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लेखक की जुबानी
SAROJA COMPLEX
सब लोग माल मे घुस कर इधर उधर अपने ग्रुप मे बटने लगे ।
सोनल-निशा-रीना
अनुज-राहुल
शालिनी-रज्जो
राज-कमलनाथ
सोनल निशा और रीना ने नये तौर तरीके पर चलते हुए कुछ मोर्डन सा गिफ्ट देने का काफी विचार किया तो रीना ने कास्मेटिक आइटेम देने का सुझाया तो सोनल ने भी हामी भर दी ।
निशा चहक कर - तो क्या देगी बुआ को , उनके नाप की पैंटी पुरे चमनपुरा मे नही मिलेगी हहाहहा
सोनल रीना के सामने थोडा झिझक कर हसती हुई
सोनल - चुप कर पागल ऐसा कुछ नही देने वाले हम लोग , हम लोग बुआ को मेकअप सेट देंगे क्यू भाभी !
रीना - हा बहिनी ठिक कह रही है आप
सोनल खीझ कर - उफ्फ़ ये बहिनी बहिनी , भाभी मै बच्ची थोड़ी हु मुझे मेरे नाम से बुलायिये ना
निशा हस कर - हा हा अब तु छोटी कहा है , तु तो अब सुहागरात की सेज पर सोने वाली है क्यू भाभी ?
रीना उतनी खुली थी अबतक यहा मगर निशा की शरारत भरी बाते उसके भीतर की चुलबुलाहट को बार बार सुई चुभो रही थी कि वो भी थोडा खुले और अपनी ननद रानी के मजे ले । आखिर ननद की शादी बार बार थोड़ी ना होनी थी ।
रीना हस कर - अच्छा तो इसीलिए बुरा लग रहा है आपको हिहिहिही
सोनल झेप कर - भाभी आप भी इसके साथ !!
रीना - अरे मेरी ननद रानी ऐसे उखड़ते नही , और इस पल भी मजा लेना चाहिए हिहिही सच कह रही हु मेरी शादी के टाईम भी मेरी भाभी सहेलिया बहने ऐसे ही खिचाई करती थी हिहिहिही और अब शादी के बाद कोई पुछता ही नही , इसीलिए कह रही कि इस वक़्त का मजा लो ।
सोनल मुह मे अपनी हसी दबाती हुई सहमती मे सर हिलाया
निशा - अरे भाभी मेरे रहते आपको उदास होने की जरुरत नही है हिहिहिही आप कहो तो मै मेरे तीनो भाईयो को आप पर छोड़ दू दिवानो के तरह घूमेंगे हिहिहिही
निशा की बात सुन कर रिना हसी और बोली - वो सब तो पहले से ही लट्टू है मै तो यहा नया शिकार खोज रही हु हिहिहिही
निशा ने रीना को आंख मारते हुर - तो मुझे भी साथ ले चलो शिकार पर भाभी
रीना हस कर - हा हा क्यू नही हिहिहिही पहले हथियार तो ले लिया जाये
सोनल - हथियार
रीना - अरे हम औरतो का हथियार ये जोबन ये रूप और सृंगार ही है ना हिहिह्ही
सोनल - धत्त भाभी हिहिहिही
शालिनी-रज्जो
रज्जो - क्या लू शालू बताओ यार ,
शालिनी हस कर - अरे दीदी मैने तो उनको बोल दिया है वो दिदी(शिला) के लिए दुकान से साड़ी लेते आयेंगे
रज्जो थोडा शरारत भरी मुस्कुराहट से - क्या ! सिर्फ साड़ी!
शालिनी - क्यू ? क्या हुआ ?
