Palak ko uski ma ne kahkr bheja hai ki arya ko 2-4 gahne platnam or diamond ke dilva de or kapdo ka khud palak ne kaha tha, idhar ek ladke or damad ki sadi kr rhe hai pr dusre damad ke kapde bhul ja rhe kya baat hai

inko dekh kr to aisa lag rha jaise arya ko bs formelty ke liye hi damad damad chillaye ja rhe hai bs usko marne ka planning me aisa busy huye hai ki kapde or abhushan kharidne ko bhi Samay nhi mila palak ke parivar ko, or samay bhi kb mila sadi vale din, kahi aisa to nhi arya ko Nagpur se dur rakhne ki sajish thi ye (mujhe to is incident ko dekh aisa lga jaise bali ke liye prayog kiye ja rhe bakre ko sajaya bhi usi din jata hai jis din uski bali di jani hoti hai)...
Palak ne showroom sex bhi Injoy kiya iske pahle car sex at the road side bhi dekha Hamne (Hey prabhu Kripya apna honeymoon Pahle Injoy karke aaye fir story likhe, hmare arman Kahe dobara jga rhe ho malik)...
Yha Pahle sirf Sardar khan ko replace karne ka hi samajh aaya tha lekin is update me to aapne har prahari khand ke beast ko replace karne ki baat btai hai usko padh kr Sarkar ka ek vakya yaad aa gya (jb Kabhi bhi kisi ek jile ke DM pr curreption ka pta ya arop chalta hai to Sarkar turant hi uske aas pass ke baki DM ka tabadla turant kr deti hai taki bakiyo ka pta na Chalne paye) vaisa hi kuchh yha dekhne mil rha hai... Pr kya khoob likha hai aapne bhaya maza aa gya padh kr...
5 taraf se planning Sardar khan secret body swami or arya ke sath sath bhumi, sabne fielding baitha rakhi hai ab dekhna ye hai ki Kon kis pr or kitni baji maar pate hai...
Arya tbtk surakshit hai jb tk book sabke Padhne layak khul nhi jati vahi secret body ne jo apne 3rd line spacial prahari bheje hai unka hi dar hai, kahi vo ruhi Albeli ko kuchh kr na de or Vo bacche to abhi jyada kuchh dekhe bhi nhi duniya me...
Sadi ke liye 12 baj rhe hai, bhumi Di ke 22 logo ka thikana pta Chal chuka hai, Sardar khan jungly kutto ko insani mans ki lat dalva rha hai, uska beta usko marne ki Vahi 500 log arya ka rasta rokne ki or sath hi sniper kuchh raste me to kuchh Sardar khan ke haveli ke aas pass, or Ye samajh nhi aya ki swami NE jin 22 logo ki kundali nikali vo or bhumi ke jin 22 logo ka pta thikana Sardar khan ki info ke liye rakha tha vo, alag alag hai Ya ye vo 22 hai jinko palak ne listed kiya tha currept logo ki...
भाग:–52
मंगलवार की सुबह थी। सुबह-सुबह ही राजदीप का फोन आर्यमणि के मोबाइल पर बजने लगा। आर्यमणि फोन पिकअप करते… "सुबह-सुबह मेरी याद कैसे आ गयि भईया। आपको तो अभी किसी और के साथ व्यस्त होना था।"..
