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Incest मासी का घर (सेक्सी मासी और मासी की बेटी)

sunoanuj

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मासी का घर
अध्याय 9 - प्रथम चुंबन

पिछले अपडेट में, मैंने घर में घुसे घूसखोर को पुलिस के हाथों सौंप दिया और मासी के साथ रोमांटिक लम्हे बिताए।

अब आगे; उस रात मासी और मुझे कब नींद लग गई पता ही नहीं चला। सुबह सुबह 6 बजे मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि मासी मुझसे लिपट कर सोई हुई थी। बाहर थोड़ा अंधेरा सा ही था।


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मैंने हल्के से मासी को उठाया, मासी उठ कर मुझे देखने लगी। मैंने उन्हें बताया कि शायद हम दोनों यही सो गए थे। मासी ने कुछ नहीं कहा, शायद वे अब भी डरी हुई थी।

उतनी ही देर में विशाखा भी उठ गई और हॉल में आ गई। कल उस आदमी की हरकतों से विशाखा भी परेशान थी। मैंने उन दोनों से कहा,

मैं: “देखो कल जो हुआ उसे भूल जाओ, आज मौसा जी आने वाले है, उन्हें हम बता देंगे।”

मासी और विशाखा मेरी बात से सहमत हुए, समय बिता और अब सूरज निकल आया था। विशाखा अपनी योगा क्लासेस से अब तक आई नहीं थी। मासी नहाने गई हुई थी और मैं सोफे पर बैठा हुआ था।

तभी मासी बाथरूम से निकलती है, उन्होंने सिर्फ ब्रा और पैंटी पहनी हुई थी, उनके वह लाजवाब उभर, मुलायम उदर, रस भरे स्तन, और उछलती हुई गांड क्या ही नजर आ रही थी।


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उन्हें अजीब न लगे इसलिए मैंने मेरी नजर दूसरी ओर घुमा ली थी। जैसे ही वह अपने कमरे में घुस रही थी, उन्होंने मुझे देखा और देखती ही रह गई।

उन्होंने कुछ देर मुझे ऐसे ही देखने के बाद मुझे पुकारा,

मासी: “विशाल!”

मैं (उनकी ओर ना देखे): “हां जी?”

मासी: “अरे वो विशाखा अब तक नहीं आई।”

मैं (शर्माते हुए, उनकी और नहीं देख रहा था): “आ जाएगी थोड़ी देर में।”

मासी ने हंसते हुए मुझसे कहा,

मासी: “क्या हुआ, शर्मा क्यों रहे हो?”

मैं: “मासी, आप ने कपड़े नहीं पहने…”

मासी: “अब क्या शर्माना, कल रात तुम मुझे ऐसे देख चुके हो।”

तब जाकर मैने अपनी मासी को देखा। वो मुस्कुराई और अंदर उसके कमरे में चली गई। उसके कमरे में जाने के बाद मैं नहाने चला गया, आज बाथरूम कुछ अलग ही महक रहा था।

मैं जब नहाकर और तैयार होकर निकला तो मासी सोफे पर बैठे कुछ विचारों में खोई हुई थी। मैंने उनसे पूछा,

मैं: “क्या हुआ मासी? आप ऐसे क्यों बैठी हो?”

मासी: “बेटा, विशाखा अब तक आई नहीं।”

मैं भी इस बात से चिंतित हो गया, क्योंकि विशाखा को अब तक आ जाना चाहिए था। मैने मासी को दिलासा देते हुए कहा,

मैं: “रुकिए मासी मैं देख कर आता हूँ।”

मैं दरवाजे की ओर चल पड़ा।

मासी: “विशाल रुको!”