रज्जो हस कर - अरे ननद का जनमदिन है मेरा बस चले तो उनको सुहागरात के दुल्हन की तरह सजा कर नंदोई के पास भेज दू हिहिहिही
शालिनी - लेकिन दीदी यहा नंदोई जी है कहा हिहिहिही
रज्जो - अरे नंदोई ना सही इनके भैया लोग है ना , उनको भेज देंगे हिहिहिही
शालिनी - धत्त दीदी आप और रागिनी दीदी एक जैसे ही हो , वो भी दीदी(शिला) का खुब खिचाई करती है हिहिहिही
रज्जो हस कर - वो भौजाई ही क्या जो ननद के मजे ना ले , अरे मेरी ननद को मै उसके जन्मदिन पर नंगा ही कर दू हिहिहीही लेकिन वो गाव मे रहती है मनाती नही ना ये सब
शालिनी हस कर- तो आज दिदी(शिला) को ही कर दो वो भी एक हिसाब से आप्की ननद ही हुई ना
रज्जो - वो तो मै कर दू लेकिन फिर घर के सारे मर्द अपना खुन्टा इनकी चुतडो मे फसाने के लिए भागे भागे फिरेंगे और फिर हम लोगो कौन पुछेगा
शालिनी हस कर - तो फिर क्या किया जाये हिहिहिही
रज्जो हस कर - ऐसा करते है ब्रा-पैंटी का सेट ले लेते है , "जब दोनो छेद अपनी मर्यादा मे रहेंगे तो बाकियो के अरमान भी काबू मे रहेंगे " हिहिहिही
शालिनी हस कर - हिहिहिही चलिये फिर
फिर दोनो अंडरगार्मेंट्स सेक्सन की ओर बढ गयी ।
अनुज-राहुल
दोनो लेडिज सेक्सन मे शिला के लिए ड्रेस लेने पहुचे थे मगर वहा के महगे दाम से दोनो की आंखे चौधियायि हुई थी । अनुज की तो आदत सी थी कि वो महगे सामानो से कतराता था ।
राहुल - भाई समझ नही आ रहा है क्या लू बुआ के लिए
अनुज - भाई मेरे पास उतने पैसे है ना और यहा महगा है
दोनो बारी बारी से कपडे देख रहे थे और रेट स्लिप देख कर उनका चेहरा उतर जा रहा था ।।
तभी राहुल की नजर अंडरगार्मेंट्स सेक्सन मे टहल रही अपनी मा और रज्जो पर गयी
राहुल - अरे वो देख मम्मी और तेरी मौसी
अनुज फुर्तीली नजर से उस ओर देखा तो दोनो ब्रा की क़्वलिटी देख कर उसका साइज़ देख रही थी ।
राहुल - तो क्या ये लोग बुआ को ब्रा-पैंटी देंगी
अनुज - अरे नही बे , क्या पता खुद के लिए ले रही हो ।
राहुल - अरे तो वो सब तेरी दुकां पर है ना वो ही कम दाम मे
अनुज - हा लेकिन मौसी के साइज़ का नही होता है जल्दी , बड़े साइज़ के कम बिकते है और महगे होते है इसीलिए नही लाता हु मै ।
राहुल थुक गटक कर - वैसे तेरी मौसी का साइज़ क्या है ?
अनुज ने आंखे फैलाकर राहुल की भावना टटोलते हुए उसे देखा - क्या मतलब ?
राहुल हस कर - वही जो तुने सुना
अनुज - कुत्ता साला , अपनी मा को चोद चुका अब क्या मेरी मौसी को भी
राहुल बेशरमी से हस कर - नही यार , लेकिन तेरी मौसी के चुचे बहुत मोटे है हिहिहिही
अनुज को थोडा गुस्सा सा आया और वो मुट्ठी बना कर हाथ पीछे ले जाकर घमं से एक मुक्का राहुल की पीठ कर दिया और उसका सिना बाहर उठ आया
वो अटकी सासो और दर्द भरी कराह से हसता हुआ - सॉरी ना यार तु बुरा क्यू मानता है , वैसे ये लोग बुआ के लिए भी तो ले सकती है वो भी तो तेरे यहा मिलेगा नही ना क्योकि बुआ के भी चुतड तो ....
