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Incest रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती

dilavar

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दोस्तो आप सभी पाठकोने मेरी पहेली कहानी ये केसी अनुभुती आप लोगोने मुजे उत्साहीत करके जो प्यार दीया और आप लोगोने मुजे दुसरी कहानी रिस्तो मे प्यारकी अनुभुती लीखनेको प्ररीत कीया मे आप सभी लोगोका दीलसे आभार व्यक्त करके स्वागत करता हु और आपहीकी डिमांडपे आज दुसरी कहानी लीखने जा रहा हु यही समजलो ये कहानीका दुसरा पार्ट हे आशा हे आप लोग मुजे कोमेन्ट करते उत्साहीत करके वोही प्यार देगे

जाहीरसी बात हे मेने मेरी पहेली कहानी
ये केसी अनुभुती मेंही दुसरी कहानीका उलेख करदीया था तो इस कहानीमे वोही केरेक्टर दुसरे जन्म लेके आयेहे ओर यही सब शक्तिया इस जन्ममे प्राप्त करेगे पर इस बार कहानीमे इन्सेस्ट रीलेशनके साथ भरपुर प्यार (सेक्स) ओर अ‍ेक्शनभी होगा ताकी कहानीमे थोडा सस्पेन्स बना रहे ओर सब केरेक्टरका जरुरतके हीसाबसे बीच बीचमे परीचय देता रहुगा ताकी सब केरेक्टरको आप याद रख सके
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dilavar

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रिस्तोमे प्यारकी अनुभुती
अध्याय - १९०

दोनोही बाते करते रश्मीके घरपे पहोंच गइ.. तब वंदना ओर रश्मी मीलकर खाना बना रही थी.. तो वंदना पुनम सृतीको देखकर बहुत खुस होगइ.. ओर दोडकर पुनमके गले लग गइ.. तब रश्मी हसने लगी.. फीर पुनम ओर सृती चेयर लेकर कीचनके पास ही बैठ गइ.. ओर चारो बाते करने लगी.. तब रश्मी ओर वंदनाने सुधीर के बारेमे दोनोको बता दीया.. ओर ये भी कहाकी तीनो बोम्बे चले गये हे सुनकर पुनम ओर वंदना दोनो खुब हसी.....अब आगे

कुछ देर बाते करते दोनोही वापस आपसमे बाते करते हवेलीकी ओर चल पडी.. जाहीरसी बात हे.. आज सारा दिन दोनोके दिमागमे लखन ही छाया हुआ था.. पुनमने लखनके बारेके सृतीको सब कुछ बता दीया.. फीर खुदकी ओर देवायतके बीच हुअ‍े रीलेशनकी बात भी बतादी.. की बाबाके कहेनेपे कैसे उन्होने देवायतको अपने साथ प्यार करनेके लीये मजबुर कीया था.. फीर बाबाने कैसे दोनोकी सादी करवाइ..

ओर उसी रात हवेलीपे कोइ नही था तब अपनी सुहागरात मनाइ.. फीर आज बातो ही बातोमे पुनमने सृतीको आने वाले वक्तके लीये आगाह करते उनको मानसीक तौरपे प्रीपेर कर दीया था.. तो सृती भी पुनमकी बाते सुनकर बडी ही उलजनमे फस गइथी.. अब उनके दिलमे भी लखनके लीये चाहत बढ चुकी थी..

लखनके बारेमे सोचते उनके दिलमे भी पुनमकी तराह हलचल तेज होने लगी थी.. पुरे रास्ते लखनके बारेमे सोचते आज पहेली बार सृतीकी चुतभी गीली होगइ थी.. बाते करते दोनो घरपे आगइ.. तब पुनम ओर सृतीका लखनके प्रेती नजरीया बदल चुका था.. आज दोनोको पता चल गया था.. की अ‍ेकना अ‍ेक दिन उनको दोनोको भी लखनको अपनाना पडेगा.. ओर उनके साथ भी राते रंगीन करनी पडेगी..

तो दुसरी ओर कल सामतभाइके घरपे बंसी ओर सांतीका मंडपका मुहुर्त था.. ओर दुसरे दिन दोनोकी सादी थी.. तो सुबह देवायत नीर्मला भुमीका चंदा ओर पुनम.. धिरेनका मकान देखने ओर सौदा करने जा रहे थे.. ओर बंसी सांतीकी सादीके दुसरे ही दिन राजीवका क्रिया कर्म था.. तो क्रियाकर्म खत्म होते ही इनके दुसरे दिन नीर्मला भुमीका चंदा ओर सरला चारो हरद्वारके लीये नीकलने वाली थी..

तो लखन भी लता ओर नीलमको लेकर हमेसाके लीये सहेरमे रहेने जा रहा था.. तो अब पुनमका भी धिरेनके घर जानेका वक्त आगया था.. अभी देवायत ओर लखन सामतके घरसे नही आये थे.. तब मंजु चंदा नीर्मला ओर भुमीका बैठकर आपसमे जानेकी सब प्लानींग कर रहेथे.. तभी सृती ओर पुनम भी रश्मीके घरसे आगइ.. तो कुछ देरके बाद देवायत लखन भी आगये.. तभी चंदाने रजीयाको कहेकर सबके डीनरके लीये कहा.. ओर सबलोग डीनर करने अ‍ैकठे बैठ गये.. तब..

देवायत : लखन.. कल मे इन सबको लेकर धिरेनका मकान देखने जा रहा हु.. तो सृतीको मे लेकर जाउगा.. कल तुजे इनको छोडने लेने जानेकी जरुरत नही हे.. कल तुम सामत भाइके घरपे रहेना.. सादीका हमे ही अ‍ेरेन्ज करना हे.. ओर घरपे जीतने लोग रहेगे सबको लेकर सादीमे जाना.. हमे दो दिन सबको उनके घरपे सादीमे जाना होगा..

लखन : (मुस्कुराते) जी भैया..

मंजुला : देवु.. मम्मी ओर भुमी आंटी.. सादीमे नही आ सकते.. क्युकी वो दोनो बडे हे.. बाकी सबको हम भेज देगे.. क्या आपके साथ पुनो भी आ रही हेनां..?

पुनम : (सरमाते धीरेसे) भाभी.. मे घरपे आपके पास ही रहुगी.. मुजे नही जाना..

नीर्मला : (मुस्कुराते) पुनो बेटा.. अब धिरेन तुम दोनोके लीये तो घर ले रहा हे.. तो तुम भी चलो.. तुम भी सब देखलो.. तुम्हे भी तो पसंद आना चाहीये..

चंदा : (मुस्कुराते) हां दीदी.. आपभी चलो.. वरना धिरेनको बुरा लगेगा..

पुनम : (मंजुकी ओर देखा तो मंजुने आंखोके इसारेसे हां कहा) ठीक हे भाभी.. तो फीर मेभी चलुगी..

सृती : (हसते) पुनो दीदी... चलो चलो.. मेभी आ रही हु.. फीर हम दोनो मेरी क्लीनीकपे चले जायेगे.. ये लोग भले ही हमारे घरपे आराम करते रहे.. सामको हम सब वापस आजायेगे..

भुमीका : (देवुकी ओर कातील नजरोसे देखते) हां ये सही हे.. सब हमारे घरपे आराम करने चले जायेगे..

