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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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कुछ मेडिकल इमर्जेंसी की वजह से इन दिनों व्यस्त हूं दोस्तो और परेशान भी 🥲
समय मिलने पर अपडेट दिया जायेगा और सभी को सूचित किया जाएगा ।
तब तक के लिए क्षमा प्रार्थी हूं
🙏

 
Last edited:

ChhotuD

New Member
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UPDATE 100
MEGA

नाना बिस्तर के किनारे टेक लगाये पैर खोल कर बैठे थे ।
उनका खड़ा लण्ड धोती के निचे सांस ले रहा था ।

मा मुस्कुरा कर थोडा शर्मा कर खुद के भाव को स्थिर रखने की कोसिस करते हुए नाना के बगल मे आ गयी ।
फिर उसने बाये हाथ से धोती उठाकर बिना निचे देखे दुसरे हाथ से वो ठण्डा सेकाई का पैकेट नाना के लण्ड के उपर रख दिया ,,, ठन्दक आ एहसास होते ही नाना की चिहुक उठे और मा थोडी मुह मे ही खिलखिलाई

मा मुह फेरे हुए दीवाल को देखते हुए अंदाजे से नाना के लण्ड पर सेकाई वाला पैकेट दबा रही थी
मा मुस्कुरा कर - आराम से बैठे रहिये बाऊजी नही तो ,,,,

नाना हस कर गुदगुदी मह्सूस करते हुए - हाह्हहहा बेटी वो गुदगुदी सी हो रही है वहा

अन्दर कमरे का हाल देख कर मुझे भी हसी छूट रही थी

मा - अभी थोडी देर मे सब सामान्य हो जायेगा बाऊजी

फिर मा ने धोती के अन्दर से उस पैकेट को नाना के लण्ड के निचले हिससे पर ले आई ।
गर्म आड़ो पर बर्फ सी गुदगुदाती ठन्डक पाते ही नाना जी उछल पड़े और मा के हाथ से वो पैकेट छितक गया ।

मा नाना के लण्ड की ओर देखते हुए - अरररे बाऊजी आराम से ,,,वो पैकेट गिर गया

फिर मा ने अपना हाथ निचे ले जाकर नाना जी जांघ के निचे अंदाजे से टटोला या जानबुझ कर लेकिन नाना जी के आड़ उनके हाथ मे आ गये ।

नाना - अह्ह्ह बेटी वो नही है मा ने तुंरत हाथ बाहर खिच लिया और शर्मा कर - सॉरी बाऊजी
फिर नाना ने धोती ह्टाई और पैकेट को उठा कर अपने लण्ड के उपर रख दिया ।

मा ने कनअखियो से नाना के लण्ड को देखा और एक नजर नाना की नजर मे देखा जो इस समय मा के गीले निप्प्ल को निहार रहे थे और वही वो पैकेट नाना के लण्ड पर पडा झूल रहा था ।
मा थोडी मुस्कुराई और वापस से उस पैकेट को पकड कर लण्ड के निचे ले गयी और फिर से आड़ो पर लगाया ,,,
पैकेट को दबा कर अच्चे से उसकी सेकाई करने लगी ।

मगर मा के हाथो से पैकेट से ही सही लेकिन अपना लण्ड मथे जाने पर नाना जी को बहुत मजा आ रहा था वो आंखे बंद कर हल्के हल्के मादक होने लगे ।

नाना को आंख बन्द किया देख मा ने धीरे से उनके लण्ड को पकड कर सीधा किया और लण्ड के निचली नस पर वो पैकेट टिका दिया ।
इधर मा के हाथो का स्पर्श पाकर नाना की आन्खे खुली और देखा कि मा उनके सुपाडे वाले हिस्से को अपनी अंगूठे और तर्जनी से पकडे सेकाई कर रही है

वो और उत्तेजित हो गये और उनकी नजर मा के ब्लाउज मे उस निप्प्ल पर जाने लगी जो अब धीरे धीरे सुखने लगा था लेकिन निप्प्ल का कड़ापन अब भी था ।

नाना जी ने एक नजर मा के पेतिकोट मे उभरे हुए कूल्हो पर डाली जिससे उनका लण्ड ने झटका दिया और वो मा के उंगलियो की पकड से छिटक गया ।
मा अपने ऊँगलीयो से लण्ड छिटक जाने पर चिहुकी - अरे हिहिहिही

नाना मुस्कुराये और मा भी थोडी शर्म से मुस्कुरा कर वापस से लण्ड को इस बार मुठ्ठि मे पकड ली और दोनो की धडकनें तेज हो गयी ।

इस बार मा के लण्ड को उपर अच्छे से पकड कर उन्के आड़ो को अच्छे से दबाया और नाना सिस्क उठे ।

सेकाई का असर कुछ खास नही हो रहा था ,,,उपर से नाना जी के लण्ड के कसाव बढता ही जा रहा था ,,बार बार आड़ो के मसले जाने से और मा के हाथो का स्पर्श अपने लण्ड पर पाकर नाना जी बहुत उत्तेजित हो गये थे ।

इतना खुलने के बाद भी नाना जी के मन मे अभी भी संकोच था कि कही वो आगे बढ़े तो मा कुछ गलत प्रतिक्रिया ना दे ,,,मगर इस समय वो हवस से घिरे थे और मा के जिस्म की महक उनको और भी मादक कर रही थी ।

तभी मा ने कुछ ऐसा किया कि नाना को इसकी जरा भी उम्मीद नही थी ।
मा ने नाना के बगल मे उनकी ओर पीठ कर बैठ गयी

मा - खडे खडे पैर दर्द करने लगा था
हालाँकि मा बहुत थोडे ही जगह पर बैठी उसके भारी चुतडो का एक हिस्सा अभी भी बिस्तर से लटका था और नाना को मानो इसी मौके की तालाश थी ।

वो लपक कर मा के दुसरे तरह हाथ डाल कर कूल्हो को पकड़ अपनी तरफ खिचते हुए खुद थोडा बिसतर पर खिसक गये

नाना - आजाओ बेटी आराम से बैठ जाओ
मा सिहर सी गयी उसके बदन मे बिजली सी कौंध गयी और वो शर्मा कर वापस से सेकाई करने लगी ।
लेकिन नाना का हाथ अभी भी वही मा के कुल्हे पर था ।


यहा मेरा लण्ड फटने को आ गया था ।
थोडी देर सेकाई के बाद मा बोली - बाऊजी लग रहा है इसकी ठंडई कम हो गयी है
और उसने वो पैकेट लण्ड से उठा कर अपने गाल पर लगाया और चेक किया

नाना जी ने सिहर गये और धीरे धीरे मा के कुल्हे सहलाने का कार्य जारी रखा

मा उठने को हुई तो वापस मा के कुल्हे दबा कर उनहे मानो रोक रहे हो
मा को इसका आभास होते ही बोली - बाऊजी मै बर्फ बदल कर लाती हू
और फिर खड़ी हो गयी ।

नाना - नही बेटा रहने दे उससे फायदा नही होगा ,,,मै जानता हू क्या करना है

मा - क्या बाऊजी
नाना मुस्कुरा कर - अब क्या बताऊ बेटा,,,तू बस कटोरी मे सरसो का तेल लेते आ

मा शर्मा गयी - लेकिन बाऊजी उससे आपको फिर थकान,,,,
नाना मा की बात काटते हुए - नही मुझे कोई दिक्कत नही होगी तू लेके आ बस

मा ने हा मे सर हिलाया और मुस्कुराते हुए कमरे से बाहर गयी ।
बाहर आते ही मैने लपक कर मा को हाल मे रोक लिया और उनका हाथ अपने लण्ड पर जमा कर उन्के होठ चुस लिये ।

मा मुझसे अलग होकर -क्या कर रहा है दरवाजा खुला है
मैने अपने लण्ड की ओर इशारा करते हुए कहा कि इसका क्या
मा मुस्कुरा कर धीरे से मेरे गाल चूम कर मेरे लण्ड सहलाते हुए - अभी मै आउन्गी तेरे कमरे मे

फिर मा फौरन किचन मे गयी और वापस से सरसो का तेल एक कचौरी मे लेके अपने कमरे मे आ गयी और वापस उसी तरह दरवाजा भिडका दिया ताकी बारीक दरारो से मै देख सकू

कमरे मे नाना जी वैसे ही बैठे कुछ सोच रहे थे कि मा आ गयी।
मा मुस्कुरा कर - हा बाऊजी
नाना - बस यही रख दे बेटी मै कर लूंगा ,,जा तू भी आराम कर

मा शर्मा कर - जी नही बाऊजी ,,, आपको तकलीफ है और मै आराम कैसे कर लू

मा - लाईये वो धोती दीजिये इसका पानी पोछना पडेगा ।
फिर मा वापस उसी जगह उसी पोजिसन मे नाना के बगल बैठ गयी और धोती से अच्छे से मल मल कर नाना के लण्ड उनके जांघो और आड़ो को साफ किया और फिर वो तेल की कटोरी से हल्का सा तेल लेके नाना के आड़ो मे लगाया और सह्लाया जिससे नाना गनगना गये ।

मा ने वापस से थोडी तेल को उंगलियो मे चपेड़ा लण्ड कर लगायी इस बार कुछ बुन्दे बेडशिट पर गिर गयी ।
नाना - अरे बेटी रहने दे ,, बिस्तर खराब हो जायेगा

मा - कोई बात नही बाऊजी मै बदल दूँगी
नाना - नही बेटा कितना परेशान होगी तू

मा कुछ ध्यान आया और उन्होने सोचा क्यू ना दीदी यानी रज्जो मौसी वाला आइडिया यूज़ किया जाय

मा - अच्छा ठीक है फिर आप पैर लटका के बैठ जाईये बेड पर मै निचे बैठकर कर देती हू

नाना जी मा की जिद पर मुस्कुराये और मा खड़ी हो गयी ।
नाना जी भी खसक कर बेड के बिच से एक तरफ पैर लटका कर बैठ गये और मा भी उन्के सामने ठीक एक अपना सृंगार टेबल का स्टूल लेके बैठ गयी ।

इस समय नाना जी का लण्ड मा के ठीक सामने था और मा ने अच्छे से तेल चभोड़ कर नाना के लिंग की मालिश करनी शुरु की और तेल से पूरी तरह लिंग को च्भोड़ दिया और इधर नाना जी आंखे बंद किए आहे भर रहे थे । जब कभी आंखे खुलती तो मा की हिलती चुचिया नजर आई और वो चरम पर जाने लगे ।
उन्के आड़ो से वीर्य उन्के सुपाडे मे भर गया था ।
मा को भी इसका आभास था क्योकि उन्के हथेलियों मे लण्ड कसने लगा था और तभी अचानाक से नाना जी का फब्बारा फुट पडा ।
मा और नाना एक साथ चिहुके , दोनो के मुह से एक समान रूप से सम्बोधन हुआ
मा - अरे बाऊजी , नाना - अरे बेटी

तब तक देरी हो चुकी थी
नाना जी का माल मा के जिस्मो पर फैल चुका था ,, उन्के चुचो , पेट और कुछ एक दो छीटे गालो पर

नाना ने फौरन मा का हाथ हटा कर लण्ड का मुहाना पकड लिया - ओह्ह्ह माफ करना बेटी ,,,मुझे पता ही नही चला ,,, लेकिन अभी भी उनका लण्ड झटके खा कर उन्के हथेली मे ही वीर्य उगल रहा था

मा अंदर ही अंदर बहुत संतुष्ट थी मगर सामने से थोडा झेपने के भाव मे - कोई नही बात नही बाऊजी मै साफ कर लेती हू जाकर ,,,

नाना जी एक बार फिर से माफी मांगी और मा ने उन्हे तसल्ली दी कोई बडी बात नही है ।

इधर मेरे लण्ड का बुरा हाल था ,,,अन्दर कमरे मे मेरा प्लान फेल होता नजर आ रहा था , क्योकि मेरे प्लान के मुताबिक रज्जो मौसी के जैसे नाना मा से भी पहल करते या उन्हे रिझाते मगर अन्दर सब छिछालेदर हुआ पडा था । अब आगे जो कुछ भी हो सकता था वो संयोग या मा के फैसले पर था । या तो वो कुछ अपने तरफ से करे या फिर साफ सफाई कर मेरे पास सोने आ जाये ।
मै इधर उलझा हुआ था
वही कमरे मे नाना खुद को कोसते हुए बडब्डा रहे थे और जल्दी मे अपने जान्घिये से ही अपने लण्ड का वीर्य और फिर फर्श पर छिटका हुआ माल साफ करने लगे ।

मगर मा भी कम नही थी मेरे मोटीवेशन का और थोडी बहुत जीत से उसे बहुत हिम्मत आई और उनसे बाथरूम मे जाकर अपने ब्लाउज पेतिकोट निकाल कर धुल दिये और नहाने लगी ।

थोडी देर बाद मा की आवाज आई
मा बाथरूम के दरवाजे से ओट लेके - बाऊजी वो सोफे के पास हैंगर पर तौलिया होगा दे देंगे क्या

नाना जी एक नजर मा को देखा और मुह फेर लिया और फिर मा के बताये जगह पर देखा तो वहा तौलिया था ही नही ।

नाना - नही बेटी नही है वहा तौलिया
मा - ओह्ह अच्छा फिर वो मेरे टेबल मे एक चाबी होगी उससे इस आल्मारि से मेरा कोई कपडा निकाल देंगे ।
नाना जी जो ग्लानि मे थे वो फटाफट से धोती को लूंगी सा लपेट कर ,,,ड्रावर मे चाबी खोजी लेकिन मिली नही ,,,
चाभी मिलती कैसे , चाभी तो मा हमेशा बेड के सिरहाने रखा करती थी बिसतर के गद्दे के निचे ।

निराश मुह से नाना - नही मिल रहा है बेटी
मा थोडा संकोच दिखा कर - अच्छा फिर आप वो जांघिया पहन लिजिए और मुझे अपना धोती दे दीजिये

नाना एक पल को चहके पर जल्द ही उनकी खुशी धूमिल हो गयी जब उनकी नजर उनके जान्घिये पर गयी जो फर्श पर वीर्य से चख्टी लतीयायि - सिकुडी हुई पड़ी थी ,,,मगर बेटी को और निराश ना करते हुए वो दरवाजे तक गये और अपनी धोती खोल कर उसे देदी ।

मा ने लपक कर धोती ली और दरवाजा बंद कर दिया
नाना जी वापस निराश होकर बाथरूम की ओर मुह किये बेड पर वैसे ही बैठ गये ।
थोडी ही देर मे दरवाजा खुला और मा नाना जी की पतली धोती लपेटे बाहर आई जिसमे उसके जिस्म से धोती ऐसे चिपकी थी मानो उसे ही पहन कर मा ने उपर से ही नहाया हो ।

धोती की चौड़ाई कम थी इसिलिए मा के आधे चुचे और आधी गाड़ तक की धोती लिपटी थी उपर से निप्प्ल , नाभि और चुत का शेप सब कुछ साफ साफ उभरा हुआ था ।

नाना जी की नजर मा पर पडते ही वो वापस से उत्तेजित हो गये और उनका लण्ड फनफना उठा ।

मा बडी शर्मीन्दगी से नजर झुकाये बाहर आई और फिर नाना के सामने की चल कर बाथरूम के बाहर जस्ट बगल मे लगे ड्रावर को खोलने के झुकी ।
जिससे मा के गाड़ फैल कर और नंगी ,नाना के सामने आ गयी और उनकी गाड़ के भूरे छेद के साथ उनकी चाकलेटी चुत का चीरा भी साफ साफ दिख गया ।

नाना क्या , ऐसे मादक नजारे को देख कर मै मेरे लण्ड ने कुछ बुन्दे निचोड़ दी । मुझे अन्दाजा लग गया कि मा इतने जल्दी हार नही मानने वाली है और हमारा प्लान जरुर पुरा होगा ।

नाना का बुरा हाल हो गया ।
कुछ देर तक वैसे ही झुक कर मा ने नाना को अपना दिदार कराते हुए चाबी खोजती रही लेकिन नही मिली तो खड़ी होकर ,,,नाना को नजरअंदाज करते हुए और चेहरे पर परेशानी का भाव लाकर इधर उधर चाभी खोजने लगी ,,,ताकि नाना को लगे कि सब सामान्य है
और तभी मा की नजर बेड के दुसरी तरफ पड़ी नाना के जन्घिये पर गयी और वो उसे उठा कर नाना के सामने लाते हुए

मा - आपने इसे पहना नही क्या
नाना नजर उठा कर एक बार सामने मा का दिदार किया और बोले - वो बेटी मैने उसी से वो फर्श साफ कर दिया था

मा परेशान होकर- ठीक है कोई बात नही,,,मगर ये चाभी नही मिल रही है ,,,रुकिये मै इसे बाथरूमे डाल के आती ही हू ,

फिर मा अपने चुतड मटकाते हुए बाथरूम में गयी और नाना का जांघिया बालटी मे डाल कर बाहर आई

मा परेशान होकर - लग रहा है मै तौलिया आज उपर से बाथरूम मे ही भूल आई हू ,,,बाऊजी जी आप लेते आयेन्गे क्या ,,तब तक मै चाबी खोजती हू

नाना जी हड़ब्डाये - अब ब ब हा हा ठीक है लेकिन ऐसे कैसे जाऊ
मा - अरे हा ,,,कोई देख लेगा तो ,,वैसे तो सब सोये है लेकिन फिर भी डर है

नाना चिन्ता के भाव मे - फिर बेटी
मा थोडा संकोच कर - मै आपको ये धोती देती हू आप लपेट कर चले जाईये और बाथरूम मे तौलिया और मेरे कुछ कपडे होने आप लेते आईये ,,,

नाना ने थुक गटका और बोले - लेकिन बेटी तू मेरे सामने ,,,

मा को ध्यान आया या उसने नाटक किया ये वो ही जाने
मा - हा लेकिन ऐसे कब तक हम लोग रहेंगे ,,, अभी रात का समय है और सुबह मे दिक्कत ज्यादा हो जायेगी ना

नाना नजरे निचे किये मा के जांघो को निहार रहे थे और उनका लण्ड अभी भी कसा हुआ था ।

नाना - हमम बात तो सही है बेटी
लेकिन

मा तो मानो तय कर चुकी थी आज कयामत ढाने की
उसने फटाक से नाना के तरफ पीठ कर घूम गयी और धोती निकाल कर उनकी तरफ कर दी ।
नाना की नजर मा के खुले तरासे बदन पर जाते ही उन्के मन मे बिजली सी कौंध गयी और उनकी नजर मा की ब्ड़ी गोल गोल गाड़ पर गयी जिसके रोये किसी रोमांच से एक दम तन कर नोक के समान खडे हो गये थे ।
मा तेज सांसे ले रही थी और नाना चित होकर मा के कुल्हे और गाड़ की लकीर का अवलोकन कर अपनी लन्ड़ को थामे हुए थे ।
मा - अब जाईये बाऊजी ,,
नाना चौके - हा हा बेटी
वो फटाक से धोती को लुन्गी के जैसे लपेटा जो की काफी भीग चुकी थी और बिना मा को देखे निकल गये बाहर
मै फटाक से हाल के दीवाल की ओर हो गया और नाना सीधा उपर की ओर सीढी से चले गये ।

नाना के जाते ही मा लपक कर बाहर गलियारे मे आई तो मैने उन्हे अपनी बाहो मे भर लिया
,,, नहाने के बाद उनका मखमली सा बदन मे ताजगी की खुस्बु थी और ह्मारे होठ जुड़ गये ।।मैने उनके नंगे गाड़ के पाटो को फैलाया जिसपे उन्के खडे रोए का खुरदरापन मेरे स्पर्श से शिथिल होने लगा और मा मेरी बाहो मे पिघलने लगी ।

मै - मा तुमने तो अच्छे से सम्भाल लिया है सब
मा हस कर - आखिर मा किसकी हू
मैने झुक कर एक निप्प्ल को चुबलाया और बोला - तो फिर आगे क्या प्लान है
मा - तू बस देखते जा अपनी मा का जलवा ,,बहुत हो गया तेरा प्लान और चालबाजी हिहिहिही

मै मा को अपने जिस्म से चिपका कर - बाप के बाद इस बेटे का भी ध्यान रखना ,,,भूल ना जाना
मा मुस्कुरा कर मेरे होठ चूम लेती है और तभी उपर से किसी के आने की आहट होती है और मै फटाक से अपने कमरे मे जाता हू और मा अपने कमरे मे दरवाजे का ओट लेके खड़ी हो जाती है ।