राजदीप:- बाकी सबसे तो बात होते रहेगी, लेकिन मै तुम्हे मेरी शादी के लिये खास आमन्त्रित करता हूं। बारात में रंग तुम्हे ही जमाना है।
आर्यमणि:- इसके लिये पहले ही पलक वार्निग दे चुकी है भईया। बोली मेरे राजदीप दादा और दीदी के लगन में तुमने रंग ना जमाया तो हम कोर्ट मैरिज करेंगे, भुल जाना कोई धूम–धाम वाली शादी होगी।
राजदीप:- हाहाहाहा… ज्यादा बातें नहीं करती वो मुझसे लेकिन बहुत चाहती है मुझे। अच्छा मेरा एक छोटा सा काम करोगे।
आर्यमणि:- कहिए ना भईया।
राजदीप:- पलक से साथ मुंबई चले जाओ वहां पर सबके डिज़ाइनर कपड़े बने हुए है उसे लेकर आना है।
आर्यमणि:- एक काम कीजिये आप डिटेल सेंड कर दीजिए मै वहां चला जाता हूं। घर में अभी बहुत से काम होंगे, पलक का वहां होना जरूरी है।
राजदीप:- वो बात नहीं है, दरसअल पलक तुम्हारे लिये वहां से कुछ अपनी पसंद का खरीदना चाहती है। वो तुमसे थोड़ी झिझक रही है बात करने में, और यहां मुंह फुलाए बैठी है, कि सबके लिए आया आर्य के लिए क्यों नहीं?
आर्यमणि:- बच्चो जैसी जिद है। मुझे अच्छा नहीं लगेगा यूं ऐसे अभी कुछ लेना। सॉरी भईया मै वो कपड़े तो ले आऊंगा लेकिन अपने लिये कुछ लेना, मेरा दिल गवारा नहीं कर रहा।
"फोन स्पीकर पर ही है, और तू अपने दिल, जिगर, गुर्दे, कलेजे को अंदर डाल। ये मै कह रही हूं। जैसा राजदीप ने कहा है वो कर। कुछ कहना है क्या तुम्हे इसपर?"…… "नहीं कुछ नहीं आंटी। मैं जाता हूं।"
अक्षरा:- जाता हूं नहीं। यहां आ पलक को ले, और फिर दोनो एयरपोर्ट जाओ। आज तुम दोनों का काम सिर्फ मुंबई घूमना और कपड़े लेना है। आराम से शाम तक शॉपिंग करके सीधा नाशिक पहुंचना। और सुन.. नहीं छोड़ तू यहीं आ फिर बात करती हूं।
कुछ वक़्त बाद आर्यमणि, पलक के घर पर था। दोनो के मुंबई निकलने से पहले अक्षरा, पलक को शख्त हिदायत देकर भेजी, आर्य के पास कम से कम गले और हाथ में पहनने के लिए डायमंड और प्लैटिनम की ज्वेलरी तो होनी ही चाहिए। आर्यमणि गुस्से में चिढ़ते हुए कहता भी निकला..… "बप्पी लहरी ही बना दो।"…. (माफ कीजिएगा यह तब का लिखा था जब बप्पी दा इस दुनिया में थे। उनको भावनापूर्ण श्रद्धांजलि। ॐ शांति !!) उसकी बात सुनकर सब हंसने लगे। जैसे ही कार में बैठकर दोनो कुछ दूर आगे निकले, अपनी सुबह को दुरुस्त करते एक दूसरे के होंठ को बड़ी बेकरारी में चूमे और एयरपोर्ट के लिये निकल गये।
तकरीबन 8.30 बजे सुबह दोनो मुंबई एयरपोर्ट पर थे जहां उनके लिये पहले से एक कार पार्क थी। देवगिरी की वो भेजी कार थी, दोनो उसमे सवार होकर पहले तो देवगिरी के घर पहुंचे जहां बहुत सी बातों पर चर्चा हुई। खासकर देवगिरी के अकूत संपत्ति में से 40% हिस्से को लेकर। दोनो फिर देवगिरी के ड्राइवर के साथ पहले एक बड़े से ज्वेलरी शॉप में गये, जहां पलक ने अपनी पसंद के 2 प्लैटिनम ब्रेसलेट और एक गले का हार खरीदी।
