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ये कहानी एक विधवा माँ और बेटे के बीच की है। इसे पढ़ कर बस खूब आनंद ले। और उम्मीद है तो आप सब को अच्छी लगेगी।
मेरा नाम सुनील है और मेरी उम्र 24 साल है. मैं दिखने में तो स्मार्ट हूं और मेरी मस्कुलर फिजिक भी अच्छी है। मेरी हाइट 5 फीट 9 इंच है. मेरे लंड का साइज करीब 8 इंच लंबा और 3.5 इंच मोटा है। सच कहूं तो जब से मैं मैच्योर हुआ हूं मुझे सेक्स में कुछ ज्यादा ही दिलचस्पी है।
ये कहानी मेरी और मेरी माँ के बीच की है जो अब से 2.5 साल पहले शुरू हुई थी। आज हम गुजरात में रहते हैं पर उस वक्त हम राजस्थान के एक छोटे से गांव में रहते थे। मेरे घर में तब पापा मम्मी और छोटी बहन के अलावा मेरी नानी भी हमारे साथ रहती थीं।
मेरे पापा एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते थे और हार्ट अटैक की वजह से उनकी मौत हो गई थी। पापा की मौत के बाद वो नौकरी, मम्मी को ऑफर हो गई और वो वहां नौकरी पे लग गई।
पापा पहले काफी ड्रिंक करते थे और ड्रिंक कर ने के बाद मम्मी की बहुत जोरदार चुदाई भी हो जाती थी नशे में। मैंने बहुत समय मम्मी की इतनी सिस्कारियों की आवाज के कारण उनके कमरे की खिड़की से देखा था पापा मम्मी की चुदाई को। और तब से हे में मेरी मम्मी के नंगे बदन से बहुत हे आकर्षित हो गया था।
अब इतनी तारीफ की है तो मम्मी के बारे में , उसका नाम साक्षी है और उसकी उम्र 43 साल है। दिखने में मेरी माँ बहुत ही सुन्दर है. उसकी ऊंचाई कुछ करीब 5 फीट 5 इंच जितनी है और वजन होगा कुछ 72 किलोग्राम जितना। उसका फिगर 38- 32-36 का है. मम्मी की नाज़ुक कमर के नीचे बड़े-बड़े मोटे चुतड़ उसकी खुबसूरती को 100 गुना ज्यादा बढ़ा देती है।
मेरी मम्मी थोड़ी मोती है पर उसके लम्बे कद के कारण वो मोती न हो कर गदराई हुई ही लगती है. उसका भरा भरा बदन बहुत ही सेक्सी है. उसे देख कर तो किसी का भी लंड खड़ा हो सकता है.
इस उम्र की दूसरी लेडीज की तरह मम्मी के मम्मे अब तक लूज़ ना हो के वैसे वह कड़क और फुले भरे हैं, जैसे की कोई रस भरा ऑरेंज। उसके चेहरे की नक्शी भी ऐसी बनी है कि कोई भी उसको ज्यादा देर तक देख ले तो खुद उसके होठों को चूमने के लिए मजबूर हो जाए।
मुजे मम्मी से बचपन से बहुत ज्यादा लगाव था। लेकिन जवान होते होते और जब से मैंने एक माँ और बेटे का अश्लील वीडियो देखा था। तब से तो में मम्मी को लेके बहुत कामुक हो गया था। मुझ में मम्मी को लेके बहुत वह वासना भरी सेक्स की भावनाएं आने लगी थी।
मुझे आज भी याद है कि मैं उनके कमरे की खिड़की से मम्मी पापा की चुदाई कैसे देख रहा था। एक रात तो मैंने ये देखा था कि पापा मम्मी को उल्टी बेड पर लिटा कर चूम रहे थे और उसकी चूत की मालिश कर रहे थे।
शायद पापा भी मम्मी की गांड का साइज बढ़ाना चाहते थे। उन दोनो को ऐसा करते देख में बहर खड़ा मम्मी की बड़ी गांड को चोदने के सपने में खुद का लंड हिलाने लगा था।
कभी-कभी तो घर में मौका देख कर जब घर में कोई नहीं होता तब मेरी वासना से भरी नज़र से मम्मी के आस-पास घूमना, और मम्मी को कैसे भी टच कर लेता था। पर बस टच करता सेक्स जैसा कुछ नहीं था।
पापा की मौत के बाद वो चले गए उस वक्त मानो घर में अचानक वह भूचल आ गया था और एकदुम से सब बिखर गया था। 3-4 महीने तो सब के ऐसे निकल गए। घर में बस नानी मम्मी में और छोटी बहन रहे थे।
धीरे धीरे से सब सामान्य होने लगा था घर में। मम्मी को भी पापा की जगह उनके ऑफिस में नौकरी मिल गई थी। जब से वो ऑफिस जाने लगी थी तब से वो जींस और टॉप पहन ने लगी थी और घर आ कर भी ढीली कुर्ती और लेगिंग पहनती थी।
उसके बॉडी फिगर की वजह से जब भी मम्मी लेगिंग पहनती थी तो वो उसकी जांघें और गांड के पास से ऐसे चिपक जाती थी, पूरी शेप नजर आती थी और टॉप की वजह से उसके कड़क चूचे मुझे पूरे दिन पागल कर देते थे। मम्मी ऐसे कपडे में बहुत हे हॉट सेक्सी लेडी जैसी लगती थी.
