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Incest मुझे प्यार करो,,,

rohnny4545

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Bhai sabka khayal alag alag hota , sabko maja alag alag tarah se aata hai hume to rohnny bro ki kahaniya pasand hain, tum bhi apni kahani shuru karo to pata chalega padhna aasan hai lekin kahani ki puri kalpna karke usko shabdon me lagataar kai saal tak likhna bahut mushkil hota hai aur jabki writer ko kuch kamai nahi hoti, koi apna jaruri waqt me se kuch time nikaal kar kahani likhta hai to tumhe uski care karni chahiye uska hosala badhana chahiye, aur tumhe kahani kuch alag tarah ki bas sex sex ki pasand hai to bahut se writer honge unki badh lo, sex ki kahani to koi bhi likh leta hai lekin jo ras jo kamukta ka ehsaas rohnny bhai ki kahaniyon me hota hai wo bahut kam writer hi dila sakte hain. Ye mana kaha I ki raftaar dheemi hai aur kahani kai logo ke sath judi hai is liye har kisi ka kahani me hissedari hona bhi jaruri hai.
Thanks dear

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rohnny4545

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सुगंधा घर पर पहुंचने के बाद भी उस आदमी के बारे में सोच रही थी,,, इस बारे में उसने किसी को यह बात नहीं बताई थी उसे समय अंकित भी वहीं मौजूद था लेकिन अंकित को अहसास तक नहीं हुआ की दीवार की पीछे उसकी मां को पेशाब करते हुए देखकर कोई के इंसान उसके सामने चोदने की फरमाइश रख रहा है,,, और इस बात को सुगंधा ने अपनी बड़ी बेटी तृप्ति को भी नहीं बताई थी,,, सुगंधा रात को अपने बिस्तर में लेटे-लेटे इसी के बारे में सोच रही थी। सुगंसुगंधा घर पर पहुंचने के बाद भी उस आदमी के बारे में सोच रही थी,,, इस बारे में उसने किसी को यह बात नहीं बताई थी उसे समय अंकित भी वहीं मौजूद था लेकिन अंकित को अहसास तक नहीं हुआ की दीवार की पीछे उसकी मां को पेशाब करते हुए देखकर कोई के इंसान उसके सामने चोदने की फरमाइश रख रहा है,,, और इस बात को सुगंधा ने अपनी बड़ी बेटी तृप्ति को भी नहीं बताई थी,,, सुगंधा रात को अपने बिस्तर में लेटी हुई इन्हीं सब के बारे में सोच रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार उसका बेटा है कितना बुद्धू क्यों है जो कि उसकी आंखों के सामने हुआ इतना अंग प्रदर्शन कर चुकी थी उसका एक-एक अंग उसे खोलकर दिखा चुकी थी लेकिन फिर भी वह उसके इशारे को समझ नहीं पा रहा था,,, अपने बेटे की मूर्खता पर उसे बहुत गुस्सा आ रहा था। क्योंकि उसकी प्यासा बदन अब उसके काबू में बिल्कुल भी नहीं था।



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बाजार में दीवार के पीछे जो कुछ भी हुआ था वह भले ही कुछ पल के लिए सुगंध को हैरान और डरा देने वाला था लेकिन मन ही मन हुआ उसे आदमी को उसकी हिम्मत को दाद दे रही थी की पहली मुलाकात में ही उसने अपने मन की बात उसके सामने रख दिया था,,, और बदले में उसने की क्या थी बस उसके सामने कुछ देर तक पेशाब करने लग गई थी बस इसी से उसकी हिम्मत बढ़ गई थी और उसने अपने मन की बात उसके सामने कह दी थी और उसकी वासना इतनी बढ़ गई थी कि उसकी आंखों के सामने ही अपने लंड को निकाल कर उसे हिला रहा था मानो संकेत दे रहा हो कि बस अब हो गया तुम्हारी इजाजत हो तो तुम्हारी चुदाई कर दुं,,, इतने से ही मन आदमी सब कुछ समझ गया था लेकिन उसका बेटा अभी तक नहीं समझ पाया था जो कि अपने हाथों से उसे चड्डी तक पहना चुका था बाथरूम के दरवाजे के छोटे से छेद से देख भी चुका था कि उसकी मां कितनी प्यासी है फिर भी वह आगे बढ़ने से डर रहा था या वाकई में वह पूरी तरह से बुद्धु था,,, और उसे आगे कुछ आता ना हो शायद इसीलिए वह आगे बढ़ने से कतरा रहा था,,,,




