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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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भाग:–59







आर्यमणि सबको चुप करवाते.… "हमारे साथ में एक मेहमान को भी है। मैं जरा उस से भी कुछ सवाल जवाब कर लेता हूं, तुमलोग जरा शांत रहो। आर्यमणि सरदार का मुंह खोलकर… "हां सरदार कुछ सवाल जवाब हो जाये।"


सरदार:- मेरा थोड़ा दर्द ले लो।


आर्यमणि:- हम्मम ! दर्द नहीं तुम्हारी याद ही ले लेते है सरदार।


आर्यमणि ने अपना क्ला सरदार के गर्दन में पिछले हिस्से में डाला और उसकी यादों में झांकने लगा। ऐसी काली यादें सिर्फ इसी की हो सकती थी। अपने जीवन काल में इसने केवल जिस्म भोगना ही किया था, फिर चाहे कामुक संतुष्टि हो या नोचकर भूख मिटान। आर्यमणि के अंदर कुछ अजीब सा होने लगा। उसने अपना दूसरा हाथ हवा में उठा दिया। रूही बस को किनारे खड़ी करते… "बॉस के हाथ में सभी अपने क्ला घुसाओ, जल्दी।"..


हर किसी ने तुरंत ही अपना क्ला आर्यमणि के हाथ में घुसा दिया। चूंकि उन सब के हाथ आर्यमणि के प्योर ब्लड में थे, इसलिए उन्हें काले अंधेरे नहीं दिखे केवल सरदार खान की यादें दिख रही थी। काफी लंबी याद जिसमे केवल वॉयलेंस ही था। लेकिन उसमें कहीं भी ये नहीं था कि सरदार नागपुर कैसे पहुंचा। आर्यमणि पूरी याद देखने के बाद अपना क्ला निकला। कुछ देर तक खुद को शांत करता रहा…. "इसकी यादें बहुत ही विचलित करने वाली हैं।"..


रूही:- और मेरी मां फेहरिन के साथ इसने बहुत घिनौना काम किया था। सिर्फ मेरी वजह से वो आत्महत्या तक नहीं कर पायि।


ओजल:- इसे मार डालो, जिंदा रहने के लायक नहीं। आई (भूमि) ने मुझे मेरा इतिहास बताया था, सुनने में मार्मिक लगा था। लेकिन अभी जब अपने जन्म देने वाली मां की हालत देखी, रूह कांप गया मेरा।


अलबेली ने तो कुछ कहा ही नहीं बल्कि बैग से उसने एक चाकू निकाला और सीधा सरदार के सीने में उतारने की कोशिश करने लगी। लेकिन वो चाकू सरदार के सीने में घुसा नहीं।


आर्यमणि तेज दहाड़ा… सभी सहम कर शांत हो गये… "इसकी मौत तो आज तय है। रूही तुम गाड़ी आगे बढ़ाओ। सरदार हमने सब देखा। मै बहुत ज्यादा सवाल पूछ कर अब अपना वक़्त बर्बाद नहीं करूंगा और ना ही तुम्हे साथ रखकर अपने पैक का खून जलाऊंगा.... कुछ कहना है तुम्हे अपने आखरी के पलों में.."


सरदार खान:- "मुझे मेरे बेटे ने कमजोर कर दिया और मेरे शरीर में पता नहीं कौन सा जहर उतार दिया। इतना सब कुछ देखने के बाद मैं समझ गया की चौपाल पर तुमने सही कहा था। मेरे अंदर जहर उन्हीं लोगों का दिया है जिसने मुझे बनाया और वो मेरी ताकत मेरे बेटे के अंदर डालकर अपनी इमेज साफ रखना चाहते थे। जैसा कि तुम जानते हो मेरी याद से छेड़छाड़ किया गया है, और वो सिर्फ इसी दिन के लिये किया गया था। तुम उनकी ताकत का अंदाजा भी नहीं लगा सकते। हम जैसे प्रेडेटर का वो लोग मालिक है और मेरे मालिको का तुम एक बाल भी बांका नहीं कर सकते। उसके सामने कीड़े मकोड़े के बराबर हो तुम लोग। वो अपेक्स सुपरनैचुरल है, मै एक बीस्ट और तुम लोग की तो कोई श्रेणी ही नहीं।"

