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Incest माँ ने गलतफहमी में बेटे से ही सेक्स कर लिया

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Ting ting

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ये कहानी एक विधवा माँ और बेटे के बीच की है। इसे पढ़ कर बस खूब आनंद ले। और उम्मीद है तो आप सब को अच्छी लगेगी।

मेरा नाम सुनील है और मेरी उम्र 24 साल है. मैं दिखने में तो स्मार्ट हूं और मेरी मस्कुलर फिजिक भी अच्छी है। मेरी हाइट 5 फीट 9 इंच है. मेरे लंड का साइज करीब 8 इंच लंबा और 3.5 इंच मोटा है। सच कहूं तो जब से मैं मैच्योर हुआ हूं मुझे सेक्स में कुछ ज्यादा ही दिलचस्पी है।
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ये कहानी मेरी और मेरी माँ के बीच की है जो अब से 2.5 साल पहले शुरू हुई थी। आज हम गुजरात में रहते हैं पर उस वक्त हम राजस्थान के एक छोटे से गांव में रहते थे। मेरे घर में तब पापा मम्मी और छोटी बहन के अलावा मेरी नानी भी हमारे साथ रहती थीं।

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मेरे पापा एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते थे और हार्ट अटैक की वजह से उनकी मौत हो गई थी। पापा की मौत के बाद वो नौकरी, मम्मी को ऑफर हो गई और वो वहां नौकरी पे लग गई।

पापा पहले काफी ड्रिंक करते थे और ड्रिंक कर ने के बाद मम्मी की बहुत जोरदार चुदाई भी हो जाती थी नशे में। मैंने बहुत समय मम्मी की इतनी सिस्कारियों की आवाज के कारण उनके कमरे की खिड़की से देखा था पापा मम्मी की चुदाई को। और तब से हे में मेरी मम्मी के नंगे बदन से बहुत हे आकर्षित हो गया था।

अब इतनी तारीफ की है तो मम्मी के बारे में , उसका नाम साक्षी है और उसकी उम्र 43 साल है। दिखने में मेरी माँ बहुत ही सुन्दर है. उसकी ऊंचाई कुछ करीब 5 फीट 5 इंच जितनी है और वजन होगा कुछ 72 किलोग्राम जितना। उसका फिगर 38- 32-36 का है. मम्मी की नाज़ुक कमर के नीचे बड़े-बड़े मोटे चुतड़ उसकी खुबसूरती को 100 गुना ज्यादा बढ़ा देती है।
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मेरी मम्मी थोड़ी मोती है पर उसके लम्बे कद के कारण वो मोती न हो कर गदराई हुई ही लगती है. उसका भरा भरा बदन बहुत ही सेक्सी है. उसे देख कर तो किसी का भी लंड खड़ा हो सकता है.

इस उम्र की दूसरी लेडीज की तरह मम्मी के मम्मे अब तक लूज़ ना हो के वैसे वह कड़क और फुले भरे हैं, जैसे की कोई रस भरा ऑरेंज। उसके चेहरे की नक्शी भी ऐसी बनी है कि कोई भी उसको ज्यादा देर तक देख ले तो खुद उसके होठों को चूमने के लिए मजबूर हो जाए।

मुजे मम्मी से बचपन से बहुत ज्यादा लगाव था। लेकिन जवान होते होते और जब से मैंने एक माँ और बेटे का अश्लील वीडियो देखा था। तब से तो में मम्मी को लेके बहुत कामुक हो गया था। मुझ में मम्मी को लेके बहुत वह वासना भरी सेक्स की भावनाएं आने लगी थी।

मुझे आज भी याद है कि मैं उनके कमरे की खिड़की से मम्मी पापा की चुदाई कैसे देख रहा था। एक रात तो मैंने ये देखा था कि पापा मम्मी को उल्टी बेड पर लिटा कर चूम रहे थे और उसकी चूत की मालिश कर रहे थे।

