कहानी में कोई त्रुटि नहीं है, लेखक की भावनाओं का सम्मान होना ही चाहिए... क्योंकि लेखक कभी निराशा का लेखन नहीं करता, उसका सर्वस्व पाठकों को समर्पित रहता है।
एक अच्छी पाठक होने नाते मेरा पक्ष जरूर रखना चाहूंगी, ये सुझाव मात्र है।
कहानी में अब मां बेटे एक बार फिर एकदूसरे के करीब आ चुके हैं, बहुत ही कामुक भाग था जो लेखक ने प्रस्तुत किया।
मेरा सुझाव है कि अगले दो एक भाग मां और बेटे के बीच ही हों, ताकि कहानी आगे की ओर अग्रसित हो सके। तृप्ति को अगले भाग के लिए घर से थोड़ा दूर रखना चाहिए ताकि मां और बेटे को एकांत का अच्छा फायदा मिल सके। मां को एक ब्रा पैंटी का सेट पहनकर चैक करना है और बेटे के साथ एकांत में यह कार्य बहुत उत्तेजक हो सकता है बिना किसी अतिरिक्त खलल के।
मां इस बार बेटे के सामने पूरी तरह से नंगी भी हो सकती है, जिसे शायद उसके बेटे की सहमति भी प्राप्त हो सकती है, क्योंकि कि अबतक मां अपने बेटे के सामने पूरी तरह से नंगी नहीं हुई है, सिर्फ उनके बीच लुका छिपी का खेल हुआ है।
मां बेटे के सामने नंगी हो, उससे बातें करे, ज्यादा से ज्यादा समय नंगी चहल कर्मी करे बेटे के सामने, अपने कामुक अंगों का विश्लेषण भी बेटे से मांग सकती है, ताकि बेटे के अंदर का किशोरपन भी मर्दाना रूप ले सके।
बस मेरा ये एक सुझाव मात्र है, क्योंकि संभोग अभी उचित नहीं होगा दोनों के बीच... संभोग के पहले मां बेटे दोनों पूरी तरह से काम पिपासु हो जाएं उन्हें एक दूसरे के सामने नंगा रहना, बार बार बहाने ढूंढना नंगे होने का, कपड़े बदलते हुए, बेडरूम के बाहर नंगा आ जाना फिर कोई बहाना कर देना आदि।
संभोग की स्थिति अंतिम होती है क्योंकि संभोग के बाद कामुकता का भी अंत हो जाता है।