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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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romanchak update. shalaka ka roop leke aakriti ne amrut pee liya dhokhe se.
Sat pratishat satya vachan😊
par wo balak ka peeta kaun tha jisko aakriti apna beta keh rahi thi .
Aryan hi us bacche ka pita hai mitra , jab Aryan brahm lokbse amrit lekar aaya tak usne Akriti ko Shalaka samajh kar us se prem kalaap kar liya galti se, usi ki vajah wo apraadh bodh me aa gaya tha:declare:
shalaka ko sab pata chal gaya vedant rahasyam ka .shalaka dusre grah par gayi aur aryan ko laga wo bhi usko chhod gayi isliye usne pran tyag diye . ab kya shalaka us balak ko dhund payegi .
Aryan ki maut ke do karan, ek to usme Aatm hlaani thi ki Akriti ne dhokhe se uske sath prem sambandh bana liya, doosra jab shalaka uske pas nahi thi to wo socha ki wah bhi use chhod gayi:declare: Khair thank you very much for your wonderful review and support bhai :hug:
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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romanchak update. octopus ki paheli jyada hi dimag laganewali nikli.alex ne achcha dimag chalaya aaj .khopdi octopus ki aankh kaam aa gayi aur kankal ko jinda karke octopus ko harane me kamiyab ho gaye .ab agli paheli kya hai dekhte hai .
Octopus ko maarne me Alex ne apni mahatvapoorn bhumika nibhai :approve: Alex ki vasindriya shakti ki vajah se uski indriya shaktiya badh gayi hain, jo samanya Manushya dekh ya sun na sakte wo wah bhi kar sakta hai👍 bas tilisma me wo shaktiya thodi kam kaam karti hain.
Thank you very much for your wonderful review and support bhai :hug:
 

Raj_sharma

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Raj_sharma

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#155.

एण्ड्रोनिका:
(आज से 3 दिन पहले.......... 13.01.02, रविवार, 17:00, वाशिंगटन डी.सी से कुछ दूर, अटलांटिक महासागर)

शाम ढलने वाली थी, समुद्र की लहरों में उछाल बढ़ता जा रहा था।

इन्हीं लहरों के बीच 2 साये समुद्र में तेजी से तैरते किसी दिशा की ओर बढ़ रहे थे।

यह दोनों साये और कोई नहीं बल्कि धरा और मयूर थे, जो कि आसमान से उल्का पिंड को गिरता देख वेगा और वीनस को छोड़ समुद्र की ओर आ गये थे।

“क्या तुम्हारा फैसला इस समय सही है धरा?” मयूर ने धरा को देखते हुए कहा- “क्या हमारा इस समय उल्का पिंड देखने जाना ठीक है? वैसे भी समुद्र का क्षेत्र हमारा नहीं है और तुमने कौस्तुभ और धनुषा को खबर भी कर दी है, और ...और अभी तो शाम भी ढलने वाली है। एक बार फिर सोच लो धरा, क्यों कि पानी में हमारी शक्तियां काम नहीं करती हैं। अगर हम किसी मुसीबत में पड़ गये तो?”

धरा और मयूर पानी में मानसिक तरंगों के द्वारा बात कर रहे थे।

“क्या मयूर, तुम भी इस समय शाम, समुद्र और क्षेत्र की बात करने लगे। क्या तुम्हें पता भी है? कि कुछ ही देर में अमेरिकन नेवी इस स्थान को चारो ओर से घेर लेगी, फिर उन सबके बीच किसी का भी छिपकर
अंदर घुस पाना मुश्किल हो जायेगा। इसी लिये मैं कौस्तुभ और धनुषा के आने का इंतजार नहीं कर सकती। हमें तुरंत उस उल्कापिंड का निरीक्षण करना ही होगा।

"हमें भी तो पता चले कि आखिर ऐसा कौन सा उल्का पिंड है? जो बिना किसी पूर्व निर्धारित सूचना के हमारे वैज्ञानिकों की आँखों में धूल झोंक कर, पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में आ गया। अवश्य ही इसमें कोई ना कोई रहस्य छिपा है? और पृथ्वी के रक्षक होने के नाते ये हमारा कर्तव्य बनता है कि हम क्षेत्र और दायरे को छोड़कर, एक दूसरे की मदद करें।”

“अच्छा ठीक है...ठीक है यार, ये भाषण मत सुनाओ, अब मैं तुम्हारे साथ चल तो रहा हूं।” मयूर ने हथियार डालते हुए कहा- “तुम्हीं सही हो, मैं गलत सोच रहा था।”

उल्का पिंड को आसमान से गिरे अभी ज्यादा देर नहीं हुआ था।

धरा और मयूर पानी के अंदर ही अंदर, तेजी से उस दिशा की ओर तैर रहे थे।

तभी धरा को बहुत से समुद्री जीव-जंतु उल्का पिंड की दिशा से भाग कर आते हुए दिखाई दिये, इनमें छोटे और बड़े दोनों ही प्रकार के जीव थे।

“ये सारे जीव-जंतु उस दिशा से भागकर क्यों आ रहें हैं?” धरा ने कहा- “और इनके चेहरे पर भय भी दिख रहा है।”

“अब तुमने उनके चेहरे के भाव इतने गहरे पानी में कैसे पढ़ लिये, जरा मुझे भी बताओगी?” मयूर ने धरा से पूछा।

“अरे बुद्धू मैंने उनके चेहरे के भाव नहीं पढ़े, पर तुमने ये नहीं देखा कि उन सभी जीवों में छोटे-बड़े हर प्रकार के जीव थे और बड़े जीव हमेशा से छोटे जीवों को खा जाते है। अब अगर सभी साथ भाग रहे हैं और कोई एक-दूसरे पर हमला नहीं कर रहा, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि इन सबको एक समान ही कोई बड़ा खतरा नजर आया है, जिसकी वजह से यह शिकार करना छोड़ अपनी जान बचाने की सोच रहे हैं। ये तो कॉमन सेंस की बात है।” धरा ने मुस्कुराकर कहा।

“कॉमन सेंस...हुंह....अपना कॉमन सेंस अपने ही पास रखो।” मयूर ने धरा को चिढ़ाते हुए कहा- “मैं तो पहले ही समझ गया था, मैं तुम्हें चेक कर रहा था, कि तुम्हें समझ में आया कि नहीं?”

“वाह मयूर जी....आप कितने महान हैं।” धरा ने कटाक्ष करते हुए कहा- “अब जरा रास्ते पर भी ध्यान दीजिये, कहीं ऐसा ना हो कि कोई बड़ी मछली आपको भी गपक कर चली जाये?”