मासी ने मुझे आवाज दी और मैं पीछे मुड़ा,

मासी: “रुको, मैं भी साथ चलती हूं”।

फिर मासी और में उसी पार्क की और चलते गए जहां विशाखा हर रोज जाती थी। शुरुआत में हम दोनों के बीच सन्नाटा था, कोई कुछ नहीं बोल रहा था। तभी मैं बोला,

मैं: “हो सकता है आज भी उसकी कोई मीटिंग हो।”

मासी: “तुम हमेशा इतने calm कैसे रहते हो, मैं तो बात बात पर परेशान हो जाती हूं।”

मैं और मासी एक साथ मुस्कुराए, हम दोनों एकदम couple की तरह चल रहे थे।


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मैं: “नहीं नहीं, मैं तो बस दिखता calm हूं, लेकिन tension मुझे भी होती है। मगर आप चिंता मत करो, मैं हूँ ना साथ में।”

मासी: “तुम साथ हो इसलिए जिंदा हूं, नहीं तो कब का हार्ट अटैक आता मुझे।”

मैं: “अरे मासी, आप भी कैसी कैसी बातें करती रहती है!”

मासी: “तुम इतने confident कैसी हो? मैं कभी कभी सोचती हूं… काश तुम हमेशा मेरे साथ रहते।”

इस बात को सुन कर मेरा दिल इतनी जोर से धड़कने लगा मानो अब फट ही जाएगा, मासी मुझे देखे जा रही थी और मैं उन्हें। शर्माते हुए हम दोनों एक दूसरे की नजरों को ताक रहे थे।


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फिर मुस्कुराते हुए मैंने मासी से कहा,

मैं: “मैं हमेशा रहूंगा।”

मासी ने मेरे हाथों को पकड़ा और मेरे नजदीक आ गई, हम दोनों एक दूसरे को हंसते हुए देख रहे थे। मासी ने कहा,


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मासी: “विशाल… थैंक्यू।”

मैं चुप था, बस उन्हें निहार रहा था। तभी वह से एक गाड़ी गुजरती है और हम दोनों झट से दूर हो जाते है, और विशाखा को ढूंढने चलते रहते है।

कुछ दूर चलने पर, हमें विशाखा दिखती है। वो हमें ही देख कर अपना हाथ हिला रही थी। वो हमारे पास आई और मासी ने उससे पूछा,


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मासी: “बेटा तुम्हें इतना समय क्यों लगा?”

विशाखा: “अरे मां वो आज फिर से मीटिंग थी।”

मैं: “देखा मासी, मैंने कहा था ना!”

फिर हम तीनों आराम से फिर से घर की ओर चल दिए। घर पहुंचते ही मुझे मौसा जी का कॉल आया।

मैं: “प्रणाम मौसा जी।”

मौसा जी: “हां विशाल बेटा, मैं आज 3 बजे स्टेशन पर पहुंच जाऊंगा। तुम एक काम करना, car लेकर आना, मेरे पास सामान ज्यादा है।”

मैंने उन्हें हां कहा और कॉल कट कर दिया। मासी को इस बारे में बताया तो विशाखा कहने लगी कि वो भी साथ में आएगी।

समय बिता और पौने 3 बजे विशाखा और मैं car लेकर railway station की और निकल पड़े।

कार में विशाखा कुछ देर तक तो चुप रही लेकिन फिर उसने रेडियो बंद करके कुछ कहने का प्रयास किया। पता नहीं वह कुछ कहने को क्यों शर्मा रही थी।

मैंने उसे नोटिस किया और कहा,

मैं: “क्या हुआ, कुछ कहना है?”

विशाखा: “hmm”

कुछ देर फिर से कार के अंदर सन्नाटा रहा। मैंने अब थोड़ा जोर से कहा,

मैं: “अरे बोलो ना!”

विशाखा (शर्माते हुए): “Thankyou”

मैं: “किस लिए?”

विशाखा (शर्माते हुए): “कल सिचुएशन को समझदारी से solve करने के लिए।”

मैं (मुस्कुराते हुए): “इसमें क्या thankyou।”

हम अब स्टेशन पहुंच चुके थे, मगर अभी car में ही बैठे हुए थे। विशाखा शर्माते हुए नीचे देख रही थी और मैं मुस्कराते हुए विशाखा को देख रहा था।


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कुछ देर के सन्नाटे के बाद हम sation के बाहर पहुंच गए और कार में ही बैठे थे। विशाखा ने मुझे आवाज दी, मैंने फिर से उसे देखा। उसने मेरे सिर को पकड़ा और मुझे kiss किया।

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Writter's Note: Sorry dosto kafi late Kiya, lekin meri health abhi bhi thodi kharab hai. Umeed hai ki agla update jaldi post Karu.