शायद पापा भी मम्मी की गांड का साइज बढ़ाना चाहते थे। उन दोनो को ऐसा करते देख में बहर खड़ा मम्मी की बड़ी गांड को चोदने के सपने में खुद का लंड हिलाने लगा था।
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कभी-कभी तो घर में मौका देख कर जब घर में कोई नहीं होता तब मेरी वासना से भरी नज़र से मम्मी के आस-पास घूमना, और मम्मी को कैसे भी टच कर लेता था। पर बस टच करता सेक्स जैसा कुछ नहीं था।

पापा की मौत के बाद वो चले गए उस वक्त मानो घर में अचानक वह भूचल आ गया था और एकदुम से सब बिखर गया था। 3-4 महीने तो सब के ऐसे निकल गए। घर में बस नानी मम्मी में और छोटी बहन रहे थे।

धीरे धीरे से सब सामान्य होने लगा था घर में। मम्मी को भी पापा की जगह उनके ऑफिस में नौकरी मिल गई थी। जब से वो ऑफिस जाने लगी थी तब से वो जींस और टॉप पहन ने लगी थी और घर आ कर भी ढीली कुर्ती और लेगिंग पहनती थी।

उसके बॉडी फिगर की वजह से जब भी मम्मी लेगिंग पहनती थी तो वो उसकी जांघें और गांड के पास से ऐसे चिपक जाती थी, पूरी शेप नजर आती थी और टॉप की वजह से उसके कड़क चूचे मुझे पूरे दिन पागल कर देते थे। मम्मी ऐसे कपडे में बहुत हे हॉट सेक्सी लेडी जैसी लगती थी.

आप तो जानते ही हो कि हमारे राजस्थान में गर्मी बहुत पड़ती है और यहाँ पर औरतें लेहंगा चोली ही पहनती है. चोली एक छोटा सा ब्लाउज जैसा होता है और लेहंगा किसी पेटीकोट की तरह. बस फर्क होता है तो यह कि इस पर कढ़ाई का काम खूब होता है.

तो घर में मम्मी गर्मी के कारण के हल्का सा ब्लाउज और पेटीकोट पहनती थी, ब्लाउज का कपडा काफी पतला होता था जिस में से उस के मुम्मों का साइज और शेप साफ़ साफ़ दिखाई देती थी. इसी तरह उन का पेटीकोट भी पतला सा होता था जिस में से सामने आती रौशनी के कारण उन की झांघो की शेप साफ़ दिखती थी और कई बार तो उनकी पैंटी का रंग भी पता चल जाता था. माँ के चूतड़ इतने बड़े थे कि जिस तरह कोई बड़े बड़े तरबूज रखे हों. कुल मिला कर वो सेक्स की एक देवी ही लगती थी.
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क्योंकि हमारे राजस्थान में इस तरह के कपडे पहनना आम बात है और माँ तो घर में सदा से ही इस तरह के कपडे ही पहनती थी पर चाहे अब मैं बड़ा हो गया था और जवान था पर माँ के लिए तो मैं उनका वही छोटा सा बच्चा था, तो वो अभी भी बिना कोई झिझक के वही पेटीकोट ब्लाउज में ही घर में रहती थी और उन्हें इस में कोई गलत नहीं लगता था.

मेरे लिए तो यह स्वर्ग जैसा था. सारा दिन माँ का सेक्सी बदन मेरी आँखों के आगे रहता था और मेरा लौड़ा तो बेचारा बैठने का मौका ही नहीं पाता था.

अब एक दिन सुबह-सुबह की बात है मेरी नींद बहुत जल्दी खुल गई थी। और आप सब तो समझेंगे कि सुबह के समय सेक्स के लिए कैसा माहौल बना रहता है।

