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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

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भाग:–9


भूमि प्रिंसिपल से बात करके वहां से निकल गई। दोनो लड़कियां भी आराम से बैठकर कॉफी पीने लगी।…

"पलक तूने हरप्रीत की बात बताकर गलत की है। देख अपनी टेबल खाली हो गई। 2 महीने के लिए माधव बुक हो गया और निशांत को हवा लग गई। 4 साल ये हरप्रीत के साथ निकाल देगा।"..


पलक:- और उसकी पहले कि गर्लफ्रेंड जो गंगटोक में थी, उससे ब्रेकअप कर लिया क्या?


चित्रा:- गर्लफ्रेंड थी लवर नहीं। कुत्ते ने पलट कर फोन भी नहीं किया होगा।


पलक:- फिर तो ये धोका हुआ।


चित्रा:- धोखा काहे का पलक। ये जिस दिन नागपुर आया इसकी गर्लफ्रेंड ने पहले एफबी स्टेटस चेंज किया, नाउ आई एम् सिंगल।


पलक:- और तुम जब नागपुर आयी तब तुम्हारे किसी बॉयफ्रेंड ने तुम्हे कॉल नहीं किया?


चित्रा:- ब्वॉयफ्रैंड तो था लेकिन इतना फट्टू की आर्य और निशांत के सामने कभी आने की हिम्मत ही न हुई और पीछे में मिलने के लिए शाम का वक़्त मिलता था जिसमें मै मिलती नहीं थी।


पलक:- क्यों?


चित्रा:- पागल, शाम रोमांटिक होती है ना, खुद पर काबू ना रहा तो।


पलक:- हां ये भी सही है। तो तुमने ब्रेकअप कर लिया।


चित्रा:- हां लगभग ब्रेकअप ही समझो। वैसे तुम्हे देखकर लगता नहीं कि तुम्हारा भी कोई बॉयफ्रेंड होगा।


पलक:- नहीं ऐसी बात नहीं है। अमरावती में एक ने मुझे परपोज किया था।


चित्रा:- फिर क्या हुआ।


पलक:- 2 दिन बाद मुझसे कहता है तुम बोरिंग हो।


चित्रा:- फिर तुमने क्या कहा।


पलक:- मैंने थैंक्स कहा और बात खत्म।


किसी एक रात का वक़्त… नागपुर के बड़ा सा हॉल, जिसमें पूरे महाराष्ट्र के बड़े-बड़े उद्योगपति, पॉलिटीशियन और बड़े-बड़े अधिकारी एक मीटिंग में पहुंचे हुए थे। लगभग हजारों वर्ष पूर्व शुरू हुई एक संस्था, जिसके संस्थापक सदस्य और पहले मुखिया वैधायन भारद्वाज की प्रहरी संस्था थी। प्रहरी यानी कि पहरा देने वाला। इनका मुख्य काम सुपरनेचुरल और इंसानों के बीच शांति बनाए रखना था। यधपी इंसानों को आभाष भी नहीं था कि उनके बीच इंसान के वेश में सुपरनेचुरल रहते थे।


प्रहरी का काम गुप्त रूप से होता था। ये अपने लोगों को उन सुपरनैचुरल से लड़ने के लिए प्रशिक्षित करते थे, जो इंसानों के रक्त पीते, उन्हें मारते और खुद को श्रेष्ठ समझते। इसके अलावा सुपरनैचुरल जीवों के बीच क्षेत्र को लेकर आपसी खूनी जंग आम बात थी। जबतक 2 समूह आपस में क्षेत्र के लिए लड़ते और मरते थे, तबतक प्रहरी को कोई आपत्ति नहीं थी। किन्तु दोनो के आपस की लड़ाई में जैसे ही कोई इंसान निशाना बनता, फिर प्रहरी इन दोनों के इलाके में घुसते थे।


प्राचीन काल से ही वैधायन के इस प्रहरी समूह को शुरू से गुप्त रूप से प्रसाशन का पूरा समर्थन रहा है। इसलिए इनके काम को सुचारू रूप से चलाने के लिए इनको शहर का मुख्य व्यावसायिक बना दिया जाता था, ताकि काम करने के लिए या मूलभूत चीजों की खरीदी, बिना किसी पर आश्रित रहकर किया जा सके। यही वजह थी कि ये प्रहरी आज के समय में जहां भी थे, अरबपति ही थे।


ऐसा नहीं था कि इस समूह में भ्रष्ट्राचार नहीं आया। बहुत से लोग धन को देखकर काम करना बंद कर दिए तो उनकी जगह कई नए लोगो ने ले लिए। प्रहरी जो भी थे उन्हें तो पहले यह सिखाया जाता था कि जो भी धन उनके पास है, वो लोगो द्वारा दी गई संपत्ति है। केवल इस उद्देश्य से कि प्रहरी रक्षा करता है, और इस कार्य में प्रहरी या उसका परिवार आर्थिक तंगी से ना गुजरे।


इसी तथ्य के साथ प्रहरी छोड़ने के 2 नियम विख्यात थे, जो सभी मानने पर विवश थे। पहला नियम प्रहरी के पास का धन प्रहरी को उसके काम में सुविधा देने के लिए है, इसलिए यदि कोई प्रहरी का काम को छोड़ता है, तो उसे अपनी 60% संपत्ति प्रहरी के समूह में देनी होगी। दूसरा नियम यह कहता है कि यदि किसी को प्रहरी से निष्काशित किया गया हो तो उसकी कुल धन सम्पत्ति प्रहरी संस्था की होगी।


वैधायन कुल के 2 परिवार जो इस वक़्त खड़े थे… केशव भारद्वाज और उसका चचेरा छोटा भाई उज़्ज़वल भारद्वाज। उनके बच्चे आजकल प्रहरी के काम को देख रहे थे। मीटिंग की शूरवात मेंबर कॉर्डिनेटर और प्रहरी ग्रुप की सबसे चहेती भूमि देसाई ने शुरू की…. "लगता है प्रहरी का जोश खत्म हो गया है। आज वो आवाज़ नहीं आ रही जो पहले आया करती थी।"...


