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Super Update Bhai 192UPDATE 192 A
बारात आ गयी !!
बारात आ गयी !!
गीता चहकते हुए उपर हाल मे सब औरतों को आवाज देती है और सारी औरते उपर की बालिकिनी मे कसाकस खड़ी होने लगती है ।
भीड के बीच मे दूल्हे की शेरवानी से लेकर बरातियों के डांस और समधन के कपड़ो की बातें उठ रही थी ।
इधर निचे सड़क मे मुख्य द्वार पर दुल्हन के घर के सभी मर्द निचे आ गये थे स्वागत के लिए
दूल्हे और सम्धी को माला पहना कर स्वागत किया गया ।
सबको मीठा पानी नास्ते के लिए लगा दिया गया ।
अमन भी एक सोफे पर बैठ कर नजर फिराते हुए सोनल को खोजता हुआ गरदन उठा कर बाल्किनी ने देखता है कि वहा लड़कियो की लाईन लगी थी , एक से बढ कर एक हसिन जवान खिले रन्ग बिरंगे गुलाबो का बागीचा का सजा हो मानो ।
बबिता ने हाथ उठा कर इशारा - हाय जीजू हिहिही
अमन लाज के मारे मुस्कुरा कर नजरे फिरा लेता है और बगल मे उसकी पहरेदार बनी रिन्की हस पड़ी ।
वही राज और अनुज दोनो सगे साले अपने जीजा का आवभगत करने ट्रे लेकर उसके पास पहुचे ।
अनुज ने अमन के पाव छू कर उपर देखा तो बगल मे एक बला सी खुबसूरत उसके हम उम्र की लडकी इतराती हुई अपनी पलके स्लो मोशन मे झपकाये अपने चमकीले आई-शैडो दिखा रही थी और आई-लाईनर ने उसकी काली सुरमई आंखो को और भी आकर्षक बना दिया ।
अनुज ने नजर भर उसको देखा और अनुज को खुद की ओर देखता पाकर रिन्की मुस्कुराइ और उसके ट्रे से पानी का गिलास लेके उसके सामने ही उस ग्लास पर अपनी महरुन सुगर-मैट लिपस्टिक की छाप देती हुई पानी का सिप लेते हुए नजरे उठा कर अनुज को देखती है ।
अनुज लाज से नजरे फेर कर आगे बढ़ जाता है , मगर उस्का दिल पुरा काप रहा था ।
रिन्की मुस्कुरा कर अनुज को जाते देखा और खुद पर इतराती हुई दुलारी भौजी को ऐसा कातिलाना लूक देने के थैंकयू बोला ।
दुलारी ने मुस्कुरा कर उसको आंख मारी और काजूकतली की बाइट को अपने सफेद दाँतो से दबाते हुए बड़ी अदा से रिन्की को देखा कि रिन्की को लगा मानो दुलारि ने उसके निप्प्ल काट लिये हो
वो आंख भिंच कर सिहर उथी और मुस्कुराने लगी ।
रंगी - अरे बेटा इधर ला मुझे दे
रन्गी राज के ट्रे से मीठे का प्लेट उठा कर अपनी समधन ममता को देता हुआ - लिजिए भाभी जी
ममता मुस्कुरा कर आंखो ही आंखो मे रंगी को देखा और थोडा नजाकत से उसके हाथो से प्लेट लेते हुए - जी शुक्रिया ।
रन्गी ने देखा कि ये वही ब्लाउज था जिसका डिजाईन रंगी ने सोचा था ,
स्लीवलेस , लो-नेक और वाइड शोल्डर उफ्फ्फ ममता का गुलाबी गोरा जिस्म निखर कर सामने आ गया था उस मरून ब्लाउज मे उसपे से हल्की ट्रासपैरेन्सी वाली ऑरगंजा साडी का पल्लू उसके दूधिया जोबनो को छिपाने वजाय और भी आकर्षक का केंद्र बना रहा था ।
कमर पर बाहर की ओर निकाली चर्बीऔर साड़ियों के प्लिट मे छिपती नाभि की ढलाने उफ्फ़ सब कुछ कामोत्तेजक था इस वक़्त रन्गी के लिए ।
मन और लन्ड दोनो के जज्बात छिपाते हुए रंगी आगे बढ़ कर अपने समधि मुरारी और मदन से मिलने लगा ।
वही उपर की बाल्किनी मे दो बहनों मे अलग ही कौतूहल मचा हुआ था ।
रज्जो - अरे कहा है तेरे समधन की ननद
रागिनी - वो देखो ग्रीन-ब्लू साडी वाली , वहा दामाद बाबू के बाई ओर वाली
रज्जो - कौन वो जिसके हाथ मे वाइट पर्स है
रागिनी - हा वही !
रज्जो - अरे वाह क्या गजब का रसगुल्ला है हिहिहिही
रागिनी हस कर - हा तो जीजू को बोल दो आज इस रसगुल्ला का सारा रस यही निचोड़ना है हिहिहिही
रज्जो - अच्छा तुने अपने देवर से बात की
रागिनी लजाते हुए मुस्कुरा कर - हमम्म
रज्जो - तो क्या बोला ?
रागिनी - हिहिहिही ये मर्द जात कहा पीछे रहेगी वो क्यू मना करते भला
रज्जो - वो तो पहचानता है दूल्हे की बुआ को
रागिनी - हा पहचाते तो है लेकिन मै एक बार इशारा कर दूँगी ।
रज्जो - ठिक है चलो चलते है निचे तैयारियाँ करनी है ।
दोनो सीढियों से निचे जा रही थी ।
रज्जो - अरे ये तेरी देवरानी कहा रह गयी
रागिनी - अरे वो तो ऐसे सज सवर रही है मानो आज समधि के साथ वही फेरे लेगी हाहाहहा
रज्जो भी हसने लगती थी तभी अनुज जीने से होकर उपर आता हुआ दिखा जो अभी कुछ देर पहले बाहर हुए रिन्की के साथ उसके अनुभव से थोड़ा खुश था और वो खाली भी था तो रिन्की को निहारने के लिए छत की बाल्किनी मे जा रहा था ।
रागिनी उसको पकडते हुए - हे रुक कहा जा रहा है ?
अनुज हकला कर - वो वो मै !!
रागिनी - उपर कमरे मे जा रहा है ना ?
अनुज क्या ही बोलता उसने अपनी मा के हां मे हां मिलाया - हा !!
