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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

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DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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हो जाइए तैयार
आगामी अपडेट्स के लिए

राज - अनुज और रागिनी
Hard-core threesome
बहुत जल्द

Gsxfg-IAX0-AAa-Jnh
(सिर्फ पनौती न लगे बस 😁)
 
Last edited:

Nasn

Well-Known Member
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Op
Update 29 (( MEGA ))

अब तक :

लेकिन एक रात हम दोनो पकडे गये उस रात मै बाऊजी के कमरे के बाहर दीदी को खड़ी करके अन्दर की चुदाई देखते हूए उनकी चुचिया चुस रही थी और उस रात राजेश उठा था पेसाब करने के लिए,, और उसकी नजर हम दोनो पर पड गयी फिर वो उसी समय हम दोनो के पास आया और

राजेश - क्या कर रहे हो आप दोनो ये
उस समय राजेश बड़ा हो चुका 9वी मे पढ्ता भी था। उसे भी सेक्स के बारे मे सब पता था ,,, उसके आने से हम लोग बहुत डर गये थे लेकिन जब मैने देखा कि राजेश एक टक दिदी की नंगी चुचिया देखे जा रहा है तो मै समझ गई इसको भी अपने खेल मे मिलाना पडेगा नही तो ये कल को कुछ कह ना दे ।

फिर मैने थोडी सोचा फिर दीदी और राजेश को पकड कर कमरे मे ले गई ।

अब आगे
राजेश - दीदी आप लोग ये क्या कर रहे थे ,,, घर मे कोई देख लेता तो

रगिनी - देख राजेश तू ये बात किसी को नही कहेगा ठीक है नही तो हमारे ही घर की बदनामी होगी और तू चाहता है कि ऐसा हो

राजेश - मै क्यू चाहूंगा दीदी ,,, लेकिन मेरा क्या फायदा आप लोग तो फिर भी मज़े लोगे ना

मै समझ गई कि राजेश भी हमारे साथ मज़े करना चाहता है तो मैने दीदी के पास गई और उनके कान मे

रागिनी - दिदी क्यू ना इसको भी शामिल कर ले ,, आपको भी तो एक लडके की तलाश थी और घर की बात घर मे रह जायेगी

रज्जो - तु पागल है क्या वो हमारा छोटा भाई है रे ,,, मै कैसे करूंगी ,,,तेरे साथ फिर भी ठीक था लेकिन

रागिनी - आपके लेकिन लेकिन के चक्कर मे हम दोनो पिटे जायेगे दीदी,,,
रज्जो - तू समझ नहीं रही है रागिनी ,, लड़को को उंगली पकडओ तो वो हाथ पकड लेते है ,,,अगर मै राजेश के साथ मज़े लुन्गी तो वो आगे भी बढ़ेगा और ऐसे मे हम लोग उसे मना नही कर पायेंगे तू समझ इस बात को

रागिनी - दीदी आप बहुत दूर सोच रही हो अभी का देखीये बाद मे कोई ना कोई जुगाड किया जायेगा ।

रज्जो - ठीक है लेकिन पहल कौन करेगा तू बात कर ना

रागिनी - अच्छा तो राजेश तू क्या चाहता है हमसे
राजेश - दीदी मुझे भी आप लोगो की तरह मज़े करना है ,,क्या आप लोग मुझे सिखाओगे

उस दिन राजेश की बातो से लगा कि अभी वो नादान है और हल्के फुल्के मज़े लेना चाहता है लेकिन वही हम दोनो की गलती थी ।
उस रात के बाद रोज रात मे सबके सोने के बाद राजेश हमारे कमरे मे आता और हमारे दूधो से खेलता था ,,, धीरे धीरे वो दिन मे अकेले के समय मे भी दीदी या मुझे किसी कमरे मे ले जाकर मज़े लिया करता था । मगर राजेश को हम दोनो मे से किसी की भी चुत नही मिली हफ्तो तक ,,,जिससे वो हस्तमैथुन करने लगा और एक दिन दिदी ने उसे पकड़ा ,,, फिर ये तय हुआ कि उसकी सेहत का ध्यान दीदी रखेंगी और पता नही कब से दीदी ने मुझसे छिप कर दिन में कभी कभी राजेश का लण्ड चुस कर शांत किया करती थी ।
अब समय बीतने ल्गा और हम तीनो भाई बहन मे हवस समय के साथ और हावी होने लगा ,,,, एक तरफ जहां हम तीनो भाई बहन रोज रात मे एक साथ मजे करते तो दिन में चोरी छिपे दीदी राजेश के लण्ड चुस्ती थी रोज रोज चुचियो के मसलवाने के साथ राजेश की फरमाइशे भी बढ़ती और कभी कभी क्या लगभग रोज ही वो हम दोनो बहनो के चुतदो को भी मसलने ल्गा लेकिन चुत छूने के मामले को लेकर मै बहुत ही सतर्क थी और कभी कभी डांट भी देती थी ।
धीरे धीरे दीदी के बातो मे भी बदलाव आने लगा और वो अक्सर बाऊजी और राजेश के लण्ड को लेकर बाते करने लगी और ऐसे ही एक दिन

रज्जो - छोटी अब मुझे बहुत मन की जल्दी से शादी करने का है । अब और मै ऐसे ही उपरी मज़े ले कर तडपना नही चाहती

मैने भी मौका देख कर दीदी को ताना मारते हुए कहा - क्यू दीदी राजेश का लण्ड काफी नही है क्या जो अब दुसरे लण्ड की जरूरत पड़ गई । मै हमेशा से आपके बताने का इन्तेजार कर रही थी लेकिन आपने तो ब्ताया ही नही और अकेले ही मज़े लेने लगी । क्या इतनी पराई हो गई मै ।

रज्जो - सॉरी छोटी मुझे डर था कि कहीं तू नाराज ना हो जाये ,, मै राजेश की सेहत को लेकर परेशान थी और फिर धीरे धीरे मुझे भी उसके लण्ड की आदत हो गई और अब तो और भी ये इच्छाएं बढ़ती जा रही है । अब तो हाल ये है छोटी की कोई भी लण्ड देखती हूँ तो मुह मे पानी आ जाता है ,,,
रागिनी - इसिलिए इस समय आपको बाऊजी के लण्ड की बात करती रहती है ,,,
रज्जो - हा छोटी सच कहू तो मै बाऊजी के चोदने का अंदाज बहुत पसंद है ,,,,और
रागिनी - और क्या दीदी
रज्जो - मै चाहती हू कि मेरी सील हमारे बाऊजी ही तोड़े
रागिनी - क्या दीदी आप पागल हो ,,बाऊजी कभी नही मानेगे ,,, देखा नही वो मा को इतना चाहते है कि घर मे या खेत में काम करने वाली महिलाओं को एक नजर देखते तक नहीं और तो और सबको ढंग से कपड़े पहनने को भी डांट देते है ।

रज्जो - हा लेकिन समय आने दो मै कोसिश करूंगी और शादी से पहले ही अपनी चुत बाऊजी को दूँगी ।

समय बीता ,, साल भर बाद हमारी मा की खेतो मे सांप काटने से मौत हो गई और हम सब गहरे दुख मे डूब गये हमारे घर सभी नात रिस्तेदार आये और कुछ दिनो मे चले गये लेकिन हमारी सुलोचना बुआ रुक गई ।
बाऊजी के देख रेख के लिए ऐसे ही हफ्ता दो हफ्ता भर बीता तो मा की यादो का बोझ कम हुआ और वापस दीदी का हवस हावी होने ल्गा ,,, और हम तीनो भाई बहन फिर से कामक्रीड़ा मे लग गये क्योकि हमे यही एक मात्र साधन लग रहा था उन दुख भरे पलो को दूर करने का ,,, एक तरफ जहा हम लोग अपनी मस्ती मे थे दुसरी तरफ बुआ बाऊजी की सेवा मे लगी थी दिनरात उन्ही का ध्यान देती थी ।

ऐसे ही एक रात मै और दीदी अपने कमरे मे थे ,,,
रज्जो - छोटी चल ना एक बार पापा के कमरे की तरफ चले बहुत दिन हो गये उनका मोटा लण्ड देखे
रागिनी - क्या दिदी आपको लगता है कि मा के जाने के वो इनसब चीज़ो के लिए सोचेंगे
रज्जो - देख छोटी सेक्स ऐसी लत है अगर रोज की जाय तो वो इतनी जल्दी नही पीछा छोड देगी और तू चल ना क्या पता मा की याद मे लण्ड ही हिला रहे हो ।

रागिनी - क्या दीदी चलो ,, लेकिन वहा हम लोग कुछ करेंगे नही ब्स देख कर चले आयेंगे क्योकि बुआ आई है तो वो कही बाहर ना निकले

रज्जो - हा मेरी बहन अब चल
फिर मै और दीदी चुपके चुपके कमरे से बाहर निकले और धीरे धीरे पापा हम लोग पापा के कमरे की तरफ गये तो अंदर रोशनी थी ,,, मुझे कुछ अजीब लगा और हल्की हल्की सिस्कियो की आवाज आने लगी ,,, मेरे और दीदी के धड़कन बढ़ गई फिर अंदर कमरे मे खिडकी से देखा तो बाऊजी निचे लेटे हुए थे और सुलोचना बुआ उनके लण्ड पर कूद रही थी ।

जो सपने मेरे दीदी देख रही थी वो आज मुझे उससे दूर जाता दिख रहा था
रगिनी - दीदी ये तो बुआ ,, अब बाऊजी से कैसे आप
रज्जो - ये अच्छा है ना छोटी की बाऊजी बुआ को चोद रहे है इसका मतलब वो मुझे भी चोद सकते है ,,,वो मुस्कुराते हुए बोली ।

रागिनी - वो कैसे बुआ के रहते वो आपको क्यू चोदन्गे भला
रज्जो - देख छोटी बुआ वैसे भी ज्यादा समय नही रहने वाली है और एक बार नये चुत की तलब लग जाये तो आदमी को इससे पीछा छुड़ा पाना मुश्किल होता है

रागिनी - दीदी जो आपको सही लगे करो लेकिन मुझे इससे दूर रखना ,,
फिर समय बीता और एक महीने बाद बुआ चली गई और बाऊजी फिर से अकेले पड़ गये और कुछ ही दिनो मे उनकी तबियत बिगड़ने लगी ।

फिर दीदी ने उनका ख्याल रखना शुरू किया और दवाइया देना खाना पीना ,,,,, एक शाम ऐसे ही बाऊजी खेत से वापस आये और दीदी को बोला

बाऊ जी - रज्जो सुन बेटा आज मेरे पैरो मे बहुत दर्द है किसी नौकर को तेल लेकर भेज देना कमरे मे मालिश करने के लिए
उस शाम रज्जो दीदी किसी को ना बोल कर खुद तेल कर गई और करीब डेढ़ घन्टे बाद आई कमरे मे , रात हो चुकी थी । वो बिस्तर पर बहुत आराम से बैठि और उनके चेहरे पर अलग ही भाव थे ।

रागिनी - क्या हुआ दीदी आपकी तबीयत ठीक है ना
रज्जो मुस्कुराए हुए - अब तो एकदम ठीक है छोटी
रागिनी - लेकिन आप ऐसे पैर उठाए क्यू ,,,कही बाऊजी से तो ,,,नही नही नही ,,
रज्जो - हम्म्म्म, और फिर दीदी मेरे गले लग गई ।
रागिनी - लेकिन आप तो मालिश के गई थी ती ये सब कब हुआ और बाऊजी तैयार हो गये


अब आगे कि कहानी रज्जो की जुबानी

रज्जो - वो मै अन्दर गई तो बाऊ जी कुर्सी पर बैठे थे और पैर उठा कर बेड पर रखा था
मुझे देखते ही बोले

बाऊजी - अरे बेटी तुने क्यू तकलीफ की किसी को भेज देती ,,,
रज्जो - क्यू बाऊ जी मै नही कर सकती आपकी सेवा ,,, मै भी तो आपकी अपनी हू

फिर बाऊजी कुछ बोलते उससे पहले मै अपना चुनरि निकाल कर बेड पर रख दिया और बाऊ जी के पैर के पास बैठ गई

मगर जब मैने ऊपर देखा तो बाऊजी एक टक मेरे सूट के दिखते मेरी छातियो के घाटी को निहारे जा रहे थे ,,,मुझे हसी आई और मैने उनको बोला - बाऊ जी थोड़ा धोती ऊपर किजीये

फिर बाऊ जी ने चौके बोले - कुछ कहा बेटी
रज्जो - अपनी धोती ऊपर किजीये आप हिहिहिही
बाउजी ने फिर धोती अपनी जांघो तक चढाई और मैने हल्का सा तेल लिया और पैरो की मालिश करने लगी ।
एक तरफ जहां मेरी नजर बराबर बाऊजी के लंड पर थी जो धोती मे कैद थी वही बाऊजी मेरे रसिले चुचे देख कर उत्तेजित होने लगे ।

बाऊ जी - लगता है अब मेरी बिटिया बड़ी हो गई है क्यू
रज्जो - अच्छा वो क्यू बाऊजी
बाऊजी - अरे बेटी जब बाप के जुते बेटे के पैर मे और मा की चोली बेटी को होने लगे तो समझो बच्चे बडे हो गये हैं ।