इस तरह मैं बिस्तर पर वासना भरी कहानियां पढ़ने लगा। और पढ़ते पढ़ते मेरे हाथ कब मेरे लंड पर पूछ गए पता नहीं और मेरे लंड हाथो में पकड़ कर उसकी मुठ मारने लगा।
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वह वक्त था जब मुझे मेरी बहन के स्कूल जाने की आवाज आई और वह जा चुकी थी। नानी की अब इतनी उम्र थी कि वो बिना सपोर्ट के बिस्तर से उठ भी नहीं पाती थी। और रोज़ की तरह बहन के स्कूल जाने के बाद वह मम्मी नहाने जाती थी और ऑफिस के लिए तैयार होती थी। इसलिए बहन के जाते वह मेरे मन में ख्याल आया कि अब मम्मी नहाएगी।
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तो सोचा क्यों नहीं आज मम्मी को नंगा देखा जाए। मैं चुपके से उनके कमरे में चला गया और बाथरूम की खिड़की के पास चुप कर खड़ा हो गया। मम्मी ने नहाते हुए बाथरूम का दरवाजा बंद कर दिया और नहाने लगी थी। पर में खिड़की की दरार में से माँ को नंगी नहाते हुए देख रहा था.
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मम्मी ने नहाने के लिए ब्रा पैंटी उतार दी थी और वो नंगी हो कर नहा रही थी. माँ का बदन काफी मोटा और गदराया हुआ था. माँ बिलकुल नंगी थी. उस के मोटे मोटे मुम्मे झूल रहे थे. माँ ने अपने नंगे बदन पर साबुन लगाया और फिर अपनी टांगें चौड़ी कर ली.

मेरा तो सांस ही रुक गया. माँ की चूत अब मुझे साफ़ दिख रही थी. वो पूरी तरह से फूली हुई थी और उसकी चूत टाँगे खोलने के कारण खुल गयी थी और उस की गुलाबी रंग की चूत का अंदर का भाग भी साफ़ दिख रहा था. माँ की चूत काफी टाइट थी, पर माँ की चूत पर एक भी बाल नहीं था. शायद माँ अपनी चूत को सदा शेव करके रखती थी,

माँ ने उस पर साबुन लगाया. फिर पानी डाल कर साफ़ किया. नहाने के बाद उसने तौलिये से बदन पोंछा। मैं समझा की अब तो माँ कपडे पेहन कर बाहर आएगी तो मैं जाने हो वाला था तो मैंने देखा कि माँ फिर से नहाने वाले टेबल पर बैठ गयी और अपनी टांगे चौड़ी करके अपनी चूत पर हाथ फेरने लगी.

फिर माँ ने अपनी एक ऊँगली अपनी चूत में डाल ली. और उसे अंदर बाहर करने लगी. मुझे तो मझा ही आ गया. तो मेरी माँ पिता जी के जाने के बाद इस तरह से अपनी सेक्स की भूख शांत करती है. आज मैं पहली बार अपनी माँ को ऊँगली करते देख रहा था.
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माँ को मजा आ रहा था. धीरे धीरे माँ ने अपनी पूरी ऊँगली अपनी चूत में डाल ली और अब माँ की सिसकारियां मुझे बाहर तक सुनाई दे रही थीं.

माँ तेज तेज अपनी चूत में ऊँगली कर रही थी और सिसकारियां भरते हुए चिल्ला रही थी.

आह आह मजा आ रहा है पर वो मजा कहाँ, जो मांस के लौड़े में है. ओह ओह। . म .. म और माँ ऊँगली तेज कर रही थी.

माँ ऊँगली से चुदाई करते हुए बोल रही थी.

हाय री मेरी फूटी किस्मत. कितनी देर हो गयी है अपनी चूत में लौड़ा लिए. मैं तो लौड़े का स्वाद ही भूलती जा रही हूँ. कितना अच्छा लगता था अपने पति का लौड़ा हाथ में लेना और उसे जोर जोर से चूसना और लण्ड का माल पीना. कहाँ रोज चुदवाती थी, कभी चूत मरवाती कभी गांड मरवाती और कभी लौड़ा चूसती. अब तो इस मरी ऊँगली का ही सहारा है. पर इस में वो बात कहाँ जो असली लौड़े में होती है. कुछ भी मजा नहीं है। काश में किसी असली लौड़े से चुद पाती. काश मेरी चूत में मेरी अपनी नहीं बल्कि किसी दुसरे मर्द की ऊँगली चल रही होती और मैं सिर्फ टांगें खोल कर मजा ले रही होती. पर हाय री मेरी फूटी तकदीर, मुझ विध्वा की किस्मत में तो अब ऊँगली ही है और वो भी अपनी ही ऊँगली. काश मेरे पति जिन्दा होते और मुझे खूब चोदते। इस ऊँगली से मेरी आग कहाँ भुज पाती है। वो तो बल्कि और भी भड़क जाती है. पर मैं भी क्या करूँ.
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यह कहते हुए माँ अपनी चूत में ऊँगली करती रही. थोड़ी देर में उनका बदन अकड़ गया और उनका ढेर सा पानी निकल गया.

