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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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भाग:–94





बॉब अपने माथे के पसीने को पोंछते बस दुआ ही कर रहा था। 2 मिनट गुजरे होंगे की आर्यमणि का शरीर जोड़ों का झटका लिया और वो एक बार आंख खोलकर मूंद लिया। वहीं ओशुन भी आंख खोलकर बैठ चुकी थी। ओशुन जागते ही हैरानी से चारो ओर देखने लगी।


"मै यहां कैसे पहुंची।….. आह्हहहहहहहह! ये पीड़ा"… ओशुन बॉब से सवाल करती हुई बेड से नीचे उतर रही थी लेकिन कमजोर इतना थी की वो लड़खड़ा कर आर्यमणि के ऊपर गिर गयी। गहरी श्वांस लेती ओशुन अब तक की सबसे मनमोहक खुसबू को दोबारा अपने श्वांस के द्वारा खुद में मेहसूस करती हुई मुस्कुरा दी। अपने चेहरे पर आये बाल को पीछे झटकती हुई अपना चेहरा उठाया और आर्यमणि को देखने लगी।


वो देखने में ऐसा गुम हुई की अपने टूट रहे शरीर का पूरा दर्द भूल गयी। आर्यमणि के होंठ चूमने के लिये होंठ जैसे फर फरा रहे हो। ओशुन खुद को रोक नहीं पायी और अपने होंठ आर्यमणि के होंठ से स्पर्श कर दी। जैसे ही ओशुन ने आर्यमणि के होंठ अपने होंठ से स्पर्श की वो चौंक कर पीछे हटी…

"बॉब यहां क्या हुआ था, आर्यमणि के होंठ इतने ठंडे और चेहरा इतना पिला क्यों पड़ा है? क्या तेज करंट की वायर घुसा दिये हो इसके अंदर?"..


"आर्यमणि के ऊपर से तुम हट जाओ, वो कुछ देर से जाग जाएगा। तुम ऊपर जाकर रेस्ट करो मै सब समझा दूंगा।"… बॉब रूही, अलबेली, ओजल और इवान को एंटीडोट का इंजेक्शन देते हुये कहने लगा। बॉब को जब इंजेक्शन लगाते देखी, तब ओशुन का ध्यान उस ओर गया जहां आर्यमणि का हाथ, पाऊं पकड़े आर्यमणि के शरीर से लगे अल्फा पैक बेड पर मूर्छित लेटे थे।


"बॉब ये चारो कौन है, और यहां आर्यमणि के साथ इनको भी क्या हुआ है?"… ओशुन फिर से सवाल पूछना शुरू कि..


बॉब:- तुम ऊपर जाकर रेस्ट करो, आर्यमणि जब जाग जाएगा तब सभी सवालों के जवाब भी मिल जाएंगे…


ओशुन:- शायद वो सोया ही मेरी किस्मत से है। जागते हुए मै उसका सामना नहीं कर पाऊंगी। मुझे लगता है मेरा पैक यहीं कहीं आसपास है। मै उनसे सब कुछ जान लूंगी। आर्यमणि जब जागे तो उससे कहना मै उसकी दुनिया नहीं हूं।


ओशुन अपनी बात जैसे ही समाप्त कि, बॉब ने उसे एक जोरदार थप्पड़ लगा दिया… "भाग जाओ यहां से वरना मै पहली बार किसी वेयरवुल्फ का शिकार करूंगा। तुम्हे यहां सब क्या नाटक लग रहा है। तुम्हे नींद से जगाने के लिए वो देख रही हो 4 लोगों को जो आर्यमणि के पैक है, उन्हें खुद को ऐसे मौत का इंजेक्शन लेना पड़ा, जो उनको पहले मिनिट से मौत दे रही है। पता नहीं उनके कितने सारे ऑर्गन अंदर से डैमेज हो चुके होंगे। मैं उन चारो के मुंह से निकले खून को पोंछते-पोंछते परेशान हो गया। आर्यमणि को अंदर कितने देर तक बिजली के झटके लगते रहे हैं, पता भी है तुम्हे? आर्यमणि द्वारा सालों से जमा किया हुआ टॉक्सिक गायब हो गया। उसके शरीर का खून लगभग गायब हो गया। यहां जितने भी वुल्फ है हर किसी से खून लिया गया और महज 2 मिनट में ही उनके शरीर का आधा खून गायब हो गया। तुम्हे बचाने के लिए इतने लोग लगे थे। और जब तुम जाग रही हो तो यहां से जाने की सोच रही। भागो यहां से इस से पहले की मै तुम्हे मार दूं, स्वार्थी।"..


ओशुन:- बॉब मेरी बात सुनो, आर्य जाग गया तो मै उसे छोड़कर नहीं जा पाऊंगी। और मै आर्य के साथ बंधकर रह नहीं सकती। प्यार तो बहुत है बॉब लेकिन मै आर्यमणि की दुनिया नहीं हूं।


आर्यमणि:- बेहतर होता ये बात तुम मुझसे कहती ओशुन। अब चुकी मै जाग चुका हूं तो क्यों ना तुम थोड़ी देर यहां आराम कर लो..


ओशुन एक कदम पीछे हटती… "नहीं रहने दो मुझे दर्द अच्छा लग रहा है।"..


आर्यमणि:- मै अभी इस हालत में नहीं की तुम तक भागकर पहुंच सकूं इसलिए आ जाओ।


ओशुन:- देखो आर्य, मुझे बस यहां से जाना है, समझे तुम।


आर्यमणि:- कहां जाना है। रोमानिया, कैलिफोर्निया, कैन्स, टेक्सास, लंदन, बार्सिलोना, टर्की.. ऐसी कौन सी जगह जहां का पता मेरी जानकारी मे ना हो। प्यार होता तो शायद जाने देता, लेकिन यहां बहुत कुछ दाव पर लग गया है। ऐसे कैसे जाने दूं ओशुन। बॉब क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो?


ओशुन:- अभी तुम्हारे पैक को तुम्हारी जरूरत है।


आर्यमणि:- मेरे पैक ने अपना काम कर दिया बाकी डिटेल जागने के बाद ले लूंगा। बॉब ने लगता है इन सबकी जान बचा ली है। सभी खतरे से बाहर हैं। थैंक्स बॉब।


आर्यमणि की बात सुनकर बॉब के चेहरे का रंग बदल गया। आर्यमणि को बात जितनी आसान लगती थी उतनी थी नही। लेकिन तभी दर्द भरी आह के साथ बॉब चिल्लाते…. "ये क्या है?"…. बॉब सोच में डूबा था कि आर्यमणि को कैस्टर के फूल की जानकारी कैसे दे। इतने में उसे थोड़ी पीड़ा हुई और सबका ध्यान नीचे बॉब के पाऊं में था। नीचे का भयानक नजारा देखकर सबकी आंखे फैल गयी।


दरसल जिस जगह सभी लोग खड़े थे वहां का फ्लोर मिट्टी का ही था और मिट्टी के नीचे से वही काली चमकीली मधुमक्खियां निकल रही थी, जो आर्यमणि को 2 दुनिया के बीच मिली थी। लाखों की तादात में वह बाहर निकली और देखते ही देखते वहां मौजूद हर किसी के पाऊं के नीचे उन मधुमक्खियों का ढेर लगा था। हर किसी के पाऊं में हल्का डंक लगने का एहसास हुआ और उसके बाद अपनी आंखों से देख रहे थे कि कैसे डंक मारने के बाद मधुमक्खी राख के समान ढेर होकर हवा में उड़ गयी। न केवल डंक मारने वाली मधुमक्खी बल्कि लाखो मधुमक्खियां एक साथ राख के कण समान हवा में उड़ने लगे। कुछ देर के लिये तो बंकर के नीचे बने इस खुफिया जगह हाल ऐसा हो गया जैसे बारूद विस्फोट के बाद चारो ओर का माहोल हो जाता है। वो तो भला हो टेक्नोलॉजी का जो उस जमीन के नीचे बने खुफिया जगह में इन मधुमक्खियों की राख को बाहर निकालने के लिये बड़े–बड़े पंखे लगे थे, वरना कुछ देर में सभी दम घुटने से मर जाते।


बॉब:– आर्य ये क्या था?


आर्यमणि:– बॉब तुम्हारे अंदर ये मधुमक्खी घुसी तो नही ?


बॉब:– क्या !!!! ये शरीर के अंदर घुस जाती है??


आर्यमणि:– हां मुझपर तो इन मधुमक्खियों ने ऐसे ही हमला किया था। पलक झपकते ही मेरे बदन के अंदर। उसके बाद जो अंदर से मेरे मांस को नोचना इन्होंने शुरू किया, क्या बताऊं मैं कितनी पीड़ा मेहसूस कर रहा था। फिर तो 12000 वोल्ट का करेंट मुझे ज्यादा आरामदायक लगा था।


बॉब:– शुक्र है मुझे ऐसी कोई पीड़ा नहीं हो रही। रुको फिर भी चेक करने दो...


बॉब अपना पाऊं ऊपर करके डंक लगने के स्थान को देखा। वहां की चमरी हल्की लाल थी लेकिन कुछ अंदर घुसा हो ऐसे कहीं कोई सबूत नहीं थे। बॉब पूरी तसल्ली के बाद.… "अब इन मधुमक्खी बारे में कुछ और डिटेल बताओगे?"


आर्यमणि:– मैं क्या वहां इन्ही पर रिसर्च करने गया था। जितना जानता था बता दिया।


बॉब कुछ सोचते.… "ये मधुमक्खियां बेवजह ही तुम्हारे अंदर नही घुसी थी। उसे दूसरी दुनिया से अपनी दुनिया में आने के लिये एक होस्ट चाहिए था, इसलिए तुम्हारे शरीर में घुसी थी। वहां तुम इसके होस्ट नही बन पाये, इसलिए मजबूरी में इन्हे सीधा ही अपने मधुमक्खी के स्वरूप में यहां के वातावरण में निकलना पड़ा। जिसका नतीजा तो तुम सबने देख ही लिया।


बॉब कह तो सही रहा था। एक बार आर्यमणि के शरीर पर उनका कब्जा हो जाता तब वो मधुमक्खियां सीधा आर्यमणि के शरीर को ही रूट बना लेती। आंख तो आर्यमणि खोलता लेकिन उसके अंदर लाखों मधुमक्खियां समा चुकी होती। परंतु ऐसा हो न सका। जब मधुमक्खी बिना किसी होस्ट मध्यम से बाहर निकली तब बाकी सारी मधुमक्खियां तो यहां के वातावरण में विलीन हो गयी, लेकिन जिस ओर इन सबका ध्यान नहीं गया वह थी, रानी मधुमक्खी जो जीवित थी और अपना होस्ट चुन चुकी थी। जिसका बारे में इन्हे भनक तक नहीं लगी।


बहरहाल छोटे से कौतूहल के बाद आर्यमणि ने अपने पैक को देखा और बॉब को घूरते.…. "बॉब इन मधुमक्खियों के कौतूहल के बीच जो रह गया उसका जबाव दो पहले। क्या मेरा पैक सुरक्षित है?


बॉब, संकोच में डूबता, बड़े धीमे से कहा…. "आर्य ये चारो कैस्टर ऑयल प्लांट के फ्लॉवर के संपर्क में साढ़े 5 घंटे से हैं। मैंने इन्हे स्ट्रॉन्ग एनेस्थीसिया दिया था और तुम्हारे जागने के कुछ वक़्त पहले एंटीडोट। थोड़ा सा हील होने के कारण मुंह से शायद खून नहीं निकल रहा वरना..


जैसे ही बॉब ने यह बात बताई आर्यमणि की आंख फटी की फटी रह गई। कैस्टर के फूल के बारे में आर्यमणि को भी पता था। एक ऐसा जहर जो पहले मिनट से मौत की वह भयावाह पीड़ा देता है कि इसके संपर्क में आये लोग अगले 5 मिनट में खुद की जान ले ले, जबकि पूर्ण रूप से मृत्यु तो 8 घंटे बाद होती है। आर्यमणि के दिमाग में सवाल तो बहुत थे लेकिन उसे पूछने के लिए वक़्त ना था।


आर्यमणि बिना वक्त गवाए ओजल और रूही के पेट पर अपना हाथ रखा और उसे हील करने लगा। कैस्टर के फूल का जहर शायद आर्यमणि पर काफी बुरा असर कर रहा था, ऊपर से कुछ देर पहले ही उसके शरीर ने बहुत कुछ झेला था। दोनो को हील करने में आर्यमणि को काफी तकलीफ हो रही थीं। दर्द इतना असहनीय था कि मुंह से उसके काले झाग निकलने लगे, लेकिन फिर भी आर्यमणि ने दोनो (ओजल और रूही) के बदन से अपना हाथ नहीं हटाया।


लगभग 15 मिनट बाद रूही और ओजल की सुकून भरी श्वांस आर्यमणि ने मेहसूस किया। रक्त संचार बिल्कुल सुचारू रूप से चल रहा था।… "बॉब शायद मै 12-13 घंटे ना जाग पाऊं, चारों को बता देना।"


इतना कहकर आर्यमणि एक 2 बेड के बीच में स्टूल लगा कर बैठ गया। अपने पास एक डस्टबिन का डब्बा लगा दिया। अपना चेहरा डस्टबिन में घुसाकर आर्यमणि आंखे मूंदा और अलबेली और इवान के बदन पर अपना हाथ रख दिया। आर्यमणि की बंद आंख जैसे फटने वाली हो। कान जैसे सुन पर चुके थे और हृदय मानो कह रहा हो, इतना जहर नहीं संभाल पाऊंगा।


वहीं आर्यमणि जिद पर अड़ा था कि मैंने सारे टॉक्सिक बाहर निकाल दिए, कुछ तो समेट लेने दो। आर्यमणि के लिए आज का दिन मुश्किलों भरा था, शायद सबसे ज्यादा दर्द वाला दिन कहना गलत नही होगा। उसके बंद आखों के किनारे से काली रक्त की एक धारा बह रही थी उसके नाक से काली रक्त की धार बह रही थी। दोनो कान का भी वही हाल था। मुंह में भी बेकार से स्वाद का वो काला रक्त भर रहा था, जिसे आर्यमणि लगातार डस्टबिन में थूक रहा था।


दर्द से वो केवल चिल्लाया नहीं लेकिन उसकी शरीर कि हर एक नब्ज जवाब दे गई थी। उसके मस्तिष्क का हर हिस्सा बिल्कुल फटने को तैयार था। धड़कन बिल्कुल धीमे होती… ध…क, ध……क"


उसकी हालत देखकर बॉब और ओशुन उसकी ओर हड़बड़ा कर आर्यमणि को रुकने के लिए कहा, लेकिन किसी तरह वो अपना दूसरा हाथ उठाता उन लोगों को अपनी जगह खड़े रहने का इशारा किया। इवान और अलबेली के हीलिंग में बिताया 15 मिनट आर्यमणि के हृदय की गति को लगभग शून्य कर चुकी थी।


जहां एक मिनट में उसका दिल 30-35 बार धड़कता था वहीं अब 1 मिनट में 5 बार भी बड़ी मुश्किल से धड़क रहा था। आखिरकार आर्यमणि को वो एहसास मिल ही गया, जिसके लिये वो कोशिश कर रहा था। जैसे ही इवान और अलबेली ने चैन की गहरी श्वांस ली, आर्यमणि धम्म से नीचे गिर गया.…