देवायत : (मुस्कुराते) ठीक हे.. ओर लखन.. अब दो दिनके बाद अंकलका क्रियाकर्म हे.. तो अब तुम भी सहेर चले जाओ.. ओर वहाका सब काम सम्हाललो.. वहा नीलुकी पढाइ भी डीस्टर्ब हो रही हे.. तो उसे भी साथ ले चलो..

नीर्मला : (मुस्कुराते) हां.. पुनो बेटा.. अब क्रियाकर्म खतम होते ही आप भी धिरेनके पास जा सकती हो.. वोभी कइ दिनसे अकेला हे.. तो उनको खाने पीनेकी तकलीफ होगी..

पुनम : (सरमाते मुस्कुराते) जी मम्मीजी..

मंजुला : (मुस्कुराते सृतीको) हां.. सृती.. तुम भी लखन भैयाके साथ चली जाना.. ओर जबतक भुमी आंटी वापस नही आजाती तबतक लखन लताके साथ ही रहेना.. ताकी तुजे छोडने लेनेकी जरुरतही ना पडे..

देवायत : (मुस्कुराते) हां सृती.. ये सही रहेगा ओर सामतभाइके घर सादीके दिन छुटी रखलेना.. हम सबको सादीमे जाना होगा.. (लताकी ओर देखते) ओर लता.. राजीव अंकलके क्रियाकर्ममे रमा भाभी ओर नीलुकोभी आना हे.. भानु तो इधर ही होगा.. तो तुम फोन करके जरा रमाभाभीको कहेना वो नीलुका सब सामान लेकर आजाये.. ताकी नीलु तुम लोगोके साथ ही चली जाये.. ओर तुम भी अब अपना सामान पेक करना सुरु करदो.. ओर रजीयाको भी बोलदो.. वो भी अपना सामान पेक करले..

लता : (सरमाते मुस्कुराते) जी भैया.. आजही भाभीको फोन करदुगी.. ओर हमारा सामान भी पेक करलुगी..

सबलोग डीनर करते जानेकी प्लानींग करने लगे.. जब सबने डीनर करलीया तो लखन दोस्तोके साथ बंसीके घर जानेकी बात करके चला गया.. तब सबलोग होलमे बेठकर बाते करने लगे.. तब देवायतने भी धिरेनको फोन करके कल सबको लेकर आनेकी बाते करली.. तो धिरेन भी खुस होते कलकी प्लानींग करने लगा.. उनका इतने दिनोसे नीलमसे कोइ कोन्टेक्ट नही हो पाया था.. तो वो इसके लीयेभी बैचेन रहेता था..
 

dilavar

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तबतक लता उपर अपने रुममे जाकर रमाको फोन लगा देती हे.. ओर उसे राजीव अंकलके क्रियाकर्ममे आनेका कहेते नीलुको भी अपना सब सामानके साथ लेआनेकी बात करती हे.. तो रमा लताको सब सामान सेट करनेके लीये उनकी मदद करने सहेरमे साथ आनेकी बात करती हे.. तो लताने भी उसे हसकर साथ आनेकी सहमत देदी.. जीसे सुनकर रमा बहुत खुस होगइ..

तो नीचे कुछ देरके बाद देवायतभी सामतके घर चला गया.. वहा गांवके सब लोग घेरा बनाकर सादीके मंडपके नीचे बैठे थे.. तो लखनके सभी दोस्त भी अ‍ेक जगाहपे बैठकर हसी मजाक करते बाते कर रहेथे.. सांती जागृती जयश्री जया सबकी महेंदी लग चुकी थी..

तो सब लेडीस होलमे बैठकर बाते करते अ‍ेक दुसरेकी मस्तीया कर रही थी.. आज जयश्रीके साथ ब्रीन्दा भी सजधजके आइ थी.. जैसे वोभी श्रीधरकी बीवी हो.. तो जागृतीने उनको भी जबरदस्तीसे महेंदी लगवाइ.. साहीलके साथ सलमा भी आइ हुइ थो तो वो भी सबके साथ बैठकर हसी मजाक कर रही थी..

आज मुनाके साथ बंसती ओर बरखाभी सजधजके आइ थी.. तो बीन्दीया भी अपनी मांगमे सींदुर लगाकर बनवारीलाल के साथ सादीमे आइ थी.. तो कुछ देरके बाद जवेरीलाल ओर वृन्दा भी आगये.. तब रश्मी ओर वंदना कैसे बाकात रेह सकती.. तो वोभी हवेलीपे जाकर पुनम सृती भावना लता दया रजीया सबको लेकर आगइ.. सामत भाइका पुरा घर ओरतोसे भर गया.. ओर सभी जेन्टस बहार गप्पे लगा रहे थे..

तभी दो कारे आकर खडी होगइ.. तो उनमेसे कइ गांवके सरपंच ओर गांवके पंचायती सदस्य उतरे.. तो सामतभाइ सबकी आव भगत करने लगे.. तभी सबका ध्यान देवायतकी ओर गया.. तो सबलोग उनको गले मीलते आदर भाव देने लगे.. ओर सामतभाइने लखनको कहेकर सबके लीये चाइ पानी ओर नास्तेकी व्यवस्थन करदी.. तब बातोही बातोमे गांवमे होने वाले बदलावके बारेमे बाते होने लगी..

फीर धीरे धीरे करते सभी सरपंच अपने गांवमे अ‍ैसे आपसी रीस्तोकी बाते करने लगे.. की हमारे गांवमे ये हो रहा हे.. वो हो रहा हे.. इनमे अ‍ेक मुनाका मामा यानीकी बसंतीका भाइ विनोद भी था जो पास ही के गांवका सरपंच था.. तब अ‍ेक दो सरपंच थोडा विचलीत होते खामोस बैठे रहे.. क्युकी खुद उनके ही घरमे अ‍ैसे रीस्ते पनप रहेथे.. जो इस बारेमे देवायतको अकेलेमे मीलकर बात करना चाहते थे.. तभी घरके अंदर सभी लेडीस बंसी ओर सांतीके नाम लेकर सादीके गाने गाने लगी..

तब सामत भाइकी खुसीका कोइ ठीकाना नही था.. तो देवायतकी ओर अपनी आंख गीली करते देखकर मुस्कुरा रहेथे.. तब रमेश ओर सरपंचके साथ बैठकर उनके साथ हस हसके बाते कर रहा था.. ओर गांवोके सरपंचको यहा बडी स्कुल ओर होस्पीटल बननेकी जानकारीया दे रहा था.. जीसे सुनकर सभी सरपंच बहुत ही खुस हो रहे थे.. तो अंदरकी ओर सभी लेडीस गाना गा रही थी..

जया भी सबके साथ बैठकर सादीके गाना गा रही थी.. तभी अचानक जयाको बैचेनी होने लगी.. तो वो उठकर अपने रुममे चली गइ.. तब सांती सबकुछ समज गइ.. ओर वोभी मुस्कुराते अभी आती हु कहेते खडी होकर उनके पीछे रुममे चली गइ.. सांतीने रुममे जाकर देखातो जया अपने मुहपे हाथ रखते बाथरुममे जा रही थी.. तो सांतीने धीरेसे रुमका दरवाजा बंध करलीया.. ओर जयाके पीछे बाथरुममे चली गइ..

तो अंदर जया उल्टीया कर रही थी.. तब सांती उनके पास चली गइ ओर उनकी पीठ सहेलाने लगी.. तो जया अ‍ेकदम डरके पीछे देखने लगी.. तो पीछे सांतीको देखा.. तब उसने राहतकी सांसली.. जब उल्टी होगइ तब जयाने मुह धोकर साफ करलीया.. ओर पीछे मुडकर सांतीसे लीपट गइ.. ओर आंसु बहाने लगी.. तब सांती जयाकी पीठ सहेलाते उसे सांत करने लगी.. तब..

