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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

THE WILD NEW YEAR PARTY में किस फैमिली का गैंगबैंग चाहते है आप ?

  • राज की फैमिली

  • अमन की फैमिली

  • निशा की फैमिली

  • रज्जो की फैमिली


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DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
8,690
24,730
189
THE WILD NEW YEAR PARTY
बहुत जल्द आने वाला
:rock1:

हिलाने के लिए रेडी हो जाओ :jerker:

Gkl-S6x-FXUAA6-Wau

IF YOU WANT THIS BEFORE 2026

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वरना मुझे जब लिखना होगा मै लिखूंगा ही अपने लिए 😁
 
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rahul9852

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💥अध्याय 02 💥


UPDATE 025 ( B )

THE EROTIC SUNDAY 10

शिला के घर

ROUND 01


तीनों गदराई औरतें सोफे पर झुक कर अपनी नंगी गाड़ कैमरा के आगे हिलाती है और कैमरा रज्जो की रसीली गाड़ पर जूम होता है , उसके लचीले चूतड़ हवा में उछलते हुए बुर के फांके की झलक दे जाते , जिसे देख कर मानसिंह अपना लंड मसलने लगा था


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: वाह भाभी क्या मस्त शॉट है , शेक इट बेबी उन्ह्ह्ह सीईईई वाट ए ह्यूज ऐश बीच उम्ममम
मानसिंह कैमरे से उनकी वीडियो बनाते हुए बोला और फिर कैमरे एक जगह सेट कर लपक कर उनकी ओर गया

: ओह्ह्ह्ह मेरे राजा सीईईई ओह्ह्ह


एकदम से मानसिंह ने शिला की उछलती गाड़ पकड़ उसके बुर के फांके पर उंगली चलाई और वो मचल उठी और फिर कम्मो की गाड़ फैलाते हुए तीन चार उसकी खुली बुर के फांके में उंगली पेली और रज्जो के पास पहुंच गया

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उसके चूतड़ों को सहलाते हुए उसके गीली बुर को सहलाया तो रज्जो ने लपक कर उसका लंड पकड़ लिया और सहलाने लगी : ओह्ह्ह्ह नंदोई जी बड़ा गर्म हथियार है , जरा इधर आना तो

फिर रज्जो उसको सोफे पर लिटा कर उसका लंड पकड़ कर सहलाने लगी
: ओह्ह्ह्ह भाभी जी आराम से , ओह्ह्ह्ह सूखा है उम्मम
: अभी गिला कर देती मेरे राजा उम्ममम सीईईई उम्ममम अह्ह्ह्ह
रज्जो ने उसका सुपाड़ा गपूच लिया और चूसने लगी , मानसिंह उसका सर पकड़ सहलाने लगा
: सीईईई ओह्ह्ह यस्स बेबी उम्मम सक इट उम्मम अह्ह्ह्ह्ह यस डिप और ओह्ह्ह गॉड उम्मम फक्क

एकदम से उसकी नजर अपने बगल में गई तो शिला कम्मो के मुंह पर बैठ कर उससे अपनी बुर चटवा रही थी कम्मो अपनी जांघें फैलाए उसके आगे लेटी हुई थी : ओह्ह्ह्ह कम्मो चाट उम्मम तेरी जीभ मुझे पागल कर देती ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह दैय्या सीईई ओह्ह्ह

मौका देख कर मानसिंह कम्मो की चिकनी चूत की ओर झुक गया और उसकी गुलाबी फांकों वाली खुली हुई बुर चाटने लगता है : उम्ममम सीईईई ओह्ह्ह दीदी भइया ने मेरी बुर लेली है ओह्ह्ह्ह मैयाआ ओह्ह्ह गॉड आराम से राजा ओह्ह्ह्ह उम्ममम
: तू मत रुक , मेरी तड़प बढ़ रही है ओह्ह्ह चाट उम्मम


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दोनों बहनों की रसदार चुसाई देख कर रज्जो ने मानसिंह का लंड और गहरे मुंह में लेने लगी , उससे आड़ सहलाती हुई चाटने लगी , जिससे मानसिंह का लंड पूरी तरह अकड़ गया और तैयार हो गया था , उसने कम्मो की बुर छोड़ दी और कम्मो मचल उठी : ओह्ह्ह् क्या हुआ चाटो न

: रुक मेरी जान ये है , ये चाटेगी, चाट मेरी जान , चूस ले उसकी बुर ( मानसिंह ने रज्जो को उठा कर सोफे पर घोड़ी बना दिया और रज्जो उसकी जांघों में आकर कम्मो की रस छोड़ती फांकों को चुभलाने लगी )
वही पीछे से मानसिंह ने अपना गिला लंड रज्जो की बुर में उतार दिया गहरे : हाय दैय्या सीईई ओह्ह्ह कितना अंदर डालोगे नंदोई जी ओह्ह्ह , लंड है या बास उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह


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रज्जो से अपनी तारीफ सुनकर मानसिंह का जोश बढ़ गया और वो हुमुच कर रज्जो की चर्बीदार चूतड़ों को पकड़ कर हच्च हच्च पेलने लगा : ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह ऐसे ही उम्मम रुकना मत नहीं तो
: अगर रुके तो इनकी बहनिया मै पेलूंगी भाभी ( शिला कम्मो के मुंह पर अपनी चूत रगड़ते हुए बोली )
: ओह्ह्ह भाभी अपनी जुबान सही जगह चलाओ न ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् मीईईईई ओह मम्मीईईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम और और उम्ममम
कमरे चीखे पूरे तेज से उठ रही थी किसी को कोई डर नहीं ,
मानसिंह रज्जो की गाड़ पकड़े ताबड़तोड़ पेले जा रहा था और उसके जीभ से कम्मो की बुर कुलबुला रही थी : मुझे भी दो न, मुझे भी लंड चाहिए ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् मीईईईई ओह मम्मीईईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह यस्स

मानसिंह ने रज्जो के चूतड़ थपथपा कर साइड किया और खुद सोफे के बीच में आकर कम्मो को अपनी ओर खींच लिया : आजा मेरी जान तुझे लंड की सवारी कराता हूं ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह यस्स बेबी उम्मम फक्क ओह्ह्ह


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कम्मो ने लंड की ग्रिप पकड़ कर तेजी से अपनी गाड़ उसके लंड पर पटकने लगी और पूरा लंड अपनी बुर की गहराई में ले जाने लगी उसके साथ रज्जो और शिला भी अपने चूतड़ हवा में उछाल रहे थे कैमरे के आगे
उस नजारे में तीनों चूतड़ एक साथ ऊपर नीचे हो रहे थे और मानसिंह ने नीचे से पेलने शुरू कर दिया

: सीईईई ओह्ह्ह यस्स बेबी फक्क मीईई ओह्ह्ह्ह यशस्स ओह्ह्ह्ह मम्मीईइई सीईईई
कम्मो की चीखे तेज ही गई और रज्जो ने अपने पंजे उसके उछलते चूतड़ों पर रख दिए , और पीछे से उसकी गाड़ कुरेदने लगी, शिला ने नहीं दूसरी ओर मानसिंह के आड टटोलने लगी
जिससे मानसिंह का लंड और फौलादी होने लगा और रज्जो ने कम्मो की गाड़ में उंगली पेल दी थी


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,कम्मो की बुर का छल्ला खुद टाइट ही गया और वो तेजी से झड़ने लगी : उन्ह्ह्ह ममाआ ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यस भाभी ओह्ह्ह आ रहा है आ रहा है रुको मत डालो पेलो फक्क मीईई ओह्ह्ह्ह यशस्स ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
कम्मो खुद से मानसिंह के लंड पर मथने लगी और उसके जांघें थरथरा रहे थे जब वो झड़ रही थी , और फिर सुस्त होने लगी तो शिला ने उसे खींच लिया और दोनों तरफ पैर फेक कर सामने से मानसिंह के लंड को बिना आराम दिए अपनी बुर में भर लिया और उछलने लगी


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: अह्ह्ह्ह सीईईईईई मेरे राजा कितना मोटा कर रखा है आज तो ओह्ह्ह्ह पूरा डालो न उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह ( शिला ने उसके आड़ सहलाते हुए लंड को पूरा बुर में लेने लगी )
शिला की मादक सिसकिया सुन कम्मो और रज्जो ने दोनों तरफ से उसकी जांघों और सीने को सहलाना शुरू कर दिया दोनो उसकी उछलती चूचियों को पकड़ कर सहलाते हुए जांघें पकड़ कर फैलाने लगी जिससे उसकी बुर और कसने लगी लंड पर

: ओह्ह्ह्ह भाभीईई ओह्ह्ह क्या कर रही उम्मम कम्मो ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह फक्क्क् मीईईईई यश मेरे राजा और तेज ओह्ह्ह डालो और और कस के ओह
इधर मानसिंह ने नीचे से अपनी कमर उठानी शुरू आकर दी और कम्मो ने शिला की एक चुची मुंह में लेकर चूसने लगी
रज्जो की उंगलियां सरकते हुए शिला के फांकों पर आ गई और उसके दाने को छेड़ने लगी : ओह्ह्ह्ह भाभीईई नहीं ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह


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अपने बुर के दाने पर रज्जो की उंगली पाते ही शिला अकड़ने लगी और कम्मो उसके चूचों को पकड़ मुंह ने भरने लगी तो रज्जो ने भी दूसरी चुची मुंह में ले ली और तेजी से उसकी बुर सहलाने लगी
वही नीचे से मानसिंह पूरी ताकत से उसको पेले जा रहा था
: ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह मेरे राजा ओह्ह्ह्ह भाभीईई ओह्ह्ह आयेगा मेरा भी
ये सुनते ही रज्जो ने नीचे से एक उंगली बुर में पेल दी और अब शिला के बुर में लंड के साथ साथ एक उंगली भी अंदर बाहर हो रही थी और देखते ही देखते शिला के कमरे झटके खाने लगे और झड़ने लगी : उन्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह आ रहा है पेलो मेरे राजा उम्मम पेलो और और उम्ममम सीईईई ओह्ह्ह