मयूर ने मुस्कुराकर धरा की ओर देखा और फिर सामने देखकर तैरने लगा।

लगभग आधे घंटे के तैरने के बाद धरा और मयूर को पानी में गिरा वह उल्का पिंड दिखाई देने लगा।

वह उल्का पिंड लगभग 100 मीटर बड़ा दिख रहा था।

“यह तो काफी विशालकाय है, तभी शायद यह पृथ्वी के घर्षण से बचकर जमीन पर आने में सफल हो गया।” धरा ने उल्का पिंड को देखते हुए कहा।

अब दोनों उल्का पिंड के पास पहुंच गये।

वह कोई गोल आकार का बड़ा सा पत्थर लग रहा था, उसे देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे वह ज्वालामुखी से निकले लावे से निर्मित हो।

“इसका आकार तो बिल्कुल गोल है, इसे देखकर लग रहा है कि यह किसी जीव द्वारा निर्मित है।” मयूर ने कहा।

अब धरा छूकर उस विचित्र उल्का पिंड को देखने लगी। तभी उसे उल्कापिंड पर बनी हुई कुछ रेखाएं दिखाई दीं, जिसे देखकर कोई भी बता देता कि यह रेखाएं स्वयं से नहीं बन सकतीं।

अब धरा ने अपने हाथ में पहने कड़े से, उस उल्का पिंड पर धीरे से चोट मारी। एक हल्की सी, अजीब सी आवाज उभरी।

“यह पत्थर नहीं है मयूर, यह कोई धातु की चट्टान है, बल्कि अब तो इसे चट्टान कहना भी सही नहीं होगा, मुझे तो ये कोई अंतरिक्ष यान लग रहा है, जो कि शायद भटककर यहां आ गिरा है।” धरा के चेहरे पर बोलते हुए पूरी गंभीरता दिख रही थी- “अब इसके बारे में जानना और जरुरी हो गया है। कहीं ऐसा ना हो कि ये पृथ्वी पर आने वाले किसी संकट की शुरुआत हो?”

अब धरा ने समुद्र की मिट्टी को धीरे से थपथपाया और इसी के साथ समुद्र की मिट्टी एक बड़ी सी ड्रिल मशीन का आकार लेने लगी।

अब धरा ने उस ड्रिल मशीन से उस उल्का पिंड में सुराख करना शुरु कर दिया, पर कुछ देर के बाद ड्रिल मशीन का अगला भाग टूटकर समुद्र की तली में बिखर गया, परंतु उस उल्का पिंड पर एक खरोंच भी ना आयी।

अब मयूर ने समुद्र की चट्टानों को छूकर एक बड़े से हथौड़े का रुप दे दिया और उस हथौड़े की एक भीषण चोट उस उल्का पिंड पर कराई, पर फिर वही अंजाम हुआ जो कि ड्रिल मशीन का हुआ था।

हथौड़ा भी टूटकर बिखर गया, पर उस उल्का पिंड का कुछ नहीं हुआ।

“लगता है कि ये किसी दूसरे ग्रह की धातु से बना है और यह ऐसे नहीं टूटेगा....हमें कोई और उपाय सोचना होगा मयूर?” धरा ने कहा।

लेकिन इससे पहले कि धरा और मयूर कोई और उपाय सोच पाते, कि तभी उस उल्का पिंड में एक स्थान पर एक छोटा सा दरवाजा खुला और उसमें से 2 मनुष्य की तरह दिखने वाले जीव निकलकर बाहर आ गये।

उनके शरीर हल्के नीले रंग के थे। उन दोनों ने एक सी दिखने वाली नेवी ब्लू रंग की चुस्त सी पोशाक पहन रखी थी।

उनकी पोशाक के बीच में एक सुनहरे रंग का गोला बना था। एक गोले में A1 और एक के गोले में A7 लिखा था। उन्हें देख धरा और मयूर तुरंत एक समुद्री चट्टान के पीछे छिप गये।

“यह अवश्य ही एलियन हैं।” मयूर ने कहा- “इनके शरीर का रंग तो देखो हमसे कितना अलग है।”

“रंग को छोड़ो, पहले ये देखो कि ये अंग्रेजी भाषा जानते हैं।” धरा ने दोनों की ओर देखते हुए कहा- “तभी तो इनकी पोशाक पर अंग्रेजी भाषा के अक्षर अंकों के साथ लिखे हुए हैं।”

बाहर निकले वह दोनों जीव पानी में भी आसानी से साँस ले रहे थे और आपस में कुछ बात कर रहे थे, जो कि दूर होने की वजह से धरा और मयूर को सुनाई नहीं दे रही थी।

तभी जिस द्वार से वह दोनों निकले थे, उसमें से कुछ धातु का कबाड़ आकर बाहर गिरा, जिसे देख वह दोनों खुश हो गये।

“क्या इन दोनों पर हमें हमला करना चाहिये?” मयूर ने धरा से पूछा।

“अभी नहीं....अभी तो हमें ये भी पता नहीं है कि ये दोनों हमारे दुश्मन हैं या फिर दोस्त? और ना ही हमें इनकी शक्तियां पता हैं....और वैसे भी समुद्र में हमारी शक्तियां सीमित हैं, पता नहीं यहां हम इनसे मुकाबला कर भी पायेंगे या नहीं?”

धरा के शब्दों में लॉजिक था इसलिये मयूर चुपचाप चट्टान के पीछे छिपा उन दोनों को देखता रहा।

तभी उनमें से A1 वाले ने अंतरिक्ष यान से निकले कबाड़ की ओर ध्यान से देखा। उसके घूरकर देखते ही वह कबाड़ आपस में स्वयं जुड़ना शुरु हो गया।

कुछ देर में ही उस कबाड़ ने एक 2 मुंह वाले भाले का रुप ले लिया। अब A1 ने उस भाले को उठाकर अपने हाथ में ले लिया।

“अब तुम दोनों उस चट्टान से निकलकर सामने आ जाओ, नहीं तो हम तुम्हें स्वयं निकाल लेंगे।” A7 ने उस चट्टान की ओर देखते हुए कहा, जिस चट्टान के पीछे धरा और मयूर छिपे थे।

“धत् तेरे की....उन्हें पहले से ही हमारे बारे में पता है।” मयूर ने खीझते हुए कहा- “अब तो बाहर निकलना ही पड़ेगा। पर सावधान रहना धरा, जिस प्रकार से उस जीव ने, उस कबाड़ से हथियार बनाया है, वह अवश्य ही खतरनाक होगा।”