मुझे थोडी शरम आई लेकिन फिर भी मैने बाऊजी से पुछा - लेकिन बाऊजी मुझे मा की चोली कहा से होगी

बाउजि - अरे एक बार पहन तो सही बेटी ,,, और फिर मेरे चुचो को घुरने लगे ।
मै चुप रही और मुस्कुराते हुए पैर की मालिश करने लगी फिर एक नजर उनकी धोती पर गया जो उनके मोटे लण्ड की अकडन से ऊपर होने लगी
बाऊ जी ने भी देखा की मेरी नजर कहा है
फिर मैने बोला - बाऊजी हो गया यहा ऊपर का भी कर दू

बाऊजी - बेटा दर्द तो है लेकिन ,,, रहने दे तू आराम कर
रज्जो - अरे क्या लेकिन पैर निचे करिये दोनो मै कर देती हू आपके जांघो की भी मालिश ,,, फिर बाऊजी ने दोनो पैर नीचे किये और मै ऊनके पैरो के बिच बैठ गई

रज्जो - बाऊजी आप धोती थोड़ा और ऊपर कर को नही तो तेल लग जायेगा

बाऊ जी ने दोनो साइड से धोती को चढा लिया और एक वी शेप क्छ्छे का आकार दे दिया जिससे उनका लण्ड उभर का और बड़ा दिखने लगा ।

मैने तेल लिया और बाऊजी के जांघो की मालिश करने लगी ,,, मुझे बहुत इच्छा होने लगी की काश इतना पास आ गयी हू तो एक बार बाऊजी लण्ड देखने को मिल जाये
मेरी नजर बराबर उनके लण्ड के ऊभारो पर थी जिसे बाऊजी भी देख रहे थे और मेरे चुचो को घुरे जा रहे थे ।

मैने सोचा जब बाऊजी भी यही चाहते है तो मै क्यू पीछे हटू
रज्जो - बाऊजी आप धोती निकाल दिजीये ,,, देखीये तेल लग जा रहा है

बाऊ जी - लेकिन बेटा मैने कुछ पहना नही है अन्दर,,, मुझे कोई दिक्कत नही है लेकिन तुझे अनुचित ना मह्सूस हो ।

रज्जो - बाऊजी आपकी तबियत मेरे लिए ज्यादा जरुरी है और वैसे भी वो भी एक शरीर का हिस्सा ही है ना तो मुझे कोई आपत्ति नही है बाऊजी

फिर बाऊजी मेरे सामने खड़े हुए और फिर धोती निकाल दी ,,, 6" का आधा खड़ा मोटा झूलता हुआ लण्ड आड़ो के साथ मेरे सामने आ गया ।
फिर बाऊजी वापस कुर्सी पर बैठ गये ,, मेरे सामने उन्का मोटा काला लण्ड आधे खड़े होने के साथ कुर्सी से लटक रह था मैने थूक गटक और वापस से तेल उनकी जांघो पर लगाने लगी और बार बार लण्ड को निहारने लगी ,,, खड़ा लण्ड अपने सामने देख कैसे अपने आप को रोके रखा था मै ही जानती थी ,,,
फिर मैने धीरे धीरे मालिश करते हुए बाऊजी के आड़ो को उल्टे हाथ या कलाई से छूना सुरु किया ,,, नतिजन बाऊजी का लण्ड खड़ा होने ल्गा ,,,जो कभी मेरे कान पर तो कभी मेरे ललाट पर टच होने ल्गा ,,,जब भी उनका लण्ड मेरे चेहरे के पास छुता तो मै बाऊजी को देखती वो मुसकरा रहे होते ।

मैने भी मौके को फायदा उठाया और एक हाथ से कटोरी से तेल निकाला और दोनो हाथों मे अच्छे से लगाया और धीरे से बाऊजी के आड़ो पर हाथ फेरते हुए तेल लगाने लगी ,,

बाऊजी मेरे द्वारा ऐसा कुछ करने की उम्मीद नही थी और मेरे नाजुक हाथो का स्पर्श अपने आड़ो पर पाकर उनका लण्ड और सख्त हो गया उन्होने एक गहरी आह भरी और बोले - इस्स्स्स्स बेटी क्या कर रही है तू ,,,वहा क्यू लगा रही है

रज्जो - अरे बाऊजी दोनो पैर पर मालिश कर दी हू ये हिस्सा बाकी था नही करंगी तो रात मे आपको खुजली होगी

बाऊजी ने मेरे सर पर हाथ फेरा और बोले - अच्छा ठीक है बेटी कर ले जैसा तुझे सही लगे

फिर मैने तेल लिया और बाऊजी लण्ड की जड़ो मे तेल लगाते हुए अच्छे से उन्के आड़ो मे मलिश करने लगी लेकिन मैने खुद को समान्य रखा और जरा भी कोई भाव अपने चेहरे पर नही आने दिये

वही बाऊ जी लण्ड मेरे स्पर्श से खड़ा होने लगा था और सल्लामी देने ल्गा था लेकिन जिस खजाने को देखने की चाह मेरी थी वो अभी उस आधी खुली चमडी के अंदर था ,,वो था मेरे बाऊजी का लाल सुपाड़ा,,,
करीब दो मिंट बाद मैने फिर तेल लिया और इस बार बाऊ जी के लण्ड को दोनो हाथो मे लेके तेल से लीपने लगी और इसी दौरान मैने उनकी चमडी नीचे की और उनका लाल सुपाडा नसो के साथ दिखने लगा ,,,, मै अब अपना सन्तुलैन खोने लगी और मेरी सांसे तेज़ होने लगी थी जिसे बाऊ जी को भी आभास हो चूका था ,,,,मै कभी भी अपना सबर खो सकती थी ,,,लेकिन मेरे लागातार निचे बैठ कर मालिश करने से बाऊजी के लण्ड की नशे फटने को आ गयी थी ना जाने कैसे उन्होने मेरे मन की तडप को समझ गये फिर वो थोड़ा निचे की तरफ सरके साथ ही मेरे सर पर हाथ रखा और लण्ड की तरफ झुका दिया ,,,मेरे लिए तो सबसे अमृत सामान मौका मिला,,, और मैने भी अपना मुह खोल कर उनका सुपाडा मुह मे ले लिया और धीरे-धीरे अपने होठो को उनके लण्ड की गोलाई मे निचे की तरफ चली गयी और फिर मैने बाऊजी लण्ड चूसना सुरु कर दिया मै लगातार 10मिनटो तक बाऊजी का मोटा लण्ड चुसती रही और इस दौरान ना ही मैने बाऊजी की तरफ देखा और ना ही एक बार भी बाऊजी ने मुझ्से कुछ कहा बस मेरे सर पर हाथ फेरते रहे

फिर 10 मिंट बाद उन्होने मेरे कन्धों को पकड़ा और हल्का आ ऊपर किया ,,, मै समझ गयी कि बाऊज जी उठने को कह रहे हैं फिर मैने पीछे हट गयी और बाऊजी भी खड़े हो गये ,,, मुझे लगा बाऊजी अब बाहर चले जायेंगे ,,, और मानो मेरा प्रिय खिलौना मुझसे छीन जायेगा
लेकिन बाऊ जी ऐसा कुछ नही और वापस मुझे पकड़ा और उठाए ,,,मै नजरे निचे किये खड़ी हुई
फिर बाऊ जी ने मुझे घुमा दिया और मेरा सूट पकड कर ऊपर करने लगे ,,,,मेरे चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी लेकिन फिर भी मै शांत रही और बिना कुछ बोले बाऊजी की हरकतो मे शामिल होते रही
चुकी मैने सूत के अंदर कुछ नही पहना था तो सूट के निकालते ही मेरा आधा जिस्म नंगा हो गया और मैने तुरंत अपनी चुचियो पर हाथ रख लिये
फिर बाऊ जी ने अपना बकि का कपडा भी निकाल दिया और मेरे तरफ आगे आये । उनकी चौडी छाती जैसे ही मेरे नंगे कोमल पीठ को छुई मेरी धडकनें तेज हो गयी और मन मे एक खुशनुमा सा डर भी होने ल्गा ,,,डर इस बात का कि क्या मै आने वाले उन हरकतों को सह पाऊंगी जो बाऊजी मेरे साथ करने वाले थे ,,,क्योकि मै खुल कर बाऊजी के सामने आ कर खुद को रन्डी नही बनवाना चाहती थी
फिर बाऊजी ने मेरे नरम कंधो को दोनो तरफ से पकड कर अपनी तरफ खीचा और उनका गरम मोटा लण्ड और गर्म सीना मेरे कमर और पीठ से स्पर्श करने लगा ,,,जिससे मेरे पैर कापने लगे फिर बाऊजी ने मेरे हाथो को मेरी चुचियो से हटाया फिर नीचे से मेरे चुचो को पकड़ लिया और हल्के हाथो से सहलाने लगे

एक तरफ जहा बाऊजी हल्के हल्के मेरी चुचियो को मिजे जा रहे थे वही मेरी चुत लागातार पानी बहाये जा रही थी और मेरी सिसकियाँ भी तेज होने लगी थी
हम दोनो मे कोई बात नहीं हो रही थी ,,,,

कुछ समय बाद बाऊ जी ने मुझे छोडा और खुद बिस्तर पर बैठ गये और मुझे भी अपनी दाहिनी जांघ पर बिठा ,,,, अब तक हुए इस घटना मे मैने एक बार भी बाऊजी से नजर नही मिलाई थी ।
फिर उन्होने मुझे अपनी जांघ पर बिठा दिया जहा उनका लण्ड मेरे जांघ पर छुए जा रहा था और मेरी सासें फुले जा रही थी ,,उसी समय बाऊजी ने मुझे अपने दाहिने हाथ में मजबूती से पकड़ा और बाये हाथ से मेरी दाई तरफ की चुची को पकड़ा और झुक कर अपने मुह मे ले लिया और चूसने लगे ,,,,मै तडप उठी और सिसकिया लेटे हुए पहली बार बाऊजी की नंगी पीठ पर हाथ रख दिया एक बार बाऊ जी के चेहरे पर देखा तो वो अपनी मोटी मोटी खुरदरी जीभ को मेरे नाजुक गुलाबी रंग वाले किसमिस के दाने जैसे निप्प्ल को गिला कर कर के अपने मोटे होठो से चूसे जा रहे थे ,,, बाऊजी की मूछ का नुकीला हिस्सा मेरे चुचो ने नरम हिस्सो मे चुब्ने से मेरी सिसकी मे मीठा दर्द भी शामिल होने ल्गा । थोडी देर बाद बाऊ जी मुझे वापस अपने सामने खड़ा किया और मेरे दोनो हाथ उनके कंधो पर आ गये

फिर उन्होंने ने बिना कुछ बोले मेरे कमर से नाडे को बाहर की तरफ खीचा और मेरा खुला सलवार निचे जमीन पर गिर गया,,,, अब मै सिर्फ एक पैंटी मे थी वाप्स बाऊ जी ने मुझे पकड़ा और इस बार बाई जांघ पर एकदम घुटने के पास बिठाया और मुझे अपने कन्धे पर ले लिया ,,,, एक हाथ से उन्होने मेरी पीठ की तरफ से बाई तरफ ले जाकर मेरी चुची को पकड़ा और दुसरा हाथ मेरे जांघो मे घुमाने लगे ,,,मेने अपनी आंखे बंद की और बाऊजी के हाथो को अपने नाजुक जिस्म पर मह्सूस करने लगी
बाऊ जी मेरे चुची को मसलते हुए अपनी एक हाथ को मेरे पैंटी के ऊपर ले आये ,, मेरी पैंटी निचे की तरफ पूरी चिपचिपी हो चुकी थी ,,,, बाऊ जी ने मेरे नाभि के निचे के भागो पर पैंटी के ऊपर से ही सहलाना शुरू किया और फिर मेरे चुत के ऊपर ले आये ,,, मेरे अन्दर एक अलग ही तुफान मचा हुआ था ,,,मै अपने कमर हिलाने लगी थी और सिसिक्ने भी लगी ,,,, फिर जब बाऊजी ने उंगली को मेरी पैंटी की रबड़ मे फसा कर फैला और कमर की तरफ ले जाकर निचे करने लगे तो मैने भी अपने मोटे चुतडो को उठा कर अपनी पैंटी निकलवाने मे मदद की फिर जब मेरी पैंटी मेरे जांघो के बराबर मे आ गई तो बाऊ जी ने वापस मुझे खड़ा किया और मेरी पैंटी निचे कर दी अब हम दोनो नंगे हो चूके थे फिर बाऊ जी भी खड़े हुए और मुझे बिस्तर पर लिटा दिया ,,, मैने तुरंत अपनी जांघो को जोडते हुए चुत को और अपनी चुचियो को अपने हाथ से छिपा लिया और एक तरफ सर को घुमा कर आंखे बन्द कर ली

फिर मुझे मह्सूस हुआ कि बाऊजी ने मेरे जांघो को छुआ और खोल दिया । मैने भी बिना कोई प्रतिकिया के उनका साथ दिया और फिर मुझे बिस्तर पर बाऊ जी का भार भी मह्सूस हुआ तो मैने तिरछी नजर से देखा तो बाऊ जी मेरे जांघो के बिच आ गए थे और मेरी टपकती चुत देखे जा रहे थे फिर उन्होने मुझे एक नजर देखा तो झट से मैने अपनी आँखे भीच ली ।

