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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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अध्याय 02 का अपडेट 18
THE EROTIC SUNDAY
पेज नंबर 1307 पर पोस्ट कर दिया गया है
 

Deepaksoni

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💥 अध्याय: 02 💥

UPDATE 017

THE EROTIC SUNDAY 01


चमनपूरा

रविवार की सुबह सुबह तक़रीबन स्वा 6 बजे अनुज के बदन में हरकत शुरू हुई , करवट से मुड़ी हुई टांगों को पसारते हुए उसने कम्बल की गर्माहट के अपनी अंगड़ाई ली और रोशनदान से आती धुंधली सी रोशनी पर उसकी नजर पड़ी ।
सर्दियों की सुबह का आलस उस पर हावी था और एक लंबी जम्हाई के बाद वो सीधा हुआ , उसने अपने दोनों पैर टाइट कर सीधे किए और लोवर में बड़ा सा morning इरेक्शन महसूस किया , जिसे हाथों से पकड़ कर दबाते हुए वो कसमसाया और उसकी नजर अपने पीठ की ओर सोई हुई अपनी मां पर गई, जो पहले से ही उसके कम्बल के करवट लेकर उसकी ओर अपनी पीठ किए सोई थी ।
हल्की जलन भरी धुंधली नजरो से उसे अपनी मां रागिनी के बाल दिखे और पूरा बदन कम्बल में।
मुस्कुरा कर वो एक बार को अपनी मां से लिपट कर गुड मोरिंग विश करना चाहता था लेकिन तभी उसे अपने लोवर के बने बड़े से तंबू का ख्याल आया और उसने सोचा कि कही ऐसा न हो ये खूबसूरत संडे की सुबह थोड़ी ही जल्दीबाजी में बिगड़ जाए ।
उसने मुस्कुरा कर अपनी दोनों हथेली रगड़ी और अपने चेहरे पर सिकाई करते हुए एक झटके से बिना अपनी मां की ओर देखे कम्बल अपने बदन से हटाया और नित्य क्रिया के लिए खड़ा हुआ था
जैसे ही उसने कम्बल वापस अपनी मां को ढकने के लिए वापस घूमा उसके होश उड़ गए ।
सामने का नजारा देखते ही अनुज के मन में एक ही सवाल आया : अरे वो स्कर्ट कहा गई
अद्भुत और कामुक दृश्य जिसकी कल्पना अनुज इतनी सुबह नहीं कर सकता था
उसकी मां के कमर पर रात में जो उसने सोनल की स्कर्ट पहनी थी वो नहीं थी , कूल्हे के नीचे पूरी नंगी और बड़े बड़े रसीले मटके जैसे चूतड़ आपस में चिपके हुए , पीछे बैकलेस डोरी वाली ब्लाउज तो दिखी लेकिन उसकी डोरी एकदम ढीली


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कोई अचानक से देखे तो यही कहे कि रागिनी बिस्तर में नंगी सोई है ।
इधर अनुज जम सा गया अपनी मां के नंगे चूतड़ों को देख कर , उंगली से आंखे रगड़ कर नजारा साफ किया और खड़े खड़े अपना लंड लोवर में मसल दिया : उफ्फ मम्मी
मानो रागिनी ने जैसे उसकी पुकार सुन ली हो और वह भी अपने पैर पसारने लगी ।
अनुज ने फुर्ती से कम्बल सही कर दिया
रागिनी अंगड़ाई लेती हुई अपने हाथ ऊपर किए और पास में खड़े अनुज को देखा
अनुज मुस्कुरा कर : गुड मॉर्निंग मम्मी
रागिनी अपने हथेली से चेहरा साफ कर मुस्कुरा कर उठी हुई आंखों से देखते हुए : तू कब उठा
अनुज : बस अभी अभी
तभी कंबल में ही रागिनी को अहसास हुआ कि उसके कमर के नीचे कुछ नहीं है और पल भर के लिए उसके चेहरे की रौनक उड़ ही गई क्योंकि उसकी योजना थी कि वो सुबह अनुज से पहले उठ जाएगी ।

रागिनी : बेटा मेरे कमरे से मेरा पेटीकोट उठा लाएगा क्या , वो स्कर्ट की लास्टिक इतनी टाइट थी कि मै निकाल कर सो गई थी
अनुज ने आज्ञाकारी बच्चे के जैसे उसके बात का पालन किया और तेजी से अपनी मां के कमरे में चला गया जहां सोफे पर साड़ी के साथ पेटीकोट पड़ा हुआ था ।
अनुज ने उसे उठाया और एक अलग सा अहसास हुआ । उस सूती कपड़े में उसने अपने मम्मी के बदन की कोमलता और गंध महसूस की ।
मुस्कुरा कर उसने अपना लंड लोवर में सेट किया और राज के कमरे में आया तेजी से
और फिर एकदम से नजरे चुराने लगा क्योंकि सामने उसकी मां बिस्तर में बैठी हुई थी और उसके ढीले ब्लाउज से उसकी पपीते जैसी चूचियां नीचे से लटक रही थी । नजर पड़ते ही अनुज ने निगाहें फेर ली और उसमें एक ठहराव सा आ गया
: मम्मी ये लो ( अनुज ने बिना उसकी ओर देखे पेटीकोट देते हुए कहा )
रागिनी ने जैसे अनुज की हरकत नोट की तो उसे अपनी स्थिति का ध्यान आया और सबसे पहले उसने अपने मम्मे को ब्लाउज में सेट कर दिया। इस दौरान उसने मुस्कुराते हुए बस अनुज का ख्याल किया कि वो सच में कितना साफ दिल है ।

अनुज ने फिर से उसकी ओर देखा और वही खड़ा हो गया ।
रागिनी : अब खड़ा क्या है जा न फ्रेश नहीं होना
अनुज समझ गया कि उसकी मां को पेटीकोट पहननी है और वो साफ साफ ये बात तो कह नहीं सकती कि वो कम्बल के अंदर नंगी है ।
अनुज : हा ठीक है , पानी गर्म कर दु आपके लिए भी
रागिनी मुस्कुरा कर : ठीक है कर दे
फिर अनुज किचन में चल गया और कुछ देर बाद रागिनी अपना ब्लाउज सेट करने की कोशिश करती हुई आई अनुज के पास किचन में
: बेटा ये डोरी बांधना तो


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अनुज ने अपनी मां की नंगी गुदाज पीठ देख थूक गटका, उसके जिस्म की मादक गंध वो अपने नथुनों में भरने लगा और
बिना कुछ बोले अपनी मां की डोरी बांध दी और रागिनी ने गर्म पानी पीकर अपने कमरे वाले बाथरूम चली गई ।
अनुज भी राज के कमरे में फ्रेश होने चला गया और वापस निकला तो देखा उसकी मां हाल में झाड़ू लगा रहे थी , पेटीकोट में उसके फैले हुए चूतड़ देखते ही अनुज खुश हो गया ।
फिर वो ये सोच कर मन ही मन हसने लगा कि अच्छा हुआ उसने बिस्तर में पीछे से अपनी मां को हग नहीं किया नहीं तो उसकी मां को यही लगता कि उसने जानबूझ कर किया , लेकिन उसे अफसोस भी हो रहा था कि काश एक बार उसे अपनी मां के नरम चूतड़ों पर लंड सटाने को मिल जाता तो कितना मजा आ जाता ।

रागिनी एकदम से अनुज को खड़ा हुआ देख कर : क्या हुआ ? पेट गड़बड़ है
अनुज मुस्कुरा कर : नहीं , देख रहा हूं आपको सर्दी नहीं लग रही है ?
रागिनी : सर्दी ? ले झाड़ू लगा फिर पता चलेगी सर्दी है या गर्मी
अनुज : नहीं मुझे लिखना है
रागिनी : ठीक है
अनुज : आपके कमरे में लिख लूं
रागिनी : अच्छा रुक बिस्तर बदल दूं फिर
फिर रागिनी कमरे में गई और अनुज पीछे पीछे से राज के कमरे से किताबें लेकर आया
रागिनी ने जल्दी जल्दी बिस्तर लगाने के चक्कर में झटके से बेडशीट खींचा और बाथरूम में चली गई । फिर हड़बड़ी में जल्दी जल्दी आलमारी से नई बेडशीट निकाल कर बेड की ओर घूमी कि उसकी नजर अनुज पर गई
जो झुक कर बेड के पास गिरे एक चौकोर दो इंच के डार्क चॉकलेटी पैकेट को बड़े ध्यान से देखते हुए उठा कर उस पर लिखा हुआ पढ़ रहा था कि रागिनी एकदम से सन्न हो गई ।
अनुज को समझते देर नहीं लगी कि ये कंडोम है , जैसे ही उसे ख्याल आया कि उसकी मां पीछे खड़ी है उसने अपना नाटक शुरू कर दिया

अनुज उसको सूंघता हुआ : मम्मी ये क्या है ?
रागिनी ने झट से उसके हाथ से वो पैकेट झपट लिया: कु कुछ नहीं
अनुज : अरे ! लेकिन ये तो चॉकलेट जैसा महक रहा है
रागिनी : हम्मम वो उसका फ्लेवर है
अनुज : लेकिन ये है क्या ?
रागिनी : ओहो क्या करेगा जान कर । वो तेरे पापा की चीज है । चल बिस्तर लगा दी हूं अब पढ़ाई कर मुझे कपड़े धुलने है

