कहानी- कौमार्य
रचनाकार- Shetan महोदया
बहुत ही बेहतरीन और शानदार कहानी महोदया
बहुत ही अच्छी कहानी लिखी है आपने। ये आपकी पहली कहानी से ज्यादा अच्छी है और इसमें वर्तनी की त्रुटियां भी नहीं हैं बस एक जगह कविता का नाम कोमल लिखा गया है।
प्यार क्या है, भरोसा क्या है आपने इस कहानी के माध्यम से बहुत अच्छी तरह से दर्शाया है। जहां कविता चंचल स्वभाव की है तो वही वीर शर्मीले स्वभाव का गंभीर लड़का है लेकिन जब दोनों मिलते हैं तो दोनों का दिल इलू इलू करने लगता है। कविता अपनी चंचलता के कारण अपने दिल की बात कह देती है लेकिन वीर शर्मीलेपन के कारण कुछ कह नहीं पता।
कविता और उसके पापा के बीच दोस्तों जैसा रिश्ता नजर आया। बाप बेटी का रिश्ता ऐसा ही होना चाहिए तभी वो अपने दिल की बात अपने पिता से कह सकती हैं।
समाज में आज भी ये धारणा गलत है कि लड़की का कौमार्य ही उसकी पवित्रता का सबूत है। विज्ञान भी ये प्रमाणित कर चुका है कि लड़की का कौमार्य केवल शारीरिक संबंध बनाने पर ही नहीं भंग होता बल्कि ऐसे कई कारण है जिसके चलते लड़की का कौमार्य भंग होता है, लेकिन समाज के कुछ लोग आज भी अपनी पुरानी दकियानूसी सोच को ही सही मानता है।
वीर की तरह हमारा भी यही मानना है कि शादी के पहले किसी ने क्या किया इससे फर्क नहीं पड़ना चाहिए बल्कि शादी के बाद जीवनसाथी एक दूसरे के प्रति ईमानदारी बरते वो ज्यादा जरूरी है। कविता ने भी वीर को परखने के लिए उससे झूठ बोला कि उसने शादी से पहले ही अपना कौमार्य अपने पुरुष मित्र के साथ भंग कर लिया है, लेकिन वीर को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ा। इसी विश्वास के चलते दोनों का वैवाहिक जीवन सुखमय हुआ।
रचनाकार- Shetan महोदया
बहुत ही बेहतरीन और शानदार कहानी महोदया
बहुत ही अच्छी कहानी लिखी है आपने। ये आपकी पहली कहानी से ज्यादा अच्छी है और इसमें वर्तनी की त्रुटियां भी नहीं हैं बस एक जगह कविता का नाम कोमल लिखा गया है।
प्यार क्या है, भरोसा क्या है आपने इस कहानी के माध्यम से बहुत अच्छी तरह से दर्शाया है। जहां कविता चंचल स्वभाव की है तो वही वीर शर्मीले स्वभाव का गंभीर लड़का है लेकिन जब दोनों मिलते हैं तो दोनों का दिल इलू इलू करने लगता है। कविता अपनी चंचलता के कारण अपने दिल की बात कह देती है लेकिन वीर शर्मीलेपन के कारण कुछ कह नहीं पता।
कविता और उसके पापा के बीच दोस्तों जैसा रिश्ता नजर आया। बाप बेटी का रिश्ता ऐसा ही होना चाहिए तभी वो अपने दिल की बात अपने पिता से कह सकती हैं।
समाज में आज भी ये धारणा गलत है कि लड़की का कौमार्य ही उसकी पवित्रता का सबूत है। विज्ञान भी ये प्रमाणित कर चुका है कि लड़की का कौमार्य केवल शारीरिक संबंध बनाने पर ही नहीं भंग होता बल्कि ऐसे कई कारण है जिसके चलते लड़की का कौमार्य भंग होता है, लेकिन समाज के कुछ लोग आज भी अपनी पुरानी दकियानूसी सोच को ही सही मानता है।
वीर की तरह हमारा भी यही मानना है कि शादी के पहले किसी ने क्या किया इससे फर्क नहीं पड़ना चाहिए बल्कि शादी के बाद जीवनसाथी एक दूसरे के प्रति ईमानदारी बरते वो ज्यादा जरूरी है। कविता ने भी वीर को परखने के लिए उससे झूठ बोला कि उसने शादी से पहले ही अपना कौमार्य अपने पुरुष मित्र के साथ भंग कर लिया है, लेकिन वीर को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ा। इसी विश्वास के चलते दोनों का वैवाहिक जीवन सुखमय हुआ।