सांती : (धीरेसे) भाभी.. क्या हुआ..? क्या आपके पास कोइ दवाइ नही हे..? कीसी डोक्टरको नही दीखाया था..? हंम..?

जया : (सरमाते धीरेसे) मे डोक्टरको दीखाने अकेली गइ थी.. ताकी हमपे कीसीको सक नाहो.. रमेश दुर खडा रहेता था.. वोही डाक्टर आज हमारे घरपे आइ हे.. हमारे देवरकी बीवी.. जो अभी रश्मी भाभीके पास बैठी हे.. उसने कुछ दवाइया दी हे.. जरा देखना कौनसी दवाइ खानी हे..

सांती : (धीरेसे) चलीये भाभी बहार.. मे देखती हु.. वरना उनको अंदर बुलाकर पुछ लेगे.. क्या अभी इनको अंदर बुलालु..? वो आपको अच्छेसे चेक कर लेगी..

जया : (जटसे) अरे नही नही.. इनती सारी लेडीस बैठी हे.. कीसीको सक होजायेगा.. तुम देख लोना..

दोनो बाथरुमसे बहार आजाती हे तब जया कुछ दवाइआ सांतीको देती हे.. जया ज्यादा पढी लीखी नही थी.. तो सांती सब दवाइ ओर प्रीस्क्रीप्शन देखती हे.. तो उसमे अ‍ेक दवाइ उलटीया होने पर लेनी हे लीखा था.. तो सांतीने उसीमेसे अ‍ेक गोली नीकालकर जयाको पीलादी.. ओर जयाको दीखाती हे.. की अगर उल्टी हो.. तब इनमेसे अ‍ेक टेबलेट खालेना.. फीर दोनो बहार आकर सबके साथ बैठ जाती हे..

आज जया बाल बाल बच गइ.. देर रात सब अपने अपने घर चले गये.. सामतके घर कुछ महेमान भी ठहेरे थे.. तो आज सांती ओर जागृती साथमे सो गये.. तब सांतीने जागृतीको सभी बाते बतादी.. तो जागृती फीरसे गुस्सा करने लगी.. तो सांतीने उसे समजाकर सांत कीया.. ओर दोनो सोगइ.. क्युकी सुबह मुहुर्तके लीये सबको जल्दी उठना था.. तो आज रमेश भी घर जाकर अकेला सो गया..

आज भी लखनको लताके साथ सेक्स नही करना था.. तब लखन लताको आजभी उंगलीसे सांत कर देता हे.. तब लता भी लखनके लंडको देखकर चेक करलेती हे.. तो उसमे अब बीलकुल सुजन नही थी.. लेकीन लखनका लंड पहेलेसे बहुत लंबा ओर मोटा होगया था..

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जीसे लताभी सोचमे पड गइ.. की अचानक लखनके लंडपे इतना बदलाव कैसे आगया..? तब उसे अचानक पुनमने पीलाया दुध याद आगया.. ओर लताने इस बारेमे सुबह पुनमसे बात करनेका फैसला कर लीया.. ओर दोनो अ‍ेक दुसरेकी बाहोमे चीपककर सो गये..
 

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तब नीचेके रुममे देवायत उछल उछलके सृतीको चोद रहा था.. तो चंदा भी नंगी लेटे अपनी बारीका इन्तजार कर रही थी.. ओर अपनी चुत सहेला रही थी.. तो मंजु भी रोजकी तराह नीचे गदा बीछाकर उनपे नंगी होकर लेटी थी.. ओर अपनी चुतमे उंगली कर रही थी.. तो आज नीर्मला ओर भुमीका भी नंगी होकर अ‍ेक दुसरेके साथ लेस्बीयन खेल खेल रही थी.. तब पुनमके रुममे पुनम ओर भाजना अ‍ेक दुसरेके सामने मुह करते लेटी हुइ थी.. ओर आपसमे धीरेसे बाते कर रही थी..

पुनम : (मुस्कुराते) भाभी.. क्या अपने पुराने प्यारसे मीली की नही.. बात कुछ आगे बढी..?

भावना : (सरमाते मुस्कुराते) नही दीदी.. यहा अकेलेमे मीलनेका मौका ही नही मीलता.. दीदी.. क्या आपको भी सब पता चल जाता हेनां..? आपभी तो मंजु दीदीकी तराह सबकुछ जान लेती हो.. तो बताइअ‍ेना वो कब मीलेगे मुजे..? हें..हें..हें..

पुनम : (सरमाते हसते) भाभी.. बहुत ही जल्द.. बहुत ही जल्द आपकी सारी तम्मना पुरी होजायेगी.. तब आप भी हमेसाके लीये हमारी सौतन होजायेगी.. हें..हें..हें..

भावना : (मुस्कुराते कमरमे हाथ डालते) दीदी.. कीतना अजीब हेनां..? यहातो रीस्तोके मायनेही बदल गये हे.. आप लोग कीतना खसी खुसी अपने पतीको दुसरी ओरतके साथ सेर करनेको राजी होजाती हो.. ओर अ‍ेक मे हु.. जो मे भानुको रमा भाभीके साथ सेर नही करपाइ.. ओर उनसे दुर होगइ.. लेकीन अब सब ठीक हो गया हे.. मुजे अब भानुके पास जाना होगा.. ओर उसे भी अपनी गलतीका अहेसास होगया हे..

पुनम : (मुस्कुराते) भाभी.. क्या आपको मंजु दीदीने बतायानां.. वो..वो.. रमाभाभी ओर नीलमके बारेमे..?

भावना : हां पुनम दीदी.. वो मां बेटी दोनो ही बहुत कमीनी नीकली.. मम्मीके घरपे दीदीने मुजे सबकुछ बता दिया.. मुजेतो सुनकर ही बहुत गुस्सा आया.. दोनोकी नजर इस हवेलीकी जायदादपे हे.. अगर इस बातका भानुको पता चलेगा तो वो दोनोको घरसे नीकाल देगे.. क्या वो दोनो इतना नीचे तक गीर सकती हे..? वो अ‍ैसा सोच भी कैसे सकती हे..? क्या इनका कुछ नही हो सकता..?

पुनम : (मुस्कुराते) भाभी.. हो सकता हे.. ओर सब कुछ होगा.. जो वो सोच भी नही सकती.. आप भानु भाइको कुछ मत कहेना.. अच्छा हे मुजे ओर मंजुभाभीको सब पता चल जाता हे.. बस.. कुछ दिन इन्तजार कीजीये.. ओर अब आप भी इस हवेलीसे.. हमसे.. जुड जायेगी.. भाभी.. अब आगे जाकर मे सृती भाभी आप ओर लता ही होगी.. जो इस हवेलीको सम्हालेगी.. आप हमारे लीये कीतनी इन्पोर्टन्ट हे आपको पता ही नही हे..

भावना : (मुस्कुराते) हां दीदी.. इस बारेमे भी दीदीसे बात हुइ हे.. क्या मंजु दीदी अगले जन्ममे मेरी कोखसे जन्म लेगी वोहीनां..? पुनोदी.. मंजुदीदीने मुजे बहुत कुछ बता दीया हे.. कहेती थी मेरी जींदगीमे ओर तीन बच्चे हे.. दो जीजुसे होगे.. लेकीन अ‍ेक बच्चा कीनसे होगा वो मुजे नही बताया..