अनुज ने वापस से आंख दिखाई तो राहुल उससे थोडा दुर होकर - देख वो मेरी भी बुआ , समझा तो जो चाहू बोलू
अनुज समझ गया कि ये साला बकवास करता ही रहेगा इसीलिए उस्ने उसको इग्नोर किया और उसने सोचा क्यू ना मौसी को आज रात एक ब्रा-पैंटी गिफ्त कर दे । लेकिन राहुल के सामने वो खरीदेगा कैसे ।
अनुज - छोड ना ये बता तब लिया कया जाये यहा तो सब महगा है
राहुल - अरे तो राज भैया से लेले ना
अनुज राहुल का सर टिपता हुआ - अबे साले जब भैया से पैसा लूंगा तो वो उन्का गिफ्ट नही हो जायेगा
राहुल अपना सर सहलात हुआ - फिर क्या सोचा तुने
अनुज कुछ सोच कर अपनी जेब के पैसे और मौसी के ब्रा-पैंटी का खर्चा जोड घटा कर - बुआ के लिए चॉकलेट बॉक्स लूंगा मै , लेकिन उसके लिए भी पैसे कम पड़ रहे है यार
राहुल - अरे मै हु ना चल मिल कर देंगे
अनुज खुश हुआ और वो दोनो ग्रोसरि सेक्सन मे चले गये ।
राज-कमलनाथ
राज - तब मौसा कैसा रहा मौसी के बिना दो दिन
राज की शरारती तत्व से कमलनाथ मुसकरा उठा - दो दिन से सुखा सुखा गया बेटा और तेरा
राज मुस्कुरा कर - मौसी तो मेरे कमरे मे ही सोती थी ना तो हिहिहिहिही
कमलनाथ का लण्ड एकदम से राज की बाते सुन्कर टनं हो गया कि राज उसकी बीवी को दो रात जमकर पेला होगा
कमलनाथ - तो आज हम दोनो साथ मे ही
राज - मुश्किल है
कमलनाथ अचरज से - क्यू ?
राज - मौसी शायद बुआ के साथ सोये क्योकि वो अकेली है और आप मेरे साथ सोयेन्गे और उपर से आज बर्थडे भी मनाया जायेगा ना
कमलनाथ शिला के बारे मे सुन्कर थोडा गरम हुआ और फिर कुछ सोचते हुए - अच्छा ठिक है अब ये बता तेरी बुआ के लिए क्या गिफ्ट लिया जाये ।
राज कनअखियो से मुस्कुरा कर देखते हुए - आप क्या देना चाहते हो उनको
कमलनाथ मन मे - देना तो मै उसकी चर्बीदार गाड़ मे अपना लण्ड चाहता हु लेकिन क्या करू
राज - क्या हुआ मौसा
कमलनाथ - समझ नही आ रहा बेटा क्या दू
राज - वैसे बुआ मॉर्डन कपडे पहनती है तो मै सोच रहा हु उनको जीन्स देदू
शिला की फैली हुई गाड़ को जीन्स मे कसा हुआ सोचकर कमलनाथ पेंडुलम के जैसे झटके खाने लगा।
कमलनाथ थोडा झिझक भरे लहजे मे - लेकिन क्या तेरी बुआ के नाप का जीन्स मिल जायेगा
राज - क्यू !!
कमलनाथ - वो तेरी बुआ का ... मतलब वो थोडा हेल्थी है ना तो ?
राज हस कर - क्या मौसा आप भी, अरे मुझसे क्या झिझक रहे हो हिहिही खुल कर बोलो ना कि बुआ का पिछवाड़ा बड़ा है
कमलनाथ राज की बात पर इधर उधर देखा और धीमी आवाज मे - अरे मतलब वही , अब मै ऐसे बोलूंगा तो अच्छा नही ना लगेगा ।
राज- क्या मौसा उसमे क्या है , सब लोग जान रहे है देख रहे है तो उसमे छिपाकर क्या बोलना । बड़े है तो है
कमलनाथ हस कर - तू सच मे अलग ही है मतलब हिहिहीही चल फिर देखते है कुछ तेरी बुआ के लिए ।
समय बीता और इधर सारे लोग अपना अपना समान लेके इकठ्ठा हुए
बारी बारी से सारे लोग अपनी बिलिन्ग मे लगे हुए थे
ऐसे मे अनुज परेशान होने लगा कि क्या किया जाये कैसे वो ब्रा-पैंटी लेके आये और लेके आयेगा तो बिल कैसे करायेगा सब्के सामने ।
उपर से राहुल ने उससे चिपका हुआ था और अनुज का पुरा मन था कि आज की रात वो अपनी मौसी को अपने मनपसंद ब्रापैंटी मे देखे ।
