Kuchh to hua hai kuchh ho raha hao.मासी का घर
अध्याय 6 - वो रात
पिछले update में विशाखा और मेरे बीच रोमांटिक मोमेंट्स के बाद हम घर पहुंचे। घर पहुंचने पर जब मासी मेरे पास आई तो वो काफी चिंतित थी।
अब, मासी मेरे पास आकर मेरे बाजू में बैठ गई। वो मेरे काफी नजदीक बैठी हुई थी और मायूस थी। उन्होंने पूछा,
मासी: “कहां गए थे तुम? विशाखा भी घर पर नहीं है।”
मैं (उन्हें सांत्वना देते हुए): “अरे मासी, इधर बाहर ही तो थे, विशु भी मेरे साथ थी।”
मासी की आंखें भर आई, वे नम हो चुकी थी, उनके आंसू गिरने ही वाले थे। वे काफी डरी हुई, सहमी हुई और चिंतित दिख रही थी।
मैं (उनके लिए चिंतित): “क्या हुआ मासी? आप रो क्यों रही हैं?”
मासी ने अपने आंसू पोंछे और एक लंबी सांस ली। फ़ुफ़ूसाहट और हल्के रोने के साथ वे बोली,
मासी : “तो बता के जाना था ना, मैं कितनी परेशान हो गई थी। ऊपर से तुम दोनों का फोन नहीं लग रहा था।”
मैंने उन्हें सांत्वना देने के लिए उसके हाथों को थाम लिया और मेरे कंधों पर उनका सिर रख दिया, एक हल्की मुस्कुराहट के साथ उन्हें कहने लगा,
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मैं: “अरे मासी, इतनी सी बात पर रोते है क्या!? हम इधर ही तो थे। बताओ क्या हुआ!?”
मासी अपने रोने को किसी तरह से रोकती हुई बोली,
मासी: “कुछ नहीं, बस चिंता हो रही थी।”
मैं (उन्हें संभालते हुए) : “ठीक है, अब आ गए हूं न। रुको मैं आपके लिए पानी लेकर आता हूं।”
मैं सोच में पड़ गया था कि जब हम उस दिन घंटों के लिए बाहर गए थे (अध्याय 3 वाले दिन) तब तो मासी इतनी परेशान नहीं हुई थी। लेकिन आज सिर्फ एक घंटे के लिए बाहर क्या गए, वे रोने लगी।
फिर जब मैं उनके लिए पानी लाने किचन में गया, तो वहां कुछ सामान बिखरा पड़ा था, लग रहा था शायद मासी खाना बनाने की तैयारी कर रही थी मगर तभी कुछ हुआ था। किचन पर आटा बिखरा हुआ था, कुछ चीजें इधर उधर थी।
मैंने इन सारी बातों पर इतना ध्यान नहीं दिया, और मासी को पानी देने के बाद उन्हें आराम करने कहा। मगर मासी किचन में चली गई और खाना बनाने लगी।
फिर मैं विशाखा के कमरे में घुसा, वहां कोई नहीं था। शायद वह छत पर होगी, ऐसा सोच कर मैं भी छत पर चल गया।
जब मैंने छत पर देखा, वहां विशाखा बैठ कर तारों को निहार रही थी। वो कुदरती नजरों के लिए सच में पागल है, लेकिन उससे ज्यादा मेरे लिए। आसमान में वो सैकड़ों तारें, उनकी वो चांदनी जो मेरे चांद, मेरी विशाखा पर गिर रही थी काफी सुंदर था वह क्षण, उस दिन का वो चांद भी फीका था विशाखा के सामने।
मेरे वहां जाते ही उसने पीछे मुड़कर देखा, पता नहीं कैसे उसको पता चल जाता था कि उसके पीछे कोई खड़ा है। मुझे देख कर कुछ कहे बिना ही वो फिर तारों को देखने लगी।
मैंने यूं ही उसे मजाक में कहा,
मैं: “क्या अब मुझसे ज्यादा ये तारे सुंदर नजर आ रहे है तुम्हे?”
वो तारों को ही घूरे जा रही थी, बिना मुझे देखे उसने कहा,
विशाखा: “तुम सुंदर कब थे?”
उसके नजदीक जा कर, उस को चिपक कर बैठ कर मैं बोला,
मैं: “जब तुम्हे ये नजारे ही पसंद है तो मुझमें क्या देखा?”