चारो ओर जगमग–जगमग रौशनी थी। पूरी दीवारों पर रंग–बिरंगी कई खूबसूरत पलों की तस्वीरें थी। उन तस्वीरों में मां जया, पापा केशव थे। भूमि दीदी थी। चित्रा और निशांत थे। निशांत की नई गर्लफ्रेंड सोहिनी थी। चित्रा और माधव के साथ की कई खूबसूरत तस्वीरें थी। भूमि दीदी के गोल मटोल बेबी की तस्वीर थी। चारो ओर दीवार पर कई खूबसूरत पलों की तस्वीरें ही तस्वीरें थी।


आर्यमणि ने आंखें खोली और आंखों के सामने जैसे उसकी भावनाओं को लगा दिया गया था। चेहरे कि भावना आंखों से बहने लगी थी। जब उसने गौड़ से देखा वो कैलिफोर्निया मे था। तेज़ी से भागकर बाहर आया। बाहर हॉल का नजारा भी जगमग–जगमग था। हॉल का माहोल पूरा भरा पूरा था। हॉल में आर्यमणि को देखने वालों की कमी नही थी। मैक्सिको की कैद से रिहा हुये कई वुल्फ, बॉब, लोस्की की पूरी टीम और ओशुन और वुल्फ हाउस से ताकत हासिल करके गये ओशुन के साथी वहां आर्यमणि के जागने का इंतजार कर रहे थे।


आर्यमणि जैसे ही कमरे से बाहर आया सब आर्यमणि को देख रहे थे। लेकिन आर्यमणि…… वो तो अपनी खुशी को देख रहा था। फिर उसके कदम ना रुके। दिल को ऐसा लग रहा था जैसे मुद्दातों हो गये तुमसे मिले। आर्यमणि के रास्ते में जो भी आया उसे किनारे करते आगे बढ़ा। ओजल, अलबेली, और इवान तीनों काफी खुशी से कुछ कहने के लिये आर्यमणि के करीब आये लेकिन आर्यमणि उन्हें अनसुना कर गया, वो लड़कड़ते, हड़बड़ाते आगे बढ़ रहा था।


झटके के साथ गले लगा और तेज श्वांस खींचकर तन की खुशबू को अपने जहन में बसाते.… "मुझे नहीं पता की तुम्हे देखकर कभी दिल धड़का भी हो, लेकिन बंकर में जब मै आंखें मूंद रहा था, तब एक ही इक्छा अंदर से उमड़ कर आ रही थी... अभी तुम्हारे साथ मुझे बहुत जीना है। इतना की ज़िन्दगी तंग होकर कह दे, अब बहुत हुआ साथ जीना, चैन से मर जा। फिर चेहरे पर एक सुकून होगा की हां तुम्हारे साथ पूरा जीने के बाद मैं मर रहा हूं। उस आखिरी मुकाम तक तुम्हारे साथ जीना है। मुझसे शादी करोगी रूही?"


जबसे आर्यमणि, रूही के गले लगकर अपनी भावना व्यक्त रहा था, सबको जैसे अचंभा सा हुआ था। आर्यमणि की भावना सुनकर रूही से खड़ा रह पाना मुश्किल हो गया। बेजान फिसलती वो अपने दोनो घुटनों पर बैठी थी। सर झुका था और रोने की सिसकियां हर किसी के कान में सुनाई दे रही थी। वो रोई तो भला उसके परिवार के आंखों में आंसू क्यूं न हो? इवान, अलबेली और ओजल तीनों साथ खड़े थे। तीनों ही रो पड़े। खुशी ऐसी थी कि संभाले ना संभाल रहा था।


आर्यमणि भी घुटनों पर आ गया। बालों के नीचे चेहरा छिपाकर रूही आंसू बहा रही थी। आर्यमणि भी बैठकर आंसू बहा रहा था। तभी रूही झटक कर अपने बाल ऊपर करती, रुआंसी आवाज में... "बॉस खड़े हो जाओ.. तुम.. तुम..."


कहना तो चाह रही थी कि "बॉस तुम घुटने पर कैसे हो सकते हो।" लेकिन हिचकियां और सिसकियां मे उसके शब्द उलझ गये। तीनों टीन वुल्फ उन्हें घेरकर बैठ गये। सभी एक दूसरे के कंधे पर हाथ डालकर बस एक दूसरे को देख रहे थे। चेहरे पर हंसी थी, आंखों में आंसू और दिल में उससे भी ज्यादा रोमांच।


ओशुन खामोश खड़ी बस देखती रही, और चुपचाप अपने साथियों को लेकर वहां से चली गई। लगभग घंटे भर तक पांचों बैठे रहे। हॉल में इंतजार कर रहे आर्यमणि के सभी सुभचिंतक अपने घुटनों पर बैठकर ही आर्यमणि को बधाई दे रहे थे। घंटे भर बाद पूरा हॉल खाली हो गया। सभी जब खड़े हुये तभी तीनों टीन चिल्लाते हुए... "किस्स, किस्स, किस्स, किस्स"


एक लड़की, उसमे भी भारतीय लड़की होने का एहसास पहली बार जाग रहा था। रूही शर्म से पानी पानी हो गयी। फिर वो रुक नहीं पायी और शर्माकर अपने कमरे मे भाग गयी।


अलबेली:- बॉस एक बात बतानी थी..

आर्यमणि:- हां बॉस बोलिये…

अलबेली:- अपने पैक मे एक लड़के कि शख्त जरूरत है..

आर्यमणि:- मतलब???


इवान:- मैं और अलबेली अब आप समझ जाओ। थोड़ी झिझक हो रही है हमे बताने मे। चलो स्वीटी हम लोग ड्राइव पर चलते है।


इवान और अलबेली कंधे पर हाथ डाले निकल गये। आर्यमणि हंसते हुए दोनों को जाते देख रहा था। फिर पास खड़ी ओजल पर नजर गयी। आर्यमणि उसे खुद मे समेटकर, उसका माथा चूमते... "हम सब मे सबसे समझदार। जब मै बाहर निकल कर रूही के पास जा रहा था, तब क्या कह रही थी।"


सवाल जैसे ही हुए, ओजल के आंखों में आंसू आ गये। रोती हुई... "बहुत शिकायत थी ज़िन्दगी से। सबसे दर्द तो ये बात देती रही कि हमारी आई कितनी तकलीफ और दर्द से गुजरी होंगी। लोग आइयाशी करके गये और उस गंदे से बीज को नतीजा हम थे, जिसे 15 साल तक एक बंद कमरा मिला। अब मुझसे बोला नहीं जायेगा। बस इस ज़िन्दगी के लिए दिल से धन्यवाद। आज मर भी जाऊं ना तो गम नहीं होगा।"


आर्यमणि, ओजल के आंखों के आंसू पोछते.… "मैं रूही से उसी धरती पर शादी करूंगा। बहुत भाग लिये अब नहीं। अब उनको उनके किये की सजा देनी है।"


ओजल:- प्लीज नहीं। नहीं.. नहीं लौटना वहां... यहीं अच्छे हैं। ऐसा लग रहा है अभी तो जिंदगी शुरू हुई है।


आर्यमणि:- चुप हो जाओ। पैक मे एक प्यारा सा लड़का ले आता हूं, फिर अपना ये पैक कंप्लीट हो जायेगा।


ओजल:- ऐसा मत करो। मुझे अभी जीना है। प्लीज मुझे मत बांधो। जब भी कोई पसंद आयेगा वो पैक में आ जायेगा। मुझे बांधो मत भैया। मुझे अभी खुलकर जीना है। सॉरी..


आर्यमणि:- अब ये सॉरी क्यों...


ओजल:- मुझे अपने दोस्तों को फुटबॉल सीखाने जाना था और मै लेट हो गई। बाद में मिलती हूं भैया.…


आर्यमणि सबकी हरकतों को समझ रहा था और अंदर से हंस भी रहा था। रूही के कान बाहर ही थे। जैसे ही ओजल बाहर गयी, रूही की धड़कने ऐसी ऊपर–नीचे हुई की बेचारी को श्वांस लेना दूभर हो गया। शेप कब शिफ्ट हुआ रूही को खुद पता नहीं, बावजूद इसके धड़कन थी कि बेकाबू हुई जा रही थी।
 

Devilrudra

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भाग:–94





बॉब अपने माथे के पसीने को पोंछते बस दुआ ही कर रहा था। 2 मिनट गुजरे होंगे की आर्यमणि का शरीर जोड़ों का झटका लिया और वो एक बार आंख खोलकर मूंद लिया। वहीं ओशुन भी आंख खोलकर बैठ चुकी थी। ओशुन जागते ही हैरानी से चारो ओर देखने लगी।


"मै यहां कैसे पहुंची।….. आह्हहहहहहहह! ये पीड़ा"… ओशुन बॉब से सवाल करती हुई बेड से नीचे उतर रही थी लेकिन कमजोर इतना थी की वो लड़खड़ा कर आर्यमणि के ऊपर गिर गयी। गहरी श्वांस लेती ओशुन अब तक की सबसे मनमोहक खुसबू को दोबारा अपने श्वांस के द्वारा खुद में मेहसूस करती हुई मुस्कुरा दी। अपने चेहरे पर आये बाल को पीछे झटकती हुई अपना चेहरा उठाया और आर्यमणि को देखने लगी।


वो देखने में ऐसा गुम हुई की अपने टूट रहे शरीर का पूरा दर्द भूल गयी। आर्यमणि के होंठ चूमने के लिये होंठ जैसे फर फरा रहे हो। ओशुन खुद को रोक नहीं पायी और अपने होंठ आर्यमणि के होंठ से स्पर्श कर दी। जैसे ही ओशुन ने आर्यमणि के होंठ अपने होंठ से स्पर्श की वो चौंक कर पीछे हटी…

"बॉब यहां क्या हुआ था, आर्यमणि के होंठ इतने ठंडे और चेहरा इतना पिला क्यों पड़ा है? क्या तेज करंट की वायर घुसा दिये हो इसके अंदर?"..


"आर्यमणि के ऊपर से तुम हट जाओ, वो कुछ देर से जाग जाएगा। तुम ऊपर जाकर रेस्ट करो मै सब समझा दूंगा।"… बॉब रूही, अलबेली, ओजल और इवान को एंटीडोट का इंजेक्शन देते हुये कहने लगा। बॉब को जब इंजेक्शन लगाते देखी, तब ओशुन का ध्यान उस ओर गया जहां आर्यमणि का हाथ, पाऊं पकड़े आर्यमणि के शरीर से लगे अल्फा पैक बेड पर मूर्छित लेटे थे।


"बॉब ये चारो कौन है, और यहां आर्यमणि के साथ इनको भी क्या हुआ है?"… ओशुन फिर से सवाल पूछना शुरू कि..


बॉब:- तुम ऊपर जाकर रेस्ट करो, आर्यमणि जब जाग जाएगा तब सभी सवालों के जवाब भी मिल जाएंगे…


ओशुन:- शायद वो सोया ही मेरी किस्मत से है। जागते हुए मै उसका सामना नहीं कर पाऊंगी। मुझे लगता है मेरा पैक यहीं कहीं आसपास है। मै उनसे सब कुछ जान लूंगी। आर्यमणि जब जागे तो उससे कहना मै उसकी दुनिया नहीं हूं।


ओशुन अपनी बात जैसे ही समाप्त कि, बॉब ने उसे एक जोरदार थप्पड़ लगा दिया… "भाग जाओ यहां से वरना मै पहली बार किसी वेयरवुल्फ का शिकार करूंगा। तुम्हे यहां सब क्या नाटक लग रहा है। तुम्हे नींद से जगाने के लिए वो देख रही हो 4 लोगों को जो आर्यमणि के पैक है, उन्हें खुद को ऐसे मौत का इंजेक्शन लेना पड़ा, जो उनको पहले मिनिट से मौत दे रही है। पता नहीं उनके कितने सारे ऑर्गन अंदर से डैमेज हो चुके होंगे। मैं उन चारो के मुंह से निकले खून को पोंछते-पोंछते परेशान हो गया। आर्यमणि को अंदर कितने देर तक बिजली के झटके लगते रहे हैं, पता भी है तुम्हे? आर्यमणि द्वारा सालों से जमा किया हुआ टॉक्सिक गायब हो गया। उसके शरीर का खून लगभग गायब हो गया। यहां जितने भी वुल्फ है हर किसी से खून लिया गया और महज 2 मिनट में ही उनके शरीर का आधा खून गायब हो गया। तुम्हे बचाने के लिए इतने लोग लगे थे। और जब तुम जाग रही हो तो यहां से जाने की सोच रही। भागो यहां से इस से पहले की मै तुम्हे मार दूं, स्वार्थी।"..


ओशुन:- बॉब मेरी बात सुनो, आर्य जाग गया तो मै उसे छोड़कर नहीं जा पाऊंगी। और मै आर्य के साथ बंधकर रह नहीं सकती। प्यार तो बहुत है बॉब लेकिन मै आर्यमणि की दुनिया नहीं हूं।


आर्यमणि:- बेहतर होता ये बात तुम मुझसे कहती ओशुन। अब चुकी मै जाग चुका हूं तो क्यों ना तुम थोड़ी देर यहां आराम कर लो..


ओशुन एक कदम पीछे हटती… "नहीं रहने दो मुझे दर्द अच्छा लग रहा है।"..


आर्यमणि:- मै अभी इस हालत में नहीं की तुम तक भागकर पहुंच सकूं इसलिए आ जाओ।


ओशुन:- देखो आर्य, मुझे बस यहां से जाना है, समझे तुम।


आर्यमणि:- कहां जाना है। रोमानिया, कैलिफोर्निया, कैन्स, टेक्सास, लंदन, बार्सिलोना, टर्की.. ऐसी कौन सी जगह जहां का पता मेरी जानकारी मे ना हो। प्यार होता तो शायद जाने देता, लेकिन यहां बहुत कुछ दाव पर लग गया है। ऐसे कैसे जाने दूं ओशुन। बॉब क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो?


ओशुन:- अभी तुम्हारे पैक को तुम्हारी जरूरत है।


आर्यमणि:- मेरे पैक ने अपना काम कर दिया बाकी डिटेल जागने के बाद ले लूंगा। बॉब ने लगता है इन सबकी जान बचा ली है। सभी खतरे से बाहर हैं। थैंक्स बॉब।


आर्यमणि की बात सुनकर बॉब के चेहरे का रंग बदल गया। आर्यमणि को बात जितनी आसान लगती थी उतनी थी नही। लेकिन तभी दर्द भरी आह के साथ बॉब चिल्लाते…. "ये क्या है?"…. बॉब सोच में डूबा था कि आर्यमणि को कैस्टर के फूल की जानकारी कैसे दे। इतने में उसे थोड़ी पीड़ा हुई और सबका ध्यान नीचे बॉब के पाऊं में था। नीचे का भयानक नजारा देखकर सबकी आंखे फैल गयी।


दरसल जिस जगह सभी लोग खड़े थे वहां का फ्लोर मिट्टी का ही था और मिट्टी के नीचे से वही काली चमकीली मधुमक्खियां निकल रही थी, जो आर्यमणि को 2 दुनिया के बीच मिली थी। लाखों की तादात में वह बाहर निकली और देखते ही देखते वहां मौजूद हर किसी के पाऊं के नीचे उन मधुमक्खियों का ढेर लगा था। हर किसी के पाऊं में हल्का डंक लगने का एहसास हुआ और उसके बाद अपनी आंखों से देख रहे थे कि कैसे डंक मारने के बाद मधुमक्खी राख के समान ढेर होकर हवा में उड़ गयी। न केवल डंक मारने वाली मधुमक्खी बल्कि लाखो मधुमक्खियां एक साथ राख के कण समान हवा में उड़ने लगे। कुछ देर के लिये तो बंकर के नीचे बने इस खुफिया जगह हाल ऐसा हो गया जैसे बारूद विस्फोट के बाद चारो ओर का माहोल हो जाता है। वो तो भला हो टेक्नोलॉजी का जो उस जमीन के नीचे बने खुफिया जगह में इन मधुमक्खियों की राख को बाहर निकालने के लिये बड़े–बड़े पंखे लगे थे, वरना कुछ देर में सभी दम घुटने से मर जाते।


बॉब:– आर्य ये क्या था?