सायद भानुसे होगा.. लेकीन फीकर मत करना मे आपके साथ हु.. दीदी.. मुजे मम्मी पापाका घर भी सम्हालना हे.. सायद कुछ दिनोके बाद भुमी आंटी ओर मम्मी भी कुछ दिनोके लीये वही रहेने आजायेगी.. ओर उनका रीजन भी मुजे पता हे..

पुनम : (हसते) भाभी.. तबतो आपको बहुत कुछ पता हे.. लगता हे भाभीने आपको सबकुछ बता दीया हे.. लेकीन याद रखना इस बारेमे अभी सृती भाभीको कुछ भी पता नही हे.. तो बी केरफुल..

भावना : (हसते) हां.. मुजे पता हे.. दीदीसे मेरी बहुत पटती हे.. मुजसे हर बाते सेर करती हे.. मुजे आपके बारेमे भी सब बता दीया हे.. क्या लखन भैयाको जडी बुटी पीलादी आपने..? हें..हें..हें.. दीदी अब हमारे तो मजेही मजे हे.. हें..हें..हें..

पुनम : (सर्मसार होते हसते) क्या..? आपको ये भी पता चल गया..? हां.. मेने कलही उनको जडीबुटी पीलादी हे.. अब देखते हे वो मां बेटीका क्या हसर करते हे.. हें..हें..हें..

भावना : (थोडी नजदीक खीसकते अ‍ेक पैर पुनमकी कमरपे डालते) दीदी.. क्या सीर्फ मां बेटीके लीये..? साथमे हम भीतो हे.. हें..हें..हें.. तब कीतना मजा आयेगा.. मे सृतीकी चीखे सुनना चाहती हु.. हें..हें..हें.. कमीनी कीतनी सेक्सी ओर चुदकड हे.. ओर वो दोनो मां बेटी भी कुछ ज्यादा ही फोरवर्ड हे हे..हे..हे.. ओर भुमी मौसीकी तो बात ही कुछ ओर हे.. वो आज भी मम्मीकी तराह क्या पटाका लग रही हे.. दोनो सहेलीया भी बहुत चुदकड हे.. हें..हें..हें..

पुनम : (सर्मसार होते) भाभी.. आप बहुत डेन्जर हो.. आपही की मम्मीके बारेमे अ‍ैसा बोलती हो.. देखना अभी कीसीको पता ना चले.. वैसेतो भाभीने बडे भाइसे सभी तराहकी परमीशन लेली हे.. फीर भी बी केरफुल.. हें..हें..हें.. कीसीको भी कीसीके साथ रीलेशनके बारेमे बताना नही.. जो भी होगा वो आपसी सहेमतीसे होगा.. तो हमे कोइ हंगामा नही करना..

भावना : (प्यारसे गाल सहेलाते) दीदी फीकर मत करो.. मे भी तो लाइनमे खडी हु.. दीदी.. पहेले हम बडे भाइसेतो ठीकसे नीपटले.. फीर हम छोटेकोभी देख लेगे.. हें..हें..हें.. दीदी मेरी अ‍ेक तम्मना हे.. क्या आप पुरी करोगी..?

पुनम : (सर्मसार होते मुस्कुराते) क्या..? हें..हें..हें.. आपको तो बहुत कुछ पता हे.. हें..हें..हें.. कहीये..

भावना : (सरमाते मुस्कुराते) दीदी.. मे चाहती हु.. अ‍ेक बार.. मे.. मे.. आप ओर जीजु.. तीनो मीलकर अ‍ेकही बीस्तरमे.. मतलब.. आप समज गइनां..? मे देखना चाहती हु.. अ‍ेक भाइ अपनी बहेनको.. कैसे प्यार करता हे.. हें..हें..हें..

पुनम : (सर्मसार होते अ‍ेक मुका मारते हसते) भाभी.. आपभी मंजुभाभीकी तराह बहुत कमीनी हो.. वोभी यही करती हे.. जब मे भाइ ओर भाभी अकेली होती हे.. तब वो भाइको मेरे साथ सेक्स करनेके लीये उक्साती हे.. ओर जब भाइ मेरे उपर चड जाते हे.. तब वो भाइको जोरोसे चोदनेके लीये कहेती ओर फीर वो सामने बैठकर मजे लेती हे.. हें..हें..हें..

भावना : (अचानक होठ चुमते) दीदी.. यहीतो जींदगीका असली मजा हे.. तो क्या हम बुढापेमे ये मजा करेगी..? यहीतो वक्त हे.. जो हमे हर तराहकी मोज मस्ती करलेनी चाहीये.. दीदी.. अ‍ेक बात बताउ..? मे मेरी सादीसे पहेले जीजुके साथ फीजीकल होना चाहती थी.. मेरी तम्मना थी.. की मे मेरा कौमार्य सबसे पहेले जीजुको सोपदु.. लेकीन तब सीचुअ‍ेशन ही अ‍ैसी होगइ.. की मम्मीने जीजुसे सभी रीलेशन खतम करदीये..

पुनम : (मुस्कुराते) भाभी.. फीकर मत करो.. तब ना सही.. लेकीन अबतो आप हमेसाके लीये भाइकी होने वाली हे.. अब आप अपनी सारी कशर पुरी करलेना.. मे भी बहुत जल्द यहा वापस आजाउगी..

भावना : (मुस्कुराते) दीदी.. वो तो ठीक हे.. लेकीन अबतो दो दो बच्चे होगये.. देखा नही.. भानुने कैसे धडाधड दो बच्चे पैदा करदीये.. कमीनेको बच्चे पैदा करनेका बहुत सोक हे.. येतो अच्छा हुआ मेरे फीगरमे ज्यादा फर्क नही आया.. वरना मेतो अभीसे बुढी जैसे दीखने लगती.. हें..हें..हें..

पुनम : (मुस्कुराते गाल चुमते) भाभी.. फीकर मत करना.. आप बुढी नही होगी.. हम सब अ‍ैसे ही जवान दीखेगी.. वो क्यु..? अगर जानना होतो अ‍ेक बार मंजु भाभीसे पुछ लेना.. अब आपको इतना कुछ बता दीया हेतो वोभी बता देगी.. बस.. हमेतो सीर्फ मजे करने हे..

ओर आप फीकर मत करना.. अब भानुभाइ बच्चा देनेमे कमजोर हो गये हे.. रमा भाभी भी ट्राइ कर रही हे.. लेकीन कुछ नही हुआ.. ओर अभी आपको तीन बच्चे ओर पैदा करना हे.. पीछले जन्मकी आपकी सारी तम्मना इस जन्ममे पुरी हो रही हे.. हें..हें..हें..

भावना : (मुस्कुराते) दीदी.. सायद मुजे अंदाजा होने लगा हे.. की तीसरा बच्चा कीनसे होगा.. हें..हें..हें.. क्या आपको पीछले जन्मका कुछ ज्ञात हे..? तो बताइअ‍ेनां.. मे पीछले जन्ममे कोन थी..?

पुनम : (सरमाते हसते) नही भाभी... वोतो मुजे मेरे बारेमे भी ज्ञात नही हे.. लेकीन हां.. हम सबको अ‍ेक दिन सब ज्ञात होजायेगा..की हम सब पीछले जन्ममे कौन थी.. जब हमारा पोता ओर आपका नाती आजायेगा.. तब वो जीसके साथ मीलन करेगा उनको सब ज्ञात होने लगेगा..