Is update mein kuch galti hui ho toh please compromise kardena.
अच्छा लगा इस अपडेट में एक ठहराव है और विश्वास भी है! एक स्त्री का एक मर्द पर !

बहुत ही सुंदर 👌
 
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sunoanuj

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अगले भाग की प्रतीक्षा है !
 
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Toto Monkie

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मासी का घर
अध्याय 10 - प्रेम की परिभाषा

पिछले update में विशाखा ने मुझे जिस प्रकार kiss किया वह काफी बेहतरीन और आनंददायी था। मगर मैं अब तक समझा नहीं था कि यह किस चीज का इनाम है। मैं बस हैरानी से विशाखा को ही देखे जा रहा था।

अब आगे; विशाखा के होंठों के स्पर्श से मेरी तृप्ति हो गई थी लेकिन साथ में ही मैं चकाचौंध था।


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विशाखा ने मेरी ओर देखा और कहा,

विशाखा: “ऐसे क्या देख रहे हो? तुमने कल जो किया उसका इनाम है यह।”

कल रात जिस प्रकार मैंने situation को handle किया, वह और एक वजह थी की विशाखा क्यों मुझे चाहती है। अब मैं जान चुका था की मेरा ऐसा protective होना और हर तरह की समस्या में calm रहना विशाखा के मन को अच्छा लगता है।

हो सकता है की यही वजह मासी का मेरी ओर झुकव बढ़ा दे, और उनके मन में भी मेरी लिए प्यार बढ़ा दे। वैसे तो मासी के मन भी मेरी लिए प्यार जागृत हो चुका है, यह मैं अच्छे से जनता हूँ, लेकिन इस प्यार को एक अच्छी दिशा में बढ़ाने के लिए मुझे मेरे सुरक्षात्मक गुण को मेरी मासी और विशाखा को और अच्छे से दिखाना होगा।

इस बात को confirm करने के लिए मैंने विशाखा से पूछ ही लिया,

मैं: “मैंने तुम्हें पहले भी पूछा था, और अब भी पूछ रहा हूँ। मुझसे प्यार करने के लिए तुमने मेरे अंदर क्या देखा?”

विशाखा (मुस्कुराते हुए): “मैं भी तुम्हें बता चुकी हूँ और अब फिर से बात रही हूँ, कद्दू देखा तुम्हारे अंदर।”

मैं: “अरे यार, अब तो बता दे!”

विशाखा की मुस्कान हल्की हो गई, उसका चेहरा थोड़ा लाल हो गया और शर्माते हुए उसने कहा,

विशाखा: “तुम्हें क्या लगता है, मैंने तुम्हारे कुछ अच्छाइयां देखी और तुमसे प्यार कर बैठी। प्यार करने के लिए किसी गुण के होने या ना होने की जरूरत नहीं पड़ती, प्यार ऐसा होता है जो सिर्फ हो जाता है। दो धागे जब जुड़ जाते है, तो सामने वाले की बुराइयां भी अच्छी लगने लगती है। मैंने तुम्हारे भीतर कुछ नहीं देखा, हमेशा तुम्हें ही देखती रही। संपत्ति, गुण और परिस्थिति देख कर तो gold digger प्यार करते है, मैने तुमसे सच्चा प्यार किया है, न तुम्हारी संपत्ति देखी, न गुण देखे, न परिस्थिति। तुम जिस भी हालत में रहोगे मैं तुम्हे प्यार करती रहूंगा, हर मुश्किल और खुशी में तुम्हारा साथ दूंगी।”

विशाखा का यह लंबा चौड़ा भाषण, उसका यह उत्तर मैंने जैसा सोचा था इसके बिल्कुल विपरीत था। मैंने तो सोचा था कि मेरा protective and calm रहना उसे पसंद है जिस वजह मुझे वह प्यार करती है। बेशक उसे मेरा protective and calm होना पसंद है लेकिन मुझसे प्यार करने की उसकी कोई वजह नहीं है, क्योंकि उसका प्यार पूरी तरह से सच्चा है।

