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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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भाग:–61








मीनाक्षी:- परिवार की बात ना करो मनीषा, क्योंकि पारिवारिक दृष्टिकोण से तो मै भी उन सबके साथ सामिल हुयि। आर्यमणि को तो मै भी बहुत चाहती हूं। हमे अफ़सोस होता है, जब नेक्स्ट जेनरेशन आता है। क्योंकि कुछ अच्छे दिल के लोगो को हम सामिल नहीं कर सकते। थोड़ा दर्द भी होता है जब वो मरते है या अपना राज बचाने के लिये उन्हें मारना पड़ता है।(बिलकुल किसी दैत्य वाली हंसी के साथ)… लेकिन क्या करे हमारे जीने का जायका भी वही है।


उज्जवल:- हां सही कह रही है मीनाक्षी, लेकिन मनीषा की बात सच भी तो हो सकती है। आर्यमणि ने अपने 3 दोस्तों को पूरा आर्म्स एंड एम्यूनेशन प्रोजेक्ट का हिस्सेदार बनाया। चित्रा और माधव 2 ऐसे नाम थे जिन्होंने काबुल किया की उन्हे आर्यमणि ने हिस्सेदार बनाया था, यदि ये संपत्ति प्रहरी की है तो हम वापस कर देंगे। जबकि वहीं आर्यमणि के जिगरी दोस्त का कहना था कि "फैक्ट्री का वो कानूनन मालिक है और किसी की दखलंदाजी बर्दास्त नही। आप जो अपना काम कर रहे है उसे कीजिये और मुझे अपना काम करने दीजिये।"


जयदेव:– हम्मम!!! ठीक है आग लगा दो उसके प्रोजेक्ट में। जहां–जहां से अप्रूवल मिलना है, हर जगह रोड़ा डाल दो और साथ में अपने लीगल डिपार्टमेंट को एक फर्जीवाड़ा का केस भी कहो करने। अक्षरा निशांत रिश्ते तुम्हारा भांजा लगता है, जैसा की आर्यमणि मीनाक्षी का था। इसलिए निशांत तुम्हारी जिम्मेदारी। यदि जरा भी भनक लगे की निशांत को प्रहरी में दिखने वाले आम करप्शन से ऊपर का कोई शक है, इस बार कोई रहम नहीं। आर्यमणि और उस माल गायब करने वालों को ढूंढने गयी टीम ने क्या इनफार्मेशन दी, वो बताओ कोई?


तेजस:- "हॉलीवुड फिल्में कुछ ज्यादा देखते है दोनो पक्ष। नागपुर–जबलपुर हाईवे पर 2 स्पोर्ट्स कार में 3 लोग निकले थे। लेकिन जंगल में पाये पाऊं के निशान और भागने के मिले सबूत से वो 5 लोग थे, जिनमें से 2 को कोई नहीं जानता। जबलपुर से एक चार्टर प्लेन 5 लोगो को लेकर दिल्ली निकली, एक चार्टर प्लेन बंगलौर, और एक चार्टर प्लेन मुंबई। ऐसे करके 7 जगहों के लिये चार्टर प्लेन उड़ान भरी थी। इन सभी जगहों के एयरपोर्ट से डायरेक्ट इंटरनेशनल फ्लाइट जाती है। हमने वहां के बुकिंग चेक करवाई। यहां से कन्फ्यूजन शुरू हो गया। सभी एयरपोर्ट पर कल से लेकर आज तक 5 लोगों के 4 ग्रुप सीसी टीवी से अपनी पहचान छिपाकर, 4 अलग-अलग देश गये। किसी भी जगह से आर्य, रूही या अलबेली के नाम का पासपोर्ट इस्तमाल नही हुआ।"

"वहीं जिसने अपना सामान चोरी किया उसकी सूचना तो पहले से ही थी। और जैसा तुमने आशंका जताया था जयदेव वही हुआ। सिवनी से जितने भी वैन निकले थे सब में फर्जी बुकिंग थी, लेकिन एक बड़ा सा लोड ट्रक के टायर के निशान वोल्वो के आस–पास से मिले थे, जो बालाघाट के रास्ते गोंदिया पहुंची। यहां तो और भी कमाल हो गया था। ट्रक चोरी की थी और उसका ड्राइवर.. ये सबसे ज्यादा इंट्रेस्टिंग पार्ट है। उस ड्राइवर को ट्रक पहुंचाने के 10 हजार रूपये मिले थे। ट्रक में एक भी समान नही। कोई चास्मादित गवाह नही और ना ही वहां पर कोई सीसी टीवी फुटेज थी, जिस से यह पता चले की उस ट्रक से कुछ अनलोड भी किया गया था।"


जयदेव:– इसी ट्रक पर अपना सारा माल था। सब लोग इस ट्रक के पीछे पड़ जाओ। पूरी तहकीकात करो अपना खोया माल मिल जायेगा। तेजस तुम नित्या और उसकी टीम को आर्यमणि के पीछे लगाओ। हमें अपने समान के साथ उनकी जान भी चाहिए जो हमारा कीमती सामान ले जाने की जुर्रत कर बैठे।


तेजस:- हम्मम ! ठीक है।


उज्जवल:– सेकंड लाइन सुपीरियर टीम का 1 शिकारी आर्यमणि के पैक पर भारी पड़ेगा यहां तो पूरी टीम के साथ नित्या को पीछे भेज दिया है, तो अब चिंता की बात ही नहीं। यदि नित्या आर्यमणि को नहीं भी मार पाती है तो भी किताब तो ले ही आयेगी। सरदार खान मारा गया सो अब नागपुर में रहने का भी कोई मतलब नहीं निकलता। भूमि और उसके उत्तराधिकारी को बधाई संदेश देते चलो।"


जयदेव:- पूर्णिमा की रात के एक्शन के कारण आम प्रहरी तो आर्यमणि के फैन हो गये है। प्रहरी की आम मीटिंग में आर्यमणि को क्लीन चिट के साथ धन्यवाद संदेश भी देते जाओ। अब से हाई टेबल सीक्रेट प्रहरी मुख्यालय मुंबई होगा। मीनाक्षी और अक्षरा की जिमेमदरी है यहां से सारी काम कि चीजों को मुंबई पहुंचाना।


मीनाक्षी:- हम्मम ! हो जायेगा। सभा समाप्त करते है। …


3 दिन बाद सतपुड़ा के घने जंगलों में तेजस ने जमीन पर एक कतरा अपने खून का गिराया और "हिश्श्श्ष्ष्ष्ष्शश" की गहरी आवाज़ अपने मुंह से निकाला। अचानक ही वहां के हवा का मिजाज बदलना शुरू हो गया और जबतक तेजस कुछ भांप पता उसके गले पर चाकू लग चुका था।


तेजस के कान के पास लहराती सी आवाज गूंजी…. "हमारी याद कैसे तुम्हे यहां तक खींच लायी।"..


तेजस उसका हाथ पकड़कर प्यार से किनारे करते, सामने खड़ी औरत को ऊपर से लेकर नीचे तक देखते हुए…. "आज भी उतनी ही मादक अदाएं है।"..


बाल रूखे, चेहरा झुलसा हुआ, और बदन के कपड़े मैले। शरीर के ऊपर की हड्डियां तक गिनती की जा सकती थी… "लगता है मेरी सजा माफ़ कर दी गयी है।"


तेजस:- हां तुम्हारी सजा माफ हो चुकी है । एक लड़का है आर्यमणि वो अनंत कीर्ति के पुस्तक को लेकर भाग गया है। उसके पीछे जाना है।


नित्या एक मज़ेदार अंगड़ाई लेती… "आह जंगल से बाहर निकलने का वक़्त आ गया है, चले"…


तेजस:- हां बिल्कुल…


प्रहरी की आम मीटिंग से ठीक पहले सेकंड लाइन सुपीरियर शिकारी टीम के 5 शिकारी के साथ नित्या अपने खोज पर जा चुकी थी। नित्या भी सुकेश, उज्जवल और देवगिरी की तरह ही एक सीक्रेट प्रहरी थी जो अपने पिछली गलती की सजा भुगत रही थी। एक लंबा अरसा हो गया था उसे सतपुड़ा के घने जंगलों में विचरते हुए। जितना दूर जंगल का इलाका, वही उसकी सीमा। मन ही मन वो आर्यमणि को धन्यवाद कह रही थी, जिसके किये ने उसे जंगल के जेल से बाहर निकालकर आज़ाद कर दिया था।


प्रहरी की आम मीटिंग में इस बार भी आर्यमणि का नाम गूंजता रहा। शहर को बड़े संकट से निकालने के लिये उसे धन्यवाद कहा गया साथ में उससे हुई छोटी सी नादानी, अंनत कीर्ति की पुस्तक को साथ ले जाना, उसका कहीं ना कहीं दोषी पलक को बताया गया।


पलक की मनसा साफ तो थी लेकिन उससे गलती हुई जिसकी सजा ये थी कि वो नाशिक प्रहरी इकाई में अस्थाई सदस्य की भूमिका निभाएगी और वहीं से प्रहरी के आगे का अपना सफर शुरू करेगी। इसी के साथ पलक के इल्ज़ाम सही थे जो हसने उच्च सभा में लगाए थे। 22 में से 20 उच्च प्रहरी दोषी पाये गये और सरदार खान जैसे बीस्ट अल्फा को खत्म किया जा चुका था।


नागपुर इकाई मजबूत थी और हमेशा ये अच्छे प्रहरी को सामने लेकर आयी है। इसलिए नागपुर की स्थायी सदस्य नम्रता को नागपुर इकाई का मुखिया घोषित किया जाता है। मीटिंग समाप्त होने तक राजदीप ने कई बड़े अनाउंसेंट कर दिये, उसी के साथ सबको ये भी बताते चला कि उसका ट्रांसफर अब नागपुर से मुंबई हो चुका है, इसलिए उसे नागपुर छोड़ना होगा।…