तभी पूरे हॉल में एक साथ आवाज़ गूंजी… "हम इंसान और शैतान के बीच की दीवार है, कर्म पथ पर चलते रहना हमारा काम। हम तमाम उम्र सेवा का वादा करते है।"


भूमि:- यें हुई ना बात। वैसे आज मुझे कुछ जरूरी प्रस्ताव देने है, इसलिए अध्यक्ष विश्व देसाई (भूमि का ससुर) और ऊप—अध्यक्ष तेजस भारद्वाज (भूमि का बड़ा भाई) की कोई बात सुनना चाहता है तो हाथ ऊपर कर दे, नहीं तो मै ही मीटिंग लूंगी।


जयदेव (भूमि का पति)… "घर पर भी सुनो और यहां भी, मुझे नहीं सुनना भूमि को। बाबा (विश्व देसाई) को ही बोलो, वो ही बोले, या तेजस दादा बोल ले।"..


तभी भिड़ से एक लड़का बोला… "जयदेव भाव, भूमि को सुनने का अपना ही मजा है। वो तो शुक्र मनाओ सुकेश काका (भूमि के पिता) ने मेरा रिश्ता ये कहकर कैंसल कर दिया कि मैं अभी बहुत छोटा हूं। वैसे मै अब भी लगन के लिए तैयार हूं यदि भूमि तुम्हे छोड़कर आना चाहे तो।"..


भूमि:- बस रे माणिक, अब कुछ नहीं हो सकता। हम लोग मीटिंग पर ध्यान दे दे। वैसे सबसे पीछे से एक लड़का जो चुप है, आज पहली बार मीटिंग में आ रहा अनुराग, उसे मै यहां बुलाना चाहूंगी।


बाल्यावस्था से किशोर अवस्था में कदम रख रहा एक लड़का मंच पर आया। भूमि उसका परिचय करवाती हुई कहने लगी… "ये है हमारे बीच का सबसे छोटा प्रहरी, कौन इसे अपना उतराधिकारी चुन रहा है, हाथ उठाए।"..


भूमि, उठे हाथ में से एक का चुनाव करती… "कुबेर आज से अनुराग की जिम्मेदारी तुम्हारी।".. फिर भूमि अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के ओर देखती… "क्यों काका, क्यों दादा.. कौन लेने आ रहा है मीटिंग"


विश्व:- भूमि तू ही लेले मीटिंग।


भूमि:- अब सब शांत होकर सुनेगे। ये कब तक बूढ़े लोगो को अध्यक्ष बनाए रहेंगे। मेरे बाबा ने रिटायरमेंट ले ली। मेरे काका ने रिटायरमेंट ले ली। विश्व काका भी रिटायरमेंट प्लान कर रहे है। इसलिए मै नए अध्यक्ष के लिए माणिक, पंकज और कुशल का नाम प्रस्तावित करती हूं। तीनों ही तैयार रहेंगे। बाद में किसी ने ना नुकुर किया तो ट्रेनिंग हॉल में उल्टा टांग कर बाकियों को उसपर ही अभ्यास करवाऊंगी।


भूमि इतना ही कही थी कि पीछे से कुछ आवाज़ आयी…. तभी भूमि की तेज आवाज गूंजी.… "मैंने कहा सभी शांत रहेंगे, मतलब सबके लिए था वो। किसी को प्रस्ताव से परेशानी है तो अपना मत लिखकर देंगे। दूसरा प्रस्ताव है, मै जल्द ही अपना उतराधिकारी घोषित करूंगी। इसके अलावा राजदीप को मै मेंबर कॉर्डिनेटर का स्वतंत्र प्रभार देती हूं, आने वाले समय में वो मेरी जगह लेगा।"

"बाकियों के लिए मीटिंग खत्म हो गई है। नागपुर के प्रहरी विशेष ध्यान देंगे। मलाजखंड के जंगलों के सुपरनैचुरल और सरदार खान के बीच खूनी जंग शुरू है। हर प्रहरी उस क्षेत्र पर विशेष ध्यान देंगे। यदि एक भी आम इंसान परेशान हुएक्स1 तो हम सरदार खान के इलाके के साथ मलाजखंड के जंगल घुसेंगे।"…

"बाकी सारी डिटेल पोस्ट कर दिया है, क्यों हमे सरदार खान का साथ देना चाहिए। आप लोग उसे पढ़ सकते है। इसी के साथ मीटिंग समापन होता है। प्रस्ताव से किसी को भी कोई परेशानी हो तो अपना लिखित मत जरूर दें।"


मीटिंग खत्म हो गई, हर कोई जाने लगा। तभी भूमि एक लड़के को रोकती हुई… "हां महा उस वक़्त तुम कुछ कहना चाह रहे थे।"..


महा:- भूमि दीदी मै तो यह कह रहा था कि तेजस दादा का नाम क्यों नहीं है अध्यक्ष में।


भूमि:- क्या तू महा। देख दादा (तेजस) ने पहले लिखित मना किया है कि वो अभी अध्यक्ष नहीं बनना चाहते। इसके अलावा माणिक और कुशल उभरते हुए लोग है। आज मै उन्हें आगे बढ़ाऊंगी तभी तो वो भी तुम सबको आगे बढ़ाएगा। ये एक कल्चर है महा, जो पीढ़ी दर पीढ़ी हमारे पूर्वजों ने हमारे आने वाली जेनरेशन को दिया है। तभी तो इतने स्वार्थी और धूर्त लोग होने के बावजूद भी ये समूह आज भी खड़ा है।


महा:- समझ गया दीदी।


भूमि:- बाकी सॉरी हां.. कभी-कभी थोड़ी सी मै स्ट्रिक्ट हो जाती हूं।


भूमि अपनी बात समझाकर वहां से निकल गई। मीटिंग खत्म करके भूमि सीधा अपने मायके पहुंची। पूरा परिवार हॉल में बैठा हुआ था। आई, मीनाक्षी भारद्वाज, बाबा सुकेश भारद्वाज, बड़ा भाई तेजस और साथ में उसकी पत्नी वैदेही। दो बच्चे मयंक और शैली भारद्वाज। इन सबके बीच आर्यमणि का परिवार, मां जया कुलकर्णी और पिता केशव कुलकर्णी बैठे हुए थे। रिश्ते में जया और मीनाक्षी दोनो सगी बहनें थी।


भूमि अपने पति जयदेव के साथ पहुंची, और सबका उतरा चेहरा देखकर… "आर्य की कोई खबर नहीं..."..