भावना : (मुस्कुराते पुनमके उरोजोको थामते) दीदी.. वोतो मेरा नाती होगा.. तो क्या वो मेरे साथ भी.. मतलब.. मेतो उनकी नानी होगीनां..?

पुनम : (प्यारसे गाल सहेलाते हसते) भाभी.. अभी आपका नाती तो बहुत दुरकी बात हे.. इनसे पहेले आपको अपने भांजेको नीपटना होगा.. क्युकी हमतो अ‍ैसेही जवान दीखेगी.. तो हमारे लीये मर्द भी तो जवान होना चाहीये.. हें..हें..हें.. फीर हम आपके नातीको भी नीपट लेगे हें..हें..हें..

भावना : (अ‍ेक्साइटेड होते हसते) क्या..? इसका मतलब हमारा विजय भी..? दीदी.. तबतो हमारे मजे ही मजे हे.. भानु.. जीजु.. लखन भैया.. विजय.. ओर मेरा नाती.. हें..हें..हें.. ओह गो..ड.. ना जाने हमे कीतने मर्दोका बीस्तर गरम करना होगा.. मेरा नाती.. अपनी ही नानीको चोदेगा.. हें..हें..हें..

पुनम : (भावनाकी कमरमे पैर डालते उसे बाहोमे भरते) हां भाभी.. तब उनका आकर्सणही अ‍ैसा होगाकी हम स्वयंम उनकी ओर खीचती चली जायेगी.. तब आप भी बाकात नही रहेगी.. सीर्फ आपही नहींं मंजुभाभी तो उनकी मां होगी.. तो उनके साथ भी.. मे सृती भाभी हमारी लता चंदा भाभी हम सब.. वो हम सबके साथ सेक्स करेगा.. तब सीर्फ ना इस हवेलीमे बल्की गांवमे भी अ‍ैसा माहोल होजायेगा.. की जो जीसके साथ आपसी सहमतीसे सेक्स करना चाहे.. कर सकते हे..

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कहेते पुनम भावनाके होठोको चुमने लगी.. सेक्सकी बाते करते दोनोही गरम हो चुकी थी.. तब कुछही देरके बाद दोनो नंगी होकर सीक्ष नाइन पोजीसनमे अ‍ेक दुसरेकी चुतको चाटकर भगन्साको खरोदने लगी.. तो कुछही देरमे दोनोने अ‍ेक दुसरेको जडाकर अ‍ेक दुसरेको संतुस्ट करदीया.. ओर दोनो नंगीही अ‍ेक दुसरेसे लीपटकर सो गइ.. आज कइ दिनोके बाद अ‍ेक बार फीर पुनम ओर भावनाने सब खुलकर चर्चा करली..
 

dilavar

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इधर दोनो सोगइ तब देवायत चंदाकी दुसरी बार चुदाइ जारी थी.. देवायत चंदाको बडेही जोरसमे चोद रहाथा.. तब चंदा हल्कासा चीखते छटपटा रही थी.. जब दोनो साथमे जड गये.. तब चंदा पुरी तराह संतुस्ट हो चुकी थी.. ओर वो अपनी चुतको साफ करके अ‍ैसेही नंगी सृतीके पास सोगइ.. ओर देवायत नीचे फर्सपे मंजुके पास आगया.. तब कुछही देरके बाद दोनो गहेरे प्यारकी आगोसमे चले गये..
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देवायतको मंजुकी चुदाइ करते अ‍ेक बडा सुकुन मीलता था.. ओर उनको अ‍ैसा लगताकी मंजुकी योनीसे उसे सारी उर्जा वापस मील रही हे.. वो मंजुको अब अच्छी तराह जान चुका था.. ओर यही लगाव उसे अपनी बहेन पुनमसे होने लगा था.. क्युकी अब मंजु अब अपनी कमान धीरे धीरे पुनमको सोप रही थी.. देवायत ओर मंजु देर रात तक प्यार करते रहे.. देवायतने मंजुकोभी दो बार चोद लीया था.. ओर दोनो अ‍ेक दुसरेकी बाहोमे सो गये..

तो आज गांवमेभी सब रुटीन हुआ सब अ‍ेक दुसरेकी मासुकाके साथ लगे हुअ‍े थे.. तो बसंती ब्रिन्दा जागृती सरलाचाची नीर्मला ओर भुमीका जैसी कुछ अपने यारको नही मीलनेकी वजहसे बिस्तरमे करवटे बदल रही थी.. तो आज भी वृन्दा ओर जीतुलाल देर रात अपने घरकी घरकी छतपे चुदाइमे मसगुल थे.. ओर आगेकी प्लानींग कर रहेथे.. ओर आज अपने प्लानमे कामयाब होते दोनोही बहुत खुस नजर आ रहेथे.. ओर अ‍ैसेही रात खतम होगइ..

आज सुबहका सुरज नीकले इनसे पहेले ही सामतभाइ के घरपे सबलोग जाग चुके थे.. ओर तैयार हो रहे थे.. तब सांतीको सजानेके लीये जयश्री ओर बरखाभी उनके घर सुबह जल्दी आने वाली थी.. तो वो दोनो भी जल्दी उठकर कंपलीट होकर सुबह छे बजे आगइ थी.. ओर सांतीका शींगार करते उसे सजा रही थी.. तो जयश्री भी आज जागृतीको मेक अप करते तैयार कर रही थी.. ओर उनके बाद जयाको तैयार करने वाली थी..

जब जयश्री अपने घरसे घरसे नीकली तब ब्रीन्दा नहाकर नीकली थी.. तो वो ब्रीन्दाको कहेकर नीकली.. की वो सांती जागृतीको तैयार करने जा रही हे.. जीसे सुनकर ब्रीन्दा मनमे बहुत खुस होगइ.. ओर जैसे ही जयश्री घरसे नीकल गइ.. ब्रीन्दा वापस नाइट गाउन पहेनकर चुपचाप श्रीधरके रुममे चली गइ.. ओर रुममे जाते ही धीरेसे दरवाजा बंध करके लोक करदीया.. तब श्रीधर घोडे बेचकर सो रहाथा..

ओर ब्रीन्दा गाउन नीकालकर नंगीही श्रीधरकी बगलमे लेट गइ.. ओर उनकी रजाइमे धुस गइ.. फीर धीरेसे श्रीधरके लंडको पकडकर सहेलाने लगी.. तब श्रीधरका लंड तनके खडा होने लगा.. जीनकी वजहसे श्रीधरकी आंख भी खुल गइ.. ओर उसने देखा तो उनके बगलमे उनकी मां ब्रीन्दा नगी लेटी हुइ थी.. ओर श्रीधरकी ओर देखते मुस्कुराते उनके लंडको सहेला रहीथी.. तब श्रीधर भी ब्रीन्दाको देखकर मुस्कुराने लगा..

फीर देर ना करते श्रीधरने ब्रीन्दाको अपनी बाहोमे भीचलीया.. ओर बाहोमे भरके उनके होठोको चुमने लगा.. ओर चुमते चुमते श्रीधर ब्रीन्दाके उपर चड जाता हे.. ब्रिन्दा भी कइ दिनोसे श्रीधरको नही मीली थी.. तो वो भी वासना भरी कामुक नजरोसे श्रीधरकी ओर देखते उनके लंडको पकड लेती हे.. ओर धीरे धीरे अपनी चुतपे घीसते लंडको भीगोने लगती हे.. फीर धीरेसे अपनी चुतमे फसाकर श्रीधरको जोरोसे बाहोमे भीचलेती हे..