मयूर और धरा निकलकर उनके सामने आ गये।

“कौन हो तुम दोनों? और हमारी पृथ्वी पर क्या करने आये हो?” धरा ने उन दोनों की ओर देखते हुए पूछा।

“अच्छा तो तुम अपने ग्रह को पृथ्वी कहते हो।” A7 ने कहा- “हम पृथ्वी से 2.5 मिलियन प्रकाशवर्ष दूर, एण्ड्रोवर्स आकाशगंगा के फेरोना ग्रह से आये हैं। A1 का नाम ‘एलनिको’ है और मेरा नाम ‘एनम’ है। तुम लोगों से हमारी कोई दुश्मनी नहीं है। हम यहां बस अपने एक पुराने दुश्मन को ढूंढते हुए आये हैं और उसे लेकर वापस चले जायेंगे, पर अगर हमारे काम में किसी ने बाधा डाली, तो हम इस पृथ्वी को बर्बाद करने की भी ताकत रखते हैं।”

“अगर हमारी कोई दुश्मनी नहीं है, तो बर्बाद करने वाली बातें करना तो छोड़ ही दो।” मयूर ने कहा- “अब रही तुम्हारे दुश्मन की बात, तो तुम हमें उसके बारे में बता दो, हम तुम्हारे दुश्मन को ढूंढकर तुम्हारे पास पहुंचा देंगे और फिर तुम शांति से उसे लेकर पृथ्वी से चल जाओगे। बोलो क्या यह शर्त मंजूर है?”

“हम किसी शर्तों पर काम नहीं करते।” एलनिको ने कहा- “और हम अपने दुश्मन को स्वयं ढूंढने में सक्षम हैं। इसलिये हमें किसी की मदद की जरुरत नहीं है। अब रही बात तुम्हारी बकवास सुनने की.... तो वह हमनें काफी सुन ली। अब निकल जाओ यहां से।” यह कहकर एलनिको ने अपने हाथ में पकड़े दो मुंहे भाले को धरा की ओर घुमाया।

भाले से किसी प्रकार की शक्तिशाली तरंगें निकलीं और धरा के शरीर से जा टकराईं।

धरा का शरीर इस शक्तिशाली तरंगों की वजह से दूर जाकर एक चट्टान से जा टकराया।

यह देख मयूर ने गुस्से से पत्थरों का एक बड़ा सा चक्र बनाकर उसे एलनिको और एनम की ओर उछाल दिया।

चक्र पानी को काटता हुआ तेजी से एलनिको और एनम की ओर झपटा।

परंतु इससे पहले कि वह चक्र उन दोनों को कोई नुकसान पहुंचा पाता, एलनिको ने अपने हाथ में पकड़े भाले को उस चक्र की ओर कर दिया।

चक्र से तरंगें निकलीं और भाले को उसने हवा में ही रोक दिया।

अब एलनिको ने भाले को दांयी ओर, एक जोर का झटका दिया, इस झटके की वजह से, वह मयूर का बनाया चक्र दाहिनी ओर जाकर, वहां मौजूद समुद्री पत्थरों से जा टकराया और इसी के साथ टूटकर बिखर गया।

तभी एनम के शरीर से सैकड़ों छाया शरीर निकले। अब हर दिशा में एनम ही दिखाई दे रहा था।

यह देख मयूर घबरा गया, उसे समझ में नहीं आया कि उनमें से कौन सा एनम असली है और वह किस पर वार करे।

तभी एलनिको ने मयूर का ध्यान एनम की ओर देख, अपना भाला मयूर की ओर उछाल दिया।

एलनिको का भाला आकर मयूर की गर्दन में फंस गया और उसे घसीटता हुआ समुद्र में जाकर धंस गया।

अब मयूर बिल्कुल भी हिल नहीं पा रहा था।

यह देख मयूर ने धरा से मानसिक तरंगों के द्वारा बात करना शुरु कर दिया- “धरा, हम पानी में अपने शरीर को कणों में विभक्त नहीं कर सकते, पानी हमारी कमजोरी है, इसलिये हमें किसी तरह यहां से निकलना ही होगा, बाद में हम अपने साथियों के साथ दोबारा आ जायेंगे इनसे निपटने के लिये।”

यह सुन धरा उठी और एक बड़ी सी समुद्री चट्टान पर जाकर खड़ी हो गई। धरा ने एक बार ध्यान से चारो ओर फैले सैकड़ों एनम को देखा और फिर अपने पैरों से उस समुद्री चट्टान को थपथपाया।

धरा के ऐसा करते ही वह समुद्री चट्टान सैकड़ों टुकड़ों में विभक्त हो गई और चट्टान का हर एक टुकड़ा नुकीली कीलों में परिवर्तित हो गया और इससे पहले कि एनम कुछ समझता, वह सारी कीलें अपने आसपास मौजूद सभी एनम के शरीर में जाकर धंस गई।

इसी के साथ एनम के सभी छाया शरीर गायब हो गये।

“मुझे नहीं पता था कि पृथ्वी के लोगों में इतनी शक्तियां हैं....तुम्हारे पास तो कण शक्ति है लड़की....पर चिंता ना करो, अब यह कण शक्ति मैं तुम्हारे मरने के बाद तुम्हारे शरीर से निकाल लूंगा।” एलनिको ने कहा और इसी के साथ उसने अपना बांया हाथ समुद्र की लहरों में गोल नचाया।

एलनिको के ऐसा करते ही अचानक बहुत ही महीन नन्हें काले रंग के कण धरा की नाक के पास मंडराने लगे।

धरा इस समय एलनिको के भाले से सावधान थी, उसे तो पता ही नहीं था कि एलनिको के पास और कौन सी शक्ति है, इसलिये वह धोखा खा गई।

उन काले नन्हे कणों ने धरा की नाक के इर्द-गिर्द जमा हो कर उसकी श्वांस नली को अवरोधित कर दिया।

अब धरा को साँस आनी बंद हो गई थी, पर धरा अब भी अपने को कंट्रोल करने की कोशिश कर रही थी।

धरा ने खतरा भांप कर समुद्री चट्टान से एक बड़ा सा हाथ बनाया और उस हाथ ने मयूर के गले में फंसा भाला खींचकर निकाल दिया।

अब मयूर आजाद हो चुका था, वह एलनिको पर हमला करना छोड़, लड़खड़ाती हुई धरा की ओर लपका।

तभी एलनिको ने इन काले कणों का वार मयूर पर भी कर दिया। अब मयूर का भी दम घुटना शुरु हो गया था।

