ने जब पहला दिन अपना कदम नागपुर में रखा तभी उसे पार्किंग में पता चल चुका था कि अक्षरा भारद्वाज लग गई है उसके पीछे। उतने दिन से आर्यमणि बस दुश्मनी का इतिहास ही खंगाल रहा था और जब वह सुनिश्चित हुआ की अब अक्षरा से मिलने का वक्त आ गया, तब उसने अपना तांडव सुरु कर दिया। अब बस छोटा सा इंतजार करना था... सही वक्त का...
 

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भाग:–19






आर्यमणि:- दीदी जाकर सो जाओ और मेरी चिंता छोड़ दो। रही बात कॉलेज की तो वहां का लफड़ा मै खुद निपट लूंगा। हां मेरे एक्शन का इंपैक्ट देखना हो तो कल कॉलेज का सीसी टीवी कैमरा हैक कर लेना। मुख्य साजिशकर्ता का पता मिले या ना मिले लेकिन मैंने किसी को प्रोमिस किया है कि कल ही काम खत्म होगा।


भूमि:- ओह ये वही लड़की है ना जिससे तू सनीवार को मिला था।


आर्यमणि:- आपने क्या लोग लगाए है मेरे पीछे?


भूमि:- बच्चा है तू मेरा। जहां 10 दोस्त होते है वहां 2-3 कब दुश्मन बन जाए पता नहीं चलता। इसलिए शुरू में लोग लगाए थे। बाद में लगा कि मेरा भाई कैपेबल है और तुझ पर विश्वास जताया और लोग को हटा दी।


आर्यमणि:- झूठी फिर वो लड़की की बात कैसे पता आपको।


भूमि:- अरे भाभी (तेजस की पत्नी, वैदेही) ने तुझे देखा था। तू बन संवर कर निकला था, एक कार आकर रूकी और तू उसमे बैठकर रफूचक्कर। अब बता ना किसके साथ कहां गया था?


आर्यमणि:- बस यूं ही कॉलेज की एक लड़की थी। उसने मुझसे कहा कि वो मेरे साथ अंबा खोरी जाना चाहती है। अब बड़े अरमान के साथ पूछी थी, इसलिए मैंने भी हां कह दिया।


भूमि:- हां ठीक तो किया। फिर क्या हुआ?


आर्यमणि:- बहन हो मेरी, खुद को निशांत ना समझो कि हर बात बता दूंगा। हद है दीदी।


भूमि:- हां ठीक है, ठीक है, समझ गई। वैसे दोनो गर्लफ्रेंड–ब्वॉयफ्रेंड बने की नहीं।


आर्यमणि:- थैंक्स दीदी अब मै चला सोने।


भूमि उसे पीछे से पुकारती रही लेकिन आर्यमणि चला गया सोने। सुबह के वक्त आर्यमणि कॉलेज निकल चुका था, सारी योजना वो बाना चुका था, बस अब उन लोगो को उलझने की देर थी। इधर निशांत और चित्रा पहले आर्यमणि के गायब होने पर दुखी थे, वहीं अब उसके साथ चल रहे इस अजीब रैगिंग से।


आज तो चित्रा ने सोच लिया था कि किसी तरह वो आर्यमणि को लेकर गंगटोक निकल जाएगी और जया आंटी के सामने उससे पूरे सवाल जवाब करेगी, "उसके मन में चल क्या रहा है?" वहीं निशांत को लग रहा था इतने साल विदेशी जंगल में रहने के कारण आर्यमणि लड़ाई भुल चुका है और अपनी पहले की क्षमता खो चुका है। उसे याद दिलाना होगा कि वो क्या चीज है? और इधर पलक, निराशा में कॉलेज के लिए निकली। वह सोमवार की ही बड़े उत्साह के साथ निकली थी। अपने चाबुक पर तेल लगाकर निकली थी। लेकिन आर्यमणि ने सोमवार को भी वही किया जो पिछले 2 हफ्तों से करता आ रहा था, कुछ नही... पलक बस अब मायूस थी...


