• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

xforum

Welcome to xforum

Click anywhere to continue browsing...

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
7,892
22,281
189
हो जाइए तैयार
आगामी अपडेट्स के लिए

राज - अनुज और रागिनी
Hard-core threesome
बहुत जल्द

Gsxfg-IAX0-AAa-Jnh
(सिर्फ पनौती न लगे बस 😁)
 
Last edited:

Lib am

Well-Known Member
3,257
11,287
158
UPDATE 76



अब तक

सोनल - मतलब तू हमारे बारे कुछ गलत नही सोचता
मै मुस्कुराते हुए ना मे सर हिलाया

सोनल - तो मतलब हम इसके साथ कुछ भी करे तुझे कोई दिक्कत नही होगी


मै सोचने के भाव मे आ गया और कभी सोनल की कातिल मुस्कान के साथ इतराते चेहरे को देखता तो कभी निशा के शर्मा से नजरे चुरा कर मुस्कुराते हसिन चेहरे को
कभी एक पल को निशा की गुलाबी निप्प्ल वाली चुची को देखकर उसके मुलायम स्पर्श पाने को सिहर उठता तो एक सोनल के मोटी डार्क निप्पल वाली चुची को हथेली मे भर के मिजने का मन करता
आगे ना जाने ये सोनल की शरारत क्या गुल खिलाने वाली थी और क्या कुछ बदलने वाला था हमारी जिन्दगी मे


अब आगे
मै हैरत भरे भाव मे दोनो को देखकर एक छिपी मुस्कान के साथ - हा हा दीदी ,,मुझे क्या दिक्कत हो

तभी सोनल ने हाथ आगे करके मेरा खड़ा लण्ड को मुठ्ठि मे भर लिया और यहा मेरी सासे उपर निचे होने लगी और लण्ड मे कसाव बढ़ने के साथ दीदी के गर्म मुलायम हाथ के स्पर्श से मेरे नशो मे एक बिजली सी दौड़ गयी और मै एक गहरी सास लेते हुए सिहर गया ।

वही निशा शॉक से अपने मुह पद हाथ रख ली की सोनल ने क्या कर दिया एक बहन ने अपने ही भाई का लण्ड पकडे हुए है
निशा हैरत के भाव मे - दीदी ये आ आप क क क्या कर रही है ?????

सोनल - नही निशा आज मुझे परख लेने दे कि इसका इसके अरमानो पर कितना नियन्त्रण है

निशा झिझकर - क्या दीदी जाने दो ना हो जाता है ये सब ,,, ये सब नेचुरल है होना ,,

सोनल अब निशा को लपेटते हुए - क्या कहना चाहती है तू निशा ,,, तूझे भी सेक्स भावना आ रही है क्या इसका खड़ा हुआ देख कर

अब निशा के पास कोई जवाब नही था वो बिच मे बोल के फस गयी थी

निशा शर्मा कर थोडा ह्स्ते हुए - ये क्या कह रही हो दीदी भाई है वो मेरा मुझे क्यू आयेगी ऐसी भावना

सोनल गुस्से का भाव लाके - मुझे तो लग रहा है कि तू भी इसके जैसी ही है तभी ऐसी बाते कर रही है

इतना बोल कर वो निशा हाथ पकड कर उसको निचे घूटनो के बल मेरे लण्ड के सामने बिठा दिया

निशा जिज्ञासा भरे भाव सोनल को नजरे उपर कर देखते हुए पुछती है - ये कया कर रही हो दीदी

सोनल - मुझे तेरा भी नियंत्रण चेक करना पडेगा ,,,मुझे तो तेरी खुद की नियत नही ठीक लग रही है

निशा हस्ते हुए - क्या दीदी आप क्या बोले जा रही हो

तभी सोनल मेरे पीछे खडे होके अपना हाथ आगे लाके मेरे लण्ड निचे से सुपाडे तक हाथ फिराया जिससे मै हिल गया वही दीदी की नंगी चुचियो के नुकीले मेरे पिठ पर चुबने लगे जिससे मेरा पुरा बदन गनगना गया

वही सोनल वापस मेरे चमडी को सुपाडे से निचे खिच के निशा को बोलती है - ध्यान से देख निशा ,,,और बता एक बहन की नजर से तुझे क्या महसूस हो रहा है

निशा ह्स्ते हुए - धत्त दीदी , मुझे शर्म आ रही है

सोनल - मतलब मौका मिले तो तू बहक जायेगी अपने भाई के साथ ही हा

निशा थोडा सिरिअस होके अपने कामुज भावनाओ को छिपाते हुए के - क्या दीदी ये क्या कह रही हो मुझे इसको देख के क्या इसको छू भी लू तो भी मुझे कुछ नही होगा ,,,जैसे आपको नही हो रहा है असर वैसे मुझे भी नही होगा

सोनल - हमम ठीक है फिर पकड
मै चौक के - दीदी !!!!

सोनल - तू चुप रह , निशा तू पकड इसको
निशा सोनल के डांट से सहम गयी और हाथ बढ़ा कर मेरे लण्ड को सहलाने लगी ।
अब मेरे बदन मे अलग ही जोर पड़ रहा था ,,काफी समय से एक जगह खडे होने से मेरे पैर कापने लगे थे और वही निशा बड़ी मादकता से मेरे लण्ड को मुठ्ठि मे कस कर सहला रही थी ।

वही मै अपने पैर ठीक करने के लिए थोडा हिलदुल कर आगे बढ़ा और निशा के चेहरे के पास तक गया । धीरे धीरे कमरे का माहौल बेहद कामूक होने लगा ,,,और सोनल भी पीछे से अपनी चुचिया मेरे पिठ पर घिसते हुए सामने हाथ लाकर मेरे पेड़ू वाले हिस्से को सहला रही थी और उसका चेहरा मेरे कन्धे पर बहुत हल्की मादक आहे भर रहा था ,,,वही निशा भी मेरे लण्ड के स्पर्श के खो गयी ,,, और धिरे धीरे उसने अपने भाव चेहरे पर लाने शुरु कर दिये

मौका देख के मैने अपनी गाड़ के पाटो को सख्त करते हुए लण्ड को और भी तीखा कर निशा के बालो पर हाथ रखा और लण्ड की तरफ बहुत हल्का सा जोर लगाया और मदहोश निशा ने मुह खोल के धीरे से लण्ड को आधा मुह मे भर कर धीरे धीरे चूसना शुरु कर दिया
समय देख कर सोनल मेरे पीछे से हट मेरे बगल मे आई और मै उसके कमर मे हाथ डाल कर अपने करीब करता हुआ उसके होठो को चुस लेता हू
वही इनसब से अंजान निशा , मादकता से भरके बड़ी ही कामुकता से आंखे बन्द किये मेरे लण्ड को बहुत बहुत अन्दर बाहर कर रही थी । जिससे उसके होठो का मुलायाम स्पर्श मुझे झकझोर दे रहा था
वही सोनल ने धिरे से अपना हाथ बढ़ा कर निशा के बालो मे उसके सर पर हल्का जोर देते हुए और ज्यादा लण्ड मुह मे भरने के लिए दबाती है । जिससे मुह मे लण्ड भरे निशा नजरे उपर कर सोनल को देखती है और सोनल मुस्कुरा कर उसे इत्मीनान होने का इशारा कर उसके बालो मे हाथ फेरती है ।

जिससे लण्ड के नशे मे धुत निशा वापस मेरे लण्ड को वैसे ही मादक भरे अंदाज मे धीरे धीरे चूसने लगती है ।
यहा मै सोनल की एक चुची को पकड कर मिजते हुए उसके होठ चुसना शुरु कर देता हू जिस्से सोनल तडप उठती है और मेरे होठो को अपने होठो से चुस्ते हुए खीचने लगती है
वही मेरा दुसरा हाथ सोनल की गाड़ को सहला रहा था
इधर मै और सोनल मस्त थे तभी मुझे आभास हुआ की निशा ने मेरे लण्ड को चूसना बन्द कर दिया और तभी मुझे मेरे और सोनल के चेहरे के बिच एक और चेहरा घुसते हुए मह्सुस होता है और तभी आंखे खुलती है मेरी और देखता हूं निशा भी मेरे होठो को चूसने के फिराक मे झपट रही थी

तो सोनल खुद अलग होके निशा को मौका देती है और मौका मिलते ही निशा मुझ पर झपट पड़ती है और मै भी उसकी कमर मे हाथ डाल कर उसके अपनी तरफ खीच के उसके होठो को चुस्ने लगता हू और हाथ निचे ले जाकर उसकी लोवर मे हाथ घुसा कर उसके गाड़ के मुलायम पात को फैलाते हुए मिजने लगा जिस्से निशा और भी उत्तेजित होकर मेरे होठो को चुस्ने लगी ।
इधर दीदी ने निचे जा चुकी थी और लण्ड को मुह मे भर कर पुरे हवसी ढंग से लण्ड की चमडी को खिच के सुपाडे को सुरकते हुए लण्ड को गले तक उतार रही थी ।

इधर मै अपना सारा सिहरन और उत्तेजना निशा की मुलायम गाड़ पर उतार रहा था और धीरे धीरे उसका लोवर और पैंटी जांघो तक कर उसके गाड़ के सुराख को छेड़ने लगा जिससे तडप कर निशा मेरे होठो को छोड कर मेरे कंधो को थामे सिसकियाँ लेने लगी और मौका देख कर मैं झुककर उस्की गुलाबी निप्प्ल वाली चुची को मुह मे भर लिया जिससे निशा और भी तडप उठी

निशा - अह्ह्ह मा बचाओ दीदी अह्ह्ह उफ्फ्फ अह्ह्ह सीई उम्म्ंम्ं अह्ह्ह भाई धीरे उह्ह्ह
मै बिना कुछ बोले निशा की गाड़ कुदेरते हुए उसकी चुचिया पिए जा रहा था
इधर सोनल के लगातर हवसी ढंग से लण्ड चूसने से मेरे पैर मेरा साथ नही दे रहे थे तो मै निशा को छोडा और सोनल का सर पीछे कर उसके मुह से लण्ड निकाला और खसक कर पास के दीवाल का टेक ल्गा लिया और इसिबिच मदहोश हुई निशा ने झट से अपनी पैंटी और लोवर को निकाल दिया और वापस से मुझ पर झपट पड़ती है और इस बार सामने से अपनी नंगी चुत को मेरे लण्ड के सुपाडे पर घुमाते हुए अपनी जीभ मेरे मुह मे घुमाती है जिससे मै उतेजीत होकर उस्की एक टाँग उठा के कमर तक रख के उसके होठ चुसते हुए और उसकी कमर मे हाथ डाले उसके चुत के निचे हिस्से मे लण्ड को रगड़ कर पीछे गाड़ तक ले जाता

वही मौका पाकर सोनल वापस नीचे बैठ के अपनी जीभ निकाल के मेरे आड़ो को चूसने लगी और
अपनी जीभ मेरे लण्ड के निचले नशो पर फेरते हुए चाटने लगी ,,,कभी कभी मेरे लण्ड के सुपाडे को चाटते चाटते उसकी जीभ निशा की गाड़ के सुराख को छू जाती जिससे निशा मुझे और कस कर दबोच लेती ।

जल्द ही निशा के कूल्हो मे दर्द उठने लगा और वो अपना पैर निचे कर दी और मैने उसको घुमा कर पीछे से पकड़ते हुए उसकी चुचीयो को मिजना शुरु कर दिया और कसमसाने लगी

और फिर मैने झुक कर अपना लण्ड पीछे से उसकी गाड़ के निचे और जांघो के बिच से सामने चुत से लकीर पर निकाला और उसको खुद से चिपका कर उसकी चूचियो को नोचते हुए उसके कंधे को चूमने ल्गा

निशा दर्द और लण्ड के स्पर्श से सिहर गयी और वही सोनल मेरे सुपाडे को निशा की चुत के निचे निकला पाकर फौरन गदरन आगे कर अपनी जीभ निकाल कर मेरे सुपाडे पर जीभ घुमाने लगी और उसको मुह मे भरने की कोसीस मे सोनल के होठ निशा के चुत के दाने को छूने लगे जिससे निशा अपनी कमर उचका देती

इधर जैसे ही सोनल के जीभ निशा के दानो पर पड़े तो निशा हिछूक के - अह्ह्ह दीदी उम्म्ं उफ्फ्फ्च भाई आराम से नोच क्यू रहे है देखो लाल हो गया है उम्म्ंम्म्ं हा ऐसे करो ना उफ्फ्फ अह्ह्ह दीदी क्या कर रही हो उफ्फ्फ

मैने नजर निचे की देखा सोनल मेरे लंड को पकड उसे निचे झुका दिया है और अपने होठो मे निशा की झान्तो से भरी चुत को दबा कर चुबला रही है और साथ मे मेरे लण्ड की चमडी को आगे पीछे कर रही है ।

मुझे समझ नही आ रहा था कि सोनल और निशा के साथ सेक्स इतना अतभुत होगा
जल्दी ही निशा का बदन कापने लगा और वो अपनी पैर के उंगलियो के बल खड़ी होकर अपनी चुत सोनल के मुह पर रगड़ने लगी और सोनल भी मेरे लण्ड को छोड कर निशा की जांघो को थामे पुरा जोर लगा के उसकी चुत को चुस रही थी

निशा ने एक हाथ मेरे कंधो मे डाला और दुसरे हाथ से सोनल के बाल खीचते हुए कापने लगी - अह्ह्ह्ह दीदी अह्ह्ह उह्ह्ह मा उफ्फ़फ्फ आह्ह आह्ह और और रुकना मत मत भाई पकडे रहो मुझे आह्ह आह्ह
मै खुश होकर निशा को उसकी कमर मे हाथ डाल कर अच्छे से सम्भालते हुए उसकी चुचियो के निप्प्ल पर हल्के हाथो से अपने हथेली के खुरडरे स्पर्श से छुता हू जिस्से निशा और उतेजीत हो जाती है और कापते पैरो के साथ अपनी कमर उचकाने लगती है

निशा - ओ माय गॉड दीदी अह्ह्ह आह्ह ओ गॉड ओ मम्मी अह्ह्ज मा उफ्फ्फ अह्ह्ह आह्ह और और और हा हा ऐसे चुसो दीदी ओ मां अह्ह्ह निकाल दो ना उह्ह्ह्ह अह्ह्ह
निशा अपनी जांघो के दर्द और नशो मे उठी उसके कामरस के प्रवाह से मेरे बाहो मे शिथिल पड़ गयी और जल्द ही उसकी कमर ने झटका देना छोड दिया
वही सोनल ने निशा की चुत साफ करते हुए खड़ी हुई तो मै उसको अपनी तरफ खिच कर उसके होठ और जीभ चुसने लगता हू ,,मुझे भी निशा की चुत की भीनी खुशबू और स्वाद की थोडी बहुत अनुभूति हो जाती है ।
वही निशा धीरे धीरे मेरे बाहो से सरक से दीवाल का टेक लेके फरश पर पाव पसारे बैठ जाती है ।
और मै सोनल के जिस्मो को मलने लगता हू ।
और उसको घुमा कर पीछे से पकडते हुए उसकी मोटी चुचियो को मिजते हुए उसके डार्क निप्प्ल को मरोडने लगता हू वही सोनल अप्नी गाड़ मेरे खड़ा लण्ड पर रगड़ने लगती है और मै भी अपने हाथ आगे ले जाकर उसकी चुत को लोवर मे हाथ डाले सहलाने लगा जिससे सोनल और ज्यादा मचलने लगती है ।

मै उसको छोड कर झट से निचे बैठ कर उसका लोवर और पैंटी निचे कर देता हू और उसको दीवाल की तरफ झुकाते हुए अपना मुह सोनल की गाड़ मे लगा देता हू

सोनल अपने एड़ियो को उचका कर अपने गाड़ के पाटो को सख्त कर लेती है और मै उस्क्क जान्घो पर अपने चेहरा घुमाता हू और जल्द ही वापस सोनल अपने गाड़ को ढिला कर देती है ।
इस बार मै दोनो हाथो से सोनल के मुलायाम गुलगले गाड़ के पाटो को फैला कर अपनी जीभ को नुकिला कर सिधा उसके सुराख को छूने लगता हू जिस्से सोनल और अकड जाती है और अपने जांघो को और खोलकर चुतड को मेरे नथनो पे रगड़ने लगती है ।
मै अब लपालप जीभ घुमाते हुए उस्के गाड़ के सास लेते छेद पर जीभ चलाते हुए उसकी चुत के रिस्ते निचले हिस्से को चाटने लगता हू और अपनी चुत के नीचले हिस्सो पर मेरे जीभ का स्पर्श पाकर सोनल अपनी गाड़ उचका अपनी जांघो को और ज्यदा खोल देती है जिससे मेरे जीभ उसकी गर्म चुत मे घुस जाती है और सोनल गनगना जाती है ।

मै वापस खड़ा होके सोनल के कान मे बोलता हू - दीदी चलो ना 69 करते है

सोनल एक मादक भरे मुस्कान मे सिहर का हा मे गरदन हिला देती है और मै खुशी से उसके गाड़ के पाट को सहला कर फर्श पर लोट जात हू और सोनल अपनी गाड़ मेरे मुह पे रखते हुए 69 की पोजीशन मे आ जाती है ।

मै एक गहरी सास के साथ सोनल की चुत और गाड़ की मादक खुस्बु लेके उसके कूल्हो को थामते हूए गरदन उठा कर अपनी जीभ को सोनल के चुत पर चलाना शुरु कर दिया और वही सोनल मे मेरे लण्ड के चमडी को खिचते हुए अपनी अंदाज मे लण्ड को किसी रन्दी के जैसे चूसने लगी ।

मै लगातार अप्नी जीभ सोनल के चुत औए गाड़ के सुराख पर चलाता और कभी कभी ज्यादा गरदन उचि कर अप्नी जीभ उसकी गरम रिसती चुत मे घुसा कर अन्दर का माल चाट लेता । ऐसा करते समय सोनल अप्नी चुत मेरे मुह और दर देती थी और लण्ड को गले तक ले जाती है जल्द ही मेरा लण्ड उसकी लार से भीग गया और मुझे पुरा मन होने ल्गा की दीदी की चुत मे अब लण्ड उतार दू उस्के लिये मै लगातार जीभ से सोनल के बुर की खुदाई किये जा रहा था और तभी सोनल ने मेरे मुह पर बैठ कर अच्छे से चुत के दाने को रगड़ते हुए अपनी कमर झटका कर सीसक्ने लगी और जल्द ही मेरे मुह मे उस्का माल टपकने ल्गा ।