नागपुर में बीस्ट अल्फा ना होने से क्या-क्या बदलाव आ रहे थे, भूमि इसी बात की समीक्षा में लगी हुई थी। हाई टेबल प्रहरी जिनका मुख्यालय पहले नागपुर था और उन्हें कहीं और जाने की ज़रूरत नही थी, उनके लिये महीने में अब 2–3 बार बाहर जाना आम बात हो गयी थी। भूमि अपने ससुराल में बैठकर आराम से सभी गतिविधियों पर नजर बनायी हुई थी। हालांकि सुकेश, मीनाक्षी और जयदेव बातों के दौरान भूमि अथवा जया से आर्यमणि के विषय में जानने के लिये इच्छुक दिखते लेकिन इन्हें भी आर्यमणि के विषय में पता हो तब ना कुछ बताये।


इधर अचानक ही अपनी मासी का प्यारा निशांत के लिये काफी बढ़ गया था। वह निशांत को बिठाकर एक ही बात पूछा करती थी, "उसे आर्म्स एंड एम्यूनेशन" प्रोजेक्ट से क्या लालच है? क्यों वह प्रहरी से दुश्मनी लेने के लिये तैयार है? क्या इसके पीछे की वजह आर्यमणि है, जो जाने से पहले कुछ बताकर गया था?"


निशांत को अक्षरा की बातें जैसे समझ में ही नही आती थी। हर बार वह अक्षरा को एक ही जवाब देता... "उन्हे बिजनेस और प्रोजेक्ट की कोई समझ ही नही। और जिन मामलों को वो समझती नही, उसके लिये क्यों इतनी खोज–पूछ कर रही।"


पलक के लिये विरहा के दिन आ गये थे। जिस कमरे में उसने अपना पहला संभोग किया। जिस कॉलेज में वो आर्यमणि से मिलती थी। जिस शॉपिंग मॉल में वो आर्यमणि के साथ शॉपिंग के लिये जाया करती थी। जिस कार के अंदर उसने आर्यमणि के साथ काम–लीला में लिप्त हुई। पलक को हर उस जगह से नफरत सी हो गयी थी, जहां भी आर्यमणि की याद बसी थी। आर्यमणि के जाने के 10 दिन के अंदर ही पलक भी नागपुर शहर छोड़ चुकी थी और नाशिक पहुंच गयी, जहां उसकी ट्रेनिंग शुरू होती। नाशिक में प्रहरी के सीक्रेट बॉडी का अपना एक बड़ा सा ट्रेनिंग सेंटर था जो किसी के जानकारी में नही था।


चित्रा एक आम सी लड़की जो रोज ही अपने कॉलेज के कैंटीन में अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ बैठती और खाली टेबल को देखकर मायूस सी हो जाती। माधव यूं तो चित्रा को उसके गुमसुम पलों से उबारने की कोशिश करता लेकिन फिर भी चित्रा के नजरों के सामने खाली कुर्सी खटक जाती जो कभी दोस्तों से भरी होती थी।


एक–एक दिन करके वक्त काफी तेजी से गुजर रहा था। नित्या को काम पर लगा तो दिया गया था, लेकिन इस गरीब दुख्यारी का क्या दोष जिसे कोई यह नहीं बता पा रहा था कि आर्यमणि को ढूंढना कहां से शुरू करे। पूरा सीक्रेट बॉडी ही उसके ऊपर राशन पानी लेकर चढ़ा रहता और एक ही बात कहते.… "तुम्हे आजाद ही इसलिए किया गया है ताकि तुम पता लगा सको। यदि अब पता लगाने वाले गुण तुमसे दूर हो चुके है, फिर तो तुम्हे हम वापस जंगल भेज देते है।"… बेचारी नित्या के लिये काटो तो खून न निकले वाली परिस्थिति थी। हां एक तेजस ही था, जो नित्या पर किसी और चीज से चढ़ा रहता था। बस यही इकलौता सुकून और सुख वह जंगल से निकलने के बाद भोग रही थी।


एक ओर आर्यमणि तो दूसरी ओर वो समान चोर, दोनो मिल न रहे थे, ऊपर से सीक्रेट बॉडी प्रहरी की मुसीबत समाप्त नही हो रही थी। आर्म्स & एम्यूनेशन प्रोजेक्ट में ऐड़ी चोटी का जोड़ लगा दिये। निशांत की कंपनी "अस्त्र लिमिटेड" को कोर्ट का नोटिस मिला, जहां बॉम्बे हाई कोर्ट के नागपुर बेंच में सुनवाई होनी थी। "अस्त्र लिमिटेड" पर पैसे की धोकेधरी पर इल्ज़ाम लगा था। "अस्त्र लिमिटेड" के ओर से निशांत अपने वकील के साथ कोर्ट में हाजिर हुआ और जो ही उसने सामने वाले वकील की धज्जियां उड़ाया।


पैसों के जिस धोकाधरी का आरोप "अस्त्र लिमिटेड" पर लगा था, उसके बचाव में निशांत के वकील ने वह एग्रीमेंट कोर्ट को पेश कर दिया, जिसमे साफ लिखा था कि.…. "आर्यमणि के आर्म्स एंड एम्यूनेशन प्रोजेक्ट देश के सशक्तिकरण वाला प्रोजेक्ट है। बिना किसी भी आर्थिक लाभ के अपना सारा पैसा "अस्त्र लिमिटेड" के प्रोजेक्ट में लगाते है। "अस्त्र लिमिटेड" कंपनी जब कर्ज लिये पैसे के 10 गुणी बड़ी हो जाये तो फिर वो 10 चरण में पैसे की वापसी प्रक्रिया पूरी कर सकते है। और यदि प्रोजेक्ट कहीं असफल रहता है, तब उस परिस्थिति में सारा नुकसान हमारा होगा।"


विपक्ष के वकील ने उस पूरे एग्रीमेंट को ही फर्जी घोषित कर दिया। निशांत के वकील ने जिस एग्रीमेंट को पेश किया था, उस एग्रीमेंट को महाराष्ट्र के सरकारी विभाग द्वारा पूरा लेखा–जोखा ही बदल दिया गया था। विपक्ष के वकील सुनिश्चित थे, इसलिए निशांत से उसके डॉक्यूमेंट की विश्वसनीयता साबित करने के लिये कहा गया। देवगिरी पाठक, महाराष्ट्र का डेप्युटी सीएम... पूरा सरकारी विभाग ही पूर्ण रूप से मैनेज किया था, सिवाय एक छोटी सी भूल के, जिसके ओर शायद ध्यान न गया।


पैसों के लेखा जोखा में देवगिरी की कंपनी ने जो हिसाब दिखाया था उसमे "अस्त्र लिमिटेड" को दिये पैसे का जिक्र था। इसके अलावा देवगिरी की कंपनी के 40% के मेजर हिस्सेदार आर्यमणि द्वारा दिया गया ऑफिशियल लेटर जिसमे "अस्त्र लिमिटेड" को कब और कितने पैसे किस उद्देश्य से दिये उसकी पूरी डिटेल थी। लेन–देन का यह रिकॉर्ड बैंक से लेकर आईटी डिपार्मेंट तक में जमा करवायि गयी थी।


प्रहरी के ओर से केस लड़ने गया नामी वकील खुद को हारते देख, तबियत खराब का बहाना करके दूसरा डेट लेने की सोच रहा था। नागपुर की बेंच शायद राजी भी हो गयी होती लेकिन तभी निशांत के वकील ने सुप्रीम कोर्ट का एक दस्तावेज पेश किया.… "अस्त्र लिमिटेड के प्रोजेक्ट को बंद करवाने के लिये महाराष्ट्र के कई सरकारी और गैर–सरकारी विभाग ने सेंट्रल को कई सारे दस्तावेज भेजे और तुरंत प्रोजेक्ट से जुड़े लोगों को हिरासत में लेने की मांग कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट के फाइनल वर्डिक्ट में यह साफ लिखा था कि एक अच्छे प्रोजेक्ट को सभी अप्रूवल के बाद बंद करवाने की पूरी साजिश रची गयी थी। कोर्ट सभी अर्जी को गलत मानते हुये सभी याचिकाकर्ता की निष्पक्ष जांच करे।"


उस दस्तावेज को पेश करने के बाद निशांत के वकील ने जज से साफ कह दिया की पहले भी कंपनी के ऊपर महाराष्ट्र सरकार के कुछ विभागो की साजिश साफ उजागर हुई है। आज भी जब मामला हमारे पक्ष में है तब अचानक से विपक्ष के वकील की तबीयत खराब हो गयी है। मुझे डर है कि अगली तारीख के आने से पहले सबूतों के साथ छेड़–छाड़ होने की पूरी आशंका है, इसलिए अब यह केस नागपुर ज्यूरिडिक्शन के बाहर बहस किया जाना चाहिए। यदि हमारी अर्जी आपको मंजूर नहीं फिर हम फैसले का बिना इंतजार किये सुप्रीम कोर्ट जायेंगे।


निशांत के वकील को सुनने के बाद तो नागपुर बेंच ने जैसे विपक्ष के वकील को झटका दे दिया है और उसके तबियत खराब होने की परिस्थिति में किसी दूसरे वकील को तुरंत प्रतिनिधित्व के लिये भेजने बोल दिया। प्रहरी को काटो तो खून न निकले। देश के जितने बड़े वकील को उन लोगों ने केस के लिये बुलाया था, निशांत का वकील तो उसका भी गुरु निकला। दिल्ली के इस नामी वकील को निशांत ने नही बल्कि संन्यासी शिवम द्वारा नियुक्त किया गया था।


