अपडेट 24
संध्या की हालत और स्थिति कुछ ऐसी थी की मानो काटो तो खून नहीं। दिल में रह रह कर दर्द उठते मगर वो रोने और पछताने के अलावा कुछ भी नही कर सकती थी। आज जब उसे संभालने के लिए ललिता और मालती के हाथ उसकी तरफ बढ़े तो उसने उन दोनो का हाथ दिखाते हुए रोक दिया।
संध्या का दिल पहली बार इस तरह धड़क रहा था मानो बची हुई जिंदगी की धड़कन इस पल ही पूरी हो जायेगी। नम हो चुकी आंखो में दर्द का वो अश्क लिए एक नजर वो अमन की तरफ देखी....
अमन की नज़रे भी जैसे ही संध्या से मिली, वो अपनी आंखे चुराते हुए बोला.....
अमन --"सॉरी ताई मां, उस समय सही और गलत की समझ नही थी मुझमें।"
अमन का ये वाक्य पूरा होते ही.....संध्या तड़प कर बोली।
संध्या --"निधी.....तू भी। तुझे तो पता था ना सब, फिर तू मुझे क्यूं नही बताती थी? इसलिए की अमन तेरा सगा भाई था?"
संध्या की बात पर निधि भी कुछ नही बोलती, और अपना सिर नीचे झुका लेती है......।
ये देख कर संध्या झल्ला पड़ी। और एक गहरी सांस लेते हुए बोली...
संध्या --"मेरा बच्चा, चुपचाप हर चीज सहता रहा। मुझे सफाई भी देता रहा। मगर मेरी मत मारी गई थी ना, जो उसकी एक न सुनी और तुझे सच्चा और अच्छा समझ कर उसको पिटती रही। तू काहेता है ना की तू छोटे लोगो के मुंह नही लगता। तो अब से तू पायल के आस पास भी नजर आया, तो अभि तक तूने मेरा प्यार ही देखा है, नफरत भी बहुत जल्द ही देखेगा।"
संध्या की ये बात सुनकर अमन के होश उड़ गए, वो चेयर पर से उठते हुए बोला...
अमन --"ये आप क्या बोल रही है ताई मां। मैं पायल को नही छोड़ सकता। मैं उससे बचपन से बहुत प्यार करता हूं, और मेरे प्यार के बीच में कोई आया ना तो मै...."
अभि अमन ने अपना वाक्य पूरा बोला भी नही था की, उसके चेहरे पर एक जोरदार तमाचा पड़ा।
"नालायक, शर्म नही आती तुझे? जिस इंसान ने तुझे इतना प्यार दिया उसी के बारे में ऐसा बोल रहा है।"
अमन का गाल लाल हो चुका था। अपने एक गाल पर हाथ रखे जब अमन ने अपनी नज़रे उठाई तो पाया की उसे थप्पड़ मरने वाला कोई और नहीं बल्कि खुद उसका बाप रमन था। ये देख कर अमन बिना कुछ बोले, अपना बैग उठता है और वह से चल पड़ता है...
अमन के जाते ही, निधी भी वहा से चुप चाप निकल लेती है। अब वहा पे सिर्फ मालती, ललिता, रमन और संध्या ही बचे थे।
रमन --"अब तो खुश हो न भाभी तुम?"
रमन की बात सुनकर, संध्या रुवासी ही सही मगर थोड़ा मुस्कुरा कर बोली...
संध्या --"खुश, किस बात पे? अपने बच्चे को बेवजह पिटती रही मैं, इस बात पे? जिसे सीने से लगाकर रखना चाहिए था वो दुनिया की भीड़ में भूखा प्यासा भटकता रहा, उस बात पे? ना जाने कैसे उसने अपने दिल को समझाया होगा, उस बात पे?या उस बात पे ? की जब भी कभी उसे तकलीफ हुई होगी उसके होठों से मां शब्द भी निकलेंगे होगे या नहीं? और तू एक थप्पड़ मार कर पूछता है की खुश हु की नही?पर आज खुश हूं मैं, की मेरा बेटा उस काबिल है की दुनिया की भीड़ में चलने के लिए उसे किसी के सहारे की जरूरत नहीं। क्या कहता था तू? ना जाने कौन है वो, जो इस हवेली को बर्बाद करने आया है। बात ठीक है तेरी, वो सिर्फ हवेली ही नही बल्कि ना जाने क्याबक्या बर्बाद करेगा? और पहेली शुरुआत हुई है मुझसे.....l"
ये कहते हुए संध्या वहां से चली जाती है......
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कॉलेज के गेट पर बैठा अभय, पायल का रास्ता तक रहा था...
"अरे मेरा भाई, इतना बेचैन क्यूं हो रहा है? आ जायेगी भाभी?"
अजय अपने हाथ में सिगरेट लिए उसकानेक कश लेते हुए बोला...
अभय --"ये बेचैनी यूं ही नहीं खत्म होगी अजय, जब तक मेरे यार का दीदार ना हो जाए।"
कहते हुए अभय सच में बेचैनी से कभी इधर तो कभी उधर चहल कदमी कर रहा था, ये देख कर अजय मुस्कुराते हुए बोला...
अजय --"यार भाई, सच बताऊं तो, क्या लग रही थी आज भाभी? कसम से !"