मेरे गलत होने पर भी वह मेरा साथ देने को तैयार है, वह दूसरों की तरह किसी फायदे के लिए प्यार नहीं करती। बल्कि उसका आकर्षण, स्नेह और लगाव पवित्र है।

तभी मुझे मौसा जी का call आया और मैंने उन्हें पार्किंग की तरफ आने को कह दिया।

कुछ समय बाद मौसा जी आ गए और फिर हम घर की ओर निकल गए। मौसा जी पीछे वाली सीट पर सो गए थे और आगे विशाखा बैठी हुई थी, मैं गाड़ी चला रहा था। उस वक्त वहां कोई आवाज नहीं थी, बिल्कुल सन्नाटा। घर पहुंचने तक मैं विशाखा के उत्तर के बारे में सोचता रहा।

घर पहुँचने पर मैंने और मौसा जी ने सामान उठाया और घर में प्रवेश किया। वहां मासी हमारा ही इंतजार कर रही थी।


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हमें देख कर मासी के चेहरे पर एक अलग सी चमक आ गई। वे मौसा जी को देख कर नहीं तो बल्कि मुझे को देख कर मुस्कुरा रही थी।

हम वही सोफ़े पर आराम से बैठ गए और मौसा जी के हाल चाल पूंछने लगे। तभी मासी मेरी तरफ एक चिंतित expressions के साथ देखती है, मैं समझ गया और मौसा जी से उस बात के बारे में बात करने लगा जो कल रात हुआ था। मौसा जी ने मेरी पूरी बात सुनी और कहा,


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मौसा जी: “क्या बात कर रहे हो, अच्छा हुआ कि तुम घर पर थे। तुम्हारी नम्रता को मानना होगा, तुमने सही किया।”

उन्होंने ऐसा ही मेरी ढेर सारी प्रशंसा की। कुछ देर बाद सभी अपने अपने कमरे में चले गए, और मैं किचन में यूं ही चला गया। वहां मासी कुछ काम कर रही थी। मुझे देख कर वे हल्की सी मुस्कान के साथ मेरे पास आ गई, मेरे दोनों हाथों को थाम लिया और मुझसे कहने लगी,


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मासी: “फिर से एक बार thank you विशाल, अगर हम अकेले होते तो शायद कुछ नहीं कर पाते और शायद मेरे साथ कुछ बुरा हो सकता था।”

मैं: “अरे मासी, अब कितनी बार thank you कहोगे।”

यहां मैं एक बात समझ गया था, भले ही विशाखा मुझसे जो प्यार करती है वो मेरे किसी गुण के वजह से नहीं था लेकिन मासी के मन में जो फीलिंग अब से जागृत हुई है वह मेरे गुणों के कारण ही है, उनके लिए protective होना शायद यह उन्हे seduce कर रहा था।

मेरे आगे कुछ ना कहने पर मासी ने कहा,

मासी: “क्या सोच रहे हो? चुप क्यों हो गए?”

मैं (उनकी आँखों में देखते हुए): “आपके बारे में सोच रहा हूँ।”

मासी (शरमाते हुए): “क्या कहा?”

मैं: “अरे मतलब, अगर आपकी रक्षा ना करता तो धिक्कार है मुझपर”

इस बात पर मासी शर्मा कर मुझे देखने लगी। फिर थोड़ी हल्की आवाज में, नजर तोड़ते हुए उन्होंने कहा,


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मासी: “तुम… काफी अजीब बातें करते हो। समझ नहीं आता, तुम्हें मैं क्या लगती हूँ?”