माँ थोड़ी देर ऐसे ही चूत में ऊँगली रखे बैठी रही और फिर एक लम्बी सांस ले कर उठ गयी और कपडे पहनने लगी.

मैं जान गया था की मेरी माँ सेक्स के लिए बहुत भुखी है.

शायद मेरा ही कोई मौका लग जाए. पर वो मेरी माँ है. इस लिए मैं करूँ तो क्या करूँ. बस यही सोचता मैं अपने कमरे में आ गया.

मम्मी भी तैयार हो गईं उसके ऑफिस के लिए निकल गईं।

ऐसे में पता नहीं चला और पापा की मौत को एक साल भी हो गया। मम्मी ऐसे तो दिन ऑफिस में रहती थी और शाम को घर में और बाद में वो ज्यादा समय बहन के साथ बिताती थी।
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ऊपर से नानी भी मम्मी को बिजी रखती थी उनके कामो में। मेरी छोटी बहन भी मम्मी से चिपकी रहती थी। ये सब की वजह से मुझे कोई मौका नहीं मिल रहा था मम्मी के साथ कुछ करने का।

कभी-कभी जब मम्मी रात का खाना बनाना किचन में अकेली होती है तब उसके पास जा केएसआर खड़ा हो जाता है। और कुछ बहाना कर के मम्मी की नाज़ुक कमर को चूमकर गले लगाने की कोशिश करता हूँ।

कभी मम्मी का मूड अच्छा रहता तो गले लगा लेता था नहीं तो अगर गुस्सा होता तो नहीं। ऐसे भी मम्मी का गुस्सा बहुत बुरा था इसलिए वह मेरी ज्यादा हिम्मत नहीं होती थी कुछ करने की।
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मैं हमेशा सोचता था कि अगर मम्मी के साथ कुछ वासना हरकत करने की कोशिश करूं । बस ये सोच कर मेरी गांड फट जाती थी और मैं कुछ ज्यादा ट्राई नहीं करता था।

पर एक हादसा ऐसा हुआ जिससे मेरी पूरी जिंदगी बदल गई।
 

Ting ting

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बात यहाँ से शुरू हुई कि हम सब को एक शादी में शामिल होने जाना था। मेने जैसा कि पहले बताया था हम एक छोटे गांव में रहते थे। तो शादी के लिए हमें पास के दूसरे गांव में जाना था। शादी मम्मी की बहन मतलब कि मेरी मौसी के घर थी इसलिए हमें जाना जरूरी था।

नानी घर पर रुक गई थी तो मैं मम्मी और छोटी बहन हम तीनो वह शादी में गए थे। हम सब दूसरे रिश्तेदारों के साथ एक बस में वह जा रहे थे। मम्मी ने आज सलवार सूट पहना था लेकिन उसमें भी उसके चूचे और गांड ऐसी नज़र आ रही थी जैसी कयामत गिरा रही हो।
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जैसे हे मम्मी बस में चढ़ी और सीट तक चली गई तब तक बस में बैठे हर मर्द चाहे जवान हो या बुड्ढा बस उसकी हिलती चूचे और मटकती गांड को वह देख रहा था।