तभी मुझे अपने जांघो के पास एक गरमी सी मह्सूस हुई और सोनल की खुसफुसाहत भी और मै देखने के लिये आगे गरदन ऊचा किया तो सामने निशा खड़ी दिखी कुछ बोलता तब तक वो मेरा लण्ड अपने हाथ मे पकडते हुए अपनी चुत पर सेट कर अपनी गाड़ पे बल दते हुए मेरे लण्ड को अपनी सुखी चुत मे उतार लिया और मेरी चमडी खिचती हुई दर्द भरी आहहह मुझे देते गयी और मै तडप उठा ,,,वही निशा के आखो से आसू छलक प्डे

निशा दर्द से मेरे खडे लण्ड पर जोश मे बैठ तो गयी थी लेकिन उसके कुल्हे और जान्घे दर्द से उभर गये और वो दर्द भरे चेहरे से बोली - आअह्ह्झ मा दीदीईई बहुत दर्द हो रहा है उफ्फ्फ

इधर सोनल झट से मेरे मुह पर से उठी और निशा के बगल मे बैथ के उसकी कमर के नीचले हिस्सो को सहलाने लगी ।
वही निशा मेरे पेट पे हाथ रखे अपनी गाड़ उचका कर धीरे धीरे मेरे लण्ड को दर्द की वजह से छोडना चाह रही थी

सोनल निशा को दुलारते हुए - ब्स ब्स निशा अब नही होगा दर्द,रुक जा बाहर मत निकल

निशा दर्द भरी आवाज मे आसू छलकाती हुई - बहुत जलन हो रहा है दीदी अह्ह्ह

सोनल उसकी पिठ और कमर को सहलाते हुए - धीरे धीरे निचे जाओ निशा कुछ नही होगा ,,, हा आराम से बिल्कुल

इधर निशा सोनल के कहे अनुसार वापस से मेरे लण्ड पर बैठते हुए अपनी चुत मे उसे निगलने लगी और जब जड तक मेरे लण्ड को ले लिया तो एक गहरी सास लेते हुए खुद के आसू साफ करते हुए हसने लगी ।

सोनल उसके आसूओ से भिगे गाल काटते हुए बोली - देखा कुछ नही हुआ

निशा शर्मा रही थी और सोनल के होठो को चूमते हुए बोली - थैंक यू दिदी ,,,अब क्या करु

सोनल ह्स कर -अब धीरे धीरे उपर निचे करके अपने ये गाड़ हिला ,,,सोनल निशा के गाड़ को सहलाते हुए बोली

निशा ह्स्ते हुए अपनी गाड़ को हल्का हल्का हिलाना शुरु किया - अह्ह्ह दीदी उम्म्ं गुदगुड़ी हो रही है अन्दर अह्ह्ह उम्म्ंम

सोनल - अब आया ना मज़ा हीही

वही निशा झुक के मेरे उपर लेट गयी और मेरे होठ चुस्ते हुए बोली - आई लव यू राज
मै उसके गाड़ को सहलाते हुए अपनी कमर उचका कर उसके चुत मे लण्ड को पेलेते हुए कहा -आई लव यू टू दीदी

और धीरे धीरे मैने उस्की कमर को थामे स्पीड बढ़ाते हुए सटासट पेलना शुर कर दिया और जल्द ही उसकी चुत ने मेरे लिये जगह बना ली और उसको मजा आने लगा ,,,वही सोनल बैठी हुई कभी मेरे आड़ो को सहलाती तो कभी सोनल के गाड़ के सुराख को चाटती

कुछ समय की जोरदार कसी हुई चुत मे चोदने और पहले भी लण्ड चुस्वाने से जल्द ही मै झड़ने के करीब था
मै जल्दी से खुद को रोका और निशा को उतार दिया

फिर खड़ा होकर मै अपना लण्ड हिलाते हुए बोला दीदी मेरा आने वला है

मेरे झड़ने की बात सुन के दोनो जल्दी जल्दी मेरे कदमो मे आई और जीभ निकाल कर मेरे पिचकारी का इन्तजार करने लगी

मैने भी अपनी एड़ियो को उचका के अपने गाड़ के पाट को सख्त किया और लण्ड के सुपाडे के नीचली नश को आखिरी सास तक रोकते हुए एक लम्बी आह के साथ वीर्य से भरी ब्ड़ी पिचकारी सोनल के मुह पर छोड दी और दुसरी धार के लिये निशा ने अपना मुह आगे किया और मैने अपना लन्द उसके जीभ पर रख कर हिलाया सारा माल उसकी मुह मे भर दिया और बाकी का माल सोनल ने लण्ड को मुह मे भर कर निचोड लिया । फिर एक दुसरे के होठो को चुसते हुए माल की हेरा फेरि करते हुए हसने लगी ।
मै थक कर दीवाल का टेक लगाते हुए बैठ गया और उनकी हसी मे शामिल हो गया ।


जारी रहेगी
Read and review
Keep supporting and loving
Thanks
बहुत ही कामुक अपडेट। निशा का नंबर भी लग गया। कहनिनके शीर्षक से ये लगता है कि कही अंत में लेखक महोदय ये ना लिख दे कि ये सब बस राज का एक सपना था। तब शायद अच्छा ना लगे। इसी तरह कहानी को आगे बढ़ाते रहिये DREAMBOY40 भाई
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,022
173
UPDATE 74




पापा और विमला की अनुपस्थिति मुझे खलने लगी और मुझे इस बात की धक-धक होने लगी कि कही मेरा ठरकी बाप और वो आवारा औरत मिल कर निचे अपनी अलग होली तो नही ना मना रहे हैं ।

इतने में निशा वापस मेरे पास आई और मुझे सोच मे डूबा देख मेरे कन्धे थपथपा कर बोली - कहा खो गया तू , देख गाना बंद हो गया

मै घबडाहट भरे लहजे मे - अब ब ब वो हा रुको मै देखता हू आओ

फिर वापस मै और निशा के साथ डीजे के पास गया और फिर से एक भोजपुरी होली वाला प्लेलिस्ट का गाना चला दिया

मै निशा से- दीदी आपने पापा को देखा क्या

निशा - अरे वो तो विमला आंटी का चेहरा धुलवाने निचे गये है , यहा वाले बाथरुम मे तुम गये न
मै नोर्मली - ओहहह ये बात

फिर मै जेब से अपना मोबाईल निकाला और उसे देखते हुए कहा- ओहो ये चंदू भी ना

निशा - क्या हुआ राज
मै परेशान होने के भाव मे - ये कबसे फोन करके मुझे बुला रहा और यहा कैसे बात करू

निशा - अरे बुधु निचे चले जाओ ना हिहिहिही

मै हस कर - हा सही कह रही हो रुको मै अभी बात करके आता हू ।
फिर मै झट से सीढी से निचे गया और हाल मे उतरा, उपर के डीजे के गाने की आवाज निचे खाली कमरो मे गूंज रही थी लेकिन फिर भी एक सन्नाटा सा पसरा था ।

मै भी बडे आराम से आस पास नजर घुमाई और सोचा आखिर पापा विम्ला को लिवा कर गये तो कहा गये होगे । तभी मेरी नजर सीढी से लगे बेडरूम के हलके खुले दरवाजे पर गयी और मै दबे पाव उसकी तरफ गया और दरवाजे के महीन गैप से अपनी आँखो के फोकस को बढ़ाते हुए आँखो को छोटा कर कमरे मे बिना कोई हलचल किये देखना चाहा लेकिन कुछ नजर नही आया और बाहर से कोई खिडकी भी नही थी तो मैने वही फर्श पर बैठ कर बहुत हल्के हल्के स्लो मोशन मे दरवाजे के निचले हिस्से पर जोर लगाया और थोडा सा गरदन जाने जितना खोला और अन्दर झाका तो कोई कही नजर नही आया तो मै खड़ा होकर बहुत हौले से दरवाजा खोल कर अन्दर गया तो बाथरूम का दरवाजा आधा ही खुला था और मेरी दिल की धड़कन तेज होने लगी क्योकि कमरे मे घुसते ही थरूम से कुछ कसमसाहट भरी सिस्किया आ रही थी ।

मुझे घबडाहट मे भी एक अलग ही उत्तेजना का अनुभव होने ल्गा और अपने ठरकी बाप की कामयाबी पर हसी भी आई
फिर मै दबे पाव बाथरूम की दीवाल तक गया और मुझे यहा से अन्दर झाक्ना रिस्की लग रहा था पर मै देखना चाह रहा था कि क्या नजारा हो सकता है अन्दर का
तभी मेरे दिमाग मे एक आइडिया आया और मै खुश हूआ फिर मैने जेब से मोबाइल निकाल कर बैक कैमरा खोलकर फ्लैश लाईट ऑफ कर रिकॉर्डिंग चालू कर दिया और धीरे धीरे बाथरूम के दरवाजे के बने गेट से आगे बढ़ाते हुए मोबाइल का उतना ही हिस्सा आगे ले गया जिससे कैमरा अन्दर की रिकॉर्डिंग अच्छे से कर पाये ।

कुछ एक आध मिंट की रिकॉर्डिंग के बाद मैने वापस मोबाइल लिया और वही खडे खडे मोबाइल का वेल्यूम म्यूट कर वीडियो प्ले किया तो ऐसा सीन आया कि मै थूक गटकने लगा

अन्दर बाथरूम मे विमला वेसिन थामे खड़ी थी और पापा उसके पीछे बैठ कर उसकी लेगी और पैंटी को जांघो तक लाये हुए उसकी गाड़ मे मुह गाड़े हुए थे और विमला अप्नी गाड़ उचका कर पापा के नथुने पर अपने छेद रगड़वा कर सीसक रही थी ।
मै वीडियो देख ही रहा था कि विमला की आवाज बाथरुम से आई

विमला सिस्क्ते हुए लहजे मे - उम्म्ंम सीई आह्ह ब्स करिये भाईसहाब हमे अब चलना चाहिये काफी समय आह्ह हो गया है उफ्फ्फ आह्ह

पापा - अब ब हा हा ठीक कह रही है आप बहन जी ,, वैसे आपके इनका टेस्ट काफी जायकेदार था

विमला इतराने के स्वर मे - आप भी कम नही है भाईसाहब , भरपूर स्वाद लिया आपने भी तो

पापा - अभी तो इनको भी चखना है , बहुत गजब की माल हो आप बहन जी ,,, ऐसे नही महेश का मन बिगडा था आप पर

विमला सिस्कर- आह्ह छोडिए ना भाईसाहब कबसे मिज रहे थे इनको अब तो छोड दो और चलिय उपर चलते है

पापा - ऐसे नही जान,,, आप ब्रा निकाल दो जब रंगीन पानी इन मुलायम चुचियो पर गिरेंगे तो ये और खिलेंगे

विमला शर्माहट भरे लहजे -धत्त नही मेरे निप्प्ल दिखने लगेंगे सबको तो

पापा हस कर - तो क्या हुआ ,,, आखिर इस उम्र मे जब कसी हुई चुचियो के भिगे कुंडे देखने मे सबको मजा भी आयेगा और सबका लण्ड ही तो खड़ा होगा ना बहन जी ,,, अब तो आप भी मज़े लिजीये

मै पापा और विमला की बाते सुन कर उत्तेजित हो गया था और लण्ड को लोवर के उपर से ही दबा रहा था ।

तभी वापस कमरे से विमला की आवाज आई - ओह्ह आराम से , मै निकाल रही हू ना हिहिहि नही अभी मत छुइये इन्हे अह्ह्ह मा उफ्फ्फ सीई आह्ह मत मसलो ना भाईसाहब ह्य्य्य आह्ह

मै समझ गया कि पापा इस वक़्त विमला के चुचे मल रहे होगे

तभी वापस से विमला की आवाज आई - सब होगया, अब चलिये

पापा - एक बार इन रसिले होठो का स्वाद भी देदो ना मेरी जान

मै समझ गया अब ये बाहर आयेगे इसिलिए मै झट से कमरे से बाहर आया और सररर से सीढि से उपर आ गया

छत पर आया तो यहा अलग ही रोमांच मचा हुआ था पानी वाले रंगो का
एक तरफ अनुज और राहुल अपनी गैंग बनाये हुए थे दो दो बाल्टी भर कर हाथो मे पिचकारी लिये हुए चला रहे थे
वही निशा और सोनल भी पिचकारी पकडे दूसरो को भिगो रही रही थी ।
चाची मा को पकडे हुए थी और चाचा सामने से मा के पेट पर पिचकारी मारते है जिससे मा की साडी उन्के उभरे पेट से चिपक जाती है और उनकी साड़ी पारदर्शरी हो जाती है । जिससे उनकी गहरी नाभि दिखने लगती
वही मा भिया हस्ते हुए उनको पिचकारी लेके दौडा देती है
इनसब से बच कर मै चुपचाप अप्नी जेब से मोबाईल निकाल कर डीजे के पास ऑफ करके रख देता हूँ और स्टॉल से एक पिचकारी लेके मै भी अनुज के गैंग मे शामिल होकर शुरु हो जाता हू

इधर सोनल की मतकती गाड मेरे सामने आती है और मै भर पिचकारी उसके चुतडो पर चला देता हू जिससे उसका स्कर्ट उसकी गाड़ की गोलाई का सेप ले लेता है और दो तीन बार लगातार उसकी कमर पर धार देता हू

सोनल ह्स्ते हुए - रुक बेटा बताती हू तुझे ,
मै हस्ते हुए वापस पिचकारी भरने लगा और तबतक मेरे गरदन पर पिचकारी की धार आई और मै अन्दर से गिला होने लगा ।

सामने देखा तो सोनल ही थी और मै झट से पिचकारी की तेज धार उसकी चुचियो पर मारी और वो आउच करते जए छ्टक कर अपनी चुचीयो छिपा ली

सोनल - ऊहह मा , पागल कितनी तेज लगी आह्ह्ह्ह
मै झट से सोनल के पास गया और वापस से उसकी गरदन के पास पिचकारी मार कर उसके बदन को भिगो कर दुसरी तरफ भाग गया ।

स्टॉल की तरफ आया तो पापा भी पिचकारी भरे विमला की छातियो पर धार मार रहे थे जिसे विमला हाथ आगे किये रोकते हुए इधर उधर भागती है
लेकिन जल्द ही उसकी चुचियो के डार्क निप्प्ल दिखने ल्गते है
वही मौका देख कर चाची पापा के पीठ पर पिचकारी लेके चला रही थी ।
वही मा और चाचा के बीच गिलास से रंग एक दुसरे पे फेक जा रहा था ।
मै भी भरी पिचकारी उठाई और चाची के पीछे से उनकी चुतडो पर धार मारी जिससे उनकी प्लजो की बेल्ट और गाड़ की गोलाई साफ पता चलने लगी और मैने वाप्स से रंग भर कर विमला के चुचियो को साध कर निप्प्ल पर धार मारी और वो तनमना कर अपनी चुचिया पकड कर बैठ गयी ।
सब मस्ती मे मगन थे और सभी गहरे लाल रंग मे रंग चुके थे ।
मै भी थोडा अबीर लेके वापस से चाची के पास गया और उन्के गीले गालो पर हरा अबीर मल दिया जिससे वो उनका चेहरा अबीर स भर गया और मै वहा सं निकल गया , इधर देखा तो चाचा मेरी मा के साथ कुछ ज्यादा जी मजे के रहे थे और पापा भी विमला के साथ मजे मे थे , उधर बाथरुम की तरफ चारो भाईबहन आपस मे लगे हुए थे ।

मै थोडी देर स्टॉल मे बैठा और एक ग्लास पानी पीकर एक नजर मा की तरफ डाला तो देखा उसकी सिफान की साड़ी उसके जिस्म से चिपकी हुई थी और लाल रंग के वो चखत गयी थी ,,,चचा लगातार मा की चुचियो और नाभी पर निशाना मारते और गुलाल उड़ाते
मुझे मस्ती सुझी और मै भर बाल्टी रंग लिया और दबे पाँव धीरे धीरे मा को इशारा करते हुए चाचा के पीछे गया और जैसे ही चाचा बाल्टी से रंग भरने को झुके लपक कर मैने उनकी बाजुओ के साथ ही उनको पीछे से पकड लिया

मै ह्स्ते हुए - मा अब डालो चाचू पर हिहिही

मा ह्स्ते हुए अपनी खुली साडी कमर मे खोसते हुए बोली - कस कर पकडे रहना बेटा , आज आये हो पकड मे देवर जी ह्हिहिहिह

और मा ने रंग से भरी बाल्टी चाचा पर उडेल दी जिस्से मै भी आधा भीग गया
मा ह्स्ते हुए - रुक अभी छोडना मत राज

मै चाचा को बाजुओ ने कस्ता हुआ - हा लाओ मा मै पकडे हुए हू
तब तक मा ने बैगनी रंग की अबीर से भरी थाली लेके आई और अच्छे से चाचा के भिगे चेहरे और गरदन पर मला और फिर एक नजर बाकियो पर डाला फिर बोली - जरा उस कोने मे ले चल बेटा

मै ह्स्ते हुए चाचा को पीछे की तरफ जोर लगा के बड़ी मुस्किल से खिचते हुए लेके छज्जे के पास लेके आया जहा स्टॉल का पर्दा ल्गा था और य्हा हमे कोई देख नही पाता
तभी मा बोली - बेटा तू आंखे बंद कर के थोडा तो
मै चौक कर - क्यू
मा ह्स्ते हुए - ब्न्द कर ना पूछ मत कुछ
मै ओके बोल कर हल्की सी आंखे बंद की बाकी मम्मी का ध्यान मुझ पर नही था लेकिन मै बकायदा उनकी हरकतो पर नजर बनाये रहा
तभी अचानक से चाचा मेरे बाहो मे पहले से तेजी से छ्टकने लगे - हिहिहिही नाही भौजी उहा ना लगाओ नही तो ठीक ना होगा

