भाग:–50
सुबह के वक्त…. प्रहरी हेडक्वार्टर
राउंड टेबल मीटिंग लगी थी। प्रहरी सीक्रेट बॉडी के सदस्य वहां बैठे हुये थे। पलक अपनी ट्रेनिंग समाप्त करने के उपरांत उन लोगों के सामने खड़ी थी। शायद किसी अहम विषय पर चर्चा थी इसलिए सभी सुबह–सुबह जमा हुये थे। सभा में उपस्थित लोगों में जयदेव, देवगिरी पाठक, तेजस, उज्जवल और सुकेश था।
जयदेव:– पलक, आर्यमणि के ऊपर एक्शन होने में अब से कुछ ही दिन रह गये है। ऐसा क्या खास था जो हम सबको सुबह–सुबह बुला ली।
पलक:– "आप लोगों ने मुझे एक लड़के के पीछे लगाया। उसके पास क्या ताकत है? वह नागपुर में आते ही प्रहरी के हर राज का कैसे पता चलने लगा? क्या उसके दादा ने हमारे विषय में कुछ बताया था, जो वह आते ही इतना अंदर घुस गया कि प्रहरी सीक्रेट बॉडी के राज से बस कुछ कदम दूर ही था? या फिर उसे भूमि ने सब कुछ बताया? मुख्यत: 2 बिंदुओं पर जोड़ दिया गया था... आर्यमणि के पास कैसी ताकत है और क्या वह सीक्रेट बॉडी ग्रुप के बारे में जानता है?"
"जबसे वह नागपुर आया है, मैं आर्य के साथ उसके तीनों करीबी, चित्रा, निशांत और भूमि के करीब रही हूं। परिवार, प्यार और दोस्ती शायद यही उसके ताकत का सोर्स है। बचपन में जब उसने किसी वेयरवॉल्फ को मारा था, तब भी वह किसी के प्यार में था। एक लड़की जिसका नाम मैत्री था। मैत्री लोपचे उस पूरे घटना की ताकत थी। अपने प्यार पर अत्याचार होते देख उसे अंदर से जुनून पैदा हो गया और अपने अंदर उसने इतनी ताकत समेट ली की फिर कोई वुल्फ उसका मुकाबला नहीं कर सका।"
"हम जितनी भी बार आर्य और वुल्फ के बीच की भिड़ंत देखते है, तब पायेंगे की आर्य पूरे जुनून से लड़ा था। और यही जुनून उसकी ताकत बन गयि थी। एक ऐसी ताकत जो अब बीस्ट वुल्फ को भी चुनौती दे दे। आर्य के साथ जब मैं पहली बार रीछ स्त्री के अनुष्ठान तक पहुंची थी, तब मुझे एक बात बहुत ही अजीब लगी, वह जमीन के अंदर हाथ डालकर पता लगा रहा था, तब उसका बदन नीला पड़ गया था। इसका साफ मतलब था की वर्घराज कुलकर्णी ने अवश्य कोई शुद्ध ज्ञान आर्य में निहित किया है, जो मंत्र का असर उसके शरीर पर नही होने देता। इसी का नतीजा था उसका शरीर नीला होना। अब चूंकि तंत्र–मंत्र और इसके प्रभाव सीक्रेट बॉडी प्रहरी से जुड़े नही है, इसलिए हमें इसकी चिंता नहीं होनी चाहिए और न ही जो भी तंत्र–मंत्र की कोई शक्ति उसके अंदर है, उसका आर्य की क्षमता से कोई लेना देना। क्योंकि यदि ऐसा होता तब आर्य ने रीछ स्त्री को जरूर देखा होता। उसे किसी भी तरह की सिद्धि का प्रयोग करना नही आता, लेकिन इस बात से इंकार भी नही किया जा सकता के उसका शरीर खुद व खुद मंत्रों को काट लेता है।"
"सतपुरा में जो भी हुआ उसकी भी मैं पूरी समीक्षा कर सकती हूं। भूमि अपने घर पर थी। उसके सारे करीबी शिकारी और आर्य सतपुरा में। रीछ स्त्री और तांत्रिक से हम जिस रात मिलते उस रात पूरे क्षेत्र को मंत्रो से ऐसा बंधा की हम किसी से संपर्क नही कर पाये। यहां पर मैं पहला केस लेती हूं, आप लोगों के अनुसार ही... आर्यमणि ही वह सिद्ध पुरुष था जिसने पूरे क्षेत्र को बंधा था। तो भी यह कहीं दूर–दूर तक साबित नही होता की आर्य सीक्रेट प्रहरी को जनता है। इसके पीछे का आसन कारण है, वह जानता था कि प्रहरी से अच्छा सुपरनेचुरल को कोई पकड़ नही सकता इसलिए रीछ स्त्री के मामले में उसने शुरू से हमारी मदद ली है।
जयदेव बीच में ही रोकते... "और वो नित्या ने जब उसे मारने की कोशिश की थी"..
