Update 36
अब तक
मा - हा ठीक है अब अपना हाथ से दीदी का एक दूध पकड़ीये
पापा - ये क्या कह रही हो रागिनी
बुआ - अरे कोई बात नहीं भैया आप पकड लो मै कह रही हू ,,,वैसे भी आप कोई गैर थोडी हो
मा - अब चलो पकड़ो
फिर पापा ने बुआ की चूचि को थामा
मा - हा अब अपनी कमर को हिलाते हुए दीदी के दूध को दबाओ
पापा का लण्ड तो कबसे ही बुआ की गान्द पे रेग रहा था और पापा ने मा के कहे अनुसार बुआ की चुची को दबाना शुरू किया ।
अब आगे
मै कनअखियों से लगातार मा पापा और बुआ के हरकतो और उनकी बातो पर नजर बनाये थे ।
चुकि बुआ तो जानती थी कि मै जग रहा हू और मा को मेरे जागने या सोने से कोई दिक्कत नही थी क्योकि वो जानती थी कि आज रात के प्लान के बारे मे मुझे पता है और रही बात पापा की तो वो बुआ की मुलायम गदरयी गान्ड पर लण्ड रगडने मे इतना आनन्द मे थे कि मेरी बात ही नही थी उनके जुबान पर ,,,,वो लोग बेफिकर एक दुसरे की हवस को भडकाये जा रहे थे ।
इधर पापा ने मा के कहे अनुसार बुआ की गाड़ पर अपना लण्ड रगड़ना शुरू कर दिया और एक हाथ से बुआ की चूचि भी मसलने लगे,, नतिजन कुछ ही समय मे मेरी रन्डी चुद्क्क्ड बुआ को खुमार चढ़ने लगा,,, दोनो भाई बहन एक दुसरे के लिए प्यासे मर रहे थे लेकिन कोई खुल कर पहल नही कर रहा था ।
मा बीच मे एक इनडायरेक्ट तरीके से कुछ कुछ बातो से बुआ और पापा को करीब ला रही थी ,,लेकिन मै तो उस पल के इंतजार मे था जब पापा खुलकर बुआ को गाली देते हुए कुतिया बना कर उनकी गाड़ मारे ।
करीब 2 3 मिंट बाद माहौल गरम होने लगा और बुआ की आहे अब सिसकियाँ लेटे हुए बाहर आने लगी जिसका फायदा उठाकर पापा और अच्छे से कमर उपर निचे करके बुआ की मोटी गाड़ की दरारो मे लण्ड रगड़ना शुरू कर दिया ।
मा - क्यू दीदी परेशान हो गई ना
बुआ को ल्गा अब मा पापा को हटने को ना बोल दे इसिलिए बात को बदल कर
बुआ - अरे नही भाभी ,,, वो बचपन मे ऐसे ही कयी बार भईया ने मेरे उपर सोते हुए दूध दबाए है।
मा - क्या सच मे तब आपके दूध बडे थे दीदी
बुआ - हा मेरे उमर की लड़कियो के हिसाब से बडे ही थे ,,,आह्हह हम्म्म्म आह्हह
पापा लगातार बुआ को गरम किये जा रहे थे
मा - उस हिसाब से आपका कोई शादी से पहले दोस्त रहा होगा जरुर
बुआ -आह्हह उम्म्ंम्ं इश्स्स्स क्या पुछ रही हो भाभी ये ,,,आप ये कहना चाहती हो कि शादी से पहले से ही मैने अह्ह्ह्ह इश्ह्ह आराम से भैया दर्द हो रहा है
पापा बुआ की बातो मे एक सहमती सी नजर आई और वो बुआ के कान के पास जाकर एक नशीली मादक आवाज मे
पापा - बताओ ना दीदी क्या सच मे शादी से पहले वो किया था ,,, बोलो न दीदी
मा - अब बता भी दीदी ,,, अब तो आपके भईया भी पुछ रहे है
बुआ - हा मैने किया था ,अह्ह्ह्ह इश्ह्ह अम्म्म्ंम्ं उफ्फ्फ लेकिन मेरे वो शादी से पहले करने का मुख्य कारण भईया ही थे ।
पापा के साथ मा और मै सब चौक गये और
पापा ने बुआ को छोड दिया और बगल मे लेट गये
पापा - मै ,,, लेकिन कैसे दीदी
मा - हा दीदी ,,,उस चीज़ के लिए ये कैसे जिम्मेदार है