“मुझे पता था कि तुम दोनों मेरी चुम्बकीय शक्ति को नहीं झेल पाओगे।” एलनिको ने मुस्कुराते हुए कहा।

कुछ ही देर में धरा और मयूर दोनों मूर्छित होकर, उसी समुद्र के धरातल पर गिर पड़े।

यह देख एलनिको और एनम ने धरा और मयूर को अपने कंधों पर उठाया और अपने यान एण्ड्रोनिका के उस खुले द्वार की ओर बढ़ गये।


जारी रहेगा______✍️
 

Raj_sharma

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Badhiya update bhai

To Toffik hi tha jisne sab kiya tha lekin loren ko kyun mar diya usne wo to usse pyar karta tha na or bechari loren bhi uske pyar me andhi hoker uski baten man rahi thi or jis jenith se badla lena chahta tha use abhi tak jinda rakha ha usne usse pyar ka natak karta ja raha ha Jenith ki sab sachhai pata pad gayi ha dekhte han kab tak Toffik babu apni sachhai chhupa pate han waise bure karm ki saja milti hi ha or jis jagah ye sab han usse lagta ha jaise Aslam miya ko saja mili usi prakar Toffik ka bhi number lag sakta ha

उचित समय आने पर, अवश्य ही

चौदह वर्ष पूर्व कलिका - जो दिल्ली के एक मैग्जीन की संपादक थी - ने यक्षलोक के प्रहरी युवान के कठिन सवालों का जो जवाब दिया वह बिल्कुल महाभारत के एक प्रसंग ( युधिष्ठिर और यक्ष संवाद ) की तरह था ।
क्या ही कठिन सवाल थे और क्या ही अद्भुत जवाब थे ! यह सब कैसे कर लेते है आप शर्मा जी ! पहले तो दिमाग मे कठिन सवाल लाना और फिर उस सवाल का जवाब ढूंढना , यह कैसे कर लेते है आप !
यह वाकई मे अद्भुत था । इस अपडेट के लिए आप की जितनी तारीफ की जाए कम है ।

शायद सम्राट शिप से चौदह साल पहले जो शिप बरमूडा ट्राइंगल मे डुब गया था , उस शिप मे ही कलिका की बेटी सफर कर रही होगी । वह लड़की आकृति हो सकती है । वह आकृति जो शलाका का क्लोन धारण कर रखी है ।

दूसरी तरफ सामरा प्रदेश मे व्योम साहब पर कुदरत बहुत ही अधिक मेहरबान हो रखा है । वगैर मांगे छप्पर फाड़ कर कृपा बरसा रहा है । पहले अमृत की प्राप्ति हुई और अब राजकुमारी त्रिकाली का दिल उनपर धड़क गया है ।
मंदिर मे जिस तरह दोनो ने एक दूसरे को रक्षा सूत्र पहनाया , उससे लगता है यह रक्षा सूत्र नही विवाह सूत्र की प्रक्रिया थी ।


इन दो घटनाक्रम के बाद तीसरी तरफ कैस्पर का दिल भी मैग्ना पर मचल उठा है और खास यह है कि यह धड़कन हजारों वर्ष बाद हुआ है । लेकिन सवाल यह है कि मैग्ना है कहां !
कहीं शैफाली ही मैग्ना तो नही ! शैफाली कहीं मैग्ना का पुनर्जन्म तो नही !

कुकुरमुत्ता को छाते की तरह इस्तेमाल करते हुए सुयश साहब और उनकी टीम का तेजाबी बारिश से खुद को रक्षा करना एक और खुबसूरत अपडेट था । पांच लोग बचे हुए हैं और एलेक्स को मिला दिया जाए तो छ लोग । तौफिक साहब की जान जाते जाते बची , लेकिन लगता नही है यह साहब अधिक दिन तक जीवित रह पायेंगे ।
कुछ मिलाकर पांच प्राणी ही सम्राट शिप के जीवित बचेंगे , बशर्ते राइटर साहब ने कुछ खुराफाती न सोच रखा हो ।
ये मिश्रित पांडव जीवित रहने चाहिए पंडित जी ! :D

सभी अपडेट बेहद खुबसूरत थे ।
रोमांच से भरपूर ।
एक अलग तरह की कहानी , एक अद्भुत कहानी ।
और आउटस्टैंडिंग राइटिंग ।

Bahut hi shandar update he Raj_sharma Bhai

Is update se ek baat to clear ho gayi he ki apne dar se jo jit gaya vo manjil bhi jarur paa lega...........

Sabhi ke miljule efforts se ye pehla dwar to paar ho gaya.........

Keep posting Bro

Mind Blowing update ❤❤❤

अरे मेरे भाई - ऐसा कुछ भी नहीं है।
आज कल एक व्यक्तिगत सरोकार के चलते बेहद व्यस्त हूँ। समय ही नहीं मिल रहा है।
ऐसी स्थिति आगे एक महीना तक रहने वाली लगती है।
न तो कुछ लिख रहे हैं और न ही पढ़ रहे हैं। ऐसा न सोचिए कि कोई नाराज़गी वाराज़गी है।
हाँ - संजू भाई का नहीं कह सकता। 😂 😂

बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
सुयश और टीम ने अपनी सुजबुझ दृढ इच्छाशक्ती और एक दुसरे के प्रति विश्वास साथ ही साथ अदम्य साहस से निलकमल को तोडकर तिलिस्मा के प्रथम व्दार पर विजय प्राप्त कर ली
बडा ही शानदार और जानदार अपडेट

Awesome update❤❤

waiting for the next update.....

बहुत ही उम्दा अपडेट है!

Nice update.....

Bhut hi shandar update bhai
TO aaryan ne jise shalaka samaj kar amart diya tha vah sayad aakriti thi

nice update

शानदार अपडेट राज भाई

Wonderful update brother!

Alex, Cristy, Shefali, Suyash aur Taufiq sabhi ka thoda thoda role raha octopus ko marne mein lekin Jenith bechari yahan par sirf ek darshak bani rahi.

Alex ki sense powers jo sabhi se thoda jyada hai wo iska istemaal bahut achhe se kar raha hai.

Maza aa gya bhai shandar update

To hanuka yati ka ye rahasya hai, aur hanuka maay tak kis tarah pahucha tha ye bhi pata lag gaya bhai, aapke lekhan kausal ka jabaab nahi mitra 🙏🏼
Awesome update and superb writing ✍️

हमेशा की तरह ही lajawab update.....



सबने 1 बार फिर बुद्धिमानी दिखाई और तिलिस्मी द्वार का 1 और पड़ाव पार कर लिया.....