ये बोलकर रागिनी अनुज से बचकर बाथरूम में निकल गई और कपड़े धुलने बैठ गई
अनुज ने भी कमरे में बेड पर ऐसी जगह चुनी जहां से वो अपनी मां को बाथरूम में देख सके ।

अनुज अपनी पढ़ाई के लग गया और इधर रागिनी कपड़ो की धुलाई में
रह रह उसकी चोर नजरे रागिनी की ओर थी , लेकिन रागिनी अपने काम में मशगूल थी
धीरे धीरे रागिनी के खुद के कपड़े सामने से भीगने लगे । लेकिन चुकी वो बाथरूम के गेट पर ही अनुज की ओर पीठ करके बैठी थी तो अनुज को पता नहीं चल रहा था , वो लंबे समय तक बस अपनी मां के मटके जैसे चूतड़ों को एक काठ की सीट पर बैठे हुए देख रहा था , जब जब रागिनी कपड़ो पर ब्रश रगड़ने के लिए आगे झुकती उसकी चूतड़ पीछे से हवा में हो जाती है । पहले तो सब नॉर्मल था लेकिन जब धीरे धीरे उसके कपड़े आगे से भीग गए और पानी उसके चूतड़ों तक आ गया तो अब हल्की हल्की दरार भी नजर आने लगी पेटीकोट के ऊपर से क्योंकि गिले वाले हिस्से का पेटीकोट नीचे उसके चूतड़ों से चिपक गया था
ये नजारा मिलते ही अनुज का लंड उछलने लगा और वो लोवर में हल्का हल्का सहलाने लगा ।
इधर लगभग उसने लाली के पास जो नोट्स लाए थे उसका आखिरी पेज चल रहा था और उसके दिमाग में लाली का ख्याल भी आने लगा कि कल उसने इंस्टा पर आने को कहा था लेकिन नेट न होने की वजह वो ऑनलाइन भी जा पाया और अब ये नोट्स खत्म हो गए । क्यों न वो उससे मिलने दोपहर में लाली के घर जाए ? क्या पता आज भी उसे उसकी मिस के चूतड़ों का दीदार हो जाए अह्ह्ह्ह्ह कितनी मोटी गाड़ थी मिस जी की उम्मम कितनी गुलाबी थी सीईईई

" अनुज "
: हा मम्मी
एकदम से चौक कर अनुज ने गर्दन फेर कर बाथरूम की ओर देखा तो सामने उसकी मां बाथरूम के गेट पर खड़ी थी ।


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उसका बदन आगे से पूरा गिला था । ब्लाउज भीग कर उसके मोटी रसीली छातियो से चिपक गए थे उसकी ब्लाउज पूरी विजिबल थी जिसका उसे जरा भी ख्याल नहीं था कि सामने से उसका प्यारा दुलारा बेटा उसकी चूचियां ही निहारेगा ।

: बेटा मै पूरी भीग गई हूं , जरा राज के कमरे से देख उसके कपड़े धुलने लायक हो लाकर दे दे
अनुज का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा था , सुबह सुबह चूतड़ और अब चूचियों के दर्शन
: ठीक है मम्मी लाता हूं
फिर वो बिस्तर से निकल कर राज के कमरे के गया और दरवाजे के बीच दिवाल पर खूंटी पर टंगी हुई पेंट जींस शर्ट लेकर आया और बाथरूम के गेट पर पहुंचा था कि ठिठक गया


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सामने उसकी मां आगे झुक कर बाल्टी में कपड़े डुबो का उन्हें खंगाल रही थी ताकि सर्फ निकल जाए
लेकिन अनुज की निगाहे तो उसके पेटीकोट के फैले हुए चूतड़ों पर थी जो भीग कर विजिबल हो गई थी , उसके गाड़ के दरारें पूरी साफ साफ दिख रही थी ,
अनुज ने हौले से अपना लंड मसला
: लो मम्मी
रागिनी उठ कर घूमी और उसके हाथ से शर्ट और टीशर्ट लेकर
: ये जींस पेंट और वो बेडशीट बेटा उसको न पीछे वाशिंग मशीन में डाल देगा, फिर तू पढ़ाई कर तुझे नहीं उठाऊंगी
अनुज मुस्कुरा कर : क्या मम्मी तुम भी , कर देता हूं न
रागिनी : कितना अच्छा है मेरा बेटा
अनुज अपनी मां के दुलार से खुश हो गया और दिए हुए सारे कपड़े लेकर वाशिंग मशीन में डाल कर पानी भरने लगा और करीब 10 मिनट बाद वो वापस मशीन चालू कर कमरे में आया तो इस बार का सरप्राईज और बड़ा था
बाथरूम में रागिनी अब दूसरी ओर बैठ गई थी और उसके बदन पर उसका ब्लाउज नहीं था, उसकी नंगी चूचियां खूब हिल रही थी लेकिन वो पेटीकोट में कुछ इस तरह से छिपी थी कि अनुज को अपने मा के निप्पल की झलक भी नहीं मिली


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अनुज में मुंह में लार भरने लगी , सच में आज उसका संडे बहुत ज्यादा ही क़िस्मत से भरा था ।
वो वापस से बिस्तर में आ गया
लेकिन अब उसका बाथरूम की ओर देखना थोड़ा कठिन था , क्योंकि इस बार रागिनी बाहर की ओर मुंह करके बैठी थी ।
अनुज ने आंखे सीधी अपने किताबों में लगाए हुए था और इस दौरान रागिनी ने एक दो बार उसे देखा और पाया कि वो जरा भी उसकी ओर नहीं देख रहा है ।
रागिनी मुस्कुरा रही थी ये सोच कर कि उसका बेटा कितनी इज्जत करता है उसकी और फिर वो कपड़े धुलने में लग गई और कुछ देर बाद फिर अनुज ने वापस देखा तो बाथरूम का दरवाजा भिड़का हुआ था और अदंर से पानी गिरने की आवाज आ रही थी । अनुज को समझते देर नहीं लगी कि उसकी मां नहा रही है अन्दर
अनुज की तो लालसा थी कि काश दरवाजा बंद होने से पहले वो अपनी मां को देख लिया होता ।

इधर रागिनी आज कुछ ज्यादा ही काम कर ली थी तो उसके पूरे बदन में खुजली थी , और हर जगह उसके हाथ नहीं पहुंच सकते थे ।
तभी कुछ देर में अनुज के कान खड़े हुए जब रागिनी ने उसे आवाज दी बाथरूम के अंदर से

" अनुज "



सरोजा के घर

गर्म बिस्तर में अपनी एड़ियां रगड़ता हुआ राज ने अपने पैर टाइट किए और खड़े लंड की सलामी स्वीकार उसको दबाने लगा
आंखे खुली तो वसु का कमरा देख कर उसे बीती रात की सारी कहानी ताजा हो गई और एक बार फिर उसके लंड ने हुंकार भरी थी कि उसे कमरे में पायलों की छनछनाहट मिली और वो झट से आंखे बंद कर लिया
तभी कमरे के बाथरूम से वसु तौलिया लपेटे हुए कमरे ने दाखिल हुई
भीगे बाल , साबुन की भीनी खुशबू पूरे कमरे में फैल गई ।
गुनगुनाती हुई वसु ने एक नजर राज को बिस्तर में सोया देखा और आगे बढ़ गई अपने आलमारी की ओर
पायलों की रुनझुन से राज ने अंदाजा लगाया और आंखे खोली तो देखा वसु आइने के आगे खड़ी होकर हेयर ड्रायर सेट कर रही है बाल सुखाने के लिए

राज ने उसकी मोटी गदराई जांघों को देखा तो उसका लंड पंप होने लगा और फिर हेयर ड्रायर की आवाज आने लगी तो राज ने वापस आंखे बंद कर ली , वसु ने एक नजर वापस राज को देखा और बाल सुखाने लगी ।


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कुछ देर बाद राज ने वापस आंखे खोली तो देखा वसु आइने में खुद को निहारते हुए अपने बालों को सवार रही थी ।
अभी भी उसके बदन पर तौलिया था और फिर उसने अलमारी खोलकर कपड़े निकालने लगी और राज ने वापस आंखे बंद कर दी
फिर उसने एक ब्रा पैंटी सेट निकाली, एक नजर घूम कर राज को देखा और फिर अपने तौलिए को खोलकर फर्श पर गिरा दिया


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राज ने आंखे महीन कर वो नजारा देखा जब वसु पीछे से पूरी नंगी हो गई , उसके मोटे चूतड़ों की सटी हुई दरारों को देख कर राज के मुंह ने पानी आने लगा और लंड एकदम फड़फड़ाने लगा
तभी वसु ने पैर उठा कर पैंटी पहनने लगी और फिर ब्रा पहन रही थी


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राज ने सोचा यही समय है कि अब उसे जताया जाय और वो अंगड़ा लेता हुआ उठ गया : गुड मोरनिंग आंटी
वसु एकदम से चौक गई लेकिन अगले ही पल उसने खुद को सम्भाल लिया और ऐसे जताने लगी जैसे सब नॉर्मल हो : गुड मॉर्निंग बेटा , उठ गए