आर्यमणि:– बॉब तुम्हारे अंदर ये मधुमक्खी घुसी तो नही ?


बॉब:– क्या !!!! ये शरीर के अंदर घुस जाती है??


आर्यमणि:– हां मुझपर तो इन मधुमक्खियों ने ऐसे ही हमला किया था। पलक झपकते ही मेरे बदन के अंदर। उसके बाद जो अंदर से मेरे मांस को नोचना इन्होंने शुरू किया, क्या बताऊं मैं कितनी पीड़ा मेहसूस कर रहा था। फिर तो 12000 वोल्ट का करेंट मुझे ज्यादा आरामदायक लगा था।


बॉब:– शुक्र है मुझे ऐसी कोई पीड़ा नहीं हो रही। रुको फिर भी चेक करने दो...


बॉब अपना पाऊं ऊपर करके डंक लगने के स्थान को देखा। वहां की चमरी हल्की लाल थी लेकिन कुछ अंदर घुसा हो ऐसे कहीं कोई सबूत नहीं थे। बॉब पूरी तसल्ली के बाद.… "अब इन मधुमक्खी बारे में कुछ और डिटेल बताओगे?"


आर्यमणि:– मैं क्या वहां इन्ही पर रिसर्च करने गया था। जितना जानता था बता दिया।


बॉब कुछ सोचते.… "ये मधुमक्खियां बेवजह ही तुम्हारे अंदर नही घुसी थी। उसे दूसरी दुनिया से अपनी दुनिया में आने के लिये एक होस्ट चाहिए था, इसलिए तुम्हारे शरीर में घुसी थी। वहां तुम इसके होस्ट नही बन पाये, इसलिए मजबूरी में इन्हे सीधा ही अपने मधुमक्खी के स्वरूप में यहां के वातावरण में निकलना पड़ा। जिसका नतीजा तो तुम सबने देख ही लिया।


बॉब कह तो सही रहा था। एक बार आर्यमणि के शरीर पर उनका कब्जा हो जाता तब वो मधुमक्खियां सीधा आर्यमणि के शरीर को ही रूट बना लेती। आंख तो आर्यमणि खोलता लेकिन उसके अंदर लाखों मधुमक्खियां समा चुकी होती। परंतु ऐसा हो न सका। जब मधुमक्खी बिना किसी होस्ट मध्यम से बाहर निकली तब बाकी सारी मधुमक्खियां तो यहां के वातावरण में विलीन हो गयी, लेकिन जिस ओर इन सबका ध्यान नहीं गया वह थी, रानी मधुमक्खी जो जीवित थी और अपना होस्ट चुन चुकी थी। जिसका बारे में इन्हे भनक तक नहीं लगी।


बहरहाल छोटे से कौतूहल के बाद आर्यमणि ने अपने पैक को देखा और बॉब को घूरते.…. "बॉब इन मधुमक्खियों के कौतूहल के बीच जो रह गया उसका जबाव दो पहले। क्या मेरा पैक सुरक्षित है?


बॉब, संकोच में डूबता, बड़े धीमे से कहा…. "आर्य ये चारो कैस्टर ऑयल प्लांट के फ्लॉवर के संपर्क में साढ़े 5 घंटे से हैं। मैंने इन्हे स्ट्रॉन्ग एनेस्थीसिया दिया था और तुम्हारे जागने के कुछ वक़्त पहले एंटीडोट। थोड़ा सा हील होने के कारण मुंह से शायद खून नहीं निकल रहा वरना..


जैसे ही बॉब ने यह बात बताई आर्यमणि की आंख फटी की फटी रह गई। कैस्टर के फूल के बारे में आर्यमणि को भी पता था। एक ऐसा जहर जो पहले मिनट से मौत की वह भयावाह पीड़ा देता है कि इसके संपर्क में आये लोग अगले 5 मिनट में खुद की जान ले ले, जबकि पूर्ण रूप से मृत्यु तो 8 घंटे बाद होती है। आर्यमणि के दिमाग में सवाल तो बहुत थे लेकिन उसे पूछने के लिए वक़्त ना था।


आर्यमणि बिना वक्त गवाए ओजल और रूही के पेट पर अपना हाथ रखा और उसे हील करने लगा। कैस्टर के फूल का जहर शायद आर्यमणि पर काफी बुरा असर कर रहा था, ऊपर से कुछ देर पहले ही उसके शरीर ने बहुत कुछ झेला था। दोनो को हील करने में आर्यमणि को काफी तकलीफ हो रही थीं। दर्द इतना असहनीय था कि मुंह से उसके काले झाग निकलने लगे, लेकिन फिर भी आर्यमणि ने दोनो (ओजल और रूही) के बदन से अपना हाथ नहीं हटाया।


लगभग 15 मिनट बाद रूही और ओजल की सुकून भरी श्वांस आर्यमणि ने मेहसूस किया। रक्त संचार बिल्कुल सुचारू रूप से चल रहा था।… "बॉब शायद मै 12-13 घंटे ना जाग पाऊं, चारों को बता देना।"


इतना कहकर आर्यमणि एक 2 बेड के बीच में स्टूल लगा कर बैठ गया। अपने पास एक डस्टबिन का डब्बा लगा दिया। अपना चेहरा डस्टबिन में घुसाकर आर्यमणि आंखे मूंदा और अलबेली और इवान के बदन पर अपना हाथ रख दिया। आर्यमणि की बंद आंख जैसे फटने वाली हो। कान जैसे सुन पर चुके थे और हृदय मानो कह रहा हो, इतना जहर नहीं संभाल पाऊंगा।


वहीं आर्यमणि जिद पर अड़ा था कि मैंने सारे टॉक्सिक बाहर निकाल दिए, कुछ तो समेट लेने दो। आर्यमणि के लिए आज का दिन मुश्किलों भरा था, शायद सबसे ज्यादा दर्द वाला दिन कहना गलत नही होगा। उसके बंद आखों के किनारे से काली रक्त की एक धारा बह रही थी उसके नाक से काली रक्त की धार बह रही थी। दोनो कान का भी वही हाल था। मुंह में भी बेकार से स्वाद का वो काला रक्त भर रहा था, जिसे आर्यमणि लगातार डस्टबिन में थूक रहा था।


दर्द से वो केवल चिल्लाया नहीं लेकिन उसकी शरीर कि हर एक नब्ज जवाब दे गई थी। उसके मस्तिष्क का हर हिस्सा बिल्कुल फटने को तैयार था। धड़कन बिल्कुल धीमे होती… ध…क, ध……क"


उसकी हालत देखकर बॉब और ओशुन उसकी ओर हड़बड़ा कर आर्यमणि को रुकने के लिए कहा, लेकिन किसी तरह वो अपना दूसरा हाथ उठाता उन लोगों को अपनी जगह खड़े रहने का इशारा किया। इवान और अलबेली के हीलिंग में बिताया 15 मिनट आर्यमणि के हृदय की गति को लगभग शून्य कर चुकी थी।


जहां एक मिनट में उसका दिल 30-35 बार धड़कता था वहीं अब 1 मिनट में 5 बार भी बड़ी मुश्किल से धड़क रहा था। आखिरकार आर्यमणि को वो एहसास मिल ही गया, जिसके लिये वो कोशिश कर रहा था। जैसे ही इवान और अलबेली ने चैन की गहरी श्वांस ली, आर्यमणि धम्म से नीचे गिर गया.…


चारो ओर जगमग–जगमग रौशनी थी। पूरी दीवारों पर रंग–बिरंगी कई खूबसूरत पलों की तस्वीरें थी। उन तस्वीरों में मां जया, पापा केशव थे। भूमि दीदी थी। चित्रा और निशांत थे। निशांत की नई गर्लफ्रेंड सोहिनी थी। चित्रा और माधव के साथ की कई खूबसूरत तस्वीरें थी। भूमि दीदी के गोल मटोल बेबी की तस्वीर थी। चारो ओर दीवार पर कई खूबसूरत पलों की तस्वीरें ही तस्वीरें थी।


आर्यमणि ने आंखें खोली और आंखों के सामने जैसे उसकी भावनाओं को लगा दिया गया था। चेहरे कि भावना आंखों से बहने लगी थी। जब उसने गौड़ से देखा वो कैलिफोर्निया मे था। तेज़ी से भागकर बाहर आया। बाहर हॉल का नजारा भी जगमग–जगमग था। हॉल का माहोल पूरा भरा पूरा था। हॉल में आर्यमणि को देखने वालों की कमी नही थी। मैक्सिको की कैद से रिहा हुये कई वुल्फ, बॉब, लोस्की की पूरी टीम और ओशुन और वुल्फ हाउस से ताकत हासिल करके गये ओशुन के साथी वहां आर्यमणि के जागने का इंतजार कर रहे थे।


आर्यमणि जैसे ही कमरे से बाहर आया सब आर्यमणि को देख रहे थे। लेकिन आर्यमणि…… वो तो अपनी खुशी को देख रहा था। फिर उसके कदम ना रुके। दिल को ऐसा लग रहा था जैसे मुद्दातों हो गये तुमसे मिले। आर्यमणि के रास्ते में जो भी आया उसे किनारे करते आगे बढ़ा। ओजल, अलबेली, और इवान तीनों काफी खुशी से कुछ कहने के लिये आर्यमणि के करीब आये लेकिन आर्यमणि उन्हें अनसुना कर गया, वो लड़कड़ते, हड़बड़ाते आगे बढ़ रहा था।


झटके के साथ गले लगा और तेज श्वांस खींचकर तन की खुशबू को अपने जहन में बसाते.… "मुझे नहीं पता की तुम्हे देखकर कभी दिल धड़का भी हो, लेकिन बंकर में जब मै आंखें मूंद रहा था, तब एक ही इक्छा अंदर से उमड़ कर आ रही थी... अभी तुम्हारे साथ मुझे बहुत जीना है। इतना की ज़िन्दगी तंग होकर कह दे, अब बहुत हुआ साथ जीना, चैन से मर जा। फिर चेहरे पर एक सुकून होगा की हां तुम्हारे साथ पूरा जीने के बाद मैं मर रहा हूं। उस आखिरी मुकाम तक तुम्हारे साथ जीना है। मुझसे शादी करोगी रूही?"


जबसे आर्यमणि, रूही के गले लगकर अपनी भावना व्यक्त रहा था, सबको जैसे अचंभा सा हुआ था। आर्यमणि की भावना सुनकर रूही से खड़ा रह पाना मुश्किल हो गया। बेजान फिसलती वो अपने दोनो घुटनों पर बैठी थी। सर झुका था और रोने की सिसकियां हर किसी के कान में सुनाई दे रही थी। वो रोई तो भला उसके परिवार के आंखों में आंसू क्यूं न हो? इवान, अलबेली और ओजल तीनों साथ खड़े थे। तीनों ही रो पड़े। खुशी ऐसी थी कि संभाले ना संभाल रहा था।


आर्यमणि भी घुटनों पर आ गया। बालों के नीचे चेहरा छिपाकर रूही आंसू बहा रही थी। आर्यमणि भी बैठकर आंसू बहा रहा था। तभी रूही झटक कर अपने बाल ऊपर करती, रुआंसी आवाज में... "बॉस खड़े हो जाओ.. तुम.. तुम..."


कहना तो चाह रही थी कि "बॉस तुम घुटने पर कैसे हो सकते हो।" लेकिन हिचकियां और सिसकियां मे उसके शब्द उलझ गये। तीनों टीन वुल्फ उन्हें घेरकर बैठ गये। सभी एक दूसरे के कंधे पर हाथ डालकर बस एक दूसरे को देख रहे थे। चेहरे पर हंसी थी, आंखों में आंसू और दिल में उससे भी ज्यादा रोमांच।


ओशुन खामोश खड़ी बस देखती रही, और चुपचाप अपने साथियों को लेकर वहां से चली गई। लगभग घंटे भर तक पांचों बैठे रहे। हॉल में इंतजार कर रहे आर्यमणि के सभी सुभचिंतक अपने घुटनों पर बैठकर ही आर्यमणि को बधाई दे रहे थे। घंटे भर बाद पूरा हॉल खाली हो गया। सभी जब खड़े हुये तभी तीनों टीन चिल्लाते हुए... "किस्स, किस्स, किस्स, किस्स"


एक लड़की, उसमे भी भारतीय लड़की होने का एहसास पहली बार जाग रहा था। रूही शर्म से पानी पानी हो गयी। फिर वो रुक नहीं पायी और शर्माकर अपने कमरे मे भाग गयी।


अलबेली:- बॉस एक बात बतानी थी..

आर्यमणि:- हां बॉस बोलिये…

अलबेली:- अपने पैक मे एक लड़के कि शख्त जरूरत है..

आर्यमणि:- मतलब???


इवान:- मैं और अलबेली अब आप समझ जाओ। थोड़ी झिझक हो रही है हमे बताने मे। चलो स्वीटी हम लोग ड्राइव पर चलते है।


इवान और अलबेली कंधे पर हाथ डाले निकल गये। आर्यमणि हंसते हुए दोनों को जाते देख रहा था। फिर पास खड़ी ओजल पर नजर गयी। आर्यमणि उसे खुद मे समेटकर, उसका माथा चूमते... "हम सब मे सबसे समझदार। जब मै बाहर निकल कर रूही के पास जा रहा था, तब क्या कह रही थी।"


सवाल जैसे ही हुए, ओजल के आंखों में आंसू आ गये। रोती हुई... "बहुत शिकायत थी ज़िन्दगी से। सबसे दर्द तो ये बात देती रही कि हमारी आई कितनी तकलीफ और दर्द से गुजरी होंगी। लोग आइयाशी करके गये और उस गंदे से बीज को नतीजा हम थे, जिसे 15 साल तक एक बंद कमरा मिला। अब मुझसे बोला नहीं जायेगा। बस इस ज़िन्दगी के लिए दिल से धन्यवाद। आज मर भी जाऊं ना तो गम नहीं होगा।"


आर्यमणि, ओजल के आंखों के आंसू पोछते.… "मैं रूही से उसी धरती पर शादी करूंगा। बहुत भाग लिये अब नहीं। अब उनको उनके किये की सजा देनी है।"


ओजल:- प्लीज नहीं। नहीं.. नहीं लौटना वहां... यहीं अच्छे हैं। ऐसा लग रहा है अभी तो जिंदगी शुरू हुई है।


आर्यमणि:- चुप हो जाओ। पैक मे एक प्यारा सा लड़का ले आता हूं, फिर अपना ये पैक कंप्लीट हो जायेगा।


ओजल:- ऐसा मत करो। मुझे अभी जीना है। प्लीज मुझे मत बांधो। जब भी कोई पसंद आयेगा वो पैक में आ जायेगा। मुझे बांधो मत भैया। मुझे अभी खुलकर जीना है। सॉरी..


आर्यमणि:- अब ये सॉरी क्यों...