Nice update....

Esa bhi kyaa yaad aa gaya

Iske review Karne Ka Tarika thoda casual hai

Lets Review Start

To suprise Suprise Suyash [Aryan] Ka Bacha Bhi Hain wo Bhi 5000 Ya 7000 Years Se

Lekin Dimag Ke Ghode Dodhane Ke Baad Bhi Abhi Tak Bhi Ye Pata Nahi Chala Ki Wo Bacha Kya Abhi Bhi Jameen Me Hain Ya Kisi Ne Usse Nikal Liya ,

Wese Ju Aur Dusre Reader Hasoge Ki kya Kya Soch Leta Hu Me
Mere Dimag Me Sabse Pehla Thought
Wo Bacha ko Lekar aaya ki Wo Shayad vyom Hoga Pata Nahi Kyu Par Hosakta Hain Male Character Me Abhi Tak Wahi Mila Mujhe India se Mujhe Lekin Iske Possibility Shayad Kam Hi Hain Mere According Kyuki Wo Bacha Vyom Hota To Vyom Bhaiya ke Purnar Janam ki Kya Theory Rehti Aur dusra Vyom Bhaiya fir Shuru Se Jyada Takat War Dikhte Hame Kyuki Aryan Ke Balak To Bachpan Se TeJasVi Haina

Mere According Wo bacha Shayad shalaka hi Jameen Se Nikale Gi abhi Tak Uss Balak Ko Kisine Nahi Nikala HOGA
BAS ek Hi Thought Hain wo Bacha Kisi Galat Hato Me Na Padh Gaya Ho, Kyuki uske Pass Iss Duniya Sabse Kimti Khazana Hain Jisko Khareda Nahi Ja sakta Wo Sirf Hasil Kiya Jasakta Hain

AMRATTAV:

Agar Koi AMRTA ka Gyan Rakhta Ho Wo Shayad Iss Balak Ka Galat Istemaal Kare Wese Suyash Ne Usse Deva adi Dev ke Sanraskshan ki Nigrani Ke Rakha To Bacha Awashya Hi Theek Bhi Hoga'

Suprise : Mene Kya Find Kiya Hain wo Ye Hain Ki GILBERT Ne Vedanta Rahashya Ko Hi Pedh Par Rakha Thaa

Reason: Mene Vedant Rahashya Ka Description Padha Thaa ki Red Color se Covered Hain book Then Confirmation Ke Liye me Gaya update 90-91 Me waha Me Gilbert ko Padha Usme Gaya Thaa Ki wo kisi Darr se Pedh Par Chhip Gaya Thaa Then Fir Uska Kahi Pata Nahi Chala According To Moin Ali Ki Book'

Bas Ye Samjh Nahi Aaraha Hain Ki Vedenat Rahashya Ko aryan Se alag Kisne Kiya Hoga Kyuki No Way Ki 1984 Me Gilbert Ne Hi Alag Kiya Ho ,kyuki Fir To abhi Suyash 17 18 ka Rehta Lekin Yaha abhi Suyash Aram se 30s me hoga To Timeline Me Locha Hain.

Just Thinking Kahi 1970s ka Timeline likha Kya Ju Ne agar aisa Likha Rehta Then Me pata Kar Leta Akhir Suyash Ke Rebirth Chapter Kese Huwa kon Hoga wo Jisne suyash Se vedent Rahashya Ko alag Kiya.

Kya black panther ke pehle Bhi Yaha Koi Dweep par Aaya Hoga ,Ya Yaha Ki Jann Jatiya Me Se Kisine PusTak Hata Di .

Wese Jenith Ke Gale LaTaKa Nakshtra
pehle shalkaa Ke Gale Me The.

Yaha Akriti Ka Ab Kuch Nahi Bigada Ja Sakta Kyuki Amarta Ka Todd Kuch Nahi Hain Lekin Amarta Shrap Bhi Hain
Wo Marna Chahegi Lekin Mar Nahi PaYegi .
Wo Jeena Chahegi Lekin Chain Se Je Nahi Payegi .

Log Kehte hain Amarta vardan , Me Kehta Hu amarta Sharap

Kyuki Apke sathi Sare Mruityu ka vahan Karge aur amarta wala Vyakti Iss Duniya me Akela Reh Jata Hain.

Then Baat kare Suyash Ne Jo bhavyashya 5000 Saal pehle Ka Dekhaa
Uske According To Cheeze Ache Se Ghategi ,
But Sawal Uthta Hain kaha Tak Bhaviyashya Dekha Kya Shalaka Se Phir Milne Tak Ya Tilism Ka Bhaiyashya Dekh Liye Bhaya .

Ye Jo Bacha Ko aryan Ne Jameen Ne Chhupaya Thaa Uska Dand Kya Hame Suyash Ko Milna Chahiye Ya Usse Wo Dand Mil Gaya
Kyuki Mene Pichle Jo Story Read Kiya Uske Experience Par Raj bhai Wo
bache Ko Nyay Dilwaye Ga Aur Suyash Ki Bali Fir ChadhwaYe ga , kyuki Pichle Baar Aryan Ne shalaka Ko Nahi Pehchane Ke Karan Apne Aap Ko Sazaa Di .
Iss Baar Ki sazaa To Due Haina .

Iss Ek Aur Surprise Find Shayad Jo Me
Story me Ek Connection Find Kar Raha Thaa Wo Milgaya .

Kisine Socha Hain:

Shalaka Ki Mumma To Alena Thee Lekin Shalaka Ke Father Kaha Se Thee : shalaka Ke Father Arien Galaxy Ke Yodha Aargas Thee To Technically Shalaka Ke Relations Arein Galaxy Se Bhi Hain .

Kyuki Shalaka Arein Galaxy Se Connected Hain Issilye Story Me Arein Galaxy Hame Shalaka Ki Side Se Fight Karte Huwe Nazar Aayege .Yaha Agar Kuch Alag Situation Tabhi Bann Sakti aargas Ya Titans Ke Dusman Iss Waqt Arein Galaxy Ki Throne pe Virajmaan Ho.