फिर मुझे अपनी चुत की ऊपरी चमडी पर एक खुरदरी सी घर्षण का अह्सास हुआ जिससे मेरा रोम रोम मे खून की दौड़ तेज हो गयी ।

अब मुझे बाऊजी के होटों और उनकी जीभ का खेल मेरे चुत पर मह्सूस होने ल्गा ये मेरे लिए पहला अह्सास था कि कोई मेरी चुत चाट रहा था और बाऊजी की जीभ की कलाबाजी के आगे मै चंद मिंट भी नही टिका सकी खुद को और झडने लगी इसी दौरान बाऊजी ने कभी एक तो कभी दो दो उंगलिया मेरी चुत मे डाली ,,,, उनकी मोटी उन्गलिया मेरे लिये किसी लण्ड से कम नही थी ,,,,
करीब 10 मिंट बाद बाऊजी उथे और अपना लण्ड मेरी चुत पर रखा ,,, उनके लण्ड का भार मेरी नाजुक चुत पर पडते ही मै समझ गई कि अब वो चोदन्गे

फिर उन्होने अपनी कमर को आगे पीछे किया और सुपाडे को मेरी मुलायम चुत पर रगड़ा

तो मैने भी बहुत हिम्मत की और बोली - बाऊ जी तेल ....
मै ब्स इतना ही बोल पाई इत्ने मे बाऊ जी उतरे और जमीन से तेल की कटोरी लेने चले मै उनको देखने के लिए वापस बिस्तर पर बैठ गयी तो मेरी नंगी चुचिया लटक कर सामने आ गयी ,, फिर बाऊजी ने मुझे देखा और मेरे पास आये ,,,, उनका लण्ड अभी भी वैसे का वैसे खड़ा और सख्त था मेरे मुह मे फिर से पानी भरने लगा तो मैने खुद पहल की और जमीन पर बैठ गयी जिससे बाऊजी समझ गये और मेरे चेहरे की तरफ आकर मेरे सर पर हाथ फेरा ,, मैने एक बार फिर से बाऊजी के लण्ड को मुह में भरना शुरू कर दिया और अच्छे से गिला कर वापस बिस्तर पर बैठ गयी ,,, बाउजि मेरे करीब आये और मेरे चेहरे को हाथो मे भरा ,,,, जिससे मेरे रोम रोम मे एक अलग ही उत्तेजना दौड़ने लगी और मैने आंखे बंद कर ली ,,,फिर वो झुके और मेरे माथे को चूमा और मुझे लिटा दिया ,,,,,एक बार फिर मेरी जन्घे खुल गयी
अब बाऊजी एक हाथ मे ढेर सारा तेल लिया और अच्छे से अपने लंड के सुपाड़े पर लगाया और फिर थोड़ा सा तेल लेकर मेरी चुत पर मल्ने लगे और ,,,, फिर वो बिस्तर पर चढ़ गये और मेरी जांघो के बिच अपने घुटनो के बल बैठ गये ,,, एक बार फिर उनहोंने अपने हाथो से चुत को सह्लाया और अपना गर्म तपता मोटा लण्ड मेरी चुत पर रख कर रगड़ने लगे ,,, फिर उन्होने मेरी जांघो को चौड़ा किया और अपना सुपाडा मेरी नाजुक सी चुत पर रखा और हल्का सा दबाया

मेरे अन्दर एक डर सा होने ल्गा तो मैने बोला - बाऊजी धीरे .... और इन सब मे पहली बार मैने बाऊजी की आँखो मे देखा वो हल्के मुस्कान के साथ एक हाथ मेरे गाल पर फेरा और थोड़ा सा जोर लगा कर मेरी कसी चुत मे अपना सुपाडा घुसेड़ा

रज्जो - अह्ह्ह्ह बाऊजी दर्द अह्ह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह्ह धीरे अह्ह्ह्ह्ंंंं
बाऊजी बिना कुछ बोले फिर से थोड़ा पीछे हुए और एक तेज धक्के से मेरी चुत के नाजुक दिवारो को चिरते हुए अन्दर घुस गये ,,,,, उनका तपता मोटा लण्ड मेरी चुत मे हुए दर्द मे मल्हम जैसा था ,,,फिर दो चार धक्को मे बाऊजी ने मेरे चुत का रास्ता खोल दिया और कुछ ही समय मे मै दर्द से दूर जननत मे सैर करने लगी ,,,, अब बाऊजी के हर धक्के मे मुझे सुकून मिलने ल्गा और करीब 10 मिंट तक मेरी कसी चुत मे अपना लण्ड रगड़ने के बाद पहली बार बाऊजी बोले - आह्ह्ह्ह रज्जो मेरा होने वाला है बेटी

मुझे भी अपनी चुत मे लण्ड का कसाव से पता चल रहा था कि उनका आखिरी धक्का चल रहा है

रज्जो - अंदर नही बाऊ जी ,,,, मै ,,,
फिर तुरंत बाऊ जी ने मेरी चुत से लण्ड निकाला और मेरे चेहरे के पास आ गये और लण्ड को हिलाने लगे ,, कुछ ही पलो मे उनका गर्म पानी मेरे मुह मे गिरने लगा और मैने बाऊजी का लण्ड मुह मे लेके अच्छे से चुस कर वापस छोड दिया और सीधा लेट गयी

फिर बाऊजी भी मेरे बगल मे लेट गये फिर 5 मिंट बाद
बाऊ जी - बेटी तुझे बुरा नही ना लगा ,,,
रज्जो - जी नही बाऊजी मै शादी से पहले आपकी ही अमानत हू ,,, मेरे से ज्यादा आपका मुझ पर हक है
बाऊ जी - सुक्रिया बेटी , मुझे तेरी मा के जाने के बाद से आज सुकून मिला है ,,,,
रज्जो - कोई बात नही बाऊ जी जब भी आपको मा की याद आये मुझे बुला सकते है आप
बाऊजी - बेटा याद तो उसकी हर रोज आती आती है न तो क्या तू रोज मेरे लिए ये बलिदान देगी

रज्जो - मैने कहा ना बाऊजी शादी तक मै आपकी ही अमानत हू ,,,,
बाऊ जी - सुक्रिया बेटा अब जा तू आराम कर ,,, दो दिन तक थोडी सेकाई कर लेना


वापस कमरे मे जहा मा और मौसी बाते कर रहे थे

रागिनी - अरे वाह दीदी आपने जो सोचा वो आज आपको मिल ही गया आखिर ,,, मै बहुत खुस हू आपके लिए
रज्जो - थैंक्स छोटी ,,, अगर तू कहे तो तेरे लिए भी बाऊजी से बात करू हीहीहि
रागिनी - नही नही ,,,
रज्जो - फिर क्या वो अपने पति से ही खुलवयेगी
रागिनी - हा दिदी मेरी इच्छा यही है की पहला लण्ड मेरे पति का ही रहेगा

फिर धीरे धीरे समय बीता और दीदी ने मामा को भी मौका दिया ,,, फिर दीदी ने मेरी मजबुरी समझी और खुद राजेश के कमरे मे जाकर चूदती थी ताकि मै अपने वादे पर बनी रहू ।

इसी दौरान मैने कयी नई चीजे सीखी ,,, जो मुझे दीदी ने सिखायी फिर 2 3 साल बाद बाऊ जी ने दीदी की सादी एक अचचे घर मे करवा दी फिर मेरी भी सादी हो गयी और फिर राजेश की भी


मै - अरे वाह मा क्या गजब की कहानी थी । लेकिन क्या सच मे आपने शादी के बाद भी नही सोचा नाना जी या मामा के बारे मे

मा - दीदी ने तो बहुत जोर दिया की आ साथ मे मज़े करते है लेकिन तेरे पापा का प्यार मुझे रोज मिलता था ,,, लेकिन अब देख रही हू कि ये भी दुसरी औरतो मे खोये रह रहे है

मै - तो क्या आप भी अब नाना या मामा से
मा - बेटा मन तो मेरा भी था की एक बार बाऊजी से लेकिन अब बहुत लेट हो गया है ,,,अब उनकी उम्र भी हो चुकी है और पता नही वो पहले जैसे

मैने मा को भावुक देखा तो उनकी तरफ घूम कर बोला - कोई नही मा मै हू ना हिहिहिही

मा - धत्त पागल,,,चल अब बहुत देर हो गई है सो जा ,,, कल शॉपिंग करना है ना
मै भी बुआ की चुदाई से थक गया था रात के 1 बजे थे तो मै भी मा से लिप्त कर सो गया ।


अब देखते है दोस्तो राज की अगली सुबह उसके जीवन मे कौन से नये रंग लेके आती है ।
Nice
 

Tiger 786

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UPDATE 92



अगली सुबह मै रात की चुदाई की थकान से देर से उठा । सुबह का नाशता कर अनुज और पापा दुकान पर चले गये ।
मै भी आराम से 10 बजे तक नहा धो कर तैयार होने की सोच रहा था क्योकि माल 10 बजे से पहले खुलता नही , इसिलिए सबके साथ नासता कर लिया और फिर अपने कमरे मे गया । नया पैंट और टीशर्ट , अंडरवियर निकाल कर बेड पर रखा और फिर तौलिया लेके निकल गया नहाने ।

जैसा मेरी आदत थी मै दरवाजा बंद नही रखता था और बाथरूम मे भी खुला ही नहाता था । क्योकि किसी से छिपाने जैसा कुछ था नही अब घर मे ना

तो मै नहा चुका था और गुनगुना हुआ तौलिया लपेटे कमरे मे आया तो देखा कि मेरा अंडरवियर गायब है मै वापस आलमारी चेक किया तभी मुझे आलमारी के सीसे मे किसी की झलक दिखाई दी जो मेरे पीछे कमरे के दरवाजे के पर्दे मे खड़ी थी ।

मै थोडा सावधान हुआ और एक मुस्कुराहट के साथ थोडा सीसा बराबर मे लाकर निचे पैर पर नजर मारी तो एक हिल वाली सैंडल पहने खुबसूरत पैर थे और पटियाला सलवार से पाव ढका था ।

मै समझ गया ये निशा थी तो मै जानबुझ कर नाटक करते हुए बोला - ओफ्फो कहा गयी मेरी अंडरवियर,,,मम्मी से पुछता हू
फिर मै अन्जान बन्ते हुए धीरे धीरे बिना
उसकी तरफ देखे दरवाजे तक गया और वो सिमट कर और दीवाल की ओर हो गयी और मै मौका देख कर दरवाजा खोलने के बजाय उसकी चटकनी लगा कर झट से पर्दे के पीछे घुस कर निशा को पकड लिया

वो मुझे अचानक देख कर चहकना चाही लेकिन मैने उसके होठ अपने होठो से बान्ध लिये और उसके कूल्हो को मलना शुरु कर दिया ।

निशा के बदन के स्पर्श से ही मै उत्तेजित होने लगा और तौलिये मे लण्ड अपनी जगह बनाने लगा ,,वैसे भी तौलिया कुछ खास सही से नही लपेटा था मैने और हमारी कसमसाहट मे वो खुल कर गिर भी गया

तभी निशा की नजर मेरे तनमनाये लण्ड पर गयी और वो मुस्करा कर लपक लेती है मेरे लण्ड को और उसकी तपन का अह्सास अपनी मुठ्ठि मे पाते ही गनगना जाती है

मै उसके होठ चुस्ते हुए उसे अपनी तरफ खिचता हू और वो मेरे सुपाडे वाले हिस्से को मुठिया रही होती है ।

फिर मै आंखो से इशारे करता हू और वो मुस्कुरा कर वही कोने मे बैठ जाती है और हम दोनो की कामक्रीड़ा परदे के पीछे चल रही होती है
निशा पुरे जोश मे मेरे लण्ड को चुस्ती है और मेरे आड़ सख्त होने लगते है,,,नहाने के बाद तुरंत लण्ड चुस्वाने का मजा मेरे लिये पहला अनुभव था एक नया जोश भर गया था मेरे लण्ड मे ।

लेकिन अफसोस हमारी मस्ती को मेरी ही जान की नजर लगी
सोनल निशा को बुलाने आ गयी

और हम दोनो झट पट अलग हुए क्योकि हो सकता था कि सोनल के साथ कोई और भी हो साथ मे

मै फौरन अपने कपडे लेके बाथरूम मे गया और सोनल के दरवाजा खटखटाने से पहले ही निशा ने चटखनि खोल दी और बाहर चली गयी ।


थोडी देर बाद मै कपडे पहन कर बाहर आया और तब हाल ने निशा, मा, चाची और सोनल सब तैयार खडे थे

चाची ह्स कर - औरतो से ज्यादा तो इसे टाईम लग जाता है ,,पता नही शादी मे क्या करेगा

चाची की बात पर सब हसे और फिर हमने एक ई-रिक्शा किया और निकल गये ।
मै आगे बैठ गया और बाकी सब पीछे बैठ गये ।

मै एक नजर मोबाईल मे देखा तो सरोजा के आज ने मैसेज पडे थे जो काफी गुस्से और भड़ास भरे लहजे मे थे तो कुछ चिन्ता की आश मे की कही मुझे कोई दिक्कत तो नही ,,,जैसा भी हो मै उसे बता दू ।

मै बस मुस्कुरा कर मोबाईल जेब मे रख दिया और 5 मिंट मे ही हम सब सरोजा कॉमप्लेक्स आ गये ।
अभी सुबह के 10 :30 बज रहे थे