जल्द ही सारे लोग घर के लिए निकल गये , अनुज का चेहरा बुझा बुझा सा था ।
रज्जो को एक दो बार खटका और उसने इशारे से पूछा तो अनुज ने ना मे सर हिलाया ।
फिर घर पहुच कर जब रज्जो ने अनुज से बात की तो उसने सारी बात बड़ी मासूमियत से रज्जो के सामने रख दी तो रज्जो ने मुस्कुरा कर उसे बताया कि उसने अपने लिये भी एक नयी ब्रा-पैंटी सेट ली है और आज रात वही पहनने वाली है ।
अनुज चहक उठा और जब उसने कलर और डिजाइन के बारे मे पूछा तो रज्जो ने बड़े इतरा कर कहा क्यू तुझे नही पसन्द क्या कि मै भी तुझे सरप्राइज दू उम्म्ं
अनुज शर्मा गया और उसका लण्ड अकड़ गया ।
खैर सारे लोग वापस आने से चहल पहल बढ गयी थी और घर के बाहर सड़क पर खाने का स्टाल टेन्ट का काम शुरु हो चुका था ।
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शाम का वक़्त हो चला था , शिला काफी खुश थी वो अपने चुतड हिलाती हुई मटकाती हुई अपने कपड़े लेके रागिनी के कमरे मे नहाने के लिए जा रही थी क्योकि गेस्ट रूम मे बाथरूम नही था ।
जैसे ही वो रागिनी के दरवाजे पर पहुच कर उसको खोलवाने के लिए दरवाजा खटखट किया कि पीछे से किसी ने उसकी कलाई पकड ली और खिंच कर उसको राज के कमरे मे लेके घुस गया
शिला कसमसा कर -ऊहह ये क्या हरकत है ?
वो कमलनाथ था उसने शिला को पीछे से बाहो मे भरते हुए - आपको गिफ्ट देना था
शिला कमलनाथ के पकड से छूटने का प्रयास करने लगी और कमलनाथ कुर्ती के उपर से उसके मोटे मोटे चुचे मसलने लगा
"उह्ह्ह क्या कर रहे है आप ,, आह्ह सीईई छोडिए ना उमम्मं "
कमलनाथ ने अपना लण्ड शिला के हाथ के करीब ले जाकर
एक बार छू लो इसको उह्ह्ज प्लीजअह्ह्ह्ह , कमलनाथ शिला के हाथ मे अपने लण्ड पर जबरजस्टि पकडवाने की कोसीस करता हुआ ।
"धत्त , नही भैया यही पर है उह्ह्ह छोडिए ना " , शिला कमलनाथ के पंजे से अपने कलाई छुड़ाती हुई हसती खिल्खिलाती हुई राज के रूम से हाल की ओर भागी ।
कमरे के बाहर आते ही शिला की नजर दरवाजे के बाहर खड़े उसके भाई रंगीलाल पर गयी

जो पुरा नंगा होकर हाथो अपना लण्ड थामे हुए उसकी चमडी आगे पीछे कर रहा था ,,उसके चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान थी ।
शिला समझ गयी कि उसने दरवाजा खटखटाया था और उसका भाई बाहर आ कर सब कुछ देख चुका है
शिला सकपका कर - भैया वो वो , मैने कुछ नही वो वो
शिला रन्गीलाल को जवाब देते हुए पीछे हट रही थी कि तभी
" ओह्ह जीजी आपके दूध तो सच मे बहुत नरम है उम्म्ंम्ं "

शिला चौकी की उसका जिस्म एकाएक नंगा हो चुका था और उसके नरम नरम चुचो पर रागिनी अपने हाथो से रगड़ रही थी ।
रागिनी - देख क्या रहे हो जी , डालो ना लण्ड अपनी दिदी के भोसड़े मे । देख नही रहे कबसे खोल कर घूम रही है हिहिहिही
शिला को लगने लगा अब उसके भैया भाभी उसको बिना चोदे नही छोडने वाले थे और जब्से वो आई थी तब्से एक भी बार रन्गीलाल ने उसकी ओर देखा नही था और अब ऐसे नंगे घूमेगी तो कहा कोई छोडने वाला है ।
तभी एक ओर से रज्जो की आवाज आई - आहा , जमाई बाबू आज तो ये 10 इंच वाला मोटा लण्ड जायेगा जीजी के भोसड़े मे
शिला चौक कर रज्जो को अपने कमर मे वो नकली लण्ड हाथ मे झुलाते हुए देखा - भाभी(रज्जो) आप !!

