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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Bahut hi shandar update he Raj_sharma Bhai,

James ko Yati utha ke le gaya.......

Lekin ye to Antarctica me tha............Himalaya me Kailash Parvat par pahuch gaya..................

Gazab Bhai............

Keep rocking
Aisa kaise ho raha hai, ye sab uss gate ka kamaal hai mitra :approve: Waise aapke har sawaal ka jabaab hum denge, per apne tarike or time per:declare: Thank you so much for your valuable review and superb support bhai :thanx:
 

Raj_sharma

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Behad shandar update he Raj_sharma Bhai,

Na jaane aur kitne rahasay chhupe huye he is island me............

Gazab Bhai..............Keep rocking
Thank you very much for your valuable review and support bhai :thanx:Sath bane rahiye, aapko pata lag jayega ki, Rahasya ka doosra naam hai ye island 🏝 :declare:
 

Raj_sharma

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Raj_sharma

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#97.

“आज से 20000 वर्ष पहले जब पोसाइडन ने क्लीटो को कैद करने के लिये अराका द्वीप के निर्माण के बारे में सोचा, तो उसके दिमाग में पहला प्रश्न यह आया कि द्वीप की संरचना किस प्रकार की बनाई जाये? इसिलये तिलिस्मा और मायावन के निर्माण के लिये पोसाइडन ने कैस्पर और महाशक्ति मैग्रा का चुनाव किया।

ये दोनो उस समय के सबसे सफल निर्माणकर्ता थे। पोसाइडन चाहता था कि मायावन में विचित्र जीवो और वृक्षो का संसार हो, इस मायावन को इतनी आसानी से कोई ना पार कर पाये और अगर कोई इसे पार करने की कोशिश करे तो कैस्पर उस इंसान की शक्तियों को देखकर तुरंत ऐसे तिलिस्म का निर्माण करे, जिसको तोड़ना उस इंसान की शक्तियों से परे हो। इस प्रकार मैग्रा ने ‘वृक्षा शक्ति’ और ‘जीव शक्ति’ को मिलाकर इस मायावन का निर्माण किया और कैस्पर ने तिलिस्मा का निर्माण किया।

इस निर्माण के कुछ समय बाद पता नहीं किन अंजान कारणो से महाशक्ति मैग्रा ने पोसाइडन के विरूद्ध ही कार्य करना प्रारम्भ कर दिया। जिसके बाद पोसाइडन और मैग्रा की शक्तियों के बीच टकराव शुरू हो गया और फ़िर 18000 वर्ष पहले महाशक्ति मैग्रा कहीं लुप्त हो गयी? उसके बाद से उसका आज तक कुछ पता नहीं चला?"

“कहीं वह छोटी लड़की ही तो मैग्रा नहीं?" युगाका ने हैरानी से पूछा।

“कुछ कह नहीं सकते। हो भी सकता है। इसीलिये तो ‘सागरिका’ खोलने चल रहे हैं।" कलाट ने कहा।

“ये सागरिका क्या है बाबा?" युगाका ने फ़िर कलाट से पूछा।

“जब देवताओं ने पृथ्वी का निर्माण कार्य शुरू किया, तो 7 तत्वों की रचना की और उन 7 तत्वों की रचनाओ का इतिहास सुरक्षित रखने के लिये 7 चमत्कारी किताबों का निर्माण किया। इस प्रकार धरती, आकाश, वायु, अग्नि, जल, प्रकाश और ध्वनि के इतिहास के लिये क्रमश: भूमिका, निहारिका, वेगिका, अग्निका, सागरिका, प्रकाशिका और ध्वनिका नामक किताबों की रचना की और यह सभी किताबें पृथ्वी के अलग-अलग भागो में छिपा दी गयी।

इनमें से मुझे सागरिका किताब की जानकारी है। वह एक चमत्कारी पुस्तक है और भूतकाल के अलावा कुछ भविष्य भी दिखाती है। उस पुस्तक के, भविष्य के पन्नो को, पुस्तक की इच्छा के बगैर कोई नहीं खोल सकता। पिछली बार जब मैं उस पुस्तक के पास गया था, तो उसके आखरी पन्ने पर लिखा था कि जब मायावन में महाशक्ति के अस्तित्व का अहसास हो जाये तो उस पुस्तक का अगला पन्ना खुलेगा।"

अब इससे पहले कि युगाका कोई और प्रश्न पूछ पाता, ड्रोन अटलांटिस वृक्ष के पास पहुंच गया।

