चलो आज कुछ क्लियर करते है
फर्ज करो तुम दसवीं की बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हो और घर के छोटे बेटे , हालही में तुमने अपने भाई के साथ और अकेले में कुछ सेक्सुअल रोमांच अनुभव किए , लेकिन क्या इतना मतलब है कि तुम सामाजिक जीवन को त्याग दोगे ? जो व्यव्हार तुम समाज के दूसरे लोगों से करते आए एकदम से वही व्यव्हार अपनी मां पर लागू कर लोगे ।
अनुज क्या है ?
रागिनी की नजर से देखो न , कैसे पेश आई है आज तक वो उससे , उसका वो बेटा हो शुरू से दब्बू शर्मिला और शांत रहा है । उस बेटे के जिसके दसवीं के बोर्ड आ रहे हो । , दसवीं समझते हो । जिसने अभी अभी कुछ हल्की फुल्की जिम्मेदारियों को उठाना सिखा है । रागिनी क्या उसमें राज की झलक देखेगी । रागिनी के जहन में ख्याल आएगा कि उसे सब कुछ छोड़ कर उसे अब अपने छोटे बेटे से भी सेक्स करना चाहिए ।
तुम जैसे पाठक जिन्हें सिर्फ अपनी तीव्र वासनाओं के आगे लेखक की मेहनत और उसके समय, लेखनी की कदर नहीं होती , कहानी की व्यवहारिका की कदर नहीं होती फिर ऐसे फैंटेसी का रट्टा लगा लेते हो । कि चुदाई क्यों नहीं हो रही है ।
250+ अपडेट लिखे है मैने , मुझे सिर्फ सेक्स की कराना होता तो खत्म हो गई होती कहानी अब तक । वो भी 100 अपडेट पहले ।
Tharkipo जैसा writter तुम्हारे जैसे पाठकों की वजह से क्या हालत कर ली उसने अपनी कहानी की । कम से मुझे तो अब नहीं पसंद आती उस कहानी के नए अपडेट ।
पढ़ना छोड़ दिया इस फोरम पर कहानियों को कि सब एक ही तरह के ढर्रे में लिखते है , कुछ भी नया नहीं होता , अगला कोई लेखक कुछ करने का सोचेगा भी तो तुम्हारे जैसे आ जायेंगे उसका मनोबल तोड़ने । जिन्हें बस एक ही तरह की खिचड़ी खानी है जल्दी से जल्दी चुदाई कराओ । तुम जैसे पाठक कभी किसी की लेखक की मेहनत और लेखनी से संतुष्ट नहीं हो सकते ।
रहम करना और मत पढ़ना मेरी कहानी आगे से

इतने दिन तक साथ रहे उसके लिए धन्यवाद