ओजल:- मुझे अपने दोस्तों को फुटबॉल सीखाने जाना था और मै लेट हो गई। बाद में मिलती हूं भैया.…


आर्यमणि सबकी हरकतों को समझ रहा था और अंदर से हंस भी रहा था। रूही के कान बाहर ही थे। जैसे ही ओजल बाहर गयी, रूही की धड़कने ऐसी ऊपर–नीचे हुई की बेचारी को श्वांस लेना दूभर हो गया। शेप कब शिफ्ट हुआ रूही को खुद पता नहीं, बावजूद इसके धड़कन थी कि बेकाबू हुई जा रही थी।
Bahot badhiya akhirkaar palak ka patta saaf ho hi gya...
 

Itachi_Uchiha

अंतःअस्ति प्रारंभः
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भाग:–94





बॉब अपने माथे के पसीने को पोंछते बस दुआ ही कर रहा था। 2 मिनट गुजरे होंगे की आर्यमणि का शरीर जोड़ों का झटका लिया और वो एक बार आंख खोलकर मूंद लिया। वहीं ओशुन भी आंख खोलकर बैठ चुकी थी। ओशुन जागते ही हैरानी से चारो ओर देखने लगी।


"मै यहां कैसे पहुंची।….. आह्हहहहहहहह! ये पीड़ा"… ओशुन बॉब से सवाल करती हुई बेड से नीचे उतर रही थी लेकिन कमजोर इतना थी की वो लड़खड़ा कर आर्यमणि के ऊपर गिर गयी। गहरी श्वांस लेती ओशुन अब तक की सबसे मनमोहक खुसबू को दोबारा अपने श्वांस के द्वारा खुद में मेहसूस करती हुई मुस्कुरा दी। अपने चेहरे पर आये बाल को पीछे झटकती हुई अपना चेहरा उठाया और आर्यमणि को देखने लगी।


वो देखने में ऐसा गुम हुई की अपने टूट रहे शरीर का पूरा दर्द भूल गयी। आर्यमणि के होंठ चूमने के लिये होंठ जैसे फर फरा रहे हो। ओशुन खुद को रोक नहीं पायी और अपने होंठ आर्यमणि के होंठ से स्पर्श कर दी। जैसे ही ओशुन ने आर्यमणि के होंठ अपने होंठ से स्पर्श की वो चौंक कर पीछे हटी…

"बॉब यहां क्या हुआ था, आर्यमणि के होंठ इतने ठंडे और चेहरा इतना पिला क्यों पड़ा है? क्या तेज करंट की वायर घुसा दिये हो इसके अंदर?"..


"आर्यमणि के ऊपर से तुम हट जाओ, वो कुछ देर से जाग जाएगा। तुम ऊपर जाकर रेस्ट करो मै सब समझा दूंगा।"… बॉब रूही, अलबेली, ओजल और इवान को एंटीडोट का इंजेक्शन देते हुये कहने लगा। बॉब को जब इंजेक्शन लगाते देखी, तब ओशुन का ध्यान उस ओर गया जहां आर्यमणि का हाथ, पाऊं पकड़े आर्यमणि के शरीर से लगे अल्फा पैक बेड पर मूर्छित लेटे थे।


"बॉब ये चारो कौन है, और यहां आर्यमणि के साथ इनको भी क्या हुआ है?"… ओशुन फिर से सवाल पूछना शुरू कि..


बॉब:- तुम ऊपर जाकर रेस्ट करो, आर्यमणि जब जाग जाएगा तब सभी सवालों के जवाब भी मिल जाएंगे…


ओशुन:- शायद वो सोया ही मेरी किस्मत से है। जागते हुए मै उसका सामना नहीं कर पाऊंगी। मुझे लगता है मेरा पैक यहीं कहीं आसपास है। मै उनसे सब कुछ जान लूंगी। आर्यमणि जब जागे तो उससे कहना मै उसकी दुनिया नहीं हूं।


ओशुन अपनी बात जैसे ही समाप्त कि, बॉब ने उसे एक जोरदार थप्पड़ लगा दिया… "भाग जाओ यहां से वरना मै पहली बार किसी वेयरवुल्फ का शिकार करूंगा। तुम्हे यहां सब क्या नाटक लग रहा है। तुम्हे नींद से जगाने के लिए वो देख रही हो 4 लोगों को जो आर्यमणि के पैक है, उन्हें खुद को ऐसे मौत का इंजेक्शन लेना पड़ा, जो उनको पहले मिनिट से मौत दे रही है। पता नहीं उनके कितने सारे ऑर्गन अंदर से डैमेज हो चुके होंगे। मैं उन चारो के मुंह से निकले खून को पोंछते-पोंछते परेशान हो गया। आर्यमणि को अंदर कितने देर तक बिजली के झटके लगते रहे हैं, पता भी है तुम्हे? आर्यमणि द्वारा सालों से जमा किया हुआ टॉक्सिक गायब हो गया। उसके शरीर का खून लगभग गायब हो गया। यहां जितने भी वुल्फ है हर किसी से खून लिया गया और महज 2 मिनट में ही उनके शरीर का आधा खून गायब हो गया। तुम्हे बचाने के लिए इतने लोग लगे थे। और जब तुम जाग रही हो तो यहां से जाने की सोच रही। भागो यहां से इस से पहले की मै तुम्हे मार दूं, स्वार्थी।"..


ओशुन:- बॉब मेरी बात सुनो, आर्य जाग गया तो मै उसे छोड़कर नहीं जा पाऊंगी। और मै आर्य के साथ बंधकर रह नहीं सकती। प्यार तो बहुत है बॉब लेकिन मै आर्यमणि की दुनिया नहीं हूं।


आर्यमणि:- बेहतर होता ये बात तुम मुझसे कहती ओशुन। अब चुकी मै जाग चुका हूं तो क्यों ना तुम थोड़ी देर यहां आराम कर लो..


ओशुन एक कदम पीछे हटती… "नहीं रहने दो मुझे दर्द अच्छा लग रहा है।"..


आर्यमणि:- मै अभी इस हालत में नहीं की तुम तक भागकर पहुंच सकूं इसलिए आ जाओ।


ओशुन:- देखो आर्य, मुझे बस यहां से जाना है, समझे तुम।


आर्यमणि:- कहां जाना है। रोमानिया, कैलिफोर्निया, कैन्स, टेक्सास, लंदन, बार्सिलोना, टर्की.. ऐसी कौन सी जगह जहां का पता मेरी जानकारी मे ना हो। प्यार होता तो शायद जाने देता, लेकिन यहां बहुत कुछ दाव पर लग गया है। ऐसे कैसे जाने दूं ओशुन। बॉब क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो?


ओशुन:- अभी तुम्हारे पैक को तुम्हारी जरूरत है।


आर्यमणि:- मेरे पैक ने अपना काम कर दिया बाकी डिटेल जागने के बाद ले लूंगा। बॉब ने लगता है इन सबकी जान बचा ली है। सभी खतरे से बाहर हैं। थैंक्स बॉब।


आर्यमणि की बात सुनकर बॉब के चेहरे का रंग बदल गया। आर्यमणि को बात जितनी आसान लगती थी उतनी थी नही। लेकिन तभी दर्द भरी आह के साथ बॉब चिल्लाते…. "ये क्या है?"…. बॉब सोच में डूबा था कि आर्यमणि को कैस्टर के फूल की जानकारी कैसे दे। इतने में उसे थोड़ी पीड़ा हुई और सबका ध्यान नीचे बॉब के पाऊं में था। नीचे का भयानक नजारा देखकर सबकी आंखे फैल गयी।


दरसल जिस जगह सभी लोग खड़े थे वहां का फ्लोर मिट्टी का ही था और मिट्टी के नीचे से वही काली चमकीली मधुमक्खियां निकल रही थी, जो आर्यमणि को 2 दुनिया के बीच मिली थी। लाखों की तादात में वह बाहर निकली और देखते ही देखते वहां मौजूद हर किसी के पाऊं के नीचे उन मधुमक्खियों का ढेर लगा था। हर किसी के पाऊं में हल्का डंक लगने का एहसास हुआ और उसके बाद अपनी आंखों से देख रहे थे कि कैसे डंक मारने के बाद मधुमक्खी राख के समान ढेर होकर हवा में उड़ गयी। न केवल डंक मारने वाली मधुमक्खी बल्कि लाखो मधुमक्खियां एक साथ राख के कण समान हवा में उड़ने लगे। कुछ देर के लिये तो बंकर के नीचे बने इस खुफिया जगह हाल ऐसा हो गया जैसे बारूद विस्फोट के बाद चारो ओर का माहोल हो जाता है। वो तो भला हो टेक्नोलॉजी का जो उस जमीन के नीचे बने खुफिया जगह में इन मधुमक्खियों की राख को बाहर निकालने के लिये बड़े–बड़े पंखे लगे थे, वरना कुछ देर में सभी दम घुटने से मर जाते।


बॉब:– आर्य ये क्या था?


आर्यमणि:– बॉब तुम्हारे अंदर ये मधुमक्खी घुसी तो नही ?


बॉब:– क्या !!!! ये शरीर के अंदर घुस जाती है??


आर्यमणि:– हां मुझपर तो इन मधुमक्खियों ने ऐसे ही हमला किया था। पलक झपकते ही मेरे बदन के अंदर। उसके बाद जो अंदर से मेरे मांस को नोचना इन्होंने शुरू किया, क्या बताऊं मैं कितनी पीड़ा मेहसूस कर रहा था। फिर तो 12000 वोल्ट का करेंट मुझे ज्यादा आरामदायक लगा था।


बॉब:– शुक्र है मुझे ऐसी कोई पीड़ा नहीं हो रही। रुको फिर भी चेक करने दो...


बॉब अपना पाऊं ऊपर करके डंक लगने के स्थान को देखा। वहां की चमरी हल्की लाल थी लेकिन कुछ अंदर घुसा हो ऐसे कहीं कोई सबूत नहीं थे। बॉब पूरी तसल्ली के बाद.… "अब इन मधुमक्खी बारे में कुछ और डिटेल बताओगे?"


आर्यमणि:– मैं क्या वहां इन्ही पर रिसर्च करने गया था। जितना जानता था बता दिया।


बॉब कुछ सोचते.… "ये मधुमक्खियां बेवजह ही तुम्हारे अंदर नही घुसी थी। उसे दूसरी दुनिया से अपनी दुनिया में आने के लिये एक होस्ट चाहिए था, इसलिए तुम्हारे शरीर में घुसी थी। वहां तुम इसके होस्ट नही बन पाये, इसलिए मजबूरी में इन्हे सीधा ही अपने मधुमक्खी के स्वरूप में यहां के वातावरण में निकलना पड़ा। जिसका नतीजा तो तुम सबने देख ही लिया।


बॉब कह तो सही रहा था। एक बार आर्यमणि के शरीर पर उनका कब्जा हो जाता तब वो मधुमक्खियां सीधा आर्यमणि के शरीर को ही रूट बना लेती। आंख तो आर्यमणि खोलता लेकिन उसके अंदर लाखों मधुमक्खियां समा चुकी होती। परंतु ऐसा हो न सका। जब मधुमक्खी बिना किसी होस्ट मध्यम से बाहर निकली तब बाकी सारी मधुमक्खियां तो यहां के वातावरण में विलीन हो गयी, लेकिन जिस ओर इन सबका ध्यान नहीं गया वह थी, रानी मधुमक्खी जो जीवित थी और अपना होस्ट चुन चुकी थी। जिसका बारे में इन्हे भनक तक नहीं लगी।


बहरहाल छोटे से कौतूहल के बाद आर्यमणि ने अपने पैक को देखा और बॉब को घूरते.…. "बॉब इन मधुमक्खियों के कौतूहल के बीच जो रह गया उसका जबाव दो पहले। क्या मेरा पैक सुरक्षित है?


बॉब, संकोच में डूबता, बड़े धीमे से कहा…. "आर्य ये चारो कैस्टर ऑयल प्लांट के फ्लॉवर के संपर्क में साढ़े 5 घंटे से हैं। मैंने इन्हे स्ट्रॉन्ग एनेस्थीसिया दिया था और तुम्हारे जागने के कुछ वक़्त पहले एंटीडोट। थोड़ा सा हील होने के कारण मुंह से शायद खून नहीं निकल रहा वरना..


जैसे ही बॉब ने यह बात बताई आर्यमणि की आंख फटी की फटी रह गई। कैस्टर के फूल के बारे में आर्यमणि को भी पता था। एक ऐसा जहर जो पहले मिनट से मौत की वह भयावाह पीड़ा देता है कि इसके संपर्क में आये लोग अगले 5 मिनट में खुद की जान ले ले, जबकि पूर्ण रूप से मृत्यु तो 8 घंटे बाद होती है। आर्यमणि के दिमाग में सवाल तो बहुत थे लेकिन उसे पूछने के लिए वक़्त ना था।


आर्यमणि बिना वक्त गवाए ओजल और रूही के पेट पर अपना हाथ रखा और उसे हील करने लगा। कैस्टर के फूल का जहर शायद आर्यमणि पर काफी बुरा असर कर रहा था, ऊपर से कुछ देर पहले ही उसके शरीर ने बहुत कुछ झेला था। दोनो को हील करने में आर्यमणि को काफी तकलीफ हो रही थीं। दर्द इतना असहनीय था कि मुंह से उसके काले झाग निकलने लगे, लेकिन फिर भी आर्यमणि ने दोनो (ओजल और रूही) के बदन से अपना हाथ नहीं हटाया।


लगभग 15 मिनट बाद रूही और ओजल की सुकून भरी श्वांस आर्यमणि ने मेहसूस किया। रक्त संचार बिल्कुल सुचारू रूप से चल रहा था।… "बॉब शायद मै 12-13 घंटे ना जाग पाऊं, चारों को बता देना।"


इतना कहकर आर्यमणि एक 2 बेड के बीच में स्टूल लगा कर बैठ गया। अपने पास एक डस्टबिन का डब्बा लगा दिया। अपना चेहरा डस्टबिन में घुसाकर आर्यमणि आंखे मूंदा और अलबेली और इवान के बदन पर अपना हाथ रख दिया। आर्यमणि की बंद आंख जैसे फटने वाली हो। कान जैसे सुन पर चुके थे और हृदय मानो कह रहा हो, इतना जहर नहीं संभाल पाऊंगा।


वहीं आर्यमणि जिद पर अड़ा था कि मैंने सारे टॉक्सिक बाहर निकाल दिए, कुछ तो समेट लेने दो। आर्यमणि के लिए आज का दिन मुश्किलों भरा था, शायद सबसे ज्यादा दर्द वाला दिन कहना गलत नही होगा। उसके बंद आखों के किनारे से काली रक्त की एक धारा बह रही थी उसके नाक से काली रक्त की धार बह रही थी। दोनो कान का भी वही हाल था। मुंह में भी बेकार से स्वाद का वो काला रक्त भर रहा था, जिसे आर्यमणि लगातार डस्टबिन में थूक रहा था।


दर्द से वो केवल चिल्लाया नहीं लेकिन उसकी शरीर कि हर एक नब्ज जवाब दे गई थी। उसके मस्तिष्क का हर हिस्सा बिल्कुल फटने को तैयार था। धड़कन बिल्कुल धीमे होती… ध…क, ध……क"


उसकी हालत देखकर बॉब और ओशुन उसकी ओर हड़बड़ा कर आर्यमणि को रुकने के लिए कहा, लेकिन किसी तरह वो अपना दूसरा हाथ उठाता उन लोगों को अपनी जगह खड़े रहने का इशारा किया। इवान और अलबेली के हीलिंग में बिताया 15 मिनट आर्यमणि के हृदय की गति को लगभग शून्य कर चुकी थी।