ड्रोन से उतरकर कलाट और युगाका अटलांटिस वृक्ष के पास पहुंच गये। दोनों ने ही पहले वृक्ष को प्रणाम किया।

“हे महावृक्ष क्या आज आपके पास कोई अंजान व्यक्ती आया था?" कलाट ने वृक्ष से पूछा।

“एक ऐसा व्यक्ती आया था, जो सामरा का नहीं था, पर फ़िर भी मुझे वो अपना सा लगा।" वृक्ष से आवाज आयी।

“मैं कुछ समझा नहीं महावृक्ष? वो सामरा का नहीं था फ़िर भी अपना लगा, ऐसा कैसे हो सकता है?" कलाट ने ना समझने वाले अंदाज मेंकहा।

“ठीक उसी प्रकार जैसे त्रिकाली.... ....।" कुछ कहते-कहते वृक्ष शांत हो गया।

“मैं आपके कथन को समझ गया महावृक्ष। अगर आपको ऐसा महसूस हुआ है तो फ़िर मुझे कोई आपत्ती नहीं है।" कलाट ने कहा।

पर युगाका को महावृक्ष की ये बात समझ नहीं आयी। उसे समझ नहीं आया कि महावृक्ष ने त्रिकाली का नाम क्यों लिया?

“परेशान मत हो कलाट, खुशियाँ अराका पर कदम रख चुकी हैं, मैंने उसे महसूस किया है। तुम तो बस अब ‘दूसरे देव युद्ध’ की तैयारी करो।" वृक्ष ने कहा।

“क्या देव युद्ध निकट आ चुका है महावृक्ष?" कलाट ने पूछा।

“परिस्थितीयां बननी शुरू हो चुकी हैं, ये देव युद्ध पिछले से भी बड़ा होगा। पर देवताओं की शक्ति तुम्हारे साथ है। इसलिये तुम बिल्कुल भी परेशान मत हो। तुम तो अभी बस खुशियों की तैयारी करो।" वृक्ष ने कहा।

“जी महावृक्ष... जैसी आपकी आज्ञा।" कलाट ने कहा- “हे महावृक्ष मैं सागरिका का अगला पन्ना पलटना चाहता हूं।"

“ठीक है ... यह उचित समय भी है, तुम सागरिका का अगला पन्ना पलट सकते हो।" वृक्ष के इतना कहते ही उस वृक्ष पर 2 सोने के सेब दिखाई देने लगे।

कलाट और युगाका ने एक-एक फल को खा लिया।

फल को खाते ही दोनों का शरीर एक ऊर्जा के प्रकाशपुंज के रूप में परिवर्त्तित हो गया और रोशनी की तेजी से उड़कर समुद्र में समा गया।

समुद्र में तेजी से यात्रा करता वह प्रकाशपुंज कुछ ही सेकंड में समुद्र के अंदर डूबे अटलांटिस तक पहुंच गया। अटलांटिस द्वीप के अवशेष चारो ओर बिखरे दिखाई दे रहे थे।


दोनों प्रकाशपुंज वहां मौजूद पोसाइडन के मंदिर में प्रवेश कर गये।

पोसाइडन के मंदिर में प्रवेश करते ही युगाका और कलाट दोनो अपने वास्ताविक रूप में आ गये।

मंदिर अंदर से बहुत विशालकाय था। चारो ओर पानी ही पानी भरा था। बहुत से जलीय जंतु वहां तैर रहे थे।

मंदिर में पोसाइडन की एक विशालकाय प्रतिमा लगी थी, जिसके नीचे एक शेर की मूर्ति भी थी।

कलाट ने शेर की मूर्ति को पकड़कर घुमा दिया। अब शेर का मुंह पोसाइडन की ओर हो गया था। तभी एक गड़गड़ाहट के साथ पोसाइडन की मूर्ति के पीछे, एक द्वार सा खुल गया।

कलाट और युगाका उस द्वार में प्रविष्ट हो गये।

वह एक 20 फुट लंबा- चौड़ा कमरा था, जिसकी दीवार पर अजीब-अजीब से जलीय जन्तुओं की उभरी हुई आकृतियाँ बनी थी। उस कमरे में पानी का नामो- निशान भी नहीं था।

कमरे के बीचोबीच में एक खंभे पर एक मोटी सी प्राचीन किताब रखी थी। उस किताब के कवर पर उभरा हुआ, एक सुनहरी धातु का ‘सी-हार्स’ बना था।