इधर रज्जो की उंगली का असर मानसिंह के लंड पर भी होने लगा था , शिला की बुर एकदम कस चुकी थी और पिछले 30 मिनट से वो ताबड़तोड़ पेले ही जा रहा था और वो भी चिंघाड़ने लगा : ओह्ह्ह्ह मेरी रंडियों ओह्ह्ह आयेगा मेरा भी जल्दी पोजिशन लो सीईईई ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह
इतना कहने की देरी थी रज्जो फिर शिला और उसके ऊपर कम्मो अब एक दूसरे के ऊपर चढ़ कर अपने चूतड़ कैमरे की ओर करके हिलाने लगे


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और मानसिंह ने अपना लंड निकाल कर हिलाते हुए बारी बारी से तीनों के चूतड़ पर झड़ने लगा : सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई मजा आ गया ओह्ह्ह् मेरी रंडियों उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह आज तुम तीनों के गाड़ को नहला दूंगा लो सीईईई ओह्ह्ह्ह
आखिर तक मानसिंह अपना लंड झाड़ता रहा और

फिर उसने उसी पोजीशन में अपने वीडियो थंबनेल के एक फोटो निकाली


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जिसमें से तीनों की बुर से रस टपक रहे थे और उनके चूतड़ों से मानसिंह का वीर्य रिस रहा था ।


चमनपुरा

रागिनी ने किचन से काम निपटाया और इस दौरान उसने नोटिस किया कि कैसे अनुज बार बार बिस्तर पर बैठे हुए हुए कमरे से झांक कर उसके आने की राह देख रहा था
रागिनी मुस्कुरा कर हाथ पोंछते हुए कमरे में आई और अनुज एकदम से किताबें देखने लगा
अनुज ने देखा कि उसकी मां अपनी साड़ी उतार रही थी और पेटीकोट में उसके चौड़े कूल्हे देख कर अनुज का दिल मचलने लगा ।
चोर नजरो से वो अपनी मां को देखने लगा और फिर रागिनी ने कमरे का दरवाजा बंद कर उसके पास आकर पेट के बल होकर होकर लेट गई और उसके रखे हुए नोट बुक देखने लगी
ऐसा करने से सामने से अनुज को अपनी मां की गोरी चूचियों की चिपकी हुई लंबी घाटी दिखने लगी


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: आज पढ़ने में मन नहीं है न क्यों ( रागिनी ने होठ सिकोड़ कर मुस्कुराते हुए अनुज को देखा और अनुज लजा कर मुंह छिपाने लगा )
: बदमाश कही का , देख रही हूं कबसे तांक झांक कर रहा है । जैसे मै आऊंगी नहीं क्या ?
अनुज थोड़ा शांत होकर मुस्कुरा रहा था
फिर रागिनी उसकी किताबें बंद करती हुई उन्हें उठा कर साइड करती हुई : हटा ये सब और चल सो जा जब नहीं पढ़ना है तब

रागिनी ने थोड़ा झूठ मूठ की डांट लगाई उसे और अनुज का मुंह बन गया सोने के नाम पर
उसे तो कितनी सारी बातें करनी थी और कबसे उसका लंड लोवर में पंप हो रहा था ।

: मम्मीइई ( मुंह बना कर रागिनी से बोला वो )
: बत्ती बंद कर के आजा , मै तो चली बिस्तर में हीहीही ( रागिनी कम्बल खोलती हुई बिस्तर में आ गई )
अनुज उतरे हुए मन से बत्ती बुझा कर बिस्तर में आ गया
कमरे में घुप्प अंधेरा था और नाइट बल्ब भी बंद थी , अनुज किसी तरह टटोलते हुए रागिनी की ओर से बिस्तर पर चढ़ने लगा

: अरे पागल ऊपर चढ़ेगा क्या हीहीही
अनुज उसकी खिलखिलाहट सुन कर खुश हो गया और उसके ऊपर से फांद कर बिस्तर के दूसरी ओर चला गया और खिखियाते हुए रागिनी के कम्बल में घुस गया
: अरे चिपक क्यों रहा है , दूर सो न तेरे पैर ठंडे है ( रागिनी ने उसे छेड़ा और अनुज को कल रात वाली रागिनी की मस्ती याद आई और वो वही नाटक दोहराने लगा )
: क्यों , आपने कल बोला था न रोज मुझसे चिपक कर सोओगे ( ये बोलकर अनुज ने अपना हाथ फेक कर उसके नरम चर्बीदार पेट को पकड़ कर एकदम से उससे सट गया बिनाये सोचे कि उसका लंड खूंटे जैसा नुकीला होकर उसकी मां के जांघ पर कोचना शुरू कर देगा , लेकिन रागिनी ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी )
: हट बदमाश छोड़ मुझे , अह्ह्ह्ह सोनल के पापा बचाओ मुझे
: हीही हाहाहा कोई नहीं आएगा
अनुज ने अपनी मम्मी को गुदगुदाना शुरू किया और वो एकदम से उससे लिपट गई । जैसे ही रागिनी की बिना ब्रा वाली चूचियां ब्लाउज के ऊपर से उसके सीने पर धंसी अनुज एकदम से सिहर उठा और रागिनी उसकी ओर करवट लेकर हो गई थी , अनुज का हाथ सरक कर रागिनी के कूल्हे पर आ गया था जिसकी नरमी अनुज पेटीकोट के ऊपर से महसूस कर रहा था

अनुज एकदम से शांत हो गया उसका लंड लोवर में पूरा टाइट था और बड़ा सा नुकीला तंबू बन गया था , उसने अपने चूतड़ पीछे कर लिए ताकि उसकी मां के जांघ या पेट के पास कही चुभ न जाए ।
रागिनी उसकी चुप्पी को समझ नहीं पाई : क्या हुआ ?
: कुछ भी तो नहीं ( अनुज सीधा लेट गया ना चाहते हुए भी उसने अपनी मां के गुदाज चर्बीदार चूतड़ों पर से हाथ पीछे कर लिए )
अनुज के देह में हरकत होते ही रागिनी उसके पास सरक आई और अनुज के पेट पर छूने लगी एकदम से अनुज खिलखिलाने लगा उसे गुदगुदी हो रही थी जैसे जैसे रागिनी उसकी टीशर्ट में हाथ घुसा रही थी

: हीहीही मम्मी निकालो न गुदगुदी हो रही है
: क्यों निकालू, तूने भी किया था न
: अच्छा सॉरी न , हीही हाहाहा
: बड़ा आया मुझसे जितने वाला ( रागिनी ने उसे चिढ़ाया )
: मम्मी
: हा !!
: आपने बताया नहीं ?
एकदम से रागिनी की धड़कने तेज हो गई , कमरे में एक चुप्पी सी बढ़ने लगी और दोनों सांसे गर्माने लगी थी । लेकिन रागिनी के लिए मसला ये था कि अनुज किस बारे में सवाल कर रहा था ? रागिनी ने तो उसे दो बार टाल दिया था और रागिनी समझ रही थी कि उसे जवाब देना ही पड़ेगा ।

: क्या नहीं बताया ?
: वही कि आप वो वाली ड्रेस क्यों नहीं पहनते ? जो वीडियो के दिखा था
( हिम्मत कर अनुज ने अपना पहला सवाल दागा )
रागिनी चुप थी
: आपने बोला था कि आप बाद में बताओगे , बोलो न प्लीज
रागिनी ने अनुज को उसके हिसाब से समझाना सही समझा और बात घुमाती हुई: जितना तू तेरे पापा के बारे में जानता है , तुझे क्या लगता है कि उन्होंने मुझे वो वाले कपड़े पहनने को नहीं कहा होगा

: उम्मम हो भी सकता है , पापा तो बहुत रोमांटिक है न ( अनुज ने अनुमान लगाया )
: हीहीही वो ऐसी चीजों के बड़े शौकीन भी है , हे भगवान ना जाने कहा कहा से उनको मिल जाती है
: तो क्या आपके पास है ?
रागिनी एकदम से चुप हो गई और मुस्कुरा रही थी
: हम्म्म क्यों ?
: फिर आप पहनते क्यों नहीं ?
: तू पागल है , अब क्या वो पहन कर घर में घूमूं
: क्यों उसमें क्या है ? ( अनुज बस अपनी मां की लिमिट परख रहा है )
: तू पागल है क्या
अनुज : मम्मी बताओ न
रागिनी हंसती हुई : अरे पागल उसमें पूरा बदन झलकता है और घर में कैसे पहन कर रहूंगी
अनुज : क्यों ?
रागिनी : अरे मान ले तू छोटा है तेरे सामने रह लूंगी लेकिन राज , वो तो बड़ा हो गया है न
रागिनी की बातें सुनकर अनुज अपने मन में ख्याली पुलाव बनाने लगा और लंड में हरकत होने लगी ।
रागिनी : वो क्या सोचेगा मेरे बारे में
अनुज : यही कि आप मॉर्डन हो
रागिनी : ओहो तू बड़ा भोला है अभी इनसब के लिए, जब तेरी बीवी आएगी तब पता चलेगा
अनुज : ऐसा क्या पता चलेगा जब अभी नहीं पता है मुझे
रागिनी : देख जब तू राज जितना बड़ा हो जाएगा और तेरी शादी की उम्र हो जाएगी तब तुझे सब समझ आने लगेगा
अनुज : जैसे पापा फ़िल करते है वैसा ?
रागिनी : हा
अनुज : तो क्या भैया अगर आपको देखेगा उस नाइटी में तो उसको भी पापा जैसा फिल होगा
रागिनी एकदम से सन्न हो गई उम्मीद से विपरीत सवाल करेगा : क्या मतलब?
अनुज : अगर राज भैया आपको उस नाइटी में देखेगा तो क्या ..
रागिनी उसको टोकती हुई : हा हा समझ गई
रागिनी थोड़ा सोचने लगी
अनुज : बताओ न मम्मी, क्या ऐसा हो सकता है
रागिनी : अब पता नहीं , मै क्या जानू उसके मन में क्या चल रहा है ।
अनुज : तो पता करें ?
रागिनी चौकी : पता करें मतलब ?
अनुज : आप वो नाइटी पहन कर भैया के सामने आना तो देखते है वो क्या रिएक्ट करता है
रागिनी हंसते हुए : तू पागल है , अकल है या नहीं तेरे में
अनुज : आप ट्राई करो न एक बार , अगर भैया को दिक्कत नहीं हुई तो आप घर में आराम से पहन कर रह सकोगे न
रागिनी अनुज के तर्क पर मुस्कुराने लगी और सोचा अगर इसकी बात नहीं मानी तो ये ऐसे ही सवाल जवाब करता रहेगा और अंत में करवाएगा अपनी मन की ही है ।
रागिनी : अरे तू नहीं समझता , वो ड्रेस ऐसे नहीं अच्छी लगती , उसके लिए मुझे हेयर रिमूव करना पड़ेगा
अनुज : तो कर लो ?
रागिनी : तू नहीं मानेगा ,
अनुज : हीहिही, अच्छा सुनो न ?
रागिनी : अब क्या है बोल
अनुज : वो , हेयर रिमूव से याद आया पापा वाली बात तो आपने नहीं बताई न
रागिनी : अब क्या बताऊं उसमें ?
अनुज थोड़ा रुक कर : यही कि पापा आपको वहां किस करते है क्या नीचे ?
रागिनी चुप रही , उसको हंसी आ रही थी कि क्या ही बोले अब छिपाने जैसा अनुज के सामने कुछ रहा भी नहीं

