भाग:–95
आर्यमणि सबकी हरकतों को समझ रहा था और अंदर से हंस भी रहा था। रूही के कान बाहर ही थे। जैसे ही ओजल बाहर गयी, रूही की धड़कने ऐसी ऊपर–नीचे हुई की बेचारी को श्वांस लेना दूभर हो गया। शेप कब शिफ्ट हुआ रूही को खुद पता नहीं, बावजूद इसके धड़कन थी कि बेकाबू हुई जा रही थी।
रूही इतनी तेज श्वांस खींच रही थी कि आवाज बाहर तक सुनी जा सकती थी। दरवाजा खुला और रूही अपना सर अपने घुटनों के बीच छिपा ली। तभी वहां एक जोरदार गरज हुई। रूही घुटनों के बीच से अपना गर्दन ऊपर की और ना मे सर हिलाने लगी।
आर्यमणि भी अपना शेप शिफ्ट कर चुका था। छलांग लगाकर सीधा रूही के आगे। रूही के सर को अपने हाथ से ऊपर करते.… "शर्माती हुई क्या प्यारी लगती हो"
दोनों कि नजरें एक दूसरे से मिल रही थी। चेहरे पर फैलती मुस्कान अलग ही खुशी बयां कर रही थी। रूही को अपने अरमान छिपाना उतना ही मुश्किल हो रहा था। नजरें बेईमान हो चुकी थी। रूही की इक्छा तो थी एक पूरी नजर आर्यमणि को देख लिया जाय। लेकिन पलकें साथ नहीं देती। नजर उठती और फिर नीचे बैठ जाती।
आर्यमणि रूही के चेहरे को थाम लिया। रूही आंखे बंद किये अपना चेहरा ऊपर कि। कुछ पल बीते होंगे जब रूही अपनी आंखें खोली। इस बार दोनों कि नजरें लड़ रही थी। आंखें एक दूसरे पर ठहर चुकी थी। मुस्कुराते हुए दोनों कि हंसी निकल आयी…. "बॉस ऐसे मत देखो, अंदर कुछ अजीब सा हो रहा है।"
आर्यमणि उसके गोद में सर रखकर सीधा लेटते…. "तुम्हारे साथ होना सुकून देता है। रूही क्या मैंने कोई जबरदस्ती की है?"
रूही:- मुझे इमोशनल नहीं होना। बॉस मेरी भी वही इक्छा है जो तुम्हारी थी। अंत तक साथ सफर करना। हां लेकिन अभी यहीं रहते है। कुछ वक्त दो भूलने के लिए। नागपुर का वो जंगल किसी बुरे सपने से कम नहीं था।
आर्यमणि:- रूही, ओशुन और उसका पैक यहां क्या कर रहा था।
रूही:- बॉब लेकर आया था। हम सब को लगा कि तुम उसी से लिपटोगे...
आर्यमणि:- हां मै बेवकूफ होता तो लिपट लेता। लेकिन मै रूही के इमोशन ना पढ़ पाऊं तो किसे पढ़ पाऊंगा...
रूही:- कुछ भी आर्य... ऐसा होगा, मैंने सपने में भी नहीं सोचा था...
आर्यमणि:- सोचा तो मैंने भी नहीं था, मेरी आंखें खुलेगी और तुम मुझे इतनी खुशियां दोगी। थैंक्यू सो मच। इतनी सारी तस्वीरें कहां से कलेक्ट कर ली। भूमि दीदी का बेबी भी हो गया, बिल्कुल गोल मटोल...
रूही:- अरे नही …. इतनी बड़ी भूल कैसे हो सकती है..
आर्यमणि:- अब ये सब क्यों?
रूही:- अनंत कीर्ति की पुस्तक खुल चुकी है।
आर्यमणि, बिल्कुल हैरान होते.… "क्या?"
आर्यमणि जैसे ही हैरानी से "क्या" कहा, रूही बड़ी फुर्ती से उसके होंठ को अपने होंठ से स्पर्श करती, आर्यमणि के निचले होंठ को दतों तले दबा दी और उसे बाहर के ओर खिंचते हुए छोड़ दी... "आओओओओ जंगली"…
जैसे ही आर्यमणि अपनी प्रतिक्रिया देकर आगे बढ़ा, रूही खिलखिलाकर हंसती हुई, उसे रोकती... "बॉस, बॉस, बॉस.. मैं कहां भाग रही हूं... लेकिन जो भी कही सच कही। यहां जितनी भी तस्वीर है उसे अपस्यु ने लगाया है।
आर्यमणि:- छोटे (अपस्यु) यहां आया था और तुमने उसे रोका क्यूं नहीं?