तभी सीढियो से नाना के उतरने की आहट आती है और वो कुछ कहते हुए कमरे मे घुस जाते है और मा वैसे ही हल्का दरवाजा भिडका कर कमरे मे नाना के सामने घूम जाती है ।

यहा मै फटाक से अपने कमरे से बाहर आता हू और मा के कमरे मे झाकत हू जहा सिर्फ नाना ही दिख रहे होते है और उनका मुह खुला हुआ रहता है धोती मे लण्ड तना हुआ

कमरे मे मा सीधा नाना के सामने आ गयी थी और उसकी नंगी चुचिया और चुत सब कुछ नाना के सामने था ।

मा को एहसास होते ही वो नाना के हाथ से तौलिया लेके उनकी ओर पीठ कर उसे लपेट लेती है। जो की लगभग नाना की धोती के नाप का ही था ।
बल्कि उससे भी छोटा ,,,लम्बाई कम होने से पुरा नही लिपटा था ।

मा घूमी और नाना से - मेरे कपडे नही लाये क्या बाऊजी
नाना हड़ब्डा कर - हा हा बेटी ये लो ,,,यही था

नाना के हाथ इस समय मा की एक मैरून ब्रा और पैंटी थी ।

मा ह्स कर - ब्स यही था
नाना मा को हस्ता देख बोले - हा यही था

मा - ओहहह फिर ये चाभी भी नही मिल रही है ,, लग रहा है कि यही पहनना पडेगा

नाना कुछ नही बोले और मा की नजर नाना के जांघो मे लिपटी गीली धोती पर गयी ।

मा - ओह्ह ये धोती भी भीग गयी है ,,,ऐसे तो आपको भी दिक्कत होगी

मा कुछ सोच कर
- लाईये वो कपडे दीजिये मै बदल कर आती हू फिर आप ये तौलिया लपेट लिजिएगा

नाना कुछ प्रतिक्रिया देते उससे पहले ही मा ने उन्के हाथ से ब्रा पैंटी लेके बाथरुम मे चली गयी और इस बार 10 मिंट बाद आई ।

मा का नया कातिलाना रूप और भी कामुक था ।
मरून लेस वाली ब्रा मे मा के चुचे कसे और उभरे हुए थे और वही पैंटी पूरी तरह से चुत और गाड़ से चिपकी हुई थी ।

मा का ये रूप देख कर नाना जी के साथ मै भी गनगना गया ।
मा मुस्कुरा कर नाना के सामने आई और शर्मा कर नाना को तौलिया दिया
नाना ने मा के जिस्मो को निहारते हुए अपनी धोती निकाल दी और वापस उनका लण्ड भन्नाकर तन गया ।

मा परेशान होकर - ओह्ह मतलब अभी तक आपको आराम नही मिला

नाना मुस्कुराये और मा के हाथ से तौलिया लेके लपेटते हुए बोले - बेटी छोडो उसे वो मनमौजी है ,,,

मा खिलखिलाई - क्या बाऊजी आप भी ,, तकलीफ मे भी आप मजाक नही भूलते

नाना हस कर - सच मे वो ऐसा ही होता है ,,,तेरी मा तो परेशान हो जाती थी इससे
मा शर्मा कर हसी और बिस्तर पर बैठ गयी ।
फिर नाना जी बैठ गये ।
मा - बाऊजी मैने मेरे कपडे और आपके जान्घिये को धुल दिया है ,,सुबह तक सुख जायेगा ।

आईये लेट जाते है ,,काफी समय हो गया है ।

नाना थोडा संकोच कर - ठीक है बेटी मै सोफे पर
मा - अरे कोई बात नही ,,आप कोई गैर थोडी है ,, भूल गये कैसे बचपन मे मै तो आपके उपर सोती थी ,,,हा अब मोटी हो गयी हू तो शायद आप ना सुला पाओ हिहिहिही

नाना खिलखिलाए - हाहहह तू अभी भी वैसे ही नटख्त है ।

फिर नाना जी और मा बिस्तर पर टेक लगाये बैथ गये ।
नाना - बेटी लाईट बुझा दू अगर तू कहे तो

इधर मेरे पैर दर्द करने लगे थे और लाईट बुझाने का मतलब यहा खड़ा होना बेकार था ।
तभी मा खड़ी हुई और नाना के सामने पैंटी मे गाड मटका चलते हुए मेन बलब बुझा कर नाइट बलब जला दी ।

मन को बहुत तसल्ली हुई और मैने फटफट लपक कर हाल और गलियारे की बलब को बन्द कर दिया और दरवाजा थोडा सा और खोला ताकि अन्दर दिखे ।
मै बगल मे हाल से एक स्टूल टटोल कर लेके आ गया और अपना आसन जमा लिया ।
अंदर कमरे मे दोनो लोग थोडा जगह लेके लेट गये ।
लेकिन अन्दर का नजारा और भी कामुक हो गया था ।
मा का जिस्म और खिल रहा था उस गुलाबी रौशनी मे ।

मा - बाऊजी आपको याद है बचपन मे आप मुझे और जीजी दोनो को एक साथ उठा अपने कन्धे पर बिठा कर घुमाते थे
नाना जी मा की ओर करवट लेके - हा बेटी ,, और तुम दोनो तो अक्सर मेरे उपर ही सो जाती थी ।

मा ह्स कर - हा बाऊजी ,,,कितने अच्छे थे वो दिन
मा भी हमारे साथ थी
नाना एक गहरी आह भर कर - हा बेटी ,,, वो दिन बहुत अच्छे थे ।
मा नाना को देखती है जो कनअखियो से उसे ही निहार रहे होते है और उनका हाथ तौलिये पर से लण्ड को सहला रहा होता है ।

मा - मा की बहुत याद आती है ना बाऊजी
नाना चुप से हो गये
मा उनकी चुप्पी देख कर उन्के करीब आ गयी और बोली - क्या हुआ हुआ बाऊजी

नाना - कुछ नही बेटा,,,तेरी मा तो मेरे सामने ही है वो कही नही गयी ।

मा - मतलब
नाना - तेरी मा बिलकुल तेरे जैसी ही तो थी । रंग रूप , देह और तिल भी
मा हस कर अचरज से - तिल ,,कौन सा तिल बाऊजी
मेरे देह पर कही कोई तिल नही है ।

नाना मुस्कुरा कर - है बेटी वो तुझे नही दिखेगा
मा ह्स कर - क्या बाऊजी आप भी ,,,मैने बचपन से कोई तिल नही देखा अपने देह पर

नाना - बेटा वो तेरे पीछे के हिस्से पर है ना इसिलिए नही दिखा
मा अचरज से - लेकिन कहा
नाना हस के - लग रहा है कि जमाई बाबू ने तुझे सही से देखा नही

मा शर्मायी - ये क्या कह रहे हैं बाऊजी आप
नाना हस कर- तभी तो तुझे पता नही है ,,, वो दरअसल तेरे नितंब पर है वो तिल

मा पूरी तरह झेप सी गयी
नाना को इसका अह्सास होते ही - माफ करना बेटी मैने तो बचपन मे ही देखा था तेरे जन्म से ही ,,,मगर आज फिर से दिख गया तो तेरे मा की याद आ गई

ये बोल कर नाना ने एक गहरी सास ली और सीधा लेट गये
मा थोडा संकोच कर - तो क्या मा को भी वही पर तिल था

नाना मुस्कुरा कर - हा बेटी ,,, और उसे बहुत पसन्द आता था जब मै

ये बोल कर नाना रुक गये
मा बडी जिज्ञासा से - क्या हुआ बाऊ जी बताओ ना और मा के बारे मे

मा के साथ मेरी भी जिज्ञासा बढ गयी ।
नाना एक गहरी सास लेके मुस्कुराये - नही बेटी छोड जाने दे वो सब

मा इतरा कर - आप जान्ते है ना मै कितनी जिद्दी हू तो बतायीये ना

नाना ह्स कर - हा भई जानता हू ,, लेकिन बेटी
मा - बताओ ना बाऊजी मा के बारे मे,, क्या पसन्द था उनको
नाना थोडा संकोच करते हुए - बेटी उसे मेरा उसकी उस तिल पर चुम्बन बहुत पसन्द था

मा शर्मा कर थोडी खिलखिलाई और बोली - और आपको हिहिही

नाना शर्म और मुस्कुराहत से - हा भई मुझे भी ,,,तू तो ऐसे बोल रही है कि मानो जमाई जी तेरे वहा पर कभी चुंबन नही किया हो हाहाहाहा
मा शर्मा कर - क्या बाऊजी आप भी ,,

नाना मा को निहारते हुए - तो क्या सच मे जमाई बाबू ने वहा
मा ने ना मे सर हिला कर मुस्कराई

मै मा के अदा को मान गया,,,जो रोज अपने पति से गाड फड्वाये सोती नही थी वही बोल रही थी कि उसका पति कभी उसके गाड को चूमा नही ।

नाना - तो तुने सच मे वो अद्भूत अह्सास नही किया कभी
मा ना मे सर हिलाया और शर्मा कर बोली - क्या वो सच मे अच्छा अह्सास होता है बाऊजी

नाना तौलिये के उपर से ही लण्ड को सहलाया और थोडा मा के भाव को पढ कर हिम्मत कर बोले - तू कहे तो , मै
मा मुस्कुरा कर - क्यू आपको भी याद आ रही है क्या मा की

नाना एक गहरी सास ली - हा बेटी आज तो बहुत ही ज्यादा ही

मा मुस्कुरा कर - अगर आपकी इच्छा है तो आप कर सकते है बाऊजी

नाना को मा के ऐसे प्रस्ताव की उम्मिद नही थी
नाना - मगर बेटी मै तुम्हे ,,,

मा मुस्कुरा कर बिना कुछ बोले घूम गयी और नाना के सामने उसकी फैली हुइ गाड थी
इधर मेरे मन मे भी कौतूहल मचा था कि आगे क्या होगा
इधर नाना के दिल की धड़कन बढ गयी थी और वो हिम्मत कर उठ कर बैठ गये ।

उन्के बैठते ही मा पेट कर बल हो गयी और उन्के गाड गोल फुटबाल जैसे उभर गये
नाना को मानो मौका मिल गया हो और वो पहल कर बोले

नाना - बेटा वो तुझे ये कच्छी निकाल्नी पड़ेगी
मा ने मुस्कुरा कर हाथ पीछे ले गयी और पैंटी को निचे सरका दी
अब उसके दोनो पाट खुले थे
नाना ने हिम्मत कर हाथ बढ़ाया और मा के दाये गाड़ के पाट पर लकीर से सटे हुए हिस्से एक तिल को सह्लाया

नाना के हाथ का स्पर्श पाकर मा सिहर गयी
वही नाना जी झुक कर अपनी जीभ से एक बार उस तिल पे फिराया और होठो से चूम लिया ।
मा पूरी तरह गनगना गयी और उसके मुह से निकल गया - उम्म्ंम्ं बाऊजी
नाना तो मानो मादकता की परिभाषा से परिचित थे और उन्हे आभास हो गया कि मा को उन्का स्पर्श भा गया और अगर वो आगे बढ़े तो वो उन्हे रोकेगी भी नही
नाना ने मा के कूल्हो को थामा और लकीर के किनारे ही गाड के पाट को मुह मे भर लिया और चूबलाने लगे
मा सिस्क उठी और यहा मेरे लण्ड मे कसाव और बढ गया ।

मा - बस करिये बाऊजी ,, हो गया ना
नाना को ध्यान आया और वो उठ कर लेट गये ।
मा वैसे ही लेती रही ब्स मुह नाना की ओर करके मुस्करा कर बोली - बस यही पसंद था क्या मा को हिहिही

नाना मा को समान्य देख कर बोले - अब बेटी पसंद तो उसे बहुत कुछ था ,,अब वो सब नही ना कर सकती है तू

मा उत्सुकता से नाना के करिब आकर करवट लेके बोली - बताओ ना बाऊजी और क्या क्या पसंद था मा लो
नाना मा के साथ अब खुल चुके थे वो उन्के सामने ही तौलिये के उपर से लण्ड को मसल रहे थे

नाना - बेटी , तेरी मा बहुत ही कामुक औरत थी और उसे मेरे लिंग से बहुत लाड था ,, वो इससे छोटे बच्चे से चूमती खेलती थी

मा हस कर - हिहिहिही , सच मे बाऊजी
नाना - हा बेटी, मुझे बहुत शान्ति मिलती थी जब उसके मुह की ठण्डक से मेरा वो गिला होता था ।

मा शर्माने की अदा से - ओह्ह और बाऊजी
नाना मा को अपने पाले मे आता देख मा के गाल सहला कर बोले - मै आज जब तुझे देख रहा हू तो लग रहा है कि तेरी मा मेरे सामने है और अभी तेरी मा उठ कर मेरे लिंग को लाड करेगी ।

मा शर्मा कर मुह निचे कर ली
और हाथ आगे बढ़ाकर नाना के तौलिये का गांठ खोल दिया और उनका लण्ड फनफना कर सामने आ गया ।

नाना - ये क्या कर रही है तू बेटी
मा उठ कर बैठ गयी और एक हाथ मे नाना जी का लण्ड थाम लिया ।

मा - मै जानती हू बाऊजी आज आपको मा की बहुत याद आ रही है और इसिलिए आपको इतनी तकलिफ हो रही है ।

नाना - बेटी तू ये
मा - मै जानती हू बाऊजी कि मै मा की जगह नही ले सकती हूँ लेकिन एक बेटी होने के नाते आपकी इच्छा का ख्याल तो रख सकती हू ना

नाना - मगर बेटी ये गलत
मा नाना के लण्ड को जड़ से पकडे हुए हल्का हल्का सहला रही थी और बोली - क्या आपका मुझपर कोई हक नही है बाऊजी

नाना - वो बात नही है बेटा
मा - फिर आज ये समझ लिजिए ये मै नही मेरी मा कर रही है

नाना जी एक गहरी सास ली और चुप हो गये
इधर मा हिम्मत कर धीरे से झुकी और नाना के लण्ड के चमडी को निचे खिच कर उसके सुपाडे को मुह मे भर लिया
नाना जी को एक गहरी आनन्द की अनुभूति हुई और सिहर उठे

इधर मा ने लण्ड को गले तक ले जाते हुए नाना के आड़ो को मसल दिया जिस्से वो और मचल उठे
नाना - अह्ह्ह बेटी तू तो सच मे रुपा के जैसे ही उम्म्ंम्म्ं अह्ह्ह्ह्ह

मा ने लण्ड चूसना जारी रखा और सुपाडे के छेद पर एक बार जीभ को नुकीला कर चुबोया ,,,नाना गनगना गये
नाना - अह्ह्ह रुपा उम्म्ंमममं

मा नाना को बार बार नानी का नाम लेते देख मुस्कुराई और अब उनकी आंखो मे देखते हुए लंड को गले तक लेने लगी ।
थोडा समय बिट जाने पर नाना ने कुछ हिम्मत करके कहा - बेटी तू जानती है ,,, तेरी मा अंडर के कपडे नही पहनती थी

मा नाना की बात सुन कर रुक गयी और समझ गयी कि अब नाना पूरी तरह से पाले मे है और उन्हे नंगा देखना चाहते हैं

मा बिना कुछ बोले बिस्तर से उतर गयी तो नाना भी उठकर बिस्तर के एक तरफ टेक लेके पैर पसार कर बैठ गये और लण्ड हाथो मे थाम कर उसे हिलाते हुए मा को निहारने लगे ।
वही मा ने हाथ पीछे ले जा कर पहले ब्रा का हुक खोल कर ढिला किया और बडी कामुकता से उसे उतार दिया ।
मा की चुचिय नंगी होती देख नाना जी और गर्म होने लगे

वही मा ने उनकी तरफ पीठ कर झुकते हुए अपनी आधी उतरी हुई पैंटी भी निकाल दी और झुकते हुए उनकी गाड़ का भरपूर दिदार कर नाना ने अपने लण्ड को मसला ।

मा पूरी नंगी होकर थोडी शर्मा कर मुस्कुराते हुए नाना के बगल मे बैठ गयी और फिर से लण्ड को थाम लिया ।

नाना - आह्ह बेटी आज सच मुझे तेरी मा का अह्सास मिल रहा है

मा मुस्कुराइ और झुक कर लण्ड को मुह मे भर लिया ।
नाना ने हिम्मत कर मा के कन्धो पर हाथ रख कर हल्का हल्का सहलाना शुरु कर दिया मगर उनकी इच्छा थी कि कैसे करके मा के चुचे को पकड़ सके ,,,लेकिन इतनी भी हिम्मत नही थी कि खुल कर अपनी बेटी से कह सके ।
इधर मा लण्ड चूसे जा रही थी और नाना हाथ बढा कर मा की कांख तक ही अपनी उंगलियाँ ले जा पाते ।

मा को इसका अन्दाजा था , मगर नाना ज्यादा तडपता देख वो मुस्कुरा निचे फर्श पर खड़ी हुई और नाना के बगल मे आ गयी । उसके हाथ मे अभी भी उन्का लण्ड भरा हुआ था और मुठीयाना जारी था ।
मा को अपने बगल मे पाकर नाना एक नजर मा को देखे और फिर अपना एक हाथ बढा कर मा की एक चुची को थाम लिया बहुत ही हल्के हाथ से

मा सिहर गयी और तभी नाना ने अभी जीभ निकाली और निप्प्ल को चाटते हुए उसे होठो मे भर कर चुबलाने लगे ।


मा सिस्क कर - अह्ह्ह बाऊजी
नाना को तो जैसे जोश ही आ गया था वो मा की कमर मे हाथ डाल कर उन्के मुलायम कूल्हो को मस्लते हुए मा की चुचियॉ को मुह मे भरने लगे ।

नाना के मोटे खुरडरे जीभ और मोटे होठ से मानो मा की चुचिया छील डालेंगी ।
मा ने भी नाना का लण्ड छोड कर उनका सर अपने चुचो पर दबाते हुर सिस्क रही थी ।

नाना ने अब दोनो हाथो मे मा की दोनो चुचे पकड लिये और उन्हे दबाते मसल्ते गारते हुए निप्प्ल पर जीभ नचाने लगे ।

कभी पीठ तो कभी मा की मासल भरी हुई मोटी गाड,,मुह मे चुची को भरे मा के जिस्म को मसलने लगे

मा - अह्ह्ह बाऊजी उम्म्ंम्म्ं अराम से अओह्ह्ह माआआ उफ्फ़फ्फ

नाना पर हवस पूरी तरह हावी हो चूका था और वो वैसे ही मा की चुचिया चुस्ते हुए अपने पैर को बेड से निचे लटकाया और मा को अपने पैरो के बिच मे लाकर जकड़ लिया और उन्के गाड़ के पाटो को फैलाने लगे ।।कभी कभी मा के गाड की दरारो मे अपनी मोटी ऊँगली भी घुसा देते ।

इधर मा भी पागल हो रही थी
मै वही दरवाजे पर खड़ा खड़ा झड़ चूका था और दुबारा से लण्ड सहलाना जारी था ।

नाना ने फटाक से मा को घुमाया और पीछे से मा की दोनो मोटी चुचिया पकड ली और उन्हे मिजने लगे ।

मा - ओह्ह्ह बाऊजी आराम दे दर्द अह्ह्ज उह्ह्ह माआ अह्ह्ह बाऊजी

नाना बिना कोई रहम के अपने एक हाथ से मा के जांघो को खोला और हथेली से मा के चुत मे रगड़ दिया ।
मा की गीली चुत ने नाना जी के हथेली का स्पर्श पाते ही तुरंत उन्के हाथ मे पिचपीचा गयी और गिली चुत का अह्सास पाते ही नाना ने फौरन एक ऊँगली मा की चुत मे घुसा दी ।
मा की सांसे रुक गयी और वो अकड गयी ।

नाना ने वापस मा को खीचा और दुसरे हाथ से मा के चुचो को मसल कर ऊँगली को चुत मे घुमाया और निकाल कर मुह मे ले लिया ।

मा - ओह्ह्ह बाऊजी आराम से अह्ह्ह्ह मा सीईई उह्ह्ह्ह

नाना ने मा की प्रतिक्रिया का एक भी जवाब नही दिया बस मा को लेके खडे हुए और उन्हे घुमा कर घोड़ी बनाते हुए बेड पर झुका दिया ।

मा कोहनी के बल बेड पे झुकी हुई खड़ी थी और तेज सासे ले रही थी ।
नाना हाथ मे लेके मा के मुलायम बडे गाड के पाटो को सहलाया और फिर दो ऊँगली से चुत वाले हिस्से को फैलाया ताकि उसका छेद दिख सके ।