रागिनी - अरे तेरी चाची को बोल दे जल्दी तैयार हो जाये और निचे आये , जा बोल दे जा
अनुज - ठिक है मा
फिर अनुज सरपट जीने से हाल मे आया और सीधा बाल्किनी मे जाने के लिए गैलरी की ओर बढा था कि वापस भन्नाते हुए हाल की ओर घूमता - अरे यार ये मम्मी भी ना , कहा हो चाचीईईई उम्म्ंम
अनुज लपक कर अपने कमरे की ओर बढ़ता है तो उसे बगल मे सोनल के कमरे मे लड़कीयों और औरतों की हसी ठिठोली भरी अवाजे आ रही थी और अनुज की इतनी हिम्मत नही थी कि वो भीतर झान्के तो उसने लपक कर अपने कमरे का भिड़का हुआ दरवाजा हल्का सा खोलकर झाका
भीतर शालिनी अपनी मुलायम satin-silk वाली साड़ी के ड्राप सेट कर रही थी और उसका सीना बिल्कुल खुला पड़ा,
आगे झुकने से उसके बडे गले वाले ब्लाउज से उसकी उजली छातियों की गहरी लकीरें साफ नजर आ रही थी वही पेट पर उसकी गुदाज नाभि अलग ही रसदार छवि बना रही थी ।
अनुज ने थुक गटका और अपने सर उठाते लण्ड को पैंट के उपर से दबाते हुए दरवाजा खोलते हुए झटके से कमरे मे दाखिला
शालिनी चिहुकते हुए अपनी फैली हुई साड़ी के आचल को समेटते हुए अपने खुले सीने को ढकती हुई - हाय्य दैयाअह्ह , अ अनुज बेटा तु है
शालिनी ने आन्खे बन्द कर गहरी सान्स ली और मुस्कुराने लगी ।
अनुज का लन्ड फनफना रहा था ।
शालिनी हाफ्ते हुए मुस्कुरा कर - बेटा जल्दी से दरवाजा लगा दे कोई आ जायेगा ।
अनुज ने झटके से दरवाजा ल्गाया और बोला - चाची चलो मम्मी बुला रही है , बारात आ गयी है ।
शालिनी बेबस भरी हँसी हसने की कोसिस करती हुई - हा बेटा बस 5 मिंट ये साडी का पल्ला सही नही बन रहा है , जरा मदद करेगा बेटा ।
अनुज चौक कर - मै ! मेरा मतलब मुझे कहा आती है साड़ी पहनाने
शालिनी हस कर - अरे पागल तुझे पहनाना नही है ,मै पहन लूंगी , तु बस ये निचे बैठ कर प्लीट पकडकर टाइट करना ठिक है
अनुज ने हा गरदन हिलाया और शालिनी के आगे घुटने के बल बैठ गया ।
शालिनी ने वापस से हाथ मे लिया हुआ आंचल छोड दिया और एक बार फिर उसका सिना खुल गया ।
शालिनी की प्लीट बनाती हुई सेट करके एक एक अनुज की निचे से टाइट करने को कह रही थी ।
"हा बेटा बस इसको छोड और वो बगल से निचे से कोना पकड के निचे खिंच " , शालिनी ने अपने दाहिने ओर साडी के बार्डर की ओर इशारा किया ।
इससे पहले शालिनी अपनी साडी को आगे Tuck करके अनुज को आगे का instructions देती , अनुज ने अपनी उंगलियों से जोर देकर दाहिनी तरफ की साडी का किनारा ऐसा खिंचा कि शालिनी की दाये और पीछे की तरफ उसकी साडी जित्नी भी पेतिकोट मे खोन्सी हुई थी सारी tucking बाहर आ गयी ।
शालिनी - अरे बुधु ये क्या किया तुने , सब बाहर आ गया । इतना जोर से थोड़ी ना खिंचना था ।
अनुज शालिनी को परेशान देख कर खड़ा हुआ - सॉरी चाची अभी अन्दर कर देता हु इसको
अनुज ने जल्दी जल्दी शालिनी की उधडी हुई साड़ियों की टकिंग को वापस से कमर मे खोंसने लगा उसकी उंगलियाँ शालिनी के नंगी कमर और पीछे कूल्हो पर स्पर्श होने लगी ।
शालिनी - ओही रहने दे तुझसे नही होगा मुझे फिर से निकालनी पड़ेगी साडी
शालिनी ने वापस से अपनी कमर से साडी निकालती हुई - ओहो देख ऐसे खिंच की इसकी इस्त्री बिगड़ गयि ।
अनुज उदास मन से - सॉरी चाची ।
शालिनी कुछ सोच कर - मै साडी ही बदल देती हु ये नही पहुन्गी ।
शालिनी वैसे ही ब्लाउज पेतिकोट मे घूमती हुई अपना बैग खोलकर उसमे से साड़ियां निकालने लगी
वही अनुज अपनी चाची को इस रूप मे देख कर पागल हुआ जा रहा था । उसका लन्ड और कडक हो रहा था ।
शालिनी - अब तो इसके ब्लाउज पेतिकोट और चूडियां सब बदलनी पड़ेगी ।
अनुज - तो चाची मै जाउँ
शालिनी उसको डांट कर - कहा जायेगा , जल्दी से मेरी मदद कर ये साडी फ़ोल्ड कर दे तब मै ब्लाउज पेतिकोट बदल लेती हु।
अनुज चाची की डांट पर थोडा सहमा और चुप चाप साडी समेट कर बेड के करीब आया और साडी के सिरे मिलाते हुए उन्हे फ़ोल्ड करने लगा ।
वही शालिनी ने जल्दी अनुज के पीछे खड़े होकर अपने ब्लाउज के हुक चटकाने लगी
वही अनुज को बेड से लगी आलमारी के आईने अपनी चाची की छवि मिल रही थी ।
शालिनी ने झटके से अपना ब्लाउज निकाला तो ब्रा मे कैद उसकी नायाब कड़क मोटी नारियल जैसी चुचियां देख कर अनुज की आंखे चमक उठी ।
उसके हाथ रुक गये थे और वही शालिनी की नजर उसपे गयी - अरे जल्दी कर ना भाई और ये ब्लाउज का हुक लगा कर उसको फ़ोल्ड करना
शालिनी ने ब्लाउज बेड पर अनुज के पास फेकते हुए बोली ।
और जल्दी से अपने पेतिकोट का नाड़ा खोलने लगी , मगर ये क्या अनुज ने जिस तरह से साडी खिंची थी शालिनी के पेतिकोट के डोरी की गांठ कस गयी थी और शालिनी की लाख कोसिस पर वो खुल नही रही थी
"ऊहह इसे क्या हुआ , एक तो लेट हो रहा है और उपर से अह्ह्ह माआह , क्या हुआ इतना आसानी से तो बान्धा था " , शालिनी अपनी उंगलियों से अपने पेतिकोट की डोरी खोलने की कोसिस करती हुई बड़बड़ाइ ।
वही अनुज आईने ने अपनी चाची को परेशान देख कर मस्त था क्योकि हर बितते पल के साथ उसे अपनी झुकी हुई चाची की गोरी छातीया और देरी देखने को मिल रही थी ।
शालिनी ने आगे देखा कि अनुज साडी फ़ोल्ड करके तिरछी नजरों से आईने मे उसे ही निहार रहा था ।
शालिनी - देख क्या रहा है , ये नही कि मदद कर दूँ चाची की
अनुज सकपकाया और थोड़ा हिचक कर अपनी चाची की ओर घुमा - जी !!
शालिनी अनुज के सहमे हुए और भोली प्रतिक्रिया पर हसी - इधर आ पागल कही का , खोल इसे देख खुल नही रहा है ।
अनुज थुक गटक कर सामने खड़ी अपनी रसदार चाची की ब्रा मे कैद दुधारू चुचियों की घाटियों मे खोया हुआ आगे बढ़ता हुआ पास आया ।
अनुज - अरे इसकी गांठ तो इतनी टाइट क्यू कर दीं आपने , इसको काटना पड़ेगा अब
शालिनी - जा फिर चाकू ला जल्दी
अनुज - नही रुको मेरे पास छोटी वाली कैंची है
फिर अनुज लपक कर अपनी आलमारी से कैंची निकालकर लाया और शालिनी का पेतिकोट का नाड़ा काटने लगा ।
अनुज - ह्ह हो गया अब निकाल दो इसे
शालिनी ने घुर के उसको देखा तो अनुज को समझ आया कि वो क्या बोल गया और वो शरम से नजरे चुराने लगा तो शालिनी की हसी छूट गयी ।
