• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

Prime
23,615
80,592
189
Last edited:

nain11ster

Prime
23,615
80,592
189
भाग:–95





आर्यमणि सबकी हरकतों को समझ रहा था और अंदर से हंस भी रहा था। रूही के कान बाहर ही थे। जैसे ही ओजल बाहर गयी, रूही की धड़कने ऐसी ऊपर–नीचे हुई की बेचारी को श्वांस लेना दूभर हो गया। शेप कब शिफ्ट हुआ रूही को खुद पता नहीं, बावजूद इसके धड़कन थी कि बेकाबू हुई जा रही थी।


रूही इतनी तेज श्वांस खींच रही थी कि आवाज बाहर तक सुनी जा सकती थी। दरवाजा खुला और रूही अपना सर अपने घुटनों के बीच छिपा ली। तभी वहां एक जोरदार गरज हुई। रूही घुटनों के बीच से अपना गर्दन ऊपर की और ना मे सर हिलाने लगी।


आर्यमणि भी अपना शेप शिफ्ट कर चुका था। छलांग लगाकर सीधा रूही के आगे। रूही के सर को अपने हाथ से ऊपर करते.… "शर्माती हुई क्या प्यारी लगती हो"


दोनों कि नजरें एक दूसरे से मिल रही थी। चेहरे पर फैलती मुस्कान अलग ही खुशी बयां कर रही थी। रूही को अपने अरमान छिपाना उतना ही मुश्किल हो रहा था। नजरें बेईमान हो चुकी थी। रूही की इक्छा तो थी एक पूरी नजर आर्यमणि को देख लिया जाय। लेकिन पलकें साथ नहीं देती। नजर उठती और फिर नीचे बैठ जाती।


आर्यमणि रूही के चेहरे को थाम लिया। रूही आंखे बंद किये अपना चेहरा ऊपर कि। कुछ पल बीते होंगे जब रूही अपनी आंखें खोली। इस बार दोनों कि नजरें लड़ रही थी। आंखें एक दूसरे पर ठहर चुकी थी। मुस्कुराते हुए दोनों कि हंसी निकल आयी…. "बॉस ऐसे मत देखो, अंदर कुछ अजीब सा हो रहा है।"


आर्यमणि उसके गोद में सर रखकर सीधा लेटते…. "तुम्हारे साथ होना सुकून देता है। रूही क्या मैंने कोई जबरदस्ती की है?"


रूही:- मुझे इमोशनल नहीं होना। बॉस मेरी भी वही इक्छा है जो तुम्हारी थी। अंत तक साथ सफर करना। हां लेकिन अभी यहीं रहते है। कुछ वक्त दो भूलने के लिए। नागपुर का वो जंगल किसी बुरे सपने से कम नहीं था।


आर्यमणि:- रूही, ओशुन और उसका पैक यहां क्या कर रहा था।


रूही:- बॉब लेकर आया था। हम सब को लगा कि तुम उसी से लिपटोगे...


आर्यमणि:- हां मै बेवकूफ होता तो लिपट लेता। लेकिन मै रूही के इमोशन ना पढ़ पाऊं तो किसे पढ़ पाऊंगा...


रूही:- कुछ भी आर्य... ऐसा होगा, मैंने सपने में भी नहीं सोचा था...


आर्यमणि:- सोचा तो मैंने भी नहीं था, मेरी आंखें खुलेगी और तुम मुझे इतनी खुशियां दोगी। थैंक्यू सो मच। इतनी सारी तस्वीरें कहां से कलेक्ट कर ली। भूमि दीदी का बेबी भी हो गया, बिल्कुल गोल मटोल...


रूही:- अरे नही …. इतनी बड़ी भूल कैसे हो सकती है..


आर्यमणि:- अब ये सब क्यों?


रूही:- अनंत कीर्ति की पुस्तक खुल चुकी है।


आर्यमणि, बिल्कुल हैरान होते.… "क्या?"


आर्यमणि जैसे ही हैरानी से "क्या" कहा, रूही बड़ी फुर्ती से उसके होंठ को अपने होंठ से स्पर्श करती, आर्यमणि के निचले होंठ को दतों तले दबा दी और उसे बाहर के ओर खिंचते हुए छोड़ दी... "आओओओओ जंगली"…


जैसे ही आर्यमणि अपनी प्रतिक्रिया देकर आगे बढ़ा, रूही खिलखिलाकर हंसती हुई, उसे रोकती... "बॉस, बॉस, बॉस.. मैं कहां भाग रही हूं... लेकिन जो भी कही सच कही। यहां जितनी भी तस्वीर है उसे अपस्यु ने लगाया है।


आर्यमणि:- छोटे (अपस्यु) यहां आया था और तुमने उसे रोका क्यूं नहीं?


आर्यमणि शिकायती लहजे में पूछने लगा। इस बार रूही जैसे ही शरारत मे आगे बढ़ी, आर्यमणि उतनी ही तेजी उसके गर्दन को दबोचकर होंठ से होंठ लगाकर काटना शुरू किया। रूही झटका देकर आर्यमणि को दूर करती... "आव्वववववव !!! ओये सकाहारी वूल्फ आज क्या अपनी ही होने वाली बीवी को काट खाओगे"…. कह तो दी रूही ने हक से, लेकिन आर्यमणि के सीने से लग कर उतना ही ज्यादा शर्मा भी गयी। हां शायद उसके लिये भी अपने अंदर के अनुभव को बायां कर पाना मुश्किल ही था। शायद पहली बार उसके अंदर एक लड़की होने की भावना जागी थी।


बेचारी शर्माकर अपना मुंह छिपाते... "बॉस आज मेरा कॉन्फिडेंस डॉउन लग रहा है।"


बावरी लड़की शर्माना को अपना डॉउन कॉन्फिडेंस बता रही थी। समझ तो वो भी रही थी लेकिन बातों से जाहिर नहीं करना चाहती थी। आर्यमणि भी एक हाथ उसके बालो मे फेरते दूसरा हाथ उसके पीठ पर ले जाकर ड्रेस की जीप को धीरे–धीरे नीचे करने लगा।


रूही अब भी अपना चेहरा आर्यमणि के सीने से लगायी थी। जैसे ही आर्यमणि के हाथ जीप को नीचे करने लगे, रूही की धड़कनों ने उसका साथ छोड़ दिया। पहली बार अपने प्रेमी के हाथ अनुभव वो अपने बदन पर कर रही थी। मारे लाज के अपना सर आर्यमणि के सीने में पूरा दबाती अपनी दोनों बांह उसके पेट से होकर पीठ पर लपेटती हुई भींच ली।


उसके बढ़ी धड़कन आर्यमणि कानो तक पहुंचने लगी... "रूही... रूही"…. उसके सपाट से पीठ पर पूरा हाथ फेरते हुए आर्यमणि उसे पुकारने लगा। रूही तो बस इस खोए से पल मे आर्यमणि को महसूस कर रही थी। एक लंबी खुमारी में थी शायद और आर्यमणि का बोलना उसे खटक रहा था। लचरती सी आवाज में... "बॉसससस"… ही बस कह पायी और आर्यमणि को और जोर से खुद मे भींच ली।


आर्यमणि अपना सर ऊपर किये, उसके पीठ पर हाथ फेरते हुए रूही के ड्रेस को कंधे से सरकाने लगा। यूं तो वो रूही की ड्रेस ना जाने कितनी बार कंधे सरका चुका था। नहीं तो खुद ना जाने कितनी बार रूही अपने ड्रेस को सरका चुकी थी। लेकिन आज जब आर्यमणि ने ड्रेस नीचे करना शुरू किया बेचारी बरी झिझक के साथ किसी तरह खुद को संभाल पायी थी।


आर्यमणि के सीने से हटने के क्रम में आर्यमणि ने रूही का वो शर्म से लाल चेहरा भी देखा, जो एक प्यारी भारतीय स्त्री का अपने प्रेम मिलाप मे समर्पित प्रेमी के साथ होता है। अंदर से पूरी व्याकुल और चेहरे पर पूरी झिझक। रूही थोड़ी शर्माती थोड़ी लज्जाती अपनी नजरों को शर्माकर कभी नीचे तो कभी ऊपर करती।


आर्यमणि, रूही को अपने ओर खींचकर अपने होंठ उसके गर्दन से लेकर कान तक चलाने लगा। रूही के बदन में जैसे अरमानों ने हिलकोर मारा हो। रोम–रोम कामुत्तेजना से सिहर गया। बदन पर रोएं खड़े हो गए। आर्यमणि, रूही को अपने गोद में उठाकर उसे बिस्तर पर लिटाया और खुद उसके ऊपर आकर बेहाताशा चूमने लगा। चूमते हुए वह अपने हाथों में रूही के दोनो वक्षों को समेटे उससे प्यार से मसल भी रहा था और उसके गोरे बदन को चूम भी रहा था।


रूही की श्वांस और भी ज्यादा गहरी होती जा रही थी। आर्यमणि जब अपने हाथों से वक्ष को धीरे–धीरे मसलता रूही अपने हाथ से चादर को पूरी तरह से भींच लेती। उसके योनि में सुरसुरी और मधुर स्त्राव को वो अनुभव करने लगी। शायद आज जितनी शर्मा रही थी अंदर से उतनी ज्यादा कामुक भी महसूस कर रही थी। खुद को पूर्ण रूप से आर्यमणि की होने का आभास उसे दीवाना बना रहा था। योनि में जैसे चिंगारी लगी हो। रूही अपने पीठ को ऊपर करने के साथ–साथ अपनी कमर को आर्यमणि की कमर से चिपकाकर उसे घिसने लगी।


आर्यमणि भी उतनी ही तेजी से अपना कपड़ा उतारकर जैसे ही रूही के ऊपर आया, आज पहली बार उसकी आंखें बंद थी। आर्यमणि आते के साथ ही रूही को होंठ को चूमते हुए उसके हाथ को ले जाकर लिंग के ऊपर रख दिया। रूही के बिलकुल ठंडे हाथ जब आर्यमणि के लिंग पर पड़े, वो अंदर से हिल गया। आज पहली बार रूही के हाथों का स्पर्श इतना सौम्य था की वो पूरे शरीर में झनझनाहट महसूस करने लगा। शायद अब दोनो के लिए बर्दास्त करना मुश्किल हो गया था। रूही बेसब्री बनती, लिंग को योनि के ऊपर जोड़–जोड़ से घिसने लगी और तभी जैसे रूही के बदन ने हिचकोले खाए हो और पूरा बदन में मस्ती दौर गयी।


एक ही झटके में पूरा लिंग योनि के अंदर था। और आर्यमणि बिलकुल मस्ती में झटके मारने लगा। रूही आज अलग ही मस्ती में चूर थी। अरमान बेकाबू थे और शर्म पूरी तरह से हावी थे। कितनी भी कोशिश करके देख ली लेकिन आर्यमणि के जोशीले झटके पर रूही के मुंह से दबी सी आवाज निकल ही जाती। आज अंदर से हार्मोन इतने बह रहे थे कि रूही कई बार बह चुकी थी, लेकिन आर्यमणि था कि रुकने का नाम ही नही ले रहा था। कसमसाती, मचलती, पसीने से तर रूही नीचे लेटी रही और आर्यमणि पूरे जोश से होश खोकर पूरे बिस्तर को हिचकोले खिलाने वाले झटके मारता रहा। चरम सीमा के पार जब वीर्य स्त्राव हुआ तब रूही, आर्यमणि से लिपटकर अपनी श्वांस सामान्य करने लगी।


दोनों असीम सुख के साथ एक दूसरे से लिपटे हुए थे। तभी एक–एक करके तीनों टीन वुल्फ हॉल में पहुंचकर उधम–चोकड़ी मचाने लगे। रूही सबकी आहट पाकर हड़बड़ा कर उठी। आर्यमणि इतने प्यारे से माहौल में खोया था कि उसे रूही का उठकर जाना पसंद नही आया और रूही का हाथ पकड़कर खींच लिया।


बेचारी जल्दी से अपने कपड़े पहनने कि कोशिश कर रही थी लकीन आर्यमणि ने ऐसा खींचा की फिर से उसके खुले वक्ष आर्यमणि के सीने में दबे थे। चेहरा गर्दन पर और रूही के पूरे बाल फैलकर आर्यमणि के चेहरे पर। तभी तेज आहट के साथ दरवाजा खुला और तीनों टीन वुल्फ "पार्टी–पार्टी" चिल्लाते हुये दरवाजे पर खड़े थे, बिना अंदर के माहौल की कुछ भी जानकारी लिये।


अब सीन कुछ ऐसे था की रूही की ड्रेस कमर तक थी, पीछे से सपाट खुली पीठ दिख रही थी। आर्यमणि अपने चौड़ी भुजाओं के बीच रूही के पीठ को दबोच रखा था, रूही का चेहरे आर्यमणि के सीने में छुपा था और रूही के बाल आर्यमणि के चेहरे पर फैले होने के कारण उसका चेहरा नहीं दिख रहा था।…


अंदर का नजारा देखकर.… "बॉस बाल हटाकर चेहरा तो दिखाओ, फेस का एक्सप्रेशन कैसा है?" अलबेली छेड़ती हुई कहने लगी...