फिर थोडा अपनी घुटने को फ़ोल्ड कर नाना झुके और अपना सुपादा मा के चुत के छेद पर लगा दिया और गचच से लण्ड को एक बार मे ही आधा मा की चुत मे पेल दिया ।

नाना का मोटा लण्ड अन्दर घुस्ते ही मा चिखी - अह्ह्ह बाऊजी उह्ह्ह माआआ
नाना ने रहम थोडी भी नही दिखाई और मा के कूल्हो को दोनो हाथो से थाम कर उसी जगह से एक और धक्के मे मा की चुत मे लण्ड को उतार दिया और उनकी जान्घे मा के चुतड़ से सट गयी ।
मा की आंखे ब्ड़ी हो गयी और वो गहरी सासे ले रही थी ,,,,नाना का लण्ड जड़ तक पुरा का पुरा 8 इन्च मा के चुत मे घुस चूका था ।
दवा का असर इतना हो चूका था कि नाना मे जोश बहुत ही था और मा के कामुक गदराये बदन को देख कर उनकी उत्तेजना बहुत बढ रही थी ।

नाना ने मा के कुल्हो को थामा और धक्के लगाने शुरु किये ।
उनका लण्ड पूरी तरह से मा के चुत को ढिला करता हुआ तेजी से अन्दर बाहर होने लगा था ।वही मा की पिचपिचाती बुर ने अपना रस छोड़ना शुरु कर दिया था ,,,मा थकने लगी थी ऐसे मे नाना बिना रुके घपाघप तेज धकके पेले जा रहे थे ।

मा दर्द और मजे से सिस्कती रही - अह्ह्ह्ह आह्ह बाऊजी उम्म्ंम्ं उम्म्ंं ऐसे ही अह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ माआ जल रहा है अह्ह्ह बाऊजीईईई अह्ह्ह

नाना मा की तडप देख कर और पागल होने लगे और वो खुद झडने के करीब थे उनका लण्ड और भी तपने लगा था

नाना इत्नी देर पहली बार कुछ हाफ्ते हुए बोला - अह्ह्ह बेटी बस थोडा और ,,बसस्स्स थोडा

फिर नाना ने अपनी सासो को थामा और जोर के धक्के ल्गाने लगे । जिससे मा का पुरा जिस्म हिल्कोरे मा रहा था और तेज एक सुर की थपथप से कमरा गूजने ल्गा

तभी नाना चिखे और फटाक से लण्ड मा की चुत से बाहर निकालते हुए - ओह्ह्ह बेटी मै आ रहा हू , मै आ रहा हू

मा का मानो पुरा बदन ही टुट रहा था और वो नाना के छोडते ही पेट के बल बिसतर पर गिर गयी
वही नाना भी एक कदम आगे बढे - अह्ह्ह बेटी अह्ह्ह मेरी रागु अह्ह्ह मै आ रहा हू

नाना ने तेजी से अपना लण्ड मुठियाना शुरु किया और सारा माल मा की गाड और कमर पर गिराने लगे और अच्छे से झाड़ कर हाफते हुए मा के बगल मे बैठ गये ।

मा अभी भी वैसे ही लेटी रही जबकि नाना एक हाथ से मा के पीठ को सहला कर मुस्कुराते हुए अपना दुलार दिखा रहे थे ।
मै भी यहा दुबारा झड़ गया था और मा की स्थिति देख कर मुझे नही लग रहा था कि वो उठ कर मेरे पास आयेगी और मेरे साथ फिर से चुदवा पायेगी ।

मैने किचन से एक खराब कपडा लिया और दरवाजे के पास गिरे माल को पैर से रगड़ कर साफ किया और स्तूल को उसकी जगह रखा ।

फिर एक नजर कमरे मे मारा तो देखा कि मा ने वो तौलिया कमर मे लपेट लिया है और नाना के कन्धे पर सर रख कर बैठी है और नाना भी उन्के कन्धे मे हाथ डाल कर दुलार कर रहे है ।

मै अपनी योजना की कामयाबी और मा की खुसी पर मुस्कुराया और आ गया अपने कमरे मे ।

जारी रहेगी
ज़बरदस्त…
 

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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वाह भाई, आगे एक राउंड फिर होगा क्या नाना और माँ के बीच ?

अगली कड़ी की प्रतीक्षा में . . . . .
बहुत बहुत धन्यवाद भाई साहब
पहली बार आपकी उंगलियो ने कुछ शब्द मेरे लिए लिखे है उसके लिए भी आभार

साथ बनाये रखिये ,,अगला अपडेट जल्द ही
 

Lucky..

“ɪ ᴋɴᴏᴡ ᴡʜᴏ ɪ ᴀᴍ, ᴀɴᴅ ɪ ᴀᴍ ᴅᴀᴍɴ ᴘʀᴏᴜᴅ ᴏꜰ ɪᴛ.”
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UPDATE 75
MEGA


इधर ये तीनो ने ऐसा मादक भरा सीन बना रखा था कि मेरा लण्ड बैठने का नाम नही ले रहा था ।

तभी एक नजर मैने स्टॉल की तरफ मारी तो देखा चाचा भी इसी तरफ आ रहे है
मुझे अब घबडाहट और भी ज्यादा होने लगी कि मै क्या करु ,,, अगर इन लोगो को नही रोकूँगा और चाचा यहा आ गये तो शायद त्योहार के दिन ही कच बड़ा बवाल न हो जाये और अगर इनलोगो को आवाज दी तो ये लोग होश मे आने के बाद किसका कैसे सामने करेगे

लेकिन फिलहाल मुझे यही सही ल्गा की इस्से पहले चाचा आये इनको अलग करना ही पडेगा बाद मे मै देख समझ लूंगा

तो मै एक बार फिर स्टॉल की तरफ नजर मारी और थोडा फुसफुसाया लेकिन किसी को मेरी आवाज नही आई
तो मजबूरन मुझे आगे जाकर पापा के पास बोलना पडा - पापा चाचा इधर ही आ रहे है
और फिर गला खसखसा कर सबको सतर्क किया

पापा तो पहले मुझे अपने बगल ने खड़ा देख के चौके लेकिन जब मैने वापस बोला की चाचा इधर आ रहे है तो वो जल्दी से खुद को ठीक किये और मा भी हडब्ड़ी मे अपना ब्लाउज बंद करके चाची के साथ स्टॉल की तरफ जाने लगी कि रास्ते मे ही चाचा मिले

फिर मै भी उधर से निकल गया गाना गुनगुनाते हुए
फिर पापा भी थोडा घूमते हुए आस पास की घरो मे देखने का नाटक करते हुए स्टॉल की तरफ आये ।
वही चाचा बाथरूम मे चले गये ।

फिर हम सब स्टॉल के पास जाकर बैठ गये
पापा भी आकर मेरे पास बैठे जो की काफी चुप थे ।

हम बैठे ही थे कि तब तक निशा दो दुपटटे लेके छ्त पर आई। जिसमे से एक मा ने और एक चाची ने ओढ़ लिया । वही विमला अपना दुपट्टा चादर के जैसे चढाये हुए थी।

अनुज और राहुल छज्जे के पास खडे बाते कर रहे थे , डीजे बंद हो चूका था । थकावट के शर्म भी सभी के चेहरे पर दिख रही थी क्योकि पिछ्ले 3 घंटो मे जो होली खेली गयी उसमे सबके हवस और अन्दर के काले शरारतो को सामने ला दिया था । और सभी एक दूसरे से नज़र चुरा के हस के बाते कर रहे थे
दोपहर के दो बज रहे थे और भूख भी सबको लगी थी ।
मा - सुनिये जी खाना बनाने की हिम्मत है नही, तो ऐसा करिये कुछ मगा लिजीये , बच्चे भी भूखे है कबसे ।

पापा मानो किसी सोच से उभरे हो और बोले - अब ब ब हा रागिनी ठीक कह रही हो ,,, राज बेटा जरा कल्लु को फोन लगाना आज वो समोसे छानता है ।

फिर मैने डीजे के पास गया और अपना मोबाईल ऑन किया और कल्लु काका के पास फोन लगाया और पापा को दे दिया

पापा फोन पर - हा कल्लु मै बोल रहा हू रंगी ,,,,हा भाई वही ,, हा भाई तुझको भी होली मुबारक हो ,,अच्छा सुन जरा गरमा गरम समोसे और रसवाली गुजिया तैयार करवा कर किसी नौकर के हाथ ह्मारे नये घर भेज्वा दे ,, हा वो जो चौराहे पर बना है ,, हा हा वही भाई , कितने करू ???

पापा मा से - कितने मगाऊ रागिनी
मा - अरे अब 25 समोसे और 20गुजिया करवा लिजीये बचचे है खा लेंगे पेट भर जायेगा

पापा फोन पर - हा कल्लु 25 समोसे और 20 22 गुजिया कर देना ,,,हा जल्दी भेजना थोडा , हा ठीक है

फिर पापा ने फोन रखा और बोले - लो जी हो गया अब क्या करना है

मा - मै तो बहुत थक गयी हू और धूप भी तेज चलिये ना निचे हाल मे चलते है फिर नासट करके नहा धो लेंगे

विमला - हा रागिनी सच मे पैर बहुत दर्द कर रहे है
पापा ह्स्ते हुए - अरे कोई बात नही आज यही आराम करिये सब

चाची - अरे लेकिन घर भी तो जाना है
मा - क्या करोगी घर जाकर ,,यहा रहो खा पी कर यही सो जाना और कल तक चले जाना क्यू जी

पापा - हा भाई कोई कही नही जायेगा और छोटे तुम भी शाम तक घूम टहल कर वापस आ जाना

चाचा ह्स्ते हुए - शालिनी भैया ठीक ही तो कह रहे है , यहा सब थके है और यही रात के लिए कुछ बन जायेगा और साथ मे खा कर आराम कर लेंगे कौन सा आज दुकान खोलना है हमे हिहिहिही

फिर सब तय हुआ और हम सब 1st फ्लोर पर के हाल मे आ गये ।
मा ने जाते ही सोफा पकड लिया पैर पसारे फैल गयी ,,उन्के बगल मे चाची फिर विमला फिर पापा और फिर चाचा बैथ गये

चुकी सोफ़ा L टाइप का है तो ज्यादा से ज्यादा 6 लोग ही बैठ सकते थे तो अनुज जाकर मा के सिने पर लग कर बैठ गया ।

वही मै और राहुल हाल मे उतरती सीढ़ी पर बैठ गये । सोनल और निशा बेडरूम मे चले गये ।
मा सोनल से - बेटा एक एक करके सारे लोग नहा लेते जाओ
नही तो रंग नही छूटेगा

सोनल - हा मा हम दोनो नहाने ही जा रहे है ।

पापा - ऐसा करते है हम सारे जेन्स निचे जाकर नहा लेते है और आप लोग यही उपर नहा लो

मा - अरे बारी बारी से यहा का एक बाथरूम खाली है और उपर का है नहा लो ,,,निचे कोई गन्दगी लेके नही जायेगा हा

पापा हस के - अच्छा ठीक है भई
फिर चाचा पहल करते हुए बोले - ठीक है भैया आप लोग आराम करिये मै जरा नहा लू तब तक , शालिनी बैग से मेरे कपडे निकाल दो जरा ।


फिर चाची निचे गयी और अपना बैग लेके आई फिर चाची और चाचा दुसरे वाले खाली बेडरूम मे चले गये ।
अनुज और राहुल भी छत पर चले गये तौलिया लेके ।

मै उठा और मा के बगल मे आकर बैठ गया और उन्के उन्के चुचो पर लद कर उनको हग कर लिया और मा ने भी मुस्कुरा कर मेरे बालो मे हाथ फेरने लगी ।

इधर मै और मा एक दुसरे मे लगे थे लेकिन मेरी आंखे पूरी बंद नही थी हल्की आंखे खोले मै सब देख समझ रहा था कि पापा उठ कर विमला के बगल मे आ गये और बोले - और बताईए बहन जी मज़ा आया की नही

विमला ह्स्ते हुए - जी भाईसाहब बहुत ही ज्यादा और रागिनी तो आज कुछ ज्यादा ही मस्ती कर दी थी

पापा हस कर - अच्छा जी वो कैसे
विमला - अरे आज ये मेरे कपडे पुरे फाड ही देती ह्हिहिहिही कमीनी कही की

मा ह्स्ते हुए - चल चल स्ब्से पहले तुने मेरी साडी फाडी फिर मै क्या करती

विमला ह्स्ते हुए - मुझे तेरी साडी पहनने ना पहनने का कोई मतलब न्ही दिख रहा था सारा माल खुला रखा था तुने हाहाह्हाहा

मा थोडी शर्मायी और विमला को छेड़ते हुए बोली - हा देखा मैने तुने आज रंग लगवाने के चक्कर मे ब्रा ही निकाल दी

इधर पापा हस भी रहे थे और बार बार मेरी तरफ देख कर खुद को शांत भी रखें हुए थे
विमला शर्माते हूए - चुप कर पागल कुछ भी बक रही है
और पापा की तरफ इशारा करती है ।

मा ह्स्ते हुए - उनको क्या बोल रही है आज उन्होने भी अपनी भयोह के साथ बहुत मज़े लिये

मा की बात से पापा झेप गये और मेरी हसी छूट गयी तो मा मेरे गालो पर चपट ल्गाते हुए बोली - तू बड़ा हस रहा है हा ,,, दो बार क्छ्छे मे रंग डलवा लिया लेकिन शर्म नही आ रही है हम्म्म्म

मै हस कर मा के चुचियो मे सर दबाते हुए उनकी नंगी पेट को सहलाते हुए शर्माने की ऐक्टिंग करने लगा जिस्से मा मुझे बाहो मे भर मेरे माथे को चूम कर हस्ने लगी
ऐसे ही हमारी मस्ती भरी बाते चलती रही कुछ देर फिर चाचा और चाची दोनो नहा कर साथ मे बाहर आये ।
उधर निशा और सोनल भी नहा चुकी थी फिर 5 मिंट के अंतर पर राहुल और अनुज भी नहा कर हाल मे एक्क्था हुए

थोडी देर बाद कल्लु काका ने अपने नौकर से समोसा और गुजिया भेज्वाये ।

फिर मैने दोने मे ही सबके लिये समोसा गुजिया लगा दिया और फिर मा ने सबको एक एक दोना उठाने को बोला

फिर सारे लोगो ने नासता किया थोडे गप्पें हाके और थोडी देर पहले हुई चटपटि बातो और घटनाओं की पुनरावृति करते हुए सबने सबके मजे लिये ।

फिर चाचा चाची निचे कमरे मे सोने चले गये । सोनल और निशा अपने बाल सुखाने बालकीनि मे चली गयी ।
अनुज और राहुल दोनो निचे हाल मे जाकर मोबाइल पर मूवी देखने का प्लान कर लिये ।

फिर वापस उपर के हाल मे मा पापा विमल और मै बच गये ।

मा उठते हुए - चल विमला तू भी नहा ले आ ,,,और आप भी बैठे ना रहिये नहा लिजीये जाकर ।

पापा - नही नही अभी मेरा मन नही है ,,आप लोग नहा लो मै यही आराम करता हू

मै - मै तो जा रहा हू उपर नहाने

मा - अच्छा ठीक है बेता वो जरा गेस्टरूम मे मेरा और विमला का बैग है वो लेते आओ

मै झट से निचे गया और फट से दोनो बैग लेके आ गया ।

मा - विमला तू उस वाले कमरे के बाथरूम ने चली जा और मै इसमे चली जाती हू ।
फिर दोनो अलग अलग कमरो मे गये और मै भी सिर्फ तौलिया लेके छत पर चला गया ।
छत पर जाने के बाद एक नजर मैने स्टॉल पर डाली

मै मन मे - अबे यार , मस्ती तो बहुत कर ली लेकिन ये सब समान बटोरेगा कौन ,, ऐसा करता हू पहले सारा सामान जो काम लायक है वो निचे रख देता हू फिर बाकी का कचरा एक किनारे कर दूँगा। नही तो नहाने के बाद ये काम करके सब चौपट ही रहेगा ।

फिर मैने रंग अबीर को अच्छे से वापस पैकेट मे डाला और सारी पिचकारीया बाल्टी एक साथ रख कर उसमे पानी भरा। फिर गलास के पैकेट, मिठाइया और रंग सब एक बडे झोले मे भर कर ,, उठाया और नीचे चल दिया ।

मै वापस हाल मे आया तो पापा वहा नही थे तो मै सोचा क्यू ना सारा सामान यही मम्मी जिस कमरे मे है वही रख दू और कमरे का दरवाजा ही हल्का खुला हुआ था

तो मै सारा सामान लेके दरवाजे को धक्का देकर मम्मी को आवाज ल्गाते हुए कमरे मे घूस्ता हू - मम्म्यीईईईईई

सामने देखा तो मेरी आंखे फटी की फटी रह गयी क्योकि पापा कमरे मे बाथरूम के पास अपना पैजामा निचे किये खडे थे और मा पूरी नंगी होकर पापा का मोटा लण्ड निचे बैठ कर चुस रही थी ।

पापा की नजर वापस मुझसे मिली और मा भी लण्ड निकाल कर मेरे तरफ आंखे फाडे देखने लगी । दोनो हैरत भरी नजरो से मुझे देख रहे थे और मेरी आवाज नही निकल रही थी ।

मै हडबड़ा कर नजरे चुराते हुए - अब ब ब वो वो मै ये ये समान रखने आया था ,,,
और मै झट से सामान रखा और बिना उनलोगो की तरफ देखे - सॉरी पापा

फिर कमरे के बाहर आ गया और एक गहरी सांस ली
भले ही मेरा बाप कितना ठरकी हो और मै कितना चोदू रहू लेकिन एक बाप के सामने ऐसे सीन के बाद सामना करने की हिम्मत करना आसान नही होता है । मै अपनी सांसे बराबर कर रहा था कि अन्दर से पापा की आवाज आई

पापा - अरेरे याररर , धत्त
मा - क्या हुआ जी
पापा - आज दुसरी दफा उसने हमे ऐसे हालत मे देखा ,,क्या सोच रहा होगा वो

मा - अरे वो अब बड़ा हो गया है देखा नही सॉरी बोल कर गया है । सब समझता है मेरा बेटा आप चिन्ता ना करिये

पापा परेशान लहजे मे - हा वो ठीक है रागिनी लेकिन क्या उपर छ्त पर शालिनी भी थी ना ,,मुझे उस बात की चिन्ता है कही वो हमारे बारे मे कोई गलत राय बना ले

मा तो पहले ही मुझे जानती थी तो वो पापा को सत्तावना देते हुए - ऐसा करिये आप एक बार उससे बात करिये,

पापा हिचक कर - क क क्या आ , कह रही हो रागिनी ,मै कैसे बात करूँगा अपने ही बेटे से , वो भी ऐसे मुद्दो पर

मा झिझक कर - हा तो फिर जिन्द्गी भर नजरे चुराते रहना एक दूसरे से आप लोग ,, आगे जाकर मेरे बेटे की जिन्दगी तबाह होगी । ना वो आपसे कुछ बात करेगा ना ही आपको अपनी आवश्यकताओं और इच्छाओ के बारे मे बतायेगा

पापा परेशान लहजे मे - नही नही रागिनी ऐसा नही होगा ,,,,मै कोसिस करता हू उससे बात करने की

यहा मेरी हालत और पतली हो गयी कि अब पापा मुझसे ऐसी क्या बात करेंगे , क्या समझाएंगे

पता नही आगे क्या होने वाला था और कैसे मै पापा का और पापा मेरा सामना करने वाले थे ।



जारी रहेगी
पढ कर अपना रेवियू जरुर दे । कहानी कैसी चल रही है इस पर भी अपनी राय जरुर दे ।
अपना प्यार और सपोर्ट बनाये रखें
धन्यवाद
UPDATE 75

इधर ये तीनो ने ऐसा मादक भरा सीन बना रखा था कि मेरा लण्ड बैठने का नाम नही ले रहा था ।

तभी एक नजर मैने स्टॉल की तरफ मारी तो देखा चाचा भी इसी तरफ आ रहे है
मुझे अब घबडाहट और भी ज्यादा होने लगी कि मै क्या करु ,,, अगर इन लोगो को नही रोकूँगा और चाचा यहा आ गये तो शायद त्योहार के दिन ही कच बड़ा बवाल न हो जाये और अगर इनलोगो को आवाज दी तो ये लोग होश मे आने के बाद किसका कैसे सामने करेगे

लेकिन फिलहाल मुझे यही सही ल्गा की इस्से पहले चाचा आये इनको अलग करना ही पडेगा बाद मे मै देख समझ लूंगा

तो मै एक बार फिर स्टॉल की तरफ नजर मारी और थोडा फुसफुसाया लेकिन किसी को मेरी आवाज नही आई
तो मजबूरन मुझे आगे जाकर पापा के पास बोलना पडा - पापा चाचा इधर ही आ रहे है
और फिर गला खसखसा कर सबको सतर्क किया

पापा तो पहले मुझे अपने बगल ने खड़ा देख के चौके लेकिन जब मैने वापस बोला की चाचा इधर आ रहे है तो वो जल्दी से खुद को ठीक किये और मा भी हडब्ड़ी मे अपना ब्लाउज बंद करके चाची के साथ स्टॉल की तरफ जाने लगी कि रास्ते मे ही चाचा मिले

फिर मै भी उधर से निकल गया गाना गुनगुनाते हुए
फिर पापा भी थोडा घूमते हुए आस पास की घरो मे देखने का नाटक करते हुए स्टॉल की तरफ आये ।
वही चाचा बाथरूम मे चले गये ।

फिर हम सब स्टॉल के पास जाकर बैठ गये
पापा भी आकर मेरे पास बैठे जो की काफी चुप थे ।

हम बैठे ही थे कि तब तक निशा दो चुनरि लेके छ्त पर आई। जिसमे से एक मा ने और एक चाची ने ओढ़ लिया । वही विमला अपना दुपट्टा चादर के जैसे चढाये हुए थी।

अनुज और राहुल छज्जे के पास खडे बाते कर रहे थे , डीजे बंद हो चूका था । थकावट के शर्मिंद्गी भी सभी के चेहरे पर दिख रही थी क्योकि पिछ्ले 3 घंटो मे जो होली खेली गयी उसमे सबके हवस और अन्दर के काले शरारतो को सामने ला दिया था ।
दोपहर के दो बज रहे थे और भूख भी सबको लगी थी ।
मा - सुनिये जी खाना बनाने की हिम्मत है नही तो ऐसा करिये कुछ मगा लिजीये , बच्चे भी भूखे है कबसे ।

पापा मानो किसी सोच से उभरे हो और बोले - अब ब ब हा रागिनी ठीक कह रही हो ,,, राज बेटा जरा कल्लु को फोन लगाना आज वो समोसे छानता है ।

फिर मैने डीजे के पास गया और अपना मोबाईल ऑन किया और कल्लु काका के पास फोन लगाया और पापा को दे दिया

पापा फोन पर - हा कल्लु मै बोल रहा हू रंगी ,,,,हा भाई वही ,, हा भाई तुझको भी होली मुबारक हो ,,अच्छा सुन जरा गरमा गरम समोसे और रसवाली गुजिया तैयार करवा कर किसी नौकर के हाथ ह्मारे नये घर भेज्वा दे ,, हा वो जो चौराहे पर बना है ,, हा हा वही भाई , कितने करू ???