हर कोई अपने-अपने अरमान लिए कॉलेज पहुंचा। क्लास खत्म होने के बाद सेकंड ईयर के लोग कुछ देर पहले कैंटीन पहुंचे और फर्स्ट ईयर वाले कुछ देर बाद। आज निशांत के साथ उसकी गर्लफ्रेंड हरप्रीत नहीं थी, और एक ही टेबल पर बड़ा सा महफिल लगा हुआ था। चित्रा, निशांत, माधव, पलक, आर्यमणि और इन सब के बीच सबकी कॉफी। हर कोई आर्यमणि से एक ही विषय में बात करना चाह रहा था। आर्यमणि भी उनके अरमान भली भांति समझ रहा था, इसलिए हमेशा कुछ और बातें शुरू कर देता। मन मारकर सभी आपस में इधर उधर की बातें कर रहे थे, उसी बीच निशांत अपने बैग से एक वायरलेस निकालकर टेबल पर रख दिया।… "पुराने दिनों की तरह कुछ तूफानी हो जाए।"


चित्रा, आखें फाड़कर उस वायरलेस को देखती…. "तुम दोनो पागल हो गए हो क्या?"..


पलक:- ये तो पुलिस का रेडियो है, ये दोनो इसका क्या करने वाले है?


चित्रा:- मुसीबत में फंसे लोगों की मदद।


पलक:- हां लेकिन उसके लिए पुलिस है ना।


चित्रा:- ये बात मुझे नहीं इन दोनों से कहो। गंगटोक में जंगल के सभी केस यही दोनो सॉल्व करते थे।


पलक:- क्या तुम दोनो मुझे भी साथ रखोगे, जब किसी को मुसीबत से निकालने जाओ।


चित्रा:- तुम क्या पागल हो पलक, ऐसे काम के लिए इन्हे बढ़ावा दे रही हो।


पलक:- लाइव एक्शन देखने कि मेरी छोटी सी फैंटेसी रही है, इसी बहाने देख भी लूंगी।


माधव:- छुट्टी में हमारे साथ बिहार चल दो फिर पलक। वहां बहुत एक्शन होता है।


पलक:- थैंक्स, मौका मिला तो तुम्हारे यहां का एक्शन भी देख लूंगी।


चित्रा:- तुम सब पागल हो क्या? देखो मै दादा (राजदीप) को बोल दूंगी, तुम लोग क्या करने कि सोच रहे हो?


आर्यमणि:- चित्रा सही कह रही है। यहां कोई जंगल नहीं है और ना ही कोई मुसीबत में। यहां वाकी पर चोर, उचक्के और गुंडों कि सूचना मिलेगी। फिर भी यदि कोई मुसीबत में हुआ तो मै चलूंगा। हैप्पी चित्रा।


चित्रा:- नो। मुसीबत में फसे लोगों को बचाने का काम पुलिस का है। और हमारा काम है अपनी पढ़ाई को पूरी करके अपने क्षेत्र में कुछ अच्छा करके लोगो के जीवन में विकास लाना। इसलिए पुलिस और प्रशासन को अपना काम करने दो और हमे अपना।


निशांत:- अगर आर्य नहीं आएगा तो मै पलक और माधव के साथ काम करूंगा।


चित्रा:- हां जा कर ले शुरू आर्य नहीं जाएगा तुम्हारे साथ। आर्य साफ मना कर।


आर्य:- निशांत हम गंगटोक में नहीं है और चित्रा की बात से मै पूरी तरह सहमत हूं।


निशांत:- साला लड़की के लिए दोस्त को ना कह दिया।


उसकी बात सुनकर चित्रा, पलक और माधव हसने लगे। आर्यमणि को भी हसी आ गई… "पागल कुछ भी बोलता है।"..


वहां पर हंस हंस कर सबका बुरा हाल था। थोड़ी सी हंसी आर्यमणि की भी निकल रही थी। केवल निशांत था जो अपनी बहन से इतना खुन्नस खाए बैठा था कि अभी ये तीनों अकेले में कहीं होते तो बहुत बड़ा झगड़ा दोनो भाई-बहन के बीच हो गया होता। इनका हंसी भड़ा माहौल चल ही रहा था, इसी बीच कुछ लड़के चित्रा के पास आकर खड़े हो गए और उनमें से 2-3 चित्रा के पाऊं के नीचे से जीन्स ऊपर करने लगा। … "तुम लोग ये क्या कर रहे है, क्यों मेरे पाऊं में गिर रहे हो?"