जहां एक मिनट में उसका दिल 30-35 बार धड़कता था वहीं अब 1 मिनट में 5 बार भी बड़ी मुश्किल से धड़क रहा था। आखिरकार आर्यमणि को वो एहसास मिल ही गया, जिसके लिये वो कोशिश कर रहा था। जैसे ही इवान और अलबेली ने चैन की गहरी श्वांस ली, आर्यमणि धम्म से नीचे गिर गया.…


चारो ओर जगमग–जगमग रौशनी थी। पूरी दीवारों पर रंग–बिरंगी कई खूबसूरत पलों की तस्वीरें थी। उन तस्वीरों में मां जया, पापा केशव थे। भूमि दीदी थी। चित्रा और निशांत थे। निशांत की नई गर्लफ्रेंड सोहिनी थी। चित्रा और माधव के साथ की कई खूबसूरत तस्वीरें थी। भूमि दीदी के गोल मटोल बेबी की तस्वीर थी। चारो ओर दीवार पर कई खूबसूरत पलों की तस्वीरें ही तस्वीरें थी।


आर्यमणि ने आंखें खोली और आंखों के सामने जैसे उसकी भावनाओं को लगा दिया गया था। चेहरे कि भावना आंखों से बहने लगी थी। जब उसने गौड़ से देखा वो कैलिफोर्निया मे था। तेज़ी से भागकर बाहर आया। बाहर हॉल का नजारा भी जगमग–जगमग था। हॉल का माहोल पूरा भरा पूरा था। हॉल में आर्यमणि को देखने वालों की कमी नही थी। मैक्सिको की कैद से रिहा हुये कई वुल्फ, बॉब, लोस्की की पूरी टीम और ओशुन और वुल्फ हाउस से ताकत हासिल करके गये ओशुन के साथी वहां आर्यमणि के जागने का इंतजार कर रहे थे।


आर्यमणि जैसे ही कमरे से बाहर आया सब आर्यमणि को देख रहे थे। लेकिन आर्यमणि…… वो तो अपनी खुशी को देख रहा था। फिर उसके कदम ना रुके। दिल को ऐसा लग रहा था जैसे मुद्दातों हो गये तुमसे मिले। आर्यमणि के रास्ते में जो भी आया उसे किनारे करते आगे बढ़ा। ओजल, अलबेली, और इवान तीनों काफी खुशी से कुछ कहने के लिये आर्यमणि के करीब आये लेकिन आर्यमणि उन्हें अनसुना कर गया, वो लड़कड़ते, हड़बड़ाते आगे बढ़ रहा था।


झटके के साथ गले लगा और तेज श्वांस खींचकर तन की खुशबू को अपने जहन में बसाते.… "मुझे नहीं पता की तुम्हे देखकर कभी दिल धड़का भी हो, लेकिन बंकर में जब मै आंखें मूंद रहा था, तब एक ही इक्छा अंदर से उमड़ कर आ रही थी... अभी तुम्हारे साथ मुझे बहुत जीना है। इतना की ज़िन्दगी तंग होकर कह दे, अब बहुत हुआ साथ जीना, चैन से मर जा। फिर चेहरे पर एक सुकून होगा की हां तुम्हारे साथ पूरा जीने के बाद मैं मर रहा हूं। उस आखिरी मुकाम तक तुम्हारे साथ जीना है। मुझसे शादी करोगी रूही?"


जबसे आर्यमणि, रूही के गले लगकर अपनी भावना व्यक्त रहा था, सबको जैसे अचंभा सा हुआ था। आर्यमणि की भावना सुनकर रूही से खड़ा रह पाना मुश्किल हो गया। बेजान फिसलती वो अपने दोनो घुटनों पर बैठी थी। सर झुका था और रोने की सिसकियां हर किसी के कान में सुनाई दे रही थी। वो रोई तो भला उसके परिवार के आंखों में आंसू क्यूं न हो? इवान, अलबेली और ओजल तीनों साथ खड़े थे। तीनों ही रो पड़े। खुशी ऐसी थी कि संभाले ना संभाल रहा था।


आर्यमणि भी घुटनों पर आ गया। बालों के नीचे चेहरा छिपाकर रूही आंसू बहा रही थी। आर्यमणि भी बैठकर आंसू बहा रहा था। तभी रूही झटक कर अपने बाल ऊपर करती, रुआंसी आवाज में... "बॉस खड़े हो जाओ.. तुम.. तुम..."


कहना तो चाह रही थी कि "बॉस तुम घुटने पर कैसे हो सकते हो।" लेकिन हिचकियां और सिसकियां मे उसके शब्द उलझ गये। तीनों टीन वुल्फ उन्हें घेरकर बैठ गये। सभी एक दूसरे के कंधे पर हाथ डालकर बस एक दूसरे को देख रहे थे। चेहरे पर हंसी थी, आंखों में आंसू और दिल में उससे भी ज्यादा रोमांच।


ओशुन खामोश खड़ी बस देखती रही, और चुपचाप अपने साथियों को लेकर वहां से चली गई। लगभग घंटे भर तक पांचों बैठे रहे। हॉल में इंतजार कर रहे आर्यमणि के सभी सुभचिंतक अपने घुटनों पर बैठकर ही आर्यमणि को बधाई दे रहे थे। घंटे भर बाद पूरा हॉल खाली हो गया। सभी जब खड़े हुये तभी तीनों टीन चिल्लाते हुए... "किस्स, किस्स, किस्स, किस्स"


एक लड़की, उसमे भी भारतीय लड़की होने का एहसास पहली बार जाग रहा था। रूही शर्म से पानी पानी हो गयी। फिर वो रुक नहीं पायी और शर्माकर अपने कमरे मे भाग गयी।


अलबेली:- बॉस एक बात बतानी थी..

आर्यमणि:- हां बॉस बोलिये…

अलबेली:- अपने पैक मे एक लड़के कि शख्त जरूरत है..

आर्यमणि:- मतलब???


इवान:- मैं और अलबेली अब आप समझ जाओ। थोड़ी झिझक हो रही है हमे बताने मे। चलो स्वीटी हम लोग ड्राइव पर चलते है।


इवान और अलबेली कंधे पर हाथ डाले निकल गये। आर्यमणि हंसते हुए दोनों को जाते देख रहा था। फिर पास खड़ी ओजल पर नजर गयी। आर्यमणि उसे खुद मे समेटकर, उसका माथा चूमते... "हम सब मे सबसे समझदार। जब मै बाहर निकल कर रूही के पास जा रहा था, तब क्या कह रही थी।"


सवाल जैसे ही हुए, ओजल के आंखों में आंसू आ गये। रोती हुई... "बहुत शिकायत थी ज़िन्दगी से। सबसे दर्द तो ये बात देती रही कि हमारी आई कितनी तकलीफ और दर्द से गुजरी होंगी। लोग आइयाशी करके गये और उस गंदे से बीज को नतीजा हम थे, जिसे 15 साल तक एक बंद कमरा मिला। अब मुझसे बोला नहीं जायेगा। बस इस ज़िन्दगी के लिए दिल से धन्यवाद। आज मर भी जाऊं ना तो गम नहीं होगा।"


आर्यमणि, ओजल के आंखों के आंसू पोछते.… "मैं रूही से उसी धरती पर शादी करूंगा। बहुत भाग लिये अब नहीं। अब उनको उनके किये की सजा देनी है।"


ओजल:- प्लीज नहीं। नहीं.. नहीं लौटना वहां... यहीं अच्छे हैं। ऐसा लग रहा है अभी तो जिंदगी शुरू हुई है।


आर्यमणि:- चुप हो जाओ। पैक मे एक प्यारा सा लड़का ले आता हूं, फिर अपना ये पैक कंप्लीट हो जायेगा।


ओजल:- ऐसा मत करो। मुझे अभी जीना है। प्लीज मुझे मत बांधो। जब भी कोई पसंद आयेगा वो पैक में आ जायेगा। मुझे बांधो मत भैया। मुझे अभी खुलकर जीना है। सॉरी..


आर्यमणि:- अब ये सॉरी क्यों...


ओजल:- मुझे अपने दोस्तों को फुटबॉल सीखाने जाना था और मै लेट हो गई। बाद में मिलती हूं भैया.…


आर्यमणि सबकी हरकतों को समझ रहा था और अंदर से हंस भी रहा था। रूही के कान बाहर ही थे। जैसे ही ओजल बाहर गयी, रूही की धड़कने ऐसी ऊपर–नीचे हुई की बेचारी को श्वांस लेना दूभर हो गया। शेप कब शिफ्ट हुआ रूही को खुद पता नहीं, बावजूद इसके धड़कन थी कि बेकाबू हुई जा रही थी।
Bahut hi umda Update tha nain11ster bhai. Aadhe logo ne socha hoga osun se ye sub kah raha hai aary lakin aapne bikul sahi ladki select kiya. Ruhi se perfect fihal to mujhe koi nahi dikha aarya ke liye. Aur ab to apne hero ne haa bhi kah diya hai. Osun kahi na kahi matlabi hai aur ye baat hamara hero sayad phle se hi janta hai. Lakin wo dost ke nate aur uska waha se bachane ke karan bachana chahata tha. Ab to aarya ne wapas jane ki baat bhi kah di hai. To Matlab ab wapas india aane ki taiyari jaldi hi hogi. Aur ye rani madhumakhi aisa kyu lagta hai ki osun ke ander ghus gaya hai. Aisa mujhe lagta hai baki aapka kuch kah nahi skta hu kab kya asal la de.
 

Battu

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भाग:–94





बॉब अपने माथे के पसीने को पोंछते बस दुआ ही कर रहा था। 2 मिनट गुजरे होंगे की आर्यमणि का शरीर जोड़ों का झटका लिया और वो एक बार आंख खोलकर मूंद लिया। वहीं ओशुन भी आंख खोलकर बैठ चुकी थी। ओशुन जागते ही हैरानी से चारो ओर देखने लगी।


"मै यहां कैसे पहुंची।….. आह्हहहहहहहह! ये पीड़ा"… ओशुन बॉब से सवाल करती हुई बेड से नीचे उतर रही थी लेकिन कमजोर इतना थी की वो लड़खड़ा कर आर्यमणि के ऊपर गिर गयी। गहरी श्वांस लेती ओशुन अब तक की सबसे मनमोहक खुसबू को दोबारा अपने श्वांस के द्वारा खुद में मेहसूस करती हुई मुस्कुरा दी। अपने चेहरे पर आये बाल को पीछे झटकती हुई अपना चेहरा उठाया और आर्यमणि को देखने लगी।


वो देखने में ऐसा गुम हुई की अपने टूट रहे शरीर का पूरा दर्द भूल गयी। आर्यमणि के होंठ चूमने के लिये होंठ जैसे फर फरा रहे हो। ओशुन खुद को रोक नहीं पायी और अपने होंठ आर्यमणि के होंठ से स्पर्श कर दी। जैसे ही ओशुन ने आर्यमणि के होंठ अपने होंठ से स्पर्श की वो चौंक कर पीछे हटी…

"बॉब यहां क्या हुआ था, आर्यमणि के होंठ इतने ठंडे और चेहरा इतना पिला क्यों पड़ा है? क्या तेज करंट की वायर घुसा दिये हो इसके अंदर?"..


"आर्यमणि के ऊपर से तुम हट जाओ, वो कुछ देर से जाग जाएगा। तुम ऊपर जाकर रेस्ट करो मै सब समझा दूंगा।"… बॉब रूही, अलबेली, ओजल और इवान को एंटीडोट का इंजेक्शन देते हुये कहने लगा। बॉब को जब इंजेक्शन लगाते देखी, तब ओशुन का ध्यान उस ओर गया जहां आर्यमणि का हाथ, पाऊं पकड़े आर्यमणि के शरीर से लगे अल्फा पैक बेड पर मूर्छित लेटे थे।


"बॉब ये चारो कौन है, और यहां आर्यमणि के साथ इनको भी क्या हुआ है?"… ओशुन फिर से सवाल पूछना शुरू कि..


बॉब:- तुम ऊपर जाकर रेस्ट करो, आर्यमणि जब जाग जाएगा तब सभी सवालों के जवाब भी मिल जाएंगे…


ओशुन:- शायद वो सोया ही मेरी किस्मत से है। जागते हुए मै उसका सामना नहीं कर पाऊंगी। मुझे लगता है मेरा पैक यहीं कहीं आसपास है। मै उनसे सब कुछ जान लूंगी। आर्यमणि जब जागे तो उससे कहना मै उसकी दुनिया नहीं हूं।


ओशुन अपनी बात जैसे ही समाप्त कि, बॉब ने उसे एक जोरदार थप्पड़ लगा दिया… "भाग जाओ यहां से वरना मै पहली बार किसी वेयरवुल्फ का शिकार करूंगा। तुम्हे यहां सब क्या नाटक लग रहा है। तुम्हे नींद से जगाने के लिए वो देख रही हो 4 लोगों को जो आर्यमणि के पैक है, उन्हें खुद को ऐसे मौत का इंजेक्शन लेना पड़ा, जो उनको पहले मिनिट से मौत दे रही है। पता नहीं उनके कितने सारे ऑर्गन अंदर से डैमेज हो चुके होंगे। मैं उन चारो के मुंह से निकले खून को पोंछते-पोंछते परेशान हो गया। आर्यमणि को अंदर कितने देर तक बिजली के झटके लगते रहे हैं, पता भी है तुम्हे? आर्यमणि द्वारा सालों से जमा किया हुआ टॉक्सिक गायब हो गया। उसके शरीर का खून लगभग गायब हो गया। यहां जितने भी वुल्फ है हर किसी से खून लिया गया और महज 2 मिनट में ही उनके शरीर का आधा खून गायब हो गया। तुम्हे बचाने के लिए इतने लोग लगे थे। और जब तुम जाग रही हो तो यहां से जाने की सोच रही। भागो यहां से इस से पहले की मै तुम्हे मार दूं, स्वार्थी।"..


ओशुन:- बॉब मेरी बात सुनो, आर्य जाग गया तो मै उसे छोड़कर नहीं जा पाऊंगी। और मै आर्य के साथ बंधकर रह नहीं सकती। प्यार तो बहुत है बॉब लेकिन मै आर्यमणि की दुनिया नहीं हूं।


आर्यमणि:- बेहतर होता ये बात तुम मुझसे कहती ओशुन। अब चुकी मै जाग चुका हूं तो क्यों ना तुम थोड़ी देर यहां आराम कर लो..


ओशुन एक कदम पीछे हटती… "नहीं रहने दो मुझे दर्द अच्छा लग रहा है।"..


आर्यमणि:- मै अभी इस हालत में नहीं की तुम तक भागकर पहुंच सकूं इसलिए आ जाओ।


ओशुन:- देखो आर्य, मुझे बस यहां से जाना है, समझे तुम।


आर्यमणि:- कहां जाना है। रोमानिया, कैलिफोर्निया, कैन्स, टेक्सास, लंदन, बार्सिलोना, टर्की.. ऐसी कौन सी जगह जहां का पता मेरी जानकारी मे ना हो। प्यार होता तो शायद जाने देता, लेकिन यहां बहुत कुछ दाव पर लग गया है। ऐसे कैसे जाने दूं ओशुन। बॉब क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो?