तब कुछही देरमे श्रीधर धीरे धीरे कमर हीलाते ब्रीन्दाको चोदने लगा.. तब ब्रीन्दा नसीली अ‍ेंखोसे श्रीधरकी ओंओमे देखते श्रीधरको थोडा जोरोसे चोदनेके लीये उक्साती हे.. तो श्रीधर हाथके बल उचा हो गया.. ओर ब्रीन्दाकी चोरोसे चुदाइ करने लगा.. तो कमरेमे ब्रीन्दाकी हल्की चीखे सुनाइ देने लगी.. तब ब्रीन्दा भी पुरी मदहोस होते अपनी कमर उछालते श्रीधरसे मजेसे चुदवाते उनका साथ देने लगी..

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श्रीधरका लंड कीसी अ‍ेन्जीनके पीस्टनकी तराह ब्रीन्दाकी चुतमे अंदर बहार हो रहाथा.. तब ब्रीन्दाके दोनो कठोर बुब्स तालमेलमे उछल रहे थे.. जीसे बीच बीचमे श्रीधर जुककर मुहमे लेकर चुसने लगता.. जब भी ब्रीन्दा जडनेको आती श्रीधरको जोरोसे बाहोमे भीचलेती.. ओर उनके होठोको चुम लेती.. ओर कुछ ही देरमे दोनोके बीच जबरदस्त चुदाइ हुइ.. फीर दोनो साथमे जड गये.. तब दोनो पुरे पसीनेसे भीग चुके थे.. तभी..
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श्रीधर : (ब्रीन्दाके उपर लेटे हुअ‍े होठ चुमते) मोम.. मुजे आपसे मीलनेका बहुत मन करता हे.. बस.. अ‍ैसे ही मौके देखकर आजाया करो.. सायद कल भी जयश्री सांती भाभीको तैयार करने जायेगी..

ब्रीन्दा : (मुस्कुराते) बीटु.. पता हे मुजे.. मे भी तुजे कीतने दिनोके बाद मली हु.. तु फीकर मत कर.. मुजे भी मेरे इस पतीको मीलनेकी इच्छा होती हे.. मे कल भी आजाउगी.. ओर सुन.. वहा सादीके माहोलमे सब बीजी होगे.. तो तुजे दिनमे भी इच्छा होजाये तो मुजे इसारा कर देना.. मे सबकी नजर बचाकर यहा चली आउगी.. तब तुम भी आकर इस बीवीको चोद लेना.. मुजे तेरे साथ मीलन करनेके बहुत मजा आता हे.. चल अब उठजा हमे भी सादी मे जाना हे..

श्रीधर : (मुस्कुराते) मोम.. आप मेरी पहेली बीवी हो.. थोडी देर रुक जाइअ‍ेना.. मुजे आपको अ‍ेक बार ओर चोदना हे.. कीतने दिनोके बाद तो मीली हो आप..

ब्रीन्दा : (होंठ चुमते) बीटु.. फीकर मत कर.. अब हम बहुत जल्द हमेसाके लीये मील जायेगे.. बस कुछ खिन ओर इन्तजार करलो.. फीर ये बीवी भी आपको मील जायेगी.. बस.. थोडा मेरी बहुको मनाना पडेगा.. अभी तो चलो हमे सादीमे जाना हे.. ओर सुनो.. जब मे तैयार होजाउ तब तुम मेरी मांग भरदेना.. क्युकी अब मे तेरी पत्नी बनकर ही तेरे साथ आउगी..
 

dilavar

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तो दुसरी ओर यही हाल बरखाके घरपे भी था.. बसंतीका पती वीभु अब भी सो रहा था.. तब बरखा तैयार होकर नीकली तो अपने पतीके होठोको चुमकर उसे बताकर नीकली थी.. तो आज मुनाकोभी अपनी मां बसंतीको मीलनेका मौका मील गया.. जैसे ही बरखा चली गइ.. तब मुनाभी उठकर अपने रुमसे बहार आगया ओर देखातो बसंती नहाकर तैयार हो चुकी थी.. ओर कीचनमे काम कर रही थी..

तो मुना सीधाही कीचनमे चला गया.. तो बसंती उसे देखकर बहुतही सरमाइ.. वो कुछ समजे इनसे पहेलेही मुनाने बसंतीको अपनी बाहोमे भरलीया ओर उनके चहेरेको बेइम्तहना चुमने लगा.. तब बसंती भी उतेजीत होगइ.. ओर मुनाको जोरोसे अपनी बाहोमे भरते उनका साथ देने लगी.. वोभी मुनाके चहेरेको पागलोकी तराह चुमने लगी.. तब अचानक मुनाने बसंतीको अपनी गोदमे उठालीया..

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तब बसंती बहुतही सर्मसार होगइ.. ओर मुनाकी गोदमे उनके गलेमे हाथ डालकर वासना भरी नजरोसे मुनाको देखती रही.. तब वो मुनाके प्यारमे इतनी अंधी होगइ थी.. की मुना उसे गोदमे उठाकर अपने रुमकी ओर चल पडा हे वो उनको भान नही था.. ओर मुना बसंतीको अपने रुममे लेकर आगया.. ओर बेडपे लीटाकर दरवाजा बंध कर लेता हे.. तब बसंती बहुत ही सर्मसार होगइ..

ओर मुनाकी ओर देखते सरमाकर मुस्कुराते बेडसे खडी होकर बहार जानेकी कोसीस करने लगी.. तो मुनाने बसंतीको हल्कासा धका मारते वापस बेडपे लीटा दीया.. ओर खुदभी उनकी बगलमे लेट गया.. तब बसंतीने जोरोसे मुनाको अपनी बाहोमे भीचलीया.. ओर मुनाके होठोको चुमने लगी.. जबसे मुनाने उनको पहेली बार चोदलीया था.. तब ही बसंती मुनाकी दिवानी होते उनको पुरी तराह समर्पीत हो चुकी थी.. तभी..

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बसंती : (सरमाते धीरेसे) मुनाजी.. अब आपको जोभी करनाहो जल्दीसे करलो.. अभी आपके बापु उठ जायेगे..

मुना : (बुब्स मसलते) मोम.. इतनी भी क्या जल्दी हे.. हम कीतने दिनोके बादतो मील रहे हे.. बस.. तुम सीर्फ बरखाको मेरे लीये सजाती हो.. कभी खुद भी सजकर आया करो.. मे आपसे भी बहुत प्यार करता हु..

बसंती : (मुस्कुराते) बीटु.. अभी दो दीन सादी हे.. हमे मीलनेके बहुत मौके मीलेगे.. ओर मे सादीमे आपके लीये तो सजकर आती हु.. कल देखा नही आपने..? बीटु.. अभी कुछ नही.. हम फुरसतमे बात करेगे.. अभी आपके बापु सामतभालको मीलकर दुकानपे चले जायेगे.. तब सीर्फ हम दोनो ही होगे.. आज मुजे भी आपसे बहुत सारी बात करनी हे.. अभी तो मेरी प्यास बुजा दीजीये.. मे आपके लीये बहुत तडपी हु.. चलीये आजाइअ‍े.. देर मत कीजीये..