बुआ - वो भईया अक्सर मेरे उपर सो कर नादानी मे मेरे साथ खेलते थे , मेरे उपर सोते थे , मेरे दूध दबा दिया करते थे तो मै बहुत गरम हो जाती थी और ऐसे ही एक दिन मेरा सबर टुट गया और मै बहक गयी
ये बोल कर बुआ सीधि लेट गयी जैसे उनको इस बात का बहुत पचतावा हो । पापा को इशारे से मा को बुआ बगल मे जाने को बोलते है तो मा मेरे और बुआ मे बिच मे जगह बनाते हुए लेट जाती है और बुआ के कन्धे को पकड कर उन्हे मानो तसल्ली दे रही हो ।
तीनो लोग हवस मे भरे हुए थे लेकिन सबने अभी तक शराफत का नकाब लिया हुआ था।
मा - देखिये दिदी उस बात का आप अफसोस ना करिये ,,मुझे पता है आप उस समय अपने हलातो से मजबुर थी,, क्यो जी
पापा - हा दीदी ,, देखिये मुझे कोई गिला नहीं, बल्कि मै आपसे माफी मांगता हू कि मेरी वजह से ऐसा हुआ
बुआ - नही भईया उसकी जरुरत नहीं है उसमे मेरा ही स्वार्थ था
मा - लेकिन आपने किसके साथ किया था
बुआ - वो हमारे मामा के लडके लखना के साथ ,,उसी ने मेरी ...
पापा - लेकिन वही क्यू दीदी , आप अपनी तकलीफ मेरे से भी बता सकती थी
बुआ - कैसे बताती भईया उस समय आप नादानी मे कर रहे थे वो सब और आप लखन की सारी बाते मुझसे बताते थे कि वो मेरे बदन के बारे मे क्या क्या कहता है ,,,बस यही सब मुझे भा गया और मै एक दिन मामा के यहा मौका देख कर उसको मेरे नाम का मूठ करते हुए पकड लिया गोशाला में, और पहली बार मैने किसी का लिंग देखा था , उस दिन मुझे सामने पाकर लखन ने मेरे सामने प्रस्ताव रख दिया और मै काफी दिन से गर्म थी तो मना नही कर पाई और वो सब हो गया ।
पापा- कोई बात नहीं दीदी आपने जो भी किया अपनी जरुरत के लिए किया , लेकिन एक बात मुझे समझ नही आई हम लोग साल मे एक बार ही मामा के यहा जाते थे फिर भी आपके दूध इतने बडे कैसे
बुआ - अब आपसे क्या छिपाना भैया , पहली बार करने के बाद मुझे उस चीज़ की लत लग गई और एक दिन भी गुजारना भारी होने लगा
मा - और क्या दीदी
बुआ - और मै अपने स्कूल के ही अन्ग्रेजी के मास्टर से आकर्षित हो गयी और दो साल तक उनहोंने ही ....
पापा - अच्छा तभी आप और कम्मो स्कूल के बाद भी अन्ग्रेजी वाले मास्टर जी के यहा जाते थे पढने
बुआ - हा भईया मै खुद के शरीर के आगे मजबुर थी
मा - तो क्या कम्मो भी इन सब मे शामिल थी ।
मा के इस सवाल से मै भी चौक गया और साथ मे पापा भी
पापा - क्या ये सच है दिदी
बुआ - अरे नही नही ,, कम्मो बहुत ही नियंत्रण वाली लड्की थी ,,,मै उससे एक दोस्त की तरह ही बाते शेयर करती लेकिन हमेशा से वो अपने मर्यादा मे रही है । लेकिन मेरे साथ रहने की सजा उसे भी मिली , क्योकि मेरे भरे बदन का जिक्र अक्सर मुहल्ले मे होने लगे थे ,, लोग कोई और सवाल ना उठाए इसिलिए एक अच्छा घर देख कर बाऊजी हम दोनो की शादी एक ही घर मे दो भाईयो पर करवा दी ।
पापा - तो क्या कम्मो और आप वहा खुश नही है क्या
बुआ - अरे नही भईया जो भी होता है अच्छे के लिए होता है हम दोनो के पति बहुत अच्छे है और परिवार भी अच्छा है ।