आर्यमणि शिकायती लहजे में पूछने लगा। इस बार रूही जैसे ही शरारत मे आगे बढ़ी, आर्यमणि उतनी ही तेजी उसके गर्दन को दबोचकर होंठ से होंठ लगाकर काटना शुरू किया। रूही झटका देकर आर्यमणि को दूर करती... "आव्वववववव !!! ओये सकाहारी वूल्फ आज क्या अपनी ही होने वाली बीवी को काट खाओगे"…. कह तो दी रूही ने हक से, लेकिन आर्यमणि के सीने से लग कर उतना ही ज्यादा शर्मा भी गयी। हां शायद उसके लिये भी अपने अंदर के अनुभव को बायां कर पाना मुश्किल ही था। शायद पहली बार उसके अंदर एक लड़की होने की भावना जागी थी।
बेचारी शर्माकर अपना मुंह छिपाते... "बॉस आज मेरा कॉन्फिडेंस डॉउन लग रहा है।"
बावरी लड़की शर्माना को अपना डॉउन कॉन्फिडेंस बता रही थी। समझ तो वो भी रही थी लेकिन बातों से जाहिर नहीं करना चाहती थी। आर्यमणि भी एक हाथ उसके बालो मे फेरते दूसरा हाथ उसके पीठ पर ले जाकर ड्रेस की जीप को धीरे–धीरे नीचे करने लगा।
रूही अब भी अपना चेहरा आर्यमणि के सीने से लगायी थी। जैसे ही आर्यमणि के हाथ जीप को नीचे करने लगे, रूही की धड़कनों ने उसका साथ छोड़ दिया। पहली बार अपने प्रेमी के हाथ अनुभव वो अपने बदन पर कर रही थी। मारे लाज के अपना सर आर्यमणि के सीने में पूरा दबाती अपनी दोनों बांह उसके पेट से होकर पीठ पर लपेटती हुई भींच ली।
उसके बढ़ी धड़कन आर्यमणि कानो तक पहुंचने लगी... "रूही... रूही"…. उसके सपाट से पीठ पर पूरा हाथ फेरते हुए आर्यमणि उसे पुकारने लगा। रूही तो बस इस खोए से पल मे आर्यमणि को महसूस कर रही थी। एक लंबी खुमारी में थी शायद और आर्यमणि का बोलना उसे खटक रहा था। लचरती सी आवाज में... "बॉसससस"… ही बस कह पायी और आर्यमणि को और जोर से खुद मे भींच ली।
आर्यमणि अपना सर ऊपर किये, उसके पीठ पर हाथ फेरते हुए रूही के ड्रेस को कंधे से सरकाने लगा। यूं तो वो रूही की ड्रेस ना जाने कितनी बार कंधे सरका चुका था। नहीं तो खुद ना जाने कितनी बार रूही अपने ड्रेस को सरका चुकी थी। लेकिन आज जब आर्यमणि ने ड्रेस नीचे करना शुरू किया बेचारी बरी झिझक के साथ किसी तरह खुद को संभाल पायी थी।
आर्यमणि के सीने से हटने के क्रम में आर्यमणि ने रूही का वो शर्म से लाल चेहरा भी देखा, जो एक प्यारी भारतीय स्त्री का अपने प्रेम मिलाप मे समर्पित प्रेमी के साथ होता है। अंदर से पूरी व्याकुल और चेहरे पर पूरी झिझक। रूही थोड़ी शर्माती थोड़ी लज्जाती अपनी नजरों को शर्माकर कभी नीचे तो कभी ऊपर करती।
आर्यमणि, रूही को अपने ओर खींचकर अपने होंठ उसके गर्दन से लेकर कान तक चलाने लगा। रूही के बदन में जैसे अरमानों ने हिलकोर मारा हो। रोम–रोम कामुत्तेजना से सिहर गया। बदन पर रोएं खड़े हो गए। आर्यमणि, रूही को अपने गोद में उठाकर उसे बिस्तर पर लिटाया और खुद उसके ऊपर आकर बेहाताशा चूमने लगा। चूमते हुए वह अपने हाथों में रूही के दोनो वक्षों को समेटे उससे प्यार से मसल भी रहा था और उसके गोरे बदन को चूम भी रहा था।