निशांत ने महज महीने दिन में ही आर्म्स एंड एम्यूनेशन प्रोजेक्ट से पार पा लिया था। निशांत अपनी इस जीत के बाद प्रोजेक्ट का सारा काम चित्रा और माधव को सौंपकर कुछ महीनों के लिये वर्ल्ड टूर पर निकल गया। हालांकि वह हिमालय जा रहा था लेकिन दिखाने के लिये उसका पासपोर्ट यूरोप के विभिन्न देशों में भ्रमण कर रहा था। वहीं चित्रा और माधव प्रोजेक्ट के काम के कारण और भी ज्यादा करीब आ गये। हां इस बीच प्रोजेक्ट का काम करते हुये पहली बार चित्रा को माधव का पूरा नाम पता चला था, "अनके माधव सिंह"।


चित्रा, माधव को चिढाती हुयि उसके पहले नाम को लेकर छेड़ती रही। हालांकि माधव कहता रह गया "अनके" का अर्थ "कृपा" होता है। अर्थ तो अच्छा ही था लेकिन चित्रा इसे छिपाने के पीछे का कारण जानना चाहती थी। अंत में चित्रा जब नही मानी तब माधव को बताना ही पड़ा की "अनके" उसकी मां का नाम है और उसके बाबूजी ने उसके नाम के पहले उसकी मां का नाम जोड़ दिया, ताकि कभी वो अपनी मां से अलग ना मेहसूस करे।


इस बात को जानने के बाद तो जैसे चित्रा का गुस्सा अपने चरम पर। आखिर जब इतने प्यार से उसके बाबूजी ने उसका नाम रखा, फिर अभी से अपनी मां का नाम अलग कर दिया। जबकि अनके सुनने में ऐसा भी नही लगता की किसी स्त्री का नाम हो। बहस का दौर चला जहां माधव भी सही था। क्या बताता वो लोगों को, उसका नाम "अनके माधव सिंह" है और उसकी मां का नाम "अनके सिंह"। चित्रा भी अड़ी थी…. "मां का नाम कौन पूछता है? परिचय में भी कोई मां का नाम पूछने पर ही बताता है? ऐसे में जब लोग जानते की मां का नाम पहले आया है तो कितना इंस्पायरिंग होता।"


बहस का दौड़ चलता रहा और कुछ दिन के झगड़े के बाद दोनो ही मध्यस्ता पर पहुंचे जहां माधव अपने पिताजी की भावना का सम्मान रखते खुद का परिचय सबसे एंकी के रूप में करेगा और पूरा नाम "अनके माधव" बतायेगा, न की केवल माधव। खैर दोनो के विचार और आपस का प्यार भी अनूठा ही था। जैसे हर प्रेमी अपने प्रियसी की बात मानकर "कुत्ता और कमिना" नाम तक को प्यार से स्वीकार कर लेते है। ठीक वैसे ही अपना नया नाम माधव ने भी स्वीकार किया था और अब बड़े गर्व से खुद का परिचय एंकी के रूप में करवाता था।


सीक्रेट बॉडी प्रहरी में आग लगाने के बाद सबकी जिंदगी जैसे चुस्त, दुरुस्त और तंदुरुस्त हो गयी थी। जया और भूमि दुनियादारी को छोड़कर दिन भर आने वाले बच्चे में ही लगी रहती। नम्रता के पास नागपुर प्रहरी की कमान आते ही ठीक वैसा हो रहा था जैसा भूमि चाहती थी। बिलकुल साफ और सच्चे प्रहरी। फिर तो पूरे नागपुर में नम्रता ने ऐसा दबदबा बनाया की प्रहरी के दूसरे इकाई के शिकारी नागपुर आने से पहले १०० बार सोचते... "नागपुर गया तो कहीं बिजली मेरे ऊपर न गिर जाये। हर बईमान प्रहरी नागपुर से साफ कतराने लगा हो जैसे।


नागपुर की घटना को पूरा 45 दिन हो चुके थे। प्रहरी आर्यमणि और संग्रहालय चोर को ढूंढने में ऐड़ी चोटी का जोड़ लगा दिये लेकिन नतीजा कुछ नही निकला। एशिया, यूरोप, से लेकर अमेरिका तक सभी जगह आर्यमणि और संग्रहालय के सामानों की तलाश जारी थी। लोकल पुलिस से लेकर गुंडे तक तलाश रहे थे। हर किसी के पास आर्यमणि, रूही और अलबेली की तस्वीर थी। इसके अलावा संग्रहालय से निकले कुछ अजीब सामानों की तस्वीर भी वितरित की जा चुकी थी। और इन्हे ढूंढकर पकड़ने वालों की इनामी राशि 1 मिलियन यूएसडी थी। सभी पागलों की तरह तलाश कर रहे थे।


लोग इन्हें जमीन पर तलाश कर रहे थे और आर्यमणि.… वह तो गहरे नीले समुद्र के बीच अपने सर पर हाथ रखे उस दिन को झक रहा था जब वह नागपुर से सबको लेकर निकला.…
 

nain11ster

Prime
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Wese bhai palak ko leker mene kai baar bola h ki ladki jam nahi rhi, kuch to locha hai,
Matlab me kese predict ker deta hu kuch to baat hai hi Muzme...
Matlab kuch to hai hi
Yep aapne bhi kiya tha aur ek raaj ki baat bataun pahle palak ki jagah wahan Oshun thi... Lekin chunki aapne guess kiya tha isliye maine kayi update delete kar... Oshun ko side line me dalkar... Fir palak ko aapke hisab se plot kiya...

Aapme to wo baat hai ki writer vivash ho jaye San kuch badalne ke liye :hug:
 

Anky@123

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Yep aapne bhi kiya tha aur ek raaj ki baat bataun pahle palak ki jagah wahan Oshun thi... Lekin chunki aapne guess kiya tha isliye maine kayi update delete kar... Oshun ko side line me dalkar... Fir palak ko aapke hisab se plot kiya...

Aapme to wo baat hai ki writer vivash ho jaye San kuch badalne ke liye :hug:
Haha u r such a nice person Nain
Kabhi milna jarur chahuga me Aap se
 

Vk248517

I love Fantasy and Sci-fiction story.
5,874
18,015
189
भाग:–61








मीनाक्षी:- परिवार की बात ना करो मनीषा, क्योंकि पारिवारिक दृष्टिकोण से तो मै भी उन सबके साथ सामिल हुयि। आर्यमणि को तो मै भी बहुत चाहती हूं। हमे अफ़सोस होता है, जब नेक्स्ट जेनरेशन आता है। क्योंकि कुछ अच्छे दिल के लोगो को हम सामिल नहीं कर सकते। थोड़ा दर्द भी होता है जब वो मरते है या अपना राज बचाने के लिये उन्हें मारना पड़ता है।(बिलकुल किसी दैत्य वाली हंसी के साथ)… लेकिन क्या करे हमारे जीने का जायका भी वही है।


उज्जवल:- हां सही कह रही है मीनाक्षी, लेकिन मनीषा की बात सच भी तो हो सकती है। आर्यमणि ने अपने 3 दोस्तों को पूरा आर्म्स एंड एम्यूनेशन प्रोजेक्ट का हिस्सेदार बनाया। चित्रा और माधव 2 ऐसे नाम थे जिन्होंने काबुल किया की उन्हे आर्यमणि ने हिस्सेदार बनाया था, यदि ये संपत्ति प्रहरी की है तो हम वापस कर देंगे। जबकि वहीं आर्यमणि के जिगरी दोस्त का कहना था कि "फैक्ट्री का वो कानूनन मालिक है और किसी की दखलंदाजी बर्दास्त नही। आप जो अपना काम कर रहे है उसे कीजिये और मुझे अपना काम करने दीजिये।"


जयदेव:– हम्मम!!! ठीक है आग लगा दो उसके प्रोजेक्ट में। जहां–जहां से अप्रूवल मिलना है, हर जगह रोड़ा डाल दो और साथ में अपने लीगल डिपार्टमेंट को एक फर्जीवाड़ा का केस भी कहो करने। अक्षरा निशांत रिश्ते तुम्हारा भांजा लगता है, जैसा की आर्यमणि मीनाक्षी का था। इसलिए निशांत तुम्हारी जिम्मेदारी। यदि जरा भी भनक लगे की निशांत को प्रहरी में दिखने वाले आम करप्शन से ऊपर का कोई शक है, इस बार कोई रहम नहीं। आर्यमणि और उस माल गायब करने वालों को ढूंढने गयी टीम ने क्या इनफार्मेशन दी, वो बताओ कोई?