वसु ने एक अपना नाइटी गाउन उठाया और पहनते हुए उसके पास गई
: हम्ममम तो कैसी रही रात , अच्छे से सोए न
: आपने सोने कहा दिया ( राज ने छेड़ा उसे )
: धत्त बदमाश, मै कहा वो तो तेरे अंकल ( वसु लजा कर गुलाबी हुई का रही थी )
: मै नहीं सो पाया तो क्या हुआ , आपकी रात तो अच्छी रही न
: कहा अच्छी थी वो बस ... ( वसु बोलते हुए रुक गई और शर्मा गई कि वो क्या बोलने जा रही थी )
: कही ऐसा तो नहीं कि मेरे वजह से आपने इंजॉय नहीं किया
: नॉटी कही के मारूंगी तुमको , चलो उठो । ये सब बाते करोगे अब तुम मुझसे
: कुछ भी कहो अंकल है बहुत रोमांटिक
: अच्छा जी , तुम्हे कैसे पता ?
: दरवाजे के पास आपकी आवाजें सुनकर ही समझ आ गया था हिहिही
: धत्त गंदे , तुम देख रहे थे मुझे ( वसु मुस्कुरा कर थोड़ी लजाती हुई बोली )
: इतना रोमांटिक सीन छोड़ दे , कोई पागल ही होगा
वसु शर्म से लाल होने लगी और उसने राज का हाथ पकड़ कर उसे खींचते हुए : चलो उठो तुम बेशर्म कही के , चलो
राज खिलखिलाता हुआ बाथरूम में चला गया और जब वापस आया तो देखा कमरे में कोई नहीं था और मुझे तो बस सरोजा का ख्याल आया ।
वो धीरे से वसु के कमरे से निकला और लपक कर सरोजा के कमरे में घुस गया
देखा तो सरोजा बिस्तर में बेसुध सोई है और कम्बल लिए हुए ।
राज के दरवाजा बंद कर अंदर गया और नीचे से उसका कम्बल उठा कर देखा तो अंदर सरोजा पूरी नंगी सोई थी , ऊपर बस कम्बल ले रखा था ।
राज की जीभ कार छोड़ने लगी और उसने हौले से नीचे से घुस कर उसके जांघों तक गया और उनकी गर्म चूत और जांघों को चूमने लगा ।

सरोजा बिस्तर के कसमसाने लगी और उसकी कुनमुनाहट में राज ने उसके मुंह से निकली सिसकियों के भईया सुना तो राज का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा और उसने सरोजा के बुर पर जीभ फिरनी शुरू कर दी ।


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: उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह भइया कितना चाटेंगे उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ठीक हो गया है वो उम्मम
: वैसे क्या हो गया इसको ( कम्बल के अंदर से ही राज मुस्कुराता हुआ ऊपर सरोजा के मुंह के पास चला गया )
: भक्क तुम हो , मुझे लगा ( सरोजा शर्माई )
: अरे , लगता है कल भइया के साथ कुछ कांड कर बैठी हो उम्मम
: भक्क पागल , हटो
: अरे बताओ न ,प्लीज हुआ कैसे ?
: तुम मानोगे नहीं ( वो राज देखते हुए बोली )
: कोई और चारा दिख रहा है ( राज ने मुस्कुरा कर उसे देखा )
सरोजा गहरी सांस लेती हुई

वो कल रात जब तुमने मैसेज किया न तो मैने भैया के पहले ही उनके कमरे में चली गई थी । डर लग रहा था लेकिन हिम्मत नहीं छोड़ी मैने । भाभी के बिस्तर पर ही अपनी साड़ी उतार कर फेंक दी , पेटीकोट ब्लाउज नीचे फर्श पर और पैंटी कमरे के बाथरूम के रास्ते निकाल आकर सिर्फ ब्रा में बाथरूम में थी और टॉयलेट सीट पर बैठ कर जेट स्प्रे से अपनी बुर को धूल रही थी । जैसे ही मुझे भैया के आने की आहट हुई मैने सिसकियां लेना शुरू कर दिया


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मैने जरा भी दरवाजे की ओर नहीं देखा बस आंखे बंद कर उस जेट स्प्रे से अपनी बुर पर पानी गिराती रही , सच कहूं तो मुझे वहा बुरी तरह से खुजली हो रही थी ।
इधर भइया बाथरूम के दरवाजे पर खड़े होकर मुझे देख रहे थे और मैने एकदम से चौक कर उन्हें देखा और खड़ी होकर अपनी चूत छुपाने लगी

: भइया आप ?
: अरे सरोज तू ये ?
: भैया आप अंदर कैसे आए ?
: वो दरवाजा खुला था और कपड़े ऐसे फेंके थे और तुम्हारी आवाज
मै बाथरूम में तौलिया भी नहीं लेकर गई थी भैया मेरी गदराई जांघों को देख रहे थे और मेरे कूल्हे पूरे नंगे थे ।
: ये सब क्या है सरोज
: भैया वो मुझे खुजली हो रही थी और एकदम से परेशान हो गई तो भागी भागी भाभी के बाथरूम में आ गई , सॉरी
: क्या खुजली ? कबसे हो रही है
: हफ्ते भर से , आप बाहर जाएंगे मुझे कपड़े पहनने है
: हा हा तुंरत , नहीं तो सर्दी लग जायेगी ।
वो थोड़ा साइड हुए और मैं गिले पैरो से भागती हुई कमरे में आई और वो पीछे से मेरे नंगे चूतड़ों को थिरकता देख रहे थे , उनके पेंट में दबाव बढ़ रहा था । मैने कमरे में इधर उधर तौलिया खोजने लगी , वैसे ही ही अधनंगी , आलमारी खोली तो मिली और जल्दी जल्दी भैया के सामने ही अपनी गाड़ और चूत पोछने लगी
मै पैंटी डालने वाली थी कि भैया ने मुझे रोक : रुक एक मिनट सरोज
मै असहज हो रही थी लेकिन भैया पूरे बेफिक्र और बेशर्म। वो चल मेरे पास आए
: हाथ हटा, देखूं लाली तो नहीं है ?
: पता नहीं भैया लेकिन अभी आराम है
: अच्छा ठीक है तू वसु की कोई आराम दायक नाइटी पहन ले , मै दवा दे दूंगा वो लगा लेना
: जी भैया
और फिर वो बाथरूम में चले गए ।
फिर हमारी मुलाकात वही सीढ़ियों पर हुई और सबके सोने के बाद वो मेरे कमरे में आए थे । एक जेली की डिबिया लेकर

: फिर ( राज ने पूछा )
: फिर ? ( सरोजा मुस्कुराई )

मै कमरे में सोई हुई तुम्हारे और भैया के खयाल में थी और सच में कल खुजली हो रही थी क्योंकि तबसे मेरी चूत गीली ही थी लगातार
भइया कमरे में आए और दरवाजा भिड़का दिया ।
: कैसी हो सरोज
: अच्छी हूं भैया
: जलन कैसी है अब वहां
मै चुप रही और वो फिर से बोल पड़े
: मतलब ठीक नहीं हो
: हम्म्म
: पैंटी निकाल कर लेट जाओ
: क्या ? ( मै चौकी )
: जैसा कह रहा हूं करो
भइया ने थोड़ा सा हड़काया और मै डर गई । मैने धीरे से नाइटी में हाथ डाल में अपनी पैंटी निकाली और फर्श पर गिरा दी और बिस्तर पर लेट गई
मेरी धड़कने तेज थी कि भैया क्या करेंगे
: इसको ऊपर करके पैर खोलो
: लेकिन भैया
: जो कह रहा हूं करो
मैने बिना कुछ कहे अपनी नाइटी कमर तक खींच ली और जांघें खोल दी
मेरी बजबजाई बुर अब भैया के आगे थी
वो एकटक बस मेरी चूत निहार रहे थे
वो झुक कर मेरे जांघों के बीच आए फिर से मेरी चिपकी हुई चूत के फांके फैलाए और मै सिसक पड़ी , पहली बार उन्होंने मुझे छुआ था और मेरी सांस तेज होने लगी


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: उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई भैया
: दर्द हो रहा है
: उन्हूं , सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम कितना उफ्फफ सॉफ्ट है उम्मम
: अच्छा लग रहा है ( वो जेली को मेरे चूत के दाने और फांकों पर लगा रहे थे )
: हा भइया बहुत .... क्या है वो
: ये दवा है , कभी कभी तेरी भाभी को जरूरत होती है तो लगा देता हूं
: ओह्ह्ह्ह उम्ममम ओह्ह्ह भईया उम्मम सीईईईई कितना लगाओगे
: बस हो गया उम्ममाह ( और वो मेरे चूत के थोड़ा सा ऊपर एक किस करके उठ गए )
: ये क्या किया आपने ( मै लेटी हुई ही मुस्कुराई और उन्हें देखा )
: दवा लगाया और क्या ?
: नहीं उसके बाद ( मै थोड़ा शर्मा रही थी )
: अच्छा वो ... हाहाहाहाहा वसु को लगाते हुए आदत हो गई थी इसीलिए । चल तू सो जा अब
: आप भी आजाओ न ( मै बहुत हिचक कर कहा और डर भी रही थी )
: अच्छा बस थोड़ा देर तुझे सुला दूं फिर चला जाऊंगा
मै खुश हो गई और मै उनसे लिपट गई बिस्तर में उन्होंने मुझे अपने सीने से लगा कर सुलाया
: थैंक्यू भइया
: अरे पागल ,
: कितना अच्छा लग रहा है ( हालांकि उनके मुंह से अभी भी शराब की बु आ रही थी लेकिन गजब का सुकून था )
: तू मेरी बात क्यों नहीं मानती
: अब क्या , सारी बात तो मानी हूं । जैसा कहा आपने वैसा की हूं
: मै शादी करने के लिए कह रहा हूं पागल
: भक्क मुझे शादी नहीं करनी , आप हो न ( मैने उनका मन टटोला )