पलक चौंकती हुई अपनी बड़ी सी आंखें दिखाती.… "क्या आर्य को मारने की कोशिश"..
उज्जवल:– मारने से मतलब है कि आर्य पर नित्या ने हमला किया था और वह असफल रही। जबकि नित्या के हथियार बिना किसी सजीव को घायल किये शांत ही नही हो सकते .
पलक:– बाबा मुझे यहां पर साजिश की बु आ रही है। क्या वाकई इतनी बात थी...
सुकेश:– क्या करूं मैं तुम्हारे जज़्बात का पलक। हम जानते हैं कि तुम उसे चाहती हो, फिर हम उसे तब तक नही मार सकते जब तक उसमे तुम्हारी मर्जी न हो। और तुम्हे क्या लगता है, यदि उसे मारने का ही इरादा होता तो वो हमसे बच सकता था...
पलक:– माफ कीजिए, थोड़ी इमोशनल हो गयि थी। खैर जयदेव की बातों पर ही मैं आती हूं। आर्य, नित्या के हमले से कैसे बचा? जैसा कि पहला थ्योरी यह था कि आर्य एक सिद्ध पुरुष है, जो की वह कभी हो भी नहीं सकता उसका कारण भी नित्या का हमला ही है। कोई तो पर्दे के पीछे खड़ा था जिसने आर्य के कंधे पर बंदूक रखकर पूरा कांड कर गया। उसी ने आर्य को भी अपने सिद्धि से बचाया ताकि हमारा ध्यान आर्य पर ही केंद्रित हो और कोई भी भूमि पर शक नही करेगा। क्योंकि यदि भूमि किसी सिद्ध पुरुष के साथ काम करती तब वह अपने एक भी आदमी को मरने नही देती। इसका साफ मतलब है कि किसी और को भी रीछ स्त्री के बारे में मालूम था जो परदे के पीछे रह कर पूरा खेल रच गया।"
"मेरी समीक्षा यही कहती है, आर्य एक सामान्य लड़का है, जिसके पास अपनी खुद की क्षमता इतनी विकसित हो चुकी है कि वह वुल्फ को भी घायल कर सकता है। नागपुर आने से पहले वह जहां भी था, वहां उसे रोचक तथ्य की किताब मिली और उसी किताब की जिज्ञासा ने उसे रीछ स्त्री तक पहुंचा दिया। अनंत कीर्ति भी उसकी जिज्ञासा का ही हिस्सा है। जहां एक ओर वह पूरी जी जान से उसे खोलना तो चाहता है लेकिन दूसरी ओर हमे कभी जाहिर नही होने देता। उसकी इस भावना का सम्मान करते हुए मैं ही आगे आ गयि। मतलब तो किताब खोलने से है।"
"एक मनमौजी लड़का रीछ स्त्री को ढूंढने नागपुर पहुंचा। जब वह यहां पहुंचा तो जाहिर सी बात है उसे भी प्रहरी में उतना ही करप्शन दिखा, जितना हम बाहर को दिखाते आये है, 2 खेमा.. एक अच्छा एक बुरा। बस वहीं उसे पता चला की सरदार खान एक दरिंदा है, जिसे खुद प्रहरी सह दे रहे। अब चूंकि किसी ने आज तक सरदार खान को शेप शिफ्ट किये देखा नही वरना आर्य की तरह वह भी प्रहरी को ऐसी नजरों से देखता मानो वह दरिंदे पाल रहे। लेकिन आर्य ने जिस प्रहरी को देखा है वह बुरे प्रहरी है, जिसका पता भूमि भी लगा रही थी।