तेजस:- "हॉलीवुड फिल्में कुछ ज्यादा देखते है दोनो पक्ष। नागपुर–जबलपुर हाईवे पर 2 स्पोर्ट्स कार में 3 लोग निकले थे। लेकिन जंगल में पाये पाऊं के निशान और भागने के मिले सबूत से वो 5 लोग थे, जिनमें से 2 को कोई नहीं जानता। जबलपुर से एक चार्टर प्लेन 5 लोगो को लेकर दिल्ली निकली, एक चार्टर प्लेन बंगलौर, और एक चार्टर प्लेन मुंबई। ऐसे करके 7 जगहों के लिये चार्टर प्लेन उड़ान भरी थी। इन सभी जगहों के एयरपोर्ट से डायरेक्ट इंटरनेशनल फ्लाइट जाती है। हमने वहां के बुकिंग चेक करवाई। यहां से कन्फ्यूजन शुरू हो गया। सभी एयरपोर्ट पर कल से लेकर आज तक 5 लोगों के 4 ग्रुप सीसी टीवी से अपनी पहचान छिपाकर, 4 अलग-अलग देश गये। किसी भी जगह से आर्य, रूही या अलबेली के नाम का पासपोर्ट इस्तमाल नही हुआ।"

"वहीं जिसने अपना सामान चोरी किया उसकी सूचना तो पहले से ही थी। और जैसा तुमने आशंका जताया था जयदेव वही हुआ। सिवनी से जितने भी वैन निकले थे सब में फर्जी बुकिंग थी, लेकिन एक बड़ा सा लोड ट्रक के टायर के निशान वोल्वो के आस–पास से मिले थे, जो बालाघाट के रास्ते गोंदिया पहुंची। यहां तो और भी कमाल हो गया था। ट्रक चोरी की थी और उसका ड्राइवर.. ये सबसे ज्यादा इंट्रेस्टिंग पार्ट है। उस ड्राइवर को ट्रक पहुंचाने के 10 हजार रूपये मिले थे। ट्रक में एक भी समान नही। कोई चास्मादित गवाह नही और ना ही वहां पर कोई सीसी टीवी फुटेज थी, जिस से यह पता चले की उस ट्रक से कुछ अनलोड भी किया गया था।"


जयदेव:– इसी ट्रक पर अपना सारा माल था। सब लोग इस ट्रक के पीछे पड़ जाओ। पूरी तहकीकात करो अपना खोया माल मिल जायेगा। तेजस तुम नित्या और उसकी टीम को आर्यमणि के पीछे लगाओ। हमें अपने समान के साथ उनकी जान भी चाहिए जो हमारा कीमती सामान ले जाने की जुर्रत कर बैठे।


तेजस:- हम्मम ! ठीक है।


उज्जवल:– सेकंड लाइन सुपीरियर टीम का 1 शिकारी आर्यमणि के पैक पर भारी पड़ेगा यहां तो पूरी टीम के साथ नित्या को पीछे भेज दिया है, तो अब चिंता की बात ही नहीं। यदि नित्या आर्यमणि को नहीं भी मार पाती है तो भी किताब तो ले ही आयेगी। सरदार खान मारा गया सो अब नागपुर में रहने का भी कोई मतलब नहीं निकलता। भूमि और उसके उत्तराधिकारी को बधाई संदेश देते चलो।"


जयदेव:- पूर्णिमा की रात के एक्शन के कारण आम प्रहरी तो आर्यमणि के फैन हो गये है। प्रहरी की आम मीटिंग में आर्यमणि को क्लीन चिट के साथ धन्यवाद संदेश भी देते जाओ। अब से हाई टेबल सीक्रेट प्रहरी मुख्यालय मुंबई होगा। मीनाक्षी और अक्षरा की जिमेमदरी है यहां से सारी काम कि चीजों को मुंबई पहुंचाना।


मीनाक्षी:- हम्मम ! हो जायेगा। सभा समाप्त करते है। …


3 दिन बाद सतपुड़ा के घने जंगलों में तेजस ने जमीन पर एक कतरा अपने खून का गिराया और "हिश्श्श्ष्ष्ष्ष्शश" की गहरी आवाज़ अपने मुंह से निकाला। अचानक ही वहां के हवा का मिजाज बदलना शुरू हो गया और जबतक तेजस कुछ भांप पता उसके गले पर चाकू लग चुका था।


तेजस के कान के पास लहराती सी आवाज गूंजी…. "हमारी याद कैसे तुम्हे यहां तक खींच लायी।"..


तेजस उसका हाथ पकड़कर प्यार से किनारे करते, सामने खड़ी औरत को ऊपर से लेकर नीचे तक देखते हुए…. "आज भी उतनी ही मादक अदाएं है।"..


बाल रूखे, चेहरा झुलसा हुआ, और बदन के कपड़े मैले। शरीर के ऊपर की हड्डियां तक गिनती की जा सकती थी… "लगता है मेरी सजा माफ़ कर दी गयी है।"


तेजस:- हां तुम्हारी सजा माफ हो चुकी है । एक लड़का है आर्यमणि वो अनंत कीर्ति के पुस्तक को लेकर भाग गया है। उसके पीछे जाना है।


नित्या एक मज़ेदार अंगड़ाई लेती… "आह जंगल से बाहर निकलने का वक़्त आ गया है, चले"…


तेजस:- हां बिल्कुल…


प्रहरी की आम मीटिंग से ठीक पहले सेकंड लाइन सुपीरियर शिकारी टीम के 5 शिकारी के साथ नित्या अपने खोज पर जा चुकी थी। नित्या भी सुकेश, उज्जवल और देवगिरी की तरह ही एक सीक्रेट प्रहरी थी जो अपने पिछली गलती की सजा भुगत रही थी। एक लंबा अरसा हो गया था उसे सतपुड़ा के घने जंगलों में विचरते हुए। जितना दूर जंगल का इलाका, वही उसकी सीमा। मन ही मन वो आर्यमणि को धन्यवाद कह रही थी, जिसके किये ने उसे जंगल के जेल से बाहर निकालकर आज़ाद कर दिया था।


प्रहरी की आम मीटिंग में इस बार भी आर्यमणि का नाम गूंजता रहा। शहर को बड़े संकट से निकालने के लिये उसे धन्यवाद कहा गया साथ में उससे हुई छोटी सी नादानी, अंनत कीर्ति की पुस्तक को साथ ले जाना, उसका कहीं ना कहीं दोषी पलक को बताया गया।


पलक की मनसा साफ तो थी लेकिन उससे गलती हुई जिसकी सजा ये थी कि वो नाशिक प्रहरी इकाई में अस्थाई सदस्य की भूमिका निभाएगी और वहीं से प्रहरी के आगे का अपना सफर शुरू करेगी। इसी के साथ पलक के इल्ज़ाम सही थे जो हसने उच्च सभा में लगाए थे। 22 में से 20 उच्च प्रहरी दोषी पाये गये और सरदार खान जैसे बीस्ट अल्फा को खत्म किया जा चुका था।


नागपुर इकाई मजबूत थी और हमेशा ये अच्छे प्रहरी को सामने लेकर आयी है। इसलिए नागपुर की स्थायी सदस्य नम्रता को नागपुर इकाई का मुखिया घोषित किया जाता है। मीटिंग समाप्त होने तक राजदीप ने कई बड़े अनाउंसेंट कर दिये, उसी के साथ सबको ये भी बताते चला कि उसका ट्रांसफर अब नागपुर से मुंबई हो चुका है, इसलिए उसे नागपुर छोड़ना होगा।…


नागपुर में बीस्ट अल्फा ना होने से क्या-क्या बदलाव आ रहे थे, भूमि इसी बात की समीक्षा में लगी हुई थी। हाई टेबल प्रहरी जिनका मुख्यालय पहले नागपुर था और उन्हें कहीं और जाने की ज़रूरत नही थी, उनके लिये महीने में अब 2–3 बार बाहर जाना आम बात हो गयी थी। भूमि अपने ससुराल में बैठकर आराम से सभी गतिविधियों पर नजर बनायी हुई थी। हालांकि सुकेश, मीनाक्षी और जयदेव बातों के दौरान भूमि अथवा जया से आर्यमणि के विषय में जानने के लिये इच्छुक दिखते लेकिन इन्हें भी आर्यमणि के विषय में पता हो तब ना कुछ बताये।


इधर अचानक ही अपनी मासी का प्यारा निशांत के लिये काफी बढ़ गया था। वह निशांत को बिठाकर एक ही बात पूछा करती थी, "उसे आर्म्स एंड एम्यूनेशन" प्रोजेक्ट से क्या लालच है? क्यों वह प्रहरी से दुश्मनी लेने के लिये तैयार है? क्या इसके पीछे की वजह आर्यमणि है, जो जाने से पहले कुछ बताकर गया था?"


निशांत को अक्षरा की बातें जैसे समझ में ही नही आती थी। हर बार वह अक्षरा को एक ही जवाब देता... "उन्हे बिजनेस और प्रोजेक्ट की कोई समझ ही नही। और जिन मामलों को वो समझती नही, उसके लिये क्यों इतनी खोज–पूछ कर रही।"


पलक के लिये विरहा के दिन आ गये थे। जिस कमरे में उसने अपना पहला संभोग किया। जिस कॉलेज में वो आर्यमणि से मिलती थी। जिस शॉपिंग मॉल में वो आर्यमणि के साथ शॉपिंग के लिये जाया करती थी। जिस कार के अंदर उसने आर्यमणि के साथ काम–लीला में लिप्त हुई। पलक को हर उस जगह से नफरत सी हो गयी थी, जहां भी आर्यमणि की याद बसी थी। आर्यमणि के जाने के 10 दिन के अंदर ही पलक भी नागपुर शहर छोड़ चुकी थी और नाशिक पहुंच गयी, जहां उसकी ट्रेनिंग शुरू होती। नाशिक में प्रहरी के सीक्रेट बॉडी का अपना एक बड़ा सा ट्रेनिंग सेंटर था जो किसी के जानकारी में नही था।


चित्रा एक आम सी लड़की जो रोज ही अपने कॉलेज के कैंटीन में अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ बैठती और खाली टेबल को देखकर मायूस सी हो जाती। माधव यूं तो चित्रा को उसके गुमसुम पलों से उबारने की कोशिश करता लेकिन फिर भी चित्रा के नजरों के सामने खाली कुर्सी खटक जाती जो कभी दोस्तों से भरी होती थी।