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सुगंधा अपने मन में सोच रही थी कि अगर वाकई में उसे कुछ नहीं आता तो इसमें क्या हो गया वह खुद उसे सीखाने के लिए तैयार है बस वह आगे तो बढे,,, लेकिन एक सीमा के आगे वह अपने कदम आगे बढ़ा नहीं पा रहा है,,, औरत के जिस को देखकर उसके बदन में उत्तेजना का एहसास होता है वह भी मदहोश हो जाता है इस बात का पता सुगंधा को अच्छी तरह से था,, जिसका एहसास हुआ कहीं बार महसूस कर चुकी थी बस के अंदर तो हद हो गई थी अगर वह साड़ी ना पहनी होती तो शायद उसके बेटे का लंड उसकी बुर में घुस गया होता इस कदर वह बावला हो गया था,,,, यही सब सो कर सुगंधा हैरान हो रही थी और अपने मन में आगे बढ़ने का कोई रास्ता ढूंढ रही थी उसे लगने लगा था कि अब मंजिल तक पहुंचना जरूरी है सफर का मजा तो वह पूरा ले रही है लेकिन मंजिल पर पहुंचने की उत्सुकता अब बढ़ती जा रही है,,, लेकिन कैसे बढ़ा जाए कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,,,।



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यही सब सोचते हुए सुगंधा रोज की तरह ही,, अपने पसंद से एक-एक करके सारे कपड़ों को उतार कर एकदम नंगी हो गई और अपने दोनों टांगों को फैला कर अपनी उंगली से अपनी जवानी की आग को शांत करने की नाकाम कोशिश करने लगी वह जानती थी कि जब तक उसकी बुर में मोटा तगड़ा लंड नहीं घुसेगा तब तक यह आग भडकती रहेगी,,,, एक अजीब सी स्थिति हो जाती है जब इंसान को पता हो कि उसका इलाज क्या है और सब कुछ उसके पास में करीब में होने के बावजूद भी वह अपना इलाज उचित ढंग से ना कर पाए यही उसकी सबसे बड़ी बदकिस्मती होती है और इस समय सुगंध अपने आप को सबसे बड़ी बस किस्मत समझ रही थी,,,, वह अपने मन में सोचने लगी कि अब उसे ही कुछ करना होगा,,, जैसा कि वह पहले भी सोच चुकी थी और उस दिशा में अपने कदम बढ़ाती भी थी लेकिन कुछ दूरी पर जाकर उसके कदम खुद ब खुद रुक जाते थे।



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सुबह सबसे पहले अंकित की आंख खुली,,,, लेकिन उसने महसूस किया कि घर में किसी भी प्रकार का चल-पा नहीं हो रहा था किसी प्रकार की हलचल नहीं थी कोई शोर शराबा नहीं था जिसका मतलब साफ था कि अभी घर में सब सो रहे हैं और वैसे भी किसी को कहीं जाना तो था नहीं इसलिए चैन की नींद सो रहे थे स्कूल में छुट्टी पड़ चुकी थी इसलिए उसकी मां भी निश्चित थी लेकिन उसका मन हुआ कि चलो थोड़ा- बाहर टहल लिया जाए,,,,, इसलिए वह अपनी बिस्तर से उठ कर बैठ गया और फिर अपनी आलस को मारते हुए धीरे से बिस्तर पर से उठकर खड़ा हो गया,,, दीवार पर टंगी घड़ी पर देखा तो अभी 5:00 बज रहे थे,,, शायद आज वह जल्दी ही उठ गया था,,, बाहर अभी भी अंधेरा था इसलिए वह सोचा कि थोड़ी देर बैठ जाऊं फिर उठ कर चला जाऊंगा और यही सोचकर वह फिर से बैठ गया।



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सुबह-सुबह अचानक उसके मन में उसकी मां के बारे में ख्याल आने लगा राहुल की बातें याद आने लगी उसे औरत की स्थिति का ज्ञान होने लगा, वह समझ रहा था कि उसकी मां चुदवाने के लिए तड़प रही है,,, उसे अपनी मां की स्थिति का अच्छी तरह से एहसास था वह जानते थे कि उसकी मां बिना पति के बरसों से इसी तरह से अपना जीवन गुजार रही थी,,, उसके मन में भी जिस्म की चाहत जगती होगी,,, वह भी अपनी बुर में लंड लेना चाहती होगी तभी तो बस में उसकी गांड के बीचों बीच लंड घुसने के बावजूद भी उसने बिल्कुल भी रोकने की कोशिश नहीं की थी अगर उसे यह सब खराब लगता तो इस समय वह मुझे अपने आप से दूर रहने के लिए बोलती मुझे डांट लगाती लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था,, बल्कि बस में अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि वह खुद अपनी गांड को उसकी तरफ ठेल रही थी,,, इन सब बातों को याद करके अंकित अपने मन में सोच रहा था कि अगर वह घटना घर में घटी होती तो शायद उसकी मां अपने हाथों से अपनी साड़ी कमर तक उठा देती और अपने हाथ से लंड को पकड़ कर अपनी बुर पर सटा दी होती,,,