रागिनी : हम्म्म
अनुज : और पीछे भी ?
रागिनी : हा भई करते है , ऊपर नीचे आगे पीछे हर जगह , जहा नहीं करना चाहिए वहां भी , हो गया तेरा , कर ली जासूसी , जान गया सब
अनुज का हलक सूखने लगा और और वो कम्बल के हल्का सा लंड मसल कर : आपको पसंद है ?
रागिनी ने इस बार माथा पकड़ लिया : तुझे क्यों जानना है , कि मुझे क्या पसंद है या नहीं

अनुज : अरे बताओ न, पापा आपको जबरजस्ती किस नहीं न करते ?
रागिनी : हीहीही पागल , हा पसंद है
अनुज का लंड ये सोच और अकड़ गया कि उसकी मां को अपनी बुर चटवाने में मजा आता है ।

रागिनी : और कुछ
अनुज : नहीं
रागिनी : तो मै सो जाऊं
अनुज : हम्म्म ठीक है
रागिनी हसने लगी
अनुज : आप कल पहनोगे न ?
रागिनी : हा बाबा पहन लूंगी , भले मुझे सर्दी लग जाए लेकिन पहन लूंगी ।
अनुज : अरे नहीं बस भैया एक बार देख ले, उसके बाद आप चेंज कर लेना
रागिनी हस कर : नहीं नहीं मै तो वैसे दुकान भी जाऊंगी
अनुज : भक्क नहीं , कैसा लगेगा ? सब कोई देखेगा आपको
रागिनी हसने लगी और अनुज को अपनी ओर खींच लिया : चल बहुत हो गई बात चीत अब सो जा
अनुज भी खुश था अपनी नई कल्पनाओं में खो कर
आने वाली सुबह कुछ नए किस्से गढ़ने वाली थी ।
वही रागिनी ने भी कुछ अपने सपने सजोने लगी थी या यूं कहो कि कहानी गढ़ने लगी ।


शिला के घर

ROUND 02


झड़ने के बाद शीला अपने मेहनत की मलाई चाट रही थी जो मानसिंह के लंड पर लगी थी और उसकी लपलपाते जीभ ने मानसिंह के सुस्त पड़ती लंड की नसों में जान ला दी और मानसिंह ने उसका चेहरा पकड़ कर उसके मुंह में पेलना शुरू कर दिया : ओह्ह्ह्ह ले मेरी जान पूरा ले उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह

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रज्जो जो मानसिंह के पास बैठी हुई वो अपनी रसीली छातियां मिज रही थी और तभी कम्मो के पीछे से रामसिंह अपना लंड मसलता हुआ कमरे में दाखिल हुआ

रज्जो : ओहो छोटे नंदोई जी ,मुझे लगा कि आप सुबह ही उठेंगे हाहाहाहाहा
रामसिंह : सुबह तक आपको इंतजार करवाना सही नहीं लगा , ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह बेबी आराम से ओह्ह्ह्ह पहले ही इसको निचोड़ चुकी हो
रज्जो कम्मो को रामसिंह का लंड लंड चूसता देख खड़ी होकर मानसिंह के चूतड़ सहलाती हुई उसके आड़ छूकर रामसिंह को चिटकाया: ये याद है नंदोई जी उम्मम


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रामसिंह ने मानसिंह की स्थिति देख कर अपने ऊपर बीते वो कामुकता के पल याद करता हुआ सिहर उठा और कम्मो के मुंह में लंड पेलने लगा : ओह्ह्ह्ह भाभी कैसे भूल सकता हूं , शिला भाभी ने ऐसा चूसा था कि ओह्ह्ह्ह मेरी जान आराम से

रज्जो : अरे हटो न दीदी , सारा रस निचोड़ लोगी क्या जरा मुझे भी दो सीई उम्ममम अह्ह्ह्ह दैय्या कितना टाइट है ओह्ह्ह्ह
रज्जो ने शिला को धकेल कर मानसिंह के लंड को मुंह में लेकर बैठ गई और शिला सरक कर रामसिंह की ओर चली गई और रामसिंह उसकी नंगी चूचियां पकड़ पर पीने लगा : उफ्फ भाभी आपके दूध उम्मम कितनी भी निचोड़ो बड़ा रस होता है इनके उम्ममम

: अह्ह्ह्ह पी लो देवर जी ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह


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वही दूसरी तरफ रज्जो के साथ साथ कम्मो भी मानसिंह का लंड छूने लगी, लेकिन मानसिंह का लंड मुंह में ना आता देख उसने रज्जो की चूचियां मुंह में ले ली और निप्पल काटने लगी : सीईईई ओह्ह्ह साली काट क्यों रही ही ओह्ह्ह्ह गॉड आराम से नंदोई जी

रज्जो ने तो कम्मो को रोकना चाहा लेकिन मानसिंह भी झुक कर रज्जो की रसीली छातियां पकड़ कर पीने कहा और वही दूसरी ओर रामसिंह ने अपना लंड शिला के आगे परोस दिया था


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: ओह्ह्ह भाभी उम्ममम चूसो ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह आपका ये अंदाज उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू बिच ओह्ह्ह्ह कितनी रसभरी जीभ है तेरी ओह्ह्ह साली कुतिया ले चूस उम्मम्म और ले
रामसिंह अपना लंड उसके मुंह कर मारते हुए उसके बाल पकड़ कर वापस उसके मुंह में लंड पेलने लगा

: ओह्ह्ह साली रंडी ओह्ह्ह खा जाएगी क्या ओह्ह्ह , नंदोई जी जरा डालना तो उसकी गाड़ में अपना बास रज्जो ने कम्मो को खींच कर सोफे पर चढ़ा दिया और मानसिंह अपना गिला सुपाड़ा सीधा कम्मो के गाड़ के सुराख पर लगाता हुआ उतार दिया : ओह्ह्ह्ह भाई साहब ओह्ह्ह्ह कितना मोटा है ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह दैय्या सीईई



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कम्मो की कामुक तेज सिसकियों से रामसिंह का लंड अकड़ रहा था और वो शिला को खींच सोफे पर सुला दिया और लंड सीधा उसकी जांघें फैला कर चूत में उतारते हुए ओर जोश में पेलने लगा

ओह्ह्ह्ह देवर जी उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह फक्क ओह्ह्ह यस्स अह्ह्ह्ह्ह और और उम्मम
इधर रज्जो की बुर दोनों भाइयों को एकदम दूसरे की बीवी बदल कर चोदते देख कुलबुलाने लगी , वो सोफे पर चढ़ कर अपनी बुर सहला रही थी और सिसक रही थी
मानसिंह तेजी से कम्मो की गाड़ चोद रहा था और कम्मो अपनी बहन को अपने पास सिसकियां खाता देख उसे दुलारती हुई उसकी ओर झुक गई और उसके लिप्स चूसने लगी


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मौका देख कर मानसिंह कम्मो की गाड़ से निकल लंड लेकर रज्जो के आगे परोस दिया और रज्जो ने बिना हिचक के उसका लंड चूसने लगी :: सीई ओह मेरी रंडी भाभी ओह्ह्ह्ह सच में तुझ जैसी पक्की रंडी नहीं देखी ओह्ह्ह् और चूस मेरी जान उम्मम

इधर कम्मो शिला की ओर सरकती हुई रामसिंह के लंड को छूने लगी और रामसिंह समझ गया कि कम्मो को क्या चाहिए , उसने भी शिला की रस भरी बुर से अपना लंड निकाल कर नीचे बैठ गया सोफे पर टेक लगा कर और कम्मो उसके पैरो के आकर कैमरे के आगे अपनी गाड़ हवा में लहराती हुई उसका लंड चूसने लगी : ओह्ह्ह मेरी जान चाट ले अपनी बहन का बुर का रस ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह क्या मस्त चुस्ती है ओह्ह्ह्ह

: आप क्यों ललचा रहे देवर जी आप भी चाट लो न आओ
इतना बोलकर शिला भी उसके मुंह पर पैर फेक कर अपनी चूत रख दी


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तभी एकदम से एक करारी चीख उठी सबकी नजरे सोफे पर गई , जहा मानसिंह रज्जो को सोफे पर खड़ा कर पीछे से उसकी गाड़ में अपना बांस जैसा मोटा लंड उतार चुका था और हच्च हच्च पेल रहा था : ले साली रांड आज की रात तू ताउम्र याद रहेगी तुझे , कि कभी तुझे गाड मरवाई थी