मा ह्स्ते हुए - तुमने भी तो हमको नही छोडा था देवर बाबू , लल्ल्ला कस कर पकड बहुत फड़फड़ा रहे है तेरे चाचा

मै जोर लगा कर चाचा को पकडे हुए - हा मा जल्दी करो मै ज्यादा देर तक नही पकड सकता हू

इधर मा ने चाचा कुर्ता उठा के पायजामे का लास्टीक खिचा जिस्से चाचा ने छ्टकना शुरु कर दिया और वही मा जबरदस्ती हस्ते हुए थाली को उनके पायजामे के अन्दर की तरफ घुमा कर सारा अबीर उनके पायजामे मे भर दिया जिससे चाचा ह्स्ते हुए मुझे झटक कर अलग हुए और मा की कलाई पकड कर पास की रखी बाल्टी मे जिस्मे चाचा का रंग रखा था उसको मा पे सर उपर उडेल दिया जिस्से मा भी उपर से निचे तक लाल हो गयी । सारा रंग मा के बाल से होकर उनके चेहरे से रिस कर उनकी उभरी हुई चुचियो से झरने के जैसे गिरने लगा
फिर चाचा मेरी तरफ झपटते हुए - रुको बेटा बताते है तुमको

मै वापस स्टॉल की तरफ भागा ह्स्ते हुए , वहा चाचा मुझे लपक कर पकड लिये , मै छ्टपटाते हुए जमीन पर लोट गया
इधर चाचा ने चाची को आवाज देके बुलाया और अबीर की थाली मागी

चाची हस्ते हुए केसरिया रंग के अबीर की थाली लेके आई और मेरे चेहरे पर मल दिया
तभी चाचा ने लोवर पकड कर सामने से अंडरवियर से साथ खीचा और चाची ने सारा अबीर एक एक मुथ्थी भर भर कर मेरे खडे लण्ड पर फेकना शुरु कर दिया
सारे लोग मेरी बेज्ज्ती हस रहे थे और मुझे थोडी शर्म मह्सूस हुई लेकिन मै वापस खड़ा हुआ और बोला - चाची अब बच कर दिखाओ

एक बाल्टी रंग उठाया और सामने पापा मिले

मै चिल्लाते हुए - पापा चाची को पकडिए हिहिही

पापा पहले थोडा संकोच किये लेकिन जब देखा कि चाची उनको देख कर मुस्कुरा कर इधर उधर भाग रही थी है

मै वापस बाल्टी लिये हुए पापा को - पापा पकड़ो ना जल्दी
तो पापा लपक कर उनको साइड से कमर मे हाथ डाल कर पकड लिया और हड़बड़ी मे चाची के हाथ पापा के लण्ड के सामने पड गया वो उसको स्पर्श करने लगा जिस्से चाची और भी ज्यादा छ्टपटाने लगी ।

मै एक शरारती मुस्कान के साथ से पूरी बाल्टी चाची और पापा के उपर उडेल दी । फिर पापा ने चाची को छोड दिया और चाची पापा को देख कर हसने लगी वही पापा भी चाची के सामने अपना खड़ा लण्ड एडजेस्ट करते हुए हस रहे थे ।
चाची उपर से निचे तक पूरी गीली हो गयी और उनकी कुर्ती चुचो के उभार को और भी ज्यादा सेप मे दिखाने लगी।
इधर मै चाची मे मगन था कि दुसरी ओर से मा के खिलखिलाने की आवाज आई जब नजर उधर गयी थी देखा कि वो विमला के कुर्ती मे हाथ डाल कर नंगी चुचियो को रंग लगा रही थी और चाचा स्टॉल मे बैठे सुस्ता कर ऊन दोनो की मस्ती देख कर लण्ड को पजामे के उपर से मुठिया रहे थे ।

तभी छ्त के दुसरी तरफ से अनुज की गैंग मे आवाजे आई और उधर देखा तो निशा और सोनल ने मिल कर अनुज को नंगा कर दिया और वो गाड़ और नुनी छिपाते हुए बाथरूम मे घुस गया । वही राहुल उन लोगो से बच कर हमारी तरफ स्टॉल मे अपने पापा के पास बैठ गया ।

फिर इधर वापस मम्मी और विमला का फर्श पर लोटन चलता रहा और च्ररर चरररर की आवाजे आई और फिर मा खड़ी हुई तो उनकी सिफान साडी आधी फट चुकी थी और वही विमला की कुर्ती एक साइड से आधी मा ने खोल दी । एक तो बेचारी ने ब्रा नही पहने उपर से साइड से कुर्ती फट गयी ।
विमला के चुचे और खडे दाने का निप्प्ल साफ दिख रहा था

मा ह्स्ते हुए उठी और अपनी आधी बची हुई भीगी साडी भी कमर से निकाल कर उसको गारते हुए फर्श पर लेटी विमला के उपर रंग गिराने के बाद साडी उसके उपर ही फेक कर स्टॉल मे आई जहा मा के हल्के अनुरि रंग पेतिकोट मे उनकी गाड़ की उभार चाचा के ठीक सामने थी , वही पेतिकोट भी काफी हद तक भीग कर गाड़ से चिपक चूकी थी और उसको देख कर चाचा ने एक बार थूक भी गटका ।

वही विमला भी उठ कर साइड से अपनी कुर्ती बान्ध ली फिर उसकी नंगी कमर एक साइड से दिखने लगी और अब कुर्ती उपर होने से उसकी लेगी मे कसी जान्घे और पैंटी का सेप भी दिख रहा था ।

इधर मै धीरे से राहुल के पीछे गया और कररररर से उसके शर्त का साइड फाड कर भागा जहा चाची ने मुझे दबोच लिया और मुझे पकड कर राहुल को आवाज दी तो वो भी ह्स्ते हुए मेरे पास आया और मेरी टीशर्ट को उसमे बने छेद मे उंगलिया डाल कर फाड दिया ।

मा की नजर जब चाची पर गयी तो बोली - अच्छा जी मेरे बेटे को मिल कर सता रहे हो ,,

मा पापा से - पकड़ीये जरा शालिनी को राज के पापा

चाची एक बार फिर मुझे छोड कर बाथरुम की तरफ भागी और उन्के पीछे पापा और मा भागे और तीनो बाथरूम के बगल के खाली जगह मे घुस गये

इधर हम भाई बहन लोग वापस मस्ती मे आ गये और विमला अप्ना दुपट्टा लपेटकर चाचा के साथ बैठ कर बाते करते हुए हस रही थी

और थोडी देर बाद मा आवाज दी मुझे

मा चिल्लाते हुए - राज बेटा जरा रंग लाना तो
मै खुस हुआ और एक बालती रंग और झिल्ली भर अबीर लेके भागता हुआ बाथरूम के बगल के खाली जगह पर गया
जैसे ही मै बाथरूम के बगल मे पहुचा तो देखा की चाची की हालत बुरी थी
पापा के उनको पीछे से पकड हुआ था । चाची की कुर्ती उठी हुई थी और पापा का हाथ उनकी मुलायम नाभि पर था और वो छ्टपटा रही थी , वही मा ने उनकी कुर्ती सामने गले पर बीच से फाड दी थी थोडी जिससे चाची के ब्रा और गहरी घाटी दिख रही थी

मा ने झट से मेरे हाथ से बाल्टी ली और सारा रंग पापा और चाची के चुचियो पर फेका और मेरे हाथ से अबीर लेके दोनो मुथ्थीयो मे भर कर उनकी चुचियो के उपर पापा के सामने मल दिया और फिर ब्रा मे हाथ घुसाते हुए निप्ल्ल को मरोडते हुए बोली - कितनी कसी हुई ब्रा पहनती है रे तू तभी तेरे ये गुलगले सख्त है

चाची गुदगुदी से पापा की बाहो के कसमसा रही थी लेकिन उनके हाथ को पापा ने अपनो जांघो मे पीछे की तरफ दबा कर रखा था और मैने गौर किया तो पापा का भी कुर्ता उपर से फट गया था ।


मुझे बहुत मज़ा आ रहा था तीनो की मस्ती देख कर और लण्ड तो लोवर मे पुरा तन कर खड़ा था
इधर जैसे ही मा ने अबीर लगा दिया कि पापा ने अपनी पकड ढीली की और चाची झटक अलग हुई और अपनी कुर्ती का उपरी हिस्सा जो मा ने फाड दिया था उसको पकड कर स्टॉल पे चली गयी ।

और मै वही खड़ा मुस्करा रहा था कि पापा की एक कसमसाहत भरी आवाज आई - अह्ह्ह खड़ा कर दिया सालि ने
मा पापा को छेडते हुए उन्के पजामे के उपर से उनका लण्ड सहलाते हुए बोली - कहो तो मै बैठा दू

पापा मा के हाथो से अबीर लेते हुए - अभी नही जान रात मे , अभी तो मुझे तुम्हे लाल कर लेने दो

फिर पापा मा को दीवाल से लगा कर उनकी चुचियो पे अबीर मलने लगे और मा बिना उन्के रोके मदहोश होने लगी

मै उनको देख कर समझ गया यहा थोडी देर मस्ती होगी इनलोगो की
चलो मै भी किसी को पकडता हू
मै वापस स्टॉल पर आया तो देखा सभी थक कर बैठे हुए हैं


मै ह्स्ते हुए - क्यू भाई अभी से थक गये और ये अनुज कहा है

निशा हस्ते हुए - वो अभी भी बाथरूम मे नंगा है
हम सब हस कर बाते कर रहे थे और थोडी देर बाद बाथरूम का दरवाजा खुला और अनुज गरदन निकाल कर इधर उधर देख रहा था तो मैने उस्का जीन्स उठाया और लेके बाथरूम के पास गया और उसे देके बोला की वापस आ ,,,तभी मुझे सिसिकियो की आवाज आई और मै बाथरूम के बगल मे देखा तो पापा ने मा के ब्लाउज खोल दिये थे और एक चुची को मुह मे लेके चुस रहे थे

मै ये नजारा देख ही रहा था की चाची भरी बाल्टी रंग लेके आई और मुझे नहला दिया वापस से और उनकी भी नजर मा और पापा के हरकत पर गयी

इधर अनुज झट से बाहर आया और बिना हमारी तरफ देखे निकल गया स्टॉल की तरफ
वही मै किनारे हुआ तो चाची ने मा को चिढाने के अंदाज मे बोली - ओहो दीदी रात तक तो रुक जाती हिहिहिहिही

चाची के बोलने पर मै छिप था थोडा वही पापा चौक कर घूम कर चाची को देख्ते हुए
मा ने एक मदहोश भरी नजर चाची को देखा और अपने निचले होठो को उपरी दाँतो से भिचते हुए लपक कर चाची को अपने पास खिच लिया जिससे चाची सिधा मा के दुसरे खुले चुचे पे गिरी और मा ने उन्का सर अपनी दुसरी चुची पर दरने लगी

पापा तो थे ही ठरकी और बेशर्म तो वो चाची की आंखे मे देख्ते हुए मा के निप्प्ल पर जीभ घुमाने लगे जिस्से मा उत्तेजित होकर चाची का मुह और तेज चुचियो पर दबा रही थी ।

और आखिरकार बूदबुदाते हुए चाची मे मा की चुची को मुह मे भर ही लिया जिससे मा सिस्किया लेने लगी ।

यहा मेरा हाल और भी खराब होने लगा ।
वही पापा और चाची मुझे इग्नोर कर एक दुसरे की आँखो मे देखते हुए मुस्कुराते हुए मा के निप्प्ल चुस रहे थे ।
रंगो की होली मे धीरे धीरे हवस ने अपनी जगह बना ली थी, ना जाने आगे क्या होना था।

To be continue in next update
Keep supporting and loving
Read and review my story
Awesome update dost
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,022
173
UPDATE 75
MEGA


इधर ये तीनो ने ऐसा मादक भरा सीन बना रखा था कि मेरा लण्ड बैठने का नाम नही ले रहा था ।

तभी एक नजर मैने स्टॉल की तरफ मारी तो देखा चाचा भी इसी तरफ आ रहे है
मुझे अब घबडाहट और भी ज्यादा होने लगी कि मै क्या करु ,,, अगर इन लोगो को नही रोकूँगा और चाचा यहा आ गये तो शायद त्योहार के दिन ही कच बड़ा बवाल न हो जाये और अगर इनलोगो को आवाज दी तो ये लोग होश मे आने के बाद किसका कैसे सामने करेगे

लेकिन फिलहाल मुझे यही सही ल्गा की इस्से पहले चाचा आये इनको अलग करना ही पडेगा बाद मे मै देख समझ लूंगा

तो मै एक बार फिर स्टॉल की तरफ नजर मारी और थोडा फुसफुसाया लेकिन किसी को मेरी आवाज नही आई
तो मजबूरन मुझे आगे जाकर पापा के पास बोलना पडा - पापा चाचा इधर ही आ रहे है
और फिर गला खसखसा कर सबको सतर्क किया

पापा तो पहले मुझे अपने बगल ने खड़ा देख के चौके लेकिन जब मैने वापस बोला की चाचा इधर आ रहे है तो वो जल्दी से खुद को ठीक किये और मा भी हडब्ड़ी मे अपना ब्लाउज बंद करके चाची के साथ स्टॉल की तरफ जाने लगी कि रास्ते मे ही चाचा मिले

फिर मै भी उधर से निकल गया गाना गुनगुनाते हुए
फिर पापा भी थोडा घूमते हुए आस पास की घरो मे देखने का नाटक करते हुए स्टॉल की तरफ आये ।
वही चाचा बाथरूम मे चले गये ।

फिर हम सब स्टॉल के पास जाकर बैठ गये
पापा भी आकर मेरे पास बैठे जो की काफी चुप थे ।

हम बैठे ही थे कि तब तक निशा दो दुपटटे लेके छ्त पर आई। जिसमे से एक मा ने और एक चाची ने ओढ़ लिया । वही विमला अपना दुपट्टा चादर के जैसे चढाये हुए थी।

अनुज और राहुल छज्जे के पास खडे बाते कर रहे थे , डीजे बंद हो चूका था । थकावट के शर्म भी सभी के चेहरे पर दिख रही थी क्योकि पिछ्ले 3 घंटो मे जो होली खेली गयी उसमे सबके हवस और अन्दर के काले शरारतो को सामने ला दिया था । और सभी एक दूसरे से नज़र चुरा के हस के बाते कर रहे थे
दोपहर के दो बज रहे थे और भूख भी सबको लगी थी ।
मा - सुनिये जी खाना बनाने की हिम्मत है नही, तो ऐसा करिये कुछ मगा लिजीये , बच्चे भी भूखे है कबसे ।

पापा मानो किसी सोच से उभरे हो और बोले - अब ब ब हा रागिनी ठीक कह रही हो ,,, राज बेटा जरा कल्लु को फोन लगाना आज वो समोसे छानता है ।

फिर मैने डीजे के पास गया और अपना मोबाईल ऑन किया और कल्लु काका के पास फोन लगाया और पापा को दे दिया

पापा फोन पर - हा कल्लु मै बोल रहा हू रंगी ,,,,हा भाई वही ,, हा भाई तुझको भी होली मुबारक हो ,,अच्छा सुन जरा गरमा गरम समोसे और रसवाली गुजिया तैयार करवा कर किसी नौकर के हाथ ह्मारे नये घर भेज्वा दे ,, हा वो जो चौराहे पर बना है ,, हा हा वही भाई , कितने करू ???

पापा मा से - कितने मगाऊ रागिनी
मा - अरे अब 25 समोसे और 20गुजिया करवा लिजीये बचचे है खा लेंगे पेट भर जायेगा

पापा फोन पर - हा कल्लु 25 समोसे और 20 22 गुजिया कर देना ,,,हा जल्दी भेजना थोडा , हा ठीक है

फिर पापा ने फोन रखा और बोले - लो जी हो गया अब क्या करना है

मा - मै तो बहुत थक गयी हू और धूप भी तेज चलिये ना निचे हाल मे चलते है फिर नासट करके नहा धो लेंगे

विमला - हा रागिनी सच मे पैर बहुत दर्द कर रहे है
पापा ह्स्ते हुए - अरे कोई बात नही आज यही आराम करिये सब

चाची - अरे लेकिन घर भी तो जाना है
मा - क्या करोगी घर जाकर ,,यहा रहो खा पी कर यही सो जाना और कल तक चले जाना क्यू जी

पापा - हा भाई कोई कही नही जायेगा और छोटे तुम भी शाम तक घूम टहल कर वापस आ जाना

चाचा ह्स्ते हुए - शालिनी भैया ठीक ही तो कह रहे है , यहा सब थके है और यही रात के लिए कुछ बन जायेगा और साथ मे खा कर आराम कर लेंगे कौन सा आज दुकान खोलना है हमे हिहिहिही

फिर सब तय हुआ और हम सब 1st फ्लोर पर के हाल मे आ गये ।
मा ने जाते ही सोफा पकड लिया पैर पसारे फैल गयी ,,उन्के बगल मे चाची फिर विमला फिर पापा और फिर चाचा बैथ गये

चुकी सोफ़ा L टाइप का है तो ज्यादा से ज्यादा 6 लोग ही बैठ सकते थे तो अनुज जाकर मा के सिने पर लग कर बैठ गया ।

वही मै और राहुल हाल मे उतरती सीढ़ी पर बैठ गये । सोनल और निशा बेडरूम मे चले गये ।
मा सोनल से - बेटा एक एक करके सारे लोग नहा लेते जाओ
नही तो रंग नही छूटेगा

सोनल - हा मा हम दोनो नहाने ही जा रहे है ।

पापा - ऐसा करते है हम सारे जेन्स निचे जाकर नहा लेते है और आप लोग यही उपर नहा लो

मा - अरे बारी बारी से यहा का एक बाथरूम खाली है और उपर का है नहा लो ,,,निचे कोई गन्दगी लेके नही जायेगा हा

पापा हस के - अच्छा ठीक है भई
फिर चाचा पहल करते हुए बोले - ठीक है भैया आप लोग आराम करिये मै जरा नहा लू तब तक , शालिनी बैग से मेरे कपडे निकाल दो जरा ।