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और अगर सच में उसके मन में ऐसा कुछ ना होता तो वह अपने भाई के घर खिड़की पर आधी रात को खड़ी होकर चुदाई का नजारा ना देख रही होती,,,, इन सब बातों को सोचकर अंकित अपने आप में ही दुखी हो रहा था और उत्सुक भी हो रहा था क्योंकि उसे इतना तो पता चल गया था कि उसकी मां चुदवाना चाहती है लेकिन आगे बढ़ने से डर रही है शायद शर्म और संस्कार की वजह से वह अपने आप को ऐसा करने से रोक रही है अगर ऐसा है तो उसे ही कुछ करना होगा उसे ही इस खेल को पूरा करना होगा क्योंकि वह भी तो यही चाहता है,,,, एक बेटा होने के शायद वह ऐसा ना कर सके लेकिन एक मर्द होने के नाते वह ऐसा जरूर कर पाएगा ऐसा उसके मन में पूरा विश्वास था और वह भी यही चाहता ही था,, इन सब बातों को सोचकर सुबह-सुबह अंकित उत्तेजित हो गया था,,, और तकरीबन 10 15 मिनट गुजर भी चुके थे इसलिए वह धीरे से अपनी जगह से उठकर खड़ा हो गया और अपने कमरे से बाहर आ गया,,, अपनी मां के कमरे से गुजरते हुए वह अपने मन में सोचा कि एक बार देख लो कि उसकी मां सो रही है या जाग रही है अगर जाग रही होगी तो जाते समय बोल दूंगा कि दरवाजा बंद कर ले,,, ऐसा सोचकर वह अपनी मां के कमरे के सामने खड़ा हो गया।




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वह दरवाजे पर दस्तक दिए बिना अपनी मां को आवाज लगाकर जागना चाहता था और यह देखना चाहता था कि वह सो रही है कि जाग रही है लेकिन तभी ऐसा सोचते हुए उसका एक हाथ दरवाजे पर
अपने आप ही स्पर्श हो गया और उसके स्पर्शों से ही दरवाजे का एक पल्ला धीरे से खुलने लगा,, दरवाजे का पल्ला खुलने की वजह से अंकित को लगने लगा कि उसकी मां जग रही होगी तो उसे खाने में आसानी होगी इसलिए वह एक पल्ला पूरी तरह से खुलने दिया और कमरे के अंदर देखने लगा अंदर लाल कलर का हल्के वोल्टेज का गोला जल रहा था जिसकी रोशनी में सब को साफ दिखाई दे रहा था लेकिन फिर भी अंदर का दृश्य सबको साफ दिखने में कुछ पल का समय लगा।





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और जैसे ही अंदर का दृश्य एकदम साफ होने लगा अंकित के दिल की धड़कन एकदम से बढ़ने लगी उसकी नजर कमरे के एक तरफ के दीवार से सटे हुए बिस्तर पर पड़ी जिस पर उसकी मां सो रही थी लेकिन बिना कपड़ों के एकदम नंगी उसके पसंद से साड़ी उसका ब्लाउज उसका पेटिकोट सब कुछ बिस्तर के नीचे बिखरा पड़ा हुआ था और उसकी मां पीठ के बाल एकदम आराम से गहरी नींद में सो रही थी इस नजारे को देखकर तो अंकित का दिल और जोरो से धड़कने लगा उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मां इस तरह से सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर क्यों सो रही है,,,, उसके दिल की धड़कन कैसा लग रहा था कि उसका साथ नहीं दे पा रही थी और बेकाबू होकर चल रही थी। पर धीरे-धीरे आगे की तरफ बढ़ रहा था।




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और जैसे-जैसे अपनी मां के बिस्तर की तरफ बढ़ रहा था वैसे उसे दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह आगे बढ़ेगा इसी समय दबे पांव वापस लौट जाए क्योंकि उसकी मां के उठने का समय हो गया था अगर ऐसी हालत में उसकी भीख खुल गई और उसे इस तरह से अपने कमरे में देख ली तो पता नहीं क्या समझेंगी यही सब सोच कर उसका दिल जोरो से धड़क रहा था,,,, कुछ पल के लिए अपनी मां को इस तरह से अस्त्र-व्यस्त हालत में सोता हुआ देखकर अंकित के मन में कुछ और सबका होने लगी वह अपने मन में सोचने लगा कि कहीं उसकी मां के कदम सच में जगमगा तो नहीं गए हैं कहीं सच में उसकी मां अपनी जवानी की आग को अपने हाथों से बुझा पानी में असमर्थ तो नहीं हो गई है कहीं ऐसा तो नहीं की एकदम चुदवासी होकर वह कोई गलत कदम तो नहीं उठा ली,,, गलत कदम उठा लेने से अंकित का मतलब था कि कहीं कोई गैर मर्द तो नहीं है जो उसकी मां की प्यास बुझा रहा हो।




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जिस तरह के हालात थे अंकित का दिल शंका से भरा जा रहा था उसे लगने लगा था की कही वाकई में ऐसा तो नहीं हो गया,,, अंकित को इस बात का एहसास था कि उसकी मां महीनो से प्यासी थी प्यासी तो वह बरसों से थी लेकिन कुछ महीनो से अंकित को इस बात का एहसास हो रहा था कि उसकी मां के बदन में चुदास की लहर कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगी है,,, और अपने दोस्त राहुल से उसने सुना था कि औरत जब प्यासी होती है तो वह घर में ही अंग प्रदर्शन करती है किसी ने किसी बहाने से घर के जवान लड़की को अपने अंगों को दिखाने की कोशिश करती है ताकि उसके अंगों को देखकर रीझकर वह घर की औरत के बदन की प्यास बुझा सके उसे खुश कर सके,,, उसे संतुष्ट कर सके,,, उसकी जवानी की आग को अपने मर्दाना अंग से
बुझा सके,,,।