पापा - मै खुश हू दीदी आपके लिए,,लेकिन इस बात का हमेशा गिला रहेगा कि जिसने आपको जीवन का असली सुख से रुबरू करवाया उसे आपने समय आने पर भी मौका नही दिया
बुआ - मै समझी नही भैया खुल कर बताओ न
मा - अरे दीदी आपके भईया के कहने का मतलब है कि उनकी वजह से ही आपको शादी से पहले दो दो लंड से चुदने को मिल गया और आप उनही को भूल गये ।
बुआ - धत्त भाभी आप भी सीईई आह्हह क्या कररही हो मेरे दूध क्यू पी रही हो भाभी आप अह्ह्ह्ह
मै बुआ की ये बात सुन कर काफी उत्तेजित हो गया कि मेरे बगल मे करवट लेकर ब्रा और पेतिकोट मे मेरे तरफ अपनी गाड़ फैलाये लेती मेरी मा बुआ के चुचे पी रही है
पापा - क्या सच मे रागिनी कैसा है दिदी के दुध का स्वाद
मा - खुद चख लो जी आप ही
पापा - मै ,, दिदी क्या मै भी थोडा सा स्वाद ले लू
बुआ इस समय मा के द्वारा चुची चुस्वा कर मधोश हो गई थी और वो तो कबसे मचल रही थी पापा के लण्ड के लिए तो मना कैसे करती
बुआ - आह्हह हा भईया क्यो नही आप ने ही तो मुझे जीवन के मज़े से जुड़ने की राह दिखाई थी ,,, देखो कैसा है मेरे दूध का स्वाद
फिर पापा भी बुआ के दुसरे चुचे को टीशर्ट से निकाल कर हाथो मे भर कर चूसने लगे ।
बुआ के दोनो चुचे उन्के अपने सगे भईया और भाभी मिल कर चुस रहे थे और बुआ दोनो के सर सहलाते हुए आहे भररही थी ।
हल्की चाद्नी रात मे मुझे मा की पीठ ही दिख रही थी बाकी सारी कहानी बुआ की सिसकियाँ और तीनो की बाते बया कर रही थी । इस सेक्सी रोमाच मे मेरा लण्ड पिस रहा था ,,,ना मै उसे बाहर निकाल कर शांत कर सकता था ना ही उत्तेजना से भरे इस माहौल से कही दूर जाने का मन था ।
उधर बुआ मदहोसी मे लगातार आहे भरते हुए अपनी भावनाये खोल कर पापा मम्मी से सामने रखने लगी थी ।
बुआ - अह्ह्ह्ह भैया उम्म्ंम भाभी अह्ह्ह्ह आह्हह उफ्फ्फ्फ हम्म्मं बहुत मज़ा आ रहा है भैया आह्हह ऐसे ही चुसो मेरे दूध आह्हह उम्म्ंम्ं हा भाभी ऐसे ही चाटो आह्हह उम्म्ंम
मा - लग रहा है इन चार दिनों मे दीदी आप बहुत ज्यादा गरम हो गयी है
बुआ - हा भाभी मै तो यहा तरस गयी हू लण्ड के लिए आह्हह भईया आह्हह आराम से आह्हह
मा - तो बोलो ना अपने भैया को कि आपकी प्यास बुझाने के लिए
बुआ - नहीईईई येहहह क्याह्हह कह रहीई होओओओ भाभी आह्हह उम्म्ंम मै कैसे
पापा - मै तैयार हू दीदी अगर आप हा करो तो ,, मुझे आपकी ये तडप देखी नही जाती और मै फिर से बचपन की तरह आपको प्यासा नही छोड़ना चाहता
बुआ - लेकिन आप मेरे भाई हो मै आपके साथ कैसे
पापा - दीदी क्या मेरा ये फर्ज नही है कि मै आपको खुश रखु और बचपन मे हुई गलती सुधारने का मौका दिजिये आप प्लीज दीदी
बुआ चुप रही और धीरे धीरे उनकी दबी हुई सिसकिया वापस आने लगी क्योकि पापा बुआ की जांघो मे अपना सर घुसा चुके थे और मा अपना ब्रा निकाल कर अपना एक चूचा बुआ के मुह मे भर कर उनकी चुचे को सहला रही थी । मा के सोने के पोजिसन बदलने से उनकी भारी मोटी गाड़ मेरे और करीब आ गई सबको बिज़ी देख कर मैने गरदन को थोडा उपर करके देखा तो निचे पापा बुआ की चुत लपाल्प चाटे जा रहे थे ।