उधर कमरे से कमलनथ भी अपना मुसल सहलात हुआ बाहर आ चुका और वो भी उसकी ओर बढ रहा था
तभी सीढियो से राज तेजी से उतरता हुआ निचे आया और हस्ता हुआ - अरे बुआ बर्थडे पर अपने लाडले को भूल गयी
शिला चौक कर - अह राज तू , बेटा मै वो , वो वो
उसी समय दरवाजे से घर मे जन्गीलाल अपना मुसल मसलता हुआ एन्ट्री करता हुआ - क्या जीजी मेरे बिना ही सब सुरु कर दोगी , मै बोला था आपका गिफ्ट लेके आऊंगा

शिला की हालत और खराब होने लगी उसकी सासे उखड़ने लगी , पांच पांच लण्ड एक साथ उसकी ओर बढ रहे थे और पीछे से रागिनी उसको पकड कर घुटने के बल कर चुकी थी
सारे लोग अपना लण्ड शिला के मूह पर रगड़ रहे थे और आहे भरते हुए तेजी से हिल रहे थे

उसके तन बदन मे आग लगी हुई थी वो पसीना पसीना हुए जा रही थी , सारे लोग जहा तह उसके चेहरे गाल होठ कन्धे पर अपना मुसल रगड़ रहे थे और जोर जोर से हिला रहे थे
तभी एक साथ सभी लंडो ने पिचकारी छोडी जो सीधा शिला के मुह पर जा लगी , इतनी तेज कि मानो बालटी भर वीर्य उसके मुह पर मार दिया ।
शिला चौक कर उठ कर बैठ गयी और उसकी सासे जोर से चल रही थी ।
उसने अपने को जान्चा और अपनी तेज धडकनें हाथो से रोकती हुई मुस्कुरा उठी कि ये सब तो एक सपना था ।
उसका पुरा जिस्म अभी भी काप रहा था , वो पसीने से पूरी तरह भीगी हुई थी ।
इतना कि सूती कुरती मे उसके ब्रा विजिबल हो गये थे । उसने दिवाल घड़ी मे समय देखा तो 6 बजने को थे और वो उठकर नहाने के लिए अपने कुछ कपडे लेके गेस्ट रूम से बाहर निकाली ।
हाल मे फूलपुर से राज की ताई और पंखुडी भाभी आ गयी थी , विमला और उसका परिवार भी आ चुका था ।
अड़ोस-पड़ोस की औरते भी भरने लगी थी क्योकि बाहर भोज शुरु हो चुका था ।
शिला को लगा उसने सोने मे बहुत देरी कर दी और अभी उसका नहाना बाकी है ऐसे मे उसे बड़ी शर्मीन्द्गी हो रही थी
लोगो के बीच से निकल कर वो रागीनी के दरवाजे पर पहुचने को थी कि सामने राज के कमरे से कमलनाथ नहा कर तैयार होकर बाहर निकल रहा था
दोनो की नजरे टकराई और कमलनाथ की निगाहे शिला के पसीने से सने जिस्म पर गयी ।
उसने शिला के ब्रा के उभारो को देखा और फिर एक नजर शिला के उभरे हुए कूल्हो पर मारा फिर मुस्कुराता हुआ - आप इस कमरे मे चले जायिये , अभी रन्गी भाईसाहब नहाने गये है ।
कमलनाथ की बात सुन कर शिला की नजर रागिनी के बन्द दरवाजे पर गयी और वो मुस्कुरा कर - जी thankyou!!
फिर वो मुस्कुराती हुई चुतड हिला कर राज के कमरे मे चली गयी और दरवाजा वैसे ही हल्का सा भीड़का दिया ।
कमलनाथ भी शिला से थोडा बात करके गदगद हुआ और बाहर निकल कर भोज की व्यव्स्था देखने लगा ।
जहा पहले ही राज अनुज राहुल , मनोज और चंदू ने सब कुछ सम्भाला हुआ था ।
जारी रहेगी