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और यही सब सोच कर वह हैरान हुआ जा रहा था। उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी उसके चेहरे के भाव एकदम से बदलने लगे थे जहां उत्तेजना का एहसास उसके चेहरे पर दिखाई दे रहा था वही चिंता की लकीरें भी उसके चेहरे पर स्पष्ट दिखाई देने लगी थी।

वह अपने मन में सोच कर हैरान हो रहा था कि उसके दोस्त की बताई सभी हरकत है तो उसकी मां उसके सामने कर रही थी,,, उसके सामने अंक प्रदर्शन करना उसके सामने बैठकर पेशाब करना,,, नंगी गांड दिखाना यह सब तो उसकी हरकत में शामिल था यह सब को जानबूझकर उसे दिखा रही थी उसे अपनी तरफ रीझा रही थी ताकि अपनी जवानी की आग को अपने बेटे से बुझा सके,,, लेकिन वही मूर्ख था जो अपनी मां के इशारों को नहीं समझ पाया और आज उसकी मां दूसरी औरतों की तरह दूसरे मर्द का सहारा लेने लगी,,, अब तो यह सब सोच कर अंकित की हालत और ज्यादा खराब होने लगी उसे अपने आप पर गुस्सा आने लगा उसे यही लगने लगा था कि उसकी मां रात को किसी दूसरे मर्द को अपने कमरे में बुलाती है और रात भर चुदवाती है तभी तो इस समय वह नंगी होकर सो रही है उसके कपड़े बिस्तर के नीचे बिखरे पड़े हैं,,,, उसे इस समय अपनी मां पर नहीं बल्कि अपने आप पर ही गुस्सा आ रहा था वह अपने आप को ही कोस रहा था और अपने मन में सोच रहा था कि अगर वह अपनी मां के ईशारे को समझ जाता या थोड़ी हिम्मत दिखता तो आज उसके कमरे में वह होता कोई दूसरा मर्द नहीं,,,,।




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यही सब सोचते हुए अपनी मां के बेहद करीब पहुंच चुका था एकदम बिस्तर के पास उसकी मां एकदम नंगी बेसुध होकर सो रही थी उसकी दोनों टांगे खुली हुई थी वह एकदम चित होकर सो रही थी जिसे उसकी बुर एकदम साफ दिखाई दे रही थी और साथियों की शोभा बढ़ा रही है उसकी चूचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह उसकी छातियों पर लहरा रही थी,, यह सब देख कर अंकित के मुंह में पानी आ रहा था और उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी,,,, फिर उसके मन में ख्याल आया कि ऐसा भी तो हो सकता है कि वह खुद अपने हाथों से अपनी जवानी की प्यास बुझा रही हो। क्योंकि ऐसा तो होगा खुद भी कर चुका है और ऐसा करते समय वह भी अपने बदन से सारे कपड़े उतार कर फेंक देता है और अपने लंड को अपने हाथ से हिलाता है मुट्ठीयाता है,,, अब उसके मन में दो-दो ख्याल चल रहे थे....





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वह समझ नहीं पा रहा था कि क्या सच है लेकिन उसे अपनी मां पर पूरा विश्वास था वह जानता था कि उसकी मां इस तरह के कदम नहीं उठा सकती समझ में उसकी बदनामी हो ऐसा कोई कदम नहीं उठा सकती और ऐसे हालात में तो वाकई में कमरे में किसी गैर मर्द को बुलाना अपनी इज्जत को खुद अपने हाथों से नीलाम करने जैसा हो जाता जब उसके मन में इस तरह का ख्याल आया तब जाकर उसके चेहरे पर शांति का आभास होने लगा उसके चेहरे पर मुस्कुराहट तैरने लगी क्योंकि उसे लगने लगा था कि अगर ऐसा कुछ होता तो उसे जरूर है कुछ ना कुछ ऐसा कुछ जरूर होता है कि नहीं ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था,,,,।






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अपने मन में इस तरह का ख्याल आते ही उसका मन शांत होने लगा और वह बड़े गौर से अपनी मां की दोनों टांगों के बीच की पतली लकीर को देखने लगा जो की सोते हुए भी उत्तेजित अवस्था में कचोरी की तरफ फुल गई थी,,,, अंकित के दिल की धड़कन फिर से बढ़ने लगी थी,,, इस समय उसकी मां की गुलाबी बुर दुनिया के सबसे हसीन और बेशकीमती खजाना लग रही थी,,, वह बड़ी गौर से अपनी मां के उस खूबसूरत अंग को देख रहा था जिसे पाने के लिए वह खुद तड़प रहा था। इस समय उसका मन तो कर रहा था कि इसी समय अपनी मां की गुलाबी बुर पर अपने होठ रखकर एक चुंबन कर ले,,, लेकिन ऐसा करने से उसका मन घबरा रहा था क्योंकि अगर उसकी मां की आंख खुल जाती तो गजब हो जाता,,,, ऐसा वह सोच रहा था लेकिन सच में उसकी मां जा चुकी थी उसे एहसास हो गया था कि उसका बेटा उसके बेहद करीब है और वह जिस अवस्था में सोई हुई है वाकई में यह फल उसके लिए बेहद उत्तेजनात्मक है।