मैं भी बस कुछ सालो से मम्मी को देख कर उसने एन्जॉय कर रहा था क्योंकि मुझे लगता था कि मम्मी बहुत मासूम औरत है वो क्या किसी से कुछ अफेयर या सेक्स रिलेशन रखेगी।हालाँकि मैंने मम्मी को बाथरूम में अपनी चूत में ऊँगली करते देखा था, इसलिए मैं यह तो जानता था की मेरी माँ सेक्स की बहुत भूखी है और चुदने के लिए तड़प रही है पर उस ने अभी तक बाहर किसी गैर मर्द से सेक्स सम्बन्ध नहीं बनाये थे. यह भी मुझे पता था.
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लेकिन यह सब कुछ इतनी जल्दी बदलने वाला था ये मुझे पता भी नहीं था। मानो जैसा मेरा जैकपॉट लगाने वाला था लेकिन मुझे कुछ मालूम नहीं था।

हम सब शादी वाली जगह पहुँच गये। सर्दियो के दिन चल रहे थे. शादी का माहौल था तो सब नाच गा रहे थे।

सब बड़े वृद्ध आपस में बैठ कर बातें कर रहे थे। मेरी बहन भी वहा के दूसरे बच्चों के साथ खेलने में बिजी हो गई थी। मैं मम्मी मौसी और उनके कुछ रिश्तेदार सब कंबल में बैठे हुए थे। काफी ठण्ड थी उन दिनों.

उन दिनों क्रिकेट के भी मैच चल रहे थे. सभी को भारत पाकिस्तान के मैच का बहुत ही क्रेज था. आज रात को मैच आने वाला था.
शाम हो गयी थी हम सब कजिन भाई बहनें , मेरी मौसी, उनकी एक रिश्तेदार औरत आदि टीवी वाले कमरे में बैठे थे. मेरी माँ को भी क्रिकेट मैच देखने का बहुत शौक था.
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ठण्ड बहुत ज्यादा थी तो हम सबने एक मोटा सा डबल बेड का कम्बल अपनी टांगों पर डाल लिया था और बैठे बातें कर रहे थे. और टीवी देख रहे थे. सब का ध्यान टीवी पर था. थोड़ी ही देर में मैच शुरू हो गया तो सब पूरी गौर से मैच देख रहे थे. कमरे में बड़ी सी ट्यूब लाइट जल रही थी जिस की रौशनी सीधी टीवी स्क्रीन पर पड़ रही थी. तो मेरी माँ ने उसे बुझा देने को कहा. मेरी मौसी की बेटी ने उठ कर ट्यूब बंद कर दी। अब कमरे में पूरा अँधेरा था. सिर्फ टीवी की स्क्रीन पर मैच आ रहा था और सब की नजरें और ध्यान उस पर ही था. ठण्ड के कारण हमारे हाथ कम्बल के अंदर थे.
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बहुत ही ज्यादा ठण्ड थी उस वक्त।

हम सब कंबल में ऐसे बैठे थे कि पहले मेरा एक कजिन उसके साइड में मम्मी उसके साइड में मौसी और बाद में मैं। सब एक दूसरे से बात कर रहे थे पर मेरा ध्यान तो सिर्फ मम्मी के चेहरे पर था। मैंने पहले भी बताया था ना जो कोई मम्मी को देख ले वो उसके होठों को चूमे बिना नहीं मानेगा।

मैं सिर्फ मम्मी को देख रहा था क्योंकि बात करते समय मम्मी की कंबल नीचे हो जाती थी तो उसके चूची के दर्शन हो जाते थे।

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ये सब देख कर में बड़ा असहज महसूस करने लगा था। क्यों कि उसका वक्त मेरा लंड भी खड़ा होने लगा था।
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मेरा कज़िन जो मम्मी के साइड में बैठा था उस का नाम जिम्मी था. वो काफी रंगीन मिजाज था और वो भी मम्मी की जवानी का दीवाना था। मम्मी को देख देख कर अजीब हरकतें करता था। वो हमेशा मम्मी को टच करने की कोशिश करता रहता था।हमने सुना था की उसने गाँव की कई लड़किओं को चोद दिया था. इसलिए मम्मी हमेशा कहती थी कि वो बहुत बिगड़ा हुआ लड़का है।

कहते हैं की एक औरत मर्द की वासना भरी नजर को तुरंत जान लेती है. मम्मी भी अपने बदन पर घूरती हुई जिम्मी की नजरों से यह तो समझ गयी थी कि उस के भांजे की नजर अपनी मौसी की जवानी पर है.