वह किताब काफ़ी मोटी दिख रही थी।

कलाट ने युगाका को उस किताब को ना छूने का इशारा किया और अपने वस्त्रो में छिपे एक मछली की खाल जैसे दस्तानों को अपने दोनों हाथों में पहन लिया।

अब कलाट ने किताब को प्रणाम कर उसके पन्नो को खोल दिया।

किताब के खोलते ही उस किताब से पानी की कुछ बूंदे निकलकर कलाट के सामने हवा में फैल गयी। इसी के साथ वह पानी, हवा में कुछ शब्दों को लिखने लगा। जो कि इस प्रकार थे-

“सप्तलोक से आयी शक्ति, ब्रह्मकण से बना त्रिकाल,
देवयुद्ध कण-कण में होगा, जब टूटेगा मायाजाल"

यह पंक्तियाँ देखकर कलाट मुस्कुरा दिया, पर युगाका की कुछ भी समझ में नहीं आया।

उसने कलाट की ओर देखा, पर कलाट ने इशारे से उसे सबकुछ बाद में बताने को कहा।

पंक्तियो को देख कलाट ने फ़िर से सागरिका को देख हाथ जोड़ा।

उसके हाथ जोड़ते ही सागरिका से निकलने वाला वह जल, फ़िर से सागरिका में समा गया और इसी के साथ वह किताब स्वतः बंद हो गयी।

अब कलाट, युगाका को लेकर वापस पोसाइडन के मंदिर में आ गया।

कलाट के गुप्त स्थान से निकलते ही गुप्त स्थान वापस से बंद हो गया और शेर की मूर्ति अपने यथास्थान
आ गयी।

कलाट और युगाका जैसे ही पोसाइडन के मंदिर से बाहर आये, वह फ़िर से प्रकाशपुंज में बदल गये और सामरा राज्य की ओर चल दिये।


जलपरी की मूर्ति

(9 जनवरी 2002, बुधवार, 17:30, मायावन, अराका द्वीप)

“कैप्टन...शाम होने वाली है। हमें रात गुजारने के लिये फ़िर से कोई सुरक्षित स्थान देखना होगा।" अल्बर्ट ने सुयश को देखते हुए कहा।

“कुछ दूरी पर मुझे पेड़ ख़तम होते दिख रहे हैं। शायद वहां पर कोई सुरक्षित जगह हो?" सुयश ने अल्बर्ट को एक दिशा की ओर इशारा करते हुए कहा।

“कैप्टन, ऐमू फ़िर गायब हो गया।" ब्रेंडन ने कहा- “जब युगाका ने हम पर हमला किया था, तब तक वह हमारे साथ था। उसके बाद से उसका कुछ पता नहीं है?"

“मुझे ऐसा लगा जैसे ऐमू युगाका से बहुत ज़्यादा घबरा गया था।" जेनिथ ने कहा।

तभी ऊंचे पेडों का सिलसिला ख़तम हो गया। अब सामने दूर-दूर तक मैदानी क्षेत्र था, जहां पर एक भी पेड़ नजर नहीं आ रहे थे।

तभी तौफीक ने कहा- “कैप्टन.... वहां कुछ दूरी पर जमीन पर कोई इमारत जैसी नजर आ रही है। हमें उस तरफ ही चलना चाहिये।"

सभी की नजर तौफीक की बताई दिशा की ओर घूम गयी। सभी उस दिशा की ओर चल दिये।

“यह तो संगमरमर पत्थरों से बनी कोई जगह दिखाई दे रही है।" शैफाली ने कहा

लगभग 5 मिनट में ही सभी उस स्थान पर पहुंच गये।

वह एक सफेद संगमरमर पत्थरों से बनी, एक पार्क जैसी जगह थी। इस जगह पर किसी भी प्रकार की कोई छत नहीं थी।

पार्क के बीचोबीच एक सुंदर और साफ पानी का तालाब था, जिसके चारो ओर उसमें उतरने के लिये सीढ़ियाँ बनी थी। उस तालाब के बीच में पानी का एक विचित्र फव्वारा लगा था।

उसे विचित्र इसलिये कहा क्यों की उस फव्वारे में एक ‘सर्प लड़की’ की मूर्ति लगी थी।

उस लड़की के शरीर के नीचे का भाग एक सर्प का था और कमर से ऊपर का भाग एक लड़की का था।

लड़की के बाल की जगह सैकडो सर्प निकले थे और हर सर्प के मुंह से पानी की एक धार फव्वारे की शकल में निकल रही थी।