ओशुन:- अभी तुम्हारे पैक को तुम्हारी जरूरत है।


आर्यमणि:- मेरे पैक ने अपना काम कर दिया बाकी डिटेल जागने के बाद ले लूंगा। बॉब ने लगता है इन सबकी जान बचा ली है। सभी खतरे से बाहर हैं। थैंक्स बॉब।


आर्यमणि की बात सुनकर बॉब के चेहरे का रंग बदल गया। आर्यमणि को बात जितनी आसान लगती थी उतनी थी नही। लेकिन तभी दर्द भरी आह के साथ बॉब चिल्लाते…. "ये क्या है?"…. बॉब सोच में डूबा था कि आर्यमणि को कैस्टर के फूल की जानकारी कैसे दे। इतने में उसे थोड़ी पीड़ा हुई और सबका ध्यान नीचे बॉब के पाऊं में था। नीचे का भयानक नजारा देखकर सबकी आंखे फैल गयी।


दरसल जिस जगह सभी लोग खड़े थे वहां का फ्लोर मिट्टी का ही था और मिट्टी के नीचे से वही काली चमकीली मधुमक्खियां निकल रही थी, जो आर्यमणि को 2 दुनिया के बीच मिली थी। लाखों की तादात में वह बाहर निकली और देखते ही देखते वहां मौजूद हर किसी के पाऊं के नीचे उन मधुमक्खियों का ढेर लगा था। हर किसी के पाऊं में हल्का डंक लगने का एहसास हुआ और उसके बाद अपनी आंखों से देख रहे थे कि कैसे डंक मारने के बाद मधुमक्खी राख के समान ढेर होकर हवा में उड़ गयी। न केवल डंक मारने वाली मधुमक्खी बल्कि लाखो मधुमक्खियां एक साथ राख के कण समान हवा में उड़ने लगे। कुछ देर के लिये तो बंकर के नीचे बने इस खुफिया जगह हाल ऐसा हो गया जैसे बारूद विस्फोट के बाद चारो ओर का माहोल हो जाता है। वो तो भला हो टेक्नोलॉजी का जो उस जमीन के नीचे बने खुफिया जगह में इन मधुमक्खियों की राख को बाहर निकालने के लिये बड़े–बड़े पंखे लगे थे, वरना कुछ देर में सभी दम घुटने से मर जाते।


बॉब:– आर्य ये क्या था?


आर्यमणि:– बॉब तुम्हारे अंदर ये मधुमक्खी घुसी तो नही ?


बॉब:– क्या !!!! ये शरीर के अंदर घुस जाती है??


आर्यमणि:– हां मुझपर तो इन मधुमक्खियों ने ऐसे ही हमला किया था। पलक झपकते ही मेरे बदन के अंदर। उसके बाद जो अंदर से मेरे मांस को नोचना इन्होंने शुरू किया, क्या बताऊं मैं कितनी पीड़ा मेहसूस कर रहा था। फिर तो 12000 वोल्ट का करेंट मुझे ज्यादा आरामदायक लगा था।


बॉब:– शुक्र है मुझे ऐसी कोई पीड़ा नहीं हो रही। रुको फिर भी चेक करने दो...


बॉब अपना पाऊं ऊपर करके डंक लगने के स्थान को देखा। वहां की चमरी हल्की लाल थी लेकिन कुछ अंदर घुसा हो ऐसे कहीं कोई सबूत नहीं थे। बॉब पूरी तसल्ली के बाद.… "अब इन मधुमक्खी बारे में कुछ और डिटेल बताओगे?"


आर्यमणि:– मैं क्या वहां इन्ही पर रिसर्च करने गया था। जितना जानता था बता दिया।


बॉब कुछ सोचते.… "ये मधुमक्खियां बेवजह ही तुम्हारे अंदर नही घुसी थी। उसे दूसरी दुनिया से अपनी दुनिया में आने के लिये एक होस्ट चाहिए था, इसलिए तुम्हारे शरीर में घुसी थी। वहां तुम इसके होस्ट नही बन पाये, इसलिए मजबूरी में इन्हे सीधा ही अपने मधुमक्खी के स्वरूप में यहां के वातावरण में निकलना पड़ा। जिसका नतीजा तो तुम सबने देख ही लिया।


बॉब कह तो सही रहा था। एक बार आर्यमणि के शरीर पर उनका कब्जा हो जाता तब वो मधुमक्खियां सीधा आर्यमणि के शरीर को ही रूट बना लेती। आंख तो आर्यमणि खोलता लेकिन उसके अंदर लाखों मधुमक्खियां समा चुकी होती। परंतु ऐसा हो न सका। जब मधुमक्खी बिना किसी होस्ट मध्यम से बाहर निकली तब बाकी सारी मधुमक्खियां तो यहां के वातावरण में विलीन हो गयी, लेकिन जिस ओर इन सबका ध्यान नहीं गया वह थी, रानी मधुमक्खी जो जीवित थी और अपना होस्ट चुन चुकी थी। जिसका बारे में इन्हे भनक तक नहीं लगी।


बहरहाल छोटे से कौतूहल के बाद आर्यमणि ने अपने पैक को देखा और बॉब को घूरते.…. "बॉब इन मधुमक्खियों के कौतूहल के बीच जो रह गया उसका जबाव दो पहले। क्या मेरा पैक सुरक्षित है?


बॉब, संकोच में डूबता, बड़े धीमे से कहा…. "आर्य ये चारो कैस्टर ऑयल प्लांट के फ्लॉवर के संपर्क में साढ़े 5 घंटे से हैं। मैंने इन्हे स्ट्रॉन्ग एनेस्थीसिया दिया था और तुम्हारे जागने के कुछ वक़्त पहले एंटीडोट। थोड़ा सा हील होने के कारण मुंह से शायद खून नहीं निकल रहा वरना..


जैसे ही बॉब ने यह बात बताई आर्यमणि की आंख फटी की फटी रह गई। कैस्टर के फूल के बारे में आर्यमणि को भी पता था। एक ऐसा जहर जो पहले मिनट से मौत की वह भयावाह पीड़ा देता है कि इसके संपर्क में आये लोग अगले 5 मिनट में खुद की जान ले ले, जबकि पूर्ण रूप से मृत्यु तो 8 घंटे बाद होती है। आर्यमणि के दिमाग में सवाल तो बहुत थे लेकिन उसे पूछने के लिए वक़्त ना था।


आर्यमणि बिना वक्त गवाए ओजल और रूही के पेट पर अपना हाथ रखा और उसे हील करने लगा। कैस्टर के फूल का जहर शायद आर्यमणि पर काफी बुरा असर कर रहा था, ऊपर से कुछ देर पहले ही उसके शरीर ने बहुत कुछ झेला था। दोनो को हील करने में आर्यमणि को काफी तकलीफ हो रही थीं। दर्द इतना असहनीय था कि मुंह से उसके काले झाग निकलने लगे, लेकिन फिर भी आर्यमणि ने दोनो (ओजल और रूही) के बदन से अपना हाथ नहीं हटाया।


लगभग 15 मिनट बाद रूही और ओजल की सुकून भरी श्वांस आर्यमणि ने मेहसूस किया। रक्त संचार बिल्कुल सुचारू रूप से चल रहा था।… "बॉब शायद मै 12-13 घंटे ना जाग पाऊं, चारों को बता देना।"


इतना कहकर आर्यमणि एक 2 बेड के बीच में स्टूल लगा कर बैठ गया। अपने पास एक डस्टबिन का डब्बा लगा दिया। अपना चेहरा डस्टबिन में घुसाकर आर्यमणि आंखे मूंदा और अलबेली और इवान के बदन पर अपना हाथ रख दिया। आर्यमणि की बंद आंख जैसे फटने वाली हो। कान जैसे सुन पर चुके थे और हृदय मानो कह रहा हो, इतना जहर नहीं संभाल पाऊंगा।


वहीं आर्यमणि जिद पर अड़ा था कि मैंने सारे टॉक्सिक बाहर निकाल दिए, कुछ तो समेट लेने दो। आर्यमणि के लिए आज का दिन मुश्किलों भरा था, शायद सबसे ज्यादा दर्द वाला दिन कहना गलत नही होगा। उसके बंद आखों के किनारे से काली रक्त की एक धारा बह रही थी उसके नाक से काली रक्त की धार बह रही थी। दोनो कान का भी वही हाल था। मुंह में भी बेकार से स्वाद का वो काला रक्त भर रहा था, जिसे आर्यमणि लगातार डस्टबिन में थूक रहा था।


दर्द से वो केवल चिल्लाया नहीं लेकिन उसकी शरीर कि हर एक नब्ज जवाब दे गई थी। उसके मस्तिष्क का हर हिस्सा बिल्कुल फटने को तैयार था। धड़कन बिल्कुल धीमे होती… ध…क, ध……क"


उसकी हालत देखकर बॉब और ओशुन उसकी ओर हड़बड़ा कर आर्यमणि को रुकने के लिए कहा, लेकिन किसी तरह वो अपना दूसरा हाथ उठाता उन लोगों को अपनी जगह खड़े रहने का इशारा किया। इवान और अलबेली के हीलिंग में बिताया 15 मिनट आर्यमणि के हृदय की गति को लगभग शून्य कर चुकी थी।


जहां एक मिनट में उसका दिल 30-35 बार धड़कता था वहीं अब 1 मिनट में 5 बार भी बड़ी मुश्किल से धड़क रहा था। आखिरकार आर्यमणि को वो एहसास मिल ही गया, जिसके लिये वो कोशिश कर रहा था। जैसे ही इवान और अलबेली ने चैन की गहरी श्वांस ली, आर्यमणि धम्म से नीचे गिर गया.…


चारो ओर जगमग–जगमग रौशनी थी। पूरी दीवारों पर रंग–बिरंगी कई खूबसूरत पलों की तस्वीरें थी। उन तस्वीरों में मां जया, पापा केशव थे। भूमि दीदी थी। चित्रा और निशांत थे। निशांत की नई गर्लफ्रेंड सोहिनी थी। चित्रा और माधव के साथ की कई खूबसूरत तस्वीरें थी। भूमि दीदी के गोल मटोल बेबी की तस्वीर थी। चारो ओर दीवार पर कई खूबसूरत पलों की तस्वीरें ही तस्वीरें थी।


आर्यमणि ने आंखें खोली और आंखों के सामने जैसे उसकी भावनाओं को लगा दिया गया था। चेहरे कि भावना आंखों से बहने लगी थी। जब उसने गौड़ से देखा वो कैलिफोर्निया मे था। तेज़ी से भागकर बाहर आया। बाहर हॉल का नजारा भी जगमग–जगमग था। हॉल का माहोल पूरा भरा पूरा था। हॉल में आर्यमणि को देखने वालों की कमी नही थी। मैक्सिको की कैद से रिहा हुये कई वुल्फ, बॉब, लोस्की की पूरी टीम और ओशुन और वुल्फ हाउस से ताकत हासिल करके गये ओशुन के साथी वहां आर्यमणि के जागने का इंतजार कर रहे थे।


आर्यमणि जैसे ही कमरे से बाहर आया सब आर्यमणि को देख रहे थे। लेकिन आर्यमणि…… वो तो अपनी खुशी को देख रहा था। फिर उसके कदम ना रुके। दिल को ऐसा लग रहा था जैसे मुद्दातों हो गये तुमसे मिले। आर्यमणि के रास्ते में जो भी आया उसे किनारे करते आगे बढ़ा। ओजल, अलबेली, और इवान तीनों काफी खुशी से कुछ कहने के लिये आर्यमणि के करीब आये लेकिन आर्यमणि उन्हें अनसुना कर गया, वो लड़कड़ते, हड़बड़ाते आगे बढ़ रहा था।


झटके के साथ गले लगा और तेज श्वांस खींचकर तन की खुशबू को अपने जहन में बसाते.… "मुझे नहीं पता की तुम्हे देखकर कभी दिल धड़का भी हो, लेकिन बंकर में जब मै आंखें मूंद रहा था, तब एक ही इक्छा अंदर से उमड़ कर आ रही थी... अभी तुम्हारे साथ मुझे बहुत जीना है। इतना की ज़िन्दगी तंग होकर कह दे, अब बहुत हुआ साथ जीना, चैन से मर जा। फिर चेहरे पर एक सुकून होगा की हां तुम्हारे साथ पूरा जीने के बाद मैं मर रहा हूं। उस आखिरी मुकाम तक तुम्हारे साथ जीना है। मुझसे शादी करोगी रूही?"


जबसे आर्यमणि, रूही के गले लगकर अपनी भावना व्यक्त रहा था, सबको जैसे अचंभा सा हुआ था। आर्यमणि की भावना सुनकर रूही से खड़ा रह पाना मुश्किल हो गया। बेजान फिसलती वो अपने दोनो घुटनों पर बैठी थी। सर झुका था और रोने की सिसकियां हर किसी के कान में सुनाई दे रही थी। वो रोई तो भला उसके परिवार के आंखों में आंसू क्यूं न हो? इवान, अलबेली और ओजल तीनों साथ खड़े थे। तीनों ही रो पड़े। खुशी ऐसी थी कि संभाले ना संभाल रहा था।


आर्यमणि भी घुटनों पर आ गया। बालों के नीचे चेहरा छिपाकर रूही आंसू बहा रही थी। आर्यमणि भी बैठकर आंसू बहा रहा था। तभी रूही झटक कर अपने बाल ऊपर करती, रुआंसी आवाज में... "बॉस खड़े हो जाओ.. तुम.. तुम..."


कहना तो चाह रही थी कि "बॉस तुम घुटने पर कैसे हो सकते हो।" लेकिन हिचकियां और सिसकियां मे उसके शब्द उलझ गये। तीनों टीन वुल्फ उन्हें घेरकर बैठ गये। सभी एक दूसरे के कंधे पर हाथ डालकर बस एक दूसरे को देख रहे थे। चेहरे पर हंसी थी, आंखों में आंसू और दिल में उससे भी ज्यादा रोमांच।


ओशुन खामोश खड़ी बस देखती रही, और चुपचाप अपने साथियों को लेकर वहां से चली गई। लगभग घंटे भर तक पांचों बैठे रहे। हॉल में इंतजार कर रहे आर्यमणि के सभी सुभचिंतक अपने घुटनों पर बैठकर ही आर्यमणि को बधाई दे रहे थे। घंटे भर बाद पूरा हॉल खाली हो गया। सभी जब खड़े हुये तभी तीनों टीन चिल्लाते हुए... "किस्स, किस्स, किस्स, किस्स"


एक लड़की, उसमे भी भारतीय लड़की होने का एहसास पहली बार जाग रहा था। रूही शर्म से पानी पानी हो गयी। फिर वो रुक नहीं पायी और शर्माकर अपने कमरे मे भाग गयी।


अलबेली:- बॉस एक बात बतानी थी..

आर्यमणि:- हां बॉस बोलिये…

अलबेली:- अपने पैक मे एक लड़के कि शख्त जरूरत है..

आर्यमणि:- मतलब???


इवान:- मैं और अलबेली अब आप समझ जाओ। थोड़ी झिझक हो रही है हमे बताने मे। चलो स्वीटी हम लोग ड्राइव पर चलते है।


इवान और अलबेली कंधे पर हाथ डाले निकल गये। आर्यमणि हंसते हुए दोनों को जाते देख रहा था। फिर पास खड़ी ओजल पर नजर गयी। आर्यमणि उसे खुद मे समेटकर, उसका माथा चूमते... "हम सब मे सबसे समझदार। जब मै बाहर निकल कर रूही के पास जा रहा था, तब क्या कह रही थी।"


सवाल जैसे ही हुए, ओजल के आंखों में आंसू आ गये। रोती हुई... "बहुत शिकायत थी ज़िन्दगी से। सबसे दर्द तो ये बात देती रही कि हमारी आई कितनी तकलीफ और दर्द से गुजरी होंगी। लोग आइयाशी करके गये और उस गंदे से बीज को नतीजा हम थे, जिसे 15 साल तक एक बंद कमरा मिला। अब मुझसे बोला नहीं जायेगा। बस इस ज़िन्दगी के लिए दिल से धन्यवाद। आज मर भी जाऊं ना तो गम नहीं होगा।"


आर्यमणि, ओजल के आंखों के आंसू पोछते.… "मैं रूही से उसी धरती पर शादी करूंगा। बहुत भाग लिये अब नहीं। अब उनको उनके किये की सजा देनी है।"


ओजल:- प्लीज नहीं। नहीं.. नहीं लौटना वहां... यहीं अच्छे हैं। ऐसा लग रहा है अभी तो जिंदगी शुरू हुई है।


आर्यमणि:- चुप हो जाओ। पैक मे एक प्यारा सा लड़का ले आता हूं, फिर अपना ये पैक कंप्लीट हो जायेगा।


ओजल:- ऐसा मत करो। मुझे अभी जीना है। प्लीज मुझे मत बांधो। जब भी कोई पसंद आयेगा वो पैक में आ जायेगा। मुझे बांधो मत भैया। मुझे अभी खुलकर जीना है। सॉरी..