उनके ग्रुप का लीडर, विक्की… "पहले ईयर में तूने ही कहा था ना तेरा एक पाऊं नहीं है उसकी जगह स्टील के पाऊं लगे है, वही कन्फर्म कर रहे।".. विक्की का इतना कहना था कि तभी एक लड़के ने नीचे से ब्लेड मारकर जीन्स को घुटने तक चिर दिया। जीन्स के साथ साथ चित्रा के पाऊं की गोरी चमरी पर भी ब्लेड लग गया। ताजा खून कि बू आर्यमणि के नाक में जैसे ही गई, उसने अपना सर नीचे झुका लिया और मुट्ठी को जोड़ से भींचकर तेज–तेज श्वास लेने लगा।


माधव चित्रा के सामने बैठा था और निशांत ठीक चित्रा के बगल में। निशांत को तबतक पता नहीं चला था कि चित्रा के साथ क्या हुआ, लेकिन माधव ने अपने आखों से देख लिया था। नीचे बैठा लड़का जिसने ब्लेड चलाया था, माधव ने उसके मुंह पर एक लात खींचकर मारा। इधर निशांत और पलक को भी चित्रा के आंसू दिख गए और उन लड़को की करतूत। निशांत भी उठा और चित्रा के ठीक पीछे खड़े उस लड़के विक्की के मुंह पर कॉफ़ी की खाली कप तोड़ दी।


पूरा कप उसके चेहरे से टकराया और कप का टुकड़ा बड़ी ही बेहरमी से उसके पूरे मुंह में घुस गया… "साले मेरी बहन को तकलीफ पहुंचाने की तेरी हिम्मत कैसे हुई। तुझे बड़ा दादा बनने का शौक है।"


निशांत ने तेजी से दूसरा कप भी उठाया और उसके दूसरे साथी के कनपट्टी पर तोड़ दिया। दोनो ही लड़के लहूलुहान थे। इधर माधव जिसके मुंह पर लात मारा था वो लुढ़क गया और उसके नाक से खून बहने लगा। नीचे बैठे तीन लड़के खड़े हो गए, माधव चिल्लाते हुए अपना चाकू निकला…. "साला हमरे दोस्त को छुए भी तो मर्डर कर देंगे। ई हल्का सरिर पर मत जाना, वरना बदन में इतने छेद कर देंगे कि तुम सब कंफ्यूज कर जाओगे।"


चित्रा उसकी बात पर रोते-रोते हंस दी… "बस माधव अब आगे मत कहना। लाओ वो चाकू दो।"


निशांत:- क्या करने वाली हो।


चित्रा:- घुटनों तक काटकर कैप्री बाना रही हूं।


निशांत:- लाओ मै करता हूं। माधव बैग से फर्सट ऐड निकालकर खून को साफ करो।


माधव:- इतने गोरे पाऊं पर मै हाथ लगाऊंगा तो कहीं मैले ना हो जाए।


निशांत, उसके सर पर एक हाथ मारते… "फ्लर्ट करना सीख रहा है हां"..


माधव:- पागल हो तुम.. खुद ही कहे थे हम मज़ाक करेंगे एक दूसरे से। अब खुद ही ताने दे रहे हो कि हम लाइन मार रहे हैं। देखो हमको कंफ्यूज मत करो।


चित्रा:- वो भी तुमसे मज़ाक ही कर रहा है माधव। इसे क्या हो गया? आर्य तू ठीक तो है ना।


आर्यमणि बिना कुछ कहे नीचे बैठ गया और अपने बैग से फर्स्ट ऐड निकलकर चित्रा के खून को साफ कर दिया। चित्रा के हाथ से चाकू लेकर जीन्स को घुटने से 4 इंच नीचे तक काटकर निकालते हुए उसे 2 स्टेप ऊपर की ओर मोड़ा और टांके लगाने वाले स्टेपलर से उसपर पीन कर दिया… "देखो ठीक लग रहा है ना।"..