“मेडूसा!" अल्बर्ट ने उस मूर्ति को देखते ही कहा- “ये ग्रीक कहानियों का पात्र ‘मेडूसा’ है। यह 3 ‘गारगन’ बहनो में से एक थी।"

“क्या इसकी कहानी हमें सुनाएंगे प्रोफेसर?" जेनिथ ने अल्बर्ट से अनुरोध करते हुए कहा।

“जरूर सुनाऊंगा, पर पहले एक बार इस पूरी जगह को ठीक से देख लिया जाये कि यह जगह रात गुजारने लायक है भी कि नहीं?" अल्बर्ट ने जेनिथ से कहा।

जेनिथ ने धीरे से सिर हिलाकर अपनी हामी भर दी। अब सभी बाकी की जगह को देखने लगे।

उस पार्क के एक दूसरे क्षेत्र में खूबसूरत जलपरी की मूर्ति बनी थी, जिसका कमर से नीचे का हिस्सा एक मछली जैसा था और कमर के ऊपर का हिस्सा एक लड़की का था।


जारी रहेगा______✍️
 

Raj_sharma

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कहते हैं इतिहास से जिस ने सबक नही लिया वह अपने बुरे अंजाम के लिए तैयार रहें । वह चाहे कोई व्यक्ति हो या समाज या फिर कोई देश ।
सोलह साल पूर्व ' सम्राट शिप ' की जैसी ही एक दुर्घटना हुई थी और उस समय का शिप ' ब्लैक थंडर ' था । एक इंसान को छोड़कर सभी यात्री मारे गए थे । ठीक उसी तरह सोलह साल बाद इसी घटना की पुनरावृत्ति हुई । सब कुछ ऐन वही हुआ जो ब्लैक थंडर शिप के साथ और उस शिप के पैसेंजर के साथ हुआ था ।
सोलह साल पहले उस्मान खान की एक भूल ने लगभग चार सौ लोगों को परलोक पहुंचा दिया और सोलह साल बाद हुबहु उसी तरह उस्मान खान के पुत्र मोइन खान की गलती ने लगभग तीन सौ लोगों को मृत्यु के द्वार तक पहुंचा दिया ।
कहते हैं कि एक कील की वजह से राजा अपना राज्य खो बैठता है । जब कि यहां तो बहुत बड़ी भूल हुई ।

वैसे ब्लैक थंडर शिप की घटना से एक उम्मीद तो अवश्य बंधी है कि सम्राट के बचे पैसेंजर जीवित बच सकते हैं । जब उस्मान खान इस तिलिस्म द्वीप से सकुशल अपने देश पहुंच सकता है तो यह लोग क्यों नही !

शायद तकदीर ने इन यात्रीगण के साथ बहुत ही क्रूर मजाक किया । क्लिटो की मुक्ति और शलाका के उद्धार के लिए जब चंद लोग की ही आवश्यकता थी तो फिर सैंकड़ो निर्दोष लोगों की मौत आखिर क्यों !
होना तो यह चाहिए था कि सुयश साहब , शैफाली और वह लोग जिन की इस द्वीप पर मौजदूगी अवश्यंभावी थी , ही इस द्वीप पर पहुंचे होते ।

इन अपडेट से यह भी क्लियर हुआ कि अराका द्वीप पर भी वर्चस्व की लड़ाई चल रही है । एक पक्ष अच्छाई के साथ खड़ा है और एक पक्ष बुराई के साथ । अच्छाई का प्रतिनिधित्व युगाका और उनके भाई - बहन कर रहे है तो बुराई के साथ मकोटा खड़ा है ।

आप बहुत खुबसूरत कहानी लिख रहे है । जिस तरह से आपने इस कहानी के लिए रिसर्च किया है वह वास्तव मे अद्भुत है ।
सभी अपडेट बेहद ही शानदार थे ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट शर्मा जी ।