"लगता है बॉस अभी खोये है। अपनी महबूबा को बाहों में लिये सोये है। बॉस हमारे लिए क्या आदेश है।"…. ओजल भी चुटकी लेने लगी.…


"बॉस हम जा रहे है। आप दोनों कंटिन्यू करो। ओह हां ये दरवाजा बंद कर लेना।"…. इवान भी सबके साथ मिलकर छड़ने लगा...


"बॉस कुछ तो बोलो"… अलबेली फिर से छेड़ी...


"ये फेविकोल का जोड़ है छूटेगा नहीं"… ओजल भी से फिर छेड़ी...


बाल के नीचे से ही तेज दहाड़ निकली। एक ब्लड पैक के मुखिया की आवाज जो अपने पैक को कंट्रोल करना चाह रहा था। उसके गरज सुनकर, तीनों ही हसने लगे।..…. "बॉस हमे कंट्रोल कम कर रहे हो और अपनी बेबसी का परिचय ज्यादा दे रहे हो। ठीक है हम जा रहे है।"… इवान सबको वहां से हटाकर दरवाजा तेज बंद करता गया..


जैसे ही दरवाजा बंद हुआ, शर्म से मरी जा रही रूही झटाक से उठी और फटाक से ड्रेस को कंधे के ऊपर चढ़ा ली।…. "बॉस उठो भी, मुझे उनको अकेले फेस नहीं किया जायेगा"… रूही मिन्नतें करती हुई कहने लगी। आर्यमणि मुस्कुराकर रूही को प्यार से देखा और बिस्तर से उठकर खड़ा हो गया, रूही के सामने अपना सर ऐसे झुकाया जैसे कोई गुलाम हो... "बॉस तो आप ही होंगी मैम, हम तो खिदमतगार गुलाम ही कहलायेंगे।"….


रूही थोड़ा चिढ़कर, आर्यमणि को वॉर्डरोब के ओर धक्के देती... "अब बाहर जाओ भी आर्य। सब हॉल में हमारा इंतजार कर रहे है।"..


सबके जाने के कुछ देर बाद दोनों बाहर निकले। दोनों को बाहर आते देख, ओजल, इवान और अलबेली खड़ी होकर झूमते हुए सीटियां और तालियां बजाते.… "नया सफर मुबारक हो दोनों हमसफर को।"


तीनों टीन्स के चेहरे ऐसे थे मानो छोटे बच्चों की बड़ी सी ख्वाइश पूरी हो गयी हो। अलबेली अपना हाथ आर्यमणि के ओर आगे बढ़ायी और इधर गाना बजने लगा…


तू होगा ज़रा पागल, तूने मुझको है चुना
तू होगा ज़रा पागल, तूने मुझको है चुना
कैसे तूने अनकहा, तूने अनकहा सब सुना
तू होगा ज़रा पागल, तूने मुझको है चुना

तू दिन सा है, मैं रात आना दोनों मिल जाएँ शामों की तरह

मोह मोह के धागे तेरी उँगलियों से जा उलझे
ये मोह मोह के धागे तेरी उँगलियों से जा उलझे
कोई टोह टोह ना लागे किस तरह गिरह ये सुलझे
ये मोह मोह के धागे तेरी उँगलियों से जा उलझे


बैकग्राउंड से मोह मोह के धागे बजना शुरू हुआ। आर्यमणि पूरा खुलकर हंसते हुए अलबेली का हाथ थाम लिया। अलबेली अपनी दोनों हाथ आर्यमणि के कंधे पर रखी थी और आर्यमणि, अलबेली के कमर को थामकर दोनों धीरे-धीरे नाचने लगे।


जैसे ही बैकग्राउंड म्यूज़िक का दूसरा लाइन शुरू हुआ, इवान अपना हाथ रूही के ओर बढ़ा दिया। रूही भी हंसती हुई इवान के कंधे मे अपने दोनो हाथ फंसा दी। इवान रूही के साथ नाचना शुरू किया। सबके चेहरे पर हंसी थी। शायद सबने पहली बार परिवार की खुशी को महसूस किया। कमाल के होते ये आंसू भी, गम में तो बहते ही है, हां लेकिन जिस खुशी को जिंदगी भर तरसते रहे हो, वो मिल जाए तो फिर पता नहीं रुकते ही नहीं ये आंसू। खिले से चेहरे पर भी ये आंसू बहते रहते है...


यह एक पारिवारिक क्षण थे। एक छोटे से वूल्फ परिवार का हंसी खुशी का पारिवारिक क्षण जिसमे उस पैक के मुखिया आर्यमणि द्वारा लिये गये फैसले ने सबको चौंकाया तो था ही, साथ ही साथ सबकी भावनाओं के तार भी उतनी ही मजबूती से जोड़ दिया था। घर में पार्टी जैसा माहोल था जहां केवल और केवल परिवार के लोग थे। सब मिलकर पका भी रहे थे और हॉल में बड़े से डानिंग टेबल पर खाना सजा भी रहे थे।


आज एक परिवार कि तरह बैठ रहे थे, जहां आर्यमणि सभी से खुलकर बातें कर रहा था और वो सब भी उतने ही हंसते हुये सुन रहे थे। किसी की भी पुरानी कोई यादें थी नहीं जिसपर ये अपनी बचपन कि कहानी शुरू करते। क्यूंकि ट्विंस, ओजल और इवान ने तो उम्र भर केवल दीवारें ही देखी थी। वहीं रूही और अलबेली ने तो उस से भयंकर मंजर को सरदार खान के उस किले मे झेला था।


एक के पास ही बचपन कि प्यारी कहानी थी। चित्रा, निशांत और आर्यमणि। सभी खाने के टेबल पर पहले उनके बचपन कि छोटी–बड़ी कहानी सुने। फिर जो 3 बच्चों का बचपन लगभग साल भर से शुरू हुआ था, उनके झगड़े और खट्टे–मीठे, नोक–झोंक रूही और आर्यमणि सुन भी रहे थे और उतने ही दिल खोलकर हंस भी रहे थे।


बातों के दौरान ही पता चला की इवान भी आर्यमणि कि तरह एक्सपेरिमेंट कर रहा था जहां वो किसी सामान्य से इंसान के साथ संबंध बनाकर खुद को कंट्रोल करने कि ट्रेनिंग लेने वाला था और यही वजह थी कि इवान अलबेली को चाहता तो था, लेकिन वो चाह कर भी नहीं बता सकता था कि वो किसी गैर के साथ संबंध केवल अपने एक्सपेरिमेंट के लिये बनाना चाहता है।


आर्यमणि कैस्टर के फूल के ज़हर को खुद में सोखने के कारण लगभग महीने दिन तक बेहोश रहा था। उसी दौरान इवान को अपनी भावना और आंसू बहाने के लिये जब अलबेली का कंधा मिला, तभी वो अलबेली को खुद से दूर करने के वजह को बता दिया। यूं तो अलबेली भी रो रही थी, दिमाग जानता था कि आर्यमणि को कुछ नहीं हुआ था लेकिन दिल है कि मानता नहीं।


अलबेली भी दर्द और आंसुओं में थी। लेकिन जैसे ही इवान अपनी भावना व्यक्त किया, उफ्फफफ, इस लड़की का गुस्सा.. मार मारकर इवान को सुजा दी। रुक ही नहीं रही थी। किसी तरह इस लड़ाकू विमान पर रूही और ओजल ने मिलकर काबू किया था। उन दोनों के झगड़े का कारण जब पता चला तब गम के उस माहोल में रूही और ओजल क्या लोटपोट होकर हंसी थी।


अब भी जब ये वाक्या इवान बता रहा था, रूही और ओजल का हंसना शुरू हो चुका था। और उधर अलबेली का पारा वापस से चढ़ गया। अलबेली का कलेजा जैसे दोबारा जल गया हो और दिल में ऐसी फीलिंग सी आने लगी की ये कमीना इवान कहीं दिमाग में फिर से सेकंड थाउट तो नही पाल रखा की बॉस से अपने एक्सपेरिमेंट के बारे में बताने पर कहीं बॉस उसके एक्सपेरिमेंट को हरी झंडी न दे दे। फिर क्या था अलबेली पिल गयी मारने के लिये। एक लात तो जमा ही चुकी थी और इवान कई फीट जाकर गिरा था। हां लेकिन इतने मार से अलबेली का गुस्सा शांत हो तब ना। इवान को पटक–पटक कर मारने के लिये, दौड़ लगाकर छलांग लगा चुकी थी।


उसी वक्त फिर से रूही उसे जकड़ती हुई कहने लगी... "रुक जा अलबेली। तू खाती क्या है रे रुक जा। उसे मार देगी क्या?"


क्या झटकी थी अलबेली। रूही उसके दोनो बांह को जकड़कर अपनी बात बोल रही थी। अलबेली ने इतना तेज झटका की वो बेचारी दीवार से जाकर टकराई और धम्म से नीचे गिरी। ओजल, इवान को उठाई। अपने भाई के लूटी–पिटी हालत पर हंसे या रोये पता ही नहीं चल रहा था। इतने में ही पहले ओजल, रूही को हवा में उड़ते देखी और उसके तुरंत बाद अलबेली ने ओजल को इवान के आगे से, ऐसे झटके से किनारे की, कि बेचारी पहले तो अनियंत्रित होकर जमीन पर गिरी, फिर फिसलती हुई जाकर दीवार से टकरायी।


अलबेली, इवान का कॉलर पकड़कर उसे झटके खींच ली और उसके होंठ से होंठ लगाकर लंबा वाइल्ड किस्स करती अलग होती कह दी... "दोबारा मन में ऐसे फालतू के ख्याल आये तो हांथ पाऊं तोड़कर बिठा दूंगी।…. (फिर शर्माती हुई) बाकी जो भी और जैसा भी तुम्हे एक्सपेरिमेंट करना हो मेरे साथ करो, कभी कोई शिकायत ना रहेगी। जान निकाल लेना उफ्फ ना करूंगी लेकिन किसी दूसरी लड़की के साथ हुए तो जान निकाल लूंगी।"


क्या ही एक्शन मोमेंट था। इवान भी उतने ही पैशनेट होकर अलबेली को चूमा और तीनो (आर्यमणि, रूही और ओजल) के सामने से अलबेली को उठाकर बाहर ले जाते.… "हम जरा अपना झगड़ा शहर के एक चक्कर काटते हुये सुलझाते है, तब तक एक ग्रैंड पार्टी की प्लानिंग कर लो।" ओजल और रूही तो इनके प्यार और पागलपन को देखकर पहले भी हंसी से लोटपोट हो चुकी थी। आज पहली बार आर्यमणि देख रहा था और वह भी खुद को लोटपोट होने से रोक नहीं पाया।
 

Monty cool

Member
246
870
93
भाग:–94





बॉब अपने माथे के पसीने को पोंछते बस दुआ ही कर रहा था। 2 मिनट गुजरे होंगे की आर्यमणि का शरीर जोड़ों का झटका लिया और वो एक बार आंख खोलकर मूंद लिया। वहीं ओशुन भी आंख खोलकर बैठ चुकी थी। ओशुन जागते ही हैरानी से चारो ओर देखने लगी।


"मै यहां कैसे पहुंची।….. आह्हहहहहहहह! ये पीड़ा"… ओशुन बॉब से सवाल करती हुई बेड से नीचे उतर रही थी लेकिन कमजोर इतना थी की वो लड़खड़ा कर आर्यमणि के ऊपर गिर गयी। गहरी श्वांस लेती ओशुन अब तक की सबसे मनमोहक खुसबू को दोबारा अपने श्वांस के द्वारा खुद में मेहसूस करती हुई मुस्कुरा दी। अपने चेहरे पर आये बाल को पीछे झटकती हुई अपना चेहरा उठाया और आर्यमणि को देखने लगी।


वो देखने में ऐसा गुम हुई की अपने टूट रहे शरीर का पूरा दर्द भूल गयी। आर्यमणि के होंठ चूमने के लिये होंठ जैसे फर फरा रहे हो। ओशुन खुद को रोक नहीं पायी और अपने होंठ आर्यमणि के होंठ से स्पर्श कर दी। जैसे ही ओशुन ने आर्यमणि के होंठ अपने होंठ से स्पर्श की वो चौंक कर पीछे हटी…

"बॉब यहां क्या हुआ था, आर्यमणि के होंठ इतने ठंडे और चेहरा इतना पिला क्यों पड़ा है? क्या तेज करंट की वायर घुसा दिये हो इसके अंदर?"..