पापा मा से - कितने मगाऊ रागिनी
मा - अरे अब 25 समोसे और 20गुजिया करवा लिजीये बचचे है खा लेंगे पेट भर जायेगा

पापा फोन पर - हा कल्लु 25 समोसे और 20 22 गुजिया कर देना ,,,हा जल्दी भेजना थोडा , हा ठीक है

फिर पापा ने फोन रखा और बोले - लो जी हो गया अब क्या करना है

मा - मै तो बहुत थक गयी हू और धूप भी तेज चलिये ना निचे हाल मे चलते है फिर नासट करके नहा धो लेंगे

विमला - हा रागिनी सच मे पैर बहुत दर्द कर रहे है
पापा ह्स्ते हुए - अरे कोई बात नही आज यही आराम करिये सब

चाची - अरे लेकिन घर भी तो जाना है
मा - क्या करोगी घर जाकर ,,यहा रहो खा पी कर यही सो जाना और कल तक चले जाना क्यू जी

पापा - हा भाई कोई कही नही जायेगा और छोटे तुम भी शाम तक घूम टहल कर वापस आ जाना

चाचा ह्स्ते हुए - शालिनी भैया ठीक ही तो कह रहे है , यहा सब थके है और यही रात के लिए कुछ बन जायेगा और साथ मे खा कर आराम कर लेंगे कौन सा आज दुकान खोलना है हमे हिहिहिही

फिर सब तय हुआ और हम सब 1st फ्लोर पर के हाल मे आ गये ।
मा ने जाते ही सोफा पकड लिया पैर पसारे फैल गयी ,,उन्के बगल मे चाची फिर विमला फिर पापा और फिर चाचा बैथ गये

चुकी सोफ़ा L टाइप का है तो ज्यादा से ज्यादा 6 लोग ही बैठ सकते थे तो अनुज जाकर मा के सिने पर लग कर बैठ गया ।

वही मै और राहुल हाल मे उतरती सीढ़ी पर बैठ गये । सोनल और निशा बेडरूम मे चले गये ।
मा सोनल से - बेटा एक एक करके सारे लोग नहा लेते जाओ
नही तो रंग नही छूटेगा

सोनल - हा मा हम दोनो नहाने ही जा रहे है ।

पापा - ऐसा करते है हम सारे जेन्स निचे जाकर नहा लेते है और आप लोग यही उपर नहा लो

मा - अरे बारी बारी से यहा का एक बाथरूम खाली है और उपर का है नहा लो ,,,निचे कोई गन्दगी लेके नही जायेगा हा

पापा हस के - अच्छा ठीक है भई
फिर चाचा पहल करते हुए बोले - ठीक है भैया आप लोग आराम करिये मै जरा नहा लू तब तक , शालिनी बैग से मेरे कपडे निकाल दो जरा ।


फिर चाची निचे गयी और अपना बैग लेके आई फिर चाची और चाचा दुसरे वाले खाली बेडरूम मे चले गये ।
अनुज और राहुल भी छत पर चले गये तौलिया लेके ।

मै उठा और मा के बगल मे आकर बैठ गया और उन्के उन्के चुचो पर लद कर उनको हग कर लिया और मा ने भी मुस्कुरा कर मेरे बालो मे हाथ फेरने लगी ।

इधर मै और मा एक दुसरे मे लगे थे लेकिन मेरी आंखे पूरी बंद नही थी हल्की आंखे खोले मै सब देख समझ रहा था कि पापा उठ कर विमला के बगल मे आ गये और बोले - और बताईए बहन जी मज़ा आया की नही

विमला ह्स्ते हुए - जी भाईसाहब बहुत ही ज्यादा और रागिनी तो आज कुछ ज्यादा ही मस्ती कर दी थी

पापा हस कर - अच्छा जी वो कैसे
विमला - अरे आज ये मेरे कपडे पुरे फाड ही देती ह्हिहिहिही कमीनी कही की

मा ह्स्ते हुए - चल चल स्ब्से पहले तुने मेरी साडी फाडी फिर मै क्या करती

विमला ह्स्ते हुए - मुझे तेरी साडी पहनने ना पहनने का कोई मतलब न्ही दिख रहा था सारा माल खुला रखा था तुने हाहाह्हाहा

मा थोडी शर्मायी और विमला को छेड़ते हुए बोली - हा देखा मैने तुने आज रंग लगवाने के चक्कर मे ब्रा ही निकाल दी

इधर पापा हस भी रहे थे और बार बार मेरी तरफ देख कर खुद को शांत भी रखें हुए थे
विमला शर्माते हूए - चुप कर पागल कुछ भी बक रही है
और पापा की तरफ इशारा करती है ।

मा ह्स्ते हुए - उनको क्या बोल रही है आज उन्होने भी अपनी भयोह के साथ बहुत मज़े लिये

मा की बात से पापा झेप गये और मेरी हसी छूट गयी तो मा मेरे गालो पर चपट ल्गाते हुए बोली - तू बड़ा हस रहा है हा ,,, दो बार क्छ्छे मे रंग डलवा लिया लेकिन शर्म नही आ रही है हम्म्म्म

मै हस कर मा के चुचियो मे सर दबाते हुए उनकी नंगी पेट को सहलाते हुए शर्माने की ऐक्टिंग करने लगा जिस्से मा मुझे बाहो मे भर मेरे माथे को चूम कर हस्ने लगी
ऐसे ही हमारी मस्ती भरी बाते चलती रही कुछ देर फिर चाचा और चाची दोनो नहा कर साथ मे बाहर आये ।
उधर निशा और सोनल भी नहा चुकी थी फिर 5 मिंट के अंतर पर राहुल और अनुज भी नहा कर हाल मे एक्क्था हुए

थोडी देर बाद कल्लु काका ने अपने नौकर से समोसा और गुजिया भेज्वाये ।

फिर मैने दोने मे ही सबके लिये समोसा गुजिया लगा दिया और फिर मा ने सबको एक एक दोना उठाने को बोला

फिर सारे लोगो ने नासता किया थोडे गप्पें हाके और थोडी देर पहले हुई चटपटि बातो की पुनरावृति करते हुए सबने सबके मजे लिये ।

फिर चाचा चाची निचे कमरे मे सोने चले गये । सोनल और निशा अपने बाल सुखाने बालकीनि मे चली गयी ।
अनुज और राहुल दोनो निचे हाल मे जाकर मोबाइल पर मूवी देखने का प्लान कर लिये ।

फिर वापस उपर के हाल मे मा पापा विमल और मै बच गये ।

मा उठते हुए - चल विमला तू भी नहा ले आ ,,,और आप भी बैठे ना रहिये नहा लिजीये जाकर ।

पापा - नही नही अभी मेरा मन नही है ,,आप लोग नहा लो मै यही आराम करता हू

मै - मै तो जा रहा हू उपर नहाने

मा - अच्छा ठीक है बेता वो जरा गेस्टरूम मे मेरा और विमला का बैग है वो लेते आओ

मै झट से निचे गया और फट से दोनो बैग लेके आ गया ।

मा - विमला तू उस वाले कमरे के बाथरूम ने चली जा और मै इसमे चली जाती हू ।
फिर दोनो अलग अलग कमरो मे गये और मै भी सिर्फ तौलिया लेके छत पर चला गया ।
छत पर जाने के बाद एक नजर मैने स्टॉल पर डाली

मै मन मे - अबे यार , मस्ती तो बहुत कर ली लेकिन ये सब समान बटोरेगा कौन ,, ऐसा करता हू पहले सारा सामान जो काम लायक है वो निचे रख देता हू फिर बाकी का कचरा एक किनारे कर दूँगा। नही तो नहाने के बाद ये काम करके सब चौपट ही रहेगा ।

फिर मैने रंग अबीर को अच्छे से वापस पैकेट मे डाला और सारी पिचकारीया बाल्टी एक साथ रख कर उसमे पानी भरा। फिर गलास के पैकेट, मिठाइया और रंग सब एक बडे झोले मे भर कर ,, उठाया और नीचे चल दिया ।

मै वापस हाल मे आया तो पापा वहा नही थे तो मै सोचा क्यू ना सारा सामान यही मम्मी जिस कमरे मे है वही रख दू और कमरे का दरवाजा ही हल्का खुला हुआ था

तो मै सारा सामान लेके दरवाजे को धक्का देकर मम्मी को आवाज ल्गाते हुए कमरे मे घूस्ता हू - मम्म्यीईईईईई

सामने देखा तो मेरी आंखे फटी की फटी रह गयी क्योकि पापा कमरे मे बाथरूम के पास अपना पैजामा निचे किये खडे थे और मा पूरी नंगी होकर पापा का मोटा लण्ड निचे बैठ कर चुस रही थी ।

पापा की नजर वापस मुझसे मिली और मा भी लण्ड निकाल कर मेरे तरफ आंखे फाडे देखने लगी । दोनो हैरत भरी नजरो से मुझे देख रहे थे और मेरी आवाज नही निकल रही थी ।

मै हडबड़ा कर नजरे चुराते हुए - अब ब ब वो वो मै ये ये समान रखने आया था ,,,
और मै झट से सामान रखा और बिना उनलोगो की तरफ देखे - सॉरी पापा

फिर कमरे के बाहर आ गया और एक गहरी सांस ली
भले ही मेरा बाप कितना ठरकी हो और मै कितना चोदू रहू लेकिन एक बाप के सामने ऐसे सीन के बाद सामना करने की हिम्मत करना आसान नही होता है । मै अपनी सांसे बराबर कर रहा था कि अन्दर से पापा की आवाज आई

पापा - अरेरे याररर , धत्त
मा - क्या हुआ जी
पापा - आज दुसरी दफा उसने हमे ऐसे हालत मे देखा ,,क्या सोच रहा होगा वो

मा - अरे वो अब बड़ा हो गया है देखा नही सॉरी बोल कर गया है । सब समझता है मेरा बेटा आप चिन्ता ना करिये

पापा परेशान लहजे मे - हा वो ठीक है रागिनी लेकिन उपर छ्त पर शालिनी भी थी ना ,,मुझे उस बात की चिन्ता है कही वो हमारे बारे मे कोई गलत राय बना ले

मा तो पहले ही मुझे जानती थी तो वो पापा को सत्तावना देते हुए - ऐसा करिये आप एक बार उससे बात करिये,

पापा हिचक कर - क क क्या आ , कह रही हो रागिनी ,मै कैसे बात करूँगा अपने ही बेटे से , वो भी ऐसे मुद्दो पर

मा झिझक कर - हा तो फिर जिन्द्गी भर नजरे चुराते रहना एक दूसरे से आप लोग ,, आगे जाकर मेरे बेटे की जिन्दगी तबाह होगी । ना वो आपसे कुछ बात करेगा ना ही आपको अपनी आवश्यकताओं और इच्छाओ के बारे मे बतायेगा

पापा परेशान लहजे मे - नही नही रागिनी ऐसा नही होगा ,,,,मै कोसिस करता हू उससे बात करने की

यहा मेरी हालत और पतली हो गयी कि अब पापा मुझसे ऐसी क्या बात करेंगे , क्या समझाएंगे

पता नही आगे क्या होने वाला था और कैसे मै पापा का और पापा मेरा सामना करने वाले थे ।
कमरे हुए हंगामें की बात सोच कर और आने वाले समय मे पापा का सामना कैसे होगा , इन्ही बातो मे खोया हुआ मै वापस छत पर चला गया नहाने ।

नहाने के बाद मै तौलिया लपेटा और फिर मुझे ध्यान आया कि मैने तो कपडा लाया ही नही

मै मन ने - अबे यार अब फिर से उसी कमरे मे जाना पडेगा पता नही क्या हो रहा होगा क्या नही ,,,पता नही पापा होगे निचे या नही

मै घबडाहट भरे मन से आने वाले परिस्थतियो के नये नये आयाम मन मे बुने जा रहा था ।
फिर मै वापस कमरे के पास गया तो इस बार दरवाजा खटखटा कर बोला - मम्मीईई

तभी खड़ाक से दरवाजा मम्मी ने खोला और वो नहा चुकी थी , उन्होने बालो मे एक दुपट्टा लपेटा हुआ था और उपर से एक मैक्सि डाली हुई थी जिसके उपरी बटन खुले थे । उन्के बदन से साबुन की मस्त खुस्बु आ रही थी जो मुझे मादक किये जा रही थी ।
मा के भिगे होठ और भी ज्यादा गुलाबी थे और उन्के चेहरे पर एक आकर्षक मुस्कान थी ।

मा - हा क्या हुआ बेटा
मै एक बार अन्दर झाका तो पापा नही दिखे
मा मुस्कुरा कर - वो नहा रहे है हिहिहिही

मुझे थोडी राहत हुई और मुस्कुरा कर - मा वो मुझे मेरे कपडे चाहिये थे ,

मा खुशी भाव से दरवाजे से हट गयी और मै कमरे मे चला गया और फिर बैग से एक जीन्स और टीशर्ट निकाला लेकिन मेरा अंडरवियर नही मिला उसमे

मै - मा मेरा अंडरवियर नही लाई क्या आप
मा ह्स्ते हुए - अब तुझे कल देखना चाहिए था ना की क्या समान रखना है क्या नही ,,,,भूलने का तो मै भी अपना ब्रा पैंटी भूल गयी हू तो क्या करू जो है वही पहन रही हू

मै मा बाते सुन कर एक नजर उनकी चुचियो के खडे निप्प्ल को मैक्सि मे उभरा देखा और थूक गटक बोला - लेकिन मुझे आदात नही है बिना अंडरबियर के

मा हस कर - अब तू जान और समझ भई ,,, लेकिन जल्दी से ये तौलिया निकाल कर दे ,,,तेरे पापा को देना है ।

मै पापा नाम सुनते ही सारी जरूरत को ताक कर रख कर मा के सामने ही तौलिये पर से ही जीन्स मे पैर डालने लगा

मा मुझे लड़खड़ाता देख हस रही थी ।
मैने किसी तरह जांघो तक जीन्स को लेके आया और अब आगे जाने के लिए तौलिया निकालना पड़ता तो मै मा को इशारा करके बोला की बाथरूम के दरवाजे पर ध्यान दे

मा हस कर हा मे इशारा किया और मै झट से तौलिया निकाल कर मा को दिया । जिससे मेरा हल्के तनाव मे खड़ा लण्ड झाटदार हिस्से के साथ मा के साम्ने था और मै जीन्स को कमर पर चढा कर बंद कर ही रहा था कि

मा - रुक रुक रुक जरा तो ,,, ये खोल ,, ये क्या अभी भी यहा का रंग नही छुटा

मै झल्ला कर - आपने ही तो डाला था
मा हस कर - मैने कहा वो तो तेरी चाची थी हिहिही

फिर मै वापस मुह बनाते हुए जीन्स पहन लिया तभी बाथरूम से पापा की आवाज आईं।
पापा - रागिनी ,,राज तौलिया देके गया क्या

मै पापा की आवाज सुन कर वाप्स सकते मे आया और मै उनका सामना नही करना चाहता था , अभी तो बिल्कुल नही


तो मै झट से अपना मोबाईल और टीशर्ट लिया और बाल्किनी की तरफ आ गया जहा रेलिंग के पास मेरी दोनो बहने अपना टीशर्ट लोवर पहने खुले बालो मे पोज देते हुए तस्बिरे निकाल रही थी ।

तभी सोनल की नजर मुझ पर गयी
सोनल - ओ बिना ऐब्स वाले शाहरुख खान,, कपडे पहन ले भाई ,,, कुछ तो शर्म कर यहा तो महिलाए है हिहिहुही

मै हसते हुए - हा सही कह रही हो अब तुम लोग महिला हो ही गयी हो

सोनल मेरा ताना समझ गयी और खीझ कर बोली - चल चल पहन कपडे नही तो निकालू फ़ोटो तेरी भी ।

मै टीशर्ट और मोबाइल एक कुर्सी पर रखते हुए उन्के पास गया और बालो मे हाथ फिराते हुए बोला - अब इतना स्मार्ट लग रहा हू तो निकाल ही दो


निशा जो अब तक चुप चाप हसे जा रही थी वो भी मेरा साथ देते हुए - हा हीरो तो तू है ही ,, निकाल सोनल इसकी फ़ोटो और स्टेटस लगाते है

मै बिंदास होकर जीन्स मे हाथ डाल कर एक पोज दिया और सोनल के क्लिक किया और दो तीन पोज के बाद मैने देखा की निशा बहुत हस थी तो मैने उसकी कमर मे हाथ डाल कर अपनी तरफ खिच दिया जिस्से वो हिचक गयी

मै ह्स्ते हुए - हा अब निकालो दीदी
सोनल ह्स्ते हुए - वॉव यार क्या मस्त जोडी लग रही है तुम दोनो की हॉट ऐण्ड सेक्सी कपल एकदम

निशा सोनल की बात से शर्मा गयी और मै उसकी बातो का फायदा उठा के- निशा को पीछे से हग किया और एक हाथ कन्धे के उपर और एक हाथ दुसरे कन्धे के निचे से ले जाकर उसकी चुचियो पर क्रोस करते हुए दुसरे वाले कन्धे पर अपना चेहरा रख कर पोज दिया

सोनल फ़ोटो निकालते हुए - गजब बे तुझको कितने अच्छे अच्छे पोज आते है

फिर मै निशा को छोड कर सोनल के पास गया और उसके हाथ से मोबाईल लेके तसबिरे देखने लगा ।

मै सवाईप करके एक एक तस्वीर देख रहा था कि तभी मोबाईल ने निशा की ऐसी तस्वीर आई जिसमे वो अपना नाभि दिखा रही थी , फिर मैने आगे स्वाईप किया तो सोनल की भी उसी पोज मे तस्वीर थी ।

आगे बढ़ाने पर और भी कामुक कामुक अदाओ से भरी दोनो की सेक्सी तस्विरे थी ।
मै मुस्कुराते हुए - अरे वाह दीदी बहुत ही अच्छी अच्छी तस्वीरे है