वहां से दोनो पहुंचे फैशन स्टोर। मुंबई की एक महंगी जगह जहां सेलेब्रिटी अपने कपड़ों के लिए आया करते थे। यूं तो ये शॉप 12 बजे खुलती थी, लेकिन देवगिरी का एक कॉल ही काफी था शॉप को 11.30 बजे ओपन करवाने के लिये। पलक ने अपने लिए 4-5 ड्रेस सेलेक्ट की और आर्यमणि के लिये भी उतने ही। दोनो अपने अपने कपड़े लेकर आखरी के ट्रायल रूम के ओर बढ़ रहे थे।
जैसे ही पलक ट्रायल रूम में घुसी, आर्य तेजी के साथ उसी ट्रायल रूम में घुसा और पलक को झटके से दीवार से चिपकाकर उसके गर्दन पर अपने होंठ लगाकर चूमने लगा। पलक भी आर्य के बदन को स्मूच करती उसके चेहरे को ऊपर लेकर आयि और होंठ से होंठ लगाकर किस्स करने लगे।
पलक मिडी ड्रेस पहनकर निकली थी। कूल और स्टाइलिश सिंगल ड्रेस जो नीचे घुटनों तक आती थी। आर्यमणि अपने हाथ नीचे ले जाकर, घुटनों तक लंबे ड्रेस को कमर के ऊपर चढ़ा दिया और पैंटी को किनारे करके योनि के साथ खेलने लगा.….. "आह्हहहहहहह, उफ्फफफ, आह्हहहहहहहह"
पलक पूरा मुंह खोलकर मादक सिसकारियां लेने लगी। आर्यमणि भी उसकी उत्तेजना बढाते, गर्दन पर लव बाइट देते, अपनी उंगली योनि के अंदर डालकर पलक के बदन में भूचाल मचा रहा था। पलक उत्तेजना मे पूरा मुंह खोलकर मादक सिसकारी लेती हुई, अपने हाथ नीचे ले जाकर आर्यमणि के पैंट का जीप खोल दी। लिंग को बाहर निकालकर अपने हाथ से उसे आगे-पीछे करके पूरा तैयार करती, अपने योनि के ऊपर घिसने लगी।
पलक ये उत्तेजना संभाल नहीं पायि और अपने दोनो पाऊं आर्यमणि के कमर मे डालकर उसके गोद में चढ़ गई। आर्यमणि अपनें बांह में उसका पूरा बदन जकर कर अपने ऊपर लिटा दिया और होंठ को पूरे मदहोशी से चूसने लगा। पलक भी उतनी ही मदहोश। अपने हाथ नीचे ले जाकर लिंग के सुपाड़े को अपने योनि के अंदर घुसाई और कमर को हल्का नीचे के ओर धक्का दी... "आह्हहहह.. आह्हहह ……. आह्हहहहहहह.. आर्य.. आह्हह.. और तेज… हां.. हिहिहिही... हां.. हां.. उफ्फफफ.. मज़ा आ गया आर्य.. ईशशशशशश.. धीमे नहीं आर्य.. पूरे जोश से.. यसससस... आह्हहहह"….
उफ्फ क्या मादक एहसास था। दोनो एक दूसरे के होंठ चूमते लगातार धक्के लगा रहे थे। बिल्कुल रोमांचित करने वाला एहसास था। थोड़ी देर में दोनो फारिग होकर श्वांस सामान्य करने लगे। सामान्य होकर दोनो की नजर एक दूसरे पर गयि और दोनो एक दूसरे को देखकर हसने लगे। पलक ने आर्यमणि का चेहरा अपने दोनो हाथ में थामकर उसे पूरा चूमा… "आर्य अब फुर्ती दिखाओ।"..