"लेकिन यहां ठीक नहीं लग रहा कुछ भी, भागने का वक़्त हो गया है दोस्तो।… माधव बाहर से हॉकी स्टिक लिए आ रही तकरीबन १००–१५० लड़कों की भीड़ को देखते हुए कहने लगा। आर्यमणि भीड़ को देखते हुए, मुस्कुराया और कैंटीन के दरवाजे तक जाकर खड़ा हो गया।


पलक, इतनी भीड़ को देखकर थोड़ी घबरा गई। घबराना लाजमी भी था क्योंकि एक तो लगभग 150 लड़के और उन लड़कों के भीड़ में सरदार खान की गली के कई सारे वेयरवोल्फ। आर्यमणि वहां मौजूद सभी लोगों का गुस्सा साफ मेहसूस कर सकता था। अपनी घूरती नज़रों से अपने सभी दोस्तों को देखा और कहने लगा… "मै आज तोड़ने का मन पहले से बनाकर आया था। चित्रा के साथ बदतमीजी करके उन्होंने मेरे गुस्से को और भड़का दिया है। यदि ये भिड़ मेरा कत्ल करने भी आ रही हो तब भी इन सब से दूर रहो। वरना किसी को भी मै अपनी शक्ल नहीं दिखाऊंगा, ये वादा रहा।


माधव:- ओ भाई हृतिक रोशन के कृष, अकेले भिड़ने गए तो वैसे भी ये लोग शक्ल बिगाड़ देंगे।


आर्यमणि ने घूरते हुए चित्रा और निशांत को देखा और दोबारा कहा.. "सभी यहीं बैठे रहो।"..


निशांत:- पलक, भूमि दीदी को कॉल लगाओ और उनसे कहो, 150 हथियारबंद लड़कों के साथ आर्य अकेले लड़ने गया है।


पलक:- ओह अभी समझ में आया कि क्यों आर्य इतनी बेज्जती झेलता रहा। चित्रा, निशांत खुद देख लो, कोई ख़ामोश है तो उसके पीछे कोई कहानी होगी। बहरहाल मै नागपुर के दबंग को कॉल लगाती हूं।


पलक, भूमि को कॉल लगायी और कोई भी इधर-उधर की बातें किए बगैर सीधा भूमि को पूरा मुद्दा बता दी। पलक समझ रही थी कि निशांत और चित्रा अपने पापा को क्यों फोन नहीं लगा रही इसी वजह से उसने राजदीप को कॉल लगाया और जल्दी से कॉलेज आने के लिए बोल दी।


इधर आर्यमणि कैंटीन के सीढ़ी पर खड़ा था। सीढ़ी को 2 भागो में बाटने के लिए, बीच से स्टील रॉड के पाइप का पिलर बनाकर उसपर जंजीर डालकर पार्टीशन किया हुआ था। आर्यमणि स्टील रॉड पकड़कर खड़ा था और सामने से लड़कों की भीड़ चली आ रही थी जिसमे आगे से आ रहे लड़कों की चाल और हाव भाव कुछ अलग ही कहानी बयां कर रही थी। आगे वेयरवोल्फ की भीड़ थी जिसके पीछे और लड़के खड़े थे। आर्यमणि के पास पहुंचते ही एक लड़के ने अपने दोनो हाथ उठाए और सबको शांत रहने का इशारा करते…. "देखो दोस्त, सामने से हट जाओ, जिसने भी मेरे दोस्तो को मारा है, उसे कीमत चुकानी होगी।".


आर्यमणि:- चले जाओ यहां से और बात यही खत्म करो।


जैसे ही आर्यमणि ने यह बात कही, उस वेयरवोल्फ ने अपना पूरा जोर लगाकर आर्यमणि को एक पंच उसके पेट में मार दिया। एक वेयरवुल्फ द्वारा मारा गया ऐसा पंच, जो किसी आम लड़के की अंतरियां फाड़ चुका होता, लेकिन आर्यमणि के चेहरे पर सिकन तक नही आयि। अगले ही पल आर्यमणि जिस रॉड को पकड़ा था, वो जमीन की ढलाई से उखाड़कर आर्य के हाथ में थी और उस लड़के से विश्वास भरा पॉवर पंच खाने के बाद भी जब आर्य को कोई फर्क नहीं पड़ा, तब उसके सभी वेयरवुल्फ साथी एक दूसरे का मुंह देख रहे थे।…