इस सवाल का जवाब शायद ऐसा हो सकता था जिस के द्वारा मैं मासी को भी पटा सकता था, शायद उन्हें भी वह चीज पसंद आए मेरे अंदर।
विशाखा (मुकरते हुए): “कद्दू, कद्दू देखा तुम्हारे अंदर!”
मैं (खिलखिलाते हुए): “अगर ऐसा है तो कोई सब्जी वाला ही पकड़ लेती, मुझे क्यों पकड़ा?”
विशाखा ने मुझे देखा और कहा,
विशाखा (मुस्कुराई और कहा) : “बुद्धू!”
हम दोनों एक साथ हंसने लगे।
हंसते हंसते एकदम से मेरी नजर बाजू वाले घर के छत पर पड़ती है।
वो तृषा भाभी का घर था, वहां से कोई हम दोनों को घूरे जा रहा था। वो तृषा भाभी ही थी। उनका हमें ऐसा घूरना काफी अजीब था।
उन्हें देख कर हम दूर दूर हो गए और कुछ देर बाद हम अपने अपने कमरे में चले गए। मैं अपने बेड पर लेटे हुए मासी के बारे में ही सोच रहा था। मैंने अब तक यह बात विशाखा को भी नहीं बताई थी। खाने का समय हुआ और मासी ने हमें आवाज लगाई।
खाना खाते वक्त मासी एकदम नॉर्मल नजर आ रही थी, वे हमसे काफी हंस के बातें भी कर रही थी।
खाना खाते वक्त मासी का चिंतित होने पर कोई बात नहीं हुई, ना खाना खाने के बाद उस बारे में बात की गई। मैं अब भी सोच में था कि हुआ क्या है।
खाने के बाद भी घंटों तक मैं अपने बिस्तर पर लेट कर अब भी उसके बारे में सोच रहा था। मैं काफी सोचता हूं। तभी मुझे व्हाट्सएप पर विशाखा का मैसेज आता है।
विशाखा: “सो गए क्या?”
मैं: “नहीं अब तक, तुम क्यों नहीं सोई?”
विशाखा: “हां अभी सोने ही जा रही हूं। अरे सुनो ना!”
मैं: “क्या हुआ? बताओ!”
विशाखा: “अरे यार मुझे एक विचार सोने नहीं दे रहा था।”
मुझे लगा कि वो बात विशाखा को भी पता चल गई।
मैं: “क्या हुआ?”
विशाखा: “अगर हमारी शादी हुई तो क्या अपने घर वाले मानेंगे?”
विशाखा (फिर से टाइप करती है): “सोचो अगर हमारे बच्चे हुए, तो उनका नाम क्या रखेंगे।
”
मैं: “घर वाले नहीं मानेंगे, अब सो जाओ, अभी काफी समय पड़ा है इन सब चीजों को!!”
विशाखा: “हां, बेटा हुआ तो अमन नाम अच्छा है। बाय, गुड नाईट।
”
मैंने उससे चैटिंग करना बंद किया और शायद फिर वो भी सो गई। मुझे पेशाब आ रही थी तो में उठ कर नीचे टॉयलेट की तरफ जा रहा था।
वैसे तो पूरे घर में अंधेरा था लेकिन मासी के रूम से थोड़ी सी रोशनी उनके थोड़े से खुले दरवाजे से बाहर आ रही थी।
मेरे मन में चूल मची की छुप कर अंदर देखा जाए, मैं मूतना भूल कर अंदर झांकने लगा।
अंदर मासी अपने शीशे के सामने खड़ी हो कर फिर से चिंतित और मायूस नजर आ रही थी। वह अपने आप को देखे जा रही थी और उसके आंखों से हल्के हल्के आंसू टपक रहे थे।
देखते ही देखते उनकी मायूसी गुस्से में बदल गई और उन्होंने अपने सारे कपड़े उतर के इधर उधर फेंक दिए। उनके शरीर पर एक कपड़ा नहीं था, वह पूरी तरह से नंगी हो गई थी।
उनका वह गदराया, औसत, सुडौल, गोरा शरीर पूरी तरह नग्न होने पर क्या माल देखता है, उनके वो बड़े बड़े बूब्स जिनके बड़ी बड़ी निपल्स थी, मन तो कर रहा था अभी उन्हें चूस लू। उसकी फूली हुई गांड देखने से ही काफी नरम नजर आ रही थी। मेरा तो लवड़ा खड़ा होकर तन चुका था।
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मगर ऐसी हालत में वह रोने लगी, काफी ज्यादा रोने लगी। अब मेरा ध्यान उनके इस उभारों वाले शरीर को छोड़ कर उनको ऐसा परेशान देख खुद परेशान हो रहा था।