Sath Hi Jese Jab araka Dweep Ka Vega Ne Discussed kiya Uss Book Me Mentioned Thaa Ki Ye yudh Dev Yudha Bana Thaa Jisme
Arein Ke Titan Yodha Bhi Part Thee Jo Atlas Ke Sath Thee To Inka History Me Titas Vs Posedian Raha To Yaha Mauka Hain To Titans Yodha Bichme Shalaka KI side Aane Chahiye .

overall Ab Kya Appreciation Karu Itna Likh Diya Mene Matlab Update Shandaar Hi Hai Hamesha Ki Tarah

Raj_sharma Review Dediya
ab Agla Update 154 Wala Jab 155 update Aayega Tab Uske Bare Me Aaram Se Milega
kyuki Isko likhte Likhte Band Bajj Gayi

ab To Me Hu Legend Dekha Kitni Mystery solve Ki Maine , Ju Ke Update Se Todha Hi Chhota Hain Review shayad

Issilye ladies and Gentle Man Declare Avaran Is Goated Reviewer, Detective Reader Hain Apun ab

agla Update Jaldi chahiye

romanchak update. shalaka ka roop leke aakriti ne amrut pee liya dhokhe se.
par wo balak ka peeta kaun tha jisko aakriti apna beta keh rahi thi .
shalaka ko sab pata chal gaya vedant rahasyam ka .shalaka dusre grah par gayi aur aryan ko laga wo bhi usko chhod gayi isliye usne pran tyag diye .
ab kya shalaka us balak ko dhund payegi .

Shaandar update

Intezar rahega update ka raj bhai

Besabari se intezaar rahega next update ka Raj_sharma bhai.....

Update posted friends :declare:
 

dhparikh

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#155.

एण्ड्रोनिका:
(आज से 3 दिन पहले.......... 13.01.02, रविवार, 17:00, वाशिंगटन डी.सी से कुछ दूर, अटलांटिक महासागर)

शाम ढलने वाली थी, समुद्र की लहरों में उछाल बढ़ता जा रहा था।

इन्हीं लहरों के बीच 2 साये समुद्र में तेजी से तैरते किसी दिशा की ओर बढ़ रहे थे।

यह दोनों साये और कोई नहीं बल्कि धरा और मयूर थे, जो कि आसमान से उल्का पिंड को गिरता देख वेगा और वीनस को छोड़ समुद्र की ओर आ गये थे।

“क्या तुम्हारा फैसला इस समय सही है धरा?” मयूर ने धरा को देखते हुए कहा- “क्या हमारा इस समय उल्का पिंड देखने जाना ठीक है? वैसे भी समुद्र का क्षेत्र हमारा नहीं है और तुमने कौस्तुभ और धनुषा को खबर भी कर दी है, और ...और अभी तो शाम भी ढलने वाली है। एक बार फिर सोच लो धरा, क्यों कि पानी में हमारी शक्तियां काम नहीं करती हैं। अगर हम किसी मुसीबत में पड़ गये तो?”

धरा और मयूर पानी में मानसिक तरंगों के द्वारा बात कर रहे थे।

“क्या मयूर, तुम भी इस समय शाम, समुद्र और क्षेत्र की बात करने लगे। क्या तुम्हें पता भी है? कि कुछ ही देर में अमेरिकन नेवी इस स्थान को चारो ओर से घेर लेगी, फिर उन सबके बीच किसी का भी छिपकर
अंदर घुस पाना मुश्किल हो जायेगा। इसी लिये मैं कौस्तुभ और धनुषा के आने का इंतजार नहीं कर सकती। हमें तुरंत उस उल्कापिंड का निरीक्षण करना ही होगा।

"हमें भी तो पता चले कि आखिर ऐसा कौन सा उल्का पिंड है? जो बिना किसी पूर्व निर्धारित सूचना के हमारे वैज्ञानिकों की आँखों में धूल झोंक कर, पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में आ गया। अवश्य ही इसमें कोई ना कोई रहस्य छिपा है? और पृथ्वी के रक्षक होने के नाते ये हमारा कर्तव्य बनता है कि हम क्षेत्र और दायरे को छोड़कर, एक दूसरे की मदद करें।”

“अच्छा ठीक है...ठीक है यार, ये भाषण मत सुनाओ, अब मैं तुम्हारे साथ चल तो रहा हूं।” मयूर ने हथियार डालते हुए कहा- “तुम्हीं सही हो, मैं गलत सोच रहा था।”

उल्का पिंड को आसमान से गिरे अभी ज्यादा देर नहीं हुआ था।

धरा और मयूर पानी के अंदर ही अंदर, तेजी से उस दिशा की ओर तैर रहे थे।

तभी धरा को बहुत से समुद्री जीव-जंतु उल्का पिंड की दिशा से भाग कर आते हुए दिखाई दिये, इनमें छोटे और बड़े दोनों ही प्रकार के जीव थे।

“ये सारे जीव-जंतु उस दिशा से भागकर क्यों आ रहें हैं?” धरा ने कहा- “और इनके चेहरे पर भय भी दिख रहा है।”

“अब तुमने उनके चेहरे के भाव इतने गहरे पानी में कैसे पढ़ लिये, जरा मुझे भी बताओगी?” मयूर ने धरा से पूछा।

“अरे बुद्धू मैंने उनके चेहरे के भाव नहीं पढ़े, पर तुमने ये नहीं देखा कि उन सभी जीवों में छोटे-बड़े हर प्रकार के जीव थे और बड़े जीव हमेशा से छोटे जीवों को खा जाते है। अब अगर सभी साथ भाग रहे हैं और कोई एक-दूसरे पर हमला नहीं कर रहा, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि इन सबको एक समान ही कोई बड़ा खतरा नजर आया है, जिसकी वजह से यह शिकार करना छोड़ अपनी जान बचाने की सोच रहे हैं। ये तो कॉमन सेंस की बात है।” धरा ने मुस्कुराकर कहा।

“कॉमन सेंस...हुंह....अपना कॉमन सेंस अपने ही पास रखो।” मयूर ने धरा को चिढ़ाते हुए कहा- “मैं तो पहले ही समझ गया था, मैं तुम्हें चेक कर रहा था, कि तुम्हें समझ में आया कि नहीं?”

“वाह मयूर जी....आप कितने महान हैं।” धरा ने कटाक्ष करते हुए कहा- “अब जरा रास्ते पर भी ध्यान दीजिये, कहीं ऐसा ना हो कि कोई बड़ी मछली आपको भी गपक कर चली जाये?”