: देखा फिर वही जिद , सरोज कुछ रिश्ते भाई बहन से बढ़ कर होते है । मै तेरी सारी जरूरतें नहीं पूरी कर सकता
: क्यों ( मैने सहज सवाल किया और वो असहज हो गए )
वो मुझे देख रहे थे और मेरी आँखें तो उन्हें कह रही थी भइया मै तो बस खुद को तुम्हे ही सौंपना चाहती हूं वो थोड़ा हिचकने लगे थे और उठने लगे
: मत जाओ न भइया
: मत रोक मुझे सरोज
: मै जानती हूं आप भी मुझे पसंद करते हो , प्लीज
: तू कितनी जिद्दी है
: आपसे प्यार करती हूं भइया ( मैने आगे बढ़ कर उसके लिप्स चूम लिए और अगले ही पल वो जोश में आकर मुझे चूमने लगे )
कमरे में मेरी सिसकियां उठने लगी और वो मुझे अपने आप में भरने लगे । मेरी मोटी मोटी चूचियां उनके सिने से दब गई और एकदम से जैसे उनके अंदर के हवस का ज्वालामुखी फूट पड़ा हो वो मुझे मसल रहे थे चूम रहे थे और फिर रुक गए
: क्या हुआ ( हांफते हुए मै बोली )
: तेरी जलन कम करने जा रहा हूं
वो सरक कर नीचे चले गए कम्बल में और मै मदहोश हो गई , भैया मेरी टांगों में आ कर अपने होठ मेरे चूत पर लगा कर चूमने लगे और फिर जीभ फिराई और होठों से मेरे बुर का सारा रस निचोड़ कर मुझे सुस्त कर दिया
फिर वो कब उठ कर चले गए पता नहीं चला, मै गहरी नींद में सो गई और अभी देख रही हूं तो तुम बदमाश कही के घुसे थे ।

राज मुस्कुराने लगा और अपना लंड निकाल कर कंबल में सरोज को घुमा दिया : अभी घुसा कहा हूं मेरी जान , अब घुसना है
: ओह्ह्ह्ह राज उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई
: कितना रस छोड़ा है तुमने अपने भैया के नाम पर उफ्फ कितनी गीली हो गई है बुर तुम्हारी
: उम्मम राज अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह कितना गर्म है ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह
: सुबह सुबह गर्म गर्म लंड लेने का अपना ही मजा है मेरी रानी अह्ह्ह्ह कितनी रसीली चूत है तुम्हारी
राज ने पीछे से लंड उसकी बुर में डाल कर पेलने लगा और उसके मोटे चूतड़ों को फैलने लगा
कमरे में सिसकिया उठ रही थी और राज खूब कस कस कर पेल रहा था


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: ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह मम्मीइई उम्मन
: मम्मीई क्यों , भैया को बुलाओ न उम्ममम उनका लंड नहीं लेना हा बोल न मेरी जान मेरी रंडी सीईईई अह्ह्ह्ह कितनी मुलायम चूत है तेरी
: हा लेना है और यश मुझे चाहिए मेरे भैया का लंड ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम भइया अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह
: तेरे भैया ऐसे ही तेरी चूत फाड़ेंगे , उनका मोटा लंड देखा है न
: हम्ममम बहुत मोटा है अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह
: लोगी न अपनी बुर में उनका मोटा लंड
: हा ओह्ह्ह् नहीईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम भइया अह्ह्ह्ह्ह आ रही हूं ओह्ह्ह।
बिस्तर पर ही करवट लेटे हुए सरोजा झटके खाने लगी जिससे राज के लंड पर दुगना जोर पड़ने लगा और वो तेजी सरोजा की बुर में पेलने लग : हा मेरी जान मेरी रंडी झड़ जा भईया के लंड पर ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम उफ्फ फक्क्क् यूयू बिच ओह्ह्ह्ह कितनी रसभरी चूत है तेरी ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
: यशस्श ओह फक्क मीईई ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई
: ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह


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राज तेजी से उसकी बुर में झटके खा कर झड़ने लगा और हांफता हुआ उससे लिपट गया पीछे से ।

कुछ देर बाद दोनों शांत हुए और राज ने पीछे से उसके गर्दन को चूमने लगा और उसकी नंगी चूचियां दबाने लगा
सरोजा खिलखिलाई : धत्त अब छोड़ो भी
राज : बस जा ही रहा हूं
सरोजा : क्या ? अभी इतनी सुबह ?
राज : वही मतलब नाश्ते के बाद ही , आंटी ने अल्टीमेटम दिया हाहाहा
सरोजा : वैसे भाभी ने अच्छा ही किया , चलो मै भी रेडी होकर आती हूं

राज बिस्तर से निकल कर नीचे हाल में आया और नाश्ते के लिए सब बैठे थे ।
संजीव ठाकुर सोफे पर बैठे हुए कुछ चैटिंग कर रहे थे और राज को शरारत सूझी वो चुपके से संजीव के पीछे खड़ा हो गया और चैटिंग पढ़ने लगा
चैटिंग के साफ था कि किसी मिटिंग की प्लानिंग ही रही है ।

राज धीरे से उनके पास बैठ कर मुस्कुराता हुआ : ओहो अंकल , नई सेटिंग उम्मम
संजीव मुस्कुरा कर : अरे राजा तुम , नहीं यार कुछ महीने पुरानी है ।

राज : वैसे कब की प्लानिंग है
संजीव : मुझे मेरे बिजनेस के लिए आज शाम को निकलना है तो उसी के लिए कंपनी खोज रहा था , लेकिन ये साली नखरे कर रही है
राज : क्या कह रही है मैडम
संजीव : बोल रही है , 3 4 दिन की ट्रिप मैनेज नहीं हो पाएगी । कालेज ओपन है अभी
राज : ओहो, कॉलेज स्टूडेंट कुछ ज्यादा कम एज की नहीं खोज ली
संजीव : अरे पढ़ती नहीं पढ़ाती है , और उम्र का क्या है बेटा । जब वो ऊपर चढ़ जाए तो अच्छी अच्छी अनुभवी औरते फेल है । सीईईई इसीलिए तो मै जुगाड़ में लगा हूं
राज : ओह्ह्ह्ह फिर तो सही है लगे रहो हाहाहाहाहा
संजीव : वैसे तुम भी चलना चाहोगे मेरे साथ
राज ऑफर सुनकर मुस्कुराया : अब ललचाओ मत अंकल , पापा है नहीं , नहीं तो आता जरूर
संजीव : दो हफ्ते बाद मुझे मुंबई जाना है , तब तक फ्री ही जाओगे ?
राज कुछ सोचता हुआ : पापा से बात करना पड़ेगा लेकिन कोशिश करूंगा
संजीव : ठीक है फिर , मुंबई फाइनल करते है । ऐसी सर्द मौसम में वहां की गर्मी पसंद आएगी तुम्हे
राज मुस्कुरा कर : ओहो ऐसा क्या ?
संजीव ने आंख मारी और सामने से वसु मुस्कुरती हुई नाश्ते की प्लेट दोनों के लिए लेकर आती हुई दिखी

वसु : कबसे देख रही हूं आप लोग उठ कर डायनिंग टेबल पर आ नहीं रहे
राज : बस आने ही वाले थे
संजीव : हा जानू , बस हम आ ही रहे थे
वसु शर्माने लगी जानू सुनकर : धत्त आप भी , थोड़ी तो शर्म करिए बच्चे के सामने
संजीव : ओहो राज की वजह से , अरे ये तो मेरा पक्का दोस्त हो गया है क्यों
राज मुस्कुराने लगा
संजीव धीमे से : इसे मेरा छोटा भाई समझो और तुम भी चाह रही थी न कि तुम्हारा कोई देवर हो । लो अब से मिल गया हाहाहाहाहा
वसु मुस्कुरा कर : वैसे बड़ा हैंडसम देवर है और शरारती भी
राज दोनों की बातों से लजाने लगा था
संजीव : भाई अब देवर शरारत नहीं करेगा तो कौन करेगा हाहाहाहाहा
राज मुस्कुराने लगा : क्या अंकल आप भी।

जारी रहेगी
Wow kya dhamakedar update diya h bhai maja aa gya ragini or anuj ka ye khel dekh kr
Or ek trf saroj or raj ki chudai nai to maja dugna kr diya
Lagta h jaldi hi ragini ki chut mai anuj ka land jayega
 

R_Raj

Engineering the Dream Life
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💥 अध्याय: 02 💥