आर्यमणि अपने ट्रॉयल करने वाले कपड़े समेटकर गेट को हल्का खोला। नजर पहले दाएं, फिर बाएं और किसी को इस ओर आते ना देखकर वो सटाक से दूसरे ट्रायल रूम में पहुंच गया। दोनो अपने लिये वहां से 2 ड्रेस सेलेक्ट किये। पलक ने अपनी पसंद की एक शानदार टैक्सिडो जबरदस्ती आर्यमणि से लड़कर, आर्यमणि के लिए खरीदी, जो दिखने में वाकई कमाल का था। नए लिये ड्रेस का फीटिंग माप लेकर, ड्रेस डिजाइनर ने फिटिंग के लिए 2 घंटे का वक्त लिया। पलक वहां से आर्यमणि को लेकर एसेसरीज खरीदने निकली। मैचिंग फुट वेयर इयर रिंग इत्यादि।
तकरीब 4 बजे शाम तक दोनो पूरे शॉपिंग से फ्री हुए और रात के 8 बजे नाशिक के उस रिजॉर्ट में पहुंच चुके थे, जहां शादी से 5 दिन पहले सारे करीबी अतिथि के साथ, शादी वाले परिवार पहले से पहुंचे हुये थे। रंगारंग कार्यक्रम के बीच एक-एक दिन करके आखिर वो दिन भी आ ही गया जब जया और भूमि के कहे अनुसार आर्यमणि अपनी जिंदगी जीने निकलता।
कुल मिलाकर एक उत्कृष्ठ फैसला जहां पहले के कई महीने आर्यमणि के लिए काफी मुश्किल भरा गुजरा था। वो चीजों को जितना जल्दी हल करने की कोशिश कर रहा था, चीजें उतनी ही उलझती चली जा रही थी। वहीं जबसे मां और भूमि दीदी ने उम्मीद से भरा रास्ता दिखाया था, सब कुछ जैसे आसान सा हो गया था। आर्यमणि के मन में ना तो अब किसी भी प्रकार के सवाल को लेकर चिंता थी। और ना ही प्रहरी कौन है और कैसा समुदाय उसकी चिंता। उसे बस एक छोटा सा काम शौपा गया था, सरदार खान की हस्ती को खत्म करके यदि उससे कोई जानकारी निकले तो ठीक, वरना जिंदगी जीने और खुलकर जीने के लिये इन सब से कहीं दूर निकल जाये।
भविष्य क्या रंग लाती वो तो आने वाले वक़्त का सस्पेंस था, जिसे आज तक कोई भविष्य वक्ता भी ढंग से समझ नहीं पाये थे। फिर क्या इंसान और क्या सुपरनेचुरल आने वाले वक़्त में किसी काम को सुनिश्चित कर पाते। हां वो केवल वर्तमान समय में आने वाले वक़्त के लिए योजना बनाकर, भविष्य में किसी कार्य को संपन्न करने कि सोच सकते थे और वो कर रहे थे।
धीरेन स्वामी जो प्रहरी में ताकत की लालच से आया था, वो बहुत सी बातों से अनभिज्ञ अपनी पूर्ण योजना में लगभग सफल हो चुका था। जहां एक ओर उसने अतीत में हुये अपने साथ धोके का बदला ले लिया था, और 22 में से 20 मेंबर के खिलाफ उसने पूरे सबूत जुटा लिये थे। उन्हे पूर्ण रूप से बहिष्कार तथा महाराष्ट्र से बाहर निकालने की तैयारी चल रही थी। वहीं दूसरी ओर आज रात भारद्वाज के घर चोरी के बाद, वह भारद्वाज को भी बाहर का रास्ता दिखाने वाला था।
वहीं दूसरे ओर सरदार खान अपने लगभग 180 कूरूर समर्थक और 6 अल्फा के साथ पूर्ण चांद निकलने का इंतजार कर रहा था। इस बार वह भी आर्यमणि की ताकत को खुद से कहीं ज्यादा आंककर तैयारी कर रहा था, इस बात से अनजान की उसके मालिकों (प्रहरी सीक्रेट बॉडी) ने अभी उसकी किस्मत लिख डाली थी बस फने खान को उसके अंजाम तक पहुंचाना था।