मीनाक्षी:- नहीं आयी तो नहीं आये। उसे इतनी अक्ल नहीं की कहीं भी रहे एक बार फोन कर ले। हम तो अपने नहीं है, कम से कम जया से तो बात कर लेता। जिस दिन वो मिल गया ना टांगे तोड़कर घर में बिठा दूंगी।


भूमि:- मौसा जी को भी क्या जरूरत थी जंगल की बात को लेकर इतना खींचने की। वो समझते नहीं है क्या, जवान लड़का है, बात बुरी लग सकती है। कच्ची उम्र थी उसकी भी...


केशव कुलकर्णी:- नहीं आर्य उन लड़कों में से नहीं है जो अपने आई-बाबा की बात सुनकर घर छोड़कर चला जाए। उसे मैत्री लोपचे की मौत का सदमा लगा था शायद, और मती भ्रम होने के कारण वह कहीं भी भटक रहा होगा। वरना उसे यूएस जाने की क्या जरूरत थी।


भूमि:- मौसा यूएस 500 या हजार रुपए में नहीं जाते। आर्य को जरूर कोई ले गया है। या फिर वो मैत्री के मौत का पता लगाने के लिए जर्मनी तो नहीं पहुंच गया।


सुकेश:- जर्मनी में मैंने शिकारियों से पता लगवाया था। वो लोग वुल्फ हाउस में खुद तहकीकात करके आए थे। वहां आर्य तो क्या, कोई भी नही था।


भूमि:- बाबा मै बस इतना जानती हूं कि मेरा भाई मुसीबत में है और इस वक़्त वो बिना पैसे और बिना किसी सहारे के अकेला होगा। जयदेव अपने कुछ लोगो को लेकर मै आर्य का पता लगाने यूएस जाऊंगी, क्या तुम तबतक यहां का सारा काम देख लोगे?


वैदेही:- मै इस वक़्त खाली हूं। तुम्हारे हिस्से का सारा काम मै और नम्रता मिलकर देख लेंगे। तुम बेफिक्र होकर जाओ।


भूमि:- आप सब हौसला रखो। अपने भाई को लेकर ही लौटूंगी...


कुछ दिन बाद भूमि अपने भरोसे के 10 शिकारियों के साथ वो यूएस निकल गई। इंडियन एंबेसी जाकर भूमि ने आर्य की पासपोर्ट डिटेल दी और लापता होने के बाद कहां-कहां पहुंचा है उसकी जानकारी ली।


खुद 5 दिन यूएस स्थित इंडियन एंबेसी में रुकी और उस वक्त आर्यमणि के साथ आए सभी पैसेंजर लिस्ट निकालने के बाद, वो उनके एड्रेस पर जाकर क्रॉस चेक की। यूएस में दूसरे शिकारियों से भी मिली और उसे आर्यमणि की तस्वीर दिखाते हुए ढूंढने के लिए कहने लगी।


लगभग 2 महीने तक भूमि ने यूएस से लेकर यूरोप कि खाक छानी। जर्मनी वुल्फ हाउस भी गई, लेकिन आर्य का कहीं कोई प्रमाण नहीं मिला। वो तो हार चुकी थी और शायद अंदर से टूट भी चुकी थी, लेकिन बाकियों को हौसला देने के लिए उसने झूट का भ्रम फैला दिया। एक कंप्यूटर एक्सपर्ट से मिलकर आर्य की रियल दिखने वाली होलोग्राफिक इमेज तैयार करवाई। हर किसी को वीडियो कॉल पर उसे दिखा दिया, लेकिन सबको एक बार देखने के बाद वर्चुअल आर्य ने फोन कट कर दिया।


भूमि के पास जैसे ही कॉल आया उसने सबको यही बताया कि आर्य उससे भी बात नहीं कर रहा। केवल इतना ही कहा कि "पापा मुझे बाहर भेजना चाहते थे इसलिए आ गया। जब बाहर रहने से मै ऊब जाऊंगा चला आऊंगा।" और हां आज के बाद वो ये जगह भी छोड़ रहा है। अभी उसका मन पुरा भटकने का हो रहा है। पैसे की चिंता ना करे, वो जिन लोगो के साथ भटक रहा है उन्हीं के साथ काम भी कर लेता है और पैसे भी कमा लेता है।


भूमि की बातो पर सबको यकीन था क्योंकि झूट बोलकर सांत्वना देना भूमि के आदतों में नहीं था। इसलिए हर कोई आर्यमणि की खबर सुनकर खुश था। भूमि लगभग 75 दिनों बाद लौट तो आयी लेकिन अंदर से यही प्रार्थना कर रही थी कि उसका भाई जहां भी हो सुरक्षित हो और जल्दी लौट आए।


इधर 75 दिन बाद भूमि भी लौट रही थी और 3 महीने अवकाश के बाद माधव भी कॉलेज लौट रहा था। माधव को देखकर चित्रा खुश होते हुए उसके गले लग गई… "वेलकम बैक, हड्डी"।


फिर निशांत भी उसके गले लगते… "हड्डी तेरे हाथ टेढ़े हो गए होंगे इसलिए मैंने कटोरा खरीद लिया था।"…. "साला तुम सब जब भी बोलोगे ऊटपटांग ही बोलोगे।"..


पलक भी माधव से हाथ मिलाती उसका वेलकम की… ब्रेक टाइम में सब कैंटीन पहुंचे… "ओएं, निशांत नहीं है आज, कहां गया।"..


चित्रा:- अपनी गर्लफ्रेंड के पास।


माधव:- क्या बात कर रही हो। उसने गर्लफ्रेंड बना भी ली।


चित्रा:- जाओ तुम भी लाइन मारने..


