वक्त की लुका छिपी
रात के समय अमय अपनी ऑफिस से घर वापस लौट रहा होता है, अमय अपने शहर का एक बहुत ही कामयाब बिजनेसमैन है, पर साथ ही साथ लोग इसे खडूस भी बोलते थे, कारण वो किसी से भी सीधे मुंह बात नही करता था। हालांकि वो शुरू से ऐसा नही था। अपने कॉलेज में उसे जिंदादिल शायद ही कोई होगा, पढ़ाई में भी अच्छा था वो, और हो भी क्यों न, क्योंकि वही एक जरिया था जिससे वो अपने घर के हालतों को सुधार सकता था। अकेली मां का इकलौता लड़का, जिसके पिता की मृत्यु उसके पांचवे जन्मदिन से पहले ही हो गई थी, उसे उसकी मां ने कितने कष्ट से पाला ये उससे बेहतर कोई नही जान सकता था, जीवन में पैसे की अहमियत उसे उसके रिश्तेदारों ने भी अच्छे से समझा दी थी।
यही सब सोचते हुए उसे आगे रोड से कुछ दूर कुछ हलचल सी महसूस होती है, गाड़ी के थोड़ा राइट टर्न लेते ही उसे एक गाड़ी दिखती है जिससे 4 लोग कुछ बोरी जैसा उतर कर जंगल की तरफ ले जा रहे होते है। अमय को कुछ गडबड लगती है और वो ड्राइवर को गाड़ी रोकने बोलता है, और अपनी गन निकल लेता है। गाड़ी रुकते ही वो जोर से आवाज देता है, "क्या हो रहा है वहां?"
चारो लोग उसे ही देखते हैं, और घबरा कर उस बोरी को छोड़ कर वापस गाड़ी में बैठ कर वापस भागने लगते हैं। अमय के आगे बढ़ने से पहले ही गाड़ी वहां से निकल चुकी होती है, अमय ड्राइवर को टार्च लाने बोलता है, और बोरी की तरफ बढ़ जाता है। तभी ड्राइवर भी टार्च ले कर पास आ जाता है। दोनो मिल कर बोरी खोलते हैं,
और उसमे एक लड़की थी, अमय तुरंत उसकी नब्ज़ देखता है और उसमे स्पंदन मिलने पर ड्राइवर से कहता है, "जिंदा है, गाड़ी में डालो जल्दी।" दोनो मिल कर उसको गाड़ी की पिछली सीट पर लेटा देते है, और आगे चल देते हैं।
ड्राइवर अमय को पुलिस को इनफॉर्म करने कहता है, जिसपर अमय माना कर देता है। अमय को पुलिस पर रत्ती भर भी भरोसा नही था। तभी उसका फोन बजता है।
अमय: हां मां, बस कुछ देर में पहुंच रहा हू। बस जरा एक काम है।
मां: चुपचाप घर आओ, रात के 11 बज रहे हैं, अब कितनी देर जगूंगी मैं?
अमय: पर मां कोई है मेरे साथ।
मां: जो भी है उसे घर ले कर आ।
और फोन कट जाता है, तभी अमय कुछ सोच कर एक फोन लगता है।
अमय: राहुल, भाई एक काम है, मेरे घर आ जा अपना सामान ले कर।
राहुल: क्या हुआ, आंटी तो ठीक हैं ना?
अमय: हां वो सही है, तू आ बस।
थोड़ी देर में उसकी कर एक बड़े बंगले में प्रवेश करती है, और पीछे से राहुल की कार भी आ जाती है।
राहुल: क्या हुआ है?
अमय उसे कार की ओर ले जाता है। राहुल कार में लड़की को देख कर अमय को घूरता है, तभी ड्राइवर उसे सारी बात बताता है।
राहुल: तो इसे हॉस्पिटल क्यों नही ले गए?
अमय: वहां उसे पुलिस के पास ले जाते, और पुलिस का क्या हाल है तुमको तो पता ही है। मैं नही चाहता की ये किसी मुसीबत में फस जाए, और दूसरा फिर मेरा चक्कर लगने लगेगा पुलिस स्टेशन में बिना मतलब का, होश में आने के बाद इसको जो करना है खुद ही करे।
राहुल: ठीक है, अंदर ले चलो इसको।
अंदर मां (सुमन जी) सबको ऐसे देखते हुए: क्या हुआ बेटे और ये कौन है?