इस शादी में प्रहरी के सिक्रेट बॉडी के सभी लोग मौजूद थे जिनके बारे में बहुत कम ही लोगों को पता था। हर सीक्रेट बॉडी प्रहरी अपने कुछ करीबी प्रहरी को भी साथ रखते थे, ताकि उनका मकसद पूरा होते रहे, बिना किसी परेशानी के। शाम ढलते ही चांद दिख जाता। पूर्णिमा की देर रात सबसे पहली लाश रूही और उसके बाद अलबेली की गिड़नी थी। अलबेली के बाद उन 20 शिकारी का नंबर आता, जिसे भूमि ने सरदार खान और उसकी बस्ती पर, 20 अलग-अलग पोजीशन से नजर रखने बोली थी। इन प्रहरी का शिकार करने के बाद चिन्हित किये 200 आम लोग को 50 अलग-अलग सोसायटी में हैवानियत के साथ मारा जाता। पुलिस और प्रशासन को भरमाने के लिए इन सारी घटनाओं को अलग-अलग इलाकों में जंगली जानवर का प्रकोप दिखाया जाता। इसके लिए दूर जंगल से जंगली कुत्ते लाये गये थे और उन्हें इंसान के मांस का भक्षण करवाया जा रहा था।
इंसानी मांस एक एडिक्ट मांस होता है। यदि किसी मांसाहारी को इंसानी मांस और उसका खून मुंह में लग जाए, फिर वो कई दिनों तक भूखा रह लेगा, लेकिन खायेगा इंसानी मांस ही। इसका बेहतरीन उधारहण शेर है, जिसे एक बार इंसानी मांस और खून की लत लग जाए फिर वो कुछ और खाता ही नहीं। एक पूर्ण कैलकुलेट योजना जिसके अंजाम देने के बाद सरदार खान अपने कुछ साथियों के साथ गायब हो जाता। जैसा की सरदार खान को सीक्रेट बॉडी द्वारा करने कहा गया था। वहीं दूसरी ओर सीक्रेट बॉडी की आंतरिक योजना कुछ और ही थी। पूरे एक्शन के बाद सरदार खान और उसके साथियों को किले में मार देना, जिसके लिये उन्होंने फने खान को तैयार किया था। उसके बाद जब प्रहरी समुदाय सरदार खान पर एक्शन लेती तब सरदार खान को उसके साथियों समेत किले में मारने का श्रेय पलक को जाता। प्रहरी के इस एक्शन से पलक रातों रात वह ऊंचाई हासिल कर लेती जिसके लिए भूमि को न जाने कितने वर्ष लग गये।
ये सभी योजना सीक्रेट बॉडी द्वारा बनाई गयि थी, जिसके मुख्य सदस्यों में उज्जवल और सुकेश भारद्वाज थे, जो शायद सीक्रेट बॉडी के मुखिया भी थे। इनके ऊपर तो भूमि और जया को काफी सालों पहले शक हो चुका था, लेकिन दोनो में से कोई भी यह पता करने में असफल रही की आखिर ये सीक्रेट बॉडी प्रहरी इंसान ही है या कुछ और? नागपुर की घटना को अंजाम देने के बाद प्रहरी की सिक्रेट बॉडी कितने तरह के फैसले लेता, वो भी तय हो चुका था।…
1) नागपुर नरसंहार में सरदार खान का नाम बाहर आने के बाद उसे खत्म कर दिया जाना था। इसके लिये उसके बेटे और करीबी माना जाने वाले फने खान को तैयार किया गया था।
सरदार खान जब अपनी टीम के साथ भागने के लिये वापस किला आता, तो उसे एक पार्टी मे उलझाया जाता। जहां उस एक वेटनरी डॉक्टर द्वारा नया तैयार किया गया कैनिन मॉडिफाइड वायरस खाने में मिलाकर खिला दिया जाता। कैनिन वायरस कुत्तों में पाया जाना वाला एक वायरस होता है, जिसके मॉडिफाइड फॉर्म को एक वुल्फ पर ट्राय किया गया। परिणाम यह हुआ कि नाक और मुंह से काला खून निकलता। वो अपना शेप शिफ्ट नहीं कर पाता। सरदार खान को खाने में वही वायरस खिलाकर उसके इंसानी शरीर को फने खान अपने हाथो से फाड़कर, सरदार खान और उसके साथियों को लापता घोषित कर देता।