एक–एक दिन करके वक्त काफी तेजी से गुजर रहा था। नित्या को काम पर लगा तो दिया गया था, लेकिन इस गरीब दुख्यारी का क्या दोष जिसे कोई यह नहीं बता पा रहा था कि आर्यमणि को ढूंढना कहां से शुरू करे। पूरा सीक्रेट बॉडी ही उसके ऊपर राशन पानी लेकर चढ़ा रहता और एक ही बात कहते.… "तुम्हे आजाद ही इसलिए किया गया है ताकि तुम पता लगा सको। यदि अब पता लगाने वाले गुण तुमसे दूर हो चुके है, फिर तो तुम्हे हम वापस जंगल भेज देते है।"… बेचारी नित्या के लिये काटो तो खून न निकले वाली परिस्थिति थी। हां एक तेजस ही था, जो नित्या पर किसी और चीज से चढ़ा रहता था। बस यही इकलौता सुकून और सुख वह जंगल से निकलने के बाद भोग रही थी।


एक ओर आर्यमणि तो दूसरी ओर वो समान चोर, दोनो मिल न रहे थे, ऊपर से सीक्रेट बॉडी प्रहरी की मुसीबत समाप्त नही हो रही थी। आर्म्स & एम्यूनेशन प्रोजेक्ट में ऐड़ी चोटी का जोड़ लगा दिये। निशांत की कंपनी "अस्त्र लिमिटेड" को कोर्ट का नोटिस मिला, जहां बॉम्बे हाई कोर्ट के नागपुर बेंच में सुनवाई होनी थी। "अस्त्र लिमिटेड" पर पैसे की धोकेधरी पर इल्ज़ाम लगा था। "अस्त्र लिमिटेड" के ओर से निशांत अपने वकील के साथ कोर्ट में हाजिर हुआ और जो ही उसने सामने वाले वकील की धज्जियां उड़ाया।


पैसों के जिस धोकाधरी का आरोप "अस्त्र लिमिटेड" पर लगा था, उसके बचाव में निशांत के वकील ने वह एग्रीमेंट कोर्ट को पेश कर दिया, जिसमे साफ लिखा था कि.…. "आर्यमणि के आर्म्स एंड एम्यूनेशन प्रोजेक्ट देश के सशक्तिकरण वाला प्रोजेक्ट है। बिना किसी भी आर्थिक लाभ के अपना सारा पैसा "अस्त्र लिमिटेड" के प्रोजेक्ट में लगाते है। "अस्त्र लिमिटेड" कंपनी जब कर्ज लिये पैसे के 10 गुणी बड़ी हो जाये तो फिर वो 10 चरण में पैसे की वापसी प्रक्रिया पूरी कर सकते है। और यदि प्रोजेक्ट कहीं असफल रहता है, तब उस परिस्थिति में सारा नुकसान हमारा होगा।"


विपक्ष के वकील ने उस पूरे एग्रीमेंट को ही फर्जी घोषित कर दिया। निशांत के वकील ने जिस एग्रीमेंट को पेश किया था, उस एग्रीमेंट को महाराष्ट्र के सरकारी विभाग द्वारा पूरा लेखा–जोखा ही बदल दिया गया था। विपक्ष के वकील सुनिश्चित थे, इसलिए निशांत से उसके डॉक्यूमेंट की विश्वसनीयता साबित करने के लिये कहा गया। देवगिरी पाठक, महाराष्ट्र का डेप्युटी सीएम... पूरा सरकारी विभाग ही पूर्ण रूप से मैनेज किया था, सिवाय एक छोटी सी भूल के, जिसके ओर शायद ध्यान न गया।


पैसों के लेखा जोखा में देवगिरी की कंपनी ने जो हिसाब दिखाया था उसमे "अस्त्र लिमिटेड" को दिये पैसे का जिक्र था। इसके अलावा देवगिरी की कंपनी के 40% के मेजर हिस्सेदार आर्यमणि द्वारा दिया गया ऑफिशियल लेटर जिसमे "अस्त्र लिमिटेड" को कब और कितने पैसे किस उद्देश्य से दिये उसकी पूरी डिटेल थी। लेन–देन का यह रिकॉर्ड बैंक से लेकर आईटी डिपार्मेंट तक में जमा करवायि गयी थी।


प्रहरी के ओर से केस लड़ने गया नामी वकील खुद को हारते देख, तबियत खराब का बहाना करके दूसरा डेट लेने की सोच रहा था। नागपुर की बेंच शायद राजी भी हो गयी होती लेकिन तभी निशांत के वकील ने सुप्रीम कोर्ट का एक दस्तावेज पेश किया.… "अस्त्र लिमिटेड के प्रोजेक्ट को बंद करवाने के लिये महाराष्ट्र के कई सरकारी और गैर–सरकारी विभाग ने सेंट्रल को कई सारे दस्तावेज भेजे और तुरंत प्रोजेक्ट से जुड़े लोगों को हिरासत में लेने की मांग कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट के फाइनल वर्डिक्ट में यह साफ लिखा था कि एक अच्छे प्रोजेक्ट को सभी अप्रूवल के बाद बंद करवाने की पूरी साजिश रची गयी थी। कोर्ट सभी अर्जी को गलत मानते हुये सभी याचिकाकर्ता की निष्पक्ष जांच करे।"


उस दस्तावेज को पेश करने के बाद निशांत के वकील ने जज से साफ कह दिया की पहले भी कंपनी के ऊपर महाराष्ट्र सरकार के कुछ विभागो की साजिश साफ उजागर हुई है। आज भी जब मामला हमारे पक्ष में है तब अचानक से विपक्ष के वकील की तबीयत खराब हो गयी है। मुझे डर है कि अगली तारीख के आने से पहले सबूतों के साथ छेड़–छाड़ होने की पूरी आशंका है, इसलिए अब यह केस नागपुर ज्यूरिडिक्शन के बाहर बहस किया जाना चाहिए। यदि हमारी अर्जी आपको मंजूर नहीं फिर हम फैसले का बिना इंतजार किये सुप्रीम कोर्ट जायेंगे।


निशांत के वकील को सुनने के बाद तो नागपुर बेंच ने जैसे विपक्ष के वकील को झटका दे दिया है और उसके तबियत खराब होने की परिस्थिति में किसी दूसरे वकील को तुरंत प्रतिनिधित्व के लिये भेजने बोल दिया। प्रहरी को काटो तो खून न निकले। देश के जितने बड़े वकील को उन लोगों ने केस के लिये बुलाया था, निशांत का वकील तो उसका भी गुरु निकला। दिल्ली के इस नामी वकील को निशांत ने नही बल्कि संन्यासी शिवम द्वारा नियुक्त किया गया था।


निशांत ने महज महीने दिन में ही आर्म्स एंड एम्यूनेशन प्रोजेक्ट से पार पा लिया था। निशांत अपनी इस जीत के बाद प्रोजेक्ट का सारा काम चित्रा और माधव को सौंपकर कुछ महीनों के लिये वर्ल्ड टूर पर निकल गया। हालांकि वह हिमालय जा रहा था लेकिन दिखाने के लिये उसका पासपोर्ट यूरोप के विभिन्न देशों में भ्रमण कर रहा था। वहीं चित्रा और माधव प्रोजेक्ट के काम के कारण और भी ज्यादा करीब आ गये। हां इस बीच प्रोजेक्ट का काम करते हुये पहली बार चित्रा को माधव का पूरा नाम पता चला था, "अनके माधव सिंह"।


चित्रा, माधव को चिढाती हुयि उसके पहले नाम को लेकर छेड़ती रही। हालांकि माधव कहता रह गया "अनके" का अर्थ "कृपा" होता है। अर्थ तो अच्छा ही था लेकिन चित्रा इसे छिपाने के पीछे का कारण जानना चाहती थी। अंत में चित्रा जब नही मानी तब माधव को बताना ही पड़ा की "अनके" उसकी मां का नाम है और उसके बाबूजी ने उसके नाम के पहले उसकी मां का नाम जोड़ दिया, ताकि कभी वो अपनी मां से अलग ना मेहसूस करे।


इस बात को जानने के बाद तो जैसे चित्रा का गुस्सा अपने चरम पर। आखिर जब इतने प्यार से उसके बाबूजी ने उसका नाम रखा, फिर अभी से अपनी मां का नाम अलग कर दिया। जबकि अनके सुनने में ऐसा भी नही लगता की किसी स्त्री का नाम हो। बहस का दौर चला जहां माधव भी सही था। क्या बताता वो लोगों को, उसका नाम "अनके माधव सिंह" है और उसकी मां का नाम "अनके सिंह"। चित्रा भी अड़ी थी…. "मां का नाम कौन पूछता है? परिचय में भी कोई मां का नाम पूछने पर ही बताता है? ऐसे में जब लोग जानते की मां का नाम पहले आया है तो कितना इंस्पायरिंग होता।"


बहस का दौड़ चलता रहा और कुछ दिन के झगड़े के बाद दोनो ही मध्यस्ता पर पहुंचे जहां माधव अपने पिताजी की भावना का सम्मान रखते खुद का परिचय सबसे एंकी के रूप में करेगा और पूरा नाम "अनके माधव" बतायेगा, न की केवल माधव। खैर दोनो के विचार और आपस का प्यार भी अनूठा ही था। जैसे हर प्रेमी अपने प्रियसी की बात मानकर "कुत्ता और कमिना" नाम तक को प्यार से स्वीकार कर लेते है। ठीक वैसे ही अपना नया नाम माधव ने भी स्वीकार किया था और अब बड़े गर्व से खुद का परिचय एंकी के रूप में करवाता था।