अमय सारी बात बताते हुए एक कमरे में सबको ले जाता है। सुमन जी भी घबरा जाती हैं और मन ही मन उसके होश में आने की प्रार्थना करने लगती हैं।
राहुल उस लड़की का ट्रीटमेंट चालू कर देता है और आधे घंटे बाद वो कहता है कि इसको होश सुबह से पहले नही आ पाएगा, शरीर कमजोर है इसका और किसी ने बहुत जोर से मारा है सर पर। सब बाहर आ जाते है और राहुल अपने हॉस्पिटल से एक नर्स को बुलवा कर रात भर के लिए इस लड़की पास छोड़ देता है।
सुबह अमय ऑफिस के लिए जल्दी निकल जाता है, तब तक उस लड़की को होश नही आया होता है, राहुल जब उसे देखने आता है, तभी उसे होश आता है।
सुमन जी उसके बेड पर बैठ कर उसका सर सहलाते हुए उसका नाम पूछती है, तो वो लड़की आश्चर्य से उनको देखने लगती है। ये देख सुमन जी राहुल की ओर देखती हैं, तो राहुल उस लड़की से फिर से नाम पूछता है।
लड़की: उम्म्म.... मुझे कुछ याद नही आ रहा है!!
ये देख कर राहुल: आंटी इसको हॉस्पिटल लेकर चलना होगा अभी, आप भी आइए, कुछ टेस्ट करने पड़ेंगे।
सुमन जी तैयार होने चली जाती है, तब तक राहुल उस लड़की को नर्स की मदद से अपनी गाड़ी के बैठा देता है, और सुमन जी के आते ही सब हॉस्पिटल चले जाते हैं।
रात को अमय घर लौटता है तो सुमन जी उसे बताती हैं कि वो लड़की अपनी यादाश्त को चुकी है, ये सुन कर अमय सोच में पड़ जाता है। सुबह अमय की नींद एक मीठी आवाज से खुलती है, और वो लड़की उसे उठाने आई हुई होती है, अभी अभी नहा धो कर निकली हुई वो किसी ताजे फूल की तरह खिली हुई होती है।
लड़की: उठिए आपको मां बुला रही हैं।
अमय चौंकते हुए: मां?
लड़की: जी अब मुझे कुछ याद नही और सबसे पहले उनको देखा तो मां जैसी लगी तो मां ही बोल रही हूं।
अमय: चलो मैं आता हूं।
थोड़ी देर बाद अमय तैयार होकर बाहर आता है और सुमन जी के कमरे में जा कर: मां, वो लड़की आपको मां बुला रही थी?
सुमन जी: वो लड़की क्या लगा रखा है, हमने उसका नाम मिली रखा है फिलहाल, और मां बुलाने में की परेशानी है तुझे?
अमय कुछ बोलता नही लेकिन सुमन जी उसकी आंखो को देख कर: बेटा जो हुआ उसे ले कर हर लड़की को वैसा मानना छोड़ दे अब। और बता क्या करना का सोचा है मिली लिए?