"अभी जिनसे तुम्हारा सामना हुआ था, वो थर्ड लाइन सुपीरियर शिकारी थे, जिसे तुमने बड़ी मुश्किल से झेला। तब क्या होगा जब सेकंड लाइन सुपीरियर शिकारी का सामना करोगे। इसके आगे तो तुम्हारे बाप ही है, जिन्हे पूजनीय सिवा छोड़कर कुछ और कह ही नही सकते। वो आयेंगे तुम्हे, तुम्हारे पैक सहित समाप्त करेंगे और चलते बनेंगे। सिवाय मुंह देखने के और कुछ न कर पाओगे"


रूही:- सुन बे घिनौने से जीव, तूने ये जिस भी पूजनीय तोप का नाम लिया है... वो हमे मारे या हम उसे, ये तो भविष्य की बातें है, जिसे देखने के लिये तू नही जिंदा रहेगा। बॉस क्या टाइम पास कर रहे हो, वैसे भी ये कुछ बताने वाला है नहीं, मार डालो।


आर्यमणि:- इसे खुद भी कुछ पता नहीं है रूही, जितना जानता था बता चुका। अपने मालिको का गुणगान कर चुका। खैर जिसके बारे में जानते नही उसकी चिंता काहे... बस को साइड में लगाओ, इसे मुक्ति दे दिया जाय…


सरदार खान को हाईवे से दूर अंदर सुनसान में ले जाया गया। उसके हाथ और पाऊं को सिल्वर हथकड़ी से बांधकर उसके मुंह को सिल्वर कैप से भर दिया गया, जिसमें पाइप मात्र का छेद था। उसके जरिये एक पाइप उसके मुंह के अंदर आंतरियों तक डाल दिया गया। नाक के जरिये भी 2 पाइप उतार दिए गये। हाथ और पाऊं को सिल्वर की चेन में जकड़कर पेड़ से टाईट बांध दिया गया।…. "चलो ये तैयार है।"


तीन ट्यूब उसके शरीर के अंदर तक थे। एक ट्यूब से पहले धीरे–धीरे उसके शरीर में लिक्वड वुल्फबेन उतारा जाने लगा। दूसरे पाइप से लिक्वड मर्करी और तीसरे पाइप से पेट्रोल। 8 लीटर लिक्वड वुल्फबेन पहले गया। लगभग उसके 15 मिनट बाद 6 लीटर पेट्रोल और सबसे आखरी में 4 लीटर लिक्वड मर्करी।


रूही:- सब डाल दिया इसके अंदर।


आर्यमणि:- पेट्रोल डालते रहो और, इसके चिथरे उड़ाने है।


रूही:- बॉस, 12.30 बज गया है, लोग हमारी तलाश में निकल रहे होंगे।


आर्यमणि:- एक का कॉल नहीं आया है अभी तक, मतलब अभी सब मामला समझने कि कोशिश ही कर रहे होंगे।


"मुझसे और इंतजार नहीं होता, आप तो हमे पकाये जा रहे हो। ये हुआ रावण दहन को तैयार। सब ताली बजाकर हैप्पी दशहरा कहो"… रूही जल्दी मे अपनी बात कही और सभी ने पेट्रोल पाइप में आग लगा दिया। अंदर ऐसा विस्फोट हुआ कि आर्यमणि के पूरे शरीर पर मांस के छींटे थे। उसका शरीर विस्फोट के संपर्क में आ चुका था और हालत कुछ फिल्मी सी हो गई थी। चेहरे की चमरी जल गई। कपड़ों में आग लगना और फिर बुझाया गया। आर्यमणि की हालत कुछ ऐसी थी.… आधा चेहरा जला। आधे जले कपड़े और पूरे शरीर पर मांस के छींटे के साथ शरीर पर विस्फोट के काले मैल लगे थे।


आर्यमणि बदहाली से हालात में चारो को घूरने लगा। आर्यमणि को देखकर चारो हसने लगे। रात के तकरीबन पौने १ (12.45am) बज रहे थे, आर्यमणि के मोबाइल पर रिंग बजा… "शांत हो जाओ, और तुम सब भी सुनो।"… कहते हुए आर्यमणि ने फोन स्पीकर पर डाला..