बस कुछ ही दिन रह गये है। आर्य अपनी पूरी कोशिश और ज्ञान उस किताब को खोलने में लगा रहा है। उसके बाद किताब आपका। किताब खुलते ही, मैं खुद बुरे प्रहरी पर बिजली बनकर गिरूंगी ताकि मेरे प्यार को यकीन हो जाए की मैने बुरा खेमा को लगभग खत्म कर दिया, जैसे मैंने पहले मीटिंग में किया और आप लोगों ने साथ दिया। आर्य बस एक मनमौजी है जिसे सीक्रेट बॉडी के बारे में पता तो क्या उसे दूर–दूर तक इसके बारे में भनक तक नही। जब एक ताकतवर इंसान, जिसे गर्भ में ही किसी प्रकार का शुद्ध ज्ञान दिया गया था, उसे मारने से बेहतर होगा जिंदा रखना और अपने मतलब के लिए इस्तमाल करना। इसी बहाने जिस प्यार के नाटक ने मुझे आर्य के इतने करीब ला दिया, वह प्यार कभी मुझसे दूर न जाये। किताब खुलने के बाद आर्य पर आप लोग एक ही एक्शन लेंगे और वो है मुझसे विवाह करवाना। क्या सभी सहमत है?
पलक की भावना को सबने मुस्कुराकर स्वागत किया। पलक अपनी पूरी समीक्षा देकर वहां से निकल गयि। पलक एक ट्रेनी थी जिसे सीक्रेट बॉडी में कुछ वक्त बाद सामिल किया जाता। चूंकि वह ट्रेनी थी इसलिए उसे इस बात का अंदाजा भी नहीं था की सरदार खान आर्यमणि जान लेने आया था। यदि उस द्वंद में आर्यमणि मारा जाता तब पलक से कह दिया जाता वुल्फ पैक की दुश्मनी, सीक्रेट बॉडी का कोई रोल नहीं। रीछ स्त्री के बारे में चर्चा आम करने की वजह से सीक्रेट बॉडी पहले से ही खुन्नस खाये थे। लेकिन उसके बाद जब जादुई खंजर से दूर करने का भी शक आर्यमणि पर गया, तब तो बौखलाहट में आर्यमणि को 2 बार मारने की कोशिश कर गये। और जब नही मार पाये तब अपनी ही एक ट्रेनी (पलक) से झूठ बोल दिया, "कि हम बस हमला करवा रहे थे, ताकि सबको लगे की सभी पर हमला हुआ है।"..
खैर पलक तो चली गयि। पलक ने जो भी कहा उसपर न यकीन करने जैसा कुछ नही था। सबको यकीन हो गया की आर्यमणि ने जो भी किया वह मात्र एक संयोग था। लेकिन फिर भी सीक्रेट बॉडी पहले से मन बना चुकी थी, वर्धराज का पोता भले कुछ जानता हो या नही, लेकिन उसे जिंदा नही छोड़ सकते। पलक कहां जायेगी, उसे हम समझा लेंगे।
दिन के वक़्त कैंटीन में सब जमा थे। पलक आर्यमणि से नजरे नहीं मिला पा रही थी। इसी बीच चित्रा पलक से पूछ दी… "आज शाम फिर से वही प्रोग्राम रखे क्या? आज पलक को भी ले चलते है। क्यों पलक?"
पलक:- कहां जाना है?