वह क्या बात थी जो मासी को इतना परेशान कर रही थी, ऐसा क्या हुआ हमारे घर से जाने के बाद।
Woww mystery bhi aa gai hai story me.मासी का घर
अध्याय 7 - उपद्रवी कौन है? (Who's the Troublemaker)
पिछले Update में, मैं जब पेशाब करने जा रहा था तब मासी के कमरे में झांकने पर मुझे उनके नग्न अवतार के दर्शन हुए। उन्हें इस रूप में देख मेरा मन काफी ललचाया मगर जब मैंने देखा कि वह नाराज और परेशान है तो मेरी खुशी भी परेशानी में बदल गई।
अब आगे; मासी के उभारों को और उनके बड़े स्तन एवं मुलायम गांड देख कर मेरा लौड़ा उठ कर नाचने लगा। मगर मासी की आंखों में आंसू थे, वे परेशान थी।
उन्हें देख में भी मायूस होकर अपने कमरे में चला गया, यहां तक मैं मूतना ही भूल गया। मगर जैसे ही में अपने बिस्तर पर लेटा, उसका वह नग्न दृश्य मेरे आंखों के सामने झलकने लगा। उनकी उस दशा को याद करके मैंने मुठ मारी और सो गया।
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सुबह, शायद 7 बजे के आस पास मुझे मेरी झांटो पर गर्म हवाएं महसूस हुई। मेरे निचले हिस्से में अचानक गर्मी बढ़ने लगी और वह कुछ गिला गिला महसूस हुआ।
मैंने जब उठ कर देखा तो विशाखा ने मेरी काला तलवार अपने मुंह में पकड़ रखी थी। वह मेरे लंड को ऐसे चूस रही थी जैसे straw से कोई कोल्ड ड्रिंक चूस रही हो।
फिर धीरे से उसने उसके मुंह को हिलाना चालू किया और मेरे लौड़े को अंदर-बाहर अंदर-बाहर करने लगी। उसका वह Blowjob वाकई काफी संतुष्टि देने वाला था। वह मेरे लंड को पूरी तरह से उसकी थूंक से भीगा चुकी थी।
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मैं कराह (moan) रहा था, तभी मेरे लंड में झनझनाहट हुई और मैंने मेरे पूरा माल उसके मुंह में छोड़ दिया।
मुझे मेरे लिंग पर काफी गिला गिला महसूह हो रहा था। फिर मेरी नींद एकदम से खुली। वह एक सपना था, हकीकत में मेरे कमरे में मेरे अलावा कोई नहीं था।
मैंने नींद में मेरे लंड का पानी अपनी बॉक्सर में ही निकल दिया था। मेरी चड्डी गीली हो गई थी।
अब मुझे जल्दी नहाना होगा ताकि इस चीज से मुझे छुटकारा मिले।
मैंने उठकर अपने कपड़े पहने और नीचे हॉल में चला गया। जैसे ही में नीचे पहुंचा वैसी मुझे एक सुंदर लड़की के दर्शन हुए, विशाखा के। उसने अपना योगा outfit पहना हुआ था, शायद वह अभी ही अपनी योगा क्लासेस से वापिस आई थी। वह green tea पी रही थी।
उसने मुझे देखा और मुस्कुराने लगी। मैं जाकर उसके आगे वाले सोफे पर बैठ गया। उसी समय, मेरी मासी एक सफेद साड़ी पहने हुए और हाथ में एक पूजा की प्लेट ले कर वहां आई।
उन्होंने अगरबत्ती का धुआं पूरे रूम में फैलाया, लगता है उन्होंने अभी अभी नहाया है और पूजा कर के आई है। उनके चेहरे पर आज खुशी थी। कुछ देर बाद मासी वापिस चली गई।
विशाखा ने मुस्कुराते हुए मुझे देखा और हंस कर बोली,
विशाखा: “तो क्या सोचा तुमने?”
मुझे समझ नहीं आया वह किस बारे में बात कर रही थी। मैने उससे पूछा,
मैं: “किस बारे में?”
विशाखा (हंसते हुए): “अपने बच्चे के बारे में?”