सीक्रेट बॉडी प्रहरी में आग लगाने के बाद सबकी जिंदगी जैसे चुस्त, दुरुस्त और तंदुरुस्त हो गयी थी। जया और भूमि दुनियादारी को छोड़कर दिन भर आने वाले बच्चे में ही लगी रहती। नम्रता के पास नागपुर प्रहरी की कमान आते ही ठीक वैसा हो रहा था जैसा भूमि चाहती थी। बिलकुल साफ और सच्चे प्रहरी। फिर तो पूरे नागपुर में नम्रता ने ऐसा दबदबा बनाया की प्रहरी के दूसरे इकाई के शिकारी नागपुर आने से पहले १०० बार सोचते... "नागपुर गया तो कहीं बिजली मेरे ऊपर न गिर जाये। हर बईमान प्रहरी नागपुर से साफ कतराने लगा हो जैसे।


नागपुर की घटना को पूरा 45 दिन हो चुके थे। प्रहरी आर्यमणि और संग्रहालय चोर को ढूंढने में ऐड़ी चोटी का जोड़ लगा दिये लेकिन नतीजा कुछ नही निकला। एशिया, यूरोप, से लेकर अमेरिका तक सभी जगह आर्यमणि और संग्रहालय के सामानों की तलाश जारी थी। लोकल पुलिस से लेकर गुंडे तक तलाश रहे थे। हर किसी के पास आर्यमणि, रूही और अलबेली की तस्वीर थी। इसके अलावा संग्रहालय से निकले कुछ अजीब सामानों की तस्वीर भी वितरित की जा चुकी थी। और इन्हे ढूंढकर पकड़ने वालों की इनामी राशि 1 मिलियन यूएसडी थी। सभी पागलों की तरह तलाश कर रहे थे।


लोग इन्हें जमीन पर तलाश कर रहे थे और आर्यमणि.… वह तो गहरे नीले समुद्र के बीच अपने सर पर हाथ रखे उस दिन को झक रहा था जब वह नागपुर से सबको लेकर निकला.…
Bhai ye babal updates🎉👍 hai bhaya
 

Anky@123

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Umda update, adhbhut karyasheeli ka aur planning aur plotting ke adbhut samanjasya se aaryamani ka pack wo ker gaya jo socha jana bhi behad mushkil tha, palak ke har chal per sheh deta Arya , ant me mat bhi deta chala gaya, per ye temporary hai ,palak ko aana to wapis hai hi, per Anant kirti ko pa lena apne aap me ek ajuba hi tha, ab aarya wo har raz pata ker sakta hai, jisse abhi tak prahri samuday anbhigya hai, nagpur to namrta aur uske jese kuch prahariyo ne saaf ker diya, per ab gandgi Mumbai me hogi, jo na jane kab saaf ho, kai dafa aesa laga aarya ka mama in sab se kai accha hai, aakhir jo hai samne hai pith peeche hevaniyat to nahi ker rha, kher ab focus aarya ke pack aur second line prahri samuday ke yuddh per hoga, per lagta hai is baar aarya aese hi samne nahi aayega, Shakti badane ki jarurat hai jisme madad kerega wo pura khajana jo bhagya se in logo ke hath lag gaya hai, Nishant bhi full flash me wapis aayega per lagta hai usme bhi accha khasa waqt lagne wala hai, mera bus yahi sawal hai ki kya koi sacche dileker aarya ke karib aayegi
 

Battu

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भाग:–61








मीनाक्षी:- परिवार की बात ना करो मनीषा, क्योंकि पारिवारिक दृष्टिकोण से तो मै भी उन सबके साथ सामिल हुयि। आर्यमणि को तो मै भी बहुत चाहती हूं। हमे अफ़सोस होता है, जब नेक्स्ट जेनरेशन आता है। क्योंकि कुछ अच्छे दिल के लोगो को हम सामिल नहीं कर सकते। थोड़ा दर्द भी होता है जब वो मरते है या अपना राज बचाने के लिये उन्हें मारना पड़ता है।(बिलकुल किसी दैत्य वाली हंसी के साथ)… लेकिन क्या करे हमारे जीने का जायका भी वही है।


उज्जवल:- हां सही कह रही है मीनाक्षी, लेकिन मनीषा की बात सच भी तो हो सकती है। आर्यमणि ने अपने 3 दोस्तों को पूरा आर्म्स एंड एम्यूनेशन प्रोजेक्ट का हिस्सेदार बनाया। चित्रा और माधव 2 ऐसे नाम थे जिन्होंने काबुल किया की उन्हे आर्यमणि ने हिस्सेदार बनाया था, यदि ये संपत्ति प्रहरी की है तो हम वापस कर देंगे। जबकि वहीं आर्यमणि के जिगरी दोस्त का कहना था कि "फैक्ट्री का वो कानूनन मालिक है और किसी की दखलंदाजी बर्दास्त नही। आप जो अपना काम कर रहे है उसे कीजिये और मुझे अपना काम करने दीजिये।"


जयदेव:– हम्मम!!! ठीक है आग लगा दो उसके प्रोजेक्ट में। जहां–जहां से अप्रूवल मिलना है, हर जगह रोड़ा डाल दो और साथ में अपने लीगल डिपार्टमेंट को एक फर्जीवाड़ा का केस भी कहो करने। अक्षरा निशांत रिश्ते तुम्हारा भांजा लगता है, जैसा की आर्यमणि मीनाक्षी का था। इसलिए निशांत तुम्हारी जिम्मेदारी। यदि जरा भी भनक लगे की निशांत को प्रहरी में दिखने वाले आम करप्शन से ऊपर का कोई शक है, इस बार कोई रहम नहीं। आर्यमणि और उस माल गायब करने वालों को ढूंढने गयी टीम ने क्या इनफार्मेशन दी, वो बताओ कोई?


तेजस:- "हॉलीवुड फिल्में कुछ ज्यादा देखते है दोनो पक्ष। नागपुर–जबलपुर हाईवे पर 2 स्पोर्ट्स कार में 3 लोग निकले थे। लेकिन जंगल में पाये पाऊं के निशान और भागने के मिले सबूत से वो 5 लोग थे, जिनमें से 2 को कोई नहीं जानता। जबलपुर से एक चार्टर प्लेन 5 लोगो को लेकर दिल्ली निकली, एक चार्टर प्लेन बंगलौर, और एक चार्टर प्लेन मुंबई। ऐसे करके 7 जगहों के लिये चार्टर प्लेन उड़ान भरी थी। इन सभी जगहों के एयरपोर्ट से डायरेक्ट इंटरनेशनल फ्लाइट जाती है। हमने वहां के बुकिंग चेक करवाई। यहां से कन्फ्यूजन शुरू हो गया। सभी एयरपोर्ट पर कल से लेकर आज तक 5 लोगों के 4 ग्रुप सीसी टीवी से अपनी पहचान छिपाकर, 4 अलग-अलग देश गये। किसी भी जगह से आर्य, रूही या अलबेली के नाम का पासपोर्ट इस्तमाल नही हुआ।"

"वहीं जिसने अपना सामान चोरी किया उसकी सूचना तो पहले से ही थी। और जैसा तुमने आशंका जताया था जयदेव वही हुआ। सिवनी से जितने भी वैन निकले थे सब में फर्जी बुकिंग थी, लेकिन एक बड़ा सा लोड ट्रक के टायर के निशान वोल्वो के आस–पास से मिले थे, जो बालाघाट के रास्ते गोंदिया पहुंची। यहां तो और भी कमाल हो गया था। ट्रक चोरी की थी और उसका ड्राइवर.. ये सबसे ज्यादा इंट्रेस्टिंग पार्ट है। उस ड्राइवर को ट्रक पहुंचाने के 10 हजार रूपये मिले थे। ट्रक में एक भी समान नही। कोई चास्मादित गवाह नही और ना ही वहां पर कोई सीसी टीवी फुटेज थी, जिस से यह पता चले की उस ट्रक से कुछ अनलोड भी किया गया था।"


जयदेव:– इसी ट्रक पर अपना सारा माल था। सब लोग इस ट्रक के पीछे पड़ जाओ। पूरी तहकीकात करो अपना खोया माल मिल जायेगा। तेजस तुम नित्या और उसकी टीम को आर्यमणि के पीछे लगाओ। हमें अपने समान के साथ उनकी जान भी चाहिए जो हमारा कीमती सामान ले जाने की जुर्रत कर बैठे।


तेजस:- हम्मम ! ठीक है।


उज्जवल:– सेकंड लाइन सुपीरियर टीम का 1 शिकारी आर्यमणि के पैक पर भारी पड़ेगा यहां तो पूरी टीम के साथ नित्या को पीछे भेज दिया है, तो अब चिंता की बात ही नहीं। यदि नित्या आर्यमणि को नहीं भी मार पाती है तो भी किताब तो ले ही आयेगी। सरदार खान मारा गया सो अब नागपुर में रहने का भी कोई मतलब नहीं निकलता। भूमि और उसके उत्तराधिकारी को बधाई संदेश देते चलो।"


जयदेव:- पूर्णिमा की रात के एक्शन के कारण आम प्रहरी तो आर्यमणि के फैन हो गये है। प्रहरी की आम मीटिंग में आर्यमणि को क्लीन चिट के साथ धन्यवाद संदेश भी देते जाओ। अब से हाई टेबल सीक्रेट प्रहरी मुख्यालय मुंबई होगा। मीनाक्षी और अक्षरा की जिमेमदरी है यहां से सारी काम कि चीजों को मुंबई पहुंचाना।


मीनाक्षी:- हम्मम ! हो जायेगा। सभा समाप्त करते है। …


3 दिन बाद सतपुड़ा के घने जंगलों में तेजस ने जमीन पर एक कतरा अपने खून का गिराया और "हिश्श्श्ष्ष्ष्ष्शश" की गहरी आवाज़ अपने मुंह से निकाला। अचानक ही वहां के हवा का मिजाज बदलना शुरू हो गया और जबतक तेजस कुछ भांप पता उसके गले पर चाकू लग चुका था।


तेजस के कान के पास लहराती सी आवाज गूंजी…. "हमारी याद कैसे तुम्हे यहां तक खींच लायी।"..