UPDATE 017

THE EROTIC SUNDAY 01


चमनपूरा

रविवार की सुबह सुबह तक़रीबन स्वा 6 बजे अनुज के बदन में हरकत शुरू हुई , करवट से मुड़ी हुई टांगों को पसारते हुए उसने कम्बल की गर्माहट के अपनी अंगड़ाई ली और रोशनदान से आती धुंधली सी रोशनी पर उसकी नजर पड़ी ।
सर्दियों की सुबह का आलस उस पर हावी था और एक लंबी जम्हाई के बाद वो सीधा हुआ , उसने अपने दोनों पैर टाइट कर सीधे किए और लोवर में बड़ा सा morning इरेक्शन महसूस किया , जिसे हाथों से पकड़ कर दबाते हुए वो कसमसाया और उसकी नजर अपने पीठ की ओर सोई हुई अपनी मां पर गई, जो पहले से ही उसके कम्बल के करवट लेकर उसकी ओर अपनी पीठ किए सोई थी ।
हल्की जलन भरी धुंधली नजरो से उसे अपनी मां रागिनी के बाल दिखे और पूरा बदन कम्बल में।
मुस्कुरा कर वो एक बार को अपनी मां से लिपट कर गुड मोरिंग विश करना चाहता था लेकिन तभी उसे अपने लोवर के बने बड़े से तंबू का ख्याल आया और उसने सोचा कि कही ऐसा न हो ये खूबसूरत संडे की सुबह थोड़ी ही जल्दीबाजी में बिगड़ जाए ।
उसने मुस्कुरा कर अपनी दोनों हथेली रगड़ी और अपने चेहरे पर सिकाई करते हुए एक झटके से बिना अपनी मां की ओर देखे कम्बल अपने बदन से हटाया और नित्य क्रिया के लिए खड़ा हुआ था
जैसे ही उसने कम्बल वापस अपनी मां को ढकने के लिए वापस घूमा उसके होश उड़ गए ।
सामने का नजारा देखते ही अनुज के मन में एक ही सवाल आया : अरे वो स्कर्ट कहा गई
अद्भुत और कामुक दृश्य जिसकी कल्पना अनुज इतनी सुबह नहीं कर सकता था
उसकी मां के कमर पर रात में जो उसने सोनल की स्कर्ट पहनी थी वो नहीं थी , कूल्हे के नीचे पूरी नंगी और बड़े बड़े रसीले मटके जैसे चूतड़ आपस में चिपके हुए , पीछे बैकलेस डोरी वाली ब्लाउज तो दिखी लेकिन उसकी डोरी एकदम ढीली


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कोई अचानक से देखे तो यही कहे कि रागिनी बिस्तर में नंगी सोई है ।
इधर अनुज जम सा गया अपनी मां के नंगे चूतड़ों को देख कर , उंगली से आंखे रगड़ कर नजारा साफ किया और खड़े खड़े अपना लंड लोवर में मसल दिया : उफ्फ मम्मी
मानो रागिनी ने जैसे उसकी पुकार सुन ली हो और वह भी अपने पैर पसारने लगी ।
अनुज ने फुर्ती से कम्बल सही कर दिया
रागिनी अंगड़ाई लेती हुई अपने हाथ ऊपर किए और पास में खड़े अनुज को देखा
अनुज मुस्कुरा कर : गुड मॉर्निंग मम्मी
रागिनी अपने हथेली से चेहरा साफ कर मुस्कुरा कर उठी हुई आंखों से देखते हुए : तू कब उठा
अनुज : बस अभी अभी
तभी कंबल में ही रागिनी को अहसास हुआ कि उसके कमर के नीचे कुछ नहीं है और पल भर के लिए उसके चेहरे की रौनक उड़ ही गई क्योंकि उसकी योजना थी कि वो सुबह अनुज से पहले उठ जाएगी ।

रागिनी : बेटा मेरे कमरे से मेरा पेटीकोट उठा लाएगा क्या , वो स्कर्ट की लास्टिक इतनी टाइट थी कि मै निकाल कर सो गई थी
अनुज ने आज्ञाकारी बच्चे के जैसे उसके बात का पालन किया और तेजी से अपनी मां के कमरे में चला गया जहां सोफे पर साड़ी के साथ पेटीकोट पड़ा हुआ था ।
अनुज ने उसे उठाया और एक अलग सा अहसास हुआ । उस सूती कपड़े में उसने अपने मम्मी के बदन की कोमलता और गंध महसूस की ।
मुस्कुरा कर उसने अपना लंड लोवर में सेट किया और राज के कमरे में आया तेजी से
और फिर एकदम से नजरे चुराने लगा क्योंकि सामने उसकी मां बिस्तर में बैठी हुई थी और उसके ढीले ब्लाउज से उसकी पपीते जैसी चूचियां नीचे से लटक रही थी । नजर पड़ते ही अनुज ने निगाहें फेर ली और उसमें एक ठहराव सा आ गया
: मम्मी ये लो ( अनुज ने बिना उसकी ओर देखे पेटीकोट देते हुए कहा )
रागिनी ने जैसे अनुज की हरकत नोट की तो उसे अपनी स्थिति का ध्यान आया और सबसे पहले उसने अपने मम्मे को ब्लाउज में सेट कर दिया। इस दौरान उसने मुस्कुराते हुए बस अनुज का ख्याल किया कि वो सच में कितना साफ दिल है ।

अनुज ने फिर से उसकी ओर देखा और वही खड़ा हो गया ।
रागिनी : अब खड़ा क्या है जा न फ्रेश नहीं होना
अनुज समझ गया कि उसकी मां को पेटीकोट पहननी है और वो साफ साफ ये बात तो कह नहीं सकती कि वो कम्बल के अंदर नंगी है ।
अनुज : हा ठीक है , पानी गर्म कर दु आपके लिए भी
रागिनी मुस्कुरा कर : ठीक है कर दे
फिर अनुज किचन में चल गया और कुछ देर बाद रागिनी अपना ब्लाउज सेट करने की कोशिश करती हुई आई अनुज के पास किचन में
: बेटा ये डोरी बांधना तो


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अनुज ने अपनी मां की नंगी गुदाज पीठ देख थूक गटका, उसके जिस्म की मादक गंध वो अपने नथुनों में भरने लगा और
बिना कुछ बोले अपनी मां की डोरी बांध दी और रागिनी ने गर्म पानी पीकर अपने कमरे वाले बाथरूम चली गई ।
अनुज भी राज के कमरे में फ्रेश होने चला गया और वापस निकला तो देखा उसकी मां हाल में झाड़ू लगा रहे थी , पेटीकोट में उसके फैले हुए चूतड़ देखते ही अनुज खुश हो गया ।
फिर वो ये सोच कर मन ही मन हसने लगा कि अच्छा हुआ उसने बिस्तर में पीछे से अपनी मां को हग नहीं किया नहीं तो उसकी मां को यही लगता कि उसने जानबूझ कर किया , लेकिन उसे अफसोस भी हो रहा था कि काश एक बार उसे अपनी मां के नरम चूतड़ों पर लंड सटाने को मिल जाता तो कितना मजा आ जाता ।

रागिनी एकदम से अनुज को खड़ा हुआ देख कर : क्या हुआ ? पेट गड़बड़ है
अनुज मुस्कुरा कर : नहीं , देख रहा हूं आपको सर्दी नहीं लग रही है ?
रागिनी : सर्दी ? ले झाड़ू लगा फिर पता चलेगी सर्दी है या गर्मी
अनुज : नहीं मुझे लिखना है
रागिनी : ठीक है
अनुज : आपके कमरे में लिख लूं
रागिनी : अच्छा रुक बिस्तर बदल दूं फिर
फिर रागिनी कमरे में गई और अनुज पीछे पीछे से राज के कमरे से किताबें लेकर आया
रागिनी ने जल्दी जल्दी बिस्तर लगाने के चक्कर में झटके से बेडशीट खींचा और बाथरूम में चली गई । फिर हड़बड़ी में जल्दी जल्दी आलमारी से नई बेडशीट निकाल कर बेड की ओर घूमी कि उसकी नजर अनुज पर गई
जो झुक कर बेड के पास गिरे एक चौकोर दो इंच के डार्क चॉकलेटी पैकेट को बड़े ध्यान से देखते हुए उठा कर उस पर लिखा हुआ पढ़ रहा था कि रागिनी एकदम से सन्न हो गई ।
अनुज को समझते देर नहीं लगी कि ये कंडोम है , जैसे ही उसे ख्याल आया कि उसकी मां पीछे खड़ी है उसने अपना नाटक शुरू कर दिया

अनुज उसको सूंघता हुआ : मम्मी ये क्या है ?
रागिनी ने झट से उसके हाथ से वो पैकेट झपट लिया: कु कुछ नहीं
अनुज : अरे ! लेकिन ये तो चॉकलेट जैसा महक रहा है
रागिनी : हम्मम वो उसका फ्लेवर है
अनुज : लेकिन ये है क्या ?
रागिनी : ओहो क्या करेगा जान कर । वो तेरे पापा की चीज है । चल बिस्तर लगा दी हूं अब पढ़ाई कर मुझे कपड़े धुलने है

ये बोलकर रागिनी अनुज से बचकर बाथरूम में निकल गई और कपड़े धुलने बैठ गई
अनुज ने भी कमरे में बेड पर ऐसी जगह चुनी जहां से वो अपनी मां को बाथरूम में देख सके ।