शालिनी अपनी हसी दबाती हुई - ला वो मेरा पेतिकोट दे
अनुज बेड से पेतिकोट उठा कर शालिनी को दिया और शालिनी ने पहने हुए पेतिकोट को उठा कर उपर करते हुए दाँतो मे फसाया , जिससे निचे उसकी घुटनो के साथ साथ मांसल सुडौल चिकनी जान्घे भी आगे से दिखने लगी ।
वही शालिनी ने दुसरा पेतिकोट उपर से पहना और उसको सरका कर कमर तक लाई , फिर उसने अपने मुह से वो पेतिकोट छोड़ दिया जो उसके पेट पर आकर अटक गया ।
शालिनी ने उपर से नया पेतिकोट आगे फैलाया और निचे वाला पुराना पेतिकोट हाथो से खोस खोस कर निचे करने लगी , मगर वो निचे पैरो तक नही सरक रही थी
शालिनी ने पैरो से भी कोसी की लेकिन पेतिकोट उपर खिंचने से वो उसके चुतडो पर पीछे से रोल होकर अटक गया था और निचे नही जा रहा था ।
शालिनी परेशान होकर जब उसके हाथ थक गये - देखना बेटा कहा फसा है
अनुज झट से आगे बढ़ के निचे बैठा और उपर वाले पेतिकोट मे निचे से हाथ डाल अन्दर का पेतिकोट खिंचने लगा ।
"चाची ये तो फस गया है , ये वाला उपर करो ", अनुज ने ऊपर वाले नये पेतिकोट को हिलाते हुए अपनी चाची की ओर गरदन उठा कर बोला ।
शालिनी असहज होकर मजबूरी ने आगे झुक कर उपर वाला पेतिकोट को बीच से पकड के उसकी उंगलियों से खिंचते हुए दोनो तरफ से उपर करने लगी ।
शालिनी - दिखा क्या बेटा
अनुज ने गरदन लफाते हुए भीतर पेतिकोट मे झाका और उसे दो पेतिकोट के बीच जांघो के जड़ो मे हल्की काली हरियाली लिये हुए शालिनी के फान्केदार चुत के दरशन हुए ।
अनुज की आंखे फैल गयी कि उसकी चाची ने निचे कुछ नही पहना वही शालिनी अनुज की हरकत से भीतर से विचलित होकर अपनी आंखे भींच ली और खुद पर शर्मिंदा थी कि अबतक शायद अनुज ने उसकी निचली गुफा का दिदार कर लिया होगा ।
अनुज पेतिकोट के अंदर हाथ डाल कर निचे वाला पेतिकोट खिंचता हुआ - मिल गया चाची मिल गया ।
अनुज ने निचे वाला पेतिकोट खिंच कर शलिनी के पैरो मे करते हुए चहक कर - मिल गया चाची हिहिही
शालिनी तुन्की - क्या फाय्दा अब हुउह जब सब गुड गोबर हो गया
अनुज शालिनी की भुनभुनाहट का मतलब समझ गया था और वो अपनी हसी होठो मे दबा कर मुस्कुराया ।
शालिनी उसको देख कर चपत लगाने को होती है मगर उसको भी हसी आ जाती है एक कहावत सोच कर " जिसका जितना जतन उसका उतना पतां " ।
शालिनी - चल जा अब बदमाश कही का
अनुज हस कर - पक्का चाची आपको मेरी जरुरत नही है हिहिहिही
शालिनी के गुस्से पर अनुज की हसी हावी थी और वो भी हस्ती हुई - अब जा तेरी मदद नही चाहिये , काम बिगाडू है तु
अनुज हस कर कमरे से बाहर जाता हुआ - ओके चाची , जल्दी आना
अनुज खिलखिलाता हुआ कमरे से बाहर हाल मेआया और तभी उसको रिन्की का ख्याल आया वो लपक कर बाल्किनी की ओर बढ गया ।
घर मे सारे जेंटस बारात की आवभगत मे लगे थे , मगर बनवारी चुपचाप मारे शर्मिंदगी मे राज के कमरे मे ही था । राज के बार बार कहने पर भी उसने अपने जमाई से नजरे मिलाने की हिम्मत नही थी ।
इधर नासता पानी होने के बाद रिस्तेदारों का आपस मे परिचय का दौर होने लगा और वही जैसे ही मुरारी ने इशारे ने रन्गी को अपनी बड़ी बहन को दिखाया ।
बगल मे खड़ी रागिनी ने हाथ जोड़ कर उससे नमस्ते करते हुए मुस्कुराकर पास मे खड़े अपने देवर की ओर देखा और अंखियों से इशारा किया कि यही है ।
जंगी ने थोड़ी असहजता भरी हसी को थामा और अच्छे से संगीता को उपर से निचे तक स्कैन किया ।
मर्दजात के आंखो का स्पर्श संगीता बखूबी भाप लेती थी और उसने भी तय किया कि आज का शिकार जन्गी ही होगा ।
रंगी - अरे रागिनी बाऊजी कहा है
रागिनी - पता नही मैने तो उन्हे दोपहर से ही नही देखा ।
"दीदी उनकी तबियत तो ठिक है ना " , रागिनी ने फ़िकरमन्द होकर रज्जो को पुछा ।
वही रन्गी जो समझ रहा था कि दोपहर बाद से उसके ससुर के गायब होने का क्या कारण है तो वो खुद पर थोडा लज्जित हुआ ।
उसने सबको बैठने का बोलकर खुद घर मे चला गया ।
हाल पहले ही आस पड़ोस के महिलाओ से भरा हुआ था
उसने गेस्ट रूम चेक किया तो वहा राज के बुआ की पूरी फैमिली भरी हुई थी और उनकी अपनी ही बाते चल रही थी ।
रंगीलाल उनको भी डिस्टर्ब किये बिना सीधा राज के कमरे मे जाता है ।
जहा बनवारी करवट लेके आंखे खोले हुए लेटा था ।
अपने ससुर की हालत पर रंगी भीतर से विचलित हो उठा और उसे समझ आया कि उसने सच मे अपने ससुर से कुछ ज्यादा ही कड़ा रुख कर दिया था ।
वो सहज भाव के बनवारी के पास बैठा और उसके पाव पर हाथ रखते हुए - बाऊजी !!
अपने पाव की एड़ियो पर ठन्डे हाथों का स्पर्श पाकर बनवारी चौका और उसकी सासे तो और तेज हो गयी जब उसने रंगी को सामने पाया ।
बनवारी हड़बड़ा कर उठता हुआ - अरे जमाई बाबू आप !!
बनवारी को परेशान देख रंगी उसको तसल्ली देता हुआ - अरे नही आराम करिये , क्या हुआ आप बाहर नही आये । बारात आ गई है बाऊजी ।
बनवारी कुछ सोचता हुआ - अच्छा, वो जरा आंख लग गयी थी ।
बनवारी का झुठ रंगी अच्छे से समझ रहा था और उसे अपनी गलती का अहसास था वो नजरे फेर कर कमरे के एक कोने मे आंखे टीकाए बोला - बाऊजी मै माफी चाहता हु , मुझे आपसे ऐसे बात नही करनी चाहिए थी । आज मेरी बेटी की शादी है और ले देकर आप ही मेरे पिता समान है , अगर आप ही नही शामिल होंगे ।
अपने दमाद को भावुक होता देख बनवारी आगे बढ़ कर उसका हाथ पकड लिया - अरे अरे जमाई बाबू ये क्या कह रहे है आप !! मेरी नातिन की शादी है मै तो नाचूँगा भी । वो तो बस आज जो हुआ वो सोच कर ....
रंगी - कोई बात नहीं जो हुआ सो हुआ , हम इसपे कोई बात नही करेंगे आगे से और आप भी ध्यान मत दीजिये । आईये चलिये मेरे साथ
बनवारी रंगी का मुह देखता हुआ - तो क्या तुमने मुझे माफ कर दिया बेटा?
रंगी भावुक आंखो से - बाऊजी , आप पिता समान है मेरे मै कौन होता हु आपको माफ करने वाला । गलती मेरी थी कि मै आपकी जरुरतों को समझ नही पाया और काम के टेनसन मे ना जाने क्या ....ह्ह
बनवारी- नही नही जमाई तुम अपनी जगह पर ठिक थे बस लापरवाही हमसे ही हुई थी और उसमे बेचारी जमुना बहू का भी दोष नही है
रंगी - हा भौजी की भी हालत आपके जैसी है मै जानता हु
बनवारी- मतलब ?