: हा मेरे राजा फाड़ दो ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह मै ये पल कभी भी भूल सकती ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् मीईईईई
: उफ्फ साली तेरी गाड़ हर वक्त कितनी कसी रहती कितना भी चोद लो ओह्ह्ह्ह हम्ममम
: चोद चोद के इतना सूजा दोगे तो क्या होगा ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह दैय्या सीईई पेलो आयेगा मेरा उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह
रज्जो तेजी से झड़ने लगी और मानसिंह उसको छोड़ कर कम्मो के पास चला गया जो रामसिंह का लंड चूस रही थी और पीछे से उसकी लहराती गाड़ को देख कर अपने लंड को सीधा उसकी गाड़ के सुराख में उतार दिया और पेलने लगा : उफ्फ बहनचोद क्या मस्त लचीली गाड़ है तेरी साली तुम दोनों बहनों की
कम्मो की आंखे बड़ी हो गई जब एकदम से मानसिंह ने पीछे से अपना लंड उसकी गाड़ में उतार दिया : ओह्ह्ह्ह मेरे राज फाड़ दोगे क्या ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह फक्क मीईईई सीई ओह्ह्ह्ह।।
इधर कम्मो की मादक सिसकिया सुन कर रामसिंह उठ कर शिला को सोफे पर घोड़ी बना दिया और उसके गाड़ में लंड डाल दिया : ओह्ह्ह्ह देवर जी अह्ह्ह्ह सीईईईईई अब आए हो न सही जगह पर , फाड़ो ओह्ह्ह्ह रुकना मत ओह्ह्ह्ह कितना गर्म और गिला है सीई ओह्ह्ह


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वही दोनों बहनों की चुदाई देख आकर रज्जो मानसिंह के आगे फिर से अपनी गाड़ हिलाने लगी और दोनों भाई उसके हिलते चूतड़ देख कर पूरे जोश ने दोनों बहनों की गाड़ फाड़ने लगे
इधर मानसिंह फिर से चिंघाड़ने लगा : आजाओ रंडियों ओह्ह्ह आयेगा मेरा ओह्ह्ह्ह शिला आजा मेरी जान उम्मम
तीनों फिर से अपनी गाड़ हिलाने लगी सोफे पर और मानसिंह ने एक बार तीनों की गाड़ पर पिचकारी छोड़ने लगा : ओह्ह्ह्ह बहिनचोद अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह लो साली रंडियों सीई फक्क्क् यूयू बिच ओह्ह्ह्ह


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: ओह्ह्ह भैया मेरा भी आयेगा ( बगल के खड़ा रामसिंह अपना लंड हिलाने लगा और उसने भरी बारी बारी से तीनों के चूतड़ों को नहला दी
फिर दोनों भाई हांफते हुए सोफा पकड़ लिये

वही वो तीनो हसीन रंडियों के चेहरे पर सिकन तक नहीं थी , उनकी खिलखिलाहट अभी भी बरकरार थी और वो तीनो वापस उनकी ओर बढ़ रही एक और धमाकेदार राउंड के लिए


जारी रहेगी

( इस अपडेट के साथ THE EROTIC SUNDAY के सभी अपडेट खत्म हुए )
Fuck mast
 

rahul9852

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💥अध्याय : 02 💥
UPDATE 024

THE EROTIC SUNDAY 08


" अरे खुशखबरी है मेरी नन्द रानी "
" क्या सच में अमन का छोटा भाई आ रहा है क्या ? "
" मेरी उम्र कहा अब आपको दूसरा भतीजा दे दूं , हा नयकी भौजाई से मांग लो हाहाहाहाहा " , ममता ने किचन में फोन पर संगीता से बात करते हुए मंजू को छेड़ा जो उसके साथ काम में लगी थी
: नयकी भौजाई मतलब ?
: अरे मतलब मुझे मेरी देवरानी मिल गई और अगले हफ्ते शादी भी है
: क्या सच में ? कौन है ? ( फोन पर संगीता एकदम से खुश हो गई )
: अरे वही पुराना माल वापस मिल गया है हाहाहाहाहा

ममता ने मंजू को छेड़ा और संगीता से बात कर रही थी
वही मुरारी अभी अभी बाहर से आ रहा था और हाल में बैठ हुए मदन को देख कर
: मदन जरा कमरे में आओ
: जी भैया
मुरारी उसे बोलकर अपने कमरे में चला गया और मदन थोड़ा असहज था , एक तो शादी और फिर आज दुपहर को कुछ हुआ था उसे लेकर

मदन कमरे में आया तो देखा मुरासुर सोफे पर बैठा हुआ डायरी खोलकर कुछ हिसाब लगा रहा था
: जी भइया
: अरे आओ बैठो , देखो टेंट और कैटरिंग वाले से अभी बात करके मै आ गया हूं, कल सुबह सजावट और लाइट साउंड के लिए बात हो जाएगी । अच्छा तुमने मेहमानों की लिस्ट बनाई
: अह हा भइया, ये देखिए
फिर मुरारी लिस्ट देखने लगा और मदन चुप था । एकदम से
मुरारी समझ रहा था कि मदन आज दुपहर की बात को लेकर असहज था

: तो कब तक चुप रहने का पक्का किया है ( मुरारी ने मेहमानों की लिस्ट पर पेन घुमाते हुए कहा )
: जी भैया ?
: अरे यार , मै दुपहर वाली बात कर रहा हूं
: सॉरी भैया , मुझे नहीं पता था कि आप लोग , सॉरी
: अरे यार हो गया , अब ज्वाइंट परिवार में ऐसी चीजें हो जाती है , इतना मत सोचो। देखो शादी की तैयारी करनी है और देखना तुम्हारी वजह अमन की मां को असहजता न हो
: जी भैया , ख्याल रखूंगा
: और क्या है तुम तो जान ही रहे हो कि इधर इतने दिन से मै था नहीं तो ... उसका भी मन हो गया और मेरा भी
: जी भैया ( थोड़ा शर्मा रहा था मदन )
: अरे यार तुम शर्मा क्यों रहे हो , हा , अगले हफ्ते तुम्हारी भी सुहागरात होगी हाहाहाहाहा
: क्या भैया आप भी ( मदन एकदम से शर्मिंदा हो गया और मुस्कुराने लगा )
: अरे हा , ममता बता रही थी कि आज तुम लोग थोड़े बहक गए थे उम्मम क्या ये सच है ?
मदन एकदम से चुप हो गया

मुरारी उसके कंधे पर हाथ रखता हुआ : हस कर : अरे तो क्या हो गया , इतना शरमाओ मत , मै भी मर्द हूं मेरे भी जज्बात डोल जाते है हाहाहा क्यों !!

मदन शर्मा कर मुस्कुराता हुआ : जी भैया
मुरारी : हा लेकिन अगर कुछ करना हो वो सब तो भाई ध्यान से कुंडी कड़ी लगा कर , समझे हाहाहाहाहा कही मै गलती से चला गया तो सही नहीं रहेगा न
मदन एकदम शर्म से गाढ़ हो गया : क्या भैया आप भी , शादी से पहले कैसे ?
मुरारी : अरे बेटा हमको चोदना मत सिखाओ , पकड़े गए थे उसी के साथ खेत में भूल गए हाहाहाहाहा
मदन मुस्कुराने लगा जब सालों पुरानी बात उसने खोद निकाली

कमरे का माहौल हसनुमा था कि मुरारी फिर एकदम से सीरियस होकर कहा : देखो मदन ये सब बाते ठीक है लेकिन मैने तुम्हे यहां कुछ बहुत खास बात करने के लिए बुलाया है
मदन थोड़ा शांत होकर : जी भइया कहिए
मुरारी का चेहरा अब एकदम सीरियस था और उसने नजरे उठा कर मदन की आंखों में देखते हुए : देखो अब तुम मंजू के साथ एक नए सफर पर जा रहे हो और शादी के बाद वही तुम्हारी संगिनी बन जाएगी तो ये तुम्हारी जिम्मेदारी है कि तुम उसके साथ ईमानदारी से पेश आओ
मदन : जी भइया मै समझ नहीं पा रहा हूं , साफ साफ कहिए
मुरारी थोड़ा रुक कर : हो सकता है दो दिन बाद ही संगीता आ जाए और तुम्हारा और उसका जो भी रिश्ता है मै चाहता हूं तुम उसे आगे न बढ़ाओ । यही तुम्हारे और मंजू के नए रिश्ते के लिए सही होगा
एकदम से मदन के चेहरे की हवाइयां उड़ गई और उसका माथा पसीना पसीना हो गया
मुरारी उसकी चुप्पी समझ सकता था : हा मुझे पता है और तुम्हारी हरकते ही ऐसी है कि किसी को भी भनक लग जाए , लैला मजनू जैसे इशारेबाजी चलती है तुम्हारी और कबसे चल रहा था तुम्हारा ये सब मुझे तो अमन की शादी के बात पता चली ?

मदन नजरे नीची किए हुए उसका दिल जोरो से धड़क रहा था : भइया वो शादी के दिनों में ही हुआ था , दीदी का नेचर जानते ही हो आप कितनी चंचल है वो और भोला जीजा इतने खुल कर रोमांस कर रहे थे कि मै उनकी ताकि झांक करने को बेचैन हो गया और फिर बहक गया था । लेकिन जो कुछ भी हुआ सब दीदी के पहल से हुआ था
मुरारी का लंड अकड़ रहा था : हा तुम बड़े हरिश्चंद्र हो तुम्हारा खूंटा खड़ा नहीं हुआ होगा ? देखो बात जो भी रही हो आगे से ये सब हरकते नहीं होनी चाहिए और अगर संगीता की तरफ से पहल हो तो मुझे बताओगे , मै उससे बात करूंगा ।

मदन : जी भइया
मुरारी : हम्ममम ठीक है अब जाओ


शिला के घर

: यार भाभी इन मर्दों ने तो हमसे हमारी आजादी छीन ली है ( शिला ने रज्जो को हाल में बैठे हुए रामसिंह और मानसिंह को देखते हुए कहा )
दोनों भाई आज रात के जबर्दस्त गैंगबैंग की योजना का सोच कर अपना लंड मसल रहे थे पेंट में
: हीहीही लग रहा है भाभी आपने अच्छे से निचोड़ा नहीं इनको , देखो तो कैसे धार बढ़ा रहे ( कम्मो ने खिल कर रज्जो के कंधे पर ठोकर मारते हुए कहा )
: अरे तुम दोनों के मर्द तो जंगली सांड है , एक बार चढ़ जाए तो उतरते नहीं जल्दी
: हीहीही दीदी लग रहा है भाभी को अपनी ट्रिक बतानी पड़ेगी
: हा कम्मो सच कह रही है , रज्जो रानी बड़ी भोली है इन्हें जंगली सांडो को कैसे उतारना है पता नहीं है हाहाहाहाहा

: अरे मतलब करना क्या है बताओ तो ( रज्जो थोड़ा कन्फ्यूज थी )
शिला ने रज्जो के कान में फुसफुसाई
: ओह्ह्ह , उम्मम फिर तो कोई नहीं बचेगा इस ट्रिक से