मुझे ये बात समझ में आ गई थी कि वो भी मम्मी की चूत को भोगना चाहता था। इसलिए मैंने बस इस बात का फायदा उठा लिया।

मैं ये सोच रहा था कि मुझे कुछ करना चाहिए. यह ही एक मौका है. कमरे में अँधेरा है और सब का ध्यान टीवी पर है. में क्या करूँ यह सोच ही रहा था कि तभी मौसी मेरे और मम्मी के बिच से उठ के चली गई और मैं मम्मी के पास उसके साइड में जा के बैठ गया।

तभी मैंने सोचा कि कुछ करूं, मैंने एक हाथ थोड़ा सा कर दिया, मम्मी की जांघों पर रख दिया। पर कहते हैं ना नसीब अच्छा होना। जब कुछ होना होता है तो भगवान् भी आप की मदद करते हैं. मम्मी की जांघो पर हाथ रखा मैं था पर मम्मी को लगा कि वो मेरे चचेरे भाई जिम्मी का है। आखिर मैं मम्मी का प्यारा बेटा था और जिम्मी की आँख माँ पर थी ही. जिसे मम्मी भी जानती और समझती थी. मम्मी ने एक मिनट हाथ रखने दिया और फिर कंबल के अंदर उसने हाथ को हटा दिया।
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सब लोग बात कर रहे थे लेकिन मम्मी थोड़ी शांत बैठी थी। वो अपनी जांघ पर रखे हाथ से थोड़ी असहज थी. पर कमरे में अँधेरा था तो किसी को कुछ भी पता नहीं चल सकता था. यह मेरे लिए ख़ुशी की बात थी.

मैं मम्मी के और थोड़ा करीब हो के बैठ गया।

मैंने थोड़े समय बाद फिर से मम्मी की दूसरी साइड वाली जांघों पर हाथ रख दिया और सहलाने लगा। मम्मी ने इस बार भी फिर से कम्बल के अंदर उसने हाथ हटा दिया और गुस्से में मेरे चचेरे भाई जिम्मी से कहने लगी

मम्मी:- क्या हुआ है तुझे??? क्या कर रहा है तू??

वो बेचारा शॉक में मम्मी को देखने लगा और मम्मी उसको। उसको कुछ समझ नहीं आया कि क्या हो गया था। मम्मी भी और कुछ नहीं बोली, बोलती तो बोलती भी क्या ? बस चुप चाप बैठी रही।
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कज़िन को तो कुछ पता नहीं था कि क्या चल रहा है। बस मुझे और मम्मी को पता था कि क्या चल रहा था। पर मम्मी को लगा था कि वो जिम्मी कर रहा है।

अब जब तीसरी बार मैंने फिर से मम्मी की जांघों पर हाथ रखा। तो मेने हाथ थोड़ा ऊपर की तरफ मम्मी की चूत के बगल में रखा था। जिस से मेरी उंगली की तरफ से मम्मी की चूत को टच हो रहा था।
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मैं फिर से उसकी जांघों को सहलाने लगा था। तभी मम्मी कंबल के अंदर ही से मेरा हाथ पकड़ लिया। वो चुप रही और मुझे हाथ सहलाने नहीं दिया लेकिन किसी से कुछ कहा नहीं बस हाथ पकड़े रही।

जब मम्मी ने हाथ पकड़ लिया तो मुझे बहुत डर लग गया। लेकिन उसने रोकने के लिए हाथ पकड़ रखा था। वो जब चुप रही किसी को कुछ नहीं बताया तो मुझे लगा कि इस मौके का फ़ायदा उठाने का ये सही वक़्त है।