अनुज अपनी पढ़ाई के लग गया और इधर रागिनी कपड़ो की धुलाई में
रह रह उसकी चोर नजरे रागिनी की ओर थी , लेकिन रागिनी अपने काम में मशगूल थी
धीरे धीरे रागिनी के खुद के कपड़े सामने से भीगने लगे । लेकिन चुकी वो बाथरूम के गेट पर ही अनुज की ओर पीठ करके बैठी थी तो अनुज को पता नहीं चल रहा था , वो लंबे समय तक बस अपनी मां के मटके जैसे चूतड़ों को एक काठ की सीट पर बैठे हुए देख रहा था , जब जब रागिनी कपड़ो पर ब्रश रगड़ने के लिए आगे झुकती उसकी चूतड़ पीछे से हवा में हो जाती है । पहले तो सब नॉर्मल था लेकिन जब धीरे धीरे उसके कपड़े आगे से भीग गए और पानी उसके चूतड़ों तक आ गया तो अब हल्की हल्की दरार भी नजर आने लगी पेटीकोट के ऊपर से क्योंकि गिले वाले हिस्से का पेटीकोट नीचे उसके चूतड़ों से चिपक गया था
ये नजारा मिलते ही अनुज का लंड उछलने लगा और वो लोवर में हल्का हल्का सहलाने लगा ।
इधर लगभग उसने लाली के पास जो नोट्स लाए थे उसका आखिरी पेज चल रहा था और उसके दिमाग में लाली का ख्याल भी आने लगा कि कल उसने इंस्टा पर आने को कहा था लेकिन नेट न होने की वजह वो ऑनलाइन भी जा पाया और अब ये नोट्स खत्म हो गए । क्यों न वो उससे मिलने दोपहर में लाली के घर जाए ? क्या पता आज भी उसे उसकी मिस के चूतड़ों का दीदार हो जाए अह्ह्ह्ह्ह कितनी मोटी गाड़ थी मिस जी की उम्मम कितनी गुलाबी थी सीईईई

" अनुज "
: हा मम्मी
एकदम से चौक कर अनुज ने गर्दन फेर कर बाथरूम की ओर देखा तो सामने उसकी मां बाथरूम के गेट पर खड़ी थी ।


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उसका बदन आगे से पूरा गिला था । ब्लाउज भीग कर उसके मोटी रसीली छातियो से चिपक गए थे उसकी ब्लाउज पूरी विजिबल थी जिसका उसे जरा भी ख्याल नहीं था कि सामने से उसका प्यारा दुलारा बेटा उसकी चूचियां ही निहारेगा ।

: बेटा मै पूरी भीग गई हूं , जरा राज के कमरे से देख उसके कपड़े धुलने लायक हो लाकर दे दे
अनुज का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा था , सुबह सुबह चूतड़ और अब चूचियों के दर्शन
: ठीक है मम्मी लाता हूं
फिर वो बिस्तर से निकल कर राज के कमरे के गया और दरवाजे के बीच दिवाल पर खूंटी पर टंगी हुई पेंट जींस शर्ट लेकर आया और बाथरूम के गेट पर पहुंचा था कि ठिठक गया


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सामने उसकी मां आगे झुक कर बाल्टी में कपड़े डुबो का उन्हें खंगाल रही थी ताकि सर्फ निकल जाए
लेकिन अनुज की निगाहे तो उसके पेटीकोट के फैले हुए चूतड़ों पर थी जो भीग कर विजिबल हो गई थी , उसके गाड़ के दरारें पूरी साफ साफ दिख रही थी ,
अनुज ने हौले से अपना लंड मसला
: लो मम्मी
रागिनी उठ कर घूमी और उसके हाथ से शर्ट और टीशर्ट लेकर
: ये जींस पेंट और वो बेडशीट बेटा उसको न पीछे वाशिंग मशीन में डाल देगा, फिर तू पढ़ाई कर तुझे नहीं उठाऊंगी
अनुज मुस्कुरा कर : क्या मम्मी तुम भी , कर देता हूं न
रागिनी : कितना अच्छा है मेरा बेटा
अनुज अपनी मां के दुलार से खुश हो गया और दिए हुए सारे कपड़े लेकर वाशिंग मशीन में डाल कर पानी भरने लगा और करीब 10 मिनट बाद वो वापस मशीन चालू कर कमरे में आया तो इस बार का सरप्राईज और बड़ा था
बाथरूम में रागिनी अब दूसरी ओर बैठ गई थी और उसके बदन पर उसका ब्लाउज नहीं था, उसकी नंगी चूचियां खूब हिल रही थी लेकिन वो पेटीकोट में कुछ इस तरह से छिपी थी कि अनुज को अपने मा के निप्पल की झलक भी नहीं मिली


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अनुज में मुंह में लार भरने लगी , सच में आज उसका संडे बहुत ज्यादा ही क़िस्मत से भरा था ।
वो वापस से बिस्तर में आ गया
लेकिन अब उसका बाथरूम की ओर देखना थोड़ा कठिन था , क्योंकि इस बार रागिनी बाहर की ओर मुंह करके बैठी थी ।
अनुज ने आंखे सीधी अपने किताबों में लगाए हुए था और इस दौरान रागिनी ने एक दो बार उसे देखा और पाया कि वो जरा भी उसकी ओर नहीं देख रहा है ।
रागिनी मुस्कुरा रही थी ये सोच कर कि उसका बेटा कितनी इज्जत करता है उसकी और फिर वो कपड़े धुलने में लग गई और कुछ देर बाद फिर अनुज ने वापस देखा तो बाथरूम का दरवाजा भिड़का हुआ था और अदंर से पानी गिरने की आवाज आ रही थी । अनुज को समझते देर नहीं लगी कि उसकी मां नहा रही है अन्दर
अनुज की तो लालसा थी कि काश दरवाजा बंद होने से पहले वो अपनी मां को देख लिया होता ।

इधर रागिनी आज कुछ ज्यादा ही काम कर ली थी तो उसके पूरे बदन में खुजली थी , और हर जगह उसके हाथ नहीं पहुंच सकते थे ।
तभी कुछ देर में अनुज के कान खड़े हुए जब रागिनी ने उसे आवाज दी बाथरूम के अंदर से

" अनुज "



सरोजा के घर

गर्म बिस्तर में अपनी एड़ियां रगड़ता हुआ राज ने अपने पैर टाइट किए और खड़े लंड की सलामी स्वीकार उसको दबाने लगा
आंखे खुली तो वसु का कमरा देख कर उसे बीती रात की सारी कहानी ताजा हो गई और एक बार फिर उसके लंड ने हुंकार भरी थी कि उसे कमरे में पायलों की छनछनाहट मिली और वो झट से आंखे बंद कर लिया
तभी कमरे के बाथरूम से वसु तौलिया लपेटे हुए कमरे ने दाखिल हुई
भीगे बाल , साबुन की भीनी खुशबू पूरे कमरे में फैल गई ।
गुनगुनाती हुई वसु ने एक नजर राज को बिस्तर में सोया देखा और आगे बढ़ गई अपने आलमारी की ओर
पायलों की रुनझुन से राज ने अंदाजा लगाया और आंखे खोली तो देखा वसु आइने के आगे खड़ी होकर हेयर ड्रायर सेट कर रही है बाल सुखाने के लिए

राज ने उसकी मोटी गदराई जांघों को देखा तो उसका लंड पंप होने लगा और फिर हेयर ड्रायर की आवाज आने लगी तो राज ने वापस आंखे बंद कर ली , वसु ने एक नजर वापस राज को देखा और बाल सुखाने लगी ।


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कुछ देर बाद राज ने वापस आंखे खोली तो देखा वसु आइने में खुद को निहारते हुए अपने बालों को सवार रही थी ।
अभी भी उसके बदन पर तौलिया था और फिर उसने अलमारी खोलकर कपड़े निकालने लगी और राज ने वापस आंखे बंद कर दी
फिर उसने एक ब्रा पैंटी सेट निकाली, एक नजर घूम कर राज को देखा और फिर अपने तौलिए को खोलकर फर्श पर गिरा दिया


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राज ने आंखे महीन कर वो नजारा देखा जब वसु पीछे से पूरी नंगी हो गई , उसके मोटे चूतड़ों की सटी हुई दरारों को देख कर राज के मुंह ने पानी आने लगा और लंड एकदम फड़फड़ाने लगा
तभी वसु ने पैर उठा कर पैंटी पहनने लगी और फिर ब्रा पहन रही थी


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राज ने सोचा यही समय है कि अब उसे जताया जाय और वो अंगड़ा लेता हुआ उठ गया : गुड मोरनिंग आंटी
वसु एकदम से चौक गई लेकिन अगले ही पल उसने खुद को सम्भाल लिया और ऐसे जताने लगी जैसे सब नॉर्मल हो : गुड मॉर्निंग बेटा , उठ गए