"आर्यमणि के ऊपर से तुम हट जाओ, वो कुछ देर से जाग जाएगा। तुम ऊपर जाकर रेस्ट करो मै सब समझा दूंगा।"… बॉब रूही, अलबेली, ओजल और इवान को एंटीडोट का इंजेक्शन देते हुये कहने लगा। बॉब को जब इंजेक्शन लगाते देखी, तब ओशुन का ध्यान उस ओर गया जहां आर्यमणि का हाथ, पाऊं पकड़े आर्यमणि के शरीर से लगे अल्फा पैक बेड पर मूर्छित लेटे थे।


"बॉब ये चारो कौन है, और यहां आर्यमणि के साथ इनको भी क्या हुआ है?"… ओशुन फिर से सवाल पूछना शुरू कि..


बॉब:- तुम ऊपर जाकर रेस्ट करो, आर्यमणि जब जाग जाएगा तब सभी सवालों के जवाब भी मिल जाएंगे…


ओशुन:- शायद वो सोया ही मेरी किस्मत से है। जागते हुए मै उसका सामना नहीं कर पाऊंगी। मुझे लगता है मेरा पैक यहीं कहीं आसपास है। मै उनसे सब कुछ जान लूंगी। आर्यमणि जब जागे तो उससे कहना मै उसकी दुनिया नहीं हूं।


ओशुन अपनी बात जैसे ही समाप्त कि, बॉब ने उसे एक जोरदार थप्पड़ लगा दिया… "भाग जाओ यहां से वरना मै पहली बार किसी वेयरवुल्फ का शिकार करूंगा। तुम्हे यहां सब क्या नाटक लग रहा है। तुम्हे नींद से जगाने के लिए वो देख रही हो 4 लोगों को जो आर्यमणि के पैक है, उन्हें खुद को ऐसे मौत का इंजेक्शन लेना पड़ा, जो उनको पहले मिनिट से मौत दे रही है। पता नहीं उनके कितने सारे ऑर्गन अंदर से डैमेज हो चुके होंगे। मैं उन चारो के मुंह से निकले खून को पोंछते-पोंछते परेशान हो गया। आर्यमणि को अंदर कितने देर तक बिजली के झटके लगते रहे हैं, पता भी है तुम्हे? आर्यमणि द्वारा सालों से जमा किया हुआ टॉक्सिक गायब हो गया। उसके शरीर का खून लगभग गायब हो गया। यहां जितने भी वुल्फ है हर किसी से खून लिया गया और महज 2 मिनट में ही उनके शरीर का आधा खून गायब हो गया। तुम्हे बचाने के लिए इतने लोग लगे थे। और जब तुम जाग रही हो तो यहां से जाने की सोच रही। भागो यहां से इस से पहले की मै तुम्हे मार दूं, स्वार्थी।"..


ओशुन:- बॉब मेरी बात सुनो, आर्य जाग गया तो मै उसे छोड़कर नहीं जा पाऊंगी। और मै आर्य के साथ बंधकर रह नहीं सकती। प्यार तो बहुत है बॉब लेकिन मै आर्यमणि की दुनिया नहीं हूं।


आर्यमणि:- बेहतर होता ये बात तुम मुझसे कहती ओशुन। अब चुकी मै जाग चुका हूं तो क्यों ना तुम थोड़ी देर यहां आराम कर लो..


ओशुन एक कदम पीछे हटती… "नहीं रहने दो मुझे दर्द अच्छा लग रहा है।"..


आर्यमणि:- मै अभी इस हालत में नहीं की तुम तक भागकर पहुंच सकूं इसलिए आ जाओ।


ओशुन:- देखो आर्य, मुझे बस यहां से जाना है, समझे तुम।


आर्यमणि:- कहां जाना है। रोमानिया, कैलिफोर्निया, कैन्स, टेक्सास, लंदन, बार्सिलोना, टर्की.. ऐसी कौन सी जगह जहां का पता मेरी जानकारी मे ना हो। प्यार होता तो शायद जाने देता, लेकिन यहां बहुत कुछ दाव पर लग गया है। ऐसे कैसे जाने दूं ओशुन। बॉब क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो?


ओशुन:- अभी तुम्हारे पैक को तुम्हारी जरूरत है।


आर्यमणि:- मेरे पैक ने अपना काम कर दिया बाकी डिटेल जागने के बाद ले लूंगा। बॉब ने लगता है इन सबकी जान बचा ली है। सभी खतरे से बाहर हैं। थैंक्स बॉब।


आर्यमणि की बात सुनकर बॉब के चेहरे का रंग बदल गया। आर्यमणि को बात जितनी आसान लगती थी उतनी थी नही। लेकिन तभी दर्द भरी आह के साथ बॉब चिल्लाते…. "ये क्या है?"…. बॉब सोच में डूबा था कि आर्यमणि को कैस्टर के फूल की जानकारी कैसे दे। इतने में उसे थोड़ी पीड़ा हुई और सबका ध्यान नीचे बॉब के पाऊं में था। नीचे का भयानक नजारा देखकर सबकी आंखे फैल गयी।


दरसल जिस जगह सभी लोग खड़े थे वहां का फ्लोर मिट्टी का ही था और मिट्टी के नीचे से वही काली चमकीली मधुमक्खियां निकल रही थी, जो आर्यमणि को 2 दुनिया के बीच मिली थी। लाखों की तादात में वह बाहर निकली और देखते ही देखते वहां मौजूद हर किसी के पाऊं के नीचे उन मधुमक्खियों का ढेर लगा था। हर किसी के पाऊं में हल्का डंक लगने का एहसास हुआ और उसके बाद अपनी आंखों से देख रहे थे कि कैसे डंक मारने के बाद मधुमक्खी राख के समान ढेर होकर हवा में उड़ गयी। न केवल डंक मारने वाली मधुमक्खी बल्कि लाखो मधुमक्खियां एक साथ राख के कण समान हवा में उड़ने लगे। कुछ देर के लिये तो बंकर के नीचे बने इस खुफिया जगह हाल ऐसा हो गया जैसे बारूद विस्फोट के बाद चारो ओर का माहोल हो जाता है। वो तो भला हो टेक्नोलॉजी का जो उस जमीन के नीचे बने खुफिया जगह में इन मधुमक्खियों की राख को बाहर निकालने के लिये बड़े–बड़े पंखे लगे थे, वरना कुछ देर में सभी दम घुटने से मर जाते।


बॉब:– आर्य ये क्या था?


आर्यमणि:– बॉब तुम्हारे अंदर ये मधुमक्खी घुसी तो नही ?


बॉब:– क्या !!!! ये शरीर के अंदर घुस जाती है??


आर्यमणि:– हां मुझपर तो इन मधुमक्खियों ने ऐसे ही हमला किया था। पलक झपकते ही मेरे बदन के अंदर। उसके बाद जो अंदर से मेरे मांस को नोचना इन्होंने शुरू किया, क्या बताऊं मैं कितनी पीड़ा मेहसूस कर रहा था। फिर तो 12000 वोल्ट का करेंट मुझे ज्यादा आरामदायक लगा था।


बॉब:– शुक्र है मुझे ऐसी कोई पीड़ा नहीं हो रही। रुको फिर भी चेक करने दो...


बॉब अपना पाऊं ऊपर करके डंक लगने के स्थान को देखा। वहां की चमरी हल्की लाल थी लेकिन कुछ अंदर घुसा हो ऐसे कहीं कोई सबूत नहीं थे। बॉब पूरी तसल्ली के बाद.… "अब इन मधुमक्खी बारे में कुछ और डिटेल बताओगे?"


आर्यमणि:– मैं क्या वहां इन्ही पर रिसर्च करने गया था। जितना जानता था बता दिया।


बॉब कुछ सोचते.… "ये मधुमक्खियां बेवजह ही तुम्हारे अंदर नही घुसी थी। उसे दूसरी दुनिया से अपनी दुनिया में आने के लिये एक होस्ट चाहिए था, इसलिए तुम्हारे शरीर में घुसी थी। वहां तुम इसके होस्ट नही बन पाये, इसलिए मजबूरी में इन्हे सीधा ही अपने मधुमक्खी के स्वरूप में यहां के वातावरण में निकलना पड़ा। जिसका नतीजा तो तुम सबने देख ही लिया।


बॉब कह तो सही रहा था। एक बार आर्यमणि के शरीर पर उनका कब्जा हो जाता तब वो मधुमक्खियां सीधा आर्यमणि के शरीर को ही रूट बना लेती। आंख तो आर्यमणि खोलता लेकिन उसके अंदर लाखों मधुमक्खियां समा चुकी होती। परंतु ऐसा हो न सका। जब मधुमक्खी बिना किसी होस्ट मध्यम से बाहर निकली तब बाकी सारी मधुमक्खियां तो यहां के वातावरण में विलीन हो गयी, लेकिन जिस ओर इन सबका ध्यान नहीं गया वह थी, रानी मधुमक्खी जो जीवित थी और अपना होस्ट चुन चुकी थी। जिसका बारे में इन्हे भनक तक नहीं लगी।


बहरहाल छोटे से कौतूहल के बाद आर्यमणि ने अपने पैक को देखा और बॉब को घूरते.…. "बॉब इन मधुमक्खियों के कौतूहल के बीच जो रह गया उसका जबाव दो पहले। क्या मेरा पैक सुरक्षित है?


बॉब, संकोच में डूबता, बड़े धीमे से कहा…. "आर्य ये चारो कैस्टर ऑयल प्लांट के फ्लॉवर के संपर्क में साढ़े 5 घंटे से हैं। मैंने इन्हे स्ट्रॉन्ग एनेस्थीसिया दिया था और तुम्हारे जागने के कुछ वक़्त पहले एंटीडोट। थोड़ा सा हील होने के कारण मुंह से शायद खून नहीं निकल रहा वरना..


जैसे ही बॉब ने यह बात बताई आर्यमणि की आंख फटी की फटी रह गई। कैस्टर के फूल के बारे में आर्यमणि को भी पता था। एक ऐसा जहर जो पहले मिनट से मौत की वह भयावाह पीड़ा देता है कि इसके संपर्क में आये लोग अगले 5 मिनट में खुद की जान ले ले, जबकि पूर्ण रूप से मृत्यु तो 8 घंटे बाद होती है। आर्यमणि के दिमाग में सवाल तो बहुत थे लेकिन उसे पूछने के लिए वक़्त ना था।


आर्यमणि बिना वक्त गवाए ओजल और रूही के पेट पर अपना हाथ रखा और उसे हील करने लगा। कैस्टर के फूल का जहर शायद आर्यमणि पर काफी बुरा असर कर रहा था, ऊपर से कुछ देर पहले ही उसके शरीर ने बहुत कुछ झेला था। दोनो को हील करने में आर्यमणि को काफी तकलीफ हो रही थीं। दर्द इतना असहनीय था कि मुंह से उसके काले झाग निकलने लगे, लेकिन फिर भी आर्यमणि ने दोनो (ओजल और रूही) के बदन से अपना हाथ नहीं हटाया।


लगभग 15 मिनट बाद रूही और ओजल की सुकून भरी श्वांस आर्यमणि ने मेहसूस किया। रक्त संचार बिल्कुल सुचारू रूप से चल रहा था।… "बॉब शायद मै 12-13 घंटे ना जाग पाऊं, चारों को बता देना।"


इतना कहकर आर्यमणि एक 2 बेड के बीच में स्टूल लगा कर बैठ गया। अपने पास एक डस्टबिन का डब्बा लगा दिया। अपना चेहरा डस्टबिन में घुसाकर आर्यमणि आंखे मूंदा और अलबेली और इवान के बदन पर अपना हाथ रख दिया। आर्यमणि की बंद आंख जैसे फटने वाली हो। कान जैसे सुन पर चुके थे और हृदय मानो कह रहा हो, इतना जहर नहीं संभाल पाऊंगा।


वहीं आर्यमणि जिद पर अड़ा था कि मैंने सारे टॉक्सिक बाहर निकाल दिए, कुछ तो समेट लेने दो। आर्यमणि के लिए आज का दिन मुश्किलों भरा था, शायद सबसे ज्यादा दर्द वाला दिन कहना गलत नही होगा। उसके बंद आखों के किनारे से काली रक्त की एक धारा बह रही थी उसके नाक से काली रक्त की धार बह रही थी। दोनो कान का भी वही हाल था। मुंह में भी बेकार से स्वाद का वो काला रक्त भर रहा था, जिसे आर्यमणि लगातार डस्टबिन में थूक रहा था।