(अमय को चांदनी की याद आ जाती है। चांदनी, अमय के साथ पढ़ने वाली कॉलेज की सबसे खूबसूरत लड़की, एक ओर जहां पूरा कॉलेज उसके पीछे पागल था, अमय जिसे अपने करियर पर ही ध्यान था, उसे कोई खास भाव नही देता था। जहां अमय को अपनी हैसियत और सपनों को कैसे पूरा करना है वो पता था, चांदनी को अपने हुस्न का इस्तेमाल बखूबी आता था। लेकिन ऐसा नही था की वो चांदनी से नफरत करता था, बस उसे पता था कि चांदनी जैसी लड़की उसके लिए बस ख्याली पुलाव से ज्यादा कुछ नहीं है। खैर दिन ऐसे ही गुजरने लगे और
B.Tech के तीसरे साल आते आते उसकी और चांदनी की कुछ बात होने लगी थी, वो भी सिर्फ पढ़ाई के लिए, फिर कभी कभी वो अकेले ही बैठे होते थे पढ़ते हुए। ऐसे ही एक दिन चांदनी ने अमय को प्रपोज कर दिया। अमय के तो पांव ही जमीन पर नहीं पड़ रहे थे। उस दिन के बाद बस चांदनी और अमय ही दिखते थे, इसी चक्कर में अमय की पढ़ाई का भी थोड़ा नुकसान होने लगा था, और थर्ड ईयर के रिजल्ट में वो पहले से सीधे तीसरे पर आ गया, और चांदनी का पुराना ब्वॉयफ्रेंड रोहन पहले स्थान पर आ गया था।
उसी समय कैंपस सिलेक्शन हुआ और सबसे अच्छा रिजल्ट होने के कारण रोहन ने सबसे बड़ा पैकेज उठा लिया, अमय को इसका बुरा लगा लेकिन चांदनी के साथ के आगे उसने इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। उसने चांदनी को ढूंढा मगर वो नही मिली, कॉल करने पर उसका फोन बार बार एक रिंग पर काट रहा था। वो।पागलों की तरह उसे ढूंढता हुआ कॉलेज के पीछे पहुंचा जहां चांदनी और रोहन उसे किस करते नजर आए, अमय भागते हुए वहां पहुंचा और चांदनी को एक झटके में अपनी तरफ खींचते हुए, "चांदनी, ये क्या कर रही हो तुम?"
चांदनी: अपने प्यार को प्यार ही तो कर रही हूं और क्या?
अमय: मतलब?
तभी रोहन आगे आते हुए: मतलब ये की वो तुमसे कोई प्यार व्यार नही करती, अपनी औकात देखी है जो चांदनी जैसी लड़की तुमसे प्यार करेगी?
अमय कतार नजरों से चांदनी की ओर देखते हुए: क्या ये सच है?
चांदनी: तुम्हे क्या लगा की मैं तुम जैसे किसी से प्यार करूंगी? अरे मेरे एक हफ्ते का खर्चा भी नही उठा सकता तू पूरी जिंदगी का तो भूल ही जा।
अमय: फिर मेरे साथ ऐसा नाटक क्यों?
रोहन: क्योंकि मेरे बाप ने बोला था की सबसे बड़ा पैकेज ले कर 2 साल नौकरी करनी है तभी वो अपने बिजनेस और जायदाद में मुझे लेंगे, वरना पूरी जिंदगी तुम्हारी तरह ही नौकरी करते बितानी होगी, और तुम्हारे रहते वो तो किसी और को मिलने से रही, बस इसी में मेरी जान ने मेरी मदद की उसे पाने में। और अब चल निकल यहां से।
ये बोलते हुए दोनो फिर लिपलॉक करने लगते हैं।
उस दिन के बाद से अमय ने मुस्कुराना ही बंद कर दिया था, आखिरी साल में उसने मेहनत करके कई सॉफ्टवेयर बनाए और पास होते होते उसके पास इतने पैसे आ गए थे कि उसने अपना ख़ुद का बिजनेस शुरू किया और 5 साल बाद आज वो इस मुकाम पर था की देश के 50 सबसे अमीर लोगों में शुमार हो चुका था।)
सोच से बाहर आते हुए, अमय: मां अभी मिली को के कर एसपी से मिलने जाता हूं, रात को ही सब बात बता दी थी उनको। राहुल भी साथ जायेगा
एसपी ऑफिस में..
अमय: सर, ये है मिली, जिसके बारे में मैंने रात को बताया था आपको।
एसपी: तो नाम याद आ गया इनको?
अमय: नही, मां ने रखा है, कुछ पुकारने के लिए तो चाहिए ना।
एसपी: ओह हां।
राहुल: सर ये हैं इनकी रिपोर्ट्स।
एसपी: थैंक्यू आप दोनो का, मैं जल्दी से जल्दी पता लगवाने की कोशिश करता हूं, तब तक आप इनकी नारी निकेतन में पहुंचवा दीजिए।
अमय: नही, ये तब तक हमारे घर में ही रहेगी।
एसपी: पर अमय जी...