पलक:– हेलो...

आर्यमणि:– हां पलक...

पलक:– उम्म्मआह्ह्ह्ह... लव यू मेरे किंग। नागपुर पहुंचकर अब तक गुड न्यूज नही दिये।

आर्यमणि:– मुझे लगा गुड न्यूज तुम्हे देना है। हमने एक साथ इतने शानदार कारनामे किये की मुझे लगा तुम उम्मीद से होगी।

पलक, खून का घूंट अपने अंदर पीती.… "मजाक नही मेरे किंग। प्लीज बताओ ना...


आर्यमणि:– अनंत कीर्ति की पुस्तक खोलने की कोशिश तो की लेकिन जब वह नही खुला तब घूमने निकल आया। अब किस मुंह से कह देता की मैं असफल हो गया।


"कहां हो अभी तुम मेरे किंग।"… पलक की गंभीर आवाज़..

आर्यमणि जोड़ से हंसते हुये.… "राजा–रानी.. हाहाहा.. तुम्हे ये बचकाना नही लग रहा है क्या?"

पलक चिढ़ती हुई... "कहां हो तुम इस वक्त आर्य"…

आर्यमणि:– सरदार खान के चीथड़े उड़ा रहा था। तुम इतनी सीरियस क्यों हो?

पलक, लगभग चिल्लाती हुई…. "सरदार खान तुम्हारी जिम्मेदारी नहीं थी, तुम्हारे वॉयलेंस के कारण संतुलन बिगड़ चुका है। तुमने यह अच्छा नहीं किया।"


आर्यमणि:- अच्छा नही किया। पलक एक दरिंदे को मैंने मारा है, जिसने मेरे पैक के साथ बहुत ही अत्याचार किया था। रेपिस्ट और मडरर के लिये इतना भी क्या गुस्सा। मैने तुमसे प्यार किया लेकिन शायद तुमने मुझे कभी समझा ही नहीं। मेरे साथ रहकर तुमने इतना नहीं जाना की मेरे डिक्शनरी में अच्छा या बुरा जैसा कोई शब्द नहीं होता। अब जो कर दिया सो कर दिया। रत्ती भर भी उसका अफसोस नहीं...


पलक:- अनंत कीर्ति की किताब कहां है।


आर्यमणि:- वो मुझसे खुलते-खुलते रह गई। जब मै खोल लूंगा तो किताब का सारांश पीडीएफ बनाकर मेल कर दूंगा।


पलक:- दुनिया में किसी के लिए इतनी चाहत नही हुयि, जितना मैने तुम्हे चाहा था आर्य। लेकिन तुमने अपना मकसद पाने के लिए मुझसे झूट बोला। तुमने मेरे साथ धोका किया है आर्य, तुम्हे इसकी कीमत चुकानी होगी।


आर्यमणि:- प्यार तो मैने भी किया था पलक। यदि ऐसा न होता तो आर्यमणि का इतिहास पलट लो, वो किसी को इतनी सफाई नही दे रहा होता। शायद अपनी किस्मत में किसी प्रियसी का प्रेम ही नही। और क्या कही तुम अपने मकसद के लिये मैंने तुम्हारा इस्तमाल किया। ओ बावड़ी लड़की, सरदार खान को मारना मेरा मकसद कहां से हो गया। उसके सपने क्या मुझे बचपन से आते थे? यहां आया और मुझे एक दरिंदे के बारे में पता चला, नरक का टिकिट काट दिया। ठीक वैसे ही एक दिन मै मौसा के हॉल का टीवी इधर से उधर कर रहा था, पता नहीं क्या हो गया उस घर में। मौसा ने मुझे एक फैंटेसी बुक दिखा दी।"