दर्द से वो केवल चिल्लाया नहीं लेकिन उसकी शरीर कि हर एक नब्ज जवाब दे गई थी। उसके मस्तिष्क का हर हिस्सा बिल्कुल फटने को तैयार था। धड़कन बिल्कुल धीमे होती… ध…क, ध……क"


उसकी हालत देखकर बॉब और ओशुन उसकी ओर हड़बड़ा कर आर्यमणि को रुकने के लिए कहा, लेकिन किसी तरह वो अपना दूसरा हाथ उठाता उन लोगों को अपनी जगह खड़े रहने का इशारा किया। इवान और अलबेली के हीलिंग में बिताया 15 मिनट आर्यमणि के हृदय की गति को लगभग शून्य कर चुकी थी।


जहां एक मिनट में उसका दिल 30-35 बार धड़कता था वहीं अब 1 मिनट में 5 बार भी बड़ी मुश्किल से धड़क रहा था। आखिरकार आर्यमणि को वो एहसास मिल ही गया, जिसके लिये वो कोशिश कर रहा था। जैसे ही इवान और अलबेली ने चैन की गहरी श्वांस ली, आर्यमणि धम्म से नीचे गिर गया.…


चारो ओर जगमग–जगमग रौशनी थी। पूरी दीवारों पर रंग–बिरंगी कई खूबसूरत पलों की तस्वीरें थी। उन तस्वीरों में मां जया, पापा केशव थे। भूमि दीदी थी। चित्रा और निशांत थे। निशांत की नई गर्लफ्रेंड सोहिनी थी। चित्रा और माधव के साथ की कई खूबसूरत तस्वीरें थी। भूमि दीदी के गोल मटोल बेबी की तस्वीर थी। चारो ओर दीवार पर कई खूबसूरत पलों की तस्वीरें ही तस्वीरें थी।


आर्यमणि ने आंखें खोली और आंखों के सामने जैसे उसकी भावनाओं को लगा दिया गया था। चेहरे कि भावना आंखों से बहने लगी थी। जब उसने गौड़ से देखा वो कैलिफोर्निया मे था। तेज़ी से भागकर बाहर आया। बाहर हॉल का नजारा भी जगमग–जगमग था। हॉल का माहोल पूरा भरा पूरा था। हॉल में आर्यमणि को देखने वालों की कमी नही थी। मैक्सिको की कैद से रिहा हुये कई वुल्फ, बॉब, लोस्की की पूरी टीम और ओशुन और वुल्फ हाउस से ताकत हासिल करके गये ओशुन के साथी वहां आर्यमणि के जागने का इंतजार कर रहे थे।


आर्यमणि जैसे ही कमरे से बाहर आया सब आर्यमणि को देख रहे थे। लेकिन आर्यमणि…… वो तो अपनी खुशी को देख रहा था। फिर उसके कदम ना रुके। दिल को ऐसा लग रहा था जैसे मुद्दातों हो गये तुमसे मिले। आर्यमणि के रास्ते में जो भी आया उसे किनारे करते आगे बढ़ा। ओजल, अलबेली, और इवान तीनों काफी खुशी से कुछ कहने के लिये आर्यमणि के करीब आये लेकिन आर्यमणि उन्हें अनसुना कर गया, वो लड़कड़ते, हड़बड़ाते आगे बढ़ रहा था।


झटके के साथ गले लगा और तेज श्वांस खींचकर तन की खुशबू को अपने जहन में बसाते.… "मुझे नहीं पता की तुम्हे देखकर कभी दिल धड़का भी हो, लेकिन बंकर में जब मै आंखें मूंद रहा था, तब एक ही इक्छा अंदर से उमड़ कर आ रही थी... अभी तुम्हारे साथ मुझे बहुत जीना है। इतना की ज़िन्दगी तंग होकर कह दे, अब बहुत हुआ साथ जीना, चैन से मर जा। फिर चेहरे पर एक सुकून होगा की हां तुम्हारे साथ पूरा जीने के बाद मैं मर रहा हूं। उस आखिरी मुकाम तक तुम्हारे साथ जीना है। मुझसे शादी करोगी रूही?"


जबसे आर्यमणि, रूही के गले लगकर अपनी भावना व्यक्त रहा था, सबको जैसे अचंभा सा हुआ था। आर्यमणि की भावना सुनकर रूही से खड़ा रह पाना मुश्किल हो गया। बेजान फिसलती वो अपने दोनो घुटनों पर बैठी थी। सर झुका था और रोने की सिसकियां हर किसी के कान में सुनाई दे रही थी। वो रोई तो भला उसके परिवार के आंखों में आंसू क्यूं न हो? इवान, अलबेली और ओजल तीनों साथ खड़े थे। तीनों ही रो पड़े। खुशी ऐसी थी कि संभाले ना संभाल रहा था।


आर्यमणि भी घुटनों पर आ गया। बालों के नीचे चेहरा छिपाकर रूही आंसू बहा रही थी। आर्यमणि भी बैठकर आंसू बहा रहा था। तभी रूही झटक कर अपने बाल ऊपर करती, रुआंसी आवाज में... "बॉस खड़े हो जाओ.. तुम.. तुम..."


कहना तो चाह रही थी कि "बॉस तुम घुटने पर कैसे हो सकते हो।" लेकिन हिचकियां और सिसकियां मे उसके शब्द उलझ गये। तीनों टीन वुल्फ उन्हें घेरकर बैठ गये। सभी एक दूसरे के कंधे पर हाथ डालकर बस एक दूसरे को देख रहे थे। चेहरे पर हंसी थी, आंखों में आंसू और दिल में उससे भी ज्यादा रोमांच।


ओशुन खामोश खड़ी बस देखती रही, और चुपचाप अपने साथियों को लेकर वहां से चली गई। लगभग घंटे भर तक पांचों बैठे रहे। हॉल में इंतजार कर रहे आर्यमणि के सभी सुभचिंतक अपने घुटनों पर बैठकर ही आर्यमणि को बधाई दे रहे थे। घंटे भर बाद पूरा हॉल खाली हो गया। सभी जब खड़े हुये तभी तीनों टीन चिल्लाते हुए... "किस्स, किस्स, किस्स, किस्स"


एक लड़की, उसमे भी भारतीय लड़की होने का एहसास पहली बार जाग रहा था। रूही शर्म से पानी पानी हो गयी। फिर वो रुक नहीं पायी और शर्माकर अपने कमरे मे भाग गयी।


अलबेली:- बॉस एक बात बतानी थी..

आर्यमणि:- हां बॉस बोलिये…

अलबेली:- अपने पैक मे एक लड़के कि शख्त जरूरत है..

आर्यमणि:- मतलब???


इवान:- मैं और अलबेली अब आप समझ जाओ। थोड़ी झिझक हो रही है हमे बताने मे। चलो स्वीटी हम लोग ड्राइव पर चलते है।


इवान और अलबेली कंधे पर हाथ डाले निकल गये। आर्यमणि हंसते हुए दोनों को जाते देख रहा था। फिर पास खड़ी ओजल पर नजर गयी। आर्यमणि उसे खुद मे समेटकर, उसका माथा चूमते... "हम सब मे सबसे समझदार। जब मै बाहर निकल कर रूही के पास जा रहा था, तब क्या कह रही थी।"


सवाल जैसे ही हुए, ओजल के आंखों में आंसू आ गये। रोती हुई... "बहुत शिकायत थी ज़िन्दगी से। सबसे दर्द तो ये बात देती रही कि हमारी आई कितनी तकलीफ और दर्द से गुजरी होंगी। लोग आइयाशी करके गये और उस गंदे से बीज को नतीजा हम थे, जिसे 15 साल तक एक बंद कमरा मिला। अब मुझसे बोला नहीं जायेगा। बस इस ज़िन्दगी के लिए दिल से धन्यवाद। आज मर भी जाऊं ना तो गम नहीं होगा।"


आर्यमणि, ओजल के आंखों के आंसू पोछते.… "मैं रूही से उसी धरती पर शादी करूंगा। बहुत भाग लिये अब नहीं। अब उनको उनके किये की सजा देनी है।"


ओजल:- प्लीज नहीं। नहीं.. नहीं लौटना वहां... यहीं अच्छे हैं। ऐसा लग रहा है अभी तो जिंदगी शुरू हुई है।


आर्यमणि:- चुप हो जाओ। पैक मे एक प्यारा सा लड़का ले आता हूं, फिर अपना ये पैक कंप्लीट हो जायेगा।


ओजल:- ऐसा मत करो। मुझे अभी जीना है। प्लीज मुझे मत बांधो। जब भी कोई पसंद आयेगा वो पैक में आ जायेगा। मुझे बांधो मत भैया। मुझे अभी खुलकर जीना है। सॉरी..


आर्यमणि:- अब ये सॉरी क्यों...


ओजल:- मुझे अपने दोस्तों को फुटबॉल सीखाने जाना था और मै लेट हो गई। बाद में मिलती हूं भैया.…


आर्यमणि सबकी हरकतों को समझ रहा था और अंदर से हंस भी रहा था। रूही के कान बाहर ही थे। जैसे ही ओजल बाहर गयी, रूही की धड़कने ऐसी ऊपर–नीचे हुई की बेचारी को श्वांस लेना दूभर हो गया। शेप कब शिफ्ट हुआ रूही को खुद पता नहीं, बावजूद इसके धड़कन थी कि बेकाबू हुई जा रही थी।
सच में नैन भाई गजब अपडेट दिया है आप ने

और अब लगता है अगले अपडेट में तगड़ा वाला रोमेंस देखने को मिलेगा 😜😜😜😜
 

nain11ster

Prime
23,615
80,592
189
अपडेट 94 पढ़ते हुए पहली बार एक किरदार के व्यवहार ने मेरे मन में इतना रोष उत्पन कर दिया की ढेर सारा कटु शब्द बोलने का मन कर गया। वह किरदार ओशुन हैं। लेकिन ऐसा कर नहीं पाया क्योंकि यह कहानी नैन गुरुजी का हैं और उनके किरदार के कृत्य पर तत्काल कुछ कहा पाना बड़ा दुस्कर हैं।

खैर जिसके लिए असहनीय पीढ़ा सह न जानें कितने बार मौत को गले लगाया सिर्फ इतना ही नहीं आर्य के पैक ने भी अपना जान दाव पर लगा दिया और अंत में किया मिला होश में आते ही ओशुन भागने पर विचार कर रही थीं। चलो माना की ओशुन ने कुछ गलत किया था जिसकी उसे ग्लानि हों रही थीं फिर भी उसे आर्य को उसके हाल पे छोड़के जानें की बात नहीं कहना चाहिए था शायद चला भी जाता अगर बॉब उसे रोका न होता।

बरहाल जो भी हुआ जैसा भी हुआ एक अच्छे अध्याय का अंत हुआ रूही ने जो भी आर्य के लिए किया पूर्ववर्ती जीवन में जितनी भी यातनाएं सही उसका उचित उपहर उसे मिला आर्य के जीवन संगिनी बने का अवसर मिला जिसका इजहार आर्य ने खुद किया लेकिन एक बात समझ न आई की निंद्रा से जागते ही आर्य को क्या सूझा जिसके लिए आर्य ने बिना दाएं बाएं देखे सीधा जाके रूही को शादी के लिए प्रपोज कर दिया। चोरी छुपे प्यार की दाल कब गाल गई कूकर ने कब सिटी बजाई आवाज तो सुनाई ही नहीं दिया।

बीच में कुछ कड़ी को ओझल कर दिया गया अब देखते है गुरुजी कब और कहा उन कढ़िओं को जोड़ते है।

अदभुत अतुलनीय लेखन कौशल

Nahi aap oshun ke bare me apni feeling bilkul kah sakte the... Jo dikha wahi kahenge... Aur tatkalik paristhitiyon ko dekhkar kah rahe... Baad me kuch badlav hota hai to wo uss situation ki baat hogi... Lekin yahan to main kah raha hun ki ab wo kirdar hi lagbhag nadarat hogi... Waise oshun aur arya to iss situation me bhi love me the detail main niche quote kar raha...

Aapki baton se main poori tarah sahmat nahi hun Battu bhai..... Oshun, Arya ko dil se chahti thi... Isme kahin koi sanshay hi nahi.... Haan Eden se bhidane me Oshun ka hi hath tha kyonki wah bita yalvik, Oshun ke kahne par hi kutiya me aaya tha.... Oshun bhi apne gang ke sath taiyar hi thi aur wo bhi jaan lagakar ladti bus use arya ka sath chahiye tha...