सोनल - हा तो हमने खीची है
मै - लेकिन आप दोनो का एक साथ मे नही है फुल फोटो
निशा - हा यार तू निकाल दे ना हम दोनो का

मै एक शरारती मुस्कान के साथ - ठीक है लेकिन यहा नही
उस कमरे मे चलो उसमे अच्छी लाईट आयेगी ,,,यहा धूप की वजह से फिल्टर सही से काम नही कर रहा है

फिर मैने बाल्किनी मे आने वाला दरवाजा बाहर से बंद किया और फिर दोनो के लिवा कर वही के अटैच स्पेयर रूम मे लेके चला गया जो कि खाली था और उसका दरवाजा। बालकनी में खुलता था।

फिर मैने दरवाजा बंद कर सारी लाईट ऑन की जिससे कमरा पुरा जगम्गा गया ।

निशा - हा यार ये जगह तो मस्त है
मै - चलो अब दोनो साथ मे इधर खडे हो जाओ
फिर वो दोनो एक दूसरे से चिपक कर पाऊट करते हुए और एक दुसरे के बाहो मे बाहे डाले और एक दुसरे मे गालो पर किस्स करते हुए फ़ोटो निकलवाये

सोनल - भाई और कोई पोज बता ना
मै तुरंत गूगल पर कुछ सेक्सी पोजेज की तस्वीरें सर्च की और फिर दोनो को अप्ने पास बुलाया

सोनल को दिखाते हुए - ये देखो दीदी ये कैसा है

उस तस्वीर मे दो लडकिया एक दुसरे के आगे पीछे खड़ी थी । पीछे वाली लडकी अपना सर आगे वाली लड्की के कन्धे पर रखे हुए अपना हाथ आगे कर आगे वाली लड्की की ड्रेस उपर किये हुए उसकी नाभि दिखा रही थी और वही सामने वाली लडकी अपने एक साथ उस पीछे वाली लड्की के गालो को बहुत ही कामुक अंदाज मे छू रही थी ।


सोनल पोज देख कर - धत्त ये सब क्या बे ,,, ये सब बड़ी मोडल लोग ही करती है कोई देखेगा तो क्या कहेगा

मै हस कर मोबाइल की गैलरी से उनकी नाभि दिखने वाली तस्वीर खोल कर उनको दिखाते हुए बोला - क्यू ये देख कर सब लोग तारिफ करेन्गे क्या ,,अरे यार कोई बाहरी थोडी ना देखेगा । हम लोग ब्स पोज बना कर मौज मस्ती कर रहे है कौन सा इसका बैनर बनवाना है

निशा मेरी बात सुन कर ह्स्ते हुए - नही भाई ये बैनर बनवायेगी अपना हाहाहा

सोनल अपना मजाक उड़ता देख खीझ गयी और ह्स्ते हुए बोली - रुक अभी बताती हू तुझे बहुत हसी आ रही है ना

सोनल - चल भाई तू खिच , अब देख मेरा कमाल

फिर सोनल निशा को खिच कर वाप्स से उसी जगह ले गयी और उसी तसवीर की तरह निशा को आगे के उसकी उसकी टीशर्ट को उपर खिच कर पोज दिया जिसे मैने क्लिक किया

मै दुसरा पोज ब्ताता की उस्से पहले ही सोनल खड़ी हुई और निशा का टीशर्ट एक झटके मे निकाल दिया और फिर अपना टीशर्ट भी एक साथ निकाल दिया ।

ओह माय गॉड क्या गजब का सेक्सी नजारा था । दोनो बहने अब ब्रा और लोवर मे थी ।
सोनल के दूध काली ब्रा मे काफी भरे हुए थे और वही निशा के चुचे सोनल के मुकाबले छोटे थे और उसने एक प्रिंटेड आसमानी रंग की ब्रा पहनी थी ।


सोनल के टीशर्ट निकालने के बाद निशा ने झट से अपने हाथो को क्रॉस करके अपनी छाती को ढक लिया और झल्ला कर बोली - ये क्या मजाक है दीदी ,, देख नही रही राज है यही

सोनल हस के - धत पागल वो कौन सा बाहरी है ,, अपना भाई ही तो है ना ,
निशा थोडा शांत होकर - लेकिन ऐसे कैसे मुझे शर्म आयेगी यार

सोनल ह्सते हुए - अरे वो भी उपर से नंगा है और हमने तो अपने माल ढके हुए है ना हिहिहिही
फिर सोनल निशा के हाथ उसके सीने से हटाते हुए उसको अपनी तरफ खीच कर पोज देते हुए बोली - हा भाई अब खिच

मै मुस्कुरा कर जीन्स मे उभरे लण्ड को थोदा दबाते हुए - दोनो की बेहद ही सेक्सी तस्वीरे निकाली और बार बार लण्ड को दबा रह था

जिसे सोनल और निशा भी देख कर आप्स मे मुस्कुरा रही थी ।
मुझे अब रहा नही जा रहा था क्योकि मेरे लण्ड मे दर्द होने ल्गा था ।

मै - दिदी मै अभी आ रहा हू
सोनल ह्स्ते हुए - अरे कहा जा रहा है भाई

मै संकोचवश इधर उधर देखा कर मुस्कुरा रहा था ।
सोनल - मुझे पता है तुझे वहा दिक्कत हो रही है तो यही कर ले ना सही

निशा सोनल के बाजू पर चिगोटी काटते हुए मना करती है
सोनल ह्स्ते हुए - देख निशा भी वही बोल रही है कि यही सही कर ले हिहिहिही

निशा खीझ कर ह्स्ते हुए - क्या दीदी मैने कब बोला

सोनल - अब शर्माना छोड और यही सही कर ले
फिर मै मोबाईल उन लोगो को देके उनकी तरफ पिठ करके घूम गया और जीन्स के बटन और चैन खोल कर लण्ड को बाहर निकाल कद एक गहरी सांस ली
मै हल्के हाथो से अपने लण्ड की चमडी और सुपाडे मे उठे दर्द को कम करने के लिये एक दो बार लण्ड की चमडी आगे पीछे किया जिससे मेरे सुपाडे मे ठंडी हवा का आभास हुआ और मै कमर पर हाथ रखे गरदन उपर कर आंखे बंद किये गहरी सास लेते हुए थोडी देर वैसे ही लंड बाहर किये खड़ा रहा और मुझे बहुत ही राहत मह्सूस हो रही थी ।एक पल की मै भूल ही गया कि कहा हू तभी मुझे सोनल के खिलखिलाने और निशा के खुसफुसाने की आवाज अपने बाई तरफ से आई और मै नजर घुमा कर देखा तो सोनल ह्स्ते हुए मेरे लण्ड की तस्वीर निकाल रही थी और निशा उसको रोकने की कोसिस कर रही थी ।

मै झट से दुसरी तरफ घूमते हुए पैंट पकड लिया ।
हालाकि मेरे और सोनल के बिच , मेरे और निशा के बिच व्यकितगत रूप से कोई हिचक वाली बात नही थी लेकिन हम तीनो के कुछ ना कुछ आपस के राज थे जो हम सब से छिपे थे ।

मै ह्स्ते हुए पैंट पकड कर - ये क्या रही हो दीदी पागल हो गई हो क्या
सोनल ह्स्ते हुए - कुछ नही तुझे ब्लैकमेल करने का हथियार जुटा रही हू भाई

उनकी तरफ पिठ किये हुए - ये गलत बात है मै तकलीफ मे हू तो ये क्या बात हुई

सोनल - अच्छा ब्च्चू तकलीफ मे है ,,सुन रही है निशा क्या कह रहा है

निशा खुसफुसा कर - क्या कह रही हो दीदी बस करो अभी

सोनल हस्ते हुए - तू उसके साथ है मेरे साथ । देखती नही ये कमीना अपनी बहनो की जवानी देख कर मजे ले रहा है

मै लखड़ते लहजे मे - ये क्या बोल रही हो दिदी मैने कब ये सब सोचा
सोनल मुझे सामने घुमाते हुए - तो ये तेरा खड़ा कैसे हुआ

मै निशा को देखा जो सोनल के थोडा पीछे खड़े होकर मुह छिपाये हस रही थी और सोनल मुझे चिढाने का इशारा कर रही थी ।

सोनल अपनी होठ पे जीभ घुमाकर हस्ते हुए बोली - बता ना कैसे हुआ खड़ा , तू मेरी और निशा की छातियों को ही घुर रहा था ना

मै हस कर अपना लण्ड को छुपाने की कोसिस मे - ये क्या बात कर रही हो दीदी , मैने थोडी ना बोला आपको की आप कपडे निकाल दो ,,,क्यू निशा दीदी

निशा हस कर मुह फेर लेती है
मै मौका देख कर सोनल से इशारे मे पुछता हू क्या नाटक ये सब

सोनल हस कर इशारे मे लण्ड को चुस्ने की बात कहती है
मै इशारे मे निशा की तरफ दिखा कर उसको बोलता हू की तुम पागल हो वो यही है

सोनल इशारे मे निशा को भी शामिल होने की बात कह्कर हस्ती है
मै सोनल की प्लानिंग समझ गया कि वो क्यू इत्ना नाटक कर रही है और एक गहरी सास लेते हुए मैने भी नाटक करना शुरु कर दिया ।
मै - बोलो ना अब चुप क्यू हो
सोनल - ओहो इस्का मतलब अगर तू अपनी बहनो को नंगा देख लेता है तो तू उन्के बारे मे गंदी गंदी सोच रखेगा

सोनल वापस निशा के पास जाकर उसकी ब्रा कन्धो से सरकाते हुए - अगर मै निशा के ब्रा निकाल दू तो क्या तू फिर भी इनके बारे गलत सोचेगा हा

निशा हस कर छ्टकते हुए सोनल का हाथ हटाने की कोसिस मे - ये क्या कर रही हो दीदी

सोनल - नही निशा आज मुझे इसको आजमा लेने दे ,कल मुझे घर मे अकेला पाकर ना जाने ये क्या कर दे

फिर सोनल के निशा के ब्रा की हुक खोल दी और सामने से निशा के चुचे खोल दिये और फिर मुझे देखकर बोली - तू इधर आ अभी

मै मुस्कुरा कर दोनो के पास गया जहा निशा अपने दोनो हाथों अपने चुचियो को छिपाये सोनल से चिपकी हुई नजर निचे किये कनअखियो से मुझे अपने पास आता देख रही थी ।

मै थोडा नाटक करता हुआ टूटे हुर लहजे मे - जी दीदी बोलो

सोनल झूठ का गुस्सा दिखाते हुए निशा का हाथ उसकी छाती से हटा देती है
वही निशा का मुलायम संतरे जैसी गुलाबी निप्प्ल वाली चुचियो को देख कर मेरा लण्ड झटके खाने लगा और मै गला गिला करने के लिए मुह की लार सोखने लगा

सोनल थोडा गुस्से का नाटक करते हुए - ध्यान से देख निशा के दूध को और एक भाई की नजर से बता ये कैसी लग रही है

मै थूक गटकते एक नजर निशा से मिलाया जो तुरंत नजर घुमा कर मुस्कुराने लगी और फिर मैने बडे गौर से निशा की गोरी मुलायम चर्बी वाली चुचियो को देखने लगा उसके गुलाबी घेरो पर उभरे रोए के दाने और मटर के दाने जैसी गोल कडक निप्प्ल देख कर मै उत्तेजन से भर गया ।

सोनल - बता ना ये भावना आ रही है तुझे एक भाई की नजर से
मै घबडाहट भरे आवाज का नाटक करता हुआ - आ ब ब वो वो वो मै क्या बताऊ दिदी अच्छी तो है ये अब क्या बताऊ इसमे कितनी गोल और मुलायम है ब्स यही सब है


सोनल - और तेरा मन नही कर रहा है कि इनको छूने का
मै ना मे सर हिला कर - नही नही दिदी मै कैसे छू सकता हू ,,निशा दिदी मेरी बहन है ।


सोनल थोडे भारी लहजे मे लण्ड की तरफ इशार करते हुए - तेरे इसको देख के तो ये नही लग रहा है कि तू सच बोल रहा है ,, देख रही हू जबसे मैने निशा के दूध खोले है ये और भी बड़ा हो गया है


मै घबडाहट भरे लहजे मे - वो तो होगा ही ना इतने सुन्दर दुध देख कर ,,,मुझे पता है ये मेरी बहन के है उसे थोडी ना पता होगा दीदी

निशा मेरी बात से हस दी और सोनल भी हस के बोली - मतलब तू नही चाह्ता कि इसे छुए लेकिन ये चाहता छूना

मै अंदाजा ल्गाने के भाव मे - नही , हा , मतलब वही
तब तक सोनल ने भी अपनी ब्रा निकाल दी और बोली - अब बता इनको देख कर क्या सोच रहा है तू और क्या सोच रहा है तेरा ये

मै दीदी की मोटी भूरे निप्प्ल वाली गोरी चुचियो को देख कर और भी हतास परेसान होने लगा

मै - अब ब ब ये ये ये तो बडे है और सेक्सी है
सोनल - येही सोचता हू तू मेरे बारे मे
मै हदब्ड़ी के भाव मे - नही नही दीदी ,,ये मै नही मेरा ये सोच रहा है

सोनल और निशा दोनो आपस मे मुस्कुरा रहे थे और हसी मुझे भी आ रही थी

सोनल - मतलब तू हमारे बारे कुछ गलत नही सोचता
मै मुस्कुराते हुए ना मे सर हिलाया

सोनल - तो मतलब हम इसके साथ कुछ भी करे तुझे कोई दिक्कत नही होगी


मै सोचने के भाव मे आ गया और कभी सोनल की कातिल मुस्कान के साथ इतराते चेहरे को देखता तो कभी निशा के शर्मा से नजरे चुरा कर मुस्कुराते हसिन चेहरे को
कभी एक पल को निशा की गुलाबी निप्प्ल वाली चुची को देखकर उसके मुलायम स्पर्श पाने को सिहर उठता तो एक सोनल के मोटी डार्क निप्पल वाली चुची को हथेली मे भर के मिजने का मन करता
आगे ना जाने ये सोनल की शरारत क्या गुल खिलाने वाली थी और क्या कुछ बदलने वाला था हमारी जिन्दगी मे

जारी रहेगी
पढ कर अपना रेवियू जरुर दे । कहानी कैसी चल रही है इस पर भी अपनी राय जरुर दे ।
अपना प्यार और सपोर्ट बनाये रखें
धन्यवाद
mind blowing update bhai
 

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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Ab to ragini jab bhi pratappur jayegi to banvarilal ka bistar garam karke hi aayegi or banvarilal chamanpura me ayegato specially ragini ki lene😅
Dekhte h dost kya hota h aage

Apki pratikriya k liye dhanywaad bhai
 

Naik

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UPDATE 99


शाम को मैने मा को आगे की प्लानिंग बताई और वो 5 बजे तक घर चली गई ।
थोडी देर बाद अनुज , गीता बबिता के साथ दुकान पर आया । वो तीनो काफी खुश थे और उन्होने काफी घुमा खाया पिया । फिर अनुज उनको लेके चौराहे वाले घर चला गया ।

शाम को दुकान बंद करने के समय अचानक से चंदू आया

मै - अबे साले कहा था तू इतने दिन से
चंदू - भाई वो दीदी को लेने गया था , अभी थोडी देर पहले आया हू
मै - अच्छा किया चला आया ,, भाई दीदी की सगाई को लेके काफी काम है अगले हफ्ते से
चंदू - अरे हा मम्मी ने बताया आज
चंदू एक कातिल मुस्कान के साथ- वैसे मैने तेरा इन्तेजाम कर दिया है

मै उत्सुकता से - कैसा इन्तेजाम बे
चंदू मेरे पास आकर धीमी आवाज में - साले भूल गया , वादा किया था तुझसे कि दीदी के आने के बाद सबसे तुझे ही दिलाउंगा

मै तो पुरा जोश से भर गया - सच मे , लेकिन कैसे मनाया तुने

चंदू - वो सब छोड , तू तैयार रहना कल
मै हड़बड़ी से - कल !! नही नही भाई मुझे इस समय बहुत काम है और ये मेरा पहली बार तो

मै - ऐसा करते हैं कि दिदी की सगाई के बाद का प्रोग्राम रखते हैं
चंदू - मतलब तब तक मुझे उसको चोदे बिना रहना पडेगा , भाई तेरे लिए मैने आज मौका मिलने के बाद भी नही पेला उसे

मै हस कर - अबे तेरी जैसी मर्जी ,,, मैने थोडी न कहा कि तू मत करना , तुने ही खुद से बोला था ।

चंदू राहत की सास लेते हुए - थैंक्स ब्रो , और मेरे लिए कोई काम होगा तो बताना

मै कुछ सोचकर - अभी तो नही , हा 3 4 दिन बाद पड़ेगी तब बताता हू

फिर हमने ऐसे ही कुछ बाते ही और वो अपने घर निकल गया और मै अपने चौराहे वाले घर
रास्ते मे जाते वक़्त मैने आगे के प्लान के लिए कुछ खरीदारी की और पहुच गया चौराहे पर ।

अभी पापा नही आये थे और नाना जी गेस्ट रूम ने अपनी दोपहर की थकान मिटा रहे थे ।

दीदी और मा किचन मे लगी थी ।
मैने उनसे गीता बबिता के बारे मे पुछा तो सोनल ने बताया कि वो आज दोनो दोपहर से ही अनुज के साथ है और उसी के मोबाईल पर मूवी देख रही है ।

मैने मा को आवाज दी और उन्हे धीरे से वो समान दे दिया , मा ने चुपके से सोनल से बचकर इशारे मे पुछा,,, कोई दिक्कत तो नही होगी ना इससे

मै - नही मा बहुत हल्का और धीरे धीरे असर वाला है ,
मा शर्माई और मै भी फ्रेश होकर नाना को जगाने चला गया ।

थोडी देर बाद मै और नाना हाल मे बैठे रहे ,,, इस दौरान अभी भी नाना की नजर मा के साड़ी मे उभरे हुए कूल्हो पर जमी थी ।

थोडी देर बाद मा ने नाना को उनकी शाम की दवा दी और फिये हम दोनो के लिए चाय लाई और पहले मुझे दिया फिर नाना को मुस्कुरा कर दिया ।

मा की मुस्कुराहत पर नाना झेप से गये और उन्हे सुबह हुए बाथरूम की घटना याद आ गई और तुरंत उन्के लिंग ने प्रतिक्रया स्वरूप ठुमक उठा।
हमने चाय पी और फिर हम छत पर टहलने चले गये ।

थोडी देर बाद ही शकुन्तला ताई अपने छत पर आ गयी और कल की तरह ही वो आज भी मैक्सि मे थी ,,,नाना ने कनअखियो से उन्हे ताड़ा जिसका आभास शकुन्तला ताई को था । वो भी कभी नाना पर नजर मार देती थी कि कही अभी भी तो नही घुर रहे थे वो उन्हे ,,, और जब नजर टकराती वो मुस्कुरा देती


मै मुस्कुरा कर - लग रहा है ताई भी आपको पसन्द करती है नाना जी

नाना चौके और हसे - तू बहुत नटखट है रे ,, तेरी नजर हमेशा मुझ पर ही होती है

मै - अब देखना पडेगा ना , कही इस उम्र मे आप बिगड़ ना जाओ हिहिहिही

नाना ठहाका मार के हसे और मेरे कन्धे को थपथपा कर बोले - तू सचमुच मेरे जोडी का है रे ,,,, हाहाहहा

मै - सब आपसे ही सिख रहा हू हिहिहिही

इधर हमारी बाते चल रही थी और यहा मेरे प्लान के मुताबिक नाना पर दवाई का हल्का असर शुरु हो गया था ।

दरअसल मैने शाम को आते वक़त एक मैडिकल स्टोर से कम क्षमता की व्याग्रा की गोली लेली थी और वो मा ने नाना को चाय के ठीक पहले ही उनकी शाम की दवा के तौर पर देदी थी ।

उसी का असर था कि नाना को छत पर ठण्डक माहौल मे बेचैनी होने लगी और उनके लिंग मे कसाव होने लगा ।
वो अपनी काम वासना पर काबू कर रहे थे जिसके प्रभाव स्वरुप उन्हे हल्के पसीने हो रहे थे ।
नाना ने बैचैन होकर नहाने की बात कही तो हम निचे आ गये ।

हाल मे
नाना - बेटा जरा मेरे कपडे निकाल दे ,,बहुत गर्मी हो रही है ।

मा ने एक नजर मुझे देखा और मैने एक स्माइल पास की ।

मा - आप नहायीये बाऊ जी मै कपडे लेके आती हू ।
नाना भी गर्मी से परेशान थे और वो फटाफट नहाने के लिए गेस्टरूम मे गये ।