मैं भी मुस्कराया और मजाक में कहा,
मैं: “अरे पहले शादी तो कर लो!”
विशाखा थोड़ी सीरियस होकर बोली,
विशाखा: “क्या ऐसा हो सकता है? क्या घर वाले मानेंगे?”
सच बताऊं तो ये अपने आप में ही एक तकलीफ थी, अपने ही परिवार में प्यार और शादी, समाज के हिसाब से यह गुनाह है। लेकिन आज के आधुनिक समय में कुछ भी मुमकिन है। फिर मैंने यू ही मजाक में उससे कहा,
मैं: “तो मैं तुम्हे भागकर ले जाऊंगा।”
विशाखा की आंखें बता रही थी कि वह इस मामले में थोड़ी सीरियस हो गई है। उसके आंखों में मेरे लिए जो प्यार था वह पूरी तरह सच्चा था। वह शर्माते हुए उठी और अपना green tea का खाली ग्लास रखने किचन में चली गई।
मैंने काफी देर तक मोबाइल देखा और घंटों बाद नहाने गया। नहाने के बाद जब में अपने कमरे में कपड़े पहन रहा था तभी मेरे पीछे विशाखा आ गई। मेरी नजरे दूसरी तरफ थी तो मुझे एहसास नहीं हुआ लेकिन वह मुझे कुछ कहे बगैर सिर्फ मुझे देखती रही। मैं अधनंगा था, मतलब मैने शर्ट या टीशर्ट कुछ भी नहीं पहना था।
जब मैं पीछे मुड़ तब अचानक से उसे देखा। वह मुझे ही देखे जा रही थी, साइड वो मेरी बॉडी को देख रही थी।
मैने मेरी भौंह को उठाकर इशारे में उससे पूछा, 'क्या हुआ?'। उसने ना के उत्तर में सिर हिलते हुए इशारे में कहा, कुछ नहीं!'। बाद में जब मैंने टीशर्ट पहना तब उसने कहा,
विशाखा: “चलो, खाना तैयार है।”
फिर हम खाना खाने नीचे डायनिंग रूम में चले गए।
डायनिंग टेबल पर मासी पहले से ही बैठी हुई थी। लेकिन उन्हीं अपने कपड़े बदल लिए थे, मगर वे आज खुश और हमेशा जैसी नजर आ रही थी, मैंने उन्हें यूं ही पूछा,
मैं: “मासी अपने सारे क्यों उतर दी, आप पर अच्छी दिख रही थी।”
मासी (हंसकर): “सच में? लेकिन उसमें गर्मी हो रही थी।”
हमने खाना शुरू किया। खाने के बीच में ही मासी के फोन पर किसका मैसेज आया। उन्होंने उसे देखा और उनकी खुशी मायूसी में बदल गई। उस मैसेज को देख कर मासी का चेहरा फीका पड़ने लगा।
खाना खत्म होने के बाद उस बारे में कोई बात नहीं हुई। विशाखा अपने योगा क्लास की मीटिंग में चली गई और मैं TV देखने लगा। घर पर सिर्फ मासी और मैं था।
तभी मासी के फोन पर कोई कॉल करता है। वह उस कॉल को देख कर और भी परेशान हो जाती है और उसे कट कर देती हैं। 5 मिनट बाद फिर से कॉल आता है और मासी कट कर देती है, ऐसा और 2 बार हुआ। फिर मैंने जा कर पूछ ही लिया,
मैं: “क्या हुआ मासी किसका कॉल है? कबसे कॉल किए जा रहा है, आप उठा क्यों नहीं रही?”