Ab yadi yaad ho to eden se ladai ke waqt Oshun bina parinam ki parwah kiye tab eden ke samne baar baar aati rahi jab ladai Aryamani ke sath chal rahi thi. Wo bus 2 me se kisi ek chunna chahti thi .. Aryamani ya apni maa ki talash aur ant me wo apne maa ki talash me gayi ..... Jane se pahle sab sach batakar gayi ..

Bunkar me jo situation bani wahan Oshun bus jagte huye Aryamani ka samna nahi karna chahti thi. Haan thoda swarth kah sakte hain lekin uss se bhi jyada atmglani thi ki usne aise ladke ka sath chhod diya jo aaj bhi uske liye marne tak taiyar ho gaya....

Wahin Oshun se pyar to Arya ko bhi tha warna wo itna bada kadam uthata nahi. Baki in dono ke bich ruhi kyon aayi uska andaza thoda to laga hi chuke honge... Bacha khucha agle ke agle ya fir uske agle update tak aa ji jayega...

Thanks for your beautiful feedback

Baki Ruhi ke liye khush hai to ab hai family party time aur enjoy kijiye halke fulke kahani ghar ghar ki wale.gharelu update ke...

Thankooo sooo much Destiny bhai :hug:
 

nain11ster

Prime
23,615
80,592
189
सच में नैन भाई गजब अपडेट दिया है आप ने

और अब लगता है अगले अपडेट में तगड़ा वाला रोमेंस देखने को मिलेगा 😜😜😜😜
Hahahaha... Wo to jahir si baat hai... Ab ek 2 update hum aap romance me rahenge... Waise update 94 ki baat kar rahe hai monty bhai to aapke comment ke upar update 95 bhi aa gaya hai :D
 

Itachi_Uchiha

अंतःअस्ति प्रारंभः
Staff member
Sectional Moderator
7,807
26,920
204
भाग:–95





आर्यमणि सबकी हरकतों को समझ रहा था और अंदर से हंस भी रहा था। रूही के कान बाहर ही थे। जैसे ही ओजल बाहर गयी, रूही की धड़कने ऐसी ऊपर–नीचे हुई की बेचारी को श्वांस लेना दूभर हो गया। शेप कब शिफ्ट हुआ रूही को खुद पता नहीं, बावजूद इसके धड़कन थी कि बेकाबू हुई जा रही थी।


रूही इतनी तेज श्वांस खींच रही थी कि आवाज बाहर तक सुनी जा सकती थी। दरवाजा खुला और रूही अपना सर अपने घुटनों के बीच छिपा ली। तभी वहां एक जोरदार गरज हुई। रूही घुटनों के बीच से अपना गर्दन ऊपर की और ना मे सर हिलाने लगी।


आर्यमणि भी अपना शेप शिफ्ट कर चुका था। छलांग लगाकर सीधा रूही के आगे। रूही के सर को अपने हाथ से ऊपर करते.… "शर्माती हुई क्या प्यारी लगती हो"


दोनों कि नजरें एक दूसरे से मिल रही थी। चेहरे पर फैलती मुस्कान अलग ही खुशी बयां कर रही थी। रूही को अपने अरमान छिपाना उतना ही मुश्किल हो रहा था। नजरें बेईमान हो चुकी थी। रूही की इक्छा तो थी एक पूरी नजर आर्यमणि को देख लिया जाय। लेकिन पलकें साथ नहीं देती। नजर उठती और फिर नीचे बैठ जाती।


आर्यमणि रूही के चेहरे को थाम लिया। रूही आंखे बंद किये अपना चेहरा ऊपर कि। कुछ पल बीते होंगे जब रूही अपनी आंखें खोली। इस बार दोनों कि नजरें लड़ रही थी। आंखें एक दूसरे पर ठहर चुकी थी। मुस्कुराते हुए दोनों कि हंसी निकल आयी…. "बॉस ऐसे मत देखो, अंदर कुछ अजीब सा हो रहा है।"


आर्यमणि उसके गोद में सर रखकर सीधा लेटते…. "तुम्हारे साथ होना सुकून देता है। रूही क्या मैंने कोई जबरदस्ती की है?"


रूही:- मुझे इमोशनल नहीं होना। बॉस मेरी भी वही इक्छा है जो तुम्हारी थी। अंत तक साथ सफर करना। हां लेकिन अभी यहीं रहते है। कुछ वक्त दो भूलने के लिए। नागपुर का वो जंगल किसी बुरे सपने से कम नहीं था।


आर्यमणि:- रूही, ओशुन और उसका पैक यहां क्या कर रहा था।


रूही:- बॉब लेकर आया था। हम सब को लगा कि तुम उसी से लिपटोगे...


आर्यमणि:- हां मै बेवकूफ होता तो लिपट लेता। लेकिन मै रूही के इमोशन ना पढ़ पाऊं तो किसे पढ़ पाऊंगा...


रूही:- कुछ भी आर्य... ऐसा होगा, मैंने सपने में भी नहीं सोचा था...


आर्यमणि:- सोचा तो मैंने भी नहीं था, मेरी आंखें खुलेगी और तुम मुझे इतनी खुशियां दोगी। थैंक्यू सो मच। इतनी सारी तस्वीरें कहां से कलेक्ट कर ली। भूमि दीदी का बेबी भी हो गया, बिल्कुल गोल मटोल...


रूही:- अरे नही …. इतनी बड़ी भूल कैसे हो सकती है..


आर्यमणि:- अब ये सब क्यों?


रूही:- अनंत कीर्ति की पुस्तक खुल चुकी है।


आर्यमणि, बिल्कुल हैरान होते.… "क्या?"


आर्यमणि जैसे ही हैरानी से "क्या" कहा, रूही बड़ी फुर्ती से उसके होंठ को अपने होंठ से स्पर्श करती, आर्यमणि के निचले होंठ को दतों तले दबा दी और उसे बाहर के ओर खिंचते हुए छोड़ दी... "आओओओओ जंगली"…


जैसे ही आर्यमणि अपनी प्रतिक्रिया देकर आगे बढ़ा, रूही खिलखिलाकर हंसती हुई, उसे रोकती... "बॉस, बॉस, बॉस.. मैं कहां भाग रही हूं... लेकिन जो भी कही सच कही। यहां जितनी भी तस्वीर है उसे अपस्यु ने लगाया है।


आर्यमणि:- छोटे (अपस्यु) यहां आया था और तुमने उसे रोका क्यूं नहीं?


आर्यमणि शिकायती लहजे में पूछने लगा। इस बार रूही जैसे ही शरारत मे आगे बढ़ी, आर्यमणि उतनी ही तेजी उसके गर्दन को दबोचकर होंठ से होंठ लगाकर काटना शुरू किया। रूही झटका देकर आर्यमणि को दूर करती... "आव्वववववव !!! ओये सकाहारी वूल्फ आज क्या अपनी ही होने वाली बीवी को काट खाओगे"…. कह तो दी रूही ने हक से, लेकिन आर्यमणि के सीने से लग कर उतना ही ज्यादा शर्मा भी गयी। हां शायद उसके लिये भी अपने अंदर के अनुभव को बायां कर पाना मुश्किल ही था। शायद पहली बार उसके अंदर एक लड़की होने की भावना जागी थी।


बेचारी शर्माकर अपना मुंह छिपाते... "बॉस आज मेरा कॉन्फिडेंस डॉउन लग रहा है।"


बावरी लड़की शर्माना को अपना डॉउन कॉन्फिडेंस बता रही थी। समझ तो वो भी रही थी लेकिन बातों से जाहिर नहीं करना चाहती थी। आर्यमणि भी एक हाथ उसके बालो मे फेरते दूसरा हाथ उसके पीठ पर ले जाकर ड्रेस की जीप को धीरे–धीरे नीचे करने लगा।


रूही अब भी अपना चेहरा आर्यमणि के सीने से लगायी थी। जैसे ही आर्यमणि के हाथ जीप को नीचे करने लगे, रूही की धड़कनों ने उसका साथ छोड़ दिया। पहली बार अपने प्रेमी के हाथ अनुभव वो अपने बदन पर कर रही थी। मारे लाज के अपना सर आर्यमणि के सीने में पूरा दबाती अपनी दोनों बांह उसके पेट से होकर पीठ पर लपेटती हुई भींच ली।


उसके बढ़ी धड़कन आर्यमणि कानो तक पहुंचने लगी... "रूही... रूही"…. उसके सपाट से पीठ पर पूरा हाथ फेरते हुए आर्यमणि उसे पुकारने लगा। रूही तो बस इस खोए से पल मे आर्यमणि को महसूस कर रही थी। एक लंबी खुमारी में थी शायद और आर्यमणि का बोलना उसे खटक रहा था। लचरती सी आवाज में... "बॉसससस"… ही बस कह पायी और आर्यमणि को और जोर से खुद मे भींच ली।


आर्यमणि अपना सर ऊपर किये, उसके पीठ पर हाथ फेरते हुए रूही के ड्रेस को कंधे से सरकाने लगा। यूं तो वो रूही की ड्रेस ना जाने कितनी बार कंधे सरका चुका था। नहीं तो खुद ना जाने कितनी बार रूही अपने ड्रेस को सरका चुकी थी। लेकिन आज जब आर्यमणि ने ड्रेस नीचे करना शुरू किया बेचारी बरी झिझक के साथ किसी तरह खुद को संभाल पायी थी।


आर्यमणि के सीने से हटने के क्रम में आर्यमणि ने रूही का वो शर्म से लाल चेहरा भी देखा, जो एक प्यारी भारतीय स्त्री का अपने प्रेम मिलाप मे समर्पित प्रेमी के साथ होता है। अंदर से पूरी व्याकुल और चेहरे पर पूरी झिझक। रूही थोड़ी शर्माती थोड़ी लज्जाती अपनी नजरों को शर्माकर कभी नीचे तो कभी ऊपर करती।


आर्यमणि, रूही को अपने ओर खींचकर अपने होंठ उसके गर्दन से लेकर कान तक चलाने लगा। रूही के बदन में जैसे अरमानों ने हिलकोर मारा हो। रोम–रोम कामुत्तेजना से सिहर गया। बदन पर रोएं खड़े हो गए। आर्यमणि, रूही को अपने गोद में उठाकर उसे बिस्तर पर लिटाया और खुद उसके ऊपर आकर बेहाताशा चूमने लगा। चूमते हुए वह अपने हाथों में रूही के दोनो वक्षों को समेटे उससे प्यार से मसल भी रहा था और उसके गोरे बदन को चूम भी रहा था।


रूही की श्वांस और भी ज्यादा गहरी होती जा रही थी। आर्यमणि जब अपने हाथों से वक्ष को धीरे–धीरे मसलता रूही अपने हाथ से चादर को पूरी तरह से भींच लेती। उसके योनि में सुरसुरी और मधुर स्त्राव को वो अनुभव करने लगी। शायद आज जितनी शर्मा रही थी अंदर से उतनी ज्यादा कामुक भी महसूस कर रही थी। खुद को पूर्ण रूप से आर्यमणि की होने का आभास उसे दीवाना बना रहा था। योनि में जैसे चिंगारी लगी हो। रूही अपने पीठ को ऊपर करने के साथ–साथ अपनी कमर को आर्यमणि की कमर से चिपकाकर उसे घिसने लगी।


आर्यमणि भी उतनी ही तेजी से अपना कपड़ा उतारकर जैसे ही रूही के ऊपर आया, आज पहली बार उसकी आंखें बंद थी। आर्यमणि आते के साथ ही रूही को होंठ को चूमते हुए उसके हाथ को ले जाकर लिंग के ऊपर रख दिया। रूही के बिलकुल ठंडे हाथ जब आर्यमणि के लिंग पर पड़े, वो अंदर से हिल गया। आज पहली बार रूही के हाथों का स्पर्श इतना सौम्य था की वो पूरे शरीर में झनझनाहट महसूस करने लगा। शायद अब दोनो के लिए बर्दास्त करना मुश्किल हो गया था। रूही बेसब्री बनती, लिंग को योनि के ऊपर जोड़–जोड़ से घिसने लगी और तभी जैसे रूही के बदन ने हिचकोले खाए हो और पूरा बदन में मस्ती दौर गयी।