रंगी को ध्यान आया वो क्या बोल गया - कुछ नही आप उठिए और चलिये , बाहर सब इन्तेजार कर रहे है ।
फिर रंगी बनवारी को लिवा के बाहर चला आया ।
वही एक ओर राहुल और अरून बारबार घर मे अन्दर बाहर चक्कर काट रहे थे कि कही से उन्हे गीता बबिता की झलक मिल जाये मगर वो दोनो अभी अपनी दुल्हन दीदी के साथ स्टेज पर आने की तैयारियाँ करने मे व्यस्त थी
वही हमारा आशिक आवारा अनुज बाल्किनी मे आकर टहलता हुआ अपनी हीरोइन रिन्की को ताड़ रहा था ।
नेवी व्लू और डार्क ग्रीन मे फ्रील वाली सरारा शूट मे रिन्की गजब की खिल रही थी और उसकी कजरारी आंखे भी अपने एकलौते आशिक़ को ही खोज रही थी कि तभी दुलारी ने हल्के से उसको धक्का दिया ।
रिन्की ने उसकी ओर देखकर आंखो से इशारा किया कि क्या बात है ।
दुलारि मुस्कुराते हुए आन्खे उपर की ओर इशारे करती हुई होठो से बुदबुदाइ - बाल्किनी ।
रिन्की फौरन अपनी जुल्फो को झटकते हुए उपर बाल्किनी की ओर देखा और अनुज फौरन पीछे हट गया
मगर उससे पहले रिन्की उसकी छत से लटकती झालरो की रोशनी मे चमकती जैकेट को देख जाती है ।
रिन्की शर्माते हुए नजरे नीची कर इतराने लगती है और मुस्कुरा कर तिरछी नजर से एक बार फिर उपर देखा तो अनुज वही बाल्किनी की रेलिंग से थोड़ा पीछे खड़ा था जहा छत की झाप के अन्धेरे मे उसका चेहरा साफ तो नही दिख रहा था मगर रिन्की को पुरा यकीन था कि वो अनुज ही है ।
वही अनुज की हालत कम खराब नही थी , रिन्की का यू उसकी ओर आकर्षित हो जाना उसके लिए किसी अजुबे से कम ना था ।
पहली बार कोई लड़की खुद से भाव दे रही थी और उसको समझ नही आ रहा था ।
तभी उसकी नजर अपने भैया राज पर गयी और उसने तय किया कि इस बारे मे वो राज से बात करेगा ।
वही इनसब से अलग राज के दोनो बुआ और फूफा की आपस मे कुछ अलग ही मिटिंग चल रही थी गेस्टरूम ने ।
शिला - नीलू के पापा आप कैसी बाते कर रहे है ? मुझे सच मे टाईम नही मिला उस रात ऑनलाइन जाने का ।
"और क्या ये बातें आज और यही करना जरुरी है " , शिला ने नाराज होते हुए कहा ।
मानसिंह - ओहो तुम नाराज क्यू हो रही हो जान, मै तो बस कैजुअली पुछ रहा हूँ ।
कम्मो- अरे जीजू अभी छोडिए ना ये सब और खुशी की बात है कि दीदी एक क्या मेम्बर जोड़ने वाली है हमारी टीम मे ।
रामसिंह - क्या सच मे भाभी ? कौन है वो ?
शिला इतरा कर - अभी तक मैने उससे इस बारे मे कोई बात नही की है , मुझे वक़्त चाहिये इसके लिए और इस लिये शादी के बाद भी कुछ दिन मै यहा रुकने वाली हु ।
मानसिंह - क्या ?
शिला - हा , कम्मो अब तु ही समझा इन्हे !!
कम्मो - हा जीजू दीदी ठिक कह रही है ।
मानसिंह - लेकिन हमारी ऑनलाइन स्ट्रीम का क्या होगा ? ऐसे तो हमारी ट्रैफिक डाउन होती जायेगी ।
कम्मो - उसकी टेन्सन आप लोग ना लें , दीदी और मैने उसका सॉल्यूशन निकाल लिया है घर पर इस बारे मे हम बातें करेंगे ।
शिला - और फिल्हाल शादी में चलते है , क्या सोचेंगे भैया हमारे बारे मे कि जबसे आये है एक भी बार शकल नही दिखाई आप लोगो ने उन्हे ।
रामसिंह - भैया भाभी बात सही कह रही है , हमे चलना चाहिए अब ।
जारी रहेगी ।
Great updateUPDATE 191 C
अमन के घर
"हिहिही भाभीईई अह्ह्ह न्हीईई उम्म्ंम छोड़ो नाह्ह्ह सीईई धत्त क्याह्ह करती हो उम्म्ंम ", रिन्की दुलारी की बाहों से छ्टकती हुई कमरे मे बिसतर पर चढ गयी ।
दुलारी ने उसको घेरना शुरु किया और भगाते हुए कमरे की दिवाल के तरफ उसको दबोच लिया
"आहा , अब कहा जाओगी !! उम्म्ंम देखू तो कितनी जवानी फूट रही है , उम्म्ंम्ं उफ्फ्फ " , दुलारि ने पीछे से रिन्की के संतरे टॉप के उपर से मस्लते हुए बोली ।
रिन्की - उह्ह्ह भाभीई क्या करती हो आह्ह सीई
दुलारि ने बिना ब्रा वाली रिन्की की टॉप उठा कर उसके गुलाबी निप्प्ल वाले मुलायम दूधिया चुचिया को हाथो के भरते हुए - ऊहह मेरी ननदीया क्या रसिले दूध है तेरे उम्म्ंम
रिन्की अपने तने हुए निप्प्ल पर दुलारि के मुलायम ठंडे हथेली का स्पर्श पाकर आंख उलटने लगी ,- उम्म्ंमम भाभीईई सिह्ह्ह्ह्ह उह्ह्ह
दुलारी ने उसको झटके से घुमाया और झुक कर उसकी चुचि मुह मे भर ली ।
रिन्की - ओफ्फ्फ भभीईई उह्ह्ह उम्म्ंम अह्ह्ह
दुलारि आंखे उठा कर उसकी आंखो के देखते हुए बोली - उम्म्ंम मेरी छुटकी ननदीया कितना रसिल जोबन है , किसी को चखाया कि नही उम्म्ंमम बोल ना
रिन्की कसमसाई - उह्ह्ह ना भाभीई कोई देखता ही नही मुझेह्ह अह्ह्ह सीईई
दुलारी ने उपर होकर उसको घुमाकर दिवाल से लगा दिया
फिर उपर से निचे तक उसको निहारते हुए उसकी कमर से उसका लोवर सरकाते हुए उसकी गुदाज नरम गाड़ को कुदेरने लगी - रस तो तेरे अन्ग अन्ग मे भरा है मेरी जान अह्ह्ह क्या नरम मुनिया है तेरी
रिन्की - अह्ह्ह भाभीईईई उह्ह्ह आराअम्म्ं सेहहह उह्ह्ह्ह उह्ह्ह उम्म्ंमम्ं आह्ह
दुलारी रिन्की की रसबहाती बुर मे उंगलिया पेलती हुई उस्के मुलायम कान काटती हुई बोली - अरे एक बार अपने भैया से बोल के तो देख उह्ह्ह वो तेरी जवानी ऐसेह्ह्ह्ह उम्म्ंम रगड़ कर चुसेगे बोल देगी भैया को अपने उम्म्ंम
रिन्की अपने बुर मे दुलारी की घुमती उंगलियाँ पाकर पागल हो गयी थी वो अपनी एडिया उठा कर गाड़ दुलारि की ओर धकेलती हुई हाफ्ते हुए मुस्कुराई - आपने भी मजा दिया है क्या भैया को उम्म्ंमम
दुलारी अपनी उंगलियों से रिन्की के बुर के मुलायम फाके फैलाती हुई - मै तो रोज देती हु तेरे भैया को , खीरे जैसा तगड़ा लन्ड है बोल लेगीऊहह
रिन्की मुस्कुरा कर सिहरते हुए अकडी - ऊहु मै तो आपके भैया की बात कर रही हुउउऊ नाअह्ह्ह उम्म्ंमम
दुलारी मुस्कुराई और बोली - कसम से मेरा कोई तेरे भैया जैसा भैया होता ना तोह्ह
रिन्की - सीईई उह्ह्ह भाभीईई उन्मममं उफ्फ्फ आह्ह सीईई उह्ह्ह्ह उम्म्ंम उम्म्ंम भाआभीईई ओह्ह
दुलारी ने रिन्की की एक टांग उठा कर उसके चुत के फाको से लेके उसकी गाड़ की सुराख तक जीभ फिराने लगी ।
रिन्की - उह्ह्ह भाभीई उम्म्ंम
दुलारी ने अपनी जीभ को निचे से उसके बुर के फाके फैलाती हुई मलाई चाट कर बोली - देखा ऐसे ही चटवाति उम्म्ंम क्या रसिली बुर है तेरी रिन्की उन्मममं उम्म्ंम्ं