माधव:- ई हड्डी को देखकर कोई पट जाती तो हम दिन रात किसी के दरवाजे पर नहीं बीता देते।


पलक:- उतनी मेहनत क्यों करोगे, चित्रा को ही परपोज कर दो ना, ये तो थप्पड़ भी नहीं मारेगी।


चित्रा:- नहीं माधव ये चढ़ा रही है, फिर अपनी कट्टी हो जाएगी। तुम मुझे गर्लफ्रेड वाली फीलिंग से देखोगे और मै तुम्हे दोस्त, फिर पहले चिढ़ आएगी, बाद में झगड़ा और अंत में दोस्ती का अंत।


माधव:- हां सही कह रही है चित्रा। पलक तुमको ही परपोज कर देते है। तुम्हारा थप्पड़ भी खा लेंगे और झगड़ा का तो सवाल ही नहीं होता।


चित्रा:- वो क्यों..


माधव:- 2-4 शब्द बोलकर जो चुप हो जाती है वो एक पन्ने जितना कहां से बोलेगी।


माधव अपना हाथ आगे बढ़ा दिया और चित्रा हंसती हुई उसकी बात पर ताली बजा दी।.. पलक भी थोड़ा सा मुस्कुराती… "हड्डी बहुत बोलने लग गए हो।"


माधव:- ये सब छोड़ो, ये बताओ कॉलेज में क्या सब चल रहा है। उस दिन के बाद से दोनो लफंटर मिले की नहीं।


चित्रा:- पलक ने उसकी ऐसी चमड़ी उधेड़ी है कि दोबारा कभी सामने आने की हिम्मत ही नहीं हुई, और उसके बाद किसी को हमारे साथ बकवास करने की भी हिम्मत नहीं हुई।


माधव:- वो तो दिख रहा है तभी उ निशांत गायब है और तुम दोनो अकेली।


चित्रा और पलक दोनो एक साथ… "वेरी फनी"…


लगभग 1 सेमेस्टर बीत गए थे इन सबके। सेमेस्टर रिजल्ट में पलक 4th टॉपर, माधव ओवरऑल 1st टॉपर, सभी ब्रांच मिलाकर, चित्रा 8th रैंक और निशांत 4 सब्जेक्ट में बैक।
 
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भाग:–10


लगभग 1 सेमेस्टर बीत गए थे इन सबके। सेमेस्टर रिजल्ट में पलक 4th टॉपर, माधव ओवरऑल 1st टॉपर, सभी ब्रांच मिलाकर, चित्रा 8th रैंक और निशांत 4 सब्जेक्ट में बैक।


तीनों ही माधव को कैंटीन में सामने बिठाकर… "क्यों बे हड्डी तू तो 3 महीने कॉलेज नहीं आया फिर ये गड़बड़ घोटाला कैसे हो गया, तू कैसे टॉपर हो गया।"..


माधव:- उ फेल वाले से पूछोगी कि कैसे फेल हो गया? उल्टा मुझसे ही पुछ रही मैं कैसे टॉप कर गया।


पलक:- माधव सही ही तो कह रहा है।


चित्रा:- ना पहले मेरे सवाल का जवाब दे।


माधव:- जब मै टूटा फूटा घर में था तब कोई काम ही नहीं था। पूरा बुक 3 बार खत्म कर लिए 3 महीने में। यहां तक कि आगे के सेमेस्टर का भी सेलेब्स 2 बार कंप्लीट कर लिया।


निशांत:- क्या बात कर रहा है। इतना पढ़कर क्या करेगा।


माधव:- एक्सक्यूटिव इंजिनियर बनूंगा और तब अपने आप सुंदरियों के रिश्ता आने शुरू हो जाएंगे। फिर कोई मेरे रंग सांवला होना या मेरे ऐसे दुबले होने का मज़ाक नहीं उड़ाएंगे।


पलक:- मै इंप्रेस हुई। अच्छी सोच है माधव।


वक़्त अपनी रफ्तार से बीत रहा था। हर किसी की अपनी ही कहानी चल रही थी। इसी बीच कॉलेज के कुछ दिन और बीते होंगे। ऐसे ही एक दिन सभी दोस्त बैठे हुए थे। निशांत हरप्रीत को लेकर चित्रा, माधव और पलक के साथ बैठा हुआ था। पांचों के बीच बातचीत चल रही थी, तभी हरप्रीत खड़ी हुई और पीछे से आ रहे लड़के से टकरा गई।


निशांत गुस्से में उठा और उस लड़के को एक थप्पड़ खींच दिया। निशांत ने जैसे ही उसे थप्पड़ मरा, वो लड़का निशांत को घूरने लगा… "साले घूरता क्या है बे, दोनो आखें निकल लूंगा तेरी।"..


वो लड़का एक नजर सबको देखा और वहां से चुपचाप चला गया। हरप्रीत भी अपने ड्रेस साफ करने के लिए निकल गई… "गलत थप्पड़ मार दिए निशांत, उ लड़के की तो कोई गलती भी नहीं थी। सबसे मजबूत ग्रुप है उनका, जो कैंपस में किसी और से बात तक नहीं करते। उनके ग्रुप में फर्स्ट ईयर से लेकर फाइनल ईयर तक के स्टूडेंट्स होंगे, लेकिन आज तक उन्हें किसी से भी झगड़ा करते हुए नही देखे। इतने कैपेबल होने के बाद भी तुम्हारा तप्पड़ खा लिए। गलत किए हो तुम निशांत।".... माधव ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया दे दी।


पलक:- गलत नहीं इसे गलतफहमी कहते है। और खून अपने बहन, दोस्त और गर्लफ्रेंड के लिए नहीं खौलेगा तो किसके लिए खौलेगा। कोई नहीं गलतफहमी में गलती हुई है, तो माफी मंगाकर सही कर लेंगे। क्या कहते हो निशांत।


निशांत:- कुछ भी हो गिल्ट तो फील हो ही रहा है ना। उसकी जगह मै होता और कोई मुझे इस तरह से कैंटीन में थप्पड़ मार चुका होता तो मुझे कैसा लगता?