अपडेट्स 92 और 93 पर मेरे विचार --

सुयश की बातें सुन कर लगता है कि वो एक आशावादी व्यक्ति है। लेकिन उसके इस अति-आशावाद ने कई लोगों की जान ले ली। अगर वो समय रहते सही निर्णय लेता, तो शायद अभी सुप्रीम के हज़ारों यात्री जीवित रहते। लेकिन अपने राज भाई को वो पसंद है, इसलिए उसकी ऐसी-तैसी हम नहीं करेंगे। वैसे, सोलह साल का समय किसी जाति के सभ्य होने के लिए बहुत कम हैं। हाँ, असभ्य होने के लिए पर्याप्त हैं।
अराका पर सीनोर बनाम सामरा के बीच वर्चस्व का खेल चल रहा है। जहाँ सीनोर जाति के लोग तमराज जैगन के पक्ष में लग रहे हैं (मजबूरी में ही सही), वहीं सामरा जाति के लोग क्लिटो को मुक्त कराना चाहते हैं। (एक बात है भाई, जो मैं पहले भी कहना चाहता था - लेकिन क्लिटो से क्लाइटोरिस शब्द याद आने लगता है और उसका मतलब तो आप जानते ही हैं... हा हा हा हा! क्या करूँ - दिमाग में न चाहते हुए भी ऐसी खुरपेंची बातें आ ही जाती हैं)!
एक बात अपडेट 93 के बाद भी समझ नहीं आई - अगर युगाका अधिक से अधिक मानवों को तिलिस्मा तोड़ने के लिए भेजना चाहता था, तो मानवों की संख्या कम होने से वो इतना खुश क्यों लगा? मतलब वो युगाका नहीं है। इस ‘युगाका’ ने अलेक्स का रूप धर तो लिया, लेकिन शेफाली की दिव्य-दृष्टि से बच न सका। अब ये युगाका ही है, या कोई बहुरूपिया (लुफ़ासा तो नहीं)? अगले कुछ अपडेट्स बेहद रोमाँचक होने वाले हैं।
बहुत ही बढ़िया कहानी चल रही है राज भाई!
आपकी USC की दूसरी कहानी पढ़ी। पहली भी पढता हूँ और दोनों के बारे में अपने विचार अलग अलग लिखता हूँ, जल्दी ही। कुछ कहानियाँ बहुत अच्छी आई हैं इस बार!

Lagta hai ki ye jems and Vilmar ne kii dusri duniya ka darwaja khol diya hai bc:yesss:dekhna ye hai ki inke sath aage kya hota hai gurudev🙏🏼 awesome update :bow:

Awesome update

Badhiya update ha bhai

Yugaka khud ko tus markhan samajh raha tha idhar Shefali ne okat dukha di lekin fir wahi sawal ha ki akhir kyon shefali hi kyon akhir kya ha shefali ke ander aisa to konsi importnat chij ha uske ander ki khud island hi bachane aa jata ha use ka hi kis roop me to kabhi kis roop me baharhal dekhte han ki Yugaka sach me i he chakma dekar bhag gaya ya wo wapas ayega

बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रमणिय रोमांचकारी अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा

Kahani to alag mod le rhi h isme ab mahadev aur rudraksh bhi shamil ho gye h

Bahut hi shaandar update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and lovely update....

Bhut hi badhiya update
To vyom us machine ki madad se samra rajy ke andar teleport ho gaya hai aur usne atlantis ke ped ko bhi chu liya jisse uske andar bhi kuch shaktiya chali gayi jiska use bhi pata nahi chala
Vahi yugaka aur kalat bhi atlantis ke ped ke pass ja rahe hai
Dekhte hai ab aage kya hota hai

Behtareen update 🥰🥰

romanchak update. Vyom ka pahuchna aur jungle wali ghatna ek saath ho rahi thi ,jaise vyom ne atlantis ped ko chhuwa waise hi kalata ne yugaka ko bula liya ..
Vyom ke ander ped ki shakti chali gayi jiska usko pata nahi chala ..
ab ye sagrika ka kya raaz hai aage pata chale .
kalata bhi aascharya me pad gaya jab usko pata chala ki 12 logo me se kuch ek ke paas shaktiya bhi hai .

Nice update....

Behad shandar update he Raj_sharma Bhai,

Na jaane aur kitne rahasay chhupe huye he is island me............

Gazab Bhai..............Keep rocking

nice update

Update posted friends 🙏🏼
 

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#96.

चैपटर-12 : अटलांटिस वृक्ष

(9 जनवरी 2002, बुधवार, 15:45, सामरा राज्य, अराका द्वीप)

व्योम लगातार किसी अंधे कुंए में गिरता हुआ सा प्रतीत हो रहा था।

कुछ देर तक ऐसे गिरते रहने के बाद व्योम को अपना शरीर किसी धरातल से छूता हुआ प्रतीत हुआ।

व्योम ने अपनी आँखो को खोला। वह इस समय एक घने जंगल में घास पर पड़ा हुआ था।

“ये मैं कहां आ गया?"
व्योम याद करते हुए बड़बड़ाया- “मैं तो द्वीप के नीचे के स्थान पर किसी विज्ञान की दुनियां में था। वहां पर मैने एक मशीन का बटन दबाया था, तभी मुझे अपना शरीर खंडों मे विभक्त होता हुआ महसूस हुआ। जिसके फल स्वरूप मैं यहां पहुंच गया। क्या....क्या वो मशीन ट्रांसमिट मशीन थी? पर उस मशीन ने मुझे कहां भेज दिया?"