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सुगंधा अपनी आंखों को खोल नहीं रही थी क्योंकि वह जानती थी कि अगर इस समय अपनी आंखों को खोल देगी तो उसका बेटा तुरंत कमरे से बाहर निकल जाएगा और वह देखना चाहती थी कि इस समय उसका बेटा क्या करना चाहता है क्योंकि ऐसा नजारा उसका बेटा पहले भी देख चुका था और आज वह देखना चाहती थी कि उससे बढ़कर आज उसकी कोई हरकत देखने को मिलती है या अभी भी वह पूरी तरह से बुद्धू है,,,, उसकी मां अपने बेटे में सुधार देखना चाहती थी उसकी हिम्मत को बढ़ते हुए देखना चाहती थी जैसा की बस में उसने थोड़ा बहुत हिम्मत दिखाया था,,,,,वह अपने मन में सोच रही थी कि अगर आज ऐसा कुछ हो जाता है तो आज ही वह अपने बेटे के लिए अपनी दोनों टांगों को खोल देगी भले ही इसके लिए उसे एकदम बेशर्म बनना पड़ेगा लेकिन अब वह पीछे नहीं है सकते इसलिए अपनी आंखों को बंद किए हुए थे और इस पल का आनंद ले रहे थी ‌।




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दूसरी तरफ अंकित इस बात से अआस्वस्त था कि बहुत देर हो चुका था उसे अपनी मां के कमरे में आए लेकिन उसकी मां के बदन में जरा भी हलचल नहीं हो रही थी जिसका मतलब साफ था कि उसकी मां एकदम घोड़े बेच कर सो रही थी एकदम गहरी नींद में सो रही थी,,, यह एहसास होते ही अंकित के दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी उसकी हिम्मत भी बढ़ने लगी थी वह धीरे से अपनी मां की खूबसूरत चेहरे की तरफ देखा उसके खूबसूरत रेशमी बालों की लटे उसके चेहरे पर आ चुकी थी,, और पंखे की हवा में इधर-उधर लहरा रही थी जिसकी वजह से उसकी मां की खूबसूरती और ज्यादा बढ़ जा रही थी,,,, लेकिन इस समय बेहद नाजुक क्षण था बहुत कम समय था और वह अपनी मां की खूबसूरत बालों की लटो में उलझना नहीं चाहता था उसे तो झांट के बाल में उलझना अच्छा लग रहा था,,,।







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अंकित ने यहां पर एक बात पर ध्यान दिया था कि उसकी मां की बुर एकदम चिकनी थी उस पर बाल का रेशा तक नहीं था इसका मतलब साफ था कि उसकी मां निरंतर अपनी बुर की सफाई करती थी ताकि वह देखने में एकदम जंवा ताजा लगती रहे,,, लेकिन अब अंकित अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहता था अब आगे बढ़ना चाहता था वह धीरे-धीरे अपनी मां की दोनों टांगों के बीच झुकने लगा और तिरछी नजर से अपनी मां के चेहरे की तरफ देख रहा था कि कहीं उसकी आंख ना खुल जाए,,,, उसे नहीं मालूम था कि अगर इस समय उसकी मां की आंख खुल जाएगी तो वह क्या जवाब देगा की क्या करने उसके कमरे में आया था ऐसा हुआ कुछ सोचा नहीं था बस इस समय अपनी मां को नंगी सोता हुआ देखकर उसकी हिम्मत बढ़ रही थी। रहरहकर वह अपनी सांसों को दुरुस्त करने के लिए गहरी गहरी सांस लेने लग जा रहा था क्योंकि उसकी सांसों की गति इस समय कुछ ज्यादा ही तेज चल रही थी उसे खुद की दिल की धड़कन की आवाज सुनाई दे रही थी।






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अंकित की हिम्मत बढ़ने लगी और वह धीरे से अपनी हथेली को अपनी मां की गुलाबी बुर की तरफ आगे बढ़ने लगा लेकिनउसके हाथों में उत्तेजना की कंपन थी एक डर था अपनी मां के जग जाने का और उत्सुकता थी कि कैसा महसूस होता है अपनी मां की बुर पर हथेली रखने पर जिसका मिला जुला एहसास अंकित के चेहरे पर दिखाई दे रहा था। अंकित की हथेली उसकी मां की दोनों टांगोंके बीच पहुंच चुकी थी उसकी बुर और हथेली में केवल चार अंगूल का ही फासला था लेकिन तभी अंकित के मन में डर की भावना बढ़ने लगी उसे एहसास होने लगा कि अगर उसकी मां जग गई तो गजब हो जाएगा और वह अपने कदम पीछे लेने के बारे में सोच ही रहा था कि तभी उसे ख्याल आने लगा।