आप तो जानते ही हो कि हमारे राजस्थान में गर्मी बहुत पड़ती है और यहाँ पर औरतें लेहंगा चोली ही पहनती है. चोली एक छोटा सा ब्लाउज जैसा होता है और लेहंगा किसी पेटीकोट की तरह. बस फर्क होता है तो यह कि इस पर कढ़ाई का काम खूब होता है.
तो घर में मम्मी गर्मी के कारण के हल्का सा ब्लाउज और पेटीकोट पहनती थी, ब्लाउज का कपडा काफी पतला होता था जिस में से उस के मुम्मों का साइज और शेप साफ़ साफ़ दिखाई देती थी. इसी तरह उन का पेटीकोट भी पतला सा होता था जिस में से सामने आती रौशनी के कारण उन की झांघो की शेप साफ़ दिखती थी और कई बार तो उनकी पैंटी का रंग भी पता चल जाता था. माँ के चूतड़ इतने बड़े थे कि जिस तरह कोई बड़े बड़े तरबूज रखे हों. कुल मिला कर वो सेक्स की एक देवी ही लगती थी.
क्योंकि हमारे राजस्थान में इस तरह के कपडे पहनना आम बात है और माँ तो घर में सदा से ही इस तरह के कपडे ही पहनती थी पर चाहे अब मैं बड़ा हो गया था और जवान था पर माँ के लिए तो मैं उनका वही छोटा सा बच्चा था, तो वो अभी भी बिना कोई झिझक के वही पेटीकोट ब्लाउज में ही घर में रहती थी और उन्हें इस में कोई गलत नहीं लगता था.
मेरे लिए तो यह स्वर्ग जैसा था. सारा दिन माँ का सेक्सी बदन मेरी आँखों के आगे रहता था और मेरा लौड़ा तो बेचारा बैठने का मौका ही नहीं पाता था.
अब एक दिन सुबह-सुबह की बात है मेरी नींद बहुत जल्दी खुल गई थी। और आप सब तो समझेंगे कि सुबह के समय सेक्स के लिए कैसा माहौल बना रहता है।
इस तरह मैं बिस्तर पर वासना भरी कहानियां पढ़ने लगा। और पढ़ते पढ़ते मेरे हाथ कब मेरे लंड पर पूछ गए पता नहीं और मेरे लंड हाथो में पकड़ कर उसकी मुठ मारने लगा।
वह वक्त था जब मुझे मेरी बहन के स्कूल जाने की आवाज आई और वह जा चुकी थी। नानी की अब इतनी उम्र थी कि वो बिना सपोर्ट के बिस्तर से उठ भी नहीं पाती थी। और रोज़ की तरह बहन के स्कूल जाने के बाद वह मम्मी नहाने जाती थी और ऑफिस के लिए तैयार होती थी। इसलिए बहन के जाते वह मेरे मन में ख्याल आया कि अब मम्मी नहाएगी।
तो सोचा क्यों नहीं आज मम्मी को नंगा देखा जाए। मैं चुपके से उनके कमरे में चला गया और बाथरूम की खिड़की के पास चुप कर खड़ा हो गया। मम्मी ने नहाते हुए बाथरूम का दरवाजा बंद कर दिया और नहाने लगी थी। पर में खिड़की की दरार में से माँ को नंगी नहाते हुए देख रहा था.