अमय: सर मुझे भरोसा नहीं वहां किसी पर, ये मेरे घर सही से रहेगी।
एसपी: ठीक है जैसी आपकी मर्जी, पर आप एक एफआईआर लिखवा दीजिए, कम से कम उन लड़कों को तो पकड़ सके।
अमय: जी लिख लीजिए, और उनकी गाड़ी का नंबर भी मैने नोट किया था।
सब घर वापस आ जाते हैं। मिली के आने से सुमन जी का मन लगा हुआ था, और अमय की हर सुबह उसके जागने से ही होती थी। मिली का व्यवहार एक चुलबुली लड़की का था, और अमय धीरे धीरे उससे खुलने लगा था। पर उसका मुस्कुराना अभी भी गायब था, चाहे मिली कोई भी शरारत क्यों न करे। पर दिल ही दिल में वो उसकी ओर जुड़ाव महसूस करने लगा था। पर ऊपर से वो।कई बार अपनी ही मां को टोक देता की वो मिली से ज्यादा मन न लगाए, क्योंकि उसे पता था की एक दिन वो उसकी जिंदगी से चली ही जायेगी। ऐसे ही 1 महीना बीत गया, और वो चारों लड़के पकड़े गए। वो सब एक साधारण लुटेरे थे, जिनको मिली एक ढाबे में मिली थी, शायद उसकी टैक्सी खराब थी और वो थोड़ा टहलते हुए थोड़ा आगे निकल आई थी, जहां से उसका किडनैप करके वो लोग उसको लूट चुके थे, और जंगल में बस उसको बेहोश करके फेकने आए थे। और चूंकि लूटा हुआ सामान सब नष्ट हो चुका था तो मिली का कोई सुराग नहीं मिला।
इधर अमय को अब मिली का साथ भाने लगा था, कभी कभी दाने छुपे रूप से वो मुस्कुराने भी लगा था। मिली भी अमय का बहुत खयाल रखने लगी थी, सुबह उसके ऑफिस जाने से ले कर रात में वापस आने पर खाना परोसने तक सारा काम वो ही करती थी। दोनो में कुछ कुछ बातें भी होने लगी थी। ऐसे ही एक रात उसके वापस के बाद अमय को नींद नही आ रही थी तो वो उठ कर छत पर जाता है, जहां मिली पहले से ही मजूद थी। उसे देख कर अमय चौंक जाता है और पूछता है, "यहां क्या कर रही हो, वो भी इस समय?"
मिली: बस अपने बारे में याद करने की कोशिश कर रही थी।
अमय: तुम्हारा दर्द मैं बांट तो नही सकता, पर काम करने की कोशिश में ही लगा हूं, और वादा करता हूं की जल्द से जल्द तुम अपनों के बीच होगी।
और आगे बढ़ कर वो उसका हाथ थाम लेता है। मिली भी मुस्कुरा कर उसके गले लग जाती है, अमय उसके सर पर हाथ फेरने लगता है। कुछ समय दोनो ऐसे ही कुछ समय दोनो खड़े रहते है, तभी किसी उल्लू की आवाज से दोनो की तंद्रा टूट जाती है, और दोनो एक दूसरे से नजरें चुराते हुए नीचे आ जाते हैं।
सुबह अमय के फोन पर एसपी का कॉल आता है जिनको मिली के बार में कुछ जानकारी मिलने की बात बताते है। **** शहर में एक औरत ने अपनी बेटी के गुम होने की रिपोर्ट लिखवाई थी, और फोटो मिली से मिलती जुलती थी। अमय उनसे सारी डिटेल ले कर सुमन जी और मिली को बताता है। सुमन जी और मिली बहुत खुश होती हैं। अमय कहता है की 2 दिन बाद उसे उसी शहर में किसी डील के लिए जाना है तो वो मिली को साथ लेता जायेगा।
2 दिन बाद दोनो वहां पहुंच कर एक होटल के चेक इन करते हैं, और अमय कहता है की पहले अपना काम करके वो दोनो पुलिस स्टेशन चलेंगे। अमय ने इस कंपनी में कॉल लगाया मिलने के लिए तो उधर से जवाब आया की कंपनी के मालिक खुद ही उसी मिलने होटल पहुंच रहे हैं।
थोड़ी देर में उसके रूम का दरवाजे की बेल बजती है जिसे वो खोलता है तो सामने रोहन और चांदनी खड़े होते हैं। अमय चौंकते हुए: तुम लोग?