मयूर ने मुस्कुराकर धरा की ओर देखा और फिर सामने देखकर तैरने लगा।

लगभग आधे घंटे के तैरने के बाद धरा और मयूर को पानी में गिरा वह उल्का पिंड दिखाई देने लगा।

वह उल्का पिंड लगभग 100 मीटर बड़ा दिख रहा था।

“यह तो काफी विशालकाय है, तभी शायद यह पृथ्वी के घर्षण से बचकर जमीन पर आने में सफल हो गया।” धरा ने उल्का पिंड को देखते हुए कहा।

अब दोनों उल्का पिंड के पास पहुंच गये।

वह कोई गोल आकार का बड़ा सा पत्थर लग रहा था, उसे देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे वह ज्वालामुखी से निकले लावे से निर्मित हो।

“इसका आकार तो बिल्कुल गोल है, इसे देखकर लग रहा है कि यह किसी जीव द्वारा निर्मित है।” मयूर ने कहा।

अब धरा छूकर उस विचित्र उल्का पिंड को देखने लगी। तभी उसे उल्कापिंड पर बनी हुई कुछ रेखाएं दिखाई दीं, जिसे देखकर कोई भी बता देता कि यह रेखाएं स्वयं से नहीं बन सकतीं।

अब धरा ने अपने हाथ में पहने कड़े से, उस उल्का पिंड पर धीरे से चोट मारी। एक हल्की सी, अजीब सी आवाज उभरी।

“यह पत्थर नहीं है मयूर, यह कोई धातु की चट्टान है, बल्कि अब तो इसे चट्टान कहना भी सही नहीं होगा, मुझे तो ये कोई अंतरिक्ष यान लग रहा है, जो कि शायद भटककर यहां आ गिरा है।” धरा के चेहरे पर बोलते हुए पूरी गंभीरता दिख रही थी- “अब इसके बारे में जानना और जरुरी हो गया है। कहीं ऐसा ना हो कि ये पृथ्वी पर आने वाले किसी संकट की शुरुआत हो?”

अब धरा ने समुद्र की मिट्टी को धीरे से थपथपाया और इसी के साथ समुद्र की मिट्टी एक बड़ी सी ड्रिल मशीन का आकार लेने लगी।

अब धरा ने उस ड्रिल मशीन से उस उल्का पिंड में सुराख करना शुरु कर दिया, पर कुछ देर के बाद ड्रिल मशीन का अगला भाग टूटकर समुद्र की तली में बिखर गया, परंतु उस उल्का पिंड पर एक खरोंच भी ना आयी।

अब मयूर ने समुद्र की चट्टानों को छूकर एक बड़े से हथौड़े का रुप दे दिया और उस हथौड़े की एक भीषण चोट उस उल्का पिंड पर कराई, पर फिर वही अंजाम हुआ जो कि ड्रिल मशीन का हुआ था।

हथौड़ा भी टूटकर बिखर गया, पर उस उल्का पिंड का कुछ नहीं हुआ।

“लगता है कि ये किसी दूसरे ग्रह की धातु से बना है और यह ऐसे नहीं टूटेगा....हमें कोई और उपाय सोचना होगा मयूर?” धरा ने कहा।

लेकिन इससे पहले कि धरा और मयूर कोई और उपाय सोच पाते, कि तभी उस उल्का पिंड में एक स्थान पर एक छोटा सा दरवाजा खुला और उसमें से 2 मनुष्य की तरह दिखने वाले जीव निकलकर बाहर आ गये।

उनके शरीर हल्के नीले रंग के थे। उन दोनों ने एक सी दिखने वाली नेवी ब्लू रंग की चुस्त सी पोशाक पहन रखी थी।

उनकी पोशाक के बीच में एक सुनहरे रंग का गोला बना था। एक गोले में A1 और एक के गोले में A7 लिखा था। उन्हें देख धरा और मयूर तुरंत एक समुद्री चट्टान के पीछे छिप गये।

“यह अवश्य ही एलियन हैं।” मयूर ने कहा- “इनके शरीर का रंग तो देखो हमसे कितना अलग है।”

“रंग को छोड़ो, पहले ये देखो कि ये अंग्रेजी भाषा जानते हैं।” धरा ने दोनों की ओर देखते हुए कहा- “तभी तो इनकी पोशाक पर अंग्रेजी भाषा के अक्षर अंकों के साथ लिखे हुए हैं।”

बाहर निकले वह दोनों जीव पानी में भी आसानी से साँस ले रहे थे और आपस में कुछ बात कर रहे थे, जो कि दूर होने की वजह से धरा और मयूर को सुनाई नहीं दे रही थी।

तभी जिस द्वार से वह दोनों निकले थे, उसमें से कुछ धातु का कबाड़ आकर बाहर गिरा, जिसे देख वह दोनों खुश हो गये।

“क्या इन दोनों पर हमें हमला करना चाहिये?” मयूर ने धरा से पूछा।

“अभी नहीं....अभी तो हमें ये भी पता नहीं है कि ये दोनों हमारे दुश्मन हैं या फिर दोस्त? और ना ही हमें इनकी शक्तियां पता हैं....और वैसे भी समुद्र में हमारी शक्तियां सीमित हैं, पता नहीं यहां हम इनसे मुकाबला कर भी पायेंगे या नहीं?”

धरा के शब्दों में लॉजिक था इसलिये मयूर चुपचाप चट्टान के पीछे छिपा उन दोनों को देखता रहा।

तभी उनमें से A1 वाले ने अंतरिक्ष यान से निकले कबाड़ की ओर ध्यान से देखा। उसके घूरकर देखते ही वह कबाड़ आपस में स्वयं जुड़ना शुरु हो गया।

कुछ देर में ही उस कबाड़ ने एक 2 मुंह वाले भाले का रुप ले लिया। अब A1 ने उस भाले को उठाकर अपने हाथ में ले लिया।

“अब तुम दोनों उस चट्टान से निकलकर सामने आ जाओ, नहीं तो हम तुम्हें स्वयं निकाल लेंगे।” A7 ने उस चट्टान की ओर देखते हुए कहा, जिस चट्टान के पीछे धरा और मयूर छिपे थे।

“धत् तेरे की....उन्हें पहले से ही हमारे बारे में पता है।” मयूर ने खीझते हुए कहा- “अब तो बाहर निकलना ही पड़ेगा। पर सावधान रहना धरा, जिस प्रकार से उस जीव ने, उस कबाड़ से हथियार बनाया है, वह अवश्य ही खतरनाक होगा।”

मयूर और धरा निकलकर उनके सामने आ गये।

“कौन हो तुम दोनों? और हमारी पृथ्वी पर क्या करने आये हो?” धरा ने उन दोनों की ओर देखते हुए पूछा।

“अच्छा तो तुम अपने ग्रह को पृथ्वी कहते हो।” A7 ने कहा- “हम पृथ्वी से 2.5 मिलियन प्रकाशवर्ष दूर, एण्ड्रोवर्स आकाशगंगा के फेरोना ग्रह से आये हैं। A1 का नाम ‘एलनिको’ है और मेरा नाम ‘एनम’ है। तुम लोगों से हमारी कोई दुश्मनी नहीं है। हम यहां बस अपने एक पुराने दुश्मन को ढूंढते हुए आये हैं और उसे लेकर वापस चले जायेंगे, पर अगर हमारे काम में किसी ने बाधा डाली, तो हम इस पृथ्वी को बर्बाद करने की भी ताकत रखते हैं।”

“अगर हमारी कोई दुश्मनी नहीं है, तो बर्बाद करने वाली बातें करना तो छोड़ ही दो।” मयूर ने कहा- “अब रही तुम्हारे दुश्मन की बात, तो तुम हमें उसके बारे में बता दो, हम तुम्हारे दुश्मन को ढूंढकर तुम्हारे पास पहुंचा देंगे और फिर तुम शांति से उसे लेकर पृथ्वी से चल जाओगे। बोलो क्या यह शर्त मंजूर है?”