फिर चाची निचे गयी और अपना बैग लेके आई फिर चाची और चाचा दुसरे वाले खाली बेडरूम मे चले गये ।
अनुज और राहुल भी छत पर चले गये तौलिया लेके ।

मै उठा और मा के बगल मे आकर बैठ गया और उन्के उन्के चुचो पर लद कर उनको हग कर लिया और मा ने भी मुस्कुरा कर मेरे बालो मे हाथ फेरने लगी ।

इधर मै और मा एक दुसरे मे लगे थे लेकिन मेरी आंखे पूरी बंद नही थी हल्की आंखे खोले मै सब देख समझ रहा था कि पापा उठ कर विमला के बगल मे आ गये और बोले - और बताईए बहन जी मज़ा आया की नही

विमला ह्स्ते हुए - जी भाईसाहब बहुत ही ज्यादा और रागिनी तो आज कुछ ज्यादा ही मस्ती कर दी थी

पापा हस कर - अच्छा जी वो कैसे
विमला - अरे आज ये मेरे कपडे पुरे फाड ही देती ह्हिहिहिही कमीनी कही की

मा ह्स्ते हुए - चल चल स्ब्से पहले तुने मेरी साडी फाडी फिर मै क्या करती

विमला ह्स्ते हुए - मुझे तेरी साडी पहनने ना पहनने का कोई मतलब न्ही दिख रहा था सारा माल खुला रखा था तुने हाहाह्हाहा

मा थोडी शर्मायी और विमला को छेड़ते हुए बोली - हा देखा मैने तुने आज रंग लगवाने के चक्कर मे ब्रा ही निकाल दी

इधर पापा हस भी रहे थे और बार बार मेरी तरफ देख कर खुद को शांत भी रखें हुए थे
विमला शर्माते हूए - चुप कर पागल कुछ भी बक रही है
और पापा की तरफ इशारा करती है ।

मा ह्स्ते हुए - उनको क्या बोल रही है आज उन्होने भी अपनी भयोह के साथ बहुत मज़े लिये

मा की बात से पापा झेप गये और मेरी हसी छूट गयी तो मा मेरे गालो पर चपट ल्गाते हुए बोली - तू बड़ा हस रहा है हा ,,, दो बार क्छ्छे मे रंग डलवा लिया लेकिन शर्म नही आ रही है हम्म्म्म

मै हस कर मा के चुचियो मे सर दबाते हुए उनकी नंगी पेट को सहलाते हुए शर्माने की ऐक्टिंग करने लगा जिस्से मा मुझे बाहो मे भर मेरे माथे को चूम कर हस्ने लगी
ऐसे ही हमारी मस्ती भरी बाते चलती रही कुछ देर फिर चाचा और चाची दोनो नहा कर साथ मे बाहर आये ।
उधर निशा और सोनल भी नहा चुकी थी फिर 5 मिंट के अंतर पर राहुल और अनुज भी नहा कर हाल मे एक्क्था हुए

थोडी देर बाद कल्लु काका ने अपने नौकर से समोसा और गुजिया भेज्वाये ।

फिर मैने दोने मे ही सबके लिये समोसा गुजिया लगा दिया और फिर मा ने सबको एक एक दोना उठाने को बोला

फिर सारे लोगो ने नासता किया थोडे गप्पें हाके और थोडी देर पहले हुई चटपटि बातो और घटनाओं की पुनरावृति करते हुए सबने सबके मजे लिये ।

फिर चाचा चाची निचे कमरे मे सोने चले गये । सोनल और निशा अपने बाल सुखाने बालकीनि मे चली गयी ।
अनुज और राहुल दोनो निचे हाल मे जाकर मोबाइल पर मूवी देखने का प्लान कर लिये ।

फिर वापस उपर के हाल मे मा पापा विमल और मै बच गये ।

मा उठते हुए - चल विमला तू भी नहा ले आ ,,,और आप भी बैठे ना रहिये नहा लिजीये जाकर ।

पापा - नही नही अभी मेरा मन नही है ,,आप लोग नहा लो मै यही आराम करता हू

मै - मै तो जा रहा हू उपर नहाने

मा - अच्छा ठीक है बेता वो जरा गेस्टरूम मे मेरा और विमला का बैग है वो लेते आओ

मै झट से निचे गया और फट से दोनो बैग लेके आ गया ।

मा - विमला तू उस वाले कमरे के बाथरूम ने चली जा और मै इसमे चली जाती हू ।
फिर दोनो अलग अलग कमरो मे गये और मै भी सिर्फ तौलिया लेके छत पर चला गया ।
छत पर जाने के बाद एक नजर मैने स्टॉल पर डाली

मै मन मे - अबे यार , मस्ती तो बहुत कर ली लेकिन ये सब समान बटोरेगा कौन ,, ऐसा करता हू पहले सारा सामान जो काम लायक है वो निचे रख देता हू फिर बाकी का कचरा एक किनारे कर दूँगा। नही तो नहाने के बाद ये काम करके सब चौपट ही रहेगा ।

फिर मैने रंग अबीर को अच्छे से वापस पैकेट मे डाला और सारी पिचकारीया बाल्टी एक साथ रख कर उसमे पानी भरा। फिर गलास के पैकेट, मिठाइया और रंग सब एक बडे झोले मे भर कर ,, उठाया और नीचे चल दिया ।

मै वापस हाल मे आया तो पापा वहा नही थे तो मै सोचा क्यू ना सारा सामान यही मम्मी जिस कमरे मे है वही रख दू और कमरे का दरवाजा ही हल्का खुला हुआ था

तो मै सारा सामान लेके दरवाजे को धक्का देकर मम्मी को आवाज ल्गाते हुए कमरे मे घूस्ता हू - मम्म्यीईईईईई

सामने देखा तो मेरी आंखे फटी की फटी रह गयी क्योकि पापा कमरे मे बाथरूम के पास अपना पैजामा निचे किये खडे थे और मा पूरी नंगी होकर पापा का मोटा लण्ड निचे बैठ कर चुस रही थी ।

पापा की नजर वापस मुझसे मिली और मा भी लण्ड निकाल कर मेरे तरफ आंखे फाडे देखने लगी । दोनो हैरत भरी नजरो से मुझे देख रहे थे और मेरी आवाज नही निकल रही थी ।

मै हडबड़ा कर नजरे चुराते हुए - अब ब ब वो वो मै ये ये समान रखने आया था ,,,
और मै झट से सामान रखा और बिना उनलोगो की तरफ देखे - सॉरी पापा

फिर कमरे के बाहर आ गया और एक गहरी सांस ली
भले ही मेरा बाप कितना ठरकी हो और मै कितना चोदू रहू लेकिन एक बाप के सामने ऐसे सीन के बाद सामना करने की हिम्मत करना आसान नही होता है । मै अपनी सांसे बराबर कर रहा था कि अन्दर से पापा की आवाज आई

पापा - अरेरे याररर , धत्त
मा - क्या हुआ जी
पापा - आज दुसरी दफा उसने हमे ऐसे हालत मे देखा ,,क्या सोच रहा होगा वो

मा - अरे वो अब बड़ा हो गया है देखा नही सॉरी बोल कर गया है । सब समझता है मेरा बेटा आप चिन्ता ना करिये

पापा परेशान लहजे मे - हा वो ठीक है रागिनी लेकिन क्या उपर छ्त पर शालिनी भी थी ना ,,मुझे उस बात की चिन्ता है कही वो हमारे बारे मे कोई गलत राय बना ले

मा तो पहले ही मुझे जानती थी तो वो पापा को सत्तावना देते हुए - ऐसा करिये आप एक बार उससे बात करिये,

पापा हिचक कर - क क क्या आ , कह रही हो रागिनी ,मै कैसे बात करूँगा अपने ही बेटे से , वो भी ऐसे मुद्दो पर

मा झिझक कर - हा तो फिर जिन्द्गी भर नजरे चुराते रहना एक दूसरे से आप लोग ,, आगे जाकर मेरे बेटे की जिन्दगी तबाह होगी । ना वो आपसे कुछ बात करेगा ना ही आपको अपनी आवश्यकताओं और इच्छाओ के बारे मे बतायेगा

पापा परेशान लहजे मे - नही नही रागिनी ऐसा नही होगा ,,,,मै कोसिस करता हू उससे बात करने की

यहा मेरी हालत और पतली हो गयी कि अब पापा मुझसे ऐसी क्या बात करेंगे , क्या समझाएंगे

पता नही आगे क्या होने वाला था और कैसे मै पापा का और पापा मेरा सामना करने वाले थे ।



जारी रहेगी
पढ कर अपना रेवियू जरुर दे । कहानी कैसी चल रही है इस पर भी अपनी राय जरुर दे ।
अपना प्यार और सपोर्ट बनाये रखें
धन्यवाद
UPDATE 75

इधर ये तीनो ने ऐसा मादक भरा सीन बना रखा था कि मेरा लण्ड बैठने का नाम नही ले रहा था ।

तभी एक नजर मैने स्टॉल की तरफ मारी तो देखा चाचा भी इसी तरफ आ रहे है
मुझे अब घबडाहट और भी ज्यादा होने लगी कि मै क्या करु ,,, अगर इन लोगो को नही रोकूँगा और चाचा यहा आ गये तो शायद त्योहार के दिन ही कच बड़ा बवाल न हो जाये और अगर इनलोगो को आवाज दी तो ये लोग होश मे आने के बाद किसका कैसे सामने करेगे

लेकिन फिलहाल मुझे यही सही ल्गा की इस्से पहले चाचा आये इनको अलग करना ही पडेगा बाद मे मै देख समझ लूंगा

तो मै एक बार फिर स्टॉल की तरफ नजर मारी और थोडा फुसफुसाया लेकिन किसी को मेरी आवाज नही आई
तो मजबूरन मुझे आगे जाकर पापा के पास बोलना पडा - पापा चाचा इधर ही आ रहे है
और फिर गला खसखसा कर सबको सतर्क किया

पापा तो पहले मुझे अपने बगल ने खड़ा देख के चौके लेकिन जब मैने वापस बोला की चाचा इधर आ रहे है तो वो जल्दी से खुद को ठीक किये और मा भी हडब्ड़ी मे अपना ब्लाउज बंद करके चाची के साथ स्टॉल की तरफ जाने लगी कि रास्ते मे ही चाचा मिले

फिर मै भी उधर से निकल गया गाना गुनगुनाते हुए
फिर पापा भी थोडा घूमते हुए आस पास की घरो मे देखने का नाटक करते हुए स्टॉल की तरफ आये ।
वही चाचा बाथरूम मे चले गये ।

फिर हम सब स्टॉल के पास जाकर बैठ गये
पापा भी आकर मेरे पास बैठे जो की काफी चुप थे ।

हम बैठे ही थे कि तब तक निशा दो चुनरि लेके छ्त पर आई। जिसमे से एक मा ने और एक चाची ने ओढ़ लिया । वही विमला अपना दुपट्टा चादर के जैसे चढाये हुए थी।

अनुज और राहुल छज्जे के पास खडे बाते कर रहे थे , डीजे बंद हो चूका था । थकावट के शर्मिंद्गी भी सभी के चेहरे पर दिख रही थी क्योकि पिछ्ले 3 घंटो मे जो होली खेली गयी उसमे सबके हवस और अन्दर के काले शरारतो को सामने ला दिया था ।
दोपहर के दो बज रहे थे और भूख भी सबको लगी थी ।
मा - सुनिये जी खाना बनाने की हिम्मत है नही तो ऐसा करिये कुछ मगा लिजीये , बच्चे भी भूखे है कबसे ।

पापा मानो किसी सोच से उभरे हो और बोले - अब ब ब हा रागिनी ठीक कह रही हो ,,, राज बेटा जरा कल्लु को फोन लगाना आज वो समोसे छानता है ।

फिर मैने डीजे के पास गया और अपना मोबाईल ऑन किया और कल्लु काका के पास फोन लगाया और पापा को दे दिया

पापा फोन पर - हा कल्लु मै बोल रहा हू रंगी ,,,,हा भाई वही ,, हा भाई तुझको भी होली मुबारक हो ,,अच्छा सुन जरा गरमा गरम समोसे और रसवाली गुजिया तैयार करवा कर किसी नौकर के हाथ ह्मारे नये घर भेज्वा दे ,, हा वो जो चौराहे पर बना है ,, हा हा वही भाई , कितने करू ???

पापा मा से - कितने मगाऊ रागिनी
मा - अरे अब 25 समोसे और 20गुजिया करवा लिजीये बचचे है खा लेंगे पेट भर जायेगा

पापा फोन पर - हा कल्लु 25 समोसे और 20 22 गुजिया कर देना ,,,हा जल्दी भेजना थोडा , हा ठीक है

फिर पापा ने फोन रखा और बोले - लो जी हो गया अब क्या करना है

मा - मै तो बहुत थक गयी हू और धूप भी तेज चलिये ना निचे हाल मे चलते है फिर नासट करके नहा धो लेंगे

विमला - हा रागिनी सच मे पैर बहुत दर्द कर रहे है
पापा ह्स्ते हुए - अरे कोई बात नही आज यही आराम करिये सब

चाची - अरे लेकिन घर भी तो जाना है
मा - क्या करोगी घर जाकर ,,यहा रहो खा पी कर यही सो जाना और कल तक चले जाना क्यू जी

पापा - हा भाई कोई कही नही जायेगा और छोटे तुम भी शाम तक घूम टहल कर वापस आ जाना

चाचा ह्स्ते हुए - शालिनी भैया ठीक ही तो कह रहे है , यहा सब थके है और यही रात के लिए कुछ बन जायेगा और साथ मे खा कर आराम कर लेंगे कौन सा आज दुकान खोलना है हमे हिहिहिही

फिर सब तय हुआ और हम सब 1st फ्लोर पर के हाल मे आ गये ।
मा ने जाते ही सोफा पकड लिया पैर पसारे फैल गयी ,,उन्के बगल मे चाची फिर विमला फिर पापा और फिर चाचा बैथ गये

चुकी सोफ़ा L टाइप का है तो ज्यादा से ज्यादा 6 लोग ही बैठ सकते थे तो अनुज जाकर मा के सिने पर लग कर बैठ गया ।

वही मै और राहुल हाल मे उतरती सीढ़ी पर बैठ गये । सोनल और निशा बेडरूम मे चले गये ।
मा सोनल से - बेटा एक एक करके सारे लोग नहा लेते जाओ
नही तो रंग नही छूटेगा

सोनल - हा मा हम दोनो नहाने ही जा रहे है ।

पापा - ऐसा करते है हम सारे जेन्स निचे जाकर नहा लेते है और आप लोग यही उपर नहा लो

मा - अरे बारी बारी से यहा का एक बाथरूम खाली है और उपर का है नहा लो ,,,निचे कोई गन्दगी लेके नही जायेगा हा

पापा हस के - अच्छा ठीक है भई
फिर चाचा पहल करते हुए बोले - ठीक है भैया आप लोग आराम करिये मै जरा नहा लू तब तक , शालिनी बैग से मेरे कपडे निकाल दो जरा ।


फिर चाची निचे गयी और अपना बैग लेके आई फिर चाची और चाचा दुसरे वाले खाली बेडरूम मे चले गये ।
अनुज और राहुल भी छत पर चले गये तौलिया लेके ।

मै उठा और मा के बगल मे आकर बैठ गया और उन्के उन्के चुचो पर लद कर उनको हग कर लिया और मा ने भी मुस्कुरा कर मेरे बालो मे हाथ फेरने लगी ।

इधर मै और मा एक दुसरे मे लगे थे लेकिन मेरी आंखे पूरी बंद नही थी हल्की आंखे खोले मै सब देख समझ रहा था कि पापा उठ कर विमला के बगल मे आ गये और बोले - और बताईए बहन जी मज़ा आया की नही

विमला ह्स्ते हुए - जी भाईसाहब बहुत ही ज्यादा और रागिनी तो आज कुछ ज्यादा ही मस्ती कर दी थी

पापा हस कर - अच्छा जी वो कैसे
विमला - अरे आज ये मेरे कपडे पुरे फाड ही देती ह्हिहिहिही कमीनी कही की

मा ह्स्ते हुए - चल चल स्ब्से पहले तुने मेरी साडी फाडी फिर मै क्या करती

विमला ह्स्ते हुए - मुझे तेरी साडी पहनने ना पहनने का कोई मतलब न्ही दिख रहा था सारा माल खुला रखा था तुने हाहाह्हाहा

मा थोडी शर्मायी और विमला को छेड़ते हुए बोली - हा देखा मैने तुने आज रंग लगवाने के चक्कर मे ब्रा ही निकाल दी

इधर पापा हस भी रहे थे और बार बार मेरी तरफ देख कर खुद को शांत भी रखें हुए थे
विमला शर्माते हूए - चुप कर पागल कुछ भी बक रही है
और पापा की तरफ इशारा करती है ।

मा ह्स्ते हुए - उनको क्या बोल रही है आज उन्होने भी अपनी भयोह के साथ बहुत मज़े लिये

मा की बात से पापा झेप गये और मेरी हसी छूट गयी तो मा मेरे गालो पर चपट ल्गाते हुए बोली - तू बड़ा हस रहा है हा ,,, दो बार क्छ्छे मे रंग डलवा लिया लेकिन शर्म नही आ रही है हम्म्म्म

मै हस कर मा के चुचियो मे सर दबाते हुए उनकी नंगी पेट को सहलाते हुए शर्माने की ऐक्टिंग करने लगा जिस्से मा मुझे बाहो मे भर मेरे माथे को चूम कर हस्ने लगी
ऐसे ही हमारी मस्ती भरी बाते चलती रही कुछ देर फिर चाचा और चाची दोनो नहा कर साथ मे बाहर आये ।
उधर निशा और सोनल भी नहा चुकी थी फिर 5 मिंट के अंतर पर राहुल और अनुज भी नहा कर हाल मे एक्क्था हुए

थोडी देर बाद कल्लु काका ने अपने नौकर से समोसा और गुजिया भेज्वाये ।

फिर मैने दोने मे ही सबके लिये समोसा गुजिया लगा दिया और फिर मा ने सबको एक एक दोना उठाने को बोला