"चिंता मत करो आज तुम लोगों को समझ में नही आयेगा की क्या हो रहा है?"… अपनी बात कहते हुए आर्य ने उस लड़के की छाती पर एक लात जमा दिया। ऐसा मारा था, जैसे करंट प्रवाह किया हो उस लात से। जिस लड़के के सीने पर लगा, वो तेज धक्का खाकर पीछे अपने दूसरे साथी से टकराया, और जैसे साइकिल स्टैंड में खड़े एक साइकिल के धक्के से पीछे के सभी साइकिल गिरना शुरू होते है, वैसे ही उसके लात के धक्के से तकरीबन पीछे के सभी लड़के धक्के खाकर एक बार में ही गिर गए।


भीड़ का हमला अब आर्यमणि पर जोर से होने लगा। दाएं–बाएं से लड़को ने हमला किया। आर्यमणि के ऊपर कई लड़के हॉकी स्टिक बरसा रहे थे, और आर्यमणि बिना हिले खड़ा होकर बस उन्हें घूरती नज़रों से देखा और उनमें से एक को पकड़कर अपने दोनो हाथ से हवा में उठा लिया, जैसे आज उस लड़के को आर्यमणि एयरोप्लेन बनाकर हवा में उड़ा ही देगा… लेकिन बीच में ही चित्रा चिल्लाई... "नहीं आर्य, ये क्रिमिनल नहीं है। स्पाइनल कॉर्ड में कहीं चोट लगी तो ये किसी काम का नहीं रहेगा।".. और आर्यमणि को रोक लिया


आर्यमणि, चित्रा की बात सुनकर उस लड़के को नीचे उतरा और फिर सामने की भीड़ पर फिर एक बार नजर दिया, जो अब भी लगातार मार तो रहे थे लेकिन आर्यमणि को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। खास वेयरवोल्फ लड़के जो आए थे, उनमें से एक को जोरदार मार पड़ते ही, बाकी के सभी अभी भी उसी को होश में लाने की कोशिश कर रहे थे।


आर्यमणि ने अब विकराल रूप धारण किया। उसने एक लड़के के हाथ से डंडा छीनकर पूरी भिड़ पर अकेले लाठी चार्ज कर दिया। वो लोग भी मार रहे थे लेकिन आर्यमणि का शरीर तो इनके मार के हिसाब से बहुत बाहर था। कितना भी मार लो फर्क नहीं पड़ता, लेकिन आर्यमणि ने एक डंडा जहां खींचकर रख दिया, छटपटाते हुए वही अंग पकड़ कर बैठ गए।


10 लड़को को ही तो ढंग से डंडे की मार पड़ी थी, बाकी के सभी मैदान छोड़कर भाग गए। तभी उन वेयरवोल्फ में से एक खड़ा होकर आया और इस बार आर्यमणि के सीने पर एक जोरदार पंच मार दिया। आर्यमणि श्वांस एक क्षण के लिए अटकी, लेकिन अगले ही पल उसने अपने पाऊं से उसके घुटने के नीचे ऐसा मारा की साफ दिख रहा था, हड्डी टूट गई है और मांस के साथ अलग ही लटक रहा है।


2 वेयरवोल्फ बुरी तरह घायल हो गए थे, जो चाहकर भी हिल नही कर पा रहे थे। बाकी के सभी वेयरवोल्फ को समझ में नहीं आ रहा था कि उनका पाला किससे पड़ा है। तभी उन लोगो ने भूमि को आते हुए देख लिया और अपने घायल साथी को उठाकर वहां से भाग गए।


भूमि तेजी के साथ आर्यमणि के पास पहुंची और व्याकुलता से उसे टटोलती हुई देखने लगी। आखों से उसके आशु निकल रहे थे… "पैट्रिक जिसने मेरे भाई को मारा है सबको ऐसा मारो की ज़िंदगी और मौत के बीच झूलते हुए वो हस्पताल पहुंच जाए "..