"अब जिस पुस्तक का इतना शानदार इतिहास हो उसे पढ़ने के लिये दिल में बेईमानी आ गयी बस। यहां धूम पार्ट 1, पार्ट 2, और पार्ट 3 की तरह कोई एक्शन सीरीज प्लान नहीं कर रहा था। लगता है तुम लोग किसी मकसद को साधने के लिए इतनी प्लांनिंग करते हो। जैसा की शायद सतपुरा के जंगल में हुआ था। अपने से इतना नहीं होता। अब तो बात ईगो की है। मै ये बुक अपने पास रखूंगा। इस किताब की क्या कीमत चुकानी है, वो बता दो।"


पलक:- तुम्हारे छाती चिड़कर दिल बाहर निकालना ही इसकी कीमत होगी। तुमने मुझे धोका दिया है। कीमत तो चुकानी होगी, वो भी तुम्हे अपनी मौत से।


आर्यमणि:- "तुम्हे बुक जाने का गम है, या सरदार के मरने का या इन दोनों के चक्कर में तुम्हारे परिवार ने मुझसे नाता तोड़ने कह दिया उसका गम है, मुझे नहीं पता। अब मैं ये बुक लेकर चला। वरना पहले मुझे लगा था, सरदार को मारकर जब मैं वापस आऊंगा तो तुम मुझे प्रहरी का गलेंटरी अवॉर्ड दिलवा दोगी। तुमने तो किताब चोर बाना दिया। खैर, तुमने जो मुझे इस किताब तक पहुंचाने रिस्क लिया और मुझ पर भरोसा जताया उसके लिए तहे दिल से शुक्रिया। मैं तुम्हारे भरोसे को टूटने नहीं दूंगा। एक दिन यह किताब खोलकर रहूंगा।"

"मैंने और मेरे पैक ने सरदार को खत्म किया। तुम्हारे 10 प्रहरी को बचाया। शहर पर एक बड़ा हमला होने वाला था, जिसे ये लोग जंगली कुत्तों का अटेक दिखाते, उस से शहर को बचाया। बिना कोई सच्चाई जाने तुमने दुश्मनी की बात कह दी। मै चला, अब किसी को अपनी शक्ल ना दिखाऊंगा। तबतक, जबतक मेरा दिल ना जुड़ जाये। और हां देवगिरी भाऊ को थैंक्स कह देना। उन्होंने जो मुझे 40% का मालिक बनाया था, वो मै अपने हिस्से के 40% ले लिया हूं। जहां भी रहूंगा उनके पैसे से लोक कल्याण करूंगा। रूही मेरे दिल की फीलिंग जारा गाने बजाकर सुना दो।"


पलक उधर से कुछ–कुछ कह रही थी लेकिन आर्यमणि ने सुना ही नहीं। उपर से रूही ने… "ये दुनिया, ये महफिल, मेरे काम की नहीं"….. वाला गाना बजाकर फोन को स्पीकर के पास रख दिया।


आर्यमणि:- सरदार की बची लाश को क्रॉस चेक कर लिया ना? ऐसा ना हो हम यहां लौटकर आये और ये जिंदा मिले। इसकी हीलिंग पॉवर कमाल की है।


रूही:- हम सबने चेक कर लिया है बॉस, तुम भी सुनिश्चित कर लो।


ओजल:- ओ ओ.. पुलिस आ रही है।


आर्यमणि:- अच्छा है, वो आरी निकलो। पुलिस वालों से ही लाश कटवाकर इसकी मौत सुनिश्चित करेंगे।


1 एसआई, 1 हेड कांस्टेबल और 4 कांस्टेबल के साथ एक पुलिस जीप उनके पास रुकी। इससे पहले कि वो कुछ कहते… "जेल ले जाओगे या पैसे चाहिए।"..


एस आई… "कितने पैसे है।"..


आर्यमणि:- मेरे हिसाब से किये तो 20 लाख। और यहां से आंख मूंदकर केवल जाना है तो 2 लाख। जल्दी बताओ कि क्या करना है।


एस आई:- ये अच्छा आदमी था, या बुरा आदमी।


आर्यमणि:- कोई फर्क पड़ता है क्या?