एक ही झटके में पूरा लिंग योनि के अंदर था। और आर्यमणि बिलकुल मस्ती में झटके मारने लगा। रूही आज अलग ही मस्ती में चूर थी। अरमान बेकाबू थे और शर्म पूरी तरह से हावी थे। कितनी भी कोशिश करके देख ली लेकिन आर्यमणि के जोशीले झटके पर रूही के मुंह से दबी सी आवाज निकल ही जाती। आज अंदर से हार्मोन इतने बह रहे थे कि रूही कई बार बह चुकी थी, लेकिन आर्यमणि था कि रुकने का नाम ही नही ले रहा था। कसमसाती, मचलती, पसीने से तर रूही नीचे लेटी रही और आर्यमणि पूरे जोश से होश खोकर पूरे बिस्तर को हिचकोले खिलाने वाले झटके मारता रहा। चरम सीमा के पार जब वीर्य स्त्राव हुआ तब रूही, आर्यमणि से लिपटकर अपनी श्वांस सामान्य करने लगी।


दोनों असीम सुख के साथ एक दूसरे से लिपटे हुए थे। तभी एक–एक करके तीनों टीन वुल्फ हॉल में पहुंचकर उधम–चोकड़ी मचाने लगे। रूही सबकी आहट पाकर हड़बड़ा कर उठी। आर्यमणि इतने प्यारे से माहौल में खोया था कि उसे रूही का उठकर जाना पसंद नही आया और रूही का हाथ पकड़कर खींच लिया।


बेचारी जल्दी से अपने कपड़े पहनने कि कोशिश कर रही थी लकीन आर्यमणि ने ऐसा खींचा की फिर से उसके खुले वक्ष आर्यमणि के सीने में दबे थे। चेहरा गर्दन पर और रूही के पूरे बाल फैलकर आर्यमणि के चेहरे पर। तभी तेज आहट के साथ दरवाजा खुला और तीनों टीन वुल्फ "पार्टी–पार्टी" चिल्लाते हुये दरवाजे पर खड़े थे, बिना अंदर के माहौल की कुछ भी जानकारी लिये।


अब सीन कुछ ऐसे था की रूही की ड्रेस कमर तक थी, पीछे से सपाट खुली पीठ दिख रही थी। आर्यमणि अपने चौड़ी भुजाओं के बीच रूही के पीठ को दबोच रखा था, रूही का चेहरे आर्यमणि के सीने में छुपा था और रूही के बाल आर्यमणि के चेहरे पर फैले होने के कारण उसका चेहरा नहीं दिख रहा था।…


अंदर का नजारा देखकर.… "बॉस बाल हटाकर चेहरा तो दिखाओ, फेस का एक्सप्रेशन कैसा है?" अलबेली छेड़ती हुई कहने लगी...


"लगता है बॉस अभी खोये है। अपनी महबूबा को बाहों में लिये सोये है। बॉस हमारे लिए क्या आदेश है।"…. ओजल भी चुटकी लेने लगी.…


"बॉस हम जा रहे है। आप दोनों कंटिन्यू करो। ओह हां ये दरवाजा बंद कर लेना।"…. इवान भी सबके साथ मिलकर छड़ने लगा...


"बॉस कुछ तो बोलो"… अलबेली फिर से छेड़ी...


"ये फेविकोल का जोड़ है छूटेगा नहीं"… ओजल भी से फिर छेड़ी...


बाल के नीचे से ही तेज दहाड़ निकली। एक ब्लड पैक के मुखिया की आवाज जो अपने पैक को कंट्रोल करना चाह रहा था। उसके गरज सुनकर, तीनों ही हसने लगे।..…. "बॉस हमे कंट्रोल कम कर रहे हो और अपनी बेबसी का परिचय ज्यादा दे रहे हो। ठीक है हम जा रहे है।"… इवान सबको वहां से हटाकर दरवाजा तेज बंद करता गया..


जैसे ही दरवाजा बंद हुआ, शर्म से मरी जा रही रूही झटाक से उठी और फटाक से ड्रेस को कंधे के ऊपर चढ़ा ली।…. "बॉस उठो भी, मुझे उनको अकेले फेस नहीं किया जायेगा"… रूही मिन्नतें करती हुई कहने लगी। आर्यमणि मुस्कुराकर रूही को प्यार से देखा और बिस्तर से उठकर खड़ा हो गया, रूही के सामने अपना सर ऐसे झुकाया जैसे कोई गुलाम हो... "बॉस तो आप ही होंगी मैम, हम तो खिदमतगार गुलाम ही कहलायेंगे।"….


रूही थोड़ा चिढ़कर, आर्यमणि को वॉर्डरोब के ओर धक्के देती... "अब बाहर जाओ भी आर्य। सब हॉल में हमारा इंतजार कर रहे है।"..


सबके जाने के कुछ देर बाद दोनों बाहर निकले। दोनों को बाहर आते देख, ओजल, इवान और अलबेली खड़ी होकर झूमते हुए सीटियां और तालियां बजाते.… "नया सफर मुबारक हो दोनों हमसफर को।"


तीनों टीन्स के चेहरे ऐसे थे मानो छोटे बच्चों की बड़ी सी ख्वाइश पूरी हो गयी हो। अलबेली अपना हाथ आर्यमणि के ओर आगे बढ़ायी और इधर गाना बजने लगा…


तू होगा ज़रा पागल, तूने मुझको है चुना
तू होगा ज़रा पागल, तूने मुझको है चुना
कैसे तूने अनकहा, तूने अनकहा सब सुना
तू होगा ज़रा पागल, तूने मुझको है चुना

तू दिन सा है, मैं रात आना दोनों मिल जाएँ शामों की तरह

मोह मोह के धागे तेरी उँगलियों से जा उलझे
ये मोह मोह के धागे तेरी उँगलियों से जा उलझे
कोई टोह टोह ना लागे किस तरह गिरह ये सुलझे
ये मोह मोह के धागे तेरी उँगलियों से जा उलझे


बैकग्राउंड से मोह मोह के धागे बजना शुरू हुआ। आर्यमणि पूरा खुलकर हंसते हुए अलबेली का हाथ थाम लिया। अलबेली अपनी दोनों हाथ आर्यमणि के कंधे पर रखी थी और आर्यमणि, अलबेली के कमर को थामकर दोनों धीरे-धीरे नाचने लगे।


जैसे ही बैकग्राउंड म्यूज़िक का दूसरा लाइन शुरू हुआ, इवान अपना हाथ रूही के ओर बढ़ा दिया। रूही भी हंसती हुई इवान के कंधे मे अपने दोनो हाथ फंसा दी। इवान रूही के साथ नाचना शुरू किया। सबके चेहरे पर हंसी थी। शायद सबने पहली बार परिवार की खुशी को महसूस किया। कमाल के होते ये आंसू भी, गम में तो बहते ही है, हां लेकिन जिस खुशी को जिंदगी भर तरसते रहे हो, वो मिल जाए तो फिर पता नहीं रुकते ही नहीं ये आंसू। खिले से चेहरे पर भी ये आंसू बहते रहते है...


यह एक पारिवारिक क्षण थे। एक छोटे से वूल्फ परिवार का हंसी खुशी का पारिवारिक क्षण जिसमे उस पैक के मुखिया आर्यमणि द्वारा लिये गये फैसले ने सबको चौंकाया तो था ही, साथ ही साथ सबकी भावनाओं के तार भी उतनी ही मजबूती से जोड़ दिया था। घर में पार्टी जैसा माहोल था जहां केवल और केवल परिवार के लोग थे। सब मिलकर पका भी रहे थे और हॉल में बड़े से डानिंग टेबल पर खाना सजा भी रहे थे।


आज एक परिवार कि तरह बैठ रहे थे, जहां आर्यमणि सभी से खुलकर बातें कर रहा था और वो सब भी उतने ही हंसते हुये सुन रहे थे। किसी की भी पुरानी कोई यादें थी नहीं जिसपर ये अपनी बचपन कि कहानी शुरू करते। क्यूंकि ट्विंस, ओजल और इवान ने तो उम्र भर केवल दीवारें ही देखी थी। वहीं रूही और अलबेली ने तो उस से भयंकर मंजर को सरदार खान के उस किले मे झेला था।


एक के पास ही बचपन कि प्यारी कहानी थी। चित्रा, निशांत और आर्यमणि। सभी खाने के टेबल पर पहले उनके बचपन कि छोटी–बड़ी कहानी सुने। फिर जो 3 बच्चों का बचपन लगभग साल भर से शुरू हुआ था, उनके झगड़े और खट्टे–मीठे, नोक–झोंक रूही और आर्यमणि सुन भी रहे थे और उतने ही दिल खोलकर हंस भी रहे थे।


बातों के दौरान ही पता चला की इवान भी आर्यमणि कि तरह एक्सपेरिमेंट कर रहा था जहां वो किसी सामान्य से इंसान के साथ संबंध बनाकर खुद को कंट्रोल करने कि ट्रेनिंग लेने वाला था और यही वजह थी कि इवान अलबेली को चाहता तो था, लेकिन वो चाह कर भी नहीं बता सकता था कि वो किसी गैर के साथ संबंध केवल अपने एक्सपेरिमेंट के लिये बनाना चाहता है।


आर्यमणि कैस्टर के फूल के ज़हर को खुद में सोखने के कारण लगभग महीने दिन तक बेहोश रहा था। उसी दौरान इवान को अपनी भावना और आंसू बहाने के लिये जब अलबेली का कंधा मिला, तभी वो अलबेली को खुद से दूर करने के वजह को बता दिया। यूं तो अलबेली भी रो रही थी, दिमाग जानता था कि आर्यमणि को कुछ नहीं हुआ था लेकिन दिल है कि मानता नहीं।


अलबेली भी दर्द और आंसुओं में थी। लेकिन जैसे ही इवान अपनी भावना व्यक्त किया, उफ्फफफ, इस लड़की का गुस्सा.. मार मारकर इवान को सुजा दी। रुक ही नहीं रही थी। किसी तरह इस लड़ाकू विमान पर रूही और ओजल ने मिलकर काबू किया था। उन दोनों के झगड़े का कारण जब पता चला तब गम के उस माहोल में रूही और ओजल क्या लोटपोट होकर हंसी थी।


अब भी जब ये वाक्या इवान बता रहा था, रूही और ओजल का हंसना शुरू हो चुका था। और उधर अलबेली का पारा वापस से चढ़ गया। अलबेली का कलेजा जैसे दोबारा जल गया हो और दिल में ऐसी फीलिंग सी आने लगी की ये कमीना इवान कहीं दिमाग में फिर से सेकंड थाउट तो नही पाल रखा की बॉस से अपने एक्सपेरिमेंट के बारे में बताने पर कहीं बॉस उसके एक्सपेरिमेंट को हरी झंडी न दे दे। फिर क्या था अलबेली पिल गयी मारने के लिये। एक लात तो जमा ही चुकी थी और इवान कई फीट जाकर गिरा था। हां लेकिन इतने मार से अलबेली का गुस्सा शांत हो तब ना। इवान को पटक–पटक कर मारने के लिये, दौड़ लगाकर छलांग लगा चुकी थी।


उसी वक्त फिर से रूही उसे जकड़ती हुई कहने लगी... "रुक जा अलबेली। तू खाती क्या है रे रुक जा। उसे मार देगी क्या?"


क्या झटकी थी अलबेली। रूही उसके दोनो बांह को जकड़कर अपनी बात बोल रही थी। अलबेली ने इतना तेज झटका की वो बेचारी दीवार से जाकर टकराई और धम्म से नीचे गिरी। ओजल, इवान को उठाई। अपने भाई के लूटी–पिटी हालत पर हंसे या रोये पता ही नहीं चल रहा था। इतने में ही पहले ओजल, रूही को हवा में उड़ते देखी और उसके तुरंत बाद अलबेली ने ओजल को इवान के आगे से, ऐसे झटके से किनारे की, कि बेचारी पहले तो अनियंत्रित होकर जमीन पर गिरी, फिर फिसलती हुई जाकर दीवार से टकरायी।


अलबेली, इवान का कॉलर पकड़कर उसे झटके खींच ली और उसके होंठ से होंठ लगाकर लंबा वाइल्ड किस्स करती अलग होती कह दी... "दोबारा मन में ऐसे फालतू के ख्याल आये तो हांथ पाऊं तोड़कर बिठा दूंगी।…. (फिर शर्माती हुई) बाकी जो भी और जैसा भी तुम्हे एक्सपेरिमेंट करना हो मेरे साथ करो, कभी कोई शिकायत ना रहेगी। जान निकाल लेना उफ्फ ना करूंगी लेकिन किसी दूसरी लड़की के साथ हुए तो जान निकाल लूंगी।"


क्या ही एक्शन मोमेंट था। इवान भी उतने ही पैशनेट होकर अलबेली को चूमा और तीनो (आर्यमणि, रूही और ओजल) के सामने से अलबेली को उठाकर बाहर ले जाते.… "हम जरा अपना झगड़ा शहर के एक चक्कर काटते हुये सुलझाते है, तब तक एक ग्रैंड पार्टी की प्लानिंग कर लो।" ओजल और रूही तो इनके प्यार और पागलपन को देखकर पहले भी हंसी से लोटपोट हो चुकी थी। आज पहली बार आर्यमणि देख रहा था और वह भी खुद को लोटपोट होने से रोक नहीं पाया।
Wow nain11ster bhai mast update tha.
Matlab ab hme wapas se ek se do Upadte me last 1 month ka flashback dekhne ko milega. Jiske karan hme sahi se pata chal sake hi aakhir aarya ne Ruhi ko hi kyu select kiya. Uske alawa ye anant kirti ki book kisne kholi aptsu ne ? Agar usne kholi hai to use kholne ka tarika kaise pata chla ? Kahi guru Nishi neto nahi bata diya tha suru me hi dekhte hai kya jawab hota hai uska.
Aur wo rani madhumakhi definitely osun ke body me hi ghusi hogi jiske bare me hame aage pata chlega. Quoi aage jakar jaisa ki aapne last Update me kaha tha wo insan bas body se hoga ander se use madhumakhiya chala rahi hongi pura control kar rahi hongi. Wahi osun ke sath hoga.
Ab dekhte hai is sbse bade jhankane anant kirti ke book me kya milta hai. Kon se chije isase aarya sikhta hai. Aur agar book khuli hai to aptsu bhi use read jarur karega.
Khair overall ye bahut hi acha Update tha.
 