मम्मी ने नहाने के लिए ब्रा पैंटी उतार दी थी और वो नंगी हो कर नहा रही थी. माँ का बदन काफी मोटा और गदराया हुआ था. माँ बिलकुल नंगी थी. उस के मोटे मोटे मुम्मे झूल रहे थे. माँ ने अपने नंगे बदन पर साबुन लगाया और फिर अपनी टांगें चौड़ी कर ली.
मेरा तो सांस ही रुक गया. माँ की चूत अब मुझे साफ़ दिख रही थी. वो पूरी तरह से फूली हुई थी और उसकी चूत टाँगे खोलने के कारण खुल गयी थी और उस की गुलाबी रंग की चूत का अंदर का भाग भी साफ़ दिख रहा था. माँ की चूत काफी टाइट थी, पर माँ की चूत पर एक भी बाल नहीं था. शायद माँ अपनी चूत को सदा शेव करके रखती थी,
माँ ने उस पर साबुन लगाया. फिर पानी डाल कर साफ़ किया. नहाने के बाद उसने तौलिये से बदन पोंछा। मैं समझा की अब तो माँ कपडे पेहन कर बाहर आएगी तो मैं जाने हो वाला था तो मैंने देखा कि माँ फिर से नहाने वाले टेबल पर बैठ गयी और अपनी टांगे चौड़ी करके अपनी चूत पर हाथ फेरने लगी.
फिर माँ ने अपनी एक ऊँगली अपनी चूत में डाल ली. और उसे अंदर बाहर करने लगी. मुझे तो मझा ही आ गया. तो मेरी माँ पिता जी के जाने के बाद इस तरह से अपनी सेक्स की भूख शांत करती है. आज मैं पहली बार अपनी माँ को ऊँगली करते देख रहा था.
माँ को मजा आ रहा था. धीरे धीरे माँ ने अपनी पूरी ऊँगली अपनी चूत में डाल ली और अब माँ की सिसकारियां मुझे बाहर तक सुनाई दे रही थीं.
माँ तेज तेज अपनी चूत में ऊँगली कर रही थी और सिसकारियां भरते हुए चिल्ला रही थी.
आह आह मजा आ रहा है पर वो मजा कहाँ, जो मांस के लौड़े में है. ओह ओह। . म .. म और माँ ऊँगली तेज कर रही थी.
माँ ऊँगली से चुदाई करते हुए बोल रही थी.
हाय री मेरी फूटी किस्मत. कितनी देर हो गयी है अपनी चूत में लौड़ा लिए. मैं तो लौड़े का स्वाद ही भूलती जा रही हूँ. कितना अच्छा लगता था अपने पति का लौड़ा हाथ में लेना और उसे जोर जोर से चूसना और लण्ड का माल पीना. कहाँ रोज चुदवाती थी, कभी चूत मरवाती कभी गांड मरवाती और कभी लौड़ा चूसती. अब तो इस मरी ऊँगली का ही सहारा है. पर इस में वो बात कहाँ जो असली लौड़े में होती है. कुछ भी मजा नहीं है। काश में किसी असली लौड़े से चुद पाती. काश मेरी चूत में मेरी अपनी नहीं बल्कि किसी दुसरे मर्द की ऊँगली चल रही होती और मैं सिर्फ टांगें खोल कर मजा ले रही होती. पर हाय री मेरी फूटी तकदीर, मुझ विध्वा की किस्मत में तो अब ऊँगली ही है और वो भी अपनी ही ऊँगली. काश मेरे पति जिन्दा होते और मुझे खूब चोदते। इस ऊँगली से मेरी आग कहाँ भुज पाती है। वो तो बल्कि और भी भड़क जाती है. पर मैं भी क्या करूँ.