इसी बीच मैने भी लोवर मे से लण्ड को थोडा सा बाहर करके उसे आराम दिया और वापस अंदर डाल लिया क्योकि मै इस थ्रीसम मे कोई बाधा नही बनना चाहता था बल्कि सही मौके के इंतजार मे था ।
एक तरफ पापा बुआ की गान्द से लेकर उनकी पानीयायि चुत को चाट रहे थे जिस्से बुआ मा के निप्प्ल को और तेज चुस रही थी
मा - अह्ह्ह्ह दीदी आराम से चुसो ना बदला ले रही हो क्या
बुआ मा की चुची को निकाल कर - नही भाभी वो आह्हह उम्म्ंम्म्ं भईया निचेअह्ह्ह्ह उम्म्ंम आह्हह भैया खा जाओगे क्या आप आह्हह आह्हह ऐसे ही चातो और्हाह आह्हह आह्हह उम्म्ं उफ्फ्फ्फ भईया आप पागल कर अह्ह्ह्ह आह्हह
बुआ तेज़ी से गाड़ पटकने लगी शायद वो पापा के मुह पर ही झड़ रही थी । थोडी ही देर मे बुआ की भारी आहे मादक सिसकियो मे बदल गयी और पापा उठ कर खड़े हो गए,,,
फिर पापा ने अपना कच्छा निकाल दिया और चान्द्नी रात मे उन्का लन्द झुल्ने ल्गा ,,, और वो थोडा चल बुआ के चेहरे के उपर और मा के चेहरे के सामने खड़े हो गये ।
मा ने देरी ना करते हुए पापा का लण्ड मुह मे लेकर चूसना शुरू कर दिया और बुआ निचे से लेटे लेटे ही पापा के झूलते आड़ो को देख कर अपनी चुचिया मिजने लगी।
मै इस बेहद कामुक दृश्य को देख कर उत्तेजित होकर बस अपने लण्ड को सजा ए दर्द दिये जा रहा था ।
उधर बुआ को खड़े लण्ड को मा के मुह अंदर बाहर होते देख वो एक हाथ उपर करके पापा के झूलते आड़ो को सहलाने लगी और दुसरे हाथ से वापस चुची को मिज रही थी ।
पापा - आह्हह दीदी आजाओ ना आप भी उम्म्ं आह्हह रागिनी के साथ
मा - हा दिदी उठो ना आप भी लो अपने भईया का लण्ड
फिर पापा ने खुद घूतने के बल आ कर बुआ का काम आसान करते हुए अपना लण्ड उनके होटों पर रगडने लगे ,,, बुआ ने भी जीभ निकाल कर पापा के लण्ड को गिला करना शुरू कर दिया और थोडा सा खुद को करवट लेकर लण्ड को मुह मे भर लिया । पापा ने बुआ के सर को थामा और खुद ही उत्तेजीत होकर बुआ के मुह मे पेलने लगे ।
मा - हा दीदी लेलो अपने भैया का लन्ड़,,, देखो जी कैसे रन्डी की तरह आपकी दीदी लण्ड की भुखी लग रही है
पापा - आखिर मेरी वजह से ही तो दीदी रन्डी बनी ,,क्यू दीदी
बुआ ने लण्ड निकाल कर - हा भईया आपकी वजह से ही तो मैने लण्ड का मज़ा ले पाई और आज आपकी रन्डी दीदी बन गई हू ,,,,
पापा - सच मे दीदी मै हमेशा से आपको भोगना चाहता था एक रन्डी की तरह लगता था मुझे आपका जिस्म
और पापा ने बुआ के चुचे मसल दिये
बुआ - आह्हह भैया तो भोग लो अपनी दीदी को रन्डी समझ कर ,,, मै तो लंड की प्यासी हू भईया चोद दो मुझे अह्ह्ह्ह मत तडपाओ
मा - हा जी अब मुझे भी दीदी की तडप नही देखी जाती बना लो अपनी दीदी को अपनी रन्डी और चोद दो
मै उन तीनो के चुदाई और गाली गलोज की बातो से बहुत ही उतेजीत हुए जा रहा था । सोच रहा था कैसे आखिर मै मेरे लण्ड को शांत करू ,,, अगर उन लोगो की तरफ पीठ करू तो कोई नजारा नही देख पाऊन्गा । ऐसे मुझे एक विचार आया क्यू ना मा को अह्सास दिलाऊ की मै भी जाग रहा हू और मुझे भी उनकी जरुरत है ,, वो कुछ ना कुछ जुगाड जरुर करेगी ।