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कि अगर वास्तव में उसकी मां को एक मर्द की जरूरत है और अगर ऐसे में वह अपने कदम पीछे ले लेता है तो कुछ देर पहले अपनी मां के कमरे में दाखिल होने के बाद जो शंका है उसके मन में जाग रही थी वह शंका भी सच साबित हो जाएगी और उसकी मां अपनी जवानी की आग बुझाने के लिए किसी गैर मर्द की बाहों में पिघलने लगेगी अगर ऐसा हो गया तो उसे अपनी जवानी पर अधिकार होगा अपनी मर्दानगी पर धिक्कार होगा कि उसके होते हुए भी किसी गैर मर्द का सहारा उसकी मां को देना पड़ रहा है यही सब सोचकर वह एकदम से रुक गया और अगले ही पल वह अपनी हथेली को अपनी मां की बुर पर रख दिया जो कि एकदम दहक रही थी तप रही थी,,, अंकित को यह पल एकदम मदहोश कर देने वाला लग रहा था वह एकदम से गहरी सांस लेने लगा उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें।





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और दूसरी तरफ सुगंधा की हालत खराब होती चली जा रही थी उसका मन कर रहा था कि अपनी आंखों को खोल दे और अपने बेटे के हाथ को अपनी बर पर ही पकड़ ले और उसे अपनी बाहों में खींच ले और सारी हसरतों को पूरा कर ले लेकिन वह इससे ज्यादा अपने बेटे की हरकत को देखना चाहती थी लेकिन जिस तरह की हरकत उसने किया था पूरी तरह से उसकी नसों में मदहोशी का रस खोल दिया था बड़ी मुश्किल से वह अपनी उत्तेजना पर काबू कर पाई थी,,,, अपने बेटे की गरम हथेली को अपनी गरम बुर पर महसूस करके वह पागल हुए जा रही थी। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें बस बेसुध होकर चित लेटी हुई थी,,, उसकी भी सांस ऊपर नीचे हो रही थी लेकिन वह बड़ी मुश्किल से अपनी सांसों को तेज चलने से रोकी हुई थी क्योंकि वह जानती थी कि अगर ऐसा हो गया तो उसके बेटे को शक हो जाएगा कि उसकी मां जाग रही है। सुगंधा भी अपने आप पर पूरी तरह से काबू किए हुए थी।





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दूसरी तरफ अंकित ने जब देखा कि हथेली को बुर पर रखने के बावजूद भी उसकी मां के बदन में जरा भी हल-चल नहीं हुआ है तो उसकी हिम्मत बढ़ने लगी,,,, और वह अपने बदन में पहले से ही अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रहा था उसकी मां की बुर की गर्मी उसके बाद में और भी ज्यादा उत्तेजना का एहसास दिला रही थी और वह उत्तेजना के चलते अपनी हथेली में अपनी मां की बुर को एकदम से जोर से दबोच लिया,,, ऐसा करने में अंकित को बहुत मजा आया लेकिन वह एकदम से घबरा गया था क्योंकि वह ऐसा करना नहीं चाहता था बस अपने मां पर काबू नहीं कर पाया था लेकिन फिर भी जब देखा कि उसकी मां इतने से भी नहीं जागी है तो उसके मन में प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे वह खुश होने लगा,,,, अब उसकी हिम्मत और बढ़ने लगी मन तो उसका कर रहा था किसी से मैं अपनी मां की दोनों टांगें खोलकर उसकी बुर में अपना लंड डाल दे और जो होगा देखा जाएगा लेकिन ऐसा करना उचित नहीं था,,।



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क्योंकि वह अपनी मां के सामने अपनी बुद्धि का प्रदर्शन पहले ही कर चुका था अपने मामा और मामी की चुदाई को देखकर,,, उस समय उसे नजारे को देखकर हुआ अपनी मां से पूछ बैठा था कि वह दोनों क्या कर रहे हैं और अगर इस समय वहां वही दृश्य को दोहराएगा तो उसकी मां क्या समझेगी लेकिन फिर अपने सवाल का जवाब उसके मन में आ चुका था वह अपनी मां से वही बोलेगा जरूर समय उसकी मां उसे जवाब दी थी कि उसकी मामी बहुत परेशान है और उसके मामा उसकी परेशानी दूर कर रहे हैं,,,, लेकिन एक सवाल और खड़ा हो जाता है कि उसकी मां कहां परेशान नजर आ रही है जो वह इस तरह से उसकी परेशानी दूर कर रहा है इस तरह का ख्याल से ही वह अपने मन में से ईस युक्ति को निकाल दिया,,। और उठकर खड़ा हो गया क्योंकि उसकी मां के उठने का समय हो चुका था। वह अपने मन में सोच रहा था कि इतना तो बहुत है उसके लिए इस समय उसके पेंट में पूरी तरह से तंबू बन चुका था।