उधर दीदी खाना बनाने मे व्यस्त थी और मा मुझे लेके कमरे मे आई
मा - बेटा उससे कोई दिक्कत नही होगा ना बाऊजी को
मै मा के गाल चूम कर - नही मा कोई दिक्कत नही होगी वैसे भी वो बहुत हल्की डोज़ वाली है । अभी धीरे धीरे उसका असर बढ़ेगा ।

फिर मा ने नाना के अंडर के कपडे और तौलिया लेके गेस्टरूम मे गयी और उन्हे देके वापस आई ।

इधर खाना बन गया और नहाने के बाद थोडी देर के लिए नाना जी को राहत मिल गयी ।
थोडी देर बाद हम सब ने खाना खाया ,,,,खाने के दौरान पापा की अनुपस्थिति पर नाना ने सवाल किया तो मा और मै एक दुसरे को देख कर मुस्कुराये ।
फिर अनुज ने भी वही सवाल दुहराया कि पापा क्यू नही आये ।

मा नाना से मुखातिब होकर - बाऊजी वो इसके पापा आज वही दुकान पर ही रुकेंगे ,,,ट्रांसपोर्ट से सामान आने वाला है आज

मा के सवाल से घर के बाकी सदस्य संतुष्ट हुए क्योकि अक्सर होता रहता था । कभी कभी जब शादियो या त्योहारो का सीजन आता था तो नये बर्तन का स्टोक देर रात तक डिलेवर होता था ।


खैर ये सब बाते तो कहानी के बाकी किरदारो के जानने के लिए थी ,,,मगर राज के पापा के गायब होने असल कारण राज की योजना ही थी ,,,आज रात किसी भी तरह राज अपनी मा और नाना का मिलन करवाना चाहता था मगर उसके पापा के रहते ये सम्भव नही था इसिलिए उसने विमला को इस प्लान मे शामिल करने का फैसला किया ।

दरअसल शाम को जब राज अपनी मा के साथ आगे की योजना बनाई और फिर उसकी मा के जाने के बाद उसने विमला के पास फोन किया ।

फोन पर
राज - नमस्ते मौसी कैसी हो
विमला - खुश हू बेटा,,,कहो कैसे याद किया आज हा
राज विमला को छेड़ते हुए - अपनी सेक्सी मौसी को आखिर क्यू याद कर सकता हू मै हा

विमला शर्मायी - इतनी याद आ रही है तो आजाओ ना
मै ह्स कर - आना तो मुझे नही आपको पडेगा

विमला उलझन से - मतलब मै समझी नही
राज ह्स कर - मौसी आपको मेरा एक काम करना है
विमला खुशी से - हा बोल ना बेटा क्या बात है
राज - अब तुमसे कुछ छिपा तो है नही कि तुमसे कुछ छिपाऊ ,,,,बस इतना जान लो मनोज वाली प्रोब्लम हो गयी है मेरी
विमला पहले उलझी फिर कुछ सोच कर हस पड़ी - ओह्ह आखिर मेरा शक सही निकला ,,,तू भी पागल है अपनी मा को पाने के लिए,,, लेकिन इसमे मै तेरी क्या मदद कर सकती हू

राज ह्स कर - अरे मौसी , आपको बस अगले दो रातो के लिए पापा को सम्भालना है ,,,चुकी इस समय घर पर नाना आये हैं तो मम्मी पापा का कुछ हो नही पा रहा है और मैने भी कुछ सोचा है अपने लिये जो पापा के ना रहने पर ही हो पायेगा हिहिहिही

विमला ह्स कर - बदमाश कही का ,,,तू बहुत चालू है
मै हस कर - फिर अपने इस लाड़ले की मदद करोगी ना

विमला इतरा कर - लेकिन उसके अगली रात मे तुझे आना पडेगा ,,बोल मंजूर
मै हस कर - हा क्यू नही

फोन कट जाता है


तो घुमा फिरा कर बात ये थी कि राज ने विमला को झूठ बोल कर अपने प्लान मे मिला लिया और अगले दो रातो के लिए अपने पापा को व्यस्त कर दिया था ।

वापस कहानि पर

खाने के बाद सोनल उपर चली गयी ,, गीता बबिता भी अपने वादे के मुताबिक अनुज के साथ चली गयी सोने ।

मैने पहल कर नाना को अपने कमरे मे सोने को कहा और फिर मा अपने कमरे मे चली गयी ।
कमरे मे जाने के बाद नाना ने अपने कपडे निकाल दिये क्योकि उन्हे दवा के असर से गर्मी बहुत लग रही थी ।।
मै भी आज सिर्फ अंडरवियर मे रहा ताकि नाना जी कोई शक ना हो और यही जताया कि गरमी ज्यादा है।

मगर व्याग्रा का असर धीरे धीरे उनके लिंग पर वापस होने लगा था और थोडी देर मे दरवाजे पर दस्तक हुई

मा - राज बेटा दरवाजा खोल तो

मै - खुला है मा , आजाओ

मै और नाना अधनंगे बिस्तर पर लेते थे और मा पानी और नाना का दवा लेके आई ।
मा इस समय सिर्फ ब्लाउज पेतिकोट मे थी और बिना ब्रा के हल्के अंगूरी रंग के सूती ब्लाउज मे उसकी चुचियो के काले निप्प्ल साफ दिख रहे थे ,,, कूल्हो के पास एक तरह मा ने जहा पेतिकोट का नाड़ा बाँधा था वो गैप से उनकी हल्की सावली जांघ साफ दिख रही थी ।
इस कामुक नजारे का प्रभाव मुझसे ज्यादा नाना पर हो रहा था और मा की डीप गले के ब्लाउज मे उभरी चुचियॉ की घाटी देख कर नाना का लण्ड तन गया था । मानो जान्घिये को फाड देगा और इस नजारे का असर मुझ पर हुआ मै आने वाले कामुक भविश्य के बारे मे सोच कर उत्तेजित मह्सुस करने लगा था ।

मा ने नाना की दवाई दी और मुस्कुरा कर चली गयी ।
जाते वक़्त मा ने अपने कूल्हो कुछ कामुक तरीके से ऐसे बल्खाया की हम दोनो के लण्ड ने झटके मार दिये ।

मा के जाते ही नाना और मै एक दुसरे को देख कर मुस्कुराये और उनहोंने थोड़ी शर्म मह्सुस की ।

मैने उन्हे उनके खडे लन्द पर तकाया
वो हसे और उसे दबाते हुए बोले - ये तो मर्दो की निशानी है बेटा

मै ह्स कर - हा मगर ये निशानी किसकी याद मे उपर हो रही है हिहिहिही

नाना ह्स कर - अरे रात का समय है तो इसकी बेला हो चली है तो ये अपनी मनमानी करेगा ही ,,,चल बत्ती बुझा दे और सो जा

मै भी हस्ते हुए बत्ती बुझा दी ।
करीब आधे घन्टे बाद दवा ने पुरा असर दिखाना शुरु कर दिया ,,, जिसका परिणाम ये हुआ कि नाना को अपने लिंग मे बहुत सख्ती मह्सूस हुई और दर्द भी होने लगा । छ्टपटाहट मे वो करवत बदलने लगे और लण्ड को सभी दिशा मे घुमा कर दबा कर शांत करने लगे ,,मगर उनको शान्ति नही मिल रही थी ।

उनकी खड़बड़ाहत और कराह से मै मुस्कुरा कर उठा और फटाक से बत्ती जला दी

देखा नाना जी पंखे के निचे भी पसीना पसीना हुए है और अपने दोनो हाथ से अपना लंड जांघो मे दबा रहे

मै चिन्ता जताते हुए - नाना जी आप ठीक तो हो

नाना कसमसा कर - आह्ह बेटा हा ठीक हू
मै - नही मुझे आपकी तबियत ठीक नही लग रही है देखिये कितना पसीना हो रहा है,, रुकिये मै मा को बुला के लाता हू

नाना चौके - नही नही बेटा, मै ठीक हू ,,,छोटकी को परेशान न कर

मै जिद दिखा कर - नही नही आप रुको मै मा को लिवा के आता हू

फिर मै फटाक से उठा और दरवाजा खोल कर सिधा मा के कमरे मे गया जो अपने दरवाजे पर ही खड़ी सब सुन रही थी ।

मा इशारे से क्या हुआ पूछी तो मै उन्के कान के पास जाकर - दवा का असर हो गया अब हमारे ड्रामे की जरुरत है

मै और मा मुस्कुराये और फटाक से मेरे कमरे मे आ गये ।
जहा नाना उठा कर बैठ गये थे और अपनी धोती को फैला कर अपने जाघिये को धक लिया था और बाकी हिस्से से अपना पसीना पोछ रहे थे ।

मा हड़बड़ी और चिन्ता दिखा नाना के बगल मे खड़ी होकर -क्या हुआ बाऊजी , आपको इतनी गर्मी क्यू हो रही है ।

नाना - नही बेटी कोई दिक्कत नही है ,, आज गर्मी ज्यादा है बस

मा - नही बाऊजी ,, आज इत्नी भी गर्मी नही है , जितना आपको हो रहा है ।

मा बात करते हुए बहुत हिल रही थी जिससे उसकी चुची हिल्कोरे ले रही थी और नाना की नजारे मा की घाटी का दिदार कर और गरमा रहे थे ।

मा हड़बड़ा कर - राज तू रज्जो मौसी को फोन कर , उनहे पता होगा ,,बाऊजी नही बतायेंगे

मै भी चिंता दिखाते हुए जल्दी से रज्जो मौसी को फोन लगा दिया और मा को दे दिया

फ़ोन पर
रज्जो - हा राज बोलो बेटा
मा - मै बोल रही हू जीजी ,,वो बाऊजी को पता नही क्यू बहुत गरमी हो रही है
रज्जो - तुने दवा दी ना समय से उनको
मा - हा जीजी ,
रज्जो कुछ सोच कर - अच्छा तुझे कुछ अन्दाजा है कि बाऊजी ने सेक्स कितने दिन पहले किया था
मा मुस्कुराई और फिर बोली - क्या जीजी मै ये कैसे जानूंगि ,,

रज्जो - अच्छा तू बाऊजी को फोन दे
मा ने शर्माकर नाना को फोन दिया

नाना - हा बेटी बोल
रज्जो - बाऊजी आपको वो सब किये कितने दिन हुए

चुकि नाना जी जानते थे कि अभी अभी ये सवाल रज्जो मौसी ने मा को किया था और वो नही चाहते थे कि मा ऊनके बारे मे कुछ गलत सोचे इसिलिए वो झूठ बोले ।

नाना - अब यही कोई 5 6 दिन
रज्जो - तभी आपको दिक्कत हुई है शायद , आप रागिनी को फोन दीजिये

फिर नाना ने मा को फोन दिया मा ने मुस्कुरा कर लिया - हा जीजी
रज्जो - वो दरअसल बाऊजी ने 5 6 दिनो से सेक्स नही किया है इसिलिए उनको ये दिक्कत हो रही है, जब ऐसा होता है तो डॉक्टर ने बोला था कि थोडा बर्फ से उनके वहा वाले जगह की सेकाई करने को उससे उनको आराम मिल जायेगा ।

मा मुस्कुरा कर थोडी नाना के सामने शर्मा कर - जी ठीक है दिदी
फिर फोन कट जाता है

मै जो कि सारी बाते जानता था और सब कुछ मेरे प्लान के मुताबिक ही हो रहा था । मुझे और मा को पहले से डॉक्टर वाली सलाह का आइडिया था तभी मैने ये व्याग्रा वाला प्लान बनाया था । क्योकि हमे पता था कि नाना को कोई भी दिक्कत होगी उसमे सिर्फ सेक्स का ही रोल होगा और उसी से जुड़े सवाल होंगे । और मेरे अनुसार मेरा प्लान कार्यरत था ।

फिर भी नाना के सामने उत्सुकता से मा से बोला - क्या बात हुई मा ,,क्या कहा रज्जो मौसी ने

मा शर्मा कर पहले नाना को देखा और फिर बोली - कुछ नही तू सो जा , और बाऊजी आईये आप मेरे कमरे मे चलिये ,,वहा इसके पापा ने कुलर लगवाया है ।

नाना - नही बेटी मै ठीक हू
मा ने इस बार जिद दिखाई और उन्हे पकड कर उठाने लगी तो हस कर मा के साथ उन्के कमरे मे गये ।
मै अपने कमरे खुशी से और उत्तेजित होने लगा कि आगे क्या क्या होना है ।
मै उठा और एक जोर की अंगड़ाई ली और फनफनाते लण्ड के सिरे को दबा कर उसे समझाया कि अभी और मौका मिलेगा उपर उठने का ।

मै दबे पाव कमरे के बाहर झानका तो मा अपने कमरे से बाहर किचन की ओर जाती दिखी

मै फटाक से किचन मे गया
मै मा को पीछे से पकड कर उनकी चुचिया मिज दी और पुरा अच्छे से मसल दिया । जिसका असर हुआ कि मा मादक हो उठी और उन्के निप्प्ल कड़े हो गये ।

मा - ओह्ह बेटा बस कर हट ना
मै मा के गाल चूम कर - मा दरवाजा खुला रखना
मा फ्रिज से बर्फ निकाल कर एक सेकाई वाली पैकेट मे रखने लगी और हा मे इशारा कर शर्मायी ।

मै भी एक बर्फ से टुकड़े को लेके मा को सामने किया और उनके कड़े निप्प्ल पे बर्फ़ के टुकड़े की स्पर्श कराया जिससे मा सिहर सी गयी । और मैने बारी बारी दोनो निप्प्ल को बर्फ से गिला कर दिया जिससे ब्लाउज गिला होकर पूरी तरह से उस हिस्से पर निप्प्ल पर चिपक गया और उस सूती ब्लाउज मे अब उनका निप्प्ल पुरा क्लियर दिख रहा था ।
फिर मैने ब्लाउज के बाकी हिस्सो पर ही बर्फ मल कर थोडा पेतिकोट पर गिरा कर उसे गिला किया ।

फिर मा शर्मा कर वो सेकायि का पैकेट बंद किया और उसे लेके इतराते हुए अपने कमरे मे गयी और हल्का सा दरवाजा भिड़का दिया ताकि मै अन्दर झाँक सकू ।

अन्दर कमरे मे नाना बिस्तर पर टेक लगाये अभी भी धोती को उसी तरह जांघिये पर ढके बैठे थे । मा को हाथ मे सेकाई का थैला लेकर आते देख बोले

नाना - अरे बेटा ये किस लिये और ये कैसे भीग गयी

उनकी नजर मा के भिगे निप्प्ल पर थी जो पूरी तरह से दिख रही थी
नाना की नजर भाप कर मा शर्मा कर बोली - वो फ्रिज से बर्फ निकालते समय भीग गयी मै


नाना ने थुक गटक कर फैली हुई आंखो से मा के निप्प्ल निहारे जा रहे थे ।
मा शर्मा कर - बाऊजी आप अपना जांघिया निकाल लिजिए ताकि मै सेकाई कर दू

नाना हडबडी मे - क क क्या ,,,मतलब
मा शर्मा कर नजरे फेरे हुए - वो जीजी ने बताया था फोन पर की सेकाई से आपको आराम मिल जायेगा तो आप

नाना थोडा झेपे और फिर मा दुसरी तरह मुह कर ली।

नाना थोडा सोचे और फिर सुबह बाथरूम मे हुए हादसे को ध्यान मे रख कर मा के पीछे खडे हो गये और अपनी जांघिया निकाल दी और उनका फन्फ्नाता काला लंड मा के ठीक पीछे पुरा अकड़ कर खड़ा था ।
फिर वापस बैठ गये और धोती को उपर से ले लिये ।
हल्की धोती मे उनके मोटे काले नाग ने अपना टेन्ट बना लिया और नाना थोडा गला खरास कर मा को चेताया कि वो अब सेकाई के लिए तैयार है ।

इधर मा के दिल की धड़कन तेज थी वो थोडी डरी हुई भी थी लेकिन काफी उत्तेजित भी ।
इस समय उन्होंने वो सेकाई वाला पैकेट अपने सामने पकड़ा हुआ था जिससे वो सामने उनकी पेतिकोट चिपका हुआ था ,,,और परिणाम स्वरूप मा के सामने वाला हिस्सा धीरे धीरे भीगने लगा था ।
नाना के संकेत पर वो पलटी और नाना की नजर सीधा मा के चुत वाले हिस्से पर गयी जहा सामने का पेतिकोट भीग गया था ।
मा ने नाना की नजर का पीछा किया तो वो शर्मा गयी ।
मा झेप कर - वो इस पैकेट से भीग गया है लगता है

फिर नाना भी मा से नजर मिलते ही मुस्कुराये और सामने देखने लगे ।

जारी रहेगी
Bahot badhiya
Shaandaar update bhai
 

Naik

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UPDATE 100
MEGA

नाना बिस्तर के किनारे टेक लगाये पैर खोल कर बैठे थे ।
उनका खड़ा लण्ड धोती के निचे सांस ले रहा था ।

मा मुस्कुरा कर थोडा शर्मा कर खुद के भाव को स्थिर रखने की कोसिस करते हुए नाना के बगल मे आ गयी ।
फिर उसने बाये हाथ से धोती उठाकर बिना निचे देखे दुसरे हाथ से वो ठण्डा सेकाई का पैकेट नाना के लण्ड के उपर रख दिया ,,, ठन्दक आ एहसास होते ही नाना की चिहुक उठे और मा थोडी मुह मे ही खिलखिलाई

मा मुह फेरे हुए दीवाल को देखते हुए अंदाजे से नाना के लण्ड पर सेकाई वाला पैकेट दबा रही थी
मा मुस्कुरा कर - आराम से बैठे रहिये बाऊजी नही तो ,,,,

नाना हस कर गुदगुदी मह्सूस करते हुए - हाह्हहहा बेटी वो गुदगुदी सी हो रही है वहा

अन्दर कमरे का हाल देख कर मुझे भी हसी छूट रही थी

मा - अभी थोडी देर मे सब सामान्य हो जायेगा बाऊजी

फिर मा ने धोती के अन्दर से उस पैकेट को नाना के लण्ड के निचले हिससे पर ले आई ।
गर्म आड़ो पर बर्फ सी गुदगुदाती ठन्डक पाते ही नाना जी उछल पड़े और मा के हाथ से वो पैकेट छितक गया ।

मा नाना के लण्ड की ओर देखते हुए - अरररे बाऊजी आराम से ,,,वो पैकेट गिर गया

फिर मा ने अपना हाथ निचे ले जाकर नाना जी जांघ के निचे अंदाजे से टटोला या जानबुझ कर लेकिन नाना जी के आड़ उनके हाथ मे आ गये ।

नाना - अह्ह्ह बेटी वो नही है मा ने तुंरत हाथ बाहर खिच लिया और शर्मा कर - सॉरी बाऊजी
फिर नाना ने धोती ह्टाई और पैकेट को उठा कर अपने लण्ड के उपर रख दिया ।

मा ने कनअखियो से नाना के लण्ड को देखा और एक नजर नाना की नजर मे देखा जो इस समय मा के गीले निप्प्ल को निहार रहे थे और वही वो पैकेट नाना के लण्ड पर पडा झूल रहा था ।
मा थोडी मुस्कुराई और वापस से उस पैकेट को पकड कर लण्ड के निचे ले गयी और फिर से आड़ो पर लगाया ,,,
पैकेट को दबा कर अच्चे से उसकी सेकाई करने लगी ।

मगर मा के हाथो से पैकेट से ही सही लेकिन अपना लण्ड मथे जाने पर नाना जी को बहुत मजा आ रहा था वो आंखे बंद कर हल्के हल्के मादक होने लगे ।

नाना को आंख बन्द किया देख मा ने धीरे से उनके लण्ड को पकड कर सीधा किया और लण्ड के निचली नस पर वो पैकेट टिका दिया ।
इधर मा के हाथो का स्पर्श पाकर नाना की आन्खे खुली और देखा कि मा उनके सुपाडे वाले हिस्से को अपनी अंगूठे और तर्जनी से पकडे सेकाई कर रही है

वो और उत्तेजित हो गये और उनकी नजर मा के ब्लाउज मे उस निप्प्ल पर जाने लगी जो अब धीरे धीरे सुखने लगा था लेकिन निप्प्ल का कड़ापन अब भी था ।