फिर सारे लोगो ने नासता किया थोडे गप्पें हाके और थोडी देर पहले हुई चटपटि बातो की पुनरावृति करते हुए सबने सबके मजे लिये ।

फिर चाचा चाची निचे कमरे मे सोने चले गये । सोनल और निशा अपने बाल सुखाने बालकीनि मे चली गयी ।
अनुज और राहुल दोनो निचे हाल मे जाकर मोबाइल पर मूवी देखने का प्लान कर लिये ।

फिर वापस उपर के हाल मे मा पापा विमल और मै बच गये ।

मा उठते हुए - चल विमला तू भी नहा ले आ ,,,और आप भी बैठे ना रहिये नहा लिजीये जाकर ।

पापा - नही नही अभी मेरा मन नही है ,,आप लोग नहा लो मै यही आराम करता हू

मै - मै तो जा रहा हू उपर नहाने

मा - अच्छा ठीक है बेता वो जरा गेस्टरूम मे मेरा और विमला का बैग है वो लेते आओ

मै झट से निचे गया और फट से दोनो बैग लेके आ गया ।

मा - विमला तू उस वाले कमरे के बाथरूम ने चली जा और मै इसमे चली जाती हू ।
फिर दोनो अलग अलग कमरो मे गये और मै भी सिर्फ तौलिया लेके छत पर चला गया ।
छत पर जाने के बाद एक नजर मैने स्टॉल पर डाली

मै मन मे - अबे यार , मस्ती तो बहुत कर ली लेकिन ये सब समान बटोरेगा कौन ,, ऐसा करता हू पहले सारा सामान जो काम लायक है वो निचे रख देता हू फिर बाकी का कचरा एक किनारे कर दूँगा। नही तो नहाने के बाद ये काम करके सब चौपट ही रहेगा ।

फिर मैने रंग अबीर को अच्छे से वापस पैकेट मे डाला और सारी पिचकारीया बाल्टी एक साथ रख कर उसमे पानी भरा। फिर गलास के पैकेट, मिठाइया और रंग सब एक बडे झोले मे भर कर ,, उठाया और नीचे चल दिया ।

मै वापस हाल मे आया तो पापा वहा नही थे तो मै सोचा क्यू ना सारा सामान यही मम्मी जिस कमरे मे है वही रख दू और कमरे का दरवाजा ही हल्का खुला हुआ था

तो मै सारा सामान लेके दरवाजे को धक्का देकर मम्मी को आवाज ल्गाते हुए कमरे मे घूस्ता हू - मम्म्यीईईईईई

सामने देखा तो मेरी आंखे फटी की फटी रह गयी क्योकि पापा कमरे मे बाथरूम के पास अपना पैजामा निचे किये खडे थे और मा पूरी नंगी होकर पापा का मोटा लण्ड निचे बैठ कर चुस रही थी ।

पापा की नजर वापस मुझसे मिली और मा भी लण्ड निकाल कर मेरे तरफ आंखे फाडे देखने लगी । दोनो हैरत भरी नजरो से मुझे देख रहे थे और मेरी आवाज नही निकल रही थी ।

मै हडबड़ा कर नजरे चुराते हुए - अब ब ब वो वो मै ये ये समान रखने आया था ,,,
और मै झट से सामान रखा और बिना उनलोगो की तरफ देखे - सॉरी पापा

फिर कमरे के बाहर आ गया और एक गहरी सांस ली
भले ही मेरा बाप कितना ठरकी हो और मै कितना चोदू रहू लेकिन एक बाप के सामने ऐसे सीन के बाद सामना करने की हिम्मत करना आसान नही होता है । मै अपनी सांसे बराबर कर रहा था कि अन्दर से पापा की आवाज आई

पापा - अरेरे याररर , धत्त
मा - क्या हुआ जी
पापा - आज दुसरी दफा उसने हमे ऐसे हालत मे देखा ,,क्या सोच रहा होगा वो

मा - अरे वो अब बड़ा हो गया है देखा नही सॉरी बोल कर गया है । सब समझता है मेरा बेटा आप चिन्ता ना करिये

पापा परेशान लहजे मे - हा वो ठीक है रागिनी लेकिन उपर छ्त पर शालिनी भी थी ना ,,मुझे उस बात की चिन्ता है कही वो हमारे बारे मे कोई गलत राय बना ले

मा तो पहले ही मुझे जानती थी तो वो पापा को सत्तावना देते हुए - ऐसा करिये आप एक बार उससे बात करिये,

पापा हिचक कर - क क क्या आ , कह रही हो रागिनी ,मै कैसे बात करूँगा अपने ही बेटे से , वो भी ऐसे मुद्दो पर

मा झिझक कर - हा तो फिर जिन्द्गी भर नजरे चुराते रहना एक दूसरे से आप लोग ,, आगे जाकर मेरे बेटे की जिन्दगी तबाह होगी । ना वो आपसे कुछ बात करेगा ना ही आपको अपनी आवश्यकताओं और इच्छाओ के बारे मे बतायेगा

पापा परेशान लहजे मे - नही नही रागिनी ऐसा नही होगा ,,,,मै कोसिस करता हू उससे बात करने की

यहा मेरी हालत और पतली हो गयी कि अब पापा मुझसे ऐसी क्या बात करेंगे , क्या समझाएंगे

पता नही आगे क्या होने वाला था और कैसे मै पापा का और पापा मेरा सामना करने वाले थे ।
कमरे हुए हंगामें की बात सोच कर और आने वाले समय मे पापा का सामना कैसे होगा , इन्ही बातो मे खोया हुआ मै वापस छत पर चला गया नहाने ।

नहाने के बाद मै तौलिया लपेटा और फिर मुझे ध्यान आया कि मैने तो कपडा लाया ही नही

मै मन ने - अबे यार अब फिर से उसी कमरे मे जाना पडेगा पता नही क्या हो रहा होगा क्या नही ,,,पता नही पापा होगे निचे या नही

मै घबडाहट भरे मन से आने वाले परिस्थतियो के नये नये आयाम मन मे बुने जा रहा था ।
फिर मै वापस कमरे के पास गया तो इस बार दरवाजा खटखटा कर बोला - मम्मीईई

तभी खड़ाक से दरवाजा मम्मी ने खोला और वो नहा चुकी थी , उन्होने बालो मे एक दुपट्टा लपेटा हुआ था और उपर से एक मैक्सि डाली हुई थी जिसके उपरी बटन खुले थे । उन्के बदन से साबुन की मस्त खुस्बु आ रही थी जो मुझे मादक किये जा रही थी ।
मा के भिगे होठ और भी ज्यादा गुलाबी थे और उन्के चेहरे पर एक आकर्षक मुस्कान थी ।

मा - हा क्या हुआ बेटा
मै एक बार अन्दर झाका तो पापा नही दिखे
मा मुस्कुरा कर - वो नहा रहे है हिहिहिही

मुझे थोडी राहत हुई और मुस्कुरा कर - मा वो मुझे मेरे कपडे चाहिये थे ,

मा खुशी भाव से दरवाजे से हट गयी और मै कमरे मे चला गया और फिर बैग से एक जीन्स और टीशर्ट निकाला लेकिन मेरा अंडरवियर नही मिला उसमे

मै - मा मेरा अंडरवियर नही लाई क्या आप
मा ह्स्ते हुए - अब तुझे कल देखना चाहिए था ना की क्या समान रखना है क्या नही ,,,,भूलने का तो मै भी अपना ब्रा पैंटी भूल गयी हू तो क्या करू जो है वही पहन रही हू

मै मा बाते सुन कर एक नजर उनकी चुचियो के खडे निप्प्ल को मैक्सि मे उभरा देखा और थूक गटक बोला - लेकिन मुझे आदात नही है बिना अंडरबियर के

मा हस कर - अब तू जान और समझ भई ,,, लेकिन जल्दी से ये तौलिया निकाल कर दे ,,,तेरे पापा को देना है ।

मै पापा नाम सुनते ही सारी जरूरत को ताक कर रख कर मा के सामने ही तौलिये पर से ही जीन्स मे पैर डालने लगा

मा मुझे लड़खड़ाता देख हस रही थी ।
मैने किसी तरह जांघो तक जीन्स को लेके आया और अब आगे जाने के लिए तौलिया निकालना पड़ता तो मै मा को इशारा करके बोला की बाथरूम के दरवाजे पर ध्यान दे

मा हस कर हा मे इशारा किया और मै झट से तौलिया निकाल कर मा को दिया । जिससे मेरा हल्के तनाव मे खड़ा लण्ड झाटदार हिस्से के साथ मा के साम्ने था और मै जीन्स को कमर पर चढा कर बंद कर ही रहा था कि

मा - रुक रुक रुक जरा तो ,,, ये खोल ,, ये क्या अभी भी यहा का रंग नही छुटा

मै झल्ला कर - आपने ही तो डाला था
मा हस कर - मैने कहा वो तो तेरी चाची थी हिहिही

फिर मै वापस मुह बनाते हुए जीन्स पहन लिया तभी बाथरूम से पापा की आवाज आईं।
पापा - रागिनी ,,राज तौलिया देके गया क्या

मै पापा की आवाज सुन कर वाप्स सकते मे आया और मै उनका सामना नही करना चाहता था , अभी तो बिल्कुल नही


तो मै झट से अपना मोबाईल और टीशर्ट लिया और बाल्किनी की तरफ आ गया जहा रेलिंग के पास मेरी दोनो बहने अपना टीशर्ट लोवर पहने खुले बालो मे पोज देते हुए तस्बिरे निकाल रही थी ।

तभी सोनल की नजर मुझ पर गयी
सोनल - ओ बिना ऐब्स वाले शाहरुख खान,, कपडे पहन ले भाई ,,, कुछ तो शर्म कर यहा तो महिलाए है हिहिहुही

मै हसते हुए - हा सही कह रही हो अब तुम लोग महिला हो ही गयी हो

सोनल मेरा ताना समझ गयी और खीझ कर बोली - चल चल पहन कपडे नही तो निकालू फ़ोटो तेरी भी ।

मै टीशर्ट और मोबाइल एक कुर्सी पर रखते हुए उन्के पास गया और बालो मे हाथ फिराते हुए बोला - अब इतना स्मार्ट लग रहा हू तो निकाल ही दो


निशा जो अब तक चुप चाप हसे जा रही थी वो भी मेरा साथ देते हुए - हा हीरो तो तू है ही ,, निकाल सोनल इसकी फ़ोटो और स्टेटस लगाते है

मै बिंदास होकर जीन्स मे हाथ डाल कर एक पोज दिया और सोनल के क्लिक किया और दो तीन पोज के बाद मैने देखा की निशा बहुत हस थी तो मैने उसकी कमर मे हाथ डाल कर अपनी तरफ खिच दिया जिस्से वो हिचक गयी

मै ह्स्ते हुए - हा अब निकालो दीदी
सोनल ह्स्ते हुए - वॉव यार क्या मस्त जोडी लग रही है तुम दोनो की हॉट ऐण्ड सेक्सी कपल एकदम

निशा सोनल की बात से शर्मा गयी और मै उसकी बातो का फायदा उठा के- निशा को पीछे से हग किया और एक हाथ कन्धे के उपर और एक हाथ दुसरे कन्धे के निचे से ले जाकर उसकी चुचियो पर क्रोस करते हुए दुसरे वाले कन्धे पर अपना चेहरा रख कर पोज दिया

सोनल फ़ोटो निकालते हुए - गजब बे तुझको कितने अच्छे अच्छे पोज आते है

फिर मै निशा को छोड कर सोनल के पास गया और उसके हाथ से मोबाईल लेके तसबिरे देखने लगा ।

मै सवाईप करके एक एक तस्वीर देख रहा था कि तभी मोबाईल ने निशा की ऐसी तस्वीर आई जिसमे वो अपना नाभि दिखा रही थी , फिर मैने आगे स्वाईप किया तो सोनल की भी उसी पोज मे तस्वीर थी ।

आगे बढ़ाने पर और भी कामुक कामुक अदाओ से भरी दोनो की सेक्सी तस्विरे थी ।
मै मुस्कुराते हुए - अरे वाह दीदी बहुत ही अच्छी अच्छी तस्वीरे है

सोनल - हा तो हमने खीची है
मै - लेकिन आप दोनो का एक साथ मे नही है फुल फोटो
निशा - हा यार तू निकाल दे ना हम दोनो का

मै एक शरारती मुस्कान के साथ - ठीक है लेकिन यहा नही
उस कमरे मे चलो उसमे अच्छी लाईट आयेगी ,,,यहा धूप की वजह से फिल्टर सही से काम नही कर रहा है

फिर मैने बाल्किनी मे आने वाला दरवाजा बाहर से बंद किया और फिर दोनो के लिवा कर वही के अटैच स्पेयर रूम मे लेके चला गया जो कि खाली था और उसका दरवाजा। बालकनी में खुलता था।

फिर मैने दरवाजा बंद कर सारी लाईट ऑन की जिससे कमरा पुरा जगम्गा गया ।

निशा - हा यार ये जगह तो मस्त है
मै - चलो अब दोनो साथ मे इधर खडे हो जाओ
फिर वो दोनो एक दूसरे से चिपक कर पाऊट करते हुए और एक दुसरे के बाहो मे बाहे डाले और एक दुसरे मे गालो पर किस्स करते हुए फ़ोटो निकलवाये

सोनल - भाई और कोई पोज बता ना
मै तुरंत गूगल पर कुछ सेक्सी पोजेज की तस्वीरें सर्च की और फिर दोनो को अप्ने पास बुलाया

सोनल को दिखाते हुए - ये देखो दीदी ये कैसा है

उस तस्वीर मे दो लडकिया एक दुसरे के आगे पीछे खड़ी थी । पीछे वाली लडकी अपना सर आगे वाली लड्की के कन्धे पर रखे हुए अपना हाथ आगे कर आगे वाली लड्की की ड्रेस उपर किये हुए उसकी नाभि दिखा रही थी और वही सामने वाली लडकी अपने एक साथ उस पीछे वाली लड्की के गालो को बहुत ही कामुक अंदाज मे छू रही थी ।


सोनल पोज देख कर - धत्त ये सब क्या बे ,,, ये सब बड़ी मोडल लोग ही करती है कोई देखेगा तो क्या कहेगा

मै हस कर मोबाइल की गैलरी से उनकी नाभि दिखने वाली तस्वीर खोल कर उनको दिखाते हुए बोला - क्यू ये देख कर सब लोग तारिफ करेन्गे क्या ,,अरे यार कोई बाहरी थोडी ना देखेगा । हम लोग ब्स पोज बना कर मौज मस्ती कर रहे है कौन सा इसका बैनर बनवाना है

निशा मेरी बात सुन कर ह्स्ते हुए - नही भाई ये बैनर बनवायेगी अपना हाहाहा

सोनल अपना मजाक उड़ता देख खीझ गयी और ह्स्ते हुए बोली - रुक अभी बताती हू तुझे बहुत हसी आ रही है ना

सोनल - चल भाई तू खिच , अब देख मेरा कमाल

फिर सोनल निशा को खिच कर वाप्स से उसी जगह ले गयी और उसी तसवीर की तरह निशा को आगे के उसकी उसकी टीशर्ट को उपर खिच कर पोज दिया जिसे मैने क्लिक किया

मै दुसरा पोज ब्ताता की उस्से पहले ही सोनल खड़ी हुई और निशा का टीशर्ट एक झटके मे निकाल दिया और फिर अपना टीशर्ट भी एक साथ निकाल दिया ।

ओह माय गॉड क्या गजब का सेक्सी नजारा था । दोनो बहने अब ब्रा और लोवर मे थी ।
सोनल के दूध काली ब्रा मे काफी भरे हुए थे और वही निशा के चुचे सोनल के मुकाबले छोटे थे और उसने एक प्रिंटेड आसमानी रंग की ब्रा पहनी थी ।


सोनल के टीशर्ट निकालने के बाद निशा ने झट से अपने हाथो को क्रॉस करके अपनी छाती को ढक लिया और झल्ला कर बोली - ये क्या मजाक है दीदी ,, देख नही रही राज है यही

सोनल हस के - धत पागल वो कौन सा बाहरी है ,, अपना भाई ही तो है ना ,
निशा थोडा शांत होकर - लेकिन ऐसे कैसे मुझे शर्म आयेगी यार

सोनल ह्सते हुए - अरे वो भी उपर से नंगा है और हमने तो अपने माल ढके हुए है ना हिहिहिही
फिर सोनल निशा के हाथ उसके सीने से हटाते हुए उसको अपनी तरफ खीच कर पोज देते हुए बोली - हा भाई अब खिच

मै मुस्कुरा कर जीन्स मे उभरे लण्ड को थोदा दबाते हुए - दोनो की बेहद ही सेक्सी तस्वीरे निकाली और बार बार लण्ड को दबा रह था

जिसे सोनल और निशा भी देख कर आप्स मे मुस्कुरा रही थी ।
मुझे अब रहा नही जा रहा था क्योकि मेरे लण्ड मे दर्द होने ल्गा था ।

मै - दिदी मै अभी आ रहा हू
सोनल ह्स्ते हुए - अरे कहा जा रहा है भाई

मै संकोचवश इधर उधर देखा कर मुस्कुरा रहा था ।
सोनल - मुझे पता है तुझे वहा दिक्कत हो रही है तो यही कर ले ना सही

निशा सोनल के बाजू पर चिगोटी काटते हुए मना करती है
सोनल ह्स्ते हुए - देख निशा भी वही बोल रही है कि यही सही कर ले हिहिहिही

निशा खीझ कर ह्स्ते हुए - क्या दीदी मैने कब बोला

सोनल - अब शर्माना छोड और यही सही कर ले
फिर मै मोबाईल उन लोगो को देके उनकी तरफ पिठ करके घूम गया और जीन्स के बटन और चैन खोल कर लण्ड को बाहर निकाल कद एक गहरी सांस ली
मै हल्के हाथो से अपने लण्ड की चमडी और सुपाडे मे उठे दर्द को कम करने के लिये एक दो बार लण्ड की चमडी आगे पीछे किया जिससे मेरे सुपाडे मे ठंडी हवा का आभास हुआ और मै कमर पर हाथ रखे गरदन उपर कर आंखे बंद किये गहरी सास लेते हुए थोडी देर वैसे ही लंड बाहर किये खड़ा रहा और मुझे बहुत ही राहत मह्सूस हो रही थी ।एक पल की मै भूल ही गया कि कहा हू तभी मुझे सोनल के खिलखिलाने और निशा के खुसफुसाने की आवाज अपने बाई तरफ से आई और मै नजर घुमा कर देखा तो सोनल ह्स्ते हुए मेरे लण्ड की तस्वीर निकाल रही थी और निशा उसको रोकने की कोसिस कर रही थी ।