यह कहते हुए माँ अपनी चूत में ऊँगली करती रही. थोड़ी देर में उनका बदन अकड़ गया और उनका ढेर सा पानी निकल गया.
माँ थोड़ी देर ऐसे ही चूत में ऊँगली रखे बैठी रही और फिर एक लम्बी सांस ले कर उठ गयी और कपडे पहनने लगी.
मैं जान गया था की मेरी माँ सेक्स के लिए बहुत भुखी है.
शायद मेरा ही कोई मौका लग जाए. पर वो मेरी माँ है. इस लिए मैं करूँ तो क्या करूँ. बस यही सोचता मैं अपने कमरे में आ गया.
मम्मी भी तैयार हो गईं उसके ऑफिस के लिए निकल गईं।
ऐसे में पता नहीं चला और पापा की मौत को एक साल भी हो गया। मम्मी ऐसे तो दिन ऑफिस में रहती थी और शाम को घर में और बाद में वो ज्यादा समय बहन के साथ बिताती थी।
ऊपर से नानी भी मम्मी को बिजी रखती थी उनके कामो में। मेरी छोटी बहन भी मम्मी से चिपकी रहती थी। ये सब की वजह से मुझे कोई मौका नहीं मिल रहा था मम्मी के साथ कुछ करने का।
कभी-कभी जब मम्मी रात का खाना बनाना किचन में अकेली होती है तब उसके पास जा केएसआर खड़ा हो जाता है। और कुछ बहाना कर के मम्मी की नाज़ुक कमर को चूमकर गले लगाने की कोशिश करता हूँ।
कभी मम्मी का मूड अच्छा रहता तो गले लगा लेता था नहीं तो अगर गुस्सा होता तो नहीं। ऐसे भी मम्मी का गुस्सा बहुत बुरा था इसलिए वह मेरी ज्यादा हिम्मत नहीं होती थी कुछ करने की।
मैं हमेशा सोचता था कि अगर मम्मी के साथ कुछ वासना हरकत करने की कोशिश करूं । बस ये सोच कर मेरी गांड फट जाती थी और मैं कुछ ज्यादा ट्राई नहीं करता था।
पर एक हादसा ऐसा हुआ जिससे मेरी पूरी जिंदगी बदल गई।
मेरा नाम सुनील है और मेरी उम्र 24 साल है. मैं दिखने में तो स्मार्ट हूं और मेरी मस्कुलर फिजिक भी अच्छी है। मेरी हाइट 5 फीट 9 इंच है. मेरे लंड का साइज करीब 8 इंच लंबा और 3.5 इंच मोटा है। सच कहूं तो जब से मैं मैच्योर हुआ हूं मुझे सेक्स में कुछ ज्यादा ही दिलचस्पी है।

ये कहानी मेरी और मेरी माँ के बीच की है जो अब से 2.5 साल पहले शुरू हुई थी। आज हम गुजरात में रहते हैं पर उस वक्त हम राजस्थान के एक छोटे से गांव में रहते थे। मेरे घर में तब पापा मम्मी और छोटी बहन के अलावा मेरी नानी भी हमारे साथ रहती थीं।

मेरे पापा एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते थे और हार्ट अटैक की वजह से उनकी मौत हो गई थी। पापा की मौत के बाद वो नौकरी, मम्मी को ऑफर हो गई और वो वहां नौकरी पे लग गई।
पापा पहले काफी ड्रिंक करते थे और ड्रिंक कर ने के बाद मम्मी की बहुत जोरदार चुदाई भी हो जाती थी नशे में। मैंने बहुत समय मम्मी की इतनी सिस्कारियों की आवाज के कारण उनके कमरे की खिड़की से देखा था पापा मम्मी की चुदाई को। और तब से हे में मेरी मम्मी के नंगे बदन से बहुत हे आकर्षित हो गया था।
अब इतनी तारीफ की है तो मम्मी के बारे में , उसका नाम साक्षी है और उसकी उम्र 43 साल है। दिखने में मेरी माँ बहुत ही सुन्दर है. उसकी ऊंचाई कुछ करीब 5 फीट 5 इंच जितनी है और वजन होगा कुछ 72 किलोग्राम जितना। उसका फिगर 38- 32-36 का है. मम्मी की नाज़ुक कमर के नीचे बड़े-बड़े मोटे चुतड़ उसकी खुबसूरती को 100 गुना ज्यादा बढ़ा देती है।

मेरी मम्मी थोड़ी मोती है पर उसके लम्बे कद के कारण वो मोती न हो कर गदराई हुई ही लगती है. उसका भरा भरा बदन बहुत ही सेक्सी है. उसे देख कर तो किसी का भी लंड खड़ा हो सकता है.