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और दूसरी तरफ सुगंधा सोच रही थी कि उसका बेटा अपनी हरकत को थोड़ा और बढ़ाया उसकी बुर में उंगली डालें लेकिन वह तो ऐसा करने से पहले उठकर खड़ा हो गया था और यह सब सुगंधा अपनी आंख को हल्के से खोलकर देख रही थी उसके मन में निराशा जगने लगी थी,,,, लेकिन तभी अंकित को न जाने क्या हुआ वह तुरंत फिर से नीचे झुक गया और अपनी मां की दोनों टांगों के बीच अपना चेहरा ले जाने लगा उसकी हिम्मत बढ़ने लगी थी और यह सब हल्के से आंखों को खोलकर सुगंधा देख रही थी सुगंधा के दिल की धड़कन भी बढ़ने लगी थी जब उसका बेटा अपनी चेहरे को उसके दोनों टांगों के बीच ले जा रहा था उसके मन में अजीब सी हलचल हो रही थी उसे इस बात का डर था कि कहीं वह एकदम से कसमसा नी जाए उसके बदन में हलचल न होने लगे,,,, लेकिन जैसे तैसे करके वह अपने आप को काबू में किए हुए अपने बेटे की हरकत को देख रही थी,,,,।




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और उसका बेटा मन में जैसे दृढ़ निश्चय कर लिया हो कि अब जो होगा देखा जाएगा,,, और अगले ही पल उसने को हरकत कर दिया इसके बारे में सुगंध कभी सोच भी नहीं करती थी अंकित अपने प्यासे होठों को अपनी मां की बुर पर रख दिया था और गहरी गहरी सांस ले रहा था अपने बेटे के होंठ को अपनी गुलाबी पर पर महसूस करते ही सुगंध एकदम से गनगना गई थी उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे उसकी बुर के अंदर अत्यधिक खुजली हो रही हो और वह अपनी बुर को अपने हाथों से अपनी उंगली को उसमें डालकर खुजलाना चाहती थी लेकिन अपने आप को किसी तरह से वह रोक रह गई थी और अंकित इस पल को पूरी तरह से जी लेना चाहता था अपनी मां की बुर पर अपने होठ को रखकर वह गहरी गहरी सांस ले रहा था और बुरे की गहराई से उठ मादक खुशबू को अपने नसों से अपनी छाती मैं उतार ले रहा था,,,, बर से उठ रही मादक खुशबू सिर्फ खुशबू नहीं थी एक नशा था जिसका कोई तोड़ नहीं था,,, और अंकित उसे नशे को जी भर के अपने अंदर ले रहा था।





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ऐसी खुशबू का एहसास हुआ पहले भी महसूस कर चुका था सुमन की बुर से सुमन की बुर को अपने होंठ से अपनी जीभ जी भर के चाट चुका था इसलिए वह जानता था कि औरत की बुर चाटने में कितना आनंद देती है। लेकिन इस समय अंकित को घबराहट हो रही थी वह समझ नहीं पा रहा था कि इस समय वह अपनी मां के बुरे पर अपनी जीभ फिराए कि ना फिराए क्योंकि ऐसा करने में उसकी मां जा सकती थी लेकिन इस समय वह अपनी उत्तेजना को काबू भी नहीं कर पा रहा था वह जिस तरह से अपनी हिम्मत दिखाया था वह अपनी हिम्मत का आनंद भी ले लेना चाहता था वह अपनी मां की बुर को चाट लेना चाहता था पहले ही एक बार ही सही अपनी मां की बुर पर अपनी जीभ को घूमा लेना चाहता था,,,, इसलिए अपनी हिम्मत को आगे बढ़ाने के लिए वह अपनी नजर को उठाकर अपनी मां की तरफ देखने लगा कि कहीं वह जाग तो नहीं रही है लेकिन जैसे ही वह अपनी नजरों को ऊपर की तरफ करना चाहो वैसे ही सुगंधा अपनी आंखों को तुरंत बंद कर ली और फिर से गहरी नींद में होने का नाटक करने लगे और अपनी मां के खूबसूरत चेहरे को देखकर अंकित समझ गया कि उसकी मां वाकई में एकदम घोड़े बेचकर सो रही है इसलिए उसकी हिम्मत बढ़ने लगी ,,,, और वैसे भी बाराती बनकर जो और वहां पर भोजन न करो तो बाराती बनने का कोई मतलब ही नहीं होता।




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इसलिए इस मौके का पूरा फायदा अंकित उठा लेना चाहता था और इसीलिए अपनी मां की तरफ देखते हुए वह अपनी जीप को बाहर निकाला और अपनी मां की बुर की पतली दरार के ऊपर, ऊपर से नीचे तक नीचे लगाकर चाटना शुरू कर दिया और उतेजना के मारे वैसे भी उसकी बुर से मदन रस की बूंद बाहर निकल रही थी लेकिन यहां पर सुगंधा के लिए बेहद उत्तेजनात्मक और बदहवास कर देने वाला था वह पूरी तरह से पागल हुए जा रही थी बरसों के बाद एक तो पहली बार उसकी बुर पर किसी मर्दाना होठों का स्पर्श हुआ था‌। इसलिए उसका बावली होना लाजमी था वह अपनी उत्तेजना जना पर काबु पाने में असमर्थ साबित हो रही थी,,,, उससे रहा नहीं जा रहा था वह अंदर ही अंदर तड़प रही थी,,, उसका मन कर रहा था कि अपने दोनों हाथों से अपने बेटे का कर पकड़ कर अपनी कमर को गोल-गोल हिलाते हुए अपनी बुर को उसके चेहरे पर रगड़ डालें,,,,।