व्योम ने एक नजर अपने आसपास के स्थान पर मारी। वह एक बहुत ही खूबसूरत परंतु छोटी सी घाटी में था।

चारो ओर हरियाली थी। खूबसूरत पहाड़ो के बीच सुंदर फल और फूलों वाली घाटी रंग- बिरंगे फूलों से बिलकुल स्वर्ग के समान महसूस हो रही थी।

वहां लगे सभी पेड़-पौधे व्योम के लिये नये थे। इससे पहले उसने ऐसे फल और फूलों के पौधे अपनी जिंदगी में कभी नहीं देखे थे।

व्योम अभी जंगल की खूबसूरती का नजारा ले ही रहा था कि तभी उसे कुछ ‘धम-धम’ की आवाज सुनाई दी।

आवाज सुनते ही व्योम समझ गया कि कोई विशालकाय जीव उधर आ रहा है।

वह तुरंत एक पास के पेड़ पर चढ़ कर बैठ गया।

व्योम की नजर अब आवाज की दिशा की ओर थी, जो कि अब पास आती जा रही थी।

कुछ ही देर में व्योम को एक तरफ से एक मदममस्त हाथी आता हुआ दिखाई दिया।

उस हाथी की चाल से पता चल रहा था कि वह कुछ दिन पहले ही व्यस्क हुआ है। क्यों कि वह पूरी मस्ती में उछलता-कूदता दिखाई दे रहा था।

हाथी के दाँत लंबे और चमकीले थे। हाथी अपनी मस्तानी चाल से कुछ छोटे-छोटे पेडों को उखाड़ता चल रहा था।

हाथी को देख व्योम ने अपने आप को एक मोटी टहनी के पीछे छिपा लिया, जिससे हाथी की नजर उस पर ना पड़े।

झूमता हुआ हाथी अचानक एक पेड़ को उखाड़ते-उखाड़ते रुक गया। अब हाथी ध्यान से उस पेड़ पर लगे फलों को देखने लगा।

हाथी को ऐसा करते देख व्योम को थोड़ा आश्चर्य हुआ। वह भी ध्यान से उस पेड़ के फलों को देखने लगा।

उस पेड़ पर छोटे-छोटे आँवले के जैसे लाल और हरे फल लगे थे। कुछ देर तक देखते रहने के बाद हाथी ने एक लाल फल को खा लिया।

फल को खाते ही हाथी का आकार आश्चर्यजनक तरीके से एक चूहे के बराबर हो गया।

व्योम आँखे फाड़े उस दृश्य को देख रहा था।

चूहे के आकार में आकर हाथी काफ़ी खुश हो गया। अब वह चिंघाड़ते हुए वहां से चला गया।

“अरे बाप रे....यह तो बहुत ही विचित्र जगह है।" व्योम ने अपने मन मे सोचा- “ऐसे फलों के बारे में तो मैने कभी सुना भी नहीं....यह फल तो किसी भी जीव के जीनोम को बदलने की क्षमता रखता है।"

यह सोच व्योम अब पेड़ से उतरकर उस विचित्र वृक्ष के पास आ गया और उसके फलों को ध्यान से देखने लगा। व्योम को देखने में वो फल बिल्कुल साधारण से ही लगे।

“इन लाल फलों को खाकर वह हाथी छोटा हुआ था। पर यह हरे फलों से क्या होता है? कहीं ये हरे फल वापस जीव को सामान्य आकार में तो नहीं लाते। जरूर ऐसा ही होगा। पर इस हरे फल को चेक कैसे करू? मैं स्वयं पर तो इसका प्रयोग कर नहीं सकता। चलो कुछ फल जेब में रख लेता हूं, बाद में इसका प्रयोग करके देखूंगा कहीं पर?"