वैसे तो मासी की ये बात मुझे इतनी खास समझी नहीं, इसका क्या मतलब था की उन्होंने कहा ‘मैं क्या लगती हूं ?”, लेकिन मैंने थोड़ा flirt करते हुए हल्की आवाज में कहा,

मैं: “जो भी लगती हो… मेरे लिए बस ‘special’ हो। और ये बात मुझे बार-बार thanks बोलने से ज्यादा जरूरी है।”

मासी शांत थी, आँखों में एक अलग सी चमक थी और एक छोटी सी smile, वह moment काफी दिलचस्प था।

मासी blush करते हुए अपने नजरों को थोड़ा नीचे करती है, लेकिन मैं उन्हे देखते ही रह गया। कुछ पल दोनों की आंखें मिलती है, ना कोई शब्द, न कोई हलचल।


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खिड़के से आ रही रोशनी सीधा उनके चेहरे पर थी, जिससे वे कुछ अलग की चमक रही थी। मासी ने उसके हाथों को धीरे धीरे से खींचने की कोशिश की, मैं तो उनकी आँखों में ही खो गया था। उन्हे जाते हुए देखते रहता हूं।

जब मासी चल कर किचन के दरवाजे के पास पहुंची, उन्होंने फिर से मूड कर मुझे देखा, उनकी वह मुस्कान मुझे सम्मोहित कर रही थी। कुछ देर तक सिर्फ शांतता थी, मासी भी सिर्फ देखे जा रही थी।


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कुछ पल ऐसे ही थे जो शायद शब्दों में बताना काफी कठिन है। फिर कुछ कहे बिना मासी वह से चली जाती है।

कुछ देर बाद मैं भी वह से निकाल कर अपने कमरे की ओर चल देता हूं। विशाखा का कमरा खुला होता है, मैं धीरे से उसके कमरे में दाखिल हो गया। विशाखा बेड पर लेट कर अपना मोबाइल देख रही थी।


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मैं: “अरे मैडम, मैंने सोचा आप मुझे miss कर रही होगी, लेकिन आप तो reels स्क्रॉल कर रही है।”

विशाखा ने अपना मोबाइल साइड में रख दिया और नखरे देखते हुए कहने लगी,

विशाखा: “अच्छा जी! तुम तो करते हो ना मुझे miss? या फिर चोर भागाने में busy रहते हो!?”

मैं: “करता हु न, बल्कि काफी ज्यादा! तुम मेरी better half जो हो।”

इस बात को सुनकर विशाखा के गालों पे blush आ गया और वह कुछ देर की शांति के बाद शरमाते, हल्के हुए बोली,

विशाखा: “तुम्हें better half का मतलब भी पता है?”

उस वक्त वहाँ सन्नाटा था, बेटर हाफ का अर्थ होता है अर्धांगिनी। हम दोनों शांत थे, शर्मा रहे थे। फिर उस सन्नाटे को तोड़ते हुए मैंने कहा,

मैं: “better half मतलब, तुम… ”

इस बात को सुनकर विशाखा मुस्कुराती है और पास में रखे तकिये से मेरे कंधे पर मारती है, शरारती अंदाज में वह कहती है,

विशाखा: “बस बस, ज्यादा फिल्मी मत बनो। तुम्हारी lines मुझे हंसते हंसते रुला देगी।”

मैं: “रोने का इरादा तो कभी नहीं… पर तुम्हारी हंसी के लिए कुछ भी कर सकता हूं।”

विशाखा और मेरी आंखें फिर एक बार मिलती है, एक पल के लिए हम दोनों मुस्कुराते हुए एक दूसरे को देख रहे थे, तभी विशाखा मजाक मजाक में कहती है,


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विशाखा: “तुम रोमांटिक डायलॉग में तो एक नंबर हो, लेकिन देखना होगा really कितने रोमांटिक हो।”

फिर मैंने उसके गालों को मेरे दोनों हाथों से पकड़ा, उसकी मुस्कान गायब हो जाती है और आंखें बंद। मैने हल्के से उसके होंठों को चूमा, उनका सार लिया। पहले तो उसने गुस्सा होने का नाटक किया लेकिन फिर बाद में खुद ही blush करने लगी।

हम दोनों हंस पड़े और फिर उसने हल्के उसका सिर मेरे कंधे पर रख दिया।


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विशाखा: “बस ऐसे ही मेरे पास रहो, मुझे और कुछ नहीं चाहिए।”
 
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