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तब कुछही देरके बाद मुनाने अपना तगडा लंड बसंतीकी चुतमे धुसा दीया.. तो बसंतीकी हल्कीसी चीख नीकल गइ.. उनकी आंखोमे वासनाके डोरे मंडराने लगे.. वो मुनाकी ओर बहुत कामुक ओर नसीली आंखोसे मुह फाडके देखती रही.. ओर मुना कमर हीलाते बसंतीको चोदने लगा.. तब हर धकेके साथ बसंतीकी आहे नीकलने लगी.. आज मुना कइ दिनोके बार अपनी मां बसंतीकी जबरदस्त तरीकेसे चुदाइ कर रहा था..
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तब बसंती पुरी तराह मदहोस होकर कामातुर होगइ थी.. आज बसंतीने सभी लाज समरको त्याग दिया था.. ओर अ‍ेक बीवीकी तराह उछल उछलकर मुनासे चुदवा रही थी.. कुछ ही देरकी धमासान चुदाइके बाद मुनाने बसंतीको दो दो बार जडादीया.. फीर तीसरी बार जडते बसंतीकी चुतको अपने पानीसे लबालब भरदी.. ओर बसंती अपनी चुतको साफ करके बाथरुममे चली गइ.. ओर कंपलीट होकर बहार आकर अपने कपडे पहेनने लगी.. तब मुना इसे देखकर मुस्कुरा रहा था..

बसंती : (सरमाते धीरेसे) आप क्या हस रहे हे..? गंदे कहीके.. सुबह सुबह मुजे खराब करदी.. फीरसे नहाना पडेगा.. चलो आप भी जाकर नहाले.. सादीमे नही जाना क्या..?

मुना : (मुस्कुराते धीरेसे) मोम.. ये कबसे आप आप क्या लगा रखा हे..? मे आपका बेटा हु.. मुजे पहेलेकी तराह तु नही केह सकती..? हें..हें..हें..

बसंती : (सरमाके मुस्कुराते) नही.. क्युकी मेने आपसे कहा थानां.. की हम जबभी दोनो अकेले होगे मे आपको आप कहेकर ही बुलाउगी.. क्युकी मेने मनही मन आपको मेरा पती मान लीया हे.. सबके सामने ठीक हे.. लेकीन अकेलेमे मुजे अपने पतीकी मर्यादाका खयाल रखना हे..

मुना : (हसते) मोम.. अब आप भी मुजसे सादी करलोनां.. आपकी बहु भी तो यही चाहती हे..

बसंती : (सरमाते मुस्कुराते सारी पहेनते) हंम.. पता हे मुजे.. कमीनी आजकल मेरे पीछे ही पड गइ हे.. लेकीन बीटु.. अभी आपके बापु हे.. तो मे आपसे सादी नही कर सकती.. हम बादमे सादी करलेगे.. तबतक हम दोनो अ‍ैसेही मीलते रहेगे.. चलो आप पहेले नहालो.. फीर आपके बापु चले जाये तब मे आपसे बात करुगी.. मुजे आपसे कुछ बाते भी करनी हे..

बसंती कपडे पहेनकर चली गइ.. तब मुनाभी बाथरुममे नहाने चला गया.. आज ब्रीन्दा ओर बसंती दोनोने मौकेका फायदा उठालीया था.. आज बसंती भी बीना कोइ विरोध कीये बगैर मुनाके साथ उनके रुममे चली गइ थी.. ओर उनसे जबरदस्त तरीकेसे चुदवाकर संतुस्ट होचुकी थी..ओर वापस आकर कीचनमे काम करने लगी थी.. तबतक वीभु भी जागकर कंपलीट होगया.. तो मुनाभी नहाकर कंपलीट हो चुका था..
 

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तो हवेलीपे भी सबलोग जल्दीसे उठ गये.. लताने जब लखनको जगाया तब वो लताको पकडकर सरारत करने लगा.. लेकीन लताने उसे डोक्टरको पुछकर करनेको कहा.. तो लखन थोडा मायुस होगया.. क्युकी दो दीनसे चुदाइ नही करनेकी वजहसे वो पागल जैसा होने लगा था.. ओर उसने इस बारेमे पुनमसे बात करनेका फैसला करलीया.. तो वोभी तैयार होकर नीचे आगया.. तब चंदा फोनपे धिरेनसे बात करते उसे तैयार रहेनेको केह रही थी.. ओर सब लोग डायनींगपे बैठ गये.. तभी..

देवायत : (मुस्कुराते) लखन.. अब तुम लता ओर भावना मंजु सबको लेकर सामतभाइके घर सादीमे चले जाना.. अब दो दिन हमे सामतभाइ के घरपे ध्यान रखना होगा.. हम सामको तेरी भाभीको लेकर वापस आजायेगे.. ओर सृती कल तुजे भी सादीमे चलना हे.. तो तुम भी कलका अ‍ेडजेस्ट करलेना.. हमे होस्पीटलके लीये जमीन भी मील गइ हे.. तो कुछही दिनोमे हम इनका भी काम सुरु कर देगे.. तुम अपनी तैयारीया करने लगो.. अ‍ेक दो सालमे सबकुछ कंपलीट होजायेगा..

सृती : (हसते) अरे अ‍ेक दो सालमे तो बहुत कुछ तैयारीया हो जायेगी.. इसके लीये मे ओर लखन भैया अभीसे कामपे लग गये हे.. हें..हें..हें..

देवायत : (आस्चर्यसे हसते) लखन भैया..? मतलब..?

लखन : (हसते) अरे भाइ.. वो हमारे फीरोजभाइकी लडकीकी बात कर रही हे.. कल हम सब उनके घरपे तो गये थे.. वोभी सृती भाभीकी तराह गायनेक डोक्टर बनने वाली हे.. हम कल उसीके लीये तो उनके घरपे गये थे.. वो साहीलके चाचाकी लडकी हे..

देवायत : (हसते) लखन तो फीर उनके चाचाको बोल अब वापस गांव आजाये.. हमने उनकी जमीनतो वापस देदी हे..

लखन : (हसते) भैया.. वो सब बाते मेने उनसे करली हे.. जैसेही उनकी लडकी बेंगलोर पढने चली जायेगी तब वोभी वापस इधर आजायेगे.. मे उसी बात तो उनको समजाने गयाथा.. हें..हें..हें..

भुमीका : (जोरोसे हसते) देवु.. मुजे लगता हे लखन अब काफी मेच्योर हो गया हे.. तो अब उनको ही यहाका सरपंच बना देना चाहीये.. हें..हें..हे..

लखन : (हसते सृतीकी ओर इसारा करते) हां बुआ.. ये आपकी बेटीतो सारा दिन टांग खीचाइ करती हे.. अब आप भी अपनी बेटीकी तराह टांग खीचलो..

सृती : (जोरोसे पीठमे मुका मारते) कीतने कमीने हो.. मेने कब आपकी टांग खीची..?

लखन : (सृतीसे बचते) भैया.. आजकल आपकी सभी बीवीया मुजपे बहुत हाथ पांव चलाती हे.. ठीक हे.. अब आने दो सहेर.. रहोगी तो मेरे साथ ही.. तब देखता हु आपको मुजसे कौन बचाता हे.. हें..हें..हें..

सृती : (थोडा गभराते सख्तीसे) अरे नही नही.. ये क्या बात हुइ..? ठीक हे.. मे आपके घरपे रहुगी ही नही.. मे मेरे घरपे ठीक हु.. वही अकेली रहुगी.. ओर जरुरत पडी तो मे भावना दीदीको साथ लेजाउगी.. मुजे नही रहेना आपके साथ.. आप बहुत कमीने हो..