रूही की श्वांस और भी ज्यादा गहरी होती जा रही थी। आर्यमणि जब अपने हाथों से वक्ष को धीरे–धीरे मसलता रूही अपने हाथ से चादर को पूरी तरह से भींच लेती। उसके योनि में सुरसुरी और मधुर स्त्राव को वो अनुभव करने लगी। शायद आज जितनी शर्मा रही थी अंदर से उतनी ज्यादा कामुक भी महसूस कर रही थी। खुद को पूर्ण रूप से आर्यमणि की होने का आभास उसे दीवाना बना रहा था। योनि में जैसे चिंगारी लगी हो। रूही अपने पीठ को ऊपर करने के साथ–साथ अपनी कमर को आर्यमणि की कमर से चिपकाकर उसे घिसने लगी।
आर्यमणि भी उतनी ही तेजी से अपना कपड़ा उतारकर जैसे ही रूही के ऊपर आया, आज पहली बार उसकी आंखें बंद थी। आर्यमणि आते के साथ ही रूही को होंठ को चूमते हुए उसके हाथ को ले जाकर लिंग के ऊपर रख दिया। रूही के बिलकुल ठंडे हाथ जब आर्यमणि के लिंग पर पड़े, वो अंदर से हिल गया। आज पहली बार रूही के हाथों का स्पर्श इतना सौम्य था की वो पूरे शरीर में झनझनाहट महसूस करने लगा। शायद अब दोनो के लिए बर्दास्त करना मुश्किल हो गया था। रूही बेसब्री बनती, लिंग को योनि के ऊपर जोड़–जोड़ से घिसने लगी और तभी जैसे रूही के बदन ने हिचकोले खाए हो और पूरा बदन में मस्ती दौर गयी।
एक ही झटके में पूरा लिंग योनि के अंदर था। और आर्यमणि बिलकुल मस्ती में झटके मारने लगा। रूही आज अलग ही मस्ती में चूर थी। अरमान बेकाबू थे और शर्म पूरी तरह से हावी थे। कितनी भी कोशिश करके देख ली लेकिन आर्यमणि के जोशीले झटके पर रूही के मुंह से दबी सी आवाज निकल ही जाती। आज अंदर से हार्मोन इतने बह रहे थे कि रूही कई बार बह चुकी थी, लेकिन आर्यमणि था कि रुकने का नाम ही नही ले रहा था। कसमसाती, मचलती, पसीने से तर रूही नीचे लेटी रही और आर्यमणि पूरे जोश से होश खोकर पूरे बिस्तर को हिचकोले खिलाने वाले झटके मारता रहा। चरम सीमा के पार जब वीर्य स्त्राव हुआ तब रूही, आर्यमणि से लिपटकर अपनी श्वांस सामान्य करने लगी।
दोनों असीम सुख के साथ एक दूसरे से लिपटे हुए थे। तभी एक–एक करके तीनों टीन वुल्फ हॉल में पहुंचकर उधम–चोकड़ी मचाने लगे। रूही सबकी आहट पाकर हड़बड़ा कर उठी। आर्यमणि इतने प्यारे से माहौल में खोया था कि उसे रूही का उठकर जाना पसंद नही आया और रूही का हाथ पकड़कर खींच लिया।
बेचारी जल्दी से अपने कपड़े पहनने कि कोशिश कर रही थी लकीन आर्यमणि ने ऐसा खींचा की फिर से उसके खुले वक्ष आर्यमणि के सीने में दबे थे। चेहरा गर्दन पर और रूही के पूरे बाल फैलकर आर्यमणि के चेहरे पर। तभी तेज आहट के साथ दरवाजा खुला और तीनों टीन वुल्फ "पार्टी–पार्टी" चिल्लाते हुये दरवाजे पर खड़े थे, बिना अंदर के माहौल की कुछ भी जानकारी लिये।
अब सीन कुछ ऐसे था की रूही की ड्रेस कमर तक थी, पीछे से सपाट खुली पीठ दिख रही थी। आर्यमणि अपने चौड़ी भुजाओं के बीच रूही के पीठ को दबोच रखा था, रूही का चेहरे आर्यमणि के सीने में छुपा था और रूही के बाल आर्यमणि के चेहरे पर फैले होने के कारण उसका चेहरा नहीं दिख रहा था।…
अंदर का नजारा देखकर.… "बॉस बाल हटाकर चेहरा तो दिखाओ, फेस का एक्सप्रेशन कैसा है?" अलबेली छेड़ती हुई कहने लगी...