पलक सभी लोगो के साथ उनके ग्रुप के पास पहुंची। इनका पूरा ग्रुप गार्डन में ही बैठा रहता था। लगभग 40-50 लड़के–लड़कियां। सब एक से बढ़कर एक फिगर वाले। जैसे ही चारो पहुंचे, निशांत एक लड़की को देखकर माधव से कहता है… "हाय क्या लग रही है ये तो। ऐसा लग रहा है जैसे मै "स्कार्लेट जोहानसन" की कॉपी देख रहा हूं। उफ्फ मन हराभरा हो गया।"


माधव बाएं साइड से पाऊं मारते… "गधा उधर दाए चित्रा खड़ी है घोंचू, मैं तेरे बाएं ओर हूं। अभी मामला सैटल करने आया है, थोड़ा दिल संभाल।"


इधर पलक उन तीनों को छोड़कर जैसे ही आगे बढ़ी, सभी एक साथ खड़े हो गए। पलक उन्हें अपने पास जमा होते देख मुस्कुराती हुई कहने लगी… "ऐसे एक साथ घेरकर मुझे डराने की कोशिश तो नहीं कर रहे ना?"..


एक लड़का खड़ा होते… "मेरा नाम मोजेक है, मिस पलक भारद्वाज। जानकार खुशी हुई कि तुम भूमि की बहन हो। हमे लगा था हमारा परिचय बहुत पहले हो जाएगा, लेकिन तुमने बहुत देर कर दी यहां हमारे बीच आने में।


पलक:- डरती जो थी। तुम सब एक से बढ़कर एक, कहीं किसी से इश्क़ हो गया तो वो ज्यादा दर्द देता। मुझे थोड़ा कम और तुम लोगो को थोड़ा ज्यादा। वैसे हम दोस्त तो हो ही सकते है।


मोजेक:- ऐसे सूखे मुंह दोस्त कह देने से थोड़े ना होता है। हमारे बीच बैठकर जब तक हम एक दूसरे को नहीं जानेगे, दोस्ती कैसे होगी।


पलक:- अभी होगी ना। मेरे भाई से एक भुल हो गई, सबके बीच तुम्हारे के साथी को उसने थप्पड़ मार दिया।


मोजेक का दोस्त रफी… "कौन वो लड़का जो मेरी बहन रूही को कब से घुरे जा रहा है।"


पलक:- हाहाहाहा.. देखा 4 दिन बैठ गई तुमलोगो के पास तो लफड़े ही होने है। मुझे इश्क़ होने से पहले लगता है मेरा भाई घायल हो जाएगा।


मोजेक:- तुम्हारे इश्क़ से प्रॉब्लम हो सकती है, उस निशांत से नहीं। यदि बात सत्यापित करनी हो तो कभी हमारी गली आ जाना... रूही तो हर किसी पर खुलेआम प्यार बरसाती है। क्यों रूही...


जिस लड़की रुही के बारे में सभी बोल रहे थे, वह बस एक नजर सबको देखी और वहां से चली गई। पलक भी फालतू के बातों से अपना ध्यान हटाती.… मोजेक उस लड़के को भी बुला दो, निशांत उसे दिल से सॉरी कहना चाहता है।


मोजेक:- महफिल में थप्पड़ पड़ी है गलती तो हुई है, और रही बात माफी कि तो एक ही शर्त पर मिलेगी..


पलक:- और वो कैसे..


मोजेक:- हमारे बीच कभी-कभी बैठना होगा। मेरे बाबा सरदार खान जब ये सुनेगे तो खुश होंगे। साथ में इन सब के बाबा भी।


पलक:- ठीक है मोजेक, वैसे जिसे भी थप्पड़ पड़ी उससे कहना हम सब दिल से सॉरी फील कर रहे है।


इसी का नाम जिंदगी है। पलक बचपन से अपने समूह प्रहरी के साथ जिनके खिलाफ लड़ना सीख रही थी, आज उन्ही के ओर से दोस्ती का प्रस्ताव हंसकर स्वीकार कर रही थी। हर समुदाय में अच्छे और बुरे लोग होते है, नागपुर के प्रहरी और सुपरनैचुरल एक जगह साथ खड़े रहकर इस बात का प्रमाण दे रहे थे। ..


देखते ही देखते पुरा साल बीत गया। सेकंड सेमेस्टर भी बीत गया। चित्रा और पलक के समझाने के कारण निशांत कुछ महीनों से माधव के साथ उसके कमरे में रुककर साथ तैयारी कर रहा था। अपना पिछले 4 बैंक मे 2 कवर कर लिया, साथ में इस बार के एग्जाम में एक बैक के साथ नेक्स्ट ईयर क्लास में चला गया।


इन लोगों का पूरा ग्रुप अब एक साल सीनियर हो चुका था और नए लड़के लड़कियां एडमिशन के लिए आ रहे थे। फिर से वहीं रैगिंग, फिर से वही नए लोग के सहमे से चेहरे, और पढ़ाई के साथ सबकी अपनी नई कहानी लिखी जानी थी।


बड़ा सा बंगलो जिसके दरवाजे पर ही लिखा था देसाई भवन। एक लड़का देसाई भवन के बड़े से मुख्य द्वार से अंदर जाने लगा। उसे दरवाजे पर ही रोक लिया गया… "सर, आप कौन है, और किस से मिलने आए है।"..


लड़का:- यहां जयदेव पवार रहते है?


दरबान:- आपको सर से काम है।


लड़का:- नहीं, भूमि से..


दरबान:- सर आपको किस से काम है, सर से या मैडम से?


लड़का:- भूमि मैडम से।


दरबान:- अपना नाम बताइए..


लड़का:- नाम जानकर क्या करोगे, उनसे बोल देना उनका बॉयफ्रेंड आया है।


दरबान, गुस्से में बाहर निकला और उसका कॉलर पकड़ते हुए… "तू जा मयला.. इतनी हिम्मत तेरी"..


लड़का बड़े से दरवाजे के बिल्कुल मध्य में खड़ा था और दरबान उसका कॉलर पकड़े। इसी बीच भूमि की कार हॉर्न बजाती हुई अंदर घुस रही थी, वो दरवाजे पर ही रुक गई। गुस्से में भूमि कार से उतरी… "दरवाजे पर क्या तमाशा लगा रखा है जीवन।"


दरबान जीवन… "मैडम ये लड़का जो खड़ा है.. वो कहता है आपका बॉयफ्रेंड है।"..


"क्या बकवास है ये…".. भूमि तेजी में उसके पास पहुंची और कांधा पकड़कर जैसे ही पीछे घुमाई…. "आर्य"..