वही दूसरी ओर हाल में बैठे हुए तीनों गदराई औरतों के चूतड़ नाइटी में उठे थे और उन्हें देख कर
: भैया मुझसे और नहीं रुका जाएगा सीई , मै जाऊ क्या ?
: अरे पागल अरुण अभी सोया नहीं है
: आप उसपर ध्यान रखो जरा मैं बस थोड़ी सी मस्ती करके आता हूं ( ये बोलकर रामसिंह उठ कर किचन की ओर आ रहा है )
मानसिंह ने उसे रोकना चाहा लेकिन रामसिंह नहीं माना और उठ कर अपना लंड मसल कर बढ़ गया


शिला उसको आता देख बुदबुदाई : एक सांड आ रहा है फिलहाल इसको थोड़ा सा मजा देकर उतावला करना है , तैयार हो जाओ रंडियों
शिला की बात पर रज्जो और कम्मो खिलखिलाई
रामसिंह आते ही कम्मो और रज्जो के बीच खड़ा हो गया और दोनों के कूल्हे पर हाथ रख कर सहलाता हुआ : क्या बन रहा है कम्मो , महक तो अच्छी है

कम्मो ने धीरे से अपना हाथ उसके टाइट पेंट के ऊपर रख दिया और लंड पकड़ कर : फिलहाल तो मेरा मूड बन रहा है मेरे राजा
रामसिंह को उम्मीद नहीं थी कि कम्मो एकदम से उसका लंड पकड़ लेगी
रामसिंह : ओह्ह्ह्ह थोड़ा सब्र करो न
फिर शिला ने रज्जो को इशारा किया और रज्जो ने भी दूसरी तरफ से हाथ बढ़ा कर उसकी जांघ को सहलाने लगी : कितना सबर करे हम सब उम्मम नहीं रहा जाता सीईईई ओह्ह्ह

दोनों गरमाई औरतों के स्पर्श से रामसिंह का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा और पेंट में पूरा टाइट हो गया और कम्मो और रज्जो दोनों मिलकर उससे चिपकने लगी उसके गर्दन और सीने पर अपने चेहरे रेंगाने लगी
जिससे रामसिंह की धड़कने बढ़ने लगी उसकी सांस भी उखड़ने लगी ,,आंखे बंद कर वो अपने दोनों पंजों में रज्जो और कम्मो के चूतड़ मसलने लगा था
इतने में शिला धीरे से उसके आगे आई और नीचे बैठ कर उसका पेंट खोल दिया और लंड बाहर कर दिया
एकदम से रामसिंह से आंख खोलकर देखा तो शिला नीचे थे उसके बेलन जैसे कड़े मोटे काले लंड देखती हुई
: भाभीईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम
: उफ्फ नंदोई जी कितना बड़ा बांस जैसा हथियार है आपका रज्जो ने साइड से रामसिंह के हवा में झूल रहे लंड को सहलाया और आड़ को हथेली में रख लिया
जिससे उसके लंड की नशे और तन गई
: सीईईई ओह्ह्ह रज्जो भाभीईईई
: हा मेरे राजा , आज तो आपका लंड बड़ा लग रहा है क्यों दीदी ( कम्मो ने दूसरी ओर से रामसिंह के लंड की चमड़ी पकड़ कर पीछे किया और रज्जो ने आड़ को हथेली में टाइट कर दिया
पूरा का पूरा लंड एकदम से टाइट और सुपाड़ा भी अपना मुंह खोल दिया
: हा कम्मो देवर जी के लंड की खुशबू तो देख उम्ममम क्या मस्त रसगुल्ले जैसा दिख रहा है
: चाट लो दीदी न या मै आऊ ( रज्जो ने रामसिंह के आड टटोलते हुए कहा )
: नहीं मै दूंगी किसी को उम्ममम सीईईई

एकदम से रामसिंह के चूतड़ टाइट हो गए और वो एड़ियों के बल खड़े होने लगा उसने दोनों पंजों से रज्जो और कम्मो के चूतड़ में नाखून गाड़ दिए हो मानो और वही नीचे शिला ने अपनी जीभ की टिप से उसके सूखे लाल सुपाड़े के होल को छेड़ रही थी : ओह्ह्ह्ह भाभीईई उम्ममम सीईईई कितनी सुखा है ओह्ह्ह्ह मै गिर जाऊंगा


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रज्जो मुस्कुरा कर : हमारे रहते नहीं नंदोई जी , क्यों कम्मो
कम्मो उसका लंड सहला कर : हा मेरे राजा मै नहीं गिरने दूंगी आपको

: ओह्ह्ह्ह भाभी चाट लो न क्यों तंग कर रही हो उम्मम
शिला ने मदहोश नजरो से देखा और फिर अपने नरम होठ से उसका सुपाड़ा चूम लिया
: सीईईई ओह्ह्ह भाभी अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह गॉड
फिर शिला ने उसका लंड नीचे से जीभ से टच करते हुए ऊपर आई और पूरा सुपाड़ा मुंह में ले लिया और मुंह में पूरा लार से गिला कर दिया


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इधर रज्जो ने अपनी उंगलियों से उसके आड़ को टटोल रही थी और दबा रही थी और कम्मो के हाथ उसके लंड के तने को भर पुर भर भर चमड़ी आगे पीछे कर रहे थे

: सीई ओह्ह्ह मेरे राजा कितना गर्म लंड है ओह्ह्ह्ह
: ओह्ह्ह तुम लोग मुझे पागल कर रहे हो उम्मम भाभी और लो न अंदर
: दीदी और नंदोई जी का लंड मुंह में सीईईई पूरा चूस लो , कहो तो मै आ जाऊ उम्मम नंदोई जी ( रज्जो के रामसिंह के कान के पास बहुत मादकता से फुसफुसाया और उसके कान को मुंह में लेकर काटने लगी
वही कम्मो ने अपने दूसरा हाथ पीछे से रामसिंह की शर्ट में घुसा कर पीठ पर सहला रही थी और रज्जो ने अपने दूसरे हाथ से रामसिंह के चूतड़ों को सहलाना शुरू कर दिया



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रामसिंह पूरी गिरफ्त में था और नीचे शिला अपनी जीभ का करतब दिखाती हुई बिना एक बार भी उसका लंड छूए सिर्फ मुंह से लंड को गले तक उतारने लगी

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: उम्मम भाभी ओह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम वहा नहीं ( रज्जो ने उसके चूतड़ों पर रेंगते हाथों से अपनी उंगलियां उसके दरारों में घुसाने लगी और रामसिंह बिदकने लगा तो एकदम से कम्मो के उसके लिप्स से अपने लिप्स जोड़ लिए

उम्ममम , रामसिंह की आंखे बड़ी हो गई
इधर रज्जो ने उसके आड़ो को कस लिया मुट्ठी में और पीछे से उसके गाड़ के सुखी सुराख पर थूक लगा चुकी थी जिसे रामसिंह ने अपने चूतड़ कस कर रोकना चाह रहा था और कम्मो ने उसे पूरी तरह अपनी गिरफ्त में लिया उसके लंड की चमड़ी तेजी से आगे पीछे किए जा रही थी और उसके लिप्स को छोड़ने को तैयार नहीं थी
नीचे शिला लगातार एक तय स्पीड के उसका लंड मुंह में लिए हुए थी और

रामसिंह के सबर का फब्बारा उसके आड़ से छूट चुका था और नसे पूरी फूल चुकी थी रज्जो ने हल्की सी ढील दी और उसके आड़ो को अपने हथेली की कटोरी बना कर दुलारा तो सारी मलाई खिसक कर लंड की नसों के भर गई ,लंड एकदम गर्म टाइट और सुपाड़ा पूरा लाल हो गया था , जिसे रामसिंह ने पूरी ताकत से रोका हुआ था

कम्मो ने उसके लिप्स छोड़ते और रामसिंह गहरी सांस लेने लगा मुंह खोलकर और हांफता हुआ : ओह्ह्ह्ह गॉड आने वाला है भाभी
इतना सुनते ही रज्जो ने भी उसका लंड लिया एकदम जड़ में अपनी उंगली की रिंग बनाते हुए , कम्मो ने पहले से ही अपने पंजे के पकड़ रखा और और आगे की बची 4 इंच की जगह को शिला ने मुंह में ले रखा था

कम्मो और रज्जो ने मिलकर तेजी से उसका लंड मुठियाना शुरू किया
रामसिंह की एडी एक बार फिर हवा में और आंखे बंद कर अपने चूतड़ टाइट कर पूरी ताकत से उसने सुपाड़ा सिला हुआ था और फिर एकदम से उसने सब कुछ अपना ढीला छोड़ दिया


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: ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू बिच ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह यशस् अह्ह्ह्ह भाभीई ओह्ह्ह्ह कम्मो मेरी रानी सीईईई ओह्ह्ह
अब तो थोक के भाव में मलाई निकल रही थी और सारी सारी शिला के मुंह में
एक के बाद एक मोटी थक्केदार व्हाइट मलाई की पिचकारी छूट रही और रज्जो और कम्मो अखीर तक उसका लंड सहलाते रही और शिला उसका वीर्य पीती रही


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फिर शिला ने अच्छे से उसका लंड चाट कर साफ किया और रामसिंह हाफ कर खड़ा हो गया किचन स्लैब का सहारा लेता हुआ , उसका लंड उस वक्त मूसल से चुचका हुआ बैगन हो गया था और चेहरा तो जैसे सफेद पड़ गया हो
शिला अपने मुंह साफ करते हुए उठी और हस कर रज्जो के कंधे पर हाथ रखते हुए : देखा भाभी , ऐसे निचोड़ा जाता है जंगली सांडो को हाहाहा

रामसिंह समझ गया कि तीनों की मिल कर उसकी रगड़ाई की योजना थी , वो तो बस रात के खाने के पहले थोड़ा सा नाश्ता करने का सोच कर आया था लेकिन यहां तो सबने उसे ही दूह लिया