मै झट से दुसरी तरफ घूमते हुए पैंट पकड लिया ।
हालाकि मेरे और सोनल के बिच , मेरे और निशा के बिच व्यकितगत रूप से कोई हिचक वाली बात नही थी लेकिन हम तीनो के कुछ ना कुछ आपस के राज थे जो हम सब से छिपे थे ।

मै ह्स्ते हुए पैंट पकड कर - ये क्या रही हो दीदी पागल हो गई हो क्या
सोनल ह्स्ते हुए - कुछ नही तुझे ब्लैकमेल करने का हथियार जुटा रही हू भाई

उनकी तरफ पिठ किये हुए - ये गलत बात है मै तकलीफ मे हू तो ये क्या बात हुई

सोनल - अच्छा ब्च्चू तकलीफ मे है ,,सुन रही है निशा क्या कह रहा है

निशा खुसफुसा कर - क्या कह रही हो दीदी बस करो अभी

सोनल हस्ते हुए - तू उसके साथ है मेरे साथ । देखती नही ये कमीना अपनी बहनो की जवानी देख कर मजे ले रहा है

मै लखड़ते लहजे मे - ये क्या बोल रही हो दिदी मैने कब ये सब सोचा
सोनल मुझे सामने घुमाते हुए - तो ये तेरा खड़ा कैसे हुआ

मै निशा को देखा जो सोनल के थोडा पीछे खड़े होकर मुह छिपाये हस रही थी और सोनल मुझे चिढाने का इशारा कर रही थी ।

सोनल अपनी होठ पे जीभ घुमाकर हस्ते हुए बोली - बता ना कैसे हुआ खड़ा , तू मेरी और निशा की छातियों को ही घुर रहा था ना

मै हस कर अपना लण्ड को छुपाने की कोसिस मे - ये क्या बात कर रही हो दीदी , मैने थोडी ना बोला आपको की आप कपडे निकाल दो ,,,क्यू निशा दीदी

निशा हस कर मुह फेर लेती है
मै मौका देख कर सोनल से इशारे मे पुछता हू क्या नाटक ये सब

सोनल हस कर इशारे मे लण्ड को चुस्ने की बात कहती है
मै इशारे मे निशा की तरफ दिखा कर उसको बोलता हू की तुम पागल हो वो यही है

सोनल इशारे मे निशा को भी शामिल होने की बात कह्कर हस्ती है
मै सोनल की प्लानिंग समझ गया कि वो क्यू इत्ना नाटक कर रही है और एक गहरी सास लेते हुए मैने भी नाटक करना शुरु कर दिया ।
मै - बोलो ना अब चुप क्यू हो
सोनल - ओहो इस्का मतलब अगर तू अपनी बहनो को नंगा देख लेता है तो तू उन्के बारे मे गंदी गंदी सोच रखेगा

सोनल वापस निशा के पास जाकर उसकी ब्रा कन्धो से सरकाते हुए - अगर मै निशा के ब्रा निकाल दू तो क्या तू फिर भी इनके बारे गलत सोचेगा हा

निशा हस कर छ्टकते हुए सोनल का हाथ हटाने की कोसिस मे - ये क्या कर रही हो दीदी

सोनल - नही निशा आज मुझे इसको आजमा लेने दे ,कल मुझे घर मे अकेला पाकर ना जाने ये क्या कर दे

फिर सोनल के निशा के ब्रा की हुक खोल दी और सामने से निशा के चुचे खोल दिये और फिर मुझे देखकर बोली - तू इधर आ अभी

मै मुस्कुरा कर दोनो के पास गया जहा निशा अपने दोनो हाथों अपने चुचियो को छिपाये सोनल से चिपकी हुई नजर निचे किये कनअखियो से मुझे अपने पास आता देख रही थी ।

मै थोडा नाटक करता हुआ टूटे हुर लहजे मे - जी दीदी बोलो

सोनल झूठ का गुस्सा दिखाते हुए निशा का हाथ उसकी छाती से हटा देती है
वही निशा का मुलायम संतरे जैसी गुलाबी निप्प्ल वाली चुचियो को देख कर मेरा लण्ड झटके खाने लगा और मै गला गिला करने के लिए मुह की लार सोखने लगा

सोनल थोडा गुस्से का नाटक करते हुए - ध्यान से देख निशा के दूध को और एक भाई की नजर से बता ये कैसी लग रही है

मै थूक गटकते एक नजर निशा से मिलाया जो तुरंत नजर घुमा कर मुस्कुराने लगी और फिर मैने बडे गौर से निशा की गोरी मुलायम चर्बी वाली चुचियो को देखने लगा उसके गुलाबी घेरो पर उभरे रोए के दाने और मटर के दाने जैसी गोल कडक निप्प्ल देख कर मै उत्तेजन से भर गया ।

सोनल - बता ना ये भावना आ रही है तुझे एक भाई की नजर से
मै घबडाहट भरे आवाज का नाटक करता हुआ - आ ब ब वो वो वो मै क्या बताऊ दिदी अच्छी तो है ये अब क्या बताऊ इसमे कितनी गोल और मुलायम है ब्स यही सब है


सोनल - और तेरा मन नही कर रहा है कि इनको छूने का
मै ना मे सर हिला कर - नही नही दिदी मै कैसे छू सकता हू ,,निशा दिदी मेरी बहन है ।


सोनल थोडे भारी लहजे मे लण्ड की तरफ इशार करते हुए - तेरे इसको देख के तो ये नही लग रहा है कि तू सच बोल रहा है ,, देख रही हू जबसे मैने निशा के दूध खोले है ये और भी बड़ा हो गया है


मै घबडाहट भरे लहजे मे - वो तो होगा ही ना इतने सुन्दर दुध देख कर ,,,मुझे पता है ये मेरी बहन के है उसे थोडी ना पता होगा दीदी

निशा मेरी बात से हस दी और सोनल भी हस के बोली - मतलब तू नही चाह्ता कि इसे छुए लेकिन ये चाहता छूना

मै अंदाजा ल्गाने के भाव मे - नही , हा , मतलब वही
तब तक सोनल ने भी अपनी ब्रा निकाल दी और बोली - अब बता इनको देख कर क्या सोच रहा है तू और क्या सोच रहा है तेरा ये

मै दीदी की मोटी भूरे निप्प्ल वाली गोरी चुचियो को देख कर और भी हतास परेसान होने लगा

मै - अब ब ब ये ये ये तो बडे है और सेक्सी है
सोनल - येही सोचता हू तू मेरे बारे मे
मै हदब्ड़ी के भाव मे - नही नही दीदी ,,ये मै नही मेरा ये सोच रहा है

सोनल और निशा दोनो आपस मे मुस्कुरा रहे थे और हसी मुझे भी आ रही थी

सोनल - मतलब तू हमारे बारे कुछ गलत नही सोचता
मै मुस्कुराते हुए ना मे सर हिलाया

सोनल - तो मतलब हम इसके साथ कुछ भी करे तुझे कोई दिक्कत नही होगी


मै सोचने के भाव मे आ गया और कभी सोनल की कातिल मुस्कान के साथ इतराते चेहरे को देखता तो कभी निशा के शर्मा से नजरे चुरा कर मुस्कुराते हसिन चेहरे को
कभी एक पल को निशा की गुलाबी निप्प्ल वाली चुची को देखकर उसके मुलायम स्पर्श पाने को सिहर उठता तो एक सोनल के मोटी डार्क निप्पल वाली चुची को हथेली मे भर के मिजने का मन करता
आगे ना जाने ये सोनल की शरारत क्या गुल खिलाने वाली थी और क्या कुछ बदलने वाला था हमारी जिन्दगी मे

जारी रहेगी
पढ कर अपना रेवियू जरुर दे । कहानी कैसी चल रही है इस पर भी अपनी राय जरुर दे ।
अपना प्यार और सपोर्ट बनाये रखें
धन्यवाद
Kaamuk update dost
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,022
173
UPDATE 76



अब तक

सोनल - मतलब तू हमारे बारे कुछ गलत नही सोचता
मै मुस्कुराते हुए ना मे सर हिलाया

सोनल - तो मतलब हम इसके साथ कुछ भी करे तुझे कोई दिक्कत नही होगी


मै सोचने के भाव मे आ गया और कभी सोनल की कातिल मुस्कान के साथ इतराते चेहरे को देखता तो कभी निशा के शर्मा से नजरे चुरा कर मुस्कुराते हसिन चेहरे को
कभी एक पल को निशा की गुलाबी निप्प्ल वाली चुची को देखकर उसके मुलायम स्पर्श पाने को सिहर उठता तो एक सोनल के मोटी डार्क निप्पल वाली चुची को हथेली मे भर के मिजने का मन करता
आगे ना जाने ये सोनल की शरारत क्या गुल खिलाने वाली थी और क्या कुछ बदलने वाला था हमारी जिन्दगी मे


अब आगे
मै हैरत भरे भाव मे दोनो को देखकर एक छिपी मुस्कान के साथ - हा हा दीदी ,,मुझे क्या दिक्कत हो

तभी सोनल ने हाथ आगे करके मेरा खड़ा लण्ड को मुठ्ठि मे भर लिया और यहा मेरी सासे उपर निचे होने लगी और लण्ड मे कसाव बढ़ने के साथ दीदी के गर्म मुलायम हाथ के स्पर्श से मेरे नशो मे एक बिजली सी दौड़ गयी और मै एक गहरी सास लेते हुए सिहर गया ।

वही निशा शॉक से अपने मुह पद हाथ रख ली की सोनल ने क्या कर दिया एक बहन ने अपने ही भाई का लण्ड पकडे हुए है
निशा हैरत के भाव मे - दीदी ये आ आप क क क्या कर रही है ?????

सोनल - नही निशा आज मुझे परख लेने दे कि इसका इसके अरमानो पर कितना नियन्त्रण है

निशा झिझकर - क्या दीदी जाने दो ना हो जाता है ये सब ,,, ये सब नेचुरल है होना ,,

सोनल अब निशा को लपेटते हुए - क्या कहना चाहती है तू निशा ,,, तूझे भी सेक्स भावना आ रही है क्या इसका खड़ा हुआ देख कर

अब निशा के पास कोई जवाब नही था वो बिच मे बोल के फस गयी थी

निशा शर्मा कर थोडा ह्स्ते हुए - ये क्या कह रही हो दीदी भाई है वो मेरा मुझे क्यू आयेगी ऐसी भावना

सोनल गुस्से का भाव लाके - मुझे तो लग रहा है कि तू भी इसके जैसी ही है तभी ऐसी बाते कर रही है

इतना बोल कर वो निशा हाथ पकड कर उसको निचे घूटनो के बल मेरे लण्ड के सामने बिठा दिया

निशा जिज्ञासा भरे भाव सोनल को नजरे उपर कर देखते हुए पुछती है - ये कया कर रही हो दीदी

सोनल - मुझे तेरा भी नियंत्रण चेक करना पडेगा ,,,मुझे तो तेरी खुद की नियत नही ठीक लग रही है

निशा हस्ते हुए - क्या दीदी आप क्या बोले जा रही हो

तभी सोनल मेरे पीछे खडे होके अपना हाथ आगे लाके मेरे लण्ड निचे से सुपाडे तक हाथ फिराया जिससे मै हिल गया वही दीदी की नंगी चुचियो के नुकीले मेरे पिठ पर चुबने लगे जिससे मेरा पुरा बदन गनगना गया

वही सोनल वापस मेरे चमडी को सुपाडे से निचे खिच के निशा को बोलती है - ध्यान से देख निशा ,,,और बता एक बहन की नजर से तुझे क्या महसूस हो रहा है

निशा ह्स्ते हुए - धत्त दीदी , मुझे शर्म आ रही है

सोनल - मतलब मौका मिले तो तू बहक जायेगी अपने भाई के साथ ही हा

निशा थोडा सिरिअस होके अपने कामुज भावनाओ को छिपाते हुए के - क्या दीदी ये क्या कह रही हो मुझे इसको देख के क्या इसको छू भी लू तो भी मुझे कुछ नही होगा ,,,जैसे आपको नही हो रहा है असर वैसे मुझे भी नही होगा

सोनल - हमम ठीक है फिर पकड
मै चौक के - दीदी !!!!

सोनल - तू चुप रह , निशा तू पकड इसको
निशा सोनल के डांट से सहम गयी और हाथ बढ़ा कर मेरे लण्ड को सहलाने लगी ।
अब मेरे बदन मे अलग ही जोर पड़ रहा था ,,काफी समय से एक जगह खडे होने से मेरे पैर कापने लगे थे और वही निशा बड़ी मादकता से मेरे लण्ड को मुठ्ठि मे कस कर सहला रही थी ।

वही मै अपने पैर ठीक करने के लिए थोडा हिलदुल कर आगे बढ़ा और निशा के चेहरे के पास तक गया । धीरे धीरे कमरे का माहौल बेहद कामूक होने लगा ,,,और सोनल भी पीछे से अपनी चुचिया मेरे पिठ पर घिसते हुए सामने हाथ लाकर मेरे पेड़ू वाले हिस्से को सहला रही थी और उसका चेहरा मेरे कन्धे पर बहुत हल्की मादक आहे भर रहा था ,,,वही निशा भी मेरे लण्ड के स्पर्श के खो गयी ,,, और धिरे धीरे उसने अपने भाव चेहरे पर लाने शुरु कर दिये

मौका देख के मैने अपनी गाड़ के पाटो को सख्त करते हुए लण्ड को और भी तीखा कर निशा के बालो पर हाथ रखा और लण्ड की तरफ बहुत हल्का सा जोर लगाया और मदहोश निशा ने मुह खोल के धीरे से लण्ड को आधा मुह मे भर कर धीरे धीरे चूसना शुरु कर दिया
समय देख कर सोनल मेरे पीछे से हट मेरे बगल मे आई और मै उसके कमर मे हाथ डाल कर अपने करीब करता हुआ उसके होठो को चुस लेता हू
वही इनसब से अंजान निशा , मादकता से भरके बड़ी ही कामुकता से आंखे बन्द किये मेरे लण्ड को बहुत बहुत अन्दर बाहर कर रही थी । जिससे उसके होठो का मुलायाम स्पर्श मुझे झकझोर दे रहा था
वही सोनल ने धिरे से अपना हाथ बढ़ा कर निशा के बालो मे उसके सर पर हल्का जोर देते हुए और ज्यादा लण्ड मुह मे भरने के लिए दबाती है । जिससे मुह मे लण्ड भरे निशा नजरे उपर कर सोनल को देखती है और सोनल मुस्कुरा कर उसे इत्मीनान होने का इशारा कर उसके बालो मे हाथ फेरती है ।

जिससे लण्ड के नशे मे धुत निशा वापस मेरे लण्ड को वैसे ही मादक भरे अंदाज मे धीरे धीरे चूसने लगती है ।
यहा मै सोनल की एक चुची को पकड कर मिजते हुए उसके होठ चुसना शुरु कर देता हू जिस्से सोनल तडप उठती है और मेरे होठो को अपने होठो से चुस्ते हुए खीचने लगती है
वही मेरा दुसरा हाथ सोनल की गाड़ को सहला रहा था
इधर मै और सोनल मस्त थे तभी मुझे आभास हुआ की निशा ने मेरे लण्ड को चूसना बन्द कर दिया और तभी मुझे मेरे और सोनल के चेहरे के बिच एक और चेहरा घुसते हुए मह्सुस होता है और तभी आंखे खुलती है मेरी और देखता हूं निशा भी मेरे होठो को चूसने के फिराक मे झपट रही थी

तो सोनल खुद अलग होके निशा को मौका देती है और मौका मिलते ही निशा मुझ पर झपट पड़ती है और मै भी उसकी कमर मे हाथ डाल कर उसके अपनी तरफ खीच के उसके होठो को चुस्ने लगता हू और हाथ निचे ले जाकर उसकी लोवर मे हाथ घुसा कर उसके गाड़ के मुलायम पात को फैलाते हुए मिजने लगा जिस्से निशा और भी उत्तेजित होकर मेरे होठो को चुस्ने लगी ।
इधर दीदी ने निचे जा चुकी थी और लण्ड को मुह मे भर कर पुरे हवसी ढंग से लण्ड की चमडी को खिच के सुपाडे को सुरकते हुए लण्ड को गले तक उतार रही थी ।

इधर मै अपना सारा सिहरन और उत्तेजना निशा की मुलायम गाड़ पर उतार रहा था और धीरे धीरे उसका लोवर और पैंटी जांघो तक कर उसके गाड़ के सुराख को छेड़ने लगा जिससे तडप कर निशा मेरे होठो को छोड कर मेरे कंधो को थामे सिसकियाँ लेने लगी और मौका देख कर मैं झुककर उस्की गुलाबी निप्प्ल वाली चुची को मुह मे भर लिया जिससे निशा और भी तडप उठी

निशा - अह्ह्ह मा बचाओ दीदी अह्ह्ह उफ्फ्फ अह्ह्ह सीई उम्म्ंम्ं अह्ह्ह भाई धीरे उह्ह्ह
मै बिना कुछ बोले निशा की गाड़ कुदेरते हुए उसकी चुचिया पिए जा रहा था
इधर सोनल के लगातर हवसी ढंग से लण्ड चूसने से मेरे पैर मेरा साथ नही दे रहे थे तो मै निशा को छोडा और सोनल का सर पीछे कर उसके मुह से लण्ड निकाला और खसक कर पास के दीवाल का टेक ल्गा लिया और इसिबिच मदहोश हुई निशा ने झट से अपनी पैंटी और लोवर को निकाल दिया और वापस से मुझ पर झपट पड़ती है और इस बार सामने से अपनी नंगी चुत को मेरे लण्ड के सुपाडे पर घुमाते हुए अपनी जीभ मेरे मुह मे घुमाती है जिससे मै उतेजीत होकर उस्की एक टाँग उठा के कमर तक रख के उसके होठ चुसते हुए और उसकी कमर मे हाथ डाले उसके चुत के निचे हिस्से मे लण्ड को रगड़ कर पीछे गाड़ तक ले जाता