रिन्की - ऊहह भाभीईईई तो मेरे दुसरे भैया से चटवा लोह्ह नाअह्ह उम्म्ंम
"दुसरे भैया मतलब " , दुलारी ने सर पीछे होकर पुछा
"अमन भैया से हिहिहिही उनका हथियार इतना बडा है " रिन्की ने अपनी कलाई उठा पर हाथ भर का इशारा किया ।
दुलारि ने थुक गटका और बोली - वो मुआ एक ही पर मरा जा रहा है ,
उसको कहा घर के माल की फ़िकर
रिन्की अपनी उंगलियो दुलारि की उंगलियाँ पकड कर बुर रगड़ती हुई - आह्ह भभीई रुको नहीईई उम्म्ंम सीईई उह्ह्ह ऐसे ही उह्ह्ह
दुलारी मुस्कुराई और उंगलिया फिराती हुई - फ़िकर ना कर लाडो आज शाम तेरे लिए एक दमदार मुसल खोज ही दूँगी
रिन्की झड़ते हुए- उह्ह्ह हा सच मे भाभीईई उह्ह्ह माह्ह्ह मेरा आ रहा है ऊहह सीईई उम्म्म्ं
रिन्की झटके खाती हुई झड़ने लगी और दुलारी अंत तक उस्की बुर के दाने सहलाती हुई उसे निचोडती रही
दोनो मुस्कुराते हुए सीधे खड़े हुए और इधर रिन्की ने दुलारि को दबोचने का सोचा तबतक दरवाजे पर फिर से आहट हुई और दोनो सतर्क हुए
रिन्की ने जल्दी से खुद के कपडे सही किये और दुलारि ने अपना चेहरा ।
दरवाजा खुला और सामने से भोला कमरे मे आया - अरे बहू तुम
रिन्की दुलारि को सकपकाई देख कर - मैने बुलाया पापा बाल बनवाने के लिए
दुलारी रिन्की की चालाकी पर आंखे उठा कर उसे देखी तो रिन्की ने उसे आंख मारी और भोला तौलिया लेके नहाने घुस गया ।
राज के घर
छत पर शादी के लिये मंडप सेट होने जा रहा था और राहुल - अरुण काम करने वालो को सामान के साथ लेकर उपर आ गये थे ।
इधर टेन्ट लगना शुरू हुआ और अरुण- राहुल की नजरे रेलिंग के पास खड़ी गीता बबिता पर गयी ।
बबिता ने तुनक मिजाजी मे अपना मुह बनाया और दुसरी ओर देखने लगी ।
वही गीता और अरुण एक दुसरे को देख कर छिपी हुई मुस्कान लिये शर्माये ।
राहुल - बहिनचोद ये लम्बी वाली कुछ ज्यादा ही नही ऐठ रही है , इसको सबक सिखाना पड़ेगा
अरुण - भाई कुछ गड़बड़ मत करना यार , मेरा टाका सेट है प्लीज ना !!!
राहुल - चल आ उधर ही चलते हैं
दोनो को अपनी ओर आते देख दोनो बहने सतर्क हुई , दोनो का कलेजा काप रहा था , धड़कने तेज थी ।
राहुल रेलिंग के पास आकर अरुण - तु बात करेगा या मै बात करू
दोनो बहने सतर्क थी और बबिता भन्नाते हुए बोली - क्या बात करनी है जल्दी बोलो तुम
राहुल मुह बिचका कर - देखा देखा , मै बोल रहा था ये लडकी कितनी घमंडी है , इसे अपने प्लान मे नही लेते है लेकिन तु सुनता नही है !
बबिता गीता चौकी और एक साथ - प्लान ? कैसा प्लान ?
अरुण मुस्कुरा कर - अरे आज रात मे जुता चुराइ की रस्म होगी ना तो हिहिहिहिही
बबिता हस्ती हुई - हा तो वो सब हम लड़कीयों का काम है ना
राहुल - तुमको कुछ मालूम भी है अरे निशा दीदी तो पूरी तरह से जीजू के फेवर मे है ,,, वो आसानी से दे देगी जूता
राहुल ने अरुण को आंख मारी
गीता - अरे नही यार , ऐसे कैसे ? और निशा दीदी क्यू करने लगी ऐसा भला ?
राहुल - मैने आज सुबह ही सोनल और निशा दीदी को जीजू से बात करते हुए सुना , निशा दीदी जीजू से कुछ अपनी शर्त मनवाने की बात पर जिद कर रही थी ।
गीता - यार बबिता फिर क्या होगा , हम लोग का मजा बेकार हो जायेगा ना
बबिता - तो फिर कैसे क्या होगा तुम ही बताओ ?
बबिता ने राहुल की ओर देख कर बोली ।
राहुल - हम लोग इस घर मे जूता रखेंगे ही नही ,
गीता - फिर ?
अरुण - हम जुता बगल वाले घर मे रखेंगे जहा हम लोग सोये थे और वो भी दोनो जोड़े अलग अलग जगह पर ।
राहुल - ये बात सिर्फ हम चारो मे ही रहेगी
डन!!
डन!!
डन!!
बबिता गीता और अरुण ने एक एक करके बोला और हसे ।
फिर राहुल और अरुण निकल गये काम करवाने ।
गीता - देखा तू फाल्तू का टेन्सन ले रही थी , ये तो अपने फाएदे की बात थी ना
बबिता दुर खड़े राहुल को घुरती हुई - हम्म्म ठिक है ।
गीता - क्या ठिक है ? क्या बड़बडा रही हो ?
बबिता - क कुछ नही । चलो निचे चलते है ।
सब अपने कामों मे व्यस्त थे ,
वही राज अपने कामों से फ़ुरसत पाकर अपने नाना को खोजता हुआ अपने कमरे मे जा पहूंचा
जहा बनवारी पहले से गहरी सोच मे डूबा था और उसके चेहरा की चमक कही गायब सी थी ।
राज चहकता हुआ घर के बाहर डीजे पर बज रहे गाने के धुन गुनगुनाता हुआ कमरे मे गया तो नाना को देख कर उसे अचरज हुआ ।
राज - क्या हुआ नानू , आप ऐसे क्यू हो ।
"तबियत तो ठिक है ना ", राज अपने नाना के सर और गाल पर हथेली रख कर चेक करता हुआ बोला ।
बनवारी कुछ बोलने को हुआ तो उसके गले से आवाजे फस कर बाहर आई , मानो उस्का गल भर आया हो
गले की खराश को गटककर - नही बेटा मै ठिक हु ।
राज - तो आप परेशान क्यू लग रहे हो ? कही ताइ ने डाट तो नही दिया हिहिहिही
बनवारी मुस्कुराया और फिर सीरियस होकर - नही वो बात नही है ,
राज - क्या नानू ! आप अब मेरे से बाते छिपाओगे
बनवारी थोड़ा सोचकर - कुछ भी बात नही है बेटा , तुम परेशान ना हो
राज - मम्मी को बुलाऊ
बनवारी थोडा हिचक कर - न न नही उसे क्यू परेशान करेगा
राज - तो बताओ क्या बात है उम्म
बनवारी नजरे फेरता हुआ एक गहरी सास लेके - वो अभी अभी कुछ देर पहले जब तु बाहर था तो तेरी ताई और मै यही थे और ...
राज चहक और हस्ता हुआ - मतलब आपने ताई की लेली , हिहिहिही
बनवारी अटकता हुआ - हा वो बस संजोग था
राज - आह्ह नानू क्या मस्त आदमी हो आप , इत्नी ज्लदी ताई पट कैसे गयी ? बोलो ना हिहिहिही
बनवारी- बात वो नही है बेटा, दरअसल जब मै कमरे से बाहर निकला तो तेरे पापा ने मुझे देख लिया और भीतर तेरी ताई कपडे ठिक कर रही थी ?
राज चौक कर - क्या पापा ने ?
बनवारी- हा बेटा, मुझ्से इतनी बड़ी लापरवाही हो गयी कि मै क्या बताउं । मै मेरी बेटी के ससुराल मे मुह दिखाने लायक नही रहा ।
राज कुछ पल तक अपने नाना की बकबक सुनता रहा कि वो खुद को कोसे ही जा रहे थे ।
राज ने एक गहरी सास ली और बोला - नानू आप चिंता ना करो , पापा कुछ नही कहेंगे किसी से ।
बनवारी- हा लेकिन तेरे पापा ने कहा है कि वो इस बारे मे बाते करेंगे
राज - अभी तो नही करेंगे ना ?