फिर सारे लोग शॉपिंग ने व्यस्त थे तो मै मा को बोला की अभी आता हू थोड़ी देर मे एक दोस्त से मिल कर और फिर निकल गया , सरोज जी के ऑफ़िस मे

अन्दर जाने से पहले मैने सरोजा को कॉल लगाया और दो रिंग जाते ही उन्होने कॉल पिक कर लिया और शुरु हो गया उनका सारे सवालो और भड़ास भरे लहजे और अन्त तक आते आते

सरोजा - बोलो राज , तुम कुछ बोल क्यू नही रहे ,मुझसे कोई गलती हुई क्या

मै हस कर - सब ब्ताऊगा पहले दरवाजा खोलिये हिहिहिही

सरोजा अचरज के भाव से - मतलब , तुम यहा
तभी अन्दर कुछ खटपट हुई और सरोजा भाग कर खुद से दरवाजा खोली और सामने मुझे हस्ता पाकर

सरोजा ने फोन काटा और ह्स्ते हुए मेरा हाथ पकड कर अन्दर खीचा और भडकते हुए बोली - तुमने समझ कर क्या रखा है मुझे हा

सरोजा इस वक़्त मरून सिल्क साड़ी मे एक प्रोफेशनल लूक मे थी और उसके मैट मरून लिपस्टिक से होठ बोलते हुए मुझे आकर्षित कर रहे थे और मै उनकी आंखो मे देख रहा था लगातार और फिर मेरा चेहरा सीरियस होने ल्गा और सरोजा भी मेरे मन की मन्शा को जैसे भाप लिया हो और वो पीछे की ओर झुकने लगी , मै उनकी ओर लपकने ल्गा और आखिरकर उनकी कमर मे हाथ डाल कर एक बार फिर से उनके बड़बड़ाते होठो को थाम लिया अपने होठो मे

वो आंखे ब्ड़ी किये मुझे घुर रही थी और उन्हे इत्मीनान कर उन्के होठ चुस्ते हुए आंखे बंद कर लिये वो सिहर गयी और मुझे अपनी ओर खींचने लगी ।
खैर हमारी होठो की बात चित लम्बी नही चली की डोर नॉक हुआ

फिर हम अलग हुआ और सरोजा ने मुझे सोफे पर बैठने का इशारा कर डोर खोला

सामने उनकी assistent थी जो बस फ़ॉरमैलिटी के लिए आई थी और उन्होने उसको किसी बॉय को भेजने को बोला और वापस मेरे पास गयी ।


हम दोनो के बीच कुछ सन्नाटा सा थ और तभी सरोजा और मै एक साथ बोले - वो कल रात

फिर हम दोनो हसे
सरोजा ह्स कर - हा बोलो कल मेरा फोन क्यू नही उठाया

मै - सॉरी वो कल दीदी के शादी को लेके बाते हो रही थी और आज उसी के शॉपिंग के लिए आये है मेरे फैमिली वाले यही पर ,,, और मेरा मोबाईल चार्ज मे था तो

सरोजा तुनक कर - तो सुबह नही फोन कर सकते थे , पता है मै कितनी परेशान थी

मै ह्स कर - वो मै सोच की आज जाना ही है मिलने तो क्यू ना सरप्राइज़ ही देदू

सरोजा - हा तुम्हारे सरप्राइज़ के चक्कर मे मुझे चक्कर आ रहे थे कल से
मै ह्स सरोजा को छेड़ते हुए - ओह्हो मेरे लिए इतनी फ़िकर क्यू जी

सरोजा थोडा संकोच दिखाते हुए - अब ब ब तुम दोस्त हो मेरे,, तो दोस्त की फ़िकर होगी न

मै उनकी बात को तब्ज्जो दते हुए -ओह्ह
मै उन्हे छेड़ने के अंदाज मे - सिर्फ दोस्त या और भी कुछ

सरोजा शर्मायायि और बोली - मै दोस्त ही समझती हू ,ब्स तुम्हारे लक्षण ठीक नही लग रहे हैं
मै हस कर उन्के पास हुआ और बोला -कैसे लक्षण

वो कुछ बोलती की बॉय अंदर आया और फिर सरोजा ने उसे दो काफी का ओर्डेर दिया

मै वापस से उन्हे इंसिस्ट करते हुए - बोलिए ना जी कैसे लक्षण

सरोजा हस कर - यही चिपकू होने के लक्षण ,,,हमेशा मेरे साथ फलिर्ट करने का लक्षण और क्या

मै - क्यू आपको मेरी शरारते पसन्द नही तो मै नही करूँगा आज से खुश

मेरे तेवर भरे जवाब से सरोजा सहमी और बोली - नही वो बात नही है राज ,, मुझे अच्छा लगता है लेकिन कभी कभी मै हमारे उम्र के दायरे को लेके बहुत सोच मे पड जाती हू कि लोगो जानेंगे हमारी दोस्ती के बारे मे तो क्या कहेंगे और एक बदनमी मै सह चुकी अब दुसरे की हिम्मत नही है


मै सरोजा के दिल के जज्बात समझ सकता था और मै उसके पास गया उसके हाथ पकड कर उसकी भरी हुई आंखो मे देखते हुए बोला - यार तुम फाल्तू का डर रही हो , मेरा ब्स चले तो मै हमारी दोस्ती के बैनर लगवा दू हिहिहिह

सरोजा मेरे बात पर खिलखिला कर हँस पड़ी और उसके आंख छलक गये

वो उन्हे साफ कर बोली - ब्स इसी जिन्दादिली और तुम्हारे बड़े दिल के कारण ही मै तुमसे बाते करती हू और तुम्हारा साथ नही छोड़ना चाहती

मै उदास होने नाटक मे - मुझे लगा कि आपको मेरा कुछ और बड़ा पसन्द आया था इसिलिए आप साथ हो

जैसे ही सरोजा मेरे बातो का मतलब समझी और उसकी आंखे ब्ड़ी हुई तो मै जोर से हसने लगा

सरोजा मेरे तरफ आके मेरे कान पकडने के लिए लपकते हुए बोली- बदमाश कही के तुम नही सुधर सकते ना
वो मेरी ओर लपकी तो मै सोचा क्यू ना एक किस्स और कर लू लेकिन उससे पहले ही डोर नॉक हुआ और एक बॉय काफी लेके आया ।


साला आज तीसरी मर्तबा था कि कोई हमे डिस्टर्ब कर रहा था सरोजा भी इस बात को समझ गयी थी तो उसने बॉय को बोल दिया की वो जाये और जब तक वो ना कहे कोई हमे डिस्टर्ब ना करे ।

उसके जाने के बाद सरोजा ने दरवाजा बन्द कर वपस मेरे बगल मे बैठी
सरोजा - लो कॉफी पीयो
मैने कॉफी ली और एक सिप लेते हुए बोला - और तब बताईए जी

सरोजा - हा पुछो
मै थोडा शांत रहा और बोला - अगर आपको ऐतराज ना हो तो आप उस दिन की बात आज पूरी कर सकती है

सरोजा मेरे कहने का मतलब समझ गयी और मुस्कुरा कर कॉफी टेबल पर रखते हुए बोली - देखो राज ,, वैसे मेरी बीती जिन्दगी के बारे मे काफी लोग जानते है , उनमे कुछ सच्चाई है और कुछ अफवाहे भी है ।

मै थोडा उत्सुकता और अचरज से - मतलब मै समझा नही

सरोजा मुस्कुरा कर - तो सुनो मै बताती हू

राज मै बचपन से घर की लाडली थी और शुरु से ही मेरा शरीर ऐसे ही भरा हुआ था या कहो की मै मोटी थी ।
संजीव भैया ने मुझे बहुत सहारा दिया यहा तक की मेरी जिद पर मुझे पढने के लिए घर मे बहस कर बाहर पढने के लिए भी भेजा ।
12वी के बाद मै दिल्ली मे अपने मौसी के यहा पढाई करने चली गयी और वही कामर्स से पढाई की । फिर MBA भी किया । MBA के दौरान ही मेरी मुलाकात मनीष से हुई , वो एक हाई प्रोफाइल और वेल एजुकेटेड इन्सान था और वहा कालेज मे मेरा सीनियर भी था ।

शुरु मे हम दोनो मे प्यार हुआ और फिर उसे एक मल्टीनेशनल कंपनी मे सीनियर पोस्ट की जॉब मिल गयी । समय आने पर हम दोनो ने अपनी बात शादी के लिए घर पर बताई और फिर उसकी अच्छी पर्सनैलिटी से प्रभावित होकर भैया ने घर मे सबको हमारी शादी के लिए मनाया ।
कुछ समय बाद हमारी शादी हो गयी और मै उसके साथ दिल्ली मे ही शिफ्ट हो गयी ।
समय आने उसने मुझे उसके ऑफ़िस मे एक सहायक के रूप मे जॉइनिग कराई ।
मेरी हैल्प से उसकी जॉब मे काफी तरक्की हुई लेकिन मै बदकिस्मती से एक अस्सीस्तेंट ही रही ।

समय के साथ मनीष मे घमंड होने लगा और धीरे धीरे वो मेरे साथ रूड बिहेव करने लगा । मुझे अह्सास होने लगा था कि उसको ये बात बहुत खल रही थी कि जिस कंपनी मे वो एक अच्छी रैंक पर काम कर रहा है उसी कंपनी मे उसकी वाइफ किसी छोटे कर्मचारी की अस्सीस्तेंट है । अब आये दिन मनीष मुझे नौकरी छोडने का दबाव देने लगा ।

मै उसकी खुशि और रेपोटेशन को देखते हुए नौकरी छोड दी और ऐसे ही 6 महीने बित गये । हमारी शादी को लगभग डेढ़ साल होने को थे और शादी के फिजिकल होने से और घर पर रहने से मेरी बॉडी मे फैट ज्यादा हो गया जिससे मै पहले से ज्यादा मोटी हो गयी । समय के साथ अब मनीष मेरे बॉडी को लेके ताने मारने लगा , उसे मुझे कम्पनी के किसी पार्टी या रेशप्सन मे लेके जाने मे हिचक होती थी । धीरे धीरे मै भी उसकी बातो से इरिटेट होने लगी । एक बोझ सा लगने लगा मेरे मन मे , मैने जिम जॉइन की थोडा वेट लॉस भी किया लेकिन अब मनीष को मुझे ताने देने की आदत सी हो गयी थी वो ऑफ़िस की भड़ास घर आकर मुझ पर निकालता था और मेरे लाख कोशिस के बावजूद भी हमारे रिश्ते मे कोई मिठास बाकी नही थी । महिनो हमारे बीच कोई फिजिक्ल रिलेशनशिप नही हुए वही मेरी सास मुझ पर बच्चे के लिए दबाव बनाने लगी थी


मै काफी समय दिया मनीष को लेकिन वो अब जुनुनी हो गया था और मै समझ गयी कि ये इंसान अब बदल गया ।
हार मान कर मैने ये बात अपने भैया को बताई और फिर उन्होने सलाह दी मै तलाख ले लू , और मुझे सही भी लगा ।
फिर मैने उसे तलाख दे दिया लेकिन फिर भी उसे कोई फर्क नही पडा ।
घर वापस आने के बाद भैया ने मेरे नाम से ये कॉमप्लेक्स खुलवा दिया और ब्स तबसे मै यही हू ।
मै एक गहरी सास ली और सरोजा को देखा तो उसकी आंखे नम थी
मैने जेब से रुमाल निकाला और उसे दिया । वो मुस्कुरा कर आंख साफ की

सरोजा ह्स कर - सुन ली मेरी दर्द भरी दास्ताँ
मै - हम्म्म वाकयी आप काफी हिम्मत वाली है ।

मै थोडा सोच कर - फिर आपने दुसरी शादी क्यू नही की

सरोजा मुस्कुरा कर - मुझसे शादी करेगा कौन राज , एक तो मेरी उम्र 34 की होने वाली है और मै तालाखशुदा औरत हू ,,वैसे भैया ने कोसिस की थी एक दो बार लेकिन मैने खुद मना कर दिया ।

मै - हा लेकिन आखिर कब तक ऐसे अकेले जीवन जियेंगी आप ,, आप कहो तो मै खोजू आपके लिये कोई लड़का

सरोजा खिलखिला कर - हिहिहिही तुम खोजोगे , वो भी मेरे लिये

मै - हा क्यू नही ,,बस आप बताओ कैसा लड़का चाहिये

सरोजा मुस्कुरा कर - तुम बहुत अच्छे हो राज ,, मेरा बस होता तो मै तुमसे ही शादी कर लेती हिहिहिही

मै अचरज से - मुझसे , लेकिन मुझसे ऐसा क्या है ,,, कही उसकी वजह से तो नही
मैने सरोजा की आंखो मे देखते हुए अपने लण्ड की ओर इशारा किया
सरोजा शर्मा कर - अब बस भी करो ,,क्यू बार बार उस रात वाली बात को लेके मुझे परेशान करते हो

मै ह्स कर - मै तो करूँगा हिहिहिही ,,,आप ने मेरा फायदा उठाया है

सरोजा अचरज से - कैसा फायदा राज
मै हस कर - आप मेरा वो देख कर खुद का काम कर ली और मेरे बारे मे सोचा तक नही हुउह