लखन : (सीरीयस होते) अरे यार मेतो मजाक कर रहा हु.. आपतो सीरीयस होगइ.. ठीक हे.. अब मे आपको कुछ नही कहुगा.. हम वहा आपको अकेले नही रहेने देगे.. आप हमारे साथही रहेगी.. मे अभीसे केह देता हु..

कहेते लखनकी आंख गीली होने लगी.. तो वो जटसे चाइ नास्ता छोडकर खडा होगया.. ओर चुपचाप उपर अपने रुमपे चला गया.. तो सब लोग उनको सीरीयस मुह बनाते देखते रहे.. आज मजाक मजाकमे बात थोडी सीरीयस होगइ.. तो लताभी उनके पीछे जानेके लीये खडी होने लगी.. तब मंजुने उसे वापस बीठा दीया.. ओर खुद खडी होकर उपर लखनके कमरेमे चली गइ..

अंदर जाकर देखातो लखन बेडपे बैठकर आंसु बहा रहा था.. तो मंजुने अंदर जातेही दरवाजा बंध करलीया.. तो लखन उनको देखतेही बेडसे खडा होकर अपने आंसु पोछने लगा.. तभी मंजु उसे हाथ पकडकर बेडपे बीठा देती हे.. ओर खुद भी उनसे पास बैठ जाती हे.. ओर अपनी सारीके पलुसे लखनके आंसु पोछने लगती हे.. तब लखनको मंजुमे अपनी मां नजर आती हे.. ओर लखन उनकी गोदमे सर रख देता हे.. तो मंजु मुस्कुराते उनके सरको सहेलाने लगती हे.. तभी..

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लखन : (धीरेसे) भाभीमां.. मेतो सीर्फ मजाक कर रहाथा.. तो फीर भाभी इतनी गभराइ हुइ क्यु थी..?

मंजुला : (मुस्कुराते सर सहेलाते) बीटु.. जानती हु मे.. की तुम मजाक कर रहे थे.. ओर वोभी जानती थी.. की तुम मजाक कर रहे हो.. लेकीन वो आज तुमसे गभरा गइ थी.. वोभी सच हे.. लेकीन उनकी वजह मे अभी तुमको नही बता सकती.. कुछ दिनोमे आपको खुद पता चल जायेगा..

लखन : भाभीमां.. लेकीन वोतो मेरे बारेमे गलतही सोचेगीनां.. क्युकी मेने ही उनको कहा की तुम मेरे साथ रहोगी.. तो तुमको कौन बचायेगा.. भाभी.. मेरे कहेनेका मतलब वो कुछ ओर ही समज रही होगी.. मेरे कहेनेका मतलब गलत नही था.. मेरे मुहसे अ‍ैसेही अनायास नीकल गया था..

मंजुला : (मुस्कुराते) बीटु.. मे जानती हु.. मेरा बेटा कभी गलत बोल ही नही सकता.. जा अपना मुह धोले.. ओर चल नीचे.. चाइ नास्ता करले.. वरना वोभी सारा दिन दुखी रहेगी.. उनका भी मुड बीगड गया हे..

लखन : (खडा होते) हां भाभी.. मे आता हु.. ओर सबके सामने भाभीसे माफी मांग लुगा..

मंजुला : (मुस्कुराते) नही बीटु.. इसकी कोइ जरुरत नही हे.. तु चल.. मे उसे समजा दुगी..

लखन : (बाथरुममे जाते) नही भाभीमां आप जाओ.. अगर मेने माफी नही मागी तो मुजे सारा दीन चेइन नही मीलेगा.. मे अभी आता हु..

तब मंजु नीचे चली गइ.. ओर मुस्कुराती नीचे आगइ.. तो सबने राहतकी सांसली.. ओर सबलोग मंजुकी ओर सवालीया नजरोसे देखते रहे.. खास करके सृती.. तो मंजुने सबको इसारोसे कुछ नही हुआ कहा.. तो सबके चहेरेपे स्माइल आगइ.. तो सृती भी मुस्कुराने लगी.. ओर सबलोग चाइ नास्ता करने लगे.. तब कुछ देरके बाद लखनभी नीचे आगया.. तो सबलोग उनके सामने देखने लगे.. तब..

लखन : (वापस चाइ नास्ता करने बैठते) अरे.. सबलोग मुजे अ‍ैसे घुरके क्या देख रहे हो.. मे कोइ भुत हु क्या..?

सृती : (हसते) देखा.. कीतना कमीना देवर हे हमारा.. ओर आप कोइ भुतसे कम भी थोडीना हो..? हें..हें..हें..

लखन : (सबलोग हसने लगे.. तभी) भाभी.. आइ अ‍ेम सोरी.. मेने कहेनेका मतलब गलत नही था.. मेतो अ‍ैसेही मजाकमे बोल गया था.. सोरी अगेइन.. आप गलत मत समजना..

सृती : (सामने देखते) अरे क्या सोरी..? अभी पता हे मेरी हालत कैसी होगइ थी..? जब आप चले गये.. मुजे तो रोना आ रहाथा.. ओर अब कहेते हो सोरी.. मेरा तो दिल गभरा रहा था..

लखन : (जोरोसे हसते) कीतना जुठ बोल रही हो.. हें..हें..हें.. आपका दिल आपके पास थोडीनां हे..? हें..हें..हें..

सृती : (आस्चर्यसे देखते) क्यु..? मेरे पास दिल नही होगा तो कहा हे..? क्या मे कोइ भुत हु..? इन्सान नही हु..?

लखन : (जोरोसे हसते) भाभी.. आपका दिलतो भाइके पास हेनां..? ओर मेने कब कहा आप इनन्सान नही हो.. अच्छी खासी बकरी लग रही हो.. हें..हें..हें..

सृती : (मारनेके लीये खडी होते) कुते.. मुजे बकरी केह रहे हो.. अभी ठहेरो आपको दिखाती हु..

कहेते सृती लखनको मारनेके लीये दोडी.. तो लखनभी चैरसे खडा होकर कुदते सोफेके पास होलमे भाग गया.. ओर दोनो सोफेसे चकर लगाते रहे.. तब सबलोग दोनोके बीच सुलह होकर फीरसे जगडा देखते हस रहे थे.. ओर सृती थक कर खडी होगइ.. ओर लखनकी ओर देखकर मुस्कुराने लगी.. तब लखन हसते हुअ‍े सामनेसे सृतीके पास आगया.. ओर सृतीको जोरोसे हग करलीया.. तो आज पहेली बार सृतीको अपनी चुतपे लखनके बडे लंडकी चुभन महेसुस हुइ.. तब सृती बहुतही सरमाइ..

vekkam-shruti-haasan
ओर हसते हुअ‍े लखनकी पीठमे मुका मार दीया.. फीर दोनो हसते हुअ‍े वापस आकर बैठ गये.. सबने नास्ता करलीया तब नीर्मला चंदा देवायत भुमीका ओर पुनम सृती सबलोग सहेर जानेकी तैयारीया करने लगे.. तो लखन भी मंजु लताको तैयार रहेनेका कहेकर बंसीके घरपे चला गया.. तो पुनम भी सृतीको लेकर अपने रुममे तैयार होने चली गइ.. तो मंजु भावना ओर लता भी सादीमे जानेके लीये अपने अपने रुममे चली गइ....

कन्टीन्यु
 

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