आर्यमणि अपने दीदी के आशु पूछते…. "उसे रोको वरना मै नागपुर छोड़कर चला जाऊंगा।"…


भूमि:- मार खाएगा मुझसे अभी… मेरे बच्चे को मारने कि हिम्मत कौन कर गया वो भी मेरे रहते। उसके खानदान समेत सबको आग लगा दूंगी। समझ क्या रखा है, शांत हूं तो कमजोर पर गई। पैट्रिक मुझे चीखें क्यों नहीं सुनाई दे रही है।


पैट्रिक:- वो राजदीप सर हमे रुकने कह रहे है।


भूमि, राजदीप को देखकर जैसे ही आगे बढ़ने लगी, आर्यमणि उसका हाथ थामकर रोकते हुए… "दीदी ये कॉलेज है। हम स्टूडेंट के बीच मारपीट होते रहती है। आप तो ये कह रही है। बचपन में मैंने मैत्री के मैटर में अपने से 4-5 साल सीनियर उसके बड़े भाई शूहोत्र लोपचे को 3 महीने के लिए हॉस्पिटल पहुंचा चुका हूं। उस लड़ाई के मुकाबले तो ये कुछ भी नहीं। फिर आप क्यों इतने गुस्से में पढ़ने लिखने वालों पर ज़ुल्म कर रही हो। अभी नहीं मारपीट होगी, तो क्या शादी के बाद लोगो से लड़ाई करूंगा।"..


भूमि:- हम्मम ! समझ गई सॉरी। तू जाकर अपने दोस्तो के साथ बैठ और पलक को कहना जबतक मै ना आऊं वो भी तेरे साथ ही बैठी रहे।


भूमि आर्यमणि के पास से हटकर सीधा राजदीप के पास पहुंची और गुस्से में उसे आखें दिखती हुई, पैट्रिक को एक थप्पड़ मारते… "सबको लेकर निकलो यहां से।"


राजदीप:- ऐसे दूसरों को मारकर क्यूं जाता रही हो की तुम मुझे थप्पड़ मार सकती हो। सीधा मारो ना। पैट्रिक तुम जाओ।


भूमि उसे एकांत में लाती…. "शर्म नहीं आती तुझे... एक बच्चे परेशान करने के लिए वेयरवोल्फ की मदद लेते हो। प्रहरी के सारे विचार कहां घुस गए। २ दुनिया के बीच दीवार खड़ी करने वाले खुद उसे लड़ा रहे...


राजदीप:- दीदी तुम क्या कह रही हो?


भूमि:- राजदीप तू मेरा भाई है लेकिन आर्यमणि मेरे बच्चे जैसा है। मेरी नजर हमेशा बनी रहती है। उसके आते ही तुमने एमएलए से बोलकर आर्य की रैगिंग करवाई। उसे भरी सभा में सबके बीच जिल्लत झेलना पड़ा और मै गम पीकर रह गई। आज भी तेरे इशारे पर ही इन वुल्फ की इतनी हिम्मत हुई कि प्रहरी के सामने ही वह हमला कर रहा था। इतनी सह वेयरवोल्फ को कहां से मिल गई बताएगा।


राजदीप:- ये मेरा काम नहीं होगा फिर मेरी मां का काम होगा। उन्हें मैंने ही गलती से बता दिया था कि जया का बेटा भी आया है नागपुर।


भूमि:- तू अपनी मां और मेरी मां को नहीं जानता क्या? उनकी वजह से हम एक दूसरे के घर नहीं जा सकते? दोनो एक दूसरे से दुश्मनी निभाए बैठे है और तूने अपनी मां को आर्य के बारे में बता दिया? आज अगर यहां किसी पढ़ने वाले बच्चे की लाश गिरती तो उसके जिम्मेदार तुम होते राजदीप?


राजदीप:- तो आप ही बताओ ना मै क्या करू?


भूमि:- तू जानता है आर्य की क्षमता।


राजदीप:- क्या ?


भूमि:- 6-7 साल पहले इसकी लड़ाई जीतन लोपचे के बेटे से हुई थी। मैटर था आर्य और जीतन की बेटी मैत्री से दोस्ती। आर्य ने तब उस जितन लोपचे के बेटे को मारा था और 3 महीने के लिए हॉस्पिटल पहुंचा दिया था। उसकी मार से एक वेयरवोल्फ 3 महीने तक हिल नही हुआ...