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अंकित पूरी तरह से दीवाना हो चुका था मदहोश चुका था उत्तेजना के सागर में डुब चुका था,,, वह कभी सपने में नहीं सोचा था कि इस तरह से वह अपनी मां के कमरे में आएगा और इस तरह की हरकत कर बैठेगी वह ऐसी हरकत ना भी करता है अगर उसकी मां के बदन पर पूरे कपड़े होते तो अपनी मां को लग्न अवस्था में देखकर ही वह इस तरह के कदम उठाया था लेकिन ऐसा करने में से अद्भुत आनंद की प्राप्ति हो रही थी वह तीन चार बार अपनी मां की बुर को चाटा और एकदम से उठकर खड़ा हो गया,,, सुगंधा के लिए यही मौका था वह अपने बेटे को अपनी बाहों में भर लेना चाहती थी उसके साथ मिलकर अपने अरमान को पूरा कर लेना चाहते थे लेकिन वह अभी इस बारे में सोच ही रही थी की फुर्ती दिखाता हुआ उठकर खड़ा हो गया था वैसे तो उसकी मां इस समय अपनी मां के कमरे से बाहर जाने का बिल्कुल भी नहीं कर रहा था लेकिन उसके इस तरह से उठकर खड़े हो जाने में बहुत बड़ा कारण था क्योंकि उसकी बहन के कमरे का दरवाजा खोलने की आवाज और तुरंत ही बाथरूम के बंद होने की आवाज उसके कानों में सुनाई दी थी वैसे तो वह इतनी मदहोशी में था कि इस तरह कि आवाज उसे ठीक तरह से सुनाई नहीं देती लेकिन फिर भी उसे एहसास हो गया था कि उसकी बहन बाथरूम में गई है,,,,।




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इसलिए मन होने के बावजूद भी उसका यहां रुकना ठीक नहीं था और वैसे भी जिस तरह से उसकी मां घोड़े बेचकर सो रही थी उसकी हिम्मत और बढ़ती जा रही थी उसके मन में इससे भी ज्यादा करने की इच्छा जागरुक हो चुकी थी लेकिन अब उसका यहां रुकना ठीक नहीं था और वैसे भी अब सुबह पूरी तरह से हो चुकी थी इसलिए वह तुरंत अपनी मां के कमरे से बाहर निकल गया था,,,, सुगंधा भी मदहोशी में इतना डूब चुकी थी कि उसे भी तृप्ति के कमरे के खुलने की आवाज ठीक तरह से सुनाई नहीं देती लेकिन अपने बेटे के घर से बाहर जाते ही उसे बाथरूम का दरवाजा खुलने की आवाज सुनाई दी थी और वह समझ गई थी कि उसका बेटा इस तरह से क्यों चला गया और इस समय उसे अपनी बेटी पर थोड़ा गुस्सा आ रहा था,,,, लेकिन वह कर भी क्या सकती थी शायद उसकी किस्मत में इतना ही लिखा था लेकिन फिर भी बदल में जिस तरह की उत्तेजना के तूफान को उसके बेटे ने जगा कर गया था उसे शांत करना बेहद जरूरी था लेकिन इस समय वह दरवाजा भी खुला था जिसे वहां रात को अनजाने में ही खुला छोड़ दी थी और अपने मन में सोचने लगी कि अच्छा हुआ कि अनजाने में ही वह दरवाजा खुला छोड़ दी थी अगर खुल न छोड़ दी होती तो शायद इस तरह का सुख इस समय वह भोग नहीं पाती।




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लेकिन अपने बेटे का अधूरा काम उसे पूरा करना था इसलिए नग्न अवस्था नहीं हुआ फिर बिस्तर से उत्तर खड़ी हो गई और तुरंत जाकर दरवाजा बंद करके कड़ी लगा दी और अपनी बिस्तर पर आकर अपनी दोनों टांगों को खोल दिया और अपनी उंगली चाहिए अपनी जवानी की गर्मी को शांत करने की कोशिश करने लगी और थोड़ी देर में जैसे ही वह झड़ गई वह गहरी सांस लेते हुए अपने आप को दुरुस्त की और अपने कपड़े पहन कर घर के काम करने में लग गई,।





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नाश्ता तैयार होने के बाद उसका बेटा भी घर पर आ गया था और नहाने के लिए बाथरूम में चला गया था जब वह नहा कर तैयार होकर आया तो सुगंधा उस नजर मिलाने में थोड़ा शर्मा रही थी लेकिन तभी उसके मन में ख्याल आया कि अगर वह इस तरह की हरकत करेगी तो उसके बेटे को शक हो जाएगा आगे नहीं बढ़ पाएगा इसलिए वह अपने बेटे से एकदम सहज हो गई मानो के जैसे कुछ हुआ ही ना हो और वैसे भी अंकित की नजर में तो वह गहरी नींद में सो रही थी इसलिए उसे कुछ मालूम ही नहीं था।
 
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