मै इसी प्लानिंग मे था की अचानक से बुआ की तेज कामुक अह्हे सुनाई देने लगती है । मैने नजर घुमायि तो पापा बुआ के उपर चढ़ कर घपाघप बुआ की चुत में पेले जा रहे थे और मा बगल मे लेटे पापा के कमर और पीठ पर सहलाए जा रही थी ।
बुआ - आह्हह भईया अह्ह्ह्ह उम्म्ंम्ं और चोदो और चोदो अपनी बहन को ,,, रन्डी बना लो भैया अपनी अह्ह्ह्ह ऐसे ही हा हा जा ऐसे ही चोदो अह्ह्ह्ज मज़ा आ रहा है भैया अह्ह्ज बहुतहहहह अह्ह्ह्ह भैयाआआआहहह
पापा - ले ना मेरी चुद्क्क्ड दीदी आह्हह और ले तू तो पहले से ही रन्डी है मेरी जान हहहह अह्ह्ह्ह और ले ये ले और ले ,,येईह्ह्ह्ह येह्ज्ज्ज हम्म्म्म्म्ं ले साली रन्डी ,,मै तो हमेशा से जानता था कि मेरी दिदी ने बहुत लण्ड खाये है लेकिन तू बड़ी थी तो कुछ बोला नही,,, लेकिन अब ,
बुआ - अब क्या भैया आह्हह आह्हह
पापा - अब तो तेरे भोस्दे और गाड़ का कचूमर निकाल कर ही जाने दूँगा तुझे सालि कुतीया ,,, एक न की चुद्क्क्ड है तू मेरी रान्ड बहन और किस किस के लण्ड लिये है तुने बता ना मेरी जान आह्हह
बुआ - अह्ह्ह्ह भैया और चोदो और चोदो फाड दो आज सब कुछ रहम मत करो आह्हह
पापा - सब फादुगा मेरी रान्ड बता ना ससुराल मे भी किसी का लण्ड लिया है क्या ,, क्योकि मेरे जीजा के बस का तो नही लग रहा है कि वो अकेले तेरे गान्ड और चूचे इतने बडे कर पाये,,,येह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह बताआअहहह नाआह्ह मेरीईई जाआन्ं आह्हह
बुआ - आह्हह नहीईईई भैयाआआआह्ह्ह मैने शादी के बाद घर के बाहर कही मुह काला नही किया कभी अह्ह्ह्ह आह्हह ऐसे ही चोदो हा ऐसे ही बहुत मज़ा आ रहा आपके लण्ड से आह्हह उम्म्ंम्ं आह्हह बहुत ही मज़ा है आह्हह ,,,
पापा - लेलो दीदी अपने भैया का लण्ड अह्हे ये लो ये लो
इधर पापा और बुआ चूदाई मे लगे थे तो मा उन्के देख्ते हुए अपने चुचे मसले जा रही थी ,,,मैने भी मा को तडपते देखा और मौके का फायदा उठाकर जल्दी से लोवर को निचे कर लण्ड को बाहर निकाल लिया और मा की गान्द से चिपक गया ।
मा को पहले लगा कि मै शायद निद मे हू तो पहले ध्यान नही दी फिर जब मैने उनकी गाड़ मे लंड को चुबोना शुरू किया तब वो समझ गई और हाथ पीछे लेजाकर मेरे खड़े लण्ड को थामा और मुझे थोडा सा पीछे कर सीधे लेट गई,,, अभी भी मेरा उनके हाथ मे ही था ,,,मुझे मा का स्पर्श मिलते ही लण्ड मे और जोश आने लगा मेरा लण्ड मा की मुथ्थी मे और कसने लगा जिससे मा थोडी परेशान होने लगी और वो एक नजर बुआ और पापा पर मारा और फिर मेरे तरफ गर्द्न किया तो मै मुस्कुरा रहा था ।
चुकि पापा और बुआ दोनो फुल मोड मे होर्नी होकर चुदाई मे मस्त थे तो
मा बहुत ही धीमी आवाज मे मुझ्से बोली - तू कबसे जाग रहा है
मै - मै सोया ही कब था
मा - तो सो जा अभी कुछ नही हो सकता
मै - मा प्लीज बहुत दर्द हो रहा है इसमे ,,,ये बोल कर मैने लण्ड को हल्का सा मा की मुथ्थी मे धक्का लगा दिया
मा ने वापस एक नजर पापा बुआ को देखा और बोली - अच्छा रुक बताती हू । तू इसको अंदर कर अभी और चुप रहना