राजदीप, आश्चर्य से उसका मुंह देखता रहा, फिर अचानक से गुस्से में आते हुए… "ऐसा लड़का जब यहां स्टूडेंट के बीच आकर आपस में लड़ाई कर रहा है तो तुम क्यों बच्चो के बीच ने दादी बनकर चली आयी। ऐसा कौन करता है। लड़कियों को छेड़ना, एक दूसरे से झगड़ा करना, आपस की प्यार दोस्तो और पढ़ाई के बीच में आप क्यों घुसने चली आयी।"


भूमि:- क्योंकि ये झगड़ा प्रायोजित लग रहा था। आज तो मै तेरा खून कर देती अगर उसे खरोच भी आयी होती तो।


राजदीप:- साला ये तो लकी निकला। मुझे दादा (तेजस) ने बताया था कि आप इसे एकतरफा प्यार करती है। मुझे लगा हो सकता है ज्यादा लगाव हो, लेकिन इतना ज्यादा होगा पता नहीं था।


भूमि:- आर्यमणि, मेरे मौसा केशव कुलकर्णी और मेरी प्यारी जया मासी, इनसे लगाव के बारे में मत ही पूछो। और हां इनसे लगाव बहुत ज्यादा है इसका मतलब यह नहीं की मैं दूसरो के प्रति को लगाव ही नही रखती। मुझे भारद्वाज खानदान के दोनो चचेरे भाई, सुकेश भारद्वाज और उज्जवल भारद्वाज को एक होते देखना चाहती हूं।


राजदीप:– वो तो मैं भी चाहता हूं, लेकिन रास्ता क्या है...

भूमि:– एक रास्ता है लेकिन थोड़ा पेंचीदा...


राजदीप:- कौन सा दीदी...


भूमि:- मैंने अपने बेटे आर्यमणि के लिए पलक को पसंद किया है। तू भी लड़का देख ले, तेरी बहन के लिए ठीक रहेगा या नहीं।


राजदीप:- जया का बेटा नागपुर आया है, केवल इतना सुनकर मेरी मां जब उसे इतना परेशान कर सकती है, फिर तो जब वो सुनेगी की जया का बेटा उसकी बेटी से शादी करने वाला है… आप होश में भी हो।


भूमि:- अच्छा और यदि दोनो को प्यार हो गया तो।


राजदीप:- मुझे कोई ऐतराज नहीं है, बाकी गृह युद्ध को आप जानो।


भूमि:- एक बार और देख ले उसे, बाद में ये नहीं कहना की दीदी ने अपने रिश्तेदारी में मेरी बहन का लगन गलत लड़के से करवा दिया है।


राजदीप:- आर्य मुझे भी पसंद है। मै रविवार को अपनी मासी के घर गया था, वहीं चित्रा ने निशांत और आर्य के जंगल रेक्यू के वीडियो दिखाएं। दीदी दोनो ने मिलकर तकरीबन 20 लोगो की जान बचाई थी। जबकि वो लोपचे के कॉटेज वाला जंगल है।


भूमि:- जानती हूं भाई।


राजदीप:- सुनो दीदी पहले से कोई प्लान नहीं करते है। अभी जवान है, पता नहीं कब किसपर दिल आ जाए।


भूमि:- सब तेरी मां के गलत डिसीजन का नतीजा है। 20-21 साल के होते ही समुदाय में लगन करवा देते तो इतना नाटक ही नहीं होता। कंवल का लगन समुदाय के बाहर हुआ और वो लड़की उसे लेकर यूएसए निकल गई। तू 28 का हो गया, मुझे तो तुझ पर भी शक होने लगा है। 23-24 की नम्रता होगी। भारद्वाज खानदान ही समुदाय के बाहर जाने लगेगा तो हमारा बचा हुआ अस्तित्व भी चला जाएगा।


राजदीप:- दीदी कह तो आप सही रही हो। आर्य की उम्र क्या होगी..


भूमि:- वो 21 का है..