वही इनसब से अलग मानसिंह काफी देर तक किचन में खिलखिलाहट पाकर उठ कर अंदर गया तो

कम्मो हस कर : आज जाइए भाई साहब आप भी लाइन में लग जाइए

मानसिंह वहा की स्थिति देखी और किचन स्लैब पर अपना कमर टीका कर रामसिंह को उसके चुचके लंड के साथ बुझा हुआ देख कर समझ गया कि ये तो गया और अगर वो रुका तो उसकी भी रगड़ाई रात के घमासान से पहले हो ही जाएगी , इसीलिए वो मुस्कुरा कर खिसक लिया और तीनों हस कर मस्त हो गई


प्रतापपुर

: क्या जमाई बाबू आज बड़ा जल्दी भोजन निपटा लिए
: जी बाउजी आप व्यस्त थे तो भूख भी लगी थी
: कोई बात नहीं और बताओ , कुछ उदास दिख रहे हो
: हम्ममम बाऊजी , सोच रहा हूं कल घर निकल जाऊ
: क्यों ? भाई यहां खतीरदारी में कोई कमी तो नहीं
: नहीं नहीं ऐसी बात नहीं है , वो बस सोनल की मां , हाहाहा आप समझ ही रहे है

बनवारी मुस्कुरा कर : हा भाई यहां इस बात की दिक्कत है और कहो तो कमला को
: नहीं नहीं , बाउजी , बीवी की जगह रंडी थोड़ी ले पाएगी
: वाह जमाई बाबू आपकी यही अदा मुझे बड़ी भाती है
: क्या ? ( रंगी खिलकर )
: कि कुछ भी बात हो आप छोटकी ( रागिनी ) को शामिल कर लेते हो
: हाहाहा , आप तो जानते ही है , कितनी चंचल है वो और फिर ढलती रात में उसके साथ जो यादें है सीईईई
: हूं हूं समझ रहा हूं हाहाहाहा , पजामे में से भी कोई उसे याद कर रहा है
: बस एक बार आप उसका तरीका देख लो बाउजी , सच कह रहा हूं कि आप भी दीवाने को जाओगे
: ओह्ह्ह्ह जमाई बाबू , क्यों दुखती रग पर हाथ रखते है , कहा छोटकी से मेरा कुछ
: अरे बाउजी आप बस हा तो करिए , सोनल की मां को मनाने की जिम्मेदारी मेरी
: क्या सच में ?
: आपसे क्यों झूठ कहूंगा बाउजी , और फिर उसपर तो आपका मुझसे ज्यादा हक है । मै तो रोकूंगा
: लेकिन इतनी जल्दी ? कैसे ?
: मेरे साथ चलिए कल देखते है कुछ जुगाड़ , नहीं हुआ तो अपनी लाडली के चूतड़ देख लेना और सच कहूं तो शायद इसी बहाने वो भी मेरे जज्बात समझे
: आपके जज्बात मतलब ?
: अरे बाउजी , सोनल को लेकर ? देखिए कई बहुत ईमानदार हूं उसके साथ कभी कुछ नहीं छिपाता उससे और मै चाहता हूं कि वो भी मेरी भावनाएं समझे सोनल को लेकर और मुझे इजाजत देदे और ये सब तभी होगा जब वो पहले आपके साथ
: ओह जमाई बाबू , कभी कभी समझ नहीं आता कि आपके अंदर इतनी दिलेरी आती कैसे है ?
: सच्चा प्यार किसी भी बात से नहीं डरता बाउजी
: ओह्ह्ह मेरे शेर दिल , फिर क्या कमला वाली बात भी करोगे छोटकी से
: हा जरूर थोड़ा अपने तरीके से बताता पड़ेगा
: वो कैसे? ( बनवारी जिज्ञासु होकर कहा )
: सच बताऊं सुन लोगे
: हा हा कहो न
: बाउजी रागिनी को अपनी गाड़ चटवाना बहुत पसंद है , क्योंकि उसे ये पता है कि मै रज्जो जीजी के भड़कीले चूतड़ों का दीवाना हूं तो अकसर मेरे ऊपर बैठ जाती है अपने चूतड़ रख कर और मै उसे चाटता हूं और उसकी बुर का पानी पिता हूं । उसके भी अरमान थे कि उसका भी बदन रज्जो जीजी जैसा हो जाए और फिर मुझे खुश रखने के लिए कभी कभी रज्जो जीजी बन आती है । और आप तो मेरी रज्जो जीजी के लिए दीवानगी जानते है उनके चूतड़ सामने हो तो मै खुद को रोक पाता हूं और उसे बहुत पसंद आता है

: ओह्ह्ह जमाई बाबू , सीईईई सच कहा रज्जो की गाड़ का कोई जवाब नहीं सीई इतने बड़े बड़े रसीले मटके जैसे है और झुक जाए तो पहाड़ जैसे फैल जाते है उम्ममम
: सच कह रहे है बाउजी एक बार आप रागिनी की गाड़ चाटना , वो अपने नरम चर्बीदार चूतड़ों को जब आपके मुंह पर फेकेगी न ओह्ह्ह और गंध ओह्ह्ह्ह बाबूजी मै तो सोच कर ही झड़ जाऊंगा

: अह्ह्ह्ह जमाई बाबू मेरा भी कुछ ऐसा ही हाल है सीईईई ओह्ह्ह
तभी एकदम से दरवाजे पर आहट हुई और दोनों सतर्क होकर अपने लंड को छोड़ दिए

ये गीता थी जो अपने दादू के पास आई थी

एकदम से वो रंगी को बनवारी के पास बैठा देख कर ठिठक गई कि कही उसकी बात तो नहीं कर रहे थे दादू से

: क्या हुआ मीठी
: दादू मुझे आपके पास सोना है , मै अब गुड़िया के पास नहीं सोऊंगी ( नजरे चुराते हुए रंगी को देख कर बोली )
: अरे लेकिन आज तो जमाई बाबू सो रहे थे ?
रंगी तो गीता के सारे इरादे भाप रहा था कि रात में वो अपने दादा के लंड के साथ क्या क्या करेगी और वो मुस्कुरा कर बिस्तर से उठने लगा : अरे नहीं बाउजी इसको सोने दीजिए नहीं तो फिर से नाराज हो गई तो हाहाहाहाहा , आजा गीता तू आराम कर मै चलता हूं बाउजी अपने कमरे में

गीता रंगी का सपोर्ट पाकर मुस्कुरा कर उसे देखा और झट से बनवारी के कम्बल में घुस गई ।

रंगी हस कर : देखिएगा बाउजी ये बड़ी चुलबुली है और जिद्दी भी
बनवारी हस कर गीता को कंधे से पकड़ कर अपनी ओर खींचता हुआ : अरे कोई बात नहीं जमाई बाबू हाहाहा मेरी लाडली है इसका तो हक होता है जिद करे , क्यों बेटा
गीता अपने दादू से लिपट कर मुस्कुराने लगी और रंगी ये देख कर सिहर उठा


रंगी ने उसे देखा और फिर मुस्कुराता हुआ निकल गया अपने कमरे में और अटैच दरवाजा अपनी ओर से बंद कर दिया ।
फिर बिस्तर पर लेट कर बबीता की राह निहारने लगा करीब 20 मिनट बीत गए लेकिन उसका कोई अता पता नहीं चला
रंगी बेचैन होकर उठा और उसके कमरे की ओर गया तो पाया दरवाजा अन्दर से बंद है और कान लगा कर सुना तो उसके हल्के खिलखिलाने और फुसफुसाहट आ रही थी ।
साफ था कि वो फोन पर किसी से बात कर रही है

रंगी की सुलग कर रह गई कि बबीता ने उसको ठेंगा दिखा दिया था , सुबह से ही रंगी का लंड खड़ा हो हो दर्द होने लगा था, पहले सोनल और रज्जो की बाते फिर गीता के साथ काम होते होते रह गया और सुनीता भी आज अपने पति के साथ लगी थी दुपहर से और बबीता से थोड़ी बहुत उम्मीद जगी थी तो वो भी आज लटका कर चली गई , अब तो रंगी ने पूरा मन बना लिया था कि कल के कल ही वो निकल लेगा घर के लिए कम से कम चूत के लिए तरसना तो नहीं पड़ेगा ।

निराश होकर वो अपने कमरे में चला आया और कुछ बैठे रहने के बाद एकदम से उसके जहन में गीता का ख्याल आया कि क्यों न अगर बनवारी सो गया हो तो गीता को बुला ले
एक टूटी हुई उम्मीद सी जगी उसके दिल में और वो हौले से अपने कमरे से अंदर अटैच वाला दरवाजा खोला और हल्का सा गैप से झांका तो एकदम से चौक गया
गीता तो बनवारी का लंड निकाल कर चूसना शुरू कर चुकी थी , बड़े ही इत्मीनान से हौले हौले वो सुपाड़े को चुभला रही थी और रंगी ने जब अपने ससुर को देखा तो वो आंखे बंद कर गीता के सर को सहला रहा था


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सीईईई बाउजी गीता से खुद ओह्ह्ह्ह कितने रसीले होठ है उसके पूरा लंड गिला कर दिया है इसने तो अह्ह्ह्ह्ह
रंगी दरवाजे के गैप से अंदर देखता हुआ अपना लंड मिस कर बुदबुदाया

वही गीता को भनक पड़ गई थी कि रंगी उसे देख रहा है लेकिन अब उसे कोई डर नहीं था और उसने तो इस बार रंगी की आंखों में आंखे डाल कर अपने दादा जी का मोटा काला मूसल चूस रही थी और ये देख कर रंगी का लंड झटके खाने लगा और वो अपना लंड निकाल कर बाहर करके हिलाने लगा , गीता ने ये देख लिया और लंड छोड़ दिया

: दादू
: हा बेटा क्या हुआ
: मै आती हूं देखूं फूफा जी सो गए क्या ?
: हा बेटा देख ले फिर आ जल्दी से , उफ्फ तूने तो पूरा टाइट कर दिया है

ये बोलकर गीता बिस्तर से सरक कर नीचे उतरी और रंगी दरवाजे से हट कर कमरे की दिवाल से लग गया
गीता चुपके से कमरे के दरवाजे से अंदर गई और एकदम से रंगी उसके सामने आ गया
अपना बड़ा सा लंबा खीरे जैसा लंड पकड़ कर हिलाता हुआ
गीता उसे देख कर मुस्कुराई : आपका भी मन हो रहा है न
रंगी अपना लंड हिला कर सिसकता हुआ : सीईईई हा बेटा मेरा भी चूस दे न अह्ह्ह्ह्ह सीईईई
गीता : लेकिन दादू अभी सोए नहीं है
रंगी उसका हाथ पकड़ अपने लंड पर रख दिया : ओह्ह्ह्ह कितने मुलायम है तेरे हाथ बेटा सीईईई ओह्ह्ह