वसु ने एक अपना नाइटी गाउन उठाया और पहनते हुए उसके पास गई
: हम्ममम तो कैसी रही रात , अच्छे से सोए न
: आपने सोने कहा दिया ( राज ने छेड़ा उसे )
: धत्त बदमाश, मै कहा वो तो तेरे अंकल ( वसु लजा कर गुलाबी हुई का रही थी )
: मै नहीं सो पाया तो क्या हुआ , आपकी रात तो अच्छी रही न
: कहा अच्छी थी वो बस ... ( वसु बोलते हुए रुक गई और शर्मा गई कि वो क्या बोलने जा रही थी )
: कही ऐसा तो नहीं कि मेरे वजह से आपने इंजॉय नहीं किया
: नॉटी कही के मारूंगी तुमको , चलो उठो । ये सब बाते करोगे अब तुम मुझसे
: कुछ भी कहो अंकल है बहुत रोमांटिक
: अच्छा जी , तुम्हे कैसे पता ?
: दरवाजे के पास आपकी आवाजें सुनकर ही समझ आ गया था हिहिही
: धत्त गंदे , तुम देख रहे थे मुझे ( वसु मुस्कुरा कर थोड़ी लजाती हुई बोली )
: इतना रोमांटिक सीन छोड़ दे , कोई पागल ही होगा
वसु शर्म से लाल होने लगी और उसने राज का हाथ पकड़ कर उसे खींचते हुए : चलो उठो तुम बेशर्म कही के , चलो
राज खिलखिलाता हुआ बाथरूम में चला गया और जब वापस आया तो देखा कमरे में कोई नहीं था और मुझे तो बस सरोजा का ख्याल आया ।
वो धीरे से वसु के कमरे से निकला और लपक कर सरोजा के कमरे में घुस गया
देखा तो सरोजा बिस्तर में बेसुध सोई है और कम्बल लिए हुए ।
राज के दरवाजा बंद कर अंदर गया और नीचे से उसका कम्बल उठा कर देखा तो अंदर सरोजा पूरी नंगी सोई थी , ऊपर बस कम्बल ले रखा था ।
राज की जीभ कार छोड़ने लगी और उसने हौले से नीचे से घुस कर उसके जांघों तक गया और उनकी गर्म चूत और जांघों को चूमने लगा ।

सरोजा बिस्तर के कसमसाने लगी और उसकी कुनमुनाहट में राज ने उसके मुंह से निकली सिसकियों के भईया सुना तो राज का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा और उसने सरोजा के बुर पर जीभ फिरनी शुरू कर दी ।


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: उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह भइया कितना चाटेंगे उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ठीक हो गया है वो उम्मम
: वैसे क्या हो गया इसको ( कम्बल के अंदर से ही राज मुस्कुराता हुआ ऊपर सरोजा के मुंह के पास चला गया )
: भक्क तुम हो , मुझे लगा ( सरोजा शर्माई )
: अरे , लगता है कल भइया के साथ कुछ कांड कर बैठी हो उम्मम
: भक्क पागल , हटो
: अरे बताओ न ,प्लीज हुआ कैसे ?
: तुम मानोगे नहीं ( वो राज देखते हुए बोली )
: कोई और चारा दिख रहा है ( राज ने मुस्कुरा कर उसे देखा )
सरोजा गहरी सांस लेती हुई

वो कल रात जब तुमने मैसेज किया न तो मैने भैया के पहले ही उनके कमरे में चली गई थी । डर लग रहा था लेकिन हिम्मत नहीं छोड़ी मैने । भाभी के बिस्तर पर ही अपनी साड़ी उतार कर फेंक दी , पेटीकोट ब्लाउज नीचे फर्श पर और पैंटी कमरे के बाथरूम के रास्ते निकाल आकर सिर्फ ब्रा में बाथरूम में थी और टॉयलेट सीट पर बैठ कर जेट स्प्रे से अपनी बुर को धूल रही थी । जैसे ही मुझे भैया के आने की आहट हुई मैने सिसकियां लेना शुरू कर दिया


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मैने जरा भी दरवाजे की ओर नहीं देखा बस आंखे बंद कर उस जेट स्प्रे से अपनी बुर पर पानी गिराती रही , सच कहूं तो मुझे वहा बुरी तरह से खुजली हो रही थी ।
इधर भइया बाथरूम के दरवाजे पर खड़े होकर मुझे देख रहे थे और मैने एकदम से चौक कर उन्हें देखा और खड़ी होकर अपनी चूत छुपाने लगी

: भइया आप ?
: अरे सरोज तू ये ?
: भैया आप अंदर कैसे आए ?
: वो दरवाजा खुला था और कपड़े ऐसे फेंके थे और तुम्हारी आवाज
मै बाथरूम में तौलिया भी नहीं लेकर गई थी भैया मेरी गदराई जांघों को देख रहे थे और मेरे कूल्हे पूरे नंगे थे ।
: ये सब क्या है सरोज
: भैया वो मुझे खुजली हो रही थी और एकदम से परेशान हो गई तो भागी भागी भाभी के बाथरूम में आ गई , सॉरी
: क्या खुजली ? कबसे हो रही है
: हफ्ते भर से , आप बाहर जाएंगे मुझे कपड़े पहनने है
: हा हा तुंरत , नहीं तो सर्दी लग जायेगी ।
वो थोड़ा साइड हुए और मैं गिले पैरो से भागती हुई कमरे में आई और वो पीछे से मेरे नंगे चूतड़ों को थिरकता देख रहे थे , उनके पेंट में दबाव बढ़ रहा था । मैने कमरे में इधर उधर तौलिया खोजने लगी , वैसे ही ही अधनंगी , आलमारी खोली तो मिली और जल्दी जल्दी भैया के सामने ही अपनी गाड़ और चूत पोछने लगी
मै पैंटी डालने वाली थी कि भैया ने मुझे रोक : रुक एक मिनट सरोज
मै असहज हो रही थी लेकिन भैया पूरे बेफिक्र और बेशर्म। वो चल मेरे पास आए
: हाथ हटा, देखूं लाली तो नहीं है ?
: पता नहीं भैया लेकिन अभी आराम है
: अच्छा ठीक है तू वसु की कोई आराम दायक नाइटी पहन ले , मै दवा दे दूंगा वो लगा लेना
: जी भैया
और फिर वो बाथरूम में चले गए ।
फिर हमारी मुलाकात वही सीढ़ियों पर हुई और सबके सोने के बाद वो मेरे कमरे में आए थे । एक जेली की डिबिया लेकर

: फिर ( राज ने पूछा )
: फिर ? ( सरोजा मुस्कुराई )

मै कमरे में सोई हुई तुम्हारे और भैया के खयाल में थी और सच में कल खुजली हो रही थी क्योंकि तबसे मेरी चूत गीली ही थी लगातार
भइया कमरे में आए और दरवाजा भिड़का दिया ।
: कैसी हो सरोज
: अच्छी हूं भैया
: जलन कैसी है अब वहां
मै चुप रही और वो फिर से बोल पड़े
: मतलब ठीक नहीं हो
: हम्म्म
: पैंटी निकाल कर लेट जाओ
: क्या ? ( मै चौकी )
: जैसा कह रहा हूं करो
भइया ने थोड़ा सा हड़काया और मै डर गई । मैने धीरे से नाइटी में हाथ डाल में अपनी पैंटी निकाली और फर्श पर गिरा दी और बिस्तर पर लेट गई
मेरी धड़कने तेज थी कि भैया क्या करेंगे
: इसको ऊपर करके पैर खोलो
: लेकिन भैया
: जो कह रहा हूं करो
मैने बिना कुछ कहे अपनी नाइटी कमर तक खींच ली और जांघें खोल दी
मेरी बजबजाई बुर अब भैया के आगे थी
वो एकटक बस मेरी चूत निहार रहे थे
वो झुक कर मेरे जांघों के बीच आए फिर से मेरी चिपकी हुई चूत के फांके फैलाए और मै सिसक पड़ी , पहली बार उन्होंने मुझे छुआ था और मेरी सांस तेज होने लगी


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: उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई भैया
: दर्द हो रहा है
: उन्हूं , सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम कितना उफ्फफ सॉफ्ट है उम्मम
: अच्छा लग रहा है ( वो जेली को मेरे चूत के दाने और फांकों पर लगा रहे थे )
: हा भइया बहुत .... क्या है वो
: ये दवा है , कभी कभी तेरी भाभी को जरूरत होती है तो लगा देता हूं
: ओह्ह्ह्ह उम्ममम ओह्ह्ह भईया उम्मम सीईईईई कितना लगाओगे
: बस हो गया उम्ममाह ( और वो मेरे चूत के थोड़ा सा ऊपर एक किस करके उठ गए )
: ये क्या किया आपने ( मै लेटी हुई ही मुस्कुराई और उन्हें देखा )
: दवा लगाया और क्या ?
: नहीं उसके बाद ( मै थोड़ा शर्मा रही थी )
: अच्छा वो ... हाहाहाहाहा वसु को लगाते हुए आदत हो गई थी इसीलिए । चल तू सो जा अब
: आप भी आजाओ न ( मै बहुत हिचक कर कहा और डर भी रही थी )
: अच्छा बस थोड़ा देर तुझे सुला दूं फिर चला जाऊंगा
मै खुश हो गई और मै उनसे लिपट गई बिस्तर में उन्होंने मुझे अपने सीने से लगा कर सुलाया
: थैंक्यू भइया
: अरे पागल ,
: कितना अच्छा लग रहा है ( हालांकि उनके मुंह से अभी भी शराब की बु आ रही थी लेकिन गजब का सुकून था )
: तू मेरी बात क्यों नहीं मानती
: अब क्या , सारी बात तो मानी हूं । जैसा कहा आपने वैसा की हूं
: मै शादी करने के लिए कह रहा हूं पागल
: भक्क मुझे शादी नहीं करनी , आप हो न ( मैने उनका मन टटोला )