वही मौका पाकर सोनल वापस नीचे बैठ के अपनी जीभ निकाल के मेरे आड़ो को चूसने लगी और
अपनी जीभ मेरे लण्ड के निचले नशो पर फेरते हुए चाटने लगी ,,,कभी कभी मेरे लण्ड के सुपाडे को चाटते चाटते उसकी जीभ निशा की गाड़ के सुराख को छू जाती जिससे निशा मुझे और कस कर दबोच लेती ।

जल्द ही निशा के कूल्हो मे दर्द उठने लगा और वो अपना पैर निचे कर दी और मैने उसको घुमा कर पीछे से पकड़ते हुए उसकी चुचीयो को मिजना शुरु कर दिया और कसमसाने लगी

और फिर मैने झुक कर अपना लण्ड पीछे से उसकी गाड़ के निचे और जांघो के बिच से सामने चुत से लकीर पर निकाला और उसको खुद से चिपका कर उसकी चूचियो को नोचते हुए उसके कंधे को चूमने ल्गा

निशा दर्द और लण्ड के स्पर्श से सिहर गयी और वही सोनल मेरे सुपाडे को निशा की चुत के निचे निकला पाकर फौरन गदरन आगे कर अपनी जीभ निकाल कर मेरे सुपाडे पर जीभ घुमाने लगी और उसको मुह मे भरने की कोसीस मे सोनल के होठ निशा के चुत के दाने को छूने लगे जिससे निशा अपनी कमर उचका देती

इधर जैसे ही सोनल के जीभ निशा के दानो पर पड़े तो निशा हिछूक के - अह्ह्ह दीदी उम्म्ं उफ्फ्फ्च भाई आराम से नोच क्यू रहे है देखो लाल हो गया है उम्म्ंम्म्ं हा ऐसे करो ना उफ्फ्फ अह्ह्ह दीदी क्या कर रही हो उफ्फ्फ

मैने नजर निचे की देखा सोनल मेरे लंड को पकड उसे निचे झुका दिया है और अपने होठो मे निशा की झान्तो से भरी चुत को दबा कर चुबला रही है और साथ मे मेरे लण्ड की चमडी को आगे पीछे कर रही है ।

मुझे समझ नही आ रहा था कि सोनल और निशा के साथ सेक्स इतना अतभुत होगा
जल्दी ही निशा का बदन कापने लगा और वो अपनी पैर के उंगलियो के बल खड़ी होकर अपनी चुत सोनल के मुह पर रगड़ने लगी और सोनल भी मेरे लण्ड को छोड कर निशा की जांघो को थामे पुरा जोर लगा के उसकी चुत को चुस रही थी

निशा ने एक हाथ मेरे कंधो मे डाला और दुसरे हाथ से सोनल के बाल खीचते हुए कापने लगी - अह्ह्ह्ह दीदी अह्ह्ह उह्ह्ह मा उफ्फ़फ्फ आह्ह आह्ह और और रुकना मत मत भाई पकडे रहो मुझे आह्ह आह्ह
मै खुश होकर निशा को उसकी कमर मे हाथ डाल कर अच्छे से सम्भालते हुए उसकी चुचियो के निप्प्ल पर हल्के हाथो से अपने हथेली के खुरडरे स्पर्श से छुता हू जिस्से निशा और उतेजीत हो जाती है और कापते पैरो के साथ अपनी कमर उचकाने लगती है

निशा - ओ माय गॉड दीदी अह्ह्ह आह्ह ओ गॉड ओ मम्मी अह्ह्ज मा उफ्फ्फ अह्ह्ह आह्ह और और और हा हा ऐसे चुसो दीदी ओ मां अह्ह्ह निकाल दो ना उह्ह्ह्ह अह्ह्ह
निशा अपनी जांघो के दर्द और नशो मे उठी उसके कामरस के प्रवाह से मेरे बाहो मे शिथिल पड़ गयी और जल्द ही उसकी कमर ने झटका देना छोड दिया
वही सोनल ने निशा की चुत साफ करते हुए खड़ी हुई तो मै उसको अपनी तरफ खिच कर उसके होठ और जीभ चुसने लगता हू ,,मुझे भी निशा की चुत की भीनी खुशबू और स्वाद की थोडी बहुत अनुभूति हो जाती है ।
वही निशा धीरे धीरे मेरे बाहो से सरक से दीवाल का टेक लेके फरश पर पाव पसारे बैठ जाती है ।
और मै सोनल के जिस्मो को मलने लगता हू ।
और उसको घुमा कर पीछे से पकडते हुए उसकी मोटी चुचियो को मिजते हुए उसके डार्क निप्प्ल को मरोडने लगता हू वही सोनल अप्नी गाड़ मेरे खड़ा लण्ड पर रगड़ने लगती है और मै भी अपने हाथ आगे ले जाकर उसकी चुत को लोवर मे हाथ डाले सहलाने लगा जिससे सोनल और ज्यादा मचलने लगती है ।

मै उसको छोड कर झट से निचे बैठ कर उसका लोवर और पैंटी निचे कर देता हू और उसको दीवाल की तरफ झुकाते हुए अपना मुह सोनल की गाड़ मे लगा देता हू

सोनल अपने एड़ियो को उचका कर अपने गाड़ के पाटो को सख्त कर लेती है और मै उस्क्क जान्घो पर अपने चेहरा घुमाता हू और जल्द ही वापस सोनल अपने गाड़ को ढिला कर देती है ।
इस बार मै दोनो हाथो से सोनल के मुलायाम गुलगले गाड़ के पाटो को फैला कर अपनी जीभ को नुकिला कर सिधा उसके सुराख को छूने लगता हू जिस्से सोनल और अकड जाती है और अपने जांघो को और खोलकर चुतड को मेरे नथनो पे रगड़ने लगती है ।
मै अब लपालप जीभ घुमाते हुए उस्के गाड़ के सास लेते छेद पर जीभ चलाते हुए उसकी चुत के रिस्ते निचले हिस्से को चाटने लगता हू और अपनी चुत के नीचले हिस्सो पर मेरे जीभ का स्पर्श पाकर सोनल अपनी गाड़ उचका अपनी जांघो को और ज्यदा खोल देती है जिससे मेरे जीभ उसकी गर्म चुत मे घुस जाती है और सोनल गनगना जाती है ।

मै वापस खड़ा होके सोनल के कान मे बोलता हू - दीदी चलो ना 69 करते है

सोनल एक मादक भरे मुस्कान मे सिहर का हा मे गरदन हिला देती है और मै खुशी से उसके गाड़ के पाट को सहला कर फर्श पर लोट जात हू और सोनल अपनी गाड़ मेरे मुह पे रखते हुए 69 की पोजीशन मे आ जाती है ।

मै एक गहरी सास के साथ सोनल की चुत और गाड़ की मादक खुस्बु लेके उसके कूल्हो को थामते हूए गरदन उठा कर अपनी जीभ को सोनल के चुत पर चलाना शुरु कर दिया और वही सोनल मे मेरे लण्ड के चमडी को खिचते हुए अपनी अंदाज मे लण्ड को किसी रन्दी के जैसे चूसने लगी ।

मै लगातार अप्नी जीभ सोनल के चुत औए गाड़ के सुराख पर चलाता और कभी कभी ज्यादा गरदन उचि कर अप्नी जीभ उसकी गरम रिसती चुत मे घुसा कर अन्दर का माल चाट लेता । ऐसा करते समय सोनल अप्नी चुत मेरे मुह और दर देती थी और लण्ड को गले तक ले जाती है जल्द ही मेरा लण्ड उसकी लार से भीग गया और मुझे पुरा मन होने ल्गा की दीदी की चुत मे अब लण्ड उतार दू उस्के लिये मै लगातार जीभ से सोनल के बुर की खुदाई किये जा रहा था और तभी सोनल ने मेरे मुह पर बैठ कर अच्छे से चुत के दाने को रगड़ते हुए अपनी कमर झटका कर सीसक्ने लगी और जल्द ही मेरे मुह मे उस्का माल टपकने ल्गा ।


तभी मुझे अपने जांघो के पास एक गरमी सी मह्सूस हुई और सोनल की खुसफुसाहत भी और मै देखने के लिये आगे गरदन ऊचा किया तो सामने निशा खड़ी दिखी कुछ बोलता तब तक वो मेरा लण्ड अपने हाथ मे पकडते हुए अपनी चुत पर सेट कर अपनी गाड़ पे बल दते हुए मेरे लण्ड को अपनी सुखी चुत मे उतार लिया और मेरी चमडी खिचती हुई दर्द भरी आहहह मुझे देते गयी और मै तडप उठा ,,,वही निशा के आखो से आसू छलक प्डे

निशा दर्द से मेरे खडे लण्ड पर जोश मे बैठ तो गयी थी लेकिन उसके कुल्हे और जान्घे दर्द से उभर गये और वो दर्द भरे चेहरे से बोली - आअह्ह्झ मा दीदीईई बहुत दर्द हो रहा है उफ्फ्फ

इधर सोनल झट से मेरे मुह पर से उठी और निशा के बगल मे बैथ के उसकी कमर के नीचले हिस्सो को सहलाने लगी ।
वही निशा मेरे पेट पे हाथ रखे अपनी गाड़ उचका कर धीरे धीरे मेरे लण्ड को दर्द की वजह से छोडना चाह रही थी

सोनल निशा को दुलारते हुए - ब्स ब्स निशा अब नही होगा दर्द,रुक जा बाहर मत निकल

निशा दर्द भरी आवाज मे आसू छलकाती हुई - बहुत जलन हो रहा है दीदी अह्ह्ह

सोनल उसकी पिठ और कमर को सहलाते हुए - धीरे धीरे निचे जाओ निशा कुछ नही होगा ,,, हा आराम से बिल्कुल

इधर निशा सोनल के कहे अनुसार वापस से मेरे लण्ड पर बैठते हुए अपनी चुत मे उसे निगलने लगी और जब जड तक मेरे लण्ड को ले लिया तो एक गहरी सास लेते हुए खुद के आसू साफ करते हुए हसने लगी ।

सोनल उसके आसूओ से भिगे गाल काटते हुए बोली - देखा कुछ नही हुआ

निशा शर्मा रही थी और सोनल के होठो को चूमते हुए बोली - थैंक यू दिदी ,,,अब क्या करु

सोनल ह्स कर -अब धीरे धीरे उपर निचे करके अपने ये गाड़ हिला ,,,सोनल निशा के गाड़ को सहलाते हुए बोली

निशा ह्स्ते हुए अपनी गाड़ को हल्का हल्का हिलाना शुरु किया - अह्ह्ह दीदी उम्म्ं गुदगुड़ी हो रही है अन्दर अह्ह्ह उम्म्ंम

सोनल - अब आया ना मज़ा हीही

वही निशा झुक के मेरे उपर लेट गयी और मेरे होठ चुस्ते हुए बोली - आई लव यू राज
मै उसके गाड़ को सहलाते हुए अपनी कमर उचका कर उसके चुत मे लण्ड को पेलेते हुए कहा -आई लव यू टू दीदी

और धीरे धीरे मैने उस्की कमर को थामे स्पीड बढ़ाते हुए सटासट पेलना शुर कर दिया और जल्द ही उसकी चुत ने मेरे लिये जगह बना ली और उसको मजा आने लगा ,,,वही सोनल बैठी हुई कभी मेरे आड़ो को सहलाती तो कभी सोनल के गाड़ के सुराख को चाटती

कुछ समय की जोरदार कसी हुई चुत मे चोदने और पहले भी लण्ड चुस्वाने से जल्द ही मै झड़ने के करीब था
मै जल्दी से खुद को रोका और निशा को उतार दिया

फिर खड़ा होकर मै अपना लण्ड हिलाते हुए बोला दीदी मेरा आने वला है

मेरे झड़ने की बात सुन के दोनो जल्दी जल्दी मेरे कदमो मे आई और जीभ निकाल कर मेरे पिचकारी का इन्तजार करने लगी

मैने भी अपनी एड़ियो को उचका के अपने गाड़ के पाट को सख्त किया और लण्ड के सुपाडे के नीचली नश को आखिरी सास तक रोकते हुए एक लम्बी आह के साथ वीर्य से भरी ब्ड़ी पिचकारी सोनल के मुह पर छोड दी और दुसरी धार के लिये निशा ने अपना मुह आगे किया और मैने अपना लन्द उसके जीभ पर रख कर हिलाया सारा माल उसकी मुह मे भर दिया और बाकी का माल सोनल ने लण्ड को मुह मे भर कर निचोड लिया । फिर एक दुसरे के होठो को चुसते हुए माल की हेरा फेरि करते हुए हसने लगी ।
मै थक कर दीवाल का टेक लगाते हुए बैठ गया और उनकी हसी मे शामिल हो गया ।


जारी रहेगी
Read and review
Keep supporting and loving
Thanks
Hot update dost
 

Lutgaya

Well-Known Member
2,159
6,413
159
आज के अपडेट ने शोले दहका दिए
सोनल की भी फडवा देते
 

Dhansu2

Well-Known Member
2,052
3,739
158
UPDATE 76



अब तक

सोनल - मतलब तू हमारे बारे कुछ गलत नही सोचता
मै मुस्कुराते हुए ना मे सर हिलाया

सोनल - तो मतलब हम इसके साथ कुछ भी करे तुझे कोई दिक्कत नही होगी


मै सोचने के भाव मे आ गया और कभी सोनल की कातिल मुस्कान के साथ इतराते चेहरे को देखता तो कभी निशा के शर्मा से नजरे चुरा कर मुस्कुराते हसिन चेहरे को
कभी एक पल को निशा की गुलाबी निप्प्ल वाली चुची को देखकर उसके मुलायम स्पर्श पाने को सिहर उठता तो एक सोनल के मोटी डार्क निप्पल वाली चुची को हथेली मे भर के मिजने का मन करता
आगे ना जाने ये सोनल की शरारत क्या गुल खिलाने वाली थी और क्या कुछ बदलने वाला था हमारी जिन्दगी मे


अब आगे
मै हैरत भरे भाव मे दोनो को देखकर एक छिपी मुस्कान के साथ - हा हा दीदी ,,मुझे क्या दिक्कत हो

तभी सोनल ने हाथ आगे करके मेरा खड़ा लण्ड को मुठ्ठि मे भर लिया और यहा मेरी सासे उपर निचे होने लगी और लण्ड मे कसाव बढ़ने के साथ दीदी के गर्म मुलायम हाथ के स्पर्श से मेरे नशो मे एक बिजली सी दौड़ गयी और मै एक गहरी सास लेते हुए सिहर गया ।

वही निशा शॉक से अपने मुह पद हाथ रख ली की सोनल ने क्या कर दिया एक बहन ने अपने ही भाई का लण्ड पकडे हुए है
निशा हैरत के भाव मे - दीदी ये आ आप क क क्या कर रही है ?????

सोनल - नही निशा आज मुझे परख लेने दे कि इसका इसके अरमानो पर कितना नियन्त्रण है

निशा झिझकर - क्या दीदी जाने दो ना हो जाता है ये सब ,,, ये सब नेचुरल है होना ,,

सोनल अब निशा को लपेटते हुए - क्या कहना चाहती है तू निशा ,,, तूझे भी सेक्स भावना आ रही है क्या इसका खड़ा हुआ देख कर

अब निशा के पास कोई जवाब नही था वो बिच मे बोल के फस गयी थी

निशा शर्मा कर थोडा ह्स्ते हुए - ये क्या कह रही हो दीदी भाई है वो मेरा मुझे क्यू आयेगी ऐसी भावना

सोनल गुस्से का भाव लाके - मुझे तो लग रहा है कि तू भी इसके जैसी ही है तभी ऐसी बाते कर रही है

इतना बोल कर वो निशा हाथ पकड कर उसको निचे घूटनो के बल मेरे लण्ड के सामने बिठा दिया

निशा जिज्ञासा भरे भाव सोनल को नजरे उपर कर देखते हुए पुछती है - ये कया कर रही हो दीदी

सोनल - मुझे तेरा भी नियंत्रण चेक करना पडेगा ,,,मुझे तो तेरी खुद की नियत नही ठीक लग रही है

निशा हस्ते हुए - क्या दीदी आप क्या बोले जा रही हो

तभी सोनल मेरे पीछे खडे होके अपना हाथ आगे लाके मेरे लण्ड निचे से सुपाडे तक हाथ फिराया जिससे मै हिल गया वही दीदी की नंगी चुचियो के नुकीले मेरे पिठ पर चुबने लगे जिससे मेरा पुरा बदन गनगना गया

वही सोनल वापस मेरे चमडी को सुपाडे से निचे खिच के निशा को बोलती है - ध्यान से देख निशा ,,,और बता एक बहन की नजर से तुझे क्या महसूस हो रहा है

निशा ह्स्ते हुए - धत्त दीदी , मुझे शर्म आ रही है

सोनल - मतलब मौका मिले तो तू बहक जायेगी अपने भाई के साथ ही हा

निशा थोडा सिरिअस होके अपने कामुज भावनाओ को छिपाते हुए के - क्या दीदी ये क्या कह रही हो मुझे इसको देख के क्या इसको छू भी लू तो भी मुझे कुछ नही होगा ,,,जैसे आपको नही हो रहा है असर वैसे मुझे भी नही होगा

सोनल - हमम ठीक है फिर पकड
मै चौक के - दीदी !!!!