रंगी के लंड में खून का सैलाब आया हुआ था और उसका लंड पूरा टाइट होकर तप रहा था , गीता को उसके लंड का वजन बढ़ता महसूस हो रहा था और वो उसे अपने नरम हथेली से सहलाने लगी : उफ्फ कितना गर्म है और भारी भी लग रहा है
: हा बेटा कबसे तड़प रहा हूं इसको चाट कर ठंडा कर दे न जैसे अपने दादाजी का कर रही थी
गीता उसका लंड सहलाती हुई मुंह से हथेली में थूक लेकर अपने हथेली की कटोरी बना कर रंगी के सूखे सुपाड़े पर घुमाया और रंगी की आंखे उलटने लगी : सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम क्या करती है बेटा ओह्ह्ह्ह
गीता ने थूक को उसके मोटे मूसल जैसे लंड पर मल कर आगे पीछे करने लगी

गीता : आओ चलो
रंगी चौक गया : क्या ? कहा ?
गीता : दादू के पास वही मै आप दोनों को साथ में करूंगी
रंगी एकदम से चौक गया और उसकी थोड़ी फटने लगी : क्या कह रही हो तुम ,
गीता : ओके रुको अभी मै बुलाऊं तो आप आजाना, ओके
रंगी का दिमाग सुन्न हो गया था और गीता कमरे का दरवाजा पूरा खोलकर अपने दादू के पास चली गई और उसका लंड सहलाने लगी

: अरे मीठी , दरवाजा क्यों खोल दिया
गीता ने कुछ नहीं बोला सीधा अपने मुंह में उसका लंड लेकर चूसने लगी और बनवारी की सिसकारियां उठने लगी
: दादू पता है फूफा जी हमें कमरे से देख रहे है
बनवारी एकदम से सकपकाया और अपना लंड छुपाने लगा : क्या ? वो सोए नहीं
गीता उसका लंड कंबल के हाथ डाले सहलाती हुई : हीहीही नहीं , जब मै पहले इसको चूस रही थी न तभी मैने उन्हें देखा और पता है उनका भी बहुत बड़ा और गर्म हो गया है , उनको भी बुला लो न , मैने कहा कि चलो लेकिन वो नहीं आ रहे है

बनवारी को समझ नहीं आ रहा था कि क्या चल रहा है और उसका लंड भी मुरझाने लगा था

इधर रंगी समझ गया कि गीता ने आधी अधूरी बात कह कर सारा खेल बिगाड़ दिया और वो अपने कमरे से निकल कर बनवारी के कमरे में आया

: ज जमाई बाबू आप ( बनवारी थोड़ा हिचका )
: परेशान न हो बाउजी जी , ये तो मैने आज सुबह ही देखा था जब आप सो रहे थे और तब भी ये चुलबुली अपनी मिठाई खोजती हुई यहां आ गई थी
: मतलब मै समझा नहीं

फिर रंगी हंसता हुआ आकर बनवारी के पास बैठ जाता है और उसे सुबह से हुई उसकी और गीता की वो सब बातें बताता है कि कैसे गीता ने उसे बाथरूम में लंड हिलाते पकड़ा , फिर रंगी ने गीता को लंड चूसते पकड़ा , फिर उन दोनों को मस्ती करते हुए सुनीता ने पकड़ा , और इतनी सारी पकड़ा पकड़ी का नतीजा है कि आज मै बहुत परेशान था और नीद नहीं आ रही थी तो सोचा आपसे बात कर लूं और देखा तो ये यहां खेल रही थी ।


बनवारी कुछ सोच कर गीता को देखते हुए : तो इसीलिए बहु ने तुझे मारा था दुपहर में, तू जमाई बाबू के साथ थी
: हीहीही ( गीता दांत दिखाने लगी )
: मै कह रहा था न बाउजी बहुत चुलबुली है ये और जिद्दी भी
बनवारी हस कर : फिर तो सही पिटाई हुई तेरी , और जमाई बाबू इसने आपके साथ जो शरारत की उसके लिए माफ कीजियेगा , थोड़ी जिद्दी है और इसकी जिद के आगे मै भी हार ही गया

: हाहाहाहाहा वो तो दिख ही रहा है , लेकिन अब जो इंजॉय कर रहे है तो खुल के कीजिए ये पर्दा क्यों

रंगी ने कम्बल हटाया तो लंड गीता उसका लंड पकड़े हुए थी : देखिए मीठी को उसका खिलौना कितना पसंद है वो नहीं छोड़ने वाली हाहाहाहाहाहाहा

बनवारी हंसता हुआ : सच कहा जमाई बाबू , वैसे आप भी अपना खिलौना निकालिए मीठी उसे भी दुलारेगी क्यों बेटा करेगी न
गीता ने थोड़ा शर्मा कर थोड़ा उत्साहित होकर हा में सर हिलाया और पजामे से अपना लंड बाहर निकाल कर सहलाने लगा

गीता ने एक नजर उसे देखा और वापस से बनवारी का लंड चूसने लगी : ओह्ह्ह्ह मीठी सीई ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह क्या गजब का सुकून है जमाई बाबू

रंगी की लार टपकने लगी बनवारी की सिसकिया सुन कर और बनवारी ने गीता को इशारा कर रंगी के पास जाने को कहा
गीता थोड़ी मुस्कुरा कर खड़ी होकर रंगी के पास जा रही थी कि एकदम से रंगी ने उसे पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया और वो दोनों ससुर दामाद के बीच आ गिरी खिलखिलाती हुई
पूरा कमरा बनवारी के ठहाके और गीता की खिलखिलाहट से गूंज उठा

: जरा इधर आ और सुबह की उधारी पहले पूरी कर ( रंगी ने उसको अपनी बाहों में भरते हुए कहा )
: सुबह की उधारी मतलब जमाई बाबू ? ( बनवारी ने हस कर सवाल किया
: ओह्ह्ह बाउजी सुबह इसके रसीले दूध का स्वाद चखा ही था कि इसकी मम्मी आ गई थी और मै जीभ टपका कर रह गया , जरा इसको निकाल न ( रंगी ने गीता की टीशर्ट निकाल दी और वो अपने हाथों से हस्ती हुई अपने मोटी मोटी नारियल सी चूचियों को छिपाने लगी जो ब्रा में कैद थी )

: उफ्फ मीठी सीई तू तो बड़ी हो गई है , कितनी रसीले दूध है तेरे
: उम्ममम दादा जी आराम से ओह्ह्ह्ह फूफा उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई
दोनों ससुर दामाद ने गीता की रसीली छातियां टटोलनी शुरू कर दी
: उफ्फ बाउजी कितनी मुलायम छाती है अभी से इसकी उम्मम अह्ह्ह्ह्ह जरा निप्पल देखूं तो ( ये कहकर रंगी ने गीता के कंधे से उसकी ब्रा सरका दी और उसके रसीले मम्में को हाथों में भरने लगा ) अह्ह्ह्ह सीई कितनी भारी हो गई है अभी से तेरी छाती

: उम्ममम तो मै क्या करु , मम्मी कहती है कि मैं बड़ी बुआ पर गई हूं
रज्जो का जिक्र आते ही दोनों ससुर दामाद एक दूसरे को देख कर एक शरारत भरी मुस्कुराहट पास करते हैं और अगले ही पल उसके नंगी चूचियों पर टूट पड़ते है

: ओह्ह्ह्ह दादू उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम मम्मा ओह्ह्ह्ह सीईईई और उफ्फ फूफा ओह्ह्ह्ह यशस्स ओह्ह्ह्ह मम्मीईइई सीईईई


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दोनों ससुर दामाद ने एक एक चुची को अच्छे घुला घुला कर निप्पल मुंह में लेकर चूसने लगे और गीता की सिसकियां उठने लगी और वो दोनों के सर को अपने चुचियों पर दबाने लगी
बनवारी तेजी से अपनी जीभ से उसके किशमिश जैसे निप्पल को फ्लिक करने लगा और उसके हाथ नीचे उसके स्कर्ट के अंदर घुस कर उसकी चूत टटोलने लगे और गीता का बदन ऐंठने लगा , वही रंगी उसकी चुची को पकड़ कर पंजे में कसता हुआ उसके निप्पल मुंह में लेकर चुसे जा रहा था ।


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और वही बनवारी ने उसकी स्कर्ट खींच कर उसकी पैंटी में भी खींच कर निकाल दिया और उसकी गीली चूत पर नजर पड़ते ही रंगी ने बिना किसी देर किए अपने उंगलियों को उसके गीली बुर पर रख दिया : इश्श बाउजी उसकी बुर कितनी गीली है

: ओह्ह्ह्ह उम्ममम फूफा जी ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई अह्ह्ह्ह
: क्या हुआ बेटा उम्मम अच्छा नहीं लग रहा है
: ओह्ह्ह्ह बहुत अच्छा लग रहा है ओह्ह्ह्ह मै झड़ रही हूं ओह्ह्ह
रंगी ने अपनी स्पीड बढ़ाते हुए तेजी से उसके बुर के फांके रगड़ने लगा और वही दोनों ससुर दामाद वापस से उसकी निप्पल मुंह लेकर खींचना शुरू कर दिया


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कमरा पूरा गीता की चीखों से गूंज रहा था और उसकी कामुक चीखों से दोनों ससुर दामाद को मजा आ रहा था उसे रंगी तेजी से उसकी बुर के फांके सहला रहा था और गीता अपने कूल्हे उठा कर झड़ रही थी और अपनी जांघें कसने लगी : ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह फूफा जी ओह्ह्ह्ह मम्मीईइईइईई सीईईई ओह्ह्ह और और उम्ममम दादू ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् मीईईईई ओह मम्मीईईईई