रोहन: हां अमय, तुम हमारी ही कंपनी से डील करने आए हो, कंपनी अभी पापा के ही नाम है, पर देख हम दोनो रहें है अभी।
अमय दोनो को अंदर बुलाता है और बिना कोई खास बात किए हुए कम के लग जाता है, चांदनी को खास कुछ करने को नही था तो वो मिली से बात करने लगती है, उसे लगता है की मिली अमय की पत्नी है। पर बातों ही बातों में मिली चांदनी को सारी बात बता देती है, जिसे सुन चांदनी के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान आ जाती है। थोड़ी देर में काम खत्म हो जात है, तो रोहन अमय से कहता है की डील तो कल साइन होगी, तो आज हम एक पार्टी रख रहे हैं, और इसी होटल में है, तो आना जरूर। अमय मना करता है तो चांदनी आगे बढ़ कर उसका हाथ पकड़ कर कहती है," प्लीज अमय मुझे माफ कर दो, जो भी उस समय किया वो बचपना था, अब तो हम सब जिंदगी में आगे बढ़ गए हैं, जो हुआ उसे भूल जाओ।
अमय: मैं तो उसी समय तुम दोनो को भूल गया था। अच्छा चलो कोशिश करूंगा कि पार्टी में पहुंच सकूं।
चांदनी उसको थैंक्यू बोल कर चलने लगती है, और मिली को भी पार्टी में आने की कहती है।
अमय मिली को लेकर पुलिस स्टेशन जाता है, पुलिस वाले उनको लेकर एक घर ने जाते हैं जो मिली का ही निकलता है, और अपनी मां से मिलते ही मिली को थोड़ा थोड़ा याद आने लगता है। मिली का असली नाम अंजली होता है, और वो किसी और शहर में पढ़ाई कर रही थी, और वहीं से उसकी नौकरी लग गई थी, अपनी मां को सरप्राइज़ देने के इरादे से वो टैक्सी से आ रही थी, जो खराब हो गई थी और उसी ढाबे पर अंजली दूसरी टैक्सी के लिए ही देख रही थी जब उसके साथ वो दुर्घटना हुई।
शाम को अमय अपने होटल लौट गया....
3 साल बाद..
आज अमय *** शहर में एक डील के लिए आया हुआ था। कांफ्रेंस हॉल में पहुंचते ही उसकी नजर एक चहरे पर जाती है और वो तुरंत उसके पास पहुंचता है।
अमय: अंजली, कजन थी तुम, मैंने तुमको कहां कहां नही ढूंढा। ऐसे मुझे बिना बताए कहां चली गई थी तुम दोनो??
अंजली: सर आप यहां जिस काम आ आते हैं उसे करिए, में मयंक सर की सेक्रेटरी हूं और बस प्रोफेशनली ही हम एक दूसरे से बात करे तो बेहतर होगा।
अमय परेशान हो कर वापस अपनी चेयर पर बैठ जाता है, और काम करने लगता है, मयंक से उसकी पुरानी जान पहचान थी, और दोनो हमउम्र होने के कारण दोनो एक दोस्त जैसे ही थे।
लंच में अमय मयंक के साथ अकेला था तो वो उससे बात करने लगता है और अंजली के बारे में पूछता है।
मयंक: भाई उसकी जॉब कोई 3 साल पहले लगी थी, पर ज्वॉइन करने के पहले ही उसका एक्सीडेंट हो गया, बाद में उसने सारी बात बताई तो पापा ने ज्वाइन करवा दिया, बहुत मेहनती लड़की है, लेकिन बहुत रिजर्व है। ऑफिस में बस अपने काम से ही मतलब है उसको और कुछ नही।
अमय: और उसका परिवार?