अजय की ये बात सुनकर, अभय का दिल धड़क कर रह गया, एक गहरी सांस लेते हुए वो बस पायल का इंतजार ही कर रहा था की, वो खूबसूरत सा चांद दिन के उजाले में अभय के सामने नजर आया,, जिसे देख कर अभय अपने दिल पर हाथ रख कर एक ठंडी सांस लेता है...
पायल अपनी सहेलियों के साथ कॉलेज की तरफ चली आ रही थी। उसकी खुली जुल्फें इस तरह से हवा में लहरा रही थी की एक पल के लिए मानो वो समय ही ठहर सा गया हो। जो लड़के जहा थे वही खड़े रह गए। सब की नजरे बस उस नाज़नीन पर अटक कर रह गई थी। उसके कान में बलिया इस तरह से झूल रहे थे मानो सावन के महीने में झूला। गोरे मासूम मुखड़े पर तो कोई ही ऐसा हो जिसका दिल ना घायल हो जाए और उस पर माथे पर चमकती एक छोटी सी बिंदी उसके पूरे रूप और यौवन रानी बना रही थी।
अभय का भी हाल कुछ वैसा ही था, जैसे और कॉलेज के लडको का। अभय की नजरे थी या फेविकोल का जोड़ , जो पायल के उपर ऐसी थमी की हटने का नाम ही नही ले रही थी।
पायल के पैरो में पायल की छनकार एक अजब सी खुमारी भर से रही थी, जो उसके चलने से छनक रहे थे...अभय पूरा दीवाना हो चुका था। और जब तक वो होश में आता, पायल उसके नजदीक आ पहुंची थी।
अभय के नजदीक आकर पायल रुक गई, अभय को इस तरह अपनी तरफ देखता देख, पायल अजय से बोली...
पायल --"जरा संभल के, पागलों के साथ रह कर तू भी पागल मत हो जाना।"
पायल की आवाज अभय को उसकी खूबसूरती की दुनिया से जमीन पर लाकर पटक देती है, और ये कह कर पायल जैसे ही आगे जाने के लिए बढ़ी थी...
अभय --"अब इस कदर कयामत हम पर बरसेगी, तो पागलपन क्या कही जान ही ना निकल जाए।"
अभय की बात सुनकर, पायल अभय की तरफ पलटी तो नही, मगर हल्का सा अपना चेहरा घुमाते हुए बोली...
पायल --"इस कयामत का हकदार कोई और है, उम्र बीत जायेगी तुम्हारी, यूं राह तकते तकते...।"
ये कह कर पायल हल्के से मुस्कुराई और फिर आगे बढ़ी ही थी की,...
अभय --"अगर मैं कहूं, की वो हकदार मैं ही हूं तो?"
पायल इस बार फिर मुस्कुराई.....
पायल --"उसे पता है, मैं उसे कहा मिल सकती हूं।"
ये कह कर पायल आगे बढ़ जाती है...। अभय मुस्कुराते हुए अपने दिल पर हाथ रखा ही था की...एक जोरदार झटके के साथ वो नीचे जमीन पर गिर गया...
अभय के जमीन पर गिरते ही, पायल, अजय और बाकी सभी लोग हैरत से अपनी नज़रे घुमा कर देखते है तो। सामने अमन अपने हाथो में एक मोटा डंडा लेकर खड़ा था।
जल्द ही अभय खड़े होते हुए, अपने कपड़े पर लगे मिट्टी को अपने चेहरे पर एक एटीट्यूड के भाव के साथ पूछते हुए अपने शर्ट की बाहें मोड़ते हुए बोला...
अभय --"अच्छा था, मगर बुजदिलों वाला था। पीछे से नही आगे से मार।"
अभय की बेबाकी और निडरता देखकर, वहा खड़े सब लड़के आपस में काना फूसी करने लगे। मगर एक अकेली पायल ही थी जो वहा पर अभय जैसी ही चेहरे पर एटीट्यूड लिए खड़ी मुस्कुरा रही थी.....
"भाई ये वही छोकरा है, जिसने डिग्री कॉलेज का काम रुकवा दिया।"
अमन के साथ में खड़ा वो लड़का बोला...
उस लड़के की बात सुनकर, अमन भी अपनी हरामीगिरी दिखाते हुए बोला...
अमन --"तू नया है, शायद इसी लिए तुझे मेरे बारे में पता नही। वो जो लड़की तेरे पीछे खड़ी है, दुबारा उसके आस पास भी मत भटकना, ये तेरे लिए अखरी चेतावनी है।"
अमन की बात सुनकर, अभय मुस्कुराते हुए एक नजर पीछे मुड़ कर पायल की तरफ देखता है। और वापस अमन की तरफ देख कर बोला।
अभय --"डिलोग्रटो ऐसे मार रहा है, जैसे तंबाकू का एडवर्टाइज कर रहा है, चेतावनी...वार्निंग। इस लड़की के आस - पास की बात करता है तू।"
ये कह कर अभि, अमन की तरफ ही देखते हुए अपने पैर पीछे की तरफ उल्टे पांव पायल की तरफ चलते हुए...पायल के बराबर में आकर खड़ा हो जाता है...
सब लोग अभय को ही देख रहे थे, अजय ने भी अभय के बारे में जैसा सोचा था वैसा ही अभय के अंदर निडरता दिख रहा था। पायल की नजरे तो अभय पर ही टिकी थी। मगर बाकी कॉलेज के स्टूडेंट ये समझ गए थे की जरूर अब कुछ बुरा होने वाला है की तभी वो हुआ....जिस चीज का किसी को अंदाजा भी ना था.....!!!