रंगी का हाथ तबतक नहीं रुका जबतक कि उसकी हथेली गीता के रस से सराबोर नहीं हो गई और वो उसकी बुर पर उसके पानी को सहलाते हुए लिपने लगा और वही गीता झड़ने के बाद खिल रही थी और हाथ बढ़ा कर अपने दादू का लंड पकड़ लिया और सहलाने लगी
मौका देखकर रंगी ने भी अपना लंड आगे कर दिया और गीता ने दोनों का लंड पकड़ कर हिलाने लगी और मुंह खोलकर रंगी का लंड मुंह में ले लिया और चूसने लगी

: ओह्ह्ह्ह बाउजी सीईईई ओह्ह्ह ये तो उफ्फ
: हा जमाई बाबू ओह्ह्ह्ह मुझे भी वही महसूस हुआ था पहली बार , इसने अपने मम्मी पापा की चुदाई देख कर सब सिखा है सीई ओह गीता उम्ममम


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गीता ने लंड बदल कर बनवारी का लंड मुंह में ले लिया और चूसने लगी
रंगी : उफ्फ फिर तो बड़ी होनहार है ये तो सीई ओह्ह्ह इसका अंदाज तो उम्ममम आपको किसी याद आ रही है बाउजी
बनवारी मुस्कुरा दिया और हल्के से होठ से बडबडा कर रज्जो का नाम लिया और रंगी का लंड और कड़क हो ही गया : ओह्ह्ह्ह बाउजी उम्ममम मुझे तो मेरी सोनल की याद आ रही है वो भी जमाई बाबू का ऐसे ही लंड चूस रही होगी ओह्ह्ह्ह
गीता उन दोनों का लंड पकड़ कर हिलाती हुई हस कर : दादू पता है फूफा न हीहीही सोनल दीदी को पेलना चाहते है उम्ममम सुऊऊऊऊऊरूऊऊऊऊपपपपपप अह्ह्ह्ह
बनवारी रंगी को आंख मार कर हंसता हुआ : क्या सच में जमाई बाबू
रंगी : हा बाउजी आपसे क्या छिपाना अब ओह्ह्ह उसके चूतड़ तो क्या ही कहने ओह्ह्ह्ह सोचता हूं उसकी जवान चूत का स्वाद कैसा होगा


गीता : मेरी चाट के देख लो फूफा जी उम्म्म मै भी आपकी बेटी हूं ,
रंगी एकदम से जोश से भर गया और गीता से लंड छुड़ा कर उसकी जांघों के बीच आ गया और अपनी जीभ चला कर उसके रसीले चूत के फांकों को चाटने लगा

और गीता अपने दादू का लंड मुंह में लेकर चूसने लगी : ओह्ह्ह मीठी सीईईई ओह तू बहुत तेज हो गई है पहले से सीई ओह्ह्ह्ह चाट ले और उम्मम
: उम्ममम अह्ह्ह्ह फूफा जी आराम से ओह्ह्ह्ह मम्मीईइई अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् मीईईईई ओह मम्मीईईईई ओह्ह्ह्ह ( गीता बनवारी का लंड मुंह से निकाल कर हिलाती हुई नीचे देखने लगी कि कैसे रंगी उसकी बुर चूस रहा था


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रंगी ने अपनी जीभ उसके बुर के फांके में डाल दिया था और नचाने लगा
: ओह्ह्ह्ह बेटा लग रहा है जमाई बाबू को अपनी बेटी की बुर बहुत भा गई है क्यों जमाई बाबू
रंगी ऊपर उठ कर गीता के चूचे पकड़ कर मुंह भर लिया और चूस कर : एक बार आप भी टेस्ट करके देखो बाउजी उम्मम बड़ा नमकीन पानी है आपकी नातिन का उम्मम
बनवारी की जीभ भी रस छोड़ने लगी और वो सरक कर गीता के चूत पर चला गया और अपनी जीभ से उसके बुर के फांके पर चलाने लग और रंगी उसकी चूचियां मिज मिज कर पीने लगा


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: ओह्ह्ह्ह दादू मजा आ रहा है और और उम्मम सीईईई ओह्ह्ह डाल दो न प्लीज
: क्या चाहिए उम्मम बोल बेटा क्या लेगी
: लंड डाल दो न फूफा ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई मम्मीइई अह्ह्ह्ह गर्म है और टाइट भी ओह्ह्ह्ह
: ओह्ह्ह्ह जमाई बाबू सच में इसकी बुर कस गई है ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
रंगी अपना लंड गीता के मुंह पर रगड़ता हुआ : ओह्ह्ह्ह बाउजी पेलीये न रगड़ कर ओह्ह्ह्ह ले बेटी चूस उम्मम ओह्ह्ह्ह कितनी रसभरी जीभ है तेरी ओह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
रंगी उसके मुंह ने लंड डाल कर उसकी छातियों को मिजने लगा और वही बनवारी तेजी से उसकी बुर में पेले जा रहा था


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बनवारी की नजरे तो अपने जमाई के अनोखे अंदाज पर थी जिस तरह से रंगी नए नए तरकीब और चुदाई के पैंतरे खोल रहा था , अपनी दुलारी और गुलगुली नातिन की इतनी कामुक मुंह पेलाई देख कर उसका भी जी ललचाने लगा और वो देख रहा था कि रंगी का लंड गीता के लार से लिभड़ाया हुआ
: ओह्ह्ह जमाई बाबू आपका अंदाज तो सबसे अलग है सीईईई उम्ममम
: क्यों बाउजी जगह बदलेंगे क्या ?
बनवारी ने इस पर मुस्कुरा दिया और रंगी ने हस कर गीता ने मुंह से लंड निकाल कर उसको घोड़ी बना दिया और उसकी बजबजाई बुर में पीछे से लंड घुसा दिया : ओह्ह्ह्ह बाउजी ये तो पूरा मक्खन है सीई ओह्ह्ह कितनी गर्म और मुलायम है


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: लेह बेटा चाट इसे उम्मम तेरे नर्म होठ और जीभ का करतब ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई ऐसे ही उम्मम ( वही बनवारी अपने आड़ लेकर गीता के मुंह के आगे खड़ा हो गया और गीता उन्हें चूमने लगी चाटने लगी )

: उन्ह्ह्ह सीईईई क्या मस्त रसीली चूत है तेरी गीता ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह लंड तो एकदम मक्खन जैसे सरक रहा है अंदर गपागप ओह्ह्ह्ह बाउजी ऐसे ही रागिनी की बुर जब खूब रस छोड़ती है तो पीछे से पकड़ कर उसको चोदने में बड़ा मजा आता है ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह


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: ओह्ह्ह्ह जमाई बाबू कहे मेरी तकलीफ बढ़ा रहे है सीई ओह्ह्ह्ह बेटा उम्मम ले चूस इसको भी और और अंदर ले हा उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई पूरी घोंट जा ओह्ह्ह ऐसे ही उम्मम
इधर रंगी ने देखा तो बनवारी ने भी अपना पूरा लंड गीता के गले में उतार दिया था और वो जोश में दुगने गति से उसकी नर्म रसीली चूत में पेलने लगा

: ओह्ह्ह्ह बाउजी ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई बहुत रुक नहीं पाऊंगा मैं ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह इसकी चूत बहुत कसी है और सुपाड़ा जल रहा है मेरा अब
: हा जमाई बाबू वही हाल मेरा भी है ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह चूस पूरा निचोड़ लें ओह्ह्ह मेरी जान मेरी लाडो उम्मम अह्ह्ह्ह पेलो जल्दी जल्दी जमाई बाबू मेरा बस आने ही वाला है ओह्ह्ह्ह

: आह बाउजी मेरा भी आयेगा ओह्ह्ह ओह्ह्ह्ह गीता बेटा आजा कहा लेगी मेरा बीज ओह्ह्ह्ह
: इसको तो अपनी छातियों पर लेना है ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह जमाई बाबू आजाओ

रंगी समझ गया था कि पहले भी गीता की जबरजस्त चुदाई हो चुकी है और वो अपना लंड निकाल कर खड़ा हो गया और तेजी से हिलाने लगा गीता की चूची पर वही बनवारी भी अपना लंड उसके चूचों पर घिसने लगा

: ओह्ह्ह्ह बाउजी सीईईई ओह्ह्ह आ रहा है ले बेटा ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह सीईईई आह्ह्ह्ह


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रंगी लाल ने अपनी पिचकारी छोड़ी और उसे देखते ही बनवारी ने अपना फब्बारा छोड़ दिया
एक के एक दोनों तरफ से मोटी गाढ़ी पिचकारियां गीता के मुंह पर चूचों पर गिरने लगी और गीता जीभ निकाल कर उनके आडू को सहलाती हुई उनके बीज से नहा रही थी

फिर एकदम से रंगी ने अपना रस से लिभड़ाया लंड गीता के होठों पर रगड़ने लगा : ले चाट से बेटा उम्ममम साफ कर दे इसे


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देखा देखी बनवारी ने भी अपना लंड वही दूसरी तरफ से गीता के मुंह पर रख कर हिलाने लगा , गीता के होठ बचे से बीज से लसलसा रहे थे और गीता बारी बारी से दोनों सुपाड़े को मुंह में लेकर चूसने लगी थी ।

कुछ ही देर बाद दोनों ससुर दामाद बिस्तर पर फैल गए और हांफते हुए थोड़ी बातें करने लगे गीता को लेकर , लेकिन अभी भी उनके लंड की कसावट कम नहीं हुई थी और गीता उनके पैरो में बैठकर वापस से उनका लंड पकड़ कर सहला रही थी अगले राउंड की तैयारी में

लेकिन शायद वो भूल चुके थे कमरे का अटैच दरवाजा खुला था जो रंगी के कमरे में जाता था और रंगी ने पहले से बबीता के आने की राह में अपने कमरे का मेन दरवाजा सिर्फ भिड़का रखा था । वही बबीता तो अपने बाबू सोना को बहला कर उसको सुला कर रंगी से मिलने अपना वादा पूरा करने आई थी । लेकिन उसकी आंखे तब चकाचौंध रह गई जब उसने अंदर का कामुक नजारा देखा


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जहां गीता दोनों ससुर दामाद के पैरों के बीच बैठ पर उनके दोनों खड़े हुए लंड को पकड़ कर एक साथ हिला रही थी

जारी रहेगी

( बाकी डील जानते हो , टारगेट बनाए रखो अपडेट जल्दी और बड़े बड़े मिलेंगे 😁 )
Hi
 
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