माधव:- शाम के वक़्त बियर की बॉटल के साथ पहाड़ की ऊंचाई पर मज़े से 4 घूंट पीते, दोस्तो के बीच शाम एन्जॉय करने। लेकिन हां सिर्फ दोस्त होंगे, लवर नहीं कोई..
निशांत, उसे ठोकते… "मेरी बहन इतनी डेयरिंग करके तुम्हे लवर मानी है और तू सिर्फ दोस्त कह रहा है। चित्रा ब्रेकअप मार साले को। किसी और को ढूंढ़ना।"..
पलक:- अपनी तरह मत बनाओ उसे निशांत।..
"क्या मै यहां बैठ जाऊं"… क्लास का एक लड़का पूछते हुए..
आर्यमणि:- आराम से बैठ जाओ। मेरे दोस्त निशांत का दिल इतनी लड़कियों ने तोड़ा हैं कि वो अब कोई और सहारा देख रहा।
जैसे ही उस लड़के ने ये बात सुनी, निशांत का चेहरा घूरते… "मुझे लड़का पसंद है।"..
सबकी कॉफी की कप हाथ में और चुस्की होंटों से, और हंसी में एक दूसरे के ऊपर कॉफी की कुछ फुहार बरसा चुके थे। "भाग.. भाग साला यहां से, वरना इतने जूते मारूंगा की सर के बाल गायब हो जाएंगे।"
लड़का:- मेरा नाम श्रवण है, पलक का मै क्लोज मित्र। और सॉरी दोस्त…. तुम्हारे दोस्त ने मुझसे मज़ाक किया और मैंने तुमसे। मुझे तुम में वैसे भी कोई इंट्रेस्ट नहीं, मै तो यहां पलक से मिलने आया था।
पलक:- दोस्तो ये है श्रवण… और श्रवण ये है..
श्रावण:- हां जनता हूं, तुम्हारा होने वाला पति है जो फिलहाल तुम्हारा बॉयफ्रेंड बाना है। आह्हहह !! पलक दिल में छेद हो गया था जब मैंने यह सुना। एक मौका मुझे भी देती।
आर्यमणि:- जा ले ले मौका मेरा भाई। तुम भी क्या याद करोगे।
पलक, आर्यमणि को घूरती… "सॉरी वो मज़ाक कर रहा है। तुम सीरियसली मत लो इसके मज़ाक को।"..
तभी निशांत अपने मोबाइल का स्क्रीन खोलकर कॉन्टैक्ट लिस्ट सामने रखते.. "श्रवण मेरे लिस्ट में तकरीबन 600 कॉन्टैक्ट है जिसमें से 500 मेरे और आर्य के कॉमन कॉन्टैक्ट होंगे"….
माधव:- और बाकी के 100 नंबर..
चित्रा:- 100 में से कुछ लड़कियों के नंबर अपने दोस्तो से भीख मांग-मांग कर जुगाड़े थे। जिनपर एक बार कॉल लगाने के बाद, ऐसा उधर से थुक परी की दोबारा कॉल नहीं कर पाया। कुछ नंबर पर शुरू से हिम्मत नहीं हुई कॉल करने की। और कुछ लड़कियां अपने घर का काम करवाना चाहती थी इसलिए वो इसे कॉल करती हैं। हां लेकिन इसका नंबर कभी नहीं उठाती। और 2-4 नंबर ऐसे होंगे जिसे हाथ पाऊं जोड़कर निशांत ने किसी तरह अपनी गर्लफ्रेंड तो बनाया लेकिन रिश्ता ज्यादा देर टिक नहीं पाया।
"चटाक" की एक जोरदार थप्पड़… "कमिने हो पूरे तुम निशांत, मैं तो यहां तुमसे माफी मांगने आयी थी, लेकिन तुम डिजर्व नहीं करते।".... निशांत की एक्स गर्लफ्रेंड पहुंची थी और चित्रा को सुनकर उसे एक थप्पड़ चिपका दी।