आर्यमणि:- अब ये सॉरी क्यों...


ओजल:- मुझे अपने दोस्तों को फुटबॉल सीखाने जाना था और मै लेट हो गई। बाद में मिलती हूं भैया.…


आर्यमणि सबकी हरकतों को समझ रहा था और अंदर से हंस भी रहा था। रूही के कान बाहर ही थे। जैसे ही ओजल बाहर गयी, रूही की धड़कने ऐसी ऊपर–नीचे हुई की बेचारी को श्वांस लेना दूभर हो गया। शेप कब शिफ्ट हुआ रूही को खुद पता नहीं, बावजूद इसके धड़कन थी कि बेकाबू हुई जा रही थी।
नैन भाई आज आपने फिर मास्टर स्ट्रोक मार दिया। सबके विचारो को उलट कर आर्य बॉस की हेरोइन रही को बना दिया और वो डिसर्व भी करती थी। पलक पर पहले ही आप खुलासा कर चुके हो कि वो एलियन है। सात्विक आश्रम के गुरु को मारने में उसका भी हाथ है भले ही वो जासूसी ही क्यों न कर रही थी। ओशुन का कैरेक्टर स्वार्थ से भरा है पहले भी इसने आर्य के जान की कोई फिक्र न करते हुए उसे ईडन से भिड़वा दिया। फिर उसे छोड़ कर भाग गई और आज उसे मौत के मुह से निकलने के बाद भी उसे स्वार्थ ही दिखा। उसने कभी आर्यमणि की तरफ से उसके दिल की आवाज़ नही सुनी। रूही और पूरा पैक आर्य के लिए मरने के लिए तैयार हो गया। उसके कदम से कदम मिला कर चल रहा है एक दूसरे का सहारा एवं हिम्मत बन रहा है तो उसमें से रूही को चुनना एक दम सही फैसला। रही पर आर्य काम कर दूसरी फेहरिन बना सकता है । इवान और ओजल का तो कहना ही क्या क्योकि फहरिन और एलियन के संकर से तैयार प्रोडक्ट है जिन्हें भूमि की परवरिश और आर्य जैसा गुरु मिला जो आगे जा कर बहुत ही ताकतवर बनने वाले है। अब शायद पैक को बड़ा बनाने का समय भी आ गया है और सबको साथ ट्रैन भी करना होगा भविष्य की लड़ाई के लिए। शानदार अपडेट।
 

ASR

I don't just read books, wanna to climb & live in
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nain11ster मित्र ये हुई न बात अति सुन्दर अपडेट... 😍
कई सारे मुद्दों पर चर्चा करते हुये बॉब की आर्य व उसके पैक के लिए निष्ठा हमदर्दी अतुलनीय है 😍 आर्य का सक्षम व सच्चा हितैषी है 😍
ओसुन तो अपनी गिल्टी कौन्सिस से सामना नहीं कर पा रहीं हैं इसी लिय वो बिना कुछ सोचे समझे आर्य से दूर रहना चाहती है ताकि वो अपनी ग्लानि को दिखा न सके कई गालियों के साथ वो दूर हो रहना चाहती है.. वैसे भी रानी 🐝 मधु मक्खी लगता है उसके शरीर में प्रवेश कर चुकी है.. ये आगे क्या गुल खिलायेगा देखते हैं..

रूही बहुत ही संवेदनशीलता के साथ आपने आर्य के दिलों जिगर मे बसा दिया 😊 💕

अब तो कई घटनाक्रम के नीव डाल दिए हैं, बहुत ही मज़ेदार रोमांचक होने की तैयारी है 😍
प्रहरियों ने भी अपनी पलटन को आर्य को व उनके चुराए हुए महत्तवपूर्ण अस्त्र शास्त्र को खोजने मे लगा रखा है 😍.. अपनी व पलक की ट्रेनिंग भी चल रही है.. बहुत कुछ दाव पर लगा है 😍..
अगले घटनाक्रम के इंतजार में 😊 💕
 

ASR

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Hidden answer tha ye... Khud se solve karne wala... Khair... Richh istri ki aatma ko wahan se khincha gaya tha... Aur Richh stri ko wapas jagane ki sara karya vidhi tanyrik Adhyat ne kiya tha... So yahan bhi Adhyat hi tha jisne grahon ki disha se ek upyukt sthan nikala aur wahan Oshun ke dimag ko lagbhag maar'kar uske aatma ko do duniya ke bich fasa diya...

Para Aryamani kisi bhi log me ruka kahan... Wah to bus aankh khol kar dikha diya ki bhai mai laut aaya... Aankh band isliye hua kyonki uske sharir ne abhi abhi bahut kuch jhela tha...

Aur baki ke deatil aapko update me mil jayenge ASR bhai
आपके द्वारा बताई गई ईन उपयोगी जानकारी के बाद कहानी में 😊 💕 ओर जिज्ञासा को साफ़ से समझ कर पढ़ने मे अलग ही आनंद होता है 😍 धन्यवाद
 

Lib am

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भाग:–94





बॉब अपने माथे के पसीने को पोंछते बस दुआ ही कर रहा था। 2 मिनट गुजरे होंगे की आर्यमणि का शरीर जोड़ों का झटका लिया और वो एक बार आंख खोलकर मूंद लिया। वहीं ओशुन भी आंख खोलकर बैठ चुकी थी। ओशुन जागते ही हैरानी से चारो ओर देखने लगी।


"मै यहां कैसे पहुंची।….. आह्हहहहहहहह! ये पीड़ा"… ओशुन बॉब से सवाल करती हुई बेड से नीचे उतर रही थी लेकिन कमजोर इतना थी की वो लड़खड़ा कर आर्यमणि के ऊपर गिर गयी। गहरी श्वांस लेती ओशुन अब तक की सबसे मनमोहक खुसबू को दोबारा अपने श्वांस के द्वारा खुद में मेहसूस करती हुई मुस्कुरा दी। अपने चेहरे पर आये बाल को पीछे झटकती हुई अपना चेहरा उठाया और आर्यमणि को देखने लगी।


वो देखने में ऐसा गुम हुई की अपने टूट रहे शरीर का पूरा दर्द भूल गयी। आर्यमणि के होंठ चूमने के लिये होंठ जैसे फर फरा रहे हो। ओशुन खुद को रोक नहीं पायी और अपने होंठ आर्यमणि के होंठ से स्पर्श कर दी। जैसे ही ओशुन ने आर्यमणि के होंठ अपने होंठ से स्पर्श की वो चौंक कर पीछे हटी…

"बॉब यहां क्या हुआ था, आर्यमणि के होंठ इतने ठंडे और चेहरा इतना पिला क्यों पड़ा है? क्या तेज करंट की वायर घुसा दिये हो इसके अंदर?"..


"आर्यमणि के ऊपर से तुम हट जाओ, वो कुछ देर से जाग जाएगा। तुम ऊपर जाकर रेस्ट करो मै सब समझा दूंगा।"… बॉब रूही, अलबेली, ओजल और इवान को एंटीडोट का इंजेक्शन देते हुये कहने लगा। बॉब को जब इंजेक्शन लगाते देखी, तब ओशुन का ध्यान उस ओर गया जहां आर्यमणि का हाथ, पाऊं पकड़े आर्यमणि के शरीर से लगे अल्फा पैक बेड पर मूर्छित लेटे थे।


"बॉब ये चारो कौन है, और यहां आर्यमणि के साथ इनको भी क्या हुआ है?"… ओशुन फिर से सवाल पूछना शुरू कि..


बॉब:- तुम ऊपर जाकर रेस्ट करो, आर्यमणि जब जाग जाएगा तब सभी सवालों के जवाब भी मिल जाएंगे…


ओशुन:- शायद वो सोया ही मेरी किस्मत से है। जागते हुए मै उसका सामना नहीं कर पाऊंगी। मुझे लगता है मेरा पैक यहीं कहीं आसपास है। मै उनसे सब कुछ जान लूंगी। आर्यमणि जब जागे तो उससे कहना मै उसकी दुनिया नहीं हूं।


ओशुन अपनी बात जैसे ही समाप्त कि, बॉब ने उसे एक जोरदार थप्पड़ लगा दिया… "भाग जाओ यहां से वरना मै पहली बार किसी वेयरवुल्फ का शिकार करूंगा। तुम्हे यहां सब क्या नाटक लग रहा है। तुम्हे नींद से जगाने के लिए वो देख रही हो 4 लोगों को जो आर्यमणि के पैक है, उन्हें खुद को ऐसे मौत का इंजेक्शन लेना पड़ा, जो उनको पहले मिनिट से मौत दे रही है। पता नहीं उनके कितने सारे ऑर्गन अंदर से डैमेज हो चुके होंगे। मैं उन चारो के मुंह से निकले खून को पोंछते-पोंछते परेशान हो गया। आर्यमणि को अंदर कितने देर तक बिजली के झटके लगते रहे हैं, पता भी है तुम्हे? आर्यमणि द्वारा सालों से जमा किया हुआ टॉक्सिक गायब हो गया। उसके शरीर का खून लगभग गायब हो गया। यहां जितने भी वुल्फ है हर किसी से खून लिया गया और महज 2 मिनट में ही उनके शरीर का आधा खून गायब हो गया। तुम्हे बचाने के लिए इतने लोग लगे थे। और जब तुम जाग रही हो तो यहां से जाने की सोच रही। भागो यहां से इस से पहले की मै तुम्हे मार दूं, स्वार्थी।"..


ओशुन:- बॉब मेरी बात सुनो, आर्य जाग गया तो मै उसे छोड़कर नहीं जा पाऊंगी। और मै आर्य के साथ बंधकर रह नहीं सकती। प्यार तो बहुत है बॉब लेकिन मै आर्यमणि की दुनिया नहीं हूं।


आर्यमणि:- बेहतर होता ये बात तुम मुझसे कहती ओशुन। अब चुकी मै जाग चुका हूं तो क्यों ना तुम थोड़ी देर यहां आराम कर लो..


ओशुन एक कदम पीछे हटती… "नहीं रहने दो मुझे दर्द अच्छा लग रहा है।"..


आर्यमणि:- मै अभी इस हालत में नहीं की तुम तक भागकर पहुंच सकूं इसलिए आ जाओ।


ओशुन:- देखो आर्य, मुझे बस यहां से जाना है, समझे तुम।


आर्यमणि:- कहां जाना है। रोमानिया, कैलिफोर्निया, कैन्स, टेक्सास, लंदन, बार्सिलोना, टर्की.. ऐसी कौन सी जगह जहां का पता मेरी जानकारी मे ना हो। प्यार होता तो शायद जाने देता, लेकिन यहां बहुत कुछ दाव पर लग गया है। ऐसे कैसे जाने दूं ओशुन। बॉब क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो?


ओशुन:- अभी तुम्हारे पैक को तुम्हारी जरूरत है।


आर्यमणि:- मेरे पैक ने अपना काम कर दिया बाकी डिटेल जागने के बाद ले लूंगा। बॉब ने लगता है इन सबकी जान बचा ली है। सभी खतरे से बाहर हैं। थैंक्स बॉब।


आर्यमणि की बात सुनकर बॉब के चेहरे का रंग बदल गया। आर्यमणि को बात जितनी आसान लगती थी उतनी थी नही। लेकिन तभी दर्द भरी आह के साथ बॉब चिल्लाते…. "ये क्या है?"…. बॉब सोच में डूबा था कि आर्यमणि को कैस्टर के फूल की जानकारी कैसे दे। इतने में उसे थोड़ी पीड़ा हुई और सबका ध्यान नीचे बॉब के पाऊं में था। नीचे का भयानक नजारा देखकर सबकी आंखे फैल गयी।


दरसल जिस जगह सभी लोग खड़े थे वहां का फ्लोर मिट्टी का ही था और मिट्टी के नीचे से वही काली चमकीली मधुमक्खियां निकल रही थी, जो आर्यमणि को 2 दुनिया के बीच मिली थी। लाखों की तादात में वह बाहर निकली और देखते ही देखते वहां मौजूद हर किसी के पाऊं के नीचे उन मधुमक्खियों का ढेर लगा था। हर किसी के पाऊं में हल्का डंक लगने का एहसास हुआ और उसके बाद अपनी आंखों से देख रहे थे कि कैसे डंक मारने के बाद मधुमक्खी राख के समान ढेर होकर हवा में उड़ गयी। न केवल डंक मारने वाली मधुमक्खी बल्कि लाखो मधुमक्खियां एक साथ राख के कण समान हवा में उड़ने लगे। कुछ देर के लिये तो बंकर के नीचे बने इस खुफिया जगह हाल ऐसा हो गया जैसे बारूद विस्फोट के बाद चारो ओर का माहोल हो जाता है। वो तो भला हो टेक्नोलॉजी का जो उस जमीन के नीचे बने खुफिया जगह में इन मधुमक्खियों की राख को बाहर निकालने के लिये बड़े–बड़े पंखे लगे थे, वरना कुछ देर में सभी दम घुटने से मर जाते।


बॉब:– आर्य ये क्या था?


आर्यमणि:– बॉब तुम्हारे अंदर ये मधुमक्खी घुसी तो नही ?


बॉब:– क्या !!!! ये शरीर के अंदर घुस जाती है??


आर्यमणि:– हां मुझपर तो इन मधुमक्खियों ने ऐसे ही हमला किया था। पलक झपकते ही मेरे बदन के अंदर। उसके बाद जो अंदर से मेरे मांस को नोचना इन्होंने शुरू किया, क्या बताऊं मैं कितनी पीड़ा मेहसूस कर रहा था। फिर तो 12000 वोल्ट का करेंट मुझे ज्यादा आरामदायक लगा था।


बॉब:– शुक्र है मुझे ऐसी कोई पीड़ा नहीं हो रही। रुको फिर भी चेक करने दो...


बॉब अपना पाऊं ऊपर करके डंक लगने के स्थान को देखा। वहां की चमरी हल्की लाल थी लेकिन कुछ अंदर घुसा हो ऐसे कहीं कोई सबूत नहीं थे। बॉब पूरी तसल्ली के बाद.… "अब इन मधुमक्खी बारे में कुछ और डिटेल बताओगे?"