"लगता है बॉस अभी खोये है। अपनी महबूबा को बाहों में लिये सोये है। बॉस हमारे लिए क्या आदेश है।"…. ओजल भी चुटकी लेने लगी.…
"बॉस हम जा रहे है। आप दोनों कंटिन्यू करो। ओह हां ये दरवाजा बंद कर लेना।"…. इवान भी सबके साथ मिलकर छड़ने लगा...
"बॉस कुछ तो बोलो"… अलबेली फिर से छेड़ी...
"ये फेविकोल का जोड़ है छूटेगा नहीं"… ओजल भी से फिर छेड़ी...
बाल के नीचे से ही तेज दहाड़ निकली। एक ब्लड पैक के मुखिया की आवाज जो अपने पैक को कंट्रोल करना चाह रहा था। उसके गरज सुनकर, तीनों ही हसने लगे।..…. "बॉस हमे कंट्रोल कम कर रहे हो और अपनी बेबसी का परिचय ज्यादा दे रहे हो। ठीक है हम जा रहे है।"… इवान सबको वहां से हटाकर दरवाजा तेज बंद करता गया..
जैसे ही दरवाजा बंद हुआ, शर्म से मरी जा रही रूही झटाक से उठी और फटाक से ड्रेस को कंधे के ऊपर चढ़ा ली।…. "बॉस उठो भी, मुझे उनको अकेले फेस नहीं किया जायेगा"… रूही मिन्नतें करती हुई कहने लगी। आर्यमणि मुस्कुराकर रूही को प्यार से देखा और बिस्तर से उठकर खड़ा हो गया, रूही के सामने अपना सर ऐसे झुकाया जैसे कोई गुलाम हो... "बॉस तो आप ही होंगी मैम, हम तो खिदमतगार गुलाम ही कहलायेंगे।"….
रूही थोड़ा चिढ़कर, आर्यमणि को वॉर्डरोब के ओर धक्के देती... "अब बाहर जाओ भी आर्य। सब हॉल में हमारा इंतजार कर रहे है।"..
सबके जाने के कुछ देर बाद दोनों बाहर निकले। दोनों को बाहर आते देख, ओजल, इवान और अलबेली खड़ी होकर झूमते हुए सीटियां और तालियां बजाते.… "नया सफर मुबारक हो दोनों हमसफर को।"
तीनों टीन्स के चेहरे ऐसे थे मानो छोटे बच्चों की बड़ी सी ख्वाइश पूरी हो गयी हो। अलबेली अपना हाथ आर्यमणि के ओर आगे बढ़ायी और इधर गाना बजने लगा…
तू होगा ज़रा पागल, तूने मुझको है चुना
तू होगा ज़रा पागल, तूने मुझको है चुना
कैसे तूने अनकहा, तूने अनकहा सब सुना
तू होगा ज़रा पागल, तूने मुझको है चुना
तू दिन सा है, मैं रात आना दोनों मिल जाएँ शामों की तरह
मोह मोह के धागे तेरी उँगलियों से जा उलझे
ये मोह मोह के धागे तेरी उँगलियों से जा उलझे
कोई टोह टोह ना लागे किस तरह गिरह ये सुलझे
ये मोह मोह के धागे तेरी उँगलियों से जा उलझे
बैकग्राउंड से मोह मोह के धागे बजना शुरू हुआ। आर्यमणि पूरा खुलकर हंसते हुए अलबेली का हाथ थाम लिया। अलबेली अपनी दोनों हाथ आर्यमणि के कंधे पर रखी थी और आर्यमणि, अलबेली के कमर को थामकर दोनों धीरे-धीरे नाचने लगे।
जैसे ही बैकग्राउंड म्यूज़िक का दूसरा लाइन शुरू हुआ, इवान अपना हाथ रूही के ओर बढ़ा दिया। रूही भी हंसती हुई इवान के कंधे मे अपने दोनो हाथ फंसा दी। इवान रूही के साथ नाचना शुरू किया। सबके चेहरे पर हंसी थी। शायद सबने पहली बार परिवार की खुशी को महसूस किया। कमाल के होते ये आंसू भी, गम में तो बहते ही है, हां लेकिन जिस खुशी को जिंदगी भर तरसते रहे हो, वो मिल जाए तो फिर पता नहीं रुकते ही नहीं ये आंसू। खिले से चेहरे पर भी ये आंसू बहते रहते है...