चित्रा भी उसे एक जोरदार थप्पड़ लगाती… "हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी हाथ उठाने की। वो किस बात के लिए डिजर्व नहीं करता है। मैंने थोड़ा सा मज़ाक क्या कर लिया तुम तो मेरे भाई का कैरेक्टर ही तय करने लग गई.… डिजर्व नहीं करता। क्या करते दिख गया था वो तुम्हे। एक साल से ऊपर साथ रही थी, क्या देखा तुमने ऐसा बताओ हां। जबतक तुम्हारे साथ था, तुम्हारा होकर रहा। बता दो एक टाइम में 2 को मेंटेन कर रहा हो तो। और इससे आगे मैं नहीं बोलूंगी वरना जिस वक्त तुम खुद को निशांत की गर्लफ्रेंड बताती थी, तुम्हारे उस वक्त के किस्से हम सब को पता है। हर कोई अपनी लाइफ जीने के लिए स्वतंत्र है, तुम जियो लेकिन आइंदा मेरे भाई कंचरेक्टर उछाली ना। फिल्म देखकर आ रही है, सबके बीच थप्पड़ मारेगी.. चल भाग यहां से.…
पूरी भड़ास निकालने के बाद वापस से चित्रा के आवेश को जब निशांत और आर्यमणि ने देखा। दोनो उसका मुंह बंद करके दबोच लिए। कुछ देर बाद दोनो ने उसे जैसे ही छोड़ा... "पकड़ क्यों लिए, गलती हो गई केवल एक थप्पड़ लगाई। हिम्मत देखो, मैं बैठी थी और मेरे भाई को थप्पड़ मारेगी। आर्य पकड़ के ला उसको 2-4 थप्पड़ मारना है।
आर्यमणि, चित्रा को डांटते, "चुप... पानी पी"… चित्रा भी उसे घुरी। आर्यमणि टेबल पर पंजा मारते... "पीयो पानी और शांत"… चित्रा छोटा सा मुंह बनाती चुप चाप पानी पी और धीमे से "सॉरी" कह दी।
श्रावण:- नाइस स्पीच चित्रा, काफी खतरनाक हो। वैसे वो मोबाइल और कॉन्टैक्ट लिस्ट वाली बात तो रह ही गई। मुझे निशांत 500 कॉमन कॉन्टैक्ट के बारे में कुछ बता रहा था…
चित्रा:- कहने का उसका साफ मतलब है, किसी को भी कॉल लगा लगाकर बोलो, आर्य ने तुम्हारे साथ मजाक किया। सब यही कहेगा आर्य और मज़ाक, संभव नहीं। और जब ये कहोगे की मै उससे पहले बार मिला रहा था। तब वो सामने से कहेगा क्यों मज़ाक कर रहे हो भाई। इसलिए एक कोशिश तो पलक के साथ कर ही लो, क्या पता तुम्हारी किस्मत मे हो।
माधव:- हाहाहाहा… ई सही है, इसी तेवर के साथ जब चित्रा अपनी सास के साथ बात करेगी तो लोग कहेंगे, बहू टक्कर की आयी है।
छोटी मोटी नोक झोंक के बीच महफिल सजी रही। पलक उन सब से अलविदा लेकर अपने दोस्त श्रवण के साथ घूमने निकल गई। आज शाम आर्य वापस से सभी दोस्तो के साथ उसी जगह पर था। एक और हसीन शाम आगे बढ़ता हुआ। फिर से एक और हसीन रात दोस्तो के साथ, और ढलते रात के साथ फिर से आर्यमणि पलक के दरवाजे पर।
पलक आज रात जाग रही थी। जैसे ही आर्यमणि अंदर आया पलक मिन्नते करती हुई कहने लगी… "प्लीज, आज कुछ मत करना। हल्का-हल्का दर्द हो रहा है। ऊपर से चाल को सही तरह से मैनेज करने के कारण, कुछ ज्यादा ही तकलीफ हो गयि।"..