आर्यमणि:– मैं क्या वहां इन्ही पर रिसर्च करने गया था। जितना जानता था बता दिया।


बॉब कुछ सोचते.… "ये मधुमक्खियां बेवजह ही तुम्हारे अंदर नही घुसी थी। उसे दूसरी दुनिया से अपनी दुनिया में आने के लिये एक होस्ट चाहिए था, इसलिए तुम्हारे शरीर में घुसी थी। वहां तुम इसके होस्ट नही बन पाये, इसलिए मजबूरी में इन्हे सीधा ही अपने मधुमक्खी के स्वरूप में यहां के वातावरण में निकलना पड़ा। जिसका नतीजा तो तुम सबने देख ही लिया।


बॉब कह तो सही रहा था। एक बार आर्यमणि के शरीर पर उनका कब्जा हो जाता तब वो मधुमक्खियां सीधा आर्यमणि के शरीर को ही रूट बना लेती। आंख तो आर्यमणि खोलता लेकिन उसके अंदर लाखों मधुमक्खियां समा चुकी होती। परंतु ऐसा हो न सका। जब मधुमक्खी बिना किसी होस्ट मध्यम से बाहर निकली तब बाकी सारी मधुमक्खियां तो यहां के वातावरण में विलीन हो गयी, लेकिन जिस ओर इन सबका ध्यान नहीं गया वह थी, रानी मधुमक्खी जो जीवित थी और अपना होस्ट चुन चुकी थी। जिसका बारे में इन्हे भनक तक नहीं लगी।


बहरहाल छोटे से कौतूहल के बाद आर्यमणि ने अपने पैक को देखा और बॉब को घूरते.…. "बॉब इन मधुमक्खियों के कौतूहल के बीच जो रह गया उसका जबाव दो पहले। क्या मेरा पैक सुरक्षित है?


बॉब, संकोच में डूबता, बड़े धीमे से कहा…. "आर्य ये चारो कैस्टर ऑयल प्लांट के फ्लॉवर के संपर्क में साढ़े 5 घंटे से हैं। मैंने इन्हे स्ट्रॉन्ग एनेस्थीसिया दिया था और तुम्हारे जागने के कुछ वक़्त पहले एंटीडोट। थोड़ा सा हील होने के कारण मुंह से शायद खून नहीं निकल रहा वरना..


जैसे ही बॉब ने यह बात बताई आर्यमणि की आंख फटी की फटी रह गई। कैस्टर के फूल के बारे में आर्यमणि को भी पता था। एक ऐसा जहर जो पहले मिनट से मौत की वह भयावाह पीड़ा देता है कि इसके संपर्क में आये लोग अगले 5 मिनट में खुद की जान ले ले, जबकि पूर्ण रूप से मृत्यु तो 8 घंटे बाद होती है। आर्यमणि के दिमाग में सवाल तो बहुत थे लेकिन उसे पूछने के लिए वक़्त ना था।


आर्यमणि बिना वक्त गवाए ओजल और रूही के पेट पर अपना हाथ रखा और उसे हील करने लगा। कैस्टर के फूल का जहर शायद आर्यमणि पर काफी बुरा असर कर रहा था, ऊपर से कुछ देर पहले ही उसके शरीर ने बहुत कुछ झेला था। दोनो को हील करने में आर्यमणि को काफी तकलीफ हो रही थीं। दर्द इतना असहनीय था कि मुंह से उसके काले झाग निकलने लगे, लेकिन फिर भी आर्यमणि ने दोनो (ओजल और रूही) के बदन से अपना हाथ नहीं हटाया।


लगभग 15 मिनट बाद रूही और ओजल की सुकून भरी श्वांस आर्यमणि ने मेहसूस किया। रक्त संचार बिल्कुल सुचारू रूप से चल रहा था।… "बॉब शायद मै 12-13 घंटे ना जाग पाऊं, चारों को बता देना।"


इतना कहकर आर्यमणि एक 2 बेड के बीच में स्टूल लगा कर बैठ गया। अपने पास एक डस्टबिन का डब्बा लगा दिया। अपना चेहरा डस्टबिन में घुसाकर आर्यमणि आंखे मूंदा और अलबेली और इवान के बदन पर अपना हाथ रख दिया। आर्यमणि की बंद आंख जैसे फटने वाली हो। कान जैसे सुन पर चुके थे और हृदय मानो कह रहा हो, इतना जहर नहीं संभाल पाऊंगा।


वहीं आर्यमणि जिद पर अड़ा था कि मैंने सारे टॉक्सिक बाहर निकाल दिए, कुछ तो समेट लेने दो। आर्यमणि के लिए आज का दिन मुश्किलों भरा था, शायद सबसे ज्यादा दर्द वाला दिन कहना गलत नही होगा। उसके बंद आखों के किनारे से काली रक्त की एक धारा बह रही थी उसके नाक से काली रक्त की धार बह रही थी। दोनो कान का भी वही हाल था। मुंह में भी बेकार से स्वाद का वो काला रक्त भर रहा था, जिसे आर्यमणि लगातार डस्टबिन में थूक रहा था।


दर्द से वो केवल चिल्लाया नहीं लेकिन उसकी शरीर कि हर एक नब्ज जवाब दे गई थी। उसके मस्तिष्क का हर हिस्सा बिल्कुल फटने को तैयार था। धड़कन बिल्कुल धीमे होती… ध…क, ध……क"


उसकी हालत देखकर बॉब और ओशुन उसकी ओर हड़बड़ा कर आर्यमणि को रुकने के लिए कहा, लेकिन किसी तरह वो अपना दूसरा हाथ उठाता उन लोगों को अपनी जगह खड़े रहने का इशारा किया। इवान और अलबेली के हीलिंग में बिताया 15 मिनट आर्यमणि के हृदय की गति को लगभग शून्य कर चुकी थी।


जहां एक मिनट में उसका दिल 30-35 बार धड़कता था वहीं अब 1 मिनट में 5 बार भी बड़ी मुश्किल से धड़क रहा था। आखिरकार आर्यमणि को वो एहसास मिल ही गया, जिसके लिये वो कोशिश कर रहा था। जैसे ही इवान और अलबेली ने चैन की गहरी श्वांस ली, आर्यमणि धम्म से नीचे गिर गया.…


चारो ओर जगमग–जगमग रौशनी थी। पूरी दीवारों पर रंग–बिरंगी कई खूबसूरत पलों की तस्वीरें थी। उन तस्वीरों में मां जया, पापा केशव थे। भूमि दीदी थी। चित्रा और निशांत थे। निशांत की नई गर्लफ्रेंड सोहिनी थी। चित्रा और माधव के साथ की कई खूबसूरत तस्वीरें थी। भूमि दीदी के गोल मटोल बेबी की तस्वीर थी। चारो ओर दीवार पर कई खूबसूरत पलों की तस्वीरें ही तस्वीरें थी।


आर्यमणि ने आंखें खोली और आंखों के सामने जैसे उसकी भावनाओं को लगा दिया गया था। चेहरे कि भावना आंखों से बहने लगी थी। जब उसने गौड़ से देखा वो कैलिफोर्निया मे था। तेज़ी से भागकर बाहर आया। बाहर हॉल का नजारा भी जगमग–जगमग था। हॉल का माहोल पूरा भरा पूरा था। हॉल में आर्यमणि को देखने वालों की कमी नही थी। मैक्सिको की कैद से रिहा हुये कई वुल्फ, बॉब, लोस्की की पूरी टीम और ओशुन और वुल्फ हाउस से ताकत हासिल करके गये ओशुन के साथी वहां आर्यमणि के जागने का इंतजार कर रहे थे।


आर्यमणि जैसे ही कमरे से बाहर आया सब आर्यमणि को देख रहे थे। लेकिन आर्यमणि…… वो तो अपनी खुशी को देख रहा था। फिर उसके कदम ना रुके। दिल को ऐसा लग रहा था जैसे मुद्दातों हो गये तुमसे मिले। आर्यमणि के रास्ते में जो भी आया उसे किनारे करते आगे बढ़ा। ओजल, अलबेली, और इवान तीनों काफी खुशी से कुछ कहने के लिये आर्यमणि के करीब आये लेकिन आर्यमणि उन्हें अनसुना कर गया, वो लड़कड़ते, हड़बड़ाते आगे बढ़ रहा था।


झटके के साथ गले लगा और तेज श्वांस खींचकर तन की खुशबू को अपने जहन में बसाते.… "मुझे नहीं पता की तुम्हे देखकर कभी दिल धड़का भी हो, लेकिन बंकर में जब मै आंखें मूंद रहा था, तब एक ही इक्छा अंदर से उमड़ कर आ रही थी... अभी तुम्हारे साथ मुझे बहुत जीना है। इतना की ज़िन्दगी तंग होकर कह दे, अब बहुत हुआ साथ जीना, चैन से मर जा। फिर चेहरे पर एक सुकून होगा की हां तुम्हारे साथ पूरा जीने के बाद मैं मर रहा हूं। उस आखिरी मुकाम तक तुम्हारे साथ जीना है। मुझसे शादी करोगी रूही?"


जबसे आर्यमणि, रूही के गले लगकर अपनी भावना व्यक्त रहा था, सबको जैसे अचंभा सा हुआ था। आर्यमणि की भावना सुनकर रूही से खड़ा रह पाना मुश्किल हो गया। बेजान फिसलती वो अपने दोनो घुटनों पर बैठी थी। सर झुका था और रोने की सिसकियां हर किसी के कान में सुनाई दे रही थी। वो रोई तो भला उसके परिवार के आंखों में आंसू क्यूं न हो? इवान, अलबेली और ओजल तीनों साथ खड़े थे। तीनों ही रो पड़े। खुशी ऐसी थी कि संभाले ना संभाल रहा था।


आर्यमणि भी घुटनों पर आ गया। बालों के नीचे चेहरा छिपाकर रूही आंसू बहा रही थी। आर्यमणि भी बैठकर आंसू बहा रहा था। तभी रूही झटक कर अपने बाल ऊपर करती, रुआंसी आवाज में... "बॉस खड़े हो जाओ.. तुम.. तुम..."


कहना तो चाह रही थी कि "बॉस तुम घुटने पर कैसे हो सकते हो।" लेकिन हिचकियां और सिसकियां मे उसके शब्द उलझ गये। तीनों टीन वुल्फ उन्हें घेरकर बैठ गये। सभी एक दूसरे के कंधे पर हाथ डालकर बस एक दूसरे को देख रहे थे। चेहरे पर हंसी थी, आंखों में आंसू और दिल में उससे भी ज्यादा रोमांच।


ओशुन खामोश खड़ी बस देखती रही, और चुपचाप अपने साथियों को लेकर वहां से चली गई। लगभग घंटे भर तक पांचों बैठे रहे। हॉल में इंतजार कर रहे आर्यमणि के सभी सुभचिंतक अपने घुटनों पर बैठकर ही आर्यमणि को बधाई दे रहे थे। घंटे भर बाद पूरा हॉल खाली हो गया। सभी जब खड़े हुये तभी तीनों टीन चिल्लाते हुए... "किस्स, किस्स, किस्स, किस्स"


एक लड़की, उसमे भी भारतीय लड़की होने का एहसास पहली बार जाग रहा था। रूही शर्म से पानी पानी हो गयी। फिर वो रुक नहीं पायी और शर्माकर अपने कमरे मे भाग गयी।


अलबेली:- बॉस एक बात बतानी थी..

आर्यमणि:- हां बॉस बोलिये…

अलबेली:- अपने पैक मे एक लड़के कि शख्त जरूरत है..

आर्यमणि:- मतलब???


इवान:- मैं और अलबेली अब आप समझ जाओ। थोड़ी झिझक हो रही है हमे बताने मे। चलो स्वीटी हम लोग ड्राइव पर चलते है।


इवान और अलबेली कंधे पर हाथ डाले निकल गये। आर्यमणि हंसते हुए दोनों को जाते देख रहा था। फिर पास खड़ी ओजल पर नजर गयी। आर्यमणि उसे खुद मे समेटकर, उसका माथा चूमते... "हम सब मे सबसे समझदार। जब मै बाहर निकल कर रूही के पास जा रहा था, तब क्या कह रही थी।"


सवाल जैसे ही हुए, ओजल के आंखों में आंसू आ गये। रोती हुई... "बहुत शिकायत थी ज़िन्दगी से। सबसे दर्द तो ये बात देती रही कि हमारी आई कितनी तकलीफ और दर्द से गुजरी होंगी। लोग आइयाशी करके गये और उस गंदे से बीज को नतीजा हम थे, जिसे 15 साल तक एक बंद कमरा मिला। अब मुझसे बोला नहीं जायेगा। बस इस ज़िन्दगी के लिए दिल से धन्यवाद। आज मर भी जाऊं ना तो गम नहीं होगा।"


आर्यमणि, ओजल के आंखों के आंसू पोछते.… "मैं रूही से उसी धरती पर शादी करूंगा। बहुत भाग लिये अब नहीं। अब उनको उनके किये की सजा देनी है।"


ओजल:- प्लीज नहीं। नहीं.. नहीं लौटना वहां... यहीं अच्छे हैं। ऐसा लग रहा है अभी तो जिंदगी शुरू हुई है।


आर्यमणि:- चुप हो जाओ। पैक मे एक प्यारा सा लड़का ले आता हूं, फिर अपना ये पैक कंप्लीट हो जायेगा।


ओजल:- ऐसा मत करो। मुझे अभी जीना है। प्लीज मुझे मत बांधो। जब भी कोई पसंद आयेगा वो पैक में आ जायेगा। मुझे बांधो मत भैया। मुझे अभी खुलकर जीना है। सॉरी..


आर्यमणि:- अब ये सॉरी क्यों...


ओजल:- मुझे अपने दोस्तों को फुटबॉल सीखाने जाना था और मै लेट हो गई। बाद में मिलती हूं भैया.…


आर्यमणि सबकी हरकतों को समझ रहा था और अंदर से हंस भी रहा था। रूही के कान बाहर ही थे। जैसे ही ओजल बाहर गयी, रूही की धड़कने ऐसी ऊपर–नीचे हुई की बेचारी को श्वांस लेना दूभर हो गया। शेप कब शिफ्ट हुआ रूही को खुद पता नहीं, बावजूद इसके धड़कन थी कि बेकाबू हुई जा रही थी।
World's best healer ने आखिर अपना काम कर ही दिया, एक तरफ ओशुन को बचा लिया वहीं अपनी जान पर खेल कर अपने पैक को भी ठीक कर दिया जिन्होंने बिना सोचे आर्य के लिए अपनी जान दाव पर लगा दी थी।

जिसकी आशंका थी वही हुआ कि मधुमक्खियां भी मध्य आयाम से आर्य के साथ आ गई मगर सारी मार भी गई रानी को छोड़ कर। अब रानी के लिए तीन hosts थे वहां ओशुन, आर्य और बॉब क्योंकि अल्फा पैक तो मरणासन्न अवस्था में था। एक संभावना ये भी हो सकती है ट्विंस में से किसी एक में रानी चली गई हो क्योंकि वो भी तो वेरवॉल्व और एलियंस की मिक्सड ब्रीड है तो उनके एलियन साइड को सेंस करके रानी उनमें से किसी एक में चली गई हो? एक संभावना ये भी हो सकती है कि ओशुनa हो के नकारात्मक व्यवहार को देख कर रानी ने उसको होस्ट बना लिया हो।

ओशुन अभी भी अलग ही अवस्था में है तभी तो जिस आर्य ने दो बार उसके लिए अपनी जान की बाजी लगा दी उसको दोनो बार ही धोखा देने को तैयार हो गई। मगर बॉब ने क्या मस्त हड़काया है उसको, मजा ही आ गया।

किंग ऑफ ट्विस्ट तो आर्य का रूही को परपोज करना रहा। किसी ने नहीं सोचा था कि ऐसा कुछ हो भी सकता है, शायद रूही को ठीक करते समय आर्य को उसकी अंदरूनी भावनाओ का पता चल गया हो और इसीलिए उसने ऐसा किया हो। कुल मिलकर बहुत ही धमाकेदार अपडेट nain11ster नैनू भाई।
 
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