नाना जी ने एक नजर मा के पेतिकोट मे उभरे हुए कूल्हो पर डाली जिससे उनका लण्ड ने झटका दिया और वो मा के उंगलियो की पकड से छिटक गया ।
मा अपने ऊँगलीयो से लण्ड छिटक जाने पर चिहुकी - अरे हिहिहिही

नाना मुस्कुराये और मा भी थोडी शर्म से मुस्कुरा कर वापस से लण्ड को इस बार मुठ्ठि मे पकड ली और दोनो की धडकनें तेज हो गयी ।

इस बार मा के लण्ड को उपर अच्छे से पकड कर उन्के आड़ो को अच्छे से दबाया और नाना सिस्क उठे ।

सेकाई का असर कुछ खास नही हो रहा था ,,,उपर से नाना जी के लण्ड के कसाव बढता ही जा रहा था ,,बार बार आड़ो के मसले जाने से और मा के हाथो का स्पर्श अपने लण्ड पर पाकर नाना जी बहुत उत्तेजित हो गये थे ।

इतना खुलने के बाद भी नाना जी के मन मे अभी भी संकोच था कि कही वो आगे बढ़े तो मा कुछ गलत प्रतिक्रिया ना दे ,,,मगर इस समय वो हवस से घिरे थे और मा के जिस्म की महक उनको और भी मादक कर रही थी ।

तभी मा ने कुछ ऐसा किया कि नाना को इसकी जरा भी उम्मीद नही थी ।
मा ने नाना के बगल मे उनकी ओर पीठ कर बैठ गयी

मा - खडे खडे पैर दर्द करने लगा था
हालाँकि मा बहुत थोडे ही जगह पर बैठी उसके भारी चुतडो का एक हिस्सा अभी भी बिस्तर से लटका था और नाना को मानो इसी मौके की तालाश थी ।

वो लपक कर मा के दुसरे तरह हाथ डाल कर कूल्हो को पकड़ अपनी तरफ खिचते हुए खुद थोडा बिसतर पर खिसक गये

नाना - आजाओ बेटी आराम से बैठ जाओ
मा सिहर सी गयी उसके बदन मे बिजली सी कौंध गयी और वो शर्मा कर वापस से सेकाई करने लगी ।
लेकिन नाना का हाथ अभी भी वही मा के कुल्हे पर था ।


यहा मेरा लण्ड फटने को आ गया था ।
थोडी देर सेकाई के बाद मा बोली - बाऊजी लग रहा है इसकी ठंडई कम हो गयी है
और उसने वो पैकेट लण्ड से उठा कर अपने गाल पर लगाया और चेक किया

नाना जी ने सिहर गये और धीरे धीरे मा के कुल्हे सहलाने का कार्य जारी रखा

मा उठने को हुई तो वापस मा के कुल्हे दबा कर उनहे मानो रोक रहे हो
मा को इसका आभास होते ही बोली - बाऊजी मै बर्फ बदल कर लाती हू
और फिर खड़ी हो गयी ।

नाना - नही बेटा रहने दे उससे फायदा नही होगा ,,,मै जानता हू क्या करना है

मा - क्या बाऊजी
नाना मुस्कुरा कर - अब क्या बताऊ बेटा,,,तू बस कटोरी मे सरसो का तेल लेते आ

मा शर्मा गयी - लेकिन बाऊजी उससे आपको फिर थकान,,,,
नाना मा की बात काटते हुए - नही मुझे कोई दिक्कत नही होगी तू लेके आ बस

मा ने हा मे सर हिलाया और मुस्कुराते हुए कमरे से बाहर गयी ।
बाहर आते ही मैने लपक कर मा को हाल मे रोक लिया और उनका हाथ अपने लण्ड पर जमा कर उन्के होठ चुस लिये ।

मा मुझसे अलग होकर -क्या कर रहा है दरवाजा खुला है
मैने अपने लण्ड की ओर इशारा करते हुए कहा कि इसका क्या
मा मुस्कुरा कर धीरे से मेरे गाल चूम कर मेरे लण्ड सहलाते हुए - अभी मै आउन्गी तेरे कमरे मे

फिर मा फौरन किचन मे गयी और वापस से सरसो का तेल एक कचौरी मे लेके अपने कमरे मे आ गयी और वापस उसी तरह दरवाजा भिडका दिया ताकी बारीक दरारो से मै देख सकू

कमरे मे नाना जी वैसे ही बैठे कुछ सोच रहे थे कि मा आ गयी।
मा मुस्कुरा कर - हा बाऊजी
नाना - बस यही रख दे बेटी मै कर लूंगा ,,जा तू भी आराम कर

मा शर्मा कर - जी नही बाऊजी ,,, आपको तकलीफ है और मै आराम कैसे कर लू

मा - लाईये वो धोती दीजिये इसका पानी पोछना पडेगा ।
फिर मा वापस उसी जगह उसी पोजिसन मे नाना के बगल बैठ गयी और धोती से अच्छे से मल मल कर नाना के लण्ड उनके जांघो और आड़ो को साफ किया और फिर वो तेल की कटोरी से हल्का सा तेल लेके नाना के आड़ो मे लगाया और सह्लाया जिससे नाना गनगना गये ।

मा ने वापस से थोडी तेल को उंगलियो मे चपेड़ा लण्ड कर लगायी इस बार कुछ बुन्दे बेडशिट पर गिर गयी ।
नाना - अरे बेटी रहने दे ,, बिस्तर खराब हो जायेगा

मा - कोई बात नही बाऊजी मै बदल दूँगी
नाना - नही बेटा कितना परेशान होगी तू

मा कुछ ध्यान आया और उन्होने सोचा क्यू ना दीदी यानी रज्जो मौसी वाला आइडिया यूज़ किया जाय

मा - अच्छा ठीक है फिर आप पैर लटका के बैठ जाईये बेड पर मै निचे बैठकर कर देती हू

नाना जी मा की जिद पर मुस्कुराये और मा खड़ी हो गयी ।
नाना जी भी खसक कर बेड के बिच से एक तरफ पैर लटका कर बैठ गये और मा भी उन्के सामने ठीक एक अपना सृंगार टेबल का स्टूल लेके बैठ गयी ।

इस समय नाना जी का लण्ड मा के ठीक सामने था और मा ने अच्छे से तेल चभोड़ कर नाना के लिंग की मालिश करनी शुरु की और तेल से पूरी तरह लिंग को च्भोड़ दिया और इधर नाना जी आंखे बंद किए आहे भर रहे थे । जब कभी आंखे खुलती तो मा की हिलती चुचिया नजर आई और वो चरम पर जाने लगे ।
उन्के आड़ो से वीर्य उन्के सुपाडे मे भर गया था ।
मा को भी इसका आभास था क्योकि उन्के हथेलियों मे लण्ड कसने लगा था और तभी अचानाक से नाना जी का फब्बारा फुट पडा ।
मा और नाना एक साथ चिहुके , दोनो के मुह से एक समान रूप से सम्बोधन हुआ
मा - अरे बाऊजी , नाना - अरे बेटी

तब तक देरी हो चुकी थी
नाना जी का माल मा के जिस्मो पर फैल चुका था ,, उन्के चुचो , पेट और कुछ एक दो छीटे गालो पर

नाना ने फौरन मा का हाथ हटा कर लण्ड का मुहाना पकड लिया - ओह्ह्ह माफ करना बेटी ,,,मुझे पता ही नही चला ,,, लेकिन अभी भी उनका लण्ड झटके खा कर उन्के हथेली मे ही वीर्य उगल रहा था

मा अंदर ही अंदर बहुत संतुष्ट थी मगर सामने से थोडा झेपने के भाव मे - कोई नही बात नही बाऊजी मै साफ कर लेती हू जाकर ,,,

नाना जी एक बार फिर से माफी मांगी और मा ने उन्हे तसल्ली दी कोई बडी बात नही है ।

इधर मेरे लण्ड का बुरा हाल था ,,,अन्दर कमरे मे मेरा प्लान फेल होता नजर आ रहा था , क्योकि मेरे प्लान के मुताबिक रज्जो मौसी के जैसे नाना मा से भी पहल करते या उन्हे रिझाते मगर अन्दर सब छिछालेदर हुआ पडा था । अब आगे जो कुछ भी हो सकता था वो संयोग या मा के फैसले पर था । या तो वो कुछ अपने तरफ से करे या फिर साफ सफाई कर मेरे पास सोने आ जाये ।
मै इधर उलझा हुआ था
वही कमरे मे नाना खुद को कोसते हुए बडब्डा रहे थे और जल्दी मे अपने जान्घिये से ही अपने लण्ड का वीर्य और फिर फर्श पर छिटका हुआ माल साफ करने लगे ।

मगर मा भी कम नही थी मेरे मोटीवेशन का और थोडी बहुत जीत से उसे बहुत हिम्मत आई और उनसे बाथरूम मे जाकर अपने ब्लाउज पेतिकोट निकाल कर धुल दिये और नहाने लगी ।

थोडी देर बाद मा की आवाज आई
मा बाथरूम के दरवाजे से ओट लेके - बाऊजी वो सोफे के पास हैंगर पर तौलिया होगा दे देंगे क्या

नाना जी एक नजर मा को देखा और मुह फेर लिया और फिर मा के बताये जगह पर देखा तो वहा तौलिया था ही नही ।

नाना - नही बेटी नही है वहा तौलिया
मा - ओह्ह अच्छा फिर वो मेरे टेबल मे एक चाबी होगी उससे इस आल्मारि से मेरा कोई कपडा निकाल देंगे ।
नाना जी जो ग्लानि मे थे वो फटाफट से धोती को लूंगी सा लपेट कर ,,,ड्रावर मे चाबी खोजी लेकिन मिली नही ,,,
चाभी मिलती कैसे , चाभी तो मा हमेशा बेड के सिरहाने रखा करती थी बिसतर के गद्दे के निचे ।

निराश मुह से नाना - नही मिल रहा है बेटी
मा थोडा संकोच दिखा कर - अच्छा फिर आप वो जांघिया पहन लिजिए और मुझे अपना धोती दे दीजिये

नाना एक पल को चहके पर जल्द ही उनकी खुशी धूमिल हो गयी जब उनकी नजर उनके जान्घिये पर गयी जो फर्श पर वीर्य से चख्टी लतीयायि - सिकुडी हुई पड़ी थी ,,,मगर बेटी को और निराश ना करते हुए वो दरवाजे तक गये और अपनी धोती खोल कर उसे देदी ।

मा ने लपक कर धोती ली और दरवाजा बंद कर दिया
नाना जी वापस निराश होकर बाथरूम की ओर मुह किये बेड पर वैसे ही बैठ गये ।
थोडी ही देर मे दरवाजा खुला और मा नाना जी की पतली धोती लपेटे बाहर आई जिसमे उसके जिस्म से धोती ऐसे चिपकी थी मानो उसे ही पहन कर मा ने उपर से ही नहाया हो ।

धोती की चौड़ाई कम थी इसिलिए मा के आधे चुचे और आधी गाड़ तक की धोती लिपटी थी उपर से निप्प्ल , नाभि और चुत का शेप सब कुछ साफ साफ उभरा हुआ था ।

नाना जी की नजर मा पर पडते ही वो वापस से उत्तेजित हो गये और उनका लण्ड फनफना उठा ।

मा बडी शर्मीन्दगी से नजर झुकाये बाहर आई और फिर नाना के सामने की चल कर बाथरूम के बाहर जस्ट बगल मे लगे ड्रावर को खोलने के झुकी ।
जिससे मा के गाड़ फैल कर और नंगी ,नाना के सामने आ गयी और उनकी गाड़ के भूरे छेद के साथ उनकी चाकलेटी चुत का चीरा भी साफ साफ दिख गया ।

नाना क्या , ऐसे मादक नजारे को देख कर मै मेरे लण्ड ने कुछ बुन्दे निचोड़ दी । मुझे अन्दाजा लग गया कि मा इतने जल्दी हार नही मानने वाली है और हमारा प्लान जरुर पुरा होगा ।

नाना का बुरा हाल हो गया ।
कुछ देर तक वैसे ही झुक कर मा ने नाना को अपना दिदार कराते हुए चाबी खोजती रही लेकिन नही मिली तो खड़ी होकर ,,,नाना को नजरअंदाज करते हुए और चेहरे पर परेशानी का भाव लाकर इधर उधर चाभी खोजने लगी ,,,ताकि नाना को लगे कि सब सामान्य है
और तभी मा की नजर बेड के दुसरी तरफ पड़ी नाना के जन्घिये पर गयी और वो उसे उठा कर नाना के सामने लाते हुए

मा - आपने इसे पहना नही क्या
नाना नजर उठा कर एक बार सामने मा का दिदार किया और बोले - वो बेटी मैने उसी से वो फर्श साफ कर दिया था

मा परेशान होकर- ठीक है कोई बात नही,,,मगर ये चाभी नही मिल रही है ,,,रुकिये मै इसे बाथरूमे डाल के आती ही हू ,

फिर मा अपने चुतड मटकाते हुए बाथरूम में गयी और नाना का जांघिया बालटी मे डाल कर बाहर आई

मा परेशान होकर - लग रहा है मै तौलिया आज उपर से बाथरूम मे ही भूल आई हू ,,,बाऊजी जी आप लेते आयेन्गे क्या ,,तब तक मै चाबी खोजती हू

नाना जी हड़ब्डाये - अब ब ब हा हा ठीक है लेकिन ऐसे कैसे जाऊ
मा - अरे हा ,,,कोई देख लेगा तो ,,वैसे तो सब सोये है लेकिन फिर भी डर है

नाना चिन्ता के भाव मे - फिर बेटी
मा थोडा संकोच कर - मै आपको ये धोती देती हू आप लपेट कर चले जाईये और बाथरूम मे तौलिया और मेरे कुछ कपडे होने आप लेते आईये ,,,

नाना ने थुक गटका और बोले - लेकिन बेटी तू मेरे सामने ,,,

मा को ध्यान आया या उसने नाटक किया ये वो ही जाने
मा - हा लेकिन ऐसे कब तक हम लोग रहेंगे ,,, अभी रात का समय है और सुबह मे दिक्कत ज्यादा हो जायेगी ना

नाना नजरे निचे किये मा के जांघो को निहार रहे थे और उनका लण्ड अभी भी कसा हुआ था ।

नाना - हमम बात तो सही है बेटी
लेकिन

मा तो मानो तय कर चुकी थी आज कयामत ढाने की
उसने फटाक से नाना के तरफ पीठ कर घूम गयी और धोती निकाल कर उनकी तरफ कर दी ।
नाना की नजर मा के खुले तरासे बदन पर जाते ही उन्के मन मे बिजली सी कौंध गयी और उनकी नजर मा की ब्ड़ी गोल गोल गाड़ पर गयी जिसके रोये किसी रोमांच से एक दम तन कर नोक के समान खडे हो गये थे ।
मा तेज सांसे ले रही थी और नाना चित होकर मा के कुल्हे और गाड़ की लकीर का अवलोकन कर अपनी लन्ड़ को थामे हुए थे ।
मा - अब जाईये बाऊजी ,,
नाना चौके - हा हा बेटी
वो फटाक से धोती को लुन्गी के जैसे लपेटा जो की काफी भीग चुकी थी और बिना मा को देखे निकल गये बाहर
मै फटाक से हाल के दीवाल की ओर हो गया और नाना सीधा उपर की ओर सीढी से चले गये ।

नाना के जाते ही मा लपक कर बाहर गलियारे मे आई तो मैने उन्हे अपनी बाहो मे भर लिया
,,, नहाने के बाद उनका मखमली सा बदन मे ताजगी की खुस्बु थी और ह्मारे होठ जुड़ गये ।।मैने उनके नंगे गाड़ के पाटो को फैलाया जिसपे उन्के खडे रोए का खुरदरापन मेरे स्पर्श से शिथिल होने लगा और मा मेरी बाहो मे पिघलने लगी ।

मै - मा तुमने तो अच्छे से सम्भाल लिया है सब
मा हस कर - आखिर मा किसकी हू
मैने झुक कर एक निप्प्ल को चुबलाया और बोला - तो फिर आगे क्या प्लान है
मा - तू बस देखते जा अपनी मा का जलवा ,,बहुत हो गया तेरा प्लान और चालबाजी हिहिहिही

मै मा को अपने जिस्म से चिपका कर - बाप के बाद इस बेटे का भी ध्यान रखना ,,,भूल ना जाना
मा मुस्कुरा कर मेरे होठ चूम लेती है और तभी उपर से किसी के आने की आहट होती है और मै फटाक से अपने कमरे मे जाता हू और मा अपने कमरे मे दरवाजे का ओट लेके खड़ी हो जाती है ।

तभी सीढियो से नाना के उतरने की आहट आती है और वो कुछ कहते हुए कमरे मे घुस जाते है और मा वैसे ही हल्का दरवाजा भिडका कर कमरे मे नाना के सामने घूम जाती है ।

यहा मै फटाक से अपने कमरे से बाहर आता हू और मा के कमरे मे झाकत हू जहा सिर्फ नाना ही दिख रहे होते है और उनका मुह खुला हुआ रहता है धोती मे लण्ड तना हुआ

कमरे मे मा सीधा नाना के सामने आ गयी थी और उसकी नंगी चुचिया और चुत सब कुछ नाना के सामने था ।

मा को एहसास होते ही वो नाना के हाथ से तौलिया लेके उनकी ओर पीठ कर उसे लपेट लेती है। जो की लगभग नाना की धोती के नाप का ही था ।
बल्कि उससे भी छोटा ,,,लम्बाई कम होने से पुरा नही लिपटा था ।

मा घूमी और नाना से - मेरे कपडे नही लाये क्या बाऊजी
नाना हड़ब्डा कर - हा हा बेटी ये लो ,,,यही था

नाना के हाथ इस समय मा की एक मैरून ब्रा और पैंटी थी ।

मा ह्स कर - ब्स यही था
नाना मा को हस्ता देख बोले - हा यही था

मा - ओहहह फिर ये चाभी भी नही मिल रही है ,, लग रहा है कि यही पहनना पडेगा

नाना कुछ नही बोले और मा की नजर नाना के जांघो मे लिपटी गीली धोती पर गयी ।

मा - ओह्ह ये धोती भी भीग गयी है ,,,ऐसे तो आपको भी दिक्कत होगी

मा कुछ सोच कर
- लाईये वो कपडे दीजिये मै बदल कर आती हू फिर आप ये तौलिया लपेट लिजिएगा

नाना कुछ प्रतिक्रिया देते उससे पहले ही मा ने उन्के हाथ से ब्रा पैंटी लेके बाथरुम मे चली गयी और इस बार 10 मिंट बाद आई ।

मा का नया कातिलाना रूप और भी कामुक था ।
मरून लेस वाली ब्रा मे मा के चुचे कसे और उभरे हुए थे और वही पैंटी पूरी तरह से चुत और गाड़ से चिपकी हुई थी ।

मा का ये रूप देख कर नाना जी के साथ मै भी गनगना गया ।
मा मुस्कुरा कर नाना के सामने आई और शर्मा कर नाना को तौलिया दिया
नाना ने मा के जिस्मो को निहारते हुए अपनी धोती निकाल दी और वापस उनका लण्ड भन्नाकर तन गया ।

मा परेशान होकर - ओह्ह मतलब अभी तक आपको आराम नही मिला

नाना मुस्कुराये और मा के हाथ से तौलिया लेके लपेटते हुए बोले - बेटी छोडो उसे वो मनमौजी है ,,,

मा खिलखिलाई - क्या बाऊजी आप भी ,, तकलीफ मे भी आप मजाक नही भूलते

नाना हस कर - सच मे वो ऐसा ही होता है ,,,तेरी मा तो परेशान हो जाती थी इससे
मा शर्मा कर हसी और बिस्तर पर बैठ गयी ।
फिर नाना जी बैठ गये ।
मा - बाऊजी मैने मेरे कपडे और आपके जान्घिये को धुल दिया है ,,सुबह तक सुख जायेगा ।

आईये लेट जाते है ,,काफी समय हो गया है ।

नाना थोडा संकोच कर - ठीक है बेटी मै सोफे पर
मा - अरे कोई बात नही ,,आप कोई गैर थोडी है ,, भूल गये कैसे बचपन मे मै तो आपके उपर सोती थी ,,,हा अब मोटी हो गयी हू तो शायद आप ना सुला पाओ हिहिहिही

नाना खिलखिलाए - हाहहह तू अभी भी वैसे ही नटख्त है ।

फिर नाना जी और मा बिस्तर पर टेक लगाये बैथ गये ।
नाना - बेटी लाईट बुझा दू अगर तू कहे तो