मयंक: बस एक मां हैं।
अमय उसको सारी बात बता देता है और ये भी की उसे अंजली से प्यार है, वो मयंक से मदद करने कहता है तो मयंक कहता है की वो ज्यादा कुछ तो नही पर उसके घर का पता दे सकता है। अमय उसे थैंक्यू देता है। और अंजली के घर का पता ले कर चला जाता है, अगले दिन अमय दोपहर के समय सुमन जी के साथ अंजली के घर पहुंचता है।
माया (अंजली को मां) अमय को पहचान लेती हैं और दोनो को घर के अंदर ले जाती हैं।
माया: अमय बेटा क्या हुआ था उस दिन? अंजली तुमसे मिलने गई थी होटल अगली सुबह, मगर थोड़ी देर में ही वापस आ कर मुझे ले कर जल्दी से यहां के लिए निकल गई, आज तक नहीं बताया की क्या हुआ, बस इतना ही बोला कि सब खत्म हो चुका है।
अमय: पर वो तो आई ही नहीं, या आई तो मुझे नही मिली।
माया: बेटा वो तुमसे प्यार करती है यही बताने गई थी तुमको, पता नही वहां उसने ऐसा क्या देख लिया की उल्टे पांव वापस आ गई। और बेटे जहां तक मुझे लगता है, तुम भी उसे पसंद करते हो।
सुमन जी: माया जी बहुत पसंद करता है ये, जब से मिली बिना बताए गायब हो गई दिन रात एक कर दिया इसने उसको ढूंढने में, पर कुछ पता नही चला।
माया उनके चाय नाश्ते का इंतजाम करती है, और बात करते करते शाम हो जाती है, अंजली के घर आने का समय हो चुका होता है और दरवाजे के घंटी बजती है। माया दरवाजा खोलती है तो सामने अंजली होती है।
अंजली जैसे ही अंदर आती है, सुमन जी: मिली बेटा, हमसे क्या गलती हो गई जो आपने हमसे मिलना भी मुनासिब न समझा?
अंजली, उसे देख कर भारी आंखों से मुस्कुराते हुए सुमन जी के गले लग जाती है: मां आप यहां कैसे?
अमय पीछे से: मेरे साथ है ये, अब शायद हम प्रोफेशन से हट कर अपनी जिंदगी के बारे में बात कर सकते हैं?
अंजली, गर्दन झुकाते हुए: किस हक से, आप तो अभी भी चांदनी से ही प्यार करते हैं, और उसके साथ...
अमय: क्या उसके साथ? ऐसा क्या देख लिया तुमने?
अंजली: प्लीज ऊपर चल कर बात करें, यहां मां के सामने मैं बात नही कर पाऊंगी।
दोनो छत पर जाते हैं।
अमय: अंजली अब बताओ क्या देख लिया था तुमने?
अंजली: आपको चाहने लगी थी मैं, मां से मिल कर इनको सब बताया, अगली सुबह मैं इसीलिए आपसे मिलने आई थी होटल की आपको बता दूंगी, लेकिन जैसे ही मैं आपके कमरे में गई, दरवाजा लॉक नही था, मैने खोला तो अंदर बेड पर आपके साथ चांदनी कंबल में थी, और कमरे की हालत देख कर लगा की आप दोनो... फिर नीचे मुझे कुणाल मिला, उसने कहा की आपने ही कहा है की डील तभी फाइनल होगी जब आप चांदनी के साथ एक रात बिताएंगे।
अमय: कभी कभी जो दिखता है वो सही नही होता, चांदनी मेरी जिंदगी में जब भी आई उसने मेरा इस्तेमाल करने का ही सोचा। और इसके लिए वो किसी भी हद तक जा सकती थी। कुणाल से उसके पापा का बिजनेस सम्हाल नही रहा था, और फिर इसमें चांदनी की एंट्री होती है, जिसके बदौलत कुणाल ने कुछ डील करवा ली थी, या कहूं चांदनी के जिस्म की
बदौलत।
चांदनी: तो क्या आपने भी उससे इसीलिए??
अमय: तुम मुझे ऐसा समझती हो क्या? उस शाम मेरा मन नहीं था पार्टी में जाने का, वैसे भी मैं जाता ही कब, पर...
होटल का डोर नॉक होता है, अमय दरवाजा खोलता है और सामने चांदनी को पाता है।
चांदनी: अमय तुम पार्टी में क्यों नहीं आए?
अमय: चांदनी, मैं शोर शराबे को पसंद नही करता, सॉरी।
चांदनी: अमय, ये पार्टी बस तुम्हारे लिए ही रखी हैं हमने, can't you want to join old friends?
अमय: पर चांदनी...
चांदनी: ओह समझी, you still hate me?