आश्चर्य से उसकी आंखें फैल चुकी थी। चेहरे के भाव ऐसे थे मानो जिंदगी की कितनी बड़ी खुशी आंखों के सामने खड़ी हो। भूमि की नम आंखें एक टक आर्यमणि को ही देख रही थी और आर्यमणि अपनी प्यारी दीदी को देखकर, खड़ा बस मुस्कुरा रहा था।
 
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nain11ster

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वाह पलक तो बहुत ही छुपी रूतम निकली, एक दम हसीना हंटर वाली बन गई और अच्छी खातिरदारी करदी। मगर ये आर्यमणि अभी भी ईडन और उसके साथियों का गुलाम बना हुआ है या फिर उसने वाहन से निकलने का कोई तरीका ढूंढ लिया है?
Ruko jaraa.... Abhi aage kahani baki hai... Arya ke sath kya hua jald hi pata chal jayega .. baki abhi bahut chhupe rustam aane baki hain
 

nain11ster

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Samajh me to jyada kuchh nhi aaya pr padh kr dil me khalbali machi huyi hai lagta hai aaj din me sona nasib nhi hone vala... Intjar hai mujhe 1st update padhne ka

To Ye hai vo pure Alfa, bhai iski ankhe badi nasili hai yaar or body ke to kya hi kahne...

Abhi aapne pahla page hi clear kiya hai... Kahani shuru ho gayi hai Abhi bro.. usse kab clear karoge...
 

Xabhi

"Injoy Everything In Limits"
10,210
42,573
174
भाग:–१





जंगल का इलाका। कोहरा इतना गहरा की दिन को भी सांझ में बदल दे। दिन के वक़्त का माहौल भी इतना शांत की एक छोटी सी आहट भयभीत कर दे। यदि दिल कमजोर हो तो इन जंगली इलाकों से अकेले ना गुजरे।


हिमालय की ऊंचाई पर बसा एक शहर गंगटोक, जहां प्रकृति सौंदर्य के साथ-साथ वहां के विभिन्न इलाकों में भय के ऐसे मंजर भी होते है, जिसके देखने मात्र से प्राण हलख में आ जाए। दूर तक फैले जंगलों में कोहरा घना ऐसे मानो कोई अनहोनी होने का संकेत दे रहा हो।



2 पक्के दोस्त, आर्यमणि और निशांत रोज के तरह जंगल के रास्ते से लौट रहे थे। दोनो साथ-साथ चल रहे थे इसलिए एक दूसरे को देख भी पा रहे थे, अन्यथा कुछ मीटर की दूरी होती तो पहचान पाना भी मुश्किल होता। रोज की तरह बातें करते हुए घने जंगल से गुजर रहे थे।


"कथाएं, लोक कथाएं और परीकथाएं। कितने सच कितने झूट किसे पता। पहले प्रकृति आयी, फिर जीवन का सृजन हुआ। फिर ज्ञान हुआ और अंत में विज्ञान आया। प्रकृति रहस्य है तो विज्ञान उसकी कुंजी, और जिन रहस्यों को विज्ञान सुलझा नहीं पता उसे चमत्कार कहते हैं।"

"ऑक्सीजन और कार्बन डाय ऑक्साइड के खोज से पहले भी ये दोनो गैस यहां के वातावरण में उपलब्ध थे। किसी वैज्ञानिक ने इन रहस्यों को ढूंढा और हम ऑक्सीजन और कार्बन डाय ऑक्साइड के बारे में जानते है। कोई ना भी पता लगता तो भी हम शवांस द्वारा ऑक्सीजन ही लेते और यही कहते भगवान ने ऐसा ही बनाया है। सो जिन चीजों का अस्तित्व विज्ञान में नहीं है, इसका मतलब यह नहीं कि वो चीजें ना हो।"..


"सही है आर्य। जैसे कि नेगेटिव सेक्स अट्रैक्शन। हाय क्लास में आज अंजलि को देखा था। ऐसा लग रहा था साइज 32 हो गए है। साला उसके ऊपर कौन हाथ साफ कर रहा पता नहीं, लेकिन साइज बराबर बढ़ रहे है। और जितनी बढ़ रही है, वो दिन प्रतिदिन उतनी ही सेक्सी हुई जा रही है।"…


दोनो दोस्त बात करते हुए जंगल से गुजर रहे थे, तभी पुलिस रेडियो से आती आवाज ने उन्हे चौकाया…. "ऑल टीम अलर्ट, कंचनजंगा जाने वाले रास्ते से एक सैलानी गायब हो गई है। सभी फोर्स वहां के जंगल में छानबीन करें। रिपीट, एक सैलानी गायब है, तुरंत पूरी फोर्स जंगल में छानबीन करे।"… पुलिस कंट्रोल रूम से एक सूचना जारी किया जा रहा था।


निशांत, गंगटोक अस्सिटेंट कमिश्नर राकेश नाईक का बेटा था। अक्सर वो अपने साथ पुलिस की एक वाकी रखता था। वाकी पर अलर्ट जारी होते ही….


निशांत:— आर्य, हम तो 15 मिनट से इन्हीं रास्तों पर है, तुमने कोई हलचल देखी क्या?"..


आर्यमणि, अपनी साइकिल में ब्रेक लगाते… "हो सकता है पश्चिम में गए हो, लोपचे के इलाके में, और वहीं से गायब हो गए हो।"


निशांत:- हां लेकिन उस ओर जाना तो प्रतिबंधित है, फिर ये सैलानी क्यों गए?