एस आई:- अच्छा आदमी हुआ तो 1 करोड़ की मांग होगी, वो क्या है ना जमीर गवाही नहीं देगा। बुरा आदमी है तो 20 लाख बहुत है, पार्टी भी कर लेंगे।


रूही:- ये मेरा बाप था। नागपुर बॉर्डर पर इसकी अपनी बस्ती है, सरदार खान नाम है इसका।


एस आई:- 50% डिस्काउंट है फिर तो। साले ने बहुत परेशान कर रखा था... यहां के कई गांव वालों को गायब किया था।


आर्यमणि:- इसकी लाश को काटो। रूही 50 लाख दो इन्हे। सुनिये सर इसकी वजह से जिन घरों की माली हालात खराब हुई है उन्हें मदद कर दीजिएगा।


एस.आई, लाश को बीच से कई टुकड़े करते…. "इतनी ज्यादा दुश्मनी थी, की मरने के बाद चिड़वा रहे। खैर तुमलोग अच्छे लगे। लो एक काम तुम्हारा कर दिया, अब तुम सब निकलो, मै केवल विस्फोट का केस बनाता हूं, और इसकी लाश को गायब करता हूं।


आर्यमणि, एस.आई कि बात मानकर वहां से निकल गया। उसके जाते ही एस.आई, सरदार खान के ऊपर थूकते हुए…. "मैं तो यहीं था जब तू लाया गया। आह दिल को कितना सुकून सा मिला। चलो ठिकाने लगाओ इसको और इस जगह की रिपोर्ट तैयार करके दो।"..


इधर ये सब जैसे ही निकले…. "इन लोगो के पास हमारे यहां आने की पूर्व सूचना थी ना। लगा ही नहीं की ये किसी के फोन करने के कारण आये हैं।".. रूही ने अपनी आशंका जाहिर की


आर्यमणि:- सरदार अपनी दावत के लिये यहीं से लोगो को उठाया करता था। ये थानेदार यहीं आस-पास का लोकल है, जिसको पहले से काफी खुन्नस थी। इसकी गंध मैंने 20 किलोमीटर पहले ही सूंघ ली थी, जब हम एमपी में इन किये। ये बॉर्डर पर ही गस्त लगा रहा था। खैर समय नहीं है, चलो पहले निकला जाय।


इन लोगो ने वोल्वो को एमपी के एक छोटे से टाउन सिवनी तक लेकर आये, जो नागपुर और जबलपुर के हाईवे पर पड़ने वाला पहला टाउन था। वोल्वो एक वीराने में लगा जहां उसके समान को ट्रक में लोड किया गया और वाया बालाघाट (एमपी), गोंदिया (महाराष्ट्र) के रास्ते उसे कोचीन के सबसे व्यस्त पोर्ट तक पहुंचाने की वयवस्थ करवा दी गयि थी। वोल्वो खाली करवाने के तुरंत बाद जबलपुर, प्रयागराज के रास्ते दिल्ली के लिये रवाना हो गयि। वोल्वो पर लाये स्वामी के बेहोश आदमी के दिमाग के साथ आर्यमणि ने थोड़ी सी छेड़–छाड़ किया और उसे 40 लाख के बैग के साथ वहीं वीराने में छोड़ दिया। वोल्वो एक अतरिक्त काम था, जिसे करवाने के लिये थोड़ी मेहनत करनी पड़ी थी। बाकी चकमा देने का जो भी काम था, वह वोल्वो के खाली होने के साथ ही चल रहा था।


वोल्वो का काम समाप्त करने के उपरांत वुल्फ पैक सिवनी टाउन से जबलपुर के रास्ते पर तकरीबन 20 किलोमीटर आगे तक दौड़ लगाते पहुंचे, जहां इनके लिये 2 स्पोर्ट कार पहले से खड़ी थी। एक कार में रूही और दूसरे में आर्यमणि, और दोनो स्पोर्ट कार हवा से बातें करती हुयि जबलपुर निकली। सभी के मोबाइल सड़क पर थे। लगभग रात के 2 बजे तक इनका लोकेशन सबको मिलता रहा, उसके बाद अदृश्य हो गये।
 
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