यह सोचकर व्योम ने कुछ लाल और कुछ हरे फल, पेड़ से तोड़कर अपनी जेब में डाल लिये।

“अब मुझे सबसे पहले पता करना चाहिए कि मैं हूं कहां पर?"
यह सोचकर व्योम ने अपने बैग से दूरबीन को निकाल कर अपनी आँखों पर चढ़ा लिया और घाटी पर एक नजर डाली, पर उसे दूर-दूर तक कुछ नजर नहीं आया।

“यहां से तो मनुष्य के जीवन के कोई अवशेष नजर नहीं आ रहे, फ़िर मुझे बतायेगा कौन? कि मैं इस समय कहां पर हूं? मुझे पहाड़ पर चढ़कर देखना चाहिए। शायद वहां से कुछ नजर आ जाये।"

यह सोचकर व्योम एक पास वाले पहाड़ पर चढ़ना शुरू हो गया। 1 घंटे के अथक परिश्रम के बाद व्योम उस पहाड़ की चोटी पर पाहुंच गया।

पहाड़ पर उसे एक विशालकाय वृक्ष दिखाई दिया। उस वृक्ष की ऊंचाई कम से कम 100 फिट से कम नहीं थी।

उस वृक्ष पर हजारो शाखाएं थी और हर शाखा पर बहुत ज़्यादा पत्तियाँ लगी थी। वह पेड़ इतना घना था कि पेड़ के नीचे सूर्य की रोशनी भी नहीं आ रही थी।

उस पेड़ का तना 12 फिट चौड़ा था। दूर से देखने पर वह पेड़ किसी विशालकाय दैत्य की भाँति प्रतीत हो रहा था।

उस पेड़ पर एक भी फल और फूल नहीं लगे थे।

व्योम ने उस पेड़ को हाथ लगाकर देखा। पेड़ को छूते ही अचानक उसे अपने मस्तिष्क में बहुत शांति महसूस हुई।

व्योम को एक अतिन्द्रिय शक्ति का अहसास हुआ, इसिलसे जाने क्यों श्रद्धावश व्योम ने पेड़ को हाथ जोड़कर प्रणाम कर लिया।

धीरे-धीरे शाम होने वाली थी और व्योम को भूख और प्यास भी लग रही थी, इसिलये व्योम ने एक बार फिर दूरबीन को आँखों से लगाकर घाटी की दूसरी ओर देखना शुरू कर दिया।

घाटी के दूसरी ओर बहुत दूरी पर उसे कोई चमकती हुई चीज दिखाई दी। व्योम ने दूरबीन को समायोजित करके देखा।

“अरे यह तो कोई धातु की विशाल मूर्ति लग रही है। मुझे उस दिशा में ही चलना चाहिए। शायद वहां पर कोई इंसान मिल जाये।"

यह सोच व्योम धीरे-धीरे पहाड़ से उतरने लगा। व्योम के पलटते ही उस वृक्ष से रोशनी की एक किरण निकली और व्योम के शरीर में समा गयी, पर व्योम इस दृश्य को देख नहीं पाया।

सागरिका

(9 जनवरी 2002, बुधवार, 16:20, कलाट महल, अराका द्वीप)

इस समय युगाका कलाट महल में कलाट के सामने बैठा था।

“क्या हुआ बाबा? आपने आपातकाल बटन क्यों दबाया? ऐसी क्या तत्काल जरूरत पड़ गयी? सब ठीक तो है ना?" युगाका ने एक नजर कलाट पर डालते हुए पूछा।

“मुझे भी कुछ ज्यादा पता नहीं है बेटा। पर मुझे लग रहा है कि कोई बाहरी इंसान सामरा राज्य के अंदर दाख़िल हुआ है क्यों कि कुछ देर पहले अटलांटिस वृक्ष को, किसी के छूने के संकेत मुझे प्राप्त हुए हैं।" कलाट ने गंभीर होकर कहा।

“ऐसा कैसे हो सकता है? हमारी अदृश्य दीवार को कोई बाहरी शक्ति भेद नहीं सकती। फ़िर भला कोई अंदर कैसे आ सकता है? और बाहरी किसी इंसान को अटलांटिस वृक्ष के बारे में कैसे पता चलेगा?" युगाका के शब्दों में आश्चर्य के भाव नजर आने लगे।

“युगाका तुम तो जानते हो कि तुम्हारी वृक्ष शक्ति का आधार वही अटलांटिस वृक्ष है। हम गिने-चुने सामरा वासियो के अलावा उस वृक्ष की जानकारी तो सीनोर वासियो को भी नहीं है। फ़िर कोई भला उसके बारे में कैसे जान सकता है। बस यही तो मेरी चिंता का कारण है। लगता है हमें अटलांटिस वृक्ष तक चलना पड़ेगा।" कलाट ये कहकर खड़ा होने लगा।