आर्यमणि और निशांत दोनो एक दूसरे का चेहरा देखे, और तेजी से साइकिल को पश्चिम के ओर ले गए। दोनो 2 अलग-अलग रास्ते से उस सैलानी को ढूंढने लगे और 1 किलोमीटर की रेंज वाली वाकी से दोनो एक दूसरे से कनेक्ट थे। दोनो लोपचे के इलाके में प्रवेश करते ही अपने साइकिल किनारे लगाकर पैदल रस्तो की छानबीन करने लगे।


"रूट 3 पर किसी लड़की का स्काफ है आर्य"…. निशांत रास्ते में पड़ी एक स्काफ़ उठाकर देखते हुए आर्य को सूचना दिया और धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा। तभी निशांत को अपने आसपास कुछ आहट सुनाई दी। एक जानी पहचानी आहट और निशांत अपनी जगह खड़ा हो गया। वाकी के दूसरे ओर से आर्यमणि भी वो आहट सुन सकता था। आर्यमणि निशांत को आगाह करते.…. "निशांत, बिल्कुल हिलना मत। मै इन्हे डायवर्ट करता हूं।"…


निशांत बिलकुल शांत खड़ा आहटो के ओर देख रहा था। घने जंगल के इस हिस्से के खतरनाक शिकारी, लोमड़ी, गस्त लगाती निशांत के ओर बढ़ रही थी, शायद उसे भी अपने शिकार की गंध लग गई थी। तभी उन शांत फिजाओं में लोमड़ी कि आवाज़ गूंजने लगी। यह आवाज कहीं दूर से आ रही थी जो आर्यमणि ने निकाली थी। निशांत खुद से 5 फिट आगे लोमड़ियों के झुंड को वापस मुड़ते देख पा रहा था।


जैसे ही आर्यमणि ने लोमड़ी की आवाज निकाली पूरे झुंड के कान उसी दिशा में खड़े हो गए, और देखते ही देखते सभी लोमड़ियां आवाज की दिशा में दौड़ लगा दी।… जैसे ही लोमड़ियां हटी, आर्यमणि वाकी के दूसरे ओर से चिल्लाया.…. "निशांत, तेजी से लोपचे के खंडहर काॅटेज के ओर भागो... अभी।"


निशांत ने आंख मूंदकर दौड़ा। लोपचे के इलाके से होते हुए उसके खंडहर में पहुंचा। वहां पहुंचते ही वो बाहर के दरवाजे पर बैठ गया और वहीं अपनी श्वांस सामान्य करने लगा। तभी पीछे से कंधे पर हाथ परी और निशांत घबराकर पीछे मुड़ा…. "अरे यार मार ही डाला तूने। कितनी बार कहूं, जंगल में ऐसे पीछे से हाथ मत दिया कर।"


आर्यमणि ने उसे शांत रहने का इशारा करके सुनने के लिए कहा। कानो तक बहुत ही धीमी आवाज़ पहुंच रही थी, हवा मात्र चलने की आवाज।… दोनो दोस्तों के कानो तक किसी के मदद की पुकार पहुंच रही थी और इसी के साथ दोनो की फुर्ती भी देखने लायक थी... "रस्सी निकाल आर्य, आज इसकी किस्मत बुलंदियों पर है।"..


दोनो आवाज़ के ओर बढ़ते चले गए, जैसे-जैसे आगे बढ़ रहे थे आवाज़ साफ होती जा रही थी।… "आर्य ये तो किसी लड़की की आवाज़ है, लगता है आज रात के मस्ती का इंतजाम हो गया।".. आर्यमणि, निशांत के सर पर एक हाथ मारते तेजी से आगे बढ़ गया। दोनो दोस्त जंगल के पश्चिमी छोड़ पर पहुंच गए थे, जिसके आगे गहरी खाई थी।


ऊंचाई पर बसा ये जंगल के छोड़ था, नीचे कई हजार फीट गहरी खाई बनाता था, और पुरे इलाके में केवल पेड़ ही पेड़। दोनो खाई के नजदीक पहुंचते ही अपना अपना बैग नीचे रखकर उसके अंदर से सामान निकालने लगे। इधर उस लड़की के लगातार चिल्लाने की आवाज़ आ रही थी….. "सम बॉडी हेल्प, सम बॉडी हेल्प, हेल्प मी प्लीज।"…


निशांत:- आप का नाम क्या है मिस।


लड़की:- मिस नहीं मै मिसेज हूं, दिव्य अग्रवाल, प्लीज मेरी हेल्प करो।


निशांत, आर्यमणि के कान में धीमे से…. "ये तो अनुभवी है रे। मज़ा आएगा।"


आर्यमनी, बिना उसकी बातों पर ध्यान दिए हुए रस्सी के हुक को पेड़ से फसाने लगा। इधर जबतक निशांत ड्रोन कैमरा से दिव्य की वर्तमान परिस्थिति का जायजा लेने लगा। लगभग 12 फिट नीचे वो एक पेड़ की साखा पर बैठी हुई थी। निशांत ने फिर उसके आसपास का जायजा लिया।… "ओ ओ.… जल्दी कर आर्य, एक बड़ा शिकारी मैडम के ओर बढ़ रहा है।"..


आर्यमणि, निशांत की बात सुनकर मॉनिटर स्क्रीन को जैसे ही देखा, एक बड़ा अजगर दिव्या की ओर बढ़ रहा था। आर्यमणि रस्सी का दूसरा सिरा पकड़कर तुरंत ही खाई में उतरने के लिए आगे बढ़ गया। निशांत ड्रोन की सहायता से आर्यमणि को दिशा देते हुए दिव्या तक पहुंचा दिया। दिव्या यूं तो उस डाल पर सुरक्षित थी, लेकिन कितनी देर वहां और जीवित रहती ये तो उसे भी पता नहीं था।


किसी इंसान को अपने आसपास देखकर दिव्या के डर को भी थोड़ी राहत मिली। लेकिन अगले ही पल उसकी श्वांस फुल गई दम घुटने लगा, और मुंह ऐसे खुल गया मानो प्राण मुंह के रास्ते ही निकलने वाले हो। जबतक आर्यमणि दिव्या के पास पहुंचता, अजगर उसकी आखों के सामने ही दिव्या को कुंडली में जकड़ना शुरू कर चुका था। अजगर अपना फन दिव्या के चेहरे के ऊपर ले गया और एक ही बार में इतना बड़ा मुंह खोला, जिसमे दिव्या के सर से लेकर ऊपर का धर तक अजगर के मुंह में समा जाए।


आर्यमणि ने तुरंत उसके मुंह पर करंट गन (स्टन गन) फायर किया। लगभग 1200 वोल्ट का करंट उस अजगर के मुंह में गया और वो उसी क्षण बेहोश होकर दिव्या को अपने साथ लिए खाई में गिरने लगा। अर्यमानी तेजी दिखाते हुए वृक्ष के साख पर अपने पाऊं जमाया और दिव्या के कंधे को मजबूती से पकड़ा।