सरोजा मेरी बातो से झेप सी गयी - अब बस भी करो , तुम मुझे शर्मिंदा कर रहे हो

मै हस कर - अच्छा ठीक है , वैसे एक बात पूछू सच सच बताना

सरोजा - हा बोलो
मै शरारती भाव मे - क्या सच मे उस दिन से पहले और तलाक के बाद वो सब नही किया था

सरोजा मेरी बाते सुन कर आंखे ब्ड़ी कर ली और फिर थोडी मुसकुराते हुए झेप सी गयी - धत्त बदमाश , ये सब कोई पुछता है

मै - नही उस दिन आप कह रही थी कि तालाक के बाद आज पहली बार तुम्हारा मोटा ,,,

सरोजा मेरे मुह पर हाथ रखते हुए ह्स कर - छीई गन्दे चुप कर ,,,हो गया एक बार मुझसे तो क्या अब परेशान करोगे मुझे

मै उसके हाथ पकड कर उसकी आंखो मे एक टक देखा और बोला - क्या सच मे आपका फिर से देखने क मन नही कर रहा है

सरोजा मेरी आंखो देखते ही खोने सी लगी उसकी सासे भारी होने लगी और वो मुह फेर ली - ओह्ह राज प्लीज ऐसी बाते मत करो

मै पीछे से उसके कन्धे पर हाथ रखा और बोला - मै किसी से ये शेयर नही करूँगा

सरोजा मेरे हाथो का स्पर्श पाकर सिहर सी गयी और उस्की आंखे बंद हो गयी थी । वो तेज गति से सास ले रही थी ।

मैने सोचा यही मौका कि कुछ बात आगे बढ़ाया जाये
मै खड़ा हुआ और धीरे से अपना पैंट खोला और अपना तना हुआ लण्ड पुरा का पुरा बाहर सरोजा के सामने रख दिया


सरोजा को मेरे लण्ड की गरमी का आभास हो गया था और वो धीरे धीरे खुद को नोर्मल कर बहुत हल्का सा एक अन्ख को खोल कर तिरछी से मेरे फंफनाते लण्ड को देख कर वाप्स से आंखे भीच लेती है ।


सरोजा
छीईईईई राज ये कया कर रहे हो अंदर कर लो प्लीज उसे ,,, यीईई मम्मी प्लीज राज

मै ह्स कर धीरे से सरोजा का एक हाथ झुक कर पकड़ा और वो उसे बार बार निचे खिच रही थी लेकिन मन उसका भी था कि वो उसे छू ले

वो आंखे भिचे बूदबुदाते हुए ना ना करती रही और मैने उसका हाथ पकड कर लण्ड पर रख दिया और लण्ड का स्पर्श पाते ही वो गनगना गयी ।वही मै भी सरोजा के मुलायम हाथ का स्पर्श पाकर पागल सा होने लगा ।

सरोजा अब चुप थी और धीरे धीरे उसने आंखे खोलनी शुरु की और तिरछी नज़र से मेरे लण्ड के टमाटर से लाल सुपाडे को देखा और अपनी थूक गटक ली ,,

मै धीरे से अपना हाथ सरोजा के सर पर रखा और वो मेरे लण्ड को थामे नजरे उपर कर मेरी आंखो मे देखी तो मै झुक कर उसके मोटे रसिले होठो को मुह मे भर लिया और सरोजा ने भी मेरा साथ दिया ।

मै वापस खड़ा हुआ और लण्ड को थोडा सरोजा के सामने लाया और सब सरोजा उसे अच्चे से निहार रही थी ।

मै हौले से सरोजा के गाल को सहलाया और लण्ड को उसके होठो के पास के ले गया ।
मेरे दिल की धडकनें तेज हो रही थी वही सरोजा मेरी आंखो मे देखते हुए धीरे से मुह खोला और सुपाड़े को मुह मे भर लिया ।

मेरी आंखे बन्द हो गयी । मेरे सुपाडे को एक ठन्दक सा अह्सास हुआ ,,, सरोजा के मुलायम होठो का स्पर्श मेरे लण्ड की नशो को फाडने लगा ।

मैने वापस आन्खे खोली तो सरोजा अपनी आंखे बंद किये बडे ही कामुक अदान्ज मे धीरे धीरे लण्ड को मुह मे ले रही थी और मेरा लण्ड और भी फौलादी हुए जा रहा था ।

मैने अपने हाथ सरोजा के बालो पर रखे और हौले से दबाया जिससे सरोजा ने लण्ड को और अन्दर लेके मेरी आंखो मे झाका

मेरे मुह से आह्ह्ह निकाली

मै - ओह्ह्ह सरोजा उम्म्ंम्ं थोडा जोर से चुसो ना

सरोजा अपनी मतवाली आंखे नचाते हुए लण्ड को धीरे धीरे मुह मे अन्दर बाहर करने लगी

मेरे हाथ उसके बदन पर सरकाने लगे और बालो से होकर गरदन और फिर कन्धे तक गये और फिर झुका तो हाथ उसकी मोटी चुचियॉ के उभार पर गये
मैने उसकी बाई चुची को अपने दाये हाथ से दबाया और सहलाने लगा और वही बाये हाथ से उसके सर को पकड कर अप्नी कमर को चलाते हुए मुह लण्ड पेलने लगा

फिर सरोजा रुकी और मुह से लण्ड निकाल कर खड़ी हूई और मैने झट से उसकी कमर मे हाथ डाल कर उसके होठ चुसने शुरु कर दिये ।

वो भी एक हाथ से मेरे लण्ड को भीचते हुए मेरे होठ चुस रही थी और वही मेरे हाथ उसकी गाड पर घुम रहे थे ।

फिर सरोजा ने मेरे होठ छोडे और मेरा लण्ड पकड कर खिच्ते हुए ऑफ़िस मे ही बने एक इनडोर कमरे मे ले गयी और झट से दरवाजा बन्द किया ।
अन्दर एक फुल किंग साइज़ बेड था और सारे सुविधाये भी जो एक घर के bedroom मे होती है ।

मै झट से सरोजा को पीछे से पकड कर लण्ड को उसकी गाड मे धसाते हुए उसकी चुचियॉ को मिजने लगा ।

सरोजा क्समसा कर - ओफ्फ्फ राआआज्ज्ज्ज उम्म्ंम्म्ं अह्ह्ज माआआ उम्म्ंम्म्ं
मै उसकी नंगी कमर मे हाथ डाल कर उसके गुदाज मुलायम पेट को मसलने लगा और नाभि मे ऊँगली करते हुए उसके गरदन को चूमने लगा ।

वही सरोजा मानो पागल सी होने लगी और अपनी गाड को मेरे लण्ड पर रगड़ते हुए सिस्किया ले रही थी ।

मै भो सरोजा के गाड का दीवाना था तो झट से सरोजा के बेड के पास झुका साडी को फटाक से उपर किया और अन्दर उसकी नंगी नंगी गोरी चमड़ी वाली मांसल जान्घो के उपर मरून पैंटी मे कैद फुटबाल कैसे गाड उफ्फ्फ

मैज झट से निचे बैठ कर अपना मुह पैंटी के उपर से ही सरोजा के गाड के दरार पर लगा कर नाक घुसाने लगा और दोनो हाथो को उसकी मुलायम गोरी जांघो पर फेरने लगा ।

सरोजा के चुत और उसकी रिस्ते रस की महक मेरे नकुरो तक आ रही थी । मैने मेरे हाथ उपर लाकर उसके चुतडो को फैलाते हुए निचे चुत के मुहाने से उपर तक होठ और नथुने को दरने लगा ।

सरोजा पागल सी होने लगी
मै झट से उसे घुमा कर बिस्तर पर धकेल दिया और साडी उठा कर उसकी पैंटी को एक झटके मे निकाल दिया ।

सरोजा आंखे बंद किये तेज सासे लेते हुए सिस्क रही थी

वही मेरी नजर उसकी झानटो से भरी चुत पर गयी जो चुत के रस से चिपक गयी गयी और काफी सारा माल फैला हुआ था

मैने एक बार थूक गटका और सरोजा की मोटी जांघो को खोला और एक बार अच्छे से नाक को चुत के करीब लाकर सूंघा और ल्पालप जीभ उसकी चुत पर चलाने लगा ।

सरोजा अकड सी गयी और अपनी जांघो से मेरे सर को जकड़ कर कमर झटक रही थी

सरोजा - ओह्ह्ह राज उम्म्ंम अह्ह्ह और चुसो उम्म्ंम अह्ह्ह मा

मै उसके चुत के झान्टो मे लगी उसकी रस को चुबला चुब्ला कर चाट रहा था और बीच बीच में उसकी गर्म तपती चुत मे जीभ घुसा कर चाट लेता जिससे सरोजा पागल सी हो जाती ।

आखिर कुछ ही पलो मे
सरोजा - आह्ह राज अब मत रुको प्लीज चोद दो मुझे अह्ह्ह प्लीज

मै झट से खड़ा हुआ और अपना मुह साफ कर एक नजर सरोजा की ओर देखा और पैंट निकाल दिया
फिर थोडा जगह बना कर लण्ड को उसकी चुत के मुहाने पर सेट किया ।

सरोजा इस वक़्त मेरे लण्ड को देख रही थी और वो बार बार मुझे हा मे इशारे कर लण्ड डालने को कह रही थी ।

मैने भी सुपाडे को एक बार अच्छे से उसकी पिचपिचाई चुत पर रगड़ा और गचाक से एक धक्के मे आधा लण्ड उसके चुत मे उतार दिया

सरोजा ने तुरंत मुह पर हाथ रख ली और चिख की दबा दिया और मैने वापस से धक्का मारा और इस बार आसानी से लण्ड उसकी चुत मे उतर गया ।

एक पल को मुझे थोडी उलझन सी हुई की अगर सरोजा काफी समय से चुदी नही है तो फिर इतनी आसानी से लण्ड कैसे चला गया

मैने उस बात को टाला और जोर जोर से धक्के उसकी चुत मे लगाने लगा
सरोजा कबसे से खुद को रोके हुए थी और मेरे शुरुवती धक्को से ही वो झड़ने लगी

उसने अपनी कमर को उचका कर अपनी चुत के दाने को सह्लाते हुए मेरे लण्ड को निचोडना शुरु कर दिया और झडने लगी ।

लेकिन मेरी तो अभी शुरुआत थी मैने बिस्तर पर जगह बना कर उपर चढा और पेल्ते हुए सरोजा के उपर झुका ,,, बदले मे सरोजा ने मुझे खिच कर अपने होठ से मेरे होठ को चूसने लगी और मैं भी उस्के होठ चुस्ते हुए उसकी साडी खोल कर ब्लाउज का एक एक बटन खोलने लगा ।

मै सारे बटन खोलने के बाद सरोजा के होठ छोड़ ब्रा के उपर से ही उसकी मोटी चुची को चाटने लगा ।

सरोज मेरे सर को अपनी चुचियॉ मे दबाने लगी और वही मै अपनी गति से उस्की चुत मे जगह बना रहा था ।

उसकी चुत भरने से लण्ड बहुत मजे से अन्दर बाहर हो रहा था
लेकिन अभी मै सरोजा की चुचियॉ के लिए पागल हो रहा था और मैने हाथ डाल कर ब्रा मे एक चुची के निप्प्ल को बाहर निकाला और सीधा मुह मे भर लिया

सरोजा सिस्क उठी और मेरे सर के बालो को नोचते हुए कमर पटकने लगी ।
वही मैं उसके निप्पल को मुह मे भरे अपनी जीभ से फ्लिक कर रहा था और उसकी घुंडी के चारो ओर जीभ को नचा कर सरोजा को और मस्त करने लगा ।

मुझसे फिर भी रहा नही जा रहा था मेरे धक्के थम गये थे और लण्ड सरोजा के चुत मे गहराई मे रुका हुआ अन्दर की फड़क रहा था

मै थोडा उपर हुआ और दुसरा चुची बाहर निकालना चाहा तो

सरोजा मदहोश आवाज मे बोली - आह्ह राज रुको ऐसे ,,,,आहहहह हा अब चुसो

चुकी सरोजा ने मॉर्डन ब्रा पहनी थी जिसका एक बड़ा हुक सामने ही लगा था जिसे खोलते ही उसकी चुचिया आजाद हो कर फैल गयी ।

मै ब्ड़ी ब्ड़ी आंखो से पागलो की तरह उसकी 38DD की मोटी काले घेरे वाली निप्प्ल वाली चुचिया बहुत ही कामुक लग रही थी ।

मै थूक गटक कर दोनो हाथो से उसकी चूचियो को समेटते हुए सामने लाया , उसके मूनन्के के दाने जैसे कड़े निप्प्ल सीधे तने थे ।

मैने बारी बारी से एक एक निप्प्ल को चुसना शुरु किया
मै बारी बारी से गार गार उसकी चूचिया चुस्ता

सरोजा - ओह्ह राज प्लीज चोदो ना रुक कयू गये

फिर मुझे ध्यान आया कि मेरा लण्ड तो रुका हुआ है ।
मैने वापस से अपने कमर को उसकी जांघो के बीच पटकना शुरु किया और कुछ ही ध्क्को मे मेरा लण्ड वापस से पुरा तन गया और मेरी स्पीड भी बढ़ गयी ।