सोनल - तू चुप रह , निशा तू पकड इसको
निशा सोनल के डांट से सहम गयी और हाथ बढ़ा कर मेरे लण्ड को सहलाने लगी ।
अब मेरे बदन मे अलग ही जोर पड़ रहा था ,,काफी समय से एक जगह खडे होने से मेरे पैर कापने लगे थे और वही निशा बड़ी मादकता से मेरे लण्ड को मुठ्ठि मे कस कर सहला रही थी ।

वही मै अपने पैर ठीक करने के लिए थोडा हिलदुल कर आगे बढ़ा और निशा के चेहरे के पास तक गया । धीरे धीरे कमरे का माहौल बेहद कामूक होने लगा ,,,और सोनल भी पीछे से अपनी चुचिया मेरे पिठ पर घिसते हुए सामने हाथ लाकर मेरे पेड़ू वाले हिस्से को सहला रही थी और उसका चेहरा मेरे कन्धे पर बहुत हल्की मादक आहे भर रहा था ,,,वही निशा भी मेरे लण्ड के स्पर्श के खो गयी ,,, और धिरे धीरे उसने अपने भाव चेहरे पर लाने शुरु कर दिये

मौका देख के मैने अपनी गाड़ के पाटो को सख्त करते हुए लण्ड को और भी तीखा कर निशा के बालो पर हाथ रखा और लण्ड की तरफ बहुत हल्का सा जोर लगाया और मदहोश निशा ने मुह खोल के धीरे से लण्ड को आधा मुह मे भर कर धीरे धीरे चूसना शुरु कर दिया
समय देख कर सोनल मेरे पीछे से हट मेरे बगल मे आई और मै उसके कमर मे हाथ डाल कर अपने करीब करता हुआ उसके होठो को चुस लेता हू
वही इनसब से अंजान निशा , मादकता से भरके बड़ी ही कामुकता से आंखे बन्द किये मेरे लण्ड को बहुत बहुत अन्दर बाहर कर रही थी । जिससे उसके होठो का मुलायाम स्पर्श मुझे झकझोर दे रहा था
वही सोनल ने धिरे से अपना हाथ बढ़ा कर निशा के बालो मे उसके सर पर हल्का जोर देते हुए और ज्यादा लण्ड मुह मे भरने के लिए दबाती है । जिससे मुह मे लण्ड भरे निशा नजरे उपर कर सोनल को देखती है और सोनल मुस्कुरा कर उसे इत्मीनान होने का इशारा कर उसके बालो मे हाथ फेरती है ।

जिससे लण्ड के नशे मे धुत निशा वापस मेरे लण्ड को वैसे ही मादक भरे अंदाज मे धीरे धीरे चूसने लगती है ।
यहा मै सोनल की एक चुची को पकड कर मिजते हुए उसके होठ चुसना शुरु कर देता हू जिस्से सोनल तडप उठती है और मेरे होठो को अपने होठो से चुस्ते हुए खीचने लगती है
वही मेरा दुसरा हाथ सोनल की गाड़ को सहला रहा था
इधर मै और सोनल मस्त थे तभी मुझे आभास हुआ की निशा ने मेरे लण्ड को चूसना बन्द कर दिया और तभी मुझे मेरे और सोनल के चेहरे के बिच एक और चेहरा घुसते हुए मह्सुस होता है और तभी आंखे खुलती है मेरी और देखता हूं निशा भी मेरे होठो को चूसने के फिराक मे झपट रही थी

तो सोनल खुद अलग होके निशा को मौका देती है और मौका मिलते ही निशा मुझ पर झपट पड़ती है और मै भी उसकी कमर मे हाथ डाल कर उसके अपनी तरफ खीच के उसके होठो को चुस्ने लगता हू और हाथ निचे ले जाकर उसकी लोवर मे हाथ घुसा कर उसके गाड़ के मुलायम पात को फैलाते हुए मिजने लगा जिस्से निशा और भी उत्तेजित होकर मेरे होठो को चुस्ने लगी ।
इधर दीदी ने निचे जा चुकी थी और लण्ड को मुह मे भर कर पुरे हवसी ढंग से लण्ड की चमडी को खिच के सुपाडे को सुरकते हुए लण्ड को गले तक उतार रही थी ।

इधर मै अपना सारा सिहरन और उत्तेजना निशा की मुलायम गाड़ पर उतार रहा था और धीरे धीरे उसका लोवर और पैंटी जांघो तक कर उसके गाड़ के सुराख को छेड़ने लगा जिससे तडप कर निशा मेरे होठो को छोड कर मेरे कंधो को थामे सिसकियाँ लेने लगी और मौका देख कर मैं झुककर उस्की गुलाबी निप्प्ल वाली चुची को मुह मे भर लिया जिससे निशा और भी तडप उठी

निशा - अह्ह्ह मा बचाओ दीदी अह्ह्ह उफ्फ्फ अह्ह्ह सीई उम्म्ंम्ं अह्ह्ह भाई धीरे उह्ह्ह
मै बिना कुछ बोले निशा की गाड़ कुदेरते हुए उसकी चुचिया पिए जा रहा था
इधर सोनल के लगातर हवसी ढंग से लण्ड चूसने से मेरे पैर मेरा साथ नही दे रहे थे तो मै निशा को छोडा और सोनल का सर पीछे कर उसके मुह से लण्ड निकाला और खसक कर पास के दीवाल का टेक ल्गा लिया और इसिबिच मदहोश हुई निशा ने झट से अपनी पैंटी और लोवर को निकाल दिया और वापस से मुझ पर झपट पड़ती है और इस बार सामने से अपनी नंगी चुत को मेरे लण्ड के सुपाडे पर घुमाते हुए अपनी जीभ मेरे मुह मे घुमाती है जिससे मै उतेजीत होकर उस्की एक टाँग उठा के कमर तक रख के उसके होठ चुसते हुए और उसकी कमर मे हाथ डाले उसके चुत के निचे हिस्से मे लण्ड को रगड़ कर पीछे गाड़ तक ले जाता

वही मौका पाकर सोनल वापस नीचे बैठ के अपनी जीभ निकाल के मेरे आड़ो को चूसने लगी और
अपनी जीभ मेरे लण्ड के निचले नशो पर फेरते हुए चाटने लगी ,,,कभी कभी मेरे लण्ड के सुपाडे को चाटते चाटते उसकी जीभ निशा की गाड़ के सुराख को छू जाती जिससे निशा मुझे और कस कर दबोच लेती ।

जल्द ही निशा के कूल्हो मे दर्द उठने लगा और वो अपना पैर निचे कर दी और मैने उसको घुमा कर पीछे से पकड़ते हुए उसकी चुचीयो को मिजना शुरु कर दिया और कसमसाने लगी

और फिर मैने झुक कर अपना लण्ड पीछे से उसकी गाड़ के निचे और जांघो के बिच से सामने चुत से लकीर पर निकाला और उसको खुद से चिपका कर उसकी चूचियो को नोचते हुए उसके कंधे को चूमने ल्गा

निशा दर्द और लण्ड के स्पर्श से सिहर गयी और वही सोनल मेरे सुपाडे को निशा की चुत के निचे निकला पाकर फौरन गदरन आगे कर अपनी जीभ निकाल कर मेरे सुपाडे पर जीभ घुमाने लगी और उसको मुह मे भरने की कोसीस मे सोनल के होठ निशा के चुत के दाने को छूने लगे जिससे निशा अपनी कमर उचका देती

इधर जैसे ही सोनल के जीभ निशा के दानो पर पड़े तो निशा हिछूक के - अह्ह्ह दीदी उम्म्ं उफ्फ्फ्च भाई आराम से नोच क्यू रहे है देखो लाल हो गया है उम्म्ंम्म्ं हा ऐसे करो ना उफ्फ्फ अह्ह्ह दीदी क्या कर रही हो उफ्फ्फ

मैने नजर निचे की देखा सोनल मेरे लंड को पकड उसे निचे झुका दिया है और अपने होठो मे निशा की झान्तो से भरी चुत को दबा कर चुबला रही है और साथ मे मेरे लण्ड की चमडी को आगे पीछे कर रही है ।

मुझे समझ नही आ रहा था कि सोनल और निशा के साथ सेक्स इतना अतभुत होगा
जल्दी ही निशा का बदन कापने लगा और वो अपनी पैर के उंगलियो के बल खड़ी होकर अपनी चुत सोनल के मुह पर रगड़ने लगी और सोनल भी मेरे लण्ड को छोड कर निशा की जांघो को थामे पुरा जोर लगा के उसकी चुत को चुस रही थी

निशा ने एक हाथ मेरे कंधो मे डाला और दुसरे हाथ से सोनल के बाल खीचते हुए कापने लगी - अह्ह्ह्ह दीदी अह्ह्ह उह्ह्ह मा उफ्फ़फ्फ आह्ह आह्ह और और रुकना मत मत भाई पकडे रहो मुझे आह्ह आह्ह
मै खुश होकर निशा को उसकी कमर मे हाथ डाल कर अच्छे से सम्भालते हुए उसकी चुचियो के निप्प्ल पर हल्के हाथो से अपने हथेली के खुरडरे स्पर्श से छुता हू जिस्से निशा और उतेजीत हो जाती है और कापते पैरो के साथ अपनी कमर उचकाने लगती है

निशा - ओ माय गॉड दीदी अह्ह्ह आह्ह ओ गॉड ओ मम्मी अह्ह्ज मा उफ्फ्फ अह्ह्ह आह्ह और और और हा हा ऐसे चुसो दीदी ओ मां अह्ह्ह निकाल दो ना उह्ह्ह्ह अह्ह्ह
निशा अपनी जांघो के दर्द और नशो मे उठी उसके कामरस के प्रवाह से मेरे बाहो मे शिथिल पड़ गयी और जल्द ही उसकी कमर ने झटका देना छोड दिया
वही सोनल ने निशा की चुत साफ करते हुए खड़ी हुई तो मै उसको अपनी तरफ खिच कर उसके होठ और जीभ चुसने लगता हू ,,मुझे भी निशा की चुत की भीनी खुशबू और स्वाद की थोडी बहुत अनुभूति हो जाती है ।
वही निशा धीरे धीरे मेरे बाहो से सरक से दीवाल का टेक लेके फरश पर पाव पसारे बैठ जाती है ।
और मै सोनल के जिस्मो को मलने लगता हू ।
और उसको घुमा कर पीछे से पकडते हुए उसकी मोटी चुचियो को मिजते हुए उसके डार्क निप्प्ल को मरोडने लगता हू वही सोनल अप्नी गाड़ मेरे खड़ा लण्ड पर रगड़ने लगती है और मै भी अपने हाथ आगे ले जाकर उसकी चुत को लोवर मे हाथ डाले सहलाने लगा जिससे सोनल और ज्यादा मचलने लगती है ।

मै उसको छोड कर झट से निचे बैठ कर उसका लोवर और पैंटी निचे कर देता हू और उसको दीवाल की तरफ झुकाते हुए अपना मुह सोनल की गाड़ मे लगा देता हू

सोनल अपने एड़ियो को उचका कर अपने गाड़ के पाटो को सख्त कर लेती है और मै उस्क्क जान्घो पर अपने चेहरा घुमाता हू और जल्द ही वापस सोनल अपने गाड़ को ढिला कर देती है ।
इस बार मै दोनो हाथो से सोनल के मुलायाम गुलगले गाड़ के पाटो को फैला कर अपनी जीभ को नुकिला कर सिधा उसके सुराख को छूने लगता हू जिस्से सोनल और अकड जाती है और अपने जांघो को और खोलकर चुतड को मेरे नथनो पे रगड़ने लगती है ।
मै अब लपालप जीभ घुमाते हुए उस्के गाड़ के सास लेते छेद पर जीभ चलाते हुए उसकी चुत के रिस्ते निचले हिस्से को चाटने लगता हू और अपनी चुत के नीचले हिस्सो पर मेरे जीभ का स्पर्श पाकर सोनल अपनी गाड़ उचका अपनी जांघो को और ज्यदा खोल देती है जिससे मेरे जीभ उसकी गर्म चुत मे घुस जाती है और सोनल गनगना जाती है ।

मै वापस खड़ा होके सोनल के कान मे बोलता हू - दीदी चलो ना 69 करते है

सोनल एक मादक भरे मुस्कान मे सिहर का हा मे गरदन हिला देती है और मै खुशी से उसके गाड़ के पाट को सहला कर फर्श पर लोट जात हू और सोनल अपनी गाड़ मेरे मुह पे रखते हुए 69 की पोजीशन मे आ जाती है ।

मै एक गहरी सास के साथ सोनल की चुत और गाड़ की मादक खुस्बु लेके उसके कूल्हो को थामते हूए गरदन उठा कर अपनी जीभ को सोनल के चुत पर चलाना शुरु कर दिया और वही सोनल मे मेरे लण्ड के चमडी को खिचते हुए अपनी अंदाज मे लण्ड को किसी रन्दी के जैसे चूसने लगी ।

मै लगातार अप्नी जीभ सोनल के चुत औए गाड़ के सुराख पर चलाता और कभी कभी ज्यादा गरदन उचि कर अप्नी जीभ उसकी गरम रिसती चुत मे घुसा कर अन्दर का माल चाट लेता । ऐसा करते समय सोनल अप्नी चुत मेरे मुह और दर देती थी और लण्ड को गले तक ले जाती है जल्द ही मेरा लण्ड उसकी लार से भीग गया और मुझे पुरा मन होने ल्गा की दीदी की चुत मे अब लण्ड उतार दू उस्के लिये मै लगातार जीभ से सोनल के बुर की खुदाई किये जा रहा था और तभी सोनल ने मेरे मुह पर बैठ कर अच्छे से चुत के दाने को रगड़ते हुए अपनी कमर झटका कर सीसक्ने लगी और जल्द ही मेरे मुह मे उस्का माल टपकने ल्गा ।


तभी मुझे अपने जांघो के पास एक गरमी सी मह्सूस हुई और सोनल की खुसफुसाहत भी और मै देखने के लिये आगे गरदन ऊचा किया तो सामने निशा खड़ी दिखी कुछ बोलता तब तक वो मेरा लण्ड अपने हाथ मे पकडते हुए अपनी चुत पर सेट कर अपनी गाड़ पे बल दते हुए मेरे लण्ड को अपनी सुखी चुत मे उतार लिया और मेरी चमडी खिचती हुई दर्द भरी आहहह मुझे देते गयी और मै तडप उठा ,,,वही निशा के आखो से आसू छलक प्डे

निशा दर्द से मेरे खडे लण्ड पर जोश मे बैठ तो गयी थी लेकिन उसके कुल्हे और जान्घे दर्द से उभर गये और वो दर्द भरे चेहरे से बोली - आअह्ह्झ मा दीदीईई बहुत दर्द हो रहा है उफ्फ्फ

इधर सोनल झट से मेरे मुह पर से उठी और निशा के बगल मे बैथ के उसकी कमर के नीचले हिस्सो को सहलाने लगी ।
वही निशा मेरे पेट पे हाथ रखे अपनी गाड़ उचका कर धीरे धीरे मेरे लण्ड को दर्द की वजह से छोडना चाह रही थी

सोनल निशा को दुलारते हुए - ब्स ब्स निशा अब नही होगा दर्द,रुक जा बाहर मत निकल

निशा दर्द भरी आवाज मे आसू छलकाती हुई - बहुत जलन हो रहा है दीदी अह्ह्ह

सोनल उसकी पिठ और कमर को सहलाते हुए - धीरे धीरे निचे जाओ निशा कुछ नही होगा ,,, हा आराम से बिल्कुल

इधर निशा सोनल के कहे अनुसार वापस से मेरे लण्ड पर बैठते हुए अपनी चुत मे उसे निगलने लगी और जब जड तक मेरे लण्ड को ले लिया तो एक गहरी सास लेते हुए खुद के आसू साफ करते हुए हसने लगी ।

सोनल उसके आसूओ से भिगे गाल काटते हुए बोली - देखा कुछ नही हुआ

निशा शर्मा रही थी और सोनल के होठो को चूमते हुए बोली - थैंक यू दिदी ,,,अब क्या करु

सोनल ह्स कर -अब धीरे धीरे उपर निचे करके अपने ये गाड़ हिला ,,,सोनल निशा के गाड़ को सहलाते हुए बोली

निशा ह्स्ते हुए अपनी गाड़ को हल्का हल्का हिलाना शुरु किया - अह्ह्ह दीदी उम्म्ं गुदगुड़ी हो रही है अन्दर अह्ह्ह उम्म्ंम

सोनल - अब आया ना मज़ा हीही

वही निशा झुक के मेरे उपर लेट गयी और मेरे होठ चुस्ते हुए बोली - आई लव यू राज
मै उसके गाड़ को सहलाते हुए अपनी कमर उचका कर उसके चुत मे लण्ड को पेलेते हुए कहा -आई लव यू टू दीदी

और धीरे धीरे मैने उस्की कमर को थामे स्पीड बढ़ाते हुए सटासट पेलना शुर कर दिया और जल्द ही उसकी चुत ने मेरे लिये जगह बना ली और उसको मजा आने लगा ,,,वही सोनल बैठी हुई कभी मेरे आड़ो को सहलाती तो कभी सोनल के गाड़ के सुराख को चाटती

कुछ समय की जोरदार कसी हुई चुत मे चोदने और पहले भी लण्ड चुस्वाने से जल्द ही मै झड़ने के करीब था
मै जल्दी से खुद को रोका और निशा को उतार दिया

फिर खड़ा होकर मै अपना लण्ड हिलाते हुए बोला दीदी मेरा आने वला है

मेरे झड़ने की बात सुन के दोनो जल्दी जल्दी मेरे कदमो मे आई और जीभ निकाल कर मेरे पिचकारी का इन्तजार करने लगी

मैने भी अपनी एड़ियो को उचका के अपने गाड़ के पाट को सख्त किया और लण्ड के सुपाडे के नीचली नश को आखिरी सास तक रोकते हुए एक लम्बी आह के साथ वीर्य से भरी ब्ड़ी पिचकारी सोनल के मुह पर छोड दी और दुसरी धार के लिये निशा ने अपना मुह आगे किया और मैने अपना लन्द उसके जीभ पर रख कर हिलाया सारा माल उसकी मुह मे भर दिया और बाकी का माल सोनल ने लण्ड को मुह मे भर कर निचोड लिया । फिर एक दुसरे के होठो को चुसते हुए माल की हेरा फेरि करते हुए हसने लगी ।
मै थक कर दीवाल का टेक लगाते हुए बैठ गया और उनकी हसी मे शामिल हो गया ।


जारी रहेगी
Read and review
Keep supporting and loving
Thanks
Super hot update
 
Top