मेने मेरे हाथ को थोड़ा टाइट करते हुए कम्बल के अंदर उन्होंने मम्मी के हाथ से छुड़ा लिया और उनकी जांघों को इस बार ज्यादा जोर से सहलाया। उसने थोड़े समय रुकने की कोशिश की, लेकिन जब मेरा हाथ नहीं रुका तो उसने कंबल के अंदर उसने मेरे हाथ को मुफ्त कर दिया। जिसका मतलब था कि उसने चुपके से खुद को सहलाने की अनुमति दे दी।

अनुमति मिलते ही मैंने मम्मी की जांघों को सहलाया और सलवार के ऊपर से उसने मुझे जैसे चूत को छूने की अनुमती दे दी हो. मम्मी ने अंदर पैंटी पहन रखी थी जो मुझे हाथो में लग रही थी।
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जैसे जैसे मैं मम्मी की चूत को टच कर रहा था मुझे उनकी चूत पर कुछ गीला गीला और गरम मेहसूस हो रहा था। इसका मतलब था कि अब मम्मी भी गरम होने लगी थी। और होते भी कैसे नहीं उन्होंने भी तो इतने लम्बे समय से अपनी चूत किसी दुसरे से मसलवाई नहीं थी, न ही उसने चूत चुदवाई थी और ना उसने गांड मरवाई थी।

मेरा भी लंड खड़ा होने लगा जिस वजह से मुझे भी बहुत मजा आने लगा। अब मैंने कोशिश करते हुए अपना हाथ मम्मी के सलवार के अंदर घुसा दिया।

मैं उसकी चूत में उंगली करना चाहता था।

जैसे ही मैंने मम्मी की सलवार में हाथ घुसाया और सहलाने लगा। तभी मम्मी ने मेरे हाथ को रोक दिया और लेकिन वो उठ कर चली नहीं गयी. मैं समज गया की न तो वो जिम्मी को कुछ बोल रही है और न ही उठ कर जा रही है. तो इस का एक ही मतलब हो सकता है की वो भी मजा लेने के मूड में है शायद.

यह सब मेरे लिए तो लॉटरी लगने जैसा था.

ख़ुशी के मारे मेरा दिल तेज तेज धड़क रहा था. मैंने अपना हाथ मम्मी की सलवार के अंदर डाल दिया. मम्मी ने मेरा हाथ पकड़ कर रोकने की कोशिश करी पर उन के उस रोकने में कोई जोर नहीं था.

मैंने थोड़ा जोर लगाया और मेरा हाथ मम्मी की सलवार के अंदर उनकी कच्छी की भी अंदर से घुसता हुआ सीधा मम्मी की चूत पर पहुँच गया.
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ज्योंही मेरा हाथ मम्मी की चूत से लगा तो मम्मी के मुंह से एक आह निकल गयी. मैं तो डर गया कि कोई सुन न ले पर टीवी पर चल रहे क्रिकेट मैच का ही शोर इतना था कि कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था. सब का ध्यान मैच में था और मेरा ध्यान मम्मी की चूत पर.

जब मम्मी की तरफ से कोई ख़ास रुकावट न दिखी तो मैंने मम्मी की चूत को अपनी मुठी में भर लिया। मम्मी की चूत पर बिलकुल भी बाल नहीं थे. शायद वो सदा अपनी चूत को सफाचट ही रखती थी या फिर आज शादी के कारण सफाई करी थी. खैर मेरे लिए तो अच्छा ही था.

थोड़ी देर मैं इसी तरह अपनी मुट्ठी में मम्मी की चूत को मसलता रह और उनकी चूत पर अपनी उँगलियाँ घुमाता रहा.

अब मम्मी शांत बैठी थी और मुझे रोक नहीं रही थी. उन्हें लग रहा थे कि उनका भांजा जिम्मी यह सब कर रहा है.

मम्मी ने अपना हाथ अब कम्बल से बाहर निकाल लिया था और अपने मुंह पर रख लिया था शायद वो अपने मुंह से निकल रही सिसकारियों को रोकने की कोशिश कर रही थी ताकि किसी को शक न हो जाये.