यह एक पारिवारिक क्षण थे। एक छोटे से वूल्फ परिवार का हंसी खुशी का पारिवारिक क्षण जिसमे उस पैक के मुखिया आर्यमणि द्वारा लिये गये फैसले ने सबको चौंकाया तो था ही, साथ ही साथ सबकी भावनाओं के तार भी उतनी ही मजबूती से जोड़ दिया था। घर में पार्टी जैसा माहोल था जहां केवल और केवल परिवार के लोग थे। सब मिलकर पका भी रहे थे और हॉल में बड़े से डानिंग टेबल पर खाना सजा भी रहे थे।
आज एक परिवार कि तरह बैठ रहे थे, जहां आर्यमणि सभी से खुलकर बातें कर रहा था और वो सब भी उतने ही हंसते हुये सुन रहे थे। किसी की भी पुरानी कोई यादें थी नहीं जिसपर ये अपनी बचपन कि कहानी शुरू करते। क्यूंकि ट्विंस, ओजल और इवान ने तो उम्र भर केवल दीवारें ही देखी थी। वहीं रूही और अलबेली ने तो उस से भयंकर मंजर को सरदार खान के उस किले मे झेला था।
एक के पास ही बचपन कि प्यारी कहानी थी। चित्रा, निशांत और आर्यमणि। सभी खाने के टेबल पर पहले उनके बचपन कि छोटी–बड़ी कहानी सुने। फिर जो 3 बच्चों का बचपन लगभग साल भर से शुरू हुआ था, उनके झगड़े और खट्टे–मीठे, नोक–झोंक रूही और आर्यमणि सुन भी रहे थे और उतने ही दिल खोलकर हंस भी रहे थे।
बातों के दौरान ही पता चला की इवान भी आर्यमणि कि तरह एक्सपेरिमेंट कर रहा था जहां वो किसी सामान्य से इंसान के साथ संबंध बनाकर खुद को कंट्रोल करने कि ट्रेनिंग लेने वाला था और यही वजह थी कि इवान अलबेली को चाहता तो था, लेकिन वो चाह कर भी नहीं बता सकता था कि वो किसी गैर के साथ संबंध केवल अपने एक्सपेरिमेंट के लिये बनाना चाहता है।
आर्यमणि कैस्टर के फूल के ज़हर को खुद में सोखने के कारण लगभग महीने दिन तक बेहोश रहा था। उसी दौरान इवान को अपनी भावना और आंसू बहाने के लिये जब अलबेली का कंधा मिला, तभी वो अलबेली को खुद से दूर करने के वजह को बता दिया। यूं तो अलबेली भी रो रही थी, दिमाग जानता था कि आर्यमणि को कुछ नहीं हुआ था लेकिन दिल है कि मानता नहीं।
अलबेली भी दर्द और आंसुओं में थी। लेकिन जैसे ही इवान अपनी भावना व्यक्त किया, उफ्फफफ, इस लड़की का गुस्सा.. मार मारकर इवान को सुजा दी। रुक ही नहीं रही थी। किसी तरह इस लड़ाकू विमान पर रूही और ओजल ने मिलकर काबू किया था। उन दोनों के झगड़े का कारण जब पता चला तब गम के उस माहोल में रूही और ओजल क्या लोटपोट होकर हंसी थी।
अब भी जब ये वाक्या इवान बता रहा था, रूही और ओजल का हंसना शुरू हो चुका था। और उधर अलबेली का पारा वापस से चढ़ गया। अलबेली का कलेजा जैसे दोबारा जल गया हो और दिल में ऐसी फीलिंग सी आने लगी की ये कमीना इवान कहीं दिमाग में फिर से सेकंड थाउट तो नही पाल रखा की बॉस से अपने एक्सपेरिमेंट के बारे में बताने पर कहीं बॉस उसके एक्सपेरिमेंट को हरी झंडी न दे दे। फिर क्या था अलबेली पिल गयी मारने के लिये। एक लात तो जमा ही चुकी थी और इवान कई फीट जाकर गिरा था। हां लेकिन इतने मार से अलबेली का गुस्सा शांत हो तब ना। इवान को पटक–पटक कर मारने के लिये, दौड़ लगाकर छलांग लगा चुकी थी।
उसी वक्त फिर से रूही उसे जकड़ती हुई कहने लगी... "रुक जा अलबेली। तू खाती क्या है रे रुक जा। उसे मार देगी क्या?"