: देखा फिर वही जिद , सरोज कुछ रिश्ते भाई बहन से बढ़ कर होते है । मै तेरी सारी जरूरतें नहीं पूरी कर सकता
: क्यों ( मैने सहज सवाल किया और वो असहज हो गए )
वो मुझे देख रहे थे और मेरी आँखें तो उन्हें कह रही थी भइया मै तो बस खुद को तुम्हे ही सौंपना चाहती हूं वो थोड़ा हिचकने लगे थे और उठने लगे
: मत जाओ न भइया
: मत रोक मुझे सरोज
: मै जानती हूं आप भी मुझे पसंद करते हो , प्लीज
: तू कितनी जिद्दी है
: आपसे प्यार करती हूं भइया ( मैने आगे बढ़ कर उसके लिप्स चूम लिए और अगले ही पल वो जोश में आकर मुझे चूमने लगे )
कमरे में मेरी सिसकियां उठने लगी और वो मुझे अपने आप में भरने लगे । मेरी मोटी मोटी चूचियां उनके सिने से दब गई और एकदम से जैसे उनके अंदर के हवस का ज्वालामुखी फूट पड़ा हो वो मुझे मसल रहे थे चूम रहे थे और फिर रुक गए
: क्या हुआ ( हांफते हुए मै बोली )
: तेरी जलन कम करने जा रहा हूं
वो सरक कर नीचे चले गए कम्बल में और मै मदहोश हो गई , भैया मेरी टांगों में आ कर अपने होठ मेरे चूत पर लगा कर चूमने लगे और फिर जीभ फिराई और होठों से मेरे बुर का सारा रस निचोड़ कर मुझे सुस्त कर दिया
फिर वो कब उठ कर चले गए पता नहीं चला, मै गहरी नींद में सो गई और अभी देख रही हूं तो तुम बदमाश कही के घुसे थे ।

राज मुस्कुराने लगा और अपना लंड निकाल कर कंबल में सरोज को घुमा दिया : अभी घुसा कहा हूं मेरी जान , अब घुसना है
: ओह्ह्ह्ह राज उम्मम अह्ह्ह्ह्ह सीईईई
: कितना रस छोड़ा है तुमने अपने भैया के नाम पर उफ्फ कितनी गीली हो गई है बुर तुम्हारी
: उम्मम राज अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह कितना गर्म है ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह
: सुबह सुबह गर्म गर्म लंड लेने का अपना ही मजा है मेरी रानी अह्ह्ह्ह कितनी रसीली चूत है तुम्हारी
राज ने पीछे से लंड उसकी बुर में डाल कर पेलने लगा और उसके मोटे चूतड़ों को फैलने लगा
कमरे में सिसकिया उठ रही थी और राज खूब कस कस कर पेल रहा था


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: ओह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह मम्मीइई उम्मन
: मम्मीई क्यों , भैया को बुलाओ न उम्ममम उनका लंड नहीं लेना हा बोल न मेरी जान मेरी रंडी सीईईई अह्ह्ह्ह कितनी मुलायम चूत है तेरी
: हा लेना है और यश मुझे चाहिए मेरे भैया का लंड ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम भइया अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह
: तेरे भैया ऐसे ही तेरी चूत फाड़ेंगे , उनका मोटा लंड देखा है न
: हम्ममम बहुत मोटा है अह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह्ह्ह्ह
: लोगी न अपनी बुर में उनका मोटा लंड
: हा ओह्ह्ह् नहीईईई ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम भइया अह्ह्ह्ह्ह आ रही हूं ओह्ह्ह।
बिस्तर पर ही करवट लेटे हुए सरोजा झटके खाने लगी जिससे राज के लंड पर दुगना जोर पड़ने लगा और वो तेजी सरोजा की बुर में पेलने लग : हा मेरी जान मेरी रंडी झड़ जा भईया के लंड पर ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह उम्ममम उफ्फ फक्क्क् यूयू बिच ओह्ह्ह्ह कितनी रसभरी चूत है तेरी ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह
: यशस्श ओह फक्क मीईई ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह सीईईई
: ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू ओह्ह्ह्ह उम्ममम अह्ह्ह्ह


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राज तेजी से उसकी बुर में झटके खा कर झड़ने लगा और हांफता हुआ उससे लिपट गया पीछे से ।

कुछ देर बाद दोनों शांत हुए और राज ने पीछे से उसके गर्दन को चूमने लगा और उसकी नंगी चूचियां दबाने लगा
सरोजा खिलखिलाई : धत्त अब छोड़ो भी
राज : बस जा ही रहा हूं
सरोजा : क्या ? अभी इतनी सुबह ?
राज : वही मतलब नाश्ते के बाद ही , आंटी ने अल्टीमेटम दिया हाहाहा
सरोजा : वैसे भाभी ने अच्छा ही किया , चलो मै भी रेडी होकर आती हूं

राज बिस्तर से निकल कर नीचे हाल में आया और नाश्ते के लिए सब बैठे थे ।
संजीव ठाकुर सोफे पर बैठे हुए कुछ चैटिंग कर रहे थे और राज को शरारत सूझी वो चुपके से संजीव के पीछे खड़ा हो गया और चैटिंग पढ़ने लगा
चैटिंग के साफ था कि किसी मिटिंग की प्लानिंग ही रही है ।

राज धीरे से उनके पास बैठ कर मुस्कुराता हुआ : ओहो अंकल , नई सेटिंग उम्मम
संजीव मुस्कुरा कर : अरे राजा तुम , नहीं यार कुछ महीने पुरानी है ।

राज : वैसे कब की प्लानिंग है
संजीव : मुझे मेरे बिजनेस के लिए आज शाम को निकलना है तो उसी के लिए कंपनी खोज रहा था , लेकिन ये साली नखरे कर रही है
राज : क्या कह रही है मैडम
संजीव : बोल रही है , 3 4 दिन की ट्रिप मैनेज नहीं हो पाएगी । कालेज ओपन है अभी
राज : ओहो, कॉलेज स्टूडेंट कुछ ज्यादा कम एज की नहीं खोज ली
संजीव : अरे पढ़ती नहीं पढ़ाती है , और उम्र का क्या है बेटा । जब वो ऊपर चढ़ जाए तो अच्छी अच्छी अनुभवी औरते फेल है । सीईईई इसीलिए तो मै जुगाड़ में लगा हूं
राज : ओह्ह्ह्ह फिर तो सही है लगे रहो हाहाहाहाहा
संजीव : वैसे तुम भी चलना चाहोगे मेरे साथ
राज ऑफर सुनकर मुस्कुराया : अब ललचाओ मत अंकल , पापा है नहीं , नहीं तो आता जरूर
संजीव : दो हफ्ते बाद मुझे मुंबई जाना है , तब तक फ्री ही जाओगे ?
राज कुछ सोचता हुआ : पापा से बात करना पड़ेगा लेकिन कोशिश करूंगा
संजीव : ठीक है फिर , मुंबई फाइनल करते है । ऐसी सर्द मौसम में वहां की गर्मी पसंद आएगी तुम्हे
राज मुस्कुरा कर : ओहो ऐसा क्या ?
संजीव ने आंख मारी और सामने से वसु मुस्कुरती हुई नाश्ते की प्लेट दोनों के लिए लेकर आती हुई दिखी

वसु : कबसे देख रही हूं आप लोग उठ कर डायनिंग टेबल पर आ नहीं रहे
राज : बस आने ही वाले थे
संजीव : हा जानू , बस हम आ ही रहे थे
वसु शर्माने लगी जानू सुनकर : धत्त आप भी , थोड़ी तो शर्म करिए बच्चे के सामने
संजीव : ओहो राज की वजह से , अरे ये तो मेरा पक्का दोस्त हो गया है क्यों
राज मुस्कुराने लगा
संजीव धीमे से : इसे मेरा छोटा भाई समझो और तुम भी चाह रही थी न कि तुम्हारा कोई देवर हो । लो अब से मिल गया हाहाहाहाहा
वसु मुस्कुरा कर : वैसे बड़ा हैंडसम देवर है और शरारती भी
राज दोनों की बातों से लजाने लगा था
संजीव : भाई अब देवर शरारत नहीं करेगा तो कौन करेगा हाहाहाहाहा
राज मुस्कुराने लगा : क्या अंकल आप भी।

जारी रहेगी

Itna Bhar Bhar Ke Seduction De Diye
Muthiya Pe Muthiya Marni Pari

Super Hot Update Bro !
 

Akaash04

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अगर मेरे पाठक कल 🇮🇳vs🇵🇰 पाकिस्तान का मैच bycott करते है तो अगले पूरे हफ्ते तक मेरी दोनों कहानियों पर रेगुलर अपडेट आएंगे

मै कल पूरा दिन लिखने वाला हूं
If that true then waiting for next update after reading the latest update can't wait why ragini called anuj in bathroom will she be naked in front of her son but in update we read she think her son didn't look at her so how will be the equation of their sex. so many questions hope we will get next update very soon bro in this story my dream is anuj ragini solo sex and some secret revealed raj anuj ragini threesome and family orgy you are writer and you have plans but I have one suggestion as anuj use raj phone so what if after anuj ragini sex aor their threesome anuj takes raj mobile and ragini also using it like watch some movies or anything else and then suddenly sonal send her sexy pics to raj with sexy massage it will be very shock for them that's only my imagination rest is up to you best of luck for future updates
 

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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after so many days got a good update thanks bro now want to see what equation make at the end of erotic Sunday. will anuj ragini come close will there be some sexy interaction from ragini also will she feel anuj as man so many questions
Thanks
 
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