2) रात में नाशिक से लौटा हुआ आर्यमणि सीधा किताब के पास जाता इसलिए उसके किताब खुलने से पढ़ने तक आर्यमणि पर कड़ी नजर रखी जानी थी। फिर वो गार्ड जैसे ही संदेश भेजते की यहां हम सब भी किताब पढ़ सकते है। ये सूचना मिलते ही आर्यमणि के पास एक खबर पहुंचती जिसमे रूही और अलबेली सरदार खान के किले मे फंसी हुई नजर आती। गुस्से में बस आर्यमणि को किले में पहुंचना था फिर उसके जोश को दर्द भरी सिसकी में तब्दील करने कि पूरी व्यवस्था सरदार खान कर चुका था। जिसका पहला चरण भूमि के घर से देखने मिलता।
गुस्से में इंसान का दिमाग काम नहीं करता और इसी बात का फायदा उठाकर मंजे हुए स्निपर पहले आर्यमणि को ट्राकुलाइज से इतनी बेहोसी की दावा देते जिस से वह केवल गुस्से में सरदार खान के किले में केवल घुस पता। बाकी आगे की कहानी लिखने के लिए सरदार खान वहां इंतजार कर ही रहा था। कोई चूक न हो इसलिए भूमि के घर से लेकर सरदार खान के किले तक जगह–जगह पर 50 स्निपर को तैनात किया जाना था। आर्यमणि को कार से बाहर लाने और उसे एक स्थान पर रोकने के लिए रास्ते में 500 लोग अलग–अलग जगहों पर योजनाबद्ध तरीके से रखे गये थे। कहीं को बच्चा अचानक से गाड़ी के सामने आता तो कहीं रास्ते में पियक्कड़ झगड़ा करते हुये कार को रोकते।
3) एक सोची समझी योजना जिसमे अभी–अभी रिटायर हुई भूमि को पद छोड़ने से पहले जिम्मेदार लोगो की बहाल ना कर पाने के जुर्म में उसे और उसके तमाम बचे प्रहरी को 10 साल की सजा सुनाई जाती, और उन्हे महाराष्ट्र से निकाल दिया जाता।
4) अन्य इलाके जहां बीस्ट अल्फा है, जैसे की मुंबई, कोल्हापुर, पुणे, नाशिक इत्यादि जगह। वहां पूर्णिमा के रात ही इनकी चल रही पार्टी के दौरान बीस्ट अल्फा को मॉडिफाइड कानिन वायरस सेवन करवाया जाता और उसकी शक्ति को किसी और में स्थानांतरित किया जाता। जब प्रहरी वहां पहुंचते तब पता चलता सरदार खान की तरह यहां के बीस्ट अल्फा भी मारे गये है। जिसे प्रहरी का वन नाइट स्पेशल प्रोग्राम घोषित कर दिया जाता जहां सभी बीस्ट अल्फा को समाप्त कर प्रहरी नए सदस्यों के सामने अपनी नई छवि स्थापित करती।
5) जिसे बिलकुल भी नहीं जिंदा छोड़ा जा सकता था, आर्यमणि, उसके लिये विशेष शिकारियों का भी इंतजाम किया गया था। थर्ड लाइन सुपीरियर सीक्रेट शिकारी, सीक्रेट बॉडी के द्वारा तैयार किया हुआ खतरनाक शिकारियों का समूह।
एक बात तो इस योजना से साफ थी। सीक्रेट प्रहरी बॉडी जान बूझकर अच्छा और बुरा खेमा बनाये रखते थे, जहां प्रहरी सदस्य आपसे में भिड़ते रहे और एक दूसरे के खिलाफ साजिश रचते रहे। जिसे प्रहरी सीक्रेट बॉडी को कोई मतलब नहीं था। बस मकसद सिर्फ उन्हे आपस में उलझाए रखना था, ताकि कोई भी इनके ओर ध्यान न दे।
Mind blowing jabarjast superb amazing update bhai sandar hot with awesome writing skills Nainu bhaya