तेजस उसका हाथ पकड़कर प्यार से किनारे करते, सामने खड़ी औरत को ऊपर से लेकर नीचे तक देखते हुए…. "आज भी उतनी ही मादक अदाएं है।"..


बाल रूखे, चेहरा झुलसा हुआ, और बदन के कपड़े मैले। शरीर के ऊपर की हड्डियां तक गिनती की जा सकती थी… "लगता है मेरी सजा माफ़ कर दी गयी है।"


तेजस:- हां तुम्हारी सजा माफ हो चुकी है । एक लड़का है आर्यमणि वो अनंत कीर्ति के पुस्तक को लेकर भाग गया है। उसके पीछे जाना है।


नित्या एक मज़ेदार अंगड़ाई लेती… "आह जंगल से बाहर निकलने का वक़्त आ गया है, चले"…


तेजस:- हां बिल्कुल…


प्रहरी की आम मीटिंग से ठीक पहले सेकंड लाइन सुपीरियर शिकारी टीम के 5 शिकारी के साथ नित्या अपने खोज पर जा चुकी थी। नित्या भी सुकेश, उज्जवल और देवगिरी की तरह ही एक सीक्रेट प्रहरी थी जो अपने पिछली गलती की सजा भुगत रही थी। एक लंबा अरसा हो गया था उसे सतपुड़ा के घने जंगलों में विचरते हुए। जितना दूर जंगल का इलाका, वही उसकी सीमा। मन ही मन वो आर्यमणि को धन्यवाद कह रही थी, जिसके किये ने उसे जंगल के जेल से बाहर निकालकर आज़ाद कर दिया था।


प्रहरी की आम मीटिंग में इस बार भी आर्यमणि का नाम गूंजता रहा। शहर को बड़े संकट से निकालने के लिये उसे धन्यवाद कहा गया साथ में उससे हुई छोटी सी नादानी, अंनत कीर्ति की पुस्तक को साथ ले जाना, उसका कहीं ना कहीं दोषी पलक को बताया गया।


पलक की मनसा साफ तो थी लेकिन उससे गलती हुई जिसकी सजा ये थी कि वो नाशिक प्रहरी इकाई में अस्थाई सदस्य की भूमिका निभाएगी और वहीं से प्रहरी के आगे का अपना सफर शुरू करेगी। इसी के साथ पलक के इल्ज़ाम सही थे जो हसने उच्च सभा में लगाए थे। 22 में से 20 उच्च प्रहरी दोषी पाये गये और सरदार खान जैसे बीस्ट अल्फा को खत्म किया जा चुका था।


नागपुर इकाई मजबूत थी और हमेशा ये अच्छे प्रहरी को सामने लेकर आयी है। इसलिए नागपुर की स्थायी सदस्य नम्रता को नागपुर इकाई का मुखिया घोषित किया जाता है। मीटिंग समाप्त होने तक राजदीप ने कई बड़े अनाउंसेंट कर दिये, उसी के साथ सबको ये भी बताते चला कि उसका ट्रांसफर अब नागपुर से मुंबई हो चुका है, इसलिए उसे नागपुर छोड़ना होगा।…


नागपुर में बीस्ट अल्फा ना होने से क्या-क्या बदलाव आ रहे थे, भूमि इसी बात की समीक्षा में लगी हुई थी। हाई टेबल प्रहरी जिनका मुख्यालय पहले नागपुर था और उन्हें कहीं और जाने की ज़रूरत नही थी, उनके लिये महीने में अब 2–3 बार बाहर जाना आम बात हो गयी थी। भूमि अपने ससुराल में बैठकर आराम से सभी गतिविधियों पर नजर बनायी हुई थी। हालांकि सुकेश, मीनाक्षी और जयदेव बातों के दौरान भूमि अथवा जया से आर्यमणि के विषय में जानने के लिये इच्छुक दिखते लेकिन इन्हें भी आर्यमणि के विषय में पता हो तब ना कुछ बताये।


इधर अचानक ही अपनी मासी का प्यारा निशांत के लिये काफी बढ़ गया था। वह निशांत को बिठाकर एक ही बात पूछा करती थी, "उसे आर्म्स एंड एम्यूनेशन" प्रोजेक्ट से क्या लालच है? क्यों वह प्रहरी से दुश्मनी लेने के लिये तैयार है? क्या इसके पीछे की वजह आर्यमणि है, जो जाने से पहले कुछ बताकर गया था?"


निशांत को अक्षरा की बातें जैसे समझ में ही नही आती थी। हर बार वह अक्षरा को एक ही जवाब देता... "उन्हे बिजनेस और प्रोजेक्ट की कोई समझ ही नही। और जिन मामलों को वो समझती नही, उसके लिये क्यों इतनी खोज–पूछ कर रही।"


पलक के लिये विरहा के दिन आ गये थे। जिस कमरे में उसने अपना पहला संभोग किया। जिस कॉलेज में वो आर्यमणि से मिलती थी। जिस शॉपिंग मॉल में वो आर्यमणि के साथ शॉपिंग के लिये जाया करती थी। जिस कार के अंदर उसने आर्यमणि के साथ काम–लीला में लिप्त हुई। पलक को हर उस जगह से नफरत सी हो गयी थी, जहां भी आर्यमणि की याद बसी थी। आर्यमणि के जाने के 10 दिन के अंदर ही पलक भी नागपुर शहर छोड़ चुकी थी और नाशिक पहुंच गयी, जहां उसकी ट्रेनिंग शुरू होती। नाशिक में प्रहरी के सीक्रेट बॉडी का अपना एक बड़ा सा ट्रेनिंग सेंटर था जो किसी के जानकारी में नही था।


चित्रा एक आम सी लड़की जो रोज ही अपने कॉलेज के कैंटीन में अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ बैठती और खाली टेबल को देखकर मायूस सी हो जाती। माधव यूं तो चित्रा को उसके गुमसुम पलों से उबारने की कोशिश करता लेकिन फिर भी चित्रा के नजरों के सामने खाली कुर्सी खटक जाती जो कभी दोस्तों से भरी होती थी।


एक–एक दिन करके वक्त काफी तेजी से गुजर रहा था। नित्या को काम पर लगा तो दिया गया था, लेकिन इस गरीब दुख्यारी का क्या दोष जिसे कोई यह नहीं बता पा रहा था कि आर्यमणि को ढूंढना कहां से शुरू करे। पूरा सीक्रेट बॉडी ही उसके ऊपर राशन पानी लेकर चढ़ा रहता और एक ही बात कहते.… "तुम्हे आजाद ही इसलिए किया गया है ताकि तुम पता लगा सको। यदि अब पता लगाने वाले गुण तुमसे दूर हो चुके है, फिर तो तुम्हे हम वापस जंगल भेज देते है।"… बेचारी नित्या के लिये काटो तो खून न निकले वाली परिस्थिति थी। हां एक तेजस ही था, जो नित्या पर किसी और चीज से चढ़ा रहता था। बस यही इकलौता सुकून और सुख वह जंगल से निकलने के बाद भोग रही थी।


एक ओर आर्यमणि तो दूसरी ओर वो समान चोर, दोनो मिल न रहे थे, ऊपर से सीक्रेट बॉडी प्रहरी की मुसीबत समाप्त नही हो रही थी। आर्म्स & एम्यूनेशन प्रोजेक्ट में ऐड़ी चोटी का जोड़ लगा दिये। निशांत की कंपनी "अस्त्र लिमिटेड" को कोर्ट का नोटिस मिला, जहां बॉम्बे हाई कोर्ट के नागपुर बेंच में सुनवाई होनी थी। "अस्त्र लिमिटेड" पर पैसे की धोकेधरी पर इल्ज़ाम लगा था। "अस्त्र लिमिटेड" के ओर से निशांत अपने वकील के साथ कोर्ट में हाजिर हुआ और जो ही उसने सामने वाले वकील की धज्जियां उड़ाया।


पैसों के जिस धोकाधरी का आरोप "अस्त्र लिमिटेड" पर लगा था, उसके बचाव में निशांत के वकील ने वह एग्रीमेंट कोर्ट को पेश कर दिया, जिसमे साफ लिखा था कि.…. "आर्यमणि के आर्म्स एंड एम्यूनेशन प्रोजेक्ट देश के सशक्तिकरण वाला प्रोजेक्ट है। बिना किसी भी आर्थिक लाभ के अपना सारा पैसा "अस्त्र लिमिटेड" के प्रोजेक्ट में लगाते है। "अस्त्र लिमिटेड" कंपनी जब कर्ज लिये पैसे के 10 गुणी बड़ी हो जाये तो फिर वो 10 चरण में पैसे की वापसी प्रक्रिया पूरी कर सकते है। और यदि प्रोजेक्ट कहीं असफल रहता है, तब उस परिस्थिति में सारा नुकसान हमारा होगा।"


विपक्ष के वकील ने उस पूरे एग्रीमेंट को ही फर्जी घोषित कर दिया। निशांत के वकील ने जिस एग्रीमेंट को पेश किया था, उस एग्रीमेंट को महाराष्ट्र के सरकारी विभाग द्वारा पूरा लेखा–जोखा ही बदल दिया गया था। विपक्ष के वकील सुनिश्चित थे, इसलिए निशांत से उसके डॉक्यूमेंट की विश्वसनीयता साबित करने के लिये कहा गया। देवगिरी पाठक, महाराष्ट्र का डेप्युटी सीएम... पूरा सरकारी विभाग ही पूर्ण रूप से मैनेज किया था, सिवाय एक छोटी सी भूल के, जिसके ओर शायद ध्यान न गया।