“बाबा, मुझे भी आपसे कुछ बातें बतानी है?" युगाका ने कलाट को खड़ा होते देख कहा।

युगाका की बात सुन कलाट वापस अपनी कुर्सी पर बैठ गया और युगाका की ओर देखने लगा।

“बाबा कुछ दिन पहले एक पानी का जहाज कुछ इंसानों को लेकर इस क्षेत्र में आया था, जिसे लुफासा ने अपनी शक्तियों से तोड़कर अधिकतर इंसानों को मार डाला, परंतु 12 इंसान किसी प्रकार बचकर मायावन में प्रविष्ट हो गये हैं। वह एक के बाद एक बाधाओं को पार करते जा रहे हैं। उनमें से कुछ मानव के पास तो असीमित शक्तियां भी हैं।" युगाका ने अपने भावनाओं को प्रदर्शित करते हुए कहा।

“इंसानों के पास शक्तियां? कैसी शक्तियां हैं उनके पास?" कलाट ने आश्चर्य से भरते हुए युगाका से पूछा।

“एक इंसान की पीठ पर ‘पंचशूल’ पर छपी सूर्य की आकृति बनी है। उसने देवी शलाका की मूर्ति को भी छुआ, फिर भी वो जिंदा बच गया।" युगाका ने कहा।

“पंचशूल वाली सूर्य की आकृति? और....और....उसे देवी शलाका की मूर्ति को छूकर भी कुछ नहीं हुआ? ..... असंभव!....ये नहीं हो सकता।" कलाट भी यह बात सुनकर घबरा गया।

“ऐसा मेरी आँखों के सामने ही हुआ है बाबा। मैं आपसे झूठ नहीं बोल रहा।" युगाका ने कलाट को यकीन दिलाते हुए कहा- “और दूसरी लड़की तो अभी मात्र xx-xx वर्ष की ही लग रही है, पर वह मायावन के बारे में सबकुछ जानती है, उसने....उसने तो आज मेरी वृक्ष शक्ति भी मुझसे छीन ली थी।"

“क्याऽऽऽऽऽऽ?" युगाका के शब्द सुन कलाट के आश्चर्य का ठिकाना ना रहा ।

“तुमने मुझे इस बारे में पहले क्यों नहीं बताया? मुझे लगता है वह घड़ी आने वाली है जिसका अराका वासियों को हज़ारों सालो से इंतजार है। महाशक्ति ने अराका पर अपने कदम को रख दिया है। अब ‘सागरिका’ को फ़िर से खोलना पड़ेगा।"

“कौन महाशक्ति बाबा? और...और ये सागरिका क्या है?" युगाका के लिये कलाट का हर शब्द एक रहस्य के समान था।

“बताता हूं, सब बताता हूं...पर पहले सूर्य के अस्त होने के पहले हमें अटलांटिस वृक्ष तक पहुंचना होगा।" कलाट ने कहा।

“ठीक है बाबा तो पहले अटलांटिस वृक्ष तक पहुंचने की ही व्यवस्था करते हैं। आप मेरे साथ महल की छत पर चिलये।" इतना कहकर युगाका कलाट महल के छत की ओर भागा।

कलाट युगाका के पीछे था।

युगाका ने महल की छत पर पहुंचकर एक अजीब सी सीटी बजाई, कुछ देर बाद उसे हवा में उड़कर वही लकड़ी का ड्रोन आता दिखाई दिया।

ड्रोन महल की छत पर उतर गया। कलाट और युगाका दोनों ही ड्रोन में बैठ गये।

युगाका के इशारे पर अब वह ड्रोन अटलांटिस वृक्ष की ओर उड़ चला।

“क्या अब आप बतायेंगे बाबा कि महाशक्ति कौन है?" युगाका ने कलाट से पूछा।


जारी रहेगा_______✍️
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रोमांचक अपडेट है भाई मजा आ गया कलाट के कहें अनुसार वो महाशक्ती सुयश हो सकती हैं
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
 
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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रोमांचक अपडेट है भाई मजा आ गया कलाट के कहें अनुसार वो महाशक्ती सुयश हो सकती हैं
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Yaha Suyash ki nahi Shefaali ki baat ho rahi thi mitra:shhhh: Waise agla update de chuka hu:declare:
Thank you very much for your valuable review and support bhai :hug:
 
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