अमय: नही चांदनी, अब इन बातों को याद रख कर कोई फायदा है क्या? मैं सब भूल चुका हूं।
चांदनी: फिर चलो न।
अमय: ओके तुम चलो, मैं आ रहा हूं।
नीचे पार्टी में अमय पहुंचता है तो देखता है की बस 5 - 6 लोग ही थे उस पार्टी में, जिसमें से ज्यादातर वापस जाने की तैयारी में ही दिख रहे थे, अमय के पहुंचते ही रोहन उसे सबसे मिलवाता है और अमय को ड्रिंक ऑफर करता है, जिसे अमय मना कर देता है।
चांदनी: ओह कम ऑन अमय, बी ए स्पोर्ट, दोस्तों के साथ पियोगे भी नही?
अमय: चांदनी, I don't drink. But for you I will take soft drink only.
ये सुन कर रोहन उसके लिए सॉफ्ट ड्रिंक लेने चला जाता है। अमय और चांदनी बातें करने लगते हैं।
रोहन पास आते हुए: अमय और सुनाओ, शादी कब कर रहे हो?
अमय: बस जल्दी ही।
चांदनी, उसका हाथ पकड़ते हुए: कब और किससे?
अमय: सब बताऊंगा जल्दी ही।
रोहन, चांदनी की तरफ देखते हुए: अमय तुम दोनो बैठो मैं आता हूं अभी।
चांदनी और अमय बातें करने लगते हैं, तभी अमय को अपना सर भारी लगने लगता है, और उसको आगे बस इतना ही याद रहता है कि रोहन और चांदनी उसे उठा कर रूम में ले जाते हैं। सुबह जब अमय की नींद खुलती है तो वो देखता है कि चांदनी उसके बगल में निर्वस्त्र सो रही है और वो खुद भी बिना कपड़ों के है। कमरे की स्तिथि देख लग रहा था कि रात को वहां दोनो का समागम हुआ था, मगर अमय को कुछ भी याद नही होता है। वो अपने कपड़े पहन कर चांदनी को उठता है, और बिना उसकी ओर देखे कमरे से बाहर निकल जाता है। बाहर उसे रोहन दिखता है, जो उसे देख मुस्कुरा रहा होता है। अमय उसे घूरने लगता है तो रोहन उसे ले कर वापस से कमरे में आता है।
वहां चांदनी ने बस अपने अधोवस्त्र डाले होते हैं, जिसे देख अमय फिर बाहर जाने लगता है, रोहन उसका हाथ पकड़ लेता है, और एक कुर्सी पर बैठा देता है। अमय अपनी नजरें दूसरी ओर करके जोर से चिल्लाता है: क्यों? अब तुम दोनो को क्या चाहिए मुझसे?
रोहन: डील।
अमय: वो तो ऐसे ही मिल जाती, इतनी घटिया हरकत करने की क्या जरूरत थी?
चांदनी: डील के अलावा भी एक बात है। अमय, रोहन बाप नही बन सकता, और हमको तुमसे अच्छा राजदार कौन मिलता, बस इसीलिए। सॉरी लेकिन...
अमय: तो इसके लिए तुम किसी के भी साथ.. एक मिनट, रोहन को डील चाहिए, इसका मतलब तुम पहले भी। कितने गिरे हुए इंसान हो तुम दोनो, निकलो मेरे रूम से अभी और इस डील को क्या, मुझे भी भूल जाओ।
ये बोलते ही रोहन अपना बैग में अपना सामान भरते हुए बाहर निकल जाता है, और रिसेप्शन पर पेमेंट करके अंजली के घर की ओर निकल पड़ता है....
अमय: उस दिन से आज तक मैं चांदनी से नही मिला, बस हर जगह तुमको तलाश रहा हूं। अंजली चांदनी मेरे जीवन का वो अध्याय है जिसे मैं काट कर अलग फेक देना चाहता हूं, लेकिन उसे पहले मुझे तुम्हारी जरूरत है।
अंजली दौड़ कर उसके गले लग जाती है: बस अमय जी, आगे कुछ कहने की जरूरत नहीं है।
छत के दरवाजे के पीछे खड़ी सुमन और माया जी मुस्कुराते हुए एक दूसरे की बधाई देने लगती है.....