[ VILLEN ]

Member
167
423
63
भाग:–95





आर्यमणि सबकी हरकतों को समझ रहा था और अंदर से हंस भी रहा था। रूही के कान बाहर ही थे। जैसे ही ओजल बाहर गयी, रूही की धड़कने ऐसी ऊपर–नीचे हुई की बेचारी को श्वांस लेना दूभर हो गया। शेप कब शिफ्ट हुआ रूही को खुद पता नहीं, बावजूद इसके धड़कन थी कि बेकाबू हुई जा रही थी।


रूही इतनी तेज श्वांस खींच रही थी कि आवाज बाहर तक सुनी जा सकती थी। दरवाजा खुला और रूही अपना सर अपने घुटनों के बीच छिपा ली। तभी वहां एक जोरदार गरज हुई। रूही घुटनों के बीच से अपना गर्दन ऊपर की और ना मे सर हिलाने लगी।


आर्यमणि भी अपना शेप शिफ्ट कर चुका था। छलांग लगाकर सीधा रूही के आगे। रूही के सर को अपने हाथ से ऊपर करते.… "शर्माती हुई क्या प्यारी लगती हो"


दोनों कि नजरें एक दूसरे से मिल रही थी। चेहरे पर फैलती मुस्कान अलग ही खुशी बयां कर रही थी। रूही को अपने अरमान छिपाना उतना ही मुश्किल हो रहा था। नजरें बेईमान हो चुकी थी। रूही की इक्छा तो थी एक पूरी नजर आर्यमणि को देख लिया जाय। लेकिन पलकें साथ नहीं देती। नजर उठती और फिर नीचे बैठ जाती।


आर्यमणि रूही के चेहरे को थाम लिया। रूही आंखे बंद किये अपना चेहरा ऊपर कि। कुछ पल बीते होंगे जब रूही अपनी आंखें खोली। इस बार दोनों कि नजरें लड़ रही थी। आंखें एक दूसरे पर ठहर चुकी थी। मुस्कुराते हुए दोनों कि हंसी निकल आयी…. "बॉस ऐसे मत देखो, अंदर कुछ अजीब सा हो रहा है।"


आर्यमणि उसके गोद में सर रखकर सीधा लेटते…. "तुम्हारे साथ होना सुकून देता है। रूही क्या मैंने कोई जबरदस्ती की है?"


रूही:- मुझे इमोशनल नहीं होना। बॉस मेरी भी वही इक्छा है जो तुम्हारी थी। अंत तक साथ सफर करना। हां लेकिन अभी यहीं रहते है। कुछ वक्त दो भूलने के लिए। नागपुर का वो जंगल किसी बुरे सपने से कम नहीं था।


आर्यमणि:- रूही, ओशुन और उसका पैक यहां क्या कर रहा था।


रूही:- बॉब लेकर आया था। हम सब को लगा कि तुम उसी से लिपटोगे...


आर्यमणि:- हां मै बेवकूफ होता तो लिपट लेता। लेकिन मै रूही के इमोशन ना पढ़ पाऊं तो किसे पढ़ पाऊंगा...


रूही:- कुछ भी आर्य... ऐसा होगा, मैंने सपने में भी नहीं सोचा था...


आर्यमणि:- सोचा तो मैंने भी नहीं था, मेरी आंखें खुलेगी और तुम मुझे इतनी खुशियां दोगी। थैंक्यू सो मच। इतनी सारी तस्वीरें कहां से कलेक्ट कर ली। भूमि दीदी का बेबी भी हो गया, बिल्कुल गोल मटोल...


रूही:- अरे नही …. इतनी बड़ी भूल कैसे हो सकती है..


आर्यमणि:- अब ये सब क्यों?


रूही:- अनंत कीर्ति की पुस्तक खुल चुकी है।


आर्यमणि, बिल्कुल हैरान होते.… "क्या?"


आर्यमणि जैसे ही हैरानी से "क्या" कहा, रूही बड़ी फुर्ती से उसके होंठ को अपने होंठ से स्पर्श करती, आर्यमणि के निचले होंठ को दतों तले दबा दी और उसे बाहर के ओर खिंचते हुए छोड़ दी... "आओओओओ जंगली"…


जैसे ही आर्यमणि अपनी प्रतिक्रिया देकर आगे बढ़ा, रूही खिलखिलाकर हंसती हुई, उसे रोकती... "बॉस, बॉस, बॉस.. मैं कहां भाग रही हूं... लेकिन जो भी कही सच कही। यहां जितनी भी तस्वीर है उसे अपस्यु ने लगाया है।


आर्यमणि:- छोटे (अपस्यु) यहां आया था और तुमने उसे रोका क्यूं नहीं?


आर्यमणि शिकायती लहजे में पूछने लगा। इस बार रूही जैसे ही शरारत मे आगे बढ़ी, आर्यमणि उतनी ही तेजी उसके गर्दन को दबोचकर होंठ से होंठ लगाकर काटना शुरू किया। रूही झटका देकर आर्यमणि को दूर करती... "आव्वववववव !!! ओये सकाहारी वूल्फ आज क्या अपनी ही होने वाली बीवी को काट खाओगे"…. कह तो दी रूही ने हक से, लेकिन आर्यमणि के सीने से लग कर उतना ही ज्यादा शर्मा भी गयी। हां शायद उसके लिये भी अपने अंदर के अनुभव को बायां कर पाना मुश्किल ही था। शायद पहली बार उसके अंदर एक लड़की होने की भावना जागी थी।


बेचारी शर्माकर अपना मुंह छिपाते... "बॉस आज मेरा कॉन्फिडेंस डॉउन लग रहा है।"


बावरी लड़की शर्माना को अपना डॉउन कॉन्फिडेंस बता रही थी। समझ तो वो भी रही थी लेकिन बातों से जाहिर नहीं करना चाहती थी। आर्यमणि भी एक हाथ उसके बालो मे फेरते दूसरा हाथ उसके पीठ पर ले जाकर ड्रेस की जीप को धीरे–धीरे नीचे करने लगा।


रूही अब भी अपना चेहरा आर्यमणि के सीने से लगायी थी। जैसे ही आर्यमणि के हाथ जीप को नीचे करने लगे, रूही की धड़कनों ने उसका साथ छोड़ दिया। पहली बार अपने प्रेमी के हाथ अनुभव वो अपने बदन पर कर रही थी। मारे लाज के अपना सर आर्यमणि के सीने में पूरा दबाती अपनी दोनों बांह उसके पेट से होकर पीठ पर लपेटती हुई भींच ली।


उसके बढ़ी धड़कन आर्यमणि कानो तक पहुंचने लगी... "रूही... रूही"…. उसके सपाट से पीठ पर पूरा हाथ फेरते हुए आर्यमणि उसे पुकारने लगा। रूही तो बस इस खोए से पल मे आर्यमणि को महसूस कर रही थी। एक लंबी खुमारी में थी शायद और आर्यमणि का बोलना उसे खटक रहा था। लचरती सी आवाज में... "बॉसससस"… ही बस कह पायी और आर्यमणि को और जोर से खुद मे भींच ली।


आर्यमणि अपना सर ऊपर किये, उसके पीठ पर हाथ फेरते हुए रूही के ड्रेस को कंधे से सरकाने लगा। यूं तो वो रूही की ड्रेस ना जाने कितनी बार कंधे सरका चुका था। नहीं तो खुद ना जाने कितनी बार रूही अपने ड्रेस को सरका चुकी थी। लेकिन आज जब आर्यमणि ने ड्रेस नीचे करना शुरू किया बेचारी बरी झिझक के साथ किसी तरह खुद को संभाल पायी थी।


आर्यमणि के सीने से हटने के क्रम में आर्यमणि ने रूही का वो शर्म से लाल चेहरा भी देखा, जो एक प्यारी भारतीय स्त्री का अपने प्रेम मिलाप मे समर्पित प्रेमी के साथ होता है। अंदर से पूरी व्याकुल और चेहरे पर पूरी झिझक। रूही थोड़ी शर्माती थोड़ी लज्जाती अपनी नजरों को शर्माकर कभी नीचे तो कभी ऊपर करती।


आर्यमणि, रूही को अपने ओर खींचकर अपने होंठ उसके गर्दन से लेकर कान तक चलाने लगा। रूही के बदन में जैसे अरमानों ने हिलकोर मारा हो। रोम–रोम कामुत्तेजना से सिहर गया। बदन पर रोएं खड़े हो गए। आर्यमणि, रूही को अपने गोद में उठाकर उसे बिस्तर पर लिटाया और खुद उसके ऊपर आकर बेहाताशा चूमने लगा। चूमते हुए वह अपने हाथों में रूही के दोनो वक्षों को समेटे उससे प्यार से मसल भी रहा था और उसके गोरे बदन को चूम भी रहा था।


रूही की श्वांस और भी ज्यादा गहरी होती जा रही थी। आर्यमणि जब अपने हाथों से वक्ष को धीरे–धीरे मसलता रूही अपने हाथ से चादर को पूरी तरह से भींच लेती। उसके योनि में सुरसुरी और मधुर स्त्राव को वो अनुभव करने लगी। शायद आज जितनी शर्मा रही थी अंदर से उतनी ज्यादा कामुक भी महसूस कर रही थी। खुद को पूर्ण रूप से आर्यमणि की होने का आभास उसे दीवाना बना रहा था। योनि में जैसे चिंगारी लगी हो। रूही अपने पीठ को ऊपर करने के साथ–साथ अपनी कमर को आर्यमणि की कमर से चिपकाकर उसे घिसने लगी।


आर्यमणि भी उतनी ही तेजी से अपना कपड़ा उतारकर जैसे ही रूही के ऊपर आया, आज पहली बार उसकी आंखें बंद थी। आर्यमणि आते के साथ ही रूही को होंठ को चूमते हुए उसके हाथ को ले जाकर लिंग के ऊपर रख दिया। रूही के बिलकुल ठंडे हाथ जब आर्यमणि के लिंग पर पड़े, वो अंदर से हिल गया। आज पहली बार रूही के हाथों का स्पर्श इतना सौम्य था की वो पूरे शरीर में झनझनाहट महसूस करने लगा। शायद अब दोनो के लिए बर्दास्त करना मुश्किल हो गया था। रूही बेसब्री बनती, लिंग को योनि के ऊपर जोड़–जोड़ से घिसने लगी और तभी जैसे रूही के बदन ने हिचकोले खाए हो और पूरा बदन में मस्ती दौर गयी।


एक ही झटके में पूरा लिंग योनि के अंदर था। और आर्यमणि बिलकुल मस्ती में झटके मारने लगा। रूही आज अलग ही मस्ती में चूर थी। अरमान बेकाबू थे और शर्म पूरी तरह से हावी थे। कितनी भी कोशिश करके देख ली लेकिन आर्यमणि के जोशीले झटके पर रूही के मुंह से दबी सी आवाज निकल ही जाती। आज अंदर से हार्मोन इतने बह रहे थे कि रूही कई बार बह चुकी थी, लेकिन आर्यमणि था कि रुकने का नाम ही नही ले रहा था। कसमसाती, मचलती, पसीने से तर रूही नीचे लेटी रही और आर्यमणि पूरे जोश से होश खोकर पूरे बिस्तर को हिचकोले खिलाने वाले झटके मारता रहा। चरम सीमा के पार जब वीर्य स्त्राव हुआ तब रूही, आर्यमणि से लिपटकर अपनी श्वांस सामान्य करने लगी।


दोनों असीम सुख के साथ एक दूसरे से लिपटे हुए थे। तभी एक–एक करके तीनों टीन वुल्फ हॉल में पहुंचकर उधम–चोकड़ी मचाने लगे। रूही सबकी आहट पाकर हड़बड़ा कर उठी। आर्यमणि इतने प्यारे से माहौल में खोया था कि उसे रूही का उठकर जाना पसंद नही आया और रूही का हाथ पकड़कर खींच लिया।


बेचारी जल्दी से अपने कपड़े पहनने कि कोशिश कर रही थी लकीन आर्यमणि ने ऐसा खींचा की फिर से उसके खुले वक्ष आर्यमणि के सीने में दबे थे। चेहरा गर्दन पर और रूही के पूरे बाल फैलकर आर्यमणि के चेहरे पर। तभी तेज आहट के साथ दरवाजा खुला और तीनों टीन वुल्फ "पार्टी–पार्टी" चिल्लाते हुये दरवाजे पर खड़े थे, बिना अंदर के माहौल की कुछ भी जानकारी लिये।


अब सीन कुछ ऐसे था की रूही की ड्रेस कमर तक थी, पीछे से सपाट खुली पीठ दिख रही थी। आर्यमणि अपने चौड़ी भुजाओं के बीच रूही के पीठ को दबोच रखा था, रूही का चेहरे आर्यमणि के सीने में छुपा था और रूही के बाल आर्यमणि के चेहरे पर फैले होने के कारण उसका चेहरा नहीं दिख रहा था।…


अंदर का नजारा देखकर.… "बॉस बाल हटाकर चेहरा तो दिखाओ, फेस का एक्सप्रेशन कैसा है?" अलबेली छेड़ती हुई कहने लगी...