इधर मेरे पैर दर्द करने लगे थे और लाईट बुझाने का मतलब यहा खड़ा होना बेकार था ।
तभी मा खड़ी हुई और नाना के सामने पैंटी मे गाड मटका चलते हुए मेन बलब बुझा कर नाइट बलब जला दी ।

मन को बहुत तसल्ली हुई और मैने फटफट लपक कर हाल और गलियारे की बलब को बन्द कर दिया और दरवाजा थोडा सा और खोला ताकि अन्दर दिखे ।
मै बगल मे हाल से एक स्टूल टटोल कर लेके आ गया और अपना आसन जमा लिया ।
अंदर कमरे मे दोनो लोग थोडा जगह लेके लेट गये ।
लेकिन अन्दर का नजारा और भी कामुक हो गया था ।
मा का जिस्म और खिल रहा था उस गुलाबी रौशनी मे ।

मा - बाऊजी आपको याद है बचपन मे आप मुझे और जीजी दोनो को एक साथ उठा अपने कन्धे पर बिठा कर घुमाते थे
नाना जी मा की ओर करवट लेके - हा बेटी ,, और तुम दोनो तो अक्सर मेरे उपर ही सो जाती थी ।

मा ह्स कर - हा बाऊजी ,,,कितने अच्छे थे वो दिन
मा भी हमारे साथ थी
नाना एक गहरी आह भर कर - हा बेटी ,,, वो दिन बहुत अच्छे थे ।
मा नाना को देखती है जो कनअखियो से उसे ही निहार रहे होते है और उनका हाथ तौलिये पर से लण्ड को सहला रहा होता है ।

मा - मा की बहुत याद आती है ना बाऊजी
नाना चुप से हो गये
मा उनकी चुप्पी देख कर उन्के करीब आ गयी और बोली - क्या हुआ हुआ बाऊजी

नाना - कुछ नही बेटा,,,तेरी मा तो मेरे सामने ही है वो कही नही गयी ।

मा - मतलब
नाना - तेरी मा बिलकुल तेरे जैसी ही तो थी । रंग रूप , देह और तिल भी
मा हस कर अचरज से - तिल ,,कौन सा तिल बाऊजी
मेरे देह पर कही कोई तिल नही है ।

नाना मुस्कुरा कर - है बेटी वो तुझे नही दिखेगा
मा ह्स कर - क्या बाऊजी आप भी ,,,मैने बचपन से कोई तिल नही देखा अपने देह पर

नाना - बेटा वो तेरे पीछे के हिस्से पर है ना इसिलिए नही दिखा
मा अचरज से - लेकिन कहा
नाना हस के - लग रहा है कि जमाई बाबू ने तुझे सही से देखा नही

मा शर्मायी - ये क्या कह रहे हैं बाऊजी आप
नाना हस कर- तभी तो तुझे पता नही है ,,, वो दरअसल तेरे नितंब पर है वो तिल

मा पूरी तरह झेप सी गयी
नाना को इसका अह्सास होते ही - माफ करना बेटी मैने तो बचपन मे ही देखा था तेरे जन्म से ही ,,,मगर आज फिर से दिख गया तो तेरे मा की याद आ गई

ये बोल कर नाना ने एक गहरी सास ली और सीधा लेट गये
मा थोडा संकोच कर - तो क्या मा को भी वही पर तिल था

नाना मुस्कुरा कर - हा बेटी ,,, और उसे बहुत पसन्द आता था जब मै

ये बोल कर नाना रुक गये
मा बडी जिज्ञासा से - क्या हुआ बाऊ जी बताओ ना और मा के बारे मे

मा के साथ मेरी भी जिज्ञासा बढ गयी ।
नाना एक गहरी सास लेके मुस्कुराये - नही बेटी छोड जाने दे वो सब

मा इतरा कर - आप जान्ते है ना मै कितनी जिद्दी हू तो बतायीये ना

नाना ह्स कर - हा भई जानता हू ,, लेकिन बेटी
मा - बताओ ना बाऊजी मा के बारे मे,, क्या पसन्द था उनको
नाना थोडा संकोच करते हुए - बेटी उसे मेरा उसकी उस तिल पर चुम्बन बहुत पसन्द था

मा शर्मा कर थोडी खिलखिलाई और बोली - और आपको हिहिही

नाना शर्म और मुस्कुराहत से - हा भई मुझे भी ,,,तू तो ऐसे बोल रही है कि मानो जमाई जी तेरे वहा पर कभी चुंबन नही किया हो हाहाहाहा
मा शर्मा कर - क्या बाऊजी आप भी ,,

नाना मा को निहारते हुए - तो क्या सच मे जमाई बाबू ने वहा
मा ने ना मे सर हिला कर मुस्कराई

मै मा के अदा को मान गया,,,जो रोज अपने पति से गाड फड्वाये सोती नही थी वही बोल रही थी कि उसका पति कभी उसके गाड को चूमा नही ।

नाना - तो तुने सच मे वो अद्भूत अह्सास नही किया कभी
मा ना मे सर हिलाया और शर्मा कर बोली - क्या वो सच मे अच्छा अह्सास होता है बाऊजी

नाना तौलिये के उपर से ही लण्ड को सहलाया और थोडा मा के भाव को पढ कर हिम्मत कर बोले - तू कहे तो , मै
मा मुस्कुरा कर - क्यू आपको भी याद आ रही है क्या मा की

नाना एक गहरी सास ली - हा बेटी आज तो बहुत ही ज्यादा ही

मा मुस्कुरा कर - अगर आपकी इच्छा है तो आप कर सकते है बाऊजी

नाना को मा के ऐसे प्रस्ताव की उम्मिद नही थी
नाना - मगर बेटी मै तुम्हे ,,,

मा मुस्कुरा कर बिना कुछ बोले घूम गयी और नाना के सामने उसकी फैली हुइ गाड थी
इधर मेरे मन मे भी कौतूहल मचा था कि आगे क्या होगा
इधर नाना के दिल की धड़कन बढ गयी थी और वो हिम्मत कर उठ कर बैठ गये ।

उन्के बैठते ही मा पेट कर बल हो गयी और उन्के गाड गोल फुटबाल जैसे उभर गये
नाना को मानो मौका मिल गया हो और वो पहल कर बोले

नाना - बेटा वो तुझे ये कच्छी निकाल्नी पड़ेगी
मा ने मुस्कुरा कर हाथ पीछे ले गयी और पैंटी को निचे सरका दी
अब उसके दोनो पाट खुले थे
नाना ने हिम्मत कर हाथ बढ़ाया और मा के दाये गाड़ के पाट पर लकीर से सटे हुए हिस्से एक तिल को सह्लाया

नाना के हाथ का स्पर्श पाकर मा सिहर गयी
वही नाना जी झुक कर अपनी जीभ से एक बार उस तिल पे फिराया और होठो से चूम लिया ।
मा पूरी तरह गनगना गयी और उसके मुह से निकल गया - उम्म्ंम्ं बाऊजी
नाना तो मानो मादकता की परिभाषा से परिचित थे और उन्हे आभास हो गया कि मा को उन्का स्पर्श भा गया और अगर वो आगे बढ़े तो वो उन्हे रोकेगी भी नही
नाना ने मा के कूल्हो को थामा और लकीर के किनारे ही गाड के पाट को मुह मे भर लिया और चूबलाने लगे
मा सिस्क उठी और यहा मेरे लण्ड मे कसाव और बढ गया ।

मा - बस करिये बाऊजी ,, हो गया ना
नाना को ध्यान आया और वो उठ कर लेट गये ।
मा वैसे ही लेती रही ब्स मुह नाना की ओर करके मुस्करा कर बोली - बस यही पसंद था क्या मा को हिहिही

नाना मा को समान्य देख कर बोले - अब बेटी पसंद तो उसे बहुत कुछ था ,,अब वो सब नही ना कर सकती है तू

मा उत्सुकता से नाना के करिब आकर करवट लेके बोली - बताओ ना बाऊजी और क्या क्या पसंद था मा लो
नाना मा के साथ अब खुल चुके थे वो उन्के सामने ही तौलिये के उपर से लण्ड को मसल रहे थे

नाना - बेटी , तेरी मा बहुत ही कामुक औरत थी और उसे मेरे लिंग से बहुत लाड था ,, वो इससे छोटे बच्चे से चूमती खेलती थी

मा हस कर - हिहिहिही , सच मे बाऊजी
नाना - हा बेटी, मुझे बहुत शान्ति मिलती थी जब उसके मुह की ठण्डक से मेरा वो गिला होता था ।

मा शर्माने की अदा से - ओह्ह और बाऊजी
नाना मा को अपने पाले मे आता देख मा के गाल सहला कर बोले - मै आज जब तुझे देख रहा हू तो लग रहा है कि तेरी मा मेरे सामने है और अभी तेरी मा उठ कर मेरे लिंग को लाड करेगी ।

मा शर्मा कर मुह निचे कर ली
और हाथ आगे बढ़ाकर नाना के तौलिये का गांठ खोल दिया और उनका लण्ड फनफना कर सामने आ गया ।

नाना - ये क्या कर रही है तू बेटी
मा उठ कर बैठ गयी और एक हाथ मे नाना जी का लण्ड थाम लिया ।

मा - मै जानती हू बाऊजी आज आपको मा की बहुत याद आ रही है और इसिलिए आपको इतनी तकलिफ हो रही है ।

नाना - बेटी तू ये
मा - मै जानती हू बाऊजी कि मै मा की जगह नही ले सकती हूँ लेकिन एक बेटी होने के नाते आपकी इच्छा का ख्याल तो रख सकती हू ना

नाना - मगर बेटी ये गलत
मा नाना के लण्ड को जड़ से पकडे हुए हल्का हल्का सहला रही थी और बोली - क्या आपका मुझपर कोई हक नही है बाऊजी

नाना - वो बात नही है बेटा
मा - फिर आज ये समझ लिजिए ये मै नही मेरी मा कर रही है

नाना जी एक गहरी सास ली और चुप हो गये
इधर मा हिम्मत कर धीरे से झुकी और नाना के लण्ड के चमडी को निचे खिच कर उसके सुपाडे को मुह मे भर लिया
नाना जी को एक गहरी आनन्द की अनुभूति हुई और सिहर उठे

इधर मा ने लण्ड को गले तक ले जाते हुए नाना के आड़ो को मसल दिया जिस्से वो और मचल उठे
नाना - अह्ह्ह बेटी तू तो सच मे रुपा के जैसे ही उम्म्ंम्म्ं अह्ह्ह्ह्ह

मा ने लण्ड चूसना जारी रखा और सुपाडे के छेद पर एक बार जीभ को नुकीला कर चुबोया ,,,नाना गनगना गये
नाना - अह्ह्ह रुपा उम्म्ंमममं

मा नाना को बार बार नानी का नाम लेते देख मुस्कुराई और अब उनकी आंखो मे देखते हुए लंड को गले तक लेने लगी ।
थोडा समय बिट जाने पर नाना ने कुछ हिम्मत करके कहा - बेटी तू जानती है ,,, तेरी मा अंडर के कपडे नही पहनती थी

मा नाना की बात सुन कर रुक गयी और समझ गयी कि अब नाना पूरी तरह से पाले मे है और उन्हे नंगा देखना चाहते हैं

मा बिना कुछ बोले बिस्तर से उतर गयी तो नाना भी उठकर बिस्तर के एक तरफ टेक लेके पैर पसार कर बैठ गये और लण्ड हाथो मे थाम कर उसे हिलाते हुए मा को निहारने लगे ।
वही मा ने हाथ पीछे ले जा कर पहले ब्रा का हुक खोल कर ढिला किया और बडी कामुकता से उसे उतार दिया ।
मा की चुचिय नंगी होती देख नाना जी और गर्म होने लगे

वही मा ने उनकी तरफ पीठ कर झुकते हुए अपनी आधी उतरी हुई पैंटी भी निकाल दी और झुकते हुए उनकी गाड़ का भरपूर दिदार कर नाना ने अपने लण्ड को मसला ।

मा पूरी नंगी होकर थोडी शर्मा कर मुस्कुराते हुए नाना के बगल मे बैठ गयी और फिर से लण्ड को थाम लिया ।

नाना - आह्ह बेटी आज सच मुझे तेरी मा का अह्सास मिल रहा है

मा मुस्कुराइ और झुक कर लण्ड को मुह मे भर लिया ।
नाना ने हिम्मत कर मा के कन्धो पर हाथ रख कर हल्का हल्का सहलाना शुरु कर दिया मगर उनकी इच्छा थी कि कैसे करके मा के चुचे को पकड़ सके ,,,लेकिन इतनी भी हिम्मत नही थी कि खुल कर अपनी बेटी से कह सके ।
इधर मा लण्ड चूसे जा रही थी और नाना हाथ बढा कर मा की कांख तक ही अपनी उंगलियाँ ले जा पाते ।

मा को इसका अन्दाजा था , मगर नाना ज्यादा तडपता देख वो मुस्कुरा निचे फर्श पर खड़ी हुई और नाना के बगल मे आ गयी । उसके हाथ मे अभी भी उन्का लण्ड भरा हुआ था और मुठीयाना जारी था ।
मा को अपने बगल मे पाकर नाना एक नजर मा को देखे और फिर अपना एक हाथ बढा कर मा की एक चुची को थाम लिया बहुत ही हल्के हाथ से

मा सिहर गयी और तभी नाना ने अभी जीभ निकाली और निप्प्ल को चाटते हुए उसे होठो मे भर कर चुबलाने लगे ।


मा सिस्क कर - अह्ह्ह बाऊजी
नाना को तो जैसे जोश ही आ गया था वो मा की कमर मे हाथ डाल कर उन्के मुलायम कूल्हो को मस्लते हुए मा की चुचियॉ को मुह मे भरने लगे ।

नाना के मोटे खुरडरे जीभ और मोटे होठ से मानो मा की चुचिया छील डालेंगी ।
मा ने भी नाना का लण्ड छोड कर उनका सर अपने चुचो पर दबाते हुर सिस्क रही थी ।

नाना ने अब दोनो हाथो मे मा की दोनो चुचे पकड लिये और उन्हे दबाते मसल्ते गारते हुए निप्प्ल पर जीभ नचाने लगे ।

कभी पीठ तो कभी मा की मासल भरी हुई मोटी गाड,,मुह मे चुची को भरे मा के जिस्म को मसलने लगे

मा - अह्ह्ह बाऊजी उम्म्ंम्म्ं अराम से अओह्ह्ह माआआ उफ्फ़फ्फ

नाना पर हवस पूरी तरह हावी हो चूका था और वो वैसे ही मा की चुचिया चुस्ते हुए अपने पैर को बेड से निचे लटकाया और मा को अपने पैरो के बिच मे लाकर जकड़ लिया और उन्के गाड़ के पाटो को फैलाने लगे ।।कभी कभी मा के गाड की दरारो मे अपनी मोटी ऊँगली भी घुसा देते ।

इधर मा भी पागल हो रही थी
मै वही दरवाजे पर खड़ा खड़ा झड़ चूका था और दुबारा से लण्ड सहलाना जारी था ।

नाना ने फटाक से मा को घुमाया और पीछे से मा की दोनो मोटी चुचिया पकड ली और उन्हे मिजने लगे ।

मा - ओह्ह्ह बाऊजी आराम दे दर्द अह्ह्ज उह्ह्ह माआ अह्ह्ह बाऊजी

नाना बिना कोई रहम के अपने एक हाथ से मा के जांघो को खोला और हथेली से मा के चुत मे रगड़ दिया ।
मा की गीली चुत ने नाना जी के हथेली का स्पर्श पाते ही तुरंत उन्के हाथ मे पिचपीचा गयी और गिली चुत का अह्सास पाते ही नाना ने फौरन एक ऊँगली मा की चुत मे घुसा दी ।
मा की सांसे रुक गयी और वो अकड गयी ।

नाना ने वापस मा को खीचा और दुसरे हाथ से मा के चुचो को मसल कर ऊँगली को चुत मे घुमाया और निकाल कर मुह मे ले लिया ।

मा - ओह्ह्ह बाऊजी आराम से अह्ह्ह्ह मा सीईई उह्ह्ह्ह

नाना ने मा की प्रतिक्रिया का एक भी जवाब नही दिया बस मा को लेके खडे हुए और उन्हे घुमा कर घोड़ी बनाते हुए बेड पर झुका दिया ।

मा कोहनी के बल बेड पे झुकी हुई खड़ी थी और तेज सासे ले रही थी ।
नाना हाथ मे लेके मा के मुलायम बडे गाड के पाटो को सहलाया और फिर दो ऊँगली से चुत वाले हिस्से को फैलाया ताकि उसका छेद दिख सके ।

फिर थोडा अपनी घुटने को फ़ोल्ड कर नाना झुके और अपना सुपादा मा के चुत के छेद पर लगा दिया और गचच से लण्ड को एक बार मे ही आधा मा की चुत मे पेल दिया ।

नाना का मोटा लण्ड अन्दर घुस्ते ही मा चिखी - अह्ह्ह बाऊजी उह्ह्ह माआआ
नाना ने रहम थोडी भी नही दिखाई और मा के कूल्हो को दोनो हाथो से थाम कर उसी जगह से एक और धक्के मे मा की चुत मे लण्ड को उतार दिया और उनकी जान्घे मा के चुतड़ से सट गयी ।
मा की आंखे ब्ड़ी हो गयी और वो गहरी सासे ले रही थी ,,,,नाना का लण्ड जड़ तक पुरा का पुरा 8 इन्च मा के चुत मे घुस चूका था ।
दवा का असर इतना हो चूका था कि नाना मे जोश बहुत ही था और मा के कामुक गदराये बदन को देख कर उनकी उत्तेजना बहुत बढ रही थी ।

नाना ने मा के कुल्हो को थामा और धक्के लगाने शुरु किये ।
उनका लण्ड पूरी तरह से मा के चुत को ढिला करता हुआ तेजी से अन्दर बाहर होने लगा था ।वही मा की पिचपिचाती बुर ने अपना रस छोड़ना शुरु कर दिया था ,,,मा थकने लगी थी ऐसे मे नाना बिना रुके घपाघप तेज धकके पेले जा रहे थे ।

मा दर्द और मजे से सिस्कती रही - अह्ह्ह्ह आह्ह बाऊजी उम्म्ंम्ं उम्म्ंं ऐसे ही अह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ्फ माआ जल रहा है अह्ह्ह बाऊजीईईई अह्ह्ह

नाना मा की तडप देख कर और पागल होने लगे और वो खुद झडने के करीब थे उनका लण्ड और भी तपने लगा था

नाना इत्नी देर पहली बार कुछ हाफ्ते हुए बोला - अह्ह्ह बेटी बस थोडा और ,,बसस्स्स थोडा

फिर नाना ने अपनी सासो को थामा और जोर के धक्के ल्गाने लगे । जिससे मा का पुरा जिस्म हिल्कोरे मा रहा था और तेज एक सुर की थपथप से कमरा गूजने ल्गा

तभी नाना चिखे और फटाक से लण्ड मा की चुत से बाहर निकालते हुए - ओह्ह्ह बेटी मै आ रहा हू , मै आ रहा हू

मा का मानो पुरा बदन ही टुट रहा था और वो नाना के छोडते ही पेट के बल बिसतर पर गिर गयी
वही नाना भी एक कदम आगे बढे - अह्ह्ह बेटी अह्ह्ह मेरी रागु अह्ह्ह मै आ रहा हू

नाना ने तेजी से अपना लण्ड मुठियाना शुरु किया और सारा माल मा की गाड और कमर पर गिराने लगे और अच्छे से झाड़ कर हाफते हुए मा के बगल मे बैठ गये ।

मा अभी भी वैसे ही लेटी रही जबकि नाना एक हाथ से मा के पीठ को सहला कर मुस्कुराते हुए अपना दुलार दिखा रहे थे ।
मै भी यहा दुबारा झड़ गया था और मा की स्थिति देख कर मुझे नही लग रहा था कि वो उठ कर मेरे पास आयेगी और मेरे साथ फिर से चुदवा पायेगी ।

मैने किचन से एक खराब कपडा लिया और दरवाजे के पास गिरे माल को पैर से रगड़ कर साफ किया और स्तूल को उसकी जगह रखा ।

फिर एक नजर कमरे मे मारा तो देखा कि मा ने वो तौलिया कमर मे लपेट लिया है और नाना के कन्धे पर सर रख कर बैठी है और नाना भी उन्के कन्धे मे हाथ डाल कर दुलार कर रहे है ।

मै अपनी योजना की कामयाबी और मा की खुसी पर मुस्कुराया और आ गया अपने कमरे मे ।

जारी रहेगी
Bahot behtareen
Shaandaar update bhai
Lajawab
 
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