बनवारी- नही
राज - ऐसा करना आप शादी के बाद सुबह ही सरक लेना घर के लिए बहाने से
बनवारी- हा मगर बहू और वो मेरी नातिने उनका क्या ?
राज - अरे उनको बाद मे भेज दूँगा मै ना
बनवारी- अच्छा ठीक है , लेकिन तु ये बात किसी से कहना मत
राज मुस्कुरा कर - अरे आप टेन्सन फ्रि रहो नानू , कुछ नही होगा ।
इधर राज नाना से बाते कर रहा था कि हाल मे कुछ चहल पहल हुई और राज उठ कर बाहर आया तो उसकी आंखे चौधियां गयी ।
सामने उसके दोनो फूफा और तीन जवां हसीन लडकियां आई हुई थी ।
जिन्हे देख कर उन्के हाव भाव से समझते देर नही लगी राज को कि वो उसकी बुआ की लड़किया है जो शहर से आई है ।
राज ने आगे बढ़ कर अपने फूफा को नमस्ते किया और
सामने खड़ी लडकियों को उपर से निचे तक निहारता हुआ
राज - लेट मी गेस !!
एक लड़की की ओर देखा और उसके चेहरे की गोलाई और बड़ी बड़ी आंखो वाली उसपे से छोटा कद भरा बदन - चारु दीदी राइट
चारु खुश हुई और उसने लपक कर राज को हग कर लिया - ओहो पहचान लिया तुने हिहिही अब बता इन दोनो मे से नीलू दीदी कौना है ,सोच सोच बता बता ?
राज ने सामने दो लड़कियो को देखा दोनो ने पहले से ही चेहरे पर मास्क और चश्मे चढा रखे थे - उम्म्ं ऐसे कैसे पहले ये चश्मा और मास्क तो हटाओ ?
चारु हस कर - ऊहु , ऐसे ही बता
राज बारी बारि से दोनो लड़कियो को जो एक सी denim जीन्स डाले हुए टॉप मे थी , दोनो का जिस्म लगभग एक शरिखे का था , बस एक की हाईट राज के बराबर थी जबकी दुसरी वाली उससे थोड़ी कम ,
छोटी वाले के घने लम्बे बाल जो कमर तक आ रहे थे तो दुसरी लम्बी वाले के आधी पीठ तक ।
सामने सीने पर दोनो का जोबन अनुमानत: 34 की गोलाई लिये था ।
राज - अच्छा ठिक है सिर्फ चश्मा हटा दो
तभी - उसने लम्बे बालो वाली ने चश्मा
उपर किया और बालो पर टिकाते हुए अपनी आन्खे खोली
राज उसकी कजरारी मोटी भरी भरी हल्की नीली आंखो मे खो सा गया ।
राज को रुका देखा चारु ने उसे झकझोरा - अरे बता ना देख के
तभी राज की नजर बगल वाली ब लड़की पर गयी , जिसके नैन नख्स भी तीखे थे , मगर दुसरी वालीं की आंखो मे एक गजब का नशा था , एक अपनापन सा था जो राज को उसकी ओर खींच रहा था और वो लड़की भी उसे ऐसे देख रही थी मानो कह ही रही हो कि मुझे पहचानो मै ही हु
वही चारु इठलाती हुई उसे हिलाते हुए - अरे बोल ना क्या सारा दिन यही सोचता रहेगा ।
राज - अह हा हा यही है दीदी पक्का !!
राज ने उस लम्बे बालों वाली मोटी अंखियों वाली की ओर इशारा करके बोला ।
तभी बगल मे खड़ी वो लम्बी लड़की तुन्के हुए अपना मास्क हटा कर - अरे बुध्दु मै यहा हु ,
चारु इसपे पर खिलखिला कर हस पड़ी, और राज का पोपट हो गया ।
राज थोड़ा उलझे हुए स्वर मे उस अंजान लड़की की ओर इशारा करके पुछा - तो ये कौन है ?
नीलू ने उस लडकी पकड कर परिचय कराते हुए बोली - ये मेरी बेस्टी है सिम्मी हिहिहिही
और सिम्मी ने हल्की मुस्कान के साथ अपने उंगलियों से मास्क को सरका कर ठुडी के निचे किया ।
उसकी शक्लो सूरत देख कर राज ठिठक कर रह गया ,
सिम्मी ने उससे हाथ मिलाने के लिए अपना दाहिना हाथ आगे किया - हाय मै सिमरनप्रीत कौर
राज के दिल की धड़कने तेज थी और उसके आंखे और गला भरा हुआ था वो उसकी ओर देखता हुआ बेसुध हाथ आगे बढा दिया - हाय जी सिमरन जी म मै आपका राज , मेरा मतलब ... मै राज हूँ
राज की हालत पर उसकी दोनो बहने खिलखिला कर हस दी और नीलू बोली - राज , सोनल दीदी कहा है
राज - वो उपर ही है अपने कमरे मे
नीलू - चल चारु हिहिही , आजा सिम्मी तु भी
दोनो बहने सरपट उपर भागी और सिम्मी भी आगे जाने को हुई
सिम्मी मुस्कुरा कर - राज जी
राज - अह हा जी
सिम्मी - हाथ!!
राज - जी !
सिम्मी अपनी हसी दबाती हुई मुस्कुरा कर राज को इशारा करती हुई - जी मेरा हाथ
राज - ओह हा , स सॉरी जी
सिम्मी मुस्कुराई और जीने से उपर चली गयी ।
वही राज अपना ही हाथ पकड कर उसको देखता हुआ अपने सीने पर ले गया - हय्य सिमरन जी सीईई
राज खुश हुआ और DDLJ फिल्म के संगीत की धुन गुनगुनाता हुआ बाहर निकल गया ।
जारी रहेगी
Great updateUPDATE 191 C
अमन के घर
"हिहिही भाभीईई अह्ह्ह न्हीईई उम्म्ंम छोड़ो नाह्ह्ह सीईई धत्त क्याह्ह करती हो उम्म्ंम ", रिन्की दुलारी की बाहों से छ्टकती हुई कमरे मे बिसतर पर चढ गयी ।
दुलारी ने उसको घेरना शुरु किया और भगाते हुए कमरे की दिवाल के तरफ उसको दबोच लिया
"आहा , अब कहा जाओगी !! उम्म्ंम देखू तो कितनी जवानी फूट रही है , उम्म्ंम्ं उफ्फ्फ " , दुलारि ने पीछे से रिन्की के संतरे टॉप के उपर से मस्लते हुए बोली ।
रिन्की - उह्ह्ह भाभीई क्या करती हो आह्ह सीई
दुलारि ने बिना ब्रा वाली रिन्की की टॉप उठा कर उसके गुलाबी निप्प्ल वाले मुलायम दूधिया चुचिया को हाथो के भरते हुए - ऊहह मेरी ननदीया क्या रसिले दूध है तेरे उम्म्ंम
रिन्की अपने तने हुए निप्प्ल पर दुलारि के मुलायम ठंडे हथेली का स्पर्श पाकर आंख उलटने लगी ,- उम्म्ंमम भाभीईई सिह्ह्ह्ह्ह उह्ह्ह
दुलारी ने उसको झटके से घुमाया और झुक कर उसकी चुचि मुह मे भर ली ।
रिन्की - ओफ्फ्फ भभीईई उह्ह्ह उम्म्ंम अह्ह्ह
दुलारि आंखे उठा कर उसकी आंखो के देखते हुए बोली - उम्म्ंम मेरी छुटकी ननदीया कितना रसिल जोबन है , किसी को चखाया कि नही उम्म्ंमम बोल ना
रिन्की कसमसाई - उह्ह्ह ना भाभीई कोई देखता ही नही मुझेह्ह अह्ह्ह सीईई
दुलारी ने उपर होकर उसको घुमाकर दिवाल से लगा दिया