इस उम्र की दूसरी लेडीज की तरह मम्मी के मम्मे अब तक लूज़ ना हो के वैसे वह कड़क और फुले भरे हैं, जैसे की कोई रस भरा ऑरेंज। उसके चेहरे की नक्शी भी ऐसी बनी है कि कोई भी उसको ज्यादा देर तक देख ले तो खुद उसके होठों को चूमने के लिए मजबूर हो जाए।
मुजे मम्मी से बचपन से बहुत ज्यादा लगाव था। लेकिन जवान होते होते और जब से मैंने एक माँ और बेटे का अश्लील वीडियो देखा था। तब से तो में मम्मी को लेके बहुत कामुक हो गया था। मुझ में मम्मी को लेके बहुत वह वासना भरी सेक्स की भावनाएं आने लगी थी।
मुझे आज भी याद है कि मैं उनके कमरे की खिड़की से मम्मी पापा की चुदाई कैसे देख रहा था। एक रात तो मैंने ये देखा था कि पापा मम्मी को उल्टी बेड पर लिटा कर चूम रहे थे और उसकी चूत की मालिश कर रहे थे।
शायद पापा भी मम्मी की गांड का साइज बढ़ाना चाहते थे। उन दोनो को ऐसा करते देख में बहर खड़ा मम्मी की बड़ी गांड को चोदने के सपने में खुद का लंड हिलाने लगा था।

कभी-कभी तो घर में मौका देख कर जब घर में कोई नहीं होता तब मेरी वासना से भरी नज़र से मम्मी के आस-पास घूमना, और मम्मी को कैसे भी टच कर लेता था। पर बस टच करता सेक्स जैसा कुछ नहीं था।
पापा की मौत के बाद वो चले गए उस वक्त मानो घर में अचानक वह भूचल आ गया था और एकदुम से सब बिखर गया था। 3-4 महीने तो सब के ऐसे निकल गए। घर में बस नानी मम्मी में और छोटी बहन रहे थे।
धीरे धीरे से सब सामान्य होने लगा था घर में। मम्मी को भी पापा की जगह उनके ऑफिस में नौकरी मिल गई थी। जब से वो ऑफिस जाने लगी थी तब से वो जींस और टॉप पहन ने लगी थी और घर आ कर भी ढीली कुर्ती और लेगिंग पहनती थी।
उसके बॉडी फिगर की वजह से जब भी मम्मी लेगिंग पहनती थी तो वो उसकी जांघें और गांड के पास से ऐसे चिपक जाती थी, पूरी शेप नजर आती थी और टॉप की वजह से उसके कड़क चूचे मुझे पूरे दिन पागल कर देते थे। मम्मी ऐसे कपडे में बहुत हे हॉट सेक्सी लेडी जैसी लगती थी.
आप तो जानते ही हो कि हमारे राजस्थान में गर्मी बहुत पड़ती है और यहाँ पर औरतें लेहंगा चोली ही पहनती है. चोली एक छोटा सा ब्लाउज जैसा होता है और लेहंगा किसी पेटीकोट की तरह. बस फर्क होता है तो यह कि इस पर कढ़ाई का काम खूब होता है.
तो घर में मम्मी गर्मी के कारण के हल्का सा ब्लाउज और पेटीकोट पहनती थी, ब्लाउज का कपडा काफी पतला होता था जिस में से उस के मुम्मों का साइज और शेप साफ़ साफ़ दिखाई देती थी. इसी तरह उन का पेटीकोट भी पतला सा होता था जिस में से सामने आती रौशनी के कारण उन की झांघो की शेप साफ़ दिखती थी और कई बार तो उनकी पैंटी का रंग भी पता चल जाता था. माँ के चूतड़ इतने बड़े थे कि जिस तरह कोई बड़े बड़े तरबूज रखे हों. कुल मिला कर वो सेक्स की एक देवी ही लगती थी.