मै थोडा खड़ा हुआ और सरोजा के एक पैर को अपने कन्धे पर रखा और सटासट लण्ड को उसकी चुत मे पेलता रहा
सरोजा - ओह्ह्ह राज बहुत मजा आ रहा है,,, सच मे जितना सोचा था उस्से कही ज्यादा मस्त हो तुम आह्ह मा और तेज उफ्फ्फ्फ

मै - हा सरोजा तुम भी बहुत मस्त हो बहुत मजा आ रहा है तुम्हे चोद्ने मे ,,,आज तक ऐसा माल नही मिला

सरोज इतरा कर - मै तुम्हे माल लगती हू हा अह्ह्ह इस्स्स्स्स उम्म्ंम्ं
मै जोर जोर के लम्बे शॉट लगाते हुए - तुम तो एक नं की चोदने लायाक माल ही तभी तो तुम्हारे लिए पागल था मै


सरोजा - अह्ह्ह हा मुझे पता था , और ना जाने तुम मे क्या था कि मै भी खीची चली आई

मै - ओह्ह्ह सरोजा अह्ह्ह बहुत मस्त चुत है ,, तुम्हारी चुचिया ,तुम्हारी गाड सब मस्त है जान ओह्ह्ह

सरोजा - तो पेलो ना पुरा जोर से अह्ह्ह हा और तेज्ज्ज अह्ह्ह अह्ह् मेरा फिर से होने वाला है अह्ह्ह माआआ

मै भी झडने के करीब था
मै - ओह्ह्व मै भी आऊंगा ,,,


आऊंगा क्या आ गया था मै ,,मै सरोजा से पहले ही उसकी चुत मे भल भला कर झड़ने लगा और सरोजा भी मेरे बाद झड़ने लगी


थोडी देर बाद मै निढ़ाल होकर उसका पैर छोड कर वैसे सी चुत मे लण्ड डाले सरोजा के उपर आ गया ।

हम दोनो की सांसे तेज थी और मै उसके दिल की तेज धडकनें सुन सकता था ।

मैने अपने हाथ से उसकी एक चूची को थामा और ऐसे ही लेता रहा

तभी मुझे मेरे मोबाईल की रिंग सुनाई दी और मुझे मम्मी का ध्यान आया

मै झट से उथा और फोन उठाया जो दीदी ने किया
मैने उसको 5मिंट मे आने का बोल कर वापस रख दिया

सरोजा भी उठ कर बैठ गयी थी ।
मेरे थोडे मुरझाए लण्ड से अभी भी हल्का हल्का मेरा और सरोजा का मिला जुला माल फर्श पर गिर रहा था ।
जिसे सरोजा से बेड पड़ी पैंटी से अच्छे से मसल कर साफ किया और एक किस्स किया

वो फिर से मुस्कुराई और खड़ी हुई
हम दोनो बिना कुछ बोले एक दुसरे को किस्स किये और मै कपडे पहनने लगा ।

सरोजा बेड पर वैसे ही बैठ गयी ,,,उसकी मोटी मोटी चुचिय वैसे ही खुली थी और साड़ी जांघो तक चढ़ी थी ,,,

मै ह्स कर - अरे कपडे नही पहनोगे क्या ,,,और सॉरी जल्दी मे मेरा अन्दर ही गिर गया

सरोजा मुस्कुराई और मुझे पकड कर मेरे पेट पर अपना सर रख कर हग कर ली

मै - अरे कुछ सोचा है क्या करोगी उसका
सरोजा - मेरे पास आई-पिल है राज मै ले लूंगी

मै चौका - है मतलब
सरोजा थोड़ी हड़बड़ाई और बोली - मतलब कॉमप्लेक्स मे मैडिकल है ना तो मै वहा से ले लूंगी

मै थोडा शांत हुआ लेकिन एक उलझन सी हुई सरोजा के जवाब से
इधर वापस सोनल मेरे पास फोन करने लगी ।


मै जल्दी से कपड़े पहने और बोला - मुझे जाना होगा ,,काफी समय हो गया है

सरोजा मेरा हाथ पकड कर खड़ी हुई - फिर कब आओगे

मै मुस्कुरा कर - जब तुम कहो मेरी जान
और उसके गाल चूम लेता हू

मै वापस जाने को हुआ तो बोली - ठीक है बिल अपने नाम से बनवाना

फिर मै उसको बाय बोलकर बाहर निकल गया ।
भाग कर मै मा के पास गया तो दीदी और निशा ने अपनी शॉपिंग कर ली थी और अनुज के लिए जुटे ले लिये थे। फिर मैने भी मेरे लिए एक सेट पैंट शर्त लिये ।

मै मा और चाची से - और आप लोग नही लोगे क्या कुछ

मा हस कर - अरे वो तेरे चाचा के यहा हम लोग लेंगे अपने लिये साड़िया

फिर मै
बिल करा कर पेमेंट दिया और फिर हम सब निकल गये चाचा के यहा
थोडी देर मे हम सब चाचा के यहा गये तो चाची हमे लिवा कर अंदर हाल मे ले गयी
फिर वही चाय नासता किया गया ।

वही थोडी देर के लिए मा और चाची दुकान मे साड़ियाँ देखने गयी और इधर मैं सोनल और निशा को लेके निशा के कमरे मे घुस गया और थोडा मुखमैथुन का आनंद लेने के बाद बाहर तो मा और चाची अभी भी दुकान मे ही थे।

मै - मा दोपहर के खाने का समय हो गया है और कितना समय लगेगा आपको ,, वहा पापा इन्तजार कर रहे होगे

मा मेरी बात का जवाब देती उससे पहले चाची बोली - बेटा चिन्ता ना कर , खाना यही बन जा रहा तुम सब खा लो और फिर मै तेरे पापा के लिए भी पैक कर दूँगी लेके चले जाना


मा को भी ये सुझाव सही लगा

फिर मै वही दुकान मे एक कुर्सी लेके बैठ गया
वही चाचा मा को साड़ियाँ दिखा रहे थे ।

मा - निशा की मा ,,ये सोनल की सास के लिए साडी अच्छी रहेगी ना

चाची - अब पता नही जीजी ,,मैने तो कभी देखा नही उनको
मा मेरे तरफ देख के - तू बता राज , ये साडी ठीक है अमन की मा के लिए

मै हस कर - अरे नही मा , वो साड़ी नही पहनती है

मा अचरज से - मतलब क्यू

मै चाचा के सामने थोडा झिझक रहा था - वो मा उनका शरीर कुछ ज्यादा ही लम्बा चौड़ा है तो वो सूट सलवार ही पहनती है

मा थोडा मुस्करा कर - ओह्ह्ह फिर भी एक ले लेती हू और देवर जी सुनिये


चाचा एक मुस्कान के साथ मा को देखते हुए बोले - हा भौजी बोलो ना

मा ह्स कर - जरा एक बढिया सूट का कपडा दिखा दिजीये वो भी दे देंगे ,,,क्यू निशा की मा


चाची - हा जीजी ये थिक रहेगा

फिर सारे समान की पैकिंग हुई और 2 बजे तक खाना तैयार हुआ तो राहुल अनुज को और मै पापा के लिए खाना लेके चले गये

फिर मै वापस आया और खाना खाने के बाद सारा समान लेके निकल गया सोनल और मा के साथ चौराहे पर


जारी रहेगी
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Tiger 786

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चाचा के यहा से वापिस आने के बाद हमने थोडा आराम किया फिर शाम को पापा आये तो उनके साथ थोड़ी बातचित हुई आगे की तैयारियो को लेके ।
रात मे खाना खाकर हम सो गये ।
दो दिन का समय बीता और सारी तैयारियाँ खतम हूई ।

उस दिन बडे सवेरे से घर मे खटपट शुरु थी खास कर मा की जो पापा को बार बार आवाज दे रही थी तैयार होने के लिए जबकि पापा कल रात मे व्यापार मंडल की एक देर रात तक हुई मिटिंग से थोडे थके थे हाल मे सोफे पर सो रहे थे ।
लेकिन मा की डाट सुन कर कि अभी थोडी देर मे चाची और निशा आने वाले है तो वो जल्दी जल्दी तैयार होने कमरे मे गये ।

मै भी 9 बजे तक तैयार होकर आ गया , हाल के चाची बैठी उनके बगल मे पापा , मा किचन मे थी और निशा शायद उपर गयी थी सोनल के पास

अनुज कही दिख नही रहा था
मै तैयार होकर बाहर आया और चाची को नमस्ते किया ।

मेरी नजर चाची पर गयी तो देखा की आज मा और चाची दोनो ने एक ही रंग की गाजरी साड़ी पहन रखी है और पैटर्न भी लगभग मिलता जुलता था ।
मै भी हाल मे बैठा था

यहा पापा और चाची आपस मे बाते कर रहे थे लेकिन पापा की नजर चाची की लो कट ब्लाउज मे उनकी घाटी की लकीर पर तो कभी उनकी चिकनी पतली कमर पर थी । जिसे चाची भी बखूबी समझ रही थी

मै एक बार अपना गला साफ करने के नाटक मे हुउह्हुहू किया और पापा मुझे देखे


पापा ह्स कर - तैयार हो गया बेटा
मै ह्स कर - हा पापा
मै - और चाची अकेली आई हो , निशा दीदी कहा है


चाची हस कर एक बार तिरछी नजर से पापा को देखा और बोली - हा बेटा वो उपर गयी है सोनल के पास

मै - पापा ई - रिक्शा कब तक आयेगा
पापा - बेटा वो तो आ जायेगा 10बजे तक

फिर मा किचन से आई और कुछ नासता किये हम लोग फिर सोनल भी तैयार होकर आई

वो एक ethnic मोर्डन प्लाजो कुर्ती पहने हुई थी जो बहुत ही सुन्दर लग रहा था उसपे ।
मा तो देखते ही पहले उसके पास गयी और नजर उतारा उसका और फिर हम थोडा बात किये फिर ये हुआ कि चारो लेडीज एक ई-रिक्से मे और मै अनुज पापा के साथ एक ई-रिकशे मे बैठ जाये ।

घर से निकलने से पहले ही पापा ने अमन के चाचा को फोन करके बता दिया की हम लोग 10 मिंट मे पहुच रहे है ।

सवा 10 बजे तक हम सब अमन के यहा पहुच गये ।
फिर सारे लोग उतरे और मेन गेट से अन्दर गये ।

दरवाजे पर ही अमन खड़ा था हो पहले पापा मम्मी के फिर चाची के पैर छुआ और फिर मुझसे हाथ मिलाया । फिर सबको अन्दर बोला
इधर पापा मम्मी चाची और मै अनुज के साथ आगे हुए की
निशा ने उसे हाय बोला और वो भी मुस्कुरा कर हाय जी बोला

तो सोनल उसके हाथ मे कोहनी मारते हुए बोली - हा उसी से मिल लो कर लो शादी मै जा रही हू

अमन दबी हुई आवाज मे सोनल के कान मे - अगर भागी तो सबके सामने उठा कर अन्दर ले जाऊंगा

सोनल थोडा सहम गई और मुस्कुरा कर चलने लगी ।
फिर हम सब अन्दर हाल मे गये ।


जहा अमन के पापा मुरारीलाल , उसकी मा ममता देवी और उसके चाचा मदनलाल खडे थे ।

मदनलाल ने अगुआई कर सबका एक दुसरे से परिचय करवाया और फिर सोनल और निशा ने उन तीनो के पैर छुए ।
फिर मैने और अनुज ने भी वहा उन सबके पैर छुए ।

फिर हाल मे एक एक बड़े सोफे पर एक तरफ पापा मम्मी और बीच मे सोनल बैठी , वही मा के बगल मे लगे हुए सोफे पर निशा चाची और अनुज बैठे ।
सामने एक तरफ अमन के चाचा पापा और अमन थे ।
अमन के बगल मे एक सिंगल सोफे पर उस्की मा बैठी थी ।
मै भी एक सिंगल सोफे पर बैठ गया ।

थोडी देर मे ही एक नौकर ट्रे मे पानी लेके आया
फिर हम सब ने चाय नाश्ता शुरु किया और फिर वही आपसी जानकारी को साझा किया जाना शुरु हुआ कि कौन क्या करता है , आगे क्या करना है ।

थोडी देर बाद अमन की मा बोली
जो एक अकसर अपने बदन को ढकने के लिए ढीले कपडे ही पहनती थी लेकिन आज उन्होने हल्के गुलाबी रंग की साडी पहनी थी और काफी खुबसुरत दिख रही थी ।
पापा मम्मी चाची सबने उनको काफी बार गौर से देखा तो वो थोडा हिचक रही थी अपने आप से, मानो हम उन्ही को देखने आये हो ।
वही अमन के पापा मुरारीलाल काफी शांत और खुशमिजाज इन्सान थे
हालकी उनका कद भी ठीकठाक था लेकिन अपने छोटे भाई मदनलाल की तुलना मे कम क्योकि मदनलाल आर्मी रिटायर था और शहर मे बैंक में जॉब भी करता था ।
ममता मेरी मा से - आओ बहन जी थोडा हम लोग अन्दर चलते है इनलोगो को बाते करने दिजीये

फिर सोनल की ओर देख कर - आओ बेटी तूम भी

फिर सोनल निशा को भी अपने साथ ले गयी तो चाची अकेले क्या करती मर्दो के बीच , तो वो भी निकल गयी अन्दर ।