आर्यमणि हंसते हुए उसके खींचकर गले से लगाया और उसके होंठ चूमकर बिस्तर पर लेट गया। पलक भी उसके साथ लेट गयी। दोनो एक दूसरे को बाहों में लिए सुकून से सोते रहे।
अगले दिन फिर से कॉलेज की वहीं महफिल थी। कॉलेज खत्म करके पलक सीधा अपने फैमिली को ज्वाइन कर ली और शादी की शॉपिंग में व्यस्त हो गई। तीसरी शाम फिर से आर्यमणि की अपने दोस्तो के नाम और रात पलक के बाहों में। आज दर्द तो नहीं था लेकिन काम की थकावट से कुछ करने का मूड नहीं बना। लेकिन आर्यमणि भी अगली रात का निमंत्रण दे आया। सोने से पहले कहते हुए सोया, 2 रात तुम्हारी सुन ली।
अगली रात चढ़ते ही पलक के अरमान भी चढ़ने लगे। रह-रह कर पहली रात की झलक याद आती रही और उसे दीवाना बनाती रही। आज रात आर्य कुछ जल्दी पहुंचा। आते ही दोनो होंठ से होंठ लगाकर एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे। चुमते हुए आर्य ने अपना दोनो हाथ पीछे ले जाकर उसके पैंटी के अन्दर डाल दिया और उसके दोनो चूतड़ को हाथ से दबोच कर मालिश करने लगा।
दीवानगी का वही आलम था। काम पूरा चरम पर आज रात भी थोड़ी सी झिझक बाकी थी इसलिए उत्तेजना में हाथ लिंग को मुट्ठी में दबोचने का कर तो रहा था ,लेकिन झिझक के मारे छु नहीं पा रही थी।
नंगे बदन पर, खासकर उसके स्तन पर जब आर्य के मजबूत हाथ मेहसूस होते पलक की मस्ती अपनी ऊंचाइयों पर होती। आज भी लिंग का वहीं कसाव योनि में मेहसूस हो रहा था, किन्तु आज दर्द कम और मस्ती ज्यादा थी।
शुक्रवार का दिन था, पलक और आर्यमणि एक पंडित से मिले मिलकर सही मूहरत का पता किये। मूहरत पता करने के बाद आर्यमणि आज से ही काम शुरू करता। शायद एक छोटी सी बात आर्यमणि के दिमाग से रह गई। पूर्णिमा के दिन ही राजदीप और नम्रता की शादी नाशिक में थी। इस दिन पुरा नागपुर प्रहरी शादी मे होता और पूर्णिमा यानी वेयरवुल्फ के चरम कुरुरता की रात। कुछ लोगो की काफी लंबी प्लांनिंग थी उस रात को लेकर। जिसकी भनक किसी को नहीं थी। शायद स्वामी, प्रहरी समुदाय के दिल यानी नागपुर में उस रात कुछ तो इतना बड़ा करने वाला था कि नागपुर इकाई और यहां के बड़े-बड़े नाम का दबदबा मिट्टी मे मिल जाता।
Palak itna hi janti hai jitna abhi dikhaya ya kuchh chhupa bhi rhi hai, abhi pichhle update me hi uske sath itna manoram drisya tha or isme aate hi sidha secret body ki meating dikha di aapne, Pahle asman me le gye or fir sidha bhadak se Janeen me fek diye Aap in prahariyo ki meating dikha kr... Ek pal ko Lagta hai Jaise sirf palak ko itna hi btaya gya ki vo abhi bhi arya ka test hi le rhe hai or kuchh nhi or kaisi prahari hai palak jo unki btai bato ko ankh mund kr bharosha kr rhi, yha palak us anant Kirti book Khulne ke badle arya ko mang rhi hai pr uske sath sadi ka Lekin secret body ne arya ko marne ka pura intjam kiya hua hai, Inhi members ne bhumi ke pure group ko marne ka nirnay liya, arya ko 2 baar jaan se marne ki Kosis ki jo nakam rhi or Ab
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