राजदीप:- पलक भी 20 की है। एक काम करता हूं नम्रता से आज मै साफ साफ पूछ लेता हूं कि उसने किसी को पसंद किया है या नहीं। नहीं की होगी तो उसके लगन के बाद इन दोनों की एंगेजमेंट फिक्स कर देंगे। शादी पढ़ाई पूरी होने बाद करवा देंगे।


भूमि:- और तू.. साफ साफ बता की तू किसी को चाहता है या नहीं.. फिर मै मुक्ता का रिश्ता तेरे लिए भेजूं। बड़ी प्यारी लड़की है, परिवार के साथ रहने वाली और कारोबार को आगे बढ़ाने वाली। एक बॉयफ्रेंड था कॉलेज के दिन में लेकिन बहुत पहले उससे ब्रेकअप हो गया। ।


राजदीप:- मतलब मेरे जैसी है..


भूमि:- जी नहीं उसके 1 ही बॉयफ्रेंड था। तेरी 6-7 गर्लफ्रेंड थी। अब सच-सच बता किसी को फिक्स किया है या मै मुक्ता का रिश्ता भेजूं तेरे घर।


राजदीप:- नम्रता से बात करने दो, फिर दोनो का साथ में भेज देना।


भूमि:- हम्मम ! ये भी ठीक है। तू अभी ड्यूटी पर है क्या?


राजदीप:- हां दीदी..


भूमि:- ठीक है ड्यूटी के बाद मुन्ना खान के पास चले जाना, वहां तेरे पसंद की मॉडिफाइड कार तैयार हो गई है जाकर ले लेना।


राजदीप:- आप कुछ भी भूलती नहीं ना दीदी।


भूमि:- उल्लू… भूलूंगी क्यों, उल्टा बुरा लगा था जब तू देसाई बंधु की कार देखकर आकर्षित हो गया और उसने तुझे एक कार के लिए सुना दिया था।


राजदीप:- आपने सब देख लिया था क्या?


भूमि:- हां तो.. साले भिकाड़ी। 2 साल बाद ही तो उसे निकाल दिया था प्रहरी से। जिसमे अपने समुदाय के लोगों के लिए इज्जत नहीं वो लोकहित और अपने जान जोखिम में डालकर क्या दूसरों की रक्षा करेगा। भगा दिया साले को।


राजदीप:- आप ना बिल्कुल डॉन हो। मै तो होने वाली मीटिंग में आपको ही अध्यक्ष चुनुगा।


भूमि:- ना मुझे अध्यक्ष नहीं बनना वो राजनीति वाला काम है और तू जानता है मुझसे ये सब नहीं होगा। हां तू मुझे अध्यक्ष नहीं बना बल्कि मेरे बेटे के लिए अपनी बहन का हाथ दे दे ठाकुर।


राजदीप:- पागल है आप। दोनो को आराम से पढ़ने दीजिए। हम दोनों का अरेंज मैरिज प्लान करते है ना। मै जा रहा हूं, आपसे परसो मिलता हूं।


भूमि:- सुन अपनी मां को जाकर समझाओ होने वाले जमाई पर हमला नहीं करवाते।


परदे के पीछे का खिलाड़ी सामने था। और आर्यमणि को परेशान करने की वजह भी सामने थी। भूमि और राजदीप के बीच जो भी मन लुभावन बातें हुई, वह बस मात्र एक कल्पना थी, जिसके पूरा होने का कोई रास्ता नही था। लेकिन आर्यमणि ने जब पहला दिन अपना कदम नागपुर में रखा तभी उसे पार्किंग में पता चल चुका था कि अक्षरा भारद्वाज लग गई है उसके पीछे। उतने दिन से आर्यमणि बस दुश्मनी का इतिहास ही खंगाल रहा था और जब वह सुनिश्चित हुआ की अब अक्षरा से मिलने का वक्त आ गया, तब उसने अपना तांडव सुरु कर दिया। अब बस छोटा सा इंतजार करना था... सही वक्त का...
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Lib am

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वेयरवोल्फ और उसके शिकार की अहम जानकारी

कहानी के प्रमुख पात्र

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Update:- 17 Posted on page 58
Update:- 18 Posted on page 59
Update:- 19 Posted on page 62



Megha Update 19 post kar diya hai.... Bahut thaka tha, aur jab bhi edit karne baitho, nindiya gher leti... Kal sabhi ke comment ka reply karunga... Filhaal update ka maza lijiye aur apne pyare–pyare comment dete rahiye....
आइला अपडेट आ गया, अब मजा आयेगा पढ़ने में
 
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