फिर मै पापा के पास बैठ गया और थोड़ी शादी की तैयारियो लेके बाते हुई और तय हुआ कि एक दो दिन मे पांडित जी से बात कर सगाई के लिए कोई एक मुहूर्त इसी महिने के आखिर के दिनो तक करवा लिया जाय ।

उधर अमन के पिता की पूरी कोशिश थी कि सगाई वो अपने यहा ही करवाना चाहते थे लेकिन फिर काफी जद्दोजहद के बाद हुआ कि सगाई चमनपुरा के शिव मंदिर मे होगी और शादी हमारे नये घर से होगी ।


समय बीता और थोड़ी देर बाद पापा को पेसाब जाने की इच्छा हुई तो मदनलाल ने उन्हे हाल से लगे अन्दर एक तरफ भेज दिया और वो वापस आये तो मेरे चेहरे के भाव पढने लगे क्योकि इच्छा तो मेरी भी थी कि थोडा फ्रेश हो । चुकी अमन के पापा ने खातिरदारि भरपुर की थी और समय समय चाय नासता ठण्डई की सारी व्यवस्था की थी ।

मदनलाल हस कर - अरे राज बेटा तुम भी चले जाओ थोडा फ्रेश हो लो और छोटे भाई को भी लिवा लो

अनुज ने तुरंत मना कर दिया तो मै उठा और झट से उसी तरफ गया जहा पापा गये थे ।
अन्दर एक तरफ जाने के बाद पीछे एक तरफ 3 बाथरूम था जहा कही भी जा सकते थे तो मुझे एक दरवाजा खुला दिखा तो मै फटाक से दरवाजा खोल कर घुसा और तेज धार मारने लगा और फिर एक गहरी सास ली ।
फिर बाहर आया तो पापा बेसिन के पास मिल गये

पापा - बेटा तुझे जम रहा है ना ये रिश्ता
मै खुशी से - हा पापा , ये लोग बहुत अच्छे है और फिर दीदी भी तो यही करना चाहती है


पापा ने हाथ धुला और मैने भी फिर मैने एक दो नजर आस पास मारा और कमरे देखे , बगल से एक सीढि थी उपर जाने के लिए
घर बहुत ही अलिशान था बड़ा भी लेकिन अब तक इसमे कुल मिलाकर 4 लोग ही रहते थे और दो नौकर थे वो दोनो भी पति पत्नी थे और काफी समय से घर मे रहते थे तो मुरारीलाल उनको कभी बाहर का नही समझा ।

मै वापस हाल की ओर गुजर रहा था कि मुझे एक कमरे मे चहल पहल सुनाई दी , वो महिला मंडल की ही थी । भई शादी को लेके उनकी अपनी तैयारी होती है ।

खैर मै वापस आया और थोड़ी देर बात हुई। फिर शगुन का लेन देन हुआ और फिर दोपहर के खाने के बाद 2 बजे तक हम सब निकल गये वापस चौराहे पर ।
वापस आने के समय इस बार सोनल निशा मै और अनुज एक साथ थे । वही पापा मा और चाची के साथ थे । चुकी उनको जिज्ञासा थी की आखिर क्या बाते हुआई होगी अन्दर ।
मा के मुकाबले चाची ने साड़ी काफी बोल्ड तरीके से पहनी थी जिससे पापा का ध्यान बार बार चाची के मुलायम पेट और नाभि पर जा रहा था जो पल्लू की आड़ मे हवा से बार बार अपनी झलक दिखा रहा था ।

खैर हम 10 मिंट बाद आ गये अपने चौराहे वाले घर और फिर मा चाची को लेके अपने कमरे मे गयी , निशा और सोनल उपर गये । वही अनुज भी उपर चला गया ।
मै जानता था कि ये लोग क्यू भाग रहे है ।
महिला मंडल इसिलिए भाग रहा था कि वो लोग वहा वाशरूम नही यूज़ कर पाये थे क्योकि उसके लिए उनको मर्दो के सामने से मेन हाल के दुसरी तरफ जाना पडता था
वही अनुज रास्ते मे जीन्स पहनने की वजह से परेशान था ।
मै आराम से उतरा और अन्दर आया फिर अपने कमरे मे गया । और कपड़े बदलने लगा ।
उधर पापा ने तो आरामदायक कपड़े पहने थे तो उनको दिक्कत नही थी ।वो भी रिक्से वाले का हिसाब कर अन्दर आये ।

मै कपडे बदल कर हाल मे आया तो पापा के कमरे से मुझे कुछ हसने की आवाजे आ रही थी और ये हसी मा की ही थी ।

मै भी बड़ी उत्सुकता से कमरे मे घुसा तो देखा कि एक तरफ चाची शर्म से लाल हुई खड़ी है और पापा सोफे पर बैठ कर सर पर हाथ रख अपनी हसी दबा कर हस रहे है ।

मा सामने बेड पर हाथ मे तौलिया लिये हस्ते हुए बैठी थी । उसके भिगे चेहरे से साफ पता चल रहा था की अभी अभी वो फ्रेश होकर आई है ।

लेकिन माजरा कुछ समझ नही आ रहा था मुझे

मै हस के मा से - क्या हुआ मा आप लोग ऐसे क्यू हस रहे हो

मा हस कर पापा की ओर देखा और फिर चाची की ओर जहा चाची ना मे इशारा कर बताने से मना कर रही थी ।

मै ह्स कर - मा प्लीज बताओ ना क्या हुआ
मा - बेटा तेरे पापा ,,,,,हिहिहिहिहिही हाहहहहा

मै ह्स्ते हुए - अरे हिहिही बताओ तो प्लीज , पापा आप ही बताओ ना

पापा अपनी तरफ बात घूमता देख कर थोडा शांत हुए और एक नजर चाची से आंखे मिलाई तो चाची मुस्करा कर ना मे सर हिलाई तो पापा थोडा सोचते हुए बोले - वो वो कुछ नही बेटा वो बस ऐसे ही हसी मजाक हो रहा था ,, वो हम बड़ो के मतल्ब की है तू नही समझेगा

मै समझ गया कि पापा चाची की वजह से नही बोल रहे है
पापा इस झमेले मे फसना नही चाहते थे तो वो बोले - रागिनी मै दुकान जा रहा हू , शाम को आता हू ।

मा हस्ते हुए - हिहिहिहिह जाईये जाईये ,,

फिर पापा भी एक नजर चाची को देख कर निकल गये बाहर

मै हस कर - अरे अब तो बताओ कोई क्या बात है

मा ह्स कर - बेटा वो बात ये थी कि हम सब अमन के यहा से आये तो हम दोनो को पेसाब लगी थी
मा एक नजर चाची को देखती है जो इस वक़्त अपना माथा पीट रही होती है - ओहो रहने दो ना दीदी प्लीज

मा हस कर - अरे जब कांड कर लिया फिर क्या शर्माना हिहिहिही

मै हस कर अचरज से - काण्ड मतलब
मा हस कर - बेटा जब हम दोनो अन्दर आये तो तेरी चाची मेरे से पहले ही अन्दर बाथरूम मे चली गयी और जल्दी से बाहर आई और फिर मै भी जल्दी से अंदर घुस गयी ।

और फ्रेश होकर बाहर आती हू तो देखती हू कि तेरे पापा तेरी चाची को मुझे समझ कर पीछे से पकडे हुए थे और जैसे ही सामने मुझे देखा तो चौक गये । हिहिहिहिही


मै मा की बाते सुन कर चाची के सामने थोडा शर्माने का नाटक किया और बात को आगे ना बढ़ा कर वही पर खतम कर दिया क्योकि मुझे इसकी फुल डिटेलिंग मा से बाद मे लेनी थी ही ।

मै - अच्छा तो पापा ने गलती से चाची को मम्मी समझ लिया हिहिही ,,,अरे कोई बात नही हो जाता है और आज आप दोनो ने सेम रंग की साडी पहनी थी तो कोई भी उलझन मे आ सकता था ।

चाची मेरी समझदारि भरी बात से काफी प्रभावित थी और फिर हम तीनो हाल मे आये ।

मा हमारे लिए पानी लेने किचन मे गयी ।
चाची मुस्कुरा कर - हम्म्म अब तो तू काफी समझदार हो गया है रे ,,,
चाची मेरे करीब आकर कान मे फुसफुसा कर - अब तो नही जाता ना उस मुहल्ले मे

मै चाची की बाते सुन कर उस दिन की यादे ताजा कर ली जब मै रुबीना को चोद कर निकला था और रास्ते मे चाची ने देख लिया था और उस दिन मेरा लण्ड चूसा था ।
और फिर मै घर के कामो मे इतना उलझा की चाची से फिर दे मेलजोल करने का मौका ही नही मिला । वो यादे ताजा होते ही मेरे लण्ड को झटके आने शुरु हो गये और लोवर मे तनाव होने लगा ।

चाची की नजर भी एक बार मे उसपे गयी तो वो हसने लगी
मै शरमाने की अदा से - नही चाची आप मना की थी तो मै नही जाता हू वहा , लेकिन

फिर एक उम्मीद भरी मासूम नजरो से चाची को देखता हू कि चाची मेरे जज्बात समझ ले और फिर से मुझे अपने मुखमैथुन का मजा देदे तो मै खुशी से पागल ही हो जाऊ ।


चाची इतरा कर भौहे उठाते हुए - लेकिन क्या बेटा, तुझे कोई दिक्कत तो नही
और चाची ने अपना एक हाथ मेरे जांघ पर रख दिया जहा उंगलियो से महज कुछ इन्च पर मेरे लंड सुपाडा था ,,, अगर चाची अपनी छोटी वाली ऊँगली को स्ट्रेच भी करती तो भी मेरा सुपाडा छू सकती थी ।


चाची का हाथ जांघ पर पाते ही मै सिहर गया और कपकपी सी होने लगी , मेरी जुबान लड़खड़ा रही

अगर ये सब हम दोनो कही बंद कमरे मे करते तो मै हावी होता लेकिन यहा बाकी लोगो के हाल आने का डर था और सबसे ज्यादा अनुज के निचे आने का


मुझे उलझन मे देख चाची ने अपने नुकीले नाखून वाले पंजे से मेरी जांघो को कचोटा और बोली - क्या हुआ बेटा

मै सिस्क उठा और बोला - क क क कुछ कुछ नही ,कुछ नही चाची

चाची - तो तू इत्ना घबरा क्यू रहा है
मै इशारे से चाची का हाथ दिखाया तो चाची ने हाथ वापस खिचते हुए - ओह्ह सॉरी दर्द हो रहा था क्या बेटा


मै राहत ही सांस लेते हुए थोडा खुद को confortable करते हुए एक शरारती मुस्कान के साथ - नही चाची , वो आप मुझे छुई तो वो फिर से बड़ा होने लगा था ।


चाची शर्मा कर हसते हुए - धत्त बदमाश कही का , मै चाची हू तेरी कोई गर्लफ्रैंड थोडी की तुझे ऐसा मह्सूस करवाउन्गी हिहिहिही

मै चाची के करीब आकर - तो बन जाओ ना , मुझे इधर उधर भटकना नही पडेगा

चाची अपनी गोल म्टोल सुरमई आँखों से मेरे आंखो मे देखते हुए बडे शरारती मुस्कान से बोली- सॉरी , आई हैव ए बॉयफ्रेंड
फिर वो खिलखिला कर हस दी

मै अचरज से और ब्ड़ी मासुमिय्त से मुह गिराते हुए - हुउह्ह आपका कौन है बॉयफ्रेंड

चाची हस कर - तेरे चाचा और कौन हिहिहिही
मुझे भी हसी आ गयी - तो क्या हुआ एक छोटा वाला बॉयफ्रेंड रख लो ना हिहिहिही

चाची हस कर इतराते हुए - उम्म्ंम्म् लेकिन मेरा क्या फायदा , सारे बॉयफ्रेंड वाले मजे तू ले लेगा मुझसे मिलेगा


मै भी शरारती अंदाज मे - मै भी अपनी गर्लफ्रेंड को अपनी दुकान से समान फ्री मे दे दिया करूँगा हिहिही
चाची थोडा खुद को और इतराया और बोली - सोच ले बहुत मह्गे casmetic items यूज़ करती हू मै ,, बहुत घाटा होगा तेरा

मै हस कर धीरे से बोला - वैसे मह्गे item से याद आया एक न्यू डिज़ाइन मे बढिया ब्रा आई , चलना अभी दिखाता हू


चाची मुह पर हाथ रखकर हसने लगी और बोली - चुप बदमाश कही का
इधर मै आगे बात बढाता की मम्मी किचन से हमारे लिए संड़वीच लेके आई


मै खुशी से - अरे वाह मा तबसे आप ये बना रही थी अंदर
मा हस कर - हा तुझे क्या लगा ,,,जा सबको बुला खा ले सब कुछ


फिर मैने आवाज देके सबको निचे हाल मे बुलाया और सबने नासता किया ।
और शादी को लेके काफी चर्चाये हुई । घर मे सब कैसा है कौन कौन है क्या है कया नही है । आगे क्या क्या करना है सब कुछ

फिर शाम को चार बजे के करीब चाची ने घर जाने की इजाजत मागी । तो मै भी मा को बोला - मा मै भी चाची के साथ जा रहा हू , दुकान खोल लूंगा