मा ने वापस से करवत ली
मा - अरे मेरे बारे मे सोच लो मेरी जान या सारी रात अपनी रन्डी बहन को ही पेलोगे
पापा - मेरी जान आज बहुत दिनो बाद मुझे दीदी को भोगने का मौका मिला है तो आज रात तुम मुझे दीदी के साथ मज़े लेने दो ना
मा - क्या जी मै भी कल चली जाऊंगी मायके और तडप कर रह जाऊंगी ,,, मा ने नाटक करते हुए कहा
पापा - हा ये भी तो तुम ही बताओ क्या दीदी को ऐसे ही छोड दू
बुआ - नही भैया रुकना मत आज पूरी रात मुझे चोदो आप आह्हह अहज्ज्ज अह्ह्ज
पापा - लेकिन दीदी रागिनी का क्या
बुआ - बगल मे राज सोया है ना भाभी आप उसका लण्ड लेलो ना
पापा - हा जान देखो उसका भी लण्ड लोवर मे तना है लग रहा है कि मेरा बेटा सपने मे किसी हसिना को चोद रहा है ।
पापा ने टॉर्च मेरे उपर जला कर बोला
मा - क्या जी आप लोग क्या बात कर रहे हो वो मेरा बेटा है और कही जग गया तो
पापा - अरे हम लोग कबसे इत्नी तेज आवाज मे चुदाई कर रहे हैं वो नही जगा तो अभी तो वो सपने मे मज़े ले रहा है ,,, यही मौका है रागिनी लेलो राज का लन्द
मा - क्या आप मुझे भी अपनी दीदी की तरह रन्डी बनवाना चाहते हो
पापा - हा मेरी जान मै भी देखना चाहता हू कोई तुम्हे चोदे और तुम मेरे नाम की आहे भरो । पापा बुआ की चुत मे हल्के धक्के लगाते हुए बोल रहे है ।
इधर मै बहुत ही उत्तेजना से भर गया था , मन तो था कि अभी खुलकर सबके सामने आ जाऊ और चुदाई के जुड़ जाऊ । लेकिन मेरे इस फैसले से मा के बात से मुकरना पडता ,,,क्योकि मुझे पूरी उम्मीद थी कि मा ने जो कहा वो करेगी ।
बुआ - आह्हह भाभी सोचो मत लेलो आखिर कब तक तदपोगी ,,, देखो वो गहरी निद मे है ,,,और मै भईया को नही छोडने वाली
पापा बुआ की जांघो को अपने कन्धे पर रख कर लण्ड को बुआ की चुत मे रगड़कर पेलते हुए बोले - आह्हह जान कल जाने से पहले मै तुम्हे जरुर चोदन्गा ,,,, अभी मत तद्पो तुम ,,,, इससे पहले राज का लन्ड़ बैठ जाये उसे डाल लो अपनी चुत मे
ये बोल कर पापा थप थप थप थप थप थप थप थप थप थप थप थप थप करके बुआ की चुत में चोदने लगे ।
बुआ - अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह हा भईया आह्हह और तेज अज्ज्ज पूरी रात चोदो और तेज अज्ज्ज उम्म्ंम्ं आआ हा ऐसे ही अय्से ही अह्ज्ज अजज
मै मन ही मन बहुत उत्तेजित कि पापा खुद मा को मेरे लण्ड पर बैठने को बोल रहे हैं,,, और मा के नाटक से भी मै बहुत ही उत्तेजना से भर गया ।
मा - देखो मै आखिरी बार पुछ रही हू क्या मै सच मे राज के साथ
पापा - हा मेरी जान मेरी इजाजत है अब निकालो उसका लण्ड ,,बुआ की चुत की गहरायी मे लण्ड डुबोते हुए पापा बोले
मा फिर मेरे पैर के लेफ्ट की तरफ बैठ गई क्योकि राइट की तरफ पापा बुआ की चुत मे लण्ड डाले हुए चोद रहे थे ।
मै बहुत ही उत्तेजित हो गया और आने वाले रोमांच के लिए खुद को तैयार करने लगा ,,,क्योकि मेरी मा खुद पापा के कहने पर मेरे लण्ड को अपने चुत मे लेने वाली थी ।
आगे की कहानी अगले अपडेट मे । आप सभी के प्यार भरे टिप्पणियों का इंतजार रहेगा ।