क्या झटकी थी अलबेली। रूही उसके दोनो बांह को जकड़कर अपनी बात बोल रही थी। अलबेली ने इतना तेज झटका की वो बेचारी दीवार से जाकर टकराई और धम्म से नीचे गिरी। ओजल, इवान को उठाई। अपने भाई के लूटी–पिटी हालत पर हंसे या रोये पता ही नहीं चल रहा था। इतने में ही पहले ओजल, रूही को हवा में उड़ते देखी और उसके तुरंत बाद अलबेली ने ओजल को इवान के आगे से, ऐसे झटके से किनारे की, कि बेचारी पहले तो अनियंत्रित होकर जमीन पर गिरी, फिर फिसलती हुई जाकर दीवार से टकरायी।
अलबेली, इवान का कॉलर पकड़कर उसे झटके खींच ली और उसके होंठ से होंठ लगाकर लंबा वाइल्ड किस्स करती अलग होती कह दी... "दोबारा मन में ऐसे फालतू के ख्याल आये तो हांथ पाऊं तोड़कर बिठा दूंगी।…. (फिर शर्माती हुई) बाकी जो भी और जैसा भी तुम्हे एक्सपेरिमेंट करना हो मेरे साथ करो, कभी कोई शिकायत ना रहेगी। जान निकाल लेना उफ्फ ना करूंगी लेकिन किसी दूसरी लड़की के साथ हुए तो जान निकाल लूंगी।"
क्या ही एक्शन मोमेंट था। इवान भी उतने ही पैशनेट होकर अलबेली को चूमा और तीनो (आर्यमणि, रूही और ओजल) के सामने से अलबेली को उठाकर बाहर ले जाते.… "हम जरा अपना झगड़ा शहर के एक चक्कर काटते हुये सुलझाते है, तब तक एक ग्रैंड पार्टी की प्लानिंग कर लो।" ओजल और रूही तो इनके प्यार और पागलपन को देखकर पहले भी हंसी से लोटपोट हो चुकी थी। आज पहली बार आर्यमणि देख रहा था और वह भी खुद को लोटपोट होने से रोक नहीं पाया।
Wow
nain11ster bhai mast update tha.
Matlab ab hme wapas se ek se do Upadte me last 1 month ka flashback dekhne ko milega. Jiske karan hme sahi se pata chal sake hi aakhir aarya ne Ruhi ko hi kyu select kiya. Uske alawa ye anant kirti ki book kisne kholi aptsu ne ? Agar usne kholi hai to use kholne ka tarika kaise pata chla ? Kahi guru Nishi neto nahi bata diya tha suru me hi dekhte hai kya jawab hota hai uska.
Aur wo rani madhumakhi definitely osun ke body me hi ghusi hogi jiske bare me hame aage pata chlega. Quoi aage jakar jaisa ki aapne last Update me kaha tha wo insan bas body se hoga ander se use madhumakhiya chala rahi hongi pura control kar rahi hongi. Wahi osun ke sath hoga.
Ab dekhte hai is sbse bade jhankane anant kirti ke book me kya milta hai. Kon se chije isase aarya sikhta hai. Aur agar book khuli hai to aptsu bhi use read jarur karega.
Khair overall ye bahut hi acha Update tha.