“हम किसी शर्तों पर काम नहीं करते।” एलनिको ने कहा- “और हम अपने दुश्मन को स्वयं ढूंढने में सक्षम हैं। इसलिये हमें किसी की मदद की जरुरत नहीं है। अब रही बात तुम्हारी बकवास सुनने की.... तो वह हमनें काफी सुन ली। अब निकल जाओ यहां से।” यह कहकर एलनिको ने अपने हाथ में पकड़े दो मुंहे भाले को धरा की ओर घुमाया।

भाले से किसी प्रकार की शक्तिशाली तरंगें निकलीं और धरा के शरीर से जा टकराईं।

धरा का शरीर इस शक्तिशाली तरंगों की वजह से दूर जाकर एक चट्टान से जा टकराया।

यह देख मयूर ने गुस्से से पत्थरों का एक बड़ा सा चक्र बनाकर उसे एलनिको और एनम की ओर उछाल दिया।

चक्र पानी को काटता हुआ तेजी से एलनिको और एनम की ओर झपटा।

परंतु इससे पहले कि वह चक्र उन दोनों को कोई नुकसान पहुंचा पाता, एलनिको ने अपने हाथ में पकड़े भाले को उस चक्र की ओर कर दिया।

चक्र से तरंगें निकलीं और भाले को उसने हवा में ही रोक दिया।

अब एलनिको ने भाले को दांयी ओर, एक जोर का झटका दिया, इस झटके की वजह से, वह मयूर का बनाया चक्र दाहिनी ओर जाकर, वहां मौजूद समुद्री पत्थरों से जा टकराया और इसी के साथ टूटकर बिखर गया।

तभी एनम के शरीर से सैकड़ों छाया शरीर निकले। अब हर दिशा में एनम ही दिखाई दे रहा था।

यह देख मयूर घबरा गया, उसे समझ में नहीं आया कि उनमें से कौन सा एनम असली है और वह किस पर वार करे।

तभी एलनिको ने मयूर का ध्यान एनम की ओर देख, अपना भाला मयूर की ओर उछाल दिया।

एलनिको का भाला आकर मयूर की गर्दन में फंस गया और उसे घसीटता हुआ समुद्र में जाकर धंस गया।

अब मयूर बिल्कुल भी हिल नहीं पा रहा था।

यह देख मयूर ने धरा से मानसिक तरंगों के द्वारा बात करना शुरु कर दिया- “धरा, हम पानी में अपने शरीर को कणों में विभक्त नहीं कर सकते, पानी हमारी कमजोरी है, इसलिये हमें किसी तरह यहां से निकलना ही होगा, बाद में हम अपने साथियों के साथ दोबारा आ जायेंगे इनसे निपटने के लिये।”

यह सुन धरा उठी और एक बड़ी सी समुद्री चट्टान पर जाकर खड़ी हो गई। धरा ने एक बार ध्यान से चारो ओर फैले सैकड़ों एनम को देखा और फिर अपने पैरों से उस समुद्री चट्टान को थपथपाया।

धरा के ऐसा करते ही वह समुद्री चट्टान सैकड़ों टुकड़ों में विभक्त हो गई और चट्टान का हर एक टुकड़ा नुकीली कीलों में परिवर्तित हो गया और इससे पहले कि एनम कुछ समझता, वह सारी कीलें अपने आसपास मौजूद सभी एनम के शरीर में जाकर धंस गई।

इसी के साथ एनम के सभी छाया शरीर गायब हो गये।

“मुझे नहीं पता था कि पृथ्वी के लोगों में इतनी शक्तियां हैं....तुम्हारे पास तो कण शक्ति है लड़की....पर चिंता ना करो, अब यह कण शक्ति मैं तुम्हारे मरने के बाद तुम्हारे शरीर से निकाल लूंगा।” एलनिको ने कहा और इसी के साथ उसने अपना बांया हाथ समुद्र की लहरों में गोल नचाया।

एलनिको के ऐसा करते ही अचानक बहुत ही महीन नन्हें काले रंग के कण धरा की नाक के पास मंडराने लगे।

धरा इस समय एलनिको के भाले से सावधान थी, उसे तो पता ही नहीं था कि एलनिको के पास और कौन सी शक्ति है, इसलिये वह धोखा खा गई।

उन काले नन्हे कणों ने धरा की नाक के इर्द-गिर्द जमा हो कर उसकी श्वांस नली को अवरोधित कर दिया।

अब धरा को साँस आनी बंद हो गई थी, पर धरा अब भी अपने को कंट्रोल करने की कोशिश कर रही थी।

धरा ने खतरा भांप कर समुद्री चट्टान से एक बड़ा सा हाथ बनाया और उस हाथ ने मयूर के गले में फंसा भाला खींचकर निकाल दिया।

अब मयूर आजाद हो चुका था, वह एलनिको पर हमला करना छोड़, लड़खड़ाती हुई धरा की ओर लपका।

तभी एलनिको ने इन काले कणों का वार मयूर पर भी कर दिया। अब मयूर का भी दम घुटना शुरु हो गया था।

“मुझे पता था कि तुम दोनों मेरी चुम्बकीय शक्ति को नहीं झेल पाओगे।” एलनिको ने मुस्कुराते हुए कहा।

कुछ ही देर में धरा और मयूर दोनों मूर्छित होकर, उसी समुद्र के धरातल पर गिर पड़े।

यह देख एलनिको और एनम ने धरा और मयूर को अपने कंधों पर उठाया और अपने यान एण्ड्रोनिका के उस खुले द्वार की ओर बढ़ गये।


जारी रहेगा______✍️
Nice update....
 
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