मासी (बेचैन हो कर): “कुछ नहीं बेटा, वो credit card वाले है।”
मैं: “अगर कोई परेशानी हो तो मुझे दीजिए मैं बात करता हूं उनसे।”
मासी: “अरे नहीं नहीं, कोई दिक्कत नहीं है।”
फिर मैं जाकर TV देखने लगा। शायद मासी ने फोन अब साइलेंट कर दिया था लेकिन मुझे समझ आ रहा था कि वह जो कोई है वह बार बार मासी को मैसेज या कॉल करके डरने की कोशिश कर रहा है। वह कोई इंसान है जो मासी के परेशानी की वजह है।
देखते ही देखते दोपहर की शाम हो गई और मैं TV देखने के बहाने मासी पर नजर रख रहा था। अगर कोई दिक्कत हो तो झट से जा सकू। अब विशाखा भी लौट आई थी, बाहर दिन ढल रहा था और अंधेरा हो रहा था।
उस समय, विशाखा छत पर जाकर खुले असमान को देख रही थी। तभी छत से कुछ टूटने की आवाज आई और विशाखा भी चिल्लाई।
मासी और मैं भाग कर ऊपर गए और देखा तो वह किसी ने कांच की बोतल फेंकी हुई थी जो गिर कर टूट गई। विशाखा इस चीज से काफी डर चुकी थी, वह रो रही थी। मैंने उसे शांत करवा कर नीचे लाया और मासी ने उसे अपने पास बैठा कर दिलासा दिया।
मैं बाहर जाकर देखने लगा कि यह किसने किया और कहा से किया गया है, मगर मेरी हाथ सिर्फ निराशा लगी। फिर में घर के अंदर गया और मासी एवं विशाखा से कहने लगा,
मैं: “ऐसा कौन कर सकता है? जो भी था उसने यह अच्छा नहीं किया।”
मासी: “जाने दो बेटा, शायद ये कोई पिछले गली का शराबी होगा।”
मासी अब भी सच्चाई नहीं बता रही थी। मैं अपने कमरे में गया ताकि खिड़की से पिछली गली में देखा जा सके। लेकिन अब अंधेरा हो चुका था तो कुछ नहीं देखा जा सकता। तभी घर का दरवाजा बजता है, कुछ देर बाद फिर से कोई दरवाजा बजता है।
मैं देखने नीचे पहुंचा और मासी को पूछा कौन था। मासी ने रोने जैसी हालत में कहा,
मासी: “पता नहीं कौन था, बार बार दरवाजा थोक रहा है और जब खोला तो कोई नजर नहीं आ रहा।”
इस बात को सुन कर में काफी हैरान था, आखिर ऐसा कौन कर रहा था और क्यों।
मैं: “रुको मैं बाहर जाकर देख कर आता हूं।”
मासी (रोते रोते): “नहीं बेटा मत जाओ, मुझे डर लग रहा है।”
मासी की यह बात सुनकर मैं रुक तो गया लेकिन दरवाजा बजाने वाला नहीं रुका। पता नहीं वह हमारे साथ क्या खेल खेल रहा था। मैने मासी को सारे दरवाजे और खिड़कियां बंद करने को कहा।
कुछ समय बाद, मासी ने विशाखा को अपने कमरे में सुला लिया और खुद भी वहां लेट गई। लेकिन मैं जाग रहा था, फिर कुछ घंटों बाद ये सब होना बंद हो गया था। मैने मासी को सोने के लिए कह दिया और खुद जागने की ठान ली।
करीब 12 बजे, मैं पानी पीने के लिए किचन में घुसा और गिलास में पानी भर ही रहा था तभी मेरे पीछे से कुछ गिरने की आवाज आई।
जैसे ही मैं पीछे मुड़, वहां एक आदमी खड़ा था। खिड़की से बाहर ही रोशनी अंदर आ रही थी इसलिए मैं उसका चेहरा नहीं देख पा रहा था। लेकिन ये जो भी था यह सारी परेशानी की जड़ थी।
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Ab to mausi puri fida ho jayengi.Writter’s Note: Yeh Update thodi bakchodi ke start shuru hoga lekin baad main ek romantic talk hai masi aur hero ke bich mein.
मासी का घर
अध्याय 8 - निवारण (The Troubleshoot)
पिछले अपडेट में, कोई अजनबी हमें परेशान करे जा रहा था। रात के वक्त पता नहीं कहां से घर में घुस आता और जब मैं पानी पीने के लिए किचन में गया तो वह मेरे पीछे था।
अब; अंधेरा के वजह से मुझे उसका चेहरा नजर नहीं आ रहा था। उस आदमी ने पास में पड़े बर्तन से मुझ पर हमला किया। मैंने उसके वार को रोका और हमारे बीच हाथापाई हुई, हमारी आवाज सुन कर कमरे से मेरी मासी दौड़ कर किचन में आई।
मासी उस आदमी को देख कर काफी डर गई और उन्होंने मुझे पकड़ लिया। वो आदमी मासी को देख के काफी अजीब तरीके से हंसने लगा।
आदमी (मासी को कहता है): “क्यों मेरी जान, आखिर तुम आ ही गई।”
मैं हैरान था, ये आदमी मासी को 'जान' कह रहा है। कही मासी और इसका कोई चक्कर तो नहीं, ये सब सोचते हुए मैने मासी को पूछा।
मैं: “मासी ये कौन है? क्या आप जानती है इसे?”