क्योंकि हमारे राजस्थान में इस तरह के कपडे पहनना आम बात है और माँ तो घर में सदा से ही इस तरह के कपडे ही पहनती थी पर चाहे अब मैं बड़ा हो गया था और जवान था पर माँ के लिए तो मैं उनका वही छोटा सा बच्चा था, तो वो अभी भी बिना कोई झिझक के वही पेटीकोट ब्लाउज में ही घर में रहती थी और उन्हें इस में कोई गलत नहीं लगता था.
मेरे लिए तो यह स्वर्ग जैसा था. सारा दिन माँ का सेक्सी बदन मेरी आँखों के आगे रहता था और मेरा लौड़ा तो बेचारा बैठने का मौका ही नहीं पाता था.
अब एक दिन सुबह-सुबह की बात है मेरी नींद बहुत जल्दी खुल गई थी। और आप सब तो समझेंगे कि सुबह के समय सेक्स के लिए कैसा माहौल बना रहता है।
इस तरह मैं बिस्तर पर वासना भरी कहानियां पढ़ने लगा। और पढ़ते पढ़ते मेरे हाथ कब मेरे लंड पर पूछ गए पता नहीं और मेरे लंड हाथो में पकड़ कर उसकी मुठ मारने लगा।

वह वक्त था जब मुझे मेरी बहन के स्कूल जाने की आवाज आई और वह जा चुकी थी। नानी की अब इतनी उम्र थी कि वो बिना सपोर्ट के बिस्तर से उठ भी नहीं पाती थी। और रोज़ की तरह बहन के स्कूल जाने के बाद वह मम्मी नहाने जाती थी और ऑफिस के लिए तैयार होती थी। इसलिए बहन के जाते वह मेरे मन में ख्याल आया कि अब मम्मी नहाएगी।

तो सोचा क्यों नहीं आज मम्मी को नंगा देखा जाए। मैं चुपके से उनके कमरे में चला गया और बाथरूम की खिड़की के पास चुप कर खड़ा हो गया। मम्मी ने नहाते हुए बाथरूम का दरवाजा बंद कर दिया और नहाने लगी थी। पर में खिड़की की दरार में से माँ को नंगी नहाते हुए देख रहा था.

मम्मी ने नहाने के लिए ब्रा पैंटी उतार दी थी और वो नंगी हो कर नहा रही थी. माँ का बदन काफी मोटा और गदराया हुआ था. माँ बिलकुल नंगी थी. उस के मोटे मोटे मुम्मे झूल रहे थे. माँ ने अपने नंगे बदन पर साबुन लगाया और फिर अपनी टांगें चौड़ी कर ली.
मेरा तो सांस ही रुक गया. माँ की चूत अब मुझे साफ़ दिख रही थी. वो पूरी तरह से फूली हुई थी और उसकी चूत टाँगे खोलने के कारण खुल गयी थी और उस की गुलाबी रंग की चूत का अंदर का भाग भी साफ़ दिख रहा था. माँ की चूत काफी टाइट थी, पर माँ की चूत पर एक भी बाल नहीं था. शायद माँ अपनी चूत को सदा शेव करके रखती थी,
माँ ने उस पर साबुन लगाया. फिर पानी डाल कर साफ़ किया. नहाने के बाद उसने तौलिये से बदन पोंछा। मैं समझा की अब तो माँ कपडे पेहन कर बाहर आएगी तो मैं जाने हो वाला था तो मैंने देखा कि माँ फिर से नहाने वाले टेबल पर बैठ गयी और अपनी टांगे चौड़ी करके अपनी चूत पर हाथ फेरने लगी.
फिर माँ ने अपनी एक ऊँगली अपनी चूत में डाल ली. और उसे अंदर बाहर करने लगी. मुझे तो मझा ही आ गया. तो मेरी माँ पिता जी के जाने के बाद इस तरह से अपनी सेक्स की भूख शांत करती है. आज मैं पहली बार अपनी माँ को ऊँगली करते देख रहा था.