फिर उपर से निचे तक उसको निहारते हुए उसकी कमर से उसका लोवर सरकाते हुए उसकी गुदाज नरम गाड़ को कुदेरने लगी - रस तो तेरे अन्ग अन्ग मे भरा है मेरी जान अह्ह्ह क्या नरम मुनिया है तेरी
रिन्की - अह्ह्ह भाभीईईई उह्ह्ह आराअम्म्ं सेहहह उह्ह्ह्ह उह्ह्ह उम्म्ंमम्ं आह्ह
दुलारी रिन्की की रसबहाती बुर मे उंगलिया पेलती हुई उस्के मुलायम कान काटती हुई बोली - अरे एक बार अपने भैया से बोल के तो देख उह्ह्ह वो तेरी जवानी ऐसेह्ह्ह्ह उम्म्ंम रगड़ कर चुसेगे बोल देगी भैया को अपने उम्म्ंम
रिन्की अपने बुर मे दुलारी की घुमती उंगलियाँ पाकर पागल हो गयी थी वो अपनी एडिया उठा कर गाड़ दुलारि की ओर धकेलती हुई हाफ्ते हुए मुस्कुराई - आपने भी मजा दिया है क्या भैया को उम्म्ंमम
दुलारी अपनी उंगलियों से रिन्की के बुर के मुलायम फाके फैलाती हुई - मै तो रोज देती हु तेरे भैया को , खीरे जैसा तगड़ा लन्ड है बोल लेगीऊहह
रिन्की मुस्कुरा कर सिहरते हुए अकडी - ऊहु मै तो आपके भैया की बात कर रही हुउउऊ नाअह्ह्ह उम्म्ंमम
दुलारी मुस्कुराई और बोली - कसम से मेरा कोई तेरे भैया जैसा भैया होता ना तोह्ह
रिन्की - सीईई उह्ह्ह भाभीईई उन्मममं उफ्फ्फ आह्ह सीईई उह्ह्ह्ह उम्म्ंम उम्म्ंम भाआभीईई ओह्ह
दुलारी ने रिन्की की एक टांग उठा कर उसके चुत के फाको से लेके उसकी गाड़ की सुराख तक जीभ फिराने लगी ।
रिन्की - उह्ह्ह भाभीई उम्म्ंम
दुलारी ने अपनी जीभ को निचे से उसके बुर के फाके फैलाती हुई मलाई चाट कर बोली - देखा ऐसे ही चटवाति उम्म्ंम क्या रसिली बुर है तेरी रिन्की उन्मममं उम्म्ंम्ं
रिन्की - ऊहह भाभीईईई तो मेरे दुसरे भैया से चटवा लोह्ह नाअह्ह उम्म्ंम
"दुसरे भैया मतलब " , दुलारी ने सर पीछे होकर पुछा
"अमन भैया से हिहिहिही उनका हथियार इतना बडा है " रिन्की ने अपनी कलाई उठा पर हाथ भर का इशारा किया ।
दुलारि ने थुक गटका और बोली - वो मुआ एक ही पर मरा जा रहा है ,
उसको कहा घर के माल की फ़िकर
रिन्की अपनी उंगलियो दुलारि की उंगलियाँ पकड कर बुर रगड़ती हुई - आह्ह भभीई रुको नहीईई उम्म्ंम सीईई उह्ह्ह ऐसे ही उह्ह्ह
दुलारी मुस्कुराई और उंगलिया फिराती हुई - फ़िकर ना कर लाडो आज शाम तेरे लिए एक दमदार मुसल खोज ही दूँगी
रिन्की झड़ते हुए- उह्ह्ह हा सच मे भाभीईई उह्ह्ह माह्ह्ह मेरा आ रहा है ऊहह सीईई उम्म्म्ं
रिन्की झटके खाती हुई झड़ने लगी और दुलारी अंत तक उस्की बुर के दाने सहलाती हुई उसे निचोडती रही
दोनो मुस्कुराते हुए सीधे खड़े हुए और इधर रिन्की ने दुलारि को दबोचने का सोचा तबतक दरवाजे पर फिर से आहट हुई और दोनो सतर्क हुए
रिन्की ने जल्दी से खुद के कपडे सही किये और दुलारि ने अपना चेहरा ।
दरवाजा खुला और सामने से भोला कमरे मे आया - अरे बहू तुम
रिन्की दुलारि को सकपकाई देख कर - मैने बुलाया पापा बाल बनवाने के लिए
दुलारी रिन्की की चालाकी पर आंखे उठा कर उसे देखी तो रिन्की ने उसे आंख मारी और भोला तौलिया लेके नहाने घुस गया ।
राज के घर
छत पर शादी के लिये मंडप सेट होने जा रहा था और राहुल - अरुण काम करने वालो को सामान के साथ लेकर उपर आ गये थे ।
इधर टेन्ट लगना शुरू हुआ और अरुण- राहुल की नजरे रेलिंग के पास खड़ी गीता बबिता पर गयी ।
बबिता ने तुनक मिजाजी मे अपना मुह बनाया और दुसरी ओर देखने लगी ।
वही गीता और अरुण एक दुसरे को देख कर छिपी हुई मुस्कान लिये शर्माये ।
राहुल - बहिनचोद ये लम्बी वाली कुछ ज्यादा ही नही ऐठ रही है , इसको सबक सिखाना पड़ेगा
अरुण - भाई कुछ गड़बड़ मत करना यार , मेरा टाका सेट है प्लीज ना !!!
राहुल - चल आ उधर ही चलते हैं
दोनो को अपनी ओर आते देख दोनो बहने सतर्क हुई , दोनो का कलेजा काप रहा था , धड़कने तेज थी ।
राहुल रेलिंग के पास आकर अरुण - तु बात करेगा या मै बात करू
दोनो बहने सतर्क थी और बबिता भन्नाते हुए बोली - क्या बात करनी है जल्दी बोलो तुम
राहुल मुह बिचका कर - देखा देखा , मै बोल रहा था ये लडकी कितनी घमंडी है , इसे अपने प्लान मे नही लेते है लेकिन तु सुनता नही है !
बबिता गीता चौकी और एक साथ - प्लान ? कैसा प्लान ?
अरुण मुस्कुरा कर - अरे आज रात मे जुता चुराइ की रस्म होगी ना तो हिहिहिहिही
बबिता हस्ती हुई - हा तो वो सब हम लड़कीयों का काम है ना
राहुल - तुमको कुछ मालूम भी है अरे निशा दीदी तो पूरी तरह से जीजू के फेवर मे है ,,, वो आसानी से दे देगी जूता
राहुल ने अरुण को आंख मारी
गीता - अरे नही यार , ऐसे कैसे ? और निशा दीदी क्यू करने लगी ऐसा भला ?
राहुल - मैने आज सुबह ही सोनल और निशा दीदी को जीजू से बात करते हुए सुना , निशा दीदी जीजू से कुछ अपनी शर्त मनवाने की बात पर जिद कर रही थी ।
गीता - यार बबिता फिर क्या होगा , हम लोग का मजा बेकार हो जायेगा ना
बबिता - तो फिर कैसे क्या होगा तुम ही बताओ ?
बबिता ने राहुल की ओर देख कर बोली ।
राहुल - हम लोग इस घर मे जूता रखेंगे ही नही ,
गीता - फिर ?
अरुण - हम जुता बगल वाले घर मे रखेंगे जहा हम लोग सोये थे और वो भी दोनो जोड़े अलग अलग जगह पर ।
राहुल - ये बात सिर्फ हम चारो मे ही रहेगी
डन!!
डन!!
डन!!
बबिता गीता और अरुण ने एक एक करके बोला और हसे ।
फिर राहुल और अरुण निकल गये काम करवाने ।
गीता - देखा तू फाल्तू का टेन्सन ले रही थी , ये तो अपने फाएदे की बात थी ना
बबिता दुर खड़े राहुल को घुरती हुई - हम्म्म ठिक है ।
गीता - क्या ठिक है ? क्या बड़बडा रही हो ?