मा - हा बेटा ठीक रहेगा ,,,

फिर मै एक नजर चाची को देखा और मुस्कुराया बदले मे चाची ने आंखे दिखा के हस दी

फिर हम तीनो एक ई-रिक्शा लेके निकल गये ।
दुकान के पहले ही रिक्शा से उतर कर आगे आये तो मै बोल पडा - चाची अब आई हो तो लेलो जो लेना है

निशा अचरज से - क्या लेना है मा
चाची फस गयी थी कि क्या बोले - वो बेटा मुझे कुछ सामान चाहिये वही देख लू फिर आती हू ,,तू घर चल

निशा थोड़ा उलझी लेकिन मा की बात थोड़ी ना टाल सकती थी और जब तक वो वापस कुछ पुछती हम दुकान की ओर बढ़ गये और उसे घर की ओर जाना पडा ।

मै दुकान का मेन शटर ना खोल के साइड का दरवाजा खोल कर चाची को अंदर ले गया और दरवाजा बन्द कर दिया

चाची - कितना अन्धेरा है बेटा
मै झट से लाईट जला दी और चाची के पास खड़ा हो गया

वो थोड़ा झिझ्की - खड़ा क्या है दुकान खोल और मुझे वो न्यू वाली ब्रा दिखा जिसकी बात कर रहा है

मै झट से झुका और चाची के होठ चुस लिये
चाची एक पल को चौक गयी और मुझे झटक दिये
मै पागल सा होकर लोवर मे से फटाक से अपना तनमनाया लंड बाहर निकाल दिया

चाची थोडा पीछे हुई और बोली - ये क्या कर रहा बेटा तू
मै थोड़ा परेशान होने के भाव मे - चाची बहुत दुख रहा है आज प्लीज छोटा कर दो इसे

चाची हस के - अच्छा तो तू इसिलिए ब्रा का बहाना बना कर यहा लिवा आया था

मै हा मे सर हिलाया और उन्के सामने लण्ड का टोपा बाहर निकाला जो पुरा बौराया हुआ था ।
चाची बडी कामुकता से उसे निहार रही थी ।
मै लपक कर आगे बढ़ा और चाची के होठो को वाप्स मुह मे भर लिया ।
मेरे हाथ चाची के बदन पर रेंगने लगे वो भी बहुत गरम होने लगी थी ।
मै धीरे से उनकी साडी का पिन निकाला तो उनका पल्लु सीना छोड जमीन पर गिर गया और मै झट से उन्के थोडा बगल मे आया और अपना लण्ड उनकी नंगी कमर के पास रगड़ते हुए हाथ को उनकी 36C की चुचियॉ पर फेरा
चाची सिहर गयी और हाथ मे लण्ड को जकड़ ली
मै उन्के कान के पास दाँत गडाने लगा और जीभ फिराने लगा । वो गनग्नाई और लण्ड पर पकड मजबूत कर ली ।

मै उन्के चुचे को ब्लाउज के उपर से ही मिजते हुए कहा - ओह्ह चाची कितनी कडक चुची है आपकी अह्ह्ह

चाची सिहर गयी
मै उन्के गरदन चूमते हुए दोनो हाथो से उनकी चुची मिजते हुए एक हाथ निचे उन्के चब्बी पेट पर ले गया और नाभि मे ऊँगली फिरायि ।

फिर वही उन्ग्ली उपर लाकर अपने मुह मे लेके गिला करते हुए लार से लिपटे ऊँगली को वापस चाची की नाभि मे घुसा दिया

चाची सिहर - ओह्ह्ह बेता मै पागल हो जाऊंगी अह्ह्ह

मै - आप बहुत सेक्सी हो चाची , मै बचपन से अपके जिस्म का दीवाना हू ओह्ह ये कड़े म्म्मे बहुत मस्त है आपके

चाची सिहर - ओह्ह बेटा ऐसे मिजेगा तो अह्ह्ह मा उह्ह्ह ढीले हो जायेंगे वो अह्ह्ह मा

मै चाची के गाल काटते हुए उनके ब्लाउज़ खोलने लगा - क्यू चाचा नही मिज्ते है क्या ऐसे

चाची सिहर कर - ओह्ह नही बेटा मै मै मै अह्ह्ह आह्ह आराम से बेटा उफ्फ्फ्फ
मै खुले ब्लाउज के अन्दर ब्रा के उपर से एक चुची मिजते हुए - बोलो ना चाची ,,चाचा से नही मिज्वाती हो क्या ऐसे

चाची हाफ्ती हुई - अह्ह्ह नही नही बेटा,, मिज्वती हू ना लेकिन तेल से , उससे मेरे दूध कड़े रहते है

मै चाची की बाते सुन कर मै और पागल हो गया और जोश मे आकर एक हाथ बगल से चाची की बाई तरफ ब्रा मे घुसेड़ कर निप्प्ल को मरोड दिया

चाची गनगना गयी
मै झट से उनको घुमाया और हलोर कर ब्रा से उसी चुची को निकाला कर मुह ल्गा दिया

चाची खुद को सम्भाल्ते हुए मेरे सर को पकड कर बालो मे हाथ फेरने हुए सिस्कने लगी
मै झुक कर उनकी निप्प्ल को चुस्ते हुए जीभ से निप्प्ल की टिप को कुरेदने लगा

चाची पागल सी होने लगी और एक हाथ निचे कर लण्ड के सिरे को पकड कर भीचने लगी ।

मै झट से चाची को उठा कर बगल के रखे दुकान के एल-टाइप काउंटर पर बिठा दिया और जल्दी जल्दी उनका ब्लाउज ब्रा निकाल कर उनकी कडक चुचियॉ मे मुह को दफन कर दिया

आह्ह क्या गर्म कड़ी चुचिया थी
मै बारी बारी से एक चुची को मिज्ते हुए एक को चूसा
और फिर चाची को वही काउंटर पर लिटा दिया ।
चाची बस सिस्के जा रही थी
मै झट से उनकी साडी को उपर कर जांघो को फैलाया और अन्दर झाका तो गुलाबी रंग की पैंटी दिखी जो चाची के रस से भीगी हुई थी ।

मै झुक कर सिधा नाक को उन्के चुत के मुहाने पर ले गया और एक गहरी सास लेते हुए अपने होठ उस तप्ते चुत पर गीली पैंटी के उपर से रख दिया

चाची तडप कर पागल सी हो गयी और मै उनकी जांघो को जकड़ कर वापस से पैंटी के उपर से उनकी चुत पर अपने होठ घिसने लगा

चाची अपनी कमर पटकते हुए - ओह्ह लल्ल्ला उह्ह्ह उफ्फ्फ अराआअम्म् से आह्ह

मै उनकी जान्घे थामे जीभ को ल्पालप पैंटी के उपर से चला रहा था और बहुत ही मादक और चिपछिपी सी रस मेरे जीभ को छू रही थी ।

मैने बिना पैंटी को निकाले वही एक साइड से चुत के पास कप्डे को फैला कर थोड़ा किनारे किया और जीभ को ल्पलप चाची के चुत पर चलाने ल्गा

चाची की चुत पर बाल का एक रोवा तक नही था ,, मेरी जीभ बहुत ही आसानी से चुत पर घूम रही थी । वही चाची की हालत खराब थी क्योकि बार बार मेरी जीभ उन्के दाने को छेड़ रही थी और नतिजन चाची ने अपनी गाड ऊचका दी और मेरे सर को चुत के मुहाने पर दबा दिया
ऐसा करने से मेरा जीभ मेरे मुह मे अन्दर आ गया और मेरे उपरी होठ सीधा उन्के चुत के दाने पर थे और निचला होठ चुत के निचे के सिरे पर

वही चाची पुरे जोश से पागल होकर मेरे बाल नोचते हुए अपनी गाड उठाए मेरे मुह को अपनी चुत पर दर रही थी और भलभला कर झड़ रही थी ।
चाची का दबाव इतना तेज था मेरे सर पर , कि मै चाह कर भी नही हिल सकता था और उनकी चुत का पानी पिचपिच कर मेरे होठ से लग कर निचे जा रहा था । ना मै उनको सुरक सकता था ना जीभ निकाल कर स्वाद ले सकता था ।
ज्यो ही चाची ढीली पडी मै खुद को अलग कर एक गहरि सास ली और फटाक से मुह चाची के चुत मे ल्गा कर ल्पालप सारा बिखरा हुआ माल चाटने ल्गा ।

चाची फिर से पागल होने लगी ।
मै मलाई साफ कर खड़ा हुआ और चाची को देख कर हसने लगा ।
वो एक नजर मुझे देखी और फिर मुह फेर कर हसने लगी ।

मै चाची को पकड कर खीचा और पैर काउंटर के निचे लटकाया तो वो समझ गयी और वो साम्ने बैठी गयी
एक बार फिर मैने उन्के होठ चूसे और बोला - अब थोडा रहम अपने नये नवेले बॉयफ्रेंड पर भी कर दो

चाची बड़ी मादकता भरी मुस्कान और नशीली आँखो से देखते हुए धीरे धीरे काउंटर से अपने चुतड सरकाकर निचे उतरने और निचे आते ही मेरे थोड़े शांत हुए लण्ड को छुआ तो एक बार फिर से उसमे जान आ गयी ।

मै आंखे बंद कर सिहर गया और वो मेरे चेहरे के भाव पढती हुई बड़ी मधोशी से अपने चेहरे पर कामुकता के भाव लाते हुए मेरे लण्ड को जड़ से लेके उपर तक मुठिया रही थी ।

और थोड़ी ही देर मे ग्प्प्पुउउउच्च्च
एक ठण्डा और मखमली सा अह्सास । उन्के मुह की ठन्डी लार मेरे तपते लण्ड पर ऐसे मह्सूस हो रही थी मानो गरम तवे पर पानी के छींटे गिरे हो।

मै और भी ज्यादा सख्त मह्सुस करने लगा अपने लण्ड को
मेरी एडिया अकड कर उठने लगी मेरे चुतड के पाट सख्त होने लगे सारी नसो का खुन एक साथ मेरे लण्ड मे भरने लगा ।
सुपाडे का रंग अब और गहरा होने ल्गा ,,,लण्ड की नस नस फड़क उठी आज तक इतना तना मह्सूस ही नही किया था मैने

चाची के नाखून के खरोच मेरे लण्ड की चमडी पर मानो चिर देन्गे
उन्होने हौले से मेरे आड़ो को , जो कि कस कर अखरोट से कड़े हो गये थे उनकी थैली सिकुड़ गयी थी , अपनी मुलायम उंगलियो से छुआ और एक नुकीले नाखून से लण्ड के नीचले हिससे को खरोचते हुए सुपाडे तक ले आई
और उसी लम्बे रेड पोलिश वाले नाखून से मेरे सुपाड़े को निचे से थामे हुए मेरे आंखो मे देख्ते हुए अपने मुह के पास ले गयी

मै थूक गटक गया और जैसे ही उसने अपने जीभ की टिप मेरे सुपाडे के छेद पर रखी मै अपना सारा सबर त्याग दिया
पिछ्ले 5 मिंट से जो जोर मैने मेरे लण्ड के नीचले नशो को दिया वो छुट चुका था ,,, मेरे लण्ड की नस जो मेरे अमृत रस से भरी पड़ी थी वो मेरे बनाये बन्धन को एक तेज सैलाब के साथ तोड़ दी और एक भारी पिचकारी नुमा फब्बारा मेरे सुपाडे ने छोडा ,,, सीधा चाची मे मुह पर

मै चिखा कुछ दर्द से तो कुछ राहत से, कुछ मजे से कुछ तृप्ति से
ओह्ह्ह्ह चाचीईईईई - 3
पुरे तीन बार मेरे लण्ड ने भी अपनी भाषा मे तेज धारा से चाची को पुचकारा और चाची पूरी तरह रस से डूब गयी
मानो रसमलाई की तिकीया पर कल्छुल भर मलाई गिराई गयी हो

सब कुछ टपक रहा था और मैने भी लण्ड को मुथियाते हुए थोड़ा आगे जाकर लण्ड को निचोड़ा और उन्के गाल पर लण्ड को 4 बार पटक कर झाडा

चाची हस रही थी और मलाई उन्के दाँत को और सफेद कर रही थी ।
मैने खुद झुक कर गालो से रिस्ते मलाई को एक उंगलि से समेटा और वापस मुह मे डाल दिया ।

वो कुल्फी की तरफ मेरे ऊँगली को चुस गयी
फिर बाकी बचे टपके हुए रस को खुद ही बटोर कर चटोर गयी ।

मै वही काउंटर का टेक लेके खड़ा हो गया , चाची भी वही निचे बैठ गयी
हमारी नजरे मिली और हसी भी छूटी

मै एक बार नजर उठा कर इशारा मे पूछा कैसा लगा
उसने अपने ऊँगली चुसकर बता दिया कि कैसा लगा और हम फिर हसे ।

मै - तो चाची बाकी का बचा काम पुरा करे हिहिही
चाची ह्स कर - कर लेना बेटा, आऊंगी कभी फिर न्यू ब्रा लेने तब हिहिहिहिही

मै झड़ने के बाद बहुत खुश और तृप्त था तो मै भी उसने सहमती जताई

फिर हम उपर गये और फ्रेश हुए फिर मैने उनको एक अच्छी ब्रा गिफ्ट दी एज ए न्यू बॉयफ्रेंड

फिर वो चली गयी और मैने भी अपना दुकान खोला और काम करने लगा


जारी रहेगी
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