माँ को मजा आ रहा था. धीरे धीरे माँ ने अपनी पूरी ऊँगली अपनी चूत में डाल ली और अब माँ की सिसकारियां मुझे बाहर तक सुनाई दे रही थीं.
माँ तेज तेज अपनी चूत में ऊँगली कर रही थी और सिसकारियां भरते हुए चिल्ला रही थी.
आह आह मजा आ रहा है पर वो मजा कहाँ, जो मांस के लौड़े में है. ओह ओह। . म .. म और माँ ऊँगली तेज कर रही थी.
माँ ऊँगली से चुदाई करते हुए बोल रही थी.
हाय री मेरी फूटी किस्मत. कितनी देर हो गयी है अपनी चूत में लौड़ा लिए. मैं तो लौड़े का स्वाद ही भूलती जा रही हूँ. कितना अच्छा लगता था अपने पति का लौड़ा हाथ में लेना और उसे जोर जोर से चूसना और लण्ड का माल पीना. कहाँ रोज चुदवाती थी, कभी चूत मरवाती कभी गांड मरवाती और कभी लौड़ा चूसती. अब तो इस मरी ऊँगली का ही सहारा है. पर इस में वो बात कहाँ जो असली लौड़े में होती है. कुछ भी मजा नहीं है। काश में किसी असली लौड़े से चुद पाती. काश मेरी चूत में मेरी अपनी नहीं बल्कि किसी दुसरे मर्द की ऊँगली चल रही होती और मैं सिर्फ टांगें खोल कर मजा ले रही होती. पर हाय री मेरी फूटी तकदीर, मुझ विध्वा की किस्मत में तो अब ऊँगली ही है और वो भी अपनी ही ऊँगली. काश मेरे पति जिन्दा होते और मुझे खूब चोदते। इस ऊँगली से मेरी आग कहाँ भुज पाती है। वो तो बल्कि और भी भड़क जाती है. पर मैं भी क्या करूँ.

यह कहते हुए माँ अपनी चूत में ऊँगली करती रही. थोड़ी देर में उनका बदन अकड़ गया और उनका ढेर सा पानी निकल गया.
माँ थोड़ी देर ऐसे ही चूत में ऊँगली रखे बैठी रही और फिर एक लम्बी सांस ले कर उठ गयी और कपडे पहनने लगी.
मैं जान गया था की मेरी माँ सेक्स के लिए बहुत भुखी है.
शायद मेरा ही कोई मौका लग जाए. पर वो मेरी माँ है. इस लिए मैं करूँ तो क्या करूँ. बस यही सोचता मैं अपने कमरे में आ गया.
मम्मी भी तैयार हो गईं उसके ऑफिस के लिए निकल गईं।
ऐसे में पता नहीं चला और पापा की मौत को एक साल भी हो गया। मम्मी ऐसे तो दिन ऑफिस में रहती थी और शाम को घर में और बाद में वो ज्यादा समय बहन के साथ बिताती थी।

ऊपर से नानी भी मम्मी को बिजी रखती थी उनके कामो में। मेरी छोटी बहन भी मम्मी से चिपकी रहती थी। ये सब की वजह से मुझे कोई मौका नहीं मिल रहा था मम्मी के साथ कुछ करने का।
कभी-कभी जब मम्मी रात का खाना बनाना किचन में अकेली होती है तब उसके पास जा केएसआर खड़ा हो जाता है। और कुछ बहाना कर के मम्मी की नाज़ुक कमर को चूमकर गले लगाने की कोशिश करता हूँ।
कभी मम्मी का मूड अच्छा रहता तो गले लगा लेता था नहीं तो अगर गुस्सा होता तो नहीं। ऐसे भी मम्मी का गुस्सा बहुत बुरा था इसलिए वह मेरी ज्यादा हिम्मत नहीं होती थी कुछ करने की।

मैं हमेशा सोचता था कि अगर मम्मी के साथ कुछ वासना हरकत करने की कोशिश करूं । बस ये सोच कर मेरी गांड फट जाती थी और मैं कुछ ज्यादा ट्राई नहीं करता था।
पर एक हादसा ऐसा हुआ जिससे मेरी पूरी जिंदगी बदल गई।