मैंने मम्मी की चूत की दोनों फांकों को थोड़ा फैला दिया और उनकी चूत के अंदरूनी भाग पर यानि गुलाबी मांस पर अपनी ऊँगली रगड़नी शुरू कर दी.
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माँ की सिसकारियां तेज हो रही थी जिन्हे वो अपने हाथ से दबा कर रोक रही थी. फिर मैंने अपनी एक ऊँगली माँ की चूत के अंदर घुसेड़ दी.

मम्मी की चूत उनके रस से भीग गयी थी और अंदर से बहुत चिकनी और गीली हो गयी थी. आखिर न जाने कितनी देर के बाद तो मम्मी की चूत में कोई गैर ऊँगली घुसी थी.,

मेरी पूरी ऊँगली माँ की चूत मैं थी थोड़ी देर मैं उसे अंदर बाहर करता रहा. माँ चुप बैठी थी और उसने अपनी टांगें खोल दी थी ताकि मैं आराम से उनकी चूत में ऊँगली कर सकूं. बस फिर क्या था मैंने अपनी दूसरी ऊँगली भी मम्मी की चूत में डाल दी और तेज तेज मम्मी की चूत को अपनी उँगलियों से चोदने लगा।
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मेरा लौड़ा भी तन कर लोहे के तरह सख्त हो गया था. पर यह मौका मुठ मारने का नहीं था. आज तो मैं अपनी माँ की चूत ही लेना चाहता था.

उधर मैच का शोर बढ़ रहा था और इधर मेरी उँगलियों की स्पीड भी तेज हो रही थी.

माँ का स्खलन भी पास था. मैच का आखिरी ओवर चल रहा था. भारत जीतने के करीब था और इधर मैं भी जीत की तरफ बढ़ रहा था.

अब माँ भी थोड़ा थोड़ा हिल रही थी और मेरी अंदर बाहर हो रही उँगलियों के साथ ताल से ताल मिला कर चुदवा रही थी. तभी माँ का शरीर अकड़ने लगा., मैं समज गया की माँ का काम तमाम होने वाला है.

मैंने दो उँगलियों से तो चूत चोदना चालू रखा और अपने अंगूठे से माँ के चूत के दाने (भगनासा) को रगड़ना शुरू कर दिया.
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यह तो अब माँ की बर्दाश्त के बाहर था. अचानक माँ का शरीर कास गया और माँ की साँसे तेज हो गयी (जिसे मैच के शोर में किसी ने ध्यान नहीं दिया) और माँ की चूत ने भलभला कर पानी छोड़ दिया.
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माँ बहुत सालों बाद किसी दुसरे के ऊँगली से झड़ी थी तो उनका इतना पानी निकला कि मेरा पूरा हाथ भीग गया.
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माँ का शरीर कुछ देर तक कांपता रहा और उनकी चूत से पानी निकलता रहा, मैं भी चूत में ऊँगली करता रहा.

जब माँ का शरीर थोड़ा शांत हुआ और चूत ने भी पानी छोड़ना बंद किया, तो माँ ने अपना हाथ अपनी सलवार के अंदर डाल कर मेरे हाथ को बाहर निकाल दिया.
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फिर माँ उठ कर खड़ी हो गयी और एक अजीब सी नजर से मेरे कजिन जिम्मी को देखती हुई बाथरूम में चली गयी.

जिम्मी बेचारे को क्या पता था कि यहाँ क्या हो गया है, वो तो आराम से टीवी देखता रहा. पर माँ को लग रहा था कि जिम्मी बहुत ही शैतान है और शरीफ सा बन कर टीवी देख रहा है ताकि किसी को उसकी हरकत (जो असल में मैंने की थी) का पता न चल जाए.
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इतनी देर में मैच भी ख़तम हो गया और हम सब उठ गए.

मैं आज बहुत खुश था कि मैंने पहली बार अपनी माँ की चूत रगड़ ली है.

 
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