पैसों के लेखा जोखा में देवगिरी की कंपनी ने जो हिसाब दिखाया था उसमे "अस्त्र लिमिटेड" को दिये पैसे का जिक्र था। इसके अलावा देवगिरी की कंपनी के 40% के मेजर हिस्सेदार आर्यमणि द्वारा दिया गया ऑफिशियल लेटर जिसमे "अस्त्र लिमिटेड" को कब और कितने पैसे किस उद्देश्य से दिये उसकी पूरी डिटेल थी। लेन–देन का यह रिकॉर्ड बैंक से लेकर आईटी डिपार्मेंट तक में जमा करवायि गयी थी।


प्रहरी के ओर से केस लड़ने गया नामी वकील खुद को हारते देख, तबियत खराब का बहाना करके दूसरा डेट लेने की सोच रहा था। नागपुर की बेंच शायद राजी भी हो गयी होती लेकिन तभी निशांत के वकील ने सुप्रीम कोर्ट का एक दस्तावेज पेश किया.… "अस्त्र लिमिटेड के प्रोजेक्ट को बंद करवाने के लिये महाराष्ट्र के कई सरकारी और गैर–सरकारी विभाग ने सेंट्रल को कई सारे दस्तावेज भेजे और तुरंत प्रोजेक्ट से जुड़े लोगों को हिरासत में लेने की मांग कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट के फाइनल वर्डिक्ट में यह साफ लिखा था कि एक अच्छे प्रोजेक्ट को सभी अप्रूवल के बाद बंद करवाने की पूरी साजिश रची गयी थी। कोर्ट सभी अर्जी को गलत मानते हुये सभी याचिकाकर्ता की निष्पक्ष जांच करे।"


उस दस्तावेज को पेश करने के बाद निशांत के वकील ने जज से साफ कह दिया की पहले भी कंपनी के ऊपर महाराष्ट्र सरकार के कुछ विभागो की साजिश साफ उजागर हुई है। आज भी जब मामला हमारे पक्ष में है तब अचानक से विपक्ष के वकील की तबीयत खराब हो गयी है। मुझे डर है कि अगली तारीख के आने से पहले सबूतों के साथ छेड़–छाड़ होने की पूरी आशंका है, इसलिए अब यह केस नागपुर ज्यूरिडिक्शन के बाहर बहस किया जाना चाहिए। यदि हमारी अर्जी आपको मंजूर नहीं फिर हम फैसले का बिना इंतजार किये सुप्रीम कोर्ट जायेंगे।


निशांत के वकील को सुनने के बाद तो नागपुर बेंच ने जैसे विपक्ष के वकील को झटका दे दिया है और उसके तबियत खराब होने की परिस्थिति में किसी दूसरे वकील को तुरंत प्रतिनिधित्व के लिये भेजने बोल दिया। प्रहरी को काटो तो खून न निकले। देश के जितने बड़े वकील को उन लोगों ने केस के लिये बुलाया था, निशांत का वकील तो उसका भी गुरु निकला। दिल्ली के इस नामी वकील को निशांत ने नही बल्कि संन्यासी शिवम द्वारा नियुक्त किया गया था।


निशांत ने महज महीने दिन में ही आर्म्स एंड एम्यूनेशन प्रोजेक्ट से पार पा लिया था। निशांत अपनी इस जीत के बाद प्रोजेक्ट का सारा काम चित्रा और माधव को सौंपकर कुछ महीनों के लिये वर्ल्ड टूर पर निकल गया। हालांकि वह हिमालय जा रहा था लेकिन दिखाने के लिये उसका पासपोर्ट यूरोप के विभिन्न देशों में भ्रमण कर रहा था। वहीं चित्रा और माधव प्रोजेक्ट के काम के कारण और भी ज्यादा करीब आ गये। हां इस बीच प्रोजेक्ट का काम करते हुये पहली बार चित्रा को माधव का पूरा नाम पता चला था, "अनके माधव सिंह"।


चित्रा, माधव को चिढाती हुयि उसके पहले नाम को लेकर छेड़ती रही। हालांकि माधव कहता रह गया "अनके" का अर्थ "कृपा" होता है। अर्थ तो अच्छा ही था लेकिन चित्रा इसे छिपाने के पीछे का कारण जानना चाहती थी। अंत में चित्रा जब नही मानी तब माधव को बताना ही पड़ा की "अनके" उसकी मां का नाम है और उसके बाबूजी ने उसके नाम के पहले उसकी मां का नाम जोड़ दिया, ताकि कभी वो अपनी मां से अलग ना मेहसूस करे।


इस बात को जानने के बाद तो जैसे चित्रा का गुस्सा अपने चरम पर। आखिर जब इतने प्यार से उसके बाबूजी ने उसका नाम रखा, फिर अभी से अपनी मां का नाम अलग कर दिया। जबकि अनके सुनने में ऐसा भी नही लगता की किसी स्त्री का नाम हो। बहस का दौर चला जहां माधव भी सही था। क्या बताता वो लोगों को, उसका नाम "अनके माधव सिंह" है और उसकी मां का नाम "अनके सिंह"। चित्रा भी अड़ी थी…. "मां का नाम कौन पूछता है? परिचय में भी कोई मां का नाम पूछने पर ही बताता है? ऐसे में जब लोग जानते की मां का नाम पहले आया है तो कितना इंस्पायरिंग होता।"


बहस का दौड़ चलता रहा और कुछ दिन के झगड़े के बाद दोनो ही मध्यस्ता पर पहुंचे जहां माधव अपने पिताजी की भावना का सम्मान रखते खुद का परिचय सबसे एंकी के रूप में करेगा और पूरा नाम "अनके माधव" बतायेगा, न की केवल माधव। खैर दोनो के विचार और आपस का प्यार भी अनूठा ही था। जैसे हर प्रेमी अपने प्रियसी की बात मानकर "कुत्ता और कमिना" नाम तक को प्यार से स्वीकार कर लेते है। ठीक वैसे ही अपना नया नाम माधव ने भी स्वीकार किया था और अब बड़े गर्व से खुद का परिचय एंकी के रूप में करवाता था।


सीक्रेट बॉडी प्रहरी में आग लगाने के बाद सबकी जिंदगी जैसे चुस्त, दुरुस्त और तंदुरुस्त हो गयी थी। जया और भूमि दुनियादारी को छोड़कर दिन भर आने वाले बच्चे में ही लगी रहती। नम्रता के पास नागपुर प्रहरी की कमान आते ही ठीक वैसा हो रहा था जैसा भूमि चाहती थी। बिलकुल साफ और सच्चे प्रहरी। फिर तो पूरे नागपुर में नम्रता ने ऐसा दबदबा बनाया की प्रहरी के दूसरे इकाई के शिकारी नागपुर आने से पहले १०० बार सोचते... "नागपुर गया तो कहीं बिजली मेरे ऊपर न गिर जाये। हर बईमान प्रहरी नागपुर से साफ कतराने लगा हो जैसे।


नागपुर की घटना को पूरा 45 दिन हो चुके थे। प्रहरी आर्यमणि और संग्रहालय चोर को ढूंढने में ऐड़ी चोटी का जोड़ लगा दिये लेकिन नतीजा कुछ नही निकला। एशिया, यूरोप, से लेकर अमेरिका तक सभी जगह आर्यमणि और संग्रहालय के सामानों की तलाश जारी थी। लोकल पुलिस से लेकर गुंडे तक तलाश रहे थे। हर किसी के पास आर्यमणि, रूही और अलबेली की तस्वीर थी। इसके अलावा संग्रहालय से निकले कुछ अजीब सामानों की तस्वीर भी वितरित की जा चुकी थी। और इन्हे ढूंढकर पकड़ने वालों की इनामी राशि 1 मिलियन यूएसडी थी। सभी पागलों की तरह तलाश कर रहे थे।


लोग इन्हें जमीन पर तलाश कर रहे थे और आर्यमणि.… वह तो गहरे नीले समुद्र के बीच अपने सर पर हाथ रखे उस दिन को झक रहा था जब वह नागपुर से सबको लेकर निकला.…
वाह भाई वाह क्या मज़ेदार अपडेट दिए हो। ससुरा दिल को सकून मिल गवा। आर्य भाई की लगाई फुलझड़ीया तो अभी तक जल ही रही है ससुरा डेढ़ महिनवा हो गया फिर भी सभी फुदक ही रहे है। चलो एक काम तो ठीक हुआ नागपुर साफ और स्वच्छ हो गवा अब इधर नम्रता और भूमि का कंट्रोल है। और निशांत ने भी क्या गज़ब की पेली है सीक्रेट बाड़ी वालो की साले निशांत से फेक्ट्री ले नही पाए न कुछ बिगाड़ पाए आये है आर्यमणि जो ढूंढने और साला वो ससुरा समुंदर के बीच मे जा के बैठा है वहाँ खुद भी ट्रैनिंग करेगा और अपने पैक को भी ताकतवर बनायेगया। वैसे यहाँ से गये हथियार और बुक्स उन्हें बहुत काम आने वाली है सारे लेवल के प्रहरी इन किताबो और हथियारो से ही तो मजबूत बने होंगे। नित्या का भोग तेजस कर रहा है तो बेचारी वेदही भाभी का क्या हो रहा है। मीनाक्षी और अक्षरा तो बड़ी वाली चुड़ैलें निकली। चलो आज के चारो अपडेट पढ़ कर अब सुकून मिल गया अब नैनु भाई से कोई गिला नही।
शुभरात्रि ।। जय सियाराम ।।
 
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