बबिता - क कुछ नही । चलो निचे चलते है ।
सब अपने कामों मे व्यस्त थे ,
वही राज अपने कामों से फ़ुरसत पाकर अपने नाना को खोजता हुआ अपने कमरे मे जा पहूंचा
जहा बनवारी पहले से गहरी सोच मे डूबा था और उसके चेहरा की चमक कही गायब सी थी ।
राज चहकता हुआ घर के बाहर डीजे पर बज रहे गाने के धुन गुनगुनाता हुआ कमरे मे गया तो नाना को देख कर उसे अचरज हुआ ।
राज - क्या हुआ नानू , आप ऐसे क्यू हो ।
"तबियत तो ठिक है ना ", राज अपने नाना के सर और गाल पर हथेली रख कर चेक करता हुआ बोला ।
बनवारी कुछ बोलने को हुआ तो उसके गले से आवाजे फस कर बाहर आई , मानो उस्का गल भर आया हो
गले की खराश को गटककर - नही बेटा मै ठिक हु ।
राज - तो आप परेशान क्यू लग रहे हो ? कही ताइ ने डाट तो नही दिया हिहिहिही
बनवारी मुस्कुराया और फिर सीरियस होकर - नही वो बात नही है ,
राज - क्या नानू ! आप अब मेरे से बाते छिपाओगे
बनवारी थोड़ा सोचकर - कुछ भी बात नही है बेटा , तुम परेशान ना हो
राज - मम्मी को बुलाऊ
बनवारी थोडा हिचक कर - न न नही उसे क्यू परेशान करेगा
राज - तो बताओ क्या बात है उम्म
बनवारी नजरे फेरता हुआ एक गहरी सास लेके - वो अभी अभी कुछ देर पहले जब तु बाहर था तो तेरी ताई और मै यही थे और ...
राज चहक और हस्ता हुआ - मतलब आपने ताई की लेली , हिहिहिही
बनवारी अटकता हुआ - हा वो बस संजोग था
राज - आह्ह नानू क्या मस्त आदमी हो आप , इत्नी ज्लदी ताई पट कैसे गयी ? बोलो ना हिहिहिही
बनवारी- बात वो नही है बेटा, दरअसल जब मै कमरे से बाहर निकला तो तेरे पापा ने मुझे देख लिया और भीतर तेरी ताई कपडे ठिक कर रही थी ?
राज चौक कर - क्या पापा ने ?
बनवारी- हा बेटा, मुझ्से इतनी बड़ी लापरवाही हो गयी कि मै क्या बताउं । मै मेरी बेटी के ससुराल मे मुह दिखाने लायक नही रहा ।
राज कुछ पल तक अपने नाना की बकबक सुनता रहा कि वो खुद को कोसे ही जा रहे थे ।
राज ने एक गहरी सास ली और बोला - नानू आप चिंता ना करो , पापा कुछ नही कहेंगे किसी से ।
बनवारी- हा लेकिन तेरे पापा ने कहा है कि वो इस बारे मे बाते करेंगे
राज - अभी तो नही करेंगे ना ?
बनवारी- नही
राज - ऐसा करना आप शादी के बाद सुबह ही सरक लेना घर के लिए बहाने से
बनवारी- हा मगर बहू और वो मेरी नातिने उनका क्या ?
राज - अरे उनको बाद मे भेज दूँगा मै ना
बनवारी- अच्छा ठीक है , लेकिन तु ये बात किसी से कहना मत
राज मुस्कुरा कर - अरे आप टेन्सन फ्रि रहो नानू , कुछ नही होगा ।
इधर राज नाना से बाते कर रहा था कि हाल मे कुछ चहल पहल हुई और राज उठ कर बाहर आया तो उसकी आंखे चौधियां गयी ।
सामने उसके दोनो फूफा और तीन जवां हसीन लडकियां आई हुई थी ।
जिन्हे देख कर उन्के हाव भाव से समझते देर नही लगी राज को कि वो उसकी बुआ की लड़किया है जो शहर से आई है ।
राज ने आगे बढ़ कर अपने फूफा को नमस्ते किया और
सामने खड़ी लडकियों को उपर से निचे तक निहारता हुआ
राज - लेट मी गेस !!
एक लड़की की ओर देखा और उसके चेहरे की गोलाई और बड़ी बड़ी आंखो वाली उसपे से छोटा कद भरा बदन - चारु दीदी राइट
चारु खुश हुई और उसने लपक कर राज को हग कर लिया - ओहो पहचान लिया तुने हिहिही अब बता इन दोनो मे से नीलू दीदी कौना है ,सोच सोच बता बता ?
राज ने सामने दो लड़कियो को देखा दोनो ने पहले से ही चेहरे पर मास्क और चश्मे चढा रखे थे - उम्म्ं ऐसे कैसे पहले ये चश्मा और मास्क तो हटाओ ?
चारु हस कर - ऊहु , ऐसे ही बता
राज बारी बारि से दोनो लड़कियो को जो एक सी denim जीन्स डाले हुए टॉप मे थी , दोनो का जिस्म लगभग एक शरिखे का था , बस एक की हाईट राज के बराबर थी जबकी दुसरी वाली उससे थोड़ी कम ,
छोटी वाले के घने लम्बे बाल जो कमर तक आ रहे थे तो दुसरी लम्बी वाले के आधी पीठ तक ।
सामने सीने पर दोनो का जोबन अनुमानत: 34 की गोलाई लिये था ।
राज - अच्छा ठिक है सिर्फ चश्मा हटा दो
तभी - उसने लम्बे बालो वाली ने चश्मा
उपर किया और बालो पर टिकाते हुए अपनी आन्खे खोली
राज उसकी कजरारी मोटी भरी भरी हल्की नीली आंखो मे खो सा गया ।
राज को रुका देखा चारु ने उसे झकझोरा - अरे बता ना देख के
तभी राज की नजर बगल वाली ब लड़की पर गयी , जिसके नैन नख्स भी तीखे थे , मगर दुसरी वालीं की आंखो मे एक गजब का नशा था , एक अपनापन सा था जो राज को उसकी ओर खींच रहा था और वो लड़की भी उसे ऐसे देख रही थी मानो कह ही रही हो कि मुझे पहचानो मै ही हु
वही चारु इठलाती हुई उसे हिलाते हुए - अरे बोल ना क्या सारा दिन यही सोचता रहेगा ।
राज - अह हा हा यही है दीदी पक्का !!
राज ने उस लम्बे बालों वाली मोटी अंखियों वाली की ओर इशारा करके बोला ।
तभी बगल मे खड़ी वो लम्बी लड़की तुन्के हुए अपना मास्क हटा कर - अरे बुध्दु मै यहा हु ,
चारु इसपे पर खिलखिला कर हस पड़ी, और राज का पोपट हो गया ।
राज थोड़ा उलझे हुए स्वर मे उस अंजान लड़की की ओर इशारा करके पुछा - तो ये कौन है ?
नीलू ने उस लडकी पकड कर परिचय कराते हुए बोली - ये मेरी बेस्टी है सिम्मी हिहिहिही
और सिम्मी ने हल्की मुस्कान के साथ अपने उंगलियों से मास्क को सरका कर ठुडी के निचे किया ।
उसकी शक्लो सूरत देख कर राज ठिठक कर रह गया ,
सिम्मी ने उससे हाथ मिलाने के लिए अपना दाहिना हाथ आगे किया - हाय मै सिमरनप्रीत कौर
राज के दिल की धड़कने तेज थी और उसके आंखे और गला भरा हुआ था वो उसकी ओर देखता हुआ बेसुध हाथ आगे बढा दिया - हाय जी सिमरन जी म मै आपका राज , मेरा मतलब ... मै राज हूँ
राज की हालत पर उसकी दोनो बहने खिलखिला कर हस दी और नीलू बोली - राज , सोनल दीदी कहा है
राज - वो उपर ही है अपने कमरे मे
नीलू - चल चारु हिहिही , आजा सिम्मी तु भी
दोनो बहने सरपट उपर भागी और सिम्मी भी आगे जाने को हुई
सिम्मी मुस्कुरा कर - राज जी
राज - अह हा जी
सिम्मी - हाथ!!
राज - जी !
सिम्मी अपनी हसी दबाती हुई मुस्कुरा कर राज को इशारा करती हुई - जी मेरा हाथ
राज - ओह हा , स सॉरी जी
सिम्मी मुस्कुराई और जीने से उपर चली गयी ।
वही राज अपना ही हाथ पकड कर उसको देखता हुआ अपने सीने पर ले गया - हय्य सिमरन जी सीईई
राज खुश हुआ और DDLJ फिल्म के संगीत की धुन गुनगुनाता हुआ बाहर निकल गया ।
जारी रहेगी