मासी (डरते हुए): “जानती हूं, ये हमारे पड़ोस में ही रहता है, मुझे हमेशा परेशान करता है।”
आदमी इसे सुनकर काफी गुस्सा हो जाता है, वो कोई साइको लगता है। उसने जोर से कहा,
आदमी: “क्या कहा, मैं परेशान करता हूं! अरे प्यार करता हूं तुझसे!”
मैने तभी उस आदमी को कहा,
मैं: “तू जो कोई भी हो, अगर मेरे हाथों लग तो बचेगा नहीं।”
मैं यहां ज्यादा फिल्मी हो रहा था, क्योंकि अगर मैंने उसको भगा दिया तो मासी के नजरों में मेरी इज्जत बढ़ जाएगी। लेकिन जिंदगी परियों की कहानी नहीं होती, उस आदमी के में जो बर्तन था वो उसने मुझे मारा और बाजू में पड़ा चाकू उठा लिया।
वह बर्तन मुझे काफी जोर से लगा था, मेरा सिर घूमने लगा। उसने मासी को बंधक (hostage) बना कर मुझे घुटनों पर बैठने कहा।
मासी को चाकू दिखा कर कहने लगा,
आदमी: “चल कपड़े निकल!”
मासी अब पूरी ठंडी पड़ चुकी थी, वे काफी डर चुकी थी, उन्हें कुछ भी समझ आ रहा था।
आदमी (चिल्ला कर): “सुना नहीं क्या, चल निकाल कपड़े… नहीं तो मार डालूंगा तुझे भी और तेरे इस हीरो को भी।”
मासी को कुछ सूझ नहीं रहा था। उन्होंने अपने कपड़े निकालने चालू किए, उन्होंने पहले अपना सूट निकाला और फिर अपनी सलवार उतारी। वह अब सिर्फ अपनी ब्रा और पैंटी में थी।
वह आदमी कुछ कदम आगे मासी के तरफ बढ़ता है और कहता है,
आमदी: “अब में तेरी चुत फाड दूंगा और ये हीरो भी कुछ नहीं कर पाएगा।”
तभी मैं एकदम से तीव्र गति से उसकी ओर बढ़ता हूं, अपना सिर उसके पेट में दे मारता हूं। उसके हाथों से चाकू गिर जाता है और उस को मै किचन पर पटक पटक के मारता हूं। उसे मैंने लगभग बेहोश कर दिया था। मैने मासी को कपड़े पहने बोले और पुलिस को फोन कर ने कहा।
पुलिस के आने के बाद मैंने उसे पुलिस के हवाले कर दिया और में और मासी हॉल में बैठ गए। मासी डर के मारे रो रही थी और में उन्हें सांत्वना देने लगा।
रोते हुए मासी ने मेरे सिर को हाथ लगाया और कहा,
मासी: “तुम पागल हो क्या… अगर वो तुम्हे चाकू मार देता तो…”
मासी मेरे लिए फर्क कर रही थी, मैं उनकी आंखों में देखता हूं और कहता हूं,
मैं: “और आपको कुछ हो जाता तो?”
मासी मेरे आंखों में देखती ही रह जाती है, उनके आंसू रुक जाते और वो एक पल के लिए थम जाती है।
मैने यू ही उन्हें फ्लर्ट करते हुए कहा,
मैं: “वैसे आप रोते हुए काफी प्यारी दिखती हो।”
मासी आंसू पूछती है और शर्मा के कहती है,
मासी: “पागल… अभी भी लाइन मार रहा है।”
मैं: “अरे मासी, ये तो दिल की बात है।”
मासी कुछ बोल नहीं पाती, बस मेरा हाथ पकड़ लेती है। एक लम्हा, हम दोनों एक दूसरे को देखते है और मासी अपना सिर मेरे कंधे पर रख देती है, ओ मैं उनके युगांधीत बालों को सॉफ्टली touch करता हूं।
Writter's Note: Janta hoon ki yah aur pichla update aapko itna pasand nhi aaya hoga, lekin umeed karta hoon ki agle updates aake dil mein bas jayenge. Ye update foundation hai aage aane wale Romantic and Sexy moments ka jo masi aur hero ke bich hue.