वाजनी अजगर दिव्या के साथ साथ आर्यमणि को भी नीचे ले जा रहा था। आर्यमणि तेजी के साथ नीचे जा रहा था। निशांत ने जैसे ही यह नजारा देखा ड्रोन को फिक्स किया और रस्सी के हुक को सेट करते हुए…. "आर्य, कुंडली खुलते ही बताना।"


आर्यमणि का कांधा पुरा खींचा जा रहा था, और तभी निशांत के कान में आवाज़ सुनाई दी… "अभी"… जैसे ही निशांत ने आवाज़ सुनी उसने हुक को लॉक किया। अजगर की कुंडली खुलते ही वो अजगर कई हजार फीट नीचे की खाई में था और आर्यमणि दिव्या का कांधा पकड़े झुल रहा था।


निशांत ने हुक को खींचकर दोनो को ऊपर किया। ऊपर आते ही आर्यमणि जमीन पर दोनो हाथ फैलाकर लेट गया और निशांत दिव्या के सीने को पुश करके उसकी धड़कन को सपोर्ट करने लगा।… "आर्य, शॉक के कारण श्वांस नहीं ले पा रही है।"..


आर्यमानी:- मुंह से हवा दो, मै सीने को पुश करता हूं।


निशांत ने मुंह से फूंककर हवा देना शुरू किया और आर्यमणि उसके सीने को पुश करके स्वांस बाहर छोड़ने में मदद करने लगा। चौंककर दिव्या उठकर बैठ गई और हैरानी से चारो ओर देखने लगी। निशांत उसके ओर थरमस बढ़ाते हुए… "ग्लूकोज पी लो एनर्जी मिलेगी।"..


दिव्या अब भी हैरानी से चारो ओर देख रही थी। उसकी धड़कने अब भी बढ़ी हुई थी। उसकी हालत को देखते हुए… "आर्य ये गहरे सदमे में है, इसे मेडिकल सपोर्ट चाहिए वरना कोलेप्स कर जाएगी।"


आर्यमणि:- हम्मम । मै कॉटेज के पास जाकर वायरलेस करता हूं, तुम इसे कुछ पिलाओ और शांत करने की कोशिश करो।


निशांत:- इसे सुला ही देते है आर्य, जितनी देर जागेगी उतना ही इसके लिए रिस्क हैं। सदमे से कहीं ब्रेन हम्मोरेज ना कर जाए।


आर्यमणि:- हम्मम। ठीक है तुम बेहोश करो मै वायरलेस भेजता हूं।


निशांत ने अपने बैग से क्लोरोफॉर्म निकाला और दिव्या के नाक से लगाकर उसे बेहोश कर दिया। कॉटेज के पास पहुंचकर आर्यमणि ने वायरलेस से संदेश भेज दिया, और वापस निशांत के पास आ गया।


निशांत:- आर्य ये मैडम तो बहुत ही सेक्सी है यार।


आर्यमणि:- मैंने शुहोत्र को देखा, लोपचे कॉटेज में। घर के पीछे किसी को दफनाया भी है शायद।


निशांत, चौंकते हुए… "शूहोत्र लोपचे, लेकिन वो यहां क्या कर रहा है। तू कन्फर्म कह रहा है ना, क्योंकि 6 साल से उसका परिवार का कोई भी गंगटोक नहीं आया है। और आते भी तो एम जी मार्केट में होते, यहां क्या लोमड़ी का शिकार करने आया है।"


"तुम दोनो को यहां आते डर नहीं लगता क्या?"… पुलिस के एक अधिकारी ने दोनो का ध्यान अपनी ओर खींचा।


निशांत:- अजगर का निवाला बन गई थी ये मैडम, बचा लिया हमने। आप सब अपना काम कीजिए हम जा रहे है। वैसे भी यहां हमारा 1 घंटा बर्बाद हो गया।


पुलिस की पूरी टीम पहुंचते ही आर्यमणि और निशांत वहां से निकल गए। रास्ते भर निशांत और आर्यमणि, सुहोत्र लोपचे और लोपचे का जला खंडहर के बारे में सोचते हुए ही घर पहुंचा। दिमाग में यही ख्याल चलता रहा की आखिर वहां दफनाया किसे है?


दोनो जबतक घर पहुंचते, दोनो के घर में उनके कारनामे की खबर पहुंच चुकी थी। सिविल लाइन सड़क पर बिल्कुल मध्य में डीएम आवास था जो कि आर्यमणि का घर था और उसके पापा केशव कुलकर्णी गंगटोक के डीएम। उसके ठीक बाजू में गंगटोक एसीपी राकेश नईक का आवास, जो की निशांत का घर था।
Nainu bhaya aapne theater ka parda khulte hi sidha बाउंड्रीवील pr छक्का mara hai...
Nishant ACP ka beta hai vahi apna hero aryamani Jo DM Sahab ka beta hai, dono dost roj jungle ke raste Ghar jate hai background high hone pr unka thoda advantage bhi milta hai inhe Jaise waki toki rakhna stungun rakhna or Aaj usi advantage ke chalte vo ek mahila ko bcha paye Jiska naam divya hai, azgar ke muh me Jane se Bachi hai, dono dosto ki sabdavali se lagta hai Jaise inhone medical ki padhai ki hai sath hi self defense bhi sikh rkha hai rock climbing ke sath sath... Ye Lopez Kon tha ye dost uske bare me kya baat kr rhe the or uska khander vha jungle me hai mtlb Vo vha rahta tha pr Vo aaj yha kya kr rha tha Jise aryamani ne dekha Vahi ek or baat Aaj hi kyo dekha aryamani ne jab ye divya musibat me thi kahi insabke pichhe vo hi to nhi, or jungle me azgar to hote hi hai pr...
Dekhte hai Nainu bhaya ne aage kya kya imagine kr rkha hai...
Superb bhai sandar jabarjast update
 

Xabhi

"Injoy Everything In Limits"
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Abhi aapne pahla page hi clear kiya hai... Kahani shuru ho gayi hai Abhi bro.. usse kab clear karoge...
Bhai subah nind me tha Ab padhta hai na Mai...
 
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