"लगता है बॉस अभी खोये है। अपनी महबूबा को बाहों में लिये सोये है। बॉस हमारे लिए क्या आदेश है।"…. ओजल भी चुटकी लेने लगी.…


"बॉस हम जा रहे है। आप दोनों कंटिन्यू करो। ओह हां ये दरवाजा बंद कर लेना।"…. इवान भी सबके साथ मिलकर छड़ने लगा...


"बॉस कुछ तो बोलो"… अलबेली फिर से छेड़ी...


"ये फेविकोल का जोड़ है छूटेगा नहीं"… ओजल भी से फिर छेड़ी...


बाल के नीचे से ही तेज दहाड़ निकली। एक ब्लड पैक के मुखिया की आवाज जो अपने पैक को कंट्रोल करना चाह रहा था। उसके गरज सुनकर, तीनों ही हसने लगे।..…. "बॉस हमे कंट्रोल कम कर रहे हो और अपनी बेबसी का परिचय ज्यादा दे रहे हो। ठीक है हम जा रहे है।"… इवान सबको वहां से हटाकर दरवाजा तेज बंद करता गया..


जैसे ही दरवाजा बंद हुआ, शर्म से मरी जा रही रूही झटाक से उठी और फटाक से ड्रेस को कंधे के ऊपर चढ़ा ली।…. "बॉस उठो भी, मुझे उनको अकेले फेस नहीं किया जायेगा"… रूही मिन्नतें करती हुई कहने लगी। आर्यमणि मुस्कुराकर रूही को प्यार से देखा और बिस्तर से उठकर खड़ा हो गया, रूही के सामने अपना सर ऐसे झुकाया जैसे कोई गुलाम हो... "बॉस तो आप ही होंगी मैम, हम तो खिदमतगार गुलाम ही कहलायेंगे।"….


रूही थोड़ा चिढ़कर, आर्यमणि को वॉर्डरोब के ओर धक्के देती... "अब बाहर जाओ भी आर्य। सब हॉल में हमारा इंतजार कर रहे है।"..


सबके जाने के कुछ देर बाद दोनों बाहर निकले। दोनों को बाहर आते देख, ओजल, इवान और अलबेली खड़ी होकर झूमते हुए सीटियां और तालियां बजाते.… "नया सफर मुबारक हो दोनों हमसफर को।"


तीनों टीन्स के चेहरे ऐसे थे मानो छोटे बच्चों की बड़ी सी ख्वाइश पूरी हो गयी हो। अलबेली अपना हाथ आर्यमणि के ओर आगे बढ़ायी और इधर गाना बजने लगा…


तू होगा ज़रा पागल, तूने मुझको है चुना
तू होगा ज़रा पागल, तूने मुझको है चुना
कैसे तूने अनकहा, तूने अनकहा सब सुना
तू होगा ज़रा पागल, तूने मुझको है चुना

तू दिन सा है, मैं रात आना दोनों मिल जाएँ शामों की तरह

मोह मोह के धागे तेरी उँगलियों से जा उलझे
ये मोह मोह के धागे तेरी उँगलियों से जा उलझे
कोई टोह टोह ना लागे किस तरह गिरह ये सुलझे
ये मोह मोह के धागे तेरी उँगलियों से जा उलझे


बैकग्राउंड से मोह मोह के धागे बजना शुरू हुआ। आर्यमणि पूरा खुलकर हंसते हुए अलबेली का हाथ थाम लिया। अलबेली अपनी दोनों हाथ आर्यमणि के कंधे पर रखी थी और आर्यमणि, अलबेली के कमर को थामकर दोनों धीरे-धीरे नाचने लगे।


जैसे ही बैकग्राउंड म्यूज़िक का दूसरा लाइन शुरू हुआ, इवान अपना हाथ रूही के ओर बढ़ा दिया। रूही भी हंसती हुई इवान के कंधे मे अपने दोनो हाथ फंसा दी। इवान रूही के साथ नाचना शुरू किया। सबके चेहरे पर हंसी थी। शायद सबने पहली बार परिवार की खुशी को महसूस किया। कमाल के होते ये आंसू भी, गम में तो बहते ही है, हां लेकिन जिस खुशी को जिंदगी भर तरसते रहे हो, वो मिल जाए तो फिर पता नहीं रुकते ही नहीं ये आंसू। खिले से चेहरे पर भी ये आंसू बहते रहते है...


यह एक पारिवारिक क्षण थे। एक छोटे से वूल्फ परिवार का हंसी खुशी का पारिवारिक क्षण जिसमे उस पैक के मुखिया आर्यमणि द्वारा लिये गये फैसले ने सबको चौंकाया तो था ही, साथ ही साथ सबकी भावनाओं के तार भी उतनी ही मजबूती से जोड़ दिया था। घर में पार्टी जैसा माहोल था जहां केवल और केवल परिवार के लोग थे। सब मिलकर पका भी रहे थे और हॉल में बड़े से डानिंग टेबल पर खाना सजा भी रहे थे।


आज एक परिवार कि तरह बैठ रहे थे, जहां आर्यमणि सभी से खुलकर बातें कर रहा था और वो सब भी उतने ही हंसते हुये सुन रहे थे। किसी की भी पुरानी कोई यादें थी नहीं जिसपर ये अपनी बचपन कि कहानी शुरू करते। क्यूंकि ट्विंस, ओजल और इवान ने तो उम्र भर केवल दीवारें ही देखी थी। वहीं रूही और अलबेली ने तो उस से भयंकर मंजर को सरदार खान के उस किले मे झेला था।


एक के पास ही बचपन कि प्यारी कहानी थी। चित्रा, निशांत और आर्यमणि। सभी खाने के टेबल पर पहले उनके बचपन कि छोटी–बड़ी कहानी सुने। फिर जो 3 बच्चों का बचपन लगभग साल भर से शुरू हुआ था, उनके झगड़े और खट्टे–मीठे, नोक–झोंक रूही और आर्यमणि सुन भी रहे थे और उतने ही दिल खोलकर हंस भी रहे थे।


बातों के दौरान ही पता चला की इवान भी आर्यमणि कि तरह एक्सपेरिमेंट कर रहा था जहां वो किसी सामान्य से इंसान के साथ संबंध बनाकर खुद को कंट्रोल करने कि ट्रेनिंग लेने वाला था और यही वजह थी कि इवान अलबेली को चाहता तो था, लेकिन वो चाह कर भी नहीं बता सकता था कि वो किसी गैर के साथ संबंध केवल अपने एक्सपेरिमेंट के लिये बनाना चाहता है।


आर्यमणि कैस्टर के फूल के ज़हर को खुद में सोखने के कारण लगभग महीने दिन तक बेहोश रहा था। उसी दौरान इवान को अपनी भावना और आंसू बहाने के लिये जब अलबेली का कंधा मिला, तभी वो अलबेली को खुद से दूर करने के वजह को बता दिया। यूं तो अलबेली भी रो रही थी, दिमाग जानता था कि आर्यमणि को कुछ नहीं हुआ था लेकिन दिल है कि मानता नहीं।


अलबेली भी दर्द और आंसुओं में थी। लेकिन जैसे ही इवान अपनी भावना व्यक्त किया, उफ्फफफ, इस लड़की का गुस्सा.. मार मारकर इवान को सुजा दी। रुक ही नहीं रही थी। किसी तरह इस लड़ाकू विमान पर रूही और ओजल ने मिलकर काबू किया था। उन दोनों के झगड़े का कारण जब पता चला तब गम के उस माहोल में रूही और ओजल क्या लोटपोट होकर हंसी थी।


अब भी जब ये वाक्या इवान बता रहा था, रूही और ओजल का हंसना शुरू हो चुका था। और उधर अलबेली का पारा वापस से चढ़ गया। अलबेली का कलेजा जैसे दोबारा जल गया हो और दिल में ऐसी फीलिंग सी आने लगी की ये कमीना इवान कहीं दिमाग में फिर से सेकंड थाउट तो नही पाल रखा की बॉस से अपने एक्सपेरिमेंट के बारे में बताने पर कहीं बॉस उसके एक्सपेरिमेंट को हरी झंडी न दे दे। फिर क्या था अलबेली पिल गयी मारने के लिये। एक लात तो जमा ही चुकी थी और इवान कई फीट जाकर गिरा था। हां लेकिन इतने मार से अलबेली का गुस्सा शांत हो तब ना। इवान को पटक–पटक कर मारने के लिये, दौड़ लगाकर छलांग लगा चुकी थी।


उसी वक्त फिर से रूही उसे जकड़ती हुई कहने लगी... "रुक जा अलबेली। तू खाती क्या है रे रुक जा। उसे मार देगी क्या?"


क्या झटकी थी अलबेली। रूही उसके दोनो बांह को जकड़कर अपनी बात बोल रही थी। अलबेली ने इतना तेज झटका की वो बेचारी दीवार से जाकर टकराई और धम्म से नीचे गिरी। ओजल, इवान को उठाई। अपने भाई के लूटी–पिटी हालत पर हंसे या रोये पता ही नहीं चल रहा था। इतने में ही पहले ओजल, रूही को हवा में उड़ते देखी और उसके तुरंत बाद अलबेली ने ओजल को इवान के आगे से, ऐसे झटके से किनारे की, कि बेचारी पहले तो अनियंत्रित होकर जमीन पर गिरी, फिर फिसलती हुई जाकर दीवार से टकरायी।


अलबेली, इवान का कॉलर पकड़कर उसे झटके खींच ली और उसके होंठ से होंठ लगाकर लंबा वाइल्ड किस्स करती अलग होती कह दी... "दोबारा मन में ऐसे फालतू के ख्याल आये तो हांथ पाऊं तोड़कर बिठा दूंगी।…. (फिर शर्माती हुई) बाकी जो भी और जैसा भी तुम्हे एक्सपेरिमेंट करना हो मेरे साथ करो, कभी कोई शिकायत ना रहेगी। जान निकाल लेना उफ्फ ना करूंगी लेकिन किसी दूसरी लड़की के साथ हुए तो जान निकाल लूंगी।"


क्या ही एक्शन मोमेंट था। इवान भी उतने ही पैशनेट होकर अलबेली को चूमा और तीनो (आर्यमणि, रूही और ओजल) के सामने से अलबेली को उठाकर बाहर ले जाते.… "हम जरा अपना झगड़ा शहर के एक चक्कर काटते हुये सुलझाते है, तब तक एक ग्रैंड पार्टी की प्लानिंग कर लो।" ओजल और रूही तो इनके प्यार और पागलपन को देखकर पहले भी हंसी से लोटपोट हो चुकी थी। आज पहली बार आर्यमणि देख रहा था और वह भी खुद को लोटपोट होने से रोक नहीं पाया।
awsm update ke liye awsm writer ko thanks